Hindi Crime Stories: डा. प्रिया की शादी हुए 5 साल हो गए थे, लेकिन उन के और डा. कमल के संबंध पतिपत्नी की तरह नहीं बन पाए थे. आखिर इस की वजह क्या थी, आगे इस का परिणाम क्या हुआ? दिल्ली के थाना नबी करीम पुलिस की जीप 18 अप्रैल की रात करीब 2 बजे पहाड़गंज स्थित होटल प्रेसीडेंसी पहुंची तो मैनेजर बाहर ही मिल गया. थानाप्रभारी जीप से जैसे ही उतरे, मैनेजर ने उन के पास आ कर कहा, ‘‘इंस्पेक्टर साहब, हमारे होटल के कमरा नंबर 302 में ठहरी डा. प्रिया वेदी के कमरे में कोई हलचल नहीं हो रही है. हमें डर लग रहा है कि उस में कोई अनहोनी तो नहीं हो गई?’’
‘‘डा. प्रिया वेदी कौन हैं, होटल में कब से ठहरी हैं?’’ थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘वह अकेली ही थीं या उन के साथ कोई और भी था?’’
‘‘सर, आज ही दिन के साढ़े बारह बजे के आसपास वह अकेली ही आई थीं. सामान के नाम पर उन के पास एक ट्रौली बैग था. पहचान पत्र के रूप में उन्होंने राजस्थान ट्रांसपोर्ट अथौरिटी की ओर से जारी किया गया ड्राइविंग लाइसेंस दिया था.’’

‘‘वह जब से आईं, बाहर बिलकुल नहीं निकलीं?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘कमरे में जाने के बाद से उन्होंने न तो रूम अटेंडेंट को बुलाया है और न ही कमरे से बाहर निकली हैं. सर, जब वह यहां आई थीं तो कुछ तनाव में लग रही थीं. रिसैप्शन पर ही मैं ने उन्हें ठंडा पानी मंगा कर पिलाया था, ताकि वह रिलैक्स महसूस करें. मैं ने उन से पूछा भी था, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं था. वैसे भी किसी से उस की व्यक्तिगत बातों के बारे में ज्यादा नहीं पूछा जा सकता.’’
‘‘इस बीच आप ने उन के बारे में पता करने की कोशिश नहीं की?’’
‘‘सर, आधी रात तक जब उन के कमरे से किसी तरह की सर्विस की कोई काल नहीं आई तो मैं ने रूम अटेंडेंट को भेजा कि जा कर मैडम से पूछ लो कि उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है. लेकिन बारबार बेल बजाने के बाद भी जब उन्होंने दरवाजा नहीं खोला तो मुझे शक हुआ और मैं ने पुलिस को सूचना दे दी.’’ मैनजर ने एक ठंडी सांस ले कर कहा.
‘‘चलो, मुझे वह कमरा दिखाओ, जिस में डा. प्रिया वेदी ठहरी हुई हैं.’’
मैनेजर पुलिस टीम को तीसरी मंजिल स्थित कमरा नबंर 302 पर ले गया. थानाप्रभारी ने कमरे का दरवाजा खुलवाने की काफी कोशिश की. जब दरवाजा खुलवाने की उन की हर कोशिश नाकामयाब हो गई तो उन्होंने कहा, ‘‘अब कमरे का दरवाजा तोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.’’
मैनेजर ने रिसैप्शन से 2-3 कर्मचारियों को बुलवा लिया तो उन्होंने कमरे के दरवाजे पर जोरजोर धक्के दिए, जिस से अंदर लगी सिटकनी उखड़ गई और दरवाजा खुल गया. अंदर जाने पर कमरे में पड़ा बैड खाली मिला. कमरे से अटैच बाथरूम खोला गया तो उस में डा. प्रिया खून से लथपथ पड़ी थीं. उन के एक हाथ की नस कटी थी तो दूसरे में ड्रिप लगी थी. होटल मैनेजर ने बताया कि यही डा. प्रिया वेदी हैं. थानाप्रभारी ने डा. प्रिया की नब्ज देखी तो वह थम चुकी थी. उन में जीवन का कोई भी लक्षण नहीं था. थाना नबी करीम पुलिस डा. प्रिया की लाश का निरीक्षण कर ही रही थी कि उन के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर थाना डिफेंस कालोनी पुलिस भी उन के घर वालों के साथ होटल प्रेसीडेंसी पहुंच गई.
घर वालों ने भी उस लाश की शिनाख्त डा. प्रिया के रूप में कर दी. उन्होंने बताया कि यह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एनेस्थीसिया की सीनियर रेजीडेंट थीं और अपने पति डा. कमल वेदी के साथ एम्स के आयुर्विज्ञाननगर में रहती थीं. पुलिस ने कमरे की तलाशी ली तो डा. प्रिया वेदी का लिखा साढ़े 3 पेज का एक सुसाइड नोट मिला. होटल के कमरे का हर सामान अपनी जगह रखा था. डा. प्रिया का भी सामान सुरक्षित था. इस से साफ लग रहा था कि यह हत्या का नहीं, खुदकुशी का ही मामला है. पुलिस ने जरूरी काररवाई के बाद डा. प्रिया वेदी की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इतनी काररवाई निपटातेनिपटाते सुबह हो गई थी.
19 अप्रैल को पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने डा. प्रिया की लाश घर वालों को सौंप दी तो उसी दिन उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. अंतिम संस्कार में एम्स के भी कई डाक्टर शामिल हुए थे. वे डा. प्रिया की मौत को ले कर तरहतरह की बातें कर रहे थे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि डा. प्रिया वेदी ने आत्महत्या की है. उन का कहना था कि वह बहुत ही हंसमुख और मिलनसार थीं. साथी डाक्टरों से उन के काफी अच्छे संबंध थे. उन का कहना था कि उन्होंने अपने दिल में छिपे दर्द का कभी किसी को अहसास नहीं होने दिया. डा. प्रिया एम्स में अगस्त, 2014 से एनेस्थीसिया की सीनियर रेजीडेंट के पद पर काम कर रही थीं. उन के पति डा. कमल वेदी भी एम्स में ही स्किन के डाक्टर थे. वह डा. कमल से एक साल जूनियर थीं.
होटल के कमरे में पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला था, उस में डा. प्रिया ने पति पर समलैंगिक होने का आरोप लगाया था. पुलिस की शुरुआती जांच में यह बात सामने भी आई है कि डा. प्रिया ने खुदकुशी करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट पर कई बातें लिखी थीं. डा. प्रिया ने फेसबुक पर लिखा था कि मैं पिछले 5 सालों से डा. कमल वेदी के साथ शादीशुदा जिंदगी बिता रही हूं, लेकिन हमारे शारीरिक संबंध नहीं बने, जो कि दांपत्य के लिए जरूरी होते हैं. शादी ही इसी के लिए होती है. मुझे एक फर्जी ईमेल आईडी मिली थी, जिस के द्वारा मेरे पति समलैंगिकों से बातें करते थे. मुझे जब इन सब बातों का पता चला तो मुझे प्रताडि़त किया जाने लगा.
उसी दिन डा. प्रिया के घर वालों ने दिल्ली के नबी करीम पुलिस थाने में डा. कमल के खिलाफ दहेज प्रताड़ना एवं अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करा दिया. दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच में मिले साक्ष्यों एवं डा. प्रिया के घर वालों के बयान के आधार पर 19 अप्रैल को डा. कमल को गिरफ्तार कर लिया. डा. प्रिया कौन थीं, कितने संघर्षों के बाद डाक्टर बन कर उन्होंने पिता का सपना पूरा किया था? इतना संघर्ष कर के जीवन को संवारने वाली डा. प्रिया ने आखिर आत्महत्या क्यों की? यह सब जानने के लिए हमें जयपुर से शुरुआत करनी होगी.
राजस्थान की राजधानी जयपुर, जो गुलाबी नगर के नाम से मशहूर है, के चांदपोल बाजार में एक छोटी सी गली है, जिसे गोविंदरावजी का रास्ता कहते हैं. इसी रास्ते में कान महाजन बड़ के पास रामबाबू वर्मा रहते हैं. वह टेलरिंग यानी कपड़ों की सिलाई की दुकान से गुजरबसर करते थे. उन के 3 बच्चे थे, सब से बड़ा बेटा विजय, उस से छोटी बेटी प्रिया और सब से छोटा बेटा लोकेश. उन के तीनों ही बच्चे पढ़ाईलिखाई में काफी होशियार थे. रामबाबू वर्मा खुद तो ज्यादा नहीं पढ़ सके थे, लेकिन वह बच्चों को पढ़ालिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे. यही उन का सपना भी था, जिसे पूरा करने के लिए वह जम कर मेहनत कर रहे थे. उन का चूनेमिट्टी का मकान था. सीमित आय थी. जाहिर है, घर के हालात बहुत अच्छे नहीं थे. कपड़ों की सिलाई की आमदनी से किसी तरह परिवार की दालरोटी चल रही थी. बच्चे पढ़ने लगे तो खर्च बढ़ता गया.
लेकिन रामबाबू ने हिम्मत नहीं हारी. वह बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन दूनी और रात चौगुनी मेहनत करने लगे. पत्नी भी उन का साथ देती थीं. इस तरह बच्चों की पढ़ाई के लिए पतिपत्नी न दिन देख रहे थे न रात. पतिपत्नी की दिनरात की मेहनत रंग लाई और बड़े बेटे विजय का सिलेक्शन मैडिकल में हो गया. प्रिया उस से छोटी थी. भाई के सिलेक्शन के बाद उस ने भी डाक्टर बनने का मन बना लिया. पढ़ाई में वह तेज थी ही, भाई का सपोर्ट मिला तो उस ने भी मातापिता को निराश करने के बजाय उन के सपनों में रंग भर दिया.
प्रिया ने प्रीमैडिकल टैस्ट पास कर लिया. बड़ा बेटा विजय मैडिकल की पढ़ाई कर ही रहा था. रामबाबू वर्मा के लिए 2 बच्चों की मैडिकल की पढ़ाई का खर्च वहन करना मुश्किल था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. बैंक से बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लिया, लेकिन उन की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी. प्रिया का अजमेर के जेएलएन मैडिकल कालेज में दाखिला हुआ था. वह पूरी लगन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी. बीचबीच में वह घर भी आती रहती थी. इस तरह चांदपोल की गली में प्रिया आइडियल गर्ल बन गई थी. क्योंकि पुराने से मकान में रह कर गरीबी में पलबढ़ कर वह डाक्टरी की पढ़ाई कर रही थी.
आखिर वह दिन भी आ गया, जब प्रिया एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर के डाक्टर बन गई. रामबाबू वर्मा के लिए वह सब से ज्यादा खुशी का दिन था. उन का सब से बड़ा सपना पूरा हो गया था. बड़े बेटे विजय के डाक्टर बनने से ज्यादा खुशी उन्हें प्रिया के डाक्टर बनने से हुई थी. इस के बाद 24 अप्रैल, 2010 को उन्होंने प्रिया की शादी डा. कमल वेदी से कर दी. डा. कमल वेदी राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ के रहने वाले महेश वेदी के बेटे थे. परिवार वालों की सहमति से दोनों की शादी धूमधाम से हुई थी. रामबाबू वर्मा के लिए खुशी की बात थी कि उन्हें डाक्टर बेटी के लिए डाक्टर दामाद भी मिल गया था. वह निश्चिंत थे कि बेटी को कोई परेशानी नहीं होगी.
दोनों की जोड़ी खूब जमेगी. प्रिया भी अपने ही पेशे का जीवनसाथी मिलने से खुश थी. वह जानती थी कि एक डाक्टर की भावना को दूसरा डाक्टर ही अच्छी तरह समझ सकता है. बेटी को डाक्टर बना कर और उस की शादी कर के रामबाबू वर्मा एक बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए थे. अब उन के ऊपर छोटे बेटे लोकेश की जिम्मेदारी रह गई थी. लोकेश भी पढ़ाई में तेज था. वह बैंक की नौकरियों की तैयारी कर रहा था. वह भी अपने प्रयासों में सफल हो गया और उसे बैंक में नौकरी मिल गई. फिलहाल वह कोटा में एक बैंक में प्रोबेशनरी अफसर है. डा. कमल वेदी को उसी बीच सन 2012 में दिल्ली के एम्स में नौकरी मिल गई. वह एम्स में स्किन के डाक्टर हैं. इस के बाद सन 2014 में डा. प्रिया भी एम्स में एनेस्थीसिया की सीनियर रेजीडेंट के रूप में तैनात हो गईं. पतिपत्नी को एम्स के आयुर्विज्ञाननगर में रहने के लिए मकान भी मिल गया था.
डा. प्रिया को भले ही एम्स में पति डा. कमल के साथ नौकरी मिल गई थी, लेकिन वह खुश नहीं थीं. डा. प्रिया के मायके वालों के अनुसार डा. कमल ने प्रिया को कभी पति का प्यार नहीं दिया. वह अपने वैवाहिक जीवन को ले कर परेशान रहती थी. जब इस बात की जानकारी रामबाबू को हूई तो उन्होंने कमल के पिता महेश वेदी से बात की. महेश वेदी ने रामबाबू को भरोसा दिलाया कि जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा. डा. कमल ने भले ही प्रिया के वैवाहिक जीवन के सुनहरे सपनों को चूरचूर कर दिया था, लेकिन प्रिया अपने पति कमल से बेहद प्यार करती थी. वह न तो पति को छोड़ना चाहती थी और न ही अपने परिवार को टूट कर बिखरने देना चाहती थी.
करीब ढाई साल पहले रामबाबू वर्मा को जब बेटी पर हो रहे जुल्मों की जानकारी मिली तो प्रिया ने उन्हें मां की कसम दिला कर चुप करा दिया था. वह चुपचाप मानासिक और शारीरिक अत्याचार सहन करती रही. डा. प्रिया ने फेसबुक पर पोस्ट लिख कर अपना दर्द बयां किया था. उन्होंने लिखा था कि शादी के 6 महीने बाद ही मुझे यकीन हो गया था कि मेरा पति डा. कमल समलैंगिक है और उस के कई लोगों के साथ समलैगिक संबंध हैं. उनहोंने लोगों के नाम भी फेसबुक पर लिखे थे. उन्होंने जब कमल के लैपटौप में उस के समलैंगिक संबंधों के सबूत दिखाए तो कमल ने कहा कि किसी ने उस का एकाउंट हैक कर के इस तरह की चीजें डाल दी हैं.
डा. प्रिया ने आगे लिखा था कि मैं सच जान चुकी थी. फिर भी मैं कमल से बेहद प्यार करती थी, लेकिन वह मेरे प्यार को समझ नहीं पाए. अगर हमारे समाज में ऐसे लोग हैं तो कभी उन से शादी मत कीजिए. अपने जीवन के अंतिम समय से कुछ घंटे पहले डा. प्रिया ने फेसबुक पर जो स्टेटस अपडेट किया था, उस में डा. कमल को गुनहगार बताया था. उन का कहना था कि वह कमल से बेहद प्यार करती थीं, इस के बावजूद उस ने उसे छोटीछोटी चीज के लिए तरसाया. केवल एक महीने पहले उस ने खुद को समलैंगिक माना. इस सब के बावजूद वह उस की मदद करना चाहती थीं, लेकिन वह उसे टौर्चर करता रहा.
इसी फेसबुक पेज पर डा. प्रिया ने एक रात पहले के वाकए का जिक्र करते हुए लिखा था, ‘तुम ने मुझे इतना अधिक टौर्चर किया है कि अब तुम्हारे साथ सांस भी नहीं ले सकती. तुम इंसान नहीं, राक्षस हो, क्योंकि तुम ने मेरी खुशी छीन ली. तुम्हारे जैसे लोग केवल लड़की और उस के घर वालों की भावनाओं से खेलते हैं. डा. कमल, मैं ने तुम से कभी कुछ नहीं चाहा था, क्योंकि मैं तुम्हें बेहद प्यार करती थी, जबकि तुम ने कभी मेरे प्यार की अहमियत नहीं समझी. कमल तुम मेरे गुनहगार हो. 18 अप्रैल की सुबह डा. प्रिया जब उठीं तो बेहद तनाव में थीं. बीती रात ही डा. कमल ने उस से झगड़ा किया था. वह फ्रेश हुईं और एक ट्रौली बैग में जरूरी सामान रख कर कुछ देर वह सोचती रहीं, फिर एकाएक मन को कठोर कर के अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी होने की बात कह कर घर से निकल पड़ीं.
सुबह करीब साढ़े 9 बजे प्रिया ने जयपुर में अपने पिता को फोन किया कि प्लीज पापा, जल्दी आ जाओ. आप नहीं आओगे तो मेरा मरा मुंह देखोगे. उसी दिन सुबह करीब 11 बजे प्रिया ने कोटा में रहने वाले अपने छोटे भाई लोकेश को फोन कर के यही बातें कही थीं. प्रिया की बातों से उस के घर वालों की चिंता बढ़ गई थी. रामबाबू वर्मा तुरंत घर वालों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. दूसरी ओर कोटा से छोटा भाई लोकेश भी अपने एक कजिन के साथ दिल्ली के लिए चल पड़ा था. रास्ते से उन्होंने कई बार प्रिया को फोन किए, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इस बीच प्रिया का भी कोई फोन नहीं आया.
जब रामबाबू वर्मा, लोकेश और उन के अन्य रिश्तेदार दिल्ली पहुंचे तो रात हो चुकी थी. प्रिया के बारे में जब उन्हें कोई सही सूचना नहीं मिली तो सभी थाना डिफेंस कालोनी पहुंचे और प्रिया की गुमशुदगी दर्ज करने का अनुरोध किया. पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर प्रिया के मोबाइल के आधार पर उस की लोकेशन पता की तो वह पहाड़गंज इलाके में मिली. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि वह पहाड़गंज में होंगी. पुलिस ने प्रिया के पति डा. कमल एवं घर के अन्य लोगों से भी बात की. वे भी प्रिया के बारे में कुछ नहीं बता सके थे. इस के बाद पुलिस मिली मोबाइल लोकेशन के आधार पर रामबाबू वर्मा, लोकेश एवं डा. कमल आदि को साथ ले कर पहाड़गंज के होटल प्रेसीडेंसी पहुंच गई, जहां डा. प्रिया की लाश मिली.
पूछताछ में पता चला कि डा. प्रिया एवं डा. कमल के रिश्तों में इतनी दूरियां आ चुकी थीं कि इसी साल 26 जनवरी को जब जयपुर में प्रिया के छोटे भाई लोकेश की शादी थी तो उस में केवल प्रिया ही गई थी. लेकिन प्रिया ने अपने व्यवहार से किसी को इस बात की भनक नहीं लगने दी थी कि हालत यहां तक पहुंच चुकी है. बहरहाल, डा. प्रिया की मौत ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं. उस के घर वाले प्रिया को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं. जयपुर के स्टैच्यू सर्किल पर प्रिया की याद में कैंडल मार्च भी निकाला गया. फेसबुक पर तेजी से वायरल होने के बाद डा. प्रिया का सुसाइड नोट उस में से हटा दिया गया. डा. प्रिया का वाल पोस्ट उस की मौत के बाद करीब साढ़े 3 हजार लोगों ने शेयर किया था. इस के बाद फेसबुक ने प्रिया की प्रोफाइल को रिमेंबरिंग प्रिया वेदी कर दिया, साथ ही उन का वाल पोस्ट फेसबुक से हटा दिया. Hindi Crime Stories






