True Crime Hindi: नेहा मौडलिंग के जरिए बौलीवुड में एंट्री के लिए स्ट्रगल कर रही थी. लेकिन दोस्त से पति बने प्रिंस ने उसे प्यार का ऐसा सिला दिया कि…

दक्षिणपूर्वी दिल्ली के हरिनगर कालोनी की रहने वाली 21 वर्षीय नेहा मिश्रा मुंबई में रह कर मौडलिंग कर रही थी. वह कई छोटीमोटी ऐड फिल्मों में काम कर चुकी थी और बौलीवुड फिल्मों में एंट्री पाने के लिए स्ट्रगल कर रही थी. अपने घर वालों को बताए बिना उस ने करीब 5-6 महीने पहले दिल्ली के रीयल एस्टेट कारोबारी प्रिंस तेवतिया से एक मंदिर में शादी कर ली थी. लेकिन शादी के बाद नेहा को यह बात अपने घर वालों को बतानी ही पड़ी. बेटी के फैसले पर प्रदीप मिश्रा आहत तो हुए लेकिन उन्होंने सोचा कि जब बेटी ने प्रिंस को अपनी मरजी से चुना है तो उस की खुशी की खातिर उन्होंने उस की पसंद पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. इस के बाद प्रिंस तेवतिया ने भी नेहा के घर आना शुरू कर दिया.

करीब 3 महीने पहले नेहा की तबीयत खराब हो गई तो वह मुंबई से पिता के यहां दिल्ली आ गई थी. उस से मिलने के लिए प्रिंस उस के यहां जाता रहता था. 16 अप्रैल, 2015 को भी वह नेहा के यहां गया था. 2 दिनों से वह नेहा के यहां ही था. 17-18 अप्रैल की रात को नेहा और प्रिंस एक कमरे में सोए हुए थे जबकि नेहा के मातापिता और भाईबहन दूसरे कमरे में सो रहे थे. आधी रात के बाद हुई तेज आवाज से प्रदीप मिश्रा की नींद खुल गई. वह आवाज गोली चलने जैसी थी. उन्होंने पत्नी रोमा को भी जगा दिया. वह आवाज उन की बेटी नेहा के कमरे से आई थी, इसलिए उन की घबराहट बढ़ गई.

दोनों पतिपत्नी बेटी के कमरे की तरफ जाने ही वाले थे कि तभी बेटी के कमरे का दरवाजा खुल गया. उस का पति प्रिंस दरवाजा खोलते हुए बाहर निकला. वह घबराया हुआ था. इस से पहले कि प्रदीप मिश्रा उस के कमरे से आई गोली चलने जैसी आवाज के बारे में उस से पूछते, प्रिंस खुद ही बोल पड़ा, ‘‘मैं ने नेहा को गोली मार दी है.’’

इतना सुनते ही प्रदीप और उन की पत्नी के जैसे होश ही उड़ गए. वह तेज कदमों से बेटी के कमरे में गए. उन्होंने देखा तो नेहा बेड पर पड़ी थी और उस के पेट के निचले हिस्से से खून निकल रहा था. रोमा मिश्रा ने बेटी को हिलायाडुलाया. उस में कोई हलचल नहीं दिखी तो वह जोरजोर से रोने लगीं. बेटी की हालत देखते ही प्रदीप मिश्रा आटोरिक्शा बुलाने के लिए तेजी से निकल गए ताकि उसे जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके. तभी प्रिंस भी घायल नेहा को दोनों बाहों में थामे चौथी मंजिल से नीचे उतर आया. रोमा के रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी भी जाग गए थे. वे भी अपनेअपने घरों से गली में आ गए थे. सभी लोग आपस में कानाफूसी कर रहे थे. कोई भी यह नहीं समझ पा रहा था कि आखिर पति ने नेहा को गोली क्यों मारी?

कुछ ही देर में प्रदीप मिश्रा एक आटोरिक्शा वाले को बुला लाए. प्रदीप मिश्रा और उन की पत्नी आटो में बैठ गए और बेटी को उन्होंने अपनी गोद में लिटा लिया. वे उसे एम्स के ट्रामा सेंटर के लिए ले कर चल पड़े जबकि प्रिंस तेवतिया ने उन से यह कह दिया कि वह अपनी कार से ट्रामा सेंटर पहुंच रहा है. नेहा के पेट से खून रिस रहा था. खून रोकने के लिए प्रदीप ने उस के घाव पर एक कपड़ा भी रख दिया था ताकि खून रुक सके. पत्नी को आटो में लिटाने के बाद प्रिंस अस्पताल नहीं गया बल्कि वहां से फरार हो गया. उधर प्रदीप मिश्रा घायल बेटी को ले कर ट्रामा सेंटर पहुंचे तो डाक्टरों को यह पुलिस केस लगा. इसलिए अस्पताल प्रशासन ने इस की सूचना ट्रामा सेंटर बिल्डिंग में ही स्थित पुलिस चौकी में दे दी.

चूंकि यह मामला दक्षिणपूर्वी दिल्ली के सनलाइट थानाक्षेत्र का था, इसलिए पुलिस चौकी से सूचना थाने को दे दी गई. थाने में सूचना मिलते ही एसआई शैलेंद्र सिंह कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह को ले कर ट्रामा सेंटर पहुंच गए. वहां डाक्टर नेहा के इलाज में जुटे थे. नेहा मिश्रा की हालत नाजुक बनी हुई थी. वह उस समय बयान देने की स्थिति में नहीं थी. वहां पर उस के पिता प्रदीप मिश्रा मौजूद थे. उन्होंने अपने दामाद द्वारा नेहा को गोली मारने वाली बात पुलिस को बता दी. उन्होंने यह भी बता दिया कि वह गोली मार कर फरार हो गया है. एसआई शैलेंद्र सिंह ने पूरी जानकारी से थानाप्रभारी ओमप्रकाश लेखवाल को अवगत करा दिया.

थानाप्रभारी सब से पहले घटनास्थल पर गए जहां नेहा की छोटी बहन और भाई मिला. जिस कमरे में नेहा को गोली मारी गई थी, उसे उन्होंने बाहर से बंद कर दिया, जिस से वहां कोई भी आजा न सके और उस कमरे का कोई सुबूत नष्ट न हो. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी घटना की सूचना दे कर मौके पर बुला लिया. टीम ने मौके से सुबूत इकट्ठे किए. पुलिस को घटनास्थल से कारतूस के 2 खोखे भी मिले. घटनास्थल की आवश्यक काररवाई निपटाने के बाद थानाप्रभारी एक पुलिसकर्मी को मौके पर छोड़ कर नेहा का बयान लेने के लिए खुद एम्स ट्रामा सेंटर चले गए.

अस्पताल में जो डाक्टर नेहा का इलाज कर रहे थे, उन्होंने थानाप्रभारी को बताया कि गोली नेहा के पेट के निचले हिस्से में लगी है. उस का काफी मात्रा में खून निकल चुका है और अभी भी गोली उस के शरीर में है. हालत में सुधार आने के बाद ही वह बयान दे सकेगी. नेहा के पिता प्रदीप मिश्रा ने थानाप्रभारी को भी बता दिया कि नेहा को गोली उस के पति प्रिंस तेवतिया ने ही मारी थी और वह गोली मार कर फरार हो गया. प्रदीप मिश्रा ने उन्हें प्रिंस का पता भी बता दिया था. थाने लौट कर थानाप्रभारी ने प्रदीप मिश्रा की तरफ से प्रिंस तेवतिया के खिलाफ जान से मारने की नीयत से गोली मारने का केस दर्ज कर लिया. अगली सुबह इलैक्ट्रौनिक मीडिया में मौडल को पति द्वारा गोली मारने की खबर प्रमुखता से प्रसारित हुई तो जिले के पुलिस अधिकारी भी हरकत में आ गए.

डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा ने थानाप्रभारी ओमप्रकाश लेखवाल की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में सराय कालेखां चौकी के इंचार्ज ललित कुमार, एसआई शैलेंद्र सिंह, हेडकांस्टेबल विपिन सांगवान, विनोद, गोपाल, कांस्टेबल देवेंद्र, प्रवीण आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन न्यू फ्रैंड्स कालोनी के एसीपी अनिल यादव को सौंपा गया. टीम के ऊपर अभियुक्त प्रिंस की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ रहा था. पुलिस ने दिल्ली के दक्षिणपुरी की गली नंबर-10 स्थित उस के घर पर दबिश दी. लेकिन वहां पर प्रिंस के बजाय रमेश नाम का व्यक्ति मिला. उस ने बताया कि यह मकान प्रिंस के पिता श्यामलाल तेवतिया ने 5-6 साल पहले उसे बेच दिया था. मकान बेच कर वे कहां चले गए, इस का उसे कुछ पता नहीं.

प्रिंस ने नेहा को यही बताया था कि वह दक्षिणपुरी की गली नंबर-10 के मकान नंबर-217 में रहता है. जबकि उस के पिता उस मकान को कई साल पहले बेच चुके थे. आखिर प्रिंस ने अपनी पत्नी से इतना बड़ा झूठ क्यों बोला था, यह बात पुलिस नहीं समझ पाई. पुलिस के पास प्रिंस तेवतिया का फोटो था ही. उस फोटो के माध्यम से पुलिस ने स्थानीय लोगों से पूछताछ की. इस तफ्तीश में पुलिस को चौंकाने वाली जानकारी मिली. पुलिस को पता चला कि प्रिंस रीयल एस्टेट का कारोबारी और आपराधिक प्रवृत्ति वाला है. उस के खिलाफ दिल्ली के अंबेडकरनगर थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं.

साल 2010 में उस ने एक व्यक्ति की चाकू मार कर हत्या कर दी थी. इस की वजह सिर्फ यह थी कि उस की प्रिंस के पिता श्यामलाल से कहासुनी हो गई थी और उस ने श्यामलाल को थप्पड़ मार दिया था. उस थप्पड़ के बदले उसे मौत मिली. हत्या के इस केस में प्रिंस जेल गया. 2014 में जेल से आने के बाद वह आयानगर में रहने वाले बदमाश रोहित चौधरी के संपर्क में आया. फिर उस के साथ ही अपराध करने लगा. रोहित थाना महरौली में एक हत्या के मामले में वांछित है. बाद में प्रिंस बदमाशों के बीच शूटर के नाम से मशहूर हो गया. वह अपने पास अकसर पिस्टल रखता था.

बताया जाता है कि प्रिंस गुस्सैल स्वभाव का है. छोटीछोटी बात पर वह अपना आपा खो बैठता है. बात इसी साल की है. एक बार वह अपनी कार से कहीं जा रहा था. हौर्न बजाने के बावजूद भी एक कार वाले ने उसे साइड नहीं दी तो कुछ देर बाद उस ने ओवरटेक कर के उस कार वाले पर गोली चला दी. इत्तफाक से वह गोली उसे नहीं लगी. इस मामले की रिपोर्ट अंबेडकरनगर थाने में दर्ज करा दी गई थी. पुलिस को पता चला कि प्रिंस तेवतिया का फेसबुक पर भी एकाउंट है. फेसबुक खंगालने पर पुलिस को यह जानकारी मिली कि उस की जितेश नाम के एक शख्स के साथ अच्छी दोस्ती है. जितेश भी आपराधिक प्रवृत्ति का है. जितेश स्नैचिंग और लूटपाट करता था.

बताया जाता है कि अपने केसों की सुनवाई के सिलसिले में जितेश का अकसर साकेत कोर्ट जाना लगा रहता था. वहीं पर एक वकील की शालिनी नाम की असिस्टैंट से जितेश की अच्छी जानपहचान हो गई थी. बाद में दोनों में दोस्ती हो गई. इन की दोस्ती की खबर जितेश की पत्नी को हुई तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने पति को समझाया कि वह शालिनी से न मिले. लेकिन जितेश नहीं माना तो एक दिन वह पति को ले कर शालिनी के घर पहुंच गई और उसे खरीखोटी सुनाते हुए हाथापाई भी की. जब बात बढ़ गई तो जितेश ने हवाई फायर भी किया. जितेश और अन्य के खिलाफ इस मामले की रिपोर्ट थाना अंबेडकरनगर में दर्ज हुई.

इसी जांच की कड़ी में पुलिस को यह भी पता चला कि मार्च, 2015 में प्रिंस ने मालवीय नगर क्षेत्र में किसी को गोली मारी थी. इस घटना के बाद वह अपने दोस्त जितेश के साथ ही कहीं रह रहा था. प्रिंस ने अपना मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ कर रखा था इसलिए यह पता नहीं लग पा रहा था कि वह कहां रह रहा है. किसी तरह पुलिस को जितेश का मोबाइल नंबर मिल गया. उस मोबाइल की लोकेशन से पता चला कि वह रोहिणी सेक्टर-7 में कहीं रह रहा है. पुलिस टीम रोहिणी सेक्टर-7 पहुंच गई. सर्विलांस टीम के सहयोग से जांच करतेकरते पुलिस टीम इस सेक्टर के जी-21/326 फ्लैट पर पहुंच गई. उस फ्लैट में 2 लड़के मिले.

पुलिस के पास केवल प्रिंस का ही फोटोग्राफ था, उसी के आधार पर यह पता लगा कि उन दोनों में से प्रिंस कोई नहीं है. जितेश को वह नहीं जानती थी. उन दोनों लड़कों में से कोई जितेश तो नहीं है, जानने के लिए पुलिस ने उन दोनों से ही सख्ती से पूछताछ की. लेकिन उन में से कोई भी जितेश नहीं निकला. पुलिस ने उन लड़कों को प्रिंस तेवतिया का फोटो दिखाया तो उन्होंने तुरंत कहा कि एक लड़का और लड़की के साथ यह इसी ब्लौक में अकसर दिखाई देता है. उस ने यह भी बताया कि इन के पास एक मारुति रिट्ज कार भी है. यह जानकारी पा कर पुलिस को थोड़ी तसल्ली हुई.

जितेश के फोन की लोकेशन और इन दोनों लड़कों से मिली जानकारी के बाद पुलिस को इतना तो यकीन हो गया था कि प्रिंस सेक्टर-7 के जी ब्लौक में ही कहीं रहता है. उन लड़कों से उस रिट्ज कार का नंबर भी मिल गया, जिस से ये लोग आतेजाते थे. पुलिस सादे कपड़ों में थी. वह उसी ब्लौक में अलगअलग गलियों में खड़े हो कर रिट्ज कार संख्या डीएल3सी 4302 के आने का इंतजार करने लगी. शाम के समय हेडकांस्टेबल विनोद ने उक्त नंबर की कार एक गली में आती हुई देखी तो उस ने फोन द्वारा इस की सूचना दूसरी गली में तैनात थानाप्रभारी ओमप्रकाश लेखवाल को दे दी. हेडकांस्टेबल विनोद ने कार का पीछा किया तो वह कार फ्लैट नंबर जी-20/30 के पास आ कर रुक गई. उस कार से 2 युवक और एक युवती उतर कर फ्लैट में दाखिल हो गए.

कुछ ही देर में पूरी पुलिस टीम उस फ्लैट के पास आ गई. टीम ने उस फ्लैट में दबिश दी तो वहां से 2 युवक और एक युवती मिले.  पूछताछ में उन युवकों ने अपने नाम प्रिंस तेवतिया व जितेश बताए. उन के साथ जो युवती मिली वह जितेश की पत्नी थी. पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले लिया. पूछताछ के लिए पुलिस उन्हें थाने ले आई. यह 20 अप्रैल, 2015 की बात है. चूंकि जितेश और उस की पत्नी थाना अंबेडकरनगर के एक केस में वांछित थे इसलिए उन्हें हिरासत में लेने की सूचना अंबेडकरनगर थाने को दी तो वहां की पुलिस जितेश और उस की पत्नी को कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के अपने साथ ले गई. थानाप्रभारी ओमप्रकाश लेखवाल ने एसीपी अनिल यादव की मौजूदगी में प्रिंस तेवतिया से मौडल नेहा मिश्रा को गोली मारने की बाबत पूछताछ की तो इस घटना के पीछे की एक दिलचस्प कहानी सामने आई.

नेहा मिश्रा दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना सनलाइट कालोनी के हरिनगर में रहने वाले प्रदीप मिश्रा की बड़ी बेटी थी. नेहा के अलावा प्रदीप मिश्रा के एक बेटा और एक बेटी और थी. कैटरिंग का काम करने वाले प्रदीप मिश्रा मूलरूप से उड़ीसा के जिला भद्रक के गांव उलग के रहने वाले थे. काफी दिनों पहले वह काम की तलाश में दिल्ली आए थे. दिल्ली आ कर उन्होंने हलवाई का काम किया. बाद में वह कैटरिंग के धंधे से जुड़ गए. काम जम गया तो वे अपनी पत्नी रोमा को भी दिल्ली ले आए. उन के 3 बच्चे हुए जिन में 2 बेटियां और 1 बेटा था. प्रदीप मिश्रा साधनसंपन्न थे इसलिए वह अपने तीनों बच्चों को एक नामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे.

बड़ी बेटी नेहा जितनी खूबसूरत थी, पढ़ाई में भी उतनी ही तेज थी. नेहा के फिगर की उस की सहेलियां बड़ी तारीफ करती थीं. वे उसे दीपिका पादुकोण कह कर बुलाती थीं. अपनी तारीफ पर नेहा भी इतराए बिना नहीं रहती थी. नेहा को फिल्में और टीवी देखने का बहुत शौक था. वह जब भी कोई फिल्म या नाटक देखती तो टीवी या सिल्वर स्क्रीन पर आने की लालसा करती. उस की यह चाहत दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही थी. वह फिल्मों या टीवी धारावाहिकों में काम करने के सपने देखने लगी. मगर उस के लिए यह काम आसान नहीं था. क्योंकि उस के नातेरिश्तेदारों या परिचितों में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जिस से उसे अपनी मंजिल पाने में सहयोग मिल सके.

अब उसे एक ही रास्ता दिखाई दे रहा था, वह रास्ता था मौडलिंग का. वह जानती थी कि तमाम हीरोइनें मौडलिंग के जरिए ही बौलीवुड में पहुंच कर अपना मुकाम हासिल कर चुकी हैं. इसलिए 10+2 परीक्षा पास करने के बाद उस ने अपने मन की बात अपने घर वालों को बताई और उन की अनुमति के बाद वह अपनी एक जानकार के साथ दिल्ली की एक मौडलिंग एजेंसी चली गई. नेहा का चेहरा फोटोजेनिक था.  इसलिए फोटोग्राफर ने फोटो शूट के लिए उसे 2 दिन बाद आने को कहा. 2 दिन बाद नेहा फिर से उस स्टूडियो में पहुंची तो फोटोग्राफर ने उस के कई फोटो खींचे. वहां हुए अपने फोटोसेशन के फोटो देख कर नेहा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था. फोटोग्राफर ने फोटो में उस का जो व्यक्तित्व उभारा था, उसे देख कर वह दंग रह गई.

वह फोटो देख कर नेहा का आत्मविश्वास जागा. उसे लगा कि उस का चेहरा और फिगर कई हीरोइनों से काफी अच्छी और आकर्षक है. दिल्ली में मौडलिंग के दौरान ही उस की मुलाकात अर्पित नाम के एक प्रोड्यूसर से हुई जो मुंबई में काम करता था और दिल्ली आताजाता रहता था. अर्पित का मुंबई में एक स्टूडियो भी था. नेहा का फोटोजेनिक चेहरा देख कर अर्पित बेहद खुश हुआ. उस ने नेहा को अपनी मुंहबोली बहन बनाया. उस ने नेहा से कहा कि तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों की जरूरत तो मुंबई में है. कोशिश करने पर वहां तुम्हें कहीं न कहीं काम मिल ही जाएगा. नेहा भी तो यही चाहती थी. उस के कहने पर वह मुंबई चली गई.

मुंबई में अर्पित ने नेहा का पोर्टफोलियो तैयार किया. इस के बाद उस के पोर्टफोलियो तमाम म्यूजिक व ऐड कंपनियों को भेजे. इस का नतीजा यह निकला कि एक ऐड कंपनी में नेहा को काम करने का मौका मिल गया. वह कंपनी सूरत की कई साड़ी कंपनियों के ऐड तैयार करती थी. नेहा को पहली बार किसी व्यावसायिक विज्ञापन में काम करने का मौका मिला था. इसलिए उस ने पूरे मन लगा कर काम किया. इस के बाद उसे एकदो ऐड फिल्में और मिलीं तथा उस ने कई रियलिटी शो में भी भाग लिया. अब नेहा बहुत खुश थी. उसे लग रहा था कि इसी तरह उसे काम मिलता रहा हो सिल्वर स्क्रीन पर चमकने का उस का सपना जल्द ही पूरा हो जाएगा. अर्पित भी उस के लिए बहुत मेहनत कर रहा था. वह उसे एकता कपूर के बालाजी प्रोडक्शन के एक सीरियल में कोई ढंग का रोल दिलाने की कोशिश कर रहा था.

चूंकि अर्पित नेहा का कैरियर बनाने में लगा था इसलिए नेहा उसे अपने सगे भाई से भी ज्यादा महत्त्व देती थी. वह बीचबीच में अपने घर दिल्ली भी आती रहती थी. दिल्ली आ कर वह अपने पुराने दोस्तों से भी मिलती थी. उन के साथ वह खूब हंसीठिठोली करती थी. उसी दौरान अपनी एक दोस्त की मार्फत उस की मुलाकात प्रिंस तेवतिया नाम के युवक से हुई. प्रिंस तेवतिया के पिता मूलरूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के निलोखेड़ा गांव के रहने वाले थे. वह दिल्ली विकास प्राधिकरण में नौकरी करते थे. प्रिंस के अलावा उन के एक बेटा और एक बेटी थी. 23 साल का प्रिंस भी हैंडसम था. वह प्रौपर्टी खरीदने व बेचने का धंधा करता था. इस धंधे में उसे अच्छीखासी कमाई हो जाती थी, जिस से वह बनठन कर रहता था.

इस के अलावा वह आपराधिक प्रवृत्ति का भी था. उस के ऊपर हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट आदि के कई मुकदमे चल रहे थे. गुस्सैल स्वभाव का प्रिंस अकसर अपने साथ रिवाल्वर रखता था. छोटी सी बात पर ही वह गोली चला देता था. इसलिए वह अपने दोस्तों के बीच शूटर के नाम से जाना जाता था. नेहा प्रिंस से मिल कर बहुत प्रभावित हुई. पहली मुलाकात में ही दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए थे. जब भी उन्हें मौका मिलता वे फोन पर बातें करते थे. बातों ही बातों में उन की दोस्ती और गहरी होती गई. नेहा जब भी मुंबई से आती, प्रिंस के साथ कार से सैरसपाटे करती थी. इसी दौरान वे एकदूसरे के बेहद करीब पहुंच गए. वे एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे.

प्रिंस की तरफ प्यार के कदम बढ़ाने से पहले नेहा उस के बैकग्राउंड के बारे में कुछ नहीं जानती थी. उस की नजरों में तो प्रिंस एक शरीफ व होनहार युवक था. तभी तो उस ने अपना दिल उस के हवाले कर दिया था. उसे लगा कि प्रिंस के साथ उस की लाइफ हंसीखुशी से कटेगी इसलिए उस ने अपने मीत को प्रियतम बनाने का फैसला कर लिया. प्रिंस भी उसे दिलोजान से चाहता था. कुछ दिनों तक उन के प्यार की गाड़ी ऐसे ही चलती रही. दोनों ही शादी करना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक मंदिर में शादी कर ली. यह बात 5-6 महीने पहले की है. नेहा ने इस शादी की खबर अपने घर वालों तक को नहीं दी थी.

चूंकि वह मौडलिंग के पेशे से जुड़ी थी इसलिए उस ने प्रिंस से कह दिया था कि वह शादी वाली बात प्रचारित न करे ताकि उस के प्रोफेशन पर कोई फर्क न पड़े. पत्नी की बात को ध्यान में रखते हुए प्रिंस ने शादी की बात अपने घर वालों के अलावा किसी को नहीं बताई. नेहा का लक्ष्य हिंदी फिल्मों में एंट्री पाना था, इसलिए वह शादी के बाद अकसर मुंबई में ही रहती थी. उस का जल्दीजल्दी दिल्ली आना संभव नहीं था. प्रिंस के सामने अब एक ही रास्ता बचा था कि वह खुद भी मुंबई जाए. लेकिन उस के लिए ऐसा संभव नहीं था क्योंकि दिल्ली में उस का कारोबार जमाजमाया था. पत्नी के मुंबई रहने पर वह उस से मिलने के लिए बेचैन रहता था.

करीब 3 महीने पहले नेहा की तबीयत खराब हो गई तो वह अपने पिता के यहां दिल्ली आ गई थी. उसी दौरान उस ने अपनी मां को बता दिया था कि उस ने दिल्ली के प्रिंस तेवतिया से शादी कर ली है. यह सुन कर रोमा चौंक गईं. उन्होंने बात पति को बताई तो उन्हें भी आघात पहुंचा. जवान बेटी पर नाराज होने के बजाय उन्होंने उस से इतना जरूर कहा कि शादी से पहले कम से कम वह प्रिंस के बारे में उन्हें बता तो देती. जांचनेपरखने के बाद वह फिर सामाजिक रीतिरिवाज से शादी कर देते. नेहा मुंह लटकाए ऐसे ही बैठी रही, वह कुछ नहीं बोली.

खैर, जो होना था हो चुका था. इस में अब वह कुछ नहीं कर सकते थे. इस के बाद प्रिंस ने भी उनके यहां आना शुरू कर दिया. प्रिंस नहीं चाहता था कि नेहा मौडलिंग करे इसलिए वह बारबार मुंबई से दिल्ली लौटने के लिए कहता था. वह चाहता था कि नेहा उस के घर पर ही रहे लेकिन अपने कैरियर को ध्यान में रखते हुए नेहा ऐसा करने को तैयार नहीं थी. एक दिन नेहा ने प्रिंस के फोन की मेमोरी खंगाली तो उस में अनेक मैसेज ऐसे मिले जो लड़कियों या महिलाओं द्वारा भेजे गए थे. इस बारे में नेहा ने प्रिंस से पूछा तो उस ने बताया कि वह उस की दोस्त हैं. लेकिन नेहा को शक हो गया कि प्रिंस के उन के साथ जरूर ही दूसरी तरह के रिश्ते होंगे. यानी नेहा के दिमाग में शक के कीड़े ने जन्म ले लिया. प्रिंस ने लाख सफाई दी लेकिन नेहा कहां मानने वाली थी.

प्रिंस 16 अप्रैल, 2015 को भी हरिनगर में स्थित नेहा के घर गया. 2 दिन वह वहीं रहा. 17-18 अप्रैल की रात को उस ने नेहा के कमरे में शराब पी. फिर खाना खाने के बाद वह सोने के लिए नेहा के कमरे में चला गया. घर के बाकी लोग दूसरे कमरे में सो गए. आधी रात तक नेहा और प्रिंस बातें करते रहे. उसी दौरान प्रिंस ने नेहा से कहा, ‘‘नेहा, मैं तुम से कई बार कह चुका हूं कि तुम मौडलिंग छोड़ दो. लेकिन तुम मेरी बात मान ही नहीं रही.’’

‘‘देखो प्रिंस, मैं बौलीवुड में एंट्री करने के लिए स्ट्रगल कर रही हूं. मुझे मुंबई में जम जाने दो, फिर तुम भी वहीं रहना.’’ नेहा बोली.

‘‘नहीं, मुझे यह सब पसंद नहीं है. मुझे मालूम है कि फिल्मों में काम करने की ख्वाहिश लिए कितनी लड़कियां मुंबई जाती हैं और उन्हें वहां क्याक्या करना पड़ता है. फिल्मों में काम मिलना इतना आसान नहीं होता, जितना तुम समझ रही हो. मेरा काम ठीकठाक चल रहा है इसलिए तुम यह सब छोड़ कर मेरे घर चलो. मैं तुम्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने दूंगा.’’ प्रिंस ने समझाया. लेकिन नेहा पर तो दूसरी तरह का भूत सवार था. इसलिए उस ने साफ कह दिया कि वह मौडलिंग हरगिज नहीं छोड़ेगी. दोनों के बीच बात बढ़ी तो नेहा ने कह दिया, ‘‘मेरे मुंबई में रहने पर तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि तुम्हारे कई लड़कियों से संबंध हैं.’’

‘‘जिस तरह तुम मेरे लिए कह रही हो उसी तरह तुम्हारे भी कई बौयफ्रैंड हैं. तुम भी उन के साथ मटरगश्ती करती होगी इसलिए मुंबई नहीं छोड़ना चाहती.’’ प्रिंस ने भी आरोप लगाया.

‘‘तुम्हें इस तरह की फालतू बकवास करते हुए शर्म नहीं आती. मैं इस तरह की लड़की नहीं हूं जैसा तुम सोच रहे हो.’’ नेहा ने उसे झिड़का.

‘‘अब तुम यह बताओ कि तुम मेरे घर चलोगी या नहीं.’’ पिं्रस ने गुस्से में पूछा तो नेहा ने भी गुस्से में कह दिया, ‘‘नहीं, मैं अभी न तो मौडलिंग छोड़ूंगी और न ही तुम्हारे घर जाऊंगी.’’

प्रिंस गुस्से में तमतमाया हुआ था. उस ने पैंट से पिस्तौल निकाला और नेहा पर गोली चला दी. गोली नेहा के पेट के निचले हिस्से में लगी. उस ने उस पर दूसरी गोली चलानी चाही तभी नेहा ने हिम्मत कर के उस की पिस्तौल छीनने की कोशिश की. उसी दौरान ट्रिगर दब गया और गोली छत पर जा लगी. कुछ ही पल में नेहा के पेट से खून बहने लगा. उस की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और वह बेड पर गिर कर बेहोश हो गई. उधर गोली की आवाज सुन कर दूसरे कमरे में सो रहे प्रदीप मिश्रा की नींद टूट गई. उन्होंने पत्नी रोमा को जगाया. चूंकि गोली की आवाज नेहा के कमरे की ओर से आई थी, इसलिए वह उस के कमरे की तरफ भागे.

उधर प्रिंस ने गुस्से में अपनी पत्नी को गोली मार तो दी, लेकिन उस की हालत देख कर वह घबरा गया था. उस ने जल्दी से दरवाजा खोला तो सामने खड़े अपने सासससुर को नेहा को गोली मारने वाली बात बता दी. यह बात सुन कर प्रदीप मिश्रा और उन की पत्नी तेज कदमों से बेटी के कमरे में गए तो बिस्तर पर लहूलुहान पड़ी बेटी को देख कर वे घबरा गए. तभी प्रदीप मिश्रा दौड़ेदौड़े आटो बुलाने के लिए निकल पड़े तो प्रिंस बांहों में नेहा को उठा कर चौथी मंजिल से नीचे ले गया. जैसे ही प्रदीप आटो लाए, उस ने नेहा को आटो में लिटा दिया और खुद वहां से फरार हो गया.

प्रिंस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के खिलाफ भादंवि की धारा 307 और 25, 27, 54, 59 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर के 21 अप्रैल, 2015 को साकेत कोर्ट में पेश कर एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में उस की निशानदेही पर वारदात में प्रयुक्त पिस्तौल और एक जीवित कारतूस बरामद किया. इस के बाद उसे 22 अप्रैल को महानगर दंडाधिकारी अशोक कुमार की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. उधर एम्स ट्रामा सेंटर में भरती नेहा की हालत सीरियस बनी हुई थी. डा. कुट्टी शारदा विनोद की टीम ने 20 अप्रैल को उस का औपरेशन कर पेट से गोली निकाली. इस के बाद धीरेधीरे उस की हालत में सुधार होता गया तो 28 अप्रैल, 2015 को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया.

इस हादसे के बाद नेहा मिश्रा बेहद डरीसहमी हुई है. जिस प्रिंस को उस ने अपना सब कुछ मान लिया था, उस से उसे ऐसा दर्द मिलने की उम्मीद नहीं थी. पुलिस द्वारा जब नेहा को प्रिंस की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी मिली तो वह चौंक गई. अब नेहा को अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है. मामले की तफ्तीश थानाप्रभारी ओमप्रकाश लेखवाल कर रहे हैं. True Crime Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों व नेहा के बयान पर आधारित. कथा में शालिनी व अर्पित परिवर्तित नाम हैं.

 

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