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प्रताप ढिल्लों पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री का बेताज बादशाह है. बलवीर राजनीति का शातिर खिलाड़ी और पंजाब सरकार में हेल्थ मिनिस्टर है. जुगराज दिग्गज गायक है, जिसे लोगों से मिलना पसंद नहीं, मगर संगीत के तलबगार उस से मिलने को बेचैन रहते हैं. कभी ये सब तारासिंह की छाया हुआ करते थे.

काला इन सभी स्वर्गीय पिता तारासिंह के खास दोस्तों तक पहुंचने के रास्ते बनाता है और इस के लिए वह किसी से झूठ बोल सकता है, प्यार को धोखा दे सकता है, प्यार का नाटक कर सकता है, लोगों को इमोशनली मैनिपुलेट कर सकता है.

काला के ये हथकंडे कहानी में थोड़ा सा रोमांच बरकरार रखते हैं. ऐसे हथकंडे अकसर फिल्मों और सीरीज में कहानी को रोमांचक बनाने एवं दर्शकों को बांधे रखने के लिए जानबूझ कर डाले जाते हैं. ‘चमक’ में भी यही किया गया है. सीरीज को जिस सिंगर अमरसिंह चमकीला की कहानी से थोड़ा सा मिलता बताया जा रहा है, उन अमरसिंह चमकीला के बारे में भी हमारे सुधि पाठक जान लें.

पंजाब के मशहूर गायक थे अमरसिंह चमकीला. अमरसिंह देश के अलावा विदेशों में भी अपनी गायकी और स्टेज परफारमेंस के लिए जाने जाते हैं. कहा जाता है कि उन की यही दीवानगी और सच्चाई से भरपूर गाने उन की मुसीबत बन गए. इसीलिए आज तक अमरसिंह चमकीला की मौत एक अनसुलझा रहस्य भी है.

अमरसिंह चमकीला का जन्म 21 जुलाई, 1960 को लुधियाना के पिंड (गांव) डुगरी में हुआ था. अमरसिंह चमकीला का असली नाम धनीराम था. अमर जब थोड़ा बड़ा हुआ तो पाया कि परिवार की आर्थिक हालत खराब है. ऐसे में वह कपड़े की मिल में काम करने लगा.

अमरसिंह ने बचपन से ही संगीत से लगाव था तो काम के बीच में उस ने हारमोनियम और ढोलक सीख ली. कपड़ा मिल में नौकरी करतेकरते वह गाने लिखने लगा. अमरसिंह चमकीला खुद गाने लिखता और तुंबी (एक वाद्ययंत्र) के सहारे धुन देता. थोड़े दिनों बाद वह पंजाबी सिंगर सुरिंदर शिंदा से संपर्क में आया तो उन के लिए गाने लिखने लगा.

कौन था अमरसिंह चमकीला

18 साल की उम्र में अमरसिंह के गाने लोगों को पसंद आए, लेकिन आमदनी वैसी ही रही. फिर अमर सिंह ने खुद बड़ी मशक्कत के बाद गाना गाया और गाने के बोल में पंजाब की समस्याओं को भी बताया. 80 का दशक आतेआते उसे कुछ साथी मिले, जिन के साथ अमर सिंह स्टेज शो करने लगा.

कुछ सालों के संघर्ष के बाद अमरसिंह के गानों में पंजाब की सच्चाई दिखी तो लोग उस से जुड़े और कुछ उस से नाराज भी हुए. दरअसल, अमर सिंह अपने गानों में पंजाब में बढ़ती हिंसा, नशे के कारोबार, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को भी उठाता था.

देखते ही देखते अमरसिंह ने गुरदास मान, सुरिंदर शिंदा और कुलदीप मानक जैसे गायकों को पीछे छोड़ दिया. 1980 में स्टेज शो में अमरसिंह को साथ मिला अमरजोत कौर का. जिस के साथ वह गाने तो गाता ही बल्कि बीचबीच में हंसीमजाक और पुरुषों पर कटाक्ष भी करता.

बाद में यही अमरजोत कौर चमकीला की पत्नी भी बनी थी. बताते हैं कि इन कुछ वर्षों में उस ने कई जगह ढेर सारे शो किए और अच्छे गानों के चलते अमर सिंह पंजाब का चमकीला सितारा हो गया. फिर यहीं से उसे अमरसिंह चमकीला के नाम से जाना जाने लगा.

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दूसरी तरफ, पंजाब में आतंकवाद का दौर था. इंदिरा गांधी द्वारा चलाए गए औपरेशन ब्लू स्टार के बाद पुलिस की सख्ती थी. हालांकि इस बीच अमर सिंह ने कई स्टेज शो किए, जहां भारी भीड़ उमड़ी थी. उस दौर में अमर सिंह चमकीला मशहूर गायक था.

गायक के अलावा गीतकार, संगीतकार सब कुछ था. साथ ही चमकीला और अमरजोत की जोड़ी ने जो गाने लिखे और गाए, वह उस वक्त के पंजाब के मुद्दों से जुड़े तो थे ही, साथ ही समाज की बुराइयों पर भी सटीक बैठते थे.

कई बार अमर सिंह चमकीला के गाने विवादों में भी घिरे और माना जाता है कि यही गाने उस की मौत का कारण भी बने. चमकीला को कई बार उग्रवादी संगठनों द्वारा धमकी भी मिली थीं.

चमकीला ने 9 साल गायकी की दुनिया में बिताए थे और वह जब 8 मार्च, 1988 को पत्नी अमरजोत व साथियों के साथ जालंधर के महसामपुर में कार्यक्रम के लिए पहुंचा था, तभी गोली मार कर उस की हत्या कर हमलावर फरार हो गए.

अमर और अमरजोत की हत्या किस कारण की गई, इस के पीछे कई दावे हए कि उग्रवादियों का हाथ हो सकता है. फिर कुछ ने माना कि शायद प्रतिद्वंदी गायकों ने मरवाया है. वहीं कुछ ने इसे चमकीला और अमरजोत के प्रेम विवाह को कारण बताया.

हालांकि, आज तक इस हत्याकांड के एक भी आरोपी को पकड़ा नहीं गया है और यह कांड मर्डर मिस्ट्री में तब्दील हो गया. यह थी अमर सिंह चमकीला की असली कहानी.

अमरसिंह चमकीला पर ‘चमकीला’ फिल्म भी इम्तियाज अली ने बनाई है. ‘चमकीला’ फिल्म में दिलजीत दोसांझ ने अमरसिंह की भूमिका निभाई थी, वहीं परिणीति चोपड़ा उस की साथी अमरजोत कौर बनी थी. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी.

‘चमकीला’ फिल्म 26 फरवरी, 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गई है. अब चलते हैं वापस ‘चमक’ वेब सीरीज पर तो काला अपने पिता तारा सिंह के 3 दोस्तों तक पहुंचने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के सभी दांव खेलता है. काला किसी से झूठ बोलता है तो प्यार के नाम पर धोखा भी देने से बाज नहीं आता. काला के हथकंडे कहानी का रोमांच कम नहीं होने देते.

इस कथा के साथ प्रताप ढिल्लों और उस के परिवार के इर्दगिर्द कुछ सब प्लौट्स भी हैं, जो चमक की कहानी की एकरूपता को तोड़ते हैं. खासकर, प्रताप के छोटे बेटे (मोहित मलिक) का समलैंगिक ट्रैक सामाजिक और पारिवारिक तानेबाने का प्रतिनिधित्व करता है. बीचबीच में एमसी स्क्वायर और मीका सिंह समेत कई जानेमाने कलाकारों का कैमियो समां बांधे रखता है.

काला जिस तरह अपनी गायन प्रतिभा का इस्तेमाल इन सभी लोगों तक पहुंचने के लिए करता है, वे दृश्य बहुत दिलचस्प हैं. काला के किरदार को परमवीर चीमा ने निभाया है, जो अमेजन मिनी टीवी की सीरीज ‘इश्कयापा’ में लीड रोल में नजर आया था. मगर परमवीर को काला के किरदार में देख कोई खास हैरानी नहीं होती.

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परमवीर चीमा

इस किरदार का ढुलमुल स्वभाव, गुस्सा, संवेदनशीलता और भावनात्मक उतारचढ़ाव को परमवीर ने जीने की कोशिश जरूर की है, मगर पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ है. जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, परमवीर की अदाकारी भी बोरियत लगती है.

काला लव इंटरेस्ट और संघर्षरत सिंगर जैज के किरदार में ईशा तलवार नैचुरल लगती है. अन्य कलाकारों में प्रताप ढिल्लों के किरदार में मनोज पाहवा ने जरूर जान डाली है. इस किरदार के लिए जिस तेज और गतिशीलता की जरूरत थी, वो मनोज पाहवा ले कर आता है. ‘कोहरा’ वेब सीरीज से मशहूर हुए सुविंदर विक्की ने जुगराज की चुप्पी और रहस्य को बखूबी बयां किया है. हालांकि, पहले सीजन में सुविंदर विक्की के हिस्से अधिक दृश्य नहीं आए हैं.

प्रताप के प्रतिद्वंदी और काला को स्टार बनाने वाले निर्माता के किरदार में मुकेश छाबड़ा थोड़ा प्रभावित अवश्य करता है.

जुगराज की बेटी ओर उभरती गायिका लता के रोल में अकासा सिंह ठीक लगी है. तारा सिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल की छोटी भूमिका है, जिस में वह जरूर जंचता है. मन्नासिंह के म्यूजिक ने सीरीज के संगीत की चमक को थोड़ा फीका किया है.

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