Love Story: कामरान की शादी उस की चचेरी बहन सदफ से बचपन में ही तय हो गई थी, चाचाचाची भी तैयार थे, अंत में ऐसा क्या हुआ कि उस की शादी सदफ से होने के बजाए किसी और से हो गई, जो उसे जरा भी पसंद नहीं करती थी...
चाय का पहला घूंट लेते हुए मैं ने सदफ से फरमाइश की, ‘‘दुआ करो कि मैं कामयाब हो जाऊं.’’ उस ने गुलाबी होंठों पर शरमीली मुसकराहट लाते हुए कहा, ‘‘आप को यह कहने की जरूरत नहीं है. मैं रातदिन आप के लिए, आप की कामयाबी के लिए दुआ करती रहती हूं.’’
यह सच भी था. मुझे उस से कहने की जरूरत नहीं थी. वह मेरी मंगेतर थी. मेरी दादी ने सदफ के पैदा होने के कुछ दिनों बाद ही ऐलान कर दिया था, ‘‘यह मेरे कामरान की दुलहन बनेगी.’’
दादी की इस बात को भले किसी बंधन में नहीं बांधा गया था, पर सब के दिलों में यह बात बैठ गई थी कि कामरान की शादी सदफ से होगी. मंगनी वगैरह इसलिए नहीं की गई थी, क्योंकि चाचा और हमारा परिवार एक ही मकान में रहता था. हमारे उस पुश्तैनी मकान में ऊपर वाले हिस्से में चाचा रहते थे और नीचे वाले हिस्से में हम लोग. दोनों घरों में बच्चे बराबर थे. हम दो 2 भाई और एक बहन थी. जबकि चाचा की सिर्फ 3 बेटियां थीं. सदफ चाचा की बड़ी बेटी थी. हमारा गुजरबसर आराम से हो रहा था. लेकिन इधर साल भर से हमारे घर के हालात बिगड़ रहे थे. अचानक हार्टअटैक से अब्बा की मौत हो गई थी. वह सरकारी हाईस्कूल में टीचर थे. फंड की रकम और पेंशन मिलने में समय लग रहा था.






