सुहागन से पहले विधवा बनी स्नेहा – भाग 2

पुलिस ने बरामद कीं दोनों दोस्तों की लाशें

फिर देर किस बात की थी. पुलिस रायल गेस्टहाउस पहुंच गई, जो मौके से कुछ ही दूरी पर स्थित था. गेस्टहाउस पहुंच कर इंसपेक्टर सिंह अमर यादव को पूछते हुए सीधे अंदर घुस गए. मैनेजर वाले कमरे में एक 23 वर्षीय सांवले रंग का दुबलापतला गंदलुम कपड़े पहने युवक बैठा मिला. सामने पुलिस को देख उस को पसीना छूट गया.

”अमर यादव तुम हो?’’ गुर्राते हुए इंसपेक्टर सिंह बोले.

”हां जी सर, मैं ही अमर यादव हूं.’’ बेहद सम्मानित तरीके से उस ने जवाब दिया था, ”बात क्या है, क्यों मुझे खोज रहे हैं.’’

”अभी पता चल जाएगा बेटा. राहुल और गुलशन कहां हैं? तुम ने कहां छिपा कर दोनों को रखा है? सीधे तरीके से बता दे वरना…’’

”बताता हूं सर, बताता हूं. दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं,’’ बिना किसी डर के वह आगे कहता गया, ”मैं ने अपने साथियों के साथ मिल कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया है और मैं करता भी क्या. मेरे पास इस के अलावा कोई और रास्ता भी नहीं बचा था.

”राहुल मेरे प्यार को मुझ से छीनने की कोशिश कर रहा था, इसलिए मैं ने अपने रास्ते का कांटा सदा के लिए हटा दिया. यहीं नहीं जो जो भी मेरे प्यार के रास्ते का रोड़ा बनेगा, मैं उसे ऐसे ही मिटाता रहूंगा.’’ और फिर अमर ने पूरी पूरी घटना विस्तार से उन्हें बता दी.

इंसपेक्टर कुलवीर सिंह ने अमर यादव को गिरफ्तार कर लिया और उसी की निशानदेही पर 3 और आरोपियों अभिषेक राय, अनिकेत उर्फ गोलू और नाबालिग मनोज को शेषपुर से गिरफ्तार कर लिया. चारों को हिरासत में ले कर पुलिस ताजपुर रोड स्थित सेंट्रल जेल के पास बहने वाले कक्का धौला बुड्ढा नाला (भामियां) पास पहुंची, जहां आरोपियों ने हत्या कर राहुल और गुलशन की लाश कंबल में लपेट कर बोरे में भर कर फेंकी थीं.

थोड़ी मशक्कत के बाद राहुल और गुलशन गुप्ता की लाशें बरामद कर ली थीं. इस के बाद दोहरे हत्याकांड की घटना पल भर में समूचे लुधियाना में फैल गई थी. घटना से जिले में सनसनी फैल गई थी. लोगबाग कानूनव्यवस्था पर सवाल उठाने लगे थे.

खैर, इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस कमिश्नर मनदीप सिंह सिद्धू, डीसीपी (ग्रामीण) जसकिरनजीत सिंह तेजा, एडीसीपी (सिटी-2) सुहैल कासिम मीर और एसीपी (इंडस्ट्रियल एरिया-15) संदीप बधेरा मौके पर पहुंच गए थे.

खुशियां कैसे बदलीं मातम में

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने लाशों का निरीक्षण किया. दोनों में से राहुल की लाश विकृत हो चुकी थी. हत्यारों ने धारदार हथियार से उस की गरदन पर हमला किया था. उसे इतनी बेरहमी से मारा था कि उस की बाईं आंख बाहर निकल गई थी.

मौके पर मौजूद मृतक राहुल के पापा ने दिल पर पत्थर रख कर बेटे की पहचान कर ली थी. 4 महीने बाद उस की शादी होने वाली थी, उस से पहले ही वह दुनिया से विदा हो गया. घर में शादी की खुशियां मातम में बदल गई थीं. घर वालों का रोरो कर हाल बुरा हुए जा रहा था.

बहरहाल, पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए लुधियाना जिला अस्पताल भेज दिया और चारों आरोपियों को अदालत में पेश कर उन्हें जेल भेज दिया. आरोपियों से की गई कड़ी पूछताछ के बाद इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी पुलिस के सामने आई, वह मंगेतर के बीच मोहब्बत की जंग पर रची हुई थी.

25 वर्षीय राहुल सिंह मम्मीपापा का इकलौता था. वही मांबाप के आंखों का नूर था और उन के जीने का सहारा भी. वह जवान हो चुका था और एक प्राइवेट कंपनी में एचआर की नौकरी भी करता था. अच्छा खासा कमाता था.

चूंकि राहुल जवान भी हो चुका था और कमा भी रहा था, इसलिए पापा अशोक सिंह ने सोचा कि बेटे की शादी वादी हो जाए. घर में बहू आ जाएगी तो उस की मम्मी को भी सहारा हो जाएगा. यही सोच कर अशोक सिंह ने अपने जानपहचान और रिश्तेदारों के बीच में बेटे की शादी की बात चला दी थी कि कोई अच्छी और पढ़ीलिखी बहू मिले जो घरगृहस्थी संभाल सके.

जल्द ही राहुल के लिए कई रिश्ते आए. उन में से जमालपुर थाना क्षेत्र स्थित मुंडिया कलां के रहने वाले अजय सिंह की बेटी स्नेहा घर वालों को पसंद आ गई. खुद राहुल ने भी उसे पसंद किया था.

स्नेहा पढ़ीलिखी और सुंदर थी. 2 बहनों और एक भाई में वह सब से बड़ी थी. राहुल और स्नेहा की शादी पक्की हो गई और फरवरी 2023 में दोनों की मंगनी भी हो गई और शादी फरवरी 2024 में होने की बात पक्की हुई.

इंस्टाग्राम के किस फोटो को ले कर हुई कलह

अपनी शादी तय होने से राहुल बहुत खुश था. अपने दिल का हर राज अपने खास दोस्तों गुलशन और सूरज के बीच शेयर करता था. मंगनी के दिन राहुल ने स्नेहा को देखा तो अपनी सुधबुध खो दी थी. वह थी ही इतनी सुंदर. उस की सुंदरता पर वह फिदा था.

उस के बाद दोनों के बीच फोन पर अकसर दिल की बातें होती रहती थीं. वह अपने दिल की बात स्नेहा से करता और स्नेहा अपने दिल की बातें मंगेतर से करती. धीरेधीरे दोनों के बीच प्यार हो गया था और वे चाहते थे कि उन का मिलन जल्द से जल्द हो जाए.

लेकिन उन का मिलन होने में अभी 4 महीने बचे थे. जैसे तैसे वे अपने दिल पर काबू किए थे. वह जून-जुलाई, 2023 का महीना रहा होगा, जब राहुल के परिवार पर दुखों के बादल मंडराने लगे थे.

एक दिन की बात थी. इंस्टाग्राम पर गुलशन अपना अकाउंट देख रहा था. अचानक उस की एक नजर ठहर गई और 2 फोटो देख कर वह चौंक गया.फोटो में स्नेहा किसी अमर यादव के साथ गलबहियों में चिपकी पड़ी थी. फिर उस ने फोटो का स्क्रीनशौट ले कर सेव कर लिया और सूरज को दिखाया. फोटो देख कर वह हैरान था, ये तो राहुल की होने वाली पत्नी स्नेहा है. उस के पीठ पीछे क्या गुल खिलाया जा रहा है. दोनों ने राहुल से सारी बातें साफसाफ बता दीं.

फिर राहुल ने समझदारी का परिचय देते हुए इंस्टाग्राम पर स्नेहा का अकाउंट चैक किया तो बात सच साबित हो गई थी. इस के बाद उस ने स्नेहा से बात की.

स्नेहा अपनी ओर से सफाई देती हुई बोली, ”आप ने जिस फोटो को देखा था, वो उस का अतीत था. कभी अमर नाम के लड़के से वह प्यार करती थी, लेकिन शादी पक्की होने के बाद से उस ने उस से अपनी ओर से रिश्ता तोड़ लिया है. वह अब अमर से नहीं मिलती. पुरानी बातों को मुद्दा बना कर वह उसे हर समय परेशान करता रहता है.’’

पूर्व प्रेमी और मंगेतर के बीच बढ़ता गया विवाद

राहुल को अपनी मंगेतर स्नेहा की बातों पर पूरा विश्वास हो गया था कि वह जो कह रही है, सच कह रही है. उस के बाद राहुल ने अमर यादव को सावधान करते हुए पोस्ट लिखा कि स्नेहा उस की होने वाली पत्नी है. आने वाले साल 2024 में हमारी शादी होनी है. तुम उस का पीछा करना छोड़ दो. उसे बदनाम न करो वरना इस का परिणाम बुरा हो सकता है.

इस पर अमर यादव ने भी पलट कर जवाब दिया था, ”स्नेहा उस का प्यार है. उसे वह टूट कर प्यार करता है. तेरे कारण उस ने उस से बात करनी बंद कर दी है और दूरदूर रहती है. मुझ से इस की जुदाई, उस की तन्हाई जीने नहीं देती. मेरे और मेरे प्यार के बीच में जो भी रोड़ा बनने की कोशिश करेगा, उसे हमेशा हमेशा के लिए मिटा दूंगा और तू भी समझ ले, अभी वक्त है हम दोनों के बीच से हट जा, उसी में तेरी भलाई है. नहीं तो मैं किस हद तक चला जाऊंगा, मुझे खुद भी नहीं पता.’’

उस दिन के बाद राहुल और अमर यादव के बीच स्नेहा को ले कर वर्चस्व की टेढ़ी लकीर खिंच गई थी. बारबार राहुल इंस्टाग्राम पर फोन कर के स्नेहा से दूर रहने को धमकाता था. वहीं अमर भी स्नेहा से दूर हट जाने को धमकाता था.

सुहागन से पहले विधवा बनी स्नेहा – भाग 1

23 वर्षीय गुलशन गुप्ता ड्यूटी से थकामांदा कुछ ही देर पहले घर पहुंचा था, तभी उस ने फोन देखा तो पता चला कि उस के जिगरी यार राहुल सिंह का कई बार फोन आ चुका था. उस ने सोचा कि पता नहीं राहुल ने क्यों फोन किया है.

झट से उस ने राहुल को फोन कर वजह पूछी तो राहुल बोला, ”गुलशन, तू घर पहुंच गया हो तो मेरे घर आ जा, कहीं चलना है.’’

”ठीक है, मैं आता हूं.’’ गुलशन ने कहा और उस ने अपनी मम्मी से चाय बनवाई.

वह चाय की चुस्की ले फटाफट हलक के नीचे गरमागरम उतारता गया. मिनटों में चाय की प्याली खाली कर अपनी बाइक निकाली और मम्मी को दोस्त राहुल के घर जाने की बात कह कर चल दिया. कुछ देर बाद वह राहुल के घर पहुंच गया था. यह बात 16 सितंबर, 2023  की है.

गुलशन गुप्ता पंजाब के लुधियाना जिले की डाबा थानाक्षेत्र के न्यू गगन नगर कालोनी में मम्मी सोनी देवी और 3 बहनों के साथ रहता था. उस के पापा की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी. मां सोनी देवी और खुद गुलशन यही दोनों मिल कर परिवार की जिम्मेदारी संभाले हुए थे.

गुलशन का दोस्त 25 वर्षीय राहुल सिंह लुधियाना के माया नगर में अपने मम्मीपापा के साथ रह रहा था. वह अपने मम्मीपापा की इकलौती संतान था. सब का लाडला था. उस की एक मुसकान से मांबाप की सुबह होती थी. वह अपनी जो भी ख्वाहिश उन के सामने रखता था, वह पूरी कर देते थे. पापा अशोक सिंह एक प्राइवेट कंपनी में थे, पैसों की उन के पास कोई कमी नहीं थी, बेटे पर वह अपनी जान छिड़कते थे.

गुलशन को देख कर राहुल का चेहरा खुशी से खिल उठा था तो गुलशन ने भी उसी अंदाज में राहुल के साथ रिएक्ट किया था. वैसे ऐसा कोई दिन नहीं होता था, जब वे एकदूसरे से न मिलते हों. इन की यारी ही ऐसी थी कि बिना मिले इन्हें चैन नहीं आता था. ये जिस्म से तो दो थे, लेकिन जान एक ही थी.

खैर, राहुल गुलशन के ही आने का इंतजार कर रहा था. उस के आते ही उस की बाइक अपने घर के सामने खड़ी कर दी और बाहर खड़ी अपनी एक्टिवा ड्राइव कर गुलशन को पीछे बैठा कर मम्मी से थोड़ी देर में लौट कर आने को कह निकल गया.

दोनों दोस्त कैसे हुए लापता

राहुल सिंह के साथ गुलशन गुप्ता को निकले करीब 4 घंटे बीत गए थे, लेकिन न तो राहुल घर लौटा था और न गुलशन ही घर लौटा था. और तो और दोनों के सेलफोन भी बंद आ रहे थे.

राहुल के जितने भी दोस्त थे, पापा अशोक सिंह ने सब के पास फोन कर के उस के बारे में पूछा. यही नहीं लुधियाना में रह रहे अपने रिश्तेदारों और चिरपरिचितों से भी राहुल के बारे में पूछ लिया था, लेकिन किसी ने भी उस के वहां आने की बात नहीं कही.

दोनों के घर वालों ने रात आंखों में काट दी थी. अगले दिन 17 सितंबर को सुबह 10 बजे राहुल के पापा अशोक सिंह और गुलशन की मम्मी सोनी देवी दोनों डाबा थाने जा पहुंचे. उन्होंने राहुल और गुलशन के गायब होने की पूरी बात बता दी. गुलशन की मम्मी सोनी देवी ने बताया कि सर, हमें पूरा यकीन है कि हमारे बच्चों का अमर यादव ने अपहरण किया है.

”क्या..?’’ सोनी देवी की बात सुन कर इंसपेक्टर सिंह उछले, ”अमर यादव ने आप के बच्चों का अपहरण किया है? लेकिन यह अमर यादव है कौन और उस ने दोनों का अपहरण क्यों किया?’’

अमर यादव पर क्यों लगाया अपहरण का आरोप

सोनी देवी ने राहुल और गुलशन के अपहरण किए जाने की खास वजह इंसपेक्टर कुलवीर सिंह को बता दी. उन की बातों में दम था. फिर इंसपेक्टर ने राहुल और गुलशन की एक एक फोटो मांगी तो उन्होंने दोनों के फोटो उन के वाट्सऐप पर सेंड कर दिए.

सोनी ने लिखित तहरीर इंसपेक्टर कुलवीर सिंह को सौंप दी थी. इस बीच एक जरूरी काल आने के बाद अशोक सिंह वहां से जा चुके थे. उधर कुलदीप सिंह ने सोनी देवी से तहरीर ले कर अपने पास रख ली और आवश्यक काररवाई करने का आश्वासन दे कर उन्हें वापस घर भेज दिया था.

राहुल सिंह के पिता अशोक सिंह को एक परिचित ने फोन कर के बताया कि टिब्बा रोड कूड़ा डंप के पास लावारिस हालत में राहुल की एक्टिवा खड़ी है और वहीं मोबाइल फोन भी पड़ा है. यह सुन कर वह इंसपेक्टर कुलवीर सिंह से टिब्बा रोड चल दिए थे. वह जैसे ही वहां पहुंचे, सफेद एक्टिवा और मोबाइल देख कर अशोक पहचान गए, दोनों ही चीजें उन के बेटे राहुल की थीं.

अभी वह खड़े हो कर कुछ सोच ही रहे थे कि उसी वक्त एक और चौंका देने वाली सूचना उन्हें मिली. टिब्बा रोड से करीब 2 किलोमीटर दूर वर्धमान कालोनी से गुलशन का मोबाइल फोन बरामद कर लिया गया.

राहुल की एक्टिवा और दोनों के लावारिस हालत में पड़े हुए फोन की सूचना अशोक ने डाबा थाने के इंसपेक्टर कुलवीर सिंह को फोन द्वारा दे दी थी. सूचना मिलने के बाद कुलवीर सिंह मय दलबल के मौके पर पहुंच गए, जहां अशोक सिंह खड़े उन के आने का इंतजार कर रहे थे.

दोनों मोबाइल फोन बंद थे. इंसपेक्टर कुलवीर सिंह ने दोनों फोन औन किए. उन्होंने राहुल के फोन की काल हिस्ट्री चैक की तो पता चला कि बीती रात साढ़े 5 बजे के करीब उस के फोन पर एक नंबर से फोन आया था. उसी नंबर से 15 सितंबर को करीब 3 बार काल आई थी.

इंसपेक्टर सिंह ने इस नंबर पर काल बैक किया तो वह नंबर लग गया. काल रिसीव करने वाले से उस का नाम पूछा गया तो उस ने अपना नाम अमर यादव बताया और टिब्बा रोड स्थित रायल गेस्टहाउस का कर्मचारी होना बताया.

अमर यादव का नाम सुन कर वह चौंक गए, क्योंकि सोनी देवी ने भी बच्चों के अपहरण करने की अपनी आशंका इसी के प्रति जताई थी और राहुल के फोन में आखिरी काल भी अमर यादव की ही थी. इस का मतलब था कि राहुल और गुलशन के गायब होने में कहीं न कहीं से अमर यादव का हाथ हो सकता है.

बाहरी प्यार के चक्कर में पति मारा – भाग 3

एक दिन अनस हाशमी प्रियंका से मिलने उस के घर आया, प्रियंका ने दरवाजा बंद किया और अंदर आ कर उस से बातें करने लगी. कुछ देर में प्रियंका 2 प्याली चाय ले कर आई तो अनस हाशमी ने पूछा, ”भाईजान आए थे क्या?’’

”हां, आए तो थे, लेकिन एक सप्ताह रह कर चले गए.’’ प्रियंका बेमन से बोली.

अनस हाशमी को लगा कि वह रविकांत भाईजान से खुश नहीं है. उस ने मौके का फायदा उठाते हुए कहा, ”भाभी, मैं कुछ कहना चाहता हूं. पर डर लगता है कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’

”नहीं, तुम बताओ क्या बात है?’’

”भाभी, सच तो यह है कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं तुम से मोहब्बत करने लगा हूं.’’ अनस हाशमी ने एक ही झटके में अपनी बात कह दी.

प्रियंका बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली, ”क्या मतलब है तुम्हारा और हां प्यार का मतलब जानते हो. फिर मैं तुम्हारे दोस्त की पत्नी हूं. रिश्ते में तुम्हारी भाभी हूं.’’

”हां, लेकिन इस दिल का क्या करूं, जो तुम पर आ गया है. अब तो दिलोदिमाग पर तुम ही छाई रहती हो.’’ कहते हुए अनस हाशमी ने प्रियंका के गले में बांहें डाल दीं.

कैसे हिली रमाकांत की गृहस्थी की नींव

उस दिन के बाद प्रियंका की तो जैसे दुनिया ही बदल गई. अनस हाशमी प्रियंका के घर बेखौफ और बिना रोकटोक आता और दोनों रंगरलियां मनाते. अनस हाशमी जो भी कमाता, वह सब प्रियंका व उस के बच्चों पर ही खर्च करने लगा. प्रियंका भी बेखौफ हो कर अनस हाशमी के साथ घूमने फिरने लगी.

अनस हाशमी का पति की गैरमौजूदगी में प्रियंका के घर आनाजाना पड़ोसियों को खलने लगा. एक पड़ोसिन ने इस की शिकायत प्रियंका की सास से कर दी. शकुंतला बहू को ऊंचनीच सिखाने उस के घर आईं तो प्रियंका सास पर ही हावी हो गई और बोली, ”अम्मा, तुम हमारी फिक्र मत करो. अपने घर का खयाल मैं खुद रख लूंगी. तुम अपना घर संभालो. हमें नसीहत मत दो.’’

कुछ दिनों बाद रविकांत जब घर आया, तो पड़ोसियों ने उस के कान भरे. मां ने भी प्रियंका की शिकायत की. इस से रविकांत को लगा कि जरूर कुछ गड़बड़ है. उस ने प्रियंका से पूछा, ”अनस हाशमी का क्या चक्कर है? वह रोजरोज घर क्यों आता है?’’

पति की बात सुन कर प्रियंका की धड़कनें बढ़ गईं, ”यह क्या कह रहे हो तुम. तुम्हारा दोस्त है. कभीकभी घर आ जाता है. इस में गलत क्या है?’’

रविकांत 4-5 दिन घर रुक कर वापस अपने काम पर चला गया. लेकिन इस बार उस का काम में मन नहीं लगा. उसे लगता था जैसे उस की गृहस्थी की नींव हिल रही है.

एक दिन अचानक रविकांत छुट्टी ले कर बिना बताए घर आ गया. उस ने घर में कदम रखा तो घर में कोई बच्चा दिखाई नहीं दिया. उस ने कमरे का दरवाजा खोला तो सन्न रह गया. उस की पत्नी प्रियंका दोस्त अनस हाशमी की बांहों में थी. गुस्से में रविकांत ने प्रियंका की खूब पिटाई की जबकि अनस हाशमी भाग गया.

पिटने के बाद भी प्रियंका के चेहरे पर डर नहीं था. वह गुर्रा कर बोली, ”इस सब में मेरी नहीं, बल्कि तुम्हारी गलती है. मैं ने कहा था न कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. लेकिन तुम ने मेरी भावनाओं का खयाल कहां रखा.’’

रविकांत को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्से को पी गया. उस ने प्रियंका की बात का कोई जवाब नहीं दिया. 3 दिन बाद रविकांत राजकोट चला गया. उस के जाने के बाद प्रियंका और अनस हाशमी फिर रातें रंगीन करने लगे. हां, इतना जरूर था कि अब दोनों सावधानी बरतने लगे थे. अनस हाशमी अब रात के अंधेरे में ही प्रियंका के घर आता था.

इधर रविकांत का मन अब काम में नहीं लगता था. उस ने सोच लिया था कि वह नौकरी छोड़ देगा और बीवीबच्चों के साथ ही रहेगा. 20 अगस्त, 2023 को रविकांत ने प्रियंका से मोबाइल फोन पर बात की और बताया कि उस ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी छोड़ दी है और जल्द ही घर वापस आ रहा है. अब वह बच्चों के साथ ही रहेगा.

पति की नौकरी छोडऩे की बात सुन कर प्रियंका परेशान हो उठी. क्योंकि पति के रहने से उसे अनस हाशमी से मिलने का मौका नहीं मिल सकता था. उस ने सारी बात अनस हाशमी को बताई. तब दोनों ने मिल कर रविकांत को ही ठिकाने लगाने की योजना बनाई.

25 अगस्त, 2023 को रविकांत राजकोट से कानपुर आ गया. रविकांत के आने की जानकारी अनस हाशमी को हुई तो वह उस से मिलने घर आ गया. रविकांत ने नाराजगी जताई और मिलने से इंकार कर दिया. लेकिन बारबार माफी मांगने पर रविकांत पिघल गया और उसे माफ कर दिया. इस के बाद दोनों में दोस्ती हो गई और शराब पार्टी भी होने लगी.

दोस्त क्यों बना कातिल

30 अगस्त, 2023 को रक्षाबंधन था. रविकांत दोपहर बाद अपनी पत्नी व बच्चों के साथ अपनी मां के घर राजे नगर (नौबस्ता) पहुंचा. वहां उस ने अपनी बहन सीमा से राखी बंधवाई और सभी ने मिल कर खाना खाया. शाम को रविकांत घर लौट आया. प्रियंका और अनस हाशमी को अब रविकांत कांटे की तरह चुभने लगा था. वह उन के मिलन में बाधक था, इसलिए दोनों ने जल्द ही इस कांटे को निकालने की योजना बना ली. योजना के तहत अनस हाशमी पहली सितंबर की रात 8 बजे रविकांत के घर पहुंचा और उसे शराब पिलाने के बहाने ले आया.

दोनों गल्ला मंडी पहुंचे. वहां अनस हाशमी ने शराब की बोतल, नमकीन व गिलास खरीदे, फिर दोनों पैदल ही हंसपुरम बंबा की ओर चल दिए.

योजना के तहत अनस हाशमी रविकांत को हंसपुरम बंबा की तीसरी पुलिया पर लाया. यहां सन्नाटा पसरा था. पुलिया के किनारे बैठ कर दोनों ने शराब पी. शराब पीने के दौरान प्रियंका से अवैध संबंधों को ले कर दोनों में बहस होने लगी.

रविकांत गालीगलौज करने लगा तो अनस हाशमी ने उस का गला पकड़ लिया. रविकांत गिर गया, तब उस ने उसे घसीट कर सूखे नाले में फेंक दिया. पर उसे यकीन नहीं हुआ कि रविकांत मर चुका है, इसलिए उस ने अपनी जेब से चाकू निकाला और उस की गरदन रेत दी. इस के बाद रविकांत का मोबाइल फोन बंद कर झाडिय़ों में फेंक दिया तथा खून सना चाकू भी झाडिय़ों में छिपा दिया.

रविकांत को मौत की नींद सुलाने के बाद अनस हाशमी प्रियंका के पास पहुंचा और बताया कि उस ने रविकांत को ठिकाने लगा दिया है.

इस के बाद दोनों ने संबंध बनाए. फंसने के डर से प्रियंका ने सास शकुंतला को फोन पर सूचना दी कि रविकांत घर का सामान लाने बाजार गए थे, लेकिन अब तक लौटे नहीं. शकुंतला तब चिंतित हो उठीं. उन्होंने बेटे को खोजने का प्रयास किया. पता न चलने पर उन्होंने थाना नौबस्ता में गुमशुदगी दर्ज करा दी.

तीसरे रोज उन्हें बेटे की हत्या की सूचना मिली. 5 सितंबर, 2023 को पुलिस ने आरोपी अनस हाशमी और प्रियंका को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. प्रियंका के दोनों मासूम बच्चे दादी शकुंतला के पास थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बाहरी प्यार के चक्कर में पति मारा – भाग 2

4 सितंबर, 2023 की सुबह 10 बजे एडीसीपी अंकिता शर्मा ने अनस हाशमी से रविकांत की हत्या के संबंध में पूछताछ की. कुछ देर वह पुलिस को बरगलाता रहा, लेकिन सख्ती करने पर टूट गया और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने मृतक रविकांत का मोबाइल फोन तथा हत्या में प्रयुक्त खून सना चाकू भी बरामद करा दिया.

अनस हाशमी और प्रियंका से पुलिस से विस्तार से पूछताछ की तो रविकांत की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की चाशनी में डूबी निकली—

उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर के थाना विधनू के अंतर्गत एक गांव है- मटियारा. इसी गांव में हरविलास शुक्ला अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटियां राधिका व प्रियंका तथा एक बेटा शिव था. हरविलास किसान थे. वह अपने खेतों में सब्जियां उगाते थे और शहरकस्बे की मंडियों में बेचते थे. इस से होने वाली आमदनी से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

बड़ी बेटी का विवाह वह औंग (फतेहपुर) निवासी राधेश्याम तिवारी से कर चुके थे.

सास से क्यों झगड़ती थी प्रियंका

राधिका से छोटी प्रियंका थी. वह भी जवान हुई तो उस के योग्य वर की खोज करने लगे. काफी प्रयास के बाद उन्हें रविकांत पसंद आ गया.

रविकांत के पिता रामबहादुर पांडेय नौबस्ता (कानपुर) के राजे नगर मोहल्ले में सपरिवार रहते थे. परिवार में पत्नी शकुंतला के अलावा 2 बेटे रविकांत, अनूप तथा बेटी सीमा थी. सीमा की शादी हो चुकी थी. बड़ा बेटा रविकांत एक इनवर्टर बनाने वाली कंपनी में काम करता था.

उचित घर वर देख कर रामविलास ने प्रियंका का रिश्ता रविकांत से पक्का कर दिया. इस के बाद 8 फरवरी, 2016 को उन्होंने प्रियंका का विवाह रविकांत से कर दिया.

खूबसूरत पत्नी पा कर रविकांत खुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था. जबकि अपने से अधिक उम्र का पति पा कर प्रियंका खुश नहीं थी. प्रियंका को यह बात हमेशा सालती रहती थी कि उस का पति उम्र में उस से काफी बड़ा है. यही टीस कभी दर्द बन जाती तो पतिपत्नी में झगड़ा हो जाता. हालांकि लड़ाईझगड़ा रविकांत को पसंद नहीं था.

शादी के एक साल बाद प्रियंका ने एक बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म से प्रियंका की सास शकुंतला भी खुश थी, लेकिन प्रियंका बेटे की परवरिश को ले कर चिंतित रहने लगी थी. दरअसल, रविकांत जो भी कमाता था, वह मां के हाथ पर रखता था. प्रियंका को यह बात अखरती थी. वह चाहती थी कि पति पैसा केवल उसे ही दे ताकि वह बेटे की देखभाल ठीक से कर सके.

प्रियंका को संयुक्त परिवार में रहना भी पसंद न था. इसलिए वह घर में कलह करने लगी थी. किसी न किसी बात को ले कर उस का हर रोज सास से झगड़ा होने लगा था. वह पति पर अलग रहने का भी दबाव डालने लगी थी.

रोज रोज की कलह से परेशान हो कर रविकांत ने मां का घर छोड़ दिया और पत्नी प्रियंका के साथ नौबस्ता गल्ला मंडी में किराए का कमरा ले कर रहने लगा. इसी बीच प्रियंका ने दूसरे बेटे को जन्म दिया. प्रियंका को आर्थिक परेशानी खलती थी. पति की कमाई इतनी नहीं थी कि वह बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी सके.

अनस हाशमी कौन था और क्यों आता था रविकांत के घर

रविकांत जिस इनवर्टर कंपनी में काम करता था, उसी में 20 साल का अनस हाशमी भी काम करता था. साथ काम करते दोनों में दोस्ती हो गई थी.

अनस हाशमी मूलरूप से उत्तर भारत के बलरामपुर जिले के गांव लालपुर का रहने वाला था. रविकांत व अनस हाशमी खानेपीने के शौकीन थे, इसलिए दोनों की महफिल जमती रहती थी.

एक रोज रविकांत ड्यूटी नहीं गया तो अनस हाशमी देर शाम उस का हालचाल लेने उस के घर आ गया. यहां पहली बार प्रियंका की मुलाकात अनस हाशमी से हुई. दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए और उन के बीच बातचीत भी हुई. इस के बाद जबतब अनस हाशमी का रविकांत के घर आनाजाना होने लगा. लेकिन इस बीच प्रियंका व अनस हाशमी मर्यादा में रहे. हालांकि दोनों के दिलों में हलचल शुरू हो चुकी थी.

रविकांत का एक रिश्तेदार अनुज तिवारी था. वह गुजरात के राजकोट में किसी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड था. उसे अच्छा वेतन मिलता था. जनवरी 2021 में रविकांत की पारिवारिक शादी समारोह में अनुज तिवारी से मुलाकात हुई. बातचीत के दौरान रविकांत ने आर्थिक समस्या बताई तो अनुज ने उसे राजकोट में नौकरी दिलाने का वादा किया.

अनुज के साथ रविकांत राजकोट चला गया. वहां अनुज ने एक खिलौना बनाने वाली कंपनी में रविकांत को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलवा दी. इस तरह रविकांत राजकोट में नौकरी करने लगा और प्रियंका दोनों बच्चों के साथ नौबस्ता गल्ला मंडी में रहने लगी. रविकांत को जब छुट्टी मिलती, तभी वह कानपुर आता और हफ्ते भर तक रुक कर वापस चला जाता.

प्रियंका के क्यों बहके थे कदम

अनस हाशमी को जब पता चला कि उस का दोस्त रविकांत दूरदराज शहर में नौकरी करने लगा है तो उस की नीयत में खोट आ गई. वह उस की पत्नी प्रियंका से नजदीकियां बढ़ाने के लिए उस के घर आनेजाने लगा.

वह जब भी आता बच्चों को खानेपीने की चीजें लाता. खानेपीने की चीजें पा कर बच्चे खुश होते. बच्चों ने प्रियंका से अनस हाशमी के बारे में पूछा तो उस ने बच्चों से कहा कि यह तुम्हारे संदीप मामा हैं. प्रियंका भी उसे संदीप कह कर ही बुलाती थी.

अनस हाशमी विवाहित था, लेकिन उस की बीवी की मौत हो गई थी. स्त्री सुख से वंचित होने से वह प्रियंका पर डोरे डालने लगा था. पति के राजकोट जाने के बाद उस के जिस्म की भूख फिर सिर उठाने लगी. वह उदास हो गई. तब उस के दिलोदिमाग में अनस हाशमी घूमने लगा. वह उस से मिलने को उतावली हो उठी.

प्रियंका ने इस का कोई विरोध नहीं किया. इस से अनस की हिम्मत बढ़ गई. इस के बाद प्रियंका भी खुद को नहीं रोक सकी तो मर्यादा तारतार होते वक्त नहीं लगा. जोश उतरने पर जब होश आया तो दोनों में से किसी के भी मन में पछतावा नहीं था.

प्रेमी के लिए कातिल बनी रक्षा

बाहरी प्यार के चक्कर में पति मारा – भाग 1

एक रोज अनस हाशमी दोपहर में प्रियंका के घर आया और चारपाई पर बैठ कर उस ने इधरउधर की बातें करने लगा. तभी अचानक वह उस  के पास आ कर बोला, ”भाभी, तुम जानती हो कि तुम कितनी सुंदर हो?’’

अनस हाशमी की बात सुन कर पहले तो प्रियंका चौंकी, उस के बाद हंस कर बोली, ”मजाक अच्छा कर लेते हो.’’

”नहीं भाभी, ये मजाक नहीं है, तुम मुझे सचमुच बहुत अच्छी लगती हो. तुम्हें देखने को दिल चाहता है, तभी तो मैं तुम्हारे यहां आता हूं.’’ अनस ने मुसकराते हुए कहा.

अनस की बात सुन कर प्रियंका के माथे पर बल पड़ गए. उस ने कहा, ”तुम यह क्या कह रहे हो अनस? क्या मतलब है तुम्हारा?’’

”कुछ नहीं भाभी, तुम यहां बैठो और यह बताओ कि भाईजान कब आएंगे?’’

”उन्हें छुट्टी कहां मिलती है. तुम सब कुछ जानते तो हो, फिर भी पूछ रहे हो?’’ प्रियंका ने थोड़ा गुस्से में कहा.

”तुम्हारे ऊपर दया आती है भाभी, भाईजान को तो तुम्हारी फिक्र ही नहीं है. अगर उन्हें फिक्र होती तो इतने दिनों बाद घर न आते. वह चाहते तो यहीं कोई दूसरी नौकरी कर लेते.’’ यह कह कर अनस हाशमी ने जैसे प्रियंका की दुखती रग पर हाथ रख दिया.

इस के बाद प्रियंका के करीब आ कर वह उस का हाथ पकड़ते हुआ बोला, ”भाभी, अब तुम चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’

उस दिन अनस हाशमी के जाने के बाद प्रियंका देर तक उसी के बारे में सोचती रही कि आखिर अनस चाहता क्या है. उस रात प्रियंका को देर तक नींद भी नहीं आई.

3 सितंबर, 2023 की सुबह 10 बजे कानपुर शहर के थाना नौबस्ता के एसएचओ जगदीश पांडेय को फोन के जरिए सूचना मिली कि हंसपुरम बंबा की पुलिया नंबर 3 के पास माया स्कूल के सामने वाले सूखे नाले में एक युवक की लाश पड़ी है. चूंकि खबर हत्या की थी, इसलिए उन्होंने इस सूचना से पुलिस अधिकारियों को भी अवगत करा दिया. उस के बाद वह सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

थाना नौबस्ता से घटनास्थल की दूरी 5 किलोमीटर उत्तरपश्चिम दिशा में थी, इसलिए पुलिस को वहां तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. उस समय वहां लोगों की भीड़ थी. पुलिस को देखते ही भीड़ हट गई. पुलिसकर्मियों ने नाले में पड़े शव को बाहर निकाला.

मृतक युवक की उम्र 35 साल के आसपास थी. उस की हत्या किसी तेजधार हथियार से गला रेत कर की गई थी. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि हत्या 1-2 दिन पहले की गई होगी. जामातलाशी में उस के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ. अब तक तमाम लोग शव को देख चुके थे, लेकिन उस की शिनाख्त नहीं हो पाई थी.

जांच के दौरान ही एसएचओ जगदीश पांडेय को याद आया कि शकुंतला पांडेय नाम की महिला ने उन के थाने में एक दिन पहले अपने बेटे रविकांत की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. कहीं यह लाश उस के बेटे की तो नहीं? यह खयाल आते ही उन्होंने शकुंतला को घटनास्थल पर बुलाने के लिए एसआई आर.के. सिंह और एक सिपाही को भेज दिया.

पुलिस जीप राजे नगर (गल्ला मंडी) स्थित शकुंतला के घर पर रुकी तो वह सकते में आ गईं. उन्होंने पूछा, ”साहब, मेरे बेटे का कुछ पता चला?’’

जवाब देने के बजाय एसआई आर.के. सिंह ने शकुंतला से कहा कि वह उस के साथ चलें. वहां उन्हें सब पता चल जाएगा.

शकुंतला अपने छोटे बेटे अनूप के साथ घटनास्थल पहुंचीं. वहां एसएचओ जगदीश पांडेय ने उन्हें युवक का शव दिखाया तो वह फफक पड़ीं और बोलीं, ”साहब, यह लाश मेरे बड़े बेटे रविकांत की है.’’

अनूप भी भाई का शव देख कर बिलखने लगा.

प्रियंका को पति रविकांत की हत्या की जानकारी हुई तो वह भी घटनास्थल पर पहुंच गई और शव देख कर विलाप करने लगी. शकुंतला ने उसे नफरतभरी नजर से देखा फिर बोली, ”आखिर तुम ने रास्ते का कांटा निकाल ही दिया. अब रोने धोने का नाटक क्यों कर रही हो?’’

प्रियंका ने शकुंतला के कटाक्ष का कोई जवाब नहीं दिया. वह छाती पीटपीट कर रोती रही. एकदो बार उस ने बेहोशी का भी नाटक किया.

इसी चीखपुकार के बीच एडिशनल सीपी (साउथ) अंकिता शर्मा तथा एसीपी अभिषेक पांडेय घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर प्रभारी निरीक्षक जगदीश पांडेय से घटना के संबंध में कुछ जरूरी जानकारी हासिल की.

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मौके पर मृतक की मां शकुंतला पांडेय मौजूद थीं. एडीसीपी अंकिता शर्मा ने उन से पूछा, ”मांजी, तुम्हारे बेटे रवि की हत्या किस ने और क्यों की? क्या तुम्हें किसी पर शक है?’’

”हां जी, मुझे अपनी बहू प्रियंका पर ही शक है.’’ शकुंतला ने बताया.

”वह कैसे?’’ अंकिता शर्मा ने पूछा.

”साहब, प्रियंका बदचलन है. वह लड़ झगड़ कर परिवार से अलग किराए का कमरा ले कर बेटे के साथ रहने लगी थी. बेटा परदेश कमाने गया तो प्रियंका बहक गई. वह अपने आशिक के साथ मौजमस्ती में डूब गई. बेटे ने विरोध जताया तो उसे मौत की नींद सुला दिया. प्रियंका ने ही अपने आशिक के साथ मिल कर मेरे बेटे की हत्या की है. आप उसे गिरफ्तार कर लीजिए वरना वह फरार हो जाएगी.’’ इतना कह कर वह सुबकने लगी.

पुलिस ने मौके की काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दी.

एडिशनल डीसीपी ने प्रियंका के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि प्रियंका की एक मोबाइल नंबर पर लगातार बात होती थी. उस नंबर की जांच की गई तो पता चला कि वह नंबर बलरामपुर जिले के लालपुर गांव निवासी अनस हाशमी का है.

एडीसीपी ने थाने में प्रियंका से अनस हाशमी के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह उस के पति रविकांत का दोस्त है. वह नौबस्ता के कबीर नगर मछरिया में बरकती मसजिद के पास किराए पर रहता है. उस का उस के घर में आनाजाना था.

प्रियंका के मोबाइल फोन में एक युवक की फोटो थी. वह फोटो जब प्रियंका के बच्चों को दिखाई गई तो उन्होंने बताया कि यह फोटो संदीप मामा की है. संदीप के संबंध में पूछने पर प्रियंका ने बताया कि अनस हाशमी ही संदीप है. उस ने बच्चों को अनस हाशमी का नाम संदीप बताया था और कहा था कि यह तुम्हारे मामा है, अत: बच्चे उसे संदीप मामा कहते थे.

अनस हाशमी को गिरफ्तार करने के लिए अंकिता शर्मा ने एसीपी अभिषेक पांडेय की अगुवाई में एक पुलिस टीम का गठन किया. पुलिस टीम ने अनस हाशमी के कबीर नगर (मछरिया) स्थित किराए वाले कमरे पर पहुंची, लेकिन उस के कमरे पर ताला लटका मिला.

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पुलिस टीम जब वापस लौट रही थी तो फारुख अली गली के मोड़ पर पुलिस के मुखबिर ने जीप रुकवाई और बताया कि अनस हाशमी बरकती मसजिद में छिपा बैठा है. कुछ देर बाद वह अपने कमरे पर जाएगा.

मुखबिर की इस सूचना पर पुलिस टीम सतर्क हो गई. रात 12 बजे के आसपास अनस हाशमी जैसे ही मसजिद से बाहर निकला, पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया. उसे थाने लाया गया.

प्रेमियों के लिए मचलने वाली विवाहिता – भाग 3

जल्द ही रीना और सुरेंद्र ग्वालियर के शील नगर में लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. सुरेंद्र ने अपने मकान मालिक से रीना का परिचय पत्नी के रूप में करवाया. हालांकि इस फैसले को ले कर रीना को उस की एक सहेली ने काफी समझाया था कि वह गलत कर रही है. सुरेंद्र उस से 13 साल छोटा भी था. किंतु तब तक रीना पर सुरेंद्र के इश्क का भूत ठीक उसी तरह सवार हो चुका था, जिस तरह एक समय में वह कुणाल के इश्क की दीवानी बनी हुई थी.

रीना ने अपने नाबालिग बेटे दीपेश को भी ननिहाल से बुलवा लिया था. उसे सुरेंद्र पास की एक बेकरी में काम पर लगवा दिया था. वह दोपहर बेकरी पर जाता था और रात के 9 बजे सुरेंद्र उसे अपने साथ वापस कमरे पर ले आता था.

कुछ दिनों तक सुरेंद्र ने रीना को अच्छी तरह से रखा. बाद में वह एकएक पैसे के लिए मोहताज रहने लगी. अब उसे कुणाल को छोड़ कर सुरेंद्र की बातों में आने का पछतावा होने लगा था. कुछ दिनों से रीना फिर से कुणाल के संपर्क में आ गई. उन के पुराने रिश्ते फिर से रंग भरने लगे. एकदूसरे के साथ जीवन भर निर्वाह करने के कसमेवादे करने लगे. रीना चाहत थी कि वह कुणाल के पास फिर से रहने लगे.

प्रेमी क्यों बना कातिल?

18 फरवरी, 2023 की दोपहर एक बजे के करीब सुरेंद्र शिवमंदिर में पूजा अर्चना कर के लौटा तो बेडरूम में रीना को कुणाल के साथ हंस हंस कर बातें करते सुन लिया. यह देखते ही उस का खून खौल उठा. रीना की बेवफाई और बेरुखी ने सुरेंद्र के गुस्से को हवा दे दी.

वह रीना को गालियां देते हुए उस के साथ मारपीट करने लगा. इस पर रीना को भी गुस्सा आ गया. वह बोली, ”मैं तुझे छोड़ कर हमेशा के लिए अपने कुणाल के पास जा रही हूं.’’

रीना के मुंह से इतना सुनते ही सुरेंद्र भी गुस्से में बोल पड़ा, ”देखता हूं हरामजादी तू वहां कैसे जाती है.’’

रीना भी कहां चुप रहने वाली थी. वह सुरेंद्र के साथ बदतमीजी से पेश आने लगी. उसे गालियां देने लगी और  बोली, ”तो क्या तू मुझे जबरदस्ती जाने से रोकेगा, कान खोल कर सुन ले कि जहां मेरी मरजी होगी, मैं वहां जाऊंगी. जिस से मेरा मन मिलेगा, वहीं रहूंगी.’’

रीना का इतना कहना था कि सुरेंद्र ने उसे धमकी दी और बोला, ”रीना, जिद मत कर यही तेरे लिए बेहतर रहेगा. वरना मैं भी अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा हूं.’’

”कमीने शिवरात्रि के व्रत के दिन तूने मेरे साथ मारपीट की है. मैं अब किसी भी सूरत में तेरे पास एक भी पल के लिए नहीं रुकने वाली.’’

रीना भदौरिया की यह बात सुरेंद्र को बहुत ही बुरी लगी. उस ने उसे धक्का दे दिया. वह जमीन पर गिर पड़ी. इस बीच सुरेंद्र ने उस की साड़ी को उस के बदन से खींच कर गले में फंदा डाल दिया. वह तब तक साड़ी के फंदे को खींचता रहा,जब तक रीना बेसुध नहीं हो गई. उस के बाद सुरेंद्र मेला घूमने चला गया और रात के करीब 9 बजे उस के बेटे को ले कर कमरे पर आया.

वहां रीना को मृत अवस्था में देख कर परेशान होने का नाटक किया. फिर उस ने अपने एक दोस्त कालू के माध्यम से एंबुलेंस बुलाई. उस पर रीना की लाश रखवा कर उस के गांव इंगुरी भेज दी. साथ में उस के बेटे दीपेश को भी बिठा दिया. सुरेंद्र ने इस की जानकारी रीना के पति दशरथ भदौरिया को फोन पर दे दी

लाश को गांव पहुंचने से पहले ही कुछ दूरी पर एंबुलेंस से उतरवा दी. दीपेश वहां से भागता हुआ अपने पिता दशरथ के पास गया और मम्मी की मृत्यु की सूचना दी.

दशरथ घबराया हुआ लाश के पास पहुंच गया. उस ने जैसे ही रीना के कान से खून और गले पर किसी चीज से कसे जाने के निशान देखे तो उसे हत्या का शक हुआ. उस ने तुरंत पवई पुलिस को इस की सूचना दे दी. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच की तो मामला संदिग्ध नजर आया.

घटनास्थल ग्वालियर होने की वजह से पवई पुलिस ने रीना के शव को मृतका के परिजनों के साथ वापस ग्वालियर भेज दिया. मृतका के परिजन शव को ले कर ग्वालियर थाने पहुंचे तो पुलिस ने मामला दर्ज कर रीना का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

19 फरवरी, 2023 की सुबह ग्वालियर थाने के एसएचओ राजेंद्र परिहार की टीम ने सुरेंद्र धाकड़ को जलालपुर फिल्टर प्लांट से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. इस टीम में एसआई रमाकांत उपाध्याय, हेमेंद्र राजपूत, योगेंद्र मावई, एएसआई हरिराम नागर शामिल थे. पुलिस के सामने उस ने अपने जुर्म स्वीकार कर लिया.

पूछताछ के बाद सुरेंद्र धाकड़ को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

प्रेमिका की कब्र पर आम का पेड़

प्रेमियों के लिए मचलने वाली विवाहिता – भाग 2

दशरथ समझ नहीं पा रहा था कि आखिर रीना कहां गई होगी? वह कुणाल के साथ जब भी कहीं जाती थी, तब उसे इस बारे में बता जरूर बता देती थी.

आखिरकार दशरथ पत्नी एक फोटो ले कर पावई थाने गया. उस ने एसएचओ राजेंद्र सिंह परिहार को पूरी बात बताई और पत्नी की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. एसएचओ ने उसी वक्त से रीना की तलाश शुरू कर दी. मामला शादीशुदा महिला की गुमशुदगी का था, इसे देखते हुए पहले भदौरिया परिवार के सभी सदस्यों समेत रीना का मोबाइल नंबर ले कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स का अध्ययन करने के बाद पता चला कि रीना की बीते दिनों एक अनजान फोन नंबर पर अधिक समय तक बातचीत हुई. वह नंबर कुणाल पांडे का था. इस के बाद दशरथ समझ गया कि जरूर वह कुणाल के पास ही गई होगी.

यह जानकारी मिलते ही दशरथ आटो स्टैंड पर पहुंचा और वहां मौजूद आटो चालकों को जब रीना का फोटो दिखाया तो वहां मौजूद हरिओम नाम के ड्राइवर ने रीना को पहचान लिया. उस ने बताया कि वह महिला उस के आटो में बैठ कर बसस्टैंड तक गई थी, लेकिन वहां से वह कहां के लिए गई होगी, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

इस जानकारी के बाद दशरथ ने बस कंडक्टरों को रीना की फोटो दिखा कर पूछताछ की. उन्हीं में से ग्वालियर से बनमौर रूट पर चलने वाली एक बस के कंडक्टर ने बताया कि वह महिला बनमौर तक उस की बस में सवार हो कर गई थी.

दशरथ ने थाने जा कर एसएचओ को सारी बात बताई. पवई पुलिस ने बनमौर बसस्टैंड से संबंधित थाने को इस की सूचना और रीना का फोटो भेज कर वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जानकारी मांगी. जल्द ही एक फुटेज में रीना एक बाइक पर सवार दिख गई, जिसे एक नवयुवक ले जाता दिखाई दिया.

बाइक का नंबर और युवक का चेहरा भी दिख गया था. दशरथ ने उस की पहचान कुणाल के रूप में की. बाइक के नंबर की मदद से पुलिस दशरथ को ले कर कुणाल के पास पहुंच गई.

वहां कुणाल और रीना मिल गए. दशरथ ने रीना को साथ चलने के लिए कहा, लेकिन उस ने उस के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस दोनों को थाने ले आई. वहां उन से की गई पूछताछ में रीना ने बताया कि वह अपनी मरजी से कुणाल के साथ आई है और आगे भी उसी के साथ रहना चाहती है.

पति दशरथ भदौरिया के हाथ क्यों रह गए खाली

दशरथ ने उसे बच्चों का हवाला देते हुए साथ चलने की विनती की, लेकिन रीना अपनी जिद पर अड़ी रही. पुलिस ने कागजी काररवाई कर रीना और उस के प्रेमी को छोड़ दिया. दशरथ को इस मामले में अदालती काररवाई की सलाह दी. मायूस दशरथ अपने घर लौट आया.

दशरथ का दिल टूट गया और भारी मन से रीना को उस के प्रेमी के भरोसे छोड़ दिया. तीनों बच्चों को कुछ दिनों के लिए उन के ननिहाल भेज दिया.

रीना भदौरिया और कुणाल के लिए अच्छी बात यह हुई कि दशरथ के रूप में उन के प्यार की बाधा खत्म हो गई थी. कुणाल बनमौर में नौकरी करता था. उस ने अपनी आमदनी से रीना को खुशहाल जिंदगी देने का वादा किया, लेकिन उस ने विवाह की औपचारिकता पूरी नहीं की. न तो उस के साथ मंदिर में जा कर उस के गले में वरमाला डाली और न ही कोर्टमैरिज के लिए कोई पहल की. दोनों का दांपत्य जीवन लिवइन रिलेशन की बुनियाद पर टिक गया.

सब कुछ रीना की महत्त्वाकांक्षा के अनुरूप चलने लगा. रीना ने महसूस किया कि जैसे उसे खुशियों और आजादी के पंख लग गए हों. वह अपनी मनमरजी का जीवन गुजारने लगी थी. लेकिन कहते हैं न कि सुख की समय सीमा बहुत जल्द कम होने लगती है. ऐसा ही रीना के साथ भी हुआ.

कुणाल जब रोजीरोटी के लिए नौकरी और ड्यूटी को प्राथमिकता देने लगा, तब रीना ने कुछ अच्छा महसूस नहीं किया. उसे लगा कि जैसे उस की खुशियां कम हो रही हैं.

कुणाल के साथ रहते हुए उसे कई बार बोरियत भी महसूस होने लगी. कारण कुणाल सुबह 10 बजे खाना खा कर अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और रात 8 बजे कमरे पर लौटता था. रीना का घर पर अकेले मन नहीं लगता था. वह खुले विचारों वाली थी. घूमनाफिरना, होटल में खाना खाना, पार्क, मौल आदि में जाने की आदत लगी हुई थी. उस में कमी आने से वह उदास रहने लगी थी.

कुणाल अब छोटीछोटी बातों और घरेलू खर्च को ले कर रीना को जिम्मेदार ठहराने लगा था. रोजाना किसी न किसी बात को ले कर उन के बीच कहासुनी होने लगी थी.

घरेलू क्लेश से रीना दिन भर कमरे में अकेली पड़ी परेशान होती रहती थी. वह विचलित हो जाती थी कि आखिर अपनी पीड़ा किसे सुनाए. वहां कोई भी उस का हमदर्द नहीं था, जिसे अपने गम की बात सुनाए. दिल का दुखड़ा बताए. ऐसे में रीना को अपने लिए गए फैसले पर पछतावा होने लगा. अपने बच्चों और पति की याद भी उसे सताने लगी, लेकिन अब इतना सब हो जाने के बाद पति के पास वापस लौटना संभव नहीं था.

अपनी बदली हुई जिंदगी से निराश रीना की मुलाकात मार्केट में एक दिन सुरेंद्र धाकड़ नाम के युवक से हो गई. वह टैंपो चलाता था. उस की लच्छेदार और मीठी बातों ने रीना का मन मोह लिया था. अंत में रीना ने अपनी आदत के मुताबिक अपना नाम बताया और मोबाइल नंबर भी दे दिया. खुशमिजाज टैंपो वाले ने रीना का कुछ समय की यात्रा में ही दिल जीत लिया था.

कौन बना रीना का अगला प्रेमी

सुरेंद्र ठंडी हवा के झोंके की तरह रीना भदौरिया को छू कर चला गया था. उसे कई दिनों तक उस की बातें याद आती रहीं. एक रोज उस ने उसे फोन कर दिया. रीना उसे बसस्टैंड के मार्केट में आने के लिए बोली. सुरेंद्र तुरंत सौरी बोलता हुआ बोला, ”मैडम, मैं अभी ग्वालियर अपने कमरे पर हूं. आज में अपनी सेवा नहीं दे सकता. माफी चाहता हूं.’’

एक टैंपो चालक द्वारा इस तरह तमीज से बातें करना रीना के दिल को छू गया. 2 दिनों बाद सुरेंद्र एक बार फिर रीना को मार्केट में टकरा गया. कुछ घरेलू सामान के साथ रीना बाजार में सड़क के किनारे बैठी थी. वह खोई खोई थी. तभी सुरेंद्र ने अचानक उस के सामने टैंपो रोक दिया था. एक बार फिर उस रोज के लिए सौरी बोला और हालचाल पूछ बैठा.

रीना अचानक सुरेंद्र को देख कर चौंक पड़ी. कुछ बोलने से पहले ही सुरेंद्र बोला, ”देवी मंदिर चलना है मैडम! आज वहां मेला लगता है. चलिए वहां घुमा लाता हूं. ज्यादा किराया नहीं लूंगा. वैसे भी खाली जा रहा हूं.’’

रीना से जिस मंदिर के बारे में पूछा, संयोग से वह उस के घर के रास्ते में ही आगे कुछ दूरी पर था. तुरंत ही वह सुरेंद्र के साथ जाने के लिए तैयार हो गई.

उस दिन रीना ने महसूस किया कि उस के दिल की बात सुरेंद्र सुन सकता है. उस रोज नहीं चाहते हुए भी रीना मंदिर में कुछ समय सुरेंद्र के साथ रही. उस के साथ पूजा में हिस्सा लिया और पास के एक ढाबे में चायनाश्ता भी किया. यह सब सुरेंद्र को भी अच्छा लगा था.

रीना उस के साथ फोन पर भी बातें करने लगी. अपनी समस्याएं बताने लगी थी, जिस का सुरेंद्र दार्शनिक अंदाज में जवाब देने लगा था. एक दिन सुरेंद्र उसे ग्वालियर अपने कमरे पर ले गया. रीना के कदम पहले से ही बहके हुए थे.

उसे हमेशा महसूस होता था कि वह प्यार की भूखी है. थोड़ी सी हमदर्दी मिलते ही उस ओर मुड़ जाती थी. प्यार पाने की यही लालसा उसे कुणाल तक खींच लाई थी. जब कुणाल से जी ऊबने लगा, तब वह सुरेंद्र में अपना प्यार तलाशने लगी. एक मर्द से दूसरे मर्द की बाहों में जाने के बाद मिलने वाली उपेक्षा और असफलता का उसे कोई मलाल नहीं होता था.

इश्क के दरिया में पति को बहाया – भाग 3

पत्नी क्यों बनी पति की जान की दुश्मन

पुलिस ने स्कूल से बंटी का एड्रेस ले कर उस के गांव अडिंग में जा कर उसे तलाश किया गया तो मालूम हुआ कि बंटी कई दिनों से गांव में नहीं आया है. गांव में उस का पिता शोभाराम, बंटी की पत्नी और बच्चे रह रहे थे.

बंटी के बारे में शोभाराम ने बताया कि बंटी अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा घर में पत्नी को भेजता है, बाकी अपने खानेपीने के लिए रख लेता है. उसे अब अपनी बीवी और बच्चों से कोई मोह नहीं रह गया है. वह फरीदाबाद में ही किराए का कमरा ले कर रहता है. वहां पर कहां रहता है, यह उस ने कभी नहीं बताया.

इन बातों का अर्थ यह निकाला गया कि बंटी ने अपना घरपरिवार बबीता के साथ आशनाई में छोड़ दिया है. वह बबीता को प्यार करता है. दीपक कुमार ने बंटी के फरीदाबाद वाले किराए के घर को तलाश कर लिया, लेकिन बंटी उस घर में भी नहीं था. वह 2-3 दिन से उस घर में नहीं आया था.

बंटी अब पूरी तरह पुलिस के शक के दायरे में आ गया था. उस को पकडऩे के लिए एसीपी अमन यादव ने मुखबिर लगा दिए.

इस का नतीजा भी सार्थक निकला. 17 अगस्त, 2023 की सुबह उसे मथुरा के गांव बुढ़ैना स्थित चंदीला चौक से गिरफ्तार कर लिया गया. उसी दिन उसे कोर्ट में पेश कर के 25 अगस्त तक के लिए रिमांड पर ले लिया गया.

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क्राइम ब्रांच डीएलएफ के रिमांड रूम में बंटी को लाया गया तो एसीपी अमन यादव के तेवर देख कर वह कांपने लगा. एसीपी भांप गए कि यह बगैर सख्ती के अपना मुंह खोल देगा.

उसे अपने सामने बिठा कर उन्होंने उस के चेहरे पर नजरें जमा दीं, ”बंटी, तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा कि जो कुछ हम पूछें, तुम सहीसही उत्तर दोगे. यदि झूठ बोलने या बरगलाने की कोशिश करोगे तो तुम्हें उलटा लटका दिया जाएगा और फिर…’’

”म… मैं कुछ भी नहीं छिपाऊंगा साहब,’’ बंटी जल्दी से बोला, ”आप पूछिए, क्या पूछना है?’’

”राकेश तुम्हारे साथ ही स्कूल में नौकरी करता था, अब वह 15 दिन से लापता है. बताओ, वह कहां है..’’ अमन यादव ने पूछा.

”मैं ने उसे मार दिया है साहब.’’ बंटी ने रुआंसे स्वर में कहा.

”मार दिया क्यों?’’ पास बैठे प्रभारी दीपक कुमार ने चौंक कर पूछा, ”उस ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?’’

”कुछ भी नहीं साहब, वह तो सीधासादा आदमी था. गलती मेरी थी, मैं उस की पत्नी बबीता के साथ फंस गया. उस के रूपजाल ने मुझे ऐसा मोहित किया कि मैं अपने बीवी बच्चों तक को भूल गया. बबीता के कहने पर मैं ने राकेश की हत्या कर डाली. मुझ से बहुत बड़ा गुनाह हो गया साहब. मुझे माफ कर दो.’’ कहते कहते बंटी रोने लगा.

”तुम से अपने पति का खून करने के लिए बबीता ने कहा था?’’ प्रभारी दीपक कुमार ने पूछा.

”जी हां,’’ बंटी अपने आंसू पोंछते हुए बोला, ”साहब, परेशान हाल में काम की तलाश करने आई बबीता के यौवन पर फिदा हो कर मैं ने उसे स्कूल में चपरासी की पोस्ट पर लगवा दिया. बबीता दिलफेंक थी. वह जल्दी ही मेरी तरफ आकर्षित हो गई. मैं ने बहुत जल्दी बबीता को अपनी सेज पर सजा लिया.

”मेरे प्यार और जोश पर बबीता इस कदर फिदा हो गई कि उसे अपना पति बेकार लगने लगा. जबकि पहले उसी के कहने पर मैं ने स्कूल में राकेश को भी बस की कंडक्टरी का काम दिलवा दिया था. वह स्कूल में रोज आता था, लेकिन सुबह दोपहर में वह स्कूल बस के साथ बच्चों को लाने छोडऩे के लिए बाहर रहता था. इस बीच बबीता और मैं अपने दिल की मुरादें पूरी कर लेते थे.

”धीरेधीरे राकेश को हम पर शक होने लगा तो उस ने बबीता को मुझ से दूर करने की कोशिश की, लेकिन बबीता ने उस की परवाह नहीं की. वह मेरे नजदीक बनी रही. राकेश घर जा कर बबीता को उल्टीसीधी सुनाता. दोनों में क्लेश होता, लेकिन बबीता ने मेरा साथ नहीं छोड़ा.

”एक दिन बबीता ने मुझ से कहा कि मैं राकेश को रास्ते से हटा दूं, वह उस से रोज क्लेश करता है, गालियां देता है, अब हाथ भी उठाने लगा है. मैं ने बबीता की बात मान ली. राकेश का कांटा निकल जाने से बबीता मुझ से खुल कर अय्याशी करती, मैं उसे फरीदाबाद में पत्नी बना कर रखता.

”मैं ने एक योजना बनाई. 2 अगस्त, 2023 को मैं ने राकेश को शराब पीने की पार्टी दी, वह इस के लिए मान गया. मैं उसे शाम को ठेके पर ले गया.

”उसे दूर कर के मैं ने शराब की बोतल खरीदी और राकेश को ले कर आगरा कैनाल नहर के पास आ गया. वहां दूर तक सन्नाटा था. मैं ने शराब की बोतल खोली और राकेश को पैग बना कर दिया. मैं ने भी पैग बनाया.

”मैं धीरेधीरे अपना गिलास खाली करता, जबकि राकेश पानी की तरह शराब गटक रहा था. मैं ने उसे ज्यादा पिलाई. वह थोड़ी देर में नशे में झूमने लगा तो मौका देख कर मैं ने वहां पड़ी ईंट उठा कर उस के सिर पर वार कर दिया, वह चीख कर गिरा तो मैं ने उसे घसीट कर नहर में धकेल दिया.

”यह खबर मैं ने फोन द्वारा उसी रात बबीता को दे दी तो वह बहुत खुश हुई. फिर 3 अगस्त, 2023 को योजना के तहत उस ने थाना बीपीटीपी में अपने पति राकेश की गुमशुदगी की सूचना लिखवा दी.’’

कैसे बरामद हुई राकेश की लाश

बंटी के द्वारा राकेश की हत्या का जुर्म कुबूल कर लेने के बाद इस जुर्म में शामिल राकेश की पत्नी बबीता को क्राइम ब्रांच टीम ने खेड़ी कलां में उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

क्राइम ब्रांच के औफिस में अपने प्रेमी बंटी को सिर झुका कर बैठा देखते ही वह समझ गई कि पति की हत्या का भेद खुल गया है. इसलिए उस ने भी चुपचाप अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

बीपीटीपी थाने में दर्ज अपराध संख्या 200/ 23 पर भादंवि की धारा 302 लगा कर दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. फिर दोनों आरोपियों की निशानदेही पर राकेश की डैड बौडी की तलाश शुरू की गई.

19 अगस्त, 2023 को पलवल के गांव छज्जूपुर के पास आगरा कैनाल से एसडीआरएफ की टीम ने राकेश की लाश बरामद कर पाने में सफलता पा ली. पुख्ता सबूत हासिल करने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने हत्यारोपी बंटी और उस की प्रेमिका बबीता को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

बंटी और बबीता को अपने किए की सजा दिलवाने के लिए एसएचओ तैयारी में लग गए. राकेश की लाश उस के परिजनों को सौंप दी गई थी, जिन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित