7 मई, 2017 की शाम 5 बजे गुड़गांव में नौकरी करने वाले देवेंद्र के फोन पर उस के भाई संदीप का मैसेज आया कि उस के मोबाइल फोन का स्पीकर खराब हो गया है, इसलिए वह बात नहीं कर सकता. वह रात को बस से निकलेगा, जिस से सुबह तक गुड़गांव पहुंच जाएगा. देवेंद्र खाना खा कर लेटा था कि संदीप का जो मैसेज रात 11 बजे उस के फोन पर आया, उस ने उस के होश उड़ा दिए.
मैसेज में संदीप ने लिखा था कि वह कोसी के एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहा था, तभी उस की तबीयत खराब हो गई. वह कुछ कर पाता, तभी कुछ लोगों ने उस का अपहरण कर लिया. इस समय वह एक वैन में कैद है. वैन में एक लाश भी रखी है. किसी तरह वह उसे छुड़ाने की कोशिश करे.
मैसेज पढ़ कर देवेंद्र के हाथपैर फूल गए थे. उस ने तुरंत गुड़गांव में ही रह रहे अपने करीबी धर्मेंद्र प्रताप सिंह को फोन कर के सारी बात बताई और किसी भी तरह भाई को मुक्त कराने के लिए कहा. देवेंद्र से बात होने के बाद धर्मेंद्र प्रताप सिंह उसे बाद में आने को कह कर खुद कोसी के लिए चल पड़े. रात में ही वह कोसी पहुंचे और थानाकोतवाली कोसी पुलिस को संदीप के अपहरण की सूचना दी.
कोतवाली प्रभारी ने तुरंत नाकाबंदी करा दी. सुबह 5 बजे देवेंद्र भी कोसी पहुंच गया. उस ने अपराध संख्या 129/2017 पर धारा 364 के तहत संदीप के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. कोसी कोतवाली ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली, लेकिन जब देवेंद्र ने बताया कि संदीप आगरा आया था और वहीं से वह कोसी जा रहा था, तभी उस का अपहरण हुआ है.
इस पर कोतवाली प्रभारी ने कहा कि उन्हें आगरा जा कर भी पता करना चाहिए, जहां वह ठहरा था. शायद वहीं से कोई सुराग मिल जाए. देवेंद्र धर्मेंद्र प्रताप सिंह के साथ आगरा के लिए चल पड़ा. संदीप आगरा के थाना सिकंदरा के अंतर्गत आने वाले मोहल्ला नीरव निकुंज में ठहरा था. देवेंद्र और धर्मेंद्र ने थाना सिकंदरा जा कर थानाप्रभारी राजेश कुमार को सारी बात बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘आज सुबह ही बोदला रेलवे ट्रैक के पास तालाब में एक सिरकटी लाश मिली है. आप लोग जा कर उसे देख लें, कहीं वह आप के भाई की तो नहीं है?’’
लेकिन देवेंद्र ने कहा, ‘‘रात में 11 बजे तो भाई ने मुझे मैसेज किया था. उन के साथ ऐसी अनहोनी कैसे हो सकती है? फिर उन की हत्या कोई क्यों करेगा?’’
इस बीच देवेंद्र की सूचना पर घर के अन्य लोग भी रिश्तेदारों के साथ आगरा पहुंच गए थे. सभी लोग इस बात को ले कर परेशान थे कि कहीं संदीप के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई? सभी को शिवम ने अपने कमरे पर ठहराया था. शिवम संदीप और देवेंद्र का भांजा था. पूछताछ में संदीप के घर वालों ने थाना सिकंदरा पुलिस को बताया था कि संदीप जिस लड़की उमा (बदला हुआ नाम) से प्यार करता था, वह आगरा में ही रहती है. दोनों विवाह करना चाहते थे, लेकिन लड़की के घर वाले इस संबंध से खुश नहीं थे.
घर वालों की इस बात से पुलिस को उमा के घर वालों पर शक हुआ. लेकिन जब उमा को बुला कर पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि उस दिन दोपहर दोनों ने एक रेस्टोरेंट में साथसाथ खाना खाया था. उस समय संदीप की तबीयत काफी खराब थी.
उमा जिस तरह बातें कर रही थी, उस से किसी को भी नहीं लगा कि संदीप के साथ किसी भी तरह के हादसे में वह शामिल हो सकती थी. सभी शिवम के कमरे पर बैठे बातें कर रहे थे, तभी शिवम संदीप के बड़े भाई प्रदीप के साले कैलाश का फोन ले कर बाहर चला गया. वह काफी देर तक न जाने किस से बातें करता रहा. अंदर आ कर उस ने कैलाश का फोन वापस कर दिया. सुबह कैलाश ने अपना फोन देखा तो संयोग से उस में शिवम की बातें रिकौर्ड हो गई थीं. जब वह रिकौर्डिंग सुनी गई तो सभी अपनाअपना सिर थाम कर बैठ गए.
रिकौर्डिंग में शिवम अपने दोस्त आशीष से कह रहा था, ‘‘तुम अभी जा कर अपने मोबाइल फोन के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करा दो. उस के बाद किसी दूसरे सिम से संदीप मामा के भाई देवेंद्र को फोन कर के कहो कि संदीप मामा लड़की के चक्कर में मारे गए हैं. अब वे उन्हें ढूंढना बंद कर दें.’’
फिर क्या था, अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी. सभी शिवम को ले कर कोसी के लिए चल पड़े. रास्ते भर शिवम यही कहता रहा कि उस ने कुछ नहीं किया है. क्योंकि उसे पता नहीं था कि उस ने कैलाश के फोन से जो बातें की थीं, वे रिकौर्ड हो गई थीं और उन्हें सब ने सुन लिया था.
शिवम को थाना कोसी पुलिस के हवाले करने के साथ वह रिकौर्डिंग भी सुना दी गई, जो उस ने आशीष से कहा था. शिवम ने भी वह रिकौर्डिंग सुन ली तो फिर मना करने का सवाल ही नहीं रहा. उस ने अपने सगे मामा संदीप की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद की गई पूछताछ में उस ने संदीप की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.
उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज के थाना सहावर से कोई 7 किलोमीटर दूर बसा है गांव म्यासुर. इसी गांव में विजय अपने 3 भाइयों प्रदीप, संदीप और देवेंद्र के साथ रहता था. उस की 2 बहनें थीं, मंजू और शशिप्रभा. मंजू की शादी फिरोजाबाद में संजय के साथ हुई थी. वह सरस्वती विद्या मंदिर में अध्यापक था. उस ने अपनी एक न्यू एवन बैंड पार्टी भी बना रखी थी. मंजू से छोटी शशिप्रभा की शादी एटा में हुई थी.