फरेबी के प्यार में फंसी बदनसीब कांता

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 3

नाजायज रिश्तों का भांडा फूटा

नाजायज रिश्तों को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन वह छिप नहीं पाते. किसी तरह पड़ोसियों को रागिनी और रिंकू के अवैध संबंधों की भनक लग गई. शोभाराम के दोस्तों ने कई बार उसे उस की पत्नी और रिंकू के संबंधों की बात बताई, लेकिन उस ने उन की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया. क्योंकि उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था.

जबकि सच्चाई यह थी कि वह उस के साथ लगातार विश्वासघात कर रही थी. रागिनी कुंवारे रिंकू यादव की इतनी दीवानी हो गई थी कि वह पति को कुछ समझती ही नहीं थी.

नाजायज रिश्तों का भांडा तब फूटा जब एक रोज शोभाराम ने अपनी पत्नी रागिनी और रिंकू को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. रिंकू ने जब शोभाराम को देखा तो वह फुरती से भाग गया. उस ने भी उस से कुछ नहीं कहा. लेकिन उस ने रागिनी को खूब खरीखोटी सुनाई और दोबारा ऐसी हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक रिंकू का रागिनी के यहां आनाजाना लगभग बंद रहा. पर यह पाबंदी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. मौका मिलने पर दोनों फिर से शोभाराम की आंखों में धूल झोंकने लगे. पर अब वह काफी सावधानी बरत रहे थे.

पत्नी को समझाने का प्रयास किया

रागिनी की बेटी अब तक 8 साल की हो चुकी थी. वह अपनी उम्र से कुछ ज्यादा समझदार थी. रिंकू के घर आने पर वह ताकझांक में लगी रहती थी. बेटी उस के नापाक रिश्तों में बाधा न बने, इसलिए रागिनी ने उसे ननिहाल रहने को भेज दिया.

बेटी के ननिहाल में रहने पर रागिनी पूरी तरह आजाद हो गई. शोभाराम राजमिस्त्री था. वह सुबह घर से निकलता तो फिर शाम को ही घर आता था. दोपहर में रागिनी चालाकी के साथ रिंकू को बुला लेती फिर दोनों रंगरलियां मनाते. पति के आने से पहले रागिनी सतीसावित्री बन जाती थी.

cShobharam (Aropi)

लेकिन चालाकी के बावजूद शोभाराम ने एक रोज फिर से पत्नी को रिंकू के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रोज शोभाराम सुबह काम पर तो गया था, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह दोपहर में ही वापस घर आ गया था. इस बार उस ने रिंकू को खूब खरीखोटी सुनाई और पत्नी की जम कर पिटाई की. इस के बाद रिंकू का घर आनाजाना बंद हो गया.

जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में रागिनी ने एक और बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से शोभाराम को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे शक था कि यह बेटी जरूर रागिनी और रिंकू के नाजायज रिश्तों की निशानी है. लेकिन समाज के डर से उस ने जुबान बंद रखी.

बेटी के जन्म के बाद शोभाराम को लगा कि रागिनी ने रिंकू के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं. यह उस की भूल थी. रागिनी अब भी मौका मिलने पर रिंकू से मिलने का प्रयास करती रहती थी. उसे झटका तब लगा, जब उस ने एक रोज रिंकू को शाम के धुंधलके में अपने घर से निकलते देख लिया.

शोभाराम की अब गांव में खूब बदनामी होने लगी थी. गांव के युवक उसे देख कर पत्नी के चरित्र को ले कर फब्तियां कसने लगे थे. उस ने पत्नी को बड़ी बेटी की दुहाई देते हुए समझाया, लेकिन रागिनी पर कोई असर नहीं पड़ा.

आखिर अपनी इज्जत का जनाजा उठते देख कर उस का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसी सब का नतीजा था कि उस ने मन ही मन एक खतरनाक मंसूबा पाल लिया. वह मंसूबा था रिंकू और बेवफा पत्नी की हत्या का.

अपने मंसूबे को अमली जामा पहनाने के लिए वह दोनों पर नजर रखने लगा था. शोभाराम कभी काम पर जाता तो कभी नहीं भी जाता. कभी जाता तो घंटे-2 घंटे बाद ही लौट आता. रागिनी अच्छी तरह जान गई थी कि उस का पति उस पर नजर गड़ाए है. इसलिए वह स्वयं सतर्क थी और उस ने प्रेमी रिंकू को भी सतर्क कर दिया था कि वह उस के घर तभी आए, जब वह उसे फोन कर बुलाए.

कैसे हुआ प्रेमीप्रेमिका का मर्डर

14 जून, 2023 की सुबह 8 बजे शोभाराम काम पर चला गया. दिन भर काम करने के बाद वह शाम 6 बजे घर आया. उस समय रागिनी छत पर थी. वह कमरे में पड़े तख्त पर लेट गया और थकान दूर करने लगा. रात 8 बजे के लगभग शोभाराम ने खाना खाया फिर तख्त पर लेट गया. कुछ देर बाद ही वह गहरी नींद में सो गया.

इधर रागिनी ने घर का काम निपटाया, फिर बेटे को पति के साथ लिटा दिया और खुद छोटी बेटी के साथ कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी की याद आ रही थी. महीना भर से अधिक का समय बीत गया था, वह रिंकू से मिलन नहीं कर पाई थी. जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने फोन कर रिंकू यादव को घर बुला लिया. दोनों मकान की छत पर पहुंचे और मौजमस्ती में जुट गए.

इधर रात 12 बजे के बाद शोभाराम लघुशंका के लिए उठा तो उस की नजर कमरे में पड़ी चारपाई पर गई. चारपाई पर छोटी बेटी तो सो रही थी, लेकिन पत्नी गायब थी. उस ने चंद मिनट उस के वापस आने का इंतजार किया, फिर वह घर में उस की खोज करने लगा. उस ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन रागिनी उसे कहीं नहीं दिखी. तभी उस के मन में विचार आया कि रागिनी कहीं छत पर तो नहीं.

यह विचार आते ही शोभाराम दबे पांव सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर पहुंचा. छत का दृश्य देख कर शोभाराम का खून खौल उठा. उस की भुजाएं फड़कने लगीं और कुछ कर गुजरने को तत्पर हो उठीं. दरअसल, छत पर रागिनी और रिंकू यादव अर्धनग्न अवस्था में एकदूसरे से गुथे पड़े थे. पत्नी की सीत्कार उस के कानों में गरम सीसा घोल रही थी.

शोभाराम ने पास पड़ी ईंट उठाई और रागिनी पर छाए रिंकू के सिर पर भरपूर प्रहार किया. प्रहार से रिंकू का सिर फट गया और खून की धार बहने लगी. पति के रूप में रागिनी ने साक्षात मौत को देखा तो वह प्रेमी के ऊपर लेट गई और गिड़गिड़ाने लगी, ”मेरे राजा को मत मारो, उस के बिना मैं कैसे जीवित रहूंगी?’‘

यह सुनते ही शोभाराम का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने दूसरा वार पत्नी रागिनी के सिर पर किया तो उस का भी सिर फट गया और खून का फव्वारा छूट पड़ा. इस के बाद शोभाराम ने अनगिनत प्रहार रागिनी और रिंकू के सिर और चेहरे पर किए तथा दोनों को मौत के घाट उतार दिया.

इस के बाद वह छत पर ही बैठा बीड़ी पीता रहा. कुछ देर बाद उस ने मोबाइल फोन से डायल 112 पर पुलिस कंट्रोल रूम को डबल मर्डर की सूचना दी. सूचना पाते ही थाना पुलिस व अन्य अधिकारी घटनास्थल आ गए. पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो इन हत्याओं के पीछे अवैध संबंधों की बात सामने आई.

16 जून, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी शोभाराम दोहरे को औरैया की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मृतका रागिनी के तीनों बच्चे अपने नानानानी के घर पल रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 2

कमलेश शादी लायक हो गया था. वह नौकरी भी कर रहा था, इसलिए उस की शादी के लिए रिश्ते आने लगे थे. मनोहर और किरण भी बेटे की शादी करना चाहते थे, इसलिए वे बेटे के लिए लड़की देखने लगे थे. काफी खोजबीन के बाद आखिर उन्होंने नागदा के रहने वाले नंदकिशोर पांचाल की बेटी प्रियंका उर्फ पिंकी को पसंद कर लिया था.

जैसा कमलेश के मांबाप चाहते थे, पिंकी वैसी ही पढ़ीलिखी, खूबसूरत, सुशील और समझदार घरेलू लड़की थी. सारी बातचीत के बाद पूरी रस्मोरिवाज के साथ 12 मई, 2013 को कमलेश और पिंकी का धूमधाम से विवाह हो गया. पिंकी बाबुल के घर से विदा हो कर अपने सपनों के राजकुमार के घर आ गई.

अब पिंकी को उस पल का इंतजार था, जो जिंदगी में सिर्फ एक बार आता है. वह पल आ गया, लेकिन उस का पति कमलेश उस का घूंघट उठा कर प्यार करने के बजाय उतनी रात को भी न जाने किस से फोन पर बातें करने में लगा था. पिंकी को यह सब अच्छा तो नहीं लग रहा था, लेकिन संकोचवश वह कुछ कह नहीं पा रही थी. वह भले ही कुछ नहीं कह पा रही थी, लेकिन यह जरूर सोच रही थी कि ऐसा कौन सा खास आदमी है, जिस से वह उसे छोड़ कर फोन पर बातें करने में लगा है.

कमलेश ने सुहागरात तो मनाई, लेकिन उस में वह जोश नहीं था, जो होना चाहिए था. जिस की कसक पिंकी साफ महसूस कर रही थी. उस की यह कसक बढ़ती जा रही थी, क्योंकि कमलेश का लगभग रोज का वही नियम था. वह होता तो पिंकी के पास था, लेकिन बातें किसी और से करता रहता था. उस की बातें सुन जब पिंकी को लगा कि वह लड़कियों से बातें करता है तो उस की कसक और बढ़ गई.

कमलेश की काल सेंटर की नौकरी कोई बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए वह किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. उसे एक एनजीओ में काम मिल गया तो उस ने काल सेंटर वाली नौकरी छोड़ दी. यह लगभग 6 महीने पहले की बात है. उस एनजीओ की ओर से वह मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लोगों को प्रशिक्षण देता था. उस ने अपना यह काम पूरी ईमानदारी और लगन से किया था. इसलिए उसे मुख्यमंत्री ने अवार्ड भी प्रदान किया था. एनजीओ से जुड़ने के बाद कमलेश फोन पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगा था. वह देर रात तक फोन पर बातें करता रहता था. पिंकी अकसर उकता कर सो जाती थी.

पिंकी इस का पुरजोर विरोध कर रही थी. लेकिन कमलेश में कोई सुधार नहीं आ रहा था. तब पिंकी ने इस बात की शिकायत अपने सासससुर से ही नहीं, मांबाप से भी की. कमलेश के मांबाप ने जब उसे टोका तो यह बात उसे बड़ी नागवार लगी. पिंकी का इस तरह जिंदगी में दखल देना उसे अच्छा नहीं लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तनाव रहने लगा.

कमलेश पिंकी को इसलिए कुछ नहीं कह पाता था, क्योंकि उस के मांबाप बहू को बहुत प्यार करते थे. उन की बहू थी भी इस लायक. वह सासससुर का हर तरह से खयाल रखती थी. उन्हें हमेशा हाथों पर लिए रहती थी.

ऐसी बहू की हत्या हो जाने से मनोहर और किरण बहुत परेशान थे, इसलिए वे केस को खोलने और हत्यारे को पकड़वाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाए हुए थे. चूंकि वह ज्युडिशियरी से जुड़े थे, इसलिए पुलिस पर इस मामले को जल्द से जल्द खोलने का दबाव भी था.

कमलेश अगर अपना बयान दे देता तो पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने में आसानी होती. इसलिए पुलिस उस से पूछताछ के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रही थी. लेकिन पुलिस जब भी अस्पताल पहुंचती, पता चलता वह बेहोश है. जबकि डाक्टरों के अनुसार वह पूरी तरह से स्वस्थ था. अब पुलिस को उसी पर शक होने लगा. लेकिन पुलिस उस पर शक के आधार पर हाथ नहीं डाल सकती थी, क्योंकि उस के पिता हाईकोर्ट के जज की गाड़ी चलाते थे. जरा भी इधरउधर हो जाता तो पुलिस को जवाब देना मुश्किल हो जाता. इसलिए पुलिस उस के खिलाफ सुबूत जुटाने लगी.

पुलिस ने सब से पहले उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स से ऐसे तमाम नंबर मिले, जिन पर उस की लंबीलंबी बातें हुई थीं. पुलिस ने जब उन नंबरों के बारे में पता किया तो वे सभी नंबर लड़कियों के थे. इस से यह बात साफ हो गई कि वह काफी आशिकमिजाज लड़का था.

थानाप्रभारी मंजू यादव की समझ में आ गया था कि कमलेश पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए बेहोश और कमजोरी होने का नाटक कर रहा है. वैसे भी वह नाटकों में काम कर चुका था. कालेज के समय में उसे अभिनय सम्राट कहा जाता था. उसे नाटकों के लिए कई अवार्ड भी मिले थे. इसलिए मंजू यादव ने भी उस के साथ नाटक करने की योजना बनाई.

वह सबइंसपेक्टर राजेंद्र सिंह दंडोत्या, भीम सिंह रघुवंशी और कुछ पुलिस वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंचीं. क्योंकि अब तक उन्हें कुछ ऐसे सुबूत मिल चुके थे, जिस से उन्हें लग रहा था कि पिंकी की हत्या कमलेश ने ही की है. इस की वजह यह थी कि कमरे में केवल उसी की अंगुली के निशान मिले थे. जांच के लिए कमलेश के खून से सने कपड़े और पलंग के नीचे से मिले जो गहने पुलिस ने बरमाद किए थे, उन पर जो खून के दाग लगे थे, वह पिंकी के खून के थे.

अपने शक को दूर करने के लिए पुलिस ने कमलेश की काल डिटेल्स से मिले एक नंबर पर उसी के फोन से फोन किया, जिस पर उस ने उसी रात काफी लंबीलंबी बातचीत की थी. फोन लगते ही दूसरी ओर से फोन रिसीव कर लिया गया था, इधर से बिना कुछ कहे ही दूसरी ओर से सीधे कहा गया, ‘‘कमलेश, तुम ने जो किया, वह ठीक नहीं किया. तुम बहुत ही गंदे आदमी हो. आखिर तुम ने अपनी पत्नी की हत्या कर ही दी. लेकिन अब इस मामले में मुझे मत फंसाना, क्योंकि इस में मेरी कोई भूमिका नहीं है. और हां, अब कभी मुझे भूल कर भी फोन मत करना.’’

इतना कह कर फोन रिसीव करने वाली लड़की ने फोन काट दिया था. पुलिस ने लड़की की यह बातचीत टेप कर ली थी. बाद में पुलिस ने उस  लड़की के बारे में पता किया तो वह बाणगंगा मोहल्ले की निकली.

थानाप्रभारी मंजू यादव अपने साथियों के साथ सीएचएल अस्पताल के उस कमरे में जैसे ही पहुंचीं, जिस में कमलेश भरती था, उन्हें देख कर कमलेश तुरंत बेहोश हो गया. कमलेश की मां किरण उस की देखभाल के लिए वहीं थीं. पुलिस उन्हें बाहर भेज कर कमलेश से बात करने की कोशिश करने लगी. कमलेश बेहोशी का नाटक तो किए ही था, अब कराहने भी लगा.

थानाप्रभारी मंजू यादव भी कम नाटकबाज नहीं थीं. उन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए एक योजना बनाई. उस योजना के तहत उन्होंने एक सिपाही को परदे के पीछे छिपा कर खड़ा कर दिया और एक मोबाइल फोन का वाइस रिकौर्ड चालू कर के कमलेश के बेड पर इस तरह रख दिया कि उसे पता नहीं चला. इस के बाद उन्होंने साथियों के साथ बाहर आ कर कमलेश की मां से कहा, ‘‘कमलेश अभी बयान देने लायक नहीं है. जब वह बयान देने लायक हो जाए, आप हमें सूचना भिजवा दीजिएगा. हम सभी आ कर बयान ले लेंगे.’’

इतना कह कर थानाप्रभारी मंजू यादव ने किरण को अंदर भेज दिया. मां के अंदर आते ही कमलेश को होश आ गया. उस ने तुरंत पूछा, ‘‘पुलिस वाले चले गए?’’

मां ने हां में सिर हिलाया तो वह उन से अच्छी तरह बातें करने लगा. उसे अच्छी तरह बातें करते देख परदे के पीछे छिप कर खड़े सिपाही ने मिसकाल दे कर थानाप्रभारी मंजू यादव को अंदर आने का इशारा कर दिया. वह साथियों के साथ तुरंत अंदर आ गईं. कमरे में अचानक पुलिस को देखते ही कमलेश फिर से बेहोशी का नाटक कर के कराहने लगा.

मंजू यादव ने हंसते हुए पलंग पर छिपा कर रखे मोबाइल फोन को उठा कर रिकौर्ड हुई मांबेटे की बातचीत सुनाई तो कमलेश का कराहना बंद हो गया. उसे तुरंत अस्पताल से छुट्टी करा कर थानाप्रभारी मंजू यादव रानीसराय स्थित पुलिस मुख्यालय ले गईं. उन्होंने वहां वीडियोग्राफी की तैयारी पहले से ही करा रखी थी.

वीडियोग्राफी कराते हुए कमलेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में उस ने पुलिस को भरमाने के लिए एक कहानी सुनाई, जो इस प्रकार थी.

कमलेश ने बताया कि 4-5 दिनों से काले रंग की एक पलसर मोटरसाइकिल से 2 लड़के मुंह पर कपड़ा बांध कर उस के घर के आसपास चक्कर लगा रहे थे. उस दिन वही दोनों लड़के उस के घर में घुस आए और उस के सिर पर डंडा मार कर उसे बेहोश कर दिया. इस के बाद उन्होंने लूटपाट की होगी. पिंकी ने विरोध किया होगा या उन्हें पहचान लिया होगा, जिस की वजह से उन्होंने उस की हत्या कर दी होगी.

एक अधूरी प्रेम कहानी – भाग 3

दोस्त क्यों बना दरिंदा

नीलम और गणेश की उम्र में भले ही 10 साल का अंतर था, नीलम को गणेश और उस की बातें सुहाती थीं. वह उसके प्रति आकर्षित हो गई थी. कहने को गणेश प्यार मोहब्बत की बातें करता था, लेकिन नीलम गणेश को अपना दोस्त मानती थी.

सिकंदरा क्षेत्र के जंगल में दरिंदगी की शिकार नीलम की हालत में सुधार होने के बाद 13 मार्च, 2023 को नीलम के कोर्ट में बयान दर्ज हुए.

नीलम के गांव वालों का कहना था कि अब तक के इतिहास में गांव में यह पहली घटना है. अब तक गांव की किसी बेटी के साथ इस तरह की दरिंदगी नहीं हुई. इस घटना से गांव वाले आक्रोशित थे. उन का कहना था कि नीलम की हालत के जिम्मेदार को वह खुद अपने हाथों से सजा देंगे.

नीलम से शांति सेना ने भेंट की

14 मार्च, 2023 को महिला शांति सेना की कुंदनिका शर्मा, शीला बहल, वत्सला प्रभाकर, व रीता कपूर पीड़िता नीलम से मिलीं और अपने स्तर से उस की हरसंभव सहायता करने का भरोसा दिया.

पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि घटनास्थल से किशोरी की चप्पलें, दुपट्टा, सिर पर जिस ईंट से प्रहार किया वो ईंट, अंदरूनी कपड़े, बाल, शराब की एक खाली बोतल, 2 खाली गिलास, नमकीन के खाली पाउच, पौलीथिन, प्लास्टिक बौक्स में एक पर्स, आधार कार्ड आदि सबूत जमा कर लिए.

फील्ड यूनिट ने भी अलग से नमूनेे लिए. वहीं आरोपियों का डीएनए नमूना भी लिया गया. मुकदमा में सामूहिक दुष्कर्म सहित कई धाराएं बढ़ाई गईं. दोनों आरोपियों गणेश व संतोष के खिलाफ नाबालिग को बहलाफुसला कर अगवा करने की धारा 363, 366 व 376 डी ए, हत्या का प्रयास धारा 307, गला घोंट कर जंगल में फेंक कर साक्ष्य नष्ट करना धारा 201, आरोपियों का एक राय होना धारा 34 व बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध की धारा 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत अभियोग दर्ज किया गया है. सनसनीखेज वारदात में दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

अनजाने प्यार के खौफनाक अंजाम सामने आते रहते हैं. इस के बावजूद युवा पीढ़ी सबक लेने को तैयार नहीं है. बढ़ते महिला अपराधों के बीच जहां लड़कियों को लगातार सतर्क किया जा रहा है, वहीं कुछ किशोरियां ऐसी हैं, जो घर वालों से ऊपर हो कर अपनी मनमरजी से प्रेम करना और कहीं घूमना अपना अधिकार समझती हैं. समस्या तब होती है, जब ऐसी किशोरियोंं के साथ कोई अनहोनी हो जाती है.

3 जुलाई, 2023 को इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपनेअपने तर्क, गवाह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए थे. अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 9 गवाह पेश किए गए. इन में पीड़िता नीलम भी शामिल थी.

कौनकौन से सबूत बने सजा के आधार

घटना के 3-4 दिन बाद जब नीलम को पूरी तरह होश आया तब उस ने बताया कि उसे होली खेलने के बहाने से गांव के बाहर बुलाया गया. आरोपी उसे रुनकता ले गए. उसे मिठाई खिलाई. फिर गाड़ी को जंगल की ओर मोड़ दिया. दोनों ने उस के साथ रेप किया.

जब उस ने घर जा कर सारी बात बताने की बात कही तो दोनों ने मारने की कोशिश की. घटनास्थल व आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने बाइक, औनलाइन भुगतान इलैक्ट्रोनिक साक्ष्य, वहीं मोबाइल की काल डिटेल, फोन की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज भी साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए.

अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए 9 गवाहों में चिकित्सक डा. वंदना तुलसी, डा. के.सी. भगत, डा. मोहित गोपाल वार्ष्णेय  के अलावा पुलिसजनों हैडकांस्टेबल सत्यवीर सिंह, विवेचक एसआई कुंवरपाल सिंह, वादी मुकदमा, प्रधानाचार्य तेज प्रकाश सिंह के साथ  मुख्य गवाह सुरक्षागार्ड जयप्रकाश, जिस ने सब से पहले नीलम को जंगल में देखा था, की गवाही कराई गई. पीड़िता नीलम ने न्यायालय में कहा कि वह चाहती है कि दोनों दरिंदों को फंासी होनी चाहिए.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो एक्ट) विजय किशन लवानिया और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि के साथ ही वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष दीक्षित ने न्यायालय में प्रभावी पैरवी की.

रिपोर्ट में देरी व अज्ञात में दर्ज कराने पर आरोपियों के अधिवक्ताओं दिनेश नांबर व अरविंद शर्मा के तर्कों को काटते हुए उन्होंने कहा कि मी लार्ड, कोई स्त्री या लड़की जब गायब हो जाती है तो सर्वप्रथम उसे खोजने का ही प्रयास किया जाता है. प्रयास विफल होने पर ही पुलिस को सूचना दी जाती है.

लड़की के मामले में संबंधित परिवार के साथ सामाजिक निंदा व अपमान का प्रश्न भी खड़ा हो जाता है. ऐसी स्थिति में रिपोर्ट में देरी होना स्वाभाविक है. इस मामले में भी इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती कि पीड़िता व उस का परिवार प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने को अविलंब तत्पर हो जाएं.

संबंधित मामले में वादी ने अपनी तहरीर में ही कथन किया है कि पीड़िता की तलाश करते रहे और 10 मार्च, 2023 को सुबह 8 बजे उसे सूचना मिली कि उस की बेटी के साथ दुष्कर्म कर घायल अवस्था में जंगल में फेंक दिया है. 8 बजे सूचना मिलने के बाद उसी दिन 10:34 बजे थाने पर तहरीर दे कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.

न्यायालय ने माना कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में कोई भी असामान्य विलंब नहीं है. दोनों अभियुक्तों गणेश व संतोष ने दोस्ती के नाम पर नीलम को धोखा दे कर उस के साथ बलात्कार किया और शिकायत करने की बात पर उसे मरणासन्न कर जंगल में फेंक कर भाग गए. स्कूल के प्रधानाचार्य ने अभिलेखों के अनुसार बताया कि घटना के समय नीलम की उम्र 14 साल थी.

अभियोजन पक्ष ने दोनों को अधिक से अधिक दंड देने की न्यायालय से अपील की. वहीं अभियुक्तों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि यह अभियुक्तगणों का प्रथम अपराध है तथा अभियुक्तगण इस अपराध में लगातार जेल में निरुद्ध चले आ रहे हैं. उन का आपराधिक इतिहास नहीं है, दोनों नवयुवक हैं, इसलिए अभियुक्तों को न्यूनतम दंड दिया जाए.

दोष सिद्ध होने के बाद इस मामले की पत्रावली दंडादेश हेतु 4 जुलाई, 2023 को न्यायाधीश के समक्ष पेश की गई. अभियुक्तों गणेश व संतोष को कारागार से न्यायिक अभिरक्षा में न्यायालय में लाया गया. दोनों कोर्टरूम के कटघरे में सिर झुकाए खड़े रहे.

पोक्सो कोर्ट के जज प्रमेंद्र कुमार ने दोषसिद्ध दोनों अभियुक्तों संतोष व गणेश को नीलम व गवाहों के बयान के आधार पर सभी धाराओं में दोषी करार देते हुए यौन अपराध शिशु संरक्षण अधिनियम (पोक्सो एक्ट) 2012 की धारा 5जी/6 के अंतर्गत  कठोर आजीवन कारावास व एक लाख रुपए जुरमाना की सजा सुनाई गई. वहीं धारा 363 भादंसं में 3 वर्ष के कारावास व 5 हजार रुपए जुरमाना, धारा 366 भादंसं में 7 वर्ष के कारावास व 15 हजार के जुरमाना, धारा 307 सपठित 34 भादंसं में आजीवन कारावास व 70 हजाररुपए का जुरमाना, धारा 201 भादंसं में 5 वर्ष के कारावास व 10 हजार रुपए का जुरमाना लगाया.

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के नियम-7(2) एवं धारा 357-क की उपधारा (2) के अंतर्गत पीड़िता यथोचित प्रतिकर प्राप्त करेगी, जिसे दिए जाने हेतु इस निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आगरा को प्रेषित करने व अभियुक्तगण गणेश व संतोष का सजायावी वारंट बना कर उन्हें सजा भुगतने के लिए जिला कारागार, आगरा भेजने का आदेश दिया गया.

इस केस में न्यायालय ने भी सुनवाई में तत्परता दिखाई और मात्र 116 दिनों में ही फैसला सुना दिया. सिकंदरा पुलिस ने घटना में 7 दिन में कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी. रुनकता पुलिस चौकी प्रभारी कुंवरपाल सिंह ने मुकदमे की विवेचना की. पीड़िता को इंसाफ दिलाने में पुलिस और अभियोजन ने अहम भूमिका निभाई.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों व कोर्ट के निर्णय पर आधारित. पीड़िता का नीलम काल्पनिक नाम है.

ऐसी भी एक सीता – भाग 1

रामानंद विश्वकर्मा 6 अप्रैल, 2023 को जब दुबई से गोरखपुर के गांव मल्हीपुर में स्थित अपने घर आया तो घर वालों की खुशियों का ठिकाना ही नहीं था. वह पूरे 2 साल 2 महीने के बाद लौटा था, इसलिए सब के चेहरे खुशी के मारे खिले हुए थे. कोई दौड़ कर उसे बिसकुट पानी ला रहा था तो कोई उस के हाथ से अटैची ले कर उस के कमरे में रख रहा था. घर वाले जानते थे कि वह सब के लिए कुछ न कुछ कीमती गिफ्ट जरूर लाया होगा.

लेकिन झील सी गहरी एक जोड़ी आंखें परदे की ओट से छिप कर रामानंद को देख रही थीं. उसे ऐसा लगा था, जैसे उसे कोई परदे के पास खड़ा एकटक देखे जा रहा हो. पलट कर उस ने जब परदे की ओर देखा तो वहां कोई नहीं था. फिर उस ने सोचा कि ये उस का कोई भ्रम रहा होगा. वहां कोई खड़ा हो कर भला उसे क्यों देखेगा. उस से मिलने भी तो आ सकता है.

थोड़ी देर मांबाप के पास बैठने और पानी पीने के बाद रामानंद उठ क र अपने कमरे में चला गया, जहां उस की पत्नी सीतांजलि, जिसे वह प्यार से सीता कहता था. वह उस के इंतजार में कब से पलकें बिछाए बैठी थी. परदे की ओट से छिप कर वही पति को निहार रही थी.

पति को देखते ही सीता का चेहरा खुशियों से खिल उठा था. वह इतनी खुश थी कि उस के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहे थे. रामानंद भी कम खुश नहीं था पत्नी को देख कर. सालों बाद दोनों का मिलन हुआ था.

दरअसल, शादी के 6 महीने बाद ही रामानंद पत्नी सीता को मांबाप की सेवा के लिए घर पर छोड़ कर दुबई कमाने चला गया था. उस ने पत्नी से वायदा किया था कि जब वह दुबई से लौट कर आएगा तो उसे भी विदेश अपने साथ ले जाएगा. बाकी जीवन के सुखी पल दोनों वहीं साथ बिताएंगे.

घर में उस शाम रामानंद की पसंद का खाना बनाया था. लंबा सफर तय कर रामानंद भी घर पहुंचा था, इसलिए वह भी थक कर चूर हो गया था. इसलिए बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे भरने लगा.

इधर सीता रसोई के काम में लगी रही. चौकाबरतन से निबट कर वह भी बिस्तर की ओर हो ली. एक नजर बिस्तर पर सो रहे पति पर डाली और प्यार से उस के गाल को स्पर्श किया. वह हौले से मुसकराई फिर वह भी सो गई.

अगली सुबह यानी 7 अप्रैल की सुबह जब सीता की आंखें खुलीं तो देखा पति उस के पास बिस्तर पर नहीं था तो उठ कर बैठ गई. कमरे का दरवाजा भिड़ा हुआ था और सिटकनी खुली थी. बिस्तर पर बैठी सीता कुछ देर तक कुछ सोचती रही, फिर बिस्तर से उतर कर नित्यक्रिया में जुट गई.

विदेश से लौटा रामानंद कैसे हुआ लापता

सुबह के 8 बज चुके थे. रामानंद अभी तक कहीं नहीं दिखा तो पत्नी सीता को चिंता हुई और उस ने ससुर रामप्रीत से पति के बारे में पूछा, ”पापाजी, आप ने उन्हें देखा है? क्या आप से कुछ बोल कर कहीं गए हैं? आखिर इतना समय हो गया, वह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं?’‘

”नहीं बहू?’‘ राममप्रीत ने आगे कहा, ”सुबह से मैं ने रामानंद को घर से बाहर कहीं जाते हुए नहीं देखा, आखिर कहां चला गया?’‘ रामप्रीत के चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर आई थीं.

”पापाजी, पता करिए कहां गए वो? घबराहट के मारे दिल बैठा जा रहा है.’‘

”घबराओ मत बहू,’‘ ससुर ने आगे कहा, ”बरसों बाद लौटा है, कहीं बैठा यार दोस्तों के साथ गप्पें लड़ा रहा होगा, थोड़ी देर में आ ही जाएगा.’‘

”ठीक है, पापाजी.’‘ कह कर सीता रसोई की ओर बढ़ गई और सभी के लिए नाश्ता बनाने लगी.

इधर रामप्रीत भी यह सोच कर हैरान हुए जा रहे थे कि सचमुच बेटा सुबह से कहीं नहीं दिख रहा है. न तो उसे कहीं घर से बाहर जाते हुए देखा और न आते हुए ही. आखिर वह कहां गया. वाकई ये तो चिंता वाली बात है. इतना सोच कर रामप्रीत का मन घर पर नहीं लगा और वह पत्नी से बता कर बेटे को ढूंढ़ने गांव में निकल गए.

बेटे के जो भी दोस्त उन्हें रास्ते में मिले, सब से वह बेटे रामानंद के बारे में पूछते. लेकिन किसी ने भी उन से यह नहीं कहा कि वह उस से मिला है, बल्कि उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि रामानंद दुबई से कब घर वापस आया है. बेटे के दोस्तों का जवाब सुन कर रामप्रीत हैरान रह गए कि बेटा न घर में है, न ही दोस्तों से ही मिला तो वह गया कहां? यह सोच कर रामप्रीत का माथा चकरा गया था.

रामप्रीत यही सोच रहे थे कि अब वो कहां जाएं और किस से बेटे के बारे में पूछें. तभी गांव का किशोर नाम का एक लड़का दौड़ता हुआ सीधा रामप्रीत के पास आ कर रुका. उस के चेहरे के हावभाव से ऐसा लग रहा था, जैसे वह कोई जरूरी बात बताना चाहता है.

किशोर ने उन से कहा, ”चाचा… चाचा…’‘ जोरजोर से हांफते हुए दुबलेपतले किशोर ने सामने दाईं ओर हाथ दिखाते हुए कुछ कहना चाहा, ”उधर तालाब…’‘

”हांहां बेटा, क्या कहना चाहते हो. थोड़ा सांस तो ले लो, फिर बताओ जो कहना चाहते हो.’‘ रामप्रीत ने किशोर का ढांढस बंधाते हुए कहा.

थोड़ी देर में जब वह सामान्य स्थिति में हो गया तो किशोर ने कहा, ”चाचा, गांव के बाहर वाले तालाब के किनारे एक लाश पड़ी है. वह लाश आप के बेटे रामानंद की है.’‘

”क्या?’‘ चौंक कर रामप्रीत बोले, ”मेरे बेटे रामानंद की लाश है! मुझे तेरे कहे पर विश्वास नहीं हो रहा है बेटा, ले चलो मुझे वहां, जहां लाश पड़ी है.’‘

”भला मैं आप से मजाक क्यों करने लगा चाचा, जो मैं ने देखा, वही मैं ने कहा. मेरी बातों पर आप को यकीन नहीं है तो खुद चल कर देख लीजिए, तब तो आप को मेरी बातों पर यकीन हो जाएगा, मैं झूठ नहीं बोल रहा.’‘ किशोर ने रामप्रीत को सफाई देते हुए कहा और उन्हें अपने साथ ले कर गांव के बाहर स्थित तालाब के पास गया.

तालाब के किनारे लोगों का मजमा लगा हुआ था और तमाशबीन बन कर लोग पानी में तैर रही लाश देख रहे थे.

भीड़ देख कर रामप्रीत का कलेजा जोरजोर से धड़कने लगा था. वह भीड़ को चीरते हुए सीधे तालाब के किनारे पहुंचे, जहां लाश पड़ी हुई थी. लाश देख कर उन का शरीर थरथर कांपने लगा और वह धम्म से जमीन पर जा गिरे. मौके पर जमा भीड़ ने उन्हें संभाला और टांग कर तालाब के पास से थोड़ी दूर ला कर बैठा दिया.

कैसे हुई रामानंद की मौत

रामप्रीत सिर पर दोनों हाथ रख बिलखबिलख कर रोने लगे. लाश उन के बेटे रामानंद विश्वकर्मा की ही थी. मौके पर जमा लोग उस की तालाब में डूब कर मरने की बात कर रहे थे. यह सुन कर रामप्रीत हैरान थे कि बेटा जब घर में सो रहा था तो वह कब तालाब के पास आया कि उस की पानी में डूबने से मौत हो गई. तमाशबीन लोग भी यही सोचसोच कर हैरान थे कि अभी तो कल ही विदेश से लौट कर आया था और कैसे? क्या हुआ कि इस की मौत हो गई.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 2

रागिनी क्यों नहीं जाना चाहती थी ससुराल

रागिनी ने अच्छी तरह शोभाराम को देखा सुहागरात को. वह सांवले रंग और इकहरे शरीर का था. उस ने कपड़े उतारे तो हीरो जैसी बौडी की आरजू करने वाली रागिनी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस रात शोभाराम रागिनी का तन तो जीतने में सफल रहा, किंतु मन नहीं जीत सका. शोभाराम उस की कल्पना से एकदम उलट था. इसलिए सफल यौनाचार भी उसे आनंद से नहीं भर सका.

मायके लौटने पर रागिनी का गुस्सा मां पर फूटा. वह मायके गई तो अपनी मम्मी पर बरस पड़ी, ”मम्मी, तुम लोगों ने अपनी बड़ी बेटियों के लिए सुंदर, सजीले वर खोजे और मुझे कालेकलूटे, मरियल और नीरस आदमी के पल्ले बांध दिया. तुम ने क्या देख कर उसे मेरे लिए पसंद किया था.’‘

मम्मी ने उसे समझाया, ”बेटी, लड़के की शक्लसूरत नहीं, उस के गुण देखे जाते हैं. शोभाराम में शराब, जुआ, सट्टा जैसा कोई ऐब नहीं है. वह मेहनती और कमाऊ है. कुछ दिन साथ रहोगी तो वही सांवला, मरियल और सीधा सा पति संसार का सब से सुंदर लगने लगेगा.’‘

”मम्मी, शोभाराम मुझे पसंद नहीं, अब मैं ससुराल नहीं जाऊंगी.’‘ रागिनी गुस्से से बोली.

”बेटा, ससुराल तो तुझे जाना होगा,’‘ मां ने निर्णय सुनाने के साथ नसीहत दी, ”शोभाराम जैसा है, उसी रूप में उसे मन से स्वीकार करो. मैं कह रही हूं न, जल्द ही वह तुझे अच्छा लगने लगेगा.’‘

रागिनी की एक न चली. मम्मीपापा की जिद के चलते रागिनी की एक न चली और उसे ससुराल जाना पड़ा. शोभाराम के साथ वह पति धर्म भी निभाती रही, परंतु उसे दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. इस बीच वह एक बेटी व एक बेटे की मां बन गई.

इन्हीं दिनों शोभाराम के पिता जगदीश दोहरे की बीमारी के चलते मौत हो गई. पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी शोभाराम के कंधे पर आ गई.

वक्त गुजरता रहा. गुजरते वक्त के साथ रागिनी के मन की कसक बढ़ती गई. अकेली होती तो उठतेबैठते अपने भाग्य को कोसती रहती, ‘मेरी तो किस्मत फूटी थी, जो हड्डी के ढांचे जैसा पति मुझे मिला. मेरे अरमान मिट्टी में मिल गए. क्या पूरी उम्र मुझे यंू ही घुटघुट कर जीना होगा?

उस वक्त रागिनी की कल्पना भी नहीं थी कि जल्द ही घुटन से उसे मुक्ति मिलने वाली है और उस का साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक होगा.

रागिनी के घुटन भरे जीवन में रिंकू यादव नाम के युवक की एंट्री हुई. हुआ यह कि एक दिन घर का सीलिंग फैन खराब हो गया. रागिनी ने यह बात शोभाराम को बताई, ”बिना पंखे के बच्चों को नींद कैसे आएगी? मुझे भी परेशानी होगी? इसे जल्दी ठीक करा दो.’‘

”परेशान मत हो,’‘ शोभाराम मुसकराया, ”होमगार्ड लायक सिंह का बेटा रिंकू यादव बिजली मिस्त्री है. उसे बुला लाता हूं, जो खराबी होगी, सुधार देगा.’‘

प्यार में सीलिंग फैन कैसे बना मददगार

20 वर्षीय रिंकू यादव गांव के पश्चिमी छोर पर रहता था. उस के पिता लायक सिंह यादव थाना सहार में होमगार्ड थे. रिंकू का बड़ा भाई कुलदीप यादव आगरा में चमड़े का बैग बनाने वाली किसी फैक्ट्री में काम करता था. उस की 2 बहनें थीं, जिन की शादी हो चुकी थी. रिंकू सहायल कस्बे में एक बिजली की दुकान पर काम करता था.

कुछ देर बाद शोभाराम रिंकू के घर पहुंचा. रिंकू उस समय घर पर ही था. शोभाराम ने उसे घर का पंखा खराब होने के बाबत बताया और रिंकू को घर ले आया.

रिंकू यादव शोभाराम के घर पहुंचा तो उस की नजर रागिनी पर पड़ी. दोनों ने एकदूसरे को गौर से देखा. उन की नजरें मिलीं तो पल भर में ही दोनों के दिल में कुछकुछ होने लगा. रिंकू सोचने लगा कि लंगूर के पहलू में हूर कैसे आ गई? यह अप्सरा तो मेरे नसीब में होनी चाहिए थी.

अपनी उम्र से कई साल छोटे, लंबेतगड़े और साफ रंगत वाले रिंकू यादव को देख कर रागिनी भी बहुत प्रभावित हुई.

बिजली का पंखा ठीक करने के दौरान रिंकू रागिनी पर आंखों से तीर चलाता रहा. उस का हर तीर रागिनी के जिगर में हलचल करता रहा. आंखों की मूक भाषा में रागिनी भी बहुत कुछ उस से कहती रही. रिंकू अपना काम कर के चला गया. जबकि रागिनी उस के खयालों में गुम हो गई.

उस दिन के बाद रिंकू यादव अकसर शोभाराम के घर आने लगा. वह ऐसे समय आता, जब शोभाराम घर पर नहीं होता. वह किसी न किसी बहाने घर आता और रागिनी को लाइन मारता. रागिनी भी तिरछी नजरों से रिंकू को देख कर मुसकराती रहती.

मन में जो आकर्षण था, उसे चमकीला बनाने के लिए रिंकू व रागिनी ने देवरभाभी का रिश्ता जोड़ लिया. रिश्ता बना तो बातचीत शुरू हो गई. जल्द ही बातचीत हंसीमजाक तक पहुंच गई. इस के बाद उस में अश्लीलता भी घुलने लगी.

cRinku yadav (Mratak)

अपने से 8 साल छोटे रिंकू की बातों का रागिनी भी हंस कर जवाब दे दिया करती थी. रिंकू रागिनी को रिझाने के लिए उस की तारीफ किया करता था. एक रोज उस ने कहा, ”भाभी, तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम 2 बच्चों की मां हो, तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ”भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां शोभाराम भाई. दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने तो वह कुछ भी नहीं है.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी अंदर ही अंदर जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए कहा,”झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो? मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. तुम्हारे भैया को आने दो, बताती हूं, उन से.’‘

इतना कह कर वह जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि रागिनी रिंकू को मन ही मन चाहती थी. उस ने केवल दिखावे के लिए यह बात कही थी. रिंकू हर हाल में उसे पाना चाहता था. रागिनी के हावभाव से वह समझ चुका था कि रागिनी भी उसे पसंद करती है. लेकिन वह इजहार नहीं कर पा रही है.

एक दिन दोपहर को रागिनी के दोनों बच्चे सो रहे थे. शोभाराम बाजार गया था. गरमियों के दिन थे. गली में सन्नाटा पसरा था. रिंकू ऐसे ही मौके की तलाश में था. वह रागिनी के घर पहुंच गया. इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच रिंकू ने रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया.

रागिनी ने इस का विरोध नहीं किया. चेहरे मोहरे से गोरेचिट्टे गबरू जवान रिंकू यादव के हाथों का स्पर्श कुछ अलग ही था. रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले कर रिंकू एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा.

अचानक रिंकू की तंद्रा भंग करते हुए रागिनी ने कहा, ”अरे ओ देवरजी, किस दुनिया में खो गए. छोड़ो मेरा हाथ. अगर किसी ने देख लिया तो जानते हो कितनी बड़ी बदनामी होगी.’‘

रागिनी की बात सुन कर रिंकू बोला, ”यहां कोई देख लेगा तो अंदर कमरे में चलें?’‘

”नहीं… नहीं… आज नहीं. वो बाजार गए हैं, किसी भी समय आ सकते हैं. फिर कभी अंदर चलेंगे.’‘ रागिनी ने कहा तो रिंकू ने उस का हाथ छोड़ दिया.

लेकिन वह मन ही मन बेहद खुश था, क्योंकि उसे रागिनी की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी. फिर एक दिन मौका मिलते ही रागिनी और रिंकू ने मर्यादा की दीवार तोड़ अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद शोभाराम की आंखों में धूल झोंक कर रागिनी, रिंकू के साथ अकसर मौजमस्ती करने लगी. अवैध रिश्तों का यह सिलसिला करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 1

राहुल इंदौर के एयरोड्रम रोड पर स्थित कृष्णबाग कालोनी में रहने वाले अपने मामा मनोहर पांचाल के यहां शादी का कार्ड देने पहुंचा  तो घर में सन्नाटा छाया हुआ था. पहली मंजिल पर जा कर उस ने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो अंदर कोई हलचल नहीं सुनाई दी. कुछ देर उस ने इंतजार किया. जब दरवाजा नहीं खुला तो उसे हैरानी हुई. क्योंकि दरवाजे के बाहर की कुंडी खुली थी. इस का मतलब घर खाली नहीं था.

राहुल ने एक बार फिर दरवाजा खटखटाया. इस बार भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने दरवाजे पर धक्का दिया. अंदर से सिटकनी बंद नहीं थी, इसलिए दरवाजा खुल गया. वह अंदर कमरे में पहुंचा तो कोई दिखाई नहीं दिया. उस ने बेडरूम में झांका. वहां भी कोई दिखाई नहीं दिया तो वह किचन की ओर बढ़ा. वहां उस ने जो देखा, उस की रूह कांप उठी. उस के मामा के बेटे कमलेश की पत्नी खून से लथपथ फर्श पर पड़ी थी. उसी के ऊपर कमलेश औंधा पड़ा था.

यह भयानक दृश्य देख कर वह घबरा तो गया, लेकिन धैर्य नहीं खोया. उस ने तुरंत 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया. इस के बाद उस ने अपने कुछ दोस्तों को फोन किया. यह 17 फरवरी, 2014 की बात है. उस समय शाम के साढ़े 4 बज रहे थे. राहुल को पता था कि उस समय उस के मामा मनोहर पांचाल ड्युटी पर होंगे. वह हाईकोर्ट जज की गाड़ी चलाते थे. मामी किरण पांचाल के पिता की मौत हो गई थी, इसलिए वह अपने मायके गई हुई थीं. उन का मायका बड़नगर के पास लोहाना गांव में था. बाकी बच्चे स्कूल गए हुए थे.

थोड़ी ही देर में राहुल के दोस्त तो आ गए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. राहुल ने कमलेश और पिंकी की नब्ज टटोली. पता चला पिंकी मर चुकी है. लेकिन कमलेश की सांस अच्छी तरह चल रही थी. वह सिर्फ बेहोश था. वे कार से कमलेश को नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने जांच कर के बताया कि यह पूरी तरह से स्वस्थ है. शायद घबरा गया है, जिस से चक्कर खा कर गिर गया है.

लेकिन राहुल और उस के दोस्तों को डाक्टरों की इस बात पर भरोसा नहीं हुआ, इसलिए वे कमलेश को दूसरे बड़े सीएचएल अस्पताल ले गए, जहां उसे आईसीयू में भरती करा दिया. एक राहुल और उस के दोस्त कमलेश को इलाज के लिए अस्पताल ले कर चले गए थे, जबकि दूसरी ओर इस घटना की सूचना थाना एयरोड्रम पुलिस को दे दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए सूचना मिलते ही थानाप्रभारी मंजू यादव पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गईं.

लाश निरीक्षण और पूछताछ में उन्हें मामला रहस्यमय लगा, इसलिए थानाप्रभारी ने अधिकारियों को सूचना देने के साथ जरूरी साक्ष्य एकत्र करने के लिए एफएसएल अधिकारी डा. सुधीर शर्मा को बुला लिया था. निरीक्षण के दौरान सुधीर शर्मा ने देखा कि वहां 2 चाकू पडे़ हैं. दोनों ही चाकू अपराध को अंजाम देने वाले न हो कर किचन के उपयोग में लाए जाने वाले थे. उन में से एक चाकू टूटा हुआ था. जो चाकू टूटा था, उस पर खून नहीं लगा था.

इस से अंदाजा लगाया गया कि हमला करने में वह चाकू टूट गया होगा, तब हत्यारे ने दूसरा चाकू ले कर हत्या की होगी, क्योंकि दूसरा चाकू खून से लथपथ था. डा. सुधीर शर्मा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर के अंगुलियों के निशान, खून के नमूने और चाकू वगैरह अपने कब्जे में ले लिए तो पुलिस ने अपना काम शुरू किया.

जांच में पुलिस ने देखा कि कमरे का सामान बिखरा हुआ था. अलमारियां खाली पड़ी थीं. पुलिस ने इधरउधर देखा तो पलंग के नीचे कुछ गहने उसे मिल गए. मृतका के शरीर पर भी सारे गहने मौजूद थे. इस से पुलिस और एफएसएल अधिकारी डा. सुधीर शर्मा ने अनुमान लगाया कि वारदात को किसी जानपहचान वाले ने ही अंजाम दिया है. शायद हत्या उस ने पहचाने जाने की वजह से की है.

पुलिस लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रही थी कि सूचना पा कर मनोहर पांचाल आ गए थे. पुलिस ने उन से कहा कि वह देख कर बताएं कि घर का क्या क्या सामान गायब है. इस पर उन्होंने कहा, ‘‘घर का सामान तो गायब नहीं लगता, रही बात गहनों की तो उस के बारे में मैं ज्यादा कुछ बता नहीं सकता. लेकिन जो गहने मिले हैं, वे पूरे नहीं हैं. हो सकता है, घर में कहीं और रखे हों या अपराध को अंजाम देने वाले अपने साथ ले गए हों.’’

लूट के बारे में मनोहर से ज्यादा कुछ जानकारी नहीं मिल सकी थी. औपचारिक पूछताछ के बाद पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए कमलेश से पूछताछ करना जरूरी था. क्योंकि राहुल द्वारा मिली जानकारी के अनुसार वह लाश के पास ही बेहोश मिला था. इसलिए घटना के बारे में उसी से कुछ पता चल सकता था. उस से पूछताछ करने पुलिस अस्पताल पहुंची तो पता चला कि वह अभी भी बेहोश है. पुलिस ने डाक्टरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वह शारीरिक रूप से तो स्वस्थ है. लेकिन शायद घटना से घबरा गया है, इसलिए बेहोश है. पुलिस बिना पूछताछ के ही लौट आई.

घटना की जांच के लिए थानाप्रभारी मंजू यादव ने सबइंसपेक्टर राजेंद्र सिंह दंडोत्या और भीम सिंह रघुवंशी के नेतृत्व में एक टीम बना कर लगा दी. इन दोनों सबइंसपेक्टरों ने जो जानकारी जुटाई, उस के अनुसार मृतका पिंकी का पति कमलेश पांचाल इंदौर की कृष्णबाग कालोनी के मकान नंबर 126 में रहने वाले मनोहर पांचाल का बेटा था. बीकौम करने के बाद वह एक काल सेंटर में नौकरी करने लगा था.

अभिनय का शौकीन कमलेश कालेज के नाटकों में भी भाग लेता रहा था. नाटकों में भाग लेने की ही वजह से वह काफी फ्रैंक हो गया था. हर किसी से वह बेझिझक बात कर लेता था. ऐसे में उसे किसी से भी दोस्ती करने या बातचीत में जरा भी हिचक नहीं होती थी. यही वजह थी कि उस की कालेज की तमाम लड़कियों से तो दोस्ती हो ही गई थी, काल सेंटर में साथ काम करने वाली लडकियों से भी दोस्ती हो गई थी. इन लड़कियों से अकसर वह फोन पर बातें करता रहता था.

बेवफा से मोहब्बत

‘‘पापा, तुम लखनऊ क्यों नहीं आ जाते, मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है. मम्मी और नाना तो साथ रहते ही हैं, तुम भी साथ रहोगे तो बहुत अच्छा लगेगा.’’ 8 साल के बिल्लू ने अपने पापा राजकुमार से फोन पर ये बातें कहीं तो उस का दिल भर आया. उस ने अपनी आंखों के आंसू पोंछे और बेटे को आश्वासन देते हुए कहा, ‘‘अभी कुछ दिनों पहले ही तो आया था. परेशान मत होओ, फिर जल्दी ही आऊंगा.’’

‘‘तुम जब भी आते हो बहुत जल्दी चले जाते हो. न मेला घुमाने ले जाते हो न चाट खिलाते हो.’’ बिल्लू ने दूसरी ओर से कहा.

‘‘ठीक है, इस बार आऊंगा तो मेला भी दिखाऊंगा और चाट भी खिलाऊंगा. तुम फोन रखो, मैं जल्दी ही आऊंगा.’’

‘‘ठीक है पापा, इस बार आना तो यहीं रहना. मुझे छोड़ कर मत जाना. मम्मी और नाना से लड़ाई भी मत करना.’’

बिल्लू की बातें सुन कर राजकुमार को लगा कि बिल्लू ये बातें अपने मन से नहीं कह रहा है, बल्कि उस की पत्नी सीमा उस से कहलवा रही है. सीमा की याद आते ही राजकुमार की आंखों के सामने 9 साल पहले का एकएक पल किसी फिल्म की रील तरह गुजरने लगा.

उस समय सीमा 20 साल की थी तो राजकुमार उस से साल, डेढ़ साल बड़ा था. सीमा छत्तीसगढ़ के जिला विलासपुर के थाना पंचपीढ़ी के गांव बेलहा की रहने वाली थी. अपनी 3 बहनों में सांवले रंग और छरहरे बदन की सीमा सब से ज्यादा सुंदर लगती थी. लाल रंग की साड़ी पहन कर जब वह निकलती, राजकुमार उसे देखता ही रह जाता. सीमा के पिता मान सिंह मेहनतमजदूरी कर के परिवार को पालपोस रहा था. इस में उस की पत्नी शांति भी उस की मदद करती थी.

राजकुमार भी बेलहा गांव का रहने वाला था. उस का परिवार भी मेहनतमजदूरी करता था. उस के परिवार में मातापिता के अलावा 3 बहनें और 2 भाई थे. एक ही गांव का होने की वजह से राजकुमार और सीमा बचपन से एकदूसरे को देखते आए थे. लेकिन जवान होने पर दोनों की आंखें चार हुईं तो दोनों के ही दिलों में प्यार उमड़ पड़ा. इस के बाद दोनों छिपछिपा कर मिलने लगे.

एक दिन दोनों मेला देखने गए तो लौटने में देर हो गई. अंधेरे में जब सुनसान जगह मिली तो राजकुमार ने सीमा की कलाई पकड़ कर एक जगह बैठा लिया.

पेड़ों के झुरमुटों के बीच बात करते हुए राजकुमार बहकने लगा तो सीमा ने विरोध किया. लेकिन उस का यह विरोध ऐसा नहीं था कि राजकुमार पीछे हटता. इसलिए वह हद पार करने लगा तो सीमा ने कहा, ‘‘राजू, यह सब ठीक नहीं है. शादी के पहले यह नहीं होना चाहिए.’’

सीमा राजकुमार को प्यार से राजू कहती थी.

‘‘सीमा, इस में बुराई ही क्या है. हम जल्दी ही शादी करने वाले हैं, इसलिए तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है.’’ राजकुमार ने सीमा के गालों पर चुंबन जड़ते हुए कहा, ‘‘इस से हमारा प्यार और मजबूत होगा.’’

‘‘राजू, लेकिन यह जगह ठीक नहीं है. यहां कोई भी आ सकता है.’’ सीमा ने कहा.

सीमा की बातों से राजकुमार समझ गया कि सीमा उसे कहीं एकांत में चलने को कह रही है. इसलिए राजकुमार उसे वहीं एक स्कूल के पीछे ले गया.

सीमा ने राजकुमार के सीने पर सिर रख कर कहा, ‘‘राजू, यह सब करने के बाद तुम शादी से मुकर तो नहीं जाओगे?’’

‘‘नहीं पगली, इस के बाद तो मैं तुम से और भी ज्यादा प्यार करूंगा.’’ राजकुमार ने सीमा को बांहों में भर कर कहा.

अब तक सीमा का विरोध पूरी तरह ठंडा पड़ चुका था. उस की सांसें गरम होने लगी थीं. इस के बाद सीमा और राजकुमार के बीच की सारी मर्यादाएं टूट गईं. एक बार मर्यादा टूटी तो फिर सिलसिला ही चल निकला. चोरीछिपे बनने वाले इस संबंध की वजह से सीमा कब गर्भवती हो गई, उसे पता ही नहीं चला. जब उसे जानकारी हुई तो उस ने यह बात मां से बताई. कुंवारी बेटी के गर्भवती होने की बात सुन कर शांति परेशान हो उठी.

सीमा की मां को राजकुमार और उस के संबंधों की जानकारी थी. लेकिन बात यहां तक पहुंच जाएगी, इस बात का अंदाजा उसे नहीं था. सीमा को ले कर घर में खूब लड़ाईझगड़ा हुआ. सीमा के पिता मान सिंह राजकुमार को पसंद नहीं करते थे, इसलिए वह इस शादी के लिए राजी नहीं थे. सीमा की मां शांति ने उन्हें ऊंचनीच समझाई तो वह राजकुमार से उस की शादी के लिए राजी हो गए.

राजकुमार सीमा को जान से ज्यादा प्यार करता था. सीमा के घर वाले शादी के लिए राजी हो गए तो उसे बहुत खुशी हुई. इस के बाद दोनों परिवारों की रजामंदी से सीमा और राजकुमार की शादी हो गई.

शादी के 7 महीने बाद ही बिल्लू पैदा हो गया. लेकिन बेटा पैदा होने के बाद सीमा का राजकुमार के प्रति व्यवहार बदलने लगा. अब वह ज्यादा से ज्यादा अपने मांबाप के साथ रहना चाहती थी.

बिल्लू 2 साल का हो गया तो सीमा अपने पिता के साथ कामधंधे के लिए कानपुर आ गई. यहां वह पिता के साथ मजदूरी करने लगी. बापबेटी मिलजुल कर ठीकठाक पैसे कमाने लगे. साल में महीने-2 महीने के लिए सीमा गांव जाती, तभी राजकुमार से उस की मुलाकात होती.

राजकुमार सीमा और बेटे को बहुत प्यार करता था, इसलिए वह नहीं चाहता था कि सीमा अपने पिता के साथ उसे छोड़ कर बाहर जाए. लेकिन सीमा मेहनतमजदूरी कर के ठीकठाक कमाई कर रही थी, इसलिए मान सिंह चाहता था कि वह उस के साथ ही रहे. इसी वजह से वह राजकुमार को बेटी और बिल्लू से मिलने से मना करता था.

होली के बाद सीमा अपने पिता और बेटे के साथ लखनऊ आ गई. यहां वह चारबाग रेलवे स्टेशन के पास एपी सेन रोड के शालीमार अपार्टमेंट में नौकरी करने लगी. राजकुमार बिल्लू से बात करने के बहाने सीमा को फोन करता था. उसे लगता था कि इसी तरह बात करतेकरते सीमा की नाराजगी कम हो जाएगी और वह उसे पहले की तरह प्यार करने लगेगी.

बिल्लू राजकुमार के साथ बहुत खुश रहता था, इसीलिए वह राजकुमार को बारबार याद करता था. जब मां और नाना काम पर चले जाते तो बिल्लू पिता को फोन करता और उस से लखनऊ आने को कहता.

बेटे के कहने पर ही राजकुमार जून, 2012 में लखनऊ आया. उसे देखते ही सीमा ने कहा, ‘‘तुम यहां क्या करने आ गए? अभी मुझे आए कितने दिन हुए जो पीछेपीछे चले आए. मुझे यह सब बिलकुल पसंद नहीं है.’’

‘‘सीमा, तुम मेरी पत्नी हो. पहले तो इस तरह नहीं थी. अब ऐसा क्या हो गया कि तुम मुझ से दूर भाग रही हो?’’ पत्नी के बदले रुख से दुखी हो कर राजकुमार ने कहा.

‘‘मेरी आंखों पर परदा पड़ा था, जो मैं ने तुम से प्यार किया. तुम से प्यार और शादी कर के मैं ने अपनी जिंदगी बरबाद कर ली.’’ सीमा ने मुंह बिचकाते हुए कहा.

‘‘ऐसा क्यों कहती हो सीमा, तुम मेरी पत्नी हो. तुम्हारे साथ रहने का मुझे पूरा हक है. मैं तुम्हें आज भी उतना ही प्यार करता हूं.’’ राजकुमार ने सीमा को समझाते हुए कहा.

‘‘ऐसा कुछ भी नहीं है. तुम खुद तो कोई कामधंधा करते नहीं. चाहते हो कि मैं दिन भर काम करूं, उस के बाद रात को तुम्हें खुश करूं. यह सब मुझ से नहीं होगा.’’ सीमा ने राजकुमार को झिड़का.

राजकुमार सचमुच सीमा को अब भी उतना ही प्यार करता था. जबकि सीमा अब उसे बिलकुल पसंद नहीं करती थी और न उसे साथ रखना चाहती थी. यही वजह थी कि वह उसे जलीकटी सुनाती रहती थी, जिस से राजकुमार उस से बात करना बंद कर दे और गांव चला जाए. जबकि राजकुमार अपने प्यार से सीमा को मनाने की कोशिश में लगा रहता था. वह चाहता था कि सीमा पहले जैसी हो जाए.

राजकुमार हर रात सीमा के साथ गुजारना चाहता था, जबकि सीमा इस के लिए तैयार नहीं थी. इस की वजह से दोनों में लड़ाईझगड़ा होता रहता था. राजकुमार सीमा के  साथ जबरदस्ती भी नहीं कर पाता था, क्योंकि बीच में मान सिंह आ जाता था. उस की वजह से राजकुमार को पीछे हटना पड़ता था. पत्नी और ससुर के व्यवहार से दुखी हो कर राजकुमार गांव चला जाता.

लेकिन बेटे का फोन आता तो बेटे और पत्नी की याद सताने लगती. फिर उस से रहा नहीं जाता और वह पत्नी बेटे के पास पहुंच जाता. जब ऐसा कई बार हुआ तो राजकुमार ने तय कर लिया कि अब कुछ भी हो, वह सीमा और उस के पिता के विरोध के बावजूद लखनऊ में ही उन के साथ रहेगा.

जुलाई, 2012 में राजकुमार लखनऊ आ गया. सीमा को देखते ही राजकुमार का मन मचल उठा. वह उसे अपनी बांहों में भर कर पुराने दिनों को याद करना चाहता था, जबकि सीमा का मन राजकुमार से पूरी तरह भर चुका था. वह उसे पास नहीं फटकने देती थी. पत्नी के इस व्यवहार से राजकुमार काफी दुखी रहता था.

एक रात राजकुमार ने सीमा के साथ जोरजबरदस्ती करनी चाही तो सीमा चीखनेचिल्लाने लगी. इस तरह दोनों के बीच लड़ाईझगड़ा होने लगा. तब सीमा ने पिता मान सिंह के साथ मिल कर राजकुमार की पिटाई कर दी. इस से राजकुमार को लगा कि सीमा के मन में कोई और बस गया है. तभी वह उस से दूर भाग रही है और संबंध बनाने से मना करती रही है. वह सीमा पर नजर रखने लगा तो जल्दी ही उसे असलियत का पता चल गया.

अगली ही रात राजकुमार ने देखा कि सीमा अपने कमरे से निकल कर पड़ोसी विक्की के कमरे की ओर जा रही है. राजकुमार भी कमरे से बाहर आ गया. विक्की के कमरे की खिड़की खुली थी और लाइट भी जल रही थी, इसलिए अंदर क्या हो रहा है, सब दिखाई दे रहा था. सीमा के अंदर पहुंचते ही विक्की ने उसे बांहों में भर लिया. सीमा भी उस से लिपट गई. इस के बाद राजकुमार ने जो देखा, वह कोई भी गैरतमंद पुरुष देखना पसंद नहीं करेगा.

यह सब देख कर राजकुमार की समझ में आ गया कि सीमा उसे अपने पास क्यों नहीं फटकने देती. क्योंकि उसे शहर की हवा लग चुकी है. उस ने गांव के प्रेमी से पति बने राजकुमार को छोड़ कर शहर के विक्की को पसंद कर लिया है. वह बाहर ही खड़ा सोचता रहा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे हो गया. सीमा उस की प्रेमिका और पत्नी ही नहीं, उस के बेटे की मां भी थी, इसलिए उस ने उसे एक बार और समझाबुझा कर रास्ते पर लाने का विचार किया.

सुबह की चाय पीते हुए राजकुमार ने बड़े ही सहज भाव से कहा, ‘‘सीमा, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं. मुझे पता है कि तुम रात किसी और के साथ गुजार कर आई हो, फिर भी इस के लिए मैं तुम्हें माफ करने को तैयार हूं, क्योंकि मुझे अपने बेटे और तुम से बहुत प्यार है.’’

‘‘इसीलिए तो मैं कह रही हूं कि तुम्हारा गांव में ही रहना ठीक है. मैं यहां क्या कर रही हूं, किस के साथ रह रही हूं, इस बात को ले कर तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं जब भी गांव आऊंगी, तब अपने बेटे से मिल लेना. यहां आ कर लड़ाईझगड़ा करने की जरूरत नहीं है.’’ सीमा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘अब तुम मुझे भूल जाओ, यही हम दोनों के लिए अच्छा है.’’

‘‘शायद मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आ रही है?’’ राजकुमार ने गुस्से में कहा.

सीमा ने भी उसी तरह गुस्से में जवाब दिया तो दोनों में झगड़ा होने लगा. मान सिंह भी बेटी का साथ देने लगा. एक बार फिर सीमा ने बाप के साथ मिल कर राजकुमार को मारापीटा.

सुबह पिट कर राजकुमार घर से निकला तो शाम को ही वापस आया. एक बार फिर उस ने सीमा को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सीमा उस की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी.

इस के बाद वह खुलेआम विक्की से मिलने लगी. अब न उसे शरम रह गई थी और न डर. राजकुमार को लगा कि अगर उस का ससुर सीमा को समझाए तो शायद वह मान जाए. लेकिन मान सिंह उस की कोई बात सुनना ही नहीं चाहता था. इसलिए बात बनने के बजाए बिगड़ती चली गई.

29 अगस्त, 2012 को सीमा और राजकुमार के बीच झगड़ा होने लगा तो मान सिंह बेटी के साथ खड़ा हो गया. मान सिंह और सीमा राजकुमार को मारने दौड़े तो राजकुमार ने वहीं पड़ी लोहे की रौड उठा ली. मान सिंह रौड पकड़ने के लिए झपटा तो राजकुमार ने रौड चला दी, जो मान सिंह के सिर पर लगी. उस का सिर फट गया और उसी एक वार में वह मर गया.

सीमा कोतवाली हुसैनगंज पहुंची और मामले की सूचना पुलिस को दी. पुलिस हत्या का मुकदमा दर्ज कर के घटनास्थल पर जा पहुंची. दूसरी ओर पुलिस के आने से पहले राजकुमार दीवार फांद कर फरार हो गया था. बस से वह कानपुर गया और वहां से ट्रेन पकड़ कर छत्तीसगढ़ भाग गया.

कोतवाली हुसैनगंज पुलिस राजकुमार के पीछे पड़ गई. पुलिस छत्तीसगढ़ स्थित उस के गांव भी गई, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा. पिता की हत्या के बाद सीमा भी अपने गांव बेलहा आ गई थी. वह किसी भी तरह अपने पिता के हत्यारे राजकुमार को पकड़वाना चाहती थी, इसलिए वह फोन द्वारा कोतवाली हुसैनगंज पुलिस को राजकुमार के बारे में सूचना देती रहती थी. लेकिन राजकुमार पुलिस से ज्यादा चालाक था, इसलिए जगह बदलबदल कर रह रहा था.

Raj kumaar police ke saath - bewafa se mohabbat

कोतवाली प्रभारी इंसपेक्टर रामप्रदीप यादव ने राजकुमार को पकड़ने के लिए सबइंसपेक्टर राधेश्याम सिंह, सिपाही विपिन, हेमेंद्र प्रताप और प्रवीण प्रताप सिंह की एक टीम बना रखी थी, जो किसी भी तरह राजकुमार को पकड़ना चाहती थी. यह टीम राजकुमार को पकड़ने के लिए छत्तीसगढ़ स्थित बेलहा गांव भी गई, लेकिन पुलिस टीम के गांव पहुंचने से पहले ही राजकुमार फरार हो गया था. इस के बाद लखनऊ पुलिस ने राजकुमार पर 5 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया.

क्षेत्राधिकारी (हजरतगंज) दिनेश यादव को राजकुमार का मोबाइल नंबर मिल गया तो उसे उन्होंने सर्विलांस पर लगवा कर सूचनाएं एकत्र करनी शुरू कर दीं. इस से राजकुमार को लगने लगा कि अब वह किसी भी तरह पुलिस से बच नहीं सकता. अब तक 15 महीने बीत चुके थे. वह छिपतेछिपते थक चुका था. उसे पता था कि पुलिस पकड़ती है तो बड़ी बेरहमी से मारती है, इसलिए वह बहुत डर रहा था.

राजकुमार के शुभचिंतकों ने सलाह दी कि वह अदालत में हाजिर हो कर जेल चला जाए तो पुलिस की मार से बच सकता है. यही सोच कर राजकुमार लखनऊ आने और अदालत में हाजिर होने की योजना बनाने लगा.

राजकुमार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह कोई बड़ा वकील कर लेता. लखनऊ में उस की मजदूरी के कुछ पैसे बकाया थे. उस ने सोचा कि लखनऊ जा कर वह पैसे ले लेगा और वकील कर के अदालत में हाजिर हो कर जेल चला जाएगा.

राजकुमार की इस योजना की जानकारी कहीं से सीमा को हो गई तो उस ने फोन कर के कोतवाली हुसैनगंज पुलिस को इस की सूचना दे दी.

सबइंसपेक्टर राधेश्याम सिंह ने राजकुमार को पकड़ने के लिए अपने मुखबिरों को सतर्क कर दिया. 9 नवंबर, 2013 को राजकुमार जैसे ही लखनऊ के बस स्टेशन पर बस से उतरा, मुखबिरों की सूचना पर इंसपेक्टर हुसैनगंज रामप्रदीप यादव ने सहयोगियों की मदद से उसे दबोच लिया.

इस तरह राजकुमार को गिरफ्तार कर के लखनऊ पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली. क्षेत्राधिकारी (हजरतगंज) दिनेश यादव ने राजकुमार को पकड़ने वाली इस पुलिस टीम को नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है. थाने ला कर राजकुमार से पूछताछ की गई तो उस ने पत्नी की बेवफाई से ले कर मान सिंह की मौत कैसे हुई, पूरी कहानी इंसपेक्टर रामप्रदीप यादव को सुना दी.

अपराध तो अपराध होता है, वह कैसे भी हुआ हो. पूछताछ के बाद पुलिस ने राजकुमार को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक अधूरी प्रेम कहानी – भाग 2

काल डिटेल्स की जांच में पता चला कि नीलम की मां के मोबाइल से एक नंबर पर अधिकतर बातें होती थीं. मां इस बारे में अनजान थी. तब इस नंबर को खंगाला गया. यह नंबर थाना किरावली के गांव डावली निवासी गणेश का निकला.

पुलिस ने बिना देर किए शाम को गणेश को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. नीलम के परिजनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि नीलम किसी युवक से मोबाइल पर बातचीत करती है.

सिकंदरा पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद गणेश झूठ बोलता रहा. गणेश का कहना था कि नीलम उस से मिलने आई थी. वह उसे छोड़ने गांव आ रहा था. उस का कहना था कि वह रुनकता गांव गया ही नहीं था. नीलम ने उस से कहा कि गांव के बाहर ही छोड़ दो, कोई देख लेगा तो घर वालों को मालूम पड़ जाएगा. वह यहां से पैदल घर चली जाएगी. तब उस ने उसे गांव के बाहर ही छोड़ दिया था.

उस के बाद नीलम के साथ क्या हुआ, उसे नहीं मालूम. उधर, नीलम के घर वाले भी सही सोच रहे थे कि वह घर में मौजूद है तो घटना नहीं कर सकता. पीड़िता के घर वाले भी उस पर शक नहीं कर रहे थे. मगर, पुलिस ने घटना वाले दिन गणेश के मोबाइल की काल डिटेल्स और लोकेशन निकाल कर पूरी घटना का परदाफाश कर दिया.

गणेश के मोबाइल की लोकेशन नीलम के गांव और रुनकता क्षेत्र की आई. गणेश ने इस दौरान मोबाइल खरीदने और रेस्टोरेंट में नाश्ते के लिए औनलाइन भुगतान भी किए थे. इस बात ने उसे सच बोलने पर मजबूर कर दिया.

पुलिस ने उस से कहा कि अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं होगा. पुलिस के सख्ती दिखाने पर वह टूट गया. इस के बाद उस ने पुलिस के सामने सारा सच उगल दिया. गणेश ने घटना का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने घटना में शामिल अपने गांव के दोस्त संतोष का नाम भी बताया.

पुलिस ने उस के दोस्त संतोष को 11 मार्च, 2023 को गिरफ्तार कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद घटना की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

गणेश नीलम के गांव मांगरौल गूजर में अपनी रिश्तेदारी में आयाजाया करता था. नीलम से 6 महीने पहले उस की दोस्ती हुई थी.  एक दिन नीलम अपनी मौसी के घर जा रही थी. गणेश की नजर उस पर पड़ी. वह नीलम की खूबसूरती पर लट्टू हो गया. उस ने पहली बार में ही उसे दिल में बसा लिया.

नीलम को भी इस बात का अहसास हो गया कि युवक उसे चाहत भरी नजरों से देख रहा है. 24 वर्षीय गणेश कसी हुई कदकाठी का जवान युवक था. उसे देख कर 14 वर्षीय नीलम का दिल भी तेजी से धड़कने लगा था. दोनों ने एक दूसरे को पीछे मुड़ कर भी कई बार देखा.

गणेश जब भी नीलम के गांव जाता उस की मुलाकात नीलम से हो जाती. दोनों ही एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. जब दो युवा मिलते हैं तो जिंदगी में नया रंग घुलने लगता है. दोनों एकदूसरे से प्यार का इजहार करना चाहते थे. आखिर एक दिन गणेश को मौका मिल ही गया. गणेश बाइक से नीलम के घर के सामने से निकल रहा था. उस समय वह अपने घर के  दरवाजे पर खड़ी थी.

नीलम को देखते ही गणेश ने चुपचाप एक परची गिरा दी. नीलम ने वह परची उठा कर अपने पास रख ली. उस ने घर जा कर एकांत में परची खोली तो उस में एक मोबाइल नंबर लिखा था. नीलम समझ गई कि यह नंबर उसी युवक का है. उस ने बिना देर किए उस नंबर को मिलाया.

दूसरी ओर से ‘हैलो की आवाज आई तो नीलम ने कहा, ”मैं नीलम बोल रही हूं, आप कौन?’‘

नीलम का नाम सुनते ही गणेश खुश हो गया. वह बोला, ”मैं गणेश बोल रहा हूं. आप के गांव में मेरी रिश्तेदारी है, इसलिए वहां आताजाता रहता हूं. आप को जब से देखा है, तब से बात कर ने का मन कर रहा था. इसलिए परची पर अपना मोबाइल नंबर लिख दिया था.’‘ इस तरह गांव की रिश्तेदारी से गणेश ने नीलम को अपने जाल में फंसाया.

फिर एक दिन दोनों की मुलाकात हुई. नीलम ने कहा, ”मैं जिस कालेज में पढ़ती हूं उस कालेज में मैं ने आप को पहले भी देखा है.’‘

इस पर गणेश ने कहा, ”मैं कालेज कम ही जाता हूं.’‘

फिर दोनों को पता चल गया कि वे दोनों एक ही कालेज में पढ़ते हैं. गणेश ने इंटरमीडिएट जबकि नीलम ने हाईस्कूल की परीक्षा दी थी. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था, लेकिन जब प्यार होता है तो वह उम्र या जाति नहीं देखता.

गणेश गांव में अपनी रिश्तेदारी में आताजाता था. दोनों चोरीछिपे मिल कर एकदूसरे से दिल खोल कर बातें करते थे. अब दोनों के पास एकदूसरे के मोबाइल नंबर भी थे. दोनों मौका मिलते ही मोबाइल पर खूब प्यारमोहब्बत की बातें करते. नीलम अपनी मां के मोबाइल से उन की जानकारी के बिना गणेश से बातें करती थी.

गणेश 3 भाईबहनों में सब से बड़ा है. वह जयपुर स्थित एक सैलून में बाल काटता है. उस की रिश्तेदारी नीलम के गांव में है. वह जब भी अपने गांव आता तो मांगरौल गूजर गांव में अपनी रिश्तेदारी में भी आयाजाया करता था. 12 फरवरी को इंटरमीडिएट की परीक्षा देने आया था. 3 मार्च तक वह वहीं रुका था. इस के बाद वह अपने काम पर जयपुर चला गया. होली पर वह 7 मार्च, 2023 को अपने गांव फिर आया था.

क्यों की गई नीलम की हत्या

9 मार्च को गणेश की नीलम से बाइक पर घूमने चलने की बात हुई. तब नीलम अपनी मां से मौसी के यहां होली खेलने की बात कह कर घर से निकल गई थी. गणेश अपने गांव के ही 23 वर्षीय दोस्त संतोष के साथ नीलम को बाइक से रुनकता घुमाने ले गया. जाते समय मांगरौल के जंगल में गणेश और उस के दोस्त संतोष ने शराब पार्टी की. इस के लिए वे घर से ही शराब की बोतल ले कर आए थे.

इस के बाद गणेश व संतोष उसे बाइक से रुनकता ले गए. वहां एक रेस्टोरेंट में नाश्ता किया. नीलम अपनी मां के मोबाइल से चोरीछिपे गणेश से बात करती रहती थी. बात करने में आसानी रहे, इसलिए गणेश ने नीलम को एक मोबाइल और सिम भी दे दिया.

शाम को गांव लौटते समय दोनों दोस्तों गणेश व संतोष की नीयत में खोट आ गई. वे नीलम को जंगल में खींच कर ले गए. गणेश और उस के दोस्त ने नीलम के साथ रेप किया. मनमानी करने के बाद उन्हें लग रहा था कि नीलम गांव में जा कर सब कुछ बता देगी. इस के बाद दोनों ने उस की हत्या कर शव ठिकाने लगाने का निर्णय लिया.

इस के लिए उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट  दिया. पेड़ से सिर को कई बार टकराया. इतना ही नहीं किशोरी के सिर पर ईंट से प्रहार किया. उस की नाक, मुुंह और आंखों पर घूंसों से ताबड़तोड़ प्रहार किए जिस से आंख, नाक और मुंह से खून निकलने लगा.

नीलम बेहोश हो गई. दोनों को विश्वास हो गया कि वह मर गई है. उसे मरा समझ कर गले में दुपट्टा बांध खींचते हुए जंगल में और अंदर ले गए और कांटों की झाड़ियों के बीच डाल कर फरार हो गए. इस के बाद दोनों अपने घर जा कर सो गए.

इत्तफाक से नीलम बच गई. आरोपियों को दूसरे दिन समाचारपत्रों से पता चला कि नीलम जिंदा है तो दोनों के होश उड़ गए. दोनों भागने की तैयारी में थे. मगर पुलिस ने 10 मार्च, 2023 की शाम को ही डावली निवासी गणेश को पकड़ लिया. इस के बाद उस के साथी संतोष को भी दबोच लिया.

जांच में पता चला कि आरोपी गणेश और संतोष बचपन के दोस्त हैं. संतोष अपने पिता के साथ गांव में ही सैलून की दुकान चलाता है. जबकि गणेश यही काम जयपुर में करता है.

2 दिन इलाज के बाद नीलम की हालत में कुछ सुधार हुआ. उसे जिला अस्पताल से एस.एन. मैडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया था. डाक्टरों ने नीलम को 72 घंटे तक अपनी निगरानी में रखने को कहा. नीलम के सिर में गहरा घाव था, शरीर में जख्म और गले पर सूजन थी. परिजनों का कहना था कि बेटी बस जिंदा बच गई उसे नया जीवन मिला गया.

सुपारी वाली मां : क्यों करवाई अपनी ही बेटी की हत्या? – भाग 3

घटना वाली रात पुष्पा कोहली के मोबाइल पर आनेजाने वाली कुल 3 काल्स पाई गई थीं. पहली काल रात 8 और 9 बजे के बीच आई थी जोकि मिस्ड काल थी. इसी नंबर पर पुष्पा कोहली के मोबाइल से 10 बजे के आसपास एक मिस्ड काल दी गई थी. तीसरी और आखिरी काल पुष्पा कोहली की नौकरानी सपना के मोबाइल से आई थी, जिसे रिसीव किया गया था. पुलिस ने उस नंबर पर जिस से मिस्ड काल आई थी और जिस पर पुष्पा ने मिस्ड काल दी थी, फोन किया तो वह नंबर लगातार बंद मिला.

जब उस नंबर की जांच की गई तो पता चला कि उस नंबर की सिम पंजाब से नकली आईडी और फरजी पते पर खरीदी गई थी. लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि घटना वाली रात उस नंबर की लोकेशन सेक्टर-45 और उस के आसपास थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस नंबर का इस्तेमाल किसी खास मकसद से ही किया गया था.

इस से शक की सुई पूरी तरह से पुष्पा कोहली पर आ कर ठहर गई. अपने शक को और पुख्ता करने के लिए जब पुलिस ने पुष्पा की नौकरानी सपना से उस के द्वारा की गई फोन काल के बारे में पूछा तो इस हत्याकांड की तसवीर काफी हद तक साफ हो गई. लेकिन कुछ कारणों से पुलिस अब भी पुष्पा कोहली से पुलिसिया तरीके से पूछताछ नहीं कर सकती थी क्योंकि वह शिकायतकर्ता होने के साथसाथ महिला भी थी.

अंतत: इंसपेक्टर विमल कुमार ने अपने उच्चाधिकारियों से विचारविमर्श कर के 3 जनवरी 2014 को पुष्पा को हिरासत में ले लिया. जब सपना द्वारा दिए गए बयान को आधार बना कर उसे घेरा जाने लगा तो पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही लेकिन अंत में टूट गई. आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही सुपारी दे कर अपनी बेटी किरन की हत्या कराई थी.

दरअसल पुष्पा की नौकरानी सपना ने घटना वाली रात कोठी के आगे वैगनआर कार खड़ी देखी थी. बाद में उस ने पुष्पा को फोन कर के पूछा था कि क्या घर में कोई मेहमान आया है. चूंकि पुष्पा ने सपना की काल रिसीव की थी इसलिए यही उस के लिए मुसीबत बन गई क्योंकि यह बात सपना ने पुलिस को बता दी थी. जबकि पुलिस को दिए बयान के अनुसार उस वक्त पुष्पा बेहोश थी.

पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान में पुष्पा कोहली ने बताया कि किरन की आदतों और व्यवहार से वह तनावग्रस्त रहने लगी थी. अपनी इस समस्या को हल करने की योजना के तहत उस ने अपने गांव के मुंहबोले चाचा हवलदार कुलविंदर सिंह, जोकि जालंधर के कैंट थाने में तैनात था, को हत्या की रात फरीदाबाद बुलाया.

कुलविंदर अपने एक अन्य साथी के साथ वैगनआर कार से 27 दिसंबर की देर शाम फरीदाबाद पहुंच गया था. वह अपना मोबाइल फोन जालंधर में अपने घर छोड़ आया था ताकि पुलिस की जांच में उस पर कोई आंच आए तो वह साबित कर सके कि वह हत्या के वक्त जालंधर में था.

कुलविंदर पंजाब से फरजी आईडी पर खरीदी गई नई सिम अपने साथ लाया था. इसी सिम को उस ने दूसरे मोबाइल में डाल कर पुष्पा कोहली को मिस्ड काल दे कर अपने फरीदाबाद पहुंचने की सूचना दी थी. पूर्व नियोजित योजना के तहत पुष्पा ने अपने मोबाइल से उसे मिस्ड काल दी जिस का मतलब था कि रास्ता साफ है, कभी भी अंदर आ सकते हो.

इस के बाद रात के अंधेरे में कुलविंदर और उस के साथी ने घर के अंदर घुस कर किरन की गला रेत कर हत्या कर दी और कमरे में रखी अलमारी का सामान इधरउधर बिखेर दिया ताकि मामला लूट व हत्या का लगे. हत्या के वक्त पुष्पा कोहली अपने बेडरूम में चली गई थी और अपने कानों को तकिए से ढक लिया था ताकि बेटी के चीखने की आवाज उसे सुनाई न दे.

इस हत्या की एवज में पुष्पा कोहली ने कुलविंदर को 1 लाख रुपए व सोने के कुछ गहने दिए थे जिन्हें ले कर वह उसी रात अपने साथी के साथ पंजाब लौट गया था.

पुष्पा के बयान के आधार पर पुलिस ने इस मामले में भादंवि की धारा 302, 494 के अलावा 34 भी जोड़ दी. पुष्पा कोहली को विधिवत 4 जनवरी 2014 को गिरफ्तार कर के फरीदाबाद की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

कुलविंदर व उस के साथी की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम जालंधर गई लेकिन वह भूमिगत हो गया था. शायद उसे हरियाणा पुलिस के आने की सूचना पहले ही मिल गई थी. फरीदाबाद पुलिस उच्चाधिकारियों द्वारा दबाव बना कर फरार चल रहे हवलदार कुलविंदर और उस के साथी की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है. पुष्पा कोहली जेल में बंद है.

इस मामले में पुलिस किरन की हत्या की जो थ्योरी बता रही है, वह गले नहीं उतरती. क्योंकि कोई भी मां केवल अपने तनाव को दूर करने के लिए सुपारी दे कर बेटी की हत्या नहीं करा सकती. संभव है, पुलिस जांच में कोई और सच्चाई सामने आए. लेकिन इस की संभावना फिलहाल कम ही है.

—कथा पुलिस सूत्रों, परिजनों के बयानों पर आधारित है.