MP News : 2 बच्चों की मां द्रौपदी लोधी पति के दोस्त के प्यार में इस कदर अंधी हो गई कि वह खुल्लमखुल्ला उस के साथ इश्क लड़ाने लगी. फेमिली वालों ने समझाया तो उस ने डरने के बजाय फेमिली वालों को ही झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे डाली. बदनामी के डर से जब पानी सिर के ऊपर हो गया तो फेमिली वालों को सामूहिक रूप से मजबूरन ऐसा कदम उठाना पड़ा, जिस की गूंज सैकड़ों मील तक पहुंची…
25 जुलाई, 2025 की रात करीब 2 बजे की बात है. मध्य प्रदेश के जिला सागर के गांव टीहर का रहने वाला जगदीश लोधी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से उठा तो उसे उल्टियां करने की आवाज सुनाई दी. उसे लगा कि शायद ऊपर की मंजिल पर छोटे भाई के साथ रहने वाली उस की मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है. आवाज सुन कर नीचे की मंजिल से जगदीश जब ऊपर की मंजिल पर बने कमरे में आया तो यहां का दृश्य देख कर हैरान रह गया. उस की मम्मी फूलरानी, भाई मनोहर और उस के बच्चे तड़पते हुए उल्टियां कर रहे थे. जगदीश को कुछ समझ नहीं आ रहा था, तभी उस ने गांव में रहने वाले अपने भाई नंदराम को खबर दी तो नंदराम भी आननफानन में खेत में बने मनोहर के मकान पर पहुंच गया.
उस ने गांव के कुछ लोगों को फोन कर के बुलाया और उन की मदद से सभी को खुरई के अस्पताल ले जाया गया. खुरई सिविल अस्पताल की ड्यूटी डौक्टर वर्षा केशरवानी ने चारों की जांच की तो उन में से अस्पताल पहुंचने के पहले ही मम्मी फूलरानी और भतीजे अनिकेत की मौत हो चुकी थी. शिवानी और उस के पापा मनोहर की हालत गंभीर थी. कुछ ही देर बाद शिवानी ने भी खुरई अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और मनोहर को गंभीर हालत में जिला अस्पताल सागर रैफर किया गया, जहां रास्ते में ही उस ने दम तोड़ दिया. सूचना मिलते ही खुरई (सिटी) थाने के टीआई योगेंद्र सिंह दांगी टीम के साथ जिला अस्पताल पहुंच गए.

औपचारिक जांच पूरी करने के बाद उन्होंने चारों शवों को मोर्चरी में रखवा दिया. इस मामले की सूचना उन्होंने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस कस्टडी में चारों लोगों की 26 जुलाई को दोपहर जब डैडबौडी गांव लाई गई, तब मनोहर के घर के सामने लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. पूरे गांव में शोक का माहौल था. पुलिस टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो वहां पर जहरीले पदार्थ की 3 खाली डिब्बियां मिलीं, जिन में जहर की कुल 30 गोलियां थीं. कमरे में 4 गिलास भी मिले, जिन में घोल कर गोलियां पी गई थीं.
घटना के समय मकान की पहली मंजिल के कमरे में फूलरानी का शव पलंग पर मिला, जबकि उन का बेटा मनोहर और उस के दोनों बच्चे अनिकेत और शिवानी पलंग के पास बेहोशी की हालत में पाए गए. मध्य प्रदेश के सागर जिले की खुरई तहसील के एक छोटे से गांव टीहर के 45 साल का मनोहर लोधी पहले गांव में ही बने मकान में संयुक्त परिवार में रहता था. उन्नत खेती करने वाले मनोहर ने अपनी मेहनत के बलबूते 4 माह पहले ही गांव के घर से करीब 600 मीटर की दूरी पर दोमंजिला मकान बनवा लिया था.
मकान बनते ही वह परिवार के साथ उस में शिफ्ट हो गया. 4 भाई और 4 बहनों के परिवार में मनोहर सब से छोटा था. उस का एक भाई जगदीश लोधी मानसिक रोगी था, इसलिए वह भी मनोहर के साथ में रहता था. मनोहर के परिवार के पास करीब 16 एकड़ पैतृक जमीन थी, जो पापा की डैथ के बाद बंटवारे में चारों भाइयों में बराबर बांट दी गई थी. मनोहर के अलावा उस के 2 बड़े भाई नंदराम और गोविंद लोधी भी खेतीकिसानी करते थे. मनोहर की मम्मी फूलरानी उसी के साथ नए मकान में रहती थीं.
मनोहर लोधी तो किसी कारण पढ़ नहीं पाया था, लेकिन वह अपने दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता था. उस की बेटी शिवानी ने इंगलिश मीडियम प्राइवेट स्कूल से 12वीं का एग्जाम पास किया था. और वह डौक्टर बनना चाहती थी, इसलिए मनोहर ने 2 लाख रुपए फीस जमा कर के उसे सागर के एक प्राइवेट कालेज में दाखिला दिलाया था. 16 साल का बेटा अनिकेत भी इसी साल कक्षा 10वीं पास कर चुका था.
सामूहिक आत्महत्या की ऐसे बनाई योजना
सामूहिक आत्महत्या की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही सागर जिले के एसपी विकास कुमार साहबाल, एसडीओपी सचिन परते, खुरई शहरी थाने के टीआई योगेंद्र सिंह दांगी पूरे दलबल और फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. फोरैंसिक टीम को मनोहर के घर के कमरे में कुरसी पर 3 सल्फास की डिब्बियां रखी हुई मिलीं, जबकि जमीन पर रखी एक ट्रे में चम्मच और 3 खाली गिलास भी रखे मिले थे, जिसे देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि इसी का सेवन कर चारों लोगों ने सुसाइड किया होगा.
रात का समय था. 45 साल का मनोहर लोधी अपनी बुजुर्ग मां फूलरानी के कमरे में पहुंचा, उस समय फूलरानी पलंग पर लेटी हुई थीं. पास में ही मनोहर की 18 साल की बेटी शिवानी और 16 साल का बेटा अनिकेत भी बैठे हुए थे. मनोहर चुपचाप पलंग पर जा कर बैठ गया. मनोहर के गमगीन चेहरे को फूलरानी ने पढ़ लिया था. फूलरानी ने अपने बेटे के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, ”मनोहर, तू इतना उदास क्यों रहता है, तेरी हालत मुझ से देखी नहीं जाती बेटा.’’
”मम्मी, आंखों देखी मक्खी कौन खा सकता है? द्रौपदी ने तो परिवार की नाक ही कटा दी. मेरा तो गांव में उठनाबैठना ही दूभर कर दिया है.’’ मनोहर दुखड़ा सुनाते हुए बोला.
”हां बेटा, गांव में बदनामी तो हमारी हो ही रही है, मगर बालबच्चों की खातिर अपने आप को संभाल बेटा.’’ मम्मी ने ढांढस बंधाते हुए कहा.
”दादी, मुझे भी गांव के लड़के खूब ताना मारते हैं, मम्मी की हरकतों ने हमें सिर उठाने लायक नहीं छोड़ा.’’ अनिकेत ने बीच में अपने दिल का दर्द बताते हुए कहा.
”पापा, मेरी सहेलियां भी कहती हैं कि गांव की महिलाएं भी मम्मी के चालचलन को ले कर खूब चटखारे ले कर बतियाती हैं.’’ बेटी शिवानी भी बोल पड़ी.
मनोहर बोला, ”हां बेटा, तुम्हारी मम्मी ने हम लोगों को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. जी तो करता है कि जहर खा कर अपनी जान ही दे दूं.’’
”बुढ़ापे में ये दिन देखने पड़ेंगे, मैं ने तो सपने भी नहीं सोचा था. नाशपीटी बहू लाजशरम बेच कर सुरेंद्र के साथ खुलेआम रंगरलियां मना रही है. तू तो बेटा पहले मुझे जहर दे दे.’’ फूलरानी ने मन की बात जाहिर करते हुए कहा.
”पापा, मम्मी की बेशरमी से तो भैया और मैं भी तंग आ चुके हैं. हम लोगों ने तो मम्मी को सुरेंद्र चाचा के साथ भी देख लिया था, मगर मम्मी तो बेशरमी की हद पार चुकी है. ऐसी मां के साथ जीने का कोई फायदा नहीं है.’’ बेटी शिवानी ने रोते हुए कहा.
”अनाज में मिलाने वाली दवा अपने कमरे में रखी हुई हैं, मैं तो उसे घोल कर सब को दे देता हूं. ऐसे घुटघुट कर जीने से अच्छा है कि हम लोग मौत को गले लगा लें.’’ मनोहर बोला.
”हां बेटा, तेरी बात सही है. अपने मरते ही घर की जमीनजायदाद का हिस्सा ले कर बहू उसी सुरेंद्र के साथ मजे से रह लेगी.’’ फूलरानी बोलीं.
”मम्मी, उस को तो इस घर के हिस्से से फूटी कौड़ी भी नहीं मिलने दूंगा. मैं मरने से पहले सब कुछ लिखापढ़ी कर दूंगा. चल अनिकेत, कागज पेन निकाल और मैं जैसा कह रहा हूं, वैसा लिख दे.’’ बेटे को आदेश देते हुए मनोहर बोला.

मनोहर बहुत सीधा था और गांव में खेतीबाड़ी करता था. उस ने खूब मेहनत कर के हाल ही में अपना दोमंजिला मकान बनवाया था, जिस में 4 महीने पहले ही गृह प्रवेश किया था. वह पढ़ालिखा नहीं था, इसीलिए उस ने आत्महत्या से पहले अपने बेटे अनिकेत को अपनी जमीनजायदाद के बंटवारे को लिखने को कहा तो अनिकेत अपने स्कूल बैग से कौपी का पन्ना और पेन निकाल कर लिखने बैठ गया.
संपत्ति से पत्नी को नहीं दी फूटी कौड़ी
मनोहर के कहने पर लेटर में अनिकेत ने लिखा कि उन की संपत्ति में पत्नी द्रौपदी का कोई हिस्सा नहीं है. मनोहर के हिस्से की 4 एकड़ जमीन भाइयों को मिलेगी. 4 भैंसें बुआओं को देने के साथ भैंसों के 2 बच्चे अपने सब से बड़े भाई गोविंद सिंह को दे दिए जाएं. दादी के गहने भी अपनी 4 बुआओं को बराबरबराबर बांट दिए जाएं. लेटर में उन पर कोई कर्ज न होने की बात भी लिखी. लेटर में यह भी लिखवाया कि पापा ने मामा से 2 लाख रुपए उधार लिए थे, उस के बदले 2 लाख 40 हजार रुपए चुका दिए हैं.
साथ ही अपनी तेरहवीं में खर्च करने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए गोदरेज की अलमारी में रखे होने की बात कही. पापा के फोनपे एकाउंट में 68 हजार रुपए होने का हवाला देते हुए लेटर में फोनपे का पासवर्ड भी लिखा गया है. हमारी पूरी जमीन 3 भाइयों को दी जाती है. जगदीश चाचा की सेवा जो करेगा, उसे ही उन के हिस्से की जमीन मिलेगी. पूजा के बरतन और सामग्री गांव के पंडितजी को दे दिए जाएं. मनोहर की पत्नी द्रौपदी के भाई चंद्रेश सिंह लोधी को 3 दिन पहले ही मनोहर ने फोन कर के तुरंत घर बुलाया था और बहन को घर ले जाने को कहा. उस समय के हालात को भांपते हुए चंद्रेश बहन को ले कर खुरई वाले अपने घर पर आ गया.

उसी दिन शाम को मनोहर अपने साले के घर गया और उस से अपना मकान बनवाते समय अलगअलग समय पर करीब 2 लाख रुपए लिए थे, वह अपने साले को दे कर आ गया था. मनोहर और उस की पत्नी द्रौपदी के बीच आए दिन झगड़े होते थे, जिस से बच्चे भी मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे. मनोहर की पत्नी द्रौपदी कुछ दिन पहले अपने मायके डोमा-केसली गांव चली गई थी. उस दिन भी पहले फोन पर मनोहर की पत्नी से बहस भी हुई थी. घरपरिवार की चलअचल संपत्ति के बंटवारे लौकर में लिख कर रखने के कुछ ही घंटों बाद परिवार ने अनाज को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सलफास जहर की गोलियां पानी में घोल कर पी ली थीं.

पुलिस को जांच में ऐसा लगा कि सुसाइड नोट मनोहर और उस के बच्चों ने मिल कर लिखा है. क्योंकि इस में कई जगह मां तो कई जगह बुआ और मामा का जिक्र है. बच्चों ने अपनी मम्मी को इस संपत्ति से अलग रखा है, जिस से लगता है कि बच्चे भी अपनी मम्मी से नाराज थे. हालांकि सुसाइड नोट में आत्महत्या के कारण का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और न ही किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया गया है. शुरुआत में मनोहर ने भाइयों के बारे में जिक्र किया है.
द्रौपदी को जब पति मनोहर ने सुरेंद्र के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था तो गुस्से में उसे खूब खरीखोटी सुनाते हुए कहा, ”तूने लाजशरम सब खो दी थी, बच्चे बड़े हो गए हैं, मगर तेरे ऊपर जवानी का रंग चढ़ा हुआ है. तूने हमें गांव के लोगों के सामने मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. तेरी भलाई इसी में है कि तू इस घर से निकल जा और हमें और बच्चों को स्वाभिमान से जीने दे.’’
मामामामी से हुई थी बातचीत
इस के बाद द्रौपदी घर छोड़ कर अपने भैयाभाभी के घर चली गई. घटना के 2 दिन पहले मनोहर और उस की बेटी शिवानी और उस की मामी के बीच गरमागरम बातचीत हुई, जिसे मोबाइल में रिकौर्ड भी किया गया. शिवानी के मोबाइल की यह रिकौर्डिंग मनोहर के एक भतीजे ने पुलिस को सुनाई.
”शिवानी तुम लोगों ने अपनी मम्मी के साथ यह गलत किया है.’’ मामी बोली.
”तुम कह रही हो कि हम ने गलत किया है, आखिर मामी हम ने क्या गलत किया है?’’ शिवानी ने पूछा.
”तुम ने अपनी मम्मी को घर से बाहर निकाल कर गलत किया है, उन के साथ गलत बरताव किया है.’’ मामी गुस्सा हो कर बोली.
”ऐसी शर्मनाक हरकत करने वाली हमारी मम्मी हमारे लिए मर गई है, बस हमें उस से कोई सरोकार नहीं है.’’ शिवानी ने कहा.
”मम्मी मर गई है तो यहां से ले जा कर उस का क्रियाकर्म करो, हमारे पास अपनी मरी मम्मी को मत छोड़ो. वैसे भी शादीशुदा औरतों की मायके में अर्थी नहीं जाती, ससुराल में ही सब होता है.’’ मामी बड़बड़ाते हुए बोली, ”जब सब कुछ 5 साल से चल रहा था तो पहले सब बतातीं, एक दिन पहले हमें
बुला कर हम से रंगेहाथ पकड़वातीं तो कोई बात होती, तुम ने आंखों से देखा तो हमें एक दिन पहले बुलातीं कि आज आने वाले हैं. हम भी आ कर देखते कि हमारी ननद क्या गुल खिला रही है. तुम लोग आंखों से देखते भी रहे और 5 साल तक हम से यह बात छिपा कर रखी.’’
”जब हमारी मम्मी पापा के समझाने से नहीं समझी तो हम तो दूर की बात हैं, उन्हें तो कोई लोकलाज का डर ही नहीं रहा.’’ शिवानी ने कहा.
”हम ने तुम्हें भी 50 बार काल की, तुम लोगों ने उठाई नहीं. तुम उसी दिन आ जाती भाभी तो बात दब जाती. अब पूरे गांव को सब पता चल गया है. हम तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहे.’’ शिवानी से फोन ले कर मनोहर बोला.
इसी बीच मामी ने फोन अपने पति को पकड़ा दिया तो मामा भी गुस्से में उबल पड़ा, ”पहले मुंह क्यों नहीं खुला, 5 साल से बात को दबाए क्यों थे?’’
”भैया, पहले किसी को पता नहीं था तो बदनामी के डर से हम ने भी किसी को नहीं बताया. अब सब को सब कुछ पता चल गया है. बदनामी होने लगी है, हम रंगेहाथों पकडऩे का इंतजार कर रहे थे.’’ मनोहर सफाई देते हुए बोला.
”गलती तुम्हारी भी है, तुम्हारे घर में औरत रह रही है, तुम्हें यह पता नहीं है कि वो क्या कर रही है. हम रह रहे क्या तुम्हारे घर? अब हमारे ऊपर थोपने लगे. उसे पकडऩा था तो पकड़ कर वहीं मरोड़ कर फेंक देते. हम ने शादी कर के बहन तुम्हें दे दी, तुम जानो तुम्हारा काम जाने.’’ मामा ने तैश में आ कर कहा.
”हम तो कभी का उसे ठिकाने लगा देते, मगर यदि हम तुम्हारी बहन को रंगेहाथ पकडऩे के बाद उसे कुछ कर देते तो तुम हमारा जीना हराम कर देते.’’ मनोहर ने यह कहते हुए फोन काट दिया. मनोहर लोधी और सुरेंद्र लोधी अच्छे दोस्त थे, लेकिन सुरेंद्र ने दोस्ती का नाजायज फायदा उठाते हुए मनोहर की पत्नी द्रौपदी को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. सुरेंद्र और द्रौपदी के संबंधों को ले कर गांव में चर्चाएं होने लगीं, जो मनोहर के कानों तक भी पहुंच गईं. मनोहर जब पत्नी से इस बात का जिक्र करता तो द्रौपदी उस से कहती कि वह बेवजह उस पर शक कर रहे हैं.
मनोहर के मन में बैठा शक एक दिन सच साबित हुआ, जब मनोहर के बच्चों ने अपनी मम्मी को सुरेंद्र के साथ पकड़ लिया. बच्चों ने यह बात अपने पापा मनोहर को बता दी. कुछ दिन पहले सुरेंद्र ने द्रौपदी को नया मोबाइल फोन ले कर दिया था. घटना वाले दिन शाम को सुरेंद्र ने मनोहर को फोन कर के पूछा, ”कहां हो, घर पहुंच गए कि नहीं?’’
”नहीं, अभी नहीं पहुंचा खेत पर हूं, घर में क्या काम है?’’ मनोहर ने झल्ला कर कहा.
”यही कहने के लिए फोन लगाया है कि तुम मुझ पर शक कर रहे थे, तो मैं ने तो तुम्हारा शक सच साबित कर ही दिया. जो होना था वो हो भी गया, अब ठीक है. संतुष्टि है मैं ने यही कहने के लिए काल की है कि जब मैं गलत नहीं करता था, तब तुम ने मुझे गलत समझा, अब गलत कर दिया तो अब तो संतुष्ट हो.’’ सुरेंद्र इठलाते हुए बोला.
”तुम तब भी गलत थे, अभी भी गलत हो, तुम्हें अपने किए पर जरा भी शरम नहीं आती. तुम दोस्ती के नाम पर कलंक हो.’’ मनोहर ने जबाब देते हुए कहा, ”जब तक तुम गलत नहीं थे, तब तक मैं ने शक नहीं किया. जब गलत किया, तब शक किया. नहीं तो मैं शक क्यों करता. जब तुम ने द्रौपदी को फोन दिया, मैं ने तब से शक किया. मैं ने तुम्हें सच्चे दिल से अपना दोस्त माना, लेकिन तुम ने मेरे साथ ये किया. तुम ने मेरा नहीं, मेरे बच्चों का जीवन बरबाद किया. मेरे और मेरी मम्मी के साथ विश्वासघात किया है. अब तो तुम उसे अपने साथ रख भी लो तो मुझे क्या करना.’’ मनोहर बोला.
”तुम ने मुझ पर इतना शक किया, इसलिए मुझे ये करना पड़ा, तुम ने शक किया तो मैं ने उसे अंजाम दे दिया. मैं उसे अपने साथ क्यों रखूंगा. मुझे जो करना था वो तो मैं ने कर ही दिया.’’ सुरेंद्र ने गुस्सा होते हुए काल डिसकनेक्ट कर दी. अपने पति मनोहर लोधी, सास और दोनों बच्चों के सुसाइड करने की खबर पत्नी द्रौपदी लोधी को हुई तो वह अपने भैया, भाभी के साथ ससुराल पहुंची. जब एक ही घर से 4 अर्थियां निकलीं तो देखने वालों की आंखें नम हो गईं. अंतिम संस्कार के 3 दिन बाद खुरई थाने की पुलिस टीम ने द्रौपदी और परिवार के दूसरे सदस्यों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए.
पूछताछ में पता चला कि मनोहर के बचपन के दोस्त सुरेंद्र लोधी और मनोहर की पत्नी द्रौपदी के बीच लंबे समय से अवैध संबंध थे. कई बार द्रौपदी के बच्चों और सास ने उसे सुरेंद्र के साथ आपत्तिजनक हालत में भी पकड़ा था, लेकिन पकड़े जाने के बाद भी द्रौपदी को कोई डर या पछतावा नहीं था. फेमिली वाले जब उस से कुछ कहते तो उल्टा उन्हें ही झूठे केसों में फंसाने की धमकी देती थी.
बीवी की बेवफाई बनी सुसाइड की वजह
घटना के एक माह पहले की बात है. शाम का वक्त था, द्रोपदी की बेटी शिवानी कालेज से घर आई तो दादी काम में लगी थीं, कमरे में मम्मी नहीं थी. उस ने सोचा कि वह शायद घर में भैंस बांधने वाले स्थान पर होगी तो शिवानी उसी तरफ चली गई. वहां पर उस ने अपनी मम्मी को सुरेंद्र चाचा के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था, लेकिन बेटी ने कुछ नहीं कहा. शिवानी बड़ी उलझन में थी कि मम्मी से कैसे कुछ कहे. इस के 15 दिन बाद बेटी ने जब दूसरी बार फिर दोनों को संबंध बनाते देखा तो उस ने अपनी मम्मी को समझाया, लेकिन वह नहीं मानी, जिस के बाद बेटी ने यह बात अपने पापा को बताई.

मनोहर और उस की मम्मी ने द्रौपदी को बैठा कर समझाया, लेकिन वह नहीं मानी, उल्टे पति व सास को झूठे मामले में फंसाने की धमकी देने लगी. इस के बाद मनोहर ने अपने दोस्त सुरेंद्र लोधी को भी समझाया, लेकिन उस ने भी मनोहर की समाज में बदनामी करने की धमकी दी. इस के बाद पति, सास और दोनों बच्चों ने सामूहिक आत्महत्या करने का निर्णय लिया. पुलिस ने जब गांव वालों और मनोहर के भाइयों से पूछताछ की तो पता चला कि मनोहर की पत्नी द्रौपदी और मनोहर के चचेरे भाई सुरेंद्र के बीच अवैध संबंध थे और इस की जानकारी मनोहर के साथसाथ उस के बच्चों को भी थी.

गांव के लोगों को भी धीरे धीरे इस की भनक हुई तो इस के बाद गांव में तरहतरह की बातें शुरू हो गईं. लोग पूरे परिवार पर तंज कसने लगे. यह सब मनोहर और उस के परिवार के लिए इतना असहनीय हो गया कि वे इस सामाजिक बदनामी को सहन नहीं कर पाए. मनोहर और फेमिली वालों ने कई बार द्रौपदी और सुरेंद्र को इस रिश्ते को खत्म करने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने किसी की एक न सुनी. उलटे सुरेंद्र ने द्रौपदी को धमकी देनी शुरू कर दी कि अगर उस ने उस से मिलना बंद किया तो वह पूरे परिवार को बरबाद कर देगा.
हैरानी की बात यह है कि सुरेंद्र सिर्फ मनोहर का चचेरा भाई ही नहीं, बल्कि उस का करीबी दोस्त भी था, लेकिन सुरेंद्र ने उसी की पीठ पर छुरा भोंकने का काम कर दिया. पुलिस ने जांच के बाद खुरई शहर थाने में धारा 107, 108, 3, 5, बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध किया. द्रौपदी और उस के प्रेमी को गिरफ्तार कर खुरई न्यायालय में पेश किया, जहां से सुरेंद्र लोधी को खुरई और द्रौपदी को सागर केंद्रीय जेल में भेज दिया गया. MP News






