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दोपहर का वक्त था. कुसुम रसोई में खाना बना रही थी. पति अर्जुन और ससुर दीपचंद खेतों पर थे, जबकि देवर अशोक उर्फ जग्गा कहीं घूमने निकल गया था. खाना बनाने के बाद कुसुम भोजन के लिए पति, देवर व ससुर का इंतजार करने लगी. तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी.

कुसुम ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और यह सोच कर दरवाजे पर आई कि पति, ससुर भोजन के लिए घर आए होंगे. कुसुम ने दरवाजा खोला तो सामने 2 जवान युवतियां मुंह ढके खड़ी थीं. कुसुम ने उन से पूछा, ‘‘माफ कीजिए, मैं ने आप को पहचाना नहीं. कहां से आई हैं, किस से मिलना है?’’

दोनों युवतियों ने कुसुम के सवालों का जवाब नहीं दिया. इस के बजाय एक युवती ने अपना बैग खोला और उस में से एक फोटो निकाल कर कुसुम को दिखाते हुए पूछा, ‘‘आप इस फोटो को पहचानती हैं?’’

‘‘हां, पहचानती हूं. यह फोटो मेरे देवर अशोक उर्फ जग्गा का है.’’ कुसुम ने बताया.

‘‘कहां हैं वह, आप उन्हें बुलाइए. मैं जग्गा से ही मिलने आई हूं.’’ युवती ने कहा.

‘‘वह कहीं घूमने निकल गया है, आता ही होगा. आप अंदर आ कर बैठिए.’’

दोनों युवतियां घर के अंदर आ कर बैठ गईं. कुसुम ने शिष्टाचार के नाते उन्हें मानसम्मान भी दिया और नाश्तापानी भी कराया. इस बीच कुसुम ने बातोंबातों में उन के आने की वजह जानने की कोशिश की लेकिन उन दोनों ने कुछ नहीं बताया.

चायनाश्ते के बाद वे दोनों जाने लगीं. जाते वक्त फोटो दिखाने वाली युवती कुसुम से बोली, ‘‘जग्गा आए तो बता देना कि 2 लड़कियां आई थीं.’’

दोनों युवतियों को घर से गए अभी आधा घंटा भी नहीं बीता था कि जग्गा आ गया. कुसुम ने उसे बताया, ‘‘देवरजी, तुम से मिलने 2 लड़कियां आई थीं. मैं ने उन का नामपता और आने का मकसद पूछा, पर उन्होंने कुछ नहीं बताया. वे पैदल ही आई थीं और पैदल ही चली गईं.’’

अशोक समझ गया कि उस से मिलने उस की प्रेमिका अपनी किसी सहेली के साथ आई होगी. वह मोटरसाइकिल से उन्हें खोजने निकल गया. कुसुम खाना खाने के बहाने उसे रोकती रही, पर वह नहीं रुका. यह बात 27 अगस्त, 2019 की है. उस समय अपराह्न के 2 बजे थे.

जग्गा के जाने के बाद दीपचंद और अर्जुन भोजन के लिए घर आ गए. कुसुम ने पति व ससुर को भोजन परोस दिया. फिर खाना खाने के दौरान कुसुम ने पति को बताया कि अशोक की तलाश में 2 लड़कियां घर आई थीं. उस वक्त अशोक घर पर नहीं था, सो वे चली गईं. अशोक बाइक ले कर उन्हीं से मिलने गया है.

अर्जुन अभी भोजन कर ही रहा था कि कोई जोरजोर से दरवाजा पीटने लगा, ‘‘अर्जुन भैया, जल्दी दरवाजा खोलो.’’

अर्जुन समझ गया कि कुछ अनहोनी हो गई है. उस ने निवाला थाली में छोड़ा और लपक कर दरवाजे पर पहुंच गया. उस ने दरवाजा खोला तो सामने जग्गा का दोस्त लखन खड़ा था. उस के पीछे गांव के कुछ अन्य युवक भी थे.

अर्जुन को देखते ही लखन बोला, ‘‘अर्जुन भैया, जल्दी चलो, नहर की पटरी पर तुम्हारा भाई जग्गा खून से लथपथ पड़ा है. किसी ने उस के पेट में चाकू घोंप दिया है.’’

लखन की बात सुन कर घर में कोहराम मच गया. अर्जुन अपने पिता दीपचंद व लखन के साथ मनौरी नहर की पटरी पर पहुंचा. वहां खून से लथपथ पड़ा जग्गा तड़प रहा था. लोगों की भीड़ जुट गई थी. वहां तरहतरह की बातें हो रही थीं.

अर्जुन ने बिना देर किए पिता दीपचंद और गांव के युवकों की मदद से जग्गा को टैंपो में लिटाया. वे लोग जग्गा को प्रकाश अस्पताल ले गए. अशोक की मोटरसाइकिल उस से थोड़ी दूरी पर खड़ी मिली थी, जिसे उस के घर भिजवा दिया गया था. लेकिन अशोक की नाजुक हालत देख कर डाक्टरों ने उसे जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी. लेकिन जिला अस्पताल पहुंचतेपहुंचते जग्गा ने दम तोड़ दिया.

डाक्टरों ने जग्गा को देखते ही मृत घोषित कर दिया. जग्गा की मौत की सूचना गांव पहुंची तो मरूखा मझौली गांव में कोहराम मच गया. कुसुम भी देवर की मौत की खबर से सन्न रह गई. वह रोतीपीटती अस्पताल पहुंची और देवर की लाश देख कर फफक पड़ी.

पति अर्जुन ने उसे धैर्य बंधाया. हालांकि वह भी सिसकते हुए अपने आंसुओं को रोकने का असफल प्रयास कर रहा था. दीपचंद भी बेटे की लाश को टुकुरटुकुर देख रहा था. उस की आंखों के आंसू सूख गए थे.

कुछ देर बाद जब दीपचंद सामान्य हुआ तो उस ने बेटे अशोक की हत्या की सूचना थाना हलधरपुर पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा पुलिस बल के साथ मऊ के जिला अस्पताल पहुंचे. उन्होंने घटना की सूचना बड़े पुलिस अधिकारियों को दे दी, फिर मृतक अशोक के शव का बारीकी से निरीक्षण किया.

अशोक उर्फ जग्गा के पेट में चाकू घोंपा गया था, जिस से उस की आंतें बाहर आ गई थीं. आंतों के बाहर आने और अधिक खून बहने की वजह से उस की मौत हो गई थी. जग्गा की उम्र 24 साल के आसपास थी, शरीर से वह हृष्टपुष्ट था.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा अभी शव का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अनुराग आर्य व एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव जिला अस्पताल आ गए. पुलिस अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया. फिर शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.

इस के बाद पुलिस अधिकारी मनौरी नहर पटरी पर उस जगह पहुंचे, जहां अशोक को चाकू घोंपा गया था. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. आलाकत्ल चाकू बरामद करने के लिए पटरी के किनारे वाली झाडि़यों में खोजबीन कराई, लेकिन चाकू बरामद नहीं हुआ.

घटनास्थल पर पुलिस को आया देख लोगों की भीड़ जुट गई. एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कई लोगों से पूछताछ की. उन लोगों ने बताया कि वे खेतों पर काम कर रहे थे. यहीं खड़ा अशोक 2 लड़कियों से बातचीत कर रहा था. किसी बात को ले कर एक लड़की से उस की तकरार हो रही थी.

इसी बीच अशोक की चीख सुनाई दी. चीख सुन कर जब वे लोग वहां पहुंचे तो अशोक जमीन पर खून से लथपथ पड़ा तड़प रहा था. उस के पेट में चाकू घोंपा गया था. हम लोगों ने नजर दौड़ाई तो 2 लड़कियां पुराना पुल पार कर मोटरसाइकिल वाले एक युवक से लिफ्ट मांग रही थीं. उस ने दोनों लड़कियों को मोटरसाइकिल पर बिठाया, फिर तीनों मऊ शहर की ओर चले गए.

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