UP Crime News: प्रोफेसर की नौकरी छोड़ पूजा शकुन पांडेय संन्यासिनी बन गई. वह हिंदू महासभा से भी जुड़ी हुई थी. इस के बाद वह निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर बना दी गई. अब उसे अन्नपूर्णा भारती के नाम से जाना जाने लगा. महामंडलेश्वर बनने के बाद पूजा शकुन पांडेय ने अपना जीवन भले ही सनातन धर्म की सेवा के लिए समॢपत कर दिया था, लेकिन वह अपने प्रेमी अभिषेक गुप्ता को नहीं भुला सकी थी. प्रेमी को पाने की जिद एक दिन पूजा शकुन पांडेय को जेल की सलाखों के पीछे इस तरह ले गई कि…

कहते हैं इंसान की महत्त्वाकांक्षा या तो उसे शिखर पर पहुंचा देती है या शून्य पर ले आती है. बस फेर उस की सोच और नीयत का होता है. एक साधारण सी युवती पूजा शकुन पांडे कुछ ही सालों में धर्म के क्षेत्र में इतना आगे पहुंची कि देश के सब से बड़े अखाड़े ने उसे महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी और वह महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारतीपुरी बन गई.

ये सब संभव हुआ महत्त्वाकांक्षा के कारण. लेकिन बात वहीं आ गई, सोच और नीयत की. चूंकि महामंडलेश्वर जैसे रसूखदार और सम्मानित ओहदे पर पहुंचने के बाद भी अन्नपूर्णा भारती ने अपनी छोटी सोच के कारण कुछ ऐसा कर दिया कि आज हर कोई उस के नाम पर थूथू कर रहा है. पूरा माजरा समझने के लिए कहानी को पूरा जानना जरूरी है, जिस की शुरुआत कब और कैसे हुई, ये तो बाद में बताएंगे, लेकिन पहले उस घटना को जान लेते हैं जो 26 सितंबर, 2025 को हुई.

उत्तर प्रदेश के जिला हाथरस में सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव कचौरा निवासी अभिषेक गुप्ता (30) खैर तहसील में टीवीएस बाइक का शोरूम चलाते थे. उन्होंने 21 अगस्त, 2025 को ही टीवीएस का ये शोरूम खोला था. इस से पहले वह पिता के साथ कचौरा में ही आढ़त का कारोबार करते थे. वैसे तो उन के पापा नीरज गुप्ता आढ़त का ही कारोबार करते हैं, लेकिन यदाकदा जब काम थोड़ा कम होता था तो वह बेटे का हाथ बंटाने के लिए उस के शोरूम पर चले आते थे. वैसे बाइक शोरूम को अभिषेक ही अपने चचेरे भाई जीतू के साथ चलाते थे.

हाथरस के कचौरा गांव में रहने वाले अभिषेक के परिवार में मम्मीपापा के अलावा एक छोटा भाई आशीष गुप्ता व बहन है. कुल मिला कर उस का परिवार काफी संपन्न है. 26 सितंबर, 2025 शुक्रवार की रात करीब 9 बजे थे. अभिषेक अपने पापा नीरज गुप्ता व चचेरे भाई शिवांग गुप्ता उर्फ जीतू के साथ टीवीएस शोरूम को बंद कर के पहले रोडवेज बस से खेरेश्वर चौराहा स्थित बस अड्डे पर पहुंचे, जहां उन्हें सिकंदराराऊ अपने घर लौटने के लिए बस में सवार होना था.

बस आने पर पिता व चचेरा भाई जीतू तो बस में चढ़ गए. अभिषेक बस में सवार होने के लिए गेट की तरफ बढ़ा ही था कि तभी उस के समीप तेजी से एक बाइक आ कर रुकी. बाइक पर 2 लोग सवार थे. बाइक सवारों में से एक ने हेलमेट पहन रखा था. पिछली सीट पर बैठे युवक ने अभिषेक को निशाना साध कर 2 गोलियां मारीं. एक गोली अभिषेक के सिर पर लगी. गोली सिर में लगते ही अभिषेक लहरा कर जमीन पर गिर पड़ा.

सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ कि पिता नीरज गुप्ता व चचेरा भाई जीतू बस में सवार होने के कारण बाइक सवार बदमाशों के चेहरे व उन की बाइक का नंबर भी नहीं देख सके. बाइक सवार बदमाश जितनी तेजी से मौके पर आए थे, उतनी ही तेजी से गोली मार कर फरार हो गए. गोली चलते ही आसपास भगदड़ मच गई. आननफानन में पापा नीरज व भाई जीतू जितनी तेजी से बस में चढ़े थे, उतनी ही तेजी से नीचे उतरे और अभिषेक को खून से लथपथ पड़े देख कर उन का चीखना व रोना शुरू हो गया.

5 मिनट तक ऐसे ही अफरातफरी मची रही. जब नीरज गुप्ता को होश आया तो उन्होंने 112 नंबर पर पीसीआर को कौल कर दी. चूंकि खेरेश्वर चौक काफी व्यस्त और अहम इलाका है, वहां पुलिस की पीसीआर व पिकेट मौजूद रहती ही है. अगले 5 मिनट में पुलिस और पीसीआर दोनों वहां पहुंच गए. चूंकि अभिषेक खून से लथपथ था. उस की स्थिति गंभीर थी, इसलिए पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पहले उसे मैडिकल सहायता दिलाने को प्राथमिकता दी. पुलिस ने खून से लथपथ अभिषेक को उस के पापा व भाई की मदद से पुलिस की गाड़ी में डलवाया और तत्काल जे. एन. मैडिकल कालेज ले गए.

एमरजेंसी में डौक्टर ने तत्काल अभिषेक का परीक्षण शुरू कर दिया, लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी. क्योंकि अभिषेक के शरीर में किसी तरह की हरकत नहीं हो रही थी, इसीलिए डौक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस के बाद शुरू हुई पुलिस की औपचारिक काररवाई. पीसीआर पुलिस की सूचना पर स्थानीय थाने रोरावर के एसएचओ विजय सिंह और एसपी (सिटी) मृगांक शेखर पाठक व सीओ मयंक पाठक सूचना मिलने के बाद जे.एन. मैडिकल कालेज पहुंचने वाले सब से पहले अधिकारी थे. कुछ देर बाद ही अलीगढ़ के एसएसपी नीरज सिंह जादौन क्राइम व फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए.

फेमिली ने क्या बताया पुलिस को

एसएसपी नीरज सिंह जादौन ने क्राइम ब्रांच में तैनात सर्विलांस प्रभारी इंसपेक्टर विपिन कुमार को भी टीम के साथ मौके पर बुला लिया. सब से बड़ा सवाल था कि अभिषेक गुप्ता को गोली मारने वाले कौन लोग थे और उन का मकसद क्या था? बेटे की हत्या के बारे में नीरज गुप्ता ने अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों को भी सूचित कर दिया था, जिस के बाद कुछ ही समय में उन के परिजनों का अस्पताल में तांता लग गया. हालांकि नीरज गुप्ता बेटे की मौत से टूट गए थे और बेहद दुखी थे, लेकिन फिर भी उन्होंने बेटे के कातिलों के बारे में पूछे गए सवालों का जो जवाब दिया, उसे सुन कर तमाम पुलिस वाले भी सन्न रह गए. नीरज गुप्ता के आरोप बेहद संगीन थे, इसलिए एसएसपी नीरज सिंह जादौन ने तत्काल पुलिस की एक टीम गठित कर दी.

एसएसपी नीरज जादौन ने अभिषेक गुप्ता के शव का पोस्टमार्टम करने व घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ व मौके की जांच के आदेश भी दिए. उसी रात अभिषेक के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. अभिषेक के छोटे भाई आशीष ने एसएचओ विजय सिंह को हत्या का मामला दर्ज करने के लिए जो लिखित तहरीर दी, उस में 2 अज्ञात व 2 लोगों को नामजद किया गया. नामजद आरोपियों में अलीगढ़ के गांधी पार्क क्षेत्र के नौरंगाबाद निवासी पूजा शकुन पांडेय व उस के पति अशोक पांडेय के अलावा 2 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या करने का शक बताया गया था.

एसएचओ विजय सिंह ने उसी रात अपराध संख्या 321 पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1), 61(2), 351(3) में मुकदमा दर्ज कर जांच अपने हाथ में ले ली. नामजद पूजा शकुन पांडे के पति अशोक पांडेय को उसी रात हिरासत में ले लिया गया. जब वह जे.एन. मैडिकल कालेज अस्पताल में अभिषेक गुप्ता की हत्या का समाचार पा कर खैरखबर लेने पहुंचा था. परिवार ने उस पर पहले ही शक जताया था. इधर जब अभिषेक गुप्ता की हत्या के शोक में डूबे फेमिली वाले कचौरा गांव पहुंचे तो वहां विलाप शुरू हो गया. आसपास के इलाकों से व्यापारी व जानकार लोग मौके पर एकत्र हो गए.

अगले दिन दोपहर तक अभिषेक के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव को परिजनों को सौंप दिया. उसी दिन भारी जनसमूह की मौजूदगी में अभिषेक का अंतिम संस्कार कर दिया गया. तब आसपास के बाजार भी बंद रहे, क्योंकि गुप्ता परिवार इलाके में काफी प्रतिष्ठित था.

कैसे पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी

पुलिस ने अशोक कुमार पांडेय से जो पूछताछ की थी, उस के आधार पर यह बात साबित हो गई कि अभिषेक की हत्या अशोक कुमार पांडेय व उस की पत्नी पूजा शकुन पांडेय ने 2 लोगों को सुपारी दे कर कराई है. हालांकि पुलिस टीम ने रात में ही पूजा के अलीगढ़ स्थित गांधी पार्क आवास पर छापा मारा था, लेकिन तब तक वह फरार हो चुकी थी. पुलिस समझ गई पूजा शकुन पांडेय इस मामले में शामिल है. इसी के आधार पर एसएसपी नीरज जादौन ने एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया, जिस में रोरावर थाने के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों के साथ सर्विलांस टीम को भी शामिल किया गया.

अशोक पांडेय से 2 सुपारी किलर्स के फोन नंबर मिले थे, जिन्हें सर्विलांस पर लगा कर पुलिस टीम ने कातिलों का पीछा शुरू कर दिया. इन में से एक मोहम्मद फजल पुत्र मोहम्मद नसीर रोरावर थाना क्षेत्र के गोडा रोड, नीवरी गली नंबर 2 का रहने वाला था. उसे फोन की सर्विलांस की मदद से पहली अक्तूबर को मथुरा बाईपास पुल के नीचे से पकड़ लिया गया. उस के पास से .315 बोर का एक तमंचा व 2 कारतूस व करीब 7,100 रुपए बरामद हुए. ये वो बची रकम थी, जो उन्हें अभिषेक गुप्ता की सुपारी किलिंग के लिए एडवांस मिली थी.

उस से पूछताछ में पुलिस को हत्या के बारे में अहम जानकारी के साथ सुपारी किलिंग में उस के साथी आसिफ के बारे में पता चला. पुलिस टीम उसे लगातार ट्रैक कर रही थी. इसी दौरान अलीगढ़ डीआईजी ने आसिफ और पूजा शकुन पांडेय की गिरफ्तारी पर 50-50 हजार व एसएसपी अलीगढ़ की तरफ से 25-25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया गया. संयोग से पुलिस को आसिफ के मोबाइल की लोकेशन मिल गई और उसे 3 अक्तूबर, 2025 को पकड़ लिया गया. उस के पास से भी पुलिस को हत्या में प्रयुक्त हथियार व कुछ नकदी मिली. पुलिस टीम ने उस के बयानों से मेल के लिए अशोक पांडेय को रिमांड पर लिया.

दोनों को आमनेसामने बैठा कर पुलिस ने हत्याकांड की  सारी कडिय़ां जोड़ीं और दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. पुलिस को अब शिद्ïदत के साथ पूजा शकुन पांडेय यानी महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारतीपुरी की तलाश थी, जो लगातार अपने ठिकाने बदल रही थी. यूपी के कई जिलों गाजियाबाद, प्रयागराज, हरिद्वार दिल्ली और हरियाणा के बाद राजस्थान के भरतपुर में उस की लोकेशन पुलिस ने ट्रैस कर ली. अलीगढ़ पुलिस ने इस बार ऐसी घेराबंदी की, जिस से 10 अक्तूबर को पूजा शकुन पांडेय पुलिस के चंगुल में फंस गई.

गिरफ्तार होने के बाद पहले तो वह अभिषेक गुप्ता की हत्या से इंकार करती रही, लेकिन जब महिला पुलिस की सख्ती हुई तो वह सच को ज्यादा देर तक छिपा न सकी. महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारतीपुरी ने कुबूल कर लिया कि अभिषेक गुप्ता की हत्या उसी ने अपने पति व 2 सुपारी किलर्स मोहम्मद फजल व आसिफ से 3 लाख की सुपारी दे कर कराई थी, जिस में से एक लाख रुपए उस ने दोनों को एडवांस दिए थे.

पूजा ने क्यों कराई अभिषेक की हत्या

दरअसल, पहले से शादीशुदा लेकिन बाद में महामंडलेश्वर का पद लेने के लिए अपने पति अशोक पांडे से केवल कागजों पर तलाक देने वाली पूजा का कमउम्र के गबरू व अमीर नौजवान अभिषेक पर दिल आ गया था. वह उस के प्यार में पागल थी. दोनों 6 साल से प्रेमप्रसंग में थे. महामंडलेश्वर उस से शादी करना चाहती थी. वह अभिषेक को खुद से एक भी दिन दूर रखने के लिए तैयार नहीं थी.

अभिषेक की फैमिली को ये बातें पता चलीं तो उन्होंने अभिषेक को महामंडलेश्वर से दूरियां बनाने की नसीहत दी. फैमिली के कहने पर अभिषेक पूजा से दूरियां बनाने लगा. पूजा शकुन पांडेय ने अभिषेक को हासिल करने के लिए साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल शुरू कर दिया. इस वजह से अभिषेक पर न केवल 2 बार हमला कराया, बल्कि वह बाइक शोरूम में पार्टनरशिप भी मांगने लगी. मकसद सिर्फ एक ही था कि अभिषेक किसी भी तरह परेशान हो कर फिर से उस के पास आ जाए.

पूजा ने कई बार अभिषेक को वाट्सऐप कौल की, पुलिस की जांच में अभिषेक व पूजा के बीच संबंधों की बात सामने आई है. पूजा की ओर से आखिरी बार 27 अगस्त, 2025 को अभिषेक को कौल की गई. इस के बाद कई वाट्सऐप कौल किए गए, लेकिन अभिषेक उसे काट देता था. इस के चलते पूजा परेशान हो गई थी. वह तरहतरह से अभिषेक को ब्लैकमेल करती रही. चाहती थी कि अभिषेक उसी के साथ रहे. खैर में बाइक की किस्त को ले कर हुए विवाद में भी उस ने पैरवी करा कर अभिषेक के खिलाफ मुकदमा लिखाना चाहा था.

पूजा को जब घटना की जानकारी हुई तो वह खुद परिजनों के पास नहीं पहुंची. बल्कि अपने पति अशोक को हालात को भांपने के लिए भेज दिया. वहां परिजनों का गुस्सा देख कर अशोक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इस की सूचना मिलते ही पूजा फरार हो गई. उस ने फोन भी बंद कर लिया. इसी से पुलिस का शक उस पर और गहरा गया. पुलिस ने अपनी जांच में 150 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले, जिस में बाइक सवार आरोपी कैद हुए थे. एक ने हेलमेट लगा रखा था, दूसरे का चेहरा खुला था. बाद में इन की तलाश में 4 टीमें लगाई गईं. शूटरों ने खैर से ही अभिषेक का पीछा शुरू कर दिया था. खेरेश्वर चौराहे पर मौका मिलते ही उन्होंने उसे गोली मार दी.

महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती उर्फ पूजा शकुन पांडेय को इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अरजी मंजूर होने की आस थी. इसी आस में वह 15 दिनों तक 2,300 किलोमीटर तक भागी. उस ने अलीगढ़ में दायर अग्रिम जमानत अरजी वापस ले कर अगले दिन हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अरजी दायर कराई. खुद वह वकीलों के संग हाईकोर्ट तक गई थी. घटना वाली रात ही पूजा अलीगढ़ से भाड़े की कार से बुरका पहन कर पहले गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद के डासना आश्रम पहुंची.

जब पुलिस वहां पहुंची तो पता चला कि 27 सितंबर को तड़के ही उसे वहां से हरिद्वार भेज दिया गया. जब पुलिस हरिद्वार पहुंची तो पता चला कि 28 की शाम को उसे वहां से भी निकाल दिया गया. इस के बाद पुलिस पूरी तरह खाली हाथ थी. मगर तभी पुलिस को 7 अक्तूबर को यह खबर मिली कि पूजा शकुन के वकील ने सत्र न्यायालय में दायर की अग्रिम जमानत अरजी नौट प्रेस यानी बेल दिए जाने से इनकार के बाद वापस ले ली है. इस प्रक्रिया पर पुलिस का ध्यान गया, तब पुलिस ने करीबियों के नंबरों के जरिए जांच शुरू किया तो पता चला कि हरिद्वार से चल कर पूजा 29 सितंबर को मुरादाबाद पहुंची थी.

मुरादाबाद में 6 दिन रुकने के बाद 7 अक्तूबर की शाम को प्रयागराज भी गई. वहां उस ने अलीगढ़ से वापस कराई अग्रिम जमानत अरजी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की. इस के बाद वह वापस मुरादाबाद आई. यहां से 9 अक्तूबर को जयपुर रवाना हो गई, मगर जयपुर में रुकने के बजाय उस ने वापस आने का मन बना लिया. तभी पुलिस टीम 10 अक्तूबर की दोपहर उसे भरतपुर से पकडऩे में सफल हो गई.

पूजा ने इस बीच अपना नंबर कभी नहीं चलाया. न उसे साथ ले कर गई, मगर पुलिस ने अलीगढ़ व मुरादाबाद के जिन करीबियों के नंबरों का अध्ययन किया, उस जांच में यही आया कि पूजा ने हमेशा कभी कार चालक, कभी आटो चालक तो कभी होटल स्टाफ या किसी सरेराह चलते व्यक्ति का मोबाइल प्रयोग किया. कोई भी व्यक्ति महिला द्वारा परेशानी बताने पर मोबाइल प्रयोग करने को दे देता था. बस इसी सहारे पुलिस आगे बढ़ी, जिस से सफलता मिल गई.

कौन है पूजा शकुन पांडेय

पुलिस जांच में उजागर हुआ कि पूजा शकुन को उस के वकीलों ने यह समझा दिया था कि जब तक हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अरजी पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक गिरफ्तारी से बचना है. साथ में अलीगढ़ से इतनी दूरी पर रहना है कि जरूरत पड़े तो आसानी से समय पर अलीगढ़ पहुंचा जा सके. इसीलिए पूजा भरतपुर से वापस आगरा आ रही थी. पूजा शकुन पांडेय मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे की रहने वाली है. सेना के कैप्टन पद से वीआरएस लेने वाले पिता आर.आर. आजाद की बेटी पूजा पांडेय उत्तर प्रदेश में पलीबढ़ी. पूजा जब छोटी थी, तब सेना से वीआरएस लेने वाले पिता ने कायमगंज में अध्यापन शुरू किया. पूजा की स्कूलिंग कायमगंज में ही हुई. बाद में पिता हरियाणा के हिसार व फिर सहारनपुर पहुंचे.

वहां जैन डिग्री कालेज में प्राचार्य बने, वहीं से सेवानिवृत्त हुए. इसी बीच उस की इंटरमीडिएट व स्नातक की पढ़ाई हिसार व सहारनपुर में हुई. वह पढऩे में हमेशा मेधावी रही और कभी 80 प्रतिशत से कम अंक नहीं लाई थी.बाद में मेरठ विश्वविद्यालय से गणित में एमफिल करने के बाद गाजियाबाद के कालेज में खुद प्रोफेसर बन गई. इधर इन के एक भाई अलीगढ़ में ही कार्यरत हैं, इसलिए सेवानिवृत्त होने के बाद पिता कुछ दिन रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय में रहे. बाद में अलीगढ़ आ कर बस गए. गाजियाबाद में पढ़ाने के समय ही पूजा शकुन व अशोक पांडेय की मुलाकात कमलेश तिवारी से हो गई. बाद में अखिल भारत हिंदू महासभा में उन्हें राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया. मैनपुरी के किशनी कस्बा निवासी अशोक पांडेय से प्रेम संबंध होने पर दोनों ने प्रेम विवाह किया.

हालांकि परिवार ने विरोध भी किया, मगर बाद में मान गया. इसी बीच 2015-16 में गाजियाबाद से नौकरी छोड़ कर अशोक पांडेय संग अलीगढ़ आ कर बस गई. इस बीच यहां एक निजी कालेज में नौकरी की, मगर बाद में सामाजिक रूप से सक्रियता बढऩे के कारण यह नौकरी भी छोड़ दी. पूजा पहले गणित की टीचर थी और बाद में उस ने संन्यासी बनने का फैसला कर लिया. वह हिंदू धर्म और राजनीति में सक्रिय रही और हिंदू महासभा के कई प्रमुख पदों पर रही है. पूजा शकुन धार्मिक और सामाजिक विवादों को ले कर लगातार सुर्खियों में रहती थी.

पूजा शकुन पांडेय का पति अशोक पांडेय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संगठन के प्रचारप्रसार से जुड़ा रहा है. साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर उन की पहचान राजनीति और संगठनों में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में है. 2016 में वह हिंदू महासभा से सक्रिय रूप से जुड़ी और धीरेधीरे विवादित बयानों और गतिविधियों के चलते सुर्खियों में आ गई थी. गांधी के पुतले को गोली मारने का मामला हो या जुमे की नमाज पर पाबंदी की मांग, इन घटनाओं ने उसे लगातार चर्चा में बनाए रखा था. साल 2021 में निरंजनी अखाड़े ने उन्हें महामंडह्यलेश्वर की उपाधि दी थी.

संन्यास लेने से पहले पूजा शकुन पांडेय 2 बच्चों की मां बनी थी, जिन में बड़ा बेटा वर्तमान में दसवीं व छोटा आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है. मगर संन्यास ग्रहण करने के कारण उस ने पति को कागजों पर तलाक दे दिया. वैसे वो साथ ही रहता था.

कैसे हुई पूजा की अभिषेक से मुलाकात

बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी पति अशोक पांडे ने संभाली थी. घर में ही बगलामुखी माता का मंदिर बनवाया गया और इस के बाद से उस के अनुयायी और खुद पति भी उसे माता कह कर संबोधित करने लगे थे. अब बताते हैं कि पूजा और अभिषेक की मुलाकात कैसे हुई और वह उस के जाल में कैसे फंसा. दरअसल, पूजा की अपने पापा के गांव कचौरा में पैतृक जमीन थी. इस जमीन में पूजा को भी हिस्सा मिला. उस ने 2012-13 में इस जमीन पर मकान बनवाया. इस मकान का नाम ‘श्रीराम भवन’ रखा. अभिषेक की मम्मी उसी गांव की होने के नाते इस मकान की देखरेख करती थीं.

पूजा जब भी गांव जाती तो अभिषेक के परिवार से मिलती. अभिषेक को पाने के नाम पर पूजा उसे अपने साथ ले कर अलीगढ़ आ गई. पढ़ाई के दौरान अभिषेक गुप्ता प्राइवेट जौब करने लगा. इस दौरान वह पूजा के साथ गांधी पार्क के बी. दास कंपाउंड में उस के ही मकान में साथ रहता था. साध्वी बनने के बाद पूजा यानी अन्नपूर्णा भारती ने अलीगढ़ के गांधी पार्क क्षेत्र के बी. दास कंपाउंड में अपने पिता के नाम पर मकान बनाया. अभिषेक लगभग 9 साल तक अलीगढ़ में पूजा के साथ रहा. पूजा और अशोक के सारे कामकाज अभिषेक ही देखता था. लेकिन 6 महीने पहले अभिषेक और पूजा के बीच अनबन हो गई.

अभिषेक ने पूजा और अशोक से दूरी बना ली. दरअसल, पूजा सुडौल शरीर और दमकते चेहरे की मालकिन थी. उधर अभिषेक भी बेहद आकर्षक व सुर्दशन व्यक्तित्त्व का स्वामी था. न जाने कब कैसे पूजा और अभिषेक एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए. दोनों के बीच कब जिस्मानी रिश्ते बन गए, कुछ पता ही नहीं चला. एक बार जब ये रिश्ते बने तो पूजा पूरी तरह अभिषेक पर आसक्त हो गई. अभिषेक गुप्ता परिवार का बड़ा बेटा था. मम्मीपापा पहले उस की शादी करना चाहते थे, मगर पूजा ने ऐसा नहीं होने दिया. वे जब भी उस पर शादी का दबाव डालते, वह पूजा के दबाव में मना कर देता. इसलिए पेरेंट्स को छोटे बेटे की शादी पहले करनी पड़ी.

10 दिसंबर, 2024 को छोटे भाई आशीष की शादी हुई थी. इस में पूजा और अशोक पांडेय भी आए थे. इस शादी में पूजा ने भी अभिषेक की मैचिंग वाली पिंक ड्रेस पहनी और उस के साथ जम कर डांस भी किया. इस शादी के बाद पहली बार परिवार को दोनों के बीच अवैध रिश्तों की बात पता चली. जिस के बाद पेरेंट्स ने अभिषेक को समाज की ऊंचनीच समझाई तो बात उस की समझ में आ गई. इधर अशोक पांडेय को भी इस बात का पता चल चुका था कि अभिषेक व पूजा के नाजायज संबध हैं, इसलिए एकदो बार उस की अभिषेक से लड़ाई भी हो गई थी. चूंकि अशोक पांडेय जानता था कि भले ही वह पूजा के साथ रहता है, लेकिन कागजों में उस का पूजा से तलाक हो चुका है.

वैसे भी पूजा के प्रभाव और उस के सख्त मिजाज व जिद के आगे अशोक खुद को बेबस पाता था. इधर, परिवार के समझाने का असर ये हुआ कि अब अभिषेक पूजा से कटने लगा था, लेकिन पूजा लगातार अभिषेक पर साथ रहने और शादी करने का दबाव बनाने लगी थी. वह अभिषेक को अपने साथ अलीगढ़ में ही रहने पर मजबूर करती. उसे घर नहीं जाने देती थी. अभिषेक अब पूजा से परेशान हो गया था. इसीलिए उस ने अलीगढ़ में उस के घर जाना बंद कर दिया और उस का नंबर भी ब्लौक कर दिया. इस के बाद बाइक शोरूम खोला.

बन गया अभिषेक को ठिकाने लगाने का प्लान

पूजा द्वारा उस पर शादी का दबाव बनाने की बात भी अभिषेक ने अपनी मम्मी को बता दी थी और अगस्त महीने में अभिषेक ने टीवीएस बाइक का शोरूम खोल लिया. कई तरह की प्रताडऩा और दबाव के बावजूद जब अभिषेक पूजा के पास वापस आने को तैयार नहीं हुआ तो पूजा ने तय कर लिया कि वह उसे किसी और का भी नहीं होने देगी. इस काम में पूजा की मदद की मोहम्मद फजल व आसिफ ने. फजल रोरावर का रहने वाला था और वैल्डिंग का काम करता था. 7-8 साल से वह उस के पति अशोक पांडेय को जानता था. जब पूजा ने अपना मकान बनवाया था तो वैल्डिंग का काम फजल ने ही किया था.

अगस्त के शुरुआती हफ्ते में जब फजल अशोक पांडेय के घर वैल्डिंग का कुछ काम करने गया तो अशोक पांडे ने उस से कहा कि एक लड़के की हत्या करानी है, क्या वह किसी शूटर से मिलवा सकता है. इस के बदले वे पैसा देंगे. दरअसल, अशोक पांडेय भी दिल से चाहता था कि पूजा खुद ही अभिषेक को रास्ते से हटवा दे. फजल ने अशोक पांडेय के प्रपोजल पर उस से कहा कि वह इस काम में उस की मदद करेगा. इस के बाद फजल ने अपने एक दोस्त आसिफ से इस बारे में बात की तो उस ने हामी भर दी. लिहाजा कुछ दिन बाद फजल व आसिफ की अशोक पांडेय व पूजा शकुन पांडेय से उन के आवास पर एक मीटिंग हुई. उन्होंने अभिषेक की फोटो दिखा कर व सारी बता बता कर उस की हत्या करने के लिए 3 लाख रुपए में सौदा फिक्स कर दिया. यह सितंबर, 2025 के शुरुआत की बात है.

अशोक पांडेय ने दोनों को ले जा कर अभिषेक का शोरूम व घर सब दिखा दिए, लेकिन फजल व आसिफ जब भी रास्ते में अभिषेक को मारने का प्लान बनाते तो कुछ अड़चन आ जाती. आखिरकार 26 सितंबर को उन्हें मौका मिल गया और उन्होंने बस अड्डे पर काफी इंतजार के बाद गोली मार कर अभिषेक की हत्या कर दी. कितनी हैरत की बात है कि महामंडलेवर बनने के बाद जिस पूजा पांडेय ने कभी अपना जीवन ‘सनातन धर्म’ को समर्पित करने का फैसला किया था. वह एक

युवक के प्यार में उसे पाने के लिए इतनी अंधी हो गई कि उस ने खुद ही पतन की राह चुन ली.

कभी सरकारी नौकरी करने वाली पूजा ने जब अपनी नौकरी छोड़ी तो अपने पिता के नाम पर बने एनजीओ ‘अहसास’ (आजाद हिंद सामाजिक कल्याण सोसाइटी) की स्थापना की. यह एनजीओ उस ने पिता के नाम पर पंजीकृत कराया और वह इस की बनी, जबकि उस के पति अशोक पांडेय इस के प्रमोटर हैं. इस के एक साल के भीतर ही वह हिंदू महासभा में शामिल हो गई थी. साल 2017 में पूजा ने कट्टर हिंदूवादी महिला साध्वी के रूप में अपनी छवि बदलनी शुरू की. 2018 में पूजा शकुन पांडेय गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में साध्वी अन्नपूर्णा बन गई.

इस के बाद वह निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई. इस के बाद से जहां भी वह जाती, उस का भगवा वस्त्र, लंबी रुद्राक्ष माला और एक बड़ा लाल तिलक सम्मान का पात्र बन जाता. 15 अगस्त, 2018 को मेरठ में उस ने खाप पंचायतों या फिर कहें तो शरिया अदालतों की तर्ज पर एक अस्थायी हिंदू अदालत की स्थापना की और इसे सनातन हिंदू न्यायपीठ नाम दिया. वह इस की पहली ‘मुख्य न्यायाधीश’ बनी. उस ने कई दीवानी मामलों का आपसी सहमति से निपटारा किया और लोगों ने इस का पालन भी किया.

कहते हैं बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा. पूजा शकुन पांडेय यानी महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के साथ ऐसा ही हुआ. 2019 को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन के पुतले को एयरगन से गोली मारने का उस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिस ने उसे राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर दिया. अखिल भारतीय हिंदू महासभा की पूजा पांडेय ने अपने साथियों के साथ मिल कर गांधीजी के पुतले पर 3 गोलियां चलाईं, पेट्रोल छिड़क कर पुतले को फूंका और मिठाई बांटी. इतना ही नहीं, इस दौरान ‘गोडसे जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए. जिस के बाद उसे खूब शोहरत मिली. इस के बाद से हिंदूवादी संगठनों के बीच पूजा को ‘लेडी गोडसे’ कहा जाने लगा.

इस घटना के बाद पूजा शकुन ने मीडिया को बताया कि उस के संगठन ने हत्या का ‘रिक्रिएशन’ कर के नई परंपरा की शुरुआत की है और अब दशहरा पर राक्षस राजा रावण के उन्मूलन के समान इस का अभ्यास किया जाएगा. नाथूराम गोडसे के सम्मान में हिंदू महासभा महात्मा गांधी पुण्यतिथि को शौर्य दिवस के रूप में मनाती है. हालांकि बाद में सोशल साइट पर वीडियो और तसवीरें सामने आने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली. एफआईआर में हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन और उस के पति अशोक पांडेय सहित 13 लोगों का नाम लिखा गया है. बाद में सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

पूजा शकुन पांडेय बीजेपी के दिग्गज नेताओं के साथ दिख चुकी है. अपने फेसबुक पोस्ट में पूजा शकुन पांडेय मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ भी नजर आ चुकी है. इस फोटो को 19 मार्च, 2017 को पोस्ट किया गया था, मगर अब शायद इसे हटा लिया गया है. पूजा निरंजनी अखाड़े से निष्कासित की जा चुकी है. प्रयागराज के श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने अन्नपूर्णा भारती को 4 अक्तूबर, 2025 को निष्कासित कर दिया था. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा था कि महिला साध्वी का कृत्य सनातन परंपरा के खिलाफ है. UP Crime News

—कथा आरोपियों व पीडि़तों के बयान पर आधारित

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