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वह रोते हुए आगे बोली, ‘‘साहब, मेरे दोनों बच्चे छोटे हैं, मेरे बिना अनाथ हो जाएंगे. मुझ पर रहम करो. पति को मैं ने नहीं मारा.’’

शशि से पूछताछ करने से यह तो साफ हो गया कि पप्पू की हत्या शशि और भूपेंद्र के अवैध संबंधों की वजह से हुई थी और हत्यारा था भूपेंद्र.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस भूपेंद्र को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर पहुंच गई. लेकिन वह घर से फरार था. इस के बाद भी पुलिस उस के पीछे पड़ी रही. बाद में भूपेंद्र को देर रात सोते हुए उस के घर से ही गिरफ्तार कर लिया गया.

भूपेंद्र से पुलिस ने कड़ी पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबूलते हुए बताया कि उस ने शशि के कहने पर ही पप्पू की हत्या की थी. शशि ने उस से कहा था कि पप्पू के खत्म होते ही रास्ते का कांटा हट जाएगा. फिर दोनों मियांबीवी की तरह रहेंगे.

शशि और भूपेंद्र दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. उन से की गई पूछताछ के बाद पप्पू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प निकली—

उत्तराखंड के जिला काशीपुर के जसपुर थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव भरतपुर में तोताराम का परिवार रहता था. तोताराम की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. गांव में न तो उन के पास जुतासे की जमीन थी और न ही अच्छी आमदनी का कोई जरिया. भरतपुर गांव के अधिकांश लोग जंगलों से लकड़ी ला कर बेचते थे. उसी से उन का गुजारा होता था. तोताराम का भी यही काम था.

वह जंगलों से लकड़ी बीन कर लाता और उन्हें बेच कर अपने परिवार की गुजरबसर करता था. तोताराम के 3 बेटे थे, जो काफी छोटे थे. किसी बीमारी के चलते तोताराम की मौत हो गई. सिर से बाप का साया हटते ही बच्चे अनाथ हो गए. पति की मौत के बाद बच्चों को पालनेपोसने की जिम्मेदारी उस की पत्नी सुनीता पर आ गई थी. सुनीता ने जैसेतैसे बच्चों को इस लायक कर दिया कि अपने पैरों पर खड़े हो सकें.
बच्चे जवान हुए तो कामधंधे में लग गए और फिर करनपुर गांव में अपना मकान बना कर रहने लगे. करनपुर जंगल से सटा हुआ इलाका है. कुछ लोग जंगल का फायदा उठा कर कच्ची शराब बनाने का धंधा करते हैं. कच्ची शराब की भरमार होने की वजह से यहां के अधिकांश लोग शराबी बन चुके हैं.

तोताराम के तीनों लड़के भी यहां आ कर शराब पीने के आदी हो गए. करनपुर आने के कुछ दिनों बाद तोताराम के बड़े बेटों राजपाल और जगदीश की शादी हो गई थी. घर में केवल पप्पू ही शादी के लिए बचा था. बाद में उस की शादी उत्तर प्रदेश के शहर रामपुर के रहने वाले मुरलीलाल की बेटी शशि से हो गई. यह करीब 18 साल पहले की बात है.

शशि बन गई पप्पू की चहेती

शशि अपने पति से काफी खुश थी. शशि हंसमुख थी. उस की चंचलता चेहरे से ही झलकती थी. कुछ ही समय में उस ने अपनी ससुराल वालों के साथसाथ पड़ोसियों का भी दिल जीत लिया था. शादी से पहले शशि के कदम बहक गए थे. मोहल्ले के कई लड़कों के साथ उस के अवैध संबंध थे. लेकिन शादी होने के बाद उस की इस तरह की कहानियां दफन हो गई थीं.

शादी के करीब साल भर बाद वह एक बच्चे की मां बनी. उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम राज रखा गया. बच्चे के जन्म के बाद पप्पू की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. खर्च पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करने लगा. उस ने गांव के नजदीक ही एक सरदार के फार्म में काम करना शुरू कर दिया.
पप्पू का ज्यादातर समय वहीं गुजरता था. वह रहता भी वहीं पर था. वहां रहने से उसे यह फायदा हो गया कि हर रोज काम तलाशने के बजाए उसे हर महीने बंधीबंधाई तनख्वाह मिलने लगी. फार्म पर रहते हुए ही वह ट्रैक्टर चलाना सीख गया था.

पप्पू को अच्छी आमदनी होने लगी तो शशि के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया. वह अब बनठन कर रहने लगी थी. पप्पू सीधासादा युवक था. वह महीने में जो भी कमाता, अपनी बीवी के हाथ पर ला कर रख देता था. घर का सारा खर्च शशि ही अपने हिसाब से करती थी. इस बीच वह दूसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. लड़की हुई थी राजो उर्फ रज्जी.

2 बच्चों के बाद शशि का शरीर पहले से कहीं ज्यादा खिल उठा था. पप्पू को तो केवल कमाई की धुन थी. वह सारे दिन काम में लगा रहता और शाम को खापी कर जल्दी सो जाता. वह पत्नी की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहा था, जिस से उस के दिल में पप्पू के प्रति लगाव कम होने लगा.

शादी के 6 साल बीत जाने के बाद पप्पू उस के शरीर को पढ़ने में कमजोर पड़ने लगा तो शशि ने पिंजरे में बंद रहने के बजाए उड़ने की ठान ली. वह खूबसूरत तो थी ही, उस ने मोहल्ले के युवकों पर जाल फेंका तो कई युवक उस की गलियों के चक्कर लगाने लगे.

जब शशि के पैर बहके

उस ने मोहल्ले के एक युवक के साथ गहरी दोस्त कर ली और उस के साथ मौजमस्ती का खेल खेलने लगी. बुरा काम चाहे कोई भी हो, कितना भी छिपा कर क्यों न किया जाए, भेद खुल ही जाता है. शशि के प्रेमी के बारबार शशि के पास आने पर मोहल्ले वालों को शक हो गया. इस के बाद मोहल्ले के कई युवकों का शशि के यहां आनाजाना हो गया.

वे उस के साथ मौजमस्ती करने के साथ ही उस के खर्चे भी उठाने लगे.
शशि जंगल से लकड़ी लाने के बहाने घर से निकलती और जंगल में वह प्रेमियों से मिलती. लेकिन एक दिन एक अनजान युवक ने उस के साथ छेड़छाड़ कर दी. यह हरकत शशि के पड़ोसी ने देख ली. शशि जानती थी कि उसे दुनिया की नजरों में पाकसाफ बन कर रहना है तो उसे जरूर कुछ करना होगा.

यही सोच कर उस ने गांव में आते ही उस युवक द्वारा की गई हरकत को ले कर शोर मचा दिया. इतना ही नहीं वह उस युवक को सबक सिखाने के लिए कुंडा स्थित पुलिस चौकी में शिकायत करने जा पहुंची.
चौकी में उस की मुलाकात एक कांस्टेबल से हुई जो उसी के हलके का था. कांस्टेबल पहली ही नजर में उस के हुस्न पर मर मिटा. उस ने शशि के साथ हमदर्दी दिखाते हुए उस का मोबाइल नंबर ले लिया और अपना मोबाइल नंबर उसे देते हुए कहा कि तुम चिंता मत करो, कल आ कर मैं उस हरामखोर को देखता हूं.

अगले दिन वह पुलिस वाला गश्त पर निकला तो घूमतेघामते शशि के घर जा पहुंचा. शशि के घर पुलिस वाले को आया देख मोहल्ले के लोग इधरउधर हो गए. इस के बाद सिपाही शशि को छेड़ने वाले युवक का पता लगाते हुए उस के घर गया.

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