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कुछ साल पहले देश में अचानक एक नए अपराध की शुरुआत हुई थी, जिसे साइबर अपराध कहा जाता है. इस में अंजान अपराधी किसी बैंक का कर्मचारी बन कर या तो आप के बैंक खाते या एटीएम कार्ड के बंद होने की बात कह कर उस का औनलाइन केवाईसी करने का झांसा दे कर आप को एक ऐसा लिंक भेजता है, जिस से आप के खाते में पड़ी सारी रकम एक के बाद एक दूसरे खातों में ट्रांसफर हो जाती.

किसी कंपनी में नौकरी देने से ले कर आप की लाटरी निकलने या पेटीएम की केवाईसी और भी न जाने कितने अजीबोगरीब तरीकों का इस्तेमाल कर आप को ये अपराधी इस कदर चूना लगाने लगे कि देश भर में पुलिस की रातों की नींद उड़ गई. साबइर ठगों ने ऐसा आतंक मचाया कि नेता से ले कर अभिनेता और जजों से ले कर बड़ेबड़े वकील तक इन के झांसे में आ कर अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठे.

इस के बाद जब देश भर में सभी राज्यों की पुलिस के पास शिकायतों के अंबार लगे तो जांचपड़ताल शुरू हुई और हर मामले के तार झारखंड के जामताड़ा से जुडने लगे. जामताड़ा, झारखंड राज्य का एक जिला है. वैसे तो यहां बड़ी संख्या में सांप पाए जाते हैं. इन सांपों की वजह से ही इस जिले का नाम जामताड़ा पड़ा. लेकिन असल में जामताड़ा, जामा और ताड़ शब्द से बना है.

दरअसल, संथाली भाषा में जामा का मतलब होता है सांप और ताड़ का मलतब होता है आवास, यानी सांपों का घर. इस के अलावा जामताड़ा को बाक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है. मतलब इस तरह समझिए कि पुलिस को जल्द ही पता चल गया कि कि झारखंड के जामताड़ा यानी सांपों के घर में बैठे

अपराधी वहीं से ऐसी फुंकार भर रहे हैं कि लोगों को एक काल लगा कर कंगाल कर दे रहे हैं. इस के बाद शुरू हुआ उन की पकड़धकड़ का सिलसिला और पुलिस की छापेमारी. लेकिन कहते हैं कि ज्योंज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया. यानी पुलिस की काररवाई जैसेजैसे जामताड़ा के अपराधियों के खिलाफ बढ़ती गई, वैसेवैसे उन की कारगुजारियों और कारनामों की दहशत बढ़ती चली गई.

दहशत इतनी बढ़ी कि इस की गूंज फिल्म नगरी मुंबई तक जा पहुंची और 4 साल पहले जामताड़ा के ऊपर रिसर्च शुरू हो गई. होती भी क्यों नहीं, इस जिले में तब तक 22 राज्यों की पुलिस सैकड़ों मामलों में दस्तक दे चुकी थी. सब की एक ही शिकायत थी कि जामताड़ा से किए गए एक फोन ने अमुक आदमी के एकांउट से अमुक राशि की धोखाधड़ी कर ली.

आखिरकार 3 साल पहले नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा पर आधारित एक बहुचर्चित वेब सीरीज रिलीज हुई है, जिस में जामताड़ा के ठगी के पूरे नेटवर्क को रोचक ढंग से दिखाया गया था. ये कहानी समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि आगे हम जो बताने वाले हैं, उस के लिए इस पृष्ठभूमि को जानना बेहद आवश्यक है.

दरअसल, जामताड़ा से 17 किलोमीटर दूर है करमाटांड. यह स्थान कभी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की कर्मस्थली था. जामताड़ा का यही वो गांव है, जहां से साइबर अपराधियों की शुरुआत हुई और जहां के बेहद कम पढ़ेलिखे युवकों ने केवल मोबाइल फोन के जरिए बौलीवुड हस्तियों, नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स तक के बैंक खातों में लाखोंकरोड़ों की सेंध लगा दी.

शुरुआत हुई थी यहां रहने वाले सीताराम मंडल से. जामताड़ा पुलिस की फाइलों के अनुसार, 10 साल पहले यहीं के एक गांव सिंदरजोरी में रहने वाला सीताराम मुंबई गया था, जिस ने वहां मोबाइल रिचार्ज की दुकान में नौकरी कर ली और फिर यहीं से ठगी करनी सीखी. छुट्ïिटयों में जब लौटा तो ठगी के इसी हथकंडे को आजमाया.

जाली सिमकार्ड लगा कर, नकली बैंक मैनेजर बन कर ग्राहकों को फोन लगाता. कहता, आप का कार्ड ब्लौक हो गया है. इस बहाने एटीएम नंबर, ओटीपी और सीवीवी नंबर जैसी जानकारियां मांग लेता. फोन कट होतेहोते ग्राहक की जेब भी कट चुकी होती थी. इस पैसे को वह मोबाइल रिचार्ज रिटेलर की आईडी में ट्रांसफर करता. 30 फीसदी रख कर रिटेलर उसे बाकी 70 फीसदी कैश दे देता.

सीताराम ने कमीशन का लालच दे कर कई लोगों के बैंक खाते व चैकबुक हासिल कर लीं. ठगी की रकम वह इन्हीं खातों में ट्रांसफर करता. सीताराम पकड़ा गया. डेढ़ साल की सजा हुई. जमानत पर छूटा ही था कि दूसरे केस में पुलिस ने उसे पकड़ लिया. लेकिन सीताराम के शार्गिदों ने गांव में कई गैंग खड़े कर दिए, जिन्होंने आज पूरे देश में ठगी का ऐसा नेटवर्क खड़ा कर दिया है कि देश भर की पुलिस के लिए जामताड़ा एक नासूर बन गया है.

बना लिया नया जामताड़ा

जब आए दिन जामताड़ा में अलगअलग राज्यों की पुलिस और ईडी व बैंकों की टीमें छापे मारने लगीं तो यहां से ट्रेनिंग ले कर सरगना बन चुके जामताड़ा के दूसरे सरगनाओं ने पुलिस से बचने के लिए कोलकाता, हैदराबाद, राजस्थान के भरतपुर और दिल्ली से सटे हरियाणा के नूंह जिले में मेवात इलाके को अपनी कर्मभूमि बनाना शुरू कर दिया.

देश भर की पुलिस का सारा ध्यान तो झारखंड के जामताड़ा पर लगा रहा और जामताड़ा के जालसाजों ने देश में कई जामताड़ा तैयार कर दिए. इन्हीं में से एक हैं देश की राजधानी से सटा हरियाणा का मेवात क्षेत्र. जो अब पिछड़ेपन के साथ ही साइबर अपराध और टटलूबाज गिरोह के नाम से भी पहचान बना चुका है.

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नूंह जिले के साथ ही मेवात क्षेत्र राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिले तक फैला हुआ है. इन जिलों के 40 गांवों के युवा जामताड़ा के साइबर ठगों के संपर्क में आ कर इतने शातिर अपराधी बन चुके हैं कि उन्होंने झारखंड के जामताड़ा की यादों को फीका कर मेवात के जामताड़ा को उस से भी बड़ा कर दिया है.

जामताड़ा के बाद साइबर अपराध के मामलों में देश का दूसरा सब से बड़ा केंद्र मेवात बन चुका है. हरियाणा-राजस्थान के मेवात क्षेत्र में बैठे ये ठग विभिन्न राज्यों के सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उन से लाखों की ठगी करते हैं. अनपढ़ से ले कर आठवीं और दसवीं पास युवा ठगी करने में माहिर हैं.

वे बैंक मैनेजर से ले कर बीमा कंपनी के अफसर बन कर पढ़ेलिखे व्यक्ति को बड़ी आसानी से अपने चंगुल में फंसा लेते हैं. इन बदमाशों ने फिल्म अभिनेताओं, सैन्यकर्मियों तथा कई प्रतिष्ठित नेताओं को भी चूना लगाया है. बीते साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेटी को भी साइबर ठगों ने अपने चंगुल में फंसा लिया था.

                                                                                                                                                क्रमशः

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