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‘‘मियां, क्या बात है बड़े खुश नजर आ रहे हो आजकल? मुझे नहीं बताओगे अपने दिल की

बात?’’ दाऊद ने अपने दोस्त नदीम को छेड़ा.

‘‘तुम्हीं तो मेरे हमदम, मेरे दोस्त हो. अपने दिल की बात तुम से नहीं बताऊंगा तो और किसे बताऊंगा.’’ नदीम ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘तो दिल की बात कह भी डालो यार, अब और बरदाश्त नहीं होता.’’

‘‘बताता हूं, बताता हूं, थोड़ा सब्र करो भाई. मैं सब बताता हूं.’’

‘‘भाई, कहीं इश्कविश्क का चक्कर तो नहीं है?’’

‘‘हां दाऊद भाई, मुझे किसी से इश्क हो गया है. बेपनाह इश्क. मैं उसे चाहने लगा हूं, वो भी मुझे चाहती है.’’

‘‘कौन है वो खुशकिस्मत, जिस से मेरा यार दिल लगा बैठा है? मुझे उस के बारे में नहीं बताएगा?’’

‘‘भाई, बताऊंगा भी और मुलाकात भी कराऊंगा. बस, सही वक्त आने दो मेरे यार.’’

‘‘नाम क्या है उस नाजनीन का और कहां रहती है?’’ दाऊद ने बेसब्री से पूछा.

‘‘नुसरत जहां.’’ नदीम ने जवाब दिया.

‘‘नुसरत जहां! कौन नुसरत जहां?’’

‘‘अरे वो ही वकील इम्तियाजुल की बेगम, जहां बच्चों को अरबी की ट्यूशन पढ़ाने जाता हूं.’’

‘‘अच्छा तो मियां बच्चों की अम्मी से दिल लगा बैठे?’’

‘‘क्या करूं यार, पहल तो नुसरत ने की थी. और फिर मैं ठहरा बांका जवान. उस के प्यार को अपनी जवानी की जंजीर से कैद न करता तो मुझे नामर्द समझती. मैं ऐसावैसा थोड़े न हूं. लपक कर उसे अपनी बाहों में भर लिया.’’

इस के बाद नदीम अहमद और दाऊद घंटों नुसरत को ले कर बातें करते रहे. यहां बता दें कि नदीम अहमद एक मसजिद का मुअज्जिन (सेवादार) था और नुसरत जहां के बच्चों को उस के घर अरबी की तालीम देता था जबकि दाऊद उसी मसजिद का इमाम था. हमउम्र होने के नाते दोनों के बीच गहरा याराना था.

नदीम उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की दरगाह शरीफ थाना के मुसल्लमपुर राम गांव  का रहने वाला था, जबकि दाऊद कोतवाली नगर थाने के काजीपुरा में रहता था. दोनों एक ही मसजिद के सेवक थे. वहीं दोनों का आपस में परिचय हुआ था.

बहरहाल, 17 अक्तूबर, 2022 की तारीख थी उस दिन और सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. दरगाह शरीफ थाने के मुंशी और दीवान औफिस में आ चुके थे और अपने काम में जुट गए थे. तभी एक महिला, जिस की उम्र 35-36 साल के आसपास थी, थाना परिसर में रोतीबिलखती दाखिल हुई.

महिला के रोने की आवाज सुन कर दीवान (हैडकांस्टेबल) दयाराम की नजर औफिस से बाहर गेट की ओर गई तो उन्होंने संतरी दिनेश को आवाज दे कर महिला को औफिस भेजने के लिए कहा.

2 मिनट बाद महिला दीवान दयाराम के सामने खड़ी थी. दीवान ने उस से रोने का कारण पूछा तो महिला ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मैं तो लुट गई बरबाद हो गई.’’

‘‘अरे भई, पहले रोनाधोना बंद करो. जो पूछता हूं उसे साफसाफ बताओ. तुम्हारे साथ क्या हुआ? तुम्हारा नाम क्या है और कहां रहती हो?’’

‘‘नुसरत जहां नाम है मेरा. मैं सलारगंज की जमील कालोनी में रहती हूं. मैं अपने शौहर और बच्चों के साथ बरामदे में सो रही थी. रात में न जाने कब किसी ने मेरे शौहर की गला काट कर हत्या कर दी साहब. मैं तो बरबाद हो गई. मेरे दोनों छोटेछोटे बच्चे बिखर गए.’’ इतना कह कर नुसरत जहां दहाड़ मार कर फिर से रोने लगी थी.

दीवान दयाराम ने समझाबुझा कर किसी तरह उसे चुप कराया.

हत्या की बात सुनते ही दीवान दयाराम बुरी तरह चौंक गए. फौरन उन्होंने इस की सूचना एसएचओ मनोज कुमार को दी. हत्या की सूचना मिलते ही मनोज कुमार हैरान रह गए. गश्त कर के सुबहसुबह लौटे थे और सो रहे थे जैसे ही सूचना मिली. नींद आंखों से कोसों दूर हो गई थी.

एसएचओ मनोज फटाफट बिस्तर से उतरे और हाथमुंह धो कर बिना चाय पीए ही टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. घटनास्थल की दूरी थाने से 7-8 किलोमीटर रही होगी. थोड़ी देर में ही वह टीम के साथ वहां पहुंच गए और जांच में जुट गए.

मरने वाले का नाम था इम्तियाजुल हक और वह पेशे से सिविल कोर्ट बहराइच में वकील थे. पुलिस जांच में जुटी हुई थी. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से गला रेत कर उन की हत्या की थी. सिर के पिछले हिस्से में भी किसी भारी चीज से वार किया था.

लेकिन हैरान करने वाली बात यह थी कि बीवी पास में सोई थी और उसे घटना की भनक तक नहीं लगी. ऐसा कैसे हो सकता है? यह सोच कर एसएचओ मनोज कुमार का माथा ठनक गया.

उन्होंने घटना की जानकारी एसपी केशव कुमार चौधरी और एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह को दे दी थी. साथ ही डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को सूचना दे कर मौके पर बुला लिया था. दोनों टीमें मौके पर पहुंच कर जांच में जुट गई थीं.

इसी दौरान एसपी केशव कुमार चौधरी और एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह भी मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल में जुट गए थे. घटनास्थल की जांच के बाद दोनों पुलिस अधिकारियों के मन में भी वही सवाल उठा था, जो इंसपेक्टर मनोज कुमार के मन में उठ चुका था.

खैर, लाश का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया और मृतक की पत्नी नुसरत जहां की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गयाप्रसाद मिश्र और मृतक के तमाम साथी वकील भी मौके पर पहुंच गए थे.

मौके पर मृतक का छोटा भाई रिजवानुल हक भी मौजूद था. गयाप्रसाद ने एसपी केशव कुमार चौधरी को चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द इम्तियाजुल हक के कातिल नहीं पकड़े गए तो सारे वकील हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

वकीलों की इस चेतावनी का पुलिस पर गहरा असर पड़ा. एसपी केशव कुमार चौधरी ने आननफानन में पुलिस की 4 टीमें गठित कर दीं, जिस में एक टीम दरगाह शरीफ, दूसरी एसओजी, तीसरी स्वाट विभाग और चौथी टीम सर्विलांस की बनाई थी.

एसपी ने शाम को चारों टीमों के साथ अपने आवास पर बैठक की. बैठक में घटना की समीक्षा की. उसी बैठक में एक बात खुल कर सामने आई कि जब पति और पत्नी एक ही बिस्तर पर साथसाथ सो रहे थे तो इतनी बड़ी वारदात की जानकारी पत्नी को क्यों नहीं हुई. इस प्रश्न ने मृतक की पत्नी नुसरत जहां को शक के दायरे में ला कर खड़ा कर दिया था.

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