जिस दिन मोना और विश्वजीत एकदूसरे से मिले, उन की नजरें एक हुए बिना नहीं रह सकीं. स्मार्ट विश्वजीत को पहली ही बार देख कर मोना होश खो बैठी. अभी तक वह दूसरों की चाहत थी, लेकिन विश्वजीत को देख कर पहली बार उसे अपनी चाहत का अहसास हुआ. उस का दिल इस तरह मचल उठा था कि वह विश्वजीत के सीने से लग जाए. यही वजह थी कि उस की चाहत उस की नजरों से साफ झलक उठी थी. जिसे विश्वजीत को पढ़ने में देर नहीं लगी.
विश्वजीत मोना की झील-सी आंखों में डूबता चला गया. उस दिन नूरी ने दोनों का परिचय कराया तो कुछ बातें भी हुईं. इस के बाद फिर मिलने का वादा कर के दोनों अपनेअपने रास्ते चले गए. लेकिन वे एकदूसरे को पलभर के लिए भी भुला नहीं सके. दोनों में दोबारा मिलने की चाहत थी, इसलिए जल्दी ही उन की दोबारा मुलाकात हो गई. इस बार केवल वही दोनों थे. विश्वजीत मोना को एक महंगे रेस्टोरेंट में ले गया. विश्वजीत ने बातचीत में मोना को बताया था कि उस का खुद का एक होटल है और गांव में उस के पास काफी पुश्तैनी जमीनजायदाद है. इसलिए उसे किसी बात की चिंता नहीं है.
विश्वजीत के मोहपाश में बंधी मोना ने उस की बातों पर आंख मूंद कर विश्वास कर लिया. विश्वजीत बहुत बड़ा खिलाड़ी तो नहीं था, लेकिन इतना तो जानता ही था कि लड़कियों को किस तरह जाल में फंसाया जाता है. उस ने मोना के सामने अपनी रईसी के ऐसे झंडे इस तरह गाड़े थे कि वह उसे अपना हमसफर बनाने के बारे में सोचने लगी थी. मोना के हिसाब से विश्वजीत सुंदर और स्मार्ट तो था ही, साथ ही उस के पास पैसा और पावर भी था. इसलिए उस में वह जरूरत से ज्यादा रुचि लेने लगी.
विश्वजीत को जब पूरा विश्वास हो गया कि मोना अब पूरी तरह उस के प्रभाव में आ गई है तो उस ने मोना के हाथ को अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘मोना, मैं ने जिस तरह की लड़की की कल्पना की थी, तुम ठीक वैसी हो. जब से तुम से दोस्ती हुई है, मेरी सोच ही नहीं बदल गई, बल्कि जीने का ढंग भी बदल गया है. तुम खूबसूरत ही नहीं, सलीके वाली भी हो. तुम्हारी आदतें, बातचीत इतनी प्यारी लगती हैं कि मन करता है, हर पल तुम्हारे ही साथ रहूं. तुम से अलग होने पर एकएक पल सदियों जैसा लगता है. मैं यह जानना चाहता हूं कि जो भावनाएं मेरे मन में हैं, क्या वहीं तुम्हारे मन में भी हैं?’’
विश्वजीत के इन जज्बातों को सुन कर मोना ने विश्वजीत की आंखों में झांकते हुए कहा, ‘‘विश्वजीत तुम्हारे लिए मेरे मन में भी वही सब है, जो तुम्हारे मन में है. मैं तुम से मन की बात कहना भी चाहती थी, लेकिन यह सोच कर कह नहीं पाती थी कि तुम मेरे बारे में पता नहीं क्या सोचोगे. क्योंकि अगर तुम मेरे मन की बात समझ न पाए तो मैं टूट जाऊंगी. आज तुम्हारे मन की बात जान कर बहुत खुश हूं. मैं भी तुम्हारे साथ जिंदगी बिताने का सपना देख रही थी, जो आज सच हो गया.’’
इस के बाद दोनों का प्यार तेजी से परवान चढ़ने लगा. विश्वजीत को पता था कि मोना की नूरी और हामिद से भी दोस्ती थी. फिर भी उस के मन में उन के लिए कोई दुर्भावना नहीं थी. वह मोना के प्यार को पाना चाहता था, इसलिए उस के सामने उस ने स्वयं को बहुत बड़ा रईस बताया था. लेकिन जब उस का प्यार बढ़ा तो उस ने सोचा कि वह मोना को अपनी सच्चाई बता देगा, जिस से बाद में कोई भ्रम न रहे. लेकिन उसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि यह सब बताने के पहले ही सब खत्म हो गया.
16 नवंबर की सुबह 9 बजे उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर की कोतवाली पुलिस को सुभाष नगर-खुदराई मार्ग पर किसी युवक की सिरकटी लाश पड़ी होने की सूचना मिली तो इंसपेक्टर आलोक सक्सेना पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. सड़क के किनारे ही खून से सना धड़ पड़ा था. सिर का अता पता नहीं था. सिरविहीन धड़ पर चाकुओं के जख्म साफ नजर आ रहे थे. पुलिस ने जख्मों को गिना तो वे 14 थे. पुलिस ने सिर की तलाश शुरू की तो थोड़े प्रयास के बाद सड़क के दूसरी ओर सिर भी मिल गया.
कोतवाली पुलिस घटनास्थल और लाश का निरीक्षण कर ही रही थी कि क्षेत्राधिकारी राजेश्वर सिंह भी मौके पर पहुंच गए. अब तक घटनास्थल पर शहर और आसपास के गांवों के तमाम लोग इकट्ठा हो गए थे. पुलिस ने वहां एकत्र लोगों से मृतक की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका. इस से पुलिस को लगा कि यह यहां का रहने वाला नहीं है. इसे यहां ला कर मारा गया है. लाश पर जो कपड़े थे, वे ब्रांडेड थे. इस से अंदाजा लगाया गया कि मृतक ठीकठाक घर का लड़का था.
हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. यह देख कर पुलिस को लगा कि यह हत्या प्रतिशोध के लिए की गई है. मामला प्रेमप्रसंग का नजर आ रहा था. पुलिस ने डाग स्क्वायड को भी बुला लिया था. लेकिन कुत्ता लाश सूंघ कर थोड़ी दूर जा कर रुक गया. वहां पुलिस को खून सनी एक पैंट मिली. पुलिस ने पैंट की तलाशी ली तो उस में से एक सिम बरामद हुआ, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
थाने लौट कर इंसपेक्टर आलोक सक्सेना ने चौकीदार राधेश्याम को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 के तहत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया और मामले की जांच की जिम्मेदारी स्वयं संभाल ली.
पुलिस के पास जांच का एक ही जरिया था, मृतक की जेब से बरामद सिम. बरामद सिम की डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के थाना मरदह के गांव डंडापुर के रहने वाले ओमप्रकाश सिंह के बेटे विश्वजीत सिंह का है. पुलिस ने उक्त पते पर संपर्क कर के परिजनों को बुलाया तो उन्होंने शव की शिनाख्त विश्वजीत सिंह के रूप में कर दी. पूछताछ में उन से पता चला कि विश्वजीत दिल्ली में रह कर नौकरी करता था.