Chhattisgarh News : अपनी मौत की कुंडली देखने वाला कारोबारी

Chhattisgarh News : ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले कोरबा के ज्वैलर गोपाल राय सोनी ने अपनी मौत की कुंडली खुद बांचने का दावा किया था. पत्नी को इस की तारीख तक बता दी थी, लेकिन पत्नी को इस पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ. हालांकि उसे मालूम था कि पति की पिछली कई भविष्यवाणियां सच होती रही थीं. क्या उन की यह भविष्यवाणी भी सही साबित हुई?

छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा का रहने वाला सूरज गिरि गोस्वामी थोड़ा परेशान था. उस की बुलेट बाइक की 7 जनवरी को किस्त जानी थी. पूरे 4 हजार रुपए खाते में रखने थे. जबकि उस के खाते में मात्र 12 सौ रुपए ही थे. वह इसी उधेड़बुन में था. तभी उस का खास दोस्त मोहन मिंज उस से मिलने आया. आते ही बोला, ”सूरज, आज बुलेट की सवारी नहीं करवाएगा?’’

”चलो न, कहां चलना है?’’ सूरज बोला.

”थोड़ा माल वाला मार्केट घूम आते हैं.’’ मोहन बोला.

”चलो, अभी बुलेट निकालता हूं.’’ कहता हुआ सूरज घर के बरामदे में खड़ी अपनी बुलेट निकालने चला गया.

थोड़ी देर में दोनों बुलेट पर सवार थे. हाइवे पर बुलेट की खास आवाज के साथ दोनों आसपास के नजारों के आनंद में खोए हुए थे.

अचानक मोहन मिंज बोला, ”यार, बुलेट की आवाज मुझे बहुत अच्छी लगती है. सोचता हूं कि मैं भी खरीद लूं.’’

”मत खरीद, महंगी है और तेल का खर्च भी है. मुझे इस की चाल बहुत पसंद है, फिर भी…’’

”फिर भी क्या? तेरी तो जिंदगी मजे में गुजर रही है.’’

”क्या खाक मजे में गुजर रही है, मैं कितनी परेशानी में हूं तुझे नहीं मालूम.’’ सूरज हंसते हुए बोला.

”वह कैसे?’’ मोहन मिंज ने सवाल किया.

”बुलेट मैं ने किस्त पर ली है. इस के पैसे भी नहीं चुका पा रहा हूं, तभी तो मैं ने कहा मत खरीद अभी.’’ सूरज निराशा से बोला.

”तो कैसे कर रहे हो पूरा? सच तो यह है दोस्त कि मैं भी अपनी इस जिंदगी से निराश हो चुका हूं. न रजनी से शादी कर पा रहा हूं और न परिवार को खुशी दे रहा हूं.’’ मोहन बोला.

दोनों अपनीअपनी समस्या और पैसे की तंगी को ले कर दुखी हो गए थे. उन की समस्या पर्याप्त पैसा नहीं होने की थी. कुछ देर उन के बीच चुप्पी बनी रही. सूरज ने सड़क के किनारे एकांत देख कर बुलेट रोक दी.

”अब क्या हुआ, गाड़ी क्यों रोकी?’’ मोहन मिंज पूछ बैठा.

”अभी बताता हूं. पहले नीचे उतर. मेरे सामने आ.’’

सूरज ने जैसा बोला, मोहन ने वैसा ही किया.

”अब बताओ, क्या कहना चाहते हो. बहुत गंभीर दिख रहे हो.’’ मोहन मजाकिया लहजे में बोला.

”बात मजाक की नहीं सीरियस है. मेरे पास एक प्लान है. अगर हम उस में सक्सेस हो गए, तब समझो हमारे पास पैसा ही पैसा होगा?’’ सूरज ने कहा.

”अच्छा! वह कैसे?’’ मोहन ने आश्चर्य से पूछा.

”लेकिन तुम को साथ देना होगा.’’ सूरज बोला.

”चलो, मैं तैयार हूं. अब प्लान बताओ.’’ मोहन ने कहा.

”तू तो जानता ही है कि मैं पहले जहां काम करता था, वह एक धन्ना सेठ है. शहर का सब से अमीर ज्वैलर. उस की तिजोरी में कितना माल है, वह सब मुझे पता है.’’ सूरज के बात पूरा करने से पहले ही मोहन बोल पड़ा, ”तो फिर उस से क्या होगा?’’

”पहले पूरी बात तो सुनो. हमें उसी तिजोरी पर हाथ साफ करना है.’’ सूरज ने कहा.

”तिजोरी पर हाथ साफ करना आसान है क्या? वह कितनी मजबूत होती है, क्या तुम को नहीं मालूम है?’’ मोहन मिंज बोला.

”उसे तोडऩा नहीं खोलना है. उस की चाबी का इंतजाम करवाने में मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत होगी.’’ सूरज बोला.

”वह कैसे होगा?’’ मोहन ने पूछा.

”मेरे पास उस का ही प्लान है. सिर्फ तुम साथ देने की हामी भरो.’’

”मैं तैयार हूं. मुझे डिटेल में बताओ, क्या करना होगा?’’

मोहन के तैयार होते ही सूरज ने कहा, ”समझो कि मेरे पास फुलप्रूफ ऐसा प्लान है कि हमारे पास पैसे ही पैसे होंगे.’’

और फिर सूरज गिरि ने पूरी प्लानिंग मोहन मिंज के सामने रख दी. इस पर मोहन मिंज ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोला, ”ठीक है, यह तो एकदम आसान काम है, लेकिन खतरा भी कम मत समझो.’’

”अधिक खतरा नहीं है. उस के बारे में भी तुम्हें बताऊंगा. सेठ करोड़पति है, बस हमें रात को घर में घुस कर उस की दुकान की चाबी अपने कब्जे में करनी है और उसी रात उस की दुकान का सारा माल पार कर रांची निकल जाएंगे.’’

यह बात दिसंबर 2024 के आखिरी सप्ताह की है. मोहन मिंज सूरज गिरि की बताई योजना को सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुआ. उस की आंखों के आगे रजनी, बुलेट गाड़ी और मकान की तसवीरें घूमने लगीं. सूरज के प्लान के मुताबिक दोनों को शहर के मशहूर आभूषण कारोबारी गोपाल राय सोनी के घर में घुस कर लूट करनी थी. वहां से सेठ सोनी की दुकान की चाबी हासिल करनी थी. गोपाल राय सोनी कोरबा स्थित पावर हाउस का मुख्य सड़क पर स्थित एस.एस. प्लाजा में अमृत ज्वैलर्स नाम का भव्य शोरूम था. शोरूम की चाबी सेठ अपने पास एक छोटी सी अटैची में रखता था.

वह जहां भी जाता, अटैची साथ लिए रहता था. इस बात की जानकारी सूरज को इसलिए थी, क्योंकि वह एक समय में उस का ड्राइवर हुआ करता था. बाद में उस का भाई आकाश सेठ की गाड़ी चलाने लगा था. सूरज सेठ की रोजाना की तमाम गतिविधियों और आदतों से वाकिफ था. उसे इस बात का भी अंदाजा था कि वह कितना डरपोक है. इसी आधार पर उस ने मोहन को आश्वस्त कर दिया कि उस की प्लानिंग आसानी से सफल हो जाएगी.

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा के नए ट्रांसपोर्ट नगर में स्थित लालूराम कालोनी में गोपाल राय सोनी का आवास है. उन के छोटे से परिवार में सेठ सोनी के अलावा उन की पत्नी रेखा सोनी और बेटा नचिकेता रहते थे. बड़ा बेटा अभिषेक सोनी रायपुर में व्यवसाय करता है. गोपाल राय सोनी की 2 बेटियां हैं. एक का विवाह नेपाल में हुआ है जो वहीं की हो कर रह गई है. दूसरी का विवाह मुंबई के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ है.

कहने को तो गोपाल राय सोनी एक सेठ थे, किंंतु उन में एक और खूबी ज्योतिषीय ज्ञान की भी थी. वह कुंडली देखना अच्छी तरह से जानते थे. ग्रहदशा और उस के होने वाले प्रभाव की गणना बहुत ही सटीक कर लेते थे. यहां तक कि अपने ग्राहकों को भी ग्रहनक्षत्रों के आधार सोनाचांदी और जेवरात खरीदने की सलाह देते थे. उन्होंने अपने कारोबार में ज्योतिषीय असर को काफी महत्त्व दिया था. इस बारे में पत्नी को पूरी जानकारी देते थे. कोरोना काल के दरम्यान उन्होंने अपने बारे में जितनी भी भविष्यवाणियां की थीं, करीबकरीब सभी सही निकली थीं.

पिछले साल की दीपावली से ठीक पहले गोपाल राय सोनी ने अपनी कुंडली देखनी शुरू की थी. कुंडली के मुताबिक अंतरदशा महादशा देखते हुए वह चौंक पड़े थे. उन्होंने जो गणना की थी, उस बारे में पत्नी को बताना उचित समझा था. गोपाल राय अपनी ही कुंडली देखने में लगे हुए थे. उन के सामने कुछ कागजात बिखरे हुए थे. उन पर कुछ हिसाबकिताब बना था तो 12 खाने वाली कई कुंडलियां बनी हुई थीं. उन्होंने पत्नी रेखा को आवाज दी. रेखा थोड़ी देर में चाय की प्याली और प्लेट में बिसकुट ले कर आई थीं. उन्होंने देखा. पति के चेहरे पर पसीने की बूंदें झलक रही थीं. वह चौंकती हुई पूछ बैठी, ”इस सर्दी में आप को पसीना आ रहा है… आश्चर्य है!’’

”रेखा रानी, हैरानी तो तुम्हें तब और होगी, जब मैं तुम्हें एक भविष्यवाणी के बारे में बताऊंगा.’’ गोपाल ने बामुश्किल से कहा और पत्नी को बैठने के लिए इशारा किया.

रेखा चुपचाप पति के सामने बैड पर बैठ गई तो वह बोले, ”मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं. ध्यान से सुनना.’’

”क्या सुनना है, फिर कोई भविष्यवाणी किए होंगे.. दुकान में चोरी होने वाली है…घाटा लगने वाला है…छापा पडऩे वाला है…और क्या होगा?’’ रेखा मजाकिया अंदाज में बोलीं.

”यह मजाक करने का वक्त नहीं है. मैं तुम्हें गहरी बात बताने वाला हूं, वह हमारीतुम्हारी और हम सब की जिंदगी से जुड़ी है.’’ गोपाल राय बोलतेबोलते गंभीर हो गए.

”ठीक है बताइए.’’ रेखा बोली.

थोड़ी देर चुप रहने के बाद गोपाल राय धीमे स्वर में बोले, ”मैं कुछ कहूं तो तुम घबराना मत. देखो संसार में जो आया है, वह तो जाएगा ही.’’ यह कहतेकहते गोपाल राय रेखा की ओर देखने लगे. पहले तो गोपाल राय ने ऐसी बात कभी नहीं की तो फिर अब क्यों? रेखा सोच में पड़ गईं, आश्चर्य से बोलीं, ”यह सब क्यों कह रहे हैं आप?’’

”सामने यह जो मेरी जन्मपत्री पड़ी हुई है, इसे मैं ने कई बार बांचा है… और बारबार यही पाया कि मेरा अंतिम समय अब आ गया है.’’ कह कर गोपाल राय ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

रेखा ने उन का हाथ पकड़ लिया, ”आखिर आप कहना क्या चाहते हैं?’’

”रेखा, यह साल मुझ पर भारी है. सन 2024 में मैं…’’ कह कर गोपाल राय सोनी अचानक से चुप हो गए.

एकदम निशब्द की स्थिति में देख कर रेखा ने किसी तरह तसल्ली भरे लहजे में कहा, ”आप गलत भी हो सकते हो, जरूरी नहीं कि तुम्हारी गणना इस बार भी सही हो.’’

”मैं ने कई बार हिसाबकिताब लगा कर देख लिया है. मेरा 2024 में अंत निश्चित है. यही सच है. तुम्हें बताने का मतलब भी यही है कि तुम्हें मालूम होना चाहिए. कोई बात हो जाए तो हिम्मत से काम लेना है.’’ कहतेकहते गोपाल राय सोनी के चेहरे पर एक धूमिल सी मुसकराहट आ गई.

कहने को तो रेखा ने पति की भविष्यवाणी को झूठा होने की बात कह डाली थी, लेकिन भीतर से वह भी कांप गई थीं. वह चिंता से घिर गईं. पत्नी को उदास देख कर गोपाल राय बोले, ”तुम बेकार में उदास हो रही हो. अब जाने की बेला आ गई है, मुझे इस साल के बचे दिन हंसीखुशी से बिताने हैं. मैं अपनी सारी जिम्मेदारियां से मुक्त भी होना चाहता हूं. ताकि मन में कोई मलाल न रह जाए.’’

पति की बात सुन कर रेखा की आंखों में आंसू आ गए. उन की पिछली भविष्यवाणियां याद आ गईं. कई दफा अपनी कुंडली की लंबी गणना की गोपाल राय सोनी जो कुछ कहते थे, बाद में लगभग वह सच हो जाया करता था.

अपनी दिनचर्या के मुताबिक गोपाल राय सोनी रविवार 5 जनवरी, 2025 की रात 9 बजे के करीब खाना खा कर अपने ड्राइंगरूम में जा कर बैठे गए थे. सामने की खिड़की के शीशे से बाहर का कुछ हिस्सा सीलिंग लैंप की रोशनी में दिख रहा था. अचानक उन्होंने देखा कि एक शख्स दीवार फांद कर घर में घुस आया है. वह तुरंत खिड़की की तरफ गए. वहां जा कर शीशे से झांकने लगे.

कुछ नजर नहीं आया. कुछ सेकेंड बाद फिर किसी के दीवार फांदने की आवाज सुनाई दी. वह ड्राइंगरूम के मुख्य दरवाजे की तरफ गए. किंतु तब तक एक नकाबपोश व्यक्ति उन के सामने आ चुका था. गोपाल राय चिल्लाने वाले ही थे कि नकाबपोश व्यक्ति ने धारदार हथियार लहराते हुए उन्हें धक्का दे कर गिरा दिया. तभी दूसरा नकाबपोश व्यक्ति उन के सीने पर सवार हो गया. एक ने गुर्राते हुए कहा, ”सोनी सेठ, मुंह से आवाज नहीं निकालो… नहीं तो…’’

एकाएक 2 नकाबपोशों को सामने देख कर गोपाल राय की घिग्गी बंध गई थी. मगर फिर खुद को संभालते हुए कहा, ”ओह, तो तुम लोग आ गए…’’

”क्या मतलब है तेरा?’’ हथियार सीने पर टिकाए हुए एक नकाबपोश गुस्सा में बोला, ”तुम तो ऐसे बात कर रहे हो, जैसे हमें जानते हो.’’

”हां, मैं तुम्हें जानता हूं, तुम दोनों का ही मैं इंतजार कर रहा था.’’

यह सुन कर दोनों नकाबपोश व्यक्ति एकदूसरे की तरफ देखने लगे. एक ने कहा, ”सेठ, तुम बहुत धूर्त हो, चालाक बनते हो. तुम भला हमारा इंतजार क्यों कर सकते हो?’’

इस पर ज्वैलर गोपाल राय सोनी ने कहा, ”मैं तुम्हें थोड़ाथोड़ा जानता हूं, मैं ज्योतिषी भी हूं न!’’

सेठ गोपाल राय की ये बातें उन्हें बकवास लगीं. नकाबपोशों ने समझा कि वह उन्हें अपनी बातों में उलझाना चाहता है. एक ने गुस्से में बोला, ”अच्छा, खैर यह बताओ, चाबी कहां रखी है?’’

गोपाल राय अब मुसकराने लगे थे, ”तुम दोनों ही जेल जाओगे, नहीं जानते कि मैं कौन हूं. मैं तुम दोनों का एक साल से इंतजार कर रहा था. मैं यह भी जानता हूं कि तुम मुझे लूट नहीं पाओगे.’’

”तुम फालतू की बात कर रहे हो, अभी तुम्हारा काम तमाम किए देता हूं.’’ कह कर एक नकाबपोश ने धारदार चाकू लहराया.

”अरे, यहां घर पर कोई धनदौलत तो है नहीं, यहां घर में तो कुछ रखा ही नहीं है. तुम यहां से ले कर क्या जाओगे?’’

गोपाल राय की रहस्यमयी बातें सुन कर के नकाबपोश सकते में आ गए. उन्हें लगा कि गोपाल ने उन्हें पहचान लिया है और उस का जिंदा रहना उन के लिए खतरनाक होगा. एक ने गोपाल राय को कवर कर लिया, जबकि दूसरे ने पूरे घर को छान मारा. दूसरे कमरे में गोपाल राय की बीमार पत्नी रेखा गहरी नींद में सोई हुई थी. एक नकाबपोश ने जा कर उसे जगाया और धमका कर लौकर की चाबी ले ली. खोल कर देखा, वहां कुछ भी नहीं मिला तो पास में रखी अटैची को अपने कब्जे में ले लिया, जिस में दस्तावेज और दुकान की चाबियां थी.

इसी दरमियान गोपाल राय के मोबाइल पर काल आ गई. जैसे ही उन्होंने काल रिसीव करने की कोशिश की, एक नकाबपोश ने उसे रोक दिया. गुस्से से आगबबूला हो उस ने सेठ के गले पर चाकू से वार कर दिया. वह वहीं फर्श पर गिर कर तड़पने लगे. उन्हें उसी हालत में छोड़ कर दोनों नकाबपोश अटैची, सीसीटीवी का डीवीआर और घर के बाहर खड़ी क्रेटा कार को ले कर निकल भागे. उन के भागने के कुछ समय बाद ही गोपाल राय का बेटा नचिकेता घर में आया. अधखुले दरवाजे को खोलते ही सामने पापा को फर्श पर खून से लथपथ तड़पता देखा. वह घबरा गया और चिल्ला कर पड़ोसियों को बुलाया.

मम्मी रेखा बगल के कमरे में बंद थीं. नकाबपोशों ने भागने से पहले रेखा के कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी थी. रेखा देवी ने बेटे को बताया कि 2 लोग आए थे और वारदात कर भाग गए. तुरंत यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे कोरबा शहर में फैल गई. ट्रांसपोर्ट नगर में सेठ गोपाल राय पर हमला और लूट की खबर सुन कर पूरे इलाके के लोग भयभीत हो गए. गोपाल राय नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी थे. एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी थी कि घटनास्थल से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर कोतवाली थाना है. भीड़भाड़ वाली जगह होने के बाद इस तरह की घटना घटित होने पर लोग तरहतरह की आशंकाओं से घिर गए थे.

घटनास्थल पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. नेताओं का भी उन के घर आना शुरू हो गया. थोड़ी देर में सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने वहां मोर्चा संभाल लिया. एसपी सिद्धार्थ तिवारी घटनास्थल पर पहुंचे और घटना का मुआयना कर फोरैंसिक और डौग स्क्वायड को बुलावा लिया. एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने गोपाल राय सोनी के बेटे और पत्नी रेखा से बात कर उन्हें आश्वस्त किया कि आरोपियों को शीघ्र पकड़ लिया जाएगा. उसी रात यह खबर आ गई कि इलाज के दौरान घायल गोपाल राय सोनी की निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई है. इस से शहर का माहौल और भी गमगीन हो गया.

एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने तुरंत रात में ही एक टीम का गठन कर दिया. जिले के सभी थानों व पुलिस चौकी प्रभारियों को सतर्क रहने और नाकेबंदी के निर्देश दे दिए. इधर घटना इतनी संवेदनशील थी कि बिलासपुर संभागीय मुख्यालय से आईजी (जोन) डा. संजीव शुक्ला दूसरे दिन 6 जनवरी को सुबह ही घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने वहां की जांच की. सर्राफा कारोबारी मृतक गोपाल राय सोनी के बेटे नचिकेता राय सोनी ने घटना की रिपोर्ट रात 11बज कर 40 मिनट को सीएसईबी चौकी में दर्ज करवा दी थी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि रात 10 बजे जब वह घर पहुंचे, तब पोर्च में उन की हुंडई क्रेटा कार नहीं थी.

उन्होंने अपने ड्राइवर आकाश पुरी गोस्वामी को फोन कर कार के बारे में पूछा, तब ड्राइवर ने बताया कि चाबी घर में जहां रखता था, वहीं रख कर वह अपने घर आ चुका है. जिस से उसे स्पष्ट हो गया कि कथित आरोपी हत्याकांड को अंजाम देने के बाद गाड़ी ले कर फरार हो गए हैं. नचिकेता राय सोनी की रिपोर्ट पर धारा 103(1), 307, 309(4), 332(क), 333 भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जिसे बाद में सिविल लाइन थाने में ट्रांसफर कर दिया.

पुलिस ने इस हत्याकांड के परदाफाश के लिए भारतीय पुलिस सेवा तथा राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के 2-2 तथा जिले के इंसपेक्टर से ले कर कांस्टेबल स्तर के 80 तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. इन्हें 14 टीमों में विभाजित किया गया. सभी को अलगअलग कामों की जिम्मेदारी दी गई. इन टीमों में एएसपी यू. बी. एस. चौहान के अलावा आईपीएस रविंद्र कुमार मीणा, एसपी (सिटी दर्री) आईपीएस विमल पाठक, एसपी (सिटी कोरबा) भूषण एक्का शामिल थे. सारी टीमें एसपी सिद्धार्थ तिवारी के निर्देशन में काम में जुट गईं.

पुलिस के सामने गोपाल राय सोनी हत्याकांड एक अंधे कत्ल की तरह था. कोई सूत्र नहीं मिल रहा था. इसी बीच गोपाल राय की क्रेटा गाड़ी खड़ी किए जाने के स्थान पर खून के धब्बे मिले, जो फोरैंसिक टीम ने जांच के लिए भेज दिए. इस के अलावा 370 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की गई. इन फुटेजों से पुलिस को महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. फुटेज से एक व्यक्ति पहचानने में आ गया. इस आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी. जांच के बाद पुलिस ने 24 वर्षीय आकाश गिरि को हिरासत में ले लिया, जो कोरबा जिले के ही कुआंभट्टा का निवासी था. उस से पुलिस ने पूछताछ की. बातोंबातों में उस ने 23 वर्षीय मोहन मिंज के चोट के बारे में बता दिया.

पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए बुलवा लिया. जब उस से मध्यमा अंगुली में आई चोट के बारे में कड़ाई से पूछताछ की तो वह बोला कि उसे यह चोट टाइल्स कटिंग के समय लगी थी. दूसरी तरफ फोरैंसिक जांच में गोपाल राय सोनी के आवास पर मिले खून के धब्बे और मोहन मिंज के खून के सैंपल से मेल हो गया. इस पर जब उस के साथ सख्ती बरती गई, तब उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. आकाश ने बताया कि उस ने अपने भाई 28 वर्षीय सूरज गिरि और मोहन मिंज के साथ मिल कर लूट की योजना बनाई थी. वारदात के समय पहचान लिए जाने के चलते गोपाल राय की हत्या कर दी गई थी.

इस तरह लूट के लिए हत्या का खुलासा हफ्ते भर के भीतर हो गया. 12 जनवरी, 2025 को पूरे मामले के बारे में मीडिया को बता दिया गया. मोहन मिंज समेत आकाश गिरि गोस्वामी और सूरज गिरि गोस्वामी की गिरफ्तारी कर ली गई. उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

 

 

UP News : नोएडा की कोठी में पोर्न स्टूडियो

UP News : नोएडा के पौश इलाके की कोठी में चल रहे स्टूडियो में पोर्न वीडियो शूट कराने वाली मौडल को एक वीडियो के 25 हजार से एक लाख रुपए मिलते थे. एक डाक्टर की कोठी में चल रहे इस पोर्न स्टूडियो पर जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने धंधा संचालक दंपति को गिरफ्तार किया तो ऐसे चौंकाने वाले राज खुले कि…

नोएडा देश की राजधानी दिल्ली से सटा एक ऐसा शहर है, जो पिछले 2 दशकों में इतनी तेजी से विकसित हुआ कि यहां गगनचुंबी इमारतों और आलीशान कोठियों का ऐसा मायावी जाल बिछ गया कि सपनों की नगरी मुंबई शहर भी इस के सामने फीका पड़ जाए. कभी ग्रामीण दुनिया का बड़ा हिस्सा रहे  नोएडा शहर में इतनी तेजी से शहरीकरण होने के बाद जो लोग रहते हैं, उन्हें 3 श्रेणियों में बांट सकते हैं. पहले वो मजदूर तबका, जो देश के दूरदराज हिस्सों से रोजीरोटी की तलाश में नोएडा आया और इस शहर के विकास में उस ने अपना खूनपसीना लगाया. बाद में वह यहां के गांवों और सस्ती कालोनियों का बाशिंदा बन गया.

दूसरी श्रेणी उन लोगों की है, जो मध्यम श्रेणी के नौकरीपेशा या छोटेमोटे व्यवसाय करने वाले हैं. इन में भी ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो दिल्ली या एनसीआर में सरकारी और गैरसरकारी नौकरी से जुड़े हैं. देश के विभिन्न प्रांतों के रहने वाले बहुभाषी लोग हैं. ऐसे लोग आमतौर पर प्राधिकरण की बनाई कालोनियों और बिल्डर या सोसाइटी के फ्लैटों में रहते हैं. तीसरी श्रेणी है उन लोगों की जो या तो बड़े सरकारी पदों पर हैं, बड़ी कंपनियों के मालिक हैं, नोएडा की अपनी जमीनें बेच कर बने नवधनाढ्य हैं या फिर ऐसे राजनेता जिन्होंने अपनी कालीपीली कमाई से बहुत सारा पैसा कमा कर यहां आलीशान कोठियां और फार्महाउस बना लिए हैं.

आमतौर पर यही वो तीसरा वर्ग है, जो भले ही नोएडा के किसी भी हिस्से में रहता हो, लेकिन वो पुलिस, प्रशासन, आम आदमी सभी की पहुंच से दूर हैं. यह अभिजात्य वर्ग क्या करता है, उस की कमाई के क्या स्रोत हैं, उन की कोठियों में कौन लोग रहते हैं, इस बारे में कोई नहीं जानता. जाने भी तो कैसे, उन की आलीशान कोठियों के बाहर जो नेमप्लेट लगी होती है या बोर्ड लगा होता है उसी से पता चलता है कि अंदर रहने वाले की पहचान क्या है.

दरअसल, इन आलीशान कोठियों में रहने वाली अभिजात्य वर्ग की इन बड़ी हस्तियों में किस के संबंध देश और प्रदेश की सत्ता में बैठे ताकतवर नेताओं, नौकरशाहों से हैं, किसी को नहीं पता होता. पता तब चलता है जब इन महलनुमा बंगलों में रहने वाले लोगों से कोई सरकारी कर्मचारी किसी कारणवश उन की पहचान पूछने की नादानी कर देता है. तब पता चलता है कि अमुक कोठी में रहने वाले साहब की पहचान लखनऊ में पंचम तल तक है या फिर वो खुद एक बड़ा नौकरशाह है.

इसलिए इस अभिजात्य वर्ग से नोएडा शहर में प्रशासन और पुलिस दूरी ही बना कर रखते हैं. हां, यदाकदा जब कभी वीआईपी ऐसे लोगों के घर मेहमान बन कर पहुंचते हैं, तब जरूर सुरक्षा कारणों या प्रोटोकाल के चलते पुलिस और प्रशासन के अधिकारी ऐसे खास लोगों के बंगलों की चौखट के बाहर हाजिरी लगाने जाते हैं. नोएडा में रहने वाले इन वर्गों के साथ एक और भी वर्ग है, जो पिछले कुछ सालों में यहां पांव पसार चुका है. वह तीसरा वर्ग अभिजात्य वर्ग की वेशभूषा में ही रहता है, लेकिन वह इस की आड़ में कुछ ऐसे काम करता है, जिसे जानने के बाद इंसानियत भी शरमा जाए.

किस पोर्न साइट को बेचते थे वीडियो

28 मार्च, 2025 को भी नोएडा शहर के इसी अभिजात्य वर्ग की आड़ में एक ऐसे खेल का खुलासा हुआ कि इंसानियत शरमा गई और लोग यह देख कर हैरत में रह गए कि उन के शहर में ऐसा काम हो रहा था. यह मामला है नोएडा के सेक्टर-105 में बंगला नंबर सी 234 का. जिस के मालिक हैं एक नामचीन डाक्टर, उन से यह कोठी उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने पिछले कुछ सालों से किराए पर ली हुई थी. कोठी बेहद आलीशान थी. इस में रहने वाले दंपति और उन के यहां हर रोज आने वाले मेहमान महंगी गाडिय़ों में आयाजाया करते थे.

ऐसे इलाकों में पड़ोसियों तक को पता नहीं होता कि उन की बगल में रहने वाला शख्स कौन है तो फिर प्रशासन या पुलिस को कैसे पता होगा कि इस महलनुमा कोठी में कौन रहता है. वैसे भी इस कोठी में रहने वाले उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव किसी से ज्यादा वास्ता नहीं रखते थे. उन की पहचान भी 28 मार्च को तब पता चली, जब तड़के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम स्थानीय पुलिस को ले कर इस कोठी पर पहुंची.

ऐसी आलीशान कोठी में ईडी की टीम का पहुंचना और करीब 25 घंटे तक वहां तलाशी अभियान चला कर कोठी में रहने वाले और मौजूद लोगों से पूछताछ करने से लोगों में कौतूहल बढ़ गया. खबरनवीसों और खबरिया चैनलों के नुमाइंदे कोठी के गेट पर आ डटे. आखिरकार 24 घंटे बाद पता चला कि उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने इस कोठी को उस के मालिक डाक्टर से किराए पर लिया हुआ था. दंपति यहां पोर्न साइट के लिए वीडियो शूट कराता था. इस के बाद वीडियो को साइप्रस की एक कंपनी को बेचता था, जो अंतरराष्ट्रीय पोर्नोग्राफी साइटों को होस्टिंग सेवा प्रदान करती है.

ईडी ने इस कोठी में यह काररवाई एक लंबी पड़ताल और निगरानी के बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की थी. चूंकि ईडी के कामकाज की शैली बेहद गोपनीय ढंग से होती है और जांच के तथ्यों को मीडिया से भी बहुत ज्यादा सार्वजनिक नहीं किया जाता, लेकिन इस के बावजूद एजेंसी द्वारा प्रस्तुत जानकारी में जो कहानी सामने आई, वो बेहद दिलचस्प और साथ ही शर्मसार व हैरान कर देने वाली थी.

ईडी की यह जांच सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के खिलाफ की जा रही थी. इस कंपनी के मालिक उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव हैं, जो कथित तौर पर साइप्रस स्थित कंपनी टेक्नियस लिमिटेड के लिए अपने घर से एक वयस्क वेबकैम स्ट्रीमिंग स्टूडियो चलाते थे. टेक्नियस लिमिटेड एक्समास्टर और स्ट्रिपचैट जैसी पोर्नोग्राफी वयस्क वेबसाइटें चलाती है, जो भारत में प्रतिबंधित हैं.

ईडी को कैसे हुआ शक

अब जानते हैं कि अचानक ईडी को इन पर शक कैसे हुआ? दरअसल, ईडी की टीमें विदेशों से लोगों के बैंक खातों में आने वाले धन व उस के स्रोतों की निगरानी करती है और शक होने पर लगातार निगरानी करती है. उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने अपने बैंक खातों में आने वाले विदेशी धन के बारे में बैंकों को गलत जानकारी दे रखी थी कि उन्हें विज्ञापन, मार्केट रिसर्च और जनमत सर्वेक्षण जैसे कार्यों के लिए यह धन प्राप्त होता है.

सबडिजी वेंचर्स और इस के निदेशकों को नियमित रूप से विदेशी धनराशि प्राप्त होने की जानकारी सामने आने के बाद जब खातों की आगे की जांच की गई तो पता चला कि जिस फंड को विज्ञापन, मार्केट रिसर्च और जनमत सर्वेक्षण जैसी सेवाओं के बहाने लिया जा रहा था, वो काम तो कहीं था ही नहीं. ये फंड्स वास्तव में एक्समास्टर पोर्न वेबसाइट पर स्ट्रीम किए गए अश्लील कंटेंट के बदले मिल रहे थे. लेकिन शक के चलते ईडी ने दंपति के निजी और कंपनी के खातों के ट्रांजैक्शन की जांच की तो पता चला कि साइप्रस स्थित कंपनी टेक्नियस लिमिटेड के खाते से नीदरलैंड में एक बैंक खाते में भी करीब 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे.

आश्चर्य की बात यह थी कि ये विदेशी बैंक खाते में प्राप्त इस फंड को अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड की मदद से दिल्ली और एनसीआर की अलग अलग लोकेशन में बैंक व डेबिट कार्ड के जरिए या तो विड्रा किया गया अथवा भारत में अलगअलग खातों में छोटीछोटी रकमें ट्रांसफर की गईं. इन सभी खातों के ट्राजैक्शन देख ईडी की टीम का माथा ठनका और फिर कंपनी के कामकाज से ले कर उन के बैंक खातों पर बारीकी से निगरानी रखी जाने लगी.

जांच जैसेजैसे आगे बढ़ी, वैसेवैसे ईडी के अफसरों का ये शक यकीन में बदलने लगा कि सबडिजी वेंचर्स और उसे चलाने वाले उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव कुछ तो ऐसा धंधा कर रहे हैं, जिस में कानूनों को ताक पर रखा जा रहा है.  बस, फिर क्या था, ईडी के अफसरों ने विदेशी फंडिंग की निगरानी के साथ एक टीम को कोठी नंबर 234 की निगरानी के काम टीम पर लगा दिया. टीम लगातार वहां आनेजाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने लगी. टीम को पता चला कि कोठी के अंदर सबडिजी कंपनी के संचालक पोर्न साइट के लिए एडल्ट कंटेंट तैयार कर विदेश में भेजते हैं, जिस के बदले उन्हें विदेश से फंड मिल रहा था.

बस फिर क्या था, 28 मार्च, 2025 को ईडी की टीम ने सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के औफिस कोठी नंबर 234 पर छापा मारा. कंपनी के डायरेक्टर उज्जवल किशोर और नीलू श्रीवास्तव को दबोच लिया गया. दंपति कोठी के अंदर अवैध रूप से स्टूडियो बना कर पोर्न वीडियो शूट करा रहे थे. कोठी के अंदर ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान कुछ मौडल भी मिलीं, जो इन वीडियो में दिखाई दे रही थीं. ईडी की टीम ने उन के भी बयान दर्ज किए. करीब 24 घंटे की पड़ताल के बाद ईडी ने घर से मिले सभी दस्तावेजों और अश्लील कंटेट को अपने कब्जे में ले कर पूरे स्टूडियो को सील कर दिया गया.

ईडी की टीम उज्जवल किशोर व उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर अपने साथ दिल्ली ले गई. तब तक मीडिया में कोठी नंबर 234 में पोर्न साइट के लिए चल रहे पोर्न स्टूडियो की जानकारी जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी. अफवाह यहां तक फैल गई कि बौलीवुड से ले कर छोटे परदे पर काम करने वाली बहुत सारी सहअभिनेत्रियां भी पोर्न स्टूडियो से जुड़ी थीं और न्यूड कंटेट तैयार कराने व मोटा पैसा कमाने के लिए वहां आती थीं. लेकिन इन अफवाहों में कितना दम है, ईडी ने इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की.

हालांकि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि अब तक कंपनी और उस के निदेशकों के बैंक खातों में विदेशों से 15.66 करोड़ रुपए का आदानप्रदान हुआ है. इस धनराशि को कई खातों में घुमाया गया. जांच में यह भी पता कि उज्जवल किशोर व उस की पत्नी की जो कमाई होती थी, उस का 75 फीसदी अपने पास और शेष मौडलों को देते थे.

मौडल को मिलते थे 1 से ले कर 5 लाख रुपए

पोर्न साइट्स को अश्लील वीडियो उपलब्ध कराने वाली कंपनी सबडिजी के डायरेक्टर उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद जब गहन पूछताछ हुई तो कई अहम जानकारी भी सामने आई. पता चला कि नोएडा की किराए की इस कोठी में चल रहे इस अश्लील स्टूडियो में महज 4 घंटे में अश्लील वीडियो तैयार होते थे.

जब स्थानीय लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अकसर दिन में 2 से 3 महिला मौडल कोठी पर आती थीं और करीब 4 घंटे बाद वापस चली जाती थीं. मतलब साफ है कि अश्लील कंटेंट का एक हिस्सा करीब 4 घंटे में शूट होता था. ज्यादातर मौडल सुबह 11 से दोपहर 1 बजे के बीच कोठी पर आती थीं. दंपति आसपास के लोगों से संबंध नहीं रखते थे, ऐसे में पड़ोसियों ने कभी कोठी में होने वाली गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया. स्थानीय लोगों को लगता था कि दंपति विदेश में रहने के बाद वापस लौटे हैं तो जो महिलाएं उन से मिलने आती हैं, वह उन की जानकार ही होंगी.

जांच में यह बात भी सामने आई है कि किराए पर लिए दोमंजिला कोठी के ऊपरी हिस्से में दंपति ने जो स्टूडियो बनाया हुआ था, वहां औडिशन के नाम पर महिला मौडलों को बुला कर अश्लील और न्यूड कंटेंट बनाने का काम होता था. पोर्न साइट के धंधे का नेटवर्क साइप्रस के अलावा यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में भी है. वहां पर भी मौडल की एडल्ट वेबकैम पर वीडियो शूट कराई जाती है. छापेमारी के दौरान ईडी की टीम को लाखों की नकदी और केस से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण सुराग मिले. गिरफ्तार उज्जवल किशोर व नीलू साइप्रस की जिस पोर्न कंपनी के लिए पोर्न कंटेंट बना कर वेबसाइट पर चलाते थे, उन के बारे में ईडी के अधिकारी और जानकारी जुटा रहे हैं.

प्राथमिक जांच में पता चला है कि मौडल्स लड़कियां सोशल मीडिया पेज के माध्यम से आरोपियों से संपर्क करते थे. इस के लिए फेसबुक पर एक पेज बनाया गया था. धंधा जब चल निकला तो दंपति ने इंस्टाग्राम और वाट्सऐप समेत अन्य प्लेटफार्म पर भी इस का विस्तार किया. ज्यादातर मौडल दिल्ली-एनसीआर की होती थीं. नीलू श्रीवास्तव अपने सहयोगियों के साथ मिल कर लड़कियों को बतातीं कि एक पोर्न साइट के लिए उन का चयन किया जा रहा है. उन्हें महीने में 4 से 5 शूट करने होंगे और बदले में 1 से 4 लाख रुपए तक की कमाई होगी.

कमाई शूट के आधार पर 4 से 5 कैटेगरी में बंटी थी. वीडियो शूट के लिए हाफ फेस शो, फुल फेस शो और न्यूड जैसी करीब 5 कैटेगरी थीं. यानी इस सिंडिकेट में लड़कियों के लिए अलगअलग काम होता था. लड़कियां जिस हिसाब से ऐक्ट करती थीं, उसी के हिसाब से रकम दी जाती थी. जैसे हाफ फेस शो (आधा चेहरा दिखना), फुल फेस शो (पूरा चेहरा दिखना), न्यूड (पूरी तरह नग्न) कैटेगरी होती थी. उन्हें यह भी बताया जाता था कि ये पोर्न वीडियो भारतीय नहीं, विदेशी साइट पर अपलोड किए जाएंगे. जाहिर है फुल फेस शो और न्यूड कैटेगरी के लिए मौडल्स को ज्यादा पैसा दिया जाता था.

विदेशों से जो रकम आरोपियों और कंपनी के खाते में आती थी, उसी में से करीब 25 प्रतिशत तक का भुगतान मौडल्स और स्टूडियो में काम करने वाले लोगों को दिया जाता, बाकी का हिस्सा आरोपी दंपति अपने पास रखते थे. वीडियो शूट होने के बाद आरोपी दंपति सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई वेबसाइट पर वीडियो अपलोड करते थे. जांच में पता चला है कि इस रैकेट का सरगना पहले रूस के सैक्स सिंडिकेट का हिस्सा रह चुका है. इस के बाद भारत में पत्नी के साथ आपत्तिजनक सामग्री का रैकेट शुरू किया.

आरोपी दंपति ने गलत तरीके से ‘पर्पज कोड’ दे कर अपने बैंक खातों में विदेशी पैसा लिया. इन दोनों ने बैंकों को विज्ञापन,  मार्केट रिसर्च से ले कर जनमत संग्रह के नाम पर गलत तरीके से पर्पज कोड दिए थे. दरअसल, पर्पज कोड एक विशिष्ट कोड होता है, जो किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है. यह कोड अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए लेनदेन की प्रकृति को स्पष्ट करता है.

ईडी अब आरोपियों के बैंक खातों और मोबाइल डेटा की गहन जांच कर रही है. इस रैकेट के पीछे और कौनकौन लोग शामिल हैं, इस का पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है. इस मामले की जांच नोएडा स्थित कंपनी सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और उस के प्रमोटर्स के खिलाफ की जा रही है. इस के अलावा ईडी की टीम अब पोर्न स्टूडियो के देशव्यापी लिंक ढूंढने का प्रयास कर रही है.

 

 

Gujarat News : 3 गुने का लालच दे कर ले उड़े 6 हजार करोड़

Gujarat News : 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीजेड कंपनी में 11 हजार लोगों से 6 हजार करोड़ रुपए जमा कर के ठगी की. आखिर हजारों लोग किस तरह फंसते गए इस शातिर के जाल में? पढ़ें, कई हजार करोड़ के स्कैम की यह चौंकाने वाली कहानी…

नवंबर के दूसरे सप्ताह में गुजरात की सीआईडी पुलिस को जानकारी मिली कि हिम्मतनगर, अरवल्ली, मेहसाणा, गांधीनगर बड़ौदा आदि जिलों में बीजेड नाम की संस्था द्वारा पोंजी स्कीम चला कर लोगों को बेवकूफ बना कर उन से पैसा जमा कराया जा रहा है. इस के बाद सीआईडी के एडिशनल डीजीपी राजकुमार पांडियन के निर्देश पर सीआईडी टीम ने 26 नवंबर, 2024 को उक्त 5 जिलों में छापा मारा, जिस में बीजेड ग्रुप के औफिसों से पोंजी स्कीम के डाक्यूमेंट और वहां काम करने वाले कुछ लोग मिले. इसी के साथ रुपए जमा कराने वाला एक एजेंट आनंद दरजी भी मिला. छापे के दौरान टीम ने 16 लाख रुपए नकद, कंप्यूटर, फोन, डाक्यूमेंट आदि जब्त किए.

इन सभी लोगों से पूछताछ में पता चला कि यह पोंजी स्कीम साल 2020-21 से चलाई जा रही थी. इस का मुख्य सूत्रधार यानी कर्ताधर्ता भूपेंद्र सिंह झाला है, जिस का मेन औफिस गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील तालोद के रणासण में है. इस संस्था के औफिस हर जिले में हैं. यह भी पता चला कि इस के टारगेट अध्यापक और रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

 

ऐसे लोगों को मौखिक रूप से लालच दिया जाता था कि उन के यहां इनवेस्टमेंट करने पर उन्हें एक साल बाद 36 प्रतिशत रिटर्न दिया जाएगा. जबकि एग्रीमेंट में 7 प्रतिशत ही बताया जाता था. इस के अलावा इनवेस्ट करने वालों को गिफ्ट में मोबाइल फोन, टीवी आदि भी दिए जाते थे. साथ ही रुपए इनवेस्ट कराने वाले एजेंटों को भी अच्छा इंसेटिव 5 प्रतिशत से ले कर 25 प्रतिशत तक दिया जाता था.

बीजेड ग्रुप का सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला और बाकी के तमाम कर्मचारी फरार हो गए थे. सीआईडी ने बीजेड के औफिसों से जो डाक्यूमेंट जब्त किए थे, उन की जांच से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला की इन स्कीमों में लोगों का थोड़ा पैसा नहीं लगा, बल्कि लगभग 6 हजार करोड़ रुपए लगे हैं यानी यह बहुत बड़ी ठगी थी. लोगों को उल्लू बना कर भूपेंद्र सिंह ने उन के 6 हजार करोड़ रुपयों की ऐसीतैसी कर दी थी. लोगों को लालच दे कर उन के जीवन भर की कमाई हड़प कर वह खुद मजे की जिंदगी जी रहा था.

ऐसे गिरफ्त में आया मास्टरमाइंड

तब सीआईडी की टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए छापे मारने लगी. लगभग डेढ़ महीने की दौड़भाग के बाद सीआईडी के डीसीपी चैतन्य मांडलिक की टीम भूपेंद्र सिंह के भाई रणजीत झाला का पीछा करते हुए हिम्मतनगर के ग्रोमोर गांव पहुंची. वहां जा कर पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला मेहसाणा भाग गया है. इस के बाद सीआईडी टीम को सूचना मिली कि भूपेंद्र सिंह मेहसाणा के दवाडा गांव में छिपा है. इस सूचना पर सीआईडी की टीम दवाडा गांव पहुंच गई, पर टीम को यह पता नहीं था कि भूपेंद्र सिंह किस के यहां छिपा है. तब कई टीमों ने सर्च औपरेशन शुरू किया. पर वह गांव में नहीं मिला.

पुलिस को पक्की खबर मिली थी कि भूपेंद्र सिंह दवाडा गांव में ही छिपा है, इसलिए पुलिस ने उसे खेतों में भी तलाशना शुरू किया. आखिर एक फार्महाउस में भूपेंद्र सिंह झाला मिल गया. सीआईडी की टीमों ने उसे घेर कर हिरासत में ले लिया.

राजनीति की डगर पर क्यों रखा कदम

भूपेंद्र सिंह झाला को हिरासत में लेने के बाद उसे स्पैशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 7 दिनों की रिमांड पर ले लिया. सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि बीजेड कंपनी की अलगअलग 18 शाखाओं में रुपए जमा कराए गए थे. उन रुपयों से कौनकौन सी संपत्ति किस के नाम खरीदी गई, इस की जांच करनी है. इस के अलावा भूपेंद्र सिंह ने जो 8 कंपनियां बनाई थीं, उन का हिसाब करना है. एक शाखा से 52 करोड़ रुपए का हिसाब मिला, वे रुपए रिकवर करने हैं.

भूपेंद्र सिंह झाला के पास 10 करोड़ रुपयों का कारों का काफिला है, इन कारों को खरीदने का पैसा कहां से आया, कारें किस के नाम से खरीदी गई हैं, इस की जांच करनी है. वकील ने यह भी बताया कि भूपेंद्र सिंह झाला एक महीने से फरार था, इस बीच वह कहांकहां रहा, उस की किसकिस ने मदद की, इस की भी जांच करनी है. भूपेंद्र सिंह ने एक साल में 17 संपत्तियां खरीदी हैं. इस के अलावा गुजरात के बाहर कितनी संपत्ति खरीदी गई है, यह भी पता करना है. सरकारी वकील की इन्हीं बातों को सुन कर कोर्ट ने उस की 7 दिनों की रिमांड मंजूर की थी.

भूपेंद्र सिंह झाला के खिलाफ सीआईडी ने जीपीआईडी (गुजरात प्रोटेक्शन इंटरेस्ट औफ डिपौजिटर्स) के अंतर्गत मामला दर्ज किया था. इस के अंतर्गत 5 साल तक की कैद और 10 लाख रुपए तक के जुरमाने का प्रावधान है. यहां सोचने वाली बात यह है कि लोगों का करोड़ों रुपए हजम कर जाने वाले को 5 साल ही जेल में रहना होगा. जिस ने लोगों के करोड़ों रुपए ले लिए हों, उस के लिए 10 लाख रुपए के जुरमाने की क्या अहमियत है.

गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम से करीब 6 हजार करोड़ रुपए की ठगी करने वाले मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह झाला से पुलिस ने पूछताछ की तो जानकारी मिली कि भूपेंद्र सिंह झाला भाजपा से जुड़ा हुआ है. गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम चला कर हजारों करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले भूपेंद्र सिंह ने जीरो से 6 हजार करोड़ का साम्राज्य आखिर कैसे स्थापित किया?

गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील हिम्मतनगर के रायगढ़, झालानगर का रहने वाले 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीएससी, एमएड करने के बाद वकालत की पढ़ाई की और फिर वह फोरेक्स ट्रेडिंग की एक प्राइवेट कंपनी के औफिस में नौकरी करने लगा. तब वह अलगअलग लोगों से अलगअलग तरह से पैसे जमा कराता था. बाद में वह खुद भी अन्य लोगों से क्रिप्टो करेंसी में रुपए इनवैस्ट कराने लगा. उस ने अलगअलग लोगों से रुपए उधार ले कर करीब 9 करोड़ रुपए क्रिप्टो करेंसी में लगा दिए.

4 कंपनियां, 5 बैंक और 20 अकाउंट

भूपेंद्र सिंह झाला ने ये 9 करोड़ रुपए वाईएफआई कोइन में लगाए थे, जिस के प्रौफिट के रूप में उसे 9 करोड़ रुपए मिले थे. इस रकम से उस ने उधार लिए गए 9 करोड़ रुपए लौटा दिए. सभी के रुपए अदा करने के बाद उसे करीब करोड़ों रुपए का प्रौफिट हुआ था, इसलिए उसे यह धंधा फायदे का नजर आया.

इतना मोटा प्रौफिट होने के बाद भूपेंद्र सिंह ने नौकरी छोड़ दी और अपना अलग धंधा शुरू किया. अपना धंधा करने के लिए उस ने साल 2020 में 4 अलगअलग नामों से कंपनियां खोलीं. उन कंपनियों का नाम रखा बीजेड फाइनेंस, बीजेड प्रौफिट प्लस, बीजेड मल्टी ट्रेड ब्रोकिंग और बीजेड इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड. चारों कंपनियों में पहली 2 कंपनियों का मालिक वह खुद था, जबकि तीसरी और चौथी कंपनी के रजिस्ट्रैशन उस ने पार्टनरशिप में कराया था.

कंपनी शुरू होने बाद अब लोगों से रुपए जमा कराने थे. उस रुपए का ट्रांजेक्शन हो सके, इस के लिए उस ने एक बैंक में कंपनी के नाम से 4 अकाउंट खुलवाए. इतना ही नहीं, इसी तरह उस ने 5 प्राइवेट बैंकों में कुल 20 अकाउंट खुलवाए. इस तरह भूपेंद्र सिंह झाला ने एक तरह से चेन मार्केटिंग जैसी मोडस आपरेंडी अपनाई. भूपेंद्र सिंह झाला ने लोगों से पैसा वसूलने के लिए अलगअलग लेयर बना रखे थे. लेयर के अनुसार रुपए जमा कराने वालों को कमीशन दिया जाता था. 5 लेयर में रुपए जमा करने की पूरी चेन चलती थी. 5 लेयर पूरी होने के बाद सब से पहले रुपए जमा कराने वाले को मिलने वाला कमीशन बंद हो जाता था.

अगर पहली बार रुपए जमा कराने वाले को अपना कमीशन चालू रखना होता था तो उसे फिर से नए लोगों से रुपए जमा कराने होते. पांचवें व्यक्ति तक यह चेन चलती रहती थी. जमा कराया गया रुपया जब तक वापस नहीं हो जाता था, यानी जब तक उस का समय पूरा नहीं हो जाता था, तब तक कमीशन की रकम मिलती रहती थी. धंधे की शुरुआत करने से पहले ही भूपेंद्र सिंह झाला ने 5 प्राइवेट बैंकों में 20 अकाउंट खुलवा रखे थे. यह था उस का मनी सर्कुलेशन का फार्मूला. इसी फार्मूले के आधार पर वह रुपए जमा कराने वालों को मोटी रकम ब्याज से देता था. अनेक गिफ्ट भी देता था और खुद भी रईसों वाली जिंदगी जी रहा था.

भूपेंद्र सिंह झाला पहली बैंक के अकाउंट में एक करोड़ रुपए पूरे एक महीने के लिए जमा कराता था. उस खाते में एक महीने बाद जो ब्याज आता था, उसे निकाल कर एक करोड़ रुपए को उसी बैंक के दूसरे अकाउंट में जमा करा देता था. एक महीने बाद दूसरे अकाउंट में जमा कराई रकम का एक करोड़ का एक महीने का ब्याज वह निकाल कर उस एक करोड़ की रकम को तीसरे अकाउंट में जमा करा देता था. इस तरह 5 बैंकों के 20 अकाउंटों में हमेशा एक करोड़ की रकम घूमती रहती थी. इस पद्धति को मनी सर्कुलेशन भी कहा जाता है.

मनी सर्कुलेशन का खेल अच्छी तरह से जान लेने के बाद भूपेंद्र सिंह झाला अलगअलग 20 स्टेप में अलगअलग बैंकों में मनी सर्कुलेशन करता रहता. इस ट्रांजेक्शन से मिलने वाले ब्याज की रकम वह रुपया जमा कराने अपने इनवैस्टर्स को अच्छा ब्याज और महंगे गिफ्ट के रूप में देता था. जो लोग बड़ी रकम जमा कराते थे, उन्हें वह 3 प्रतिशत महीना

की दर से ब्याज देता था और छोटी रकम वालों को डेढ़ प्रतिशत महीना की दर से ब्याज देता था. भूपेंद्र सिंह झाला जिस तरह लोगों से कैश में रुपए लेता था, उसी तरह ब्याज भी कैश में देता था. इस कैश का किसी के पास कोई हिसाब न रहे अथवा किसी कानूनी काररवाई में न फंस जाए, इस के लिए वह जरूरत पडऩे पर अपने स्कूल के स्टाफ के अकाउंट में रुपए जमा कर के उन से कैश ले लेता था. स्टाफ के बैंक अकाउंट में जो रकम जमा कराता था, उस का टीडीएस झाला अदा कर देता था.

भूपेंद्र सिंह झाला की गिरफ्तारी होने के साथ ही सीआईडी के इकोनौमिक सेल में लोगों की चहलपहल बढ़ गई थी. औफिस में ज्यादातर भीड़ ऐसे लोगों की देखने को मिल रही थी, जो भूपेंद्र सिंह झाला की ठगी का शिकार हुए थे.

आम लोगों से ले कर खास तक ऐसे फंसे उस के जाल में

जांच में यह भी सामने आया है कि केवल आम लोग और टीचर ही इस घोटाले का शिकार नहीं हुए, बल्कि 3 क्रिकेटर भी भूपेंद्र सिंह झाला की इस ठगी का शिकार हुए 2 क्रिकेटरों ने क्रमश: 10 और 25 लाख रुपए भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में जमा कराए थे तो तीसरे क्रिकेटर शुभमन गिल ने एक करोड़ से अधिक की रकम जमा कराई थी. ये क्रिकेटर एजेंट द्वारा फंसाए गए थे. पुलिस उन एजेंटों की तलाश में जुट गई.

भूपेंद्र सिंह झाला ने अपनी कंपनी में इनवैस्ट करने के लिए साल 2020 में सब से पहले एक टीचर को अपने जाल में फंसाया था. मोडासा के एक स्कूल में नौकरी करने वाले उस टीचर को उस ने एक साल में पूरी होने वाली 10 लाख रुपए की एक स्कीम बताई. 10 लाख रुपए की उस स्कीम में हर महीने 3 प्रतिशत ब्याज देने की बात बताई. एक साल तक लगातार ब्याज देने के बाद भूपेंद्र सिंह ने उस अध्यापक के 10 लाख रुपए वापस कर दिए थे. इस के अलावा बढ़ा हुआ ब्याज भी दिया था.

इस तरह अध्यापक को अपनी मूल रकम के साथ ब्याज तथा एक साल बढ़ा हुआ ब्याज मिला तो उसे भूपेंद्र सिंह झाला पर विश्वास हो गया. तब उसने अन्य अध्यापकों को भी उस की स्कीम में रुपए जमा कराने की सलाह दी. इस तरह धीरेधीरे भूपेंद्र सिंह झाला का धंधा बढऩे लगा. पुलिस ने उस अध्यापक का भी बयान दर्ज किया है, जिस ने सब से पहले भूपेंद्र सिंह झाला की कंपनी में रुपए जमा कराए थे और अन्य अध्यापकों को रुपए जमा करने की सलाह दी थी. सीआईडी जब भूपेंद्र सिंह झाला के औफिस में जांच करने पहुंची थी, झाला ने उस के पहले ही अपनी वेबसाइट बंद करने के साथ सारा डाटा डिलीट कर दिया था. पुलिस अब उस डाटा को रिकवर करने का प्रोसेस कर रही है.

फिर भी जानकारी मिली है कि भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में सब से अधिक साल 2021 में 6.5 करोड़ रुपए जमा हुए थे. भूपेंद्र सिंह झाला की इस स्कीम में रुपए जमा करने वाले लगभग 11,200 लोग शामिल हो गए थे. मात्र 30 साल का अविवाहित भूपेंद्र सिंह झाला तब लोगों के बीच चर्चा में आया था, जब उस ने पिछले (2024) लोकसभा चुनाव में साबरकांठा से भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय पर्चा भर दिया था. लेकिन फिर अपना नौमिनेशन वापस ले लिया था. तब भाजपा के एक बड़े नेता ने मोडासा की एक सभा में कहा था कि भूपेंद्र सिंह झाला ने उन के कहने पर अपना नाम वापस लिया था.

भूपेंद्र सिंह झाला ने नौमिनेशन के समय जो एफिडेविट दिया था, उस के अनुसार परिवार में पिता परबत सिंह और मां मधुबेन हैं. घोटाले का खुलासा होने के बाद उस के फरार होने से रायगढ़ के झालानगर में स्थित उस की राजमहल जैसी कोठी सुनसान थी. कोठी के सामने लग्जरीयस कारें खड़ी थीं. शपथपत्र के अनुसार लोकसभा के चुनाव तक उस के खिलाफ किसी भी तरह का कोई मुकदमा दर्ज नहीं था.

भूपेंद्र दुबई में क्यों बनाना चाहता था ठगी का अड्डा

बीजेड समूह की ब्रांचों में पुलिस द्वारा छापा मारने से गुजरात के ऐसे राजनेताओं में खलबली फैल गई है, जिन का भूपेंद्र के बीजेड समूह से सीधा संबंध था. एक का डबल करने की बात कह कर अभी तक ठगी करने की बात सामने आती रही है, पर भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में एक का 3 करने की बात कही जा रही थी. इस स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों और टीचर्स को लालच दे कर उन से रुपए जमा कराए जा रहे थे. पर यह आधा सच है. भूपेंद्र सिंह की स्कीम में तमाम नेता और पुलिस अफसर अपनी काली कमाई जमा करा रहे थे. सुनने में तो यह भी आया कि झाला की स्कीम में कुछ डाक्टरों ने भी रुपए इनवैस्ट कराए थे.

ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना था कि झाला को ब्याज से अधिक कमाई क्रिप्टो करेंसी से होती थी. उस का धंधा इतना अधिक फूलाफला था कि कुछ समय पहले आणंद में ब्राच खोलने के साथ ही वह दुबई में औफिस खोलने की सोच रहा था. भूपेंद्र के साथ उस के कुछ पार्टनर भी थे, जो जमा रकम को व्यवस्थित करते थे. जमा रकम क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर होती थी. भूपेंद्र सिंह दुबई में इसलिए शिफ्ट होना चाहता था, क्योंकि दुबई में यह काम गैरकानूनी नहीं माना जाता.

बीजेड समूह के सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला को मुंबई में आयोजित बीआईएए बौलीवुड कार्यक्रम में बौलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने अवार्ड दे कर सम्मानित भी किया था. जबकि भूपेंद्र सिंह झाला ने सोनू सूद को हाथ की बनी उन की तसवीर भेंट की थी. गुजरात में बायड के विधायक धवल सिंह का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिस में वह एक तरह से भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम का प्रचार करते हुए कह रहे हैं कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिसे रुपए डबल करना आता है, वह सब कुछ कर सकता है.

भूपेंद्र सिंह झाला के गिरफ्तार होने से पहले सीआईडी ने बीजेड पोंजी स्कीम में जिन 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, अहमदाबाद की ग्रामीण कोर्ट ने उन की जमानत की अरजी को कैंसिल करते हुए सभी को जेल भेज दिया था. सरकारी वकील ने उन की जमानत देने के खिलाफ दलील दी थी कि यह कुल 6 हजार करोड़ का स्कैम है, जिस में पता चला है कि शुरुआत में 1.09 करोड़ रुपए एजेंट मयूर दरजी ने वसूल किया है. वर्तमान जांच में 360 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है. हिम्मतनगर के औफिस की डायरी में 52 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है.

ठगी की रकम से खरीदी प्रौपर्टी

इस मामले में आरोपियों के वकील का कहना था कि आरोपी बीजेड कंपनी में काम करने वाले चपरासी या औफिस बौय हैं. उन का इस ठगी से कोई लेनादेना नहीं है. पुलिस मुख्य आरोपी को नहीं पकड़ सकी थी, इसलिए इन्हें पकड़ लिया था. जबकि सरकारी वकील का कहना था कि बीजेड कंपनी में आरोपी राहुल राठौर 10 हजार रुपए महीने के वेतन पर नौकरी करता था तो उस के बैंक खाते में 10,91,472 रुपए का बैलेंस और 17.40 लाख रुपए के लेनदेन की हिस्ट्री क्यों मिली है?

आरोपी विशाल झाला को 12,500 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन इस के अकाउंट में भी 19, 77,676 रुपए जमा मिले. 19 करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ था. साथ ही एक करोड़ 85 लाख ट्रांसफर भी हुए थे. आरोपी रणबीर चौहाण 12 हजार रुपए महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के खाते से 13,35,000 रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ था. आरोपी संजय परमार 7 हजार रुपए मासिक वेतन पर सफाई का काम करता था. उस के खाते में 4,54,000 रुपए जमा थे. इस के अलावा 1.56 करोड़ रुपए का लेनदेन तथा 60 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे.

आरोपी दिलीप सोलंकी 10 हजार महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के अकाउंट में 10,072 मिले और 1.20 करोड़ रुपए का लेनदेन मिला. आरोपी आशिक भरथरी 7 हजार रुपए पर सफाई का काम करता था. उस के अकाउंट में 8,400 रुपए मिले और 44.98 लाख का हेरफेर तथा 8,04,620 रुपए का ट्रांजैक्शन मिला. सरकारी वकील की इन्हीं दलीलों पर अदालत ने सभी आरोपियों को जमानत देने से मना कर दिया था.

बीजेड कंपनी की आमदनी से खरीदी गई संपत्ति में मोडासा में 10 बीघा जमीन, साकरिया गांव में 10 बीघा जमीन, लिंभोई गांव में 3 बीघा जमीन, हिम्मतनगर के रायगढ़ में 5 दुकानों का एक कौंप्लेक्स, हडियोल गांव में 10 दुकानें, ग्रोमोर कैंपस के पीछे 4 बीघा जमीन हिम्मतनगर के अडपोदरा गांव में 5 बीघा जमीन, तालोद के रणासण गांव में 4 दुकानें, मोडासा चौराहे पर एक दुकान, मालपुरा में एक दुकान की जानकारी मिली.

ठगी से जुटाई गई रकम वापस करने के लिए पुलिस ने तमाम संपत्ति जब्त करने की काररवाई शुरू कर दी है. यह काररवाई पूरी हो जाने के बाद सरकार के आदेश पर जब्त की गई संपत्ति नीलाम कर के लोगों का पैसा वापस किया जाएगा. सीआईडी कथा लिखने तक बीजेड के औफिसों से जब्त किए गए 250 करोड़ रुपए लोगों को दे चुकी थी. अभी 172 करोड़ रुपए और देने हैं, जो नीलामी की रकम से दिए जाएंगे.

 

Social Crime : बीटेक छात्रा से रेप करने के बाद सबूत मिटाने के लिए कपड़े और फोन को जलाया

Social Crime : अपराधी प्रवृत्ति का राहुल हत्या और बलात्कार के मामले में पकड़ा गया और उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन वह पैरोल पर आ कर भाग निकला. उस ने कई लड़कियों के साथ व्यभिचार किया और उन्हें मार डाला. ऐसे खतरनाक अपराधी…

झारखंड की राजधानी रांची स्थित सीबीआई कोर्ट के जज ए.के. मिश्र की अदालत में 22 दिसंबर, 2019 को कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. वकीलों के अलावा कुछ अन्य लोग भी अदालत की काररवाई शुरू होने से पहले कोर्टरूम में पहुंच चुके थे. अदालत परिसर में तमाम मीडियाकर्मी भी थे. दरअसल, उस दिन रांची के बहुचर्चित बीटेक की छात्रा माही हत्याकांड का फैसला सुनाया जाना था. करीब 3 साल पहले हुई हत्या की यह वारदात काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रही थी. जब थाना पुलिस इस केस को नहीं खोल सकी तो यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम की टीम ने लंबी जांच के बाद न सिर्फ इस केस का परदाफाश किया, बल्कि आरोपी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज उर्फ आर्यन उर्फ रौकी राज उर्फ अमित उर्फ अंकित को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.

पता चला कि रेप की वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो जाता था या नाम बदल कर कहीं दूसरी जगह रहने लगता था. इस तरह वह एकदो नहीं, बल्कि 10 लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था. एक तरह से वह साइको किलर बन चुका था. इस वहशी दरिंदे के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में केस चल रहा था. सीबीआई की ओर से इस मामले में 30 गवाह पेश किए गए थे. जज ए.के. मिश्र ने तमाम गवाह और सबूतों के आधार पर 30 अक्तूबर, 2019 को छात्रा माही हत्याकांड में आरोप तय करते हुए राहुल कुमार को दोषी ठहराया. उन्होंने सजा सुनाए जाने के लिए 22 दिसंबर, 2019 का दिन निश्चित किया.

सीबीआई की विशेष अदालत में 22 दिसंबर को जितने भी लोग बैठे थे, उन सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि जज साहब साइको किलर राहुल कुमार को क्या सजा सुनाएंगे. इस वहशी दरिंदे ने जिस तरह कई लड़कियों की जिंदगी तबाह की थी, उसे देखते हुए उन्हें उम्मीद थी कि उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए. राहुल कुमार कौन है और वह कामुक दरिंदा कैसे बना, यह जानने के लिए उस के अतीत को जानना होगा. 25 वर्षीय राहुल कुमार बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय थाना क्षेत्र के गांव धुर का रहने वाला था. उस के पिता उमेश प्रसाद पेशे से आटो चालक थे. 3 भाईबहनों में राहुल सब से बड़ा था.

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. ऐसा ही कुछ राहुल के साथ भी हुआ. बचपन से ही राहुल जिद्दी और झगड़ालू किस्म का था. वह एक बार जो करने की ठान लेता था, उसे पूरा कर के ही मानता था. इस दौरान वह किसी की भी नहीं सुनता था. मांबाप की डांटफटकार का भी उस पर कोई असर नहीं होता था. राहुल जैसेजैसे बड़ा होता गया, उस की संगत आवारा किस्म के लड़कों से होती गई. घर से उस का मतलब केवल 2 वक्त की रोटी से होता था. जब उस के पिता उमेश प्रसाद आटो ले कर शहर की ओर निकलते, वह भी घर से निकल जाता था. फिर दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था.

बचपन से ही जिद्दी आवारा था राहुल मटरगश्ती करने के लिए वह मां से जबरन पैसे लिया करता था. अगर मां उसे पैसे नहीं देती तो वह लड़झगड़ कर पैसे छीन लेता था. दिन भर दोस्तों के बीच घूमनेफिरने के बाद वह शाम ढलने पर घर लौटता था. घर का वह एक काम तक नहीं करता था, रात को जब आटो चला कर उमेश प्रसाद घर लौटता तो उस की पत्नी राहुल की दिन भर की शिकायतों की पोटली खोल कर बैठ जाती. उमेश राहुल को डांटता और समझाता, पर पिता की बातों को वह अनसुना कर देता. ऐसे में उमेश माथे पर हाथ रख कर चिंता में डूब जाता.

उमेश प्रसाद ने राहुल को समझाने और सही राह पर लाने के बहुत उपाय किए, लेकिन राहुल सुधरने के बजाए दिनबदिन जरायम की दलदल में उतारता गया. शुरुआत उस ने अपने घर के पैसे चुराने से की थी. इस के बाद उस ने औरों के घरों में भी चोरी करनी शुरू की. भेद न खुलने पर उस की हिम्मत बढ़ती गई. चोरी के साथसाथ राहुल लड़कियों को अपनी हवस का शिकार भी बनाने लगा. बात सन 2012 की है. राहुल ने पटना के जीरो रोड पर स्थित एक घर में चोरी की. इतना ही नहीं, उस ने वहां एक युवती को अपनी हवस का शिकार भी बनाया. युवती से दुष्कर्म के मामले में 29 जून, 2012 को उसे बेउर जेल भेजा गया. जब वह जेल में था, तभी उस के चाचा की मौत हो गई. श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए वह 4 सितंबर, 2016 को पैरोल पर अपने गांव गया, उस समय वह पुलिस की सुरक्षा में था.

श्राद्धकर्म के बाद शातिर राहुल ने सिपाहियों को शराब पिलाई और अनुष्ठान का बहाना बना कर फरार हो गया. इस के बाद पुलिस उसे छू तक नहीं सकी. पुलिस अभिरक्षा से फरार होने के बाद उस ने जो कांड किया, उस ने समूचे झारखंड को हिला कर रख दिया. राहुल नालंदा से भाग कर रांची आ गया था और वहां वह नाम बदल कर राज के नाम से रहने लगा. राहुल हर बार जुर्म करने के बाद अपना नाम बदल लेता था, ताकि पुलिस उस तक आसानी से न पहुंच सके. खैर, वह राहुल से राज बन कर रांची की बूटी बस्ती में पीतांबरा पैलेस के सामने वाली गली में स्थित दुर्गा मंदिर के कमरे में रहने लगा. यहां उस ने मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों से आग्रह किया था. कमेटी के बंटी नामक युवक ने उस पर तरस खा कर वहां रखवाया था.

यहां रह कर राहुल उर्फ राज कमरा खोजने लगा. कमरे की तलाश में वह बीटेक की छात्रा माही के घर पहुंच गया. लेकिन वहां कमरा किराए पर नहीं मिला. राहुल का मुख्य पेशा चोरी था. उसे घूमतेघूमते पता चल गया कि माही के घर में सिर्फ लड़कियां रहती हैं. उस दिन के बाद से वह आतेजाते माही का पीछा करने लगा. माही इतनी खूबसूरत थी कि एक ही नजर में उस पर मर मिटा था. 23 वर्षीया माही मूलरूप से झारखंड के बरकाकाना जिले के थाना सिल्ली क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के पिता संजीव कुमार बरकाकाना में सेंट्रल माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) में नौकरी करते थे.

संजीव कुमार की 2 बेटियां रवीना और माही थीं. दोनों पढ़ने में अव्वल थीं. इसीलिए पिता संजीव भी उन्हें उन के मनमुताबिक पढ़ाना चाहते थे. वह अपनी बेटियों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे थे. बच्चों के भविष्य के लिए संजीव कुमार ने सन 2005 में रांची की बूटी बस्ती में एक प्लौट खरीदा था. उस पर उन्होंने घर भी बनवा दिया था. घटना से करीब 2 साल पहले यानी 2017 में उन की दोनों बेटियां रवीना और माही वहीं रह कर पढ़ाई करती थीं. संजीव और परिवार के अन्य सदस्य बरकाकाना में रहते थे. बड़ी बेटी रवीना रांची शहर के एक प्रतिष्ठित कालेज से स्नातक कर रही थी, जबकि छोटी बेटी माही ओरमांझी के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक के चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा थी. माही का 15 दिसंबर, 2016 को रिजल्ट आने वाला था. उस के पिता रिजल्ट देखने बरकाकाना से रांची आए थे. रिजल्ट देखने के लिए वह माही के कालेज गए और वहीं से बरकाकाना वापस लौट गए.

दरिंदे ने भांप लिया था कि अकेली है माही बहरहाल, रिजल्ट देखने के बाद माही जब कालेज से बूटी बस्ती स्थित अपने आवास जाने लगी तो पहले से घात लगाए बैठा राज पीछेपीछे उस के घर तक पहुंच गया. माही घर में बैग रख कर वापस बाहर आई. उस ने अपने घर के पास एक दुकान से मैगी खरीदी और वापस चली गई. इस से राज आश्वस्त हो गया था कि घर में माही अकेली है. घर में अगर कोई और होता तो माही के बजाए वही सामान खरीदने आता. इत्तफाक की बात यह थी कि कुछ दिनों पहले बड़ी बहन रवीना किसी जरूरी काम से अपने गांव बरकाकाना चली गई थी. माही के घर पर अकेला होने की जानकारी शातिर राज को पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए वह निश्चिंत हो गया और उस ने फैसला कर लिया कि आज रात माही को अपनी हवस का शिकार बना कर रहेगा.

उसी रात करीब साढ़े 10 से 11 बजे के बीच राहुल कुमार उर्फ राज माही के घर पहुंचा. उस के मुख्य दरवाजे पर लोहे का मजबूत ग्रिल लगा था. ग्रिल पर भीतर की ओर से बड़ा ताला लगा था. उस के पास मास्टर चाबी रहती थी, जिस से वह कोई भी ताला आसानी से खोल सकता था. मास्टर चाबी से उस ने माही की ग्रिल का ताला खोल लिया. माही जिस कमरे में सो रही थी, उस में सिटकनी नहीं लगी थी. दबेपांव वह उस के कमरे में आसानी से पहुंच गया और गहरी नींद में सोई माही का गला दबाने लगा. तभी माही की आंखें खुल गईं. उसे देख कर वह डर गई.

इस से पहले कि वह शोर मचाती, राज ने उसे धमका दिया. डर की वजह से माही चुप हो गई. राहुल ने उस के साथ रेप किया. उस दौरान उस ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं. इस दरम्यान माही के नाजुक अंग से रक्तस्राव हुआ, जिस से वह बेहोश हो गई. उस के बाद दरिंदे राहुल उर्फ राज ने मोबाइल के चार्जर वाले तार से उस का गला घोंट दिया ताकि वह किसी को कुछ बता न सके. हैवानियत पर उतरे राज ने सबूत मिटाने के लिए माही को निर्वस्त्र कर दिया, फिर उस के कपड़ों को एक जगह रख कर उस पर मोबिल औयल डाल कर आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह वहां से फरार हो गया. दरअसल, साक्ष्य मिटाने का यह तरीका उस ने अपने ही एक जुर्म से सीखा था.

अपराध की दुनिया में कदम रखते समय राहुल पहली बार पटना में एक घर में चोरी करने की नीयत से घुसा था. यह भी इत्तफाक था कि घर के एक कमरे में 11 वर्षीय नेहा अकेली सो रही थी. बाकी के लोग दूसरे कमरे में सो रहे थे. उस समय रात के करीब 3 बज रहे थे. अकेली नेहा को देख कर उस के जिस्म में वासना की आग धधक उठी. हैवान राहुल जिस्म की आग ठंडी करने के लिए मासूम नेहा की जिंदगी तारतार कर के भाग गया. लेकिन कानून के लंबे हाथों से कुकर्मी राहुल ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. तब राहुल को पता चला कि नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन (वीर्य) मिला था, जिस से वह दोषी पाया गया था. इस घटना से ही सीख लेते हुए उस ने बीटेक की छात्रा माही से दुष्कर्म के बाद उस के अंडरगारमेंट के साथ अन्य कपड़े भी जला दिए थे ताकि वह पकड़ा न जा सके.

खैर, अगली सुबह यानी 16 दिसंबर, 2019 की सुबह रहस्यमय तरीके से जली हुई माही की लाश उस के कमरे में पाई गई थी. दरअसल, रात में उस के पिता संजीव कुमार फोन कर के उस का हालचाल लेना चाहते थे. चूंकि दिन में कालेज का रिजल्ट आ चुका था. वह कालेज तक उस के साथ गए भी थे, इसलिए वह फोन कर उसे घर आने के लिए कहना चाहते थे. लेकिन उस का फोन नहीं लग रहा था. फोन बारबार स्विच्ड औफ बता रहा था. बेटी का फोन स्विच्ड औफ होने से वह परेशान हो गए. रात भी काफी गहरा चुकी थी, इसलिए किसी और के पास फोन भी नहीं कर सके थे, जिस से माही का हालचाल मिल पाता. अगली सुबह जब सदर थाने के थानेदार बांकेलाल का फोन उन के पास पहुंचा तो बेटी की मौत की सूचना पा कर संजीव सकते में आ गए.

केस की जांच पर निगाह रखे था राहुल बेटी की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया था. परिवार के लोगों को साथ ले कर संजीव रांची पहुंचे. शराफत का चोला पहने दरिंदा राज भी अपने दोस्त बंटी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा था. वहां पहुंच कर वह यह जानना चाहता था कि पुलिस क्या काररवाई कर रही है. तब उस के दोस्त बंटी ने उस के सामने ही अज्ञात दरिंदे को भद्दीभद्दी गालियां देनी शुरू कर दीं तो राज ने बंटी को समझाया कि किसी को भी इस तरह गालियां देना ठीक नहीं है. उस दिन के बाद से वह बंटी से पुलिस की गतिविधि पूछता था कि माही के हत्यारों तक पुलिस पहुंची या नहीं. उस के केस में क्या हो रहा है. यह बात बंटी को बड़ी अटपटी लगती थी कि राहुल उर्फ राज माही के केस में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है.

बहरहाल, पुलिस ने अपनी काररवाई कर माही की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट पढ़ कर थानाप्रभारी बांकेलाल दंग रह गए. रिपोर्ट में बताया गया था कि पहले पीडि़ता के साथ बलात्कार किया गया था, फिर किसी पतले तार से गला कस कर उस की हत्या की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 376, 499, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी. घटना के करीब 6 महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस जहां की तहां खड़ी रही. न तो वह हत्या का कारण जान सकी और न ही हत्यारों का पता लगा पाई.

माही हत्याकांड को ले कर रांची समेत समूचे झारखंड में बवाल मचा हुआ था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर लोग अंगुलियां उठा रहे थे. पीडि़ता के पिता संजीव ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. यह आवाज प्रदेश सरकार के कान तक पहुंची तो सरकार ने जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी. जब मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो सीबीआई के तेजतर्रार इंसपेक्टर परवेज आलम के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई गई. टीम में एसआई नीरज कुमार यादव, कांस्टेबल प्रभात कुमार, आरिफ हुसैन, नैमन टोप्पो, अशोक कुमार, रितेश पाठक, महिला सिपाही जूही खातून आदि को शामिल किया गया.

इंसपेक्टर परवेज आलम झारखंड पुलिस में सन 1994 में एसआई पद पर भरती हुए थे. वह ड्यूटी मीट के ओवरआल चैंपियन भी रह चुके थे. झारखंड पुलिस में उन का डीएसपी पद पर प्रमोशन हो चुका था. फिर भी सीबीआई में इंसपेक्टर थे. इंसपेक्टर परवेज आलम ने माही का केस लेने के बाद झारखंड पुलिस द्वारा दिए गए दस्तावेजों व साक्ष्यों का पूरा अध्ययन किया. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से पूरी रिपोर्ट पर चर्चा की. डाक्टरों ने सीबीआई को बताया कि मृतका के नाखूनों और वैजाइनल स्वैब राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं. इंसपेक्टर परवेज आलम ने एफएसएल की रिपोर्ट में पाया कि नाखून व वैजाइनल स्वैब में केवल एक ही पुरुष होने के सबूत मिले हैं.

इस से जांच टीम आश्वस्त हो गई थी कि केवल एक ही व्यक्ति ने इस घटना को अंजाम दिया है. घटना की तह तक जाने के लिए इंसपेक्टर परवेज आलम ने अपने अधिकारियों से बूटी बस्ती में रहने की इजाजत मांगी. सीबीआई मुख्यालय के आदेश पर परवेज आलम अपनी टीम के साथ बूटी बस्ती में किराए पर कमरा ले कर रहने लगे. वहीं रह कर वह गुप्त तरीके से हत्यारोपी के बारे में छानबीन करने में जुट गए. बूटी बस्ती की रहने वाली एक बूढ़ी महिला ने उन्हें बताया कि एक युवक यहां अकसर घूमता था, जो मंदिर परिसर के एक कमरे में रहता था. वह अब दिखाई नहीं दे रहा.

इंसपेक्टर आलम के लिए यह सुराग महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. इसी सुराग के आधार पर उन्होंने 300 से अधिक लोगों के काल डंप डाटा के आधार पर छानबीन की. जांच में पता चला कि उन में से करीब 150 फोन नंबर घटनास्थल के आसपास के हैं, उन में कुछ नंबर मृतका के संबंधियों और दोस्तों के भी थे. सीबीआई ने शक के आधार पर 150 संदिग्धों में से 11 लोगों के खून के नमूने ले कर जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली भेजे. इस बीच सीबीआई राहुल के दोस्त बंटी तक पहुंच गई. बंटी से उस संदिग्ध युवक यानी राज के बारे में पूछताछ की गई जो मंदिर के पास अकसर घूमता था.

बंटी ने बताया कि उस का नाम राहुल उर्फ राज है. वह बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय के गांव धुर का रहने वाला है. इंसपेक्टर परवेज आलम की मेहनत रंग लाई. उन्हें संदिग्ध युवक राहुल उर्फ राज का पता मिल चुका था. वह टीम के साथ नालंदा स्थित उस के घर जा पहुंचा. वहां से पता चला कि राहुल फरार है. परवेज आलम ने एकएक तथ्य जुटाया वहां उन्हें एक और चौंकाने वाली बात पता चली कि राहुल दुष्कर्म के आरोप में पटना की बेउर जेल में बंद था. चाचा की मौत पर वह जेल से पैरोल पर घर आया था और चकमा दे कर पुलिस हिरासत से भाग गया था. तब से वह फरार है. इस के बाद सीबीआई की टीम ने राहुल की मां निर्मला देवी व पिता उमेश प्रसाद को बुलाया.

संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की सच्चाई पता लगाने के लिए उन्होंने उस के मातापिता के खून के नमूने लिए और जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला दिल्ली भेज दिए. वहां माही के नाखून व वैजाइनल स्वैब से मिले पुरुष के डीएनए से संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की मां निर्मला देवी का डीएनए मैच कर गया. जबकि पिता उमेश प्रसाद का मैच नहीं किया. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर यह तय हो गया कि माही का कातिल राहुल उर्फ राज ही है. राहुल उर्फ राज की तलाश में सीबीआई ने कोलकाता, वाराणसी सहित कई जगहों पर छापेमारी की, लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं चला.

इसी बीच 15 जून, 2019 को राहुल उर्फ राज लखनऊ में मोबाइल चोरी के एक केस में पकड़ा गया. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम राहुल के पीछे पड़े ही थे. उन्हें उस की गिरफ्तारी की सूचना मिली, तो वह लखनऊ पहुंच गए. वहां से राहुल उर्फ राज को ट्रांजिट रिमांड पर 22 जून, 2019 को रांची लाया गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने माही हत्याकांड की पूरी कहानी बयां कर दी. राहुल ने सीबीआई को बताया कि पटना में 11 साल की नेहा से दुष्कर्म करने के मामले में वह पकड़ा गया था. तभी उसे पता चला नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन मिला था, जिस से वह पकड़ा गया था. सीख लेते हुए उस ने माही से दुष्कर्म के बाद उस के कपड़े जला दिए थे.

यही नहीं, उस ने फरारी के दौरान इसी जिले की अगस्त 2018 की एक घटना का भी राजफाश किया. जिस घर में वह चोरी की नीयत से घुसा तो वहां 9 वर्षीय सोनी को अकेली सोता देख कर वह उस पर टूट पड़ा. बेटी की चीख सुन कर मां के बेटी के कमरे में आ जाने से सोनी की अस्मत लुटने से तो बच गई लेकिन उस दिन की घटना के बाद से वह आज तक सदमे से उबर नहीं पाई है. सीबीआई की पूछताछ में क्रूर दरिंदे राहुल उर्फ राज ने कबूल किया कि उस ने हर घटना में अपना नाम बदल कर अपराध किया था. अब तक उस ने 10 मासूमों की जिंदगी तबाह की थी, जिस में कई तो असमय काल का ग्रास बन गई थीं और कई विक्षिप्त अवस्था में पहुंच गई थीं.

बहन ने पहचाना दरिंदे को राहुल उर्फ राज की शिनाख्त माही की बड़ी बहन रवीना से कराई गई तो उस ने आरोपी राहुल उर्फ राज को देख कर शिनाख्त कर ली. रवीना से इस मामले में अदालत में गवाही दर्ज कराई. रवीना ने अदालत को बताया कि घटना के कुछ दिन पहले राहुल किराए का कमरा लेने के लिए उस के घर आया था. हम ने उसे कमरा देने से मना कर दिया था. उस दिन के बाद कई बार अहसास हुआ कि राहुल उस की बहन का पीछा करता है. घटना से पहले उसे घर के आसपास घूमते हुए भी देखा था. जबकि घटना के बाद से उसे कभी नहीं देखा गया. इस केस के जांच अधिकारी इंसपेक्टर परवेज आलम ने सूक्ष्मता से एकएक सबूत जुटाया. फिर विशेष अदालत में चार्जशीट पेश की. जज ए.के. मिश्र ने सजा सुनाए जाने से पहले केस की फाइल पर नजर डाली.

तभी शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि योर औनर, मुजरिम राहुल कुमार ने जो अपराध किया है, वह रेयरेस्ट औफ रेयर है. ऐसे व्यक्ति का समाज में रहना ठीक नहीं है. यह समाज के लिए जहर के समान है. ऐसे पेशेवर अपराधी को फांसी की सजा देनी चाहिए. तभी बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मुजरिम राहुल को अपने किए पर पछतावा है, इसलिए उसे सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने उसे कम से कम सजा सुनाए जाने की अपील की. दोनों वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ए.के. मिश्र ने कहा कि कटघरे में खड़ा यह अपराधी समाज के लिए एक कलंक है. इस ने योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया था. इस के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है. इस का अपराध रेयरेस्ट औफ रेयर है. इसलिए इसे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए.

फैसला सुनाने के बाद पुलिस ने मुजरिम राहुल कुमार को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया. वहीं फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद मृतका के पिता संजीव कुमार घटना को याद कर रोने लगे. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा भी अपराधी के लिए कम ही है, परंतु संतोष है कि अदालत ने न्याय किया है. इस प्रकार के फैसले से समाज को शुभ संदेश जाएगा.

—कथा में माही, नेहा और सोनी परिवर्तित नाम हैं.

 

 

Madhya Pradesh Crime : इंस्टाग्राम प्रेमिका की दगाबाजी

Madhya Pradesh Crime : मुकेश लोधी ने अपनी 2 प्रेमिकाओं के साथ मिल कर पदम सिंह के इकलौते बेटे अभिषेक लोधी को प्यार के जाल में फांस कर बंधक बना लिया था. बेटे को रिहा करने के एवज में उस ने पदम सिंह से 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी. मुकेश को यह रकम मिली या कुछ और? पढि़ए, यह दिलचस्प कहानी.

13 दिसंबर, 2024 को सुबह के यही कोई 6 बजे का समय रहा होगा. तभी मुरैना (मध्य प्रदेश) के कस्बा पोरसा के गांव परदूपुरा निवासी वीरपाल के मोबाइल की घंटी बज उठी. सिरहाने रखा मोबाइल फोन उठा डिसप्ले पर आए नंबर को ध्यान से देखा. वह नंबर पोरसा के परदूपुरा में रहने वाले रिश्तेदार पदम सिंह लोधी का था. फौरन वह काल रिसीव करते हुए बोला, ”हैलो पदम सिंहजी, इतनी सुबहसुबह कैसे याद किया?’’

अरे, कुछ जरूरी बात करनी थी आप से.’’ 

बताओ, क्या बात करनी है? आप की आवाज कुछ भर्राई हुई क्यों है?’’ 

अरे वीरपालजी, बड़ी परेशानी में हूं बेटे को ले कर. अभिषेक कहीं तुम्हारे घर तो नहीं आया?’’ 

वह अभी तक तो मेरे यहां पर नहीं आया.’’ वीरपाल ने बताया.

दरअसल, वह 11 दिसंबर की सुबह ग्वालियर से जरूरी काम से मुरैना जाने की बात कह कर निकला था. उस ने जाते समय अपने साथ रहने वाले रूममेट को बताया था कि वह शाम तक हर हाल में वापस आ जाएगा, लेकिन उसे गए 3 दिन बीत गए…’’ पदम सिंह ने बताया. पदम सिंह ने आगे कहा, ”वह कमरे पर वापस लौट कर नहीं आया और न ही उस से फोन पर संपर्क हो पाया तो उस के रूममेट ने इस की जानकारी मुझे दी. तभी से घर के सभी लोग दरवाजे की तरफ टकटकी लगा कर उस के लौट कर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. इस वजह से मन में तरहतरह के खयाल आ रहे हैं.’’

वीरपाल ने अपने रिश्तेदार को तसल्ली देते हुए कहा, ”आप चिंता मत करो. अभिषेक जल्द ही घर लौट आएगा, वह कोई छोटा बच्चा नहीं है. फिर भी मैं अपने स्तर पर जानकारी जुटाता हूं.’’

इस के बावजूद अभिषेक के फेमिली वालों को चैन कहां था. वो अभिषेक को सगेसंबंधियों से ले कर रिश्तेदारियों और परिचितों में खोजते रहे. अभिषेक के दोस्तों से भी पदम सिंह ने पूछताछ कर ली थी.  दोस्तों ने एक ही उत्तर दिया कि 11 दिसंबर के बाद से उन की अभिषेक से कोई बात नहीं हुई. 3 दिन तक अभिषेक के पेरेंट्स ने अपने स्तर से उस का पता लगाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उन के बारे में जब कुछ भी पता नहीं चला तो वह 14 दिसंबर को दोपहर के डेढ़ बजे के करीब मुरैना के गोला का मंदिर थाने पहुंच गए.

पदम सिंह ने एसएचओ हरेंद्र शर्मा से मिल कर उन्हें अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक के गायब होने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अभिषेक ग्वालियर की रणधीर कालोनी में किराए का कमरा लेकर पीजीडीसीए की पढ़ाई कर रहा था. एसएचओ हरेंद्र शर्मा ने पदम सिंह की बात गौर से सुनी. अभिषेक लोधी की गुमशुदगी दर्ज कर ली. अभिषेक का फोटो, मोबाइल नंबर और उस के हुलिए से संबंधित जानकारी लेने के बाद एसएचओ ने उन से कहा, ”यदि किसी प्रकार का धमकी भरा फोन आप के पास आए तो बिना घबराए इस की सूचना तुरंत थाने में देना.’’ 

एसएचओ से मिले आश्वासन के बाद पदम सिंह अपने घर तो लौट आए थे, लेकिन उन के मन में बेटे को ले कर एक भय बना हुआ था.

उधर गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस का पता लगाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस की अहम वजह यह थी कि अभिषेक कोई मासूम बच्चा तो था नहीं, जो उस के किडनैप की आशंका होती. एसएचओ ने सोचा कि वह अपनी किसी सहपाठी के साथ कहीं प्रेम प्रसंग में डूबा होगा या फिर किसी के साथ बैठ कर अपनी पढ़ाई से संबंधित नोट्स आदि बना रहा होगा. वह अपने आप ही घर पर लौट आएगा.

किस की थी नहर में मिली लाश

इसी बीच 14 दिसंबर, 2024 की सुबह 10 बजे के करीब मुरैना जिले के  दिमनी थाना क्षेत्र में आने वाले बड़ागांव व महादेव पुरा के बीच बहने वाली नहर के किनारे बनी सड़क से हो कर गुजर रहे ग्रामीणों को बीच नहर में एक युवक की लाश तैरती हुई दिखाई दी, जिस के पैर और आंखें लाल रंग के स्टोल से बंधी हुई थीं. नहर में लाश पड़ी होने की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. लाश को करीब से देखने के लिए वहां पर लोगों का जमघट लगने लगा. इसी बीच किसी ने इस की सूचना दिमनी थाने को दे दी. कुछ ही देर में एसएचओ शशिकुमार कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस के पहुंचने तक घटनास्थल पर अच्छाखासा जमावड़ा लग चुका था. मृतक को ले कर लोग तरहतरह की चर्चा कर रहे थे. मौके पर मौजूद लोगों में यह जानने की बेहद लालसा थी कि आखिरकार मृतक युवक कौन है?

एसएचओ शशिकुमार भीड़ को हटवा कर नहर के पास पहुंचे तो पता चला कि लाश किसी नवयुवक की है. शशिकुमार ग्रामीणों की मदद से युवक की डैडबौडी नहर से निकलवा कर उस का निरीक्षण कर ही रहे थे कि उन्हीं की सूचना पर एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़, एसडीपीओ विजय सिंह भदौरिया भी घटनास्थल पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने भी बारीकी से लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 24-25 साल रही होगी. वह काले रंग की जैकेट और नीले रंग की जींस पहने हुए था. डैडबौडी देख कर ही लग रहा था कि यह हत्या का मामला है. क्योंकि उस के पैरों और आंखों पर लाल रंग का स्टोल बंधा था.

एसएचओ शशि कुमार ने वहां मौजूद भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी डैडबौडी की शिनाख्त नहीं कर सका. मृतक के पास से कोई पहचान पत्र, पर्स या और कोई ऐसी चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त करने में मदद मिलती. मौके की काररवाई निपटा कर एसएचओ ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए  भिजवा दिया. थाने लौट कर उन्होंने अज्ञात के खिलाफ धारा 103(1) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज करा कर मामले की जांच शुरू कर दी. 

हत्या के इस मामले की जांच के लिए लाश की शिनाख्त जरूरी थी, इसलिए जांच टीम ने मृतक की लाश के फोटो और उस का हुलिया ग्वालियर, चंबल संभाग के सभी पुलिस थानों में ईमेल और वायरलेस द्वारा भेज दिया और उन से पूछा कि इस तरह के हुलिया के किसी नवयुवक की गुमशुदगी किसी थाने में दर्ज तो नहीं है. यह सूचना जैसे ही गोला का मंदिर थाने के एसएचओ ने वायरलेस पर सुनी, उन्होंने टेबल की दराज में संभाल कर रखे गुमशुदा युवक के फोटो को निकाल कर देखा. वह फोटो पदम सिंह ने अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक की गुमशुदगी की सूचना लिखवाते वक्त उन्हें दिया था. उस से उस की कदकाठी मेल खा रही थी.

उन्होंने तुरंत दिमनी थाने के एसएचओ को फोन कर बताया कि 14 दिसंबर, 2024 की दोपहर इस हुलिए के एक युवक, जिस का नाम अभिषेक लोधी है, की गुमशुदगी की सूचना मुरैना जिले के ही थाना गोला का मंदिर के गांव परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी ने कराई थी. इस जानकारी के मिलते ही दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार ने पोरसा के परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी से उन के मोबाइल पर संपर्क कर एक युवक की लाश बरामद होने की सूचना देते हुए उन्हें थाने बुलाया. पदम सिंह अपने एक करीबी रिश्तेदार को ले कर दिमनी थाने पहुंच गए. एसएचओ शशिकुमार ने उन्हें नहर से बरामद लाश के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही वह फफक कर रोने लगे.

कौन निकला अभिषेक का हत्यारा

शशिकुमार ने किसी तरह उन्हें दिलासा दे कर शांत कराया. तब पदम सिंह लोधी ने एसएचओ को बताया कि जब मेरे बेटे की हत्या हो चुकी है तो फिर उस के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर 20 लाख रुपए की फिरौती मांगने के मैसेज कौन भेज रहा है

शशिकुमार ने इस बात का जल्द पता लगाने का आश्वासन देते हुए एसआई और कांस्टेबल के साथ पदम सिंह को मुरैना के जिला चिकित्सालय की मोर्चरी भेज दिया. वहां डीप फ्रीजर में रखी डैडबौडी पदम सिंह को दिखाई तो उन्होंने उसे देखते ही कहा, ”हां, यह लाश मेरे बेटे अभिषेक की ही है.’’

लाश की शिनाख्त हो गई तो पुलिस को यह पता लगाना था कि हत्या किस ने और क्यों की? तथा मृतक के मोबाइल से उस के पापा को वाट्सऐप मैसेज कौन भेज रहा है?

उधर इस सनसनीखेज हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुरैना के एसपी समीर सौरभ द्वारा कत्ल की घटना का शीघ्र खुलासा करने के लिए 2 पुलिस टीमें गठित कर दीं. अभिषेक हत्याकांड का परदाफाश करने वाली टीम में एसएचओ शशिकुमार के साथ एसआई अभिषेक जादौन, सौरभ पुरी, प्रताप सिंह, हैडकांस्टेबल रघुनंदन, सुदेश, मंगल सिंह, योगेंद्र, रामकिशन, दुष्यंत, गिरजेश आदि को शामिल किया गया. दोनों टीमें एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़ एवं एसडीपीओ (हैडक्वार्टर) विजय सिंह भदौरिया व दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार के निर्देशन में इस मामले की तह में जा कर हत्यारे को खोजने में जुट गई. 

शशिकुमार मुखबिरों से पलपल की खबर ले रहे थे. इस काम में उन्हें एक सप्ताह का समय तो लगा, लेकिन उन्होंने इस ब्लाइंड मर्डर को हल करने के लिए जरूरी सबूत जुटा लिए. पुलिस ने अभिषेक लोधी का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इसी के साथ उन्होंने उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतिम बार उस की किस से बात हुई थी और उस की आखिरी लोकेशन कहां की थी. पुलिस ने काल डिटेल्स और इंस्टाग्राम अकाउंट को खंगाला तो पायल राजपूत नाम की किसी युवती से वक्तबेवक्त बात करने की जानकारी मिली. अभिषेक के लापता होने वाले दिन भी पायल राजपूत ने अभिषेक को इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अपने पास मुरैना बुलाया था, जिस पर वह राजी हो गया.

पुलिस टीम ने जांच का सिलसिला घटनास्थल से शुरू करते हुए मृतक के फेमिली वालों से पूछताछ करने के बाद हत्यारे तक पहुंचने के लिए तमाम तकनीकों का इस्तेमाल किया. इस से पुलिस टीम को जल्द ही सफलता मिल गई. मर्डर के इस मामले में 3 लोगों के नाम सामने आए, जिन में एक युवक मुकेश लोधी का भी नाम था. मुकेश का नाम ही नहीं आया, बल्कि पुलिस ने उसे ही अभिषेक हत्याकांड का मास्टरमाइंड बताया. लोगों को हैरानी तब हुई, जब पुलिस को मालूम हुआ कि इस वारदात को अंजाम देने में मुकेश की प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल भी शामिल रहीं.

एसएचओ शशि कुमार अवंतीबाई कालोनी, रामनगर में इसी केस के सिलसिले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें एक व्यक्ति अपने गले में लाल रंग का स्टोल बांधे हुए दिखाई दिया. उक्त स्टोल देखने में मृतक के पैर और आंखों से बंधे स्टोल से मेल खा रहा था. इस के अलावा उस शख्स की गतिविधियां भी संदिग्ध लग रही थीं. क्योंकि वह लगातार पुलिस टीम की गतिविधियों पर चौकस निगाहें रखे हुए था. उक्त शख्स के बारे में मुखबिर से जानकारी लेने पर पता चला कि उस का नाम मुकेश लोधी है. वह अवंतीबाई कालोनी में शशि लोधी नाम की शादीशुदा युवती के साथ लिवइन रिलेशन में रह रहा है. क्योंकि शशि ने अपने पति को छोड़ रखा है. 

मुकेश कुछ साल पहले तक दिल्ली में रह कर ओला की टैक्सी चलाता था. दिल्ली से आने के बाद वह ग्वालियर के गोले का मंदिर इलाके में कियोस्क सेंटर चलाने लगा था. इसी दौरान उसे औनलाइन सट्टा खेलने का चस्का लग गया, जिस के चलते वह मोटी रकम सट्टे में हार गया तो उस ने कियोस्क सेंटर को बंद कर दिया और मुरैना में किराए पर कमरा ले कर प्रेमिका शशि के साथ रहने लगा. उस ने परिस्थितियों से निकलने का कतई प्रयास नहीं किया, बल्कि अपनी प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल के साथ शानोशौकत से रहने के लिए ब्याज पर परिचितों से काफी पैसा ले लिया, जिस से वह कर्जदार हो गया था. इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही उस ने शशि और पायल के साथ मिल कर एक गंभीर अपराध को अंजाम दिया.

मर्डर के बाद क्यों मांगी जा रही थी फिरौती

14 दिसंबर, 2024 का दिन था. पदम सिंह लोधी अपने बेटे अभिषेक की तलाश में जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि अचानक उन के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. जब तक वह काल रिसीव करते, घंटी बंद हो गई थी. मोबाइल फोन की स्क्रीन पर उन्होंने नजर डाली तो पता चला कि काल बेटे के मोबाइल नंबर से आई थी. उन्होंने बेटे के नंबर पर कालबैक कर बात करना उचित समझा. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव की, दूसरी तरफ से आवाज आई, ”हैलो, पदम सिंह लोधी बोल रहे हैं?’’

जी बोल रहा हूं. आप कौन?’’ पदम सिंह ने कहा.

काल करने वाले की बात उन्हें थोड़ी अटपटी लगी, फिर भी उन्होंने सोचा कि अभिषेक का कोई दोस्त होगा. इस से ज्यादा कुछ और पूछ पाते कि दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने तपाक से अपनी बात कह डाली, ”सुनो, मैं कौन बोल रहा हूं, कहां से बोल रहा हूं, यह सब पता चल जाएगा. पहले जो मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनो. तुम्हारा बेटा अभिषेक हमारे कब्जे में है, यदि उस को सहीसलामत हमारी गिरफ्त से आजाद कराना चाहते हो तो 20 लाख रुपए का इंतजाम कर लो, वरना अंजाम बहुत बुरा होगा. हां, एक बात और याद रखना, ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत करना और पुलिस को भूल कर भी मत बताना अन्यथा अंजाम इतना बुरा होगा, जिस की कल्पना भी तुम नहीं कर सकते…’’

इतना सुनते ही सर्द मौसम के बावजूद पदम सिंह को पसीना आ गया. वह अपनी जेब से रूमाल निकाल कर पसीना पोंछ भी नहीं पाए थे कि बेटे के मोबाइल फोन से वाट्सऐप कालिंग करने वाले ने फिर धमकी देते हुए कहा, ”सुनो, फिरौती की रकम कब, कहां और कैसे देनी है, मैं तुम्हें बाद में वाट्सऐप काल कर के बताऊंगा. लेकिन एक बात ध्यान देना कि मैं ने जो भी कहा है, उसे हलके में मत लेना, वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

अपने बेटे को बंधक बनाने और उस की सकुशल वापसी के एवज में 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी जाने से पदम सिंह के होश उड़ गए. वह अपना माथा पकड़ कर बैठ गए. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उन के साथ यह हो क्या रहा है. उन्होंने और उन के बेटे अभिषेक ने तो किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं था और न ही उन का और बेटे का किसी से कोई झगड़ा हुआ था. फिर बेटे को बंधक बना कर क्यों रखा है.

सिर पकड़ कर वह इसी सोच में उलझे हुए थे कि तभी अचानक घर के भीतर से उन की पत्नी ने आवाज लगाई, ”अरे, आप अभी तक यहीं बैठे हुए हैं. आप तो बेटे को ढूंढने जा रहे थे फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिर पकड़ कर बैठ गए. कोई बात है क्या?’’ पत्नी का इतना कहना था कि पदम सिंह फफक पड़े और पूरी आपबीती सुना दी. पति के मुंह से बेटे के किडनैप की बात सुन कर पत्नी के भी होश उड़ गए. वह भी सिर पकड़ कर बैठ गई थी.

पतिपत्नी को अब कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करें? काफी देर तक दोनों मौन रह कर एक ही कमरे में बैठे रहे. वे इसी सोच में उलझे हुए थे कि बेटे को बंधक बना कर रखने की हरकत किस ने की है?

यही सब सोच कर जहां उन का भीतर से तनमन कांपे जा रहा था, वहीं वे दोनों शंकाओंआशंकाओं से उलझे हुए थे. कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें. फिरौती की मांग करने वाले ने कहा था कि पुलिस को इस बारे में कुछ बताया तो अपने इकलौते बेटे को हमेशा के लिए खो बैठोगे. इसलिए पदम सिंह ने बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराते वक्त वाट्सऐप पर हुई बातचीत का कतई जिक्र नहीं किया था.

उधर शातिरदिमाग मुकेश लोधी ने अभिषेक की हत्या के बाद उस का मोबाइल अपने पास रख लिया था. लेकिन जैसे ही  अभिषेक की लाश नहर से बरामद हुई और पुलिस ने उसके हत्यारे की तलाश तेज की तो  मुकेश लोधी ने मृतक के मोबाइल से पदम सिंह को वाट्सऐप मैसेज भेज कर बता दिया कि अभिषेक की हत्या हो चुकी है. यदि अब यह जानना चाहते हो कि उस की हत्या किस ने की और किस के कहने पर की है तो तुरंत 5 लाख रुपए अपने बेटे के मोबाइल पर फोनपे के माध्यम से भेज दो. ध्यान रहे, पुलिस हमारे बारे में कुछ भी पता नहीं कर सकती, क्योंकि हम सैकड़ों किलोमीटर दूर निकल चुके हैं. इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.

प्रेमिका को योजना में क्यों किया शामिल

20 दिसंबर को मध्य प्रदेश के शहर मुरैना के एसपी समीर सौरभ और दिमनी के एसएचओ शशिकुमार ने पत्रकार वार्ता में घटना में शामिल तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए बताया कि अभिषेक लोधी की हत्या भिंड के रावतपुरा निवासी मुकेश लोधी (23 वर्ष) ने अपनी 2 प्रेमिकाओं शशि लोधी (21 वर्ष) निवासी परदूपुरा और पायल उर्फ काजल लोधी (23 वर्ष) निवासी सिरमिती हाल निवासी बड़ोखर के साथ मिल कर की थी. 

पायल लोधी ग्वालियर में अपने मामा के घर पर रह कर पीएससी की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान मुकेश लोधी ने प्रेमिका पायल लोधी के माध्यम से पैसे वाले किसी युवक को प्रेम जाल में फंसा कर पैसा कमाने की योजना बनाई, क्योंकि उस पर 5 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. अत: उस ने प्रेमिका काजल लोधी की पायल राजपूत के नाम से फरजी ईमेल आईडी बना कर इंस्टाग्राम के माध्यम से अभिषेक लोधी से जानपहचान की. फिर 8 दिसंबर, 2024 को काजल ने इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को मुलाकात के लिए मुरैना बुलाया. लेकिन उस दिन अभिषेक अपने एक फ्रेंड को साथ ले कर उस की कार से मुरैना पहुंचा तो पायल (काजल) ने उस फ्रेंड की मौजूदगी में अभिषेक से मुलाकात करने में असमर्थता जताई. तब अभिषेक उस से बिना मिले ही वापस लौट गया.

11 दिसंबर को पायल (काजल) ने फिर इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को अकेले में मिलने के बहाने मुरैना बुलाया. काजल ने अपने मैसेज में यह भी लिखा कि इस बार ग्वालियर से बस में बैठ कर मुरैना आना, मैं बसस्टैंड पर खड़ी मिल जाऊंगी. बसस्टैंड से मैं सीधे तुम्हें अपनी सहेली शशि के वडोखर स्थित कमरे पर ले चलूंगी. शशि इन दिनों अपने प्रेमी मुकेश के साथ मौजमस्ती करने मुरैना से बाहर गई हुई है, इसलिए उस के कमरे में एकांत में बैठ कर आराम से बिना किसी हिचकिचाहट के प्रेमालाप करेंगे. 

प्लान के अनुसार, शशि के कमरे में छिप कर पहले से ही शशि और उस का प्रेमी मुकेश रसोई घर में बैठ गए थे. अपनी प्रेमिका पायल का इंस्टाग्राम पर मैसेज देख कर अभिषेक बस में बैठ कर मुरैना पहुंच गया.  बस से उतर कर जैसे ही अभिषेक ने अपनी नजर घुमाई, पायल उर्फ काजल इंतजार में खड़ी दिखाई दे दी. वह अभिषेक को अपनी स्कूटी पर बैठा कर सीधे शशि के कमरे पर ले गई और कमरे का ताला खोल कर अभिषेक से कहा कि तुम तसल्ली के साथ पलंग पर बैठो, मैं तुम्हारे और अपने लिए गरमागरम चाय और नाश्ता ले कर आती हूं. फिर चाय की चुस्की के साथ नाश्ते का लुत्फ उठाते हुए जम कर मौजमस्ती करेंगे. 

पायल ने योजना को अंजाम देने के लिए मुकेश के कहने पर अभिषेक की चाय में नशीला पाउडर मिला दिया. चाय पीतेपीते कुछ देर तक तो अभिषेक पायल (काजल) से बातचीत करता रहा, लेकिन चाय खत्म होने से पहले ही उसे अपना सिर चकराता हुआ महसूस हुआ. उस के होश कब गुम हो गए, उसे पता ही नहीं चला. उस के बेहोशी की हालत में पहुंचते ही मुकेश और शशि ने अभिषेक के हाथपैर और आंखें काजल के स्टोल से बांध दीं. तकरीबन 3 घंटे बाद जैसे ही नशा कम हुआ, उस ने काजल से पूछा, ”क्या यही सब हरकतें करने के लिए तुम ने मुझे ग्वालियर से बुलाया था?’’ 

इसी बीच शशि का प्रेमी मुकेश कमरे में आ धमका. वह बोला, ”चल, तेरे हाथ खोले देता हूं. अपने बाप को फोन लगा कर बोल कि मुझे कुछ लोगों ने बंधक बना लिया है. आप मेरी जिंदगी बचाना चाहते हो तो मेरे फोनपे के माध्यम से फिरौती कि रकम 20 लाख रुपए भेज दो.’’ 

इतना सुनते ही अभिषेक ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उस के ऐसा करने से घबरा कर शशि रसोई से बेलन उठा लाई और अभिषेक के सिर पर उस से ताबड़तोड़ वार कर दिए. तब अभिषेक अपनी जान बचाने के लिए जोरजोर से बचाओ…बचाओचिल्लाने लगा. मुकेश और काजल को लगा कि यदि कमरे से बाहर किसी ने अभिषेक की आवाज सुन ली तो उन की सारी योजना पर तो पानी फिर ही जाएगा, साथ ही उन सभी को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. अत: मुकेश और काजल ने ताकिए से अभिषेक का मुंह दवा दिया, जिस से उस की दम घुटने से उस की मौत हो गई. 

उस की मौत के बाद तीनों के हाथपांव फूल गए. डर के मारे मुकेश, शशि और काजल 12 नवंबर की रात तक अभिषेक की लाश के साथ कमरे में ही रहे. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए ग्वालियर से सेल्फ ड्राइविंग पर 24 घंटे के लिए कार भाड़े पर ला कर 13 दिसंबर की रात को अभिषेक की लाश को इसी कार में रख कर बड़ागांव और महादेवपुरा के बीच बहने वाली नहर में फेंक दी. लाश ठिकाने लगाने के बाद मुकेश, शशि और काजल उसी कार से दिल्ली चले गए. फिर 14 दिसंबर की सुबह यह पता करने  के लिए मुरैना वापस लौट आए कि इस मामले में पुलिस क्या कर रही है. दिल्ली से लौट कर मुकेश लोधी और उस के साथ लिवइन में रहने वाली शशि ने वह कमरा खाली कर के दूसरी जगह कमरा ले लिया था.

वैसे मुकेश, शशि और पायल उर्फ काजल का जुर्म की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन तीनों ने पेशेवर हत्यारों को भी मात दे दी थी. तीनों ने फुलप्रूफ मर्डर की प्लानिंग बड़ी होशियारी से की थी. लेकिन उन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई. पुलिस ने 21 दिसंबर, 2024 को इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता मुकेश लोधी सहित इस अपराध में शामिल उस की प्रेमिका शशि लोधी और अभिषेक की इंस्टाग्राम प्रेमिका पायल उर्फ काजल लोधी को न्यायालय में पेश कर 3 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में मुकेश के पास से अभिषेक का मोबाइल फोन सहित अन्य सबूत हासिल किए. फिर तीनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. 

डेटिंग ऐप का शौक पड़ा भारी

अभिषेक के रूम पार्टनर ने पुलिस को बताया कि अभिषेक अपने अकेलेपन और पढ़ाई के उबाऊ बोझ को कम करने के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लिया करता था. कुछ वक्त के लिए औनलाइन डेटिंग की दुनिया में तफरीह कर वह अपने आप को तरोताजा महसूस करता था. दरअसल, उसे एक गर्लफ्रेंड की तलाश थी क्योंकि अभी तक उस की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. इस के चलते उस ने तमाम सारे डेटिंग ऐप पर अपने अकाउंट खोल रखे थे. उन पर उस की प्रोफाइल के मुताबिक किसी वैसी लड़की से दोस्ती नहीं हो पाई थी, जिस की उस ने कल्पना कर रखी थी. 

एक दिन उस की नजर इंस्टाग्राम पर पायल राजपूत नाम से रजिस्टर्ड आईडी पर पड़ी. उस ने फटाफट पायल को अपने अकाउंट से जोडऩे के लिए रिक्वेस्ट भेज दी. कुछ ही सेकेंड में पायल ने उसे एक्सेप्ट भी कर लिया. अभिषेक ने उसे ओके कर दिया, फिर उस से उस की चैटिंग के साथ डेटिंग शुरू हो गई. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे, अत: उन के डेटिंग मैसेज बौक्स में गुडमौर्निंग और गुडनाइट से होती थी. पायल और अभिषेक इंस्टाग्राम के माध्यम से अपने दिल की भावनाएं एकदूसरे से जाहिर करते रहते थे. दोनों में देर रात तक चैटिंग होती रहती थी. 2-3 दिनों की लुभावनी और मजेदार चैटिंग के बाद पायल ने अभिषेक को फंसाने के लिए एक साथ अपने तमाम सारे सैक्सी फोटो भी भेज दिए थे. 

पायल के जाल में अभिषेक के फंसते ही पायल बहुत खुश हुई. फिर पायल ने अपने प्रेमी मुकेश के कहने पर 11 दिसंबर की सुबह इंस्टाग्राम पर अभिषेक को मैसेज भेज कर कहा कि यदि मुझ से रूबरू मुलाकात करना चाहते हो तो बस में बैठ कर मुरैना आ जाओ. इस मैसेज को पढ़ कर अभिषेक पायल से मुलाकात के लिए मुरैना चला गया. मुरैना पहुंचने के बाद उस के संग जो कुछ घटा, उस का जिक्र कथा में किया जा चुका है.

कथा लिखे जाने तक मुकेश लोधी, शशि लोधी और पायल उर्फ काजल लोधी जेल की सलाखों के पीछे थे. उन्हें अभिषेक की हत्या का जरा भी मलाल नहीं था. दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार द्वारा अभिषेक हत्याकांड की विवेचना की जा रही थी. वह जांच पूरी कर शीघ्र ही अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.

पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

फिल्म हीर रांझा की Actress प्रिया राजवंश : महंगी पड़ी शादीशुदा से प्यार

Actress – दमदार अभिनय और संवाद से दर्शकों में मशहूर रहे अभिनेता राजकुमार की फिल्म ‘हीर रांझा’ को लोग आज भी याद करते हैं. इस फिल्म में जितनी हसीन ऐक्ट्रैस Actress थी, उस की लाइफ उतनी ही मुश्किलभरी थी. इस ऐक्ट्रैस की रियल लाइफ स्टोरी सुन कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

यह हीरोइन थी बौलीवुड की प्रिया राजवंश जो उस समय खूबसूरत हीरोइनों में शामिल थी. यही नहीं, प्रिया ने 70 के दशक में अपनी बेहतरीन अदाकारी से बौलीवुड फिल्मों पर खूब राज किया था.

अंदाज से बनाया दीवाना

फिल्म ‘हीर रांझा’ का एक गाना ‘मिले न तुम तो हम घबराएं…’ में अपने अंदाज से लोगों के दिलों प्रिया ने खूब जगह बना ली थी.

अपने समय की इस मशहूर ऐक्ट्रैस Actress ने अपनी पढ़ाई इंगलैंड में की थी. इसलिए भी उन के लाइफस्टाइल का अंदाज देखने लायक हुआ करता था.

प्रिया राजवंश ने अपनी लाइफ में लगभग 7 फिल्मों में काम किया था. ये सारी फिल्में भी प्रिया ने चेतन आंनद के साथ की थीं. फिल्मों में साथ काम करने के दौरान दोनों के बीच पहले दोस्ती हुई फिर प्यार हो गया.

शादी बगैर बनी दुलहन

चेतन और प्रिया राजवंश के बीच प्यार इतना गहरा हुआ कि दोनों ने एकसाथ रहने का फैसला कर लिया था, लेकिन कभी शादी नहीं की.

चेतन शादी इसलिए नहीं करना चाहते थे, क्योंकि वे पहले से ही शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता थे. फिर भी वे अपनी पत्नी से अलग रहा करते थे. चेतन 82 साल के हुए तो इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन के मरने के बाद घर में मनमुटाव होने लग गया था. मनमुटाव इतना हुआ कि एक वसीयत की वजह से प्रिया और सौतेले बेटों में तनाव बढ़ता ही चला गया क्योंकि चेतन ने मरने के बाद अधिकतर प्रौपर्टी प्रिया के नाम कर दी थी जिसे उन के सौतेले बेटों ने नकार दिया था और यही वजह थी कि वे अपने पिता की प्रौपर्टी किसी भी हाल में प्रिया को देना नहीं चाहते थे।

खौफनाक साजिश

बात नहीं बनी तो चेतन के बेटों ने प्रिया राजवंश के खिलाफ खौफनाक साजिश रचने का फैसला कर डाला. बताया जाता है कि चेतन के दोनों बेटों ने 27 मार्च, 2000 में कुछ लोगों को अपने साथ मिला कर प्रिया की हत्या कर डाली. प्रिया की मौत का राज सालों तक छिपा रहा. किसी को नहीं पता था कि उस की हत्या हो चुकी है.

पुलिस के द्वारा इस हत्या की जांच की गई तो उस में एक खुलासा हुआ था जिस में चेतना की मेड माला और उस के कजिन भी शामिल थे. इस के बाद दोनों को सजा मिली और चेतना के बेटों केतन और विवेक को साजिश के आरोप में अरैस्ट कर लिया गया था.

रहस्य ही है

चेतन के दोनों बेटों ने कोर्ट में अपील की तो दोनों को सुबूत के अभाव में छोड़ दिया गया. आज भी देखा जाए तो प्रिया के कातिलों को सजा नहीं मिली है, यह एक रहस्य ही है।

फाइवस्टार Hotel में अधिकारी के साथ किया बलात्कार

Hotel  वाणिज्यिक कर विभाग के बड़े अधिकारी पंकज सिंह ने फाइवस्टार होटल में नीलिमा के साथ बलात्कार किया था या फिर उन के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे, यह बात तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी. लेकिन यह तय है कि इस मामले ने पुलिस की उलझनें जरूर बढ़ा दी हैं.

5 अगस्त, 2018 की शाम के करीब साढ़े 7 बजे थे. भोपाल के प्रेमपुरा इलाके स्थित नामी जहांनुमा रिट्रीट की रौनक शवाब पर थी. लोग आजा रहे थे और कुछ लोग वहां इत्मीनान से बैठे बतिया रहे थे. जहांनुमा रिट्रीट फाइवस्टार होटल है, लिहाजा वहां ऐरेगैरे तो ठहरने की सोच भी नहीं पाते. जिन की जेब में खासा पैसा होता है, वही इस शानदार होटल का लुत्फ उठाते हैं. होटल के लौन में साइकिलिंग करते एक अधेड़ पुरुष और उस के साथ बेहद अंतरंगता से हंसतीबतियाती महिला को साइकिल पर पैडल मारते देख कोई भी यही अंदाजा लगाता कि वे पतिपत्नी हैं और नए जोड़ों की तरह अठखेलियां कर रहे हैं.

इस के पहले दोनों एक साथ कैरम खेलते दिखे थे. इस पर भी होटल स्टाफ को कोई हैरानी नहीं हुई थी क्योंकि सर्वसुविधायुक्त इस लग्जरी होटल में ऐशोआराम के सारे साधन और सहूलियतें मौजूद हैं.  वह पुरुष भरेपूरे चेहरे वाला था और रुआब उस के हावभाव से साफ झलक रहा था. उस की साथी महिला उम्रदराज होते हुए भी युवा लग रही थी. बेइंतहा खूबसूरत और स्मार्ट दिख रही वह महिला पुरुष से बेतकल्लुफी से पेश आ रही थी. साइकिलिंग करतेकरते पुरुष गिर पड़ा तो महिला ने तुरंत स्टाफ से फर्स्टएड बौक्स मंगाया और उस की मरहमपट्टी खुद अपने हाथों से की. नजारा देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर दूसरे के घाव या चोट अपने ऊपर लेने का कोई प्रावधान होता तो वह महिला उस पुरुष की चोट ले लेती.

उस के चेहरे से चिंता साफ झलक रही थी जबकि पुरुष को कोई खास चोटें नहीं आई थीं. उन की ये नजदीकियां युवा दंपतियों को भी मात कर रही थीं, देखने वाले जिन का पूरा लुत्फ उठा रहे थे. इस के उलट एकदूसरे की बातों में डूबे इन दोनों को मानो किसी की परवाह ही नहीं थी. लगभग 5 घंटे दोनों ने इसी तरह से साथ गुजारे. दरअसल ये दोनों जहांनुमा रिट्रीट में रुकने के लिए आए थे, लेकिन उस समय कोई कमरा खाली नहीं होने की वजह से वक्त गुजार रहे थे. रात 12 बजे के बाद इन्हें रूम नंबर 14 आवंटित हुआ तो दोनों एकदूसरे से सट कर कमरे की तरफ बढ़ गए.

एंट्री रजिस्टर में पुरुष ने अपना नाम पंकज कुमार सिंह, उम्र 42 वर्ष, पता नोएडा, उत्तर प्रदेश और पेशा सरकारी अधिकारी लिखा और साथ आई महिला का नाम नीलिमा (परिवर्तित नाम) दर्ज किया गया लेकिन इन दोनों के बीच का रिश्ता नहीं लिखा गया था. इस की वजह यह थी कि होटल के एंट्री रजिस्टर में रिलेशन वाला कौलम ही नहीं था. आमतौर पर यह कौलम अब अनिवार्य है लेकिन जहांनुमा रिट्रीट के रजिस्टर में नहीं था तो नहीं था. पंकज ने भारत सरकार द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र दिया था तो नीलिमा ने पैन कार्ड दिया था. दोनों रिसैप्शन की खानापूर्ति कर के कमरे में बंद हो गए. अब तक होटल में आनेजाने वालों की तादाद इक्कादुक्का ही रह गई थी और स्टाफ के लोग भी ऊंघते हुए सोने की तैयारी करने लगे थे. रात को होटल के बंद कमरों में ठहरे लोग क्या करते हैं, इस से होटल स्टाफ कोई मतलब नहीं रखता और मतलब रखने के कोई माने या वजह है भी नहीं.

ऐसा ही पंकज और नीलिमा के मामले में हुआ था जो तकरीबन 5 घंटे तक होटल परिसर में घूमतेफिरते और बतियाते रहे थे. दोनों ने खाना भी साथ खाया था. दोनों की ही बौडी लैंग्वेज शाही थी तो इस की वजह भी थी कि पंकज उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग में डिप्टी कमिश्नर थे और नीलिमा इसी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर थे. बंद कमरे की अजब कहानी रात लगभग साढ़े 3 बजे नीलिमा कमरे से बाहर आई तो परेशानी और बदहवासी उस के चेहरे से साफ झलक रही थी. हालांकि उस के कपड़े अस्तव्यस्त नहीं थे और न ही बाल बिखरे हुए थे, जैसा कि आमतौर पर बलात्कार के मामलों में पीडि़ता के साथ होता है.

बाहर आ कर नीलिमा ने रिसैप्शन पर बैठे कर्मचारी को तुरंत कैब बुलाने को कहा लेकिन वजह पूरी तरह नहीं बताई. टैक्सी आई तो वह बाहर जा कर उस में बैठ गई और ड्राइवर को थाने चलने को कहा. टैक्सी ड्राइवर हैरानी से इस संभ्रांत महिला को देखते हुए उन्हें नजदीकी कमलानगर थाने ले गया जो कोटरा इलाके में है. जहांनुमा रिट्रीट होटल इसी थाने के अंतर्गत आता है. नीलिमा सीधे थाने के अंदर गई और मौजूद पुलिसकर्मी से रिपोर्ट लिखने को कहा. इतनी रात गए कोई अभिजात्य व सभ्य सी दिखने वाली महिला बलात्कार (Hotel)  की रिपोर्ट लिखाने आए तो थाने में खलबली मचना स्वाभाविक सी बात थी. नीलिमा का परिचय जान कर तो पुलिसकर्मी और भी हैरान रह गए. उन्होंने तुरंत उच्चाधिकारियों को इस हाईप्रोफाइल बलात्कार मामले की खबर दी.

सुबह की रोशनी होने से पहले कमला नगर थाने के टीआई मदनमोहन मालवीय और एसपी (नौर्थ भोपाल) राहुल कुमार लोढ़ा ने विस्तार से नीलिमा से जानकारी ली तो इस अनूठे बलात्कार की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. नीलिमा मूलत: भोपाल की ही रहने वाली है. दरअसल भोपाल के जिस नामी मिशनरी स्कूल में वह पढ़ी थी, उस के पूर्व छात्रों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 3 दिन पहले भोपाल आई थी. तब वह होटल जहांनुमा पैलेस के कमरा नंबर 104 में ठहरी थी. स्कूल का जलसा शानदार रहा था. कार्यक्रम के दौरान वह ऐसे कई सहपाठियों से मिली थी, जिन से बिछुड़े मुद्दत हो चुकी थी. सालों बाद जब पुराने दोस्त मिलते हैं तो पुरानी कई यादें ताजा हो उठती हैं. तब लोग अपनी नौकरी और पेशे की परेशानियां व तनाव भूल जाते हैं.

पुराना याराना नया फसाद ऐसा ही नीलिमा के साथ हुआ था. नीलिमा के लिए भोपाल नया नहीं था, क्योंकि यहां उस का बचपन गुजरा था. तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक 5 अगस्त को नीलिमा को दिल्ली जाना था. दिल्ली रवाना होने के लिए जब वह एयरपोर्ट पहुंची तो एकाएक तभी पंकज का फोन आ गया. पंकज और नीलिमा पुराने परिचित थे. साल 2009 में नीलिमा का चयन वाणिज्यिक कर विभाग में हुआ था, जबकि इसी विभाग में पंकज की नियुक्ति सन 2010 में हुई थी लेकिन पद पंकज का ऊंचा था. एक ही विभाग में होने के कारण दोनों में परिचय हुआ और जल्द ही अच्छी जानपहचान में बदल गया. शादी की बात या चर्चा हुई या नहीं, यह तो नीलिमा ने पुलिस को नहीं बताया लेकिन चौंका देने वाली बात यह जरूर बताई कि पंकज ने पहले भी उस के साथ न केवल दुष्कर्म किया था बल्कि उस का वीडियो बना कर उसे ब्लैकमेल भी कर रहा था.

हुआ यूं था कि अब से कोई 7 साल पहले पंकज नीलिमा को अपनी मां से मिलाने के बहाने अपने घर ले गया था लेकिन वहां मां नहीं थी, घर खाली था. पंकज की नीयत में खोट था. एकांत का फायदा उठा कर उस ने नीलिमा के साथ जबरदस्ती की और वीडियो भी बना लिया. नीलिमा कभी इस बाबत मुंह न खोले, इसलिए उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी थी. उस की यह धमकी कारगर साबित हुई. दोनों ही उच्चाधिकारी शादीशुदा हैं 5 अगस्त को पंकज ने फोन पर अपने किए की माफी मांगने की बात कही. इस पर नीलिमा ने ध्यान नहीं दिया तो उस ने फिर पुराना वीडियो वायरल करने की धमकी दी. नीलिमा की शादी एक बैंककर्मी से हो चुकी थी, जिस से उसे एक बेटी भी थी.

शादी तो पंकज की भी हो चुकी थी लेकिन उस का अपनी पत्नी से तलाक हो चुका था. अगर वाकई पंकज अपनी धमकी पर अमल कर बैठता तो नीलिमा के लिए कई झंझट खड़े हो जाते. इसलिए नीलिमा ने रुकने में कोई बुराई नहीं समझी. नीलिमा के भोपाल में मौजूद रहने की बात पंकज को पता लग गई थी. पर यह खबर पंकज को कैसे लगी थी, यह खुलासा तो कहानी लिखे जाने तक नहीं हुआ था. (Hotel)  होटल में न जाने कैसे पंकज ने नीलिमा के साथ नजदीकियां हासिल करने में सफलता हासिल कर ली. फिर जो हुआ, वह ऊपर बताया जा चुका है. मामले पर लीपापोती की कैसीकैसी कोशिशें की गईं, यह पुलिस काररवाई से भी समझ आता है कि पुलिस का एक बयान यह भी सुर्खियों में रहा था कि नीलिमा पहले से जहांनुमा रिट्रीट में ठहरी हुई थी और पंकज भी उसी होटल में रुका था.

हादसे की रात 12 बजे पंकज दरवाजा खुलवा कर जबरन नीलिमा के कमरे में घुस गया और उस ने नीलिमा के साथ बलात्कार किया. सुबह कोई 3 बजे जैसेतैसे कर के नीलिमा कमरे से बाहर आई और होटल प्रबंधन को अपने साथ हुए हादसे से अवगत कराया. खबर मिलने पर पुलिस आई और नीलिमा की रिपोर्ट दर्ज की. इस विरोधाभास पर पुलिस की ओर से कोई स्पष्टीकरण जारी न होना भी हैरत की बात थी. पूछताछ में पुलिस के उड़े होश नीलिमा ने बताया कि पंकज ने उस के साथ दुष्कर्म के अलावा मारपीट और गालीगलौज भी की और उस की बेटी को अगवा करने की भी धमकी दी थी.

नीलिमा की शिकायत पर पुलिस ने पंकज के खिलाफ भादंवि की धाराओं 376, 294 और 323 के तहत मामला दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर लिया और मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे जमानत मिल गई. इस के पहले उस का मैडिकल भी कराया गया था. यह मामला उतना सहज नहीं है जितना लग रहा है. इस की वजह यह है कि रिपोर्ट लिखाते वक्त नीलिमा ने 3 बार अपने बयान बदले थे. अलावा इस के इतने बड़े पद पर होने के बाद भी उस ने ऐसे आदमी पर भरोसा क्यों किया जो उस के साथ पहले भी ज्यादती कर चुका था. तब उस ने उस की रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं कराई. इस के बावजूद भी वह आधी रात को उस के साथ एक कमरे में रुकने और सोने भी चली गई. यह बात भी समझ से परे है.

ऐसे कई झोल इस हाईप्रोफाइल बलात्कार केस में हैं, जो अब शायद ही सामने आएं. वजह पुलिस इस बारे में ज्यादा जानकारियां नहीं दे रही. चर्चा यह भी रही कि दोनों भोपाल में रहते हुए कई अधिकारियों और एक रसूखदार भाजपा नेता से भी मिले थे. पंकज सिंह से पूछताछ की गई तो पुलिस वालों के रहेसहे होश भी तब उड़ गए. जब यह पता चला कि उस के पिता रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं और एक भाई कलेक्टर और दूसरा भाई आईपीएस अधिकारी है. आरोपी और पीडि़ता दोनों रसूखदार और पहुंच वाले हों तो पुलिस वालों के लिए एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी स्थिति हो जाती है, इसलिए पुलिस ने मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया और बलात्कार का यह मामला आयागया हो गया.

वैसे भी इसे बलात्कार मानने और कहने में हिचकने की अपनी वजहें हैं जिन्हें पंकज सिंह का वकील अदालत में गिनाएगा कि यह सब पीडि़ता की सहमति से हुआ था. क्योंकि वह अपनी मरजी से उस के मुवक्किल के साथ कमरे में ठहरी थी और बलात्कार से बचने के लिए चिल्लाई नहीं थी, फिर इसे बलात्कार कैसे कहा जा सकता है. रही बात पहले किए गए दुष्कर्म की तो भोपाल पुलिस इस बात को पचाने में कामयाब रही कि ऐसा कोई वीडियो उसे नहीं मिला था.

इस हाईप्रोफाइल बलात्कार केस के चर्चे भोपाल के राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में है कि देखें कोई नया गुल खिलता है या फिर दोनों पक्षों में अदालत से बाहर समझौता हो जाएगा, जिस की उम्मीद ज्यादा है.

Crime Story : स्कूल कर्मचारी ने 4 साल की बच्ची को बनाया हवस का शिकार

Crime Story एक जानेमाने स्कूल के कर्मचारी ने 2 बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया. ताज्जुब की बात यह कि पेरैंट्स की शिकायत के बाद भी न तो स्कूल प्रशासन और न ही पुलिस ने कोई काररवाई की. इस पर जब लोगों का गुस्सा भड़का तो…

महाराष्ट्र के पुणे जिलांतर्गत बदलापुर में एक बहुत ही चर्चित स्कूल है, जहां नर्सरी-केजी से ले कर 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. यहां मराठी और अंगरेजी माध्यम से पढऩे वाले बच्चों की संख्या 1200 के करीब है. मराठी माध्यम के स्कूल सरकारी अनुदान से चलते हैं, जबकि अंगरेजी वाले स्कूल पूरी तरह से प्राइवेट हैं. यहां केजी के बच्चों में खासकर लड़कियां कक्षा शुरू होने से पहले काफी चहकतीफुदकती रहती हैं. उन की हंसी और मीठीमीठी बातें स्कूल के बरामदे, कक्षाएं और खेलकूद के लगे झूलों आदि की जगहों पर गूंजती रहती हैं. यह सब प्रार्थना शुरू होने से पहले कुछ समय तक चलता रहता है, फिर लंच के समय भी ऐसा ही माहौल बन जाता है.

इस दरम्यान बच्चों के लिए एक कोने में बने टायलेट के पास भी उन का लगातार आनाजाना लगा रहता है. उन को अकसर दरवाजे की कुंडी खोलने और बंद करने में मुश्किल आती है. वे अपने कद के मुताबिक वाश बेसिन तक नहीं पहुंच पाते हैं. उन की मदद और टायलेट की साफसफाई के लिए कुछ कर्मचारी नियुक्त हैं. उन्हीं में 24 साल का अक्षय शिंदे भी था, जो पहली अगस्त से नौकरी पर लगा था. इसी तरह से कई बार टायलेट की कुंडी भीतर से नहीं बंद हो पाती थी. शिंदे भिड़े हुए दरवाजे पर खड़ा हो जाता था, ताकि उस के रहते दूसरा कोई दरवाजा न खोल दे. इस क्रम में कई बार दरवाजे के कुछ खुले हिस्से से स्कर्ट के नीचे अर्धनग्न लड़की दिख जाती थी.

यह सब विवाहित अक्षय की दिनचर्या का मजेदार हिस्सा बन चुका था. उस की नजरें बच्चियों पर घूरने लगी थीं. खुराफाती दिमाग में वासना की आग सुलग चुकी थी. वह वैसे मौके की तलाश में रहने लगा था, जब कोई बच्ची एकांत में मिल जाए. कक्षा के दौरान बच्ची टायलेट आए. यह मौका भी उसे 13 अगस्त को मिल गया. एक 4 साल की बच्ची जैसे ही बाथरूम में घुसी, पीछे से वह भी घुस गया. बच्ची कुछ समझ पाती, इस से पहले उस ने बाहर के दरवाजे की कुंडी भीतर से लगा दी. कुछ मिनटों में जब बच्ची बाहर आई, तब हमेशा की तरह बच्ची को वाश बेसिन के पास उठा लिया. एक हाथ से उस की कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से बच्ची के प्राइवेट पार्ट को छेडऩे लगा. बच्ची ठुनकने लगी. बोली, ”दादा, क्या करते हो, गंदी बात है.’’

”चुप रहो, नहीं तो गला दबा दूंगा…’’ शिंदे की घुड़की से बच्ची चुप हो गई.

वह डरी हुई बच्ची के साथ दुष्कर्म कर बैठा. इस के बाद उस ने उसे अपने हाथों से कपड़े पहनाए, आंसू पोंछे और धमकाते हुए बोला, ”यह सब किसी को मत बताना, वरना तुम्हें गाड़ी से कुचलवा दूंगा. वहीं मर जाओगी मोटे टायर के नीचे दब कर…’’

उसी दिन शिंदे ने एक दूसरी 3 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, अपनी वासना की आग ठंडी की. उसे भी डराधमका दिया था. लड़की के दादाजी उसे स्कूल छोडऩे जाने के लिए हर रोज की तैयार बैठे थे, लेकिन वह अभी सो रही थी. उन्होंने उस की मां से पूछा कि वह अभी तक तैयार क्यों नहीं हुई? स्कूल जाने का समय हो गया है. लड़की की मां ने बताया कि उस की देह थोड़ी गर्म है. उन्होंने वायरल फीवर की आशंका जताते हुए उसे आराम करने दिया.

बच्ची पूरे दिन वह गुमसुम बैड पर लेटी रही. उस की मम्मी ने उसे वहीं गोद में बिठा कर खाना खिला दिया. फिर सो गई. शाम को भी कमरे से बाहर नहीं निकली, जबकि वह स्वस्थ दिख रही थी. फिर भी मम्मी ने उसे आराम करने दिया. 15 अगस्त को भी बच्ची ने स्कूल जाने से इनकार कर दिया. मम्मी ने प्यार से पुचकारते हुए पूछा, ”क्या बात है बेटा… स्कूल में टीचर ने डांटा क्या?’’

इस का जवाब उस ने कुछ भी नहीं दिया. चुप्पी साधे रही.

काफी प्यारदुलार के बाद उस ने बताया, ”मम्मी, सूसू करने में मुझे तकलीफ होती है.’’

”कैसी तकलीफ…ठीकठीक बताओ… डाक्टर के पास ले चलूंगी.’’ मम्मी चिंतित हो गई.

”सूसू में लगता है चींटियां चल रही हैं.’’ बच्ची बोली.

इस पर उस ने अपनी पति से बात की और तुरंत डाक्टर के यहां ले जाने के लिए कहा.

बच्ची को तुरंत डाक्टर के पास ले जाया गया. डाक्टर ने उस का चैकअप किया और पेशाब करने में आई शिकायत पर जांच की. जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि बच्ची के साथ यौनाचार किया गया है, जिस कारण उस का प्राइवेट पार्ट जख्मी हो गया है. डाक्टर से यह सुनना था कि लड़की के मम्मीपापा ने सिर पकड़ लिया. वे गुस्से में भी आ गए. उन्होंने उस के साथ पढऩे वाली उस की फ्रैंड के घर फोन मिलाया. उन के पैरेंट्स से मालूम हुआ कि वह भी 2 दिनों से स्कूल नहीं जा रही है…डरी हुई है. बारबार कहती है…मुझे मार देगा…नहीं जाऊंगी स्कूल!

उन्हें जब स्कूल नहीं जाने का कारण मालूम हुआ, तब वे भी गुस्से में आ गए. दोनों लड़कियों के पेरैंट्स ने तुरंत स्कूल प्रशासन को इस की सूचना दी, लेकिन स्कूल ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. दोनों के साथ स्कूल के दौरान रेप की घटना से इनकार कर दिया. सिर्फ इतना कहा कि सीसीटीवी 15 दिन से बंद है. इस के बाद पेरैंट्स बच्ची को हौस्पिटल ले कर गए. वहां के डाक्टर ने भी रेप की पुष्टि कर दी. फिर बदलापुर थाने पहुंच कर आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की. लेकिन सीनियर पुलिस इंसपेक्टर शुभदा शितोले ने केस दर्ज करने में आनाकानी की. दोनों बच्चियों के पेरैंट्स को घंटों थाने में बिठाए रखा. इस के बाद पुलिस अधिकारी हरकत में आए. इस लापरवाही और देरी के लिए सीनियर इंसपेक्टर शुभदा शितोले को सीनियर पुलिस अधिकारी ने सस्पेंड कर दिया.

मैडिकल जांच में यह साबित हो गया था कि बच्चियों के साथ घिनौना काम हुआ है. पुलिस स्टेशन में रात साढ़े 12 बजे जा कर शिकायत दर्ज होने के बाद पीडि़त बच्चियों ने पुलिस को दिए बयान में दुष्कर्म करने वाले स्कूल कर्मचारी अक्षय शिंदे का नाम बता दिया था. उस की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने पहल की और सुबह होतेहोते वह गिरफ्तार कर लिया गया. तब तक यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी थी. बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे की करतूत कोलकाता रेप कांड के आरोपी संजय राय के मामले के बाद ही सामने आई थी. कोलकाता रेप कांड पर लोग पहले से ही गुस्से में थे. पूरे देश में जगहजगह विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. उन्हीं दिनों इस घटना ने आंदोलन की आग में और घी डाल दिया. लोग सड़कों पर उतर आए.

आंदोलनकारी बदलापुर स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पर विरोध जताने लगे. ट्रेन की आवाजाही बंद हो गई. विरोध प्रदर्शन के कारण मुंबई सूरत वंदे भारत, पुणे दुरंतो और अन्य प्रमुख ट्रेनों सहित कई लंबी दूरी की ट्रेनों के मार्ग भी बदलने पड़े. इस के साथ ही इंटरनेट बंद करने का भी आदेश दे दिया गया. साथ ही स्कूल में तोडफ़ोड़ हुई. आरोपी अक्षय शिंदे के घर पर भी हंगामा हुआ, तोडफ़ोड़ हुई. लोग इस घटना पर आक्रोश व्यक्त करने और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करने लगे. महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए. उन्होंने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने के भी आदेश दिए. वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया. सरकार ने आश्वासन दिया कि मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में होगी. शिंदे के खिलाफ पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया.

आरोपी शिंदे को लगातार कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया गया. शिंदे से पूछताछ के सिलसिले में चौंकाने वाली घटना सामने आई. उस की करतूतों की पोल भी खुलती चली गई. पता चला कि उस ने 3 शादियां की थीं, लेकिन तीनों पत्नियां उसे छोड़ कर जा चुकी थीं. अक्षय शिंदे ने अपना जुर्म कुबूल भी कर लिया था. उस के वीडियो को पुलिस को कोर्ट में पेश करना था. वह स्कूल में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करता था. इस मामले में पहले तो स्कूल प्रशासन ने भी घटना से इनकार किया था. पुलिस की तरह ही स्कूल के प्रिंसिपल तक ने वारदात की गंभीरता को नहीं समझा. जब पुलिस में मामला दर्ज हो गया, तब स्कूल प्रशासन ने भी आननफानन में सख्त कदम उठाए और स्कूल के प्रिंसिपल, क्लास टीचर और एक महिलाकर्मी को भी सस्पेंड कर दिया.

स्कूल के ट्रस्टी फरार हो गए थे, जिन की अक्तूबर में गिरफ्तारी हो गई. हालांकि वे बचने के लिए हर 2-3 दिन में अपना ठिकाना बदलते रहे. उन्होंने अपने फोन बंद कर लिए. इस के अलावा डेढ़ महीने तक फरार रहने के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने घर वालों से संपर्क नहीं किया. मामले की जांच कर रही स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम (एसआईटी) को पूछताछ के दौरान स्कूल ट्रस्टी उदय कोतवाल और तुषार आप्टे ने बताया कि उन से बहुत बड़ी गलती हो गई थी. दोनों ही इस वारदात की खबर फैलने के बाद बेहद घबरा गए थे और जनता के आक्रोश से डर कर भागते फिर रहे थे.

इस की सुनवाई बौंबे हाईकोर्ट में चल रही थी. हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लिया था और मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई कर रही थी, जबकि आरोपी अक्षय शिंदे पुणे की तलोजा जेल में बंद था. हाईकोर्ट के न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चह्वाण की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्कूल प्रशासन को भी जबरदस्त फटकार लगाते हुए कहा था कि स्कूल भी सुरक्षित नहीं. 4 साल की बच्ची को भी नहीं बख्श रहे.  सुनवाई में कोर्ट ने कई सवाल पूछे. पीठ ने आरोपी की गिरफ्तारी पर सवाल किया कि क्या 164 के तहत बयान रिकौर्ड किया गया है? इसी के साथ सुनवाई में न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि क्या पोक्सो के तहत एक्शन हुआ या नहीं?

जिस का जवाब देते हुए सरकारी वकील सर्राफ ने बताया कि महिला औफिसर की मौजूदगी में केस रजिस्टर किया जा चुका है. इस के बाद अदालत ने इस केस में डायरी और एफआईआर मांगी, जिस में बच्चियों के बयान दर्ज किए गए हों. लेकिन जब जज महोदय को मालूम हुआ कि बयान 164 के तहत रजिस्टर नहीं किया गया है और पोक्सो एक्ट के तहत स्कूल ने कोई ऐक्शन नहीं लिया था, तब स्कूल प्रशासन को फटकार लगाई गई. साथ ही स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम को जल्द से जल्द काररवाई करने के आदेश जारी किए गए. पुलिस को फटकार लगाते हुए जज ने कहा कि जब एफआईआर में यह लिखवाया गया है कि स्कूल को इस मामले की जानकारी दी गई थी, तब पुलिस को स्कूल पर पहले ही ऐक्शन लेना चाहिए था.

कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि 2 पीडि़ताओं में सिर्फ एक के बयान ही क्यों दर्ज किए गए? क्या अधिकारियों ने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत अनिवार्य रूप से पीडि़तों के बयान दर्ज किए?

कोर्ट ने एडवोकेट सर्राफ से अगली तारीख पर यह बताने को कहा कि उन के बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई? कोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर अपराध है. 2 बच्चियों के साथ यौन उत्पीडऩ हुआ, पुलिस मामले को गंभीरता से कैसे नहीं लेती? कोर्ट ने पीडि़तों की उम्र पूछी, जिस पर सर्राफ ने बताया कि एक बच्ची 4 साल और दूसरी 3 साल की है. कोर्ट ने कहा कि यह सब से बुरा है. कोर्ट ने कहा कि न केवल एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई, बल्कि स्कूल के संबंधित अधिकारियों ने शिकायत भी दर्ज नहीं की. यह एफआईआर कापी से साफ हो रहा है.

कोर्ट ने पूछा कि क्या बच्चियों की काउंसलिंग की जा रही है? पीडि़त बच्चियों के साथ जो हुआ, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हम जानना चाहते हैं कि राज्य ने पीडि़त बच्चियों की काउंसलिंग के लिए क्या किया है. कोर्ट ने कहा कि धारा 161 के बयानों के तहत दूसरी बच्ची के पिता के हस्ताक्षर क्यों लिए गए? कोर्ट ने आगे कहा कि हम यह जान कर आश्चर्यचकित हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरे पीडि़त के परिवार के बयान दर्ज नहीं किए. हमारे स्वत:संज्ञान लेने के बाद ही पुलिस ने दूसरी पीडि़ता के पिता के बयान दर्ज किए, वह भी आधी रात के बाद.

कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आप न केवल पीडि़त बच्चियों के बल्कि उन के परिवारों के भी बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज करेंगे. कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख तक उन्हें केस की फाइल देखनी है कि पुलिस ने क्या जांच की?

इधर कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उधर बदलापुर में बवाल बढ़ता जा रहा था. महाविकास अघाड़ी ने 24 अगस्त को महाराष्ट्र बंद का ऐलान कर दिया था. महाराष्ट्र में महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार, रेप की घटनाओं और सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमलावर बनी हुई थी. बदलापुर रेलवे स्टेशन पर 300 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. 70 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट भी किया गया.

आरोपी की मजिस्ट्रैट के सामने सुनवाई पूरी सुरक्षा में हो रही थी. क्राइम ब्रांच के अधिकारी 23 सितंबर, 2024 की शाम साढ़े 5 बजे जेल से आरोपी अक्षय शिंदे को हिरासत में लेने के बाद तलोजा जेल से निकले थे. शाम करीब साढ़े 6 बजे पुलिस टीम जब मुंब्रा बाईपास के पास पहुंची तो अक्षय ने कथित तौर पर एक कांस्टेबल से हथियार छीन लिया और गोली चलाने लगा. इस के जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग कर दी. इस में वो बुरी तरह से घायल हो गया और घटनास्थल पर ही उस की मौत हो गई.

इस तरह से बदलापुर रेप केस के मुख्य आरोपी की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई. हालांकि खून से लथपथ आरोपी को अस्पताल में भरती कराया गया था, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था.

 

अलमारी में कैद लिवइन पार्टनर

25 वर्षीय रुखसार उर्फ रिया और विपुल टेलर का प्यार एक बार की मुलाकात के बाद ही अमरबेल की तरह बढ़ गया था. बाद में दोनों लिवइन रिलेशन में भी रहने लगे. फिर एक दिन रुखसार की लाश उस के ही कमरे की अलमारी में बंद मिली. कौन था रुखसार का हत्यारा और क्यों की गई उस की हत्या? पढि़ए, लव क्राइम की खास स्टोरी.   

मुस्तकीम इंसपेक्टर धनंजय को एक अलमारी के पास ले गया. अलमारी का दरवाजा खुला हुआ था. उस के अंदर का मंजर दिल दहला देने वाला था. अलमारी के अंदर एक 25-26 साल की युवती की लाश थी. लाश इस पोजिशन में थी, जैसे उस की हत्या करने के बाद अलमारी में उसे बिठा दिया गया हो. चेहरा बुरी तरह भारी चीज के वार से कुचलने की कोशिश की गई थी. उस की आंखें फटी पड़ी थीं, इस से इंसपेक्टर ने अनुमान लगाया कि उसे गला घोंट कर मारा गया है. युवती के जिस्म पर चोट के निशान भी दिखाई दे रहे थे.

इंसपेक्टर धनंजय सिंह ने दक्षिणपश्चिम जिले के डीसीपी अंकित सिंह को इस हत्या की सूचना दे दी. उन्होंने घटनास्थल पर द्वारका थाने की औपरेशन सेल की टीम और फोरैंसिक टीम को भेज दिया. फोरैंसिक टीम ने अलमारी में बैठी अवस्था में युवती की लाश के कई एंगल से फोटो खींचे, अलमारी के दरवाजे और आसपास से फिंगरप्रिंट्स उठाए. फिर लाश को बाहर निकाल कर फर्श पर लिटा दिया. गुजरात का खूबसूरत शहर सूरत. इसी शहर में रुखसार उर्फ रिया का स्पा सेंटर था. इस वक्त सुबह के 10 बजे थे, रुखसार ने स्पा सेंटर खोल लिया था. वह सफाई से निपटी ही थी कि 18-19 साल की एक लड़की स्पा में अपना फेशियल करवाने के लिए आ गई. 

अभी स्पा में काम करने वाली 4 लड़कियों में से कोई भी लड़की काम पर नहीं आई थी इसलिए स्पा में आने वाली उस युवा कस्टमर को रुखसार ने संभाला. लड़की को कुरसी पर बिठा कर रुखसार ने उस का फेशियल करना शुरू कर दिया. उस ने लड़की के चेहरे पर क्लींजिंग किया और दूसरे स्टेप के लिए हथेली पर लोशन लिया, तभी स्पा का दरवाजा तेजी से खुला और एक युवक बदहवासी की हालत में रुखसार से आ कर टकराया. रुखसार इस अकस्मात टक्कर से संभल नहीं पाई, उस का सिर दीवार पर लगे बड़े आइने से टकराया. 

आईने का कांच छन्नाक की आवाज के साथ टूट कर नीचे बिखर गया. गनीमत यह रही कि इस टक्कर से रुखसार के सिर पर चोट नहीं आई. उस का सिर भन्ना गया. दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ कर वह फर्श पर बैठ गई. उस बदहवास युवक ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. वह फुरती से संभला और लपक कर स्पा का दरवाजा बंद कर दिया. ऐसा कर के वह दरवाजे के साथ लटक रहे परदे की ओट में दुबक कर खड़ा हो गया. कुछ देर बाद रुखसार संभली. वह गुस्से से खड़ी हो गई और उस परदे के पास आ गई, जिस के पीछे उस से टकराने वाला युवक दुबका खड़ा था.

ऐ मिस्टर… बाहर आओ.’’ रुखसार जोर से चीखी.

युवक सहमता हुआ परदे की ओट से बाहर आया. वह 27-28 साल का हैंडसम युवक था. शरीर पर सफेद शर्ट और ब्राउन रंग की डेनिम की जींस पहने था. चौंकाने वाली बात यह थी कि उस के माथे पर गहरी चोट थी, जिस में से बह रहे खून ने उस के चेहरे और शर्ट को भिगो दिया था. रुखसार का सारा गुस्सा काफूर हो गया. युवक को जख्मी देख कर वह घबरा गई. युवक की ओर झुक कर वह परेशान स्वर में बोली, ”अरे! तुम तो बहुत जख्मी हो!’’

बस यूं ही भागते वक्त ठोकर खा कर गिर गया और माथे पर चोट लग गई.’’ युवक जेब से रुमाल निकालते हुए बोला.

जख्म गहरा है. चलो पास में ही डाक्टर की दुकान है, वहां से मरहमपट्टी हो जाएगी.’’

नहीं, मैं बाहर नहीं जाऊंगा.’’ युवक घबरा कर बोला, ”बाहर पुलिस वाले मेरी टोह में होंगे.’’

पुलिस?’’ रुखसार के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी, ”क… क्या गुनाह किया है तुम ने जो पुलिस तुम्हारे पीछे लगी है?’’

मैं ने कोई गुनाह नहीं किया.’’ युवक ने सफाई दी, ”हमारी गली में मर्डर हुआ था, मैं उस वक्त वहां खड़ा था. बुजुर्ग को चाकू मारने वाले भाग गए थे. पुलिस वाले वहां आए तो मुझे ही खूनी मान कर मुझे पकड़ लिया. रात भर मुझे लौकअप में रखा, सुबह अदालत ले जाने लगे तो मैं हाथ छुड़ा कर भाग आया हूं.’’ 

ओह! रुखसार ने सहानुभूति दिखाई, ”यह पुलिस वाले बड़े जालिम होते हैं, असली पर हाथ नहीं डालते, निर्दोष को पकड़ते हैं. चलो तुम कुरसी पर बैठो, मेरे पास डिटोल भी है और एंटीसेप्टिक क्रीम भी. मैं पट्टी कर देती हूं.’’

पहली मुलाकात में ऐसे हो गया प्यार

युवक कुरसी पर आज्ञाकारी बच्चे की तरह बैठ गया. वह कस्टमर लडकी जो फेशियल करवाने आई थी, बहुत ही हैरान बैठी रुखसार और उस जख्मी युवक की बातें सुन रही थी.

थोड़ा वेट करना पड़ेगा सिस्टर!’’ रुखसार ने उस लड़की से कहा, ”पहले इन्हें देखना जरूरी है.’’

कोई बात नहीं.’’ लड़की जल्दी से बोली, ”मैं वेट कर लूंगी.’’ 

रुखसार उस युवक के जख्म की मरहमपट्टी करने में व्यस्त हो गई.

क्या नाम है तुम्हारा?’’ रुखसार ने जख्म को डिटोल से साफ करते हुए पूछा.

विपुल टेलर.’’ युवक ने बताया.

कहां के रहने वाले हो?’’

यहीं सूरत में रहता हूं. मेरा इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनैस है.’’

रुखसार ने विपुल के जख्म पर मरहम लगा कर रुई रखी और टेप चिपका दी. विपुल टेलर ने कुरसी से उठ कर जेब में से पर्स निकाला और 5-5 सौ के 10 नोट निकाल कर रुखसार की तरफ बढ़ा दिए, ”यह रखो, तुम्हारा आईना मेरी वजह से टूटा है, उस की कीमत. ये 5 हजार रुपए हैं, कम हो तो बता दो.’’ 

रुखसार मुसकराई, ”मेरा आईना केवल 12 सौ रुपए का था. टूट गया तो क्या हुआ, पुराना हो गया था, मैं इसे बदलने वाली थी. तुम रुपए पर्स में रख लो.’’

नहीं. ये तुम्हारे नाम के निकले हैं, तुम्हें लेने ही होंगे. अब महंगा वाला आईनाखरीद लाना.’’ विपुल ने कहते हुए रुखसार की कलाई पकड़ कर 5 हजार रुपए जबरन रुखसार की हथेली पर रख दिए. रुखसार ठगी सी खड़ी रह गई. उस की कलाई पकड़ कर विपुल ने ऐसा महसूस करा दिया था कि वह अपनी बात मनवाने के लिए जिद्ïदी है.

तुम ने अपना नाम नहीं बताया अभी तक,’’ विपुल ने बुत बन कर खड़ी रुखसार से पूछा. रुखसार नींद से जागी हो जैसे, हड़बड़ाते हुए बोली, ”मेरा नाम रिया है. मैं भी यहां सूरत में रहती हूं. यह स्पा सेंटर मैं ने ही खोल रखा है.’’

मेहनती हो…’’ विपुल आगे को झुक कर धीरे से बोला, ”खूबसूरत भी हो. तुम से प्यार करने के लिए दिल मचलने लगा है, अगली मुलाकात जल्दी करूंगा.’’

विपुल अपने मन की बात कह कर तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ा. उस ने दरवाजा खोल कर इधरउधर देखा, फिर तेजी से बाहर निकल गया. रुखसार हैरत में डूबी अपनी जगह खड़ी रह गई. वहां पर मौजूद कस्टमर लड़की के होंठों पर गहरी मुसकान थी. पहली अकस्मात मुलाकात में प्यार कैसे हो जाता है, यह उस ने अपनी आंखों से देखा था. विपुल टेलर रुखसार के दिल में पहली मुलाकात में ही खलबली मचा गया था. उस मुलाकात के बाद रुखसार ठीक से सो नहीं पाई थी. उस की आंखों के सामने विपुल का चेहरा बारबार घूम रहा था. विपुल हैंडसम युवक है, उस ने पहली मुलाकात में ही प्यार का इजहार कर दिया. वह हैंडसम ही नहीं, पैसे वाला भी है, 12 सौ के आईने के बदले 5 हजार रुपए दे गया. इस दिलफेंक आशिक से दोस्ती घाटे का सौदा नहीं रहेगी. 

रुखसार के दिल में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. विपुल ने अपना केवल नाम ही बताया था, वह कहां रहता है यह नहीं बताया. दोबारा आने को कह गया था, अगर वह नहीं आया तो विचारों में खोई रुखसार का मन अपने काम में नहीं लग रहा था. जैसेतैसे शाम ढली, स्पा में काम करने वाली लड़कियां छुट्टी कर के चली गईं. रुखसार निढाल सी कुरसी पर बैठ गई. आज वह खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रही थी. उस ने आंखें बंद कर लीं और सिर कुरसी की पुश्त से सटा दिया. तभी दरवाजे को धकेल कर विपुल प्रकट हुआ. और पैरों में चमचमाते हुए शूज और मैरून कलर के सफारी सूट में देखते ही रुखसार कुरसी से उतर कर उस की ओर लपकी.

”3 दिन बाद आए हो,’’ रुखसार करीब पहुंच कर शिकायत करते हुए बोली, ”कहां थे 3 दिन से?’’

विपुल मुसकराया, ”ये तड़प, ये उतावलापन. लगता है तुम्हें मुझ से प्यार हो गया है.’’

रुखसार का चेहरा शरम से सुर्ख हो गया. वह विपुल के सीने से लग कर धीमे से बोली, ”यह इश्क की आग तुम ने ही तो लगाई है विपुल. 3 दिनों में ही तुम्हारी दूरी ने मुझे बेचैन कर दिया है.’’ 

विपुल ने उसे बाहों में भींच कर उस के ललाट पर चुंबन लेते हुए फुसफुसा कर कहा, ”मुझ से शादी कर लो रिया, मैं भी अब तुम बिन नहीं रह पाऊंगा.’’

एकाएक रुखसार छिटक कर विपुल के सीने से अलग हो गई. विपुल उस की इस हरकत पर हैरान रह गया. रुखसार कुरसी पर बैठ कर फर्श पर देखने लगी थी.

क्या हुआ रिया, शादी की बात पर तुम मेरे सीने से दूर क्यों हो गई?’’ 

तुम मेरी हकीकत जान लोगे तो मुझ से शादी की बात फिर नहीं करोगे.’’ रुखसार गंभीर हो गई थी. 

मैं तुम्हारी हकीकत जान लूंगा, तब भी अपनी बात पर अडिग रहूंगा रिया.’’ विपुल उस के करीब आ कर गंभीर स्वर में बोला, ”बताओ, तुम मुझ से शादी क्यों नहीं करना चाहती?’’

रुखसार ने विपुल के चेहरे पर अपनी नजरें टिका दीं, ”मैं पहले से ही शादीशुदा हूं विपुल, लेकिन…’’

रुखसार ने अपनी बात बीच में छोड़ दी. विपुल उस की शादी वाली बात पर निराश हुआ, किंतु लेकिनवाले शब्द में उसे अपने लिए कुछ गुंजाइश नजर आई. उस ने जल्दी से पूछा, ”लेकिन क्या रिया?’’

मेरी जिस शख्स से शादी हुई थी, उस से 2 साल बाद ही तलाक हो गया था. अब मैं अकेली अपनी जिंदगी गुजार रही हूं.’’

ओह! फिर तो कोई अड़चन नहीं है.’’

अड़चन अभी भी है विपुल,’’ रुखसार के स्वर में अब पहले से ज्यादा गंभीरता थी.

अब क्या अड़चन है रिया?’’ विपुल हैरान हो कर बोला.

रहने दो विपुल.’’ रुखसार का स्वर भीगने लगा, ”मेरी इस अड़चन की बात सुनने के बाद तुम तुरंत यहां से चले जाओगे… मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती, विपुल.’’

अगर मेरे लिए तुम्हारे दिल में इतना प्यार है तो रिया मैं भी वादा करता हूं, तुम्हारी बात कितनी भी कड़वी हो, मैं उसे मीठा शरबत समझ कर पी लूंगा. बताओ, अब कैसी अड़चन है हमारी शादी में.’’

”मैं रिया नहीं रुखसार हूं, एक मुसलिम लड़की…’’ कहतेकहते रुखसार रोने लगी. विपुल एक पल को हैरान सा अपनी जगह खड़ा रहा. फिर वह लपक कर रिया के करीब आया. उस के पास घुटनों के बल बैठ गया और उस के आंसुओं को पोंछते हुए बोला, ”तुम मुसलमान हो तो क्या हुआ रिया, प्यार किसी मजहब को नहीं मानता. प्यार में ऊंचनीच भी नहीं देखी जाती. प्यार तो प्यार होता है. मैं अब भी तुम से शादी करूंगा रिया उर्फ मेरी रुखसार.’’ विपुल जोश से बोला. 

रुखसार उस के कंधे पर झुक गई और जारजार रोने लगी. विपुल उस की पीठ सहलाते हुए किसी गहरी सोच में डूब गया था. रुखसार के आंसू नहीं थम रहे थे. प्यार भरे 2 दिल एकदूसरे के घड़कनों की आवाजें सुन रहे थे. उन प्रेमियों के कान में एक ही स्वर गूंज रहा था, ”प्यार किसी मजहब को नहीं मानता. प्यार तो बस प्यार होता है.’’ इस तरह विपुल और रुखसार का प्यार इतनी आगे बढ़ गया कि उस ने एक नई कहानी ही गढ़ दी.

दक्षिणपश्चिम दिल्ली में स्थित है डाबड़ी थाना. 4 अप्रैल, 2024 को थाने के एसएचओ धनंजय सिंह आवश्यक फाइलें देखने में व्यस्त थे. समय था रात के पौने 12 बजे का. उन्हें चाय की तलब लगी तो घंटी बजा कर उन्होंने अर्दली को अंदर बुलाया और चाय लाने के लिए कहा. कुछ ही देर में गरमागरम चाय का कप उन के सामने आ गया. अभी उन्होंने चाय का एक घूंट ही भरा होगा कि सामने रखा फोन घनघना उठा. हाथ बढ़ा कर धनंजय सिंह ने रिसीवर उठा कर कान से लगा लिया. फोन पुलिस कंट्रोल रूम से किया जा रहा था. उन्हें कंट्रोल रूम से सूचना दी गई कि द्वारका क्षेत्र के राजापुरी इलाके की गली नंबर 10 में एक युवती की हत्या कर दी गई है. मौकामुआयना करें. 

धनंजय सिंह ने जल्दी से चाय का कप खाली किया और अपनी जगह छोड़ दी. अपने साथ पुलिस टीम ले कर वह राजापुरी इलाके के लिए रवाना हो गए. राजापुरी की गली नंबर 10 में पुलिस टीम पहुंची तो वहां सन्नाटा था. पुलिस वैन के सायरन की आवाज से कई फ्लैट में लाइट जल गई. दरवाजेखिड़कियां खुल गईं. इंसपेक्टर धनंजय सिंह ने पुलिस वैन रुकवा दी. वह पुलिस टीम के साथ नीचे उतरे तो एक सांवले रंग का व्यक्ति लपकता हुआ उन के पास आ गया.

इंसपेक्टर धनंजय सिंह ने उस पर नजरें जमा कर पूछा, ”यहां किसी युवती की हत्या हुई है?’’ 

वह मेरी ही बेटी है साहब.’’ वह व्यक्ति भर्राए स्वर में बोला, ”मेरा नाम मुस्तकीम है, मैं ने ही पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया था.’’

तुम्हारी बेटी की लाश कहां पर है?’’ इंसपेक्टर धनजय सिंह ने पूछा. 

यह सामने का डी-1/12 के फ्लैट के फस्र्ट फ्लोर में. आप मेरे साथ आइए.’’

मुस्तकीम ने कहते हुए अपने कदम सामने वाले फ्लैट की ओर बढ़ा दिए. इंसपेक्टर धनंजय सिंह अपनी टीम के साथ उस के पीछे चलते हुए फ्लैट के फस्र्ट फ्लोर पर पहुंच गए. यहां बैडरूम नजर आ रहा था. उस में बैड पड़ा था. बैडरूम में हर तरफ सामान बिखरा हुआ था. ऐसा लगता था जैसे यहां 2 लोगों के बीच काफी संघर्ष हुआ है. कमरे की अलमारी में एक युवती की लाश थी. वह लाश मुस्तकीम की 25 वर्षीय बेटी रुखसार उर्फ रिया की थी. बारीक से बारीक सबूत इकट्ठा करने के बाद लाश की कागजी काररवाई पूरी की गई, फिर युवती की लाश को पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल भिजवा दिया गया.

युवती के पिता मुस्तकीम से पूछताछ की गई तो यह मालूम हुआ कि मुस्तकीम ने रुखसार का निकाह गुजरात के सूरत शहर में मोहम्मद मोहसिन के साथ सन 2017 में किया था. रुखसार पति के साथ 2 साल रही, फिर घरेलू क्लेश के कारण उस का तलाक हो गया. रुखसार की गोद में उस वक्त उस की एक साल की बच्ची थी. रुखसार ने अपने पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी. बेटी को उस ने पिता के हवाले कर दिया और सूरत में आ कर अपना स्पा सेंटर खोल लिया. उस ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था. उस का स्पा सेंटर अच्छा चल निकला. सहयोग के लिए रुखसार ने 3-4 लड़कियों को स्पा में कार्य करने के लिए रख लिया.

मुस्तकीम ने बताया कि 2 साल पहले रुखसार की जिंदगी में विपुल टेलर नाम का युवक आया था. रुखसार उस से मोहब्बत करने लगी. विपुल टेलर सूरत का ही रहने वाला था. रुखसार को उस ने बताया था कि उस का एक्सपोर्टइंपोर्ट का बिजनैस है. रुखसार उस की बातों में आ गई. उस पागल लड़की ने विपुल टेलर के कहने पर अपना अच्छाभला चलता हुआ स्पा सेंटर बंद कर दिया और दिल्ली आ गई. 

विपुल से 7 लाख रुपया ले कर रुखसार ने 42 लाख का यह फ्लैट खरीद लिया. इस की शेष रकम की किस्त विपुल टेलर ने चुकाने का वादा किया था, लेकिन रुखसार मुझे फोन कर के बताती थी कि वह विपुल के झांसे में आ कर अपना चलता हुआ स्पा सेंटर बंद कर आई. विपुल उसे रुपएपैसे से तंग रखता है. उस के साथ मौजमस्ती के लिए रह रहा है. फ्लैट की किस्तें भी नहीं चुका रहा है. वह कुछ ज्यादा बोलती है तो उस से मारपीट करने लगता है.

प्रेमी के इशारों पर क्यों चलने लगी रुखसार

मुस्तकीम ने बताया कि आज 3 अप्रैल, 2024 की दोपहर को ही रुखसार का फोन आया था. वह काफी घबराई हुई और डरी हुई थी. उस ने घबराई हुई आवाज में कहा था कि विपुल उसे मार डालेगा. आ कर मुझे यहां से मेरठ ले जाएं. मैं विपुल के साथ नहीं रहना चाहती. ऐसा वह अपनी ओर से मुझे फोन करने पर कई बार कहती रहती थी. आज भी मैं ने उसे केवल समझा दिया कि तुम लोगों में अकसर झगड़े होते रहते हैं. विपुल गुस्सा करे तो तुम चुप रहना, वह शांत हो जाएगा.

लेकिन रुखसार की आवाज में जो डर था, उस से मैं परेशान हो गया. मुझे लगा विपुल रुखसार का अहित न कर डाले, यह सोच कर अपने एकदो रिश्तेदारों को साथ में ले कर मैं मेरठ से दिल्ली आ गया. हम रात को 10 बजे फ्लैट पर पहुंचे थे. यहां गहरी खामोशी थी. फ्लैट का दरवाजा भी अंदर से बंद था. मुझे मालूम था रुखसार दरवाजे की एक चाबी खिड़की में छिपा कर रखती है. मैं ने वह चाबी ढूंढी और दरवाजा खोल लिया. अंदर सामान बिखरा देख घबराया. फ्लैट में 2 रूम हैं, 2 अटैच्ड टौयलेट बाथरूम हैं. एक ड्राइंगरूम है. 

हम ने रुखसार को आवाजें दीं, कोई उत्तर नहीं मिला तो हम उसे ढूंढने लगे तो मुझे मेरी बेटी की लाश इस अलमारी में मिली. विपुल टेलर मेरी बेटी की हत्या कर के भाग गया था. मैं ने पुलिस कंट्रोल रूम को इस हत्या की जानकारी दे दी. अब तक फ्लैट के सामने आसपास के फ्लैटस के निवासी एकत्र हो गए थे. एसएचओ धनंजय सिंह ने उन लोगों से रुखसार और विपुल टेलर के बारे में पूछताछ की. उन्हें बताया गया कि वैलेंटाइन डे 14 फरवरी को ये दोनों यहां रहने आए थे. प्रौपर्टी डीलर दीपक से इन्होंने यह फ्लैट खरीदा था. दोनों किसी से बातचीत नहीं करते थे. अधिकांश समय फ्लैट में ही बंद रहते थे. लोगों ने बताया कि आज रात 9 बजे विपुल काफी घबराया हुआ बाहर आया और अपनी कार ले कर बाहर चला गया.

पुलिस टीम और औपरेशन सेल के सामने इतना स्पष्ट हो गया था कि रुखसार का कातिल उस का प्रेमी विपुल टेलर है, जो वहां से फरार हो गया है. उसी रात डाबड़ी थाने में रुखसार के पिता मुस्तकीम की तरफ से विपुल टेलर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया गया. अब रुखसार की हत्या के दोषी विपुल टेलर को गिरफ्तार करना और उस से मालूम करना था कि उस ने अपनी प्रेमिका रुखसार उर्फ रिया की हत्या क्यों की.

विपुल की तलाश में जुटीं पुलिस टीमें

विपुल टेलर की गिरफ्तारी के लिए डीसीपी अंकित सिंह ने औपरेशन यूनिट और डाबड़ी थाने की पुलिस टीम के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की संयुक्त टीम का गठन कर दिया. इस में एसीपी (डाबड़ी) इशान भारद्वाज, एसीपी औपरेशन यूनिट (द्वारका) रामऔतार और इंसपेक्टर कमलेश कुमार, स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर सुभाष चंद्र, एसएचओ (डाबड़ी) धनंजय सिंह, एसआई राकेश, हैडकांस्टेबल दिनेश कुमार, परवीन को शामिल किया गया. एसीपी इशान भारद्वाज के नेतृत्व में पूरी टीम को काम करना था. एसीपी इशान भारद्वाज ने एक टीम को उसी रात सूरत भेज दिया. इन्हें सूरत में विपुल टेलर का पता लगाना था. 

दूसरी टीम ने फिर से घटनास्थल राजापुरी, गली नंबर 10 में पहुंच कर वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की तलाश की. गली के बाहर सड़क पर एक सीसीटीवी कैमरा लगा था, उस की फुटेज चैक की गई. फुटेज में विपुल की वह कार नजर आ गई, जिस में बैठ कर वह भागा था. कार का नंबर जूम कर के निकाला गया तो वह जीजे 05-जेएम 5411 था. यह कार गुजरात में रजिस्टर्ड थी. इस से साफ हो गया कि यह विपुल टेलर की ही कार है. क्योंकि विपुल टेलर गुजरात के सूरत का निवासी था.

इस टीम को पक्का विश्वास था, विपुल टेलर रुखसार की हत्या करने के बाद सूरत की ओर ही गया होगा. टीम ने पूरा विश्वास करने के लिए गुजरात जाने वाले मुंबई एक्सप्रैसवे के एंट्री टोल प्लाजा सोहना के सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग चेक की तो उन्हें विपुल अपनी कार से टोल प्लाजा पार करता नजर आ गया. इस कार का पीछा करने के लिए इंसपेक्टर सुभाष चंद्र के नेतृत्व में एसआई राकेश कुमार, हैडकांस्टेबल दिनेश, अजय कुमार और परवीन को मुंबई एक्सप्रैसवे पर रवाना कर दिया.

उधर द्वारका थाने की पुलिस अपने स्तर पर आसपास के राज्यों में विपुल टेलर को पकडऩे के लिए दबिश दे रही थी. इंसपेक्टर कमलेश कुमार दूसरी टीम ले कर पहली टीम के पीछे चल दिए. वह जानते थे कि राजस्थान में जा कर मुंबई एक्सप्रैसवे 2 भागों में बंट जाता है. एक कोटा हो कर, दूसरा उदयपुर के रास्ते गुजरात में पहुंचा जा सकता था. वह कोटा के रास्ते सूरत जाना चाहते थे. इंसपेक्टर सुभाष चंद्र की टीम ने विपुल टेलर की कार उस मुंबई एक्सप्रैसवे पर पकडऩे की कोशिश की. तकरीबन 1,400 किलोमीटर का सफर करते हुए आखिर इस टीम को सफलता मिल पाई. 

दिल्ली से निकले हुए उन्हें 48 घंटे हो गए थे. पहले वे भीलवाड़ा पहुंचे, उन्हें वहां मालूम हुआ कि यहां हाइवे पर एक युवक की सियाज कार खंभे से टकरा कर क्षतिग्रस्त हो गई थी. हाइवे पेट्रोलिंग टीम ने उस युवक के लिए एंबुलैंस बुलाई. एंबुलैंस ड्राइवर उसे अस्पताल ले जाना चाहता था, लेकिन उस घायल युवक ने ड्राइवर से कहा कि वह यहां के हौस्पिटल का खर्च नहीं उठा पाएगा. उस ने एंबुलैंस ड्राइवर के फोन से अपने किसी रिलेटिव से रुपए मंगवाए और दूसरी एंबुलैंस बुक कर के सूरत के लिए चला गया.

इंसपेक्टर सुभाष चंद्र ने हाईवे पैट्रोलिंग टीम से पहले वाली एंबुलैंस ड्राइवर का नंबर लिया. उस से बात कर के यह मालूम कर कि दूसरी एंबुलैंस जिस से विपुल टेलर सूरत गया है, उस के ड्राइवर का फोन नंबर क्या है. फोन नंबर मिलते ही इंसपेक्टर ने उस एंबुलैंस ड्राइवर से यह पूछा कि इस वक्त वह कहां पहुंचा है. ड्राइवर ने बताया कि वह उदयपुर पहुंचने वाला है. इंसपेक्टर सुभाष ने एंबुलेंस ड्राइवर को हिदायत दी कि वह अपनी रफ्तार कम रखे. इस के बाद इंसपेक्टर सुभाष ने अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़वा कर आखिर में विपुल टेलर वाली एंबुलैंस को ओवरटेक करने में यह टीम सफल रही. कार से उतर कर इस टीम ने एंबुलैंस में सवार विपुल टेलर को 8 अप्रैल, 2024 को दबोच लिया. वह उदयपुर में पकड़ा गया था.

एंबुलैंस ड्राइवर को धन्यवाद दे कर इंसपेक्टर सुभाष विपुल टेलर को ले कर दिल्ली के लिए वापस लौट पड़ी. रास्ते से ही उन्होंने इंसपेक्टर कमलेश कुमार को विपुल की गिरफ्तारी की सूचना दे दी. डीसीपी अंकित सिंह की उपस्थिति में विपुल टेलर से पूछताछ शुरू हुई. इंसपेक्टर कमलेश कुमार ने उसे घूरते हुए पूछा, ”2 साल पहले तुम ने रुखसार को अपने प्रेमजाल में फंसाया, उस का चलता हुआ स्पा सेंटर बंद करवा कर उसे दिल्ली लाए. 2 महीने से तुम दोनों यहां लिवइन रिलेशन में रह रहे थे, फिर तुम ने उस की हत्या क्यों कर दी?’’

”सर, वह बहुत हठी थी. मैं ने उसे फ्लैट खरीदने को 7 लाख रुपया दिया था. वह फ्लैट की किस्त के लिए मुझे टार्चर करती थी, वह मुझ पर शादी करने का दबाव भी बना रही थी. इन बातों से मैं परेशान हो गया, मैं ने रुखसार से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला घोंट दिया, जिस से उस की मौत हो गई.’’ विपुल ने बताया, ”सर, मैं उस से शादी नहीं करना चाहता था. मैं ने उसे समझाया कि जैसा चल रहा है चलने दो, लेकिन वह नहीं मानी. मुझे धमकी देने लगी कि शादी नहीं करोगे और फ्लैट की किस्त नहीं दोगे तो मैं तुम्हें रेप केस में फंसा दूंगी.’’

3 अप्रैल, 2024 को भी उस ने ऐसी ही धमकी दी तो मैं गुस्से में आ गया. मैं ने उसे लातघूंसों से मारा, फिर उस का गला घोंट दिया. उस समय वह शराब के नशे में थी. मैं लाश को छिपाना चाहता था. रुखसार की लाश को मैं जैसेतैसे अलमारी में ठूंस पाया. अलमारी बंद नहीं हुई तो उसे वैसे ही छोड़ दिया. फ्लैट का ताला बंद कर के मैं वहां से अपनी कार द्वारा निकल भागा. विपुल टेलर इसे पहला अपराध बता रहा था, किंतु उसे सूरत तलाश करने गई टीम ने उस का काला चिट्ठा खोला तो वहां उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए.

सूरत पहुंची टीम ने किसी तरह विपुल टेलर का घर ए-3/1301,स्वास्तिक रेजिडेंसी, जीडी गोयनका स्कूल को ढूंढ निकाला. लेकिन जब पुलिस टीम विपुल के पिता मनीष अरुण चंद्र टेलर से मिली तो पता चला कि विपुल हिस्ट्रीशीटर है. उस पर 10 केस पहले से चल रहे हैं. अदालत ने उसे तड़ीपार कर दिया है. जांच टीम ने वहां के क्षेत्रीय थाने में जब विपुल की बाबत पूछताछ की तो मालूम हुआ कि विपुल टेलर पढ़ालिखा युवक है, उस के पिता का प्रौपर्टी डीलर का अच्छा कारोबार है. बेटे को पढ़ाने के लिए उन्होंने उसे आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर भेजा था, लेकिन विपुल का वहां मन नहीं लगा और वह भारत लौट आया. 

2016 में एक धमकी के मामले में उसे और उस के पिता पर केस दर्ज हुआ था. दोनों जेल भी गए. फिर विपुल जमानत पर बाहर आ गया. इस के बाद वह ड्रग्स और हथियारों की तसकरी करने लगा. उस ने अपना नेटवर्क गुजरात से दिल्ली तक फैला लिया. जांच टीम ने विपुल की प्रेमिका रुखसार के विषय में भी चौंकाने वाला खुलासा किया. पता चला कि रुखसार स्पा सेंटर की आड़ में देह व्यापार का धंधा चलाती थी. उसे इस मामले में पुलिस ने 3 बार गिरफ्तार किया था और जेल भेजा था.

रुखसार ने क्या किया, क्या नहीं किया, यह कहानी उस की हत्या के साथ ही समाप्त हो गई. लेकिन उस का हत्यारा विपुल टेलर पुलिस की गिरफ्त में था. उसे जांच टीम ने दूसरे दिन अदालत में पेश किया और जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित