Love Story Hindi Kahani: 29 वर्षीय रितिका सेन को 2 बच्चों के बाप सचिन राजपूत से प्यार हो गया. सचिन भी रितिका को अपना दिल दे बैठा. सचिन उस के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा. एकदूसरे को दिलोजान से चाहने वाले इस प्रेमी युगल के संबंधों में कड़वाहट भी पैदा हो गई. फिर एक दिन यही कलह उस मुकाम पर पहुंची कि…

27 जून, 2025 की रात को भी रितिका देर से घर लौटी तो उस के चरित्र को ले कर सचिन ने एक बार फिर से गंभीर टीकाटिप्पणी की तो रितिका की उस से तीखी नोकझोंक हो गई.

”मैं जानता हूं कि तू अपने बौस के साथ गुलछर्रे उड़ा कर आ रही है, इसी कारण घर आने में देर हुई.’’

”तुम्हें शर्म आनी चाहिए ऐसी बात कहते हुए.’’ रितिका कह देती, ”कोई एक बात तो बताओ जो मुझे चरित्रहीन साबित कर दे. कम से कम तोहमत लगाने से पहले मेरी नौकरी करने वाली कंपनी में जा कर लोगों से पूछ तो लेते मेरा चरित्र कैसा है. मैं नौकरी सिर्फ इसलिए करती हूं कि जब तक तुम बेरोजगार हो, तब तक घर अच्छे से चल सके.’’ रितिका ने समझाया.

”मुझे किसी से पूछने की जरूरत नहीं है, मैं सब जानता हूं. तुझे घर चलाने की फिक्र नहीं, बौस से मिलने की फिक्र ज्यादा होती है.’’ सचिन ने ताना दिया.

उसी समय सचिन ने एक खतरनाक फैसला ले लिया था. सचिन देर रात तक जागता रहा. रात तकरीबन 12 बजे का समय था, समूचे गायत्री नगर में सन्नाटा पसरा हुआ था, तभी सचिन ने पूरी ताकत से रितिका का गला दबा दिया. उस की चीख भी नहीं निकल सकी. सचिन के शक्की मिजाज ने उसे हैवान बना दिया था. लगभग साढ़े 3 साल से सचिन राजपूत के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रह रही रितिका को मौत के घाट उतारते वक्त उस के हाथ नहीं कांपे. हत्या करने के बाद उस की लाश चादर में लपेट कर बैड पर रख दिया और 2 दिनों तक लाश के बगल में शराब पी कर बिना किसी हिचकिचाहट के सोता रहा.

अपनी प्रेमिका की हत्या करने के बाद जैसे ही सचिन राजपूत नशे की हालत से बाहर आया तो उस ने मिसरोद में रहने वाले अपने दोस्त अनुज उपाध्याय को फोन कर अपनी प्रेमिका रितिका की हत्या की सूचना दे दी. रितिका की हत्या बात सुन कर पहले तो अनुज को सचिन की बात पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब सचिन ने जोर दे कर कहा तो अनुज उपाध्याय ने बिना देरी किए बजरिया थाने की एसएचओ शिल्पा कौरव को इस की सूचना दे दी. हत्या की सूचना पा कर एसएचओ शिल्पा कौरव तुरंत अपने सहायकों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गईं. रास्ते में ही उन्होंने इस मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी थी.

कुछ देर में वह गायत्री नगर, भोपाल के फ्लैट नंबर 34 पर पहुंच गईं. उन्होंने घटनास्थल और शव का बारीकी से निरीक्षण किया. रितिका की लाश 48 घंटे से ज्यादा समय तक चादर में लिपटे पड़े रहने से डीकंपोज (खराब) होने लगी थी, अत: उन्होंने जरूरी काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और फ्लैट में ही मौजूद मृतका के हत्यारे लिवइन पार्टनर सचिन राजपूत को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी. पूछताछ में सचिन ने अपनी प्रेमिका रितिका सेन की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

उधर जिस फ्लैट में रितिका और सचिन पिछले 9 महीने से किराए पर रह रहे थे, उस के मालिक शैलेंद्र वर्मा ने पुलिस को बताया कि वह तो दोनों को पतिपत्नी ही समझते थे. फ्लैट किराए पर लेते वक्त सचिन ने रितिका को अपनी पत्नी बताया था. हालांकि रितिका की मांग में सिंदूर भरा न देख मेरी पत्नी ने रितिका को टोका भी था. तब रितिका ने कहा था कि आंटीजी, मैं प्राइवेट कंपनी में काम करती हूं, वहां कोई भी शादीशुदा महिला मांग भर कर नहीं आती, इसलिए मैं भी नहीं भरती. वैसे भी मैं नए खयालातों की हूं. गहनता से की गई पूछताछ में ऐसी कहानी निकल कर सामने आई कि पुलिस भी सोचने पर मजबूर हो गई. चौंकाने वाली बात यह थी कि सचिन राजपूत ऐसा हैवान था, जिसे अपनी प्रेमिका की हत्या करने का तनिक भी मलाल नहीं था.

29 वर्षीय रितिका सेन और सचिन राजपूत के बीच शुरुआत में मोबाइल पर प्यार भरी बातों का सिलसिला शुरू हुआ, फिर छोटीछोटी मुलाकातें जब आगे बढ़ीं तो दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटने लगा. कुछ ही दिनों में उस ने वृक्ष का रूप अख्तियार कर लिया. कुछ समय तक पिकनिक स्पौट, कैफे और पार्क में मुलाकातें करने के बाद दोनों ने बिना किसी हिचकिचाहट के लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला कर लिया. यह बात जैसे ही दोनों के फेमिली वालों को मालूम हुई तो उन्होंने इस का विरोध किया. क्योंकि रितिका सेन समाज की थी, जबकि सचिन जाति से राजपूत था. इतना ही नहीं, वह 2 बच्चों का बाप था और रितिका के चक्कर में पत्नी से तलाक लेने की कोशिश कर रहा था. दोनों के फेमिली वाले उन की आशिकी को ले कर परेशान थे.

फेमिली वालों ने उन्हें हर तरह से समझाया. ऊंचनीच का वास्ता दिया, लेकिन फेमिली वालों के विरोध की परवाह किए बिना ही दोनों भोपाल के गायत्री नगर इलाके में किराए पर फ्लैट ले कर रहने लगे. शुरुआत के दिनों में दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहते हुए बेहद खुश थे. सचिन विदिशा जिले के सिरोंज का रहने वाला था, जबकि रितिका भोपाल की. वह अपने फेमिली वालों को छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी. इस का असर यह हुआ कि वे एकदूसरे की अच्छाइयों और कमजोरी को जान गए. समय अपनी गति से गुजरता रहा. इस बीच सचिन रितिका के मोबाइल फोन के हर वक्त बिजी रहने से काफी तनावग्रस्त रहने लगा था. क्योंकि वह जब भी उसे फोन करता, उस का मोबाइल व्यस्त ही आता था. सचिन समझ नहीं पा रहा था कि वह हर वक्त किस से बात करती है.

इसी हकीकत को जानने के लिए सचिन ने एक दिन उस का मोबाइल चैक किया तो पता चला कि वह घंटों अपने बौस से बातें करती है. सचिन समझ गया कि रितिका और उस के बौस के बीच अवश्य चक्कर है. चरित्र पर संदेह करने की वजह से दोनों में अकसर लड़ाई होने लगी थी. यह लड़ाई कभीकभी मारपीट तक पहुंच जाती थी. सचिन बेरोजगार था. रितिका के नौकरी करने से किसी तरह उस की गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी. रितिका को प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने की वजह से घर आने में अकसर देर हो जाती थी. उधर अकसर उस का मोबाइल फोन भी व्यस्त रहता था.

यह बात सचिन को कतई पसंद नहीं थी. रितिका जिस दिन भी घर देर से आती, सचिन जरूर उस से झगड़ा करता. अनेक बार रितिका ने सचिन को समझाया भी कि देखो, तुम्हारा शक झूठा है. तुम्हें घर पर निठल्ले बैठेबैठे शक करने की बीमारी हो गई है. इस उम्र में मैं अपने बौस से इश्क लड़ा कर क्या अपना भविष्य चौपट करूंगी.

”मैं सब जानता हूं, तुम जैसी लड़कियां अपने प्रेमी को बहलाने के लिए इसी तरह की नौटंकियां किया करती हैं,’’ सचिन ने गहरी नजर से घूरते हुए कहा.

रितिका ने कहा, ”तुम्हें तो कोई चिंता है नहीं, तुम यूं ही शक करते रहे तो न जाने एक दिन क्या होगा.’’

सचिन अपने शक से बाहर निकलने को कतई तैयार नहीं था. रितिका सचिन को समझातेसमझाते थक चुकी थी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं होता था.

27 जून, 2025 की रात रितिका ने सचिन से दोटूक शब्दों में कहा, ”आए दिन तुम मेरे चरित्र पर तोहमत लगाते रहते हो, यह अच्छी बात नहीं है.’’

रितिका की बात पर सचिन को ताव आ गया. बोला, ”तेरी जुबान आजकल कुछ ज्यादा ही चलने लगी है,’’ कहते हुए उस ने रितिका पर हाथ छोड़ दिया. कहते हैं कि शक इंसान को किसी भी हद तक सोचने पर मजबूर कर देता है, एक बार शक ने पैर जमाए तो वह दिमाग में घर कर के बैठ गया, लाख समझाने के बाद भी सचिन का शक बढ़ता गया तो वह खोयाखोया रहने लगा. शक पूरी तरह से उस की जिंदगी का हिस्सा बन चुका था. जिस दिन भी रितिका देर शाम अपनी नौकरी से घर वापस आती, सचिन ने घर में तूफान खड़ा कर देता.

बात 26 जून, 2025 की है. शाम के 6 बजे थे. उस दिन सचिन का मन रितिका से तकरार हो जाने की वजह से कुछ उखड़ा हुआ था, लेकिन इस के बावजूद भी वह अपने मित्र अनुज उपाध्याय को ले कर अपने फ्लैट पर आया था. फ्लैट के भीतर कदम रखते ही सचिन ने मित्र को बैठक में बिठा दिया और रितिका को आवाज लगाई. कई बार आवाज लगाने के बावजूद रितिका ने कोई जवाब नहीं दिया, इस पर सचिन बैडरूम का दरवाजा धकेल कर जैसे ही बैडरूम में घुसा, उस ने रितिका को गहरी नींद में सोता हुआ पाया. तब वह बोला, ”रितिका डार्लिंग, देखो मेरे साथ कौन आया है?’’

फिर भी रितिका ने कोई उत्तर नहीं दिया. तब सचिन अपने दोस्त की ओर मुंह कर धीरे से बोला, ”गहरी नींद में सो रही है.’’

जबकि असलियत यह थी कि उसे नींद से जगाने का साहस सचिन जुटा नहीं पा रहा था. इस की वजह थी, बीती रात रितिका के साथ हुई उस की तीखी नोकझोंक. रितिका के चरित्र को ले कर शुरू हुई नोकझोंक में जितना सचिन ने कहा, उस से कहीं ज्यादा जलीकटी बातें रितिका ने उसे सुना दी थीं. एक तरह से रितिका ने अपना सारा गुस्सा उस पर उतार दिया था. सुबह होने पर सचिन ने रितिका को गुस्से के मूड में ही पाया. वह अपनी नौकरी पर जाने से पहले गुमसुम रह कर किचन में अपने लिए लंच तैयार करने में जुटी हुई थी. इस दौरान न तो सचिन ने रितिका से एक भी शब्द बोला और न रितिका ने अपनी जुबान खोली. यहां तक कि उस ने बेमन से नाश्ता तैयार किया.

दरअसल, रितिका अपना काम मेहनत और लगन से करती थी, जिस से उस के बौस उस से काफी खुश थे. रितिका का अपने बौस से बेझिझक और खुल कर बातें करना सचिन के संदेह का कारण बन गया, जो वक्त के साथ गंभीर होता जा रहा था. सचिन इस के लिए रितिका को कई बार समझा भी चुका था, लेकिन रितिका ने उस पर ध्यान नहीं दिया था. उस का कहना था कि कंपनी में वह जिस माहौल में काम करती है, उस में बौस से ले कर अन्य कर्मचारियों से संपर्क में रहना ही पड़ता है. मगर सचिन यह मानने को तैयार नहीं था. रितिका के चरित्र को ले कर सचिन राजपूत का संदेह दिनप्रतिदिन गहरा होता जा रहा था.

सचिन बीती रात से ले कर सुबह होने तक की यादों से तब बाहर निकला, जब उस के दोस्त अनुज ने आवाज लगाई, ”सचिन, क्या हुआ, सब खैरियत तो है न? रितिका भाभी कहीं गई हैं क्या?’’

”अरे नहीं यार, अभी तक वह सो रही है. लगता है गहरी नींद में है, उसे गहरी नींद से जगाना उचित नहीं होगा.’’ सचिन वहीं से तेज आवाज में बोला.

”कोई बात नहीं, तुम यहां आ जाओ.’’ अनुज बोला और सचिन ने बैडरूम का दरवाजा खींच कर बंद कर दिया.

संयोग से दरवाजे के हैंडल पर उस का हाथ लग गया और दरवाजा खट से तेज आवाज के साथ बंद हो गया. इसी खटाक की आवाज से रितिका की नींद भी खुल गई. सचिन बैडरूम से निकल कर अपने दोस्त अनुज के पास आ कर बैठ गया. कुछ देर में रितिका भी आंखें मलती हुई बैडरूम से किचन में चली गई. किचन में जाते हुए उस की नजर बैठक में बैठे सचिन के दोस्त अनुज उपाध्याय पर पड़ गई थी. अनुज ने भी रितिका को देख लिया था और देखते ही तुरंत बोल पड़ा, ”भाभीजी नमस्ते, कैसी हैं आप?’’

थोड़ी देर में रितिका ने एक ट्रे में पानी से भरे 2 गिलास टेबल पर रख दिए. अनुज ने भी पानी पीने के बाद खाली गिलास ट्रे में रख दिया. रितिका अनुज से परिचित थी और यह भी जानती थी कि यह सचिन का करीबी दोस्त है. इस कारण उस के मानसम्मान में कभी कोई कमी नहीं रखती थी. अनुज से अनौपचारिक बातें करने के बाद दोबारा वह किचन में चली गई. कुछ मिनट में ही रितिका अनुज और सचिन के पास 3 कप चाय के ट्रे में ले कर उन के सामने ही सोफे पर बैठ गई थी. हकीकत में अनुज को सचिन के साथ आया देख कर रितिका कुछ सुकून महसूस कर रही थी. वह भी बीती रात से ले कर कुछ समय पहले तक के मानसिक तनाव से उबरना चाह रही थी.

रितिका ने चाय का कप उठा कर मुसकराते हुए अनुज की ओर बढ़ा दिया. अनुज हाथ में कप लेते हुए बोला, ”भाभीजी, आप ठीक तो हैं न? कैसी हालत बना रखी है आप ने? लगता है, सारी रात ठीक से सो नहीं पाई हो?’’

रितिका मौन बनी रही. उधर सचिन भी मौन रहा. कुछ पल बाद रितिका धीमे स्वर में बोली, ”यह अपने जिगरी दोस्त से पूछो, तुम्हारे सामने ही बैठा है.’’

”क्यों भाई सचिन, क्या बात है?’’

”अरे यह क्या बोलेगा, इस ने तो मेरी जिंदगी में तूफान ला दिया है. अब शेष बचा ही क्या है, अपने दोस्त को तुम ही समझाओ.’’ रितिका थोड़ा तल्ख आवाज में बोली.

”क्या बात हो गई? क्या तुम दोनों के बीच फिर से तूतूमैंमैं हुई है?’’ अनुज बोला.

”आप तूतूमैंमैं की बात करते हो,’’ कुछ देर मौन रह कर रितिका ने फिर बोलना शुरू किया, ”साढ़े 3 साल मेरे साथ गुजारने के बाद तुम्हारा मित्र कहता है कि मैं चरित्रहीन हूं, मेरा अपने बौस के साथ चक्कर चल रहा है. मुझे अब भलीभांति समझ में आ गया है कि तुम्हारे बेरोजगार दोस्त को सिर्फ मेरे कमसिन जिस्म और पैसों में दिलचस्पी थी. उसे न मेरी जिंदगी से कोई मतलब और न ही मेरी भावनाओं से, वह तो सिर्फ मेरे जिस्म से अपनी कामोत्तेजना शांत कर मेरे द्वारा नौकरी कर के मेहनत से लाए पैसों से मौज कर रहा है.

”साढ़े 3 साल तक मेरे साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने के बाद अब तुम्हारे दोस्त को मैं चरित्रहीन नजर आने लगी. इस के इश्क के चक्कर में मैं ने अपने घर वालों से नाता तोड़ लिया. और अब ये कह रहा है कि तू चरित्रहीन है, मैं अब तेरे साथ नहीं रह सकता, तू तो अपने बौस के साथ रह. अनुज, अब तुम ही बताओ कि मैं कहां जाऊं? क्या करूं? क्या जहर खा कर आत्महत्या कर लूं?’’

”भाभीजी, आप ऐसा कुछ भूल कर भी मत कर लेना वरना सचिन को जेल की हवा खानी पड़ेगी.’’ अनुज ने सचिन को समझाने का भरपूर प्रयास किया.

”यही तो मेरी जिंदगी बन गई है. कहां तो मुझ पर बड़ा प्यार उमड़ता था. कहता था जानेमन, तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. कहां गईं वो प्यार की बातें? कहां गए वादे, जिस के भरोसे मैं ने अपने पेरेंट्स और भाई से नाता तोड़ दिया था.’’

रितिका भाभी ने जब अपने मन की भड़ास पूरी तरह से निकाल ली, तब अनुज सचिन से बोला, ”क्यों भाई सचिन, ये मैं क्या सुन रहा हूं? रितिका भाभी जो कुछ कह रही हैं, क्या वह सही है? यदि हां तो तुम्हें रितिका भाभी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.’’

सचिन दोस्त अनुज की बातें चुपचाप सुनता रहा. उस की जुबान से एक शब्द नहीं निकला. सचिन की चुप्पी देख कर अनुज फिर बोलने लगा, ”तुम्हें रितिका भाभी के चरित्र पर संदेह करते हुए जरा भी शर्म नहीं आती?

”भाभी का अपने बौस के साथ चक्कर चलने का बेबुनियाद आरोप लगा कर तुम उन की चारित्रिक हत्या करने के साथ जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हो. देखो, तुम दोनों की भलाई इसी में है कि तुम जितनी जल्दी हो सके, रितिका भाभी से माफी मांगने के बाद विधिवत शादी कर लो और उन्हें समाज में सिर उठा कर पूरे मानसम्मान के साथ जीने का अधिकार दे दो.’’

मानसम्मान की बात सुनते ही सचिन बिफर पड़ा. तल्ख स्वर में बोला, ”अनुज, किस मानसम्मान की बात कर रहे हो, रितिका के चरित्र को ले कर इस के औफिस के लोगों से ले कर कालोनी के लोग क्या कुछ नहीं कहते हैं. ये भी रोज ताना मारती है कि मैं यदि नौकरी करने नहीं जा रही होती तो नानी याद आ जाती, कहां से देते फ्लैट का भाड़ा, लाइट का बिल, दूध और किराने वाले को पैसे. खुद बेरोजगार होते हुए भी काम की तलाश में नहीं जाते, सारा दिन मोबाइल फोन और टीवी सीरियल देखने में वक्त जाया करते रहते हो.’’

इतना सब सुनने के बाद अजीब दुविधा में फंसा अनुज समझ नहीं पा रहा था कि वह किस का पक्ष ले और किसे समझाए? फिर भी अनुज ने दोनों को बात का बतंगड़ न बनाने और प्रेम से मिल कर रहने की सलाह दे सचिन के घर से विदा ली. अनुज उपाध्याय के जाते ही दोनों आपस में फिर से उलझ गए. दोनों में तूतूमैंमैं होने लगी. दोनों तेज आवाज में एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगाने लगे कि उन के आपसी विवाद में अनुज को क्यों लाया गया? इसी बात को ले कर रितिका और सचिन में नोकझोंक होती रही.

उन दोनों में नोकझोंक होने की आवाज पड़ोसियों को सुनाई दे रही थी, लेकिन उस के भाड़े के फ्लैट के आसपास कोई ऐसा पड़ोसी नहीं था, जो उन दोनों को झगडऩे से रोक सके, उन को शांत कर सके या फिर उन्हें समझा सके. पड़ोसियों के लिए तो उन के झगड़े आए दिन की बात हो चुकी थी. फिर रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर सचिन राजपूत ने रितिका सेन की हत्या कर दी. पूछताछ के बाद पुलिस ने सचिन राजपूत को अदालत में पेश किया, जहां से उसे हिरासत में जेल भेज दिया गया. सचिन ने यदि अपने शक्की मिजाज को काबू रख कर अपनी प्रेमिका की बात पर भरोसा कर के जिंदगी जी होती तो शायद जेल जाने की नौबत नहीं आती. Love Story Hindi Kahani

 

 

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