क्यों एक मां ने की कैंसर ग्रस्त बेटी की हत्या?

  23 अक्तूबर, 2018 की सुबह 5 बजे का समय था. गांव के लोग नींद से जाग कर दैनिककार्यों में लग गए थे. इसी बीच किसी के रोने चिल्लाने की आवाजें सुनाई देने लगीं. आवाजें संतोषी के घर से आ रही थीं. संतोषी अपने घर के बाहर बैठी थी, जमीन पर उस की 13 साल की बेटी अर्चना की लाश पड़ी थी.

गांव वालों ने पास जा कर देखा तो अर्चना की अचानक मौत से हतप्रभ हुए. लोगों ने संतोषी से पूछा तो उस ने बताया कि अर्चना के गले का कैंसर फट गया है. जब गांव के लोग एकत्र हुए तो उन के बीच तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. वजह यह थी कि अर्चना के गले पर तेज धारदार हथियार के निशान नजर आ रहे थे. यह घटना हरदोई जिले के सांडी थाना क्षेत्र के गांव नेकपुर में घटी थी.

इसी बीच किसी गांव वाले ने इस की सूचना सांडी थाने को दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी अरुणेश गुप्ता पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया तो गले में पतले फल वाले किसी धारदार हथियार से गला रेते जाने के निशान मिले.

जब इंसपेक्टर ने गला रेत कर हत्या किए जाने की बात बताई तो संतोषी बोली, ‘‘साहब, पिछले कुछ दिनों से अर्चना को गले का कैंसर था. मैं समझ रही थी कि वही कैंसर फट गया है. मैं और मेरे तीनों बेटे घर के बाहर बनी दोनों दुकानों में सो रहे थे. अर्चना अंदर कमरे में सो रही थी. सुबह जब मैं अंदर गई तो यह मरी पड़ी थी, गले से खून बह रहा था. मैं समझी इस का कैंसर फट गया है. मैं इसे उठा कर बाहर ले आई.’’

घर के अंदर जाने का एक ही रास्ता था, वह भी सामने से और दुकान के बराबर से हो कर जाता था, जो बंद था. घर के बाहर मेनगेट के बराबर में बनी 2 दुकानों में संतोषी और उस के तीनों बेटे सो रहे थे. ऐसे में हत्यारे ने कहां से आ कर घटना को अंजाम दे दिया,यह समझ के बाहर था.

घर का सभी सामान अपनी जगह पर था, कोई चीज गायब नहीं थी. अलावा अर्चना के मोबाइल के. अर्चना स्मार्टफोन इस्तेमाल करती थी. इसे ले कर थानाप्रभारी अरुणेश गुप्ता के दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे.

सूचना पा कर एसपी आलोक प्रियदर्शी और एएसपी ज्ञानंजय सिंह भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. जब उन्होंने संतोषी से कई बिंदुओं पर पूछताछ की तो उन की समझ में आ गया कि हत्या किसी करीबी ने की है.

अफसर समझ गए कि वह करीबी संतोषी ही है. लेकिन उस समय संतोषी को हिरासत में लेना ठीक नहीं था. पुलिस ने फैसला किया कि पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही उस पर हाथ डाला जाएगा. इसलिए अर्चना के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय स्थित मोर्चरी भेज दिया गया.

थाने लौट कर थानाप्रभारी अरुणेश गुप्ता ने संतोषी के बड़े बेटे मोनू की लिखित तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

अरुणेश गुप्ता ने अपने स्तर से ग्रामीणों से पूछताछ की तो संतोषी के चरित्र पर कई लोगों ने अंगुलियां उठाईं. मुख्य संदिग्ध होने की वजह से पुलिस ने संतोषी को 29 अक्तूबर को हिरासत में लिया. उस से महिला आरक्षी की मौजूदगी में कड़ाई से पूछताछ की गई तो वह टूट गई.

उस ने नशे में की गई अर्चना की हत्या का जुर्म स्वीकार करते हुए पूरी कहानी बयान कर दी. पूछताछ के बाद अरुणेश गुप्ता ने संतोषी के 15 वर्षीय बेटे मोनू और गांव के ही संतोषी के प्रेमी अभिमन्यु उर्फ अपन्नू उर्फ छोटे भैया को भी उसी दिन गिरफ्तार कर लिया.

संतोष उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के सांडी थाना क्षेत्र के गांव नेकपुर में अपनी पत्नी संतोषी के साथ रहता था. संतोषी से उस का विवाह 16 साल पहले हुआ था. कालांतर में वे 3 बेटों और एक बेटी के मांबाप बने. उन का बड़ा बेटा मोनू 15 साल का था और बेटी अर्चना 13 साल की. इस के अलावा उन के 9 और 8 साल के 2 बेटे और थे. संतोष टेलरिंग का काम करता था.

अर्चना पढ़ाई में काफी तेज थी. फिलहाल वह सांडी के नरपति सिंह इंटर कालेज में 8वीं कक्षा में पढ़ रही थी. अर्चना के बेहतर भविष्य के लिए संतोष ने 10 बीघा जमीन खरीद कर उस के नाम कर दी थी. उस से बड़े मोनू ने 7वीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल से नाता तोड़ लिया था.

4 बच्चों की मां बनने के बाद भी संतोषी की फरमाइशें खत्म होने का नाम नहीं ले रही थीं. संतोषी काफी सुंदर महिला थी. जैसे जैसे संतानें होती गईं, वैसे वैसे उस के सौंदर्य में और भी निखार आता गया.

संतोष चाहता था कि संतोषी बच्चों की परवरिश पर ध्यान दे, लेकिन संतोषी थी कि उसे सजने संवरने से ही फुरसत नहीं थी. कोई उस की खूबसूरती की तारीफ कर देता तो वह फूली नहीं समाती थी. वह परिवार की बंदिशों में बंध कर घुटन महसूस करती थी. लेकिन सामाजिक रीतिरिवाज को मानना उस की मजबूरी थी.

संतोषी के विवाह को जितने साल गुजर गए थे, उतने साल में पत्नियां अपने पतियों पर हावी हो जाती हैं. संतोषी भी अपवाद नहीं थी. संतोष कभी कुछ कहता तो संतोषी उसे चुप करा देती थी. वह मन मसोस कर रह जाता था.

खुले स्वभाव के कारण संतोष किसी से बात करने में भी गुरेज नहीं करती थी. इसी वजह से वह कई पुरुषों के संपर्क में आ गई थी. उन में से एक सर्वेश भी था. सर्वेश उसी गांव में रहता था और लकड़ी की ठेकेदारी करता था.

5 साल पहले की बात है. सर्वेश और संतोष में दोस्ती हो गई. दोनों ही शराब के शौकीन थे. दोनों जबतब शराब की महफिल जमाते रहते थे. खानेपीने पर खर्चा सर्वेश ही किया करता था. एक दिन सर्वेश ने मीट खाने की इच्छा जताई, साथ में यह भी कहा कि कहीं अच्छा मीट खाने को नहीं मिलता.

सर्वेश के इतना कहते ही संतोष बोला, ‘‘यह बात पहले बता देता तो अब तक कई बार अच्छा बना मीट खा चुका होता.’’

सर्वेश ने उसे प्रश्नवाचक निगाहों से देखा तो संतोष ने बताया कि उस की पत्नी संतोषी बहुत लजीज मीट बनाती है. वह जब कहे, बनवा देगा. यह सुन कर सर्वेश के मुंह में पानी आ गया. वह बोला आज शाम को ही मीट बनवाओ. संतोष ने सहमति दे दी.

शाम को संतोष सर्वेश को साथ ले कर घर पहुंचा और साथ लाई मीट की पौलीथिन संतोषी को देते हुए कहा, ‘‘संतोषी, आज ऐसा लजीज मीट पका कि सर्वेश अंगुलियां चाटता रह जाए.’’ इस के बाद संतोष और सर्वेश शराब की बोतल खोल कर बैठ गए.

सर्वेश बातें करते हुए शराब तो संतोष के साथ पी रहा था, लेकिन उस का मन संतोषी में उलझा हुआ था. निगाहें लगातार उस का पीछा कर रही थीं. सर्वेश को उस की खूबसूरती भा गई थी. जैसेजैसे नशा चढ़ता गया, वैसेवैसे उस की निगाहों में संतोषी का शबाब नशीला होता गया.

शराब का दौर खत्म हुआ तो संतोषी खाना परोस कर ले आई. खाना खा कर सर्वेश ने उस की दिल खोल कर तारीफ की. संतोषी भी उस की बातों में खूब रस ले रही थी. खाना खाने के बाद सर्वेश अपने घर लौट गया.

इस के बाद तो संतोष के घर करीबकरीब रोज ही महफिल सजने लगी. सर्वेश ने संतोषी से चुहलबाजी करनी शुरू कर दी. संतोषी भी उस की चुहलबाजियों का बराबर जवाब देती. संतोषी की आंखों में सर्वेश को अपने लिए चाहत नजर आने लगी थी. उस के अंदाज भी कुछ ऐसे थे, जैसे वह खुद उस के करीब आना चाहती हो.

दरअसल, संतोषी को सर्वेश में वे सब खूबियां नजर आई थीं जो वह चाहती थी. सर्वेश मजबूत कदकाठी और रोबीले चेहरे वाला आकर्षक मर्द था. वह पैसा भी अच्छा कमाता था, खर्च भी दिल खोल कर करता था. ऐसे में अब तक मन मार कर संतोष के साथ रह रही संतोषी के सपनों को नए पंख लग गए थे. अपनी तरफ सर्वेश का झुकाव देख कर वह बहुत खुश थी.

रोजरोज की मुलाकात के बाद दोनों एकदूसरे से घुलमिल गए. सर्वेश हंसीमजाक करते हुए संतोषी से शारीरिक छेड़छाड़ भी कर देता था, संतोषी विरोध करने के बजाए मुसकरा कर रह जाती थी. यह सब देख सर्वेश संतोषी को जल्द से जल्द पा लेने की सोचने लगा. इसी के मद्देनजर उस ने मन ही मन योजना बनाई.

एक दिन जब वह संतोष के साथ उस के घर में बैठा शराब पी रहा था तो उस ने खुद कम पी, लेकिन संतोष को जम कर शराब पिलाई. देर रात शराब की महफिल खत्म हुई तो दोनों ने खाना खाया. सर्वेश ने भर पेट खाना खाया, जबकि संतोष मुश्किल से कुछ निवाले खा कर एक तरफ लुढ़क गया.

सर्वेश की मदद से संतोषी ने संतोष को चारपाई पर लेटा दिया. इस के बाद हाथ झाड़ते हुए बोली, ‘‘अब इन के सिर पर कोई ढोल भी बजाता रहे तो भी सुबह से पहले जागने वाले नहीं.’’ फिर उस ने सर्वेश की आंखों में झांकते हुए पूछा, ‘‘तुम घर जाने लायक हो या इन के पास ही तुम्हारी चारपाई भी बिछा दूं?’’

सर्वेश के दिल में उमंगों का सैलाब उमड़ पड़ा. उसे लगा कि शायद संतोषी भी यही चाहती है कि वह यहीं रुके और उस के साथ प्यार का खेल खेले. इसलिए बिना देर किए उस ने कहा, ‘‘हां, नशा कुछ ज्यादा हो गया है, मेरा भी बिस्तर लगा दो.’’

संतोषी ने सर्वेश के लिए भी चारपाई बिछा कर बिस्तर लगा दिया. फिर वह दूसरे कमरे में सोने चली गई.

सर्वेश की आंखों में नींद नहीं थी. उस की आंखों के सामने बारबार संतोषी की खूबसूरत काया घूम रही थी. कई बार मिले उस के शारीरिक स्पर्श से वह काफी रोमांचित था. वह उस स्पर्श की दोबारा अनुभूति के लिए बेकरार था.

संतोष की ओर से वह निश्चिंत था. इसलिए वह दबे पांव चारपाई से उठा और संतोष के पास जा कर उसे हिला कर देखा. उस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं हुई तो वह धड़कते दिल से उस कमरे की ओर बढ़ गया, जिस में संतोषी सो रही थी.

कमरे में संतोषी जमीन पर बिस्तर लगा कर लेटी थी. कमरे में जल रही लाइट को बंद कर के सर्वेश उस के पास बिस्तर पर लेट गया. जैसे ही उस ने संतोषी को बांहों में भरा तो वह दबी जुबान से बोली, ‘‘अब यहां क्यों आए हो, जाओ यहां से.’’

‘‘तुम्हें प्यार का असली मजा देने आया हूं.’’ कह कर उस ने संतोषी को अपने अंदाज में प्यार करना शुरू कर दिया. इस के बाद तो मानो 2 जिस्मों के अरमानों की होड़ सी लग गई. कपड़े बदन से उतरते गए और हसरतें बेलिबास होती गईं. फिर दोनों के बीच वह संबंध बन गए जो सिर्फ पतिपत्नी के बीच में होने चाहिए. एक ने अपने पति के साथ बेवफाई की तो दूसरे ने दोस्त के साथ दगाबाजी.

उस रात के बाद संतोषी और सर्वेश एकदूसरे को समर्पित हो गए. संतोषी के संग रास रचाने के लिए सर्वेश हर दूसरे तीसरे दिन संतोष के घर महफिल जमाने लगा. संतोष को वह नशे में धुत कर के सुला देता, उस के बाद वह संतोषी के बिस्तर पर पहुंच जाता. बाद में वह दिन में भी संतोषी के पास पहुंचने लगा. उस के आने से पहले ही संतोषी बच्चों को खेलने भेज देती थी. फिर दोनों निश्चिंत हो कर रंगरलियां मनाते थे.

3 वर्ष पूर्व संतोष की संदिग्ध परिस्थितियों में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. कुछ दिन का शोक मना कर संतोषी फिर से रंगरलियां मनाने में लग गई. अब उसे कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. फलस्वरूप वह बेलगाम होती गई. यहां तक कि वह शराब भी पीने लगी.

सर्वेश का भाई अभिमन्यु उर्फ अपन्नू विवाहित था, उस के 2 बच्चे भी थे. वह सर्वेश के साथ ही लकड़ी की ठेकेदारी काम देखता था. संतोषी के रंगढंग से वह न केवल अच्छी तरह वाकिफ था, बल्कि उस की देह को भोगने की लालसा भी रखता था. इसलिए वह संतोषी के घर के चक्कर लगाने लगा.

संतोषी की जरूरतों को पूरी कर के वह उसे शीशे में उतारने की कोशिश करने लगा. संतोषी से उस की चाहत छिपी न रह सकी. वह खुश थी कि एक और उस की देह का पुजारी उस की जरूरतों का खयाल रखने के लिए खुदबखुद खिंचा चला आया था.

एक दिन संतोषी अपन्नू के साथ शराब पीने बैठी तो नशा चढ़ते ही बोली, ‘‘अपन्नू, तुम्हारी आंखों में मुझे अपने लिए चाहत दिख रही है. तुम मुझे पाने के लिए लालायित हो, यह जान कर भी कि मैं तुम्हारे भाई की माशूका हूं.’’

‘‘क्या करूं तुम हो ही इतनी मादक कि किसी का भी दिल पाने को मचल उठे. रही बात मेरे भाई की तो तुम उसे ब्याही तो हो नहीं कि कुछ करने से अनर्थ हो जाएगा. तुम्हारे प्यार के सागर में मैं भी डुबकी लगा लूंगा तो क्या फर्क पड़ेगा?’’ वह बोला.

‘‘बात तो सही कह रहे हो. मैं तुम्हें अपना तन तो सौंप दूंगी लेकिन बदले में तुम्हें मेरी सारी जरूरतों का खयाल रखना पड़ेगा. मंजूर हो तो बोलो…’’

अपन्नू ने लपक कर उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘मंजूर है.’’

उस का उतावलापन देख कर संतोषी मंदमंद मुसकराई, फिर उस की बांहों में कैद हो गई. दोनों के बीच वासना का खेल खेला जाने लगा. इस के बाद संतोषी दोनों भाइयों के साथ मौजमस्ती करने लगी.

संतोषी ने अपने बेटों को किसी तरह बहलाफुसला कर अपने पक्ष में कर लिया था, इसलिए वे विरोध नहीं करते थे. लेकिन संतोषी की एकलौती बेटी अर्चना इतनी बड़ी हो चुकी थी कि अपनी मां की गलत हरकतों को समझा सके. पढ़ने की वजह से भी उस में काफी समझदारी आ गई थी. अपन्नू ने कई बार नशे में अर्चना के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस का अर्चना ने खुल कर विरोध किया था. इस की शिकायत अर्चना ने अपनी मां संतोषी से भी की, लेकिन संतोषी ने कुछ नहीं किया.

अर्चना उन दोनों के नाजायज संबंधों को सार्वजनिक करने की धमकी देती थी, जिस से संतोषी और अपन्नू घबरा गए थे. संतोषी ने हर तरीके से अर्चना को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी.

22 अक्तूबर की रात अपन्नू और संतोषी ने जम कर शराब पी और फिर एकदूसरे की बांहों में समाने ही वाले थे कि अर्चना आ गई. उस ने दोनों को देखा तो सब को बताने की धमकी देने लगी. इस पर संतोषी और अपन्नू ने उसे दबोच लिया. उस समय संतोषी का बड़ा बेटा मोनू भी वहां आ गया था.

संतोषी और मोनू ने अर्चना को पकड़ लिया. संतोषी ने अर्चना का मुंह दबाया तो मोनू ने उस के हाथपैर पकड़े. अपन्नू ने सब्जी काटने वाले छोटे चाकू से उस का गला रेत दिया, जिस से अर्चना की मृत्यु हो गई. इस के बाद अपन्नू वहां से चला गया.

सुबह होने पर संतोषी अर्चना की लाश को उठा कर घर के बाहर ले आई और कैंसर फटने से अर्चना की मौत होने का नाटक करने लगी. लेकिन उस का नाटक सफल नहीं हुआ और पकड़ी गई.

एसओ अरुणेश गुप्ता ने संतोषी की निशानदेही पर उस के घर के कमरे में रखे संदूक के नीचे से हत्या में इस्तेमाल किया गया सब्जी काटने वाला चाकू और संतोषी का खून सना सफेद रंग का ब्लाउज बरामद कर लिया. इस के बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मोनू नाम परिवर्तित है.

मजबूत डोर के कमजोर रिश्ते : भाई क्यों बना कसाई? – भाग 2

पुलिस ने तीनों से अलगअलग पूछताछ की तो पारसनाथ पाल ने कहा, ‘‘हां साहब, रागिनी मेरी ही बेटी थी. लेकिन उस ने हमें समाजबिरादरी में कहीं जीने लायक नहीं छोड़ा था. उस के कारण लोग हम पर थूथू कर रहे थे. लेकिन उस की हत्या मैं ने नहीं की है. उसे मेरे बेटे सिकंदर पाल ने अपने किसी दोस्त के साथ मिल कर मार डाला है.’’

इस के बाद एसओ अरुण पवार ने सिकंदर पाल से पूछताछ की तो उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि रागिनी की हत्या में उस के मांबाप की कोई भूमिका नहीं थी.

उस ने अपने दोस्त कामदेव सिंह निवासी व्यासनगर जंगल के साथ मिल कर उसे ठिकाने लगाया था. उस के बाद पुलिस ने व्यासनगर जंगल स्थित कामदेव के घर दबिश दी. कामदेव घर पर नहीं मिला. वह घटना के बाद से ही फरार चल रहा था. 2 दिनों के अथक प्रयास के बाद पुलिस ने उसे शाहपुर से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. सिकंदर पाल और कामदेव से की गई पूछताछ के बाद रागिनी पाल की हत्या की जो कहानी सामने आई, चौंकाने वाली निकली—

रागिनी पाल मूलरूप से गोरखपुर के गुलरिहा इलाके की शिवपुर सहबाजगंज की रहने वाली थी. उस के पिता पारसनाथ पाल एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता था. पारसनाथ के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा सिकंदर था. अपनी सामर्थ्य के अनुसार उस ने सभी बच्चों को पढ़ाया.

समय बीतने के साथ जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, वह उन की शादी करता गया. बड़ी बेटियों प्रमिला और सरिता के उस ने हाथ पीले कर दिए थे. सब से छोटी बेटी रागिनी अभी पढ़ रही थी.

उसी दौरान उस के पांव बहक गए. गांव के ही राकेश नाम के युवक के साथ उस के अवैध संबंध हो गए थे, जिस की चर्चा पूरे गांव में थी. किसी तरह यह खबर रागिनी की मां निर्मला के कानों में पड़ी तो उस ने इस की जानकारी अपने पति पारसनाथ को दी.

इतना सुनते ही पारसनाथ बोला, ‘‘क्या बक रही हो, तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने पर है न?’’

‘‘मैं बिलकुल ठीक कह रही हूं.’’ निर्मला ने कहा.

‘‘तो तुम ने इस बारे में रागिनी से पूछा या नहीं?’’

‘‘नहीं, अभी तो नहीं. सयानी बेटी है, पूछने पर कहीं कुछ कर न बैठे, इसलिए चुप थी.’’

‘‘ऐसे चुप्पी साधे ही बैठे रहना, कहीं ऐसा न हो कि बेटी मुंह पर कालिख पोत कर फुर्र हो जाए.’’ पारसनाथ पत्नी निर्मला पर गुस्से से चिल्लाया, ‘‘क्या अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा?’’

‘‘नहीं, तुम अभी उस से कुछ नहीं कहना. मैं उस से बात कर के समझाती हूं.’’ निर्मला ने कहा.

इत्तफाक से अगले दिन रागिनी स्कूल नहीं गई थी. पति भी अपनी ड्यूटी जा चुके थे. तभी निर्मला ने अप्रत्यक्ष रूप से रागिनी से बात शुरू की, ‘‘पढ़ाई कैसी चल रही है बेटा?’’

‘‘ठीक, एकदम फर्स्ट क्लास. क्यों मां, क्या बात है जो आज मेरी पढ़ाई के बारे में पूछ रही हो.’’ रागिनी ने मां से पूछा.

‘‘कुछ नहीं बेटा, बस ऐसे ही पूछ रही थी. अच्छा बेटा, मैं तुम से एक बात पूछती हूं क्या सच बताओगी?’’ निर्मला ने कहा.

‘‘हां मां, पूछो, क्या पूछना चाहती हो?’’ रागिनी ने उत्तर दिया.

‘‘तुम कल किस लड़के के साथ घूम रही थी?’’ निर्मला ने पूछा तो रागिनी के चेहरे का रंग उड़ गया. वह एकदम से सकपका गई.

‘‘किसी भी लड़के के साथ नहीं. यह तुम क्या कह रही हो?’’ रागिनी हकलाते हुए बोली, ‘‘लगता है किसी ने तुम्हें गलत जानकारी दी है. यह बात सरासर झूठी है.’’ रागिनी नजरें चुराते हुए बोली, ‘‘क्या मां, तुम्हें अपनी बेटी पर भरोसा नहीं है?’’

‘‘मुझे तुम पर पूरा भरोसा है बेटा. तुम ऐसीवैसी हरकत नहीं कर सकती, जिस से तुम्हारे मांबाप की जगहंसाई हो.’’ निर्मला ने समझाते हुए कहा, ‘‘देखो बेटा, इज्जतआबरू और मानमर्यादा एक औरत के कीमती गहने हैं. बेटा, यदि कोई बात हो तो मुझे खुल कर बता दो. मैं किसी से नहीं कहूंगी.’’

‘‘नहीं मां, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ रागिनी विश्वास दिलाते हुए बोली. बेटी के इतना  कहने पर मां निर्मला उस के कमरे से चली गई.

मां के कमरे से जाने के बाद रागिनी इस बात से हैरान थी कि मां को सच्चाई का पता कैसे चल गया. उसे किस ने बताया होगा? वह इस बात से भी डर रही थी कि पापा और भाई को जब इस बारे में पता चलेगा तो घर में कयामत ही आ जाएगी.

जब से पत्नी ने पारसनाथ को बेटी के बारे में बताया था, वह परेशान हो गया था. अत: वह भी बेटी के बारे में उड़ रही खबर की सच्चाई पता लगाने में जुट गया. उसे पता चला कि पड़ोस के राकेश से रागिनी का काफी दिनों से चक्कर चल रहा है. यह जानकारी रागिनी के भाई सिकंदर को भी हो चुकी थी.

बहन के बारे में सुन कर उस का तो खून खौल उठा. उस ने रागिनी को समझाया कि वह अपनी हरकतों से बाज आ जाए, समाज बिरादरी में बहुत बदनामी हो रही है. नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है. रागिनी ने किसी तरह भाई सिकंदर को विश्वास दिलाया कि कोई उसे बदनाम करने के लिए उस के बारे में उलटीसीधी बातें कर रहा है.

बात घटना से एक साल पहले की है. एक दिन अचानक रागिनी घर से गायब हो गई. जवान बेटी के अचानक गायब होने से घर वाले परेशान हो गए. बेटी को तलाशते हुए वह उस के प्रेमी राकेश के घर पहुंच गए तो पता चला कि राकेश भी उसी दिन से घर से गायब है.

फिर उन्हें समझते देर नहीं लगी कि रागिनी राकेश के साथ ही भाग गई है. चूंकि मामला नाबालिग बेटी का था, इसलिए बदनामी को देखते हुए पारसनाथ ने पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई.

पारसनाथ अपने बेटे सिकंदर के साथ मिल कर बेटी को अपने स्तर से तलाशते रहा. आखिर अपने स्रोतों से उन दोनों ने रागिनी को ढूंढ ही लिया. वह राकेश के साथ ही थी. घर ला कर सिकंदर ने रागिनी पर अपना सारा गुस्सा निकाल दिया था. कमरे में बंद कर के उस ने उस की डंडे से पिटाई शुरू कर दी. लेकिन पिता ने उसे बचा लिया था. तब सिकंदर ने बहन को हिदायत दी कि अगर आइंदा राकेश से मिलने की कोशिश की या उस के बारे में सोचा भी तो जान से हाथ धो बैठेगी. इस के बाद से घर वालों की उस पर नजरें जमी रहतीं.

मजबूत डोर के कमजोर रिश्ते : भाई क्यों बना कसाई? – भाग 1

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का एक गांव है उमरपुर. यह गांव थाना चिलुआताल के अंतर्गत  आता है. गांव के बाहर आम का एक बड़ा बाग स्थित है. 21 नवंबर, 2018 को करीब 10 बजे गांव के ही विकास, राजन और अमन नाम के लड़के इस बाग में खेलने के लिए गए थे.

वहां पहुंच कर वे अपने खेल की दुनिया में रम गए थे. खेल के दौरान ही राजन चिल्लाता दौड़ता हुआ विकास और अमन के पास जा पहुंचा. उसे चिल्लाता देख दोनों परेशान हो गए. तभी विकास ने उस से पूछा, ‘‘अबे तू चिल्ला क्यों रहा है? वहां झाड़ी में क्या कोई भूत देख लिया जो चीख रहा है और तेरे माथे पर पसीना आ गया.’’

‘‘भूत नहीं, वहां झाडि़यों में एक लड़की की लाश पड़ी है.’’ लंबी सांसें भरता हुआ राजन बोला, ‘‘तुम्हें मेरी बातों पर यकीन न हो रहा हो तो आओ मेरे साथ, तुम्हें भी दिखाता हूं.’’ कह कर राजन झाड़ी की ओर बढ़ा तो उत्सुकतावश उस के दोस्त भी उस के पीछेपीछे चल दिए.

जब वह झाडि़यों के पास पहुंचे तो वास्तव में वहां एक लड़की की लाश पड़ी थी. लाश देख कर वे अपना खेल खेलना भूल गए और सभी सिर पर पैर रखे चिल्लाते हुए गांव की ओर भागे.

गांव पहुंच कर उन्होंने इस की सूचना गांव वालों को दी. बच्चों की सूचना पर गांव के कई लोग लाश देखने के लिए आम के बाग में पहुंच गए. थोड़ी देर में वहां तमाशबीनों का मजमा जमा हो गया. सूचना पा कर गांव का चौकीदार आफताब आलम भी मौके पर पहुंच गया था.

लड़की की लाश देख कर चौकीदार आफताब आलम ने सूचना चिलुआताल के थानाप्रभारी अरुण पवार को फोन द्वारा दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अरुण पवार मय फोर्स उमरपुर में घटनास्थल पर पहुंच गए.

उन्होंने बारीकी से लाश का मुआयना किया. लाश की दशा देख कर वह दंग रह गए. हत्यारों ने मृतका को 5 गोलियां मारी थीं. कनपटी और सीने में एकएक और पेट में 3 गोलियां मार कर उस की हत्या की थी. शरीर पर कई जगह नुकीले हथियार से गोदे जाने के निशान भी थे. खून भी सूख कर पपड़ी के रूप में जम गया था.

लाश से थोड़ी दूर पर कारतूस के 2 खोखे भी पड़े मिले. पुलिस ने वह कब्जे में ले लिए. मौके से कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से शव की पहचान हो सके. शव की शिनाख्त के लिए थानाप्रभारी पवार ने मौके पर जुटे ग्रामीणों से पूछताछ की लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

इस का मतलब साफ था कि मृतका चिलुआताल की रहने वाली नहीं थी. यानी वह कहीं और की रहने वाली थी. थानाप्रभारी ने घटना की सूचना सीओ रोहन प्रमोद बोत्रे, एसपी (उत्तरी) अरविंद कुमार पांडेय और एसएसपी डा. सुनील गुप्ता को भी दे दी.

सूचना मिलने के कुछ ही देर बाद सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने भी घटनास्थल की छानबीन कर वहां मौजूद लोगों से मृतका के बारे में पूछताछ की लेकिन मौजूद लोगों ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया.

घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर थानाप्रभारी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए बीआरडी मैडिकल कालेज, गुलरिहा भेज दी. थाने लौट कर उन्होंने चौकीदार आफताब आलम की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और विवेचना शुरू कर दी.

थानाप्रभारी इस बात पर गौर कर रहे थे कि मासूम सी दिखने वाली युवती की भला किसी से क्या दुश्मनी हो सकती थी, जो उसे 5 गोलियां मार कर मौत के घाट उतार दिया.

हत्यारे का जब इस से भी जी नहीं भरा तो उस ने किसी नुकीली चीज से उस पर अनगिनत वार कर के अपनी भड़ास निकाली. इस से साफ पता चल रहा था कि हत्यारा मृतका से काफी खुन्नस खाया हुआ था. पुलिस को मामला प्रेम संबंधों का लग रहा था.

अगले दिन एसएसपी डा. सुनील गुप्ता ने एसपी (नार्थ) अरविंद कुमार पांडेय, सीओ रोहन प्रमोद बोत्रे और थानाप्रभारी अरुण पवार को अपने औफिस बुला कर हत्या के इस केस के बारे में चर्चा की और जल्द से जल्द केस का खुलासा करने के निर्देश दिए.

घटना को एक सप्ताह बीत गया लेकिन न तो मृतका की शिनाख्त हो पाई थी और न ही किसी थाने में इस उम्र की किसी लड़की की गुमशुदगी दर्ज होने की सूचना मिली. जबकि मृतका की शिनाख्त के लिए जिले के सभी 26 थानों को मृतका का फोटो भेज दिया गया था. जांच टीम के लिए यह मामला काफी पेचीदा होता जा रहा था. तब थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर लगा दिए.

7 दिनों बाद यानी 4 दिसंबर, 2018 को प्रमिला और सरिता नाम की 2 सगी बहनें थानाप्रभारी अरुण पवार से मिलीं. उन्होंने बताया कि उन की छोटी बहन 15 वर्षीय रागिनी जो गुलरिहा थाने के शिवपुर सहबाजगंज में रहती है. 20 नवंबर, 2018 की शाम को घर से साइकिल ले कर निकली थी, वह अभी तक घर नहीं लौटी है.

मांबाप ने कई दिनों तक रागिनी को इधरउधर तलाशा. लेकिन जब कहीं पता नहीं चला तो वह चुप हो कर बैठ गए. उन्होंने यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह कहां चली गई और किस हाल में है. भाई सिकंदर पाल भी रागिनी को तलाशने में कोई रुचि नहीं ले रहा. वह भी चुपी साधे बैठा है.

यह बात दोनों बहनों प्रमिला और सरिता को बड़ी अजीब लगी कि जिस की सयानी बेटी घर से लापता हो जाए, वह बाप हाथ पर हाथ धरे भला कैसे बैठा रह सकता है. कहीं न कहीं कोई पेंच जरूर है. तब से दोनों बहनों ने अपने स्तर से रागिनी की तलाश शुरू कर दी. उन्हें जब पता लगा कि उमरपुर गांव के आम के एक बाग में एक सप्ताह पहले पुलिस ने एक लड़की की लाश बरामद की थी, तो वे यहां चली आईं.

थानाप्रभारी ने अपने फोन में मौजूद उस लाश की फोटो और कपड़े दिखाए तो दोनों बहनों ने वह पहचानते हुए बताया कि यह फोटो और कपड़े उन की बहन रागिनी के हैं. लाश की शिनाख्त होने के बाद प्रमिला और सरिता ने बताया कि रागिनी की हत्या के पीछे उसे अपने घर वालों पर शक है. उन्होंने कहा कि उस के मांबाप और भाई सिकंदर पाल से पूछताछ की जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.

प्रमिला और सरिता के बयानों को आधार बना कर पुलिस टीम ने 5 दिसंबर, 2018 को शिवपुर सहबाजगंज गांव में स्थित पारसनाथ पाल के घर पर सुबहसुबह दबिश दी.

संयोग से उस समय घर पर पारसनाथ पाल, उस की पत्नी और बेटा सिकंदर पाल तीनों मिल गए. पूछताछ के लिए पुलिस तीनों को थाने ले आई.

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल

मासूम से दुश्मनी : चचेरे भाई ने ले ली जान

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल – भाग 3

पुलिस को झूठी सूचना देने से ले कर, सूटकेस में अपने बेटे के शव को घंटों टैक्सी में बैठे रहना उस के भयावह और जघन्य अपराध के दौरान सूचना सेठ का धीरज और संयम एक ऐसे व्यक्ति का क्रूर और भयावह चेहरे को प्रस्तुत करता है, जिसे एक स्त्री और एक मां दोनों के रूप में समझना मुश्किल है. यह वारदात इस बात को जाहिर करती है कि आखिर कैसे दंपति के तलाक के खौफनाक अंजाम ने एक 4 वर्षीय मासूम की बेरहमी से जान ले ली.

पुलिस ने जकार्ता (इंडोनेशिया) में नौकरी कर रहे वेंकट रमन को बेटे की हत्या की खबर दे कर गोवा के कलंगुट थाने बुला लिया.

सूचना सेठ और उस के पति वेंकट रमन का कलंगुट पुलिस स्टेशन में 13 जनवरी, 2024 को आमना सामना हुआ. सूचना सेठ और उस के पति ने एकदूसरे से मिलने की इच्छा जताई थी. पुलिस ने दोनों को 15 मिनट एकदूसरे से मिलने की इजाजत दी थी.

थाने में सेठ ने क्या कहा रमन से

इस दौरान अपने मासूम बेटे की कातिल मां सूचना सेठ ने अपने पति से कहा, ”जब तक मैं पुलिस कस्टडी में हूं, तुम आजाद हो. तुम्हारे ही कारण आज मेरी ऐसी हालत हुई है.’’

उस के द्वारा यह आरोप लगाने पर भड़ास निकालते हुए वेंकट रमन ने कहा, ”जब तुम ने बेटे को नहीं मारा तो उस की मौत अपने आप कैसे हो गई.’’

चिन्मय के पिता वेंकट रमन 13 जनवरी, 2024 को अपना बयान दर्ज कराने के लिए गोवा के कलंगुट पुलिस स्टेशन पहुंचा था. बेटे की मौत की खबर मिलने के बाद वेंकट रमन 9 जनवरी, 2024 को भारत आया था और 10 जनवरी, 2024 को उस ने बेंगलुरु में अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया था.

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वेंकट रमन के वकील अजहर मीर ने कहा कि सूचना सेठ को सजा मिले या जमानत मिले कोई फर्क नहीं पड़ता. अजहर मीर ने 13 जनवरी, 2024 को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि दंपति के बीच पिछले एक साल से बेंगलुरु के फैमिली कोर्ट में बच्चे की कस्टडी की लड़ाई चल रही थी. इस पर फैमिली कोर्ट ने पिता वेंकट रमन को बच्चे से फोन या वीडियो काल के माध्यम से बात करने की इजाजत दे दी थी.

नवंबर 2023 में कोर्ट ने पिता को बच्चे से हर रविवार घर पर मिलने की इजाजत भी दे दी थी. हालांकि इस पर सूचना सेठ ने कहा था पिता को अपने बेटे से किसी कैफे में मिलना चाहिए.

वेंकट रमन 7 जनवरी, 2024 को यानी कि रविवार के दिन चिन्मय से मिलने वाला था. सूचना सेठ ने 6 जनवरी, 2024 को वेंकट रमन को एक मैसेज भेज कर कहा था कि यदि वह चिन्मय से मिलना चाहता है तो कल यानी 7 जनवरी को आ जाए. वेंकट बेटे से मिलने सूचना सेठ के घर गया तो वहां दोनों में से कोई नहीं मिला. तब उस ने सूचना सेठ को फोन किया.

सूचना सेठ ने काल रिसीव नहीं की. तब वेंकट ने वहीं पर उन का काफी देर इंतजार किया. सेठ नहीं आई तो वह उसी दिन इंडोनेशिया चला गया. सूचना सेठ वेंकट रमन को पिछले 5 रविवार से अपने बच्चे को मिलने ही नहीं दे रही थी.

वकील अजहर ने कहा कि उन का मुवक्कित वेंकट रमन अपने बेटे के लिए अपनी जान भी दे सकता था, जो अब इस दुनिया में नहीं है. अब सूचना सेठ को सजा हो या बेल मिले, इस से वेंकट रमन को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

गोवा पुलिस को कातिल मां सूचना सेठ के बैग से एक टिश्यू पेपर पर लिखा एक नोट भी बरामद हुआ है. इस पेपर पर सूचना सेठ ने लिखा है, ‘मेरे बच्चे की कस्टडी को ले कर कोर्ट और मेरे हसबैंड दबाव बना रहे हैं. मेरा हसबैंड हिंसक है. मैं उसे एक दिन के लिए भी अपना बच्चा नहीं दे सकती.’

गोवा पुलिस ने बताया कि टिश्यू पेपर पर आईलाइनर या काजल पेंसिल से नोट लिखा गया है. सूचना सेठ ने नोट लिख कर उसे फाड़ दिया था. पुलिस ने टिश्यू पेपर के टुकड़ों को जोड़ कर उस में लिखा गया मैसेज पढ़ा. गोवा पुलिस का मानना है कि यह एक सुसाइड नोट हो सकता है, क्योंकि सूचना सेठ ने अपने बेटे चिन्मय की हत्या के बाद अपने बाएं हाथ की नस काट ली थी.

पुलिस ने होटल के कमरा नंबर 404 से चाकू, तौलिया, तकिया और एक लाल बैग जब्त किया था. पुलिस ने सूचना सेठ को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर मापुसा शहर की अदालत में पेश किया, जहां से उसे 6 दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया था. कहानी लिखे जाने तक पुलिस सूचना सेठ से पूछताछ में लगी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है. घटनाओं का नाट्य रूपांतरण किया गया है.

व्यक्तिगत शिकायतें पैदा करती हैं कलह

डा. गौरव गुप्ता, मनोचिकित्सक (दिल्ली)

सूचना सेठ के इस खौफनाक कदम ने लोगों को सन्न कर के रख दिया है. इस संबंध में दिल्ली के मनोचिकित्सक डा. गौरव गुप्ता से विस्तृत बातचीत की गई.

डा. गौरव गुप्ता ने 1997 में मौलाना आजाद मैडिकल कालेज से एमबीबीएस और लेडी हार्डिंग मैडिकल कालेज से एमडी की पढ़ाई की थी. वह मनोचिकित्सा में मनोसामाजिक पुनर्वास में विशिष्ट कार्य का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध हैं.

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सूचना सेठ द्वारा अपने मासूम बच्चे की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए डा. गौरव गुप्ता कहते हैं कि एक मां के प्यार का कोई मोल नहीं होता और उस के लिए बेटे की खुशी से बढ़ कर कुछ और नहीं होता. मां और बेटे के अनोखे प्यार को शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल भरा काम है.

एक मां द्वारा अपने बेटे की हत्या करने से बुरा कुछ भी नहीं है. यह मां और शिशु के बीच सुरक्षा की भावना के खिलाफ व्यवहार है. इस तरह के व्यवहार को समझने के लिए किसी की पूरी मनोदशा समझनी जरूरी होती है.

वे आगे बताते हैं कि टेंशन, डिप्रेशन, व्यक्तिगत मुश्किलें, आर्थिक स्थिति, सामाजिक दशा और विपरीत परिस्थितियां कुछ ऐसे कारक होते हैं, जिन की वजह से किसी व्यक्ति का तनाव सीमा से अधिक बढ़ सकता है. अगर कोई मां इन तनावों से जूझ रही है और वह ऐसी परिस्थितियों से निपट नहीं पा रही है तो उस के भीतर अपने बच्चे की देखभाल करने की उस की अपनी क्षमता खत्म हो सकती है. अवसाद से ग्रस्त होने पर वह अपने साथसाथ अपने बच्चे के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है.

उन्होंने बताया कि तलाक और कस्टडी की लड़ाई के दौरान कम्युनिकेशन होना अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसी स्थिति में बच्चों की देखभाल को प्राथमिकता दें. अपने बच्चे की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए सम्मानजनक संवाद बनाए रखें. अपने आपसी विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता अथवा परामर्श लेना जरूरी है.

अपनी आपस की व्यक्तिगत शिकायतों के बजाय बच्चे की जरूरतों पर ध्यान दें. बच्चों के लालनपालन के लिए फ्लेक्सिबल रहें, बहस और अदालती काररवाई के दौरान अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से नियंत्रण रखें. कानूनी मकसद के लिए दस्तावेजों का खयाल रखें और अपने मार्गदर्शन के लिए वकील की मदद लें व तनाव से बचने के लिए अपनी सेहत का खयाल रखें. क्योंकि तनाव और गुस्से में उठाया गया कदम जीवन भर का पछतावा दे सकता है.

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल – भाग 2

रिसैप्शनिस्ट ने डिसूजा से पूछा कि क्या वह बेंगलुरु के लिए जा सकता है? एक महिला पैसेंजर कैब से गोवा से बेंगलुरु जाना चाहती है.

7 जनवरी को रविवार का दिन था, अमूमन डिसूजा संडे को अपने परिवार के साथ ही रहता था. आमतौर पर डिसूजा अपनी कैब इतनी दूर नहीं ले जाता था, लेकिन डिसूजा को नाइट शिफ्ट बहुत पसंद थी. रात को कैब चलाना उसे अच्छा लगता था. क्योंकि तब सड़कें खाली हुआ करती हैं.

क्योंकि पैसेंजर को बेंगलुरु छोड़ कर उसे वापस आना था, इसलिए डिसूजा ने वापसी का किराया भी जोड़ कर कुल 30 हजार रुपए की मांग की थी. साथ ही उस ने यह भी कहा था कि चूंकि उसे गोवा अकेले वापस आना है, इसलिए वह अपने साथ एक साथी ड्राइवर को भी ले कर आएगा. इस के बाद सौदा तय हो गया.

इस के बाद सूचना सेठ के कहने पर रिसैप्शनिस्ट ने कैब ड्राइवर से कहा कि वह ठीक 12 बजे अपनी कैब ले कर होटल पहुंच जाए.

इस बीच 10 जनवरी, 2024 को मासूम चिन्मय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. पोस्टमार्टम करने वाले डा. कुमार नाइक के अनुसार बच्चे का गला घोंट कर हत्या की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार तकिया या तौलिए का इस्तेमाल गला घोंटने के दौरान किया गया था. बच्चे का चेहरा और छाती सूजी हुई थी और उस की नाक से खून भी बह रहा था.

पुलिस ने क्राइम सीन क्यों किया रीक्रिएट

12 जनवरी, 2024 को गोवा पुलिस (Goa Police) सूचना सेठ को ले कर क्राइम स्पौट गोवा के सोल बनयान ग्रांड होटल के कमरा नंबर 404 में पहुंची.

वारदात वाली जगह पर पुलिस ने क्राइम सीन को रीक्रिएट किया और हत्या के मामले में गहराई से जांच की. सूचना सेठ के कमरे से गोवा पुलिस को कफ सिरप की 2 खाली शीशियां भी मिलीं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक बेटे की हत्या से पहले सूचना सेठ ने उसे नशे की भारी डोज दी थी.

पोस्टमार्टम करने वाले डा. कुमार नाइक ने रिपोर्ट में बताया कि बच्चे की ओर से विरोध करने का कोई भी निशान नहीं मिला था. शायद बच्चा भारी नशे में था. उस के बाद सूचना सेठ ने बच्चे का तकिए से नाक मुंह दबा कर या किसी कपड़े के सहारे गला घोंट दिया था.

बच्चे की हत्या के बाद जब सूचना सेठ को चित्रदुर्ग से गिरफ्तार किया गया था तो उस समय पुलिस ने जब उस का बैग खुलवाया तो उस में कुछ नहीं मिला था. हालांकि पुलिस ने जब उस बैग में से कपड़े निकाले तो खिलौनों के बीच उस के बेटे का शव बरामद हुआ था.

इस बीच सूचना सेठ का मैडिकल भी कराया गया और साथ ही उस की जांच मनोचिकित्सिक से भी कराई गई.

आखिर कौन है सूचना सेठ?

अपने 4 साल के बेटे की हत्या करने वाली सूचना सेठ बंगाल की रहने वाली है. उस ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एस्ट्रोफिजिक्स के साथ प्लाज्मा फिजिक्स की डिग्री भी हासिल की है. उस ने भौतिकी में मास्टर्स की. इस के बाद सूचना सेठ ने साल 2008 में फस्र्ट क्लास औनर्स हासिल किया था.

सूचना सेठ ने बेंगलुरु में बूमरेंग कामर्स में सीनियर डेटा साइंटिस्ट का पद भी संभाला था. वह औप्टिमाइजेशन और इंटेलिजेंस के लिए डेटा संचालित उत्पादों को डिजाइन भी करती थी. उस ने यहीं पर 2 पेटेंट भी दाखिल किए.

सूचना सेठ इनोवेशन लैब्स के साथ भी जुड़ी थी और डेटा साइंसेज ग्रुप में सीनियर एनालिस्ट कंसलटेंट के रूप में भी काम किया. वर्तमान में सूचना सेठ ‘द माइंडफुल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Mindful AI Lab) की सीईओ थी. सूचना सेठ पिछले 4 साल से भी अधिक समय से इस लैब का नेतृत्व कर रही थी.

उस ने 2 साल तक बर्कमैन क्लेन सेंटर में भी काम किया है. इस के अलावा वह बोस्टन, मैसाचुसेट्स में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम कर चुकी है. सूचना सेठ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षेत्र की दुनिया की 100 शीर्ष महिलाओं में शामिल है.

उन के दांपत्य में क्यों पड़ी दरार

नवंबर 2010 में सूचना सेठ का विवाह वेंकट रमन से कोलकाता में हुआ था, लेकिन वैवाहिक जीवन असफल रहा था. वह और वेंकट रमन बेंगलुरु में एकदूसरे से मिले थे, तब दोनों की उम्र तकरीबन 20 वर्ष थी. दोनों की महत्त्वाकांक्षाएं व तकनीक के प्रति उत्साह दोनों को सिलिकौन वैली ले आया, जिस ने उन के रोमांस को भी परवान चढ़ाया. सूचना सेठ पश्चिम बंगाल से थी, जबकि वेंकट रमन केरल से, परंतु दोनों का आकर्षण एकदूसरे के प्रति शुरू से ही रहा.

9 सालों की शादी में इस दंपति के घर में अगस्त 2019 को एकमात्र बेटे के रूप में चिन्मय का जन्म हुआ था. दंपति से परिवार बनना उन के जीवन का एक नया और सुखद अध्याय था, लेकिन दुर्भाग्य से यह एक अलगाव का कारण बन गया. चिन्मय के जन्म ने उन दोनों के बीच एक गहरी खाई को जन्म दे दिया था.

पहले से ही इस तनावपूर्ण स्थिति को कोविड लौकडाउन ने और बढ़ा दिया, जिस ने उन दोनों को नवजात शिशु के साथ घर में ही कैद कर के रख दिया था. उन दोनों के आपसी संबंध दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे थे. अगस्त 2022 में दोनों का रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका था.

8 अगस्त, 2022 को दर्ज हुए मामले में सूचना सेठ ने अपने पति वेंकट रमन पर उसे और उस के बेटे को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था. उस ने कोर्ट में सबूत के तौर पर वाट्सऐप मैसेज, फोटो और मैडिकल रिकौर्ड की तसवीरें पेश की थीं.

हालांकि वेंकट रमन ने कोर्ट में अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इंकार किया, लेकिन अदालत ने वेंकट रमन के खिलाफ रिस्ट्रेनिंग और्डर जारी कर दिया था यानी उसे सूचना सेठ के घर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी.

इस के अलावा किसी भी माध्यम से संपर्क करने की रोक भी लगा दी गई थी. वेंकट रमन पर बेटे से फोन या किसी भी माध्यम से संपर्क करने की रोक लगा दी गई थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी, 2024 तक के लिए स्थगित कर दी थी.

इस कानूनी लड़ाई के बीच अपने संरक्षण में बेटे को पा कर सूचना सेठ अपने जीवन में आगे बढ़ती हुई दिखाई देने लगी थी. एक प्रतिष्ठित और कामकाजी एकल मां के रूप में अपने निजी जीवन को संतुलित व व्यवस्थित करते हुए अब वह एक लग्जरी अपार्टमेंट में रहने लगी थी, लेकिन तलाक की कड़वाहट उस के जीवन में बढ़ती ही जा रही थी.

अब सूचना सेठ ने अधिक कमाई का हवाला देते हुए अपने पूर्व पति वेंकट रमन से पर्याप्त भरण पोषण की मांग कर दी थी, जबकि वह अब तक कम भरण पोषण दे रहा था और बेटे से मिलना चाह रहा था, जिसे सूचना सेठ दिन बदिन मुश्किल बनाती चली जा रही थी.

वैसे यदि देखा जाए तो तलाक आज के युग में कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन इस में कठिनाइयां, प्रताडऩाएं काफी जटिल होती हैं और कभी कभी तो यह हिंसा का कारण भी बन जाती है.

दिसंबर 2023 में अदालत ने आदेश जारी कर के वेंकट रमन को हर रविवार अपने बेटे से मिलने की अनुमति दे दी थी. अचानक अदालत द्वारा आए इस अप्रत्याशित फैसले से सूचना सेठ एकदम से परेशान हो कर अपना मानसिक संतुलन खोने लगी थी. उस ने अब अपने घर वालों से वेंकट रमन के लिए जहर उगलना शुरू कर दिया था कि वेंकट रमन अब उस के बेटे को उस से छीन लेना चाहता है.

दूसरी ओर उस का बेटा चिन्मय भी अपने पिता के बिना काफी खालीपन सा महसूस करता था और अपनी मम्मी सूचना सेठ से अकसर अपने पापा वेंकट रमन के बारे में बातें किया करता था और साथ ही अपने पापा से मिलने की जिद भी करने लगा था.

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जिस क्षण सूचना सेठ अपने 4 वर्षीय बेटे चिन्मय को ले कर बेंगलुरु से गोवा की फ्लाइट में सवार हुई थी, वह उस का एक पूर्व नियोजित प्लान ही था. एक होटल में ठहरी, अपने बेटे की खांसी के बहाने उस ने रिसैप्शन पर कफ सिरप मंगाने के लिए एक बड़े ही अजीब तरीके से अनुरोध किया.

इन सभी घटनाओं का यदि हम अध्ययन करें तो यह साफ साफ पता चलता है कि उस ने ये सब कुछ पहले से ही तय कर लिया था. जो कफ सिरप की खाली शीशियां होटल के कमरा नंबर 404 में मिली थीं, उन दोनों का इस्तेमाल शायद उस ने अपने अबोध बेटे को बेहोश करने के लिए किया था.

अनुराधा बिराजदार हत्याकांड : इज्जत के नाम पर चढ़ी बलि

5 अक्तूबर, 2018 सुबह करीब 9 बजे वोराले गांव की रहने वाली मालन म्हमाणे अपने घर की सफाई कर  रही थी, तभी उसे 2 खत मिले. मालन म्हमाणे ने वह खत ला कर अपने बेटे बालासाहेब म्हमाणे को देते हुए पढ़ कर सुनाने को कहा.

बालासाहेब म्हमाणे ने जब खतों को पढ़ा तो वह परेशान हो उठा. उस के चेहरे पर पसीना आ गया, क्योंकि वे दोनों खत उस की भांजी अनुराधा के द्वारा लिखे हुए थे. वह उन के यहां ही रह रही थी और एक दिन पहले ही अपनी मां के साथ अपने घर लौट गई थी. दोनों खतों में अनुराधा ने अपने पिता और सौतेली मां से अपनी जान को खतरा और अपनी हत्या का संदेह जताया था.

बेटे को परेशान देख कर मां मालन म्हमाणे भी घबरा गईं. उन्होंने बालासाहेब का कंधा हिलाते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ तुझे, यह खत किस के हैं, जो तू इतना परेशान हो गया?’’

बालासाहेब म्हमाणे ने लंबी सांस लेते हुए कहा, ‘‘मां यह खत अनुराधा के हैं और इन में कुछ अच्छा नहीं लिखा है. उस के साथ कुछ गलत होने वाला है.’’

यह सुन कर मालन म्हमाणे के होश उड़ गए.

अनुराधा कैसी है, यह जानने के लिए मां ने उसी समय उसे फोन किया तो दूसरी ओर से किसी ने फोन नहीं उठाया. इस के बाद तो उन का और ज्यादा परेशान होना स्वाभाविक था. लिहाजा उन दोनों ने अनुराधा के गांव जाने की तैयारी कर ली.

उसी समय किसी ने उन्हें फोन कर के अनुराधा के बारे में जो बताया, उसे सुन कर मांबेटे के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्हें बताया गया कि अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण अनुराधा की मौत हो गई और रात में ही उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया.

मालन म्हमाणे ने अपने दामाद यानी अनुराधा के पिता को फोन किया तो उन्होंने भी अनुराधा की डेंगू से मौत हो जाने की पुष्टि की. यह बात मालन के गले नहीं उतरी थी. अनुराधा को भला ऐसी कौन सी बीमारी हो गई थी, जब वह यहां से गई थी तो भलीचंगी थी.

अपनी नातिन की मौत की बात मालन के गले नहीं उतर रही थी. आश्चर्य की बात यह थी रिश्तेदारों को कोई खबर दिए बिना उस का दाह संस्कार भी कर दिया गया था.

मालन को अनुराधा के मांबाप पर संदेह होने लगा. अनुराधा का मातम मनाने के लिए उस के घर न जा कर वह सीधे मंगलमेढ़ा पुलिस थाने पहुंच गई. थानाप्रभारी प्रभाकर मोरे की सारी बातें बता कर उन्होंने अनुराधा के दोनों खत थानाप्रभारी को सौंप दिए.

मामला संदिग्ध भी था और सनसनीखेज भी. मंगलमेढ़ा थानाप्रभारी प्रभाकर मोरे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उन की शिकायत दर्ज कर इस की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम और फोरैंसिक टीम को दे दी. इस के बाद वह असिस्टेंट इंसपेक्टर वैभव मार्कंड, सिपाही दत्तात्रेय तोंदले, संजय गुंटाल को साथ ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

अनुराधा की अचानक मौत और उस के दाह संस्कार करने की खबर जब गांव में फैली तो गांव वाले हैरान रह गए. देखते ही देखते गांव के तमाम लोग अनुराधा के घर के सामने इकट्ठे हो गए.

पुलिस टीम ने अनुराधा के परिवार वालों और गांव वालों से उस के बारे में पूछताछ शुरू की. थोड़ी देर में जानकारी पा कर एसपी (ग्रामीण) मनोज पाटिल, एसडीपीओ दिलीप जगदाले भी फोरैंसिक टीम के साथ पहुंच गए. लोगों से बातचीत कर के और थानाप्रभारी को दिशानिर्देश दे कर अधिकारी अपने औफिस लौट गए.

अपने वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी प्रभाकर मोरे उस जगह पर पहुंचे, जहां अनुराधा का अंतिम संस्कार किया गया था. वहां से उन्होंने अनुराधा के शव की राख का सैंपल लिया. जब अनुराधा के कमरे की तलाशी ली गई तो वहां जहरीले पदार्थ की एक शीशी मिली.

दोनों को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दिया गया. विस्तृत पूछताछ के लिए पुलिस अनुराधा के मांबाप को थाने ले आई. उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि अनुराधा ने उन के सामने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे, जिस से उन्हें उस की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अनुराधा की हत्या की उन्होंने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

20 वर्षीय अनुराधा देखने में जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल और महत्त्वाकांक्षी भी थी. जो उसे देखता था, अपने आप उस की तरफ खिंचा चला जाता था. लेकिन अनुराधा जिस की तरफ खिंची चली गई, वह उस के बचपन का दोस्त श्रीशैल विराजदार था.

अनुराधा के पिता विट्ठल विराजदार महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के तीर्थस्थल पंढरपुर, तालुका मंगलमेढ़ा, गांव सलगर के रहने वाले थे. तालुका मंगलमेढ़ा में उन की गिनती एक रसूखदार किसान के रूप में होती थी. उन की समाज में काफी इज्जत और प्रतिष्ठा थी.

एक अच्छे काश्तकार होने के साथ साथ वह मंगलमेढ़ा विद्या मंदिर हाईस्कूल में क्लर्क थे. वह इज्जतदार सामाजिक व्यक्ति थे, जबकि अनुराधा का स्वभाव अपने पिता से एकदम अलग था. वह खुले दिमाग की थी. उस के स्वभाव में इंसानियत भी थी और दया भी. वह ऊंचनीच, अमीरगरीब के भेदभाव को नहीं मानती थी.

अनुराधा अपनी बहन और भाई से बड़ी थी. जब वह 2-3 साल की थी, तभी उस की मां की मृत्यु हो गई थी. मां की मौत के बाद पिता के सामने बच्चों की देखभाल और काश्तकारी की वजह से समस्या खड़ी हो गई. इस समस्या के चलते वह किसी पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे थे.

तब विट्ठल विराजदार ने अपने नातेरिश्तेदारों और परिवार वालों से सलाहमशविरा कर के दूसरी शादी करने का फैसला किया और पास के गांव की रहने वाली श्रीदेवी से दूसरा विवाह कर लिया.

श्रीदेवी ने विट्ठल विराजदार की गृहस्थी को संभल लिया. अपनी काश्तकारी संभालने के लिए विट्ठल ने कर्नाटक के सिंदगी के रहने वाले चिन्नप्पा विराजदार को अपने यहां नौकरी पर रख लिया. इस के बाद विट्ठल विराजदार की गाड़ी पटरी पर आ गई.

श्रीशैल विराजदार और अनुराधा हमउम्र थे. श्रीशैल जब कभी अपने पिता से मिलने आता तो अनुराधा उस से घुलमिल जाती थी. उस समय वह यह नहीं जानती थी कि वह उन के नौकर का बेटा है.

कुछ दिनों तक तो श्रीदेवी अपनी सौतन के बच्चों की ठीक से देखभाल करती रही, लेकिन जब वह स्वयं मां बनी तो सौतन के बच्चों के प्रति उस का व्यवहार बदल गया. इसी बीच संदिग्ध परिस्थितियों में अनुराधा की छोटी बहन की मौत हो गई, जिस से अनुराधा को काफी दुख हुआ.

4 साल की हो चुकी अनुराधा को मां और सौतेली मां के बीच के फर्क का अंदाजा होने लगा था. यह फर्क भारी दरार में न बदल जाए, इसलिए विट्ठल विराजदार ने उसे कुछ दिनों के लिए वोराले गांव में उस की नानी और मामा के यहां भेज दिया.

वोराले गांव में अपनी नानी और मामा के साथ रह कर अनुराधा काफी होशियार और समझदार हो गई थी. उस ने जब 10वीं क्लास अच्छे अंकों से पास करती तो आगे की पढ़ाई के लिए विट्ठल विराजदार अनुराधा को अपने गांव ले आए और अच्छे कालेज में दाखिला दिलवा दिया.

अनुराधा डाक्टर बनना चाहती थी. उस की पढ़ाई में रुचि और मेहनत देख कर विट्ठल अनुराधा को डाक्टर के रूप में देखने लगे थे.

अनुराधा ने भी अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत की, जिस से 12वीं की परीक्षा में उस ने 99 प्रतिशत अंक हासिल किए. इस के बाद अनुराधा ने कर्नाटक के सिंदगी मैडिकल कालेज में एडमिशन ले लिया और कालेज के हौस्टल में रह कर मैडिकल की पढ़ाई करने लगी.

विट्ठल विराजदार की खेती संभालने वाला चिन्नप्पा विराजदार सिंदगी का रहने वाला था. उस का बेटा श्रीशैल अनुराधा का बचपन का दोस्त था. सिंदगी मैडिकल कालेज में आ जाने के बाद श्रीशैल कभीकभी अनुराधा से मिलने आने लगा. वह उस का पूरा ध्यान रखता था. कभीकभी अनुराधा भी श्रीशैल के घर पहुंच जाती थी. श्रीशैल के परिवार वाले अपने मालिक की बेटी की हैसियत से उस का आदरसत्कार करते थे.

छुट्टी के दिनों में श्रीशैल अनुराधा को ले कर इधरउधर घुमाने के लिए निकल जाता था. दोनों की बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला. जैसे जैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे उन के प्यार का रंग भी गहरा होता जा रहा था. एक समय ऐसा भी आया जब अनुराधा और श्रीशैल ने एकदूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खा लीं.

किसी माध्यम से जब इस बात की जानकारी अनुराधा के पिता विट्ठल विराजदार को हुई तो उन का खून खौल उठा. उन्होंने अनुराधा को ले कर जो सपना देखा था, वह टूट कर बिखरता हुआ नजर आया.

मामला काफी नाजुक था. मौका देख कर पतिपत्नी दोनों ने अनुराधा को काफी समझाया. उसे अपनी मान मर्यादा के बारे में सचेत किया. लेकिन श्रीशैल के प्यार में आकंठ डूबी अनुराधा पर उन की किसी बात का असर नहीं हुआ.

अनुराधा पर अपनी बातों का असर न होता देख विट्ठल विराजदार और उन की पत्नी श्रीदेवी परेशान हो उठे. उन्होंने श्रीशैल और अनुराधा को एकदूसरे से दूर करने के लिए अपने यहां काम कर रहे श्रीशैल के पिता को यह कह कर काम से निकाल दिया कि वह अपने बेटे को समझा दे. अगर उस ने उन की इज्जत से खेलने की कोशिश की तो परिणाम अच्छा नहीं होगा.

इस के साथसाथ उन्होंने अनुराधा को मैडिकल कालेज के हौस्टल से बुला कर घर पर पढ़ाई करने को कहा. इस के बावजूद श्रीशैल ने अनुराधा का पीछा नहीं छोड़ा तो विट्ठल विराजदार ने अपने सगे संबंधियों के साथ श्रीशैल को काफी मारापीटा.

उन लोगों ने परिवार वालों को यह धमकी भी दी कि वह उसे उन की बेटी अनुराधा से दूर रखें. विट्ठल विराजदार और सगे संबंधियों के खिलाफ श्रीशैल के परिवार वालों ने बीजापुर एसीपी औफिस में जा कर शिकायत की.

कहते हैं इश्क बगावत कर बैठे तो दुनिया का रुख मोड़ दे, महलों में आग लगा दे. यही हाल अनुराध और श्रीशैल का था. परिवार की सख्तियों के बावजूद उन के प्यार में कोई कमी नहीं आई थी. बल्कि उन का प्यार और मजबूत हो गया था. दोनों एकदूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. उन की मुश्किलें अब पहले से जरूर ज्यादा बढ़ गई थीं, लेकिन अब वे सावधानी बरतने लगे थे.

श्रीशैल और अनुराधा अमीर गरीब, मानसम्मान की सीमाएं खत्म कर एक हो जाना चाहते थे. उन्हें तलाश थी तो सिर्फ एक मौके की. यह मौका उन्हें पहली अक्तूबर, 2018 को मिल गया. उस दिन कालेज के एक पेपर के बहाने अनुराधा घर से निकली तो वापस नहीं आई. उस ने अपने प्रेमी श्रीशैल के साथ बीजापुर जा कर कोर्टमैरिज कर ली. वहां से वह श्रीशैल के साथ उस के घर चली गई.

इस बात की जानकारी जब विट्ठल विराजदार और श्रीदेवी को हुई तो उन का खून खौल उठा. अनुराधा ने अपने से कम हैसियत और कम पढ़ेलिखे नौकर के बेटे के साथ कोर्टमैरिज कर उन के अहं और मानसम्मान को जो ठेस पहुंचाई थी, वह उन की बरदाश्त के बाहर था. उन्हें अनुराधा से नफरत हो गई.

2 अक्तूबर, 2018 को विट्ठल विराजदार अनुराधा की ससुराल गए, वहां उन्होंने ठंडे दिमाग से उस के घर वालों और श्रीशैल से बातचीत की और शादी की कुछ रस्मों को निभाने के बहाने अनुराधा को अपने साथ ले आए. लेकिन वह अनुराधा को अपने घर लाने के बजाए अपनी ससुराल वोराले गांव ले कर गए. वहां अनुराधा के मामा और नानी को सारी बातें बता कर उसे समझाने के लिए कहा.

वह 2 दिनों तक अपनी ननिहाल में मामा और नानी के साथ रही, लेकिन डरी और सहमी सी. मामा और नानी ने उसे काफी समझाया, लेकिन अनुराधा के मन से पिता और सौतेली मां का भय कम नहीं हुआ.

उस ने 2 दिनों में अपने पिता और सौतेली मां के खिलाफ 2 लंबे खत लिखे, जिस में उस ने अपनी मौत हो जाने की जिम्मेदारी उन के ऊपर डाली और वह खत किचन में रख दिए, जो बाद में उस की नानी के हाथ लग गए थे.

4 अक्तूबर, 2018 को एक खतरनाक योजना बना कर विट्ठल विराजदार अपनी ससुराल आया और अपनी सास व साले से यह कह कर अनुराधा को अपने साथ ले गया कि उसे पेपर दिलवाने कालेज ले कर जाना है. अनुराधा की मौत से अनभिज्ञ उस की नानी और मामा ने उसे विट्ठल विराजदार के साथ भेज दिया.

घर के अंदर अनुराधा की सौतेली मां श्रीदेवी ने उस की मौत का सारा इंतजाम पहले ही तैयार कर रखा था. गांव आ कर विट्ठल विराजदार और श्रीदेवी ने अनुराधा पर श्रीशैल से रिश्ता खत्म करने का दबाव बनाया, जिसे अनुराधा ने नकार दिया. इस से नाराज विट्ठल विराजदार और श्रीदेवी ने अनुराधा को जबरन जहरीला पदार्थ पिला दिया, जिस की वजह से सुबह 4 बजे अनुराधा की मौत हो गई.

पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए विट्ठल रात में ही अनुराधा के शव को अपने खेत में ले गया और जला दिया. सुबह को उस ने गांव में यह अफवाह फैला दी कि अनुराधा की डेंगू के कारण अचानक मौत हो गई थी. इसलिए उस ने रात में ही उस का दाह संस्कार कर दिया. इस तरह सिर्फ 5 दिन की दुलहन अनुराधा खोखली प्रतिष्ठा और अहं की आग में जल कर राख हो गई थी.

अनुराधा की मौत की खबर जब टीवी द्वारा श्रीशैल और उस के परिवार वालों को मिली तो उन पर वज्रपात सा हुआ. अनुराधा के मातापिता श्रीशैल को भी मारने वाले थे, मगर वह बच गया.

जांच अधिकारी सहायक इंसपेक्टर वैभव मार्कंड ने विट्ठल विराजदार और श्रीदेवी से पूछताछ कर उन के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया. बाद में दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस के साथ ही पुलिस ने अनुराधा की छोटी बहन की संदिग्ध स्थिति में हुई मौत की जांचपड़ताल भी शुरू कर दी थी.

एआई की सीईओ बनी बेटे की कातिल – भाग 1

अपने बेटे चिन्मय (Chinmay) की हत्या करने वाली (Mindful AI Lab) स्टार्टअप (Startup) की सीईओ (CEO) सूचना सेठ (Suchana Seth) ने हत्या करने से पहले बेटे को  लोरी सुनाई थी. इतना ही नहीं, बच्चे की हत्या करने के बाद उस ने खुद की जान लेने की कोशिश की थी. इस के लिए उस ने अपनी कलाई की नस को भी काटा था.  लेकिन अपनी मौत के डर व पीड़ा को वह सहन न कर सकी और इस के बाद अपने बेटे के शव को खिलौने से भरे बैग में ले कर टैक्सी के सहारे भाग निकली.

8 जनवरी,  2024 को पूरे देश में एक खबर आग की तरह फैल गई थी. हर अखबार और हर न्यूज चैनल की हैडिंग में यह खबर जब आई तो उसे सुन कर व देख कर लोगों के दिल दहल उठे थे.

मानवता को तारतार कर देने वाली यह चौंका देने वाली घटना उत्तरी गोवा (Goa) के कैंडोलिम (Candolim) स्थित सोल बनयान ग्रांड होटल (Sol Banyan Grand Hotel) से सामने आई, जहां पर एक महिला को अपने ही 4 साल के मासूम बेटे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया. आरोपी महिला 39 वर्षीय सूचना सेठ (Suchana Seth) अपने बेटे के शव को बैग में रख कर गोवा से कर्नाटक जा रही थी, तभी गोवा पुलिस ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग से उसे रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया. आरोपी महिला कोई मामूली इंसान नहीं थी, बल्कि वह एक एआई स्टार्टअप (AI Startup) के सीईओ पद पर कार्यरत थी.

सूचना सेठ (Suchana Seth) किसी परिचय का मोहताज नहीं है, क्योंकि कामयाबी की जिस बुलंदी को इस नाम ने छुआ था, उस का कसीदा तो सारा सोशल मीडिया पढ़ ही रहा था, लेकिन इस वक्त यह नाम कसीदे के लिए नहीं पढ़ा जा रहा था, बल्कि मानवता को शर्मसार कर देने वाले एक संगीन जुर्म के सिलसिले में इस नाम की चर्चा मीडिया में हो रही थी.

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बंद कमरे में गोवा की यह वारदात मानवीय रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली है. 4 साल के एक मासूम की हत्या,  हत्यारा भी कोई और नहीं बल्कि 9 महीने तक उसे कोख में पाल कर जन्म देने वाली उस की अपनी सगी मां थी.

100 प्रतिभाशाली महिलाओं में शामिल सीईओ सूचना सेठ ने अपने बेटे से कहा, ”चलो बेटा, गोवा घूमने चलते हैं.’’

4 वर्षीय चिन्मय अपनी मां की बात को सुन कर खुश हो गया था. उसे इस बात का अंदाजा बिलकुल भी नहीं था कि जो मां उस की हर सुविधा, खुशी का इतना खयाल रखती है, इतना अधिक प्यार करती है, उसे नुकसान भी पहुंचा सकती है.

होटलकर्मियों को सूचना सेठ पर क्यों हुआ शक

अपनी प्लानिंग के अनुसार सूचना सेठ अपने 4 वर्षीय बेटे चिन्मय को ले कर गोवा पहुंच गई. गोवा के कैंडोलिम इलाके के सोल बनयान ग्रांड होटल में उस ने एक कमरा बुक कराया. वह बेटे को ले कर इस होटल में 6 जनवरी, 2024 को आ आ गई.

पूरा दिन और पूरी रात वह बेटे के साथ होटल में रही. इस के बाद मौका देख कर उस ने अपने बेटे की हत्या कर डाली. हत्या करने के बाद उस ने बेटे के शव को एक बैग में रखा और कैब से भागने की कोशिश करने लगी.

8 जनवरी की सुबह सूचना सेठ होटल से चेक आउट करने लगी. चेक आउट करने के दौरान होटल के स्टाफ ने पूछा, ”मैम, आप के साथ तो आप का बेटा भी इस होटल में 6 जनवरी को आया था, मगर अभी वह आप के साथ नहीं है.’’

”भैया,  बेटे को मैं ने अपने एक रिश्तेदार के साथ सुबह ही भेज दिया है. अब आप प्लीज एक कैब बुलवा लीजिए, मैं बेंगलुरु कैब से जाना चाहती हूं.’’ सूचना सेठ ने कहा.

”मैम कैब से तो आप को बहुत अधिक समय लग सकता है. यदि आप कहें तो बेंगलुरु के लिए आप की फ्लाइट में सीट बुक कर दें?’’ रिसैप्शनिस्ट ने कहा.

”देखो भैया, मैं ने आप से पहले भी कहा था कि मैं फ्लाइट से नहीं जाना चाहती हूं. गोवा और बेंगलुरु के बीच हमारे कई जानपहचान वाले लोग रहते हैं, इसलिए मैं और मेरा बेटा उन से इसी बहाने थोड़े समय के लिए मिल भी सकते हैं. आप तो जल्दी से कोई कैब मंगवा दीजिए. कैब में ही अपने बेटे के साथ बेंगलुरु जाना चाहती हूं.’’ सूचना ने सीधेसीधे रिसैप्शनिस्ट को आदेश दे दिया.

30 हजार रुपए में कैब कर के वह बेंगलुरु के लिए चल दी. कैब ड्राइवर रौय जौन साथ में अपने एक ड्राइवर दोस्त को भी ले गया था.

रिसैप्शनिस्ट ने कैब मंगवा ली और सूचना सेठ अपने सामान के साथ कैब में बैठ गई. रिसैप्शस्टि को न जाने क्यों कुछ अटपटा सा लग रहा था कि यह महिला अपने बेटे को साथ में ले कर आई थी, लेकिन अब वह कहां चला गया?

फ्लाइट में जाने के बजाए यह महिला कैब में क्यों जा रही है? रिसैप्शनिस्ट ने अपने संदेह से फैसिलिटी मैनेजर गगन गंभीर को अवगत करा दिया कि ये कुछ अजीब सा लग रहा है.

फैसिलिटी मैनेजर गगन गंभीर तुरंत देवाशीष माझी के साथ जब रूम नंबर 404 में पहुंचे तो उन्हें वहां पर कई जगह खून के धब्बे दिखाई दिए. गगन गंभीर ने तुरंत कलंगुट पुलिस स्टेशन (Calangute Police Station) के एसएचओ को इस घटना की सूचना दे दी.

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सूचना पा कर एसएचओ परेश जी नाइक होटल के कमरा नंबर 404 में अपनी टीम के साथ पहुंच गए और वहां पर तहकीकात और पूछताछ शुरू कर दी. होटल मैनेजर ने पूछताछ में पुलिस को सारी जानकारी दे दी. इस से पहले 7 जनवरी को सूचना सेठ ने दिन में अपने बेटे के लिए कफ सिरप की 2 शीशियां भी रिसैप्शन से और्डर की थीं.

असल में कातिल मां सूचना सेठ ने गोवा से बेंगलुरु जाने के लिए जो टैक्सी बुक की थी, उसी कैब ड्राइवर रौय जौन डिसूजा की सूझबूझ से वह पुलिस की गिरफ्त में आ गई थी.

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जब इंसपेक्टर परेश नाइक ने होटल में पूछताछ करनी शुरू की तो उन्होंने वहां से पहले टैक्सी ड्राइवर का मोबाइल नंबर लिया. फिर टैक्सी ड्राइवर को फोन कर पूछा कि तुम्हारे साथ बैठी हुई महिला सूचना सेठ अकेली बैठी है या उस के साथ कोई छोटा बच्चा भी है.

ड्राइवर ने पुलिस इंसपेक्टर को बताया कि टैक्सी में सूचना सेठ अकेली बैठी हुई है. उस के बाद इंसपेक्टर ने ड्राइवर से फोन सूचना सेठ को देने को कहा. इंसपेक्टर ने सूचना सेठ से पूछा कि मैं होटल से बोल रहा हूं, आप का बेटा अब तो आप के साथ ही होगा न मैम? तब सूचना सेठ ने कहा कि मेरा बेटा फतोर्दा में मेरे एक दोस्त के पास है.

इंसपेक्टर ने पूछा कि मैम क्या आप बता सकती हैं कि आप का बेटा किस दोस्त के पास है. आप प्लीज उन का पता बता दीजिए, क्योंकि हम होटल वाले सारी चीजें अपने रजिस्टर में दर्ज करते हैं ताकि कल को कोई हमारे ऊपर किसी तरह का आरोप न लगा सके. उस के बाद सूचना सेठ ने एक पता दिया.

पुलिस ने जब उसे पते की जांच की तो वह फरजी निकला. इंसपेक्टर और टैक्सी ड्राइवर के बीच जो बातचीत हुई थी, वह कोंकणी भाषा में हो रही थी, इसलिए सूचना सेठ को टैक्सी ड्राइवर पर शक नहीं हुआ था.

अब तक पुलिस को पूरा यकीन हो चुका था कि इस मामले में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. इसलिए इंसपेक्टर परेश जी नाइक ने कोंकणी भाषा में एक बार फिर कैब के ड्राइवर रौय जौन डिसूजा से बातचीत की और उसे रास्ते में किसी भी पुलिस स्टेशन में पहुंच कर फोन करने के लिए कहा.

ड्राइवर थाने में क्यों ले गया टैक्सी

इस के बाद इंसपेक्टर ने यह जानकारी उत्तरी गोवा के एसपी निधिन वाल्सन को दे दी तो एसपी ने चित्रदुर्ग (Chitradurga) के एसपी से बात कर मामले से अवगत कराया.

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टैक्सी ड्राइवर रौय जौन डिसूजा अपनी टैक्सी रास्ते के ही ऐमंगला पुलिस स्टेशन (Aimangala Police Station) के भीतर ले कर घुस गया. सूचना सेठ जब तक उस से पूछती कि उस ने वहां पर क्यों रोकी है, तब तक रौय जौन डिसूजा ने इंसपेक्टर परेश जी को फोन लगा कर अपना मोबाइल फोन ऐमंगला थाने के इंचार्ज को दे दिया. ऐमंगला पुलिस ने गोवा पुलिस से बातचीत की और सूचना सेठ का पूरा सामान चैक किया तो एक बैग में सूचना सेठ के 4 साल के बेटे चिन्मय का शव बरामद हुआ.

बाद में पुलिस पूछताछ व मीडिया को जानकारी देते हुए टैक्सी ड्राइवर रौय जौन डिसूजा ने बताया कि गोवा के ‘द सोल बनयान ग्रांड’ होटल से उसे 7 जनवरी की रात 11 बजे मोबाइल पर फोन आया था. डिसूजा ग्रांड होटल के इस मोबाइल नंबर को पहचानता था, क्योंकि वह कई बार इस होटल से पर्यटकों को गोवा घुमाने लिए ले जा चुका था.

जीजा साली का जुनूनी इश्क