Illicit Relationship: कमलेश और जीरा के बीच भले ही शादी से पहले के संबंध रहे थे, लेकिन जीरा की शादी के बाद दोनों को यह गलती दोहरानी नहीं चाहिए थी. उन दोनों की इस गलती ने जब विकराल रूप ले लिया तो फिर खून की नदी तो बहनी ही थी, भले ही उस में लाश जीरा की बहती या कमलेश की.
खिदिरपुर गांव से सटा हुआ गांव है ताजपुर माझा. 23 जुलाई, 2015 की सुबह का उजाला फैला तो ताजपुर माझा के लोगों ने खेतों का रुख किया. एक ग्रामीण ने सिट्टू राय के खेत के पास की झाड़ी में एक जवान युवक को रक्तरंजित पड़ा देखा तो उस की घिग्गी बंध गई. उस ने हिम्मत कर के उस युवक के जिस्म पर नजर डाली तो उसे समझते देर नहीं लगी कि वह जीवित नहीं है. वह ग्रामीण चिल्लाता हुआ वहां से भागा, ‘‘झाडि़यों में लाश है, झाडि़यों में लाश है.’’

उस की आवाज सुन कर लोग खेतों के पास खड़ी झाडि़यों की तरफ दौड़ पड़े. देखते ही देखते लाश के पास काफी लोग जमा हो गए. मृतक जवान युवक था. उस के शरीर पर नई पैंट शर्ट और जूते थे, ऐसा लगता था जैसे वह किसी रिश्तेदारी में आया था. क्योंकि गांव के ज्यादातर लोग कहीं बाहर या रिश्तेदारी में आनेजाने पर ही नए कपड़े पहनते हैं. मृतक का सिर फटा हुआ था, जिस से बहा खून उस के चेहरे और शर्ट के काफी हिस्से पर फैल गया था.
खून चूंकि जम कर काला पड़ गया था, इस से लग रहा था कि उसे मरे हुए काफी समय हो गया है. आसपास एकत्र भीड़ में तरहतरह की चर्चाएं हो रही थीं, उसे पहचानने की कोशिश भी की गई, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं पाया. इसी बीच किसी ने थाना जमानियां की पुलिस को फोन कर के युवक की लाश मिलने की सूचना दे दी. कुछ ही देर में थानाप्रभारी जमानियां अवधेश नारायण सिंह पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए. उन्हें देख कर भीड़ लाश के पास से हट गई. अवधेश नारायण सिंह ने युवक की लाश का निरीक्षण किया. उस के फटे सिर को देख कर ही उन्हें अनुमान हो गया कि उस की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई है.
मृतक के शरीर पर चोट के भी निशान नजर आ रहे थे. मरने से पहले शायद उसे काफी पीटा गया था. अवधेश नारायण सिंह को उस की जेबों की तलाशी में जो पर्स मिला, उस में केवल कुछ रुपए थे. इस के अलावा उस के पास से ऐसा कोई सामान नहीं मिला, जिस से उस की शिनाख्त हो सकती. लाश की पहचान के लिए उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा तो सभी ने उसे पहचानने से मना कर दिया. लोगों ने यही शंका जाहिर की कि हो सकता है यह आसपास के किसी गांव का रहने वाला हो. इस पर अवधेश नारायण सिंह ने एक सिपाही को भेज कर पड़ोसी गांव खिदिरपुर से वहां के चौकीदार राममिलन को बुलवा लिया.
राममिलन ने युवक की लाश को देखते ही बता दिया कि मृतक राधोपुर गांव का कमलेश यादव है. राममिलन ने यह भी बताया कि कमलेश यादव का खिदिरपुर में जीरा देवी के पास काफी आनाजाना था. दोनों के अवैधसंबंधों के बारे में पूरा खिदिरपुर जानता है. इस महत्वपूर्ण जानकारी को सुन कर अवधेश नारायण सिंह को पक्का यकीन हो गया कि कमलेश यादव की हत्या अवैधसंबंधों के कारण ही हुई है और इस के सूत्र खिदिरपुर में जीरा देवी के घर से ही मिलेंगे. उन्होंने लिखापढ़ी कर के कमलेश की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया, साथ ही अपने मातहतों को निर्देश दिया कि वे कमलेश यादव के गांव राधोपुर खबर भेज कर उस के घर वालों को थाने बुला लें.
तत्पश्चात अवधेश नारायण सिंह 2 सिपाहियों और चौकीदार के साथ गांव खिदिरपुर की ओर रवाना हो गए. खिदिरपुर वहां से ज्यादा दूर नहीं था. जब वह जीरा देवी के दरवाजे पहुंचे तो अंदर तेजी से हलचल हुई, लगा कोई भागा है. दरवाजा खुला था. अवधेश नारायण सिंह धड़धड़ाते हुए अंदर चले गए. घर के आंगन में एक युवती घबराई हुई खड़ी थी. वही जीरा देवी थी. घर में पुलिस को देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.
अवधेश नारायण सिंह की पैनी नजरों ने घर के आंगन में पड़े खून के उन धब्बों को देख लिया, जिन्हें साफ करने की कोशिश की तो गई थी, पर वे पूरी तरह से साफ नहीं हो पाए थे. श्री सिंह ने जीरा देवी को घूरते हुए पूछा, ‘‘अंदर कौन भागा है?’’
‘‘ज…जी… मेरी सास अंदर गई है.’’ जीरा देवी ने घबराई हुई आवाज में कहा और अंदर की तरफ जाने लगी. अवधेश सिंह ने उसे रोका नहीं, बल्कि उस के पीछे हो लिए. जीरा देवी जिस कमरे में गई, उस में कमलेश यादव की हत्या के पुख्ता सबूत मौजूद थे. कमरे में जीरा देवी की सास संधारी देवी खड़ी मिली, उस के हाथ में लोहे की खून सनी रौड थी, जिसे वह एक गीले कपड़े से साफ करने की कोशिश कर रही थी.
अब कुछ भी पूछने की आवश्यकता नहीं थी, उन्होंने वहां मौजूद सबूतों को अपने कब्जे में ले लिया और जीरा देवी व संधारी देवी को साथ ले कर थाने लौट आए. एक आदमी की हत्या और कुछ लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी मिलने पर पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण भी आ गए थे. उन की और मीडिया की उपस्थिति में दोनों से सख्ती से पूछताछ हुई. आखिरकार जीरा देवी पुलिस की सख्ती के आगे टूट गई. उस ने अपना जुर्म कबूल करते हुए जो कुछ बताया, उस से कमलेश की हत्या की पूरी कहानी साफ हो गई. जीरा देवी ने बताया, ‘‘कमलेश अकसर मेरे साथ अनैतिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाता था. इस से मेरी ससुराल वालों की बहुत बदनामी हो रही थी.
अपने पड़ोसी प्यारेलाल के कहने पर कल रात मैं ने उसे घर पर बुलाया. कमलेश मुझ से मिलने के लिए घर आया तो मैं ने और मेरी सास ने लोहे की रौड और लाठी से उस पर वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद हम ने उस की लाश पास के गांव ताजपुर के एक खेत के पास खड़ी झाड़ी में फेंक दी. इस में मेरे पति का कोई हाथ नहीं है.’’
अवधेश सिंह जानते थे कि कमलेश की लाश को 2 औरतें पास के गांव के खेतों में ले जा कर नहीं फेंक सकतीं, इस में अवश्य ही किसी पुरुष का भी हाथ रहा होगा. उन्होंने अपनी पुलिस टीम को जीरा के पति करिमन यादव उर्फ करिया और उस के पड़ोसी प्यारेलाल को पकड़ कर लाने के आदेश दिए. गाजीपुर जिले के जमानियां थाना क्षेत्र का एक गांव है राधोपुर. इस गांव के एक छोटे से किसान रामअधार यादव की बेटी थी जीरा. रामअधार के पास खेती लायक इतनी जमीन थी कि वह अपने परिवार का भरणपोषण अच्छे से कर लेता था. जीरा बचपन से ही नटखट और चंचल स्वभाव की थी. पढ़ाईलिखाई के साथ खेतखलिहान और गांव की गलियों में खेलतेकूदते जीरा कब जवान हो गई, उसे पता ही नहीं चला.
उसे अपनी जवानी का अहसास तब हुआ, जब उस के जीवन में प्यार का एक मदहोश कर देने वाला झोंका आया. वह मदमस्त कर देने वाला आवारा झोंका था कमलेश. वह भी इसी गांव में जवान हुआ था. उस के पिता रामविलास यादव भी किसान थे. कमलेश की पढ़ने में ज्यादा रुचि नहीं थी. सारा दिन अपने दोस्तों के साथ गांव की गलियों में घूमना, फिल्मी गाने गुनगुना कर खुद को हीरो साबित करने की कोशिश करना उस का काम था. एक दिन वह अपनी साइकिल से कस्बे की ओर जा रहा था, तभी उस की नजरें सामने से आती हुई जीरा पर पड़ गईं.
19 वर्षीया कमसिन, अल्हड़, खूबसूरत जीरा की बड़ीबड़ी कजरारी आंखें, कमर तक लहराते काले बाल, पतली छरहरी कंचन सी काया किसी भी युवा दिल को आकर्षित करने के लिए काफी थी. उस के चेहरे पर ऐसा चुंबकीय आकर्षण था कि कमलेश अपनी आंखें तक झपकाना भूल गया. उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उस का दिल सीने से निकल कर बाहर आ गया हो.
‘‘हाय, इतनी दिलकश हसीना मेरे गांव में रहती है और मुझे पता ही नहीं चला.’’ कमलेश ने सर्द आह भर कर कहा तो जीरा ने आंखें तरेरते हुए जवाब दिया, ‘‘अच्छा, अगर पहले पता चल जाता तो क्या कर लेते?’’
‘‘कसम पैदा करने वाले की, मैं तुम्हारा हाथ मांगने खुद ही तुम्हारे दरवाजे पर आ जाता.’’
जीरा थोड़ी शरमाई, फिर झेंप कर बोली, ‘‘क्यों घर में मांबाप नहीं हैं क्या तुम्हारे?’’
‘‘हैं, कहो तो भेज दूं अपने बाप को?’’ कमलेश ने शरारत से पूछा.
‘‘धत!’’ जीरा लाज से दोहरी हो कर तेजी से कमलेश की बगल से निकल गई.
‘‘उफ, यह शरमाना…’’ कमलेश ने फिर ठंडी सांस भरी और बोला, ‘‘अरे नाम तो बताती जाओ.’’
‘‘जीरा नाम है मेरा.’’ जीरा ने पलट कर बड़ी अदा से बताया और फिर लहराती हुई चली गई. कमलेश तब तक वहां खड़ा रहा, जब तक जीरा उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. उसे लगा जैसे आज उस का दिल उस के पास नहीं है, उसे जीरा चुरा कर ले गई है. वह उस दिन बेमन से कस्बे के बाजार गया.
इत्तफाक से दूसरे दिन जीरा उसे खेत में मिल गई. उस दिन सांझ ढल रही थी. जीरा ने जानवरों के लिए घास का गट्ठर तैयार कर लिया था और उसे उठाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी. गट्ठर भारी था और आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था. तभी कमलेश वहां पहुंच गया. उस ने जीरा को देखा तो उस के पास चला आया.
‘‘क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर दूं?’’ कमलेश ने प्यार से पूछा.
‘‘ना बाबा?’’ जीरा ने अपनी मुसकराहट छिपा कर घबराने का अभिनय किया, ‘‘तुम से उठवाऊंगी तो दंड भोगना पड़ेगा.’’
‘‘दंड.’’ कमलेश चौंका, ‘‘कैसा दंड?’’
‘‘मैं जानती हूं, फोकट में मुझ पर एहसान नहीं करोगे. बोझ उठवा दिया तो कहोगे, मुझ पर उपकार किया है, अब बापू को भेजूं तो ‘हां’ बोल देना.’’
कमलेश हंस पड़ा, ‘‘वह तो तुम्हें वैसे भी बोलना पड़ेगा जीरा. जानती हो तुम्हें जब से देखा है न दिन को चैन है, न रात को ठीक से सो पाया हूं. पता नहीं कैसा जादू कर दिया है तुम ने मुझ पर.’’
‘‘जादू तो तुम ने भी चला दिया मुझ पर.’’ जीरा सिर झुका कर लजाते हुए बोली, ‘‘लड़की हूं न, अपने दिल की बात होंठों पर लाते हुए झिझक होती है.’’
कमलेश ने प्यार से उस की कलाई थाम ली, ‘‘तुम्हारी हां की गवाही तुम्हारी शरम से झुकी आंखें भी दे रही है जीरा. मेरा यकीन करो, मैं ने तुम्हें अपना बनाया तो है रानी बना कर रखूंगा… तुम राज करोगी मेरे दिल पर.’’
जीरा ने आंखें तरेरी, ‘‘तुम्हारी रानी तो मैं तब बनूंगी, जब मुझे ब्याह लोगे. अगर मेरा ब्याह किसी और से हो गया तो मैं तुम्हारी रानी…’’
कमलेश ने जल्दी से उस की बात काट दी, ‘‘गलती से कह दिया पगली, तुम तो हर तरह से मेरी रानी रहोगी, शादी मुझ से हुई तब भी और नहीं हुई तब भी.’’
‘‘शादी तो तुम से ही होगी मेरी.’’ जीरा हंस कर बोली, ‘‘कोई और मुझे ब्याह कर ले जाए, मैं ऐसा होने नहीं दूंगी.’’
‘‘इतना चाहती हो मुझे?’’ कमलेश ने भावविभोर हो कर जीरा को अपने सीने से लगा लिया. क्षणभर के लिए तो जीरा भी कमलेश के सीने से लग कर अपनी सुधबुध भूल गई, लेकिन जल्दी ही वह संभल कर उस से अलग हटते हुए इधरउधर देखने लगी.
‘‘कोई नहीं है जीरा, बस यहां मैं हूं और तुम हो.’’ कमलेश ने अपनी उखड़ी सांसों को व्यवस्थित करते हुए कहा.
‘‘तुम पुरुष हो कमलेश, मैं स्त्री हूं और स्त्री को अपनी सीमा में रहने का पाठ पढ़ाया जाता है. अभी कोई देख लेता तो मेरी बदनामी हो जाती.’’
‘‘आगे से ध्यान रखूंगा जीरा.’’ कमलेश सिर झुका कर धीरे से बोला, ‘‘लेकिन तुम्हें इस बेचैन दिल को सुकून देने का वादा करना पड़ेगा.’’
‘‘स्त्री मन से कुछ छिपा नहीं रहता, वह पुरुष की नजरों को पल भर में पढ़ लेती है. मैं जान चुकी हूं कि तुम मुझे बेइंतहा प्यार करते हो और मुझे धोखा नहीं दोगे. औरत को अगर इतना विश्वास हो जाए तो वह पुरुष को बेझिझक अपना तनमन समर्पित कर देती है. मैं भी तुम्हारी बांहों में समा कर अपना सबकुछ तुम्हें सौंपने को आतुर हूं, लेकिन इस के लिए सही वक्त का इंतजार करना होगा.’’
‘‘ठीक है.’’ कमलेश ने ठंडी आह भर कर कहा, ‘‘मैं उस समय की प्रतीक्षा करूंगा.’’ इस के बाद कमलेश ने जीरा का घास का गट्ठर उठवा दिया. फिर दोनों अपनेअपने रास्ते घर चले गए.
जीरा कमलेश के मन में इस कदर समा गई थी कि वह जब तक दिन में एक बार उस का दीदार नहीं कर लेता था, उसे चैन नहीं पड़ता था. उसे देखे बिना जीरा का खाना भी गले से नीचे नहीं उतरता था. एक ही गांव के होने के कारण, कभी गली, कभी तालाब तो कभी खेत में उन्हें एकदूसरे का दीदार करने का अवसर मिल ही जाता था. वह एकदूसरे को देख कर आंखों की प्यास बुझा लेते थे, लेकिन उन के तन की प्यास उन्हें बेचैन कर रही थी.
एक दिन कमलेश को अपने खेत से लौटते वक्त देर हो गई. सांझ ढल गई थी और हलका अंधेरा जमीन पर उतर आया था. तभी एकाएक आसमान में काले बादलों के साए मंडराए और देखते ही देखते तेज बारिश होने लगी. कमलेश तेजी से दौड़ पड़ा. अभी वह कुछ ही दूर पहुंचा था कि उसे बरगद के पेड़ के नीचे जीरा नजर आई. वह पेड़ के नीचे खड़ी बारिश से बचने का प्रयास कर रही थी. वहां दूरदूर तक कोई नहीं था. कमलेश दौड़ता हुआ जीरा के पास पहुंच गया.
‘‘आज तुम्हें देर हो गई जीरा?’’ कमलेश ने सिर का पानी पोंछते हुए जीरा के चेहरे पर नजरें गड़ा कर पूछा तो जीरा उस के करीब सरक आई. ‘‘आज तुम्हारे लिए मैं ने देर कर दी है. मुझे मालूम था तुम अभी खेत में ही हो.’’
‘‘तुम्हारा इरादा नेक नहीं है?’’ कमलेश उस के और करीब आ कर फुसफुसाया.
‘‘तुम्हारा कौन सा नेक है.’’ जीरा को अपनी आवाज हलक में फंसती महसूस हुई. दोनों अब इतना करीब थे कि उन्हें एकदूसरे के दिलों की धड़कनें स्पष्ट सुनाई देने लगीं. कमलेश ने अपनी बांहों को आगे बढ़ाया तो जीरा उन में सिमट गई. तूफानी बारिश में दोनों के जिस्म सुलगने लगे. कमलेश ने जीरा का चेहरा दोनों हथेलियों में समेट कर उस के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
जीरा की पूरी काया कसमसा उठी, वह कमलेश से कस कर लिपट गई. कमलेश ने उसे जकड़ लिया और अपने में समेटने लगा. जीरा ने अपना तन ढीला कर के मौन स्वीकृति दी तो कमलेश उसे ले कर जमीन पर झुकता चला गया. उस बारिश में दो तन एक हुए तो दोनों की आंखों में अजीब चमक और चेहरे पर तृप्ति के भाव थे. उस दिन के बाद जीरा अकसर खेतों से घर लौटने में देर करने लगी. कमलेश के साथ प्यार का अनैतिक खेल खेलने के लिए जीरा ने उपयुक्त स्थान और समय खोज निकाला था. सांझ के धुंधलके में जब खेतों में सन्नाटा व्याप्त हो जाता था, दोनों प्रेमी अपने तनमन की प्यास बुझाते थे.
जैसेजैसे यह खेल आगे बढ़ रहा था, उन के प्यार का बंधन भी मजबूत होता जा रहा था. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां है? एक दिन कमलेश और जीरा को एक आदमी ने बरगद के पेड़ के नीचे आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया तो बात जीरा के बाप को पता लगने में देर नहीं लगी. जीरा की पिटाई तो हुई ही, उस के घर से बाहर जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई. जीरा के बाप ने आननफानन में उस के लिए वर की तलाश की और उसे शादी के बंधन में बांध कर राधोपुर से खिदिरपुर भेज दिया. जीरा चाह कर भी विरोध नहीं कर पाई. सब कुछ इतनी जल्दी से हुआ कि कमलेश भी मूकदर्शक बना रह गया.
2 प्यार करने वालों के दरमियान समाज ने एक ऐसी रेखा खींच दी, जिसे लांघना जीरा और कमलेश के लिए नामुमकिन तो नहीं था, लेकिन मुश्किल जरूर था. उधर जीरा लोकलाज के डर से ससुराल में अपने मन पर पत्थर रख कर बैठ गई. प्रेमिका की जगहंसाई न हो, इसलिए कमलेश भी खामोश हो कर रह गया. लेकिन अधिक समय तक ऐसा नहीं हो सका. 2 दिलों में धधक रही प्रीत और कामना की ज्वाला ने सारे बंधन तोड़ डाले. एक दिन जीरा ने ही कमलेश को अपनी ससुराल आने का न्योता दे दिया. कमलेश को उस ने ससुराल वालों के सामने मुंहबोले भाई के रूप में पेश कर दिया. परिणामस्वरूप जीरा की ससुराल में कमलेश की खूब आवभगत हुई. इसी की आड़ में कमलेश और जीरा की देह का मिलन भी हुआ.
दोनों तृप्त हुए तो इस रिश्ते की आड़ में कमलेश बारबार खिदिरपुर आने लगा. धीरेधीरे पहले गांव में, फिर जीरा की ससुराल वालों में भी इस रिश्ते को ले कर चर्चाएं होने लगीं. इन चर्चाओं में विश्वास कम, शक अधिक था. जीरा और कमलेश को इस की भनक लगी तो दोनों घर से भाग गए. कमलेश अपनी प्रेमिका जीरा को ले कर दिल्ली आ गया. यहां उस ने एक वर्ष तक जीरा को पत्नी के रूप में रखा. उस ने किराए का कमरा ले लिया था और एक कंपनी में काम करने लगा था. यह बात 2013 की है.
इधर जीरा के ससुराल वाले खुद और पुलिस की मदद से उन दोनों की तलाश करते रहे और अंत में दोनों को दिल्ली से ढूंढ़ निकाला. पुलिस उन्हें पकड़ कर खिदिरपुर ले आई. जीरा ने कोतवाली जमानियां में बयान दे कर कहा कि वह खुद कमलेश को ले कर दिल्ली गई थी. इस तरह उस ने कमलेश को सजा से तो बचा लिया, लेकिन पुलिस के और ससुराल वालों के समझाने पर उस ने कसम खाई कि अब वह पति की वफादार बन कर रहेगी. उस ने कमलेश को स्पष्ट रूप से कह दिया कि अब वह उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने की कोशिश न करें, वह उसे भूल कर अपना विवाह कर ले और पत्नी के साथ राधोपुर में रहे.
कमलेश ने इसे प्यार भरी झिड़की समझ कर एक कान से सुना, दूसरे से निकाल दिया. वह थोड़े दिनों तक तो शांत रहा, लेकिन फिर जीरा की याद आई तो शराब पी कर उस की ससुराल खिदिरपुर पहुंच गया. जीरा घर में अकेली मिली, उस ने कमलेश को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन कमलेश अपनी मनमानी कर के ही वहां से गया. ऐसा बारबार होने लगा. यह बात जीरा की ससुराल वालों को मालूम हुई तो वह कमलेश को सबक सिखाने की योजना बनाने लगे. जीरा भी चाहती थी कि कमलेश को अब उस की वैवाहिक जिंदगी से दूर कर दिया जाए. इस परिवार के पड़ोस में प्यारेलाल रहता था, वह भी उन का साथ देने को तैयार हो गया. उसी ने अपने फोन से जीरा की बात कमलेश से करवाई.
योजना के अनुसार जीरा ने उस दिन एक प्रेमिका का सच्चा अभिनय किया. उस ने मोबाइल पर कमलेश का नंबर मिला कर सुरीली आवाज में कहा, ‘‘कमलेश मैं तुम्हारी जीरा बोल रही हूं, कैसे हो तुम?’’
‘‘तुम पूछ रही हो जीरा,’’ कमलेश गहरी सांस भर कर बोला, ‘‘मैं तो तुम्हारे प्रेम के सहारे जिंदा रहना चाहता था, लेकिन तुम ही बेवफाई पर उतर आई हो. तुम्हारे पास आता हूं तो तुम बेरुखी से मुंह मोड़ लेती हो. अब तुम मेरी वाली जीरा नहीं रह गई.’’
‘‘नहीं कमलेश, जीरा तुम्हारी थी, तुम्हारी ही रहेगी.’’ जीरा गंभीर हो कर बोली, ‘‘मुझे अपनी ससुराल वालों के दबाव में तुम से बेरुखी करनी पड़ी थी. लेकिन वह सब नाटक था, हकीकत नहीं. मैं तुम्हें आज भी बहुत चाहती हूं.’’
‘‘सच,’’ कमलेश खुश हो कर बोला, ‘‘कहो कैसे फोन किया?’’
‘‘आज घर के सब लोग एक शादी में जा रहे हैं, तुम रात को खिदिरपुर आ जाओ, खूब मौजमस्ती करेंगे.’’
‘‘मैं आऊंगा जीरा, तुम दरवाजा खुला रखना.’’ कमलेश खुशी से चहका और फोन बंद कर के खिदिरपुर जाने की तैयारी करने लगा. उस दिन 22 जुलाई, 2015 का दिन था.
रात गहराने पर कमलेश ने जीरा के दरवाजे पर पहुंच कर हलकी सी दस्तक दी और हौले से दरवाजा धकेला. दरवाजा खुद ही अंदर की तरफ खुल गया. कमलेश के दिल की धड़कनें बेकाबू होने लगीं. वह उस पल की कल्पना कर के ही रोमांचित होने लगा, जब जीरा उस की बांहों के समाने वाली थी. अब वह पल बहुत करीब था. कमलेश ने उन्माद में अपने कदम आगे बढ़ा दिए. छोटी सी गली पार कर के जैसे ही उस ने आंगन में कदम रखा, उस के सिर पर एक भरपूर प्रहार हुआ. उस के मुंह से दर्दभरी हलकी चीख निकली और वह लहराता हुआ नीचे झुकता चला गया. बस इस के बाद उस पर रौड और डंडों से वार पर वार होने लगे. अचेत अवस्था में ही इस जानलेवा हमले में कब उस के प्राण निकल गए, पता ही नहीं चला. कुछ देर बाद हमलावरों का जुनून शांत हुआ तो जीरा की सास संधारी ने कमलेश की सांसे टटोलीं.
‘‘मर गया कमीना.’’ वह नफरत से थूकती हुई बोली.
‘‘हमारे रास्ते का कांटा निकल गया, चलो अब इसे ठिकाने लगा देते हैं.’’ जीरा के पति करिमन उर्फ करिया यादव ने अपने पास खड़ी अपनी पत्नी जीरा और मां संधारी की तरफ देख कर कहा.
इस के बाद 22 जुलाई की रात में ही उन लोगों ने कमलेश की लाश को पास के गांव ताजपुर माझा में सिट्टू राय के खेत की झाड़ी में ले जा कर छिपा दिया. उन्हें लगा था, दूसरे गांव में इस की पहचान नहीं हो पाएगी तो मामला रफादफा हो जाएगा. लेकिन कोतवाली जमानियां के प्रभारी अवधेश नारायण सिंह ने पहली इन्वैस्टीगेशन में ही कातिलों के गिरेबान पर हाथ डाल दिया. बेशक करिमन यादव भाग निकला, लेकिन थानाप्रभारी को विश्वास था कि वह जल्द ही पकड़ में आ जाएगा. प्यारेलाल को भी पकड़ लिया गया था.
कमलेश की हत्या का जुर्म जीरा और संधारी देवी कबूल कर चुकी थीं. थानाप्रभारी सिंह ने कमलेश के पिता रामविलास यादव को वादी बना कर हत्यारों के नाम एक तहरीर लिखवा ली और उन के विरुद्ध अपराध भा.दं.वि. की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर के तीनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कमलेश की हत्या में शामिल प्यारेलाल पकड़ में आ गया था, जबकि करिमन की तलाश जारी थी. Illicit Relationship
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






