Uttarakhand Crime News: 12 वर्षीय प्रिया घर के नजदीक बगीचे से अमरूद तोडऩे गई थी. उसी समय 20 वर्षीय राजीव भी वहां पहुंच गया. अकेले में चचेरी बहन प्रिया को देख कर उस की नीयत डोल गई. इस के बाद राजीव ने प्रिया के साथ न सिर्फ रेप किया, बल्कि दङ्क्षरदगी की ऐसी हदें भी लांघ दीं कि…

राजीव कश्यप और उस के सभी दोस्त कुंवारे थे. उन्हीं दोस्तों में से कुछ को अश्लील रील की फोटो और वीडियो देखने का शौक था. एक बार दोस्तों के सहारे उसे भी यह सब देखने का चस्का लगा तो वह उन सब का आदी हो गया. जिस के कारण वह हमेशा ही अश्लील सीन देखने को बेताब रहता था. गांवों में आज भी अधिकांश बुजुर्ग औरतें खेतों में खुले में ही शौच करना पंसद करती हैं. गांव में राजीव का घर ही ऐसे मोड़ पर था, जहां से हर रोज गांव की अनेक महिलाएं शौच करने जाती थीं.

 

20 वर्षीय राजीव के दिमाग में एक बार गंदगी पैदा हुई तो वह अपने घर के पास से निकलने वाली महिलाओं का पीछा करने लगा था, जिस के कारण वह बुरी लत में फंस गया. हालांकि प्रिया 12 साल की बच्ची थी. वह उस की चचेरी बहन भी थी, लेकिन उस के गलत विचारों के आगे रिश्ता भी कमजोर पडऩे लगा था. प्रिया सीधीसादी थी. दुनियादारी से उस का अभी कोई विशेष परिचय भी नहीं था, लेकिन राजीव अपने पवित्र रिश्तों को भूल चुका था.

राजीव जानता था कि उस की चाची सुबह ही काम करने निकल जाती है. उस का चाचा पहले ही जेल जा चुका था. देवेंद्र के चारों बच्चे स्कूल चले जाते थे. स्कूल से लौटने के बाद मंजू के चारों बच्चे ही घर पर अकेले रहते थे. उसी दौरान राजीव बच्चों के साथ आ कर टाइम पास करने लगा था. उसी दौरान प्रिया को देखते ही उस की नीयत खराब हो गई थी. अपनी बहन पर नीयत खराब होते ही वह उस के पीछे पड़ गया. फिर वह मौके की तलाश में जुट गया. वह उस की हरकतों पर नजर रखने लगा था.

15 सितबंर, 2025 को भी राजीव अपने कमरे में लेटा हुआ अश्लील रील देख रहा था. रील देखते ही देखते वह अचानक उठा और फिर वह अपने खेतों के पीछे अपने चाचा के बगीचे की ओर बढ़ गया. उसी दौरान उस की नजर बगीचे में अमरूद के पेड़ के पास खड़ी प्रिया पर पड़ी. प्रिया पेड़ पर अमरूद खोज रही थी, लेकिन उसे पेड़ पर कोई अमरूद नहीं दिखाई दे रहा था.

तभी राजीव उस के पास पहुंचा. वह उस से बोला,  ”प्रिया, क्या देख रही है? तुझे अमरूद चाहिए क्या?’’

”हां, राजीव भैया, मैं अमरूद देखने आई थी, लेकिन लगता है कि पेड़ तो पूर खाली हो चुका है.’’ प्रिया ने मासूमियत के साथ जवाब दिया.

प्रिया को अकेले में देखते ही राजीव के अंदर का कामुक शैतान जाग गया. उस वक्त दोपहर का वक्त था. अधिकांश लोग अपनेअपने घरों में आराम कर रहे थे. दूरदूर तक सन्नाटा पसरा था.

मौके का फायदा उठाते हुए राजीव ने प्रिया से कहा, ”प्रिया तुझे अमरूद खाना है क्या?’’

‘ ‘हां भैया, अगर तुम्हें कहीं नजर आ रहा हो तो तोड़ कर मुझे दे दो.’’

”प्रिया, अगर तुझे पके हुए अमरूद खाने हैं तो मेरे साथ चल. पास में ही एक खेत में अमरूद का पेड़ है. उस पर काफी अमरूद लगे हुए हैं. वहां से तुझे अमरूद तोड़ कर दे सकता हूं.’’ वह बोला.

राजीव की बात सुनते ही प्रिया अमरूदों के लालच में उस के पीछेपीछे चल दी. वहां से कोई डेढ़ सौ मीटर दूर जाने के बाद राजीव ने मौका पाते ही प्रिया को गन्ने के खेत में खींच लिया. फिर उस ने उस का मुंह बंद करते हुए उस के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. राजीव इस वक्त 20 वर्ष का था, जबकि प्रिया उस की उम्र से लगभग आधी उम्र की थी. वह किसी भी सूरत में उस का मुकाबला नहीं कर सकती थी. वह इतनी नादान थी कि उस के मंसूबों को भी समझ नहीं पाई थी.

फिर भी उस ने उस का विरोध किया तो राजीव अपनी हैवानियत पर उतर आया. राजीव ने प्रिया का गला दबा कर उस को बेहोश कर दिया. फिर उस के साथ दुष्कर्म करने के बाद उस का एक हाथ भी मरोड़ कर तोड़ डाला था. उस की पहचान उजागर होने के डर से उस ने प्रिया की हत्या करने के बाद उस के शरीर पर कई जगह ब्लेड से बुरी तरह से जख्मी कर डाला. जिस के कारण उस की आंत तक दिखाई देने लगी थी. अपनी बहन के साथ दरिंदगी दिखाने के बाद वह सीधा अपने घर चला गया.

हर रोज की तरह 15 सितंबर, 2025 को घर से जानवरों के लिए चारा लेने निकली प्रिया जब देर शाम तक वह अपने घर वापिस नहीं लौटी तो उस की मम्मी मंजू देवी को चिंता होने लगी. वह सोचने लगी, ‘प्रिया को तो इस वक्त तक घर आजाना चाहिए था. आखिर वह आज कहां रह गई?’

वह उस की तलाश में निकल पड़ी. सब से पहले मंजू देवी ने अपने भतीजे राजीव कश्यप को ही फोन कर प्रिया के बारे में जानकारी ली. राजीव ने अपनी चाची को बताया कि उस ने प्रिया को काफी समय से नहीं देखा. उस की छोटी चाची ने उसे बुलाया था, लेकिन वह तो वहां से अपने घर चली गई थी. राजीव की बात सुनने के बाद मंजू देवी ने अपनी देवरानी को फोन कर के प्रिया के बारे में पूछा तो देवरानी ने बताया कि उस ने तो आज उसे बुलाया ही नहीं था. उस के बाद मंजू ने कई लोगों से बेटी के बारे में जानकारी ली, लेकिन सब ने न में ही उत्तर दिया.

इस सब जानकारी के बाद मंजू परेशान हो उठी. तब तक उस का भतीजा राजीव भी उस के घर पहुंच गया था. प्रिया के घर से अचानक गायब होने की सूचना पर गांव के कई लोग भी मंजू के घर पर आ पहुंचे थे. गांव वालों को ले कर उस ने प्रिया की तलाश शुरू की, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चल सका. राजीव ने गांव वालों को बताया कि कुछ समय पहले घर के पास खेतों से एक बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी. लेकिन वह बच्ची कौन थी, उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं.

गांव वालों ने राजीव के बात सुनने के बाद खेतों में प्रिया को तलाशना शुरू कर दिया. तभी एक व्यक्ति की नजर गन्ने के खेत में चित अवस्था में पड़ी प्रिया पर गई. उस के शोर मचाते ही गांव के अन्य लोग भी वहां आ गए. उस का पूरा शरीर खून से लथपथ था. उसे इस तरह से खेत में पड़े देख मंजू के तो होश ही उड़ गए. बेटी को देख कर उस की चीख निकल गई. किसी दरिंदे ने उस को बुरी तरह से मार कर छोड़ दिया था. आननफानन में घटनास्थल पर सारा गांव आ गया.

तुरंत ही इस दर्दनाक वारदात की सूचना मोबाइल द्वारा पुलिस को दी गई. सूचना मिलते ही जसपुर कोतवाल राजेंद्र सिंह डांगी पुलिस बल के साथ अमियावाला गांव पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल की. पुलिस ने गांव वालों की मदद से किशोरी को सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां पर डा. आशु सिंघल ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. डा. आशु सिंघल ने किशोरी का चैकअप करने के बाद बताया कि उस के पेट के बाएं हिस्से पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया था, जिस के कारण उस की आंतें भी बाहर निकल आई थीं. उसी के कारण उस की मौत हो गई थी.

किशोरी का बायां हाथ भी टूटा हुआ था. उस के कपड़े भी खून से लथपथ थे. साथ ही उस के गुप्तांग से अत्यधिक रक्तस्राव हुआ था. जिस से साफ साबित होता था कि किसी दरिंदे ने किशोरी के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या कर डाली थी. यह मामला था उत्तराखंड राज्य के जिला ऊधमसिंह नगर के कस्बा जसपुर का. जसपुर से लगभग 7-8 किलोमीटर दूर ठाकुरद्वारा रोड गांव तालबपुर के नजदीक पड़ता है एक गांव अमियावाला. इसी गांव में रहता था रतन सिंह का परिवार. रतन सिंह के 2 बेटे थे, देवेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह. देवेंद्र सिंह बड़ा था. वह ड्राइवर था. कई साल पहले वह अफीम बेचने के आरोप में जेल गया था.

देवेंद्र का छोटा सा परिवार था. पतिपत्नी और 4 बच्चे. प्रिया देवेंद्र सिंह की ही बड़ी बेटी थी. देवेंद्र के जेल चले जाने के बाद उस के बच्चे आर्थिक तंगी से गुजरने लगे थे. देवेंद्र के पास अपनी जुतासे की जमीन नहीं थी, जिस के कारण उस के जेल जाने पर परिवार पर अचानक मुसीबत आ खड़ी हुई तो मंजू देवी ने लोगों के घरों में साफसफाई और खाना बनाने का काम शुरू कर दिया था, जिस के कारण वह अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई से ले कर खानेपीने की व्यवस्था खुद ही करती थी. प्रिया घर में सब से बड़ी थी. वह गांव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा 8 में पढ़ती थी. पढ़ाई के साथसाथ वह अपने घर का सारा कामकाज भी देखती थी. प्रिया ही इस वक्त मम्मी का सब से बड़ा सहारा थी.

घर के पीछे बने बगीचे में जाने के दौरान ही किसी दरिंदे ने बच्ची के साथ कुकर्म कर उस की निर्ममता के साथ हत्या कर डाली. दिनदहाड़े हुए इस दर्दनाक घटना की जानकारी मिलते ही पूरे गांव व आसपास में सनसनी फैल गई. आक्रोश से भरे लोगों का जमघट सरकारी अस्पताल में जुट गया. उस के बाद जैसे ही पुलिस ने उस बच्ची की लाश की अगली काररवाई के लिए अपना कदम उठाया तो वहां पर मौजूद भीड़ भड़क उठी. मौजूद लोगों ने उस बालिका की लाश का पंचनामा भी नहीं भरने दिया. सरकारी अस्पताल के आगे पूरा रास्ता बंद कर धरनाप्रदर्शन शुरू कर दिया. लोगों की यही मांग थी कि आरोपी का तुरंत पता लगाने के बाद उस पर जल्द काररवाई हो.

इस घटना की जानकारी मिलते ही विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक डा. शैलेंद्र मोहन, भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज पाल, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के उपाध्यक्ष दरजा राज्यमंत्री विनय रूहेला, नगर पालिका अध्यक्ष नौशाद सम्राट आदि ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए बालिका की हत्या के आरोपियों के खिलाफ तत्काल काररवाई की मांग की. धरनाप्रदर्शन की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन के हाथपांव फूल गए. एसएसपी मणिकांत मिश्रा के आदेश पर सीओ दीपक सिंह, एसपी (क्राइम) निहारिका तोमर, एसपी (काशीपुर) अभय प्रताप सिंह तुरंत ही मौके पर पहुंचे. पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे किसी भी कीमत पर पुलिस की बात मानने को तैयार नहीं थे.

 

तब एसपी (काशीपुर) अभय प्रताप ने लोगों को समझाते हुए जानकारी दी कि घटना की रिपोर्ट दर्ज करने की काररवाई की जा रही है. उस के बाद बालिका के शव का वीडियोग्राफी के साथ डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया जाएगा. उस दौरान जेल में बंद बच्ची के पिता को जेल से बुलाने की मांग भी उठी. उस के बाद देर रात किशोरी के शव को काशीपुर की मोर्चरी में रखने के लिए भेज दिया गया.

इस सब काररवाई के बाद एसपी अभय प्रताप सिंह ने इस घटना के खुलासे के लिए 10 पुलिस टीमें गठित कर साफसाफ निर्देश दिए कि अपराधी किसी भी कीमत पर बच न पाए. फिर पुलिस ने गांव में डोरटूडोर पूछताछ करने के साथ ही आपराधिक गतिविधियों में लिप्त युवकों की लिस्ट बनाई. फिर उन्हें पुलिस थाने ले जा कर कड़ी पूछताछ की. उस के साथ ही एसपी अभय प्रताप सिंह, सीओ (काशीपुर) दीपक सिंह व एसपी (क्राइम) निहारिका तोमर के निर्देशन में गठित टीमों ने फोरैंसिक विशेषज्ञों, मोबाइल फील्ड यूनिट और डौग स्क्वायड की मदद से घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए.

खोजी कुत्ते को घटनास्थल सुंघा कर छोड़ा गया तो वह सीधा मृतका के घर पहुंचा. उस के बाद वह उस के परिवार के सदस्य मोहन सिंह के घर जा कर ठहर गया, जहां पर उस का बेटा राजीव मौजूद था. खोजी कुत्ते ने राजीव के कपड़े सूंघे तो पुलिस हैरत में पड़ गई. लोग विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि चचेरा भाई ही उस की हत्या में शामिल हो सकता है. खोजी कुत्ते की प्रतिक्रिया देख कर गांव के लोग ही उस के पक्ष में आ खड़े हुए. लोगों का कहना था कि राजीव उस का चचेरा भाई है. वह उस मासूम के साथ ऐसी दङ्क्षरदगी कैसे कर सकता है.

तभी जानकारी मिली कि प्रिया की हत्या के बाद से ही राजीव अपने फेमिली वालों को जानकारी दे रहा था कि पास के गन्ने के खेत से किसी के बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी, लेकिन उस के फेमिली वालों ने उस की बात को गंभीरता से नहीं लिया था. इस जानकारी के बाद पुलिस ने राजीव को हिरासत में ले लिया और कोतवाली में उस से सख्ती से पूछताछ की तो वह बुरी तरह से घबरा गया. पहले तो उस ने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया, लेकिन वैज्ञानिक साक्ष्यों के सामने वह टूट गया. उस ने पुलिस के सामने अपना अपराध कुबूल कर लिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने प्रिया के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की थी.

हत्या करने के बाद वह पूरी तरह से उस के परिवार वालों के साथ बना रहा, ताकि उस पर किसी तरह का शक न हो. पुलिस को यह भी पता चला कि राजीव पर पहले ही जसपुर कोतवाली में 19 अगस्त, 2025 धारा 115(2)/351(2)/352 बीएनएस के तहत एक रिपोर्ट दर्ज है, जिस की जांच के दौरान पता चला था कि आरोपी अपने आप को घायल कर दूसरों को फंसाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका था.  20 वर्षीय राजीव कुमार देवेंद्र कुमार के चचेरे भाई मोहन सिंह का बेटा है. देवेंद्र कुमार और मोहन सिंह के घर आगेपीछे थे. अपने चाचा के जेल चले जाने के बाद राजीव अकसर अपनी चाची के बुलाने पर उस का छोटामोटा काम कर देता था. राजीव इस वक्त बेरोजगार था.

वह सारा दिन कामधंधा ढूंढने के बजाय अपने दोस्तों के साथ आवारागर्दी करता फिरता था. गलत संगत की वजह से उस में तमाम तरह की बुराइयां जन्म ले चुकी थीं. वह शराब के साथसाथ गांजाचरस का भी आदी हो गया था. दोस्तों की देखादेखी राजीव ने भी एक मोबाइल खरीद लिया था. कामधंघा न होने के कारण वह हमेशा ही मोबाइल पर चिपका रहता था. मोबाइल में फेसबुक, इंस्टाग्राम व वाट्सऐप ऐसे ऐप हैं, जिन्होंने इंसान को निकम्मा बना दिया है. आज हर इंसान इन्हीं ऐप के चलते अपनी जिंदगी बरबाद करने पर तुला हुआ है.

गलत संगत में रहने की वजह से वह ऐसा हैवान बन गया कि अपनी चचेरी बहन को ही हवस का शिकार बना कर उस की हत्या कर बैठा. इस वारदात को अंजाम देने के बाद वह गांव के लोगों के साथ पब्लिक को भड़काने के साथसाथ मामले को दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश करने लगा था. इस दौरान वह हर विरोध प्रदर्शन में सब से आगे रहा. उस ने किसी को भी यह अहसास नहीं होने दिया कि इस घटना का अपराधी वह स्वयं ही है. इस मामले को तूल पकड़ते ही एसपी (क्राइम) निहारिका तोमर, एसपी (काशीपुर) अभय प्रताप सिंह तथा डीएसपी (काशीपुर) दीपक सिंह के नेतृत्व में गठित टीम ने इस मामले से जो साक्ष्य जुटाए, उस से पुलिस का शक राजीव पर गहरा गया. जिस के कारण वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया.

राजीव को इस मामले में गिरफ्तार करते ही गांव के कुछ लोग उस के बचाव में आ खड़े हुए थे. वे इस बात को बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं थे कि एक चचेरा भाई ही अपनी बहन के साथ इतनी घिनौनी हरकत करने के बाद उस की निमर्मता से हत्या भी कर सकता है. लेकिन बाद में जब इस केस की सच्चाई उन के सामने आई तो उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए तत्काल आरोपी के खिलाफ कठोर काररवाई की मांग की. मंजू देवी ने राजीव के खिलाफ पुलिस को तहरीर सौंपी. जिस के आधारपर जसपुर कोतवाली में राजीव कश्यप के खिलाफ बीएनएस की धारा 103(1)/64(1) व पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पुलिस ने आरोपी राजीव कश्यप की निशानदेही पर घटनास्थल व उस के आसपास घर से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य बरामद किए, जिन में खून से सना धारदार ब्लेड, घटना के समय पहने खून लगे कपड़े व गन्ने के खेत से बरामद अन्य फोरैंसिक साक्ष्य इत्यादि. पुलिस ने मात्र 12 घंटे में ही नाबालिग से दुष्कर्म व जघन्य हत्या का परदाफाश कर आरोपी राजीव कश्यप को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया था. Uttarakhand Crime News

 

 

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