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एसपी अनुराग आर्य ने मृतक के बड़े भाई अर्जुन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अशोक की तलाश में उस के घर 2 लड़कियां आई थीं. अशोक उस वक्त घर पर नहीं था. मेरी पत्नी कुसुम ने उन्हें नाश्तापानी कराया था. कुसुम ने उन से उन का नामपता और आने के बाबत पूछा भी था, लेकिन दोनों ने कुछ नहीं बताया और घर से चली गईं.

कुछ देर बाद अशोक घर आया तो कुसुम ने उसे उन लड़कियों के बारे में बताया. उस के बाद वह मोटरसाइकिल ले कर उन की खोज में निकल गया. अशोक को गए अभी पौन घंटा ही बीता था कि खबर मिली अशोक जख्मी हालत में नहर पटरी पर पड़ा है.

तब मैं, मेरे पिता व अन्य लोग वहां पहुंचे और अशोक को पहले प्राइवेट अस्पताल और फिर वहां से  जिला अस्पताल लाए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारे भाई की हत्या किस ने की है?’’ आर्य ने पूछा.

‘‘सर, मुझे उन 2 लड़कियों पर शक है, जो अशोक की तलाश में घर आई थीं.’’

‘‘क्या तुम उन लड़कियों को जानतेपहचानते हो?’’

‘‘नहीं सर, मैं उन के बारे में कुछ नहीं जानता.’’

‘‘क्या उन लड़कियों से अशोक की दोस्ती थी?’’

‘‘सर, मैं दोस्ती के संबंध में भी नहीं जानता, इस के पहले वे कभी घर नहीं आई थीं.’’

खेतों पर काम कर रहे लोगों ने अशोक को लड़कियों के साथ बतियाते देखा था. उन्होंने उन दोनों को भागते हुए भी देखा था. अशोक के भाई अर्जुन को भी शक था कि लड़कियों ने ही अशोक को मौत के घाट उतारा.

पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया. एसपी अनुराग आर्य ने हत्या के खुलासे के लिए एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव के निर्देशन में पुलिस की 3 टीमें गठित कीं और खुद भी मौनिटरिंग में लग गए.

पुलिस टीमों ने जांच शुरू की तो पता चला मृतक अशोक उर्फ जग्गा एक पढ़ालिखा, मृदुभाषी और व्यवहारकुशल युवक था. मरूखा मझौली गांव में उस का कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ था. पढ़नेलिखने में भी वह तेज था. उस ने ग्रैजुएशन कर लिया था और उस का चयन बिहार प्रदेश के वन विभाग में हो गया था. लेकिन ट्रेनिंग पर जाने से पहले ही उस की हत्या हो गई थी.

पुलिस टीम ने मृतक अशोक के भाई अर्जुन, उस की पत्नी कुसुम तथा पिता दीपचंद से पूछताछ की और उन का बयान दर्ज किया. पुलिस टीमों ने घटनास्थल का फिर से निरीक्षण किया. साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया गया.

इस के अलावा मृतक के कई दोस्तों से भी पूछताछ की गई. पर यह पता नहीं चल पाया कि अशोक उर्फ जग्गा के किस लड़की से प्रेम संबंध थे और वह लड़की कहां की रहने वाली थी.

2 दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस हत्या का खुलासा नहीं कर पाई तो गांव के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. गांव वालों ने हलधरपुर थाने का घेराव किया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान ग्रामीणों की पुलिस से झड़प भी हुई.

घेराव की सूचना मिलते ही एसपी अनुराग आर्य और एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव थाना हलधर आ गए. उन्होंने उत्तेजित ग्रामीणों को समझाया, साथ ही आश्वासन भी दिया कि हत्या का परदाफाश जल्द हो जाएगा. एसपी अनुराग आर्य के आश्वासन पर ग्रीमाणों ने धरनाप्रदर्शन खत्म कर दिया.

परिवार व ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश देख कर एसपी अनुराग आर्य ने पुलिस टीमों को जल्द से जल्द केस के खुलासे का आदेश दिया. आदेश पाते ही थानाप्रभारी अखिलेश कुमार की टीम ने तेजी से जांच आगे बढ़ाई.

अखिलेश कुमार अभी तक मृतक अशोक का मोबाइल फोन बरामद नहीं कर पाए थे. इस संबंध में उन्होंने मृतक के भाई अर्जुन से बात की तो पता चला अशोक का मोबाइल फोन घर पर ही है. घटना वाले दिन जब वह घर से निकला था, मोबाइल घर पर ही भूल गया था.

अखिलेश कुमार मिश्रा ने अशोक का मोबाइल कब्जे में ले कर चैक किया तो पता चला, वह एक खास नंबर पर ज्यादा बातें करता था. वह नंबर स्वीटी के नाम से सेव था. मिश्रा ने स्वीटी के नंबर पर काल की तो पता चला उस का मोबाइल बंद है.

इस पर अखिलेश मिश्रा ने सेवा प्रदाता कंपनी से उस नंबर की डिटेल्स मांगी. कंपनी से पता चला कि वह नंबर प्रतिमा चौहान के नाम पर है. उस का पता अली नगर, चौहान बस्ती, थाना सराय लखंसी (मऊ) दर्ज था.

1 सितंबर, 2019 की सुबह 10 बजे थानाप्रभारी अखिलेश मिश्रा ने पुलिस टीम के साथ अली नगर, चौहान बस्ती में प्रतिमा के घर छापा मारा. प्रतिमा उस समय घर पर ही थी. अखिलेश कुमार के इशारे पर महिला कांस्टेबल अंजलि और सुमन ने प्रतिमा को हिरासत में ले लिया. पुलिस उसे थाना हलधरपुर ले आई. पुलिस गिरफ्त में आने के बावजूद प्रतिमा के चेहरे पर डर या भय नहीं था.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने महिला पुलिस कस्टडी में प्रतिमा को अपने कक्ष में बुलाया और पूछा, ‘‘प्रतिमा, स्वीटी कौन है? क्या तुम उसे जानती हो? वह तुम्हारी सहेली है या फिर कोई रिश्तेदार?’’

‘‘सर, स्वीटी न तो मेरी सहेली है और न ही कोई रिश्तेदार. स्वीटी मेरा ही नाम है. स्कूल कालेज के रिकौर्ड में मेरा नाम प्रतिमा चौहान है, लेकिन घर वाले मुझे स्वीटी कहते हैं.’’

‘‘क्या तुम अशोक उर्फ जग्गा को जानती हो?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘हां, जानती हूं.’’ स्वीटी ने जवाब दिया.

‘‘27 अगस्त की दोपहर बाद तुम अशोक के घर मरूखा मझौली गांव गई थी?’’

‘‘हां, मैं अपनी सहेली सोनम यादव के साथ उस के गांव गई थी?’’

‘‘सोनम यादव कहां रहती है?’’

‘‘सर, सोनम यादव मऊ के कुबेर  में रहती है. वह बीटीसी की छात्रा है. हम दोनों पहसा के कालेज में साथ पढ़ती हैं.’’

इस के बाद अखिलेश मिश्रा ने कुबेर में छापा मार कर सोनम यादव को भी हिरासत में ले लिया. थाना हलधरपुर में जब उस की मुलाकात स्वीटी उर्फ प्रतिमा से हुई तो वह सब कुछ समझ गई.

इस के बाद थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने जब स्वीटी से अशोक उर्फ जग्गा की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गई. उस ने बताया कि जग्गा से उस की दोस्ती फेसबुक व मोबाइल के जरिए हुई थी.

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