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यहां आ कर मयंक ने औनलाइन बिजनैस करने वाली एक कंपनी में काम की शुरुआत की. कंपनी के दफ्तर में वह कंप्यूटर के जरिए प्रोडक्ट्स के औनलाइन पेमेंट का काम देखता था. कंपनी का आसपास के इलाकों के साथ उज्जैन, देवास, इंदौर जैसे शहरों में अपना अच्छाखासा कारोबार था. कंपनी की तरफ से उसे 25 हजार रुपए की सैलरी मिलती थी.

मयंक के शौक बड़े मंहगे थे, जिस के चलते उस का खर्च इस सैलरी से पूरा नहीं होता था. उज्जैन में रहते हुए वह जल्दी रुपए कमाने के चक्कर में सट्टेबाजी के खेल में शामिल हो गया. वह आईपीएल औनलाइन सट्टे में बड़ेबड़े दांव लगाने लगा था और नशे का भी आदी हो गया था. जब उस के अपने खर्चे पूरे नहीं हुए तो वह अपने दोस्तों से कर्ज लेने लगा.

जालसाजी से बनवाया एटीएम कार्ड

जुलाई, 2022 में मयंक ने एयरटेल कंपनी की एक नई सिम ली थी. सिम एक्टीवेट होने के करीब एक सप्ताह बाद उस के मोबाइल पर यूको बैंक से 5 लाख रुपए एकाउंट में जमा होने का मैसेज आया तो उसे आश्चर्य हुआ. क्योंकि उस का इस बैंक में कोई एकाउंट नहीं था.

उस ने उज्जैन में यूको बैंक जा कर पता किया तो उसे मालूम हुआ कि जिस बैंक एकाउंट में 5 लाख रुपए जमा हुए हैं, वह एकाउंट सालीचौका के पुरुषोत्तम मिश्रा का है. उस ने औनलाइन मैसेज भेज कर यह भी जानकारी कर ली कि इस बैंक एकाउंट में 24 लाख रुपए से अधिक रकम जमा है. इतनी बड़ी रकम एकाउंट में देख कर मयंक के मन में लालच की भावना आ गई और यहीं से उस के शातिर दिमाग में फ्रौड करने का आइडिया आया.

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