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1963 में पैदा हुए वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने 1985 में पुणे के सीआईपी (कालेज औफ इंजीनियरिंग पुणे) से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर औफ इंजीनियरिंग (बीई) कर के 1988 से डीआरडीओ के लिए काम करना शुरू किया था. प्रदीप के लिए यह कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि वह एक पढ़ेलिखे परिवार में पैदा हुए थे. पहले उन्होंने एक निजी कंपनी में नौकरी की थी. उस के बाद अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन) में काम करना शुरू किया. उन की पहली नियुक्ति चेन्नै में हुई थी.

डीआरडीओ में काम करते हुए ही उन्होंने ड्राइव और एप्लिकेशन पर ध्यान देने के लिए आईआईटी कानपुर से एडवांस्ड पावर इलेक्ट्रौनिक्स का कोर्स किया. आज प्रदीप कुरुलकर का रक्षा क्षेत्र में बड़ा नाम है. कुरुलकर की योग्यता के अनुसार ही उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान की सिस्टम इंजीनियरिंग प्रयोगशाला का निदेशक नियुक्त किया गया था. इस समय वह रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई परियोजनाओं को संभाल रहे थे.

डीआरडीओ में उन की गिनती मिसाइल क्षेत्र की प्रमुख शख्सियत के रूप में होती थी. कुरुलकर की विशेषज्ञता मिसाइल लांचर सैन्य इंजीनियरिंग गियर, अत्याधुनिक रोबोटिक्स और सैन्य प्रयोगों के लिए मोबाइल मानवरहित प्रणालियों की डिजाइन और विकास की रही है.

एक टीम लीडर और लीड डिजाइनर के रूप में प्रदीप कुरुलकर ने कई सैन्य इंजीनियरिंग प्रणालियों और उपकरणों की डिजाइन, विकास और वितरण में अहम योगदान दिया था, जिस में हाइपरबेरिक कक्ष, मोबाइल बिजली की आपूर्ति और हाई प्रेशर वायु प्रणाली शामिल है. डिप्लोमैट पासपोर्ट रखने वाले वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर की डीआरडीओ में क्या हैसियत रही होगी, आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं.

यही सीनियर वैज्ञानिक एक युवती के हनीट्रैप में ऐसे फंसे कि आज तक उस का खामियाजा भुगत रहे हैं.

दरअसल, हुआ यह कि इन्हीं वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर के पास पिछले साल अक्तूबर महीने में जारा दासगुप्ता नाम की एक युवती का वाट्सऐप मैसेज आया, “हाय प्रेम! मैं जारा, जारा दासगुप्ता, लंदन से.”

यह मैसेज देख कर प्रदीप चौंके. क्योंकि उस ने संदेश में जो नाम लिखा था, वह उन की कौन्टैक्ट लिस्ट में नहीं था, इसलिए उन्होंने टोका, “आप ने गलत आदमी से संपर्क किया है. मेरा नाम प्रेम नहीं, प्रदीप कुरुलकर है और मैं डीआरडीओ में साइंटिस्ट हूं. इस समय मैं पुणे, महाराष्ट्र में डायरेक्टर के पद पर तैनात हूं.”

“सौरी, गलती से वह नाम टाइप हो गया था. सही बात तो यह है कि मैं प्रदीप कुरुलकर यानी आप से ही संपर्क करना चाहती हूं.” जारा का अगला संदेश आया.

“अच्छा, आप कहां रहती हैं और मुझे कैसे जानती हैं?” प्रदीप कुरुलकर ने मैसेज भेज कर पूछा.

“जी, मैं एक स्टूडेंट हूं और आप को तो पहले ही बताया है कि मैं ब्रिटेन के लंदन में रह कर पढ़ रही हूं. मैं ने आप की प्रोफाइल पढ़ी और बस आप की फैन हो गई. सचमुच आप ने देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है. देश को आप पर गर्व है और मुझे भी.”

इस के बाद जारा ने जो मैसेज भेजे, उन में पाकिस्तान को खूब गालियां दी थीं, साथ ही उस ने यह भी कहा कि पाकिस्तान पर भारत की विजय होगी. उस ने मैसेज द्वारा यह भी कहा कि उसे भारतीय होने पर गर्व है. चैटिंग में वाट्सऐप पर जो नंबर दिखाई दे रहा था, वह भारत का नंबर था, इसलिए प्रदीप कुरुलकर को उस पर जरा भी शक नहीं हुआ. जारा ने उन की इतनी तारीफ की कि वह उस से जुड़ गए.

चल पड़ा दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला

आगे चल कर जारा दासगुप्ता ने प्रदीप से सलाह मांगी कि वह भी उन्हीं की तरह एक वैज्ञानिक बनना चाहती है. इस के लिए उसे क्या करना होगा, ताकि वह भी वैज्ञानिक बन कर उन्हीं की तरह देश की सेवा कर सके.

लगातार चैटिंग होने से जल्दी ही जारा दासगुप्ता प्रदीप की मित्र की जगह प्रेमिका बन गई. अब दोनों के बीच प्यार भरी बातें होने लगीं. कोई भी मर्द हो, चाहे वह कितनी भी उम्र का हो, उसे लड़कियों से बातें करना अच्छा लगता ही है. जब लडक़ी युवा और सुंदर हो, तब प्यार भरी बातें करने में और मजा आता है.

प्रदीप जहां उम्रदराज थे, वहीं उन की प्रेमिका स्टूडेंट. इसलिए प्रदीप उस के लिए पागल हो चुके थे. उस से चैटिंग करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था. जारा जब प्रेमिका की भूमिका में आ गई तो प्रदीप ने उस के फोटो मांगे. जारा ने देर किए बगैर अपनी सेमी न्यूड यानी अर्धनग्न फोटो भेज दो. प्यार में कहां-क्या-कुछ छिपा रहता है. प्रदीप कुरुलकर का मन जब इन तसवीरों से नहीं भरा तो उन्होंने मैसेज भेजा, “इस बार ऐसा फोटो भेजो, जिस में कुछ भी छिपा न हो.”

जारा ने बिना कोई सवाल किए, बिना किसी झिझक के अपनी न्यूड यानी बिना कपड़ों की तसवीरें भेज दीं. उन फोटो को देख कर अधेड़ उम्र के प्रदीप पागल हो उठे. जारा ने जो न्यूड तसवीरें भेजी थीं, उन में उस का चेहरा स्पष्ट नहीं था. इस के बावजूद प्रदीप ने तुरंत जारा को फोन मिला दिया. जारा ने फोन उठा भी लिया. दोनों में काफी देर तक बातें होती रहीं. उस के बाद जारा ने कहा, “आप वीडियो काल कीजिए, आप को एक चीज दिखाती हूं.”

प्रदीप कुरुलकर ने वीडियो काल किया तो जारा ने कैमरे के सामने एकएक कर के अपने सारे कपड़े उतार दिए. इस तरह प्रदीप कुरुलकर उस के दीवाने हो गए. अब प्रदीप पूरी तरह उस के जाल में फंस चुके थे. इस की एक वजह यह भी रही होगी कि जारा ने अपने कपड़े उतारे थे तो उस ने प्रदीप के भी कपड़े उतरवाए होंगे. क्योंकि उसे प्रदीप से अपना काम जो निकलवाना था.

वैज्ञानिक ने भेजे गोपनीय दस्तावेज

जब प्रदीप पूरी तरह उस के जाल में फंस गए तो जारा ने खेल खेलना शुरू किया. उस ने फोन कर के कहा, “डियर, मैं लंदन में जिस विषय की पढ़ाई कर रही हूं, उस में मुझे आप की मदद की जरूरत है.”

इस के बाद जारा ने अपने रिसर्च वर्क की बात कर के प्रदीप से कुछ जानकारियां और कागजात मांगे. प्रदीप ने जानकारी देते हुए उस के द्वारा मांगे गए कागजात शेयर कर दिए. इस तरह उन्होंने जारा को यह जानकारी दे दी कि भारत के पास कितनी मिसाइलें हैं, भारत उन में किस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.

जारा ने इस के लिए प्रदीप को धन्यवाद देते हुए कहा, “अगर आप को ऐतराज न हो तो मैं आप के साथ लौंग रिलेशन बनाना चाहती हूं.”

जारा के इस मैसेज से प्रदीप ने खुश हो कर कहा, “कुछ दिनों बाद मैं डिप्लोमेटिक टूर पर रूस जा रहा हूं. रूस से मैं तुम से मिलने के लिए लंदन आ सकता हूं.”

जारा ने मिलने का वादा करते हुए खुशी जाहिर की. पर किसी कारणवश प्रदीप कुरुलकर का रूस दौरा रद्द हो गया, जिस की वजह से वह लंदन भी नहीं जा पाए. तब जारा ने कहा कि वह खुद ही भारत आ रही है. भारत आने पर वह उन से मिलेगी.

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