True Crime Story: शादी के बाद भी सरोज अपने प्रेमी सूरज को भुला नहीं पाई थी. फिर एक दिन वह मायके में आई तो प्रेमी के साथ भाग गई. बदनामी के इस दाग को धोने के लिए सरोज की ससुराल और मायके वालों ने ऐसी खौफनाक साजिश को अंजाम दिया कि…
उ त्तर प्रदेश के लखनऊ-हरदोई मार्ग पर थाना कस्बा मलिहाबाद बसा है, जो आमों के लिए भी मशहूर है. इसी थाने के गांव वंशीगढ़ी से थोड़ा आगे निकलते ही जंगल शुरू हो जाता है. 26 जुलाई की सुबह गांव के कुछ लोग जानवरों को चराने इसी जंगल में गए तो उन्हें वहां एक लड़के और एक लड़की की लाश पड़ी दिखाई दी. उन्होंने यह बात गांव के चौकीदार निहाल पासी को बताई तो उस ने यह सूचना थाना मलिहाबाद पुलिस को दे दी.

लाशें पड़ी होने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुधाकर पांडेय, एसएसआई अमरनाथ और कुछ सिपाहियों को साथ ले कर बंशीगढ़ी के जंगल पहुंच गए. जंगल में काफी अंदर एक जवान लड़के और लड़की की क्षतविक्षत लाश पड़ी थी. सबूत की तलाश में सुधाकर पांडेय ने आसपास की झाडि़यों में ताकझांक की तो उन्हें एक हैंडबैग मिला. उस की तलाशी ली गई तो उस में लड़की के कुछ कपड़े और एक पहचानपत्र मिला.
वह पहचानपत्र मृतक युवक का था. उस के अनुसार मृतक सूरज धानुक था, जो थाना मलिहाबाद के गांव सिरगामऊ का रहने वाला था. घर वालों से उस की पहचान हो सकती थी. इसलिए सुधाकर पांडेय ने लाशों की फोटोग्राफी करा कर मृतकों का सामान कब्जे में ले लिया और लाशों को पोस्टमार्टम के लिए लखनऊ भिजवा दिया. थाने लौट कर थानाप्रभारी ने चौकीदार निहाल की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
सुधाकर पांडेय ने पहचानपत्र से मिले पते पर एक सिपाही को भेजा तो वहां उस की मां गुडि़या मिली. जब उस से सूरज की हत्या के बारे में बताया गया तो वह अपने देवर के बेटे के साथ रोते हुए थाना मलिहाबाद पहुंची. गुडि़या ने लाशों के फोटो देखने के बाद रोते हुए बताया कि सूरज के साथ जिस युवती की लाश मिली है, वह लड़की सरोज है. दोनों एकदूसरे को बहुत प्यार करते थे. कुछ दिनों पहले सूरज सरोज को उस की ससुराल से ले कर भाग गया था, जिस की वजह से सरोज की ससुराल तथा मायके वाले काफी नाराज थे. 18 जुलाई को सरोज के पति मंजेश ने हरदोई के थाना संडीला में सूरज और उस के दोस्त धर्मेंद्र के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. उसे पूरा यकीन है कि दोनों की हत्या उन्हीं लोगों ने की है.
गुडि़या के बताए अनुसार, मृतका का नाम सरोज था. वह उसी के गांव के रहने वाले रामऔतार पाल की बेटी थी, जो हरदोई के थाना संडीला के गांव ककराली के रहने वाले मंजेश के साथ ब्याही थी. गुडि़या ने यह भी बताया कि थाना संडीला में सरोज को भगाने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. उन्होंने पता किया तो सचमुच वहां रिपोर्ट दर्ज थी. उन्होंने इस मामले को वहां ट्रांसफर करने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन अधिकारियों के आदेश के बाद मुकदमा ट्रांसफर नहीं हो सका.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, सूरज और सरोज की मौत बेरहमी से मारपीट और गला घोंटने से हुई थी. पोस्टमार्टम के बाद लाशें सौंपने की बात आई तो सूरज के घर वाले तो उस की लाश ले गए, लेकिन सरोज की लाश लेने न तो उस की ससुराल से कोई आया और न ही मायके से. काफी देर बाद उस की मां और बहनें आईं तो पुलिस ने सरोज की लाश उन के हवाले कर दी. पुरुषों के न आने से पुलिस को संदेह हुआ. सुधाकर पांडेय सरोज के पति मंजेश की तलाश में उस के घर पहुंचे तो मंजेश ही नहीं, घर के अन्य पुरुष भी गायब थे. इस से पुलिस को विश्वास हो गया कि दोनों हत्याएं इन्हीं लोगों ने की होंगी.
मंजेश की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने उस के सभी रिश्तेदारों के घर छापा मारा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. पुलिस ने मंजेश के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि सरोज जब ससुराल से भागी थी, तभी से मंजेश अपने दोनों सालों दिनेश उर्फ तिवारी और शिवकुमार के संपर्क में था. इस के बाद सुधाकर पांडेय सिरगामऊ स्थित सरोज के मायके पहुंचे तो उस के भाई दिनेश और शिवकुमार भी घर से गायब मिले.
5 अगस्त को सुधाकर पांडेय ने मुखबिर की सूचना पर दिनेश और शिवकुमार को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर की गई पूछताछ में दिनेश और शिवकुमार ने अपना जुर्म कबूल करते हुए इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड के बारे में पुलिस के सामने जो बयान दिया, उस में औनर किलिंग की एक खौफनाक कहानी सामने आई, जो इस प्रकार थी. लखनऊ की थानाकोतवाली मलिहाबाद का एक गांव है सिरगामऊ. इसी गांव में शुकुल धानुक अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी गुडि़या, 2 बेटे सूरज, रोहित और 2 बेटियां थीं. शुकुल धानुक खेतीबाड़ी कर के गुजारा करता था. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिस की वजह से वह बच्चों को पढ़ालिखा नहीं सका.
22 साल का सूरज खेती करने के साथसाथ आम के बागों की देखभाल करता था. बेटियां और दूसरा बेटा अभी छोटे थे. इसी गांव में रामऔतार भी परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रूपमती, 3 बेटियां तथा 2 बेटे दिनेश और शिवकुमार थे. रामऔतार लखनऊ में सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करता था. बड़ा बेटा दिनेश एक स्कूल की बस चलाता था. गांव में थोड़ीबहुत जमीन थी, जिस से खानेपीने भर का अनाज पैदा हो जाता था. इस तरह परिवार का गुजारा आराम से हो रहा था. रामऔतार और शुकुल धानुक के घर अगलबगल थे. लेकिन अलगअलग जाति के होने की वजह से दोनों परिवारों में ज्यादा मेलजोल नहीं था. हां, उन के बच्चे जातिपांत को न मानते हुए आपस में मेलजोल रखते थे.
सूरज और रामऔतार की तीसरे नंबर की बेटी सरोज हमउम्र थे, इसलिए बचपन से साथसाथ खेल कर बड़े हुए थे. सूरज को सरोज बहुत अच्छी लगती थी. जब भी वह सरोज को देखता, उस की आंखों में अनोखी चमक आ जाती. इसलिए वह उसे हमेशा देखते रहना चाहता था. सरोज ने भी इस बात को महसूस किया तो उस के मन में भी सूरज के लिए कोमल भावनाएं अंगड़ाई लेने लगीं. इस का परिणाम यह निकला कि दोनों एकदूसरे को चाहने लगे.
सरोज उर्फ बउवा गोरे रंग की खूबसूरत लड़की थी. शोख, चंचल और मिलनसार स्वभाव की होने की वजह से सभी उसे प्यार करते थे. सूरज का घर बगल में ही था, इसलिए वह जैसे ही घर से बाहर निकलता, सरोज को पता चल जाता. इस के बाद किसी बहाने से वह सूरज से मिलने बागों की ओर निकल जाती, जहां दोनों घंटों अकेले में बैठ कर प्यार की मीठीमीठी बातें करते और एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाते. लेकिन जब शादी की बात आई तो सूरज ने कहा कि वह छोटी जाति का है, इसलिए उस के घर वाले इस शादी के लिए कभी तैयार नहीं होंगे.
इस बात से सरोज उदास हो गई. उसे उदास देख कर सूरज ने कहा कि वह उस के बिना जीने की बात सोच नहीं सकता, इसलिए गांव से भाग कर कहीं दूर चले जाएंगे, जहां उन के घर वाले उन्हें खोज नहीं पाएंगे. इस के बाद कुछ पैसे ले कर दोनों भाग गए. शाम को जब सरोज के घर से भाग जाने का पता चला तो बदनामी के डर से रामऔतार बेटों के साथ चोरीछिपे उस के बारे में पता लगाने लगा. उस ने थाने में सूरज के खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं दर्ज कराई. उस के घर जा कर धमकी जरूर दे आए कि अगर सूरज ने सरोज को जल्दी घर ला कर नहीं छोड़ा तो इस का परिणाम बहुत भयानक होगा.
शुकुल धानुक और गुडि़या वैसे भी सीधेसादे स्वभाव के थे, उन्होंने इस मामले में चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी. दूसरी ओर जीनेमरने की योजना बना कर भागे सूरज और सरोज के पास जब तक पैसे रहे, तब तक पतिपत्नी के रूप में अपनी ही दुनिया में डूबे रहे. लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो आटेदाल के भाव का पता चला. सूरज ने कामधंधे की बहुत तलाश की, लेकिन जहां भी काम मिलता, वेतन इतना कम होता कि दोनों का गुजारा होना मुश्किल था. जब उन के भूखों मरने की नौबत आ गई तो घर लौटने के अलावा उन के पास कोई उपाय नहीं बचा. आखिर हिम्मत कर के दोनों घर लौट आए. उन का सोचना था कि वे घर वालों से कह कर शादी कर लेंगे.
सरोज के लौटने पर पहले तो घर वालों ने उसे जी भर कर कोसा, उस के बाद उस के लिए लड़के की तलाश करने लगे. इसी के साथ उस के घर से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई. सरोज समझ गई कि अब सूरज के साथ जिंदगी बिताने का उस का सपना सपना ही बन कर रह जाएगा, क्योंकि उस के घर वाले किसी भी हालत में उस की शादी सूरज के साथ नहीं करेंगे. काफी दौड़धूप के बाद रामऔतार को पड़ोस के गांव ककराली में मिश्रीलाल का बेटा मंजेश सरोज के लिए पसंद आ गया. इस के बाद मंजेश से उस की शादी हो गई. यह सन 2012 की बात है.
शादी के बाद सरोज ससुराल चली गई. मंजेश सरोज जैसी सुंदर पत्नी पा कर बेहद खुश था. यही वजह थी कि वह पत्नी की हर इच्छा का खयाल रखता था. इस के बावजूद सरोज सूरज को भुला नहीं पाई. वह जब भी अकेली होती, सूरज को याद कर के आंसू बहाती रहती. धीरेधीरे ढाई साल गुजर गए. इस बीच वह मंजेश के बेटे की मां बन गई. सूरज भी सरोज को नहीं भुला सका था. दिनरात सरोज उस के खयालों में छाई रहती. शायद वह अपनी जिंदगी सरोज की यादों में काटना चाहता था. इसीलिए अभी तक उस ने शादी नहीं की थी. उसी बीच उस के पिता की मौत हो गई तो परिवार चलाने की सारी जिम्मेदारी उसी पर आ गई.
एक दिन वह बागों से लौटा तो पता चला कि सरोज मायके आई है. उस ने मन ही मन ठान लिया कि चाहे जो भी हो, वह सरोज से जरूर मिलेगा और उस के दिल का हाल पूछेगा. अब तक सरोज के घर वालों को लगने लगा था कि सरोज सूरज को भूल चुकी होगी, इसलिए उन्होंने उसे गांव में किसी के घर आनेजाने की छूट दे दी होगी. सूरज मौके की तलाश में रहने लगा. एक दिन दोनों मिले तो एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. सरोज ने सूरज का नंबर सहेली के नाम से सेव कर लिया. इस बीच दोनों सब की नजरें बचा कर कई बार मिले. इन मुलाकातों में जब सरोज ने बताया कि वह इस शादी से जरा भी खुश नहीं है तो सूरज चौंका. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि सरोज अब भी उसे अपने दिल में बसाए है. उसे लगता था कि सरोज उसे भुला कर अपने परिवार में रम गई होगी.
सूरज ने पूछा, ‘‘क्या तुम अब भी मेरे साथ जिंदगी गुजारने को तैयार हो.’’
‘‘हां, मैं तुम्हारे लिए अपना बसा-बसाया घर छोड़ने को लिए तैयार हूं.’’
इस के बाद दोनों ने खूब सोचविचार कर योजना बना डाली. मायके से सरोज का भागना ठीक नहीं था. वैसे भी उस के घर वाले ज्यादा देर तक बाहर रहने पर चौकन्ने हो जाते थे. इसलिए उस ने कहा कि ससुराल जाने के कुछ दिनों बाद वह बच्चे को छोड़ कर अकेली सूरज के साथ भाग जाएगी. सरोज के साथ घर से भागने की योजना बनाने के बाद सूरज पैसों का इंतजाम करने लगा. कुछ दिनों बाद मंजेश आया तो सरोज ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के घर से भाग जाने का अंदाजा नहीं था, इसलिए उस के घर से बाहर आनेजाने की पूरी छूट थी.
16 जुलाई को सूरज सरोज से संडीला कस्बे में शीतला देवी के मेले में मिला तो कहा कि रात में वह गांव के बाहर आ कर उसे फोन कर देगा. उस के बाद वह तुरंत घर से निकल कर उस के पास आ जाए. सरोज ने हामी भर दी. रात में सूरज ने फोन किया तो अपने 8 महीने के बेटे को सोता छोड़ कर सरोज गांव के बाहर इंतजार कर रहे सूरज के पास आ गई. सूरज सरोज को साथ ले कर मन में नई जिंदगी बसाने के सतरंगी सपने देखता हुआ लखनऊ की ओर चल पड़ा. कुछ देर बाद बच्चे का रोना सुन कर उस की सास सोमा देवी ने सरोज को आवाज देते हुए बच्चे को चुप कराने को कहा. जब बच्चा चुप नहीं हुआ तो वह बहू सरोज के कमरे में गई. लेकिन वह कमरे में नहीं मिली. सोमा को चिंता हुई कि इतनी रात में बहू कहां चली गई. उस ने बेटे को जगाया. इस के बाद सभी सरोज को तलाशने लगे.
सरोज के न मिलने पर घर वालों को शक हो गया कि जरूर वह किसी के साथ भाग गई होगी. इस के बाद मंजेश ने सरोज के घर छोड़ कर कहीं जाने की बात अपने साले दिनेश को बता कर पूछा कि कहीं सरोज वहां तो नहीं गई है. दिनेश ने कह दिया कि वह यहां नहीं आई है. बहन की करतूत सुन कर दिनेश ने अपना सिर पीट लिया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के ढाई, तीन साल बाद सरोज इस तरह घर छोड़ कर चली जाएगी. उन्होंने मंजेश से कहा कि वह पता लगाए कि सरोज को जाते हुए किसी ने देखा तो नहीं, वह किस के साथ गई है.
काफी खोजबीन के बाद भी जब सरोज का कुछ पता नहीं चला तो 2 दिन बाद मंजेश ससुराल आ कर गांव में हो रही अपनी बदनामी के बारे में बता कर गालीगलौच करने लगा. रामऔतार का परिवार बेटी की इस करतूत से काफी दुखी था. दामाद की पीड़ा को समझते हुए उन्होंने उसे सब कुछ बता दिया. तब 18 जुलाई को मंजेश ने संडीला कोतवाली में सूरज और उस के दोस्त धर्मेंद्र के खिलाफ अपनी पत्नी को बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. संडीला पुलिस ने काररवाई करते हुए सूरज के घर जा कर पूछताछ की तो वे उस के बारे में कुछ नहीं बता सके. सूरज का दोस्त धर्मेंद्र घर में ही मिल गया. पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह सूरज और सरोज के प्रेमसंबंधों के बारे में तो जानता था, लेकिन वे कहां हैं, इस बात की जानकारी उसे नहीं है.
पूछताछ के बाद धर्मेंद्र को छोड़ दिया गया. इधर पुलिस ने सूरज और सरोज के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया था. दूसरी ओर मंजेश अपने साले दिनेश, शिवकुमार तथा अन्य कुछ रिश्तेदारों के साथ सरोज की तलाश में लगा था. मंजेश के गांव ककराली में उस की पत्नी सरोज के घर से भाग जाने की बात चर्चा का विषय बनी हुई थी. लोग चटखारे लेले कर आपस में तरहतरह की बातें कर रहे थे, जिस से घर वालों का बाहर निकलना दूभर हो गया था. 26 जुलाई की शाम मंजेश अपने चचेरे चाचा राकेश के साथ अपनी ससुराल पहुंचा, तभी उस के मोबाइल पर सरोज का फोन आया कि वह इस समय दुबग्गा में है और उस के साथ घर चलना चाहती है.
सरोज का फोन सुन कर मंजेश ने दिनेश से कहा कि गांव में उस की इतनी बदनामी हो चुकी है कि अब वह सरोज को अपने घर नहीं ले सकता. दिनेश और शिवकुमार भी उसे अपने घर में नहीं रखना चाहते थे. तुरंत सभी ने सरोज की हत्या की योजना बना डाली. इस में दिनेश और शिवकुमार ने अपने चचेरे भाई हिन्ना उर्फ सुनील को भी शामिल कर लिया. वे भी चाहते थे कि किसी तरह सूरज मिल जाए तो वे उस का भी काम तमाम कर दें. मंजेश की मोटरसाइकिल पर राकेश और हिन्ना और दिनेश व शिवकुमार अपनी मोटरसाइकिल से रात 11 बजे अंधे की चौकी के पास कलामंडी होते हुए दुबग्गा में सरोज द्वारा बताए स्थान पर पहुंच गए. सरोज वहां मिल गई.
सरोज से सूरज के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले वह उसे छोड़ कर बालागंज की ओर गया है. दिनेश के चचेरे भाई सुनील उर्फ हिन्ना ने राकेश को तुरंत अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और बालागंज की ओर चल पड़ा. थोड़ी दूर जाने पर सूरज दिखाई दे गया. हिन्ना उसे गांव में पंचायत के सामने सरोज से उस की शादी करवाने का झांसा दे कर मोटरसाइकिल पर बीच में बैठा लिया और उसे भी वहां ले आया जहां मंजेश, राकेश और दिनेश सरोज को ले कर उस का इंतजार कर रहे थे.
सरोज ने डरते हुए चोर नजरों से सब की ओर देखा. उन के चेहरों के भाव देख कर वह कांप उठी. लेकिन अब बाजी उस के हाथ से निकल चुकी थी. दोनों को ले कर वे माल की ओर जाने वाली रोड पर चलते हुए वंशीगढ़ी के जंगल में पहुंचे. जंगल में सन्नाटा छाया था. राकेश सूरज को पकड़ कर एक जगह खड़ा हो गया तो मंजेश सरोज को ले कर जंगल के अंदर चला गया. उस के पीछेपीछे सरोज के दोनों भाई दिनेश और शिवकुमार भी थे. मंजेश ने सरोज को पकड़ने का इशारा किया तो दिनेश और शिवकुमार ने सरोज के हाथ और पैर कस कर पकड़ लिए. इस के बाद मंजेश ने सरोज के गले में पड़ी चुन्नी से उस का गला कस दिया. सरोज के बेहोश होने पर मंजेश ने डंडे से तो दिनेश, हिन्ना और शिवकुमार ने उसे लातघूंसों से मारना शुरू किया. थोड़ी देर में सरोज की मौत हो गई.
सरोज को मार कर वे सूरज के पास पहुंचे. सूरज अब तक समझ चुका था कि उन लोगों ने सरोज की हत्या कर दी होगी, अब उस की बारी है. सरोज को भी वे उसी जगह ले गए, जहां सरोज की लाश पड़ी थी. दिनेश ने उस के दोनों हाथ पकड़े तो राकेश ने उस का मुंह दबाया. हिन्ना और शिवकुमार ने उस के पैर पकड़ लिए. सूरज के बैग से शर्ट निकाल कर उसे वहीं झाडि़यों में फेंक दिया. शर्ट से हिन्ना और शिवकुमार ने सूरज का गला कस दिया, जिस से वह भी बेहोश हो गया. इस के बाद उसे भी डंडे और लातघूंसों से पीटपीट कर मार दिया गया.
दोनों की हत्या करने के बाद मंजेश और उस के चाचा राकेश अपने गांव ककराली चले गए तो सरोज के भाई दिनेश, शिवकुमार तथा हिन्ना अपने गांव सिरगामऊ लौट आए. हत्या के 2 दिनों बाद जब उन्हें पता चला कि मलिहाबाद पुलिस लाशों को बरामद कर के जांच कर रही है तो सभी अपनेअपने घरों से फरार हो गए. लेकिन पुलिस के हाथ उन के गिरेबान तक पहुंच ही गए. शिवकुमार की मोटरसाइकिल यूपी32-ईएल 3768 पुलिस ने बरामद कर ली थी. सूरज एसपी था, इसलिए मुकदमे में धारा 147 और 3(2)5 एससी/एसटी एक्ट की धारा और बढ़ा दी गई थी.
6 अगस्त को इंसपेक्टर सुधाकर पांडेय ने इस दोहरे हत्याकांड के आरोपी दिनेश उर्फ तिवारी तथा शिवकुमार को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. 7 अगस्त को सरोज के पति मंजेश ने भी न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया. 11 अगस्त को सुबह 10 बजे पुलिस ने हिन्ना उर्फ सुनील को कुशनगरी गांव के पास से उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह अपनी मोटरसाइकिल से कहीं जाने की फिराक में था. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त हिन्ना की मोटरसाइकिल यूपी32- डीएच3125 भी अपने कब्जे में ले ली. पूछताछ के बाद उसे भी जेल भेज दिया गया.
21 अगस्त को सुधाकर पांडेय ने अभियुक्तों की निशानदेही पर आलाकत्ल वे लाठीडंडे भी बरामद कर लिए गए, जिन से सूरज और सरोज की हत्या की गई थी. कथा लिखे जाने तक इस हत्याकांड का एक आरोपी राकेश फरान था. पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश कर रही थी. True Crime Story
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित






