Mumbai News: मुंबई में बैग छीनने और जेब काटने की ट्रेनिंग देने वाले मुन्नाभाई ने अपने चेलों के साथ जयपुर के जौहरी बाजार से 2 बार में लाखों का माल लूट तो लिया लेकिन उस ने ऐसी कौन सी गलती की कि पकड़ा गया. नवंबर का आधा महीना बीत चुका था. गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी थी. देवउठनी एकादशी के बाद सावे शुरू हो चुके थे, इसलिए राजस्थान के गुलाबी नगर जयपुर की बाजारों में काफी भीड़भाड़ थी. यहां का जौहरी बाजार दुनिया भर में मशहूर है. इस बाजार को हीरेजवाहरातों और रत्नों की मंडी भी कहा जाता है. यहां रोजाना करोड़ों रुपए का कारोबार होता है.
राजाओंमहाराजाओं के जमाने में बसे जौहरी बाजार में छोटीछोटी तमाम गलियां हैं, अलगअलग नामों से रास्ते हैं, जिन में सैकड़ों दुकानें हैं. जवाहरात व्यवसाय से हजारों लोग जुड़े हैं. खरड़ बेचने वालों से ले कर उन्हें तराशने और बेचने वाले हजारों लोगों की रोजीरोटी जवाहरातों की इस मंडी से जुड़ी है. यहां से पूरी दुनिया में हीरेजवाहरात निर्यात होते हैं, इसलिए तमाम लोग यहां दलाली भी करते हैं. राकेश पारिख भी जवाहरातों की दलाली करते थे. जयपुर की तख्तेशाही रोड पर स्थित कानोता बाग में देवी पथ पर रहने वाले राकेश पारिख छोटे से बैग में लाखों रुपए के हीरेजवाहरात ले कर घूमा करते थे. 15 नवंबर की शाम 7 बजे वह बदहवास हालत में थाना माणक चौक पहुंचे.
वह काफी घबराए हुए थे. गेट पर राइफल ले कर खड़े संतरी से उन्होंने थानाप्रभारी के बारे में पूछा तो संतरी ने एक कमरे की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘साहब अंदर बैठे हैं, चले जाइए.’’
राकेश तेज कदमों से चलते हुए सीधे थानाप्रभारी के कमरे में पहुंचे. थानाप्रभारी राम सिंह अपने 2-3 मातहतों के साथ किसी मसले पर चर्चा कर रहे थे. अनजान आदमी को कमरे में देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘कहिए, क्या काम है?’’
घबराए राकेश ने कहा, ‘‘साहब, मैं लुट गया. मुझे इंचार्ज साहब से बात करनी है.’’
थानाप्रभारी राम सिंह ने राकेश पारिख को कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘मैं ही थानाप्रभारी हूं, आप आराम से बैठ कर पूरी बात बताइए. आप के साथ क्या हुआ?’’
थानाप्रभारी के कहने पर राकेश पारिख कुर्सी पर बैठ गए. लेकिन उन के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. उन की जुबान सूख गई थी. उन की हालत देख कर थानाप्रभारी ने उन्हें पानी पिलवाया तो उन्होंने कहा, ‘‘साहब, मेरा नाम राकेश पारिख है. मैं जवाहरातों की दलाली करता हूं. आज बाजार में लुटेरों ने मुझे लूट लिया.’’
राकेश को सांत्वना देते हुए थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘आप के साथ क्या और कैसे हुआ, विस्तार से बताइए? मैं यकीन दिलाता हूं कि पुलिस आप की हरसंभव मदद करेगी.’’
थानाप्रभारी के सांत्वना देने पर राकेश के अंदर थोड़ा साहस आया. उन्होंने कहा, ‘‘शाम साढ़े पांच बजे के करीब मैं मोती सिंह भौमियो के रास्ते बैग ले कर एक व्यापारी के पास जा रहा था. बैग में कीमती हीरेजवाहरात और नकद रुपए थे. चंद्रमहल कौंप्लैक्स के बाहर 7-8 लोगों ने मुझे घेर लिया. मैं कुछ समझ पाता, तभी किसी ने पीछे से मेरे हाथ से बैग छीन लिया. उन लोगों ने मुझे इस तरह गुमराह कर दिया कि मैं कुछ नहीं कर सका. जब वे लोग निकल गए तो मैं चिल्लाया ‘पकड़ो-पकड़ो’, लेकिन तब तक वे सभी अपना काम कर के निकल चुके थे.’’
इतना कहतेकहते राकेश रुआंसे हो गए. उन्होंने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘उन लोगों ने मुझे बरबाद कर दिया साहब.’’
ध्यानपूर्वक राकेश पारिख की बातें सुन रहे थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘आप बरबाद कैसे हो गए?’’
‘‘साहब, मेरे उस बैग में 50 लाख रुपए के हीरेजवाहरात और 20 लाख रुपए नकद थे.’’ राकेश ने सिर पकड़ कर कहा.
राकेश पारिख की बात सुन कर थानाप्रभारी राम सिंह सन्न रह गए. जौहरी बाजार में दिनदहाड़े 70 लाख रुपए की इस तरह की लूट होना हैरानी की बात थी. दिन भर जगहजगह पुलिस की गश्त होने की वजह से जौहरी बाजार में आमतौर पर इस तरह की वारदातें नहीं होतीं. इसलिए थानाप्रभारी सहित वहां मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों को राकेश पारिख की बात पर एकबारगी विश्वास नहीं हुआ. लेकिन एकदम से अविश्वास भी नहीं किया जा सकता था. थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों एडीशनल डीसीपी (उत्तर) ज्ञानचंद यादव एवं माणक चौक सर्किल के एसीपी आलोक शर्मा को घटना की सूचना देने के साथ इस घटना की असलियत का पता लगाने के लिए सबइंसपेक्टर राजेश कुमार और तेजतर्रार हैडकांस्टेबल हरिओम सिंह को राकेश पारिख के साथ घटनास्थल पर भेज दिया.
सबइंसपेक्टर राजेश कुमार ने राकेश पारिख के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर चंद्रमहल कौंप्लैक्स के आसपास के व्यापारियों से पूछताछ की तो वहां इस तरह की कोई लूट होने की किसी ने पुष्टि नहीं की. हां राकेश पारिख की ‘पकड़ो-पकड़ो’ की आवाज सुनने की बातें 2-4 व्यापारियों ने जरूर स्वीकार की. इस के बाद सबइंसपेक्टर राजेश कुमार और हैडकांस्टेबल हरिओम सिंह ने थाने वापस आ कर थानाप्रभारी राम सिंह को सारी बातें बताईं. सबइंसपेक्टर की बातें सुन कर थानाप्रभारी के सामने पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई. राकेश पारिख 70 लाख रुपए की लूट की बात कह रहे थे. जबकि घटनास्थल पर घटना की पुष्टि नहीं हो रही थी. उन्होंने मामले की तह तक पहुंचने के लिए राकेश पारिख से विस्तार से सारी बातें बताने को कहा.
राकेश पारिख ने उस दिन की अपनी दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘साहब, घर से भोजन करने के बाद मैं स्कूटर से पहले गणेशजी के मंदिर गया. इस के बाद मोतीडूंगरी के जैन मंदिर दर्शन कर के अन्य काम करता हुआ दोपहर करीब 3 बजे पीतलिया का चौक पहुंचा. वहां हीरावतजी से 6 लाख रुपए लिए. इस के बाद शाम करीब साढ़े 4 बजे पैदल ही नेशनल हैंडलूम के सामने से होते हुए मोती सिंह भौमियों का रास्ता पहुंचा.
‘‘वहां से रत्ना सागर होते हुए राजीव सौगानी के औफिस गया. निखिलजी को एक दिन पहले दिए हीरे के 10 सेट उन से वापस लिए. उन के यहां चाय पी और करीब आधा घंटे तक गपशप करने के बाद दूसरे व्यापारी के पास जा रहा था कि तभी चंद्रमहल के पास यह घटना घट गई.’’
राकेश ने थोड़ा रुक कर आगे कहा, ‘‘लुटेरे मेरा जो बैग छीन कर ले गए हैं, वह हरे रंग का था. उस बैग में हीरे के 10 सेट, कुंदन के 3 पेंडेंट सेट, 20 लाख रुपए नकद के अलावा चैकबुक, पिता गंगाराम पारिख के नाम का यूटीआई का एक चैक और मेरे परिचय पत्र की फोटोकौपी आदि रखी थी.’’
राकेश पारिख से मिली जानकारी के आधार पर थानाप्रभारी राम सिंह ने हीरावतजी और निखिलजी को फोन कर के इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने राकेश को 6 लाख रुपए नकद एवं हीरे के 10 सेट दिए थे या नहीं? दोनों से राकेश पारिख के बयान की पुष्टि होने पर थानाप्रभारी को विश्वास हो गया कि राकेश सच बोल रहे हैं. थानाप्रभारी राम सिंह गंभीर हो गए और तुरंत एक्शन लेते हुए जयपुर से बाहर जाने वाले रास्तों पर नाकेबंदी का आदेश दे दिया. इसी के साथ अलगअलग पुलिस टीमें गठित कर रेलवे स्टेशन. बसस्टैंडों के अलावा होटलों में पता लगाने के लिए भेज दिया. राकेश पारिख की रिपेर्ट थाना माणक चौक में अपराध संख्या 404/2014 पर भादंवि की धारा 392 के तहत दर्ज कर ली गई थी.
शुरुआती जांच से तय हो गया था कि राकेश पारिख के साथ हुई लूट की घटना झूठी नहीं थी. थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों के निर्देशन में अलगअलग पुलिस टीमें गठित कर उन्हें अलगअलग जिम्मेदारियां सौंप दी थीं. जांच दल में सबइंसपेक्टर राजेश कुमार, एएसआई कृष्ण कुमार, हैडकांस्टेबल हरिओम सिंह, कांस्टेबल विनीत कुमार, महावीर सिंह, संजय डांगी व रामनिवास को शामिल किया गया था. पुलिस टीमों ने घटनास्थल के आसपास की सीसीटीवी फुटेज व मोबाइल फोनों की लोकेशन के अलावा बड़े शहरों में इस तरह की लूट को अंजाम देने वाले गिरोहों के बारे में जानकारियां जुटाईं. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी ही थी कि उसी बीच 15 जनवरी, 2015 को वैसी ही एक और घटना घट गई.
जयपुर के थाना कानोता के मीणा पालड़ी के रहने वाले अशोक पटवा ने थाना माणक चौक में रिपोर्ट दर्ज कराई कि पटवागिरी का काम करने वाले ह ज्वैलरी के शोरूम से माल ले कर उन की धागा पुआई कर के लौटा देते थे. 15 जनवरी को उन्होंने एमआई रोड स्थित चमेली मार्केट से राहुल जैन से 50 चांदी के पेंडेंट पुआई हेतु लिए. शाम करीब सवा 5 बजे वह राहुल की दुकान से माल ले कर पैदल ही चले जा रहे थे. सवा छह बजे के करीब वह जौहरी बाजार स्थित बौंबे बूट हाउस के पास बरामदे में पहुंचे तो पीछे से 7-8 लोगों ने उन्हें घेर लिया और उन के हाथ से बैग छीन कर भाग गए. उन्होंने शोर मचाया, लेकिन तब तक लुटेरे भाग चुके थे.
जौहरी बाजार में 2 महीने में एक जैसी लूट की 2 घटनाएं घट जाने से पुलिस अधिकारी चिंतित हो उठे. हीराजवाहरात व्यवसायियों में भी असुरक्षा की बात उठने लगी. क्योंकि लुटेरों ने भीड़ाभाड़ वाले स्थानों पर शाम के समय जिस तरह से लूट की थी, वह जिगरा वालों का ही काम हो सकता था. दोनों वारदातों में ज्वैलरी व जवाहरात के व्यवसाय से जुड़े लोगों को निशाना बनाया गया था और दोनों ही बार लुटेरों की संख्या 7-8 होने की बात सामने आई थी, जिन्होंने व्यापारी को घेर कर बैग छीन लिया था. इस घटना के बाद पुलिस ने नए सिरे से रणनीति बनाई. दोनों मामलों की नए सिरे से जांच शुरू हुई. राकेश पारिख से लूट के मामले में सीसीटीवी फुटेज एक बार फिर से खंगाली गई. जांच टीम में शामिल हैडकांस्टेबल हरिओम सिंह को एक फुटेज में राकेश पारिख के आसपास 4-5 युवकों का घेरा नजर आया. इन में एक युवक मोबाइल फोन पर बातें करता दिखाई दिया.
इस से हरिओम सिंह को एक क्लू मिल गया. उन्होंने अपने संपर्क सूत्रों से सूचनाएं जुटा कर जांच आगे बढ़ाई. हरिओम सिंह ने उच्चाधिकारियों को सूचनाएं दे कर उन के निर्देशन में अपराध और अपराधियों की कडि़यां जोड़ीं. इन कडि़यों के आधार पर थाना माणक चौक पुलिस ने मुंबई में डेरा डाल दिया. जयपुर पुलिस की मेहनत रंग लाई और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की अंधी गलियों में चलने वाले लूट के एक ट्रेनिंग स्कूल का खुलासा हो गया. इसी के साथ मुंबई के ऐसे लुटेरे गिरोह का पता चला, जिस की कई राज्यों की पुलिस को तलाश थी. मुंबई में बदमाशों को लूट की ट्रेनिंग देने वाले कुख्यात सरगना मुन्नाभाई को भी गिरफ्तार करने में जयपुर पुलिस को सफलता मिली. मुन्नाभाई के अलावा 6 अन्य कुख्यात अपराधी भी पकड़े गए. ये अपराधी लूट की रकम को नशा और अय्याशी में उड़ाते थे.
रोजाना डांस बार में जाना और रुपए लुटाना इन के शौक थे. इन अपराधियों की बार डांसरों के अलावा कई अन्य लड़कियों से दोस्ती थी. उन्हीं लड़कियों पर ये लूट का पैसा खर्च करते थे. एकएक बदमाश का रोजाना का खर्च 10 से 15 हजार रुपए तक था. मुन्नाभाई के ये शागिर्द आपस में एकदूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते थे. उन्हें एकदूसरे का न तो असली नाम पता था और न ही पता ठिकाना. इस के बावजूद ये लोग गिरोह के रूप में वारदात करते थे. लूट की वारदात ये कोडवर्ड में करते थे. इन का कोडवर्ड होता था, जादू की मशीन. बैग छीनने को ये लोग कोडवर्ड में जादू करना कहते थे. शिकार को बाबू एवं धुर कहते थे. ये सिर्फ महानगरों में ही वारदातें करते थे. ये जिस शहर में वारदात करते थे, उस के बजाय आसपास के शहर में ठहरते थे. वहीं से वारदात करने वाले शहर में बस, ट्रेन या टैक्सी से जाते थे.
पहले ये ज्वैलरी, कीमती सामान और नकदी ले जाने वाले लोगों की रैकी करते थे. शिकार मिल जाने पर ये गिरोह बना कर उसे घेर लेते थे. इसी बीच एक बदमाश बैग छीन कर भाग जाता था तो उस के बाद बाकी के साथी पीडि़त को अपनी बातों में लगा लेते थे. जब उन का साथी निकल जाता था तो उसे तलाशने के बहाने वे भी रफूचक्कर हो जाते थे. काम हो जाने के बाद वे उस शहर को छोड़ कर सीधे मुंबई के लिए रवाना हो जाते थे. इस गिरोह की मुंबई के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की पुलिस को तलाश थी. इस गिरोह में मुंबई के छोटेबड़े सैकड़ों अपराधी हैं.
जयपुर पुलिस ने हीरेजवाहरातों की लूट के मामले में मुंबई के कापड़ बाजार माहिम के रहने वाले मुन्नाभाई उर्फ यूसुफ खान उर्फ मुन्ना सरकार के अलावा मुंबई में नाला सोपारा, ठाणे के रहने वाले नुमान अजीम शेख उर्फ इब्बू उर्फ बाबू उर्फ गब्बू, मुंबई में सुंदरनगर कालोनी शाही दर्शन बिल्डिंग अंधेरी ईस्ट के रहने वाले साजिद रियासत खान उर्फ इमरान उर्फ चिकना. मुंबई की बिस्मिल्ला चाल कमेटी साइन धारावी डिपो के रहने वाले राजू बाबू तांबे उर्फ रज्जाक, मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और आजकल मुंबई के माहिम दरगाह रेती बंदर के रहने वाले मोहम्मद नासिर, मूलरूप से कोलकाता और आजकल मुंबई ईस्ट में अंधेरी बस स्टौप मां महाकाली गुफा के पास रहने वाले सरफराज आलम उर्फ मोहन, मुंबई में जोगेश्वरी ईस्ट अंधेरी के रहने वाले अलताफ खान उर्फ सुजात को गिरफ्तार किया था.
पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि मुन्नाभाई मुंबई में लूट गिरोह से जुड़े बदमाशों को लूट के लिए हत्थी मार कर बैग छीनने और बचने के तरीके बताने की ट्रेनिंग देता था. वह अपने स्कूल में टे्रनिंग देने के साथ संगठित गिरोह भी चलाता था. इस के अलावा वह अन्य गिरोह के बदमाशों के साथ भी वारदात करता था. वह वारदात के समय अन्य बदमाशों के साथ ठहरता तो था, लेकिन वारदात में खुद शामिल नहीं होता.
59 वर्षीय मुन्नाभाई ने देश के विभिन्न शहरों में सैकड़ों वारदातें की थीं. वह 14 नवंबर को गिरोह के संचालक इब्बू उर्फ गब्बू और साजिद रियासत उर्फ चिकना समेत करीब 10 बदमाशों के साथ जयपुर आया था. ये सभी जयपुर में सिंधी कैंप, विधायकपुरी व हसनपुरा इलाके के 4 अलगअलग होटलों में ठहरे थे. होटलों में ठहरने के लिए मुन्नाभाई ने खुद का पहचान पत्र दिया था. इस से पहले 13 नवंबर को ये अजमेर गए थे, जहां एक रात रुक कर दरगाह में जियारत की थी. उस के बाद अगले दिन जयपुर आए थे.
नुमान अजीम शेख उर्फ इब्बू उर्फ बाबू उर्फ गब्बू का पिता अजीम शेख फिल्म यूनिट में स्पौट ब्वौय का काम करता था. इब्बू दसवीं फेल है. उस ने मुंबई के नेशनल उर्दू हाईस्कूल जोगेश्वरी से 2008 में पढ़ाई छोड़ दी थी. इस के बाद उस ने एयर कंडीशनर रिपेयरिंग का डिप्लोमा किया था, लेकिन मेहनत का काम उस से हो नहीं सका और वह अपराध की दुनिया में उतर गया. इब्बू के खिलाफ मुंबई के विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं. वह कई बार जेल जा चुका है. वह चरस, गांजा, स्मैक, कोकीन से ले कर तमाम नशे करता था. सन् 2010 में नशे के अपने साथियों से इब्बू को पता चला कि मुन्नाभाई मुंबई का सब से बड़ा बैग लिफ्टर है और अपना गिरोह चलाता है. इस के बाद वह माहिम की दरगाह पर मुन्नाभाई से मिला. इस के बाद मुन्नाभाई के साथ वारदात करने लगा.
सन 2010 में इब्बू ने अपने गिरोह के साथ दिल्ली के चांदनी चौक से करोड़ों रुपए का माल लूटा था. मुन्नाभाई को इब्बू चाचू कहता है, जबकि मुन्नाभाई की बीवी जरीना उसे भाई कहती थी. पत्नी नीलोफर इब्बू पर जान छिड़कती थी, लेकिन इब्बू के मोबाइल में कई लड़कियों के नंबर मिले हैं. साजिद रियासत खान उर्फ इमरान उर्फ चिकना दसवीं तक पढ़ा है. पिता रियासत खान कारपेंटरी का काम करते थे. साजिद ने शुरू में आइस क्यूब फैक्ट्री में काम किया, उस के बाद कैटरिंग, बैंक की रिकवरी, मोबाइल की दुकान से ले कर ज्वैलरी की दुकान तक पर काम किया. सन 2008 में वह अपराध के दलदल में आ धंसा.
उस के खिलाफ मुंबई के कई थानों में लूट के मुकदमे दर्ज हैं. 4 बार पकड़ा जा चुका है. कई बार जेल जा चुका है. उस की मुन्नाभाई से जब से जानपहचान हुई है, तब से गिरफ्तार होने पर वही उस की और उस के साथियों की जमानत कराता था. राजू बाबू तांबे उर्फ रज्जाक 18 साल से जेब काटने व बैग छीनने का काम कर रहा था. अपराध करतेकरते वह इतना शाहिर हो चुका था कि उसे अपनी छठी इंद्रिय से पता चल जाता था कि किस के बैग में कितना माल हो सकता है. बैग में रकम है या कोई कीमती चीज, वह बैग देख कर ही जान लेता था.
इन्हीं बदमाशों ने 15 नवंबर को जयपुर के जौहरी बाजार में राकेश पारिख का हीरे जवाहरातों व नकदी से भरा बैग लूटा था. इस के बाद ये तुरंत अजमेर चले गए थे और वहां से मुंबई. वहीं उन्होंने माल का बंटवारा किया. जनवरी में ये फिर जयपुर आए और इस बार अशोक पटवा को अपना शिकार बनाया. इब्बू और चिकना इतने शातिर हैं कि इन्होंने अपने गुरु मुन्नाभाई को भी चूना लगा दिया था. राकेश पारिख का बैग लूटने के बाद दोनों ने औटो से होटल जाने तक अपने साथियों की नजर बचा कर बैग से डायमंड के 6 नैकलेस एवं एक बगड़ी निकाल ली थी. इन में एक नैकलेस इब्बू ने अपने पास रख लिया था और एक नैकलेस चिकना को दे दिया था. बाकी के 4 नैकलेस और एक बगड़ी मुंबई पहुंच कर मकसूद उर्फ इमाम की मार्फत एक मारवाड़ी को बेच दिए थे.
नैकलेस और बगड़ी बेच कर मिले साढ़े 6 लाख रुपए दोनों ने आपस में बांट लिए थे. दूसरी ओर मुंबई पहुंच कर मुन्नाभाई ने राकेश पारिख के बैग से मिले माल का बंटवारा किया. उस में से 12 लोगों को उन के काम के हिसाब से रुपयों का बंटवारा किया गया. जयपुर पुलिस ने भले ही इस गिरोह के सरगना समेत 7 सदस्यों को पकड़ लिया है, लेकिन जब तक मुन्नाभाई जैसे लोग अपराधों की ट्रेनिंग देते रहेंगे, तब तक अपराध की विषबेल फलतीफूलती रहेगी. Mumbai News
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






