अन्ना छोटू चौबे को भाई कह कर बुलाता था. अवैध वसूली, मारपीट, चोरी, धमकी देना इस गैंग का रोजाना का काम हो गया था. अनिराज के अपराधों की पहुंच जबलपुर समेत आसपास के कटनी, नरसिंहपुर और सिवनी जिलों में भी हो गई थी.

अनिराज उर्फ अन्ना छोटू का दाहिना हाथ बन गया था. अपराध की दुनिया में अनिराज का कद छोटू के मुकाबले बढऩे लगा, उसे अच्छी कदकाठी का भी फायदा मिल रहा था. एक गर्लफ्रेंड को ले कर दोनों में दरार हो गई. छोटू चौबे जिस लड़की के लिए अपनी जान न्यौछावर करता था, उसी पर अन्ना का भी दिल आ गया.

जबलपुर को कभी आचार्य विनोबा भावे ने संस्कारधानी कहा था, मगर पिछले कुछ दशकों से जबलपुर अपराध की राजधानी बन कर रह गया है. जबलपुर शहर के अब्दुल रज्जाक, विजय यादव, बब्बू पंडा, कक्कू पंजाबी, रतन यादव, नीरज ठाकुर, छोटू चौबे जैसे दरजनों गैंगस्टर रहे हैं, जिन का खौफ शहर के नागरिकों के साथ व्यापारियों को भी रहता है.

पहली दिसंबर, 2023 को जबलपुर के माढोताल थाने के टीआई के मोबाइल फोन पर एक काल आई. टीआई ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ''सर, मैं कठौंदा कंपोस्ट प्लांट से सुपरवाइजर बोल रहा हूं. यहां ग्रीनसिटी कठौंदा कंपोस्ट प्लांट के पास तालाब में एक लाश तैर रही है. पता नहीं मरने वाला कौन है, जल्दी से यहां पुलिस भेजिएगा.’’

जैसे ही सुपरवाइजर से लाश मिलने की सूचना मिली, टीआई तत्काल ही पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. तब तक वहां लोगों की भीड़ लग चुकी थी. पुलिस ने गोताखोरों की मदद से लाश को बाहर निकलवाया.

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