Lucknow Crime : फेसबुक के माध्यम से गौरी से दोस्ती हो जाने के बाद हिमांशु उसे प्यार करने लगा था. एक दिन अपने दिल की बात कहने के लिए उस ने गौरी को अपने घर बुलाया. लेकिन दोनों के बीच ऐसा कुछ हुआ कि दोस्ती टुकड़ों में बिखर गई. इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद हिमांशु प्रजापति राजस्थान के जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से बीकौम कर रहा था. उस ने सोचा था कि बीकौम करने के बाद लखनऊ के किसी कोचिंग सेंटर से पढ़ाई कर के बैंक या उत्तर प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर की नौकरी पाने की कोशिश करेगा.
युवाओं का सोशल साइट्स की तरफ झुकाव बढ़ता जा रहा है. हिमांशु भी पढ़ाई के दौरान फेसबुक और वाट्सएप का प्रयोग करने लगा था. जाहिर है, कोई भी व्यक्ति सोशल साइट प्रयोग करता है तो उस की दोस्ती अनेक लोगों से हो जाती है. हिमांशु की दोस्ती भी लखनऊ के ही गणेशगंज मोहल्ले में रहने वाली गौरी श्रीवास्तव से हो गई. 19 साल की गौरी लखनऊ के ही अंबेडकर ला कालेज से एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी. उस का सपना था कि वह मजिस्ट्रेट बने. गौरी को अपने नएनए फोटो फेसबुक और वाट्सएप पर अपने दोस्तों से शेयर करने का शौक था. वह हिमांशु को भी अपने फोटो और विचार भेजती रहती थी.
गौरी बेहद खूबसूरत थी, इसलिए हिमांशु उसे बहुत पसंद करता था. वह उस से अपनी दोस्ती और गहरी करना चाहता था. उन की दोस्ती को एक साल बीत गया था लेकिन उन की मुलाकात नहीं हो पाई थी. हिमांशु गौरी से मिलने के लिए आतुर था. उस से मिलने की चाहत में एक बार तो वह सेल्समैन बन कर गौरी के घर भी पहुंच गया था. लेकिन इस बात की भनक गौरी की मां तृप्ता श्रीवास्तव को लग गई तो उन्होंने हिमांशु को घर से भगा दिया.
हिमांशु गौरी से एकांत में मिल कर उसे अपने दिल की बात बताना चाहता था. इसलिए वह किसी भी तरह गौरी से मिलने की योजना बनाने लगा. पहली फरवरी, 2015 को हिमांशु के मातापिता अपने एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए शहर से बाहर गए थे. हिमांशु ने इस मौके का लाभ उठाने के लिए पढ़ाई का बहाना बना कर उन के साथ जाने से मना कर दिया था. घर वालों के जाने के बाद हिमांशु घर पर अकेला रह गया. उस ने गौरी को फोन कर के कहा, ‘‘गौरी, इस समय मेरे घर पर कोई नहीं है. मैं समझता हूं कि साथ बैठ कर बातचीत करने का हमारे पास यह अच्छा मौका है. मैं चाहता हूं कि तुम मेरे घर आ जाओ.’’
गौरी पहले तो उस के यहां आने में आनाकानी करने लगी लेकिन हिमांशु की जिद पर उस ने हां कर दी. वह बोली, ‘‘ठीक है, तुम मुझे बताओ कि कहां आना है? मैं आ जाऊंगी.’’
‘‘मैं तुम्हारे घर के पास मेनरोड पर मिल जाऊंगा. वहां से हम बाइक से घर चले आएंगे. फिर घर पर ही बैठ कर बातें करेंगे.’’
पहली फरवरी, 2015 को दोपहर करीब 1 बजे गौरी अपने घर से निकली. उसे अपने पिता शिशिर श्रीवास्तव के कपड़े लांड्री में देने थे. लांड्री में कपड़े देने के बहाने वह घर निकली. सब से पहले वह लांड्री में कपड़े देने गई और बाद में उस ने हिमांशु को फोन कर के अपने घर के नजदीक मेनरोड पर पहुंचने को कहा. लांड्री में कपड़े देने के बाद गौरी पैदल चल कर मेनरोड पर पहुंच गई. रास्ते में आतेआते उस ने अपने चेहरे पर दुपट्टा बांध लिया था ताकि कोई उसे पहचान न सके. गौरी से बात करने के कुछ देर बाद हिमांशु मेनरोड पर पहुंच गया था. हिमांशु को खड़ा देख वह उस के पास पहुंच कर उस की बाइक पर बैठ गई. उस के बैठते ही हिमांशु ने बाइक स्टार्ट कर दी और उसे अपने घर ले आया.
उधर काफी देर तक गौरी घर नहीं लौटी तो घर वालों ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ था. कई बार फोन करने के बाद भी कंप्यूटर द्वारा वही जवाब दिया जाता रहा. इस से घर वाले परेशान हो गए. उस के पिता शिशिर ने फिर से उस का नंबर मिलाया तो इस बार उस के फोन पर घंटी जा रही थी. इस से उन्हें कुछ राहत महसूस हुई कि बेटी से शायद अब बात हो सकती है. लेकिन दूसरी तरफ से गौरी के बजाय किसी लड़के की आवाज आई. उस ने सीधे कहा, ‘‘गौरी की तबीयत खराब है. वह बंगला बाजार रोड पर बने ईको पार्क के पास है.’’ इस के बाद गौरी का मोबाइल फिर स्विच औफ हो गया.
इतना सुनते ही शिशिर घबरा गए कि गौरी ईको पार्क कैसे पहुंची. वह तो लांड्री में कपड़े देने गई थी. खैर, उन के लिए वह समय ज्यादा सोचनेविचारने का नहीं था. गौरी की मां और पिता जल्द ही ईको पार्क के पास पहुंच गए. लेकिन पार्क में और उस के आसपास उन्हें गौरी नहीं दिखी. अब उन्हें बेटी के बारे में कई तरह की आशंकाएं होने लगीं. जब बेटी का कहीं से कोई पता नहीं चला तो शिशिर श्रीवास्तव ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी. शिकायत करने के काफी देर तक पुलिस उन के पास नहीं पहुंची तो घर वाले परेशान हो गए. वे आधी रात को ही अमीनाबाद कोतवाली पहुंच गए और बेटी की गुमशुदगी की सूचना दी.
पुलिस ने सूचना दर्ज करने में टालमटोल करते हुए गौरी का फोटो ले कर दूसरे दिन आने को कहा. पुलिस उन से कह रही थी कि गौरी किसी के साथ भाग गई होगी. पुलिस की यह बात शिशिर श्रीवास्तव को बहुत बुरी लगी. लेकिन वह बेबस और लाचार थे. बहरहाल, शिशिर की फरियाद पर पुलिस ने गौरी की गुमशुदगी तो दर्ज कर ली लेकिन उस पर कोई एक्शन नहीं लिया. गौरी को ले कर उस के मातापिता ने कई सपने संजो रखे थे. वह पढ़ने में बहुत होशियार थी. उस ने लखनऊ के सब से प्रतिष्ठित लोरेटो कानवेंट कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. वह पौजिटिव सोच वाली लड़की थी. एलएलबी के बाद वह पीसीएस (जे) करना चाहती थी ताकि सीधे मजिस्ट्रेट बन सके. वह अपने सपने साकार कर सके, इसलिए घर वाले भी उस की पढ़ाई में हर तरह से मदद कर रहे थे.
अपनी एकलौती बेटी की चिंता में गौरी के मातापिता की नींद उड़ चुकी थी. पूरी रात वे सो नहीं पाए. रात भर उन के दिमाग में बेटी के बारे में तरहतरह के खयाल घूमते रहे. वह कामना कर रहे थे कि गौरी जहां भी हो सकुशल हो. 2 फरवरी, 2015 की सुबह लखनऊ के पीजीआई थानाक्षेत्र में शहीदपथ के पास लोगों को जूट का एक बैग दिखा. उस पर खून के धब्बे भी थे. संदिग्ध हालत में पड़े उस बैग की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही पीजीआई थानाप्रभारी संतोष तिवारी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने लोगों की मौजूदगी में जब वह बैग खुलवाया तो उस में एक लड़की के कटे हुए पैर मिले. उन्हें देख वहां पर सनसनी फैल गई. पुलिस जरूरी काररवाई कर ही रही थी कि सूचना मिली कि इसी तरह के 2 संदिग्ध बैग शहीदपथ पर ही और पड़े हैं.
थानाप्रभारी ने वहां जा कर उन बैगों को खुलवाया तो उन में लड़की की लाश के शेष टुकड़े मिले. तीनों बैगों में लड़की की लाश के सारे टुकड़े मिल चुके थे. जिस तरह से शव को ला कर फेंका गया था उसे देख कर साफ लग रहा था कि लड़की का कत्ल कहीं और कर के लाश यहां फेंकी गई है. 3 टुकड़ों में लड़की की लाश मिलने की घटना ने लखनऊ पुलिस को झकझोर कर रख दिया. पीजीआई थाने ने वायरलैस द्वारा इस की सूचना लखनऊ के समस्त थानों को दे दी और लाश के तीनों टुकड़ों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. लखनऊ के ही अमीनाबाद थाने में एक दिन पहले जवान लड़की गौरी की गुमशुदगी दर्ज हुई थी. वायरलैस से मिली सूचना के बाद भी अमीनाबाद थानापुलिस ने पीजीआई थाना पुलिस से संपर्क नहीं किया और न ही गौरी के परिवार को इस संबंध में कुछ बताया.
अज्ञात लड़की की टुकड़ों में मिली लाश की खबर 3 फरवरी को अखबारों में छपी तो गौरी के पिता शिशिर श्रीवास्तव थाना पीजीआई पहुंच गए. पुलिस ने जब लाश के टुकड़े और कपड़े शिशिर को दिखाए तो कपड़े देखते ही उन की आंखों से आंसू टपकने लगे. उन्होंने उन कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी गौरी के रूप में की. बेटी के कत्ल की बात सुन कर मां तो बेहोश ही हो गई थीं. एलएलबी की पढ़ाई करने वाली 19 साल की लड़की गौरी का शव 3 टुकड़ों में मिलने की जानकारी मिलते ही अदब और तहजीब के शहर लखनऊ में रहने वाले लोग भी आक्रोशित हो गए. लोगों को पुलिस की बेरुखी पर गुस्सा आ रहा था. उन का मानना था कि यदि पुलिस शुरू से ही तत्परता से काम करती तो गौरी की जान बच सकती थी.
लोगों के आक्रोश के बाद भी पुलिस अपनी कछुआ गति से ही गौरी हत्याकांड की छानबीन का दिखावा करती रही. घटना के 4 दिन बाद भी जब पुलिस हत्यारों का पता नहीं लगा पाई तो लोरेटो कानवेंट कालेज की लड़कियों और वहां की टीचरों ने पुलिस के खिलाफ लखनऊ विधानसभा और जीपीओ चौराहे पर प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन की गूंज प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कानों तक पहुंची तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लखनऊ के डीएम राजशेखर और एसएसपी यशस्वी यादव को न केवल तलब किया बल्कि उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई. साथ ही उन्होंने एसएसपी से इस मामले की पूरी प्रगति रिपोर्ट मांगी.
मुख्यमंत्री की फटकार के बाद केवल लखनऊ पुलिस ही नहीं जागी बल्कि प्रदेश के डीजीपी ए.के. जैन भी घटनास्थल का मुआयना करने पहुंच गए. डीजीपी ने इस मामले का खुलासा करने के लिए एक पुलिस टीम बनाई जिस में एसएसपी यशस्वी यादव, एसपी क्राइम दिनेश सिंह, इंसपेक्टर अमीनाबाद महंथ यादव, पीजीआई थानाप्रभारी संतोष तिवारी, सर्विलांस सेल प्रभारी अनुराग मिश्र, एसआई अरुण द्विवेदी, आर.बी. सिंह, राहुल राठौर, कांस्टेबल अनिल सिंह, लवकुश, अमित, सुजीत, रामनिवास, रामनरेश कनौजिया, रामजी, सतीश सिंह, देवेश आदि को सम्मिलित किया गया.
पुलिस की जांच में पता चला कि गौरी का फेसबुक एकाउंट था, साथ ही वह वाट्सऐप पर भी दोस्तों के साथ जुड़ी थी. इसलिए पुलिस टीम ने गौरी के घर वालों से बात करने के बाद सोशल साइटों के उस के एकाउंट की जांच शुरू की. साथ ही पुलिस ने गौरी के घर के आसपास लगे सीसीटीवी के फुटेज देखने शुरू किए. फुटेज में पुलिस को लाटूश रोड पर बने होटल पीसी इंटरनेशनल के नजदीक एक युवक स्प्लेंडर बाइक के पास खड़ा दिखा. वह हेलमेट लगाए था. हेलमेट लगा होने की वजह से उस का चेहरा नहीं पहचाना जा सका. पुलिस को सीसीटीवी कैमरे में बाइक का पूरा नंबर साफ नहीं दिख रहा था. इस के बाद पुलिस ने टेक्नोलौजी का सहारा ले कर उस नंबर की खोजबीन करनी शुरू की तो वह नंबर यूपी32सी आर 5638 दिखा.
पुलिस ने परिवहन कार्यालय से इस नंबर की तहकीकात करनी शुरू की तो पता चला कि यह बाइक शशांक नामक व्यक्ति के नाम पर दर्ज हुई थी. इस में शशांक का पता अधूरा निकला. इस से पुलिस के लिए जांच का यह रास्ता बंद हो गया. पुलिस के पास ऐसा कोई क्लू नहीं था, जिस से जांच आगे बढ़ सके. इस तरह यह केस पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया था. गौरी की जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में बताया गया कि उस की लाश किसी दांतेदार औजार से काटी गई थी. पुलिस मान कर चल रही थी कि वह दांतेदार औजार आरी रही होगी. वह आरी किस दुकान से किस व्यक्ति द्वारा खरीदी गई थी? यह जानने के लिए एसएसपी ने कई टीमें बना कर हार्डवेयर की दुकानों पर भेजीं, जिस से यह पता चल सके कि आरी किस आदमी ने खरीदी थी.
हत्या के 7 दिन तक पुलिस तहकीकात करती रहीं. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. 7 फरवरी को किसी तरह पुलिस को शशांक के घर का पता मिल गया. उस का घर लखनऊ के तेलीबाग इलाके में था. उस की जूट के बैग की दुकान थी. चूंकि गौरी की लाश जूट के बैगों में मिली थी, इसलिए पुलिस का शक शशांक की तरफ गया. रात करीब 12 बजे पुलिस उस के घर के नजदीक पहुंच गई. उस के घर के पास ही पुलिस को वह स्प्लेंडर बाइक दिखी जो सीसीटीवी फुटेज में दिखी थी. इस से पुलिस का शक और मजबूत हो गया.
पुलिस ने शशांक को उस के घर से अपनी हिरासत में ले लिया. उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह अपनी बाइक अपने पड़ोसी हिमांशु प्रजापति को बेच चुका है. हिमांशु का घर उस के घर के पास में ही था. तब पुलिस ने हिमांशु को उस के घर से पूछताछ के लिए उठा लिया और शशांक को बेकुसूर मान कर छोड़ दिया. थाने ला कर जब हिमांशु से पूछताछ की गई तो गौरी हत्याकांड का परदा उठने में देर नहीं लगी. उस ने स्वीकार कर लिया कि गौरी की हत्या उसी ने की थी. गौरी की हत्या करने से ले कर उस की लाश के टुकड़े करने की उस ने जो कहानी बताई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली निकली.
19 वर्षीय हिमांशु एक मध्यमवर्गीय परिवार से था. उस के पिता रामप्रकाश प्रजापति प्राइवेट नौकरी करते थे. पहली फरवरी, 2015 को जब उस के घर वाले अपने रिश्तेदार की शादी में गए थे, उसी दिन उस ने अपनी दोस्त गौरी को बातचीत के लिए अपने घर आने को राजी कर लिया. गौरी से फोन पर बात होने के बाद वह बाइक से उसे लेने पहुंच गया. गौरी को अपनी बाइक पर बैठा कर वह लखनऊ के तेलीबाग स्थित अपने घर ले आया. घर पहुंच कर उस ने गौरी को खाना खिलाया. इस दौरान दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. हिमांशु गौरी को अपने मन की बात बताने को बेचैन था. दूसरी ओर गौरी हिमांशु की बातों का जवाब देते हुए अपने फोन पर वाट्सएप और फेसबुक चलाने में व्यस्त थी. यह बात हिमांशु को अखर रही थी. उस ने कई बार गौरी को मना किया. जब गौरी नहीं मानी तो हिमांशु ने कहा, ‘‘गौरी, तुम्हारे फोन में ऐसा क्या है, जो तुम इस में खो गई हो और मेरी बात नहीं सुन रही?’’
‘‘कुछ नहीं, अपने फ्रैंड्स के साथ बातचीत कर रही हूं. साथ ही तुम्हारी बातें भी सुन रही हूं.’’ गौरी ने यह बात बहुत ही रूखे मिजाज में कही. इस के बाद हिमांशु को शक होने लगा. उस ने गौरी से कहा, ‘‘गौरी, तुम मुझे अपना फोन दिखाओ. मैं देखना चाहता हूं कि तुम किस से बातें कर रही हो?’’
‘‘देखो, यह गलत बात है. मैं अपना फोन तुम्हें क्यों दिखाऊं?’’ गौरी ने जब फोन देने से मना किया तो हिमांशु को गुस्सा आ गया. उस ने उस का फोन हाथ से ले लिया और प्यार से उस का पासवर्ड हासिल कर लिया.
हिमांशु ने गौरी के फेसबुक और वाट्सएप एकाउंट खोल कर देखे तो वह चौंक गया. उसे पता चला कि गौरी अपने दूसरे दोस्तों के साथ आपत्तिजनक बातें करती है. इतना ही नहीं, इसी तरह के फोटो भी एकदूसरे को शेयर करती है. इस बात पर हिमांशु को गुस्सा आ गया. गौरी उस से अपना फोन छीनने लगी. छीनाझपटी में हिमांशु से गौरी के गरदन की नस दब गई और वह मर गई. उस समय शाम के करीब 4 बज रहे थे. वह गौरी को घर के अंदर बंद कर के उस का फोन अपने साथ ले कर बाहर चला गया. 3-4 घंटे बाद वह घर वापस आया. इस बीच जब गौरी के घर वालों का फोन आया तो एक बार उस ने गौरी की तबीयत खराब होने की बात कही. इस के बाद उस ने गौरी का फोन बंद कर दिया.
वह गौरी की लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगा. अकेले ही उस की लाश उठा कर ठिकाने लगाना उस के बूते में नहीं था इसलिए उस ने तय कर लिया कि वह उस की लाश के टुकड़े कर के बाहर कहीं फेंक आएगा. फिर से कमरा बंद कर के वह अपने दोस्त अनुज के पास चला गया. दोनों ने मिल कर शराब पी. शराब पीते समय उस ने अनुज को गौरी की हत्या करने की बात बता दी थी. दोस्त के साथ शराब पीने के बाद हिमांशु ने तेलीबाग के ही काका मार्केट जा कर एक दुकान से लकड़ी काटने की आरी और दूसरी दुकान से जूट के 3 बैग खरीदे. ये सामान ले कर वह घर लौट आया और आरी से गौरी के शरीर के कई टुकड़े कर दिए. खून नाली के रास्ते बह कर बाहर न जाए, इस के लिए उस ने उस के कपड़े नाली के मुहाने पर लगा दिए.
लाश के 3 टुकड़े कर के उस ने जूट के 3 बैगों में भर लिए. आधी रात के करीब वह उन बैगों को शहीदपथ के आसपास फेंक आया. गौरी के कपड़े भी उस ने एक बैग में भर दिए थे. लाश ठिकाने लगा कर उस ने घर की सफाई की. अगले दिन पुलिस ने लाश के टुकडे़ बरामद कर लिए. काफी खोजबीन के बाद भी पुलिस जांच में जब हिमांशु का कहीं नाम नहीं आया तो हिमांशु खुश खुश हुआ कि वह पुलिस को चकमा देने में सफल हो गया है. लेकिन पुलिस ने हिमांशु को खोज कर गौरी हत्याकांड का खुलासा कर दिया. हिमांशु ने अपने दोस्त अनुज को गौरी की हत्या करने की बात बताई थी. इस के बावजूद भी उस ने इस बात की जानकारी पुलिस को नहीं दी. इसी कारण पुलिस ने अनुज को भी गौरी हत्याकांड में शामिल मानते हुए गिरफ्तार कर लिया.
उन की निशानदेही पर पुलिस ने गौरी की लाश को काटने में प्रयुक्त हुई आरी, हिमांशु की बाइक, हेलमेट, खून से सने कपड़े आदि बरामद कर लिए. गौरी हत्याकांड लखनऊ पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुका था. इसलिए अभियुक्तों की गिरफ्तारी होने और केस का खुलासा होने पर पुलिस लाइन में एक प्रैस कौन्फ्रैंस का आयोजन किया गया जिस में डीजीपी ए.के. जैन के अलावा जिला स्तर के पुलिस अधिकारी मौजूद थे. वहां गौरी के मातापिता को भी बुलाया गया. अभियुक्त हिमांशु और अनुज ने गौरी की हत्या की पूरी कहानी मीडिया के सामने बयान की.
दूसरी तरफ गौरी के परिजन पुलिस के खुलासे से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे. उन का कहना था कि पुलिस तुरंत काररवाई करती तो उन की बेटी की जान बच सकती थी. इसी बीच प्रदेश के डीजीपी ए.के. जैन ने कहा कि हिमांशु के खिलाफ पूरे सुबूत मिले हैं, जो कोर्ट में उसे सजा दिलाने में सफल होंगे. पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस ने हिमांशु पर हत्या कर लाश ठिकाने लगाने की कोशिश करने की धाराओं के साथसाथ उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी निरुद्ध कर दिया. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को पुलिस विभाग की तरफ से 50 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की गई है. Lucknow Crime
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






