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दोनों निहत्थे दोस्तों ने अपनी बाइक से उन की बाइक का पीछा किया. भनक लगने पर आरोपियों ने अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा दी. शक्ति सिंह और प्रह्लाद भी उचित दूरी से उन के पीछे चलते रहे और वह पुलिसकर्मी बाबूसिंह और डीएसपी राजेंद्र सिंह को जानकारी देते रहे.

चालीस मील रोड से दोनों भीम रोड की तरफ मुड़ गए. भीम-ब्यावर रोड पर पुलिस पहले से खड़ी थी. युवकों ने पुलिस को इशारा किया, पुलिस ने आरोपियों को चलती बाइक से गिरा कर दबोच लिया. दोनों दोस्तों ने आरोपियों का करीब 20 किलोमीटर तक पीछा किया था.

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जांबाज शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह चूड़ावत की इस बहादुरी की आम लोगों ने ही नहीं बल्कि पुलिस ने भी तारीफ की और मुख्यमंत्री से दोनों को सम्मानित करने और पुलिस में सेवा लेने की मांग की. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों को अपने औफिस में बुला कर सम्मानित किया. हत्यारोपी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद को हिरासत में ले कर पुलिस ने पूछताछ की.

वैसे आरोपी मोहम्मद रियाज मूलत: भीलवाड़ा के आसींद का रहने वाला बताया जाता है, लेकिन वह उदयपुर के खांजीपीर में किराए के मकान में रहता था. वह वेल्डिंग और जमीन के लेनदेन के काम से जुड़ा हुआ था. गौस मसजिद में खिदमत का काम करता था.

अभियुक्तों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और मामले की जांच के लिए एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ के निर्देशन में एसआईटी का गठन किया गया.

राजस्थान के गृह राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि एक अभियुक्त गौस मोहम्मद 2014 में पकिस्तान के कराची गया था और पिछले 2-3 सालों से पकिस्तान में 8-10 नंबरों पर फोन करता रहा है. गौस कराची में 45 दिनों तक रहने के अलावा नेपाल भी गया था. इस के बाद 2018-19 में अरब के देशों में गया था.

इसी तरह से राजस्थान के डीजीपी मोहन लाठर का कहना था कि गौस कराची स्थित दावत ए इस्लामी संगठन से जुड़ा हुआ है. यह एक सुन्नी इसलामी संगठन है.

मामला संवेदनशील होने के कारण अभियुक्तों के खिलाफ एनआईए ने जांच शुरू कर दी.

कन्हैयालाल साहू (40) के परिवार में उस के 2 बेटों मे एक 21 साल का यश और दूसरा 18 साल का तरुण है. यश बीकौम सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रहा है, जबकि तरुण बी फार्मा के फर्स्ट ईयर में है.

पति की मौत के गम में डूबी पत्नी यशोदा के अनुसार कन्हैयालाल को पिछले 7-8 दिन से धमकियां मिल रही थीं. लोग दुकान में आ कर धमकी दे रहे थे. इस वजह से वह रोजाना दुकान नहीं जा रहे थे. 1-2 दिन में दुकान जा कर देख आते थे.

नूपुर के समर्थन में पोस्ट शेयर करने के बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही थीं. उन्हें इस बात का भय था कि उन की हत्या हो सकती है.

पत्नी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस अगर समय रहते काररवाई करती तो उन के पति जिंदा होते. यशोदा का कहना है 8 जून से ही वह दहशत में थे. इसी दिन उन के मोबाइल पर एक विवादित पोस्ट का मामला सामने आया था.

कन्हैयालाल ने इस की शिकायत खुद पुलिस से की और बताया कि गेम खेलते वक्त उस के बच्चे से गलती से विवादित कंटेंट पोस्ट हो गया.

10 जून, 2022 को कन्हैयालाल की दुकान पर कुछ लोगों ने आ कर काल करने के बहाने से उस का फोन ले लिया और बताया कि उस में कुछ विवादित मैटर पोस्ट हो गया है. इस के बाद कन्हैयालाल ने उस पोस्ट को डिलीट कर दिया.

बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि 11 जून को कन्हैयालाल के पड़ोसी नाजिम ने उस के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करवा दिया. इस शिकायत पर धनमंडी थाने की पुलिस ने उसे फोन कर बताया कि उस के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज की गई है. कन्हैयालाल जब थाने पहुंचा, तब मालूम हुआ कि उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने वाला उस का पड़ोसी नाजिम है. विवादित पोस्ट के चलते उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

इस मामले में 12 जून को जमानत मिल गई, लेकिन अगली पेशी की तारीख 29 जून तय की गई थी. जमानत मिलने के बाद कन्हैयालाल का जीना और भी दूभर हो गया था. कारण, उस ने 13 जून को पाया कि कुछ लोग उस के दुकान की रेकी कर रहे हैं. साथ ही उसे फोन पर सिर कलम करने की धमकी भी मिली.

इस बाबत कन्हैयालाल ने 15 जून को धनमंडी थाने में शिकायत दी. उस में उस ने लिखा कि पड़ोसी नाजिम समेत 4-5 लागों ने उस के नाम और नंबर वायरल कर दिए हैं. वे दुकान नहीं खोलने की धमकी दे रहे हैं. शिकायत में उस ने यह भी आशंका जताई कि वे उसे जान से मार सकते हैं.

इस शिकायत पर उसी दिन पुलिस ने कन्हैयालाल और नाजिम को थाने बुला कर उन के बीच समझौता करवा दिया. दोनों पक्षों के बीच सुलह समझौते के तहत कन्हैया ने पुलिस को लिख कर दिया कि अब वह कानूनी काररवाई नहीं चाहता.

इस पर पुलिस ने कन्हैया को 16 जून को सलाह दी कि वह अगले कुछ दिनों तक वह दुकान न खोले और अपनी दुकान में सीसीटीवी कैमरे लगवा ले.

कन्हैया ने पुलिस की सलाह मानते हुए वैसा ही किया. दुकान बंद रखी और सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए. उस के बाद 18 जून को पुलिस ने कन्हैया को कहा कि वह अब दुकान खोल सकता है. अगले रोज 19 जून को कन्हैया ने दुकान खोली. दुकान में अपना रुटीन का काम किया. इस बीच थाने से एक सिपाही ने मौके का जायजा भी लिया.

कन्हैया को 20-24 जून के दौरान 2 बार धमकियां मिलीं. उस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उस ने समझा कि पुलिस से समझौता हो चुका है. किंतु 25 जून को दुकान पर एक महिला और पुरुष आ कर धमकी दे गए. उन्होंने कहा कि तुझे जमीन में गाड़ देंगे. इस धमकी के बाद कन्हैयालाल परेशान हो गया. फिर वह दुकान पर 28 जून को ही गया.

कन्हैयालाल की हत्या के मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. जांचकर्ताओं के अनुसार दोनों हमलावरों की योजना कुछ और थी. वे कन्हैया को उस के घर में घुस कर मारना चाहते थे. घर का सही पता नहीं चल पाने के कारण उन्होंने दुकान में हत्या को अंजाम दे दिया.

जांच करने वाली टीम को यह भी पता चला है कि जिन हमलावरों ने टेलर कन्हैयालाल की हत्या की थी, वे पाकिस्तान में बैठे आकाओं के इशारे पर काम कर रहे थे. दोनों आरोपी नूपुर शर्मा के बयान के बाद से ही कुछ बड़ा करने की प्लानिंग कर रहे थे.

अब तक हुए खुलासे के मुताबिक दोनों हत्यारे कन्हैयालाल की लाइव हत्या करना चाहते थे ताकि इन की इस हरकत से एक समुदाय में दहशत फैल सके और ये अपने धर्म के हीरो बन जाएं. रियाज और मोहम्मद गौस ने बताया कि हत्या करने के बाद वे उदयपुर के सापेटिया इलाके में स्थित शोएब के औफिस गए.

शोएब के औफिस में बैठ कर दोनों ने हथियार के साथ कबूलनामे वाला वीडियो बनाया था और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. इसी औफिस से 17 जून को बनाया गया वीडियो भी वायरल किया गया था. पुलिस को इसी औफिस से हथियार भी मिले.

रियाज और मोहम्मद गौस ऐसे कई वाट्सऐप ग्रुप से जुड़े हुए थे, जिस में पाकिस्तान समेत कई और दूसरे देशों के लोग शामिल थे और ये सभी कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोग थे. इस ग्रुप में हमेशा भड़काने वाले बयान दिए जाते थे.

गौस मोहम्मद अपने मातापिता और परिवार वालों के साथ किशन पोल इलाके के एक मकान में रहता था. दूसरा आरोपी मोहम्मद रियाज उदयपुर में 20 सालों के दौरान कई मकानों में किराए पर रहा. अकसर वो किराए का घर बदलता रहा.

कन्हैयालाल हत्याकांड की गहन जांच के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने 10 अधिकारियों की टीम बनाई तो वहीं राजस्थान सरकार की ओर से एसआईटी का गठन किया गया.  एसआईटी में एसओजी एडीजी अशोक राठौड़, एटीएएस आईजी प्रफुल्ल कुमार एवं एक एसपी और एडिशनल एसपी शामिल किए गए.

इसी के साथ सरकार ने एसपी और आईजी के समेत 4 पुलिस अधिकारियों को इसलिए सस्पेंड कर दिया, क्योंकि उन्होंने समय रहते कन्हैयालाल को मिली धमकियों के संदर्भ में पहल करने में अनदेखी की.

डीजीपी लाठर के आदेश पर एएसपी (सिटी) अशोक मीणा, सीओ (ईस्ट) जरनैल सिंह, सीओ (वेस्ट) जितेंद्र आंचलिया, सूरजपोल एसएचओ लीलाधर मालवीय के सस्पेंड किए जाने से पहले धानमंडी एसएचओ गोविंद सिंह और एएसआई भंवरलाल सस्पेंड कर दिए गए थे. उन्हें भी इसलिए सस्पेंड किया गया, क्योंकि उन्होंने कन्हैयालाल की तरह ही एक व्यापारी को हत्या की धमकी मिलने के बावजूद कोई काररवाई नहीं की.

एनआईए को मिले जिन पक्के सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाने की उम्मीद बनी, उन में एक बाइक का नंबर 2611 है, जबकि दूसरा सबूत दोनों आरोपियों के भागने का सीसीटीवी फुटेज है. इस के अलावा कन्हैयालाल के खून से सना बड़ा चाकू और उसे बनाने वाली फैक्ट्री के साथसाथ उन के द्वारा कत्ल के वक्त और उस के बाद बनाए गए वीडियो के सबूत पर्याप्त हैं.

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