Hindi Stories: नन्ही थी तो लड़की, पर उस का कामधाम ही नहीं सोच और बातव्यवहार भी लड़कों जैसा था. शायद इसीलिए उस ने लड़के से नहीं लड़की से शादी की.
उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज के कस्बा सोरों की रहने वाली केला देवी अपनी बेटी नन्ही की शादी के लिए बहुत ज्यादा परेशान थीं, क्योंकि बाकी उन के सभी बच्चों की शादियां हो चुकी थीं. पति राम सिंह की मौत बरसों पहले हो चुकी थी. उस की सोरों में परचून की दुकान थी. उस के 5 बेटों में 2 बेटे दिल्ली में नौकरी करते थे, बाकी के 3 सोरों में ही अपना काम करते थे. बेटी नन्ही बचपन से ही दुकान पर बैठ कर पिता की मदद करती थी. घर में पढ़ाई का माहौल नहीं था, इसलिए राम सिंह का कोई भी बच्चा पढ़ालिखा नहीं था. लेकिन नन्ही ऐसी थी, जो दस्तखत कर लेती थी.
पिता की मौत के बाद नन्ही ने दुकान की ही नहीं, घरपरिवार की भी सारी जिम्मेदारी संभाल ली थी. उसी ने दुकान की कमाई से 2 बड़ी बहनों की शादियां कीं. वह बचपन से ही लड़कों वाले काम करती थी, इसलिए लड़कों की ही तरह रहती थी. कपड़े भी वह उन के जैसे ही पहनती थी. बातचीत का लहजा भी उस का लड़कों जैसा ही था. यह सब देख कर यही लगता था, जैसे वह खुद को लड़की न समझ कर लड़का समझती है.
केला देवी जब भी उस से शादी की बात करती, वह साफ मना कर देती. लेकिन मां को तो उस की शादी की चिंता थी, क्योंकि वह जवान हो चुकी थी. अब भी वही दुकान पर बैठती थी. लोग उसे बचपन से ही दुकान पर बैठती देखते आए थे, इसलिए किसी को इस में कुछ अजीब नहीं लगता था. दुकानदारी में नन्ही काफी कुशल थी. वह त्योहारों का सामान तो लाती ही थी, गर्मियों में बर्फ भी बेचती थी. वह दुकान पर काफी मेहनत करती थी. करीब 2 साल पहले की बात है. केला देवी ने जाहरबीर बाबा को जात चढ़ाने का विचार किया. इस के लिए उस ने भानपुर नगरिया के रहने वाले अमरीश से बात की. वह अपनी विधवा मां और भाईबहनों के साथ रहता था. जाहरबीर बाबा का स्थान राजस्थान के बागड़ में पड़ता है.






