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4 फरवरी, 2020 की सुबह मीरजापुर के थाना विंध्याचल की पुलिस को सूचना मिली कि गोसाईंपुरवा स्थित कालीन के कारखाने में रहने वाले प्रमोद की रात में किसी ने हत्या कर दी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी वेदप्रकाश राय ने भादंवि की धारा 302, 452 के तहत प्रमोद की हत्या का मुकदमा  दर्ज कराया और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.

पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो प्रमोद की लाश चारपाई पर पड़ी थी. मृतक की उम्र 40 साल के आसपास रही होगी, उस का सिर किसी भारी चीज से कुचला गया था. मृतक के शरीर से जो खून बहा था, वह सूख कर काला पड़ चुका था. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्या आधी रात के पहले यानी 9-10 बजे के आसपास की गई थी. ठंड का मौसम था, इसलिए खून पूरी तरह नहीं सूखा था.

थानाप्रभारी वेदप्रकाश राय ने साथियों की मदद से घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर जरूरी साक्ष्य जुटाए और हत्या की सूचना पुलिस अधिकारियों को दे दी. उन्होंने आसपास उस भारी चीज की भी तलाश की, जिस से हत्या की गई थी. पर काफी कोशिश के बाद भी पुलिस को कुछ नहीं मिला. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम बुला ली. टीम ने वहां से जरूरी साक्ष्य जुटाए. सारी काररवाई पूरी कर उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी.

सारी काररवाई निपटा कर वेदप्रकाश राय ने हत्यारे का पता लगाने के लिए कारखाने में काम करने वाले प्रमोद के साथियों से पूछताछ शुरू की. पूछताछ में पता चला कि प्रमोद कहीं बाहर का रहने वाला था. वह काफी दिनों से यहीं रह रहा था. वह कहां का रहने वाला था, यह बात कोई नहीं बता सका.बस इतना ही पता चला कि उस के परिवार में पत्नी और 2 बच्चे थे. पत्नी जिला कौशांबी में होमगार्ड में थी. बेटी अमेठी से पौलिटेक्निक कर रही थी, जबकि बेटा दिल्ली में रह कर कोई प्राइवेट नौकरी करता था, साथ ही उस ने राजस्थान इंटर कालेज से प्राइवेट फार्म भी भर रखा था.

प्रमोद मीरजापुर में कालीन बुनाई का काम करता था, जबकि पत्नी कंचनलता कौशांबी में होमगार्ड में प्लाटून कमांडर थी. इस का मतलब दोनों अलगअलग रहते थे. पूछताछ में प्रमोद के साथियों ने यह भी बताया था कि पतिपत्नी में पटती नहीं थी. प्रमोद पत्नी से अकसर मारपीट करता था. उस की इस मारपीट से आजिज कंचनलता मीरजापुर कम ही आती थी.

थानाप्रभारी राय को जब पतिपत्नी के बीच तनाव की बात पता चली तो उन्हें लगा कि कहीं प्रमोद की हत्या इसी तनाव के कारण तो नहीं हुई. पूछताछ में उन्हें यह भी पता चला कि उस कारखाने में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. इस से उन्हें उम्मीद जगी कि सीसीटीवी फुटेज से हत्यारे का अवश्य पता चल जाएगा. उन्होंने उस रात की सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो उन की उम्मीद पूरी तरह से खरी उतरी.

सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि प्रमोद की हत्या एक पुरुष और एक महिला ने मिल कर की थी. थानाप्रभारी को लगा कि वह औरत कोई और नहीं, मृतक प्रमोद की पत्नी कंचनलता ही होगी. राय ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज प्रमोद के साथ काम करने वाले कर्मचारियों को दिखाई तो उस महिला की ही नहीं, बल्कि उस के साथ हत्या में शामिल पुरुष की भी पहचान कर दी. वह औरत मृतक प्रमोद की पत्नी कंचनलता ही थी. उस के साथ जो पुरुष था, वह उस का भाई अंबरीश था. प्रमोद की हत्या बहनभाई ने मिल कर की थी.

प्रमोद के हत्यारों को पता चल गया था, अब उन्हें गिरफ्तार करना था. लेकिन उन्हें गिरफ्तार करना इतना आसान नहीं था. क्योंकि थानाप्रभारी वेदप्रकाश राय जानते थे कि अब तक कंचनलता फरार हो चुकी होगी. हत्या के बाद उन्होंने उसे बुला कर पूछताछ भी की थी, तब उस ने स्वयं को निर्दोष बताया था.

फिर भी एक पुलिस टीम कौशांबी गई. जैसी पुलिस को आशंका थी, वैसा ही हुआ. कंचनलता वहां नहीं मिली. उस का मोबाइल नंबर उन के पास था ही. पुलिस ने यह बात एसपी डा. धर्मवीर सिंह को बताई तो उन्होंने कंचनलता का नंबर सर्विलांस टीम को दे कर उस के बारे में पता करने का आदेश दिया.

यही नहीं, उन्होंने सर्विलांस टीम के अलावा एसआईटी और स्वाट को भी कंचनलता व उस के भाई अंबरीश को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दिया. इसी के साथ उन्होंने दोनों भाईबहन को गिरफ्तार करने वाली टीम को 25 हजार रुपए बतौर ईनाम देने की घोषणा भी की. अब थाना पुलिस के अलावा सर्विलांस टीम, एसआईटी और स्वाट भी कंचनलता और अंबरीश के पीछे लग गईं.

थाना पुलिस ने अपने मुखबिरों को दोनों के बारे में पता करने के लिए लगा दिया था. इन कोशिशों से फायदा यह निकला कि 22 फरवरी यानी हत्या के 19 दिनों बाद मुखबिर ने सटीक जानकारी दी. मुखबिर ने काले रंग की उस प्लेटिना मोटरसाइकिल यूपी53सी जेड1559 के बारे में भी बताया, जिस पर सवार हो कर भाईबहन गोसाईंपुरवा से अमरावती चौराहे की ओर जा रहे थे.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीमों ने रात लगभग सवा 10 बजे कालीखोह मेनरोड गेट के पास से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. दोनों उसी मोटरसाइकिल पर सवार थे, जिस के बारे में मुखबिर ने सूचना दी थी. दोनों को गिरफ्तार करने के बाद थाने लाया गया.कंचन और अंबरीश की गिरफ्तारी की सूचना अधिकारियों को भी दे दी गई थी. खबर पा कर एसपी भी थाना विंध्याचल आ गए.  उन की उपस्थिति में कंचन और अंबरीश से पूछताछ की गई तो दोनों ने हत्या का अपराध स्वीकार करने के साथ प्रमोद की हत्या के पीछे की जो कहानी सुनाई, वह इस तरह थी—

इस कहानी की शुरुआत सन 1999 में तब हुई, जब अंबरीश नाबालिग था. वह उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के थाना सहजनवां के गांव बेलवाडांडी के रहने वाले सोहरत सिंह (गौड़) का सब से छोटा बेटा था. उस से बड़ा एक भाई धर्मवीर और 2 बहनें शशिकिरन तथा कंचनलता थीं.

शशिकिरन शादी लायक हुई तो सोहरत सिंह ने उस की शादी जिला संत कबीर नगर के रहने वाले दशरथ सिंह से कर दी. इस के बाद उन्हें दूसरी बेटी कंचनलता की शादी करनी थी. क्योंकि वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. सोहरत सिंह उस के लिए घरवर की तलाश में लगे थे. लेकिन वह उस की शादी कर पाते, उस के पहले ही उस के साथ एक दुर्घटना घट गई.

जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी कंचनलता काफी सुंदर थी. सुंदर होने की वजह से गांव के लड़कों की नजरें उस पर जम गई थीं. ज्यादातर लड़के तो उसे सिर्फ देख कर ही संतोष कर लेते थे, पर उन्हीं में एक प्रमोद था, जो उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था.कंचन को एक नजर देखने के लिए वह दिन भर उस के घर के आसपास घूमता रहता था. उस की हरकतों से कंचन को उस के इरादों का पता चल गया. कंचन उस तरह की लड़की नहीं थी, उसे खुद की और मातापिता की इज्जत का खयाल था, वह जानती थी कि अगर एक बार बदनामी का दाग लग गया तो जीवन भर नहीं छूटेगा.

यही सब सोच कर एक दिन उस ने प्रमोद को डांट दिया. प्रमोद दब्बू किस्म का लड़का नहीं था. वह कंचन से प्यार करता था, इसलिए डांट का भी जवाब प्यार से ही दिया. उस ने कहा, ‘‘कंचन, मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम मेरे दिल में बसी हो, मैं तुम्हें रानी बना कर रखूंगा.’’  कंचन तो वैसे ही गुस्से में थी. उस ने प्रमोद को दुत्कारने वाले अंदाज में कहा, ‘‘शक्ल देखी है अपनी, जो मुझे रानी बनाने चला है. तेरे जैसे 36 लड़के मेरे पीछे पड़े हैं. पर मैं ने किसी को राह में नहीं आने दिया तो तू किस खेत की मूली है.’’

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