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कलाकार: परमवीर चीमा, अकासा सिंह, सिद्धार्थ शा, ईशा तलवार, मोहित मलिक, मुकेश छाबड़ा, सुविंदर पाल, मनोज पाहवा, गिप्पी ग्रेवाल आदि.

लेखक: रोहित जुगराज चौहान, एस फकीरा, अविनाश सिंह, विजय नारायण वर्मा और गौरव शर्मा.

निर्देशक: रोहित जुगराज कास्टिंग: मुकेश छाबड़ा

निर्माता: गीतांजलि मेहलवाल, रोहित जुगराज चौहान, सुमित नंदलाल दुबे.

ओटीटी: सोनी लिव

एपिसोड: 6

यह बात 20 साल से पहले की है. उन दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. सुबह से ले कर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता.

उसी मेले में एक रोज रोहित जुगराज की रामगोपाल वर्मा से मुलाकात हुई. राम को रोहित में काम करने की ललक दिखी. रामू की शागिर्दी में रोहित जुगराज काम करने यानी सीखने लगा. पहली फिल्म भी फैक्ट्री के लिए ही बनाई. लेकिन, न ‘जेम्स’ चली और न ‘सुपरस्टार’. रोहित को तब लगा कि यह अपने वश का काम नहीं है. रोहित ने तब पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी और वहां गिप्पी ग्रेवाल और दिलजीत दोसांझ के साथ मिल कर ‘जट्ट जेम्स बौंड’ और ‘सरदारजी’ जैसी हिट फिल्में बनाईं. हिंदी सिनेमा की उन की पिछली कोशिश ‘अर्जुन पटियाला’ फिर सिरे नहीं चढ़ सकी.

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रोहित जुगराज

अब रोहित जुगराज अपनी पहली वेब सीरीज ‘चमक’ (Web Series ChamaK) के साथ हाजिर है. सीरीज बताती है कि चमक 2 तरह की होती है, एक तो वह जो दुनिया भर में दिखती रहती है, यानी ग्लैमर और दूसरी वो जो इंसान के भीतर होती है. यानी आत्मावलोकन, आत्मज्ञान. इन दोनों चमक के बीचोंबीच भाग रहे इंसान की कहानी है वेब सीरीज ‘चमक’.

गीतसंगीत के क्षेत्र में पंजाबी मिट्टी की खुशबू ही अलग रही है. यहां की कला और कलाकारों का जमीन से जुड़ाव होने की वजह से जो संगीत निकला, उस में एक रूहानी एहसास हमेशा रहा है. यह बात अलग है कि फिल्मों में पंजाबी रैप की लोकप्रियता ने यहां के सूफियाना संगीत को सीमित कर दिया है.

पंजाबी संगीत की इन 2 धाराओं को अगर एक रोमांचक कहानी के साथ गूंथ दिया जाए तो बनती है सोनी लिव की नई सीरीज ‘चमक’, जो एक म्यूजिकल थ्रिलर है.

रोहित जुगराज निर्देशित सीरीज के पहले सीजन की कहानी एक लोकप्रिय रैपर और उस की पत्नी की लाइव परफारमेंस के दौरान हत्या (यह पंजाब के मशहूर लोकगायक अमरसिंह चमकीला और उन की पत्नी की दिनदहाड़े गोलियों से भून कर हत्या सन 1988 में कर दी गई थी और उन के कातिलों का पता आज तक नहीं चला.

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असल जीवन में यह घटना साल 1988 की है, मगर ‘चमक’ सीरीज शुरू होती है ऐसे ही एक कत्ल से 1999 में, औसतन 50 मिनट के 6 एपिसोड की सीरीज ‘चमक’ का सीजन वन रोहित जुगराज ने बनाने में जी जान लगाई है.

काला का खुलता है सफेद अतीत

हिंदी सिनेमा में रोहित जुगराज की फिल्मों की गति बहुत तेज रही है और शायद उस की विफलता की एक वजह यह भी रही कि रोहित के मन में जो चल रहा होता था, उसे वह परदे पर ला पाने में कहीं न कहीं चूक जाता था, लेकिन ‘चमक’ उस की भीतरी चमक को थोड़ा चमकाती नजर आई. मगर चमक में तारीफ करने लायक कुछ खास नहीं है.

सीरीज शुरू में सुस्त सी लगती है, लेकिन एक बार इस के मुख्य किरदार काला का सफेद अतीत जब खुलता है तो सीरीज में थोड़ी सी रफ्तार आती है. आइए जानते हैं, क्या है सीरीज ‘चमक’ की कहानी.

‘चमक’ की कहानी के केंद्र में कनाडा के वैंकुवर में अपने चाचा के पास रहने वाला पंजाब का काला (परमवीर चीमा) है, जो वहां की जेल में किसी अपराध के लिए बंद है. संगीत उस की नसनस में है और काला मशहूर सिंगर बनना चाहता है.

पहले एपिसोड की शुरुआत यहीं से होती हैं. काला जेल में बंद है. वह मशहूर सिंगर बनना चाहता है. तिकड़मबाजी लगा कर 6 महीने बाद काला पैरोल पर छूट जाता है. यहां पर यह बात थोड़ी अटपटी लगती है. अगर काला भारतीय जेल में होता तो हम मान लेते कि तिकड़म लगा कर वह 6 महीने नहीं एकदो महीने में ही पैरोल पर छूट जाता.

मगर कनाडा में भी लगता है भारतीय जेलों की तरह ही मामला लेदे कर रफादफा होता है. तभी तो काला 6 महीने में ही तिकड़मबाजी लगा कर पैरोल पर छूट जाता है. काला जेल से निकलते ही सीधे अपनी कथित गर्लफ्रेंड के पास जाता है. वह सोचता है कि उस की गर्लफ्रेंड उसे देख कर बहुत खुश होगी. मगर जब काला गर्लफ्रेंड के पास जाता है तो वहां उसे एक गोरा युवक गर्लफ्रेंड के पास मिलता है.

काला पंजाबी संस्कृति का भारतीय नौजवान है. उसे गर्लफ्रेंड के पास गोरा युवक दिखता है तो काला समझ जाता है कि वह क्या करने आया है. काला गुस्से से तमतमा उठता है, गोरे युवक को देख कर वह भड़क उठता है और गोरे को इतना मारता है कि वह मरणासन्न हालत में पहुंच जाता है.

गोरा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है. काला को जैसे ही पता चलता है कि उस के हाथों पिटा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है तो काला समझ जाता है कि अब उस का वैंकुवर में रहना ठीक नहीं है, इसलिए वह इंडिया जाना चाहता है.

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काला अपने दोस्त टिड्डा (कपिल रेडेकर) की मदद से जाली पासपोर्ट और ‘डंकी’ तरीकों से कनाडा से पंजाब आ जाता है. काला पंजाब की धरती पर कदम रखता है तो उसे राहत की सांस मिलती है. काला पंजाब के मोहाली के पास स्थित अपने गांव पहुंच जाता है, टिड्डा की मदद से काला को स्थानीय बार में वैले (कार पार्क करने वाला स्टाफ) की नौकरी भी मिल जाती है.

पिता के कातिल को किस तरह ढूंढता है काला

एक रात एक घटनाक्रम के बाद बार के बाहर उस का रैप बैटल एमसी स्क्वायर से हो जाता है. वीडियो वायरल होता है. इस बीच काला को पता चलता है कि वैंकुवर में जिस शख्स ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था, वह उस का पिता नहीं चाचा है. उस के मातापिता तारा सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) और नवप्रीत कौर हैं, जिन्हें 1999 में लाइव स्टेज परफारमेंस के दौरान गोलियों से भून दिया गया था. यह केस कभी सुलझ नहीं सका.

इस केस की तफ्तीश करने वाले स्थानीय पत्रकार गुरपाल से उसे पिता के दोस्तों के बारे में पता चलता है, जो एक पुरानी तसवीर में तारा सिंह के साथ है. काला अपने पिता के कातिल को ढूंढने और वजह का पता लगाने के लिए इन चारों के पीछे लगता है.

काला इस के लिए जरिया बनाता है संगीत को, लेकिन इस सफर में उस के सामने कई मुश्किलें आती हैं. यह विडंबना ही है कि संगीत और कला के क्षेत्र में इतना समृद्ध होने के बावजूद पंजाब में कलाकारों के खिलाफ अपराधों का भी इतिहास रहा है.

1988 में लीजेंड्री सिंगर अमर सिंह चमकीला की उन की पत्नी के साथ गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. थोड़े समय पूर्व सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी गोली मार कर कर दी गई थी.

सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत ऐसे ही एक घटनाक्रम से होती है. रोहित जुगराज ने ‘चमक’ का कालखंड 1999 रखा है, जब सर्दी की एक सुबह पंजाब के एक गांव में लोकप्रिय गायक तारासिंह और नवप्रीत कौर की सरेआम हत्या कर दी जाती है. काला की कहानी 2023 में ही दिखाई गई है. बीचबीच में अतीत का सफर भी करती है. हालांकि अतीत वाले हिस्से को कम ही रखा गया है.

स्क्रीनप्ले का पूरा फोकस काला के अपने मातापिता के कातिलों की खोज और इस की वजह का पता लगाने पर रखा गया है. इसी क्रम में सीरीज में दिलचस्प मोड़ आते हैं. तारासिंह के साथ तीनों दोस्त बड़े आदमी बन चुके हैं.

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