Love Story in Hindi: प्राची खूबसूरत भी थी और अल्हड़ भी. वह लंच बौक्स सप्लाई का काम करती थी. इसी बीच उस की मुलाकात समीर रोहितकर से हुई और वह अपने पति से तलाक ले कर उस की हो गई. लेकिन बाद में जब प्राची की जिंदगी में प्रसाद मांडवकर आया तो…
25 वर्षीय प्रसाद प्रकाश मांडवकर मराठी दैनिक अखबारों का फ्रीलांस रिपोर्टर और फोटोग्राफर था. काम की वजह से उस के घर आनेजाने का कोई निश्चित समय नहीं था. लेकिन जब कभी लौटने में देरी होती थी, तो वह फोन कर के अपनी मां राधा को घर लौटने का समय बता देता था. रोजाना की तरह उस दिन सुबह भी वह काम पर जाने के लिए घर से तो निकला लेकिन वापस नहीं लौटा. जब वह न खुद आया और न उस का कोई फोन आया तो उस की मां राधा ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ था. प्रसाद प्रकाश जिस पेशे में था, उस में देरसवेर होना या फोन बंद मिलना आम बात थी. इसलिए उस की मां राधा ने उसे दोबारा फोन नहीं किया.
लेकिन जब रात के 12 बज गए तो राधा को चिंता हुई. उस ने दोबारा बेटे का फोन ट्राई किया, लेकिन उस का फोन अब भी बंद था. देरसवेर भले ही हो जाती थी लेकिन ऐसा कभी नहीं होता था कि लगातार फोन बंद रहे. ऐसी स्थिति में राधा की परेशानी स्वाभाविक ही थी. राधा का मन नहीं माना तो वह बेटे की तलाश में घर से निकल पड़ी. उस ने अपनी चाल और बस्ती के रहने वाले प्रसाद प्रकाश के सारे दोस्तों से उस के बारे में पता किया. उस के एक दोस्त समीर ने उसे बताया कि प्रसाद रात 8 बजे के करीब उसे मिला था. लेकिन उस के बाद वह कहां गया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है.
राधा ने अपनी जानपहचान वालों और नातेरिश्तेदारों से भी फोन पर संपर्क कर के बेटे के बारे में पूछताछ की. जब प्रसाद मांडवकर के बारे में कहीं से कोई खबर नहीं मिली तो उस की मां राधा बुरी तरह घबरा गई. उस की चिंता बढ़ गई और भूखप्यास मर गई. किसी अनहोनी की आशंका से राधा के दिमाग में तरहतरह के विचार आने लगे. उस की घबराहट बढ़ती जा रही थी, निगाहें घर के दरवाजे पर टिकी हुई थीं. बाहर जरा सी भी आहट होती तो वह लपक कर घर के दरवाजे पर आ जाती. लेकिन जब कोई दिखाई नहीं देता तो मायूस हो कर अंदर चली जाती.
बेटे के लौटने की आशा लिए प्रसाद की मां राधा ने जैसेतैसे रात बिताई. सुबह होते ही वह अपने घर वालों के साथ थाना ताड़देव पहुंची और वहां मौजूद पुलिस अफसर से सारी बात बता कर प्रसाद मांडवकर की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. यह 7 जनवरी, 2015 की बात है. शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने वायरलेस से यह सूचना अन्य थानों को दे दी. 8 जनवरी, 2015 को सुबह लगभग 10 बजे मुंबई के उपनगर घाटकोपर स्थित तिलक नगर पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर भगवत सोनावले को किसी राहगीर ने फोन पर जानकारी दी कि घाटकोपर-मानखुर्द रोड स्थित पी.डब्ल्यू.डी. कंपाउंड, तिलक ब्रिज के पास एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी है.
सूचना मिलते ही तिलक नगर पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर भगवत सोनावले ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया और यह खबर कंट्रोल रूम को देने के बाद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से महज एक किलोमीटर दूर था इसलिए पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगी. इस बीच इस घटना की खबर पूरे इलाके में फैल गई थी और घटनास्थल पर काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो चुकी थी. पुलिस ने भीड़ को वहां से हटा कर घटनास्थल का निरीक्षण किया. लाश को ठीक से देखने के बाद पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से उस की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका.
इस से यह बात स्पष्ट हो गई थी कि मृतक उस इलाके का रहने वाला नहीं था. निस्संदेह हत्यारों ने कहीं दूसरी जगह से ला कर वहां उस की हत्या की थी. मृतक के सिर और गले पर किसी तेजधार वाले हथियार के गहरे घाव थे. सीनियर इंसपेक्टर भगवत सोनावले अभी घटना का निरीक्षण और वहां मौजूद लोगों से पूछताछ कर ही रहे थे कि सूचना पा कर क्राइमब्रांच के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर सदानंद दाते, अपर पुलिस कमिश्नर के.एम. प्रसन्ना, एडिशनल पुलिस कमिश्नर धनंजय कुलकर्णी, असिस्टैंट कमिश्नर प्रफुल्ल भोसले और क्राइम ब्रांच यूनिट-7 के सीनियर इंसपेक्टर वांकट पाटील, इंसपेक्टर संजय सुर्वे, असिस्टेंट इंसपेक्टर अनिल ढोले अपने सहायकों के साथ घटना पर पहुंच गए. सभी ने तिलकनगर पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया.
इंसपेक्टर भगवत सोनावले ने घटनास्थल की जांच पड़ताल और औपचारिक काररवाई पूरी कर के मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल भेज दिया. शव के कपड़ों की तलाशी ले कर उन्होंने सील कर के अपने कब्जे में ले लिया. तत्पश्चात वे थाने लौट आए. थाने लौट कर वह मृतक की शिनाख्त में जुट गए. क्योंकि बिना उस की शिनाख्त के तफ्तीश की दिशा तय करना संभव नहीं था. इधर क्राइम ब्रांच यूनिट-7 के सीनियर इंसपेक्टर व्यंकट पाटील अपने सहायकों के साथ मामले की तफ्तीश और उस के विषय में विचारविमर्श कर रहे थे तो उधर क्राइम ब्रांच के उच्चाधिकारी भी चुप नहीं बैठे थे. एडिशनल कमिश्नर धनंजय कुलकर्णी को जब लगा कि मृतक की शिनाख्त जल्दी होना संभव नहीं है तो उन्होंने उस की लाश की फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी.
इस का जल्दी ही नतीजा निकला. मृतक का फोटो सोशल मीडिया पर आते ही दैनिक मराठी सामना के एक रिपोर्टर ने मृतक को पहचान कर क्राइम ब्रांच यूनिट-3 के सीनियर इंसपेक्टर अरविंद सावंत को बताया कि मृतक का नाम प्रसाद प्रकाश मांडवकर है और वह मुंबई सेंट्रल (पश्चिम) का रहने वाला है. रिपोर्टर ने यह भी बताया था कि उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट ताड़देव पुलिस थाने में दर्ज कराई गई है. उस रिपोर्टर की सूचना पर क्राइम ब्रांच यूनिट-3 के सीनियर इंसपेक्टर अरविंद सावंत ने मामले को तफ्तीश के लिए इंसपेक्टर अविनाश धर्माधिकारी, इंसपेक्टर दीपक चव्हाण, इंसपेक्टर संजय तिकुंव, सिपाही हसन मुजावर, नंद कुमार आड़ावकर, प्रकाश कोठालकर आदि को नियुक्त कर के इस की जानकारी एडिशनल कमिश्नर धनंजय कुलकर्णी और असिस्टेंट कमिश्नर प्रफुल्ल भोसले को दे दी.
इंसपेक्टर अविनाश धर्माधिकारी ने तुरंत अपने सहायकों को साथ लिया और ताड़देव पुलिस थाने से जानकारी ले कर मृतक प्रसाद मांडवकर के घर पहुंच गए. जब मृतक प्रसाद मांडवकर की फोटो उस की मां राधा को दिखाई गई तो वह सन्न रह गई और छाती पीटपीट कर रोने लगी. जांच अधिकारियों ने उसे सांत्वना दे कर समझाया और प्रसाद मांडवकर का शव लेने के लिए राजाबाड़ी अस्पताल भेज दिया. मृतक की शिनाख्त हो गई तो जांच अधिकारियों का आधा सिरदर्द खत्म हो गया. लेकिन अब जो समस्या सामने थी, वह मृतक प्रसाद मांडवकर के हत्यारों को ले कर थी. लेकिन यह समस्या भी शीघ्र ही हल हो गई. क्राइम ब्रांच ने इस रहस्य को सुलझाने के लिए मृतक की मां राधा से पूछताछ करने का फैसला किया.
इस बारे में राधा से पूछा गया तो उस ने बताया कि प्रसाद प्रकाश का न तो किसी से कोई लड़ाईझगड़ा था और किसी की देनदारी. यहां तक कि उस का कोई दुश्मन भी नहीं था. इस पर क्राइम ब्रांच के अफसरों ने राधा से प्रसाद के दोस्तों और रिश्तेदारों के पते और फोन नंबर लिए. लेकिन इस का कोई नतीजा नहीं निकला. क्राइम ब्रांच के पास अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा था कि प्रसाद मांडवकर के मोबाइल की सीडीआर (कौल डिटेल्स रिकौर्ड) चेक करे. जब उस के नंबर की सीडीआर निकलवाई गई तो उस के कई दोस्तों के नंबर सामने आए. जब उन नंबरों की गहराई से जांच की गई तो उन की नजर एक नंबर पर ठहर गई. वह नंबर प्रसाद के पड़ोस में रहने वाले उस के दोस्त समीर का था, जिस से वह गायब होने के कुछ घंटों पहले मिला था. उस ने प्रसाद माडंवकर की मां राधा को भी यही बताया था.
समीर ब्रीच कैंडी अस्पताल के सामने वाली इमारत में कार ड्राइवर की नौकरी करता था. समीर की पूरी कुंडली निकालने के बाद क्राइम ब्रांच ने उसे 10 जनवरी, 2015 को हिरासत में ले लिया. क्राइम ब्रांच के औफिस में ला कर उस से प्रसाद मांडवकर की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो पहले तो वह खुद को प्रसाद की हत्या से अनभिज्ञ बताता रहा. लेकिन वह जांच अधिकारियों के सवालों के आगे ज्यादा देर तक नहीं ठहर सका. अंतत: उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए प्रसाद मांडवकर की हत्या में सामिल अपने सभी साथियों के नाम पते बता दिए. समीर ने प्रसाद मांडवकर हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह काफी चौंकाने वाली थी.
31 वर्षीय समीर रोहितकर मुंबई सेंट्रल (पश्चिम) के जरीवाला चाल में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के पिता का नाम वसंत रोहितकर था. परिवार में उस के मातापिता के अलावा 2 बहने थीं. उस के पिता भी कार ड्राइवर थे. परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी. इसलिए समीर रोहितकर कुछ खास पढ़लिख नहीं पाया था. जब समीर जवान हुआ तो पिता वसंत रोहितकर ने उसे भी कार ड्राइवरी का लाइसेंस बनवा कर ब्रीच कैंडी अस्पताल के पास रहने वाले एक व्यापारी के यहां नौकरी पर रखवा दिया.
वह व्यापारी समीर रोहितकर को अपने बेटे की तरह मानता था. जब कभी वह मुंबई के बाहर जाता था, तो अपनी कार समीर रोहितकर की हिफाजत में छोड़ जाता था. समीर रोहितकर जिस चाल में रहता था, उसी चाल में प्रसाद मांडवकर और प्राची के परिवार भी रहते थे. प्राची का परिवार काफी गरीब था. उस के पति की कोई खास आमदनी नहीं थी. विवाह के बाद प्राची जब उस घर में आई थी तो घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. लेकिन शादी के बाद प्राची ने अपनी मेहनत और परिश्रम से घर की स्थिति को काफी हद तक संभाल लिया था. अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए वह हाउस कैटरिंग का काम करने लगी थी. वह अपने घर में अच्छा और स्वादिष्ट खाना बनवा कर काम धंधे वालों को पहुंचाने लगी थी.
प्राची जितनी सुंदर थी, उस से कहीं अधिक चंचल थी. उस ने महानगर पालिका के स्कूल से 8वीं पास की थी. उस की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह बहुत मिलनसार थी. वह जिस से भी बातचीत करती खुल कर करती थी और अपनी बातों से किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. शादी के बाद जब प्राची अपनी ससुराल आई थी, उस के कुछ दिनों बाद ही समीर का दिल उस पर आ गया था. सोतेजागते वह प्राची को ही सपने में देखने लगा था. वह जब भी कमसिन अल्हड़ प्राची को देखता तो उस के दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं. वह उस की नजदीकी पाने के लिए छटपटा उठता था.
कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. समीर रोहितकर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. प्राची एक कर्मठ महिला थी. वह अपने परिवार और घर की स्थिति को सुधारने के लिए हाउस कैटरिंग का काम करती थी, उसी हाउस कैटरिंग के सहारे समीर प्राची के करीब पहुंच गया. दरअसल समीर ने अपने घर का लंचबौक्स लाना बंद कर के प्राची का लंच बौक्स मंगवाना शुरू कर दिया. फिर इसी बहाने वह कभीकभी प्राची के घर भी खाना खाने जाने लगा. जल्दी ही वह उस के परिवार वालों से घुलमिल गया. जरूरत पड़ने पर वह उस के परिवार की आर्थिक मदद भी करने लगा था.
प्राची भी कोई बच्ची नहीं थी. वह समीर रोहितकर के मन की बातों को अच्छी तरह समझने लगी थी. समीर रोहितकर को अपनी तरफ आकर्षित होते देख कर धीरेधीरे वह भी उस की तरफ खिंचती चली गई. दोनों के दिलों में जब एकदूसरे के लिए प्रेम के अंकुर फूटे तो जल्दी ही वह समय भी आ गया, जब दोनों का एकदूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया. यह स्थित आई तो दोनों अपने आप को रोक नहीं पाए और मौका पाते ही एकदूसरे की बांहों में समा गए. दोनों ने एक ही झटके में सारी मर्यादाएं तोड़ डालीं. एक बार जब सीमाएं टूटीं तो फिर दोनों की नजदीकियां बढ़ती ही गईं. अब जब भी प्राची और समीर को मौका मिलता तो दोनों अपने तनमन की प्यास बुझा लेते. दोनों के बीच यह सिलसिला 2 साल तक चुपचाप चलता रहा. इस बीच उन के संबंधों के बारे में कोई नहीं जान सका.
इश्क और मुश्क अधिक दिनों तक छिपाए नहीं छिपता. धीरेधीरे पड़ोसियों में जब इस बात की चर्चा होने लगी तो उड़तेउड़ते यह खबर प्राची के परिवार और उस के पति के कानों तक भी जा पहुंची. हकीकत जान कर उस के पति के होश उड़ गए. प्राची के पति को यह बात तो मालूम थी कि समीर रोहितकर उस की पत्नी के हाथों के बने लंच बौक्स का खाना खाता है और उस के घर भी आताजाता है. लेकिन खाना खाने के बहाने समीर का उस की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध हो जाएगा, यह उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. मामला नाजुक था. शोरशराबे से बदनामी हो सकती थी. इसलिए उस ने प्राची को शांति से समझाना चाहा. लेकिन प्राची ने पति की बातों को न समझ कर पूरा घर सिर पर उठा लिया. वह उलटा अपने पति पर ही बरस पड़ी और उसे काफी खरीखोटी सुनाई. प्राची पर जब पति के समझाने का कोई असर नहीं हुआ तो उस के पति ने उसे तलाक दे दिया. यह बात 2005 की थी.
पति से तलाक होने के बाद प्राची भायखाला आ कर रहने लगी. यहां वह समीर रोहितकर से खुल कर मिलती थी. हालांकि समीर प्राची से शादी नहीं की थी, लेकिन दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे थे. समीर प्राची की सभी जरूरतों को पूरी करता था. उस के अलावा प्राची ने अपना कैटरिंग का काम भी चालू रखा था. समय पंख लगा कर उड़ता रहा. धीरेधीरे प्राची और समीर को साथसाथ रहते और मौजमस्ती करते हुए 8 साल गुजर गए. लेकिन 2013 में इस हवा का रुख बदला और प्राची समीर की बांहों को छोड़ कर प्रसाद मांडवकर की बांहों में आ गई. यह बात जब समीर रोहितकर को पता चली तो उस का खून खौल उठा. वह प्रसाद मांडवकर के खून का प्यासा हो गया.
प्रसाद मांडवकर भी उसी चाल में रहता था, जिस चाल में समीर रोहितकर रहता था. दोनों बचपन के दोस्त थे. दोनों एक साथ खेलेकूदे और जवान हुए थे. प्रसाद मांडवकर के पिता प्रकाश मांडवकर की मृत्यु हो चुकी थी. मां राधा ने उसे मेहनतमशक्कत करके पालापोसा और उसे पढ़ायालिखाया था. प्रसाद मांडवकर महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह पढ़लिख कर जवान हुआ तो उस का झुकाव नौकरी या किसी व्यवसाय की तरफ नहीं था. इस की जगह उस ने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया और मराठी दैनिक अखबारों में फ्रीलांस फोटोग्राफी और न्यूज रिपोर्टिंग करने लगा. धीरेधीरे उस की कई मराठी न्यूज रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों से जानपहचान हो गई.
प्रसाद मांडवकर ने जब कई बार प्राची और समीर रोहितकर को एकदूसरे से मिलतेजुलते मौजमस्ती करते देखा, तो उस का दिल भी प्राची के लिए धड़कने लगा. न चाहते हुए भी वह धीरेधीरे प्राची की तरफ झुकने लगा. प्राची की सुंदरता और उस के व्यवहार से प्रसाद मांडवकर की भी वही हालत हुई जो कभी समीर रोहितकर की हुई थी. फलस्वरूप प्रसाद मांडवकर का दिल भी प्राची की नजदीकियां पाने के लिए तड़प उठा. उस ने भी प्राची को पाने के लिए वही रास्ता अपनाया जो कभी समीर रोहितकर ने अपनाया था.
उस ने समीर रोहितकर से प्राची का मोबाइल नंबर ले लिया और अगले दिन ही अपने लिए प्राची का लंच बौक्स मंगवाने के बहाने उस से बातचीत शुरू कर दी. शुरूशुरू में प्राची ने प्रसाद मांडवकर को लंच बौक्स भेजने के अलावा उस की और कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब प्रसाद उस के लंच बौक्स और उस के रूप सौंदर्य की खुल कर तारीफ करने लगा तो प्राची को भी उस की बातें अच्छी लगने लगीं. नतीजतन वह भी प्रसाद की बातों का जवाब उसी की तरह देने लगी.
औरत हमेशा अपने रूप सौंदर्य और अपनी तारीफों की भूखी होती है. प्रसाद मांडवकर ने इस का लाभ उठाया. प्राची का प्रोत्साहन मिलते ही वह उस के करीब आने की कोशिश करने लगा. धीरेधीरे दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं. नजदीकियां बढ़ीं तो दोनों फोन पर खूब बातें करने लगे. इतना ही नहीं प्रसाद अब लंच बौक्स मंगाने के बजाए उसी के घर जा कर लंच करने लगा. कभीकभी वह उसे अपने साथ घुमाने भी ले जाने लगा. प्राची जब सुंदर स्वस्थ और मजबूत कदकाठी वाले प्रसाद मांडवकर की तरफ आकर्षित हुई तो समीर रोहितकर को वह नजरअंदाज करने लगी. प्राची को अब समीर रोहितकर की बांहों में वह आनंद नहीं मिलता था, जो प्रसाद मांडवकर की बांहों में मिलता था.
उसे अब समीर रोहितकर की बांहों से मजबूत बांहें प्रसाद मांडवकर की लगने लगी थीं. कुछ दिनों बाद जब समीर रोहितकर को प्रसाद मांडवकर और प्राची के मधुर संबंधों की जानकारी हुई तो वह बौखला उठा. इस बात को ले कर उस ने जब प्राची को आड़े हाथों लिया तो वह उस पर बरस पड़ी. उस ने समीर को बताया कि प्रसाद से उस का रिश्ता भाईबहन जैसा है. लेकिन समीर को प्राची की बातों पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ. वह यह बात अच्छी तरह जान चुका था कि प्रसाद मांडवकर और प्राची के बीच कुछ अलग ही तरह के संबंध हैं.
आखिरकार उन दोनों के रिश्तों की सच्चाई जानने के लिए समीर प्रसाद मांडवकर से मिला और उस के व प्राची के संबंधों के बारे में पूछा. साथ ही उस ने उसे अपने और प्राची के बीच से निकल जाने के लिए भी कहा. लेकिन प्रसाद ने उस की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि प्राची अब उस की प्रेमिका है. प्रमाण के लिए प्रसाद ने उसे अपने नजदीकी संबंधों के कुछ फोटोग्राफ्स भी दिखाए जिनमें वे दोनें साथसाथ थे. यह देखकर समीर ने गुस्से में कहा, ‘‘प्रसाद, यह तुम ने ठीक नहीं किया. दोस्त हो कर दोस्त की पीठ में छुरा घोंपना ठीक नहीं है.’’
इस बात पर प्रसाद को भी गुस्सा आ गया. वह बोला, ‘‘यह सब कहने से पहले अपने गिरेबान में झांको. तुम ने कौन अच्छा किया था? एक सीधेसादे आदमी का घरबार बरबाद करने वाले तुम ही थे न? वह कौन सी तुम्हारी पत्नी है जो तुम उस के लिए मरे जा रहे हो. जो तुम कर रहे हो वही मैं भी कर रहा हूं. इस में बुरा मानने वाली बात क्या है?’’
अपने घर लौट कर प्रसाद मांडवकर तो रिलेक्श हो गया लेकिन समीर रोहितकर को रातभर नींद नहीं आई. उसे प्रसाद मांडवकर की कही बातें कांटों की तरह चुभ रही थीं. रातभर सोचने के बाद उस ने प्रसाद को अपने और प्राची के बीच से निकाल फेंकने का खतरनाक फैसला कर लिया. लेकिन यह काम उस के अकेले के बस की बात नहीं थी. इसलिए उस ने इस काम में अपने 2 दोस्तों की मदद लेने की सोची. इस काम के लिए उस ने अपने दोस्त रोहित वंगर और जार्ज फर्नांडीस से बात की. दोनों उस के खास दोस्त थे. उस की बात सुन कर वह खुशीखुशी उस का साथ देने के लिए तैयार हो गए. जार्ज फर्नांडीस मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल के पास एक सैंडविच और जूस सेंटर पर नौकरी करता था, जहां समीर अकसर अपने मालिकों के लिए सैंडविच और जूस लेने आताजाता था.
यहीं पर रोहितकर से उस की दोस्ती हुई थी. जार्ज फर्नांडीस के पिता वहीं की एक इमारत में कार ड्राइवरी करते थे. वह अपने पिता के लिए उसी दुकान पर उन का लंच बौक्स ले कर आता था. सैंडविच और जूस सेंटर पर ही तीनों की मुलाकातें होती थीं. तीनों गहरे दोस्त बन गए थे. अब समीर रोहितकर को इंतजार था एक ऐसे मौके का जब वह अपना काम आसानी से कर सके. उसे यह मौका घटना वाले दिन मिल गया. संयोग से उस दिन समीर रोहितकर के मालिक किसी काम से मुंबई से बाहर चले गए थे. उन की कार 24 घंटों के लिए समीर के हाथों मे ंआ गई थी. निस्संदेह उस के लिए यह एक अच्छा मौका था. समीर रोहितकर ने जार्ज फर्नांडीस और रोहित वंगर से फोन पर बात की और प्रसाद मांडवकर को सारे गिले शिकवे भुला कर सैंडविच सेंटर पर आने के लिए कहा.
जिस वक्त प्रसाद मांडवकर सैंडविच सेंटर पर पहुंचा, उस समय समीर रोहितकर अपने मालिक की कार लिए खड़ा था. उस ने प्रसाद मांडवकर को बड़े प्यार से अपनी कार में बैठा लिया और इधरउधर की बातें करने लगा. इसी बीच समीर ने अपने दोस्त जार्ज फर्नांडीस को इशारा किया. जार्ज फर्नांडीस ने प्रसाद मांडवकर को पीने के लिए जूस का गिलास ला कर दिया जिस में योजनानुसार नींद की गोलियां मिली हुई थीं. जूस पीने के थोड़ी देर बाद जब उस पर खुमारी छाने लगी तो अपनी योजना के अनुसार समीर ने कपड़ा धोने वाले डिटर्जेंट के पाउडर और बोरिक ऐसिड से बनाया गया इंजेक्शन अपने दोस्तों की मदद से प्रसाद मांडवकर के गले में लगा दिया. उन का मानना था कि इस इंजेक्शन से प्रसाद मांडवकर की मौत हो जाएगी और किसी को उस की मौत के कारणों का पता भी नहीं चलेगा.
लेकिन जब उन की यह योजना फेल हो गई तो समीर बेहोश प्रसाद को देर रात गए अपने दोस्तों के साथ कार में ले कर चेंबूर, घाटकोपर, तिलक नगर इलाके की तरफ निकल गया. इन लोगों ने तिलक नगर पीडब्ल्यूडी कंपाउंड की सुनसान जगह पर जा कर प्रसाद मांडवकर को कार से बाहर निकाला और कंपाउंड की दीवार के सहारे सीधा खड़ा कर के उस के गले पर चापर से वार कर दिया. इस के बाद उन्होंने प्रसाद के कपड़ों की तलाशी ली. उन्होंने उस की जेब से शिनाख्त के सारे कागजात और उस का मोबाइल निकाल लिया और वहां से लौट आए.
समीर रोहितकर और उस के दोनों दोस्त यह मान कर चल रहे थे कि पहले तो प्रसाद मांडवकर की लाश किसी को मिलेगी ही नहीं और अगर मिल भी गई तो उस की शिनाख्त होनी असंभव थी. मगर यह उन की भूल थी. कुछ ही घंटों बाद किसी राहगीर ने लाश की सूचना तिलकनगर पुलिस थाने को दे दी थी. फलस्वरूप पुलिस ने उस की लाश बरामद कर ली थी. क्राइम ब्रांच ने समीर रोहितकर के साथसाथ उस के दोस्त रोहित वंगर ओर जार्ज फर्नांडीस को अपनी गिरफ्त में ले लिया. यह खबर जब प्राची को मिली तो वह सन्न रह गई. समीर बंसत रोहितकर, रोहित विश्वनाथ और जार्ज अरुण फर्नांडीस से विस्तृत पूछताछ करने के बाद क्राइम ब्रांच ने उन्हें महानगर मेटोपौलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. इस केस की जांच तिलकनगर पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर भगवत सोनावले कर रहे हैं. तीनों अभियुक्त जेल में हैं. Love Story in Hindi
कथा में प्राची का नाम काल्पनिक है और कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.






