Delhi Crime News : दिल्ली स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट के डायरेक्टर चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी की इंस्टीट्यूट में पढऩे वाली जिस छात्रा पर नीयत खराब हो जाती, उसे वह किसी तरह हमबिस्तर बनाने की कोशिश करता. और तो और उस ने छात्राओं के बाथरूम तक में हिडन कैमरे लगा रखे थे. दरजनों छात्राओं ने इस की शिकायत पुलिस से की. खुद को अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु बताने वाला यह आरोपी जब पुलिस के हत्थे चढ़ा तो इस के द्वारा की गई करोड़ों रुपए की जालसाजी, धोखाधड़ी के अपराधों की ऐसी कलई खुली कि…

यह बात सच है कि गलत काम की पोल एक न एक दिन जरूर खुलती है. चैतन्यानंद सरस्वती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. खुद को इंटरनैशनल हस्ती बताने वाला यह तथाकथित संत धर्म के नाम पर गेरुआ कपड़े पहन कर घिनौने काम करेगा, ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था. चैतन्यानंद सरस्वती के गलत कामों का खुलासा तो 2 महीने पहले ही हो गया था, लेकिन उस का पटाक्षेप हुआ 27 सितंबर, 2025 को. दरअसल, चैतन्यानंद सरस्वती पिछले 2 महीने से दिल्ली पुलिस को छका रहा था. वह नाम बदलबदल कर कभी मथुरा, कभी वृंदावन और कभी आगरा में ठिकाने बदल कर घूम रहा था.

24 सितंबर को उस की लोकेशन आगरा में मिली थी. दक्षिणपश्चिम जिले के डीसीपी अमित गोयल के निर्देशन में वसंत कुंज थाने की पुलिस तुरंत सक्रिय हुई और आरोपी के लिए लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया. दिल्ली पुलिस की टीम 27 सितंबर को तड़के 3 बजे आगरा के ताजगंज इलाके में फतेहाबाद रोड स्थित होटल फस्र्ट पहुंची. वहां होटल के मैनेजर भरत ने बताया कि बाबा उन के होटल में किसी के साथ आए थे. उन्होंने आईडी जमा कराई थी. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के 2 अधिकारी सादे कपड़ों में होटल आए और रजिस्टर की जांचपड़ताल शुरू कर दी.

एंट्री देखने के बाद वे कमरा नंबर 101 में ठहरे स्वामी पार्थसारथी के पास पहुंचे. कमरे में जो शख्स मिला, वह वही शख्स था, जो पिछले कई दिनों से दिल्ली पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बना हुआ था. असल में दक्षिणपश्चिम जिले के डीसीपी अमित गोयल ने एडीशनल डीसीपी ऐश्वर्या सिंह की अगुवाई में एक बड़ी टीम का गठन किया था, जो लंबे समय से चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी की तलाश में विभिन्न राज्यों— हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि पश्चिम बंगाल में तलाशी ले रही थी.

इस टीम में वसंत कुंज (नौर्थ) थाने के एसएचओ बलबीर सिंह, एडीशनल एसएचओ किशोर कुमार व रामफूल मीणा के नेतृत्व में टीमें बनाई गई थीं. एसीपी वेदप्रकाश इन टीमों की मौनिटरिंग कर रहे थे. वसंत कुंज थाने की पुलिस के साथ उच्चाधिकारियों ने डीआईयू, स्पैशल स्टाफ व क्राइम ब्रांच की टीमों को भी मदद के लिए लगाया हुआ था. लगातार 2 महीने तक धक्के खाने के बाद आखिरकार इन पुलिस टीमों को 27 सितंबर, 2025 की रात को चैतन्यानंद सरस्वती को पकडऩे में सफलता मिली. उस की पहचान के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस टीम उसे दिल्ली ले आई. उस के कब्जे से पुलिस टीमों ने एक आईपैड और 3 फोन बरामद किए हैं, जिन की जांच की जा रही है.

पुलिस ने उस से फरजी विजिटिंग कार्ड भी बरामद किए हैं, जिस में उसे ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाला भारत सरकार का अधिकारी बताया गया है. एक विजिटिंग कार्ड यूनाइटेड नैशन का है और दूसरा विजिटिंग कार्ड ब्रिक्स का है. पहले कार्ड में बाबा खुद को संयुक्त राष्ट्र का स्थायी राजदूत बताता है. दूसरा विजिटिंग कार्ड में चैतन्यानंद ने खुद को कमीशन का मेंबर और इंडियन स्पैशल एनवोय (राजदूत) बताया है. इन का इस्तेमाल वह अपना रुतबा और पहुंच दिखाने के लिए करता था.

उस ने गिरफ्तारी के बाद बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह हर दिन अपना ठिकाना बदल रहा था. दरअसल, दिल्ली पुलिस ने उसे छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार किया था. दरअसल, चैतन्यानंद सरस्वती के इस गैरकानूनी मामले की शुरुआत हुई थी दिल्ली के वसंत कुंज में स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट से. चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी इस संस्थान का डायरेक्टर था. उस के ऊपर जुलाई के अंतिम सप्ताह में 2 गंभीर आरोप लगे थे.

इंस्टीट्यूट में पीजी डिप्लोमा कर रही छात्राओं ने उस पर छेड़छाड़ और अश्लील हरकत के आरोप लगाए थे. करीब 2 महीने पहले जुलाई में छात्राओं की शिकायत पर संस्थान प्रबंधन ने भी वसंत कुंज (नौर्थ) थाने में शिकायत दी थी. जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था, लेकिन आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती फरार हो गया. खुद को आध्यात्मिक गुरु बताने वाले दक्षिणपश्चिमी दिल्ली स्थित शिक्षण संस्थान से जुड़े स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर यौन शोषण और छात्राओं के करिअर को बरबाद करने जैसे संगीन आरोप लगने के बाद पूरे संस्थान में हड़कंप मच गया था.

छात्राओं ने लगाए थे छेड़छाड़ के आरोप

चैतन्यानंद पर एक या 2 नहीं, बल्कि दरजन भर से ज्यादा छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए थे. स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर आरोप था कि उस ने ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति के तहत पीजीडीएम कर रही छात्राओं से छेड़छाड़ की और उन से जालसाजी की. आरोपी बाबा लंबे समय से छात्राओं को अच्छी प्लेसमेंट का झांसा दे कर उन के साथ खिलवाड़ करता रहा था. चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी को दिल्ली पुलिस ने 27 सितंबर, 2025 को देर रात जब आगरा के ताजगंज इलाके के एक होटल से गिरफ्तार किया तो यह सूचना मिलने पर मामले के शिकायतकर्ता वसंत कुंज पुलिस थाने पहुंच गए.

दरअसल, शृंगेरी मठ के वसंत कुंज स्थित आश्रम में 17 छात्राओं से छेड़छाड़ करने का आरोपी चैतन्यानंद उर्फ पार्थसारथी मठ की 3 खरब से अधिक की संपत्ति पर कब्जा करना चाहता था. मठ की तरफ से उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिस में कहा गया था कि इन इमारतों से प्रतिमाह करीब 60 लाख रुपए किराया आता था. आरोपी इस किराए को पीठ को नहीं दे रहा था. इस के लिए उस ने पीठ के विश्वास को तोड़ा, ताकि वह इस संपत्ति पर कब्जा कर सके. पीठ ने आरोपी स्वामी चैतन्यानंद के खिलाफ वसंत कुंज (नौर्थ) थाने में धोखाधड़ी, जालसाजी, फरजी कागजात बनवाने आदि की रिपोर्ट दर्ज करवाई है.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि आश्रम में कुछ इमारतें कई कंपनियों को किराए पर दे रखी थीं. इन इमारतों से प्रतिमाह करीब 60 लाख रुपए किराया आता था. आरोपी यह किराया पीठ को नहीं दे रहा था. पीठ के वसंत कुंज स्थित आश्रम के प्रशासक पी.ए. मुरली की ओर से थाने में यह शिकायत दर्ज कराई गई थी, दक्षिणपश्चिमी जिले के डीसीपी अमित गोयल ने इस मामले की तफ्तीश जिला जांच यूनिट (डीआईयू) को सौंपी थी.

इस प्रकरण के 3 दिन बाद करीब 2 महीने पहले कुछ छात्राओं ने भी स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था. उस समय वह संस्थान का डायरेक्टर था. दिल्ली के वसंत कुंज थाने में इस मामले में बीएनएस की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. बताया गया कि श्री शारदा इंस्टीट्यूट में 100 से ज्यादा छात्रछात्राएं पीजीडीएम की पढ़ाई कर रहे हैं, इन में ईडब्ल्यूएस की छात्राएं भी शामिल हैं. एसआरआईएसआईआईएम ने 24 सितंबर, 2025 को एक प्रैस नोट जारी किया, जिस पर कार्यकारी निदेशक रामास्वामी पार्थसारथी के हस्ताक्षर थे.

इस में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर लगे आरोपों और संस्थान की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया. प्रैस नोट में कहा गया कि जैसे ही संस्थान को चैतन्यानंद सरस्वती के कदाचार की जानकारी मिली, संस्थान और उस की मुख्य संस्था श्री शारदा पीठम, शृंगेरी ने छात्राओं की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाए. इस के अलावा औडिट में धोखाधड़ी, जालसाजी, चीटिंग और आपराधिक विश्वासघात जैसी कई गड़बडिय़ां सामने आईं.

इस आधार पर 19 जुलाई, 2025 को आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई और इस के साथ 300 से अधिक पन्नों के सबूत सौंपे गए. वसंत कुंज (नौर्थ) थाने में एफआईआर नंबर 320/2025 दर्ज हुई. इस रिपोर्ट के बाद पहली अगस्त, 2025 को एक और शिकायत भी दी गई, जिस में कई छात्राओं की तरफ से चैतन्यानंद सरस्वती पर यौन उत्पीडऩ करने के आरोप लगाए. इस में छात्राओं की शिकायतों का जिक्र था, जिन में मनमाने फैसले, बदले की काररवाई और देर रात भेजे गए अनुचित वाट्सऐप मैसेज शामिल थे.

इस घटनाक्रम के बाद पीठम ने एक गवर्निंग काउंसिल का गठन किया. इस काउंसिल ने छात्रछात्राओं से बातचीत की और जानकारी जुटाने के लिए वर्चुअल मीटिंग की. 2 अगस्त, 2025 को यह ऐलान किया गया कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती का शृंगेरी पीठम या उस की संन्यासी परंपरा से अब कोई संबंध नहीं है. 4 अगस्त, 2025 को पीठम के प्रशासक पी.ए. मुरली ने एसएचओ को जो शिकायत की, उस में उत्पीडऩ और कदाचार का जिक्र था. इसी के आधार पर 5 अगस्त को एक और एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस ने पीडि़त छात्राओं के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की.

दिल्ली पुलिस ने यह मामला बीएनएस की धारा 75(2) (यौन उत्पीडऩ), धारा 79 (महिला की मर्यादा का अपमान) और धारा 351(2) (धमकी) के तहत दर्ज किया है. स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती तब तक फरार हो चुका था, लेकिन पुलिस ने उस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया था.

संस्थान ने चैतन्यानंद को डायरेक्टर पद से हटाया

9 अगस्त, 2025 को संस्थान की तरफ से जारी एक सार्वजनिक बयान में बताया गया कि स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को डायरेक्टर और मैनेजमेंट कमेटी से हटा दिया गया है. बयान में यह भी कहा गया कि संस्थान में पढ़ाई पहले की तरह जारी रहेगी और छात्रछात्राओं की सुरक्षा सब से अहम प्राथमिकता है. संस्थान ने आश्वस्त किया कि सभी छात्र सुरक्षित हैं. एसआरआईएसआईआईएम और पीठम ने कहा कि वे जांच में पूरी मदद कर रहे हैं, ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके.

दिल्ली पुलिस चैतन्यानंद के बारे में केवल यही जानती थी कि ओडिशा में पार्थसारथी नाम से जन्मा स्वामी चैतन्यानंद खुद को धार्मिक गुरु बताता है. वह दिल्ली के वसंत कुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट का डायरेक्टर रहा है और उस का संबंध कर्नाटक के शृंगेरी शारदा पीठम से है. हालांकि चैतन्यानंद यह भी दावा करता है कि उस का यूनिवर्सिटी औफ शिकागो जैसे संस्थानों से शैक्षणिक जुड़ाव रहा है. वसंत कुंज (नौर्थ) थाने की पुलिस ने चैतन्यानंद के खिलाफ दोनों एफआईआर दर्ज करने के बाद जब संस्थान में बने उस के आवास पर छापा मारा तो वहां ताला लटका मिला.

बताया गया कि चैतन्यानंद शिकागो गया हुआ है, लेकिन उस की गैरमौजूदगी में पुलिस ने आवास पर खड़ी एक लाल वोल्वो कार बरामद कर ली, जिसे बताया गया कि यह कार स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की है. उस कार पर संयुक्त राष्ट्र की फरजी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी थी. इसे धोखाधड़ी मानते हुए पुलिस ने अलग से एक एफआईआर दर्ज कर ली. पुलिस के लिए इस मामले की गंभीरता लगातार बढ़ती जा रही थी, इसलिए जांच भी गंभीर होती जा रही थी. फरजी नंबर प्लेट और यौन उत्पीडऩ के लिए अलगअलग मामले दर्ज होने के बाद पुलिस ने गंभीर धाराएं लगा दी थीं.

एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त शारदा इंस्टीट्यूट पोस्टग्रैजुएट स्तर के मैनेजमेंट कोर्स कराता है. शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट को शंकर विद्या केंद्र (एसकेवी) चलाता है. यह केंद्र शृंगेरी शारदा पीठ से जुड़ा है. कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में स्थित यह पीठ आदि शंकराचार्य द्वारा बनाए गए 4 प्रमुख अद्वैत मठों में से एक है. संस्थान इंडियन वैल्यूज और मौडर्न मैनेजमेंट की पढ़ाई के बीच संतुलन रखता है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है और अधिकारियों से 3 दिन के भीतर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को शृंगेरी शारदा पीठ ने निलंबित कर दिया था और राष्ट्रीय महिला आयोग भी मामले पर काररवाई कर रही थी, इसलिए यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ था. लेकिन ऐसे कई सवाल थे, जो लोगों को झकझोर रहे थे. मसलन, छात्राओं का उत्पीडऩ कितने समय से चल रहा था, क्या स्टाफ को इस की जानकारी थी और पुलिस जांच के दौरान आरोपी कैसे फरार हो गया?

संस्थान ने दर्ज कराया घपले का मामला

पुलिस की जांच में चैतन्यानंद के नाम और उस से जुड़े ट्रस्ट के नाम पर 18 बैंक खाते, 28 फिक्स्ड डिपौजिट की पहचान की जा चुकी है. इन खातों से कुल मिला कर करीब 18 करोड़ रुपए मिले हैं. पुलिस ने इन बैंक खातों को सीज कर दिया है. इन में ज्यादातर रकम श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के जरिए जमा की गई थी. संस्थान की तरफ से चैतन्यानंद के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत में साफ कहा गया था कि आरोपी ने इंस्टीट्यूट का नाम श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट कर लिया था.

शिकायत में यह भी कहा गया है कि आरोपी ने पीठम से पीएचडी के लिए गारंटी राशि के लिए एफडी तैयार करने के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की. उस पर कई सरकारी कागजात बनवाने का भी आरोप है. जिन छात्राओं ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे, उन में से 32 के बयान पुलिस ने दर्ज किए, जबकि 17 के बयान मजिस्ट्रैट के सामने दर्ज कराए गए थे. एफआईआर करवाने वाली एक छात्रा ने तो अपनी प्राथमिकी में जो कहा था, वह एक लड़की के उत्पीडऩ की पराकाष्ठा ही कही जा सकती है. लड़की ने कहा कि उस ने संस्थान में 8 महीने बिताए, वो उस की जिंदगी का सब से खराब दौर था. उस के बाद उस ने वहां पढ़ाई छोड़ दी थी.

संस्थान जौइन करते ही बाबा की हरकतें शुरू हो गई थीं. वह उसे अश्लील मैसेज भेजने लगा था. स्वामी उसे स्वीट गर्ल बुलाने लगा था. शाम को साढ़े 6 बजे क्लास खत्म होने के बाद स्वामी उसे अपने औफिस में बुलाता और परेशान करता. स्वामी ने उस का मोबाइल फोन छीन लिया और उसे हौस्टल में अकेले रहने पर मजबूर किया. उसे किसी से बात नहीं करने दी जाती थी. वह कमरे में लगे फोन पर रात में कौल करता था. उस की छात्रा के ऊपर गिद्ध की तरह नजर थी. आरोपी रात में डिनर और अच्छे होटलों में रुकवाने की बातें करता था. छात्रा ने कहा कि वह बहुत डरी हुई थी. कई बार बाबा ने उसे गलत तरीके से टच करने की कोशिश की, वहां कैमरे भी लगे हुए थे.

छात्रा ने बताया कि बाबा ने उस से कहा था कि तुम्हें मेरे साथ मथुरा चलना है, लेकिन मैं नहीं गई और बिना किसी को बताए हौस्टल में अपना पूरा सामान छोड़ कर भाग निकली. मैं ने क्लास छोड़ दी, लेकिन बाबा ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा. उस से जुड़ी छात्राएं मेरे पास आईं और वापस चलने का दबाव बनाने लगीं. बाबा ने उन्हें मेरा फोन नंबर और पता दिया था, लेकिन मेरे फादर ने सभी को भगा दिया.

बाबा कहता था, ”तुम बहुत टैलेंटेड हो और तुम्हें दुबई ले जा कर पढ़ाऊंगा. पढ़ाई का पूरा खर्च उठाऊंगा.’’

लेकिन मैं यह बिलकुल नहीं चाहती थी. उस का स्टाफ भी मुझ पर दबाव बनाता रहता था.

बाकी छात्राओं ने भी यह आरोप लगाया है कि चैतन्यानंद उन्हें जबरन छूने की कोशिश करता था. विरोध करने पर शारीरिक संपर्क करने की कोशिश की और इस के लिए कई तरह के दबाव भी बनाए.

क्या चैतन्यानंद के कुकर्मों में स्टाफ भी था शामिल

कथित तौर पर छात्राओं को डराया और धमकाया गया. यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में फैकल्टी के कुछ लोग भी जुड़े हैं. आरोप है कि चैतन्यानंद ने छात्राओं की आवाज को दबाने के लिए अपनी ताकत और प्रतिष्ठा का इस्तेमाल किया. छात्राओं का डरना मजबूरी भी थी, क्योंकि चैतन्यानंद उर्फ पार्थसारथी श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट का डायरेक्टर था. ये अलग बात है कि एफआईआर के बाद उसे पद से हटा दिया गया है.

अब दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि 1998 में दिल्ली के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा आवंटित की गई कीमती जमीन पर खड़ा यह मठ और कालेज आज फरजी दस्तावेजों का अड्ïडा बन चुका था. कहानी की शुरुआत 1998 से होती है, जब दिल्ली सरकार ने वसंत कुंज में एक मूल्यवान प्लौट शारदा पीठ को आवंटित किया. यह प्लौट आध्यात्मिक और शैक्षिक उद्ïदेश्यों के लिए था, जिस पर बाद में मठ और एसएसआईएम कालेज का निर्माण हुआ. बाबा चैतन्यानंद को शुरू में केवल सीमित कार्यों जैसे दैनिक प्रशासनिक कामकाज के लिए मठ का अटौर्नी नियुक्त किया गया था. लेकिन उस ने इसी छोटे से अधिकार का दुरुपयोग कर धीरेधीरे संस्थान पर कब्जा जमा लिया.

बाबा ने खुद को अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु बता कर भक्तों और छात्राओं को लुभाया, लेकिन पीछे से फरजी दस्तावेजों का जाल बिछा दिया. बिना किसी सरकारी इजाजत या बोर्ड की मंजूरी के बाबा ने कुछ चुनिंदा लोगों के साथ मिल कर संस्थान का नाम बदल दिया. मूलरूप से ‘शारदा पीठ’ के तहत चलने वाला यह सेटअप अब श्री शारदा इंस्टीट्यूट औफ इंडियन मैनेजमेंट बन गया, जो पूरी तरह से उस के कंट्रोल में आ गया. इस नाम परिवर्तन ने न केवल संस्थान की पहचान बदल दी, बल्कि फंडिंग और डोनेशन जुटाने का नया रास्ता भी खोल दिया.

पुलिस जांच में पाया गया है कि इसी फरजी नाम के सहारे बाबा ने मठ के फंड से 40 करोड़ रुपए का घपला किया. ये पैसे आध्यात्मिक कार्यक्रमों के नाम पर जुटाए गए थे, लेकिन वास्तव में व्यक्तिगत ऐशोआराम और विदेश यात्राओं में उड़ाए गए. पूर्व ट्रस्टी बताते हैं कि बाबा ने दानदाताओं को झांसा दिया कि यह फंड आध्यात्मिक शिक्षा के लिए है, लेकिन रिकौड्र्स गायब हैं.

फरजीवाड़े की एक और परत बिना अनुमति के मठ की प्रौपर्टी को किराए पर देना है. वसंत कुंज की यह जमीन जो सरकारी आवंटन पर थी, बाबा ने निजी कंपनियों और व्यापारियों को बिना बोर्ड की मंजूरी के लीज पर दे दी. इस से लाखों रुपए की अनधिकृत आय हुई, जो उस के निजी खातों में ट्रांसफर हो गई. दिल्ली विकास प्राधिकरण के रिकौड्र्स में यह उल्लंघन दर्ज है, लेकिन बाबा के प्रभाव से काररवाई टलती रही. सब से चौंकाने वाला खुलासा आरोपी के दोहरे चेहरे से जुड़ा है. उस के पास 2 फरजी पासपोर्ट पाए गए हैं. पहला पासपोर्ट स्वामी पार्थ शास्त्री के नाम से है, जिस में पिता का नाम स्वामी घनानंद पुरी और मां का नाम शारदा अंबा लिखा गया, जबकि जन्मस्थान दार्जिलिंग बताया गया.

दूसरा पासपोर्ट स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के नाम पर है, जहां पिता का नाम स्वामी दयानंद सरस्वती और मां का नाम शारदा अंबल दर्ज है. जन्म स्थान तमिलनाडु बताया गया है.

जांच में खुलासा हो रहा है कि दोनों पासपोर्ट नकली जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड के आधार पर हासिल किए गए. जांच एजेंसी ने पाया कि ये दस्तावेज बाबा के सहयोगियों ने तैयार कराए थे, ताकि विदेश भागने का रास्ता बना रहे. यह सिलसिला पैन कार्ड तक फैला है. आरोपी के पैन कार्ड में पिता का नाम स्वामी घनानंद पुरी ही दर्ज है, जो पहले पासपोर्ट से मेल खाता है, लेकिन वास्तविक पहचान छिपाने का प्रयास साफ झलकता है.

यूनियन बैंक औफ इंडिया में आरोपी के 2 करंट अकाउंट थे, दोनों अलगअलग नामों से. एक पार्थ शास्त्री के नाम पर और दूसरा चैतन्यानंद सरस्वती के. इन अकाउंट्स से करोड़ों का लेनदेन हुआ, जिस में मठ के फंड का दुरुपयोग साफ दिखता है. पुलिस ने अब इन सभी पहलुओं पर गहन जांच शुरू कर दी है. इस मामले में अब सीबीआई को भी शामिल करने की मांग उठ रही है, क्योंकि मामला सरकारी जमीन और फरजी दस्तावेजों से जुड़ा है. पीडि़त छात्राओं के अलावा पूर्व ट्रस्टी और कर्मचारियों ने भी पुलिस के सामने बयान दर्ज कराए हैं.

बहरहाल, गिरफ्तार कर दिल्ली लाने के बाद चैतन्यानंद सरस्वती को अदालत में पेश किया गया. पुलिस ने उसे 14 दिन के पुलिस रिमांड पर लेने की मांग की थी. क्योंकि पुलिस का कहना था कि उस के मोबाइल व लैपटाप या आईपैड के पासवर्ड जैसी महत्त्वपूर्ण जानकारियां केवल उस से पूछताछ में ही मिल सकती हैं. पुलिस ने अदालत से कहा कि डिजिटल संदेशों और डेटा डिलीशन की प्रकृति समझने के लिए आरोपी की हिरासत बेहद जरूरी है. हालांकि बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि पुलिस के पास पहले से ही 40 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मौजूद है और वे उस से अपने सबूत तलाश सकते हैं.

बहरहाल, कोर्ट ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. क्योंकि पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी 2 महीने से फरार था. उस ने न केवल सबूतों से छेड़छाड़ की, बल्कि शिकायतकर्ताओं को धमकाया भी था. पुलिस का कहना है कि जांच के लिए उसे दिल्ली, उत्तराखंड और हरियाणा समेत कई स्थानों पर ले जाना बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं पुलिस ने कोर्ट में एक और बड़ा खुलासा करते हुए सब को चौंका दिया.

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि स्वामी छात्राओं के बाथरूम में जाते ही उन के वीडियो देखता था. उस ने उन के बाथरूम में हिडन कैमरे लगा रखे थे, जो सीधे स्वामी चैतन्यानंद के मोबाइल फोन से जुड़े हुए थे. उस की नजर ज्यादातर नई और युवा छात्राओं पर होती थी. उन्हें पहले अपने जाल में फंसाता और फिर उन के साथ बलात्कार करता. इस पूरी साजिश में उस के करीबी सहयोगी भी शामिल थे. स्वामी का सच सुन कर कोर्ट में सन्नाटा छा गया.

पुलिस को गिरफ्तारी के वक्त चैतन्यानंद के पास से आईपैड और 3 फोन भी बरामद हुए हैं. इन में वह मोबाइल फोन भी है, जिस में बाबा छात्राओं के वीडियो और गल्र्स हौस्टल की सीसीटीवी फुटेज का एक्सेस रखता था. इस गिरफ्तारी से पहले साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज- 2 डा. हरदीप कौर चैतन्यानंद सरस्वती की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुकी थीं. लेकिन पुलिस ने तर्क दिया था कि स्वामी की कस्टोडियल इंटरोगेशन जरूरी है, ताकि मामले की पूरी साजिश का पता चल सके.

कोर्ट ने स्वामी के बचाव की सभी दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी प्रभावशाली है और सबूतों या गवाहों को प्रभावित कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पी. कृष्णा मोहन रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश सरकार का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है. अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी अपने पते पर नहीं है और उस का मोबाइल बंद है, जिस से उस के भागने का खतरा है.

अब जबकि वह एक धार्मिक संस्थान की शिक्षण संस्था को कब्जे में ले कर वहां गबन करने और वहां पढऩे वाली छात्राओं के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है. पुलिस 5 दिन की हिरासत में उस के हर कृत्य को उगलवाने में जुटी है, चैतन्यानंद से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की 3 महिला सहयोगियों स्वेता, काजल, और भावना को भी हिरासत में ले लिया है. तीनों पर पीडि़त छात्राओं ने चैतन्यानंद का साथ देने का आरोप लगाया था. तीनों सगी बहनें हैं. कथा लिखने तक पुलिस इन तीनों से भी पूछताछ कर रही थी. Delhi Crime News

 

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