Crime Story: खूबसूरत योगा टीचर मनजीत कौर मुख्तियार सिंह पंगाली को ऐसा भायी कि वह उस से प्यार करने लगा. वह भी मनजीत को भा गया तो दोनों ने घर वालों की मरजी से शादी कर ली. एक बेटी भी हो गई. दूसरा बच्चा होने वाला था, तभी ऐसा क्या हुआ कि मुख्तियार पत्नी का कातिल बन गया.
मनजीत कौर मूलत: पंजाब के लुधियाना के रहने वाले सिख रेशम सिंह और सुरिंदर कौर बसरा की बड़ी बेटी थी. रेशम सिंह 1972 में पंजाब से कनाडा आ कर बस गए थे. शुरू में वह आर्थिक मुश्किलों में गुजरे, लेकिन मनजीत के पैदा होते ही अचानक परिवार में आर्थिक खुशहाली आनी शुरू हो गई. इस के बाद कुछ ही सालों में इस परिवार की गिनती आर्थिक रूप से संपन्न लोगों में होने लगी. रेशम सिंह की 2 ही संतानें थीं, मनजीत और जैस्मीन. परिवार में मनजीत को विशेष स्नेह मिलता था. उस की हर छोटीबड़ी ख्वाहिश पूरी की जाती थी. उस के मुंह से निकलने भर की देर होती थी कि चीज फौरन हाजिर हो जाती थी. यह भी मायने नहीं रखता था कि वह महंगी है या सस्ती. इस की वजह यह थी कि उस के पैदा होने के बाद घर में आई समृद्धि. उसे परिवार के लिए भाग्यवान माना जाता था.
कहा जाता है कि ज्यादा लाडप्यार बच्चों को बिगाड़ देता है, पर मनजीत के मामले में इसे अपवाद ही कहा जाएगा. बचपन से ही वह हंसमुख और विवेकी थी. गलती से भी उस से ऐसी कोई गलती नहीं होती थी कि जिस की वजह से उसे डांट खानी पड़े. वह सुशील और गुणवान ही नहीं थी, बेहद खूबसूरत भी थी. उस की सूरत और सीरत एक जैसी थी. ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है. मनजीत पढ़ाई में भी मेधावी थी. प्रकृति से उसे बेहद लगाव था, स्वास्थ्य के प्रति भी वह काफी सचेत रहती थी. यही वजह थी कि 12वीं पास करने के बाद उस ने प्राकृतिक रूप से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का विचार किया. उस ने आगे की पढ़ाई के लिए योगा विषय को चुना.
मनजीत योगा टीचर बनना चाहती थी, जबकि घर वाले उसे डाक्टर बनाना चाहते थे. लेकिन उन्होंने अपनी इच्छा मनजीत पर थोपने की कोशिश नहीं की. घर वालों की ओर से अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने की उसे पूरी आजादी थी. क्योंकि परिवार वालों का उस पर अंधविश्वास था. सभी को विश्वास था कि मनजीत कभी ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस की वजह से परिवार वालों को किसी भी तरह की शर्मिंदगी उठानी पड़े. मनजीत ने भी घर वालों के इस भरोसे को कभी नहीं तोड़ा. उस ने भारतीय संस्कृति पर आधारित योगा इंस्टीट्यूट में एडमीशन ले लिया. 2 सालों का कोर्स करने के बाद डिग्री मिल गई तो उसे ग्रेड-1 योगा टीचर की नौकरी भी मिल गई. अब वह अपने पैरों पर खड़ी हो गई.
मनजीत कौर का काम ऐसा था कि उस से नएनए लोग मिलते रहते थे. उस का व्यक्तित्व ऐसा था कि एक बार वह जिस से मिल लेती थी, वह उस का मुरीद बन जाता था. इस से उस के तमाम दोस्त बन गए थे. उन्हीं में एक मुख्तियार सिंह पंगाली भी था. मुख्तियार पंगाली भी मूलत: पंजाब का ही रहने वाला सिख परिवार से था. मनजीत की ही तरह वह भी टीचर था. वह कैनेडियन स्कूल में गणित का टीचर था. वह अपने छोटे भाई सुखविंदर सिंह पंगाली के साथ वहां रहता था, जबकि बाकी का परिवार पंजाब में रहता था.
1995 में हुए इंडो-कैनेडियन टीचर समारोह में मनजीत कौर और मुख्तियार सिंह पंगाली की मुलाकात हुई थी. दोनों ही इस समारोह में शिरकत करने आए थे. इस समारोह में मनजीत का योगा पर आधे घंटे का वक्तव्य भी था. अधिकतर टीचर उसे पहचानते थे, क्योंकि वह अकसर स्कूलों में योगा के कैंप लगाती रहती थी. मुख्तियार पंगाली ने उस का नाम तो सुना था, लेकिन इस के पहले मुलाकात नहीं हुई थी. इस समारोह में पहली बार मुख्तियार सिंह ने मनजीत कौर को तब देखा था, जब वह बोलने के लिए मंच पर आई थी. मनजीत जितनी कुशल योगा सिखाने में थी, उतनी ही अच्छी इस विषय पर वक्ता भी थी. उस ने बोलना शुरू किया तो सभी मंत्रमुग्ध हो कर सुनते रहे. मुख्तियार उस से प्रभावित तो हुआ ही, उस की सुंदरता भी उसे भा गई.
समारोह समाप्त हुआ तो मुख्तियार खुद को मनजीत से मिलने से रोक नहीं पाया. दोनों ही सिख परिवार से थे और पंजाब के ही रहने वाले थे, इसलिए मनजीत को मुख्तियार का मिलना अच्छा लगा. दोनों में परिचय हुआ और थोड़ीबहुत बातचीत भी हुई. इस थोड़ी बातचीत में भी मुख्तियार उस की सुंदरता की तारीफ किए बिना नहीं रह सका. उस ने यह भी कहा, ‘‘यह हमारी आखिरी मुलाकात नहीं होगी, बल्कि मैं आप से आगे भी मिलना चाहूंगा. इसलिए अगर आप अपना मोबाइल नंबर और पता दे दें तो खुशी के साथ मेहरबानी भी होगी.’’
‘‘क्यों नहीं, इस में हर्ज ही क्या है. हमें भी आप से मिल कर खुशी होगी.’’ मनजीत कौर ने मुसकरा कर कहा.
दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर और पते ले लिए. इस के बाद मिलने का वादा कर के दोनों अपनेअपने घर चले गए. अब अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. कभीकभी मुख्तियार मनजीत से मिलने उस के योगा स्कूल भी चला जाता. मुख्तियार तो उसे पहली मुलाकात से ही चाहने लगा था. लगातार मिलते रहने से मनजीत को भी मुख्तियार अच्छा लगने लगा था. उसे मुख्तियार से मिलना अच्छा लगता था. उस के मन में भी मुख्तियार के प्रति चाहत पैदा होने लगी थी. मनजीत में भारतीय संस्कार थे, इसलिए वह मन की बात खुल कर नहीं कह पा रही थी. लेकिन मुख्तियार ज्यादा दिनों तक अपने दिल पर काबू नहीं रख सका. अगली बार जब वह वीकेंड पर मनजीत से मिलने गया तो उस ने मन की बात कह दी,
‘‘मनजीत, मुझे तुम से प्यार हो गया है. तुम मेरे दिलोदिमाग में इस तरह बस गई हो कि पलभर के लिए भी मैं तुम्हें नहीं भुला पाता.’’
मनजीत तो उस के मुंह से यही सब सुनने का कब से इंतजार कर रही थी. लेकिन यह सब सुन कर संस्कारों ने उस की नजरें झुका दीं. कुछ कहने के लिए होंठ लड़खड़ाए जरूर, लेकिन जुबान नहीं खुल पाई. तब मुख्तियार ने ही आगे कहा, ‘‘क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं?’’
मनजीत कौर ने मुसकरा कर नजरें उठाईं, लेकिन बोली फिर भी कुछ नहीं. तब मुख्तियार बेचैन हो कर बोला, ‘‘तुम कुछ बोलती क्यों नहीं? मैं तुम्हारा जवाब सुनने के लिए कितना बेचैन हूं, शायद तुम्हें पता नहीं है. वैसे तो मैं ना सुन नहीं पाऊंगा, पर अगर तुम्हारे मन में ऐसा कुछ नहीं है तो मैं अपने मन पर काबू पाने की कोशिश अवश्य करूंगा. मनजीत ने कहा, ‘‘ऐसा करने की जरूरत नहीं है. प्यार तो मैं भी तुम्हें करती हूं, लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या..’’ मुख्तियार ने झट पूछा.
‘‘लेकिन मैं सिर्फ दिल बहलाने के लिए प्यार नहीं कर सकती. मैं प्यार के सहारे जिंदगी गुजारना चाहती हूं. मैं ने खुद से वादा किया था कि मैं सिर्फ अपने पति से ही प्यार करूंगी या जिस से प्यार करूंगी, उसी से शादी करूंगी.’’ मनजीत ने दिल की बात कह दी.
‘‘मैं भी यही चाहता हूं, तभी तो अभी तक कुंवारा हूं. मेरा वादा है कि मैं शादी तुम्हीं से करूंगा और अपनी आखिरी सांस तक तुम्हें प्यार करता रहूंगा.’’ मुख्तियार ने भावुक हो कर कहा, ‘‘हमारी शादी पर हमारे घर वालों को भी कोई आपत्ति नहीं होगी, क्योंकि हम दोनों ही सिख परिवार से हैं.’’
‘‘कहीं शादी के बाद तुम बदल तो नहीं जाओगे? अगर तुम्हें मुझ से भी ज्यादा सुंदर लड़की मिल गई तो..?’’ मनजीत कौर ने शंका जाहिर की.
‘‘वैसे तो तुम से सुंदर कोई दूसरी लड़की हो ही नहीं सकती, लेकिन मैं तुम्हें वचन देता हूं कि आज के बाद तुम्हारे अलावा कोई दूसरी लड़की मेरी जिंदगी में नहीं आएगी.’’ मुख्तियार ने मनजीत का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘तुम वाकई कुदरत की सब से हसीन रचना हो मनजीत. तुम्हारे साथ बेईमानी करना शायद मेरे जीवन की सब से बड़ी भूल होगी और ऐसी भूल मैं कभी भूल कर भी नहीं करना चाहूंगा.’’
मनजीत कौर मिलनसार स्वभाव की थी. उस की कई कैनेडियन सहेलियां थीं तो कुछ कैनेडियन युवक भी दोस्त थे. लेकिन उस ने कभी किसी को दिल में इस तरह जगह नहीं दी थी, जिस तरह उस ने मुख्तियार को दिया था. क्योंकि उस ने शुरू से ही सोच रखा था कि वह शादी अपने घर वालों की पसंद से ही करेगी. कभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिस से घर वालों को शर्मिंदगी उठानी पड़े. उस के पिता रेशम सिंह बसरा और सुरिंदर कौर बसरा उस पर विश्वास भी करते थे. इसलिए मनजीत उन का विश्वास नहीं तोड़ना चाहती थी. कभी भूल से भी उस ने कोई गलत कदम नहीं उठाया था. उस के अंदर भारतीय संस्कार कूटकूट कर भरे थे. वह पश्चिम की तरह शादी को महज समझौता नहीं मानती थी, बल्कि जीवन का सब से अटूट और पवित्र बंधन मानती थी.
अब उसे मुख्तियार से प्यार हो गया था. वह खुद नहीं समझ पा रही थी कि ऐसा कैसे हो गया. लेकिन संतोष इस बात का था कि उस ने अपनी बिरादरी के ही युवक को चुना था. इसलिए घर वालों को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इस के बावजूद उसे संकोच हो रहा था कि कहीं उस का यह कदम घर वालों को आहत न कर दे. इसलिए घर में मनजीत अपने प्यार के बारे में बता नहीं पा रही थी. जबकि मुख्तियार चाहता था कि मनजीत जल्द से जल्द अपने घर वालों से बात कर ले. वह उस से कह भी चुका था कि अगर वह अपने घर वालों से बात न कर सके तो वह खुद अपने घर वालों को भेज कर शादी की बात करवा ले. लेकिन मनजीत ने उसे रोक दिया था.
इसी तरह कई महीने बीत गए तो मुख्तियार बेचैन होने लगा. उस बीच मनजीत के सामने एक परेशानी यह खड़ी हो गई कि रेशम सिंह ने पंजाब में अपनी किसी रिश्तेदारी में उस के लिए लड़का देख लिया. वह मनजीत का विवाह उस के साथ कर के उसे कनाडा लाना चाहते थे. लड़के वाले भी इस के लिए तैयार थे. जब इस बात की जानकारी मनजीत को हुई तो वह उलझन में पड़ गई. उस समय उस की उम्र कोई खास नहीं थी, वह महज 21 साल की थी. इसलिए घर वालों को शादी के लिए मना कर सकती थी. लेकिन मुख्तियार का क्या करती? वह शादी के लिए जिद पर अड़ा था. उसे इस बात का डर सता रहा था कि रिश्ता अच्छा होने की वजह से घर वाले अपनी मरजी से शादी तय न कर दें.
घर वालों ने लड़के की फोटो भी मंगवा ली थी. वह सुंदर भी था और अच्छे परिवार से भी. उस का परिवार आर्थिक रूप से भी काफी संपन्न था. लड़का एमबीए किए था और किसी बड़ी कंपनी में नौकरी कर रहा था. कई दिनों तक बेचैन रहने के बाद आखिर उस ने घर वालों से मुख्तियार के बारे में बात करने का निर्णय कर ही लिया. उस ने मातापिता से मुख्तियार के प्यार के बारे में बताया तो उन्हें हैरानी जरूर हुई, पर ऐतराज नहीं किया. शायद उन्हें इस बात पर संतोष था कि मुख्तियार उन्हीं की बिरादरी का था. रेशम सिंह ने मुख्तियार से मिलने की इच्छा जाहिर की तो अगले ही दिन मनजीत ने उसे अपने घर बुला लिया. रेशम सिंह और सुरिंदर कौर ने मुख्तियार से लंबी बातचीत की. उस के घर वालों का पता भी ले लिया.
मुख्तियार उन्हें हर लिहाज से मनजीत के काबिल लगा तो उन्होंने बेटी की पसंद को स्वीकार कर लिया. इस के बाद रेशम सिंह ने पंजाब में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मुख्तियार के घर वालों के बारे में पता लगवाया. रिश्तेदारों ने सब ठीक बताया तो वह संतुष्ट हो गए. सुरिंदर कौर भी संतुष्ट थी, लेकिन न जाने क्यों मनजीत की बहन जैस्मीन को मुख्तियार ठीक नहीं लगा. उस ने पिता से कहा भी, ‘‘आप लोगों को भले ही मुख्तियार ठीक लग रहा है, पर मुझे यह आदमी ठीक नहीं लग रहा. वह जैसा दिखता है, वैसा बिलकुल नहीं है. कहीं दीदी की जिंदगी उस से शादी कर के बरबाद न हो जाए.’’
‘‘यह तुम्हारा वहम भी हो सकता है. लड़का हर तरह से अच्छा है. फिर हम ने उस के बारे में पता भी करवा लिया है. मनजीत भी उस से संतुष्ट है.’’ रेशम सिंह ने कहा.
मुख्तियार का परिवार पंजाब से कनाडा पहुंच गया. एक सादे समारोह में मुख्तियार और मनजीत की सगाई हो गई. मुख्तियार के घर वाले चाहते थे कि शादी अपने देश में अपने रिश्तेदारों के बीच अपनी जमीन पर हो. रेशम सिंह को इस में कोई परेशानी नहीं थी. सभी भारत आ गए और फरवरी, 1996 में गुरुद्वारे में मनजीत कौर और मुख्तियार सिंह पंगाली का विवाह हो गया. रेशम सिंह ने अपनी सामर्थ्य से ज्यादा दहेज दे कर बेटी को विदा किया. मनजीत कौर मिसेज पंगाली बन कर मुख्तियार के घर आ गई. हनीमून के लिए दोनों लंदन गए. वहां से लौट कर गृहस्थी में रम गए. घर में 3 सदस्य थे, मनजीत कौर, मुख्तियार और उस का छोटा भाई सुखविंदर. मनजीत कौर नौकरी के साथसाथ कुशलता से घर भी संभालने लगी थी.
समय अपनी गति से गुजरता रहा. शादी के कई साल बीत जाने पर भी बच्चा नहीं हुआ तो मनजीत कौर ने अपनी जांच कराई. वह पौजिटिव थी. इस के बाद दोनों ने ईश्वर पर छोड़ दिया. दोनों का दांपत्य खुशी से बीत रहा था. कभीकभी छोटीमोटी तकरार हो जाती थी. इस की पहल मुख्तियार की ओर से ही होती थी. लेकिन इस का असर उन के दांपत्य पर नहीं पड़ रहा था. सन 2002 में उस समय मनजीत और मुख्तियार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब पता चला कि मनजीत गर्भवती हो गई है. अब मुख्तियार उस का पहले से ज्यादा खयाल रखने लगा था. उस के साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाने लगा था. समय पूरा होने पर जुलाई, 2003 में मनजीत ने अपनी ही जैसी सुंदर सी एक बेटी को जन्म दिया.
पंगाली परिवार ने इस नए मेहमान का दिल खोल कर स्वागत किया. छुट्टी खत्म होने पर मनजीत फिर स्कूल जाने लगी. घर, बच्ची और नौकरी, अब उसे 3 जगह समय देना होता था. फिर भी कहीं कोई चूक नहीं हो रही थी. वह कभी शिकायत का मौका नहीं देती थी. हां, मुख्तियार को जरूर शिकायत रहने लगी थी कि वह पहले की तरह उसे समय नहीं दे रही है. बेटी बड़ी होने लगी. उसी बीच मुख्तियार ने मनजीत से बेवफाई कर डाली. 2004 में एक कैनेडियन युवती जोरबिया से उस ने संबंध बना लिए. लेकिन उस ने इस की भनक मनजीत को नहीं लगने दी.
मुख्तियार अब ज्यादा समय जोरबिया के साथ बिताने लगा, जिस से वह घर पर कम ही रहता था. मनजीत कभी उस के इस बदले व्यवहार की शिकायत करती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता. मुख्तियार समय के साथसाथ जोरबिया पर पैसे भी लुटाने लगा था. वह जबतब उसे महंगे गिफ्ट तो देता ही था, आर्थिक मदद भी करता था. वह घर में पैसे कम देता तो मनजीत वजह पूछती. तब वह झूठ बोल देता कि बेटी के भविष्य के लिए पैसे इनवेस्ट कर रहा है. मुख्तियार के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था. वह बातबात में मनजीत से झगड़ा करने लगा था. यही नहीं, वह मनजीत के चरित्र पर अंगुली उठाते हुए उस के साथ मारपीट भी करने लगा था. जबकि खुद के गिरेबान में नहीं झांक रहा था.
दरअसल, मनजीत कौर के मिलनसार स्वभाव की वजह से उस की दोस्ती का दायरा काफी बढ़ गया था. उस के दोस्तों में टोनी फुनाल और उस का भाई तूर फुनाल भी थे. इन दोनों से मनजीत की कुछ ज्यादा ही पटती थी. मुख्तियार मनजीत को टोनी फुनाल के संबंधों को ले कर जलील तो करता ही था, उस से दूर रहने की चेतावनी भी देता था. मनजीत पति के बदले व्यवहार से काफी क्षुब्ध रहती थी. उस की समझ में नहीं आता था कि वह क्या करे. वह उसे समझाती, लेकिन उस की वह एक न सुनता. वह किसी तरह मुख्तियार के साथ अपने दांपत्य को ईमानदारी से निभा रही थी. 2006 में मनजीत कौर एक बार फिर गर्भवती हुई. बेटी अब तक 3 साल की हो चुकी थी. अपने गर्भवती होने की बात मनजीत ने मुख्तियार को बताई तो इस बार उसे कोई खुशी नहीं हुई.
अगस्त, 2006 की बात है. एक दिन शाम को मुख्तियार जोरबिया से मिल कर लौट रहा था तो उस की नजर रास्ते में खड़ी मनजीत कौर की कार पर पड़ी. उस ने अपनी कार रोक दी. उसे लगा, शायद मनजीत की कार खराब हो गई है. वह कार से उतरा तो वहां कहीं मनजीत नजर नहीं आई. अलबत्ता उस की नजर उस घर के बाहर लगी नेमप्लेट पर जरूर चली गई, जिस के बाहर कार खड़ी थी. वह घर मनजीत के दोस्त टोनी फुनाल का था. मुख्तियार को झटका लगा. उसे शक हो गया कि मनजीत और टोनी फुनाल के शारीरिक संबंध हैं. इस का मतलब मनजीत के पेट में पल रहा बच्चा उस का नहीं, टोनी फुनाल का है. वह तिलमिला उठा, लेकिन वहां उस ने कुछ कहा नहीं, सीधे घर आ गया.
उस के आने के करीब डेढ़ घंटे बाद मनजीत घर आई तो वह उस पर भड़क उठा, ‘‘कहां से आ रही हो?’’
‘‘अपनी सहेली से मिलने गई थी.’’ मनजीत ने कहा.
‘‘सहेली से या यार से? सच बोलने में जान जाती है क्या? तुम अपने यार टोनी के साथ गुलछर्रे उड़ा कर आ रही हो न?’’ मुख्तियार ने सीधे आरोप लगाया.
‘‘लगता है, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है. जब देखो तब उलटा ही सोचते रहते हो.’’ मनजीत ने बात को सामान्य तरीके से लिया.
‘‘दिमाग मेरा नहीं, तुम्हारा खराब हो गया है. भूल गई तुम अपने वादे को. मुझे शक ही नहीं, पूरा यकीन है कि तुम्हारे पेट में मेरा नहीं, तुम्हारे यार टोनी का पाप पल रहा है. मुझे तो लग रहा है कि शादी से पहले भी तुम इसी तरह अपने यारों के साथ मौजमस्ती करती थीं. तुम ने मुझे धोखा दिया है.’’ मुख्तियार चिल्लाया.
‘‘लगाम दो अपनी जुबान को. मैं सब कुछ सह सकती हूं, लेकिन अपने चरित्र पर आक्षेप बिलकुल नहीं सह सकती. तुम बेवजह शक कर रहे हो. मेरे पेट में पल रहा बच्चा तुम्हारा ही है. चाहो तो इस की जांच करा सकते हो, जिस से तुम्हारा वहम दूर हो सके.’’
‘‘अब तो यही करवाना पड़ेगा.’’ मुख्तियार ने कहा.
इस के बाद जब देखो, तब मुख्तियार मनजीत की पिटाई करने लगा. उसे घर से निकल जाने को भी कहता. जब मुख्तियार के अत्याचारों की हद हो गई, तब मनजीत ने अपने मातापिता को सारी बातें बता दीं. इस के बाद रेशम सिंह ने पुलिस में शिकायत की. पुलिस ने कोई काररवाई करने के बजाय घरेलू मामला बता कर मुख्तियार को समझा दिया कि वह अपना व्यवहार बदले. इस से मुख्तियार और भड़क उठा. उस के अत्याचार और बढ़ गए. उसी बीच मुख्तियार ने अपनी गर्लफ्रैंड जोरबिया को किसी अन्य लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाते देख लिया. हुआ यूं कि वह जोरबिया से मिलने उस के घर पहुंचा तो वह अपने किसी दोस्त के साथ प्यार में मगन थी.
उस ने दरवाजा बंद नहीं किया था, इसलिए मुख्तियार सीधे अंदर चला गया. अंदर का दृश्य देख कर वह अपना आपा खो बैठा और जोरबिया के साथ उस के दोस्त की भी धुनाई कर दी. इस से नाराज हो कर जोरबिया ने धमकी दी कि वह उसे मारपीट के आरोप में जेल भिजवा देगी. डर कर मुख्तियार वहां से लौट तो आया, लेकिन इसी के साथ उस के दिमाग में यह बात बैठ गई कि औरतें बेवफा होती हैं. वह बेचैन और परेशान रहने लगा. उस की परेशानी को जोरबिया ने तब और बढ़ा दिया, जब वह उसे ब्लैकमेल कर के उस से पैसों की डिमांड करने लगी. अंत में उस ने जोरबिया के खिलाफ ब्लैकमेलिंग की रिपोर्ट लिखवा दी.
पुलिस ने इस मामले में जोरबिया पर काररवाई करने के बजाय पुलिस को गलत जानकारी देने और परेशान करने के आरोप में उसे ही जेल भेज दिया. उस पर यह भी आरोप लगाया गया कि उस ने अपनी गर्लफ्रैंड का नाजायज फायदा उठाया है. उस की मरजी के खिलाफ उस ने उस के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए हैं. उसे इस मामले में जमानत तो मिल गई, पर उस का यह राज मनजीत पर खुल गया. अब वह उस पर ताना कसने लगी कि खुद तो अय्याशी करता है और उस पर झूठा आरोप लगाता है. इस पर मुख्तियार को गुस्सा आ जाता. उसे मनजीत के चरित्र पर शक था, इसलिए वह पहले से ही परेशान था. गर्लफ्रैंड ने धोखा दिया तो उस का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगा. वह अपना आपा खोने लगा. इस सब की वजह से उसे मनजीत खलने लगी. फिर तो उस ने उसे हमेशा के लिए शांत करने का घातक निर्णय ले लिया.
18 अक्तूबर, 2006 की शाम को मनजीत साउथ सूर्रे में पैरेंटल योगा क्लास लेने गई थी. मुख्तियार वहां पहुंचा और उस से साथ चलने को कहा. दोनों अपनीअपनी कारों से घर की ओर चल पड़े. उस ने मनजीत की कार उस के दोस्त टोनी फुनाल के घर के सामने खड़ी करा कर उसे अपनी कार में बैठा लिया. उस ने ऐसा क्यों किया, यह बात मनजीत समझ नहीं पाई. दरअसल मुख्तियार ने सोचा था कि वह टोनी फुनाल पर मनजीत के अपहरण का आरोप लगा कर उसे फंसा देगा. घर आ कर मुख्तियार मनजीत से झगड़ने लगा. रात होने पर वह बाजार गया और योजना के अनुसार चेवरान टाउन पैंट्री से एक अखबार तथा सिगरेट लाइटर खरीद लाया. उसे शायद यह अहसास नहीं था कि सीसीटीवी कैमरे में सब रिकौर्ड हो रहा है, जो आगे चल कर उस के गुनाह का गवाह बनेगा.
खैर, घर आ कर उस ने मनजीत से फिर झगड़ना शुरू कर दिया. वह मनजीत पर दबाव बनाने लगा कि वह स्वीकार कर ले कि उस के पेट में पल रहा बच्चा टोनी फुनाल का है और अपना गर्भपात करा दे. लेकिन मनजीत ने दोनों बातों से इनकार कर दिया. मुख्तियार का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और वह बेरहमी से उस की पिटाई करने लगा. बेरहमी की सारी हदें पार करते हुए उस ने मनजीत के जननांग तक पर भारी चीज से घातक वार किए. इस से मनजीत कराह उठी. लेकिन मुख्तियार को दया नहीं आई. अंत में उस ने जोर से मनजीत का गला पकड़ कर दबा दिया, जिस से उस की सांसें थम गईं. मर जाने के बाद उस ने मनजीत की लाश को चादर में लपेट कर कार की डिक्की में रख दिया.
कार ले कर वह 40 किलोमीटर दूर डेल्टा पोर्ट के कासवे बीच पर पहुंचा और लाश को कार से निकाल कर आग लगा दी. लाश जलने लगी तो वह वहां से भाग खड़ा हुआ. घर आ कर उस ने सुबूत मिटाने के लिए घर की साफसफाई कर डाली. तीसरे दिन उस ने रिपोर्ट लिखाई कि उस की पत्नी 18 अक्तूबर, 2006 को योगा क्लास के लिए गई थी, तब से लौट कर नहीं आई. उस ने सभी जगह उस की तलाश की, उस के दोस्तों को फोन किया, पर कहीं उस का पता नहीं चला. तलाश के दौरान उस की कार टोनी फुनाल के घर के बाहर खड़ी दिखाई दी. शायद टोनी फुनाल ने मनजीत का अपहरण अपने भाई तूर फुनाल की मदद से कर लिया है.
पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और टोनी फुनाल को उस के घर से हिरासत में ले लिया. उस से गहन पूछताछ की गई, पर उस की बातों से कहीं कोई ऐसा संकेत नहीं मिला कि उस पर संदेह होता. इस के बाद मनजीत के मातापिता से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन की बेटी को गायब करने में उस के पति मुख्तियार का ही हाथ है, क्योंकि वह इंसान नहीं राक्षस है. वह मनजीत पर अत्याचार किया करता था. मनजीत की बहन जैस्मीन ने शंका जाहिर की कि मुख्तियार ने कहीं उस के साथ कोई अनहोनी नहीं कर दी हो. पुलिस को मुख्तियार पर शक हुआ, लेकिन कोई सुबूत न होने की वजह से उस से पूछताछ नहीं की जा सकी. अलबत्ता उस पर निगरानी जरूर की जाने लगी.
घटना के 5 दिनों बाद 23 अक्तूबर, 2006 को किसी व्यक्ति ने पुलिस को डेल्टा पोर्ट के कासवे बीच पर महिला की जली हुई लाश पड़ी होने की सूचना दी. पुलिस मौके पर पहुंची. लाश अब तक बुरी तरह से सड़ चुकी थी. उस की शिनाख्त होना मुश्किल था. कासवे बीच के चौकीदार से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 18 अक्तूबर की रात उस ने आग जलते हुए देखी थी, पर उस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था. क्योंकि वहां आग का जलना आम बात थी. कोई असाधारण बात उसे नहीं लगी थी, इसलिए वह देखने नहीं आया था. खैर, पुलिस ने एंबुलेंस बुलवा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद लाश मनजीत के मातापिता को दिखाई गई तो उन्होंने गले की चेन से उस लाश की शिनाख्त मनजीत की लाश के रूप में कर दी.
इस के बाद मुख्तियार सिंह पंगाली को गिरफ्तार कर लिया गया. उस से पूछताछ की गई तो वह रोरो कर स्वयं के निर्दोष होने की दुहाई देने लगा. उस का कहना था कि यह सब मनजीत के दोस्त टोनी फुनाल और उस के भाई तूर फुनाल ने किया है. लेकिन पुलिस ने मुख्तियार की बातों को तवज्जो न देते हुए उस से सख्ती से पूछताछ की. तब उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपनी पत्नी मनजीत कौर की हत्या की थी. मुख्तियार को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया गया. क्राउन कोर्ट में अगली सुनवाई पर पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट के अनुसार डाक्टर चार्ल्स, जोकि फोरेंसिक पैथालौजिस्ट थे, का कहना था कि मृतका मनजीत के आटोप्सी की जांच में किडनी के नीचे के हिस्से में खून के धब्बे मिले थे, जो संभवतया गहरे प्रहार से आए थे. वे आग से भी नहीं मिटे थे.
गायनेकोलौजिस्ट डाक्टर जिओफ्रे कंडिफ की रिपोर्ट के अनुसार, मृतका के जननांग के पास खून के टिश्यू दिखाई दिए थे, जो शरीर के साथ जल गए थे. उन का कहना था कि ये टिश्यू जलने से नहीं बनते. ये किसी औजार के प्रहार से बन सकते हैं. इस का मतलब जलाने से पूर्व मृतका के जननांग पर किसी औजार से प्रहार किए गए थे. रिपोर्ट में साफ लिखा था कि मृतका की मौत जलने से नहीं, गला दबाने से हुई थी. पुलिस ने अदालत में शौपिंग स्टोर की वह सीसीटीवी फुटेज भी पेश की थी, जिस में मुख्तियार घटना वाली रात अखबार और सिगरेट लाइटर खरीदते हुए साफ नजर आ रहा था. इस फुटेज को मनजीत के मातापिता और दोस्तों को दिखा कर मुख्तियार की शिनाख्त भी कराई गई थी.
जबकि मुख्तियार का कहना था कि उसे फंसाया जा रहा है. वह निर्दोष है. जो व्यक्ति सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है, वह कोई और है. उस समय तो वह घर में सो रहा था. उस ने यह दलील भी दी कि लाश जलाने से यह साबित नहीं हो जाता कि हत्या उसी ने की थी. लेकिन बीसी कोर्ट के जज डेविड हेरिस और हार्वे ग्रोवर मने ने उस की दलील को खाजिर कर दिया था. दोनों जजों का कहना था कि गवाहों ने उसे ठीक पहचाना है. जज हीदर होम्स ने स्वयं सीसीटीवी फुटेज की जांच की थी. उन का कहना था कि फुटेज में दिख रहा व्यक्ति मुख्तियार सिंह पंगाली ही था. जजों का कहना था कि सुबूत लाश का जलना नहीं, बल्कि लाश जलाने से पहले मृतका मनजीत के साथ की गई मारपीट है. मारपीट के निशान उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी थे, हत्या भी गला दबा कर की गई थी.
जुलाई, 2007 को सुनवाई के दौरान पुलिस ने शक जाहिर किया था कि आरोपी मुख्तियार सिंह पंगाली का भाई सुखविंदर सिंह पंगाली भी इस हत्याकांड में शामिल था. उस ने मृतका की लाश से छेड़छाड़ और सुबूत मिटाने में मदद की थी. पर उस के खिलाफ पुलिस कोई खास सुबूत नहीं जुटा पाई, इसलिए उसे गिरफ्तार करने का आदेश कोर्ट ने नहीं दिया. कोर्ट में मनजीत कौर के पिता रेशम सिंह बसरा, मां सुरिंदर कौर, बहन जैस्मीन और दोस्त टोनी फुनाल सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. सभी ने बताया था कि मृतका मनजीत हंसमुख, ईमानदार, उत्साही, दयालु और अच्छे चरित्र की महिला थी. दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती थी. वह एक निष्ठावान पत्नी और समर्पित मां थी. वह अच्छी स्कूल टीचर भी थी.
यह मुकदमा करीब 5 सालों तक चला. आखिर सुबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत ने मुख्तियार सिंह पंगाली को सजा सुना दी. उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सजा के दौरान 11 सालों तक उसे न पैरोल मिलने वाला था, न जमानत. 25 साल के लिए उस का टीचर का सर्टिफिकेट भी निरस्त कर दिया गया था. कोर्ट ने मृतका की बेटी को उस के नानानानी के सुपुर्द करते हुए कहा था कि वही उस की परवरिश करेंगे. फरवरी, 2014 में मुख्तियार के वकील की ओर से उस की जमानत के लिए कोर्ट में अरजी दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. अरजी में कहा गया था कि उस की बेटी बीमार है, इसलिए उस की देखभाल के लिए उसे जमानत दी जाए.
कोर्ट ने जवाब में कहा था कि बच्ची अपने नानानानी के पास सुरक्षित है और उस की बेहतर देखभाल हो रही है, इसलिए उसे जमानत देने की कोई जरूरत नहीं है. इंडो-कैनेडियन समाज की महिलाओं ने इस हत्याकांड को वीभत्स कृत्य बता कर भर्त्सना करते हुए अदालत में मुख्तियार की जमानत का विरोध किया था. नौर्थ रिज एलीमेंटरी स्कूल, जिस में मृतका मनजीत कौर टीचर थी, ने उस की कर्मठता, समर्पण और लगन के लिए सूर्रे फाउंडेशन की मदद से मनजीत मेमोरियल फंड की स्थापना की है, जिस के तहत बी.सी. कनाडा के पैनोरमा स्कूल से ग्रैजुएशन करने वाले 2 छात्रों को हर साल 500 डालर की स्कौलरशिप दी जाएगी. Crime Story






