Love Crime : 32 वर्षीय विजय चौहान मुंबई में काम करता था. वह अपनी 28 वर्षीय पत्नी चमन देवी उर्फ गुडिय़ा को यूपी के जौनपुर में स्थित अपने गांव से मुंबई इसलिए ले गया कि इकलौते बेटे की किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाई करा सके. लेकिन मुंबई जाते ही चमन कुमारी को शहर की ऐसी हवा लगी कि उस के रंगढंग ही बदल गए. फिर उस ने एक दिन पति की हत्या कर लाश कमरे में ही दफन कर ऊपर से टाइल्स लगवा दीं. आखिर एक पत्नी इतनी बेवफा और निर्दयी क्यों बनी?

मूलरूप से उतर प्रदेश के जिला जौनपुर के गांव कलीचाबाद का रहने वाला विजय चौहान पिछले 10 सालों से मुंबई में रह कर राजमिस्त्री का काम करता था. मुंबई में वह परिवार के साथ नालासोपारा के गाड़ीपाड़ा इलाके की ओम साईं वेलफेयर सोसाइटी की एक चाल में रहता था. मुंबई आने से पहले विजय चौहान का विवाह चमन देवी उर्फ गुडिय़ा के साथ हुआ था. उसी साल वह पत्नी गुडिय़ा को अपने साथ मुंबई ले आया था, ताकि वहां अच्छी पढ़ाई करा सके. इस समय उस का 7 साल का बेटा था.

विजय का बड़ा भाई अजय चौहान मुंबई में पहले से ही रहता था. वह जम गया तो उस का छोटा भाई अखिलेश चौहान भी मुंबई आ गया था. कुछ दिनों तक साथ रख कर उसे भी राजमिस्त्री का काम सिखा दिया. जब वह पूरी तरह काम में निपुण हो गया और कमाने लगा तो उस ने उसे अलग रहने के लिए कह कर अलग कमरा दिला दिया था. अजय और अखिलेश भी वहीं करीब ही एक चाल में रहते थे. रहते भले ही सभी अलग थे, लेकिन जब भी किसी को कोई जरूरत होती थी, सभी एकदूसरे की मदद करते थे.

इसी साल जुलाई महीने के पहले सप्ताह में विजय चौहान के छोटे भाई अखिलेश को कुछ पैसों की जरूरत पड़ी तो उस ने अपने बड़े भाई विजय को फोन किया. लेकिन विजय का फोन स्विच्ड औफ था. अखिलेश ने सोचा कि काम पर होने की वजह से फोन चार्ज नहीं हो पाया होगा, इसलिए फोन स्विच्ड औफ है. उस ने शाम को फोन किया कि अब तो भाई घर आ गया होगा, लेकिन उस समय भी उस का फोन बंद था. देर रात फिर फोन किया, तब भी उस के फोन को बंद बताया तो उसे थोड़ी चिंता हुई. रात ज्यादा हो गई थी, इसलिए उस ने सोचा कि सुबह भाई के घर जा कर पता करेगा कि उस का फोन बंद क्यों है?

हैरानपरेशान अखिलेश सुबह भाई के घर पहुंचा. जब उस ने भाभी चमन देवी से भाई के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ”तुम्हारे भैया तो किसी काम के सिलसिले में कुर्ला गए हैं.’’

”उन का फोन भी बंद है.’’ अखिलेश ने कहा.

”हां, उन का फोन खराब है. कल सुबह किसी के मोबाइल से फोन कर के बताया था. वहां कोई जानपहचान का मिस्त्री तो है नहीं, इसलिए फोन ठीक नहीं कराया है.’’ चमन देवी ने बताया.

”आएंगे कब तक, कुछ बताया है?’’ अखिलेश ने पूछा.

”कहा तो है कि जल्दी ही लौट आएंगे. फिर लौटना काम पर निर्भर करता है. कोई और काम आ गया तो देर भी हो सकती है. कोई जरूरी काम है क्या?’’ चमन ने पूछा.

”भाभी, कोई जरूरी काम हो, तभी भैया को पूछूंगा क्या? ऐसे नहीं पूछ सकता क्या?’’

”मेरे कहने का मतलब वह नहीं था लाला. क्यों नहीं पूछ सकते अपने भैया को. मेरा मतलब यह था कि अगर मेरे लायक काम हो तो बता देते, मैं ही कर देती.’’ चमन देवी बोली.

”नहीं, आप से मेरा काम नहीं होगा. भैया को आने दीजिए, उन्हीं से बात कर लूंगा.’’ कह कर अखिलेश चला गया.

घर में दफन निकली विजय की लाश

अखिलेश भाई को लगातार फोन करता रहा. पर उस का फोन चालू नहीं हुआ. तब वह भाभी को फोन कर के भाई तथा उस के परिवार के बारे में पूछ लेता था. लेकिन वहां से आने के 9 दिन बाद भाभी का भी फोन लगना बंद हो गया. तब उसे चिंता हुई. अपनी चिंता दूर करने के लिए वह 20 जुलाई, 2025 को एक बार फिर भाभी के घर जा पहुंचा. भाभी के घर जाने से पहले उस ने बड़े भाई अजय को भी फोन कर के विजय के घर पहुंचने के लिए कह दिया था.

जब दोनों भाई विजय के घर पहुंचे तो घर पर भाभी भी नहीं मिली. तब उन्हें शक हुआ. घर में नई टाइल्स भी लगी थीं. इस से उन का शक और बढ़ गया. इस की वजह यह थी कि जब भी अखिलेश चमन से भाई (विजय) के बारे में पूछता था, वह टालमटोल करने लगती थी. कभी कहती कि वह नाराज हो कर गए हैं तो कभी कहती कि गोरेगांव काम करने गए हैं.

भाभी के ही कहने पर अखिलेश विजय के बारे में पता करने गोरेगांव भी गया था. वहां से पता चला था कि वह 8-10 दिन पहले ही काम छोड़ कर चला गया था. चमन देवी ने यह भी कहा था कि उस ने दूसरा सिम ले लिया है. लेकिन जब अजय और अखिलेश ने दूसरे सिम का नंबर मांगा था तो इस के लिए भी उस ने बहाना बना दिया था कि उस के पास भी दूसरे सिम का नंबर नहीं है. भाभी की इस बहानेबाजी पर ही अखिलेश ने अजय से कहा था, ”भैया, मुझे शक हो रहा है. मामला गड़बड़ लगता है. कहीं विजय भैया के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई.’’

इस की वजह यह थी कि अखिलेश ने इस तरह की तमाम घटनाओं के बारे में पढ़ा था, जिन में पत्नियों ने पति की हत्या करवा कर लाश घर में ही गड़वा दी थीं और ऊपर फर्श बनवा दिया था. चमन ने भी घर में नई टाइल्स लगवाई थीं. इसीलिए अखिलेश ने भाई से शक जाहिर करते हुए आगे कहा, ”घर में नई टाइल्स भी लगी हैं. मेरा मन करता है कि खोद कर देखा जाए. 1-2 टाइल्स टूट भी जाएगी तो क्या होगा?’’

अजय को छोटे भाई अखिलेश की बात सच लगी. इस के बाद अजय और अखिलेश ने पड़ोसियों से बात की. पड़ोसियों को भी उन की बात में दम लगा. सभी ने तय किया कि खुद ही कुछ टाइल्स हटा कर देखते हैं. अगर वैसा कुछ होगा तो पुलिस को सूचना दी जाएगी. टाइल्स हटा कर खुदाई की गई. करीब डेढ़ फुट खुदाई की गई होगी, तभी तेज बदबू आने लगी. इस से उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उन का जो सोचना था, वह सच है.

उसी दिन यानी 20 जुलाई, 2025 को अजय और अखिलेश ने मुंबई के थाना पेल्हार जा कर शिकायत दर्ज कराई कि उन का बड़ा भाई विजय और भाभी चमन देवी लापता हैं. उन्होंने पड़ोसियों की मौजूदगी में घर के अंदर खुदाई की तो तेज बदबू आई. रात को तो पुलिस नहीं आई, लेकिन 21 जुलाई, 2025 को सवेरा होते ही थाना पेल्हार के सीनियर इंसपेक्टर जितेंद्र वनकोटी कुछ पुलिसकर्मियों और फोरैंसिक टीम के साथ ओम साईं वेलफेयर सोसायटी की उस चाल में जा पहुंचे, जहां विजय चौहान अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था. पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर उस जगह की खुदाई शुरू हुई, जहां खुदाई करने पर बदबू आई थी. करीब आधे घंटे की खुदाई के बाद घर और उस के आसपास का पूरा इलाका दुर्गंध से भर गया.

शाम 6 बजे के आसपास 4 फुट की गहराई से एक लाश निकाली गई. लाश इस कदर सड़ी हुई थी कि उसे पहचाना नहीं जा सकता था, लेकिन लाश पर मौजूद कपड़ों और कदकाठी से स्पष्ट हो गया था कि वह लाश किसी और की नहीं, बल्कि 32 साल के विजय चौहान की थी. विजय की लाश मिलने के बाद पहला सवाल यह था कि उस की हत्या किस ने और क्यों की? घर की तलाशी, खुदाई और विजय की लाश मिलने के बाद पुलिस हरकत में आई. पूछताछ में मोनू शर्मा का नाम सामने आया. लोगों ने बताया कि मोनू और विजय की पत्नी चमन का चक्कर चल रहा था.

फिर मोनू तथा चमन देवी का पता लगाने के लिए पेल्हार पुलिस ने 2 टीमें बनाईं. विजय चौहान की पत्नी चमन देवी उर्फ गुडिय़ा भी लापता थी. मोनू के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह भी गायब है. इस से यही अंदाजा लगाया गया कि चमन मोनू के साथ ही है. सच्चाई तभी सामने आ सकती थी, जब चमन देवी और मोनू पकड़े जाते, लेकिन उन्हें पकडऩा आसान नहीं था. दोनों कहां हैं, इस का पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था. पुलिस ने चमन और मोनू के फोन नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए थे. इस के अलावा अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया था. एक टीम तकनीकी जांच कर रही थी तो दूसरी टीम मुखबिरों के जरिए जानकारी जुटाने में लगी थी.

चमन, मोनू और उन के एक मददगार सुरेश, तीनों के मोबाइल फोन स्विच्ड औफ थे. इस वजह से पुलिस उन्हें ट्रैक नहीं कर पा रही थी. लेकिन पुलिस की पैनी नजर उन के मोबाइल नंबरों पर थी. इत्तफाक से 22 जुलाई, 2025 को विजय चौहान के फोन से एक पेमेंट किया गया. पुलिस ने तुरंत उस फोन की लोकेशन पता की. पता चला कि पुणे के हड़पसर इलाके की एक दुकान पर विजय चौहान के फोन से औनलाइन पेमेंट किया गया था.

इसी के आधार पर मुंबई पुलिस ने तुरंत लोकेशन ट्रैस कर ली थी. चंद घंटों बाद पेल्हार पुलिस हड़पसर में थी. फिर तो पुलिस को चमन और मोनू तक पहुंचने मे देर नहीं लगी. सीनियर इंसपेक्टर जितेंद्र वनकोटी ने अपनी टीम की मदद से चमन और मोनू को गिरफ्तार कर लिया था. उन के साथ विजय का 7 साल का बेटा सुरक्षित था.

इस के बाद पुलिस ने मोनू और चमन देवी की मदद से उन की भागने में मदद करने वाले सुरेश को भी गिरफ्तार कर लिया था. थाने ला कर चमन देवी, मोनू शर्मा और सुरेश की गिरफ्तारी की सूचना पुलिस कमिश्नर सुवास बावचे को देने के साथ ही उन्हें वसई कोर्ट में पेश किया गया, जहां विस्तार से पूछताछ के लिए तथा साक्ष्य जुटाने के लिए तीनों को 7 दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान पूछताछ में चमन देवी और मोनू शर्मा के लव क्राइम की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के रहने वाले 32 साल के विजय चौहान का विवाह करीब 10 साल पहले उस के गांव के नजदीक रहने वाली 28 साल की चमन देवी उर्फ गुडिय़ा के साथ हुआ था. चूंकि विजय विवाह के पहले से मुंबई में रहता था, इसलिए शादी के बाद वह पत्नी को भी अपने साथ मुंबई ले आया था. मुंबई में वह राजमिस्त्री का काम करता था. वह मेहनती था, इसलिए कमाता भी ठीकठाक था. पत्नी आ गई तो वह और भी मेहनत करने लगा था. क्योंकि खर्च बढ़ गए थे. काम की वजह से भले ही वह पत्नी को समय नहीं दे पाता था, पर उस की वह हर भौतिक इच्छा पूरी करता था, जो वह कर सकता था.

शायद पत्नी को समय न दे पाने की वजह से वह खुश नहीं रहती थी. विवाह के 3 साल बाद उसे बेटा हुआ था, जो इस समय 7 साल का था. इस बीच विजय का छोटा भाई अखिलेश गांव से भाई के पास आ गया था. विजय ने उसे भी अपनी तरह राजमिस्त्री का काम सिखा दिया था. दोनों भाई राजमिस्त्री का काम करते हुए अलग रहते थे. विजय का जो काम था, उस में उसे घर आने में देर हो जाती थी. सुबह जल्दी निकलना पड़ता था. इसलिए वह पत्नी को उस के मनमाफिक समय नहीं दे पाता था. यही वजह थी कि चमन का झुकाव पड़ोस में रहने वाले 20 साल के मोनू शर्मा की ओर हो गया. जबकि मोनू उस से उम्र में 8 साल छोटा था. लेकिन दिल ही तो है, वह किसी पर भी आ जाए. वैसे भी कहा जाता है कि प्यार न उम्र देखता है और न जातिधर्म.

पत्नी ने खाने में मिला दी नशीली दवा

बिहार का रहने वाला मोनू शर्मा फेमिली के साथ विजय चौहान के पड़ोस में रहता था. वह बीएससी (आईटी) के तीसरे साल में पढ़ता था. वह पढ़ाई में काफी होशियार था. पड़ोस में रहने की वजह से दिन में चमन देवी को कभी कुछ मंगाना होता था तो वह मोनू से मंगा लेती थी. इसी तरह लव अफेयर होने पर मोनू का चमन के घर आनाजाना शुरू हुआ तो कुछ ही दिनों में यह संबंध शारीरिक संबंध तक पहुंच गया. कुंवारे मोनू को चमन देवी की देह क्या मिली, मानो सारा जहां मिल गया. फिर तो जब देखो, तब चमन के घर में पड़ा रहता था. किसी जवान महिला के घर में पति की गैरहाजिरी में कोई कुंवारा लड़का जब देखो तब घुसा रहेगा तो पड़ोसियों में खुसुरफुसुर होगी ही.

चमन और मोनू को ले कर भी कानाफूसी होने लगी थी. फिर इस बात की जानकारी विजय को भी हो गई कि उस की गैरहाजिरी में पड़ोस में रहने वाला मोनू शर्मा उस के घर में घुसा रहता है. विजय ने जब चमन से कहा कि वह मोनू को घर न आने दे तो वह पति की बात मानने के बजाए उस से लडऩे लगी. विजय ने मोनू को भी डांटाफटकारा, पर उस पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा. दोनों पहले की ही तरह मिलते रहे.

2 जुलाई, 2025 की शाम विजय घर आया तो चमन देवी मोनू से फोन पर बात कर रही थी. वह मोनू से जिस तरह की बातें कर रही थी, उसे सुन कर किसी भी गैरतमंद पति को गुस्सा आ सकता था. विजय को भी गुस्सा आ गया. उस ने पत्नी की चार्जर के तार से पिटाई कर दी. इस के बाद मोनू को भी खूब खरीखोटी सुनाई. उस रात घर में खाना नहीं बना. रात में विजय को भूख लगी तो उस ने पत्नी से खाना बनाने को कहा, लेकिन वह खाना बनाने नहीं उठी. तब विजय ने उस की फिर से पिटाई कर दी. तब चमन देवी ने गुस्से में दाल चावल बनाया और उस में नशीली दवा मिला कर खिला दिया. थोड़ी देर में विजय सो गया तो चमन ने फोन कर के मोनू को अपने घर बुला लिया. फिर दोनों ने गला दबा कर पति विजय चौहान की हत्या कर दी.

जबकि चमन का कहना था कि उस का पति से अकसर लड़ाईझगड़ा होता रहता था. विजय सुबह 7 बजे काम पर जाता था तो रात 9 साढ़े 9 बजे लौटता था. दिन भर का थकामांदा विजय घर आ कर खाना खा कर सो जाता था. पति का प्यार न मिलने की वजह से चमन देवी का झुकाव युवा और खुशमिजाज मोनू की तरफ हो गया था. दोनों को जब भी मौका मिलता था, मिलने भी लगे थे.

जल्दी ही विजय चौहान और उस के फेमिली वालों को चमन और मोनू के अवैध संबंधों का पता चल गया था. विजय को पत्नी चमन के फोन से दोनों की चैट और फोटो भी मिल गए थे. उस के बाद पतिपत्नी में लगभग रोज ही लड़ाईझगड़ा होने लगा था. विजय चमन के साथ मारपीट भी करता था. चमन को वैसे भी पति से प्यार नहीं मिलता था, इसीलिए पति की मारपीट से तंग आ कर उस ने उस से छुटकारा पाने का निश्चय कर लिया.

चमन देवी के बताए अनुसार, उस ने पति विजय के खाने में जहर दे कर उस की हत्या की है. पति की हत्या करने के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए उस ने पानी की टंकी बनवाने के बहाने मजदूर बुला कर घर के अंदर गड्ढा खुदवाया और उसी में पति विजय की लाश दफना कर गड्ढे में मिट्टी भर दी. इस के बाद अपने देवर अजय को बुला कर ऊपर से टाइल्स लगाने के लिए कहा. अजय ने पूछा कि यहां की टाइल्स कैसे टूटीं? इस पर चमन देवी ने बताया कि पाइप जाम हो गई थी. उसी की मरम्मत के लिए टाइल्स तोड़वानी पड़ीं. अजय ने भाभी की बात सच मानी और टाइल्स लगा कर चला गया.

चमन देवी का कहना था कि यह काम उस ने अकेले ही किया है. मोनू की इस में कोई भूमिका नहीं है. इसी के साथ उस ने पुलिस से कहा कि वह मोनू को बहुत प्यार करती है. उस का कोई दोष नहीं है, इसलिए उसे छोड़ दिया जाए. दूसरी ओर मोनू का कहना था कि वह चमन देवी से मिलने गया था. उस समय चमन सब्जी खरीदने बाजार गई थी. तभी विजय आ गया. वह उस से लडऩे लगा. विजय उस के और चमन के प्यार में बाधा बन रहा था. इसलिए वह उस से लडऩे लगा. दोनों के बीच बहस बढ़ गई. उसे गुस्सा आ गया और उस ने लड़ाई के दौरान विजय का गला पकड़ कर दबा दिया, जिस की वजह से उस की मौत हो गई थी.

इस के बाद उस ने विजय की लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसी के घर मे गड्ढा खोद कर दफना दिया. उस के बाद चमन ने अपने जेठ अजय से टाइल्स लगवा दी थी. मोनू का कहना था कि चमन का इस मामले में कोई दोष नहीं है. इसलिए उसे इस मामले में बिलकुल न घसीटा जाए.

पुलिस का मानना है कि मोनू झूठ बोल रहा है. विजय उस से लंबाचौड़ा और तंदुरुस्त था. वह उस पर अकेले कतई काबू नहीं पा सकता था. दोनों ही झूठे बयान दे कर एकदूसरे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार विजय की हत्या नशीली दवा देने के बाद गला दबा कर की गई थी. इस से स्पष्ट हो गया था कि विजय की हत्या दोनों ने मिल कर की थी. उस के बाद दोनों ने मिल कर विजय की लाश को घर में गड्ढा खोद कर दफना दिया था. उस के बाद चमन ने अजय को बुला कर टाइल्स लगवा दी थीं.

जब अखिलेश और अजय भाई के बारे में बारबार पूछने लगे तो चमन और मोनू घर से भाग निकले. खर्च के लिए उन्होंने विजय का फोन साथ ले लिया था, क्योंकि वह नेट बैंकिंग चलाता था. फोन की पिन उन्होंने सुरेश से बदलवा ली थी. इस तरह उस ने उन की घर से भागने में मदद की थी. उसी फोन से पेमेंट करने पर दोनों पकड़े गए थे. पुलिस ने सारे साक्ष्य जुटा कर चमन देवी उर्फ गुडिय़ा और मोनू शर्मा को 30 जुलाई, 2025 को फिर से अदालत में पेश किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. Love Crime

 

 

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