Real Crime Story Hindi: बब्बू, गप्पू और पप्पू की दुश्मनी अमीन बाबा से थी, लेकिन इस का खामियाजा उन की बेटी रूबीना को अपनी जान दे कर इसलिए भुगतना पड़ा, क्योंकि उस की शिकायत को चौकीइंचार्ज से ले कर डीआईजी तक ने गंभीरता से नहीं लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को एक ऐसे शहर के रूप में पहचान दिलाने का वादा कर चुके हैं, जिस से यहां के निवासियों को अपने इस शहर पर गर्व हो. वैसे भी उत्तर प्रदेश नगरी वाराणसी धर्म और आध्यात्म की पोषक रूप में जानी पहचानी जाती रही है. उसी वाराणसी शहर में सन 2014 के जातेजाते मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी अमानवीय घटना घटी, जिस ने गुंडों और पुलिस के काकटेल की सांठगांठ उजागर कर दी.

वाराणसी शहर के थाना सिगरा का एक मोहल्ला है माताकुंड. स्थानीय लोग इसे लल्लापुरा भी कहते हैं. इसी मोहल्ले में पुलिस चौकी से लगे मकान में मोहम्मद अमीन अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कुरैशा बीबी के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां थीं. मोहम्मद अमीन एक बुनकर थे. उसी की आमदनी से वह जैसेतैसे अपने घरपरिवार को चला रहे थे. पैसों की तंगी की वजह से वह बच्चों को प्राइमरी से आगे नहीं पढ़ा सके. जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, वह उन की शादियां करते गए. उन की सब से छोटी बेटी रूबीना की सोच अन्य बच्चों से थोड़ा अलग थी.
पांचवीं पास करने के बाद मोहम्मद अमीन ने उसे भी घर बैठाना चाहा, लेकिन रूबीना ने जिद कर के आगे की पढ़ाई जारी रखी. उसे पढ़ाई में रुचि थी, इसलिए उस ने हाईस्कूल की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की. वह वकील बनना चाहती थी. चूंकि वह सब से छोटी थी, इसलिए वह सब की दुलारी थी. उस की इच्छा पूरी करने के लिए मोहम्मद अमीन जैसेतैसे कर के उस की पढ़ाई का खर्चा उठा रहे थे. इंटरमीडिएट में दाखिला लेने के बाद पिता ने रूबीना के लिए उपयुक्त लड़का देखना शुरू कर दिया, ताकि इंटरमीडिएट पास करतेकरते वह उस की शादी कर दें. लेकिन रूबीना ने साफ कह दिया कि ग्रैजुएशन पूरा करने से पहले शादी नहीं करेगी.
मोहम्मद अमीन की जैसेजैसे उम्र बढ़ रही थी, उन की आंखों की रोशनी कम होती जा रही थी. अपना बुनाई का काम न कर पाने की वजह से एक मजार की पर बैठने लगे. दिन भर वह उस मजार सेवा करने लगे. इस तरह वह मुजावर बन गए. इस के बाद लोग उन्हें अमीन बाबा कहने लगे. वर्तमान में अमीन बाबा उसी मजार पर मुजावर का काम करते हैं. राजकीय इंटर कालेज, सिगरा में पढ़ने वाली रूबीना इंटरमीडियट परीक्षा की तैयारी में जुटी थी, ताकि वह अच्छे नंबरों से पास हो सके. लेकिन उस की पढ़ाई में व्यवधान पड़ने लगा. अचानक एक ऐसी मुसीबत सामने आ गई, जिस से उस का मन पढ़ाई से उचटने लगा.
दरअसल, अमीन बाब के घर से थोड़ी दूर पर उमर अंसारी का मकान है. उमर अंसारी के 2 बेटे, बाबूदान उर्फ बब्बू और रियाजुद्दीन उर्फ गप्पू थे. दोनों की ही उम्र 40 से ऊपर थी और वे बालबच्चेदार थे. काम के नाम पर कहने को तो वे बुनाई करते थे, लेकिन हकीकत में दोनों भाई सिगरा थाने और लल्लापुरा पुलिस चौकी के लिए मुखबिरी का काम करते थे. इन्हीं की तरह मोहल्ले का पप्पू भी पुलिस का मुखबिर था. बब्बू और गप्पू पूर्व में हुए नगर निगम के चुनाव में खड़े एक पार्षद प्रत्याशी को ले कर अमीन बाबा के परिवार से रंजिश रखते थे, जिस का खामियाजा आगे चल कर रूबीना को भुगतना पड़ा.
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा इंटरमीडिएट परीक्षा की तारीखों की घोषणा होने के बाद रूबीना परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी. उस का सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर था, ताकि वह अच्छे नंबरों से पास हो सके. एक दिन किसी काम से वह घर से बाहर निकली तो लौटते समय गप्पू सामने पड़ गया. रूबीना को देख कर गप्पू अश्लील फब्तियां कसते हुए उस के साथ छेड़छाड़ करने लगा. रूबीना गप्पू को डांटते हुए तेजी से अपने घर चली गई. घर आ कर रूबीना ने अपने साथ घटी इस घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. 3 दिनों बाद रूबीना कुछ सामान लेने बाजार जा रही थी तो उस के साथ फिर उसी तरह हुआ.
रास्ते में गप्पू अपने साथी पप्पू के साथ मिला तो वह फिर रूबीना से छेड़छाड़ करने लगा. उस की इस हरकत से रूबीना डर गई. वह तेजी से अपने घर की ओर बढ़ी और घर में दाखिल होते ही सीधे अपनी अम्मी कुरैशा बीबी के पास पहुंची. बेटी को घबराया देख कर कुरैशा बीबी ने वजह पूछी तो रूबीना ने रास्ते वाली पूरी बात बता दी. बेटी की बात सुन कर कुरैशा बीबी उन मनचलों को कोसते हुए बोलीं, ‘‘जी करता है अभी जा कर दोनों का मुंह नोच लूं. पर तू घबरा मत, तेरे अब्बू को आने दे. मैं आज ही उन के घर जा कर उन की खबर लेती हूं. उन्हें इस उम्र में ऐसी हरकतें करते शरम नहीं आई.’’
थोड़ी देर में अमीन बाबा घर आए तो पत्नी ने उन्हें बेटी के साथ घटी सारी बात बता दी. बेटी के साथ छेड़छाड़ की बात सुन कर अमीन बाबा का खून खौल उठा. वह पत्नी के साथ गप्पू और पप्पू के घर शिकायत करने जा पहुंचे. उन्होंने दोनों को खूब खरीखोटी सुनाई और उन के घर वालों से भी शिकायत कर दी. शिकायत करने के बाद अमीन बाबा और उन की पत्नी को लगा कि अब वे उन की बेटी की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखेंगे. लेकिन उन की यह सोच गलत निकली. 3-4 दिनों बाद ही उन्होंने रूबीना के साथ फिर छेड़छाड़ की. इस बार भी रूबीना ने उन की शिकायत अपने मांबाप से की तो उन्होंने उन के घर वालों से कहने के बजाय सीधे पुलिस से शिकायत करने का मन बना लिया.
लल्लापुर पुलिस चौकी उन के घर के बराबर में ही थी, इसलिए कुरैशा बीबी अपने शौहर अमीन बाबा के साथ पुलिस चौकी पहुंच गई. चौकीइंचार्ज सबइंसपेक्टर श्रीकांत राय से मुलाकात कर उन्होंने मोहल्ले के बब्बू, गप्पू और पप्पू द्वारा बेटी को छेड़े जाने की शिकायत कर दी. चौकीइंचार्ज श्रीकांत राय ने उन की सारी बातें सुनने के बाद उन्हें यह कह कर घर भेज दिया कि अब रूबीना के साथ ऐसा कुछ नहीं होगा. और अगर जब कभी उस के साथ ऐसी कोई घटना हो तब उसी समय रूबीना को साथ ले कर चौकी आ जाना. रूबीना से पूछताछ करने के बाद हम आगे की काररवाई करेंगे. कुरैशा बीबी को लगा कि उस की शिकायत पर चौकीप्रभारी उन बदमाशों के खिलाफ रपट दर्ज कर कोई काररवाई करेंगे, परंतु चौकीप्रभारी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया.
2-3 दिनों बाद रूबीना के साथ जब वही सब फिर घटा तो कुरैशा बीबी चिंता में पड़ गईं. उन्हें डर लगा कि कहीं बेटी के साथ किसी दिन कुछ गलत न हो जाए. अमीन बाबा भी बेटी की चिंता को ले कर गंभीर हो गए. पतिपत्नी उन मनचलों की शिकायत उन के घर वालों और पुलिस चौकी में कर के देख चुके थे. उन की शिकायत पर कुछ भी नहीं हुआ था. इसलिए इस बार दोनों सिगरा थाने पहुंच गए और थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र से मिल कर उन्हें सारी बातें बता कर अनुरोध किया कि बेटी के साथ बदतमीजी करने वाले मोहल्ले के बाबूदान, गप्पू और उन के दोस्त पप्पू के खिलाफ ऐसी काररवाई करें कि वे आगे ऐसी गंदी हरकत करने की हिम्मत न कर सकें.
थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र ने दोनों को यह भरोसा दिलाया कि वह खुद इस मामले को देखेंगे और उन लड़कों को थाने बुला कर उन की खबर लेंगे, ताकि वे फिर कभी ऐसी हरकतें करने की हिम्मत न कर सकें. कुरैशा बीबी की मानें तो थाने से लौटने के बाद 2-4 दिनों तक कुछ नहीं हुआ. इस से उन्हें लगा कि थानाप्रभारी ने तीनों मनचलों को थाने बुला कर डांट दिया होगा. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था. 11 जून, 2014 को रूबीना किसी काम से घर से बाहर निकली तो उस के साथ फिर अनहोनी हो गई. रास्ते में उसे गप्पू मिला तो उसे देख कर वह डर गई. वह तेजी से चलने लगी. गप्पू दौड़ कर उस के पास पहुंच गया और छेड़खानी करने लगा. वह कभी रूबीना का हाथ पकड़ लेता तो कभी उस के कंधे पर हाथ रख देता. रूबीना ने उसे डांटा तो वह झगड़े पर उतारू हो गया.
गुस्से में गप्पू ने रूबीना को धक्का दिया तो वह सड़क पर गिर पड़ी, जिस से उस की समीज फट गई. रूबीना के लिए गप्पू की हरकतें बरदाश्त से बाहर हो गईं तो उस ने तय कर लिया कि अब वह चुप नहीं बैठेगी. अपने साथ होने वाली घटना की शिकायत वह पुलिस के बड़े अधिकारियों से करेगी. रूबीना रोती हुई घर लौटी तो बेटी की आंखों में आंसू देख कर कुरैशा बीबी परेशान हो उठीं. उन्होंने उस से रोने की वजह पूछी तो रूबीना ने सारी बातें बता दीं. बेटी की पीड़ा सुन कर कुरैशा बीबी चिंता में पड़ गईं. वह सोचने लगीं कि उन्होंने चौकी और थाने जा कर देख लिया, उन बदमाशों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. अब पुलिस कप्तान से ही शिकायत करनी होगी.
अमीन बाबा 13 जून, 2014 को अपने एक परिचित समाजसेवी के साथ वाराणसी के एसएसपी जोगेंद्र कुमार के औफिस पहुंचे. वहां रूबीना ने एसएसपी को अपने साथ घटी एकएक घटना के बारे में बताया. कुरैशा बीबी ने एसएसपी से निवेदन किया कि छेड़छाड़ करने वाले मनचले दबंग किस्म के हैं. अगर उन के खिलाफ कोई काररवाई नहीं हुई तो किसी दिन उन की बेटी के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता है. एसएसपी ने उन के प्रार्थना पत्र को ले कर आश्वस्त किया कि वह इस मामले में कठोर काररवाई करेंगे. इस के बाद रूबीना और उस के मातापिता को पूरी उम्मीद थी कि इस बार उन्हें जरूर न्याय मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस के 2 दिनों बाद ही पुलिस चौकी के 2 सिपाही कुरैशा बीबी के घर पहुंचे. वे यह कह कर मांबेटी को अपने साथ पुलिस चौकी ले आए कि उन्हें चौकीइंचार्ज ने बुलाया है.
दोनों पुलिस चौकी पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि उन्होंने एसएसपी के यहां 13 जून को जो प्रार्थना पत्र दिया था, वह आवश्यक काररवाई हेतु सिगरा थाने से होता हुआ पुलिस चौकी पहुंचा था. चौकीप्रभारी श्रीकांत राय ने कुरैशा बीबी को धमकाते हुए कहा, ‘‘लगता है, तुम लोगों का हौसला काफी बढ़ गया है, जो पुलिस वालों की शिकायत अधिकारियों से करती फिरती हो. तुम्हें शायद यह पता नहीं है कि जो भी काररवाई होती है, वह थाने स्तर से ही होती है. जरा सा सब्र नहीं रख सकती थी क्या?’’
नामजद आरोपियों के खिलाफ ऐक्शन लेने के बजाय चौकीप्रभारी उल्टे शिकायत करने वालों को ही डांटने लगे. चौकी से बेइज्जत हो कर मांबेटी अपने घर आ गईं. उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि पुलिस गरीबों और बेबस लोगों की मदद नहीं करती. कुरैशा बीबी को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए वह करें तो क्या करें. वह पहली बार खुद को असहाय पा रही थीं. उन्हें इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि आखिर पुलिस उन आवाराबदमाशों के खिलाफ काररवाई क्यों नहीं कर रही? यह जानकारी उन्होंने अपने स्तर से लगानी शुरू की.
जल्द ही इस राज पर से परदा भी हट गया. मोहम्मद अमीन और कुरैशा बीबी की मानें तो गप्पू, बब्बू और पप्पू, तीनों पुलिस के लिए मुखबिरी करते थे. इसी वजह से पुलिस उन के खिलाफ काररवाई नहीं कर रही थी. इन्हीं तनाव भरे दिनों में रूबीना ने इंटरमीडिएट की परीक्षा दी. परिणाम आया तो पता चला कि वह द्वितीय श्रेणी में पास हुई है. चूंकि उस ने वकील बनने की ठान ली थी, इसलिए उस ने आगे की पढ़ाई जारी रखने की बात पिता से की. लेकिन उस के पीछे मोहल्ले के जो गुंडे पड़े थे, उसे देखते हुए उन्होंने उसे समझाया कि वह बीए में दाखिला न ले. एक साल के लिए वह अपनी पढ़ाई स्थगित कर दे. सब ठीक हो जाएगा तो अगले सत्र में अपना एडमिशन करा लेगी.
उन्हें उम्मीद थी कि अगर रूबीना एक साल कालेज नहीं जाएगी तो उन गुंडों के हौसले पस्त हो जाएंगे. इस के बाद अगले साल वह अपनी पढ़ाई शुरू कर देगी. घर वालों की बात मान कर रूबीना ने कालेज में दाखिला नहीं लिया. पढ़ाई बंद हो जाने से रूबीना ज्यादातर घर में ही रहती थी. बहुत जरूरी होता था, तभी घर से निकलती थी. जब भी वह घर से निकलती थी, उस के साथ कभी मां तो कभी उस की बड़ी भाभी होती थीं. उसे घर में बैठेबैठे लगभग 4 महीने बीत गए. वह खाली बैठेबैठे बोर होने लगी.
तब उस ने सोचा कि खाली समय में क्यों न वह सिलाईकढ़ाई का कोर्स कर ले. इस से उस के हाथ में एक हुनर आ जाएगा. यह बात उस ने अपने अम्मीअब्बू से कही. सिलाईकढ़ाई सिखाने का सेंटर उन के घर से थोड़ी दूरी पर था, इसलिए उन्होंने उसे इस की अनुमति दे दी. रूबीना ने सिलाईकढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला ले लिया. यह अक्तूबर, 2014 के अंतिम सप्ताह की बात है. अब रूबीना घर से रोजाना शाम को 4 बजे सिलाईकढ़ाई केंद्र जाती और शाम 6 बजे वापस आ जाती. वह कुछ दिनों तक ही चैन से प्रशिक्षण केंद्र गई होगी कि उस के साथ फिर से उन लोगों ने छेड़छाड़ शुरू कर दी.
बब्बू, गप्पू या पप्पू इन में से कोई भी आए दिन उस के साथ छींटाकशी, बदतमीजी करने से बाज नहीं आता था. वह उन गुंडों से उलझने के बजाय सिर झुकाए चुपचाप आगे बढ़ जाती. जब उन की हरकतें बरदाश्त के बाहर हो गईं. तब रूबीना ने सोच लिया कि अब उन्होंने किसी प्रकार की छेड़छाड़ की तो वह उन से भिड़ जाएगी. धीरेधीरे दिसंबर का पहला सप्ताह बीत गया. लेकिन 9 दिसंबर, 2014 को रूबीना के साथ उन बदमाशों ने हद कर दी.
9 दिसबर, मंगलवार को रूबीना प्रशिक्षण केंद्र से घर लौट रही थी, तभी रास्ते में गप्पू अपने दोस्त पप्पू के साथ दिखाई दिया. उसे देखते ही वे उस के पास आ गए और उस के बगल इस प्रकार चलने लगे, जैसे वह उस के घर के सदस्य हों. साथ चलते हुए गप्पू और पप्पू छींटाकशी करने के साथ कभी उस का बैग खींच लेते तो कभी उस का दुपट्टा. वह दोनों को डांटती हुई बोली, ‘‘देख रही हूं, तुम लोगों की हिम्मत बढ़ती ही जा रही है. चुपचाप अपने रास्ते चले जाओ, वरना अभी चप्पल उतार कर यहीं तुम्हारी इज्जत का कबाड़ा कर दूंगी.’’
इस पर वे दोनों कुछ नहीं बोले. तब तक रूबीना का घर आ गया था. उन से उलझने के बजाय वह सीधे अपने घर के अंदर चली गई. उसे यह देख कर आश्चर्य हुआ कि वे दोनों भी उस के पीछेपीछे घर में घुस आए थे. घर में घुसते ही गप्पू रूबीना का हाथ पकड़ कर उस के साथ छेड़खानी करने लगा तो रूबीना ने पूरी ताकत से उस का विरोध किया. जब पप्पू भी बदतमीजी करने लगा तो रूबीना बचाओबचाओ चिल्लाने लगी. रूबीना को चिल्लाते देख गप्पू और पप्पू भाग खड़े हुए. रूबीना के चिल्लाने से उस की अम्मी और भाभी बाहर आ गईं. संयोग से उसी समय रूबीना के अब्बू भी घर आ गए, सब कुछ जानने के बाद उन सब को बहुत गुस्सा आया. लेकिन उन दबंगों का वे मुकाबला नहीं कर सकते थे.
अमीन बाबा ने अपने एक जानकार को ये सारी बातें बताईं तो वह उन्हें मानवाधिकार जन निगरानी समिति से जुड़ी समाजसेविका श्रुति नागवंशी के पास ले गया. श्रुति नागवंशी वाराणसी की एक जानीमानी समाजसेविका हैं, जो मानवाधिकार जन निगरानी समिति के बैनर तले गरीब, लाचार, असहाय, पीडि़त महिलाओं की हरसंभव मदद करती हैं. अमीन बाबा से सारी बातों की जानकारी लेने के बाद समाजसेविका ने अगले दिन वाराणसी के आईजी अमरेंद्र कुमार सेंगर के नाम एक प्रार्थना पत्र तैयार कराया और अपने एक सहयोगी के साथ रूबीना को उस की अम्मी कुरैशा बीबी के साथ आईजी औफिस भेज दिया.
उस दिन अमरेंद्र कुमार सेंगर अपने औफिस नहीं आए थे. तब रूबीना ने आईजी के पीआरओ को अपने साथ होने वाली अश्लील छेड़छाड़ की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया. रूबीना की बात सुन कर पीआरओ ने तुरंत सिगरा थाने फोन कर उचित काररवाई के लिए कहा. संयोग से उस दिन सिगरा थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र छुट्टी पर थे. थाने का प्रभार लल्लापुरा चौकी के इंचार्ज श्रीकांत राय के पास था. आईजी के पीआरओ का फोन सुन कर चौकीइंचार्ज एकदम से तिलमिला उठे और तुरंत अपने 2 कांस्टेबलों वशिष्ठ सिंह और सुरेश सिंह को कुरैशा बीबी के घर भेज दिया.
पुलिस के बुलावे पर रूबीना अपनी अम्मी के साथ जैसे ही पुलिस चौकी पहुंची, चौकीइंचार्ज श्रीकांत राय दोनों को भद्दीभद्दी गालियां देने लगे. चौकीप्रभारी ने धमकी भरे लहजे में कहा, ‘‘अब अगर आगे से तुम लोगों ने पुलिस की शिकायत आईजी या किसी और से की तो नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहना.’’
इस तरह धमकाने के बाद उन्होंने कुरैशा बीबी के सामने एक सादा कागज रखते हुए कहा, ‘‘तुम अपनी भलाई चाहती हो तो सीधे इस कागज पर अंगूठा लगा दो.’’
डर की वजह से कुरैशा बीबी ने उस कागज पर अंगूठा लगा दिया. रूबीना पढ़ीलिखी थी, इसलिए उस ने ऐतराज जताते हुए कहा, ‘‘आप ने इस कागज पर कुछ लिखा तो है नहीं, फिर यह अंगूठा क्यों लगवा लिया?’’
रूबीना के इतना कहते ही चौकीप्रभारी का एक झन्नाटेदार तमाचा उस के गाल पर पड़ा. इस के बाद वह गुस्से में रूबीना का गला पकड़ कर दबाते हुए बोले, ‘‘देख रहा हूं तेरी जुबान बहुत तेज चलने लगी है, जी करता है यहीं तेरा काम तमाम कर दूं.’’
चौकीइंचार्ज का गुस्सा देख कर कुरैशा बीबी उन के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगी कि वह उस की बेटी को छोड़ दें. वह जैसा बोलेंगे, वह वैसा करेगी. कुरैशा बीबी के काफी गिड़गिड़ाने के बाद चौकीप्रभारी ने रूबीना का गला छोड़ दिया. दोनों को इस हिदायत के साथ घर जाने की इजाजत दे दी कि आगे से वे पुलिस के खिलाफ कहीं भी किसी प्रकार की शिकायत नहीं करेंगी. इतना ही नहीं, उन्होंने उन मनचलों की झूठी शिकायत पर रूबीना के भाई को जेल भेज दिया.
कुरैशा बीबी रोती हुई बेटी के साथ अपने घर लौट आईं और इस घटना की पूरी जानकारी समाजसेविका श्रुति नागवंशी को दी. श्रुति नागवंशी को चौकीइंचार्ज का यह व्यवहार पसंद नहीं आया. उन्होंने उन की तरफ से एक पत्र तैयार करा कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व महिला आयोग को भेज दिया. आयेग को पत्र भेजने के साथ श्रुति नागवंशी ने एक बार फिर से दोनों को आईजी अमरेंद्र कुमार सेंगर के पास भेजा.
श्रुति के कहने पर कुरैशा बीबी बेटी को ले कर 12 दिसंबर, 2014 को एक बार फिर आईजी के पास पहुंची. उस दिन उन की मुलाकात आईजी से हो गई. रूबीना ने अपने साथ हुई ज्यादतियों के बारे में बताते हुए आईजी को गले पर पड़ा निशान भी दिखाया, जो चौकी-इंचार्ज के गला दबाने से पड़ा था. उन की करुण दास्तान सुनने के बाद आईजी ने उन्हें भरोसा दिया कि उन के साथ न्याय होगा और उन के मामले की जांच एसएसपी से कराई जाएगी.
इस बार कुरैशा बीबी को पूरी उम्मीद थी कि उन के साथ जरूर न्याय होगा. छेड़खानी करने वालों को सजा जरूर मिलेगी. लेकिन कुरैशा बीबी का सोचना सिर्फ सोचना ही रह गया. आरोपियों को सजा मिलने की कौन कहे, इस बार तो उन्होंने वह कर डाला, जो सीधेसीधे न सिर्फ मानवता को शर्मसार करने वाला था, बल्कि दरिंदगी की भी इंतहा कही जाएगी. आईजी से मिलने के बाद एक हफ्ता भी नहीं बीता था कि रूबीना के साथ ऐसी घटना घटी, जिस के चलते उस की जीवनलीला ही समाप्त हो गई.
गुरूवार 18 दिसंबर, 2014 दिन के 11 बजने वाले थे. रूबीना अंदर तक पानी पहुंचाने के लिए दरवाजे के पास लगे नल में रबड़ की पाइप जोड़ रही थी, तभी वहां गप्पू, पप्पू और बब्बू आ धमके. वे शायद ऐसे ही मौके का इंतजार कर रहे थे. रूबीना जब तक कुछ समझ पाती, उस के पहले ही उन में से एक ने रूबीना को दबोच कर उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. वह पूरी ताकत से इस का विरोध करने लगी, तभी एक साथी ने उस के मुंह पर हाथ रख कर साथ लाए गैलन में भरा मिट्टी का तेल उस के ऊपर उड़ेल दिया.
अब रूबीना को उन की मंशा समझते देर नहीं लगी. वह दरिंदों के चंगुल से छूटने का प्रयास करने लगी, तभी दूसरे साथी ने जेब से माचिस निकाल कर आग लगा दी. मिट्टी के तेल से भीगी रूबीना जलने लगी. रूबीना ‘बचाओबचाओ’ चिल्लाते हुए घर के अंदर भागी. आग लगा कर तीनों बदमाश भाग गए थे. बेटी की आवाज सुन कर छत पर कपड़ा सुखाने गई कुरैशा बीबी भागीभागी नीचे आईं तो बेटी को जलता देख कर उसे बचाने को दौड़ी. बचाने की कोशिश में उन का भी हाथ झुलस गया. अब तक रूबीना की बड़ी भाभी, जो उस वक्त रसोई में थी, भी वहां आ गई. खैर, दोनों ने जैसेतैसे कर के रूबीना की आग बुझाई और आननफानन उसे आटो से मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा ले जाया गया. जानकारी होते ही रूबीना के अब्बू, भाई समेत आसपास के तमाम लोग अस्पताल पहुंच गए.
घटना की खबर आग की तरह पूरे मोहल्ले में फैल गई. लेकिन ताज्जुब की बात यह थी कि रूबीना के मकान से लगी लल्लापुरा पुलिस चौकी का एक भी पुलिस वाला उस के घर में झांकने तक नहीं पहुंचा. घटना की सूचना मिलने पर अस्पताल में मीडिया वालों का जमावड़ा लग गया. डाक्टरों ने गंभीर रूप से जल चुकी रूबीना का इलाज शुरू कर दिया. उस की हालत बेहद नाजुक थी. वह 70 फीसदी से अधिक जल चुकी थी. अमीन बाबा उसी समय कुछ लोगों को ले कर सीधे सिगरा थाने पहुंचे और बेटी को इस हालत में पहुंचाने वाले गप्पू, उस के बड़े भाई बब्बू और उस के साथी पप्पू के खिलाफ भादंवि की धारा 354 क/326 के तहत नामजद रिपोर्ट लिखवा दी.
ताज्जुब की बात यह रही कि इस मामले की जांच उन्हीं चौकीइंचार्ज श्रीकांत राय को सौंपी गई, जिन्होंने शुरू से ही इस केस में ढिलाई बरती थी. मुकदमा दर्ज होते ही सिगरा थाने के थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र और चौकीइंचार्ज दलबल के साथ नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश देनी शुरू कर दी, लेकिन पुलिस को कामयाबी नहीं मिली. घटना की जानकारी मिलते ही एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने भी घटनास्थल का दौरा कर स्थानीय लोगों से जानकारी हासिल की. एसएसपी ने शीघ्र से शीघ्र आरोपियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए. आखिरकार शाम होतेहोते पुलिस ने पप्पू अंसारी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली.
रूबीना के अब्बूअम्मी ने मीडिया वालों को बताया कि बेटी के साथ घटी यह घटना लल्लापुरा चौकीइंचार्ज श्रीकांत राय व सिगरा थानाप्रभारी श्री मिश्र के कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने के कारण घंटी है. बेटी को इस हालत तक पहुंचाने में पुलिस विभाग की लापरवाही ही मुख्य कारण रही है. अमीन बाबा और कुरैशा बीबी का कहना था कि अगर समय रहते पुलिस के आला अफसर हमारी शिकायत पर ध्यान दिए होते और आरोपियों के खिलाफ कठोर काररवाई की गई होती तो शायद यह घटना नहीं घटती. रूबीना की हालत इलाज के बावजूद स्थिर बनी हुई थी. पुलिस द्वारा फरार नामजद दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर रूबीना के घर वालों के अलावा मोहल्ले के लोगों का भी आक्रोश बढ़ता जा रहा था. तब एसएसपी ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच की टीम को लगा दिया.
आखिरकार 2 दिनों बाद पुलिस को सफलता मिल गई. एक सूचना के बाद पुलिस ने बाबूदान उर्फ बब्बू और उस के भाई गप्पू को 20 दिसंबर, 2014 की सुबह जयसिंह चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष शकील अहमद बबलू, सपा के महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, सपा नेता व पार्षद वरुण सिंह के साथ मंडलीय अस्पताल में भरती पीडि़ता रूबीना को देखने पहुंच गए. उन्होंने रूबीना के घर वालों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार रूबीना के इलाज में कोई लापरवाही नहीं होने देगी, अगर जरूरी हुआ तो बेहतर इलाज के लिए उसे लखनऊ स्थित पीजीआई ले जाया जाएगा.
उन्होंने पीडि़ता के परिवार को 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए कहा कि सरकार आगे भी उन की मदद करेगी. उन्होंने इस मामले पर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और जिलाधिकारी से भी बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 25 दिसंबर को वाराणसी आने का प्रोग्राम पहले से तय था. उन के संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय की एक छात्रा के साथ घटी दरिंदगी की इस अमानवीय घटना पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय की एक टीम भी 20 दिसंबर को पीडि़ता के परिवार से मिली. टीम ने अस्पताल में भरती रूबीना को भी देखा. कुछ सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों व व्यापारी नेताओं से पीडि़ता का हाल जान कर हर संभव सहयोग देने की बात कही.
अस्पताल में एक ओर जहां पीडि़ता का हाल जानने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, समाजसेवी तथा व्यापारी संगठनों के पदाधिकारियों का तांता लगा था, वहीं इस मामले में 20 दिसंबर को एक नाटकीय मोड़ तब आया, जब लल्लापुरा मोहल्ले के 15-20 महिला और पुरुष दोपहर 12 बजे के लगभग सिगरा थाने पहुंच कर थाने का घेराव करने लगे. प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वे सभी निर्दोष हैं और अमीन बाबा ने पुरानी रंजिश के चलते उन्हें इस मामले में फंसाया है.
थाने के बाद इन लोगों ने लल्लापुरा पुलिस चौकी के सामने भी प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस रूबीना के मामले में एक तरफा काररवाई कर रही है. इसलिए आरोपियों को रिहा किया जाना चाहिए. चौकी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी तरह इन लोगों को समझाबुझा कर वापस घर भेजा. इस पर अमीन बाबा का कहना था कि यह सब कुछ पुलिस का ही किया धरा था. पुलिस ने ही पेशबंदी कर लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया था, ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके और मामले को दूसरा मोड़ दिया जा सके.
रूबीना के इलाज में डाक्टरों की एक पूरी टीम तन्मयता से लगी थी, लेकिन रूबीना की हालत में कोई विशेष सुधार नहीं हो रहा था. 3 दिन बीत जाने के बाद भी उस की हालत खतरे से बाहर नहीं थी. अलबत्ता डाक्टरों से विचारविमर्श के बाद राजनीतिज्ञ दबाव के चलते पुलिस ने अस्पताल में भरती रूबीना का मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज करा दिया. बताया जाता है कि रूबीना ने मजिस्ट्रेट को नामजद तीनों आरोपियों के खिलाफ बयान दिए. उस ने पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही के बारे में भी मजिस्ट्रेट को बताया. डाक्टरों की हर संभव कोशिश थी कि रूबीना बच जाए, लेकिन उन की यह कोशिश असफल रही और 26 दिसंबर, 2014 को रूबीना की अस्पताल में ही मौत हो गई.
रूबीना की मौत के बारे में जैसे ही उस के घर वालों को पता चला, वे अपना आपा खो बैठे. थानाप्रभारी शिवानंद मिश्र, चौकीप्रभारी श्रीकांत राय पर खुला आरोप लगाया कि यही दोनों रूबीना की मौत के जिम्मेदार हैं. सूचना के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के भी हाथपांव फूलने लगे. मानमनौव्वल के बाद किसी तरह 8 बजे पुलिस ने रूबीना के शव को अपने कब्जे में लिया और पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद घर वालों ने उसी शाम को उस का अंतिम संस्कार कर दिया. उस के जनाजे में भारी संख्या में लोग शामिल हुए.
रूबीना की मौत के बाद यह मामला ठंडा नहीं हुआ, बल्कि कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच को ले कर जागरूकता अभियान छेड़ दिया. साझा संस्कृति मंच के बैनर तले 30 दिसंबर, 2014 को काशी की निर्भया को न्याय दिलाने के लिए दोपहर 12 बजे पुलिस लाइन से जिला मुख्यालय तक एक रैली निकाली गई. कार्यकर्ता दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग कर रहे थे. साझा संस्कृति मंच के कार्यकर्ताओं ने पुन: 7 जनवरी, 2015 को बीएचयू के सिंहद्वार से एक हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया, जिस में मैग्गसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय ने भी भाग लिया. इसी के साथ मानवाधिकार जन निगरानी समिति आदि संगठनों ने भी जुलूसप्रदर्शन के माध्यम से इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों को कठोरतम सजा दिलाने की मांग की.
रूबीना का इंतकाल हुए कई महीने बीत गए हैं, इस के बावजूद भी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई है. कई सामाजिक संस्थाएं और संगठन आज भी रूबीना को न्याय दिलाने के लिए प्रयास जारी रखे हुए हैं. इस के अलावा अभी तक न तो प्रदेश सरकार और न ही केंद्र सरकार की तरफ से रूबीना के परिवार वालों को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता दी गई है. अब यहां सवाल यह उठता है कि जब रूबीना और उस के मातापिता थानाप्रभारी से ले कर डीआईजी तक अपनी फरियाद ले कर गए तो उन मनचलों के खिलाफ पुलिस ने काररवाई क्यों नहीं की?
गृह मंत्रालय की टीम जब पीडि़ता और उस के घर वालों से मिली होगी तो जाहिर है टीम ने बाद में पुलिस अधिकारियों को इस बारे में कुछ न कुछ निर्देश जरूर दिए होंगे, इस के बाद भी पुलिस ने पीडि़ता की सहायता नहीं की. इस से तो यही लगता है कि स्थानीय पुलिस के साथ उन तीनों मनचलों के इतने गहरे रिश्ते रहे होंगे कि उन के हौंसले बहुत ज्यादा बुलंद थे. तभी तो उन्होंने दिनदहाड़े रूबीना को जिंदा जलाया. बहरहाल इतना तो सच है कि पुलिस की अकर्मण्यता से एक होनहार लड़की बेमौत मारी गई. Real Crime Story Hindi






