UP Crime News : आज के जमाने में लड़केलड़की की दोस्ती कोई गुनाह नहीं है, लेकिन घर वालों की अत्यधिक छूट और लाड़प्यार जब किसी लड़के या लड़की को बिगाड़ने लगे तो घर वालों को सतर्क हो जाना चाहिए. अगर सावन जैन के घर वाले अपने लाडले को संभाल लेते तो उसे और उस के पिता व दादा को जेल न जाना पड़ता. देवालिका उर्फ काकू सुंदर भी थी और पढ़ाई में होनहार भी. जब बच्चे ऐसे हों तो मातापिता, नातेरिश्तेदार ऐसे बच्चों पर गर्व करते हैं. देवालिका पर भी सभी गर्व करते थे. वह मेरठ के एक प्रतिष्ठित स्कूल में 12वीं की पढ़ाई कर रही थी. छुट्टी के दिन को छोड़ कर, सुबह स्कूल जाना, दोपहर में वापस आना और शाम को स्कूटी से ट्यूशन जाना, यही उस की दिनचर्या थी.
देवालिका नौचंदी थाना क्षेत्र में नई सड़क स्थित एक ट्यूशन सेंटर में 4 से 6 बजे तक ट्यूशन पढ़ती थी. घर आने के बाद वह बाहरी दुनिया से प्रत्यक्ष ताल्लुक कम ही रखती थी. घर वाले भी यही चाहते थे कि उन की बेटी केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे, ताकि किसी काबिल बन सके. देवालिका उत्तर प्रदेश के मेरठ की मोती प्रयाग कालोनी में रहने वाले प्रदीप कुमार यादव की बेटी थी. प्रदीप व उन की पत्नी रूबिया यादव मेरठ डिग्री कालेज में प्रोफेसर थे. प्रदीप यादव की 2 बेटियां थीं, जिन में देवालिका दूसरे नंबर की थी. बड़ी बेटी सुभि बीटेक की पढ़ाई कर रही थी. यादव दंपति उच्च शिक्षित थे, समाज में उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाता था. समयाभाव के चलते वे लोगों से ज्यादा मिलजुल नहीं पाते थे.
वे चाहते थे कि बेटियां भी उन्हीं की तरह उच्च शिक्षित हो कर अच्छा मुकाम हासिल करें. 6 अक्टूबर, 2014 की शाम को प्रदीप बहुत परेशान थे. उन की परेशानी की वजह थी देवालिका. दरअसल वह अपनी स्कूटी ले कर ट्यूशन पढ़ने गई थी, लेकिन वापस नही आई थी. चिंता की बात यह थी कि उस का मोबाइल भी बंद बता रहा था. बेटी के वापस न आने से पतिपत्नी दोनों ही परेशान थे. ऐसा पहली बार हुआ था कि उसे आने में इतनी देर हुई हो. अपने स्तर पर उन्होंने बेटी की खोजबीन शुरू की. प्रदीप के नातेरिश्तेदारों और परिचितों को यह बात पता चली तो उन्होंने भी खोजबीन में उन की मदद की.
जब रात गहराने लगी और बेटी का कोई पता नहीं चला तो उन्होंने थाना नौचंदी में देवालिका की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने उन्हें जल्द काररवाई करने का आश्वासन दिया. प्रदीप तरहतरह की आशंकाओं में डूबे हुए थे. इसी के मद्देनजर उन्होंने यह सोच कर आसपास के अस्पतालों में भी बेटी की तलाश की कि हो न हो वह किसी दुर्घटना का शिकार हो गई हो. लेकिन खोजबीन के बाद भी रात भर उस का कोई पता नहीं चल सका. अगले दिन प्रदीप के कालेज के शिक्षकों और अन्य लोगों ने एकत्र हो कर पुलिस से इस मामले में जल्द काररवाई करने को कहा. थानाप्रभारी ने इस घटना की जानकारी आला अधिकारियों को दे दी.
मामले की गंभीरता को भांप कर एसएसपी ओंकार सिंह ने अपने अधीनस्थ अफसरों को जल्द काररवाई करने को कहा. साथ ही पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश व सीओ (सिविल लाइन) शिवराज सिंह ने पीडि़त परिवार से मिल कर देवालिका के बारे में जानकारी एकत्र की. देवालिका की बरामदगी की मांग को ले कर शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल एसएसपी से मिला और देवालिका की जल्द से जल्द बरामदगी न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी. इस पर एसएसपी ने खुद पूरे मामले की मानीटरिंग शुरू कर दी.
पुलिस ने सब से पहले देवालिका का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की काल डिटेल्स हासिल की. उस की काल डिटेल्स से पता चला कि गत दिवस शाम को लापता होने से पहले एक नंबर पर उस की आखिरी बार बात हुई थी. पुलिस ने सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से उस मोबाइल नंबर का पता निकलवाया तो वह नंबर मेरठ के ही थाना सदर बाजार के अंतर्गत आने वाले बौंबे बाजार निवासी सावन जैन के नाम पर रजिस्टर्ड निकला. बढ़ते दबाव में काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस बिना समय गंवाए उस पते पर पहुंच गई. पता बिलकुल सही था, सावन जैन का ताल्लुक एक संपन्न घराने से था.
पूछताछ में पता चला कि वह शहर के ही एक स्कूल में 12वीं का छात्र था. उस के पिता राजीव जैन दवा कारोबारी थे. जबकि उस के दादा अपर जिलाधिकारी के पद से रिटायर हुए थे. घर पर पुलिस आई तो सावन के दादा ने भी बात की और उस के पिता भी वहां आ गए. उन लोगों ने बताया कि सावन अपनी बुआ के घर सरधना गया हुआ है. सावन के घर वालों को विश्वास में ले कर पुलिस ने सब से पहले सावन के मोबाइल नंबर की पुष्टि की. जिस नंबर पर देवालिका की बात हुई थी, वह नंबर उसी का था. सरधना मेरठ से ज्यादा दूर नहीं था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम सरधना जा पहुंची.
पुलिस ने पूछताछ की तो सावन ने यह बात तो मान ली कि वह देवालिका को अच्छी तरह जानता था और गत दिवस शाम को देवालिका से उस की बात हुई थी, लेकिन वह कहां है, इस बारे में उस ने कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया. जब पुलिस ने उस से कहा कि देवालिका कल शाम से गायब है तो वह चौंकते हुए बोला, ‘‘कहां गई वह?’’
‘‘यह तो तुम ही बता सकते हो, उस से आखिरी बार तुम्हारी ही बात हुई थी.’’ पुलिस के इस सवाल पर सावन निर्भीक हो कर बोला, ‘‘बात जरूर हुई थी, लेकिन मैं यह बात कैसे बता सकता हूं कि वह कहां गई.’’
‘‘तो फिर यह बता दो कि उस से तुम्हारी क्या बात हुई थी?’’ पुलिस ने सवाल किया तो सावन बोला, ‘‘कुछ खास नहीं. पहले हम दोनों एक ही क्लास और एक ही स्कूल में पढ़ते थे. इस साल मैं ने स्कूल चेंज कर लिया था, लेकिन हमारी बातें होती रहती थीं. कल भी उस से मेरी सामान्य बात हुई थी. उस ने मुझे बताया था कि वह ट्यूशन के लिए घर से निकली है और अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने जाएगी.’’
‘‘कहां घूमने जाने की बात कर रही थी, कुछ बताया था उस ने?’’
‘‘नहीं. इस बारे में तो उस ने मुझे कुछ नहीं बताया था.’’ सावन का आत्मविश्वास गजब का था. उस की बातें पुलिस को सच लग रही थीं. अभी बात चल ही रही थी कि इसी बीच सावन के पिता बोले, ‘‘सर, हमारे नसीब अच्छे थे, जो हमारा बेटा बच गया.’’
‘‘मतलब?’’
‘‘सर, कल शाम इसे बदमाशों ने उठा लिया था, गनीमत यही रही कि वे इसे दिल्लीदेहरादून हाईवे पर छोड़ कर चले गए. दरअसल वे लोग किसी और का अपहरण करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने गलती से हमारे बेटे को उठा लिया था.’’ सावन के पिता की बात सुन कर पुलिस चौंकी. राजीव जैन ने जो बताया था उस के अनुसार 6 अक्टूबर की शाम सावन अपने दोस्त से मिलने के लिए सड़क किनारे खड़ा उस का इंतजार कर रहा था. तभी कुछ लोग उसे जबरन एक कार में डाल कर ले गए. रास्ते में उन्होंने उस से नामपता पूछा तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वह उसे दौराला थाना क्षेत्र में उतार कर चले गए. इस के बाद वह पैदल चल कर थाने पहुंचा.
पुलिस ने सूचना दी तो घर वाले वहां जा कर उसे अपने साथ ले आए थे. सावन से पूछताछ कर के पुलिस सरधना से वापस लौट आई. देवालिका के गायब होने से उस के घर वाले तो परेशान थे ही, साथ ही प्रदीप यादव के साथी शिक्षक भी गुस्से में थे. शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल एसएसपी ओंकार सिंह से मिला और उन्हें देवालिका का पता न लगने पर आंदोलन की चेतावनी दी. चूंकि देवालिका की अंतिम बात सावन से ही हुई थी, इसलिए वही मुख्य संदिग्ध था. पुलिस ने उस के बारे में लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उस की संगत अच्छी नहीं थी. पुलिस ने उस के मोबाइल की लोकेशन हासिल करने के साथ ही देवालिका के मोबाइल की लोेकेशन भी निकलवाई.
पुलिस ने दोनों की लोेकेशन का मिलान किया तो चौंकी, क्योंकि देवालिका की अंतिम लोकेशन भी दौराला थाना क्षेत्र में ही पाई थी. इस का मतलब सावन व देवालिका साथसाथ थे. सावन का परिवार प्रभावशाली था, इसलिए पुलिस बिना सुबूतों के उस पर हाथ डालने से कतरा रही थी. यह आश्चर्य की ही बात थी कि बदमाशों ने सावन को उसी थाना क्षेत्र में छोड़ा था, जहां देवालिका की लोकेशन मिली थी, यह घटना हकीकत में घटी थी या कोई ड्रामा भर था, इस का अंदाजा लगाना इसलिए मुश्किल हो रहा था, क्योंकि सावन दौराला थाने गया था और अपने अपहरण की कहानी पुलिस को बताई थी.
अलबत्ता लापता होने वाली शाम को देवालिका के साथ बातचीत और उस के साथ मिली लोकेशन ने उसे संदिग्ध जरूर बना दिया था. मेरठ से दौराला जाने वाले हाईवे पर राष्ट्रीय राजमार्ग का टोल प्लाजा पड़ता था. वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. पुलिस ने वहां जा कर सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो यह बात साफ हो गई कि देवालिका व सावन एक ही स्कूटी से दौराला की तरफ गए थे. उस वक्त शाम के करीब 6 बजे थे. पुलिस ने इस फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि जिस स्कूटी से देवालिका ट्यूशन गई थी, वह दौराला क्षेत्र में लावारिस हालत में सड़क किनारे खड़ी है. पुलिस ने उस स्कूटी को बरामद कर लिया.
देवालिका कहां थी, इस का सुराग अब सिर्फ सावन ही दे सकता था. पुलिस टीम उस के घर पहुंची और उसे हिरासत में ले कर थाने लौट आई. सावन नई पीढ़ी का ऐसा चालाक युवक था, जिस ने पूरे आत्मविश्वास से झूठ बोल कर पुलिस को चकमा दे दिया था. इस बार भी उस ने ऐसी ही कोशिश की तो पुलिस ने उस से नरमी बरतनी बंद कर दी. इस बार वह टूट गया. पूछताछ में उस ने जो हकीकत बताई, उस ने पुलिस के रोंगटे खड़े कर दिए. वह झांसा दे कर देवालिका को न सिर्फ अपने साथ ले गया था, बल्कि उस की हत्या कर के उस के शव को जंगल में फेंक आया था. निस्संदेह सावन के मासूम चेहरे के पीछे खतरनाक इरादों वाला एक हैवान छिपा था.
देवालिका की लाश बरामद होनी जरूरी थी. सावन ने अपने बयान में बताया था कि उस ने देवालिका की लाश सरधना दौराला मार्ग पर जंगल में फेंकी थी. पुलिस उसे ले कर उस जगह पहुंची, जहां उस ने हत्या कर के लाश फेंकने की बात बताई थी, लेकिन वहां लाश नहीं मिली. पुलिस ने उसे ले कर घंटों जंगल में छानबीन की, लेकिन लाश का कोई नामोनिशान नहीं मिला. इस से पुलिस को लगा कि लाश या तो कोई जंगली जानवर उठा ले गया होगा या फिर सावन शातिराना ढंग से पुलिस को भटका रहा होगा. पुलिस ने उसे थाने ला कर उस से फिर से गहराई से पूछताछ की. लेकिन कभी वह देवालिका की लाश को जंगल में फेंकने की बात कहता तो कभी नहर में. कभी वह कहता कि वह देवालिका के साथ मारपीट कर के उसे वहीं छोड़ आया था.
देवालिका की हत्या और शव न मिलने से शिक्षकों व शहर के लोगों में आक्रोश भर गया था. इस के विरोध में शिक्षक, छात्रछात्राएं तथा सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. उन्होंने विरोध प्रकट करने के लिए मानव शृंखला बना कर जाम लगा दिया. शिक्षकों ने एसएसपी ओंकार सिंह का घेराव कर के उन्हें देवालिका की लाश बरामदगी के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया. लोगों का गुस्सा और भी भड़क सकता था, इसलिए अगले दिन यानी 8 अक्टूबर को पुलिस सावन को ले कर फिर जंगल में पहुंचीं. एसएसपी ओंकार सिंह, एसपी (सिटी) ओमप्रकाश और एसपी (देहात) एमएम बेग भी पुलिस टीम के साथ थे. एसएसपी के आदेश पर अन्य थानों का पुलिस बल भी खोजबीन में लगा दिया गया.
पुलिस ने सघन तलाशी अभियान चलाया. गंगनहर पुल के आसपास सारा जंगल खंगाला गया, लेकिन न तो देवालिका की लाश मिली और न ही उस का मोबाइल. मामला चर्चित हो चुका था. घटना की गंभीरता के मद्देनजर मेरठ जोन के आईजी आलोक शर्मा के आदेश पर इस जांच में सीओ (क्राइम) मनीष मिश्रा को भी लगा दिया गया. बड़ा सवाल यह था कि अगर सावन ने देवालिका के शव को जंगल में फेंका था तो वह आखिर गया कहां. इस से पुलिस को संदेह हुआ कि कहीं सावन के घर वालों ने ही उसे बचाने के लिए शव को गायब तो नहीं करा दिया. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने सावन और उस के घर वालों को आमनेसामने बैठा कर भी पूछताछ की.
तब तक पुलिस सावन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 363 व 201 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर चुकी थी. खाफी खोजबीन के बाद आखिर 9 अक्टूबर की सुबह पुलिस ने सरधना मार्ग पर मढियाई गांव के नजदीक से देवालिका की लाश बरामद कर ली. लाश सड़ने लगी थी. देवालिका का शव मिलने की सूचना पर आईजी आलोक शर्मा, एसएसपी ओंकार सिंह, एसपी सिटी ओमप्रकाश और एसपी देहात एमएम बेग भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने लाश कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. पोस्टमार्टम में उस की मौत का कारण गला दबाने से दम घुटना बताया गया. देवालिका की मौत से हर कोई गमजदा था. उसी शाम उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. उस की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए.
शमशान घाट पर जिलाधिकारी पंकज यादव, एसएसपी ओंकार सिंह भी पहुंचे. सैंकड़ों लोगों ने मोमबत्तियां जला कर देवालिका को श्रद्धांजलि दी. सावन से हुई विस्तृत पूछताछ में देवालिका हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी कुछ इस तरह निकली. बड़े कारोबारी राजीव जैन के 2 बेटे थे, बादल और सावन. छोटा होने की वजह से सावन सब का लाडला था. उस के दादा वेदप्रकाश एसडीएम रह चुके थे, रसूखदार आदमी. परिवार की रईसी सावन के सिर चढ़ कर बोलती थी. वह अपने अंदाज में जिंदगी जीता था. उस ने स्कूल में अपने ही जैसे दोस्तों की मंडली बना रखी थी. वह इस मंडली का ग्रुप लीडर था. वर्ष 2013 में देवालिका उस की सहपाठी थी.
एक ही क्लास में होने की वजह से उस की देवालिका से दोस्ती हो गई थी. यह कोई हैरानी की बात नहीं थी. देवालिका होनहार लड़की थी. उम्र के नाजुक दौर से गुजर रही देवालिका दोस्ती के मामले में सावन को पहचानने में धोखा खा गई. दरअसल, धीरेधीरे सावन उसे दोस्ती से भी बढ़ कर कुछ और मानने लगा था. देवालिका उस की इस सोच से पूरी तरह अंजान थी. सावन को उस का दूसरे लड़कों से बात करना तक पसंद नहीं था. सावन की आदतें बिगड़ी हुई थीं. फेसबुक, हुक्काबार, दोस्ती और मौजमस्ती जैसी बातें उस की जिंदगी का हिस्सा थीं. घर में पैसे की किसी प्रकार की कमी नहीं थी. वह जब चाहता था, उसे पैसा मिल जाता था. इस से उस की आदतें और भी बिगड़ गई थीं.
दोस्तों के बीच उस की गिनती बिगड़े रईसजादों में होती थी. घर वालों से पैसे वसूलने के लिए उस ने कभी अपने अपहरण का नाटक किया तो कभी अन्य हथकंडे अपनाए. एकदो बार बात पुलिस तक भी पहुंची, पर पुलिस ने हर बार उसे छात्र समझ कर छोड़ दिया. लेकिन इन सब बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ा. नतीजा यह हुआ कि सावन ने इस आजादी का मतलब कुछ गलत ही निकाल लिया.वह निरंकुश होता गया. पढ़ाई के अलावा उस का ज्यादातर वक्त दोस्तों, मोबाइल या इंटरनेट पर बीतता था. कहते हैं जब संतान पटरी से उतरती दिखाई दे तो उसे समझाने के साथसाथ अन्य तरीकों से पटरी पर लाने की कोशिश करनी चाहिए.
सावन के घर वालों ने भी ऐसा किया, पर उस ढंग से नहीं, जैसा करना चाहिए था. उन का लाड़प्यार हमेशा इस के आड़े आ जाता था. खराब आदतों के चलते सावन को 11वीं के बाद स्कूल से निकाल दिया गया. उस ने 12वीं में दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया. इस से उस का स्कूल जरूर बदल गया, लेकिन उस ने अपने दोस्तों से कोई दूरी नहीं बनाई. दूर रह कर भी वह दोस्तों के जरिए देवालिका पर नजर रखे रहा. मोबाइल पर दोनों की बातें भी होती रहती थीं और दोनों कभीकभी मिल भी लिया करते थे.
इसी बीच जब सावन को पता चला कि देवालिका की दोस्ती कुछ अन्य लड़कों से हो गई है तो यह बात उसे नागवार गुजरी. उस ने देवालिका से नाराजगी प्रकट की तो उस ने उसे समझाया, ‘‘किसी से बात कर लेने का मतलब दोस्ती नहीं होता. मैं तुम्हें दोस्त मानती हूं. तुम्हें अपने दिमाग में इस तरह की बातें नहीं लानी चाहिए.’’
देवालिका ने समझाया जरूर, लेकिन सावन को उस की बातें समझ में नहीं आईं. दरअसल वह मन ही मन उस से एकतरफा प्यार करता था. इसी वजह से वह उस पर शक करने लगा. ऐसी स्थिति में देवालिका को उस से किनारा कर लेना चाहिए था, लेकिन वह सावन को समझने की भूल कर रही थी. ज्यादा टोकाटाकी पर सावन की देवालिका से कई बार झड़पें भी हुईं. इस के बाद देवालिका ने सावन से दूरी बनानी शुरू कर दी. इस से सावन को लगने लगा कि वह उस से दूर जा रही है और इस की वजह दूसरे लड़कों से उस की दोस्ती है. इन बातों ने उसे विचलित कर दिया. अपनी रईसी को ले कर उसे इस बात का गुरूर था कि देवालिका के लिए उस से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई दूसरा नहीं होना चाहिए.
उसे ले कर वह पूरी तरह जुनूनी हो चुका था. उस की गलत सोच और दोस्ती के मुद्दे पर दोनों में कई बार टकराव हुआ. जब सावन को हालात अपने अनुकूल नहीं लगे तो उस ने मन ही मन देवालिका को सबक सिखाने की ठान ली. उस ने सोच लिया कि अगर वह उस के कहे अनुसार नहीं चली तो उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा देगा. यह घृणित निर्णय करने के बाद उस ने मनमुटाव त्याग कर देवालिका को विश्वास में लेने के लिए उस से बातचीत शुरू कर दी. अपनी योजना के अनुरूप सावन ने मानमनौव्वल कर के देवालिका से मिलने का आग्रह किया. हालांकि यह ठीक नहीं था, पर वह उस के जाल में फंस गई. दोनों ने तय किया कि वह दोनों 6 अक्तूबर की शाम को मिल कर बातें करेंगे.
सावन ने उस से कहा कि शाम के वक्त वह उसे कैंट इलाके में सोफिया स्कूल के बाहर खड़ा मिलेगा. 6 तारीख को देवालिका प्रतिदिन की तरह ट्यूशन के लिए घर से निकली. उस ने 4 से 5 बजे वाला ट्यूशन तो पढ़ा, लेकिन 5 से 6 बजे वाला ट्यूशन पढ़ने के बजाय वह सावन के बताए स्थान पर पहुंच गई. वहां सावन पहले ही उस का इंतजार कर रहा था. स्कूटी पर बैठ कर वे हाईवे पर चल दिए. दौराला पार कर के दोनों सड़क किनारे स्थित एक रेस्टोरेंट में पहुंचे. वहां सावन ने उसे समझाने की कोशिश की कि वह अन्य लड़कों से दोस्ती न रखे. 7 बजे के बाद दोनों वहां से वापस आए और दौराला से सरधना की तरफ गंगनहर वाले पटरी मार्ग पर चल दिए. रास्ते में दोनों बातचीत करने के लिए गंगनहर के एक पुल पर रुक गए. वह जगह एकदम सुनसान थी. सावन ने एक बार फिर देवालिका से कहा, ‘‘तुम मेरी बात समझ गई न?’’
‘‘ठीक है मैं समझ गई, लेकिन वैसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो. कोई क्लास का लड़का है तो बात तो करनी ही पड़ती हैं.’’
‘‘चलो ठीक है, लेकिन याद रखना मुझे अगर कुछ ऐसावैसा पता चला तो मैं कुछ भी कर सकता हूं.’’
‘‘सावन, यह ठीक है कि मैं तुम्हें दोस्त मानती हूं. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि मुझ पर इस तरह हक जताओ.’’ देवालिका ने नाराजगी जाहिर की. इसी बीच देवालिका के मोबाइल पर किसी के मैसेज की बीप बजी तो सावन ने उस के हाथ से मोबाइल ले लिया. उस मैसेज को पढ़ कर सावन की त्यौरियां चढ़ गईं. वह गुस्से में भड़क कर बोला, ‘‘मैं जिस लड़के से बात करने को मना कर रहा हूं, वही मैसेजबाजी कर रहा है. जबकि तुम कह रही हो कि कोई ज्यादा मतलब नहीं है.’’
‘‘अगर उस ने मैसेज भेजा है तो मैं क्या कर सकती हूं?’’
‘‘मैं तुम्हें किसी और की नहीं होने दूंगा. बंद करो अपनी बकवास.’’ सावन ने कहा तो देवालिका को उस की बातों से गुस्सा आ गया. उस ने कह दिया, ‘‘मैं तुम्हारी गुलाम नहीं हूं समझे.’’
‘‘लगता है, तुम ऐसे नहीं मानोगी. मुझे तो तुम्हारे चरित्र पर ही शक हो रहा है.’’ सावन ने कहा तो देवालिका को उस की बात पर ताव आ गया. उस ने सावन के गाल पर एक चांटा जड़ दिया. थप्पड़ लगते ही वह बिलबिला उठा. वह पहले से ही खार खाए बैठा था. सावन यह सोच कर आया था कि अगर देवालिका ने उस की बात नहीं मानी, तो उसे सबक सिखा देगा. थप्पड़ ने उस के गुस्से को आसमान पर पहुंचा दिया. उस ने भी बदले में देवालिका के मुंह पर मुक्का जड़ दिया. मुक्का लगते ही उस की नाक से खून बह निकला.
‘‘मैं ने कहा था न कि मैं कुछ भी कर सकता हूं, अब मैं तुझे सबक सिखाता हूं.’’ कहते हुए उस ने देवालिका को पीटना शुरू कर दिया. इस पर वह विरोध करते हुए चिल्लाई तो सावन ने उस का गला पकड़ लिया.
देवालिका इतनी ताकतवर नहीं थी कि उस का मुकाबला कर सकती. वह बचाव के लिए बहुत छटपटाई, पर सावन हैवान बन चुका था. उस ने देवालिका के गले पर अपने पंजे कस दिए. फलस्वरूप जरा सी देर में देवालिका ने छटपटा कर दम तोड़ दिया. सावन ने उस की लाश खींच कर पटरी किनारे झाडि़यों में फेंक दी. हत्या के बाद सावन ने खुद को बचाने के लिए अपना दिमाग चलाया तो उस के दिमाग में खुद के अपहरण के नाटक का आइडिया आया. ऐसा वह पहले भी कर चुका था. नई योजना के तहत उस ने देवालिका की स्कूटी को सरधना मार्ग से आ कर दौराला हाईवे पर सड़क किनारे खड़ा कर दिया और थाने जा कर अपने अपहरण की मनगढ़ंत कहानी पुलिस को सुना दी.
पुलिस ने इस मामले की सूचना उस के घर वालों को दे दी. उस के घर वाले थाना दौराला आ गए और सावन को अपने साथ मेरठ ले आए. सावन घर तो आ गया, लेकिन वह पूरी रात सो नहीं पाया. अगले दिन उस ने अपने पिता व दादा को एक और नई कहानी बताई. उस के अनुसार वह अपनी दोस्त देवालिका के साथ दौराला की तरफ गया था. रास्ते में कुछ लोगों ने उस के साथ मारपीट की और देवालिका को साथ ले गए. इस बीच उस के पिता व दादा दोनों को इस बात का अहसास हो गया था कि सावन उन से कोई बात छिपा रहा है.
वह उसे ले कर उस की बताई जगह पर भी गए. जब शक के आधार पर पुलिस सावन से पूछताछ करने उस के घर पहुंची थी तो उसे बचाने के लिए उन्होंने यह बात पुलिस से छिपा ली थी. सावन को उम्मीद थी कि अगर पुलिस को उस पर शक हुआ भी तो भी इस कहानी से वह साफ बच जाएगा. इस में उस के घर वालों का प्रभाव और पैसा भी काम आएगा, लेकिन उस की सोच गलत साबित हुई. पुलिस ने सावन के दादा वी.पी. जैन और पिता राजीव जैन को भी साक्ष्य मिटाने व साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने सावन का मैडिकल परीक्षण भी कराया, जिस में उस की उम्र 18 साल 2 महीने पाई गई.
अगले दिन तीनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. सावन की बिगड़ी प्रवृत्तियों के चलते जहां देवालिका बेमौत मारी गई, वहीं सावन की करतूत से जैन परिवार की 3 पीढि़यां एक साथ जेल पहुंच गईं. उस का अपना भविष्य तो चौपट हो ही गया. देवालिका ने अगर सावन जैसे बिगड़ैल लड़के पर भरोसा कर के दोस्ती न की होती तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती. वहीं सावन को भी उस के परिवार ने समय रहते संभाल लिया होता तो 3-3 लोग सलाखों के पीछे नहीं होते. आधुनिकता, जवानी के वेग, संस्कारों व नैतिक शिक्षा के अभाव में हुई यह दुखद घटना आज की पीढ़ी के लिए एक बड़ा सबक जरूर है. कथा लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हो सकी थी. UP Crime News
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि