कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-94 में एक गांव है नोरंगाबाद. इस गांव में छलेरा गांव के जिन लोगों की जमीन नोएडा अथारिटी ने अधिग्रहीत की थी, उन्हें इस के बदले में मुआवजे के साथ अलगअलग साइज के प्लौट भी नियम के अनुसार यहां आवंटित किए गए थे.

चूंकि अभी इस इलाके में ज्यादा आबादी और विकास नहीं हुआ है, इसलिए जिन लोगों को यहां प्लौट मिले थे, उन में से कुछ ने अपने प्लौट की घेराबंदी कर के उस में एक या 2 कमरे बना कर उन्हें मजदूर तबके के लोगों को किराए पर दे दिया. सेक्टर 94 के इस इलाके में अभी सिर्फ मजदूर पेशा लोगों के ही 15 से 20 परिवार किराए पर रहते हैं. इस इलाके में बिजली पानी तो है लेकिन घनी आबादी न होने के कारण शाम होते ही यहां सन्नाटा पसर जाता है.

इसी इलाके में छलेरा गांव के रहने वाले चरणसिंह का भी प्लौट था, जिस में उन्होंने बाउंड्री करवा कर उस में एक कमरा, शौचालय, स्नानघर और रसोई बना कर उसे किराए पर दिया हुआ था.

पिछले डेढ़ साल से इस कमरे में मूलरूप से अलीगढ़ का रहने वाला संदीप यादव (24) अपनी पत्नी सोनी यादव (22) के साथ किराए पर रहता था. संदीप की डेढ़ साल पहले ही कासगंज की रहने वाली सोनी से शादी हुई थी.

दोनों की शादी कोरोना के बीच लौकडाउन के दौरान हुई थी. संदीप पहले सेक्टर-94 में ही हिंडन बैराज के पास किराए के किसी दूसरे कमरे में अपने एक दोस्त के साथ रहता था. लेकिन शादी के बाद गृहस्थी होने के कारण उस ने चरण सिंह का मकान किराए पर ले लिया.

संदीप शादी से पहले तो नोएडा में एक बड़े ढाबे पर काम करता था. लेकिन लौकडाउन के बाद जब नौकरी चली गई और शादी हो गई तो पेट पालने और जीवन चलाने के लिए उस ने महामाया फ्लाईओवर के नीचे साइकिल पर ही आलू की सब्जी और खस्ता कचौरी बेचने का काम शुरू कर दिया.

संयोग से काम भी ठीकठाक चलने लगा और संदीप नौकरी से ज्यादा अपने काम से पैसा कमाने लगा. कुल मिला कर घरगृहस्थी मजे से चलने लगी.

अपने घर पर ही पत्नी सोनी की मदद से वह सुबह के वक्त खस्ता कचौरी और सब्जी खुद तैयार करता और फिर साइकिल पर रख कर उसे बेचने के लिए हर सुबह 10 से 11 बजे तक महामाया फ्लाईओवर के नीचे पहुंच जाता और शाम को 5 बजे तक अपना माल बेच कर वापस घर लौट जाता था.

20 जनवरी को भी संदीप यादव हर रोज की तरह सुबह करीब साढ़े 10 बजे साइकिल पर कचौरी और सब्जी ले कर सेक्टर-94 स्थित घर से निकला था और शाम को करीब 7 बजे घर लौटा.

घर के बाहर साइकिल खड़ी करने के बाद हमेशा की तरह संदीप ने सोनी को बाहर से ही दरवाजा खोलने के लिए आवाज लगाई. लेकिन काफी देर तक जब दरवाजा नहीं खुला तो उस ने दरवाजे को धकेलते हुए थोड़ा कड़ी आवाज में कहा क्या बात है महारानी बहरी हो गई है या कान में तेल डाल लिया है.

कमरे में गहन अंधकार और सन्नाटा पसरा हुआ था. अन्य दिनों की अपेक्षा संदीप को इस दिन पत्नी सोनी का यह व्यवहार कुछ अजीब लग रहा था.

संदीप ने अनुमान से दरवाजे के पास लगे बिजली के बोर्ड को टटोल कर कमरे की लाइट जला दी. कमरे में रोशनी होते ही संदीप फर्श पर सोनी की खून से लथपथ लाश पड़ी दिखी.

लाश देखते ही संदीप के गले से चीख निकल गई. सिर को पकड़ कर संदीप गला फाड़ कर रोने लगा. कालोनी के मकान एकदूसरे से काफी दूर बने थे.

लेकिन शाम के सन्नाटे में संदीप के रोने और चीखने की आवाजें इतनी तेज थीं कि चंद समय में ही वहां कालोनी में रहने वाले कई मजदूर परिवार एकत्र हो गए. वैसे भी उस समय ज्यादातर लोग अपने काम से घर लौटते हैं.

सभी ने संदीप को अपनी पत्नी की लाश के पास फूटफूट कर रोते देखा. कालोनी के एकत्रित हुए मजदूरों में से ही किसी ने तब तक निकट की ओखला पुलिस चौकी के इंचार्ज राजेंद्र सिंह को जा कर इस हादसे की सूचना दी तो वह तत्काल ही अपने मातहत पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

कालोनी के लोगों ने संदीप की पत्नी सोनी की हत्या के बारे में जो खबर दी थी, वह एकदम सही थी. लिहाजा घटनास्थल का मुआयना कर राजेंद्र सिंह ने सेक्टर-126 थाने के प्रभारी भरत कुमार राठी को हत्या की इस वारदात से अवगत करा दिया.

थानाप्रभारी राठी भी हैडकांस्टेबल मोनू, जगपाल सिंह और कांस्टेबल अमित कुमार के साथ जब तक घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक वायरलैस पर जानकारी पा कर नोएडा जोन-1 की एसीपी अंकिता शर्मा और एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह भी मौके पर पहुंच गए.

क्राइम और फोरैंसिक टीमों ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया. संदीप ने बताया कि सुबह जब वह घर से गया था तब उस की पत्नी एकदम ठीक थी. शाम को 7 बजे लौटा तो पत्नी की लाश घर में पड़ी मिली.

संदीप से पूछताछ में पता चला कि घर में लूटपाट जैसी कोई वारदात नहीं हुई थी. जिस का मतलब साफ था कि किसी ने सोनी की हत्या की नीयत से ही इस वारदात को अंजाम दिया था.

थानाप्रभारी राठी ने जब गहराई से लाश का निरीक्षण किया तो देखा कि कातिल ने बेदर्दी के साथ किसी चीज से सोनी के चेहरे पर वार किया था जिस के कारण नाक पर काफी गहरा जख्म था और वहां से बहने वाला खून जम कर काला पड़ चुका था. एक खास बात यह थी कि कातिल ने बड़ी बेहरमी के साथ सोनी के सिर को शायद कई बार जमीन पर दे कर मारा होगा. क्योंकि सिर के पिछले हिस्से में काफी चोट लगी थी और वहां से काफी खून भी बहा था.

घटनास्थल के निरीक्षण से एक बात यह भी साफ हुई कि सोनी का शायद कातिल के साथ काफी संघर्ष हुआ होगा. क्योंकि उस के बदन के कपड़े काफी अस्तव्यस्त हो चुके थे.

ब्लाउज के आगे का हिस्सा पूरी तरह फटा हुआ था और शरीर पर पहनी हुई साड़ी भी घुटनों से ऊपर तक खिसकी हुई थी, जिससे लग रहा था कि उस के साथ कातिल ने या तो शारीरिक संबंध बनाए होंगे या फिर इस का प्रयास किया होगा.

उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जांच की सभी औपचारिकताएं पूरी कर के थानाप्रभारी राठी ने सोनी यादव के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह के आदेश पर थानाप्रभारी राठी ने दफा 302 आईपीसी यानी हत्या का मुकदमा पंजीकृत कर के जांचपड़ताल का काम खुद अपने हाथों में ले लिया.

एक बात थी जो पुलिस की समझ से परे थी. वह यह कि संदीप यादव ने बताया था कि उस की न तो किसी से दुश्मनी है न ही घर में लूटपाट हुई है. वैसे भी संदीप के घर में लूटपाट के लिए कोई ऐसी कीमती चीज भी नहीं थी कि उस के लिए बदमाश किसी की जान ले लें.

हां, जिस संदिग्ध हाल में सोनी का शव मिला था, उस से यह जरूर लग रहा था कि कोई ऐसा जरूर है जिस की सोनी के ऊपर नीयत खराब थी.

थानाप्रभारी राठी को एक बार संदीप यादव से कुछ खास बिंदुओं को ले कर पूछताछ करनी जरूरी लगी. लिहाजा उन्होंने अगली सुबह पोस्टमार्टम के बाद जब सोनी के शव का अंतिम संस्कार हो गया तो संदीप को पूछताछ के लिए थाने बुलाया.

इस दौरान सोनी के घर वाले भी अगली सुबह तक उस की हत्या की सूचना पा कर उस के घर पहुंच गए थे. सोनी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कासगंज कस्बे की रहने वाली थी, उस के परिवार में मातापिता के अलावा 2 भाई और 4 बहनें थीं. 2 भाई शैलेश व अखिलेश यादव से बड़ी एक बहन थी, जबकि 3 बहनें छोटी थीं.

परिवार की दोनों सब से छोटी लड़कियों को छोड़ कर सभी की शादी हो चुकी थी. सोनी की शादी 2020 के मध्य में कोरोना लौकडाउन के दौरान करीब डेढ़ साल पहले हुई थी.

hindi-manohar-family-crime-story

जब पुलिस ने सोनी के भाई अखिलेश से उस की बहन के बारे में पूछा तो उस ने अपने बहनोई संदीप पर कोई शक तो नहीं जताया, लेकिन उस की यह शिकायत थी कि जब संदीप के पास रहने का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं था तो उन्हें सोनी को ऐसे स्थान पर ला कर रखना ही नहीं चाहिए था.

उस ने अपनी बहन सोनी से कहा भी था कि जब तक संदीप रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं ले लेता, वह वापस नहीं जाए. लेकिन सोनी ने उस की एक नहीं मानी, जिस का खमियाजा उस की जान के रूप में चुकाना पड़ा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...