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54 साल के पुरुषोत्तम मिश्रा नरसिंहपुर जिले के सालीचौका नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले खैरुआ गांव में रहते हैं. अपने गांव में उन का खेतीकिसानी का काम है, इस के साथ ही आसपास के इलाकों में पूजापाठ करने से उन्हें साल भर में अच्छीखासी आमदनी हो जाती है.

पुरुषोत्तम मिश्रा के परिवार में पत्नी सहित एक बेटा और 2 बेटियां हैं. गांवकस्बों में बेटियों की शादी में खूब दहेज देना पड़ता है, तब जा कर कहीं अच्छा रिश्ता मिलता है. इसी बात को ध्यान में रख कर पुरुषोत्तम ने भी अपनी बेटियों के विवाह के लिए धीरेधीरे करीब 24 लाख रुपए की रकम इकट्ठा कर ली थी.

इस जमापूंजी से वह अपनी बेटियों की शादी करना चाहते थे. वह जानते थे कि घर में बड़ी रकम रखना खतरे से खाली नहीं है, इस लिहाज से अपने रुपयों को उन्होंने सालीचौका जिस का पुराना नाम बाबई कला है, की यूको बैंक में जमा किए हुए थे. उन का सपना था कि इस रकम से वह अपनी दोनों बेटियों का विवाह धूमधाम से करेंगे.

वक्त के साथ उन की बेटियां जवान होने लगीं और उन की बड़ी बेटी पूजा का रिश्ता तय हो गया. 5 जून, 2023 को पूजा की शादी होने वाली थी और इस के लिए उन के परिवार ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. शादी के लिए मैरिज गार्डन, कैटरिंग आदि की बुकिंग के साथ दहेज का सामान लाने के लिए जब पैसों की जरूरत पड़ी तो अप्रैल महीने के आखिरी हफ्ते में वह यूको बैंक की शाखा में अपने रुपए निकालने के लिए पहुंचे.

विदड्राल फार्म में उन्होंने 5 लाख रुपए की रकम भर कर वाउचर बैंक के क्लर्क को दिया तो बैंक क्लर्क बोला, “मिश्राजी, आज तो इतने कैश की व्यवस्था नहीं हो पाएगी, 1-2 दिन बाद रुपए ले जाना. अभी जरूरत हो तो 40-50 हजार रुपए का विदड्राल भर दीजिए.”

“ठीक है, अभी जरूरत नहीं है, मैं 1-2 दिन बाद आ कर रुपए निकाल लूंगा. लेकिन मुझे अपने खाते का बैलेंस तो बता दीजिए. बैंक की पासबुक प्रिटिंग मशीन तो कई दिनों से बंद पड़ी है.” मिश्राजी ने पासबुक क्लर्क की ओर बढ़ाते हुए कहा.

गांव कस्बों की बैंक शाखाओं में ज्यादा रकम खाते से निकालने में यह समस्या बनी रहती है, इसलिए मिश्राजी ने 1-2 दिन बाद रुपए निकालने की सोच कर संतोष कर लिया. बैंक क्लर्क ने कंप्यूटर में मिश्राजी के बैंक एकाउंट नंबर को डाल कर बैलेंस चैक करते हुए कहा, “आप के एकाउंट में तो केवल 314 रुपए जमा हैं.”

एकाउंट हो गया खाली

बैंक क्लर्क की बात पर उन्हें भरोसा ही नहीं हो रहा था. उन्होंने बैंक क्लर्क से हंसते हुए कहा, “मजाक मत कीजिए साहब, अच्छे से चैक कर के बैंलेंस बता दीजिए. ब्याज वगैरह मिला कर करीबन 24 लाख रुपए की रकम तो जमा होनी ही चाहिए.”

“मैं मजाक नहीं कर रहा मिश्राजी, आप के खाते में इतना ही बैलेंस है.” बैंक क्लर्क ने गंभीरतापूर्वक कहा. बैंक क्लर्क के इतना कहते ही मिश्राजी चौंक गए. जीवन भर कड़ी मेहनत से जुटाई रकम अचानक कहां चली गई, उन्हें समझ नहीं आ रहा था. उन्होंने अपने आप को संभालते हुए बैंक क्लर्क को बताया, “सर, मैं ने तो बैंक से कोई रकम निकाली ही नहीं, फिर मेरे खाते में जमा 24 लाख रुपए किस ने निकाल लिए.”

“अभी मेरे पास इतना समय नहीं है. मुझे दूसरे कस्टमर का काम करने दीजिए, आप के खाते के ट्रांजैक्शंस की जानकारी मैं बाद में बताऊंगा.” बैंक क्लर्क बोला.

पुरुषोत्तम मिश्रा पसीने से तरबतर हो गए. वे काउंटर छोड़ कर सामने पड़ी कुरसी पर बैठ गए. थोड़ी देर में जब वे सामान्य हुए तो तत्काल अपने भतीजे अंकित को काल कर के उसे तुरंत बैंक बुला लिया. अंकित मिश्रा उस समय एक मंदिर में पूजापाठ कर रहा था, जैसे ही चाचा ने उसे फोन कर तत्काल बैंक आने को कहा तो वे कुछ ही देर में यूको बैंक पहुंच गया.

पुरुषोत्तम मिश्रा ने अपने भतीजे को पूरी जानकारी दी तो अंकित भी सदमे में आ गया. बहन की शादी के ऐन वक्त पर पाईपाई जोड़ कर जुटाई गई रकम बैंक जैसी सुरक्षित जगह से गायब होने पर वह खुद परेशान था. उस ने बैंक मैनेजर के पास पहुंच कर चाचा के खाते से निकाले गए रुपयों की जानकारी मांगी.

बैंक मैनेजर ने एकाउंट चैक कर उन्हें बताया, “आप के खाते से पिछले 7-8 महीनों में एटीएम कार्ड और मोबाइल बैंकिंग के जरिए कई बार पैसे निकाले गए हैं.”

“लेकिन सर, मैं ने तो बैंक से कभी एटीएम कार्ड लिया ही नहीं.” आश्चर्य व्यक्त करते हुए पुरुषोत्तम मिश्रा बोले.

“लेकिन आप के नाम से तो अगस्त 2022 में एटीएम कार्ड जारी हुआ और आप का मोबाइल नंबर भी खाते में दर्ज है.” मोबाइल नंबर बोलते हुए बैंक मैनेजर ने कहा.

“ये मोबाइल नंबर तो कब से बंद है. और न ही कभी मैं ने एटीएम के लिए एप्लाई किया है सर,” पुरुषोत्तम मिश्रा ने कहा.

बैंक मैनेजर भी पसोपेश में पड़ गए कि आखिर माजरा क्या है. बैंक एकाउंट की डिटेल्स में ज्यादातर ट्रांजैक्शन एटीएम कार्ड के जरिए इंदौर, उज्जैन के एटीएम से किए गए थे और अलगअलग ट्रांजैक्शन में अगस्त, 2022 से मार्च, 2023 तक कुल 24 लाख 4 हजार 199 रुपए खाते से निकाले गए थे. पुरुषोत्तम मिश्रा और भतीजा अंकित हैरान थे कि आखिर ऐसा कौन शख्स है, जो इंदौर, उज्जैन में उन का एटीएम कार्ड यूज कर रहा है.

फोन नंबर अपडेट न कराने पर हुई धोखाधड़ी

जब पुरुषोत्तम मिश्रा भतीजे अंकित के साथ बैंक से घर पहुंचे तो घर में पत्नी व बच्चे उन का इंतजार ही कर रहे थे. आते ही पत्नी ने पूछा, “बैंक से रुपए ले आए?”

पुरुषोत्तम मिश्रा के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल पाया. वह निढाल हो कर कमरे में पड़ी कुरसी पर बैठ गए. पत्नी ने उन की हालत देख कर फिर पूछा, “लगता है, बैंक से रुपए नहीं मिले, इस बैंक का यही हाल है. जरूरत के समय पैसे नहीं मिलते. अब 2-4 दिन चक्कर काटने पड़ेंगे, तब कहीं जा कर रुपए हाथ में आएंगे.”

तब तक उन का भतीजा अंकित भी बाइक को बाहर खड़ी कर घर के अंदर दाखिल हो चुका था. उस ने आ कर चाची को बताया, “चाचाजी के एकाउंट से किसी ने पूरे रुपए निकाल लिए हैं, हमारे खाते में किसी ने सेंधमारी की है.”

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