Gorakhpur News : ‘प्यार की कोई उम्र नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता, कोई जात नहीं होती. प्यार तो प्यार होता है, बस हो जाता है.’ इस तरह की बातें आप ने भी फिल्मों में खूब सुनी होंगी या हो सकता है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया हो. लेकिन क्या हमारे समाज में इन बातों की वास्तविकता पर यकीन किया जा सकता है या फिर ये केवल फिल्मों तक ही सीमित हैं? आज भी हमारे समाज में ऐसे क्रूर लोग मौजूद हैं जिन्हें ‘प्रेम’ शब्द से चिढ़ है. प्यार करने पर समाज के कुछ लोग धर्म, जात, वर्ग इत्यादि चीजों को ध्यान में रख कर प्यार करने वालों को अलग करने के लिए हर हद पार कर देते हैं.

यहां तक कि जिन बच्चों को वह जीवन भर प्यार करते हैं, जिन की खुशी के लिए परिवार वाले कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें ही अपना पार्टनर चुनने की इतनी भयानक सजा दे देते हैं, जिसे सुन कर रूह कांप जाती है. ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की है. यह साल था 2015 का जब गोरखपुर के उनौली गांव के रहने वाले अनीश चौधरी (34) का उरूवा ब्लौक औफिस में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर चयन हुआ था. गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर चुके अनीश बहुत मेहनती था. वह खुद के दम पर कुछ बनना चाहता था और उसी के लिए वह दिनरात मेहनत करता था.

तरहतरह की सरकारी नौकरियों के फौर्म भरना, एग्जाम देना, इंटरव्यू की तैयारी करना, उस के हर दिन के जीवन का हिस्सा थी जोकि ग्राम पंचायत अधिकारी बनने के बाद उन का यह सपना पूरा हो गया था. अनीश के गांव में दलितों की आबादी बहुसंख्यक थी. वह खुद भी दलित समुदाय से था. लेकिन अनीश की माली हालत गांव में अन्य दलितों से काफी बेहतर थी. अनीश बना ग्राम पंचायत अधिकारी अनीश संपन्न परिवार का हिस्सा थे. उस के पिता और चाचा बैंकाक और मलेशिया में रह कर काम करते थे. साल-2 साल में अनीश के पिता कुछ दिनों के लिए घर आते थे और फिर काम से चले जाते थे. उन्होंने अनीश के लिए किसी तरह की कोई कमी नहीं रखी थी. अनीश के बड़े भाई, अनिल चौधरी भी उरूवा ब्लौक औफिस में कर्मचारी थे.

ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर चयन होने के बाद अनीश की खुशी का ठिकाना नहीं था. जब अनीश ने यह बात अपने पिता को फोन कर बताई तो उस के पिता बेहद खुश हुए और अनीश को जल्द ही घर वापस आने का भरोसा दिलाया. अनीश के अधिकारी बनने की खुशी पूरे गांव को थी. अनीश ने अपनी खुशी का खुल कर इजहार भी किया. वह अपने गांववासियों के लिए बहुत कुछ करना चाहता था और जल्द ही उन की सेवा में व्यस्त हो जाना चाहता था. चयन के बाद अनीश अब प्रशासन से काल लैटर का इंतजार करने लगा, जिसे घर आने में ज्यादा समय नहीं लगा.

चयन किए जाने के अगले ही महीने अनीश और अन्य चुने हुए अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए ब्लौक औफिस में बुलाया गया. ट्रेनिंग के पहले दिन अनीश सुबह के 8 बजे तैयार हो कर ब्लौक औफिस पहुंचा. उस समय तक कुछ और लोग औफिस के मुख्य हाल में इकट्ठे हुए थे. रिपोर्टिंग का टाइम सुबह साढ़े 8 बजे था तो अनीश को वक्त बरबाद करना ठीक नहीं लगा. अनीश ने हाल में मौजूद हर किसी से हाथ मिलाया और जानपहचान बढ़ाने के लिए उन से बातचीत की. करीब 10 मिनट के बाद हाल के गेट से एक महिला अधिकारी अंदर आई. वह भी हाल में मौजूद अन्य अधिकारियों की तरह ही थी. उस का भी चयन हुआ था.

उस का नाम दीप्ति मिश्र (24) था. दीप्ति गोरखपुर में देवकली धर्मसेन गांव की रहने वाली थी. समाजशास्त्र से एमए की पढ़ाई कर चुकी दीप्ति का सिलेक्शन कौड़ीराम ब्लौक औफिस में ग्राम पंचायत अधिकारी के तौर पर हुआ था. यही नहीं, दीप्ति ने भी दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी से अपनी एमए की पढ़ाई की थी. अनीश ने दीप्ति को देखा तो वह उसे पहचान गया था. कालेज के कैंपस में अकसर अनीश ने दीप्ति को घूमते हुए देखा था, कभी कैंटीन में तो कभी क्लास करते हुए. लेकिन कालेज के दिनों में उस ने कभी दीप्ति से मुलाकात या बातचीत नहीं की थी. उस की एक वजह यह थी कि अनीश का विषय कुछ और था और दीप्ति का कुछ और.

दीप्ति जब गेट से अंदर आ रही थी तो अनीश की नजर उस पर पड़ी. अनीश को दीप्ति का चेहरा जानापहचाना लगा. अनीश ने अपने दाएं हाथ में पकड़े प्लास्टिक के पानी के गिलास को टेबल पर रखा और घूम कर कमरे के अंदर प्रवेश करती हुई दीप्ति की ओर आगे बढ़ा. काफी देर तक सोचने के बाद अनीश को याद आ गया था और वह दीप्ति को पहचान गया. दीप्ति कमरे में मौजूद पीछे की एक खाली कुरसी पर जा कर बैठी थी तो अनीश भी उस के पास गया और एक कुरसी छोड़ उस के बगल में जा कर बैठ गया और बोला, ‘‘हैलो.’’

अनीश की बात का जवाब देते हुए दीप्ति ने उस की ओर देखा और बोली, ‘‘हाय.’’

अनीश का चेहरा देखते ही दीप्ति को भी अचानक से याद आ गया था कि हैलो बोल रहा यह शख्स कौन है. इस से पहले कि अनीश आगे कुछ कहता, दीप्ति ने उस से सवाल कर लिया, ‘‘अरे, आप तो शायद दीन दयाल उपाध्याय कालेज में थे न?’’

अनीश ने दीप्ति के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘जी, आप ने बिलकुल सही पहचाना. मैं ने भी उसी कालेज से पढ़ाई की थी. आप जब हाल में एंटर हुईं, तभी से ही मैं सोच में पड़ गया था कि आप को कहां देखा है. और देखिए आप ही ने मुझे भी पहचान लिया.’’

यह सुन कर दीप्ति हंस पड़ी और दीप्ति को हंसता हुआ देख अनीश भी मुसकरा दिया. ऐसे ही करिअर, पढ़ाई इत्यादि की बातें करतेकरते कब साढ़े 8 बज गए, दोनों को पता ही नहीं चला. कमरे में सूट पहन कर कुछ उच्च अधिकारी आए और अपने रुटीन कामों की तरह वह सब के नाम परिचय इत्यादि लेने लगे. इस तरह से अनीश और दीप्ति की जानपहचान हुई. अब क्योंकि अनीश और दीप्ति दोनों ही ब्लौक औफिस में ग्राम पंचायत अधिकारी थे तो उन का साथ में उठनाबैठना सामान्य हो गया था. पूरी ट्रेनिंग के दौरान अनीश और दीप्ति एकदूसरे के साथ ही रहे. ट्रेनिंग के बाद जब दोनों आधिकारिक रूप से अपनेअपने ब्लौक में काम करने लगे तो भी दोनों का साथ उठनाबैठना होने लगा था.

अनीश के उरूवा ब्लौक औफिस से दीप्ति के कौड़ीराम ब्लौक औफिस के बीच मात्र एक घंटे की ही दूरी थी. अनीश और दीप्ति दोनों की जानपहचान कुछ ही समय में दोस्ती में बदल गई थी. दोनों साथ में औफिस आनेजाने लगे. दोनों ही घंटों फोन पर बातचीत करने लगे. देखते ही देखते उन के बीच की नजदीकियां भी बढ़ने लगी. वे दोनों अकसर औफिस के अलावा भी एकदूसरे से मिलते थे. अनीश और दीप्ति दोनों ही एकदूसरे को करीब से जानना चाहते थे. दोनों अधिकारी दिलोदिमाग से चाहने लगे एकदूसरे को ब्लौक औफिस से छुट्टी के समय दोनों यूं ही घूमने के लिए निकल जाया करते. छुट्टी वाले दिन भी दोनों घर पर नहीं बैठते थे बल्कि अपने गांव से दूर घूमने निकल जाते और साथ वक्त गुजारते थे.

उन की दोस्ती वक्त के साथ प्यार में बदलने लगी थी. लेकिन ऐसे ही एक दिन जब अनीश और दीप्ति औफिस से शाम को छुट्टी के बाद साथसाथ घर जा रहे थे तो दीप्ति के एक रिश्तेदार ने दोनों को देख लिया और दीप्ति की शिकायत उस के घर पर कर दी. शुरुआत में तो दीप्ति के घरवालों ने उसे रोकाटोका नहीं, लेकिन अंदर ही अंदर वे अनीश के बारे में पता लगाने लगे. दीप्ति अपने घर में सब से छोटी बेटी थी. दीप्ति का बड़ा भाई अभिनव यूपी पुलिस में कांस्टेबल था. जब अभिनव को दीप्ति के किसी से संबंध होने की जानकारी घरवालों से मिली तो उस ने अपने सूत्रों के जरिए अनीश के बारे में पता लगवाया.

अभिनव को जब यह पता चला कि उस की बहन दीप्ति का संबंध किसी दलित जाति के लड़के से है तो उस ने यह बात अपने घरवालों को बताई. उस दिन मिश्र परिवार में इस बात को ले कर खूब झगड़ा भी हुआ. परिवार वालों ने दीप्ति का फोन उस से छीन लिया, उस के आनेजाने पर लगातार नजर रखने लगे. यहां तक कि दीप्ति जब औफिस जाती तो उस के पिता नलिन कुमार मिश्र, उस के साथ जाने लगे और घर वापस आते समय दीप्ति को साथ घर ले कर आने लगे. दीप्ति पर उस के घरवाले इस तरह से निगरानी रखने लगे जैसे कि उस ने प्यार कर के बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो.

इस बात की जानकारी अनीश को लग चुकी थी कि दीप्ति को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन के बीच बातचीत अचानक से खत्म हो गई थी. दीप्ति जब अपने कौड़ीराम ब्लौक औफिस पहुंचती तो वहां मौजूद अन्य कर्मचारियों के फोन से अनीश को फोन करती और उसे अपने साथ हो रहे जुल्मोसितम के बारे में बताती. शुरुआत में तो अनीश ने दीप्ति को धैर्य रख कर काम करने के लिए कहा, लेकिन कुछ दिनों के बाद जब दीप्ति को अनीश से दूरी बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने अनीश को उस से शादी कर लेने के लिए कहा.

घर वालों की मरजी के बिना कर ली शादी एक दिन फोन पर बात करते हुए दीप्ति ने अनीश से कहा, ‘‘देखो अनीश, मुझे पता है कि मेरे घरवाले हम दोनों के इस रिश्ते से खुश नहीं हैं, लेकिन मुझे यह जरूर पता है कि वह अपनी मुझ से बहुत प्यार करते हैं. हो सकता है कि ये कुछ समय की नाराजगी हो लेकिन ये नाराजगी जल्द ही खत्म हो जाएगी.’’

अनीश ने दीप्ति की बातों को बड़े ध्यान से सुना और कहा, ‘‘तुम कह तो ठीक रही हो लेकिन अगर तुम्हारे घरवालों ने हमारी शादी के बाद हमारे रिश्ते को नहीं माना तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी.’’

‘‘नहीं ऐसा नहीं होगा. एक बार हम ने शादी कर ली तो थोड़ी देर ही सही लेकिन वो हमारे इस रिश्ते को मंजूरी दे ही देंगे. और इस के अलावा हमारी शादी हो गई तो कानूनी तरीके से मेरे घरवाले मेरी कहीं और शादी नहीं कर सकते.’’ दीप्ति ने जवाब दिया. यह सुन कर अनीश को दीप्ति की बातों में दम नजर आया. उस ने कुछ देर सोचा और दीप्ति की शादी की बात को मंजूरी दे दी. इस के कुछ दिनों बाद दीप्ति ने योजना के मुताबिक अपने घरवालों को चकमा दे कर 12 मई, 2019 को अनीश से कोर्टमैरिज कर ली. कोर्ट मैरिज के बाद दोनों ने चैन की सांस तो ली. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन का सुखचैन शादी के बाद छिनने वाला है. 9 दिसंबर, 2019 को अदालत ने दीप्ति और अनीश की शादी को मंजूरी दे दी.

इस का मतलब यह था कि अब दीप्ति और अनीश कानूनी तरीके से एकदूसरे से पतिपत्नी के बंधन में बंध चुके थे. अदालत की मंजूरी के बाद दीप्ति के घर वालों को उन की शादी के कुछ दिनों के बाद ही उन की कोर्ट मैरिज का पता लग गया था. जिस के बाद उस के घरवालों ने दीप्ति को मानसिक रूप से प्रताडि़त करना शुरू कर दिया. शादी के बाद मिश्र परिवार ने दीप्ति को अनीश की जान की धमकियां देने लगे थे. वह दीप्ति से कहते, ‘‘तूने जो गलती कर ली सो कर ली, अभी भी समय है उसे तलाक दे और इस रिश्ते से छुटकारा पा ले, वरना हम ही तुझे इस रिश्ते से छुटकारा दिला देंगे.’’

यह सुन कर दीप्ति खौफ के साए में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हो गई थी. हालांकि वह हर दिन औफिस जाती लेकिन उस के मन में अनीश को ले कर डर हमेशा रहने लगा था. दीप्ति के घर वालों ने दी धमकी अनीश भी दीप्ति को ले कर हर समय चिंता करने लगा था. अनीश को इस बात का डर सताने लगा था कि दीप्ति के घर वाले उस के साथ कुछ गलत न कर दें. वे दोनों एकदूसरे की चिंता में खोने लगे थे, जिस का असर उन के काम पर भी पड़ने लगा था. वे हर समय एकदूसरे के बारे में सोचते और एकदूसरे के करीब आना चाहते थे.

शादी का पता लगने के बाद दीप्ति को उस के घरवालों द्वारा काफी प्रताडि़त किया जाने लगा. ये प्रताड़ना अकसर मानसिक हुआ करती थी. कभी उस की मां जानकी देवी बीमार होने का नाटक करती तो कभी उस के पिता. उस के पिता अकसर उस के सामने दिल का अटैक आने की नाटक नौटंकी करते और अनीश से तलाक ले लेने को कहते थे. जब दीप्ति अपने घरवालों की बात नहीं मानती तो वे अनीश को जान से मार देने की धमकियां देते थे. दीप्ति के घर वाले उसे दलित समुदाय के लड़के से शादी करने के चलते दीप्ति को कलंक समझते थे. वह दीप्ति को अकसर कहते थे, ‘‘तूने हमारे परिवार की, खानदान की, ब्राह्मणों की नाक कटा दी है. तुझ जैसी कलंक का पहले पता होता तो तुझे हम ने कोख में ही मार दिया होता.’’

इसी बीच फरवरी, 2021 की शुरुआत में नलिन मिश्र ने अनीश पर अपनी बेटी के बलात्कार करने का आरोप लगाया. यह जान कर दीप्ति को इतना आश्चर्य हुआ कि उस के पिता अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं. लेकिन उन दिनों दीप्ति के घरवालों ने उस को इतना प्रताडि़त किया, उस पर इतना दबाव बनाया कि दीप्ति को अनीश के खिलाफ बयान देना पड़ा. फिर दीप्ति चली गई अनीश के घर लेकिन जब अनीश की गिरफ्तारी की नौबत आई तो 20 फरवरी, 2021 को दीप्ति एक बार फिर से अपने घर वालों को चकमा दे कर अनीश के साथ रहने के लिए उस के घर आ गई. दीप्ति के घरवालों ने फिर भी हार नहीं मानी.

उन्होंने स्थानीय पुलिस को अनीश के खिलाफ दीप्ति का अपहरण करने की रिपोर्ट दर्ज करवाई. जिस के बाद अनीश और दीप्ति दोनों ने मिल कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो बना कर पोस्ट भी किया, जो वायरल हो गया. उस वीडियो में दीप्ति ने बताया कि उस का अपहरण नहीं हुआ है और वह अपनी मरजी से अनीश के साथ रह रही है और दोनों ने शादी कर ली है. कुछ महीनों तक दोनों ने जिंदगी साथ में गुजारी. साथ में काम पर जाते, साथ में काम से वापस आते. लेकिन दोनों के मन से डर का साया कम नहीं हुआ था. इस को ध्यान में रखते हुए अनीश के पिता ने दोनों को सार्वजनिक रूप से शादी करने का उपाय बताया.

उन्होंने उन से कहा कि अगर वे सार्वजनिक तरीके से शादी कर लेंगे तो हो सकता है कि वो लोग उन की शादी को स्वीकार कर लें. उन की बातों का सम्मान करते हुए दोनों ने 28 मई, 2021 के दिन गोरखपुर के महादेव झारखंडी मंदिर में शादी कर ली. मंदिर में शादी करने के बाद अनीश के घरवालों ने दोनों के लिए गोरखपुर में अवंतिका होटल में एक बड़ा रिसैप्शन भी रखा. इस रिसैप्शन में सिर्फ अनीश के घरवाले और रिश्तेदार ही मौजूद थे. दीप्ति के घर से न तो मंदिर में शादी के समय कोई आया और न ही रिसैप्शन में कोई आया. शादी और रिसैप्शन के बाद कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए. दीप्ति के घरवालों की तरफ से अब न तो धमकी भरे फोन आते थे और न ही वे दीप्ति को परेशान करते थे.

लेकिन यह बड़ा तूफान आने से पहले की शांति थी. शादी के बाद अनीश के दिलोदिमाग से डर धीरेधीरे कम होने लगा. अनीश पहले के मुकाबले लापरवाह हो गया और बेफिक्री के साथ घूमनेफिरने लगा. इस चीज को ले कर दीप्ति ने अनीश को कई बार आगाह भी किया था लेकिन अनीश पर उस की इन बातों का असर नहीं होता था. अनीश को लगता था कि यह अपना ही इलाका है तो यहां कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह लापरवाही भारी पड़ी. अनीश पर किया हमला 24 जुलाई, 2021 के दिन अनीश और उस के चाचा देवी दयाल, जोकि उरूवा ब्लौक में ही तैनात ग्राम विकास अधिकारी थे, दोनों दोपहर को गोला थाना क्षेत्र के गोपलापुर चौराहा स्थित पंकज ट्रेडर्स हार्डवेयर की दुकान पर हिसाब करने निकले थे.

दरअसल, अनीश पर दुकान का कुछ उधार बकाया था. वही उधार चुकता करने हार्डवेयर की दुकान पर दोनों आए थे. दुकान मालिक हिसाब अभी तैयार कर ही रहा था तभी अनीश के मोबाइल पर एक काल आ गई. काल रिसीव करते हुए अनीश चाचा को इशारे से हिसाब देखने को कहते हुए दुकान से बाहर निकल गया और सड़क के एक किनारे बात करने में मशगूल हो गया. तभी साए की तरह उस के पीछे पीछे चाचा देवी दयाल भी बाहर निकल आए और कुछ दूरी पर खड़े भतीजे की निगरानी करने लगे. उसी समय दूसरी तरफ से तेजी से 2 बाइक आ कर अनीश के पीछे रुकीं. दोनों बाइक पर 2-2 नकाबपोश युवक सवार थे. एक बाइक पर पीछे बैठे नकाबपोश ने अपने कमर में पीछे खोंस रखा धारदार दतिया निकाला और फिल्मी स्टाइल में अचानक अनीश के सिर, गले और सीने पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए.

भतीजे अनीश पर हमला होते देख चाचा देवी दयाल हमलावरों से भिड़ गए. अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने भतीजे पर हमला करने वाले एक नकाबपोश को धर दबोचा. यह देख कर नकाबपोश हड़बड़ा गया और उन से छूटने के लिए देवी दयाल के सीने पर प्रहार कर दिया. अचानक हुए हमले से देवी दयाल पल भर के लिए गश खा कर जमीन पर गिर गए. कुछ पलों बाद जब उठे तो नकाबपोश ने उन पर फिर से पलटवार किया. तब तक चीखपुकार तेज हो गई थी. देवी दयाल की चीख सुन कर पासपड़ोस के दुकानदार शोर मचाते हुए बाहर निकले. पब्लिक को बदमाशों ने अपनी ओर आते हुए देखा तो चौंकन्ने हो गए और जिधर से आए थे, मौके पर हथियार फेंक कर उसी दिशा में फरार हो गए.

दीप्ति ने अपने ही घर वालों के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट इधर अचानक हुए हमले से अनीश डर गया था. गंभीर रूप से घायल वह हवा में लहराते हुए किसी कटे पेड़ की तरह जमीन पर धड़ाम से गिरा. आननफानन में लोगों ने अनीश और देवी दयाल को टैंपो में लाद कर गोला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अनीश को देखते ही मृत घोषित कर दिया. भतीजे की मौत की खबर सुनते ही देवी दयाल की हालत और बिगड़ गई. घबराहट के मारे उन की सांसों की रफ्तार और तेज हो गई. यह देख डाक्टर भी घबरा गए और उन्हें बाबा राघवदास (बीआरडी) मैडिकल कालेज, गुलरिहा रेफर कर दिया.

अनीश की हत्या की खबर मिलते ही इलाके में सनसनी फैल गई थी. जैसेजैसे उस के शुभचिंतकों को जानकारी हुई, वैसेवैसे कुछ घटनास्थल तो कुछ अस्पताल पर जुटते गए. उधर दिल दहला देने वाली घटना की सूचना गोला थाने के थानेदार सुबोध कुमार को मिल चुकी थी. घटना की सूचना मिलते ही वह फोर्स सहित अस्पताल पहुंच गए और अस्पताल को पुलिस छावनी में बदल दिया ताकि कोई अप्रिय घटना न घट सके. सूचना पा कर थोड़ी ही देर में वहां तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु, एसपी (दक्षिणी) अरुण कुमार सिंह और सीओ गोला अंजनि कुमार पांडेय भी पहुंच गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया. सिर, गले और सीने पर किसी धारदार हथियार से ताबड़तोड़ हमला किया गया था. ज्यादा खून बहने से अनीश की मौत हुई थी. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया और उसे पोस्टमार्टम के लिए बीआरडी मैडिकल कालेज, गुलरिहा भिजवा दिया. उस के बाद इंसपेक्टर सुबोध कुमार को कागजी काररवाई पूरी करतेकरते दोपहर के 2 बज गए थे. अस्पताल से फारिग होते ही पुलिस गोपलापुर चौराहा पर उस जगह पहुंची, जहां घटना घटी थी. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मौके पर फैला खून जम चुका था, जिस पर ढेर सारी मक्खियां भिनभिना रही थीं.

मौके से कुछ दूरी पर खून से सना एक धारदार हथियार गिरा पड़ा था, पुलिस ने उसे बतौर सबूत अपने कब्जे में लिया. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम अपनी जांच में जुट गई. पुलिस ने अनीश की पत्नी दीप्ति चौधरी की तहरीर पर आईपीसी की धारा 302, 307, 506, 120बी एवं एससी/एसटी की धारा 3(2)(वी) के तहत मायके के 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. जिन में नलिन मिश्र (पिता), मणिकांत मिश्र (बड़े पापा यानी ताऊ), अभिनव मिश्र (भाई), अनुपम मिश्र (भाई), विनय, उपेंद्र, अजय, प्रियंकर, अतुल्य, प्रियांशु, राजेश, राकेश, त्रियोगी, नारायण, संजीव, विवेक तिवारी और सन्नी सिंह सहित 4 अज्ञात शामिल थे. घटना की जांच की जिम्मेदारी गोला के सीओ अंजनि कुमार पांडेय को सौंपी गई थी.

इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों मणिकांत मिश्र, विवेक तिवारी, अभिषेक तिवारी और सन्नी सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें गोला के दीडीहा क्षेत्र से गिरफ्तार किया था. इन चारों से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपराध स्वीकार करते हुए अन्य आरोपियों के नाम भी बता दिए. पुलिस ने इन्हें अदालत में पेश कर जिला जेल भेज दिया. 28 जुलाई, 2021 को एएसपी (साउथ) अरुण कुमार सिंह ने एक प्रैसवार्ता आयोजित कर 4 आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी दी और कहा कि जल्द ही बाकी के आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा. कथा लिखने तक अन्य आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सके थे. पुलिस उन्हें तलाश रही थी.

 

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