लाल सूटकेस का खौफनाक रहस्य

तिरुपति भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में एक है. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति शहर में हर साल लाखों की तादाद में दर्शनार्थी आते हैं. समुद्र तल से करीब 3200 फीट की ऊंचाई पर तिरुमला की पहाडि़यों पर बना श्री वेंकटेश्वर मंदिर यहां का सब से बड़ा आकर्षण है.

कई शताब्दी पहले बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है. तिरुपति आने वाले हरेक श्रद्धालु की सब से बड़ी इच्छा श्री वेंकटेश्वर के दर्शन करने की होती है. इस के अलावा भी यहां कई अन्य मंदिर हैं.

इन मंदिरों में सामान्य दिनों में देशविदेश से रोजाना हजारोंलाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसलिए तिरुपति को दक्षिण भारत की सब से बड़ी धार्मिक नगरी भी कहा जाता है.

इसी धार्मिक नगरी में सब से बड़ा सरकारी अस्पताल है. इस का नाम श्री वेंकटा रमाना रुईया (एसवीआरआर) है. इस 23 जून, 2021 को अस्पताल के पिछवाड़े एक जला हुआ सूटकेस पड़ा होने की सूचना पुलिस को मिली.

सूचना पर तिरुपति के अलिपिरी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने उस बड़े से सूटकेस का मुआयना किया. सूटकेस जला हुआ था. उस में से किसी इंसान का जला हुआ शव नजर आ रहा था.

पुलिस ने सूटकेस से शव को निकलवाया. शव पूरी तरह जला हुआ था. कई जगह  से चमड़ी और मांस भी जल चुका था.  केवल हड्डियां बची हुई थीं. मामला बेहद गंभीर था.

अलिपिरी थाने की पुलिस ने अपने उच्चाधिकारियों को इस की सूचना दी. इस के बाद पुलिस के आला अफसर भी मौके पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने शव का मुआयना किया, लेकिन जला हुआ शव देख कर यह भी पता नहीं चल रहा था कि यह पुरुष का है या महिला का.

ऐसी हालत में शव की शिनाख्त होना तो दूर की बात थी. मौके से पुलिस को ऐसी कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली, जिस से मृतक या शव फेंकने वाले के बारे में कोई सुराग मिलता.

पुलिस अधिकारियों ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला से फोरैंसिक टीम बुलाई. फोरैंसिक वैज्ञानिकों ने कुछ साक्ष्य जुटाए. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए इसी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया गया.

डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद केवल इतना बताया कि शव किसी महिला का है और उस की उम्र 25 से 30 साल के बीच है. इस के बाद तिरुपति के अलिपिरी पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

डाक्टरों की रिपोर्ट से पुलिस को बहुत ज्यादा मदद नहीं मिली. पुलिस अधिकारी हैरान थे कि धार्मिक नगरी में ऐसा जघन्य कांड किस ने और क्यों किया? महिला का शव होने से अधिकारी इस बात पर विचार करने लगे कि कहीं यह कोई प्रेम प्रसंग का मामला तो नहीं है?

शव की शिनाख्त में जुटी पुलिस

सब से पहले यह पता करना जरूरी था कि शव किस का था? इस के लिए पुलिस अधिकारियों ने तिरुपति सहित चित्तूर जिले के सभी थानों और आसपास की पुलिस को सूचना दे कर यह पता कराया कि किसी महिला के लापता या गुमशुदा होने की कोई रिपोर्ट तो हाल ही दर्ज नहीं हुई है.

लगभग सभी थानों से पुलिस को न में ही जवाब मिला. 2-4 थानों से लापता महिलाओं की सूचना मिली, लेकिन वे उस उम्र के दायरे में नहीं आ रही थी.

पुलिस की कई टीमें मृतका की शिनाख्त करने और कातिल का पता लगाने की कोशिशों में जुटी हुई थीं, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था. 2-3 दिन बीत गए.

पुलिस के लिए यह मर्डर मिस्ट्री बन गई थी. यह तय था कि महिला की हत्या कर सोचीसमझी साजिश के तहत सूटकेस में रख कर शव जलाया गया है ताकि कोई सबूत नहीं बचे.

मतलब कातिल जो भी हो, वह शातिर दिमाग था. जांचपड़ताल में पुलिस अधिकारियों को खयाल आया कि सूटकेस में शव जलाया गया है तो यह भारीभरकम सूटकेस किसी वाहन में रख कर लाया गया होगा.

यह खयाल आते ही अधिकारियों ने एसवीआरआर अस्पताल परिसर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने का फैसला किया.

सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को पता चला कि एक व्यक्ति टैक्सी से भारीभरकम सूटकेस ले कर अस्पताल आया था. उस व्यक्ति के साथ डेढ़दो साल की एक छोटी बच्ची थी. टैक्सी से लाल रंग के उस ट्रौली सूटकेस को उतारने के बाद वह व्यक्ति उसे पहियों के सहारे खींचता हुआ अस्पताल के पिछवाड़े ले गया था.

कैमरे की ये फुटेज मिलने पर इस मर्डर मिस्ट्री में उम्मीद की कुछ किरण नजर आई. पुलिस के लिए उस व्यक्ति की तलाश करना ज्यादा मुश्किल काम था. इसलिए सब से पहले उस टैक्सी वाले का पता लगाया गया. 1-2 दिन की भागदौड़ के बाद पुलिस को वह टैक्सी वाला मिल गया.

पुलिस ने उस से पूछताछ की, तो पता चला कि 22 जून की रात एक व्यक्ति उस की टैक्सी में लाल रंग का ट्रौली वाला सूटकेस रख कर लाया था. सूटकेस भारीभरकम था. उसे खींचने में उसे जोर लगाना पड़ रहा था. उस व्यक्ति के साथ डेढ़दो साल की एक बच्ची भी थी.

अस्पताल में उस व्यक्ति ने टैक्सी से सूटकेस उतारा. बच्ची उस समय सो गई थी. इसलिए उस व्यक्ति ने टैक्सी वाले से कहा कि मुझे यह सूटकेस किसी को देना है. मैं कुछ देर में आता हूं. यह बच्ची सो गई है. इसलिए इसे टैक्सी में छोड़ जाता हूं.

टैक्सी ड्राइवर से मिला सुराग

उस व्यक्ति ने टैक्सी वाले को रुकने के एवज में और बच्ची का ध्यान रखने के लिए कुछ पैसे देने का वादा किया.

टैक्सी वाले ने पैसों के लालच में हामी भर दी. इस के बाद वह व्यक्ति पहियों के सहारे उस ट्रौली बैग को खींचते हुए ले गया.

करीब आधे घंटे बाद वह व्यक्ति वापस आया. तब तक बच्ची टैक्सी में सोती हुई ही मिली. यह देख कर उस ने टैक्सी वाले को धन्यवाद दिया और वापस चलने के लिए टैक्सी में सवार हो गया. टैक्सी वाला उस व्यक्ति को जहां से लाया था, उसी जगह वापस छोड़ आया.

उस व्यक्ति ने बच्ची को गोद में उठाया और टैक्सी से उतर कर किराए का हिसाब किया. इस के बाद वह व्यक्ति लंबेलंबे डग भरता हुआ तेजी से एक तरफ चला गया. उस व्यक्ति को जाता देख कर टैक्सी वाला भी वहां से चल दिया.

टैक्सी वाले से पुलिस को काफी कुछ सुराग मिल गया था. अब उस व्यक्ति का पताठिकाना तलाश करना बाकी था. टैक्सी वाले ने उस व्यक्ति को जिस जगह छोड़ा था, पुलिस ने उस के आसपास के इलाकों में लोगों को फोटो दिखा कर उस व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी.

इस काम में पुलिस की कई टीमें लगाई गईं. इस से परिणाम भी जल्दी ही सामने आ गए. पता चला कि उस व्यक्ति का नाम श्रीकांत रेड्डी था. यह भी पता चल गया कि सूटकेस में जिस महिला का जला हुआ शव मिला था, वह करीब 26-27 साल की उस की पत्नी भुवनेश्वरी थी.

पुलिस को अब श्रीकांत रेड्डी की तलाश थी. इस बीच भुवनेश्वरी की एक रिश्तेदार महिला पुलिस एसआई ममता ने अपने स्तर पर जुटाए कुछ सीसीटीवी फुटेज अलिपिरी थाना पुलिस को उपलब्ध करा दिए.

इन फुटेज से श्रीकांत के अपराधी होने की पुष्टि हो गई. पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर पता कर 30 जून को श्रीकांत रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया.

श्रीकांत से पुलिस की पूछताछ और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भुवनेश्वरी की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

श्रीकांत रेड्डी आंध्र प्रदेश के कडपा जिले के बडवेल का रहने वाला था और भुवनेश्वरी चित्तूर जिले के रामासमुद्रम गांव की रहने वाली थी. भुवनेश्वरी एक सौफ्टवेयर इंजीनियर थी. वह हैदराबाद शहर में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज में नौकरी करती थी. श्रीकांत भी टेक्नो इंजीनियर था. वह भी हैदराबाद की एक कंपनी में काम करता था.

एक ही प्रोफैशन में होने के कारण दोनों में पहले यारीदोस्ती हुई. यह दोस्ती बाद में प्यार में बदल गई. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. वर्ष 2019 के शुरू में उन्होंने शादी कर ली. दोनों हैदराबाद में रहते थे. पतिपत्नी दोनों इंजीनियर थे. वेतन भी ठीकठाक था. इसलिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी. भुवनेश्वरी भी खुश थी और श्रीकांत भी.

आपसी झगड़े में उड़नछू हो गया लव

दोनों की खुशियां तब और बढ़ गईं, जब 2019 के आखिर में उन के घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया. हालांकि पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा थे, लेकिन फिर भी बेटी के जन्म से उन की खुशियों की दुनिया और ज्यादा रंगीन हो गई.

बेटी 4 महीने की हुई थी कि देश में कोरोना की पहली लहर आ गई. इस पहली लहर में पिछले साल श्रीकांत की नौकरी छूट गई. कुछ दिन तो घर में ठीकठाक चलता रहा, लेकिन बाद में पतिपत्नी के बीच झगड़े होने लगे. झगड़े का कारण था कि श्रीकांत अपने तमाम तरह के खर्चे के पैसे भुवनेश्वरी से लेता था.

भुवनेश्वरी उसे पैसे तो दे देती, लेकिन वह उस से कोई कामधंधा भी करने को कहती थी. स्थितियां ऐसी रहीं कि श्रीकांत को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली.

वह पत्नी पर ही आश्रित रहने लगा. भुवनेश्वरी भी आखिर कब तक उसे शौक पूरे करने के लिए पैसे देती? नतीजतन घर में रोजाना किसी न किसी बात पर झगड़े होने लगे.

इस बीच, इस साल कोरोना की दूसरी लहर आ गई. छोटीबड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रौम होम शुरू करा दिया. भुवनेश्वरी भी घर से ही कंपनी का काम करने लगी. खर्चे कम करने के लिए इसी साल भुवनेश्वरी और श्रीकांत हैदराबाद से तिरुपति आ कर रहने लगे.

तिरुपति में दोनों पतिपत्नी अपनी सवाडेढ़ साल की बेटी के साथ एक अपार्टमेंट में रहते थे. तिरुपति आने के बाद भी श्रीकांत निठल्ला बना रहा. उस के निठल्लेपन के कारण घर में झगड़े बढ़ते जा रहे थे. पत्नी उसे कई बार पैसे देने से मना कर देती थी. इस से श्रीकांत चिढ़ जाता था.

पत्नी की पाबंदियों और रोज की रोकटोक से श्रीकांत के मन में उस के प्रति घृणा बढ़ती गई. लिहाजा उस ने भुवनेश्वरी को ठिकाने लगाने का फैसला किया.

गला दबा कर मारा था पत्नी को

22 जून, 2021 को भुवनेश्वरी जब अपने फ्लैट में सो रही थी तो श्रीकांत ने तकिए से गला दबा कर उसे मौत की नींद सुला दिया.

पत्नी की सांसें थमने के बाद वह उस का शव ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. काफी सोचविचार के बाद उस ने घर में रखा एक लाल रंग का बड़ा ट्रौली सूटकेस निकाला और उस में भुवनेश्वरी की लाश बंद कर दी.

वह अपनी डेढ़ साल की बेटी के बारे में सोचने लगा. वह उस मासूम को अकेला कहीं छोड़ कर भी नहीं जा सकता था और उस को मारना भी नहीं चाहता था.

शाम का धुंधलका होने पर श्रीकांत ने बेटी को गोद में उठाया और भुवनेश्वरी की लाश वाला ट्रौली सूटकेस बाहर निकाल कर फ्लैट में ताला लगाया. वह लिफ्ट के सहारे ट्रौली सूटकेस ले कर नीचे आया और गलियारे से हो कर अपार्टमेंट से बाहर निकल गया.

बाहर सड़क पर आ कर उस ने टैक्सी ली. उस में वह सूटकेस रखा. बेटी को गोद में लिए हुए वह टैक्सी से एसवीआरआर अस्पताल पहुंचा और टैक्सी वाले को रुकने को कह कर सूटकेस ले कर चला गया. मासूम बेटी को वह टैक्सी में ही सोते हुए छोड़ गया.

सूटकेस को धकेलता हुआ वह अस्पताल के पिछवाड़े ले गया. वहां अंधेरा और घासफूस थी. सूटकेस को एक कोने में ले जा कर उस ने उस पर अपने साथ लाया हुआ पैट्रोल छिड़क दिया और आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह छिप कर खड़ा हो गया और सूटकेस को जलता हुआ देखता रहा.

करीब आधे घंटे बाद जब उसे यह इत्मीनान हो गया कि अब पत्नी की लाश जल गई होगी और उस की पहचान नहीं हो सकेगी, तब वह वहां से चल दिया. टैक्सी के पास पहुंच कर उस ने पीछे की सीट पर सोई मासूम बेटी को संभाला. फिर उसी टैक्सी में सवार हो कर वापस उसी जगह उतर गया, जहां से सूटकेस ले कर बैठा था.

दूसरे दिन श्रीकांत ने अपने रिश्तेदारों को यह बता दिया कि भुवनेश्वरी कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित थी. इस से उस की मौत हो गई ओर कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल वालों ने ही उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

भुवनेश्वरी के पीहरवालों को हालांकि इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, लेकिन उन्होंने श्रीकांत की बात पर मजबूरी में विश्वास कर लिया. क्योंकि वे कोरोना के कहर को जानते थे. इस बीच श्रीकांत फ्लैट से फरार हो गया.

भुवनेश्वरी की एक रिश्तेदार ममता प्रशिक्षु सबइंसपेक्टर है. उसे भुवनेश्वरी की मौत का पता चला तो उसे भरोसा नहीं हुआ. चूंकि वह पुलिस अधिकारी थी, इसलिए उस ने अपने तरीके से इस की खोजबीन की और जिस अपार्टमेंट में वह रहता था, वहां की सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो सारे सबूत मिल गए.

तमाम सबूतों के आधार पर आरोपी श्रीकांत पकड़ा गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था.

इंजीनियर श्रीकांत ने अपने निठल्लेपन के कारण सौफ्टवेयर इंजीनियर पत्नी के खून से अपने हाथ तो रंग ही लिए. साथ ही डेढ़ साल की मासूम बेटी के सिर से ममता का आंचल भी छीन लिया.

मंदिर में बाहुबल-भाग 2 : पाठक परिवार की दबंगाई

हमलावरों के जाने के बाद कोतवाल आलोक दूबे ने निरीक्षण किया तो 2 लाशें घटनास्थल पर पड़ी थीं. एक लाश शिवकुमार चौबे के बेटे मंजुल चौबे की थी तथा दूसरी उस की चचेरी बहन सुधा की. घायलों में संजय चौबे, अंशुल चौबे, अंकुर शुक्ला तथा अजीत एडवोकेट थे. सभी घायलों को कानपुर के हैलट अस्पताल भेजा गया.

कोतवाल आलोक दूबे ने डबल मर्डर की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ ही देर बाद एसपी सुनीति, एएसपी कमलेश दीक्षित, सीओ (सिटी) सुरेंद्रनाथ यादव तथा डीएम अभिषेक सिंह भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा कोतवाल आलोक दूबे से जानकारी हासिल की. डीएम अभिषेक सिंह ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया जबकि एसपी सुनीति ने घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

चूंकि डबल मर्डर का यह मामला अति संवेदनशील था और कातिल रसूखदार थे. इसलिए एसपी सुश्री सुनीति ने घटना की जानकारी आईजी (कानपुर जोन) मोहित अग्रवाल तथा एडीजी जयनारायण सिंह को दी. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल पर आसपास के थानों की पुलिस फोर्स तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए तथा फिंगरप्रिंट लिए.

डबल मर्डर से चौबे परिवार में कोहराम मचा हुआ था. शिवकुमार चौबे उर्फ मुनुवा मंदिर परिसर में बेटे की लाश के पास गुमसुम बैठे थे. वहीं संजय भाई की लाश के पास  बैठा फूटफूट कर रो रहा था. आशीष चौबे भी अपनी बहन सुधा के पास विलाप कर रहा था. संजय चौबे व उन की बहन रागिनी एसपी सुश्री सुनीति के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि हमलावरों को जल्दी गिरफ्तार करो वरना वे लोग इस से भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं.

एसपी सुनीति मृतकों के घर वालों को हमलावरों की गिरफ्तारी का भरोसा दे ही रही थीं कि सूचना पा कर एडीजी जयनारायण सिंह तथा आईजी मोहित अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंच गए.

अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर एसपी सुनीति ने घटना के संबंध में जानकारी ली. पुलिस अधिकारी इस बात से आश्चर्यचकित थे कि पुलिस की मौजूदगी में फायरिंग हुई और 2 हत्याएं हो गईं. उन्होंने सहज ही अंदाजा लगा लिया कि हमलावर कितने दबंग थे.

आईजी मोहित अग्रवाल ने घटनास्थल पर मौजूद मृतकों के घर वालों से बात की. शिवकुमार उर्फ मुनुवा चौबे ने बताया कि बाहुबली कमलेश पाठक मंदिर की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करना चाहता था. जबकि उन का परिवार व मोहल्ले के लोग विरोध कर रहे थे. पुजारी की मौत के बाद वह मंदिर की चाबी मांगने आए थे. इसी पर उन से विवाद हुआ और पुलिस की मौजूदगी में कमलेश पाठक, उन के भाइयों तथा सहयोगियों ने फायरिंग शुरू कर दी.

मुनुवा चौबे ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस चाहती तो फायरिंग रोकी जा सकती थी. लेकिन शहर कोतवाल आलोक दूबे एमएलसी कमलेश पाठक के दबाव में थे. इसलिए उन्होंने न तो हमलावरों को चेतावनी दी और न ही उन के हथियार छीनने की कोशिश की. शिवकुमार उर्फ मुनुवा चौबे का आरोप सत्य था, अत: आईजी मोहित अग्रवाल ने एसपी सुनीति को आदेश दिया कि वह दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करें.

आदेश पाते ही सुनीति ने कोतवाल आलोक दूबे तथा चौकी इंचार्ज नीरज त्रिपाठी को निलंबित कर दिया. इस के बाद जरूरी काररवाई पूरी कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. बवाल की आशंका को भांपते हुए पुलिस ने रात में ही पोस्टमार्टम कराने का निश्चय किया. इसी के मद्देनजर पोस्टमार्टम हाउस में भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी.

इस दुस्साहसिक घटना को आईजी मोहित अग्रवाल तथा एडीजी जयनारायण सिंह ने बेहद गंभीरता से लिया था. दोनों पुलिस अधिकारियों ने औरैया कोतवाली में डेरा डाल दिया. हमलावरों को ले कर औरैया शहर में दहशत का माहौल था और मृतकों के घर वाले भी डरे हुए थे.

दहशत कम करने तथा मृतकों के घर वालों को सुरक्षा देने के लिए पुलिस अधिकारियों ने पुलिस का सख्त पहरा लगा दिया. एक कंपनी पीएसी तथा 4 थानाप्रभारियों को प्रमुख मार्गों पर तैनात किया गया. इस के अलावा 22 एसआई व 48 हेडकांस्टेबलों को हर संदिग्ध व्यक्ति पर निगाह रखने का काम सौंपा गया. घर वालों की सुरक्षा के लिए 3 एसआई और आधा दरजन पुलिसकर्मियों को लगाया गया.

तब तक रात के 10 बज चुके थे. तभी एसपी सुनीति की नजर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 2 वीडियो पर पड़ी. वायरल हो रहे वीडियो संघर्ष के दौरान हो रही फायरिंग के थे, जिसे किसी ने मोबाइल से बनाया था. एक वीडियो में एमएलसी का गनर अवनीश प्रताप सिंह एक युवक की छाती पर सवार था और पीछे खड़ा युवक उसे डंडे से पीटता दिख रहा था.

उसी जगह कमलेश पाठक गनर की कार्बाइन थामे खड़े दिख रहे थे. दूसरे वायरल हो रहे वीडियो में कमलेश पाठक के भाई संतोष पाठक व अन्य फायरिंग करते नजर आ रहे थे. वीडियो देख कर एसपी सुनीति ने गनर अवनीश प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया. साथ ही साक्ष्य के तौर पर दोनों वीडियो को सुरक्षित कर लिया.

पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर औरैया कोतवाली में हमलावरों के खिलाफ 3 अलगअलग मुकदमे दर्ज किए गए. पहला मुकदमा मृतका सुधा के भाई आशीष चौबे की तहरीर पर भादंवि की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 504, 506 के तहत दर्ज किया गया.

इस मुकदमे में एमएलसी कमलेश पाठक, उन के भाई संतोष पाठक, रामू पाठक, रिश्तेदार विकल्प अवस्थी, कुलदीप अवस्थी, शुभम अवस्थी, ड्राइवर लवकुश उर्फ छोटू, गनर अवनीश प्रताप सिंह, कथावाचक राजेश शुक्ला तथा 2 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया. दूसरी रिपोर्ट चौकी इंचार्ज नीरज त्रिपाठी ने उपरोक्त 9 नामजद तथा 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराई. उन की यह रिपोर्ट 7 क्रिमिनल ला अमेडमेंट एक्ट की धाराओं में दर्ज की गई. आरोपियों के खिलाफ तीसरी रिपोर्ट आर्म्स एक्ट की धाराओं में दर्ज की गई.

आईजी मोहित अग्रवाल व एडीजी जयनारायण सिंह ने नामजद अभियुक्तों को पकड़ने के लिए एसपी सुनीति, एएसपी कमलेश दीक्षित तथा सीओ (सिटी) सुरेंद्रनाथ यादव की अगुवाई में 3 टीमें बनाईं. इन टीमों में तेजतर्रार इंसपेक्टर, दरोगा व कांस्टेबलों को शामिल किया गया. सहयोग के लिए एसओजी तथा क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगाया गया. हत्यारोपी बाहुबली एमएलसी कमलेश पाठक औरैया शहर के मोहल्ला बनारसीदास में रहते थे, जबकि उन के भाई संतोष पाठक व रामू पाठक पैतृक गांव भड़ारीपुर में रहते थे जो औरैया से चंद किलोमीटर दूर था.

मंदिर में बाहुबल-भाग 1 : पाठक परिवार की दबंगई

उत्तर प्रदेश के औरैया शहर के मोहल्ला नारायणपुर में 15 मार्च, 2020 को सुबहसुबह खबर फैली कि पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी वीरेंद्र स्वरूप पाठक ब्रह्मलीन हो गए हैं. जिस ने भी यह खबर सुनी, पुजारी के अंतिम दर्शन के लिए चल पड़ा.

देखते ही देखते उन के घर पर भीड़ बढ़ गई. चूंकि पंचमुखी हनुमान मंदिर की देखरेख एमएलसी कमलेश पाठक करते थे और उन्होंने ही अपने रिश्तेदार वीरेंद्र स्वरूप को मंदिर का पुजारी नियुक्त किया था, अत: पुजारी के निधन की खबर सुन कर वह भी लावलश्कर के साथ नारायणपुर पहुंच गए. उन के भाई रामू पाठक और संतोष पाठक भी आ गए.

अंतिम दर्शन के बाद एमएलसी कमलेश पाठक और उन के भाइयों ने मोहल्ले वालों के सामने प्रस्ताव रखा कि पुजारी वीरेंद्र स्वरूप पाठक इस मंदिर के पुजारी थे, इसलिए इन की भू समाधि मंदिर परिसर में ही बना दी जाए.

यह प्रस्ताव सुनते ही मोहल्ले के लोग अवाक रह गए और आपस में खुसरफुसर करने लगे. चूंकि कमलेश पाठक बाहुबली पूर्व विधायक, दरजा प्राप्त राज्यमंत्री और वर्तमान में वह समाजवादी पार्टी से एमएलसी थे. औरैया ही नहीं, आसपास के जिलों में भी उन की तूती बोलती थी, सो उन के प्रस्ताव पर कोई भी विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सका.

नारायणपुर मोहल्ले में ही शिवकुमार चौबे उर्फ मुनुवा चौबे रहते थे. उन का मकान मंदिर के पास था. कमलेश पाठक व मुनुवा चौबे में खूब पटती थी, सो मंदिर की चाबी उन्हीं के पास रहती थी. पुजारी उन्हीं से चाबी ले कर मंदिर खोलते व बंद करते थे.

मोहल्ले के लोगों ने भले ही भय से मंदिर परिसर में पुजारी की समाधि का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था किंतु शिवकुमार उर्फ मुनुवा चौबे व उन के अधिवक्ता बेटे मंजुल चौबे को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था. मंजुल भी दबंग था, मोहल्ले में उस की भी हनक थी.

दरअसल, पंचमुखी हनुमान मंदिर की एक एकड़ बेशकीमती जमीन बाजार से सटी हुई थी. शिवकुमार चौबे व उन के बेटे मंजुल चौबे को लगा कि कमलेश पाठक दबंगई दिखा कर पुजारी की समाधि के बहाने जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. चूंकि इस कीमती भूमि पर मुनुवा व उन के वकील बेटे मंजुल चौबे की भी नजर थी, सो उन्होंने भू समाधि का विरोध किया.

मंजुल चौबे को जब मोहल्ले वालों का सहयोग भी मिल गया तो कमलेश पाठक ने विरोध के कारण भू समाधि का विचार त्याग दिया. इस के बाद उन्होंने धूमधाम से पुजारी वीरेंद्र स्वरूप पाठक की शवयात्रा निकाली और यमुना नदी के शेरगढ़ घाट पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया.

शाम 3 बजे अंतिम संस्कार के बाद कमलेश पाठक वापस मंदिर परिसर आ गए. उस समय उन के साथ भाई रामू पाठक, संतोष पाठक, ड्राइवर लवकुश उर्फ छोटू, सरकारी गनर अवनीश प्रताप, कथावाचक राजेश शुक्ल तथा रिश्तेदार आशीष दुबे, कुलदीप अवस्थी, विकास अवस्थी, शुभम अवस्थी और कुछ अन्य लोग थे. इन में से अधिकांश के पास बंदूक और राइफल आदि हथियार थे. कमलेश पाठक ने मंदिर परिसर में पंचायत शुरू कर दी और शिवकुमार उर्फ मुनुवा चौबे को पंचायत में बुलाया.

मुनुवा चौबे का दबंग बेटा मंजुल चौबे उस समय घर पर नहीं था. अत: वह बड़े बेटे संजय के साथ पंचायत में आ गए. पंचायत में दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. बातचीत के दौरान कमलेश पाठक ने मुनुवा चौबे से मंदिर की चाबी देने को कहा, लेकिन मुनुवा ने यह कह कर चाबी देने से इनकार कर दिया कि अभी तक मंदिर में तुम्हारा पुजारी नियुक्त था. अब वह मोहल्ले का पुजारी नियुक्त करेंगे और मंदिर की व्यवस्था भी स्वयं देखेंगे.

मुनुवा चौबे की बात सुन कर एमएलसी कमलेश पाठक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. दोनों के बीच विवाद होने लगा. इसी विवाद में कमलेश पाठक ने मुनुवा चौबे के गाल पर तमाचा जड़ दिया. मुनुवा का बड़ा बेटा संजय बीचबचाव में आया तो कमलेश ने उसे भी पीट दिया. मार खा कर बापबेटा घर चले गए. इसी बीच कुछ पत्रकार भी आ गए.

मंदिर परिसर में विवाद की जानकारी हुई, तो नारायणपुर चौकी के इंचार्ज नीरज त्रिपाठी भी आ गए. थानाप्रभारी एमएलसी कमलेश पाठक की दबंगई से वाकिफ थे, सो उन्होंने विवाद की सूचना औरैया कोतवाल आलोक दूबे को दे दी. सूचना पाते ही आलोक दूबे 10-12 पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर परिसर में आ गए और कमलेश पाठक से विवाद के संबंध में आमनेसामने बैठ कर बात करने लगे.

उधर अधिवक्ता मंजुल चौबे को कमलेश पाठक द्वारा पिता और भाई को बेइज्जत करने की बात पता चली तो उस का खून खौल उठा. उस ने अपने समर्थकों को बुलाया फिर भाई संजय,चचेरे भाई आशीष तथा चचेरी बहन सुधा को साथ लिया और मंदिर परिसर पहुंच गया. पुलिस की मौजूदगी में कमलेश पाठक और मंजुल चौबे के बीच तीखी बहस होने लगी.

इसी बीच मंजुल चौबे के समर्थकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. एक पत्थर एमएलसी कमलेश पाठक के पैर में आ कर लगा और वह घायल हो गए. कमलेश पाठक के पैर से खून निकलता देख कर उन के भाई रामू पाठक, संतोष पाठक का खून खौल उठा.

उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में फायरिंग शुरू कर दी. उन के अन्य समर्थक भी फायरिंग करने लगे. कमलेश पाठक का सरकारी गनर अवनीश प्रताप व ड्राइवर छोटू भी मारपीट व फायरिंग करने लगे. संतोष पाठक की ताबड़तोड़ फायरिंग में एक गोली मंजुल की चचेरी बहन सुधा के सीने में लगी और वह जमीन पर गिर कर छटपटाने लगी. चंद मिनटों बाद ही सुधा ने दम तोड़ दिया.

चचेरी बहन सुधा को खून से लथपथ पड़ा देखा तो मंजुल चौबे उस की ओर लपका. लेकिन वह सुधा तक पहुंच पाता, उस के पहले ही एक गोली उस के माथे को भेदती हुई आरपार हो गई. मंजुल भी धराशाई हो गया. फायरिंग में मंजुल गुट के कई समर्थक भी घायल हो गए थे और जमीन पर पड़े तड़प रहे थे. फिल्मी स्टाइल में हुई ताबड़तोड़ फायरिंग से इतनी दहशत फैल गई कि पुलिसकर्मी अपनी जान बचाने को भाग खड़े हुए. मीडियाकर्मी भी जान बचा कर भागे. जबकि तमाशबीन घरों में दुबक गए. खूनी संघर्ष के बाद एमएलसी कमलेश पाठक अपने भाई रामू, संतोष तथा अन्य समर्थकों के साथ फरार हो गए.

खूनी संघर्ष के दौरान घटनास्थल पर कोतवाल आलोक दूबे तथा चौकी इंचार्ज नीरज त्रिपाठी मय पुलिस फोर्स के मौजूद थे. लेकिन पुलिस नेअपने हाथ नहीं खोले और न ही किसी को चेतावनी दी.

ऊधमसिंह नगर में धंधा पुराना लेकिन तरीके नए : भाग 2

इस सूचना के आधार पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी ने सीओ अमित कुमार के साथ मीटिंग कर इस अपराध को जड़ से मिटाने का निर्णय लिया. इस की जानकारी एसएसपी दलीप सिंह को दे कर अनुमति मांगी गई. अनुमति मिलते ही अमित कुमार ने ठोस कदम उठाए. उस योजना को अंजाम देने के लिए पुलिस ने नगर में चल रहे स्पा सेंटरों पर मुखबिरों का जाल बिछा दिया. पुलिस को जहां से भी जानकारी मिलती, वहां तुरंत छापेमारी की जाने लगी.

इस सिलसिले में मैट्रोपोलिस सिटी बिग बाजार स्थित सेवेन स्काई स्पा सेंटर में कुछ संदिग्ध युवकयुवतियां दबोचे गए. एक कमरे के केबिन से 2 युवकों को 3 युवतियों के साथ, जबकि दूसरे कमरे में बने केबिनों में 2-2 युवकयुवतियां मसाज में तल्लीन पकड़े जाने पर दबोचा गया. सभी अर्धनग्नावस्था में थे.

सेंटर की गहन छानबीन में प्रयोग किए गए और नए महंगे कंडोम बरामद हुए. रिसैप्शन काउंटर से भी कंडोम बरामद किए गए.

कस्टमर एंट्री रजिस्टर से पुलिस को ग्राहकों के एंट्री की तारीख और समय का पता चला. सेंटर की संचालिका सोनू थी. उस ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि स्पा सेंटर का मालिक हरमिंदर सिंह हैं, उन के निर्देश पर ही सेंटर में सब कुछ होता रहा है. सेंटर से बरामद 5 युवतियों ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ग्राहक के साथ हमबिस्तर होने पर 500 रुपए मिलते थे.

इस मामले को पंतनगर थाने में दर्ज किया गया. गिरफ्तार युवकयुवतियों और सेंटर के मालिक हरमिंदर सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिख ली गई. बिलासपुर जिला रामपुर निवासी हरमिंदर सिंह फरार था. पुलिस उस की तलाश में लगा दी गई थी. इसी तरह ऊधमसिंह नगर में चल रहे स्पा सेंटर पर भी 13 अगस्त को छापेमारी की गई.

उस के बाद वहां बसंती आर्या ने सभी स्पा सेंटरों व होटल मालिकों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए.

उन से कहा गया कि सभी ठहरने वाले ग्राहकों के आईडी की फोटो कौपी रखें और उन के नाम व पते रिसैप्शन सेंटर पर जरूर दर्ज करें. साथ ही होटल में सभी जगह पर सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में रखने अनिवार्य कर दिए गए.

कहते हैं, जहां चाह वहां राह, तो इस धंधे को स्मार्टफोन से नई राह मिल गई है. देह व्यापार में लिप्त काशीपुर की सैक्स वर्करों ने स्मार्टफोन को ग्राहक तलाशने का जरिया बना लिया है. पुरुष भी धंधेबाज औरतों की तलाश आसानी से करने लगे हैं.

देह व्यापार में लिप्त महिलाएं मोबाइल पर चंद अश्लील बातें कर अपने ग्राहकों को फंसा लेती हैं. पैसे का लेनदेन भी उसी के जरिए हो जाता है.

वाट्सऐप और वीडियो कालिंग तो इस धंधे के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस पर वे अपनी अश्लील फोटो या वीडियो भेज कर उन को लुभा लेती हैं.

फिर वह ग्राहक की सुविधानुसार कुछ समय के लिए किराए पर ले रखे कमरे पर ही उसे बुला लेती हैं या उस के बताए ठिकाने पर पहुंच जाती हैं.

जो महिलाएं कल तक मंडी से जुड़ी हुई थीं, वे अब इसी तरीके से अपना धंधा चला रही हैं, यही उन की रोजीरोटी का साधन बन चुका है.

जांच में यह भी पता चला कि काशीपुर में कुछ ऐसी बस्तियां हैं, जहां पर कई औरतें अपना धंधा चला कर मोटी कमाई कर रही हैं. उन में कुछ औरतें अधेड़ उम्र की हैं, वे  नई लड़कियों के लिए ग्राहक ढूंढने के साथसाथ उन की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाती हैं. ऐसी औरतें ही किराए का मकान या कमरा ले कर रखती हैं. उन में वह खुद रहती हैं.

किसी ग्राहक की मांग आते ही वह उन से सौदा तय कर आगे के काम में लग जाती हैं. उन्हें थोड़े समय के लिए अपना घर उपलब्ध करवा देती हैं.

ग्राहक को 15 मिनट से ले कर आधे घंटे तक का समय मिलता है. इसी समय के लिए 300 से 500 रुपए वसूले जाते हैं.  इस आय में आधा हिस्सा लड़की को मिलता है. कभीकभी लड़की को ज्यादा भी मिलता है.

यह ग्राहक की संतुष्टि और उस से मिलने वाले अतिरिक्त बख्शीश पर निर्भर करता है. इस गिरोह में घरेलू किस्म की औरतें, स्टूडेंट या पति से प्रताडि़त या उपेक्षित सफेदपोश संभ्रांत किस्म की महिलाएं शामिल होती हैं, जिन के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता कि उस पर भी गंदे धंधे के दाग लगे हुए हैं. उन की पब्लिसिटी पोर्न वेबसाइटों के जरिए भी होती रहती है.

इस तरह के देह व्यापार का धंधा काशीपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में अपने पैर पसारता जा रहा है. बताते हैं कि यहां लड़कियां तस्करी के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन में अधिकतर मजबूर महिलाएं और युवतियां ही होती हैं.

इसी साल जुलाई माह की भी ऐसी एक घटना 21 तारीख को रुद्रपुर में सामने आई. एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के प्रभारी को ट्रांजिट कैंप गंगापुर रोड के पास मोदी मैदान में खड़ी एक संदिग्ध कार के बारे में सूचना मिली. मुखबिर ने एक कार यूके06एए3844 में कुछ पुरुष और महिलाओं के द्वारा अश्लील हरकतें करने की जानकारी दी.

इस सूचना पर काररवाई करते हुए इंसपेक्टर बसंती आर्या अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचीं. अपनी टीम के साथ चारों तरफ से कार को घेरते हुए उस कार से 3 लोगों को पकड़ा गया. उन में एक आदमी और 2 औरतें थीं.

जब वे पकड़े गए, तब उन की हरकतें बेहद आपत्तिजनक थीं. तीनों को अपनी कस्टडी में ले कर पूछताछ के लिए थाने लाया गया.

आदमी की पहचान उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के बहेड़ी थाना के रहने वाले 29 वर्षीय भगवान दास उर्फ अर्जुन के रूप में हुई. महिला की पहचान 32 वर्षीया भारती के रूप में हुई.

उस ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के अंतर्गत दिनकरी की रहने वाली है, लेकिन अब वह ऊधमसिंह नगर जिला में  सिडकुल ढाल ट्रांजिट कैंप में रहती है.

सिंघम चाची : क्यों गवांनी पड़ी अपनी जान

घटना मध्य प्रदेश के भोपाल जिले की है. शाम के 7 साढ़े 7 का समय था. भोपाल के चूना भट्ठी थाने की ट्रेनी एसडीपीओ रिचा जैन अपने चैंबर में किसी केस की फाइल देख रही थीं, तभी उन्हें कोलार सोसायटी में किसी महिला का कत्ल कर दिए जाने की सूचना मिली.

महिला की हत्या का मामला गंभीर होने से एसडीपीओ रिचा जैन सीएसपी भूपेंद्र सिंह को ले कर तुरंत मौके पर पहुंच गईं. कोलार सोसायटी की एक संकरी गली में लगभग 45-50 साल की एक महिला का खून से सना शव पड़ा हुआ था. उक्त महिला के कपड़े और पहने हुए जेवरों से साफ लग रहा था कि महिला का संबंध किसी अच्छे परिवार से है.

महिला के जेवर देख कर एसडीपीओ जैन ने अंदाजा लगाया कि हत्या लूट की गरज से नहीं की गई है. वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतका का नाम राधा यादव है, जो करोद क्षेत्र की रहने वाली है.

यह जानकारी भी मिली कि राधा ने कोलार कालोनी की गरीब बस्ती में रहने वाले सैकड़ों लोगों को कर्ज दे रखा था, वह अपने कर्ज व ब्याज की वसूली के लिए अकसर वहां आतीजाती रहती थीं.

सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने अनुमान लगा लिया कि राधा के कत्ल के पीछे लेनदेन का मामला हो सकता है. यह बात 18 मार्च, 2020 की है.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद एसडीपीओ ने एक टीम को कालोनी में रहने वाले राधा के कर्जदारों की सूची बनाने के काम में लगा दिया. जिस से अगले ही दिन यह बात सामने आई कि लगभग पूरी बस्ती राधा की कर्जदार थी.

राधा यादव ने यहां 20 लाख रुपए से अधिक की रकम ब्याज पर दे रखी थी. साथ ही यह भी पता चला कि राधा काफी दबंग किस्म की महिला थी. वह अपना पैसा वसूलने के लिए कर्जदार की सार्वजनिक बेइज्जती करने से भी पीछे नहीं रहती थी, जबकि अधिकांश लोगों का कहना था कि कितना भी चुकाओ मगर राधा का कर्ज बढ़ता ही जाता था.

इन बातों के सामने आने से यह बात लगभग तय हो गई थी कि राधा की हत्या लेनदेन के विवाद में ही हुई थी, इसलिए राधा के मोबाइल फोन के रिकौर्ड के आधार पर पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ शुरू कर दी, जिन्होंने घटना वाले दिन राधा से फोन पर बात की थी.

लेकिन इस से पुलिस के सामने कोई खास जानकारी नहीं आई. हां, यह जरूर पता चला कि राधा की हत्या में 2 युवक शामिल थे, जो घटना के बाद अलगअलग दिशा में भागे थे. इन में से एक बदमाश का स्थानीय लोगों ने पीछा भी किया था, मगर वह चारइमली की तरफ भागते समय एकांत पार्क के पास बहने वाले नाले में कूद कर फरार हो गया था.

पुलिस की जांच चल ही रही थी कि इसी बीच 21 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू लगा दिया गया. जबकि लौकडाउन से ठीक पहले 23 मार्च को कबाड़ का व्यापार करने वाले एक व्यक्ति ने हबीबगंज पुलिस को एकांत पार्क के पास नाले में लाश पड़ी होने की खबर दी.

एकांत पार्क के पास बहने वाला नाला चूना भट्ठी और हबीबगंज थाने की सीमा को बांटता है. ऐसे में हबीबगंज पुलिस ने जा कर नाले से लाश बरामद की, जिस के पास एक मोबाइल फोन भी मिला. लाश कीचड़ में सनी हुई थी और वह लगभग सड़ने की स्थिति में आ चुकी थी. इसलिए जब पुलिस ने उस के मोबाइल में पड़ी सिम के आधार पर पहचान करने की कोशिश की तो उस की पहचान अभिषेक के रूप में हो गई.

बाबानगर शाहपुरा का रहने वाला अभिषेक हिस्ट्रीशीटर था, इसलिए पुलिस को लगा कि उस की हत्या की गई होगी. शव की कलाई पर धारदार हथियार की चोट के निशान भी थे. साथ ही जहां लाश मिली थी, वहां नाले की दीवार के पास चूनाभट्ठी थाने की सीमा में खून भी गिरा मिला था.

इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि नाले में अभिषेक चूनाभट्ठी की तरफ से गिरा है. इसलिए जब चूनाभट्ठी थाने से संपर्क किया गया तो एसडीपीओ रिचा जैन को 18 मार्च की वह घटना याद आ गई, जिस में लोगों ने बताया था कि राधा यादव का एक हत्यारा पीछा कर रही भीड़ से बचने के लिए नाले में कूद गया था.

कहीं अभिषेक कौशल ही तो राधा का हत्यारा नहीं, सोच कर सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने नाले के पास मिले खून के नमूनों को घटनास्थल के पास गली में मिले खून से मिलान के लिए भेज दिया. जिस में पता चला कि गली में मिला खून और नाले के पास गिरा खून एक ही व्यक्ति का था.

इस से साफ हो गया कि 18 मार्च की रात राधा यादव की हत्या कर फरार होने के लिए नाले में कूदने वाला बदमाश कोई और नहीं, बल्कि अभिषेक ही था जो दलदल में फंस कर मर गया था. इसलिए पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल की कालडिटेल्स निकाली, जिस में पता चला कि घटना वाले दिन कोलार कालोनी निवासी अजय निरगुडे से उस की कई बार बात हुई थी.

यही नहीं, घटना के समय अजय और अभिषेक दोनों के फोन की लोकेशन भी एक साथ उसी स्थान की थी, जहां राधा यादव का कत्ल हुआ था.

अजय की तलाश की गई तो पता चला कि अजय 18 मार्च, 2020 से लापता है. 18 मार्च को ही राधा की हत्या हुई थी. इस से पुलिस को पूरा भरोसा हो गया कि अजय ही अभिषेक के साथ राधा की हत्या में शामिल था.

चूंकि घटना के 4 दिन बाद से ही देश में लौकडाउन लग गया था, इस से पुलिस का काम थोड़ा मुश्किल हो गया. लेकिन एसपी (साउथ) साई कृष्णा के निर्देश पर चूनाभट्ठी पुलिस दूसरी जिम्मेदारियों के साथ अजय की तलाश में जुटी रही.

क्योंकि उसे भरोसा था कि जब तक नाले में अभिषेक की लाश बरामद नहीं हुई थी, तब तक अजय ने भोपाल से भागने की कोई जरूरत नहीं समझी होगी. फिर अभिषेक की लाश मिलने के साथ ही देश में ट्रेन बस सब बंद हो गई थीं, इसलिए अजय कहीं बाहर नहीं गया होगा, वह भोपाल के आसपास ही कहीं छिपा होगा.

उस का पता लगाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों को भी लगा दिया. इस कवायद का नतीजा यह निकला कि 7 मई, 2020 को पुलिस को खबर मिली कि अजय ईदगाह हिल्स पर अपनी ससुराल पक्ष के एक रिश्तेदार के घर पर छिपा है.

पुलिस टीम ने वहां छापा मार कर सो रहे अजय को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अजय पहले तो इस मामले में कुछ भी जानने से इनकार करता रहा लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो उस ने सुपारी ले कर राधा की हत्या करने की बात कबूल कर ली. उस ने बताया कि 4 महिलाओं रेखा हरियाले, सुनीता प्रजापति, गुलाबबाई प्रजापति और सुलोचना ने राधा की हत्या के लिए उसे एक लाख 80 हजार रुपए की सुपारी देने के साथ 20 हजार रुपए एडवांस में भी दिए थे.

उस ने बताया कि कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करने वाला ताराचंद मेहरा और उस का भतीजा मनोज भी शामिल था, सो पुलिस ने उसी दिन छापा मार कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया. हत्या की सुपारी देने वाली रेखा हरियाले, सुनीता प्रजापति, गुलाब बाई और सुलोचना भी पकड़ी गईं. जिस के बाद राधा हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई.

पंचवटी कालोनी करोंद निवासी राधा यादव कई साल से भोपाल की गरीब बस्तियों में ब्याज पर पैसा देने का काम करती थी. उस का पति राजेंद्र उर्फ राजन एलआईसी में नौकरी करता था. लेकिन किसी वजह से उस की नौकरी छूट गई थी, वह खाली था.

राधा के 2 बेटे हैं, जिन की उम्र 16 और 18 साल है. राधा का पति शराबी था, जिस की वजह से पति का उस से झगड़ा होता रहता था. फिर एक दिन ऐसा आया कि राजन उसे छोड़ कर कहीं चला गया जो वापस नहीं लौटा.

एकलौते बेटे के घर छोड़ कर चले जाने पर राजेंद्र के पिता ताराचंद को गहरा सदमा लगा जिस से उन की मृत्यु हो गई. ससुर ताराचंद की मृत्यु के बाद राधा ने उन की खेती की 10-12 बीघा जमीन बेच कर ब्याज पर पैसे देने शुरू कर दिए.

लोगों की मानें तो राधा का पूरे भोपाल में 50 लाख से अधिक और अकेली कोलार कालोनी में 20 लाख से अधिक रुपया ब्याज पर चल रहा था. इलाके के लोग राधा को सिंघम चाची कहते थे.

राधा उधार दिए पैसों पर मोटा ब्याज वसूलती थी. उसे अपना पैसा वसूल करना अच्छी तरह आता था. लोगों का कहना है कि जो एक बार राधा का कर्जदार हो गया, वह फिर उस कर्ज से उबर नहीं पाया. कर्ज वसूलने का उस का अपना हिसाब था, जिस की वजह से आदमी का कर्ज कभी पूरा नहीं हो पाता था. इस पर कोई अगर उस का विरोध करता तो राधा गुंडई करने में भी पीछे नहीं रहती थी.

कर्जदार की कार, आटो भी वह खड़ेखड़े नीलाम कर देती थी और कोई उस का कुछ नहीं कर पाता था.

पकड़े गए आरोपियों में से ताराचंद मेहरा कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करता था. जानकारी के अनुसार राधा ने अकेले उस के माध्यम से ही इस कालोनी में 8 लाख से ज्यादा का कर्ज बांट रखा था. बाकी सभी आरोपी राधा के कर्जदार हैं, जो उस के हाथ कई बार जलील भी किए जा चुके थे.

आरोपी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने राधा से जितना पैसा कर्ज लिया था, उस का कई गुना अधिक वे ब्याज के तौर पर वापस कर चुकी थीं. लेकिन इस के बाद भी वह आए दिन पैसे वसूलने उन के दरवाजे पर आ कर गालीगलौज करती थी.

इस से वे तंग आ चुकी थीं. जब तक राधा जिंदा है, तब तक वे उस का कर्ज कभी नहीं चुका सकतीं. यही सोच कर उन्होंने राधा की हत्या करवाने की सोच कर अजय से बात की थी.

शाहपुरा का नामी बदमाश अभिषेक अजय निरगुड़े का मुंहबोला साला था. अजय ने अभिषेक से बात की और एक लाख 80 हजार रुपए में राधा की हत्या का सौदा तय कर दिया. इस काम में राधा का एजेंट ताराचंद और उस का भतीजा मनोज भी साथ देने को राजी हो गए.

योजनानुसार घटना वाले दिन रेखा ने राधा को फोन कर चाय पीने के लिए अपने घर बुलाया. राधा लगभग रोज ही ब्याज की वसूली करने के लिए कालोनी में आती थी, सो रेखा से बात होने के बाद वह उस के घर पहुंच गई, जहां चाय पीने के दौरान ताराचंद ने रेखा को फोन कर ब्याज का पैसा लेने के लिए बुलाया. इसलिए रेखा के घर से उठ कर राधा ताराचंद के घर की तरफ जाने लगी.

आरोपियों को मालूम था कि राधा, रेखा के घर से ताराचंद के घर जाने के लिए संकरी गलियों से हो कर गुजरेगी. इसलिए रास्ते में अजय और अभिषेक घात लगा कर बैठ गए और रेखा के वहां आते ही दोनों ने मिल कर चाकू से गोद कर उस की हत्या कर दी.

रेखा की चीखपुकार सुन कर कालोनी के लोग बाहर निकल आए, लेकिन गलियों से परिचित होने के कारण अजय तो आसानी से मौके से फरार हो गया, जबकि अभिषेक को पकड़ने के लिए भीड़ उस के पीछे पड़ गई.

भीड़ ने अभिषेक को पकड़ लिया. भीड़ में मौजूद किसी व्यक्ति ने उस पर धारदार हथियार से हमला किया, जिस से उस की कलाई कट गई. उसी दौरान किसी तरह अभिषेक भीड़ से बच कर भाग गया और नाले के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया.

जब भीड़ उस की तरफ आई तो वह पकड़े जाने से बचने के लिए नाले में कूद गया, जहां नाले की दलदल मे फंस कर उस की मौत हो गई. बाद में पुलिस को मिली अभिषेक की लाश ही राधा यादव के हत्यारों तक पहुंचने की सीढ़ी बनी.

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ख्वाहिश का अंत : क्या हुआ था वी.जे. चित्रा के साथ

अगर कोई नामचीन एक्टर अपनी अदाकारी छोड़ दे तो उस का महत्त्व खुदबखुद खत्म हो जाएगा. उस की एक्टिंग ही तो उसे सितारा बनाती है. एक्टिंग छोड़ कर उस की महत्त्वाकांक्षाओं का क्या होगा, वह तो जिंदा रह कर भी मर जाएगा. उस के जीने का मकसद ही खत्म हो जाएगा.

शायद ऐसा ही कुछ दक्षिण भारत की सुप्रसिद्ध टीवी स्टार और एंकर वी.जे. चित्रा के साथ भी था, जो उस ने ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कह दिया. होटल के कमरे में उन का शव पंखे से लटकता हुआ पाया गया.

9 दिसंबर, 2020 की सुबह के करीब 4 बजे थे. चेन्नै के नाजरथपेठ स्थित एक अस्पताल में कुछ लोग एक महिला को ले कर गए. डाक्टरों ने उस महिला का परीक्षण किया तो वह मृत पाई गई. जो लोग उस महिला को अस्पताल लाए थे, उन्होंने डाक्टरों को बताया कि वह टीवी स्टार वी.जे. चित्रा है. इस ने होटल के कमरे में फांसी लगा ली थी. चूंकि यह पुलिस केस था, इसलिए अस्पताल की तरफ से इस की खबर थाने में दे दी गई.

अस्पताल नाजरथपेठ थाने से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए सूचना के 10 मिनट बाद ही पुलिस टीम अस्पताल पहुंच गई.

मृतका एक हाईप्रोफाइल टीवी स्टार और एंकर थी. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो उस के गले पर हलके काले रंग का निशान मिला. डाक्टरों ने पुलिस को बताया कि इन की मौत शायद फंदे से लटक कर दम घुटने की वजह से हुई है.

शव का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने अस्पताल में ही मौजूद मृतका के मंगेतर हेमंत रवि से पूछताछ की.

हेमंत रवि ने बताया  कि कल रात करीब ढाई बजे चित्रा चेन्नै के ईवीपी फिल्म सिटी से शूटिंग खत्म कर उस के साथ लौटी थी. होटल के कमरे में आने के बाद चित्रा कुछ मिनटों बाद नहाने के लिए बाथरूम चली गई थी.

उस के बाथरूम जाने के बाद वह भी अपना समय व्यतीत करने के लिए होटल के कमरे से बाहर निकल गया था. लगभग आधा घंटे बाद जब वह होटल के कमरे में आया तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. कई बार कमरे का दरवाजा खटखटाने और कालबैल बजाने के बाद जब दरवाजा नहीं खुला और अंदर कोई आहट भी नहीं हुई तो वह घबरा गया.

किसी अनहोनी की आशंका से वह भाग कर होटल की लौबी में गया और होटल मैनेजर को सारी बात बताई. होटल मैनेजर भी उस की बातें सुन कर परेशान हो गया. वह कुछ कर्मचारियों के साथ तुरंत होटल के कमरे पर पहुंचा. जब मैनेजर ने डुप्लीकेट चाबी से कमरे का दरवाजा खोला तो कमरे के अंदर का दृश्य देख कर उस के होश उड़ गए. चित्रा पंखे से लटकी हुई थी.

किसी करिश्मे की उम्मीद से उस ने होटल कर्मचारियों के सहयोग से पंखे से लटकी चित्रा को नीचे उतारा और स्थानीय अस्पताल ले गया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.

हेमंत रवि से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शव का पुन: निरीक्षण किया और साथ आए पति का सरसरी तौर पर बयान ले कर शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल को सौंप दिया और सीधे घटनास्थल पर आ गई.

घटनास्थल चेन्नै नाजरथपेठ इलाके का एक जानामाना फाइवस्टार होटल था. उस होटल में इस प्रकार की यह पहली घटना थी, जिसे ले कर होटल का मैनेजमेंट काफी परेशान था.

इस होटल में अपने कारोबार के सिलसिले में शहर के संपन्न लोग ही आ कर ठहरते थे. टीवी स्टार और एंकर वी.जे. चित्रा भी एक टीवी सीरियल की शूटिंग के बाद अपने मंगेतर हेमंत रवि के साथ आ कर वहां ठहरी थी.

पुलिस ने होटल के कमरे का बारीकी से निरीक्षण कर होटल के स्टाफ से पूछताछ की और मामले की सारी औपचारिकताएं पूरी कीं.

मशहूर अभिनेत्री और एंकर चित्रा ने कदमकदम पर कामयाबी की सीढि़यां चढ़ कर बहुत कम समय में लाखों लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना ली थी. पता नहीं क्यों वह दुनिया को छोड़ कर अलविदा कह गई थी.

सुबह जैसे ही टीवी और अखबारों में अभिनेत्री वी.जे. चित्रा की मौत की खबर सामने आई, चेन्नै के साथ पूरे दक्षिण भारत में आग की तरह फैल गई. वी.जे. चित्रा के अनगिनत चाहने वालों को गहरा सदमा लगा. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि चित्रा ने खुदकुशी की थी या फिर उस की हत्या की गई थी.

यही सवाल पुलिस के लिए भी पहेली बना हुआ था. पुलिस भी मृतका के मंगेतर हेमंत रवि और होटल वालों के बयानों से सहमत नहीं थी. वी.जे. चित्रा की मौत की सुई सिर्फ उस के मंगेतर हेमंत रवि की तरफ घूम रही थी. वजह यह थी कि उस रात चित्रा के साथ मंगेतर हेमंत रवि के अलावा होटल के कमरे में और कोई नहीं था.

सवाल यह भी उठ रहा था कि चित्रा को अकेला छोड़ कर होटल के बाहर क्यों गया था. हेमंत रवि के होटल के बाहर जाने के बाद ही चित्रा रहस्यमयी हालत में होटल के कमरे के पंखे से लटकी मिली थी. जरूर कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ थी.

पुलिस जांच टीम ने अपनी जांच की शुरुआत वी.जे. चित्रा के मंगेतर हेमंत रवि से पूछताछ के साथ ही की. उधर वी.जे. चित्रा के पिता जो रिटायर्ड पुलिस इंसपेक्टर थे और परिवार यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि उन की बेटी ने बिना किसी वजह खुदकुशी की होगी.

उन का तो यहां तक कहना था कि उन की बेटी की हत्या कर उसे खुदकुशी का रूप देने की कोशिश की है.

लेकिन सवाल यह था कि आखिर वी.जे. चित्रा की मौत के पीछे कौन था. कुल मिला कर पुलिस टीम किसी भी नतीजे पर पहुंचने के पहले सारे पहलुओं को पूरी तरह से खंगाल लेना चाहती थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि चित्रा की मौत स्वाभाविक तौर पर पंखे के फंदे से लटकने की वजह से दम घुट कर हुई थी. उस के गले और गालों पर आए नाखूनों के जख्म उस के खुद के हाथों के ही पाए गए.

कुल मिला कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट वी.जे. चित्रा को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बता रही थी, जबकि बाकी परिस्थितिजन्य साक्ष्य कुछ अलग ही कहानी कह रहे थे कि खुदकुशी के पीछे कहीं न कहीं उस के मंगेतर हेमंत रवि का रोल जरूर रहा होगा.

इन सब के आधार पर पुलिस टीम ने लगभग 6 दिनों तक लगातार हेमंत रवि से पूछताछ करने के बाद सच्चाई का पता लगा लिया. पता चला कि हेमंत रवि ने ही चित्रा को मानसिक रूप से इतना प्रताडि़त किया था कि उसे आत्महत्या करने के लिए विवश होना पड़ा. इस के बाद पुलिस ने हेमंत रवि को आईपीसी की धारा 306 के तहत चित्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद जो कहानी उभर कर सामने आई थी, वह चौंका देने वाली थी.

तमिल सीरियल और रियल्टी शोज की जान वी.जे. चित्रा की खुदकुशी सुशांत सिंह राजपूत की मर्डर मिस्ट्री की याद दिला रही थी. उस के चाहने वालों को भी यह यकीन नहीं हो रहा था कि चित्रा खुदकुशी कर सकती है. सवाल यह भी उठ रहा था कि आखिर उस की मौत की वजह क्या थी?

जिस के आने से रुपहले परदे पर नूर आ जाए, जिस के नशीले नैन चाहने वालों को मदहोश कर दें, ़जिस की दिलकश मुसकान दिल थामने के लिए विवश कर दे, ऐसी अभिनेत्री आखिर दुनिया को छोड़ कर क्यों चली गई.

तमिल इंडस्ट्री की जान वी.जे. चित्रा अपने आप में अदाकारी का एक कंप्लीट पैकेज थी. जब वह नाचती थी तो डांसर बन जाती थी. जब किसी किरदार में आती थी तो अदाकारा बना जाती थी और जब वह निजी जिंदगी में किसी से मिलती थी तो उसे अपना बना लेती थी.

28 वर्षीय वी.जे. चित्रा का जन्म 2 मई, 1992 को तमिलनाडु के चेन्नै में हुआ था. उन के पिता चेन्नै शहर के एक सशक्त छवि वाले पुलिस इंसपेक्टर थे. जबकि मां कुशल गृहिणी थीं. वी.जे. चित्रा उन की एकलौती और लाडली बेटी थी. परिवार साधारण व सुखीसंपन्न था.

वी.जे. चित्रा बचपन से ही होनहार थी. उस के दिल में फिल्म और टीवी कलाकार बनने की चाह थी. वह अकसर टीवी के सामने बैठ कर उस पर आने वाले सभी शोज को बड़े ध्यान से देखती थी. उस की नकल करती थी.

चहेती बेटी होने के कारण उस के मांबाप उस पर ध्यान नहीं देते थे, क्योंकि उन के सपने बेटी के सपनों से अलग थे. वे चाहते थे कि उन की बेटी उच्चशिक्षा पा कर किसी उच्चपद पर काम करे.

लेकिन बेटी की पसंद के कारण उन्हें उस के सामने झुकना पड़ा था. चित्रा ने चेन्नै कालेज से बीएससी करने के बाद चेन्नै माइकल टीवी से अदाकारी और एंकरिंग का डिप्लोमा ले कर उसी चैनल से अपना कैरियर शुरू कर दिया था.

टीवी की एंकर और शोज को होस्ट करतेकरते जब चित्रा ने टीवी सीरियल की तरफ कदम बढ़ाया तो उसे हर कदम पर कामयाबी मिली. देखते ही देखते उस की झोली में कई तमिल सीरियल आ गए थे.

चिन्ना पापा पेरिया पापा, वेलुनाची और पंडियन स्टोर में मुल्लई की भूमिका में आई वी.जे. चित्रा ने पूरे तमिलभाषियों के दिलों में अपनी एक जगह बना ली और रातोंरात वह सुपर तमिल स्टारों की श्रेणी में आ खड़ी हुई थी. उसे अदाकारी में इज्जत और मानसम्मान सब मिलने लगा.

बेटी सुपरस्टार बन गई थी. इस बात की खुशी सब से अधिक उस के मांबाप और नातेरिश्तेदारों को हुई थी. थोड़े ही दिनों में चित्रा बुलंदियों के उस मुकाम पर पहुंच गई थी, जहां पर लोगों को पहुंचने के लिए लंबा वक्त लगता है.

जैसेजैसे चित्रा के स्टारडम का दायरा बढ़ता गया, वैसेवैसे तमिल टीवी स्टार और रियल्टी शोज की होस्ट के कदम भी बढ़ते गए. टीवी रियल्टी शोज की पार्टियों में चित्रा का आनाजाना भी बढ़ गया था. इसी तरह लौकडाउन के पहले की एक पार्टी में उस की मुलाकात उस के होने वाले हमसफर हेमंत रवि से हो गई.

32 वर्षीय हेमंत रवि वैसे तो एक साधारण परिवार से संबंध रखता था, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत के दम पर उस ने शहर में एक कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बना ली थी. दोनों की पहले नजरें मिलीं और धीरेधीरे दिल भी मिल गए.

हेमंत रवि के व्यवहार को देख कर चित्रा भी अपने आप को रोक नहीं पाई और उस से आकर्षित हो कर उस की तरफ खिंची चली गई. यही हाल हेमंत रवि का भी था. चित्रा के बिना उसे एकएक पल भारी लगता था. उसे जब भी मौका मिलता था, वह चित्रा से मिलने के लिए उस के शूटिंग सेट पर पहुंच जाता और उस की शूटिंग खत्म होने तक इंतजार करता रहता.

शूटिंग खत्म होने के बाद दोनों मन बहलाने के लिए लंबी ड्राइव पर चले जाते, घूमतेफिरते खातेपीते थे. यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलने के बाद जब हेमंत रवि को लगने लगा कि अब बिना चित्रा के नहीं रह सकता तो मौका देख कर उस ने शादी का प्रपोजल रख दिया. चित्रा को भी हेमंत रवि की आंखों में अपने लिए मोहब्बत दिखाई दी तो उस ने भी हां कर दी.

एक उभरती हुई अदाकारा और टीवी रियल्टी शोज की होस्ट चित्रा ने अगस्त 2020 में जब अपने होने वाले हमसफर हेमंत रवि का हाथ दुनिया के सामने थामा तो उस के लाखों चाहने वालों ने अपना दिल थाम लिया था. दोनों ने इस रिश्ते को एक नाम देने का फैसला किया और उन्होंने सगाई कर ली. दोनों परिवार इस रिश्ते से बेहद खुश थे, इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई.

वी.जे. चित्रा और हेमंत रवि की जिंदगी में वैसे तो कोई ट्विस्ट नहीं था, जैसा कि आमतौर पर लवस्टोरीज में हुआ करता है. और तो और दोनों ने यह भी तय कर लिया था कि लौकडाउन की पाबंदियों से आजाद होने के बाद जनवरी 2021 में शादी कर के एक शानदार रिसैप्शन पार्टी आयोजित करेंगे, लेकिन उन का यह सपना पूरा नहीं हुआ.

कारण यह था कि सगाई हो जाने के 2-3 महीने बाद ही हेमंत रवि का व्यवहार चित्रा के प्रति बदलने लगा था. इस की वजह यह थी कि उसे चित्रा द्वारा सीरियलों में दिए इंटीमेट सीनों से चिढ़ थी.

सीरियल और रियल्टी शोज में इंटीमेट रोमांटिक सीनों को ले कर हेमंत ने कई बार टोका और मना भी किया था. वह चाहता था कि वह इंटीमेट सीन दुनिया के सामने न आए, पर यह बात चित्रा को पसंद नहीं थी. वह हेमंत के मना करने के बावजूद ऐसे एसाइनमेंट करती रही.

इसी बात को ले कर दोनों के बीच कहासुनी हो जाती जो झगड़े तक पहुंच जाती थी. हेमंत की इस तरह की टीकाटिप्पणी से चित्रा मानसिक रूप से परेशान रहने लगी.

घटना वाली रात भी शूटिंग से लौटने के बाद होटल के कमरे में दोनों में इंटीमेट सीनों को ले कर कहासुनी हुई थी. जिस से नाराज हो कर चित्रा ने हेमंत से पीछा छुड़ाने के लिए नहाने की इच्छा जाहिर की और बाथरूम में चली गई.

यह देख कर हेमंत होटल के कमरे से बाहर चला गया. इतनी कहासुनी के बाद  चित्रा अपने आप को नौर्मल नहीं रखपाई और होटल के कमरे के पंखे से लटक कर सदासदा के लिए ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कह दिया.

हेमंत रवि से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

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दोस्ती के 12 टुकड़े : क्यों बना परिवार हत्यारा

15 दिसंबर, 2020. महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी थाणे से सटे जिला रायगढ़ के नेरल रेलवे स्टेशन (पूर्व) के पास से बहने वाले नाले पर सुबहसुबह काफी लोगों की अचानक भीड़ एकत्र हो गई. वजह यह थी कि गहरे नाले में 2 बड़ेबड़े सूटकेस पड़े होने की खबर थी.

नए सूटकेस और उस में से उठने वाली दुर्गंध लोगों के लिए कौतूहल का विषय थी. निस्संदेह उन सूटकेसों में अवश्य कोई ऐसी चीज थी, जो संदिग्ध थी.

किसी व्यक्ति ने नाले में पड़े सूटकेसों की जानकारी जिला पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. पुलिस कंट्रोल रूम ने बिना किसी विलंब के इस मामले की जानकारी वायरलैस द्वारा प्रसारित कर दी. इस से घटना की जानकारी जिले के सभी पुलिस थानों और अधिकारियों को मिल गई. चूंकि मामला नेरल पुलिस थाने के अंतर्गत आता था, इसलिए नेरल थानाप्रभारी तानाजी नारनवर ने सूचना के आधार पर थाने के ड्यूटी अफसर को मामले की डायरी तैयार कर घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया.

ड्यूटी अफसर डायरी बना कर अपने सहायकों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से करीब 15-20 मिनट की दूरी पर था, वह पुलिस वैन से जल्द ही वहां पहुंच गए.

घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस टीम ने पहले वहां पर इकट्ठा भीड़ को दूर हटाया और फिर वहां के 5 व्यक्तियों से नाले से उन दोनों सूटकेसों को बाहर निकलवाया. उन्हें खोल कर देखा गया तो भीड़ और पुलिस के होश उड़ गए. सूटकेसों में किसी व्यक्ति का 12 टुकड़ों में कटा शव भरा था, जो पूरी तरह सड़ गया था. शव का दाहिना हाथ गायब था जो काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिला.

यह वही नाला है, जहां बीब्लंट सैलून कंपनी की फाइनैंस मैनेजर कीर्ति व्यास का शव पाया गया था. (देखें मनोहर कहानियां जुलाई, 2018)

मृतक की उम्र 30-31 साल के आसपास रही होगी. सांवला रंग, हृष्टपुष्ट शरीर. शक्लसूरत से वह किसी मध्यमवर्गीय परिवार का लग रहा था.

नेरल पुलिस टीम अभी वहां एकत्र भीड़ से शव की शिनाख्त करवा ही रही थी कि एसपी अशोक दुधे, करजात एसडीपीओ अनिल घेर्डीकर, थानाप्रभारी तानाजी नारनवर, अलीबाग एलसीबी (लोकल क्राइम ब्रांच) और फोटोग्राफर के अलावा फिंगरप्रिंट ब्यूरो की टीमें भी आ गईं.

फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट का काम खत्म हो जाने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जिम्मेदारी करजात एसडीपीओ अनिल घेर्डीकर ने स्वयं संभाल ली. थानाप्रभारी तानाजी नारनवर को आवश्यक निर्देश दे कर घेर्डीकर अपने औफिस चले गए.

वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी तानाजी नारनवर ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल रायगढ़ भेज दिया. शिनाख्त न होने से पुलिस टीम समझ गई थी कि मृतक वहां का रहने वाला नहीं था. उस की हत्या कहीं और कर के शव को नाले में डाला गया था.

ऐसी स्थिति में आगे की जांच काफी जटिल थी. लेकिन पुलिस टीम इस से निराश नहीं थी. घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद एसडीपीओ अनिल घेर्डीकर के निर्देशन में इस हत्याकांड के खुलासे के लिए एक अन्य टीम का गठन किया. उन्होंने नेरल थाने के अलावा कर्जत माथेरान और क्राइम ब्रांच के अफसरों और पुलिसकर्मियों को शामिल कर के मामले की समानांतर जांच का निर्देश दिया.

उस इलाके का नहीं था मृतक

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर सभी ने अपनीअपनी जिम्मेदारियां संभाल लीं. अब मामले की जांच के लिए सब से जरूरी था मृतक की शिनाख्त, जो जांच टीम के लिए एक चुनौती थी.

जैसा कि ऐसे मामलों में होता है, उसी तरह से पुलिस ने वायरलैस मैसेज शहर और जिले के सभी पुलिस थानों में भेज कर यह पता लगाने की कोशिश की कि कहीं किसी थाने में उस व्यक्ति की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं करवाई गई है. लेकिन इस से उन्हें तत्काल कोई कामयाबी नहीं मिली.

अब जांच टीम के पास एक ही रास्ता बचा था बारीकी से जांच. घटनास्थल और वह दोनों सूटकेस जो घटनास्थल पर शवों के टुकड़ों से भरे मिले थे.

जब उन सूटकेसों की दोबारा जांच की गई तो सूटकेसों में मिले स्टिकरों ने पुलिस टीम को उस दुकान तक पहुंचा दिया, जहां से वे खरीदे गए थे. पता चला 13 दिसंबर, 2020 की सुबह करीब 10 बजे एक दंपति ने सूटकेस खरीदे थे. उस दुकानदार के बयान और उस की दुकान के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और मुखबिरों के सहारे पुलिस टीम उस दंपति तक पहुंचने में कामयाब हो गई और फिर उन 12 टुकड़ों के रहस्य का मामला 24 घंटों में ही पूरी तरह सामने आ गया.

पुलिस गिरफ्त में आए अभियुक्त दंपति ने पूछताछ में अपना नाम चार्ल्स नाडर और सलोमी नाडर बताया. मृतक का नाम सुशील कुमार सरनाइक था जो मुंबई के वर्ली इलाके का रहने वाला था और प्राइवेट बैंक का अधिकारी था.

यह जानकारी मिलते ही नेरल पुलिस ने वर्ली पुलिस थाने से संपर्क कर शव की शिनाख्त के लिए मृतक के परिवार वालों को थाने बुला लिया और उन्हें ले कर रायगढ़ जिला अस्पताल गए, जहां मृतक सुशील कुमार सरनाइक को देखते ही उस के परिवार वाले दहाड़ें मार कर रोने लगे.

पुलिस टीम ने सांत्वना दे कर उन्हें शांत कराया और कानूनी खानापूर्ति कर मृतक का शव उन्हें सौंप दिया. पुलिस जांच और अभियुक्त नाडर दंपति के बयानों के मुताबिक इस क्रूर अपराध की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस तरह से थी—

31 वर्षीय सुशील कुमार मारुति सरनाइक सांवले रंग का स्वस्थ और हृष्टपुष्ट युवक था. वह दक्षिणी मुंबई स्थित वर्ली के गांधीनगर परिसर क ी एसआरए द्वारा निर्मित बहुमंजिला इमारत तक्षशिला की पांचवीं मंजिल के फ्लैट में अपने परिवार के साथ रहता था.

परिवार में उस की मां के अलावा एक बहन रेखा थी, जिस की शादी हो चुकी थी. लेकिन वह अधिकतर अपनी बेटी के साथ सुशील और मां के साथ ही रहती थी. परिवार का एकलौता बेटा होने के कारण सुशील के परिवार को उस से काफी प्यार था. यह मध्यवर्गीय परिवार काफी खुशहाल था.

सुशील महत्त्वाकांक्षी युवक था. इस के साथ वह दिलफेंक और रंगीनमिजाज भी था. वह एक बार जिस किसी के संपर्क में आता था, उसे अपना मित्र बना लेता था. हर कोई उस के व्यवहार से प्रभावित हो जाता था.

ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद उस ने अपने कैरियर की शुरुआत बीपीओ से शुरू की थी. जहां उस के साथ कई युवक, युवतियां काम करते थे. इन्हीं युवतियों में एक सलोमी भी थी जो ईसाई परिवार से थी.

सुशील पड़ा सलोमी के चक्कर में

28 वर्षीय सलोमी पेडराई जितनी स्वस्थ और सुंदर थी, उतनी ही चंचल भी थी. वह किसी के भी दिल को ठेस पहुंचाने वाली बातें नहीं करती थी. उस के दिल में सभी के प्रति आदर सम्मान था. उस के मधुर व्यवहार के कारण संपर्क में आने वाले लोग उस की तरफ आकर्षित जाते थे. औफिस में सलोमी सुशील की बगल वाली सीट पर बैठती थी. काम के संबंध में दोनों एकदूसरे की मदद भी किया करते थे.

यही कारण था कि धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए और अच्छी दोस्ती हो गई. खाली समय में दोनों एक साथ

कौफी हाउस, मूवी, मौलों में शौपिंग कर मौजमस्ती किया करते थे. यह सिलसिला शायद चलता ही रहता, लेकिन दोनों को अलग होना पड़ा. सुशील सरनाइक को एक बैंक का अच्छा औफर मिल गया, जहां उसे वेतन के साथसाथ बहुत सारी सुविधाएं भी मिल रही थीं.

2018 में सुशील सरनाइक की नियुक्ति आईसीआईसीआई बैंक की ग्रांट रोड, मुंबई शाखा में रिलेशनशिप मैनेजर की पोस्ट पर हो गई. सुशील सरनाइक ने बीपीओ की नौकरी छोड़ कर बैंक की नौकरी जौइन कर ली. दूसरी तरफ सलोमी का झुकाव बीपीओ के ओनर चार्ल्स नाडर की तरफ हो गया.

35 वर्षीय चार्ल्स नाडर अफ्रीकी नागरिक था. उस का पूरा परिवार अफ्रीका में रहता था. उस के पिता अफ्रीका के एक बड़े अस्पताल में डाक्टर थे. उस की शिक्षादीक्षा भी अफ्रीका में ही हुई थी. अस्थमा का मरीज होने के कारण उस का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था.

कुछ साल पहले जब वह भारत आया तो उसे यहां के पर्यावरण से काफी राहत मिली, इसलिए वह भारत का ही हो कर रह गया. उस ने थाणे जिले के विरार में बीपीओ खोल लिया, जहां सलोमी और सुशील सरनाइक जैसे और कई युवकयुवतियां काम करते थे. सलोमी का झुकाव अपनी तरफ देख कर चार्ल्स नाडर ने भी उस की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया और दोनों लवमैरिज कर मीरा रोड के राजबाग की सोसायटी में किराए पर रहने लगे.

सुशील सरनाइक और सलोमी के रास्ते अलग तो हो गए थे मगर उन के दिलों की धड़कन अलग नहीं हुई थी. दोनों फोन पर तो अकसर हंसीमजाक करते ही थे, मौका मिलने पर सुशील सलोमी के घर भी आनेजाने लगा. दोनों नाडर के साथ पार्टी वगैरह कर के जम कर शराब का मजा लेते थे.

ऐसी ही एक पार्टी उन्होंने उस रात भी की थी. मगर उस पार्टी का नशा सुशील सरनाइक पर कुछ इस तरह चढ़ा कि वह अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठा. शराब के नशे में वह अपनी मर्यादा लांघ गया. उस ने अपनी और सलोमी की दोस्ती को जो मोड़ दिया, वह बेहद आपत्तिजनक था. उस के पति के लिए तो और भी शर्मनाक.

सलोमी के पति चार्ल्स नाडर को बरदाश्त नहीं हुआ और किचन से चाकू ला कर उस ने एक झटके में सुशील का गला काट दिया. कमरे में सुशील सरनाइक की चीख गूंज उठी.

उधर सुशील सरनाइक 12 दिसंबर, 2020 की सुबह अपनी मां और बहन से यह कह कर घर से निकला था कि वह अपने बैंक के कुछ दोस्तों के साथ पिकनिक पर जा रहा है. 13 दिसंबर को शाम तक घर लौट आएगा.

मगर ऐसा नहीं हुआ. न वह घर आया और न उस का फोन आया. काफी कोशिशों के बाद भी उस से फोन पर संपर्क नहीं हुआ तो उस की मां और बहन को उस की चिंता हुई. रात तो किसी तरह बीत गई, लेकिन दिन उन के लिए पहाड़ जैसा हो गया था.

14 दिसंबर, 2020 की सुबह सुशील सरनाइक के नातेरिश्तेदार और जानपहचान वालों ने पुलिस से मदद लेने की सलाह दी. उन की सलाह पर सुशील सरनाइक की मां और बहन वर्ली पुलिस थाने की शरण में गईं. रात 11 बजे उन्होंने थानाप्रभारी सुखलाल बर्पे से मुलाकात कर उन्हें सुशील के बारे में सारी बातें बता कर मदद की विनती की और गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी.

शिकायज दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी ने उन से सुशील का हुलिया और फोटो लिया और जांच का आश्वासन दे कर घर भेज दिया. शिकायत दर्ज होने के12 घंटे बाद ही सुशील के परिवार वालों को जो खबर मिली थी, उस से उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी.

सुशील सरनाइक की हत्या करने के बाद जब नाडर दंपति को होश आया तो उन्हें कानून और सजा का भय सताने लगा. इस से बचने के लिए क्या करें, उन की समझ में नहीं आ रहा था. काफी सोचविचार के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि उस के शव को किसी गुप्त जगह पर डंप करने में ही भलाई है.

इस के लिए उन्होंने सुशील सरनाइक का मोबाइल और उस के बैंक एटीएम का सहारा लिया. उस का मोबाइल फिंगरप्रिंट से खुलता था और उस में एटीएम पिन था, यह बात वे अच्छी तरह जानते थे.

12 टुकड़ों में सिमटी जिंदगी

उन्होंने उस का मोबाइल ले कर उस के अंगूठे से मोबाइल का लौक खोला और उस के एटीएम का पिन ले कर बदलापुर जा कर कार्ड से 80 हजार रुपए निकाले, जिस में से उन्होंने शव के टुकड़े करने के लिए एक कटर मशीन और 2 बड़े सूटकेस खरीदे.

उन्होंने शव के 12 टुकड़े कर दोनों सूटकेसों में भरे. शव का दाहिना हाथ सूटकेस में नहीं आया तो उसे अलग से एक थैली में पैक किया. इस के बाद दोनों ने 14 दिसंबर की रात सूटकेस ले जा कर नेरल रेलवे स्टेशन के पास गहरे नाले में डाल दिए और घर आ गए. अब पतिपत्नी उस की तरफ से निश्चिंत हो गए. उन का मानना था कि उस नाले से दोनों सूटकेस बह कर खाड़ी में चले जाएंगे, जहां सुशील सरनाइक का अस्तित्व मिट जाएगा.

मगर ऐसा नहीं हुआ. दोनों सूटकेस नेरल पुलिस के हाथ लग गए और सारा मामला खुल गया. नाडर दंपति नेरल पुलिस के शिकंजे में आ गए. नाडर के घर की तलाशी में कटर मशीन के साथ 30 हजार रुपए में 28 हजार रुपए भी पुलिस टीम ने बरामद कर लिए. थाने ला कर सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए हत्या का सच उगल दिया.

पुलिस टीम ने चार्ल्स नाडर और सलोमी नाडर से विस्तृत पूछताछ करने के बाद उन के विरुद्ध सुशील सरनाइक की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें रायगढ़ जिला जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक पुलिस जांच टीम सुशील सरनाइक के कटे दाहिने की तलाश कर रही थी.

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घिनौनी साजिश : क्यों घिरा रहा रामबिहारी राठौर अपने ही कुकर्म से

10 जनवरी, 2021 की सुबह 9 बजे रिटायर्ड कानूनगो रामबिहारी राठौर कोतवाली कोंच पहुंचा. उस समय कोतवाल इमरान खान कोतवाली में मौजूद थे. चूंकि इमरान खान रामबिहारी से अच्छी तरह परिचित थे. इसलिए उन्होंने उसे ससम्मान कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर पूछा, ‘‘कानूनगो साहब, सुबहसुबह कैसे आना हुआ? कोई जरूरी काम है?’’

‘‘हां सर, जरूरी काम है, तभी थाने आया हूं.’’ रामबिहारी राठौर ने जवाब दिया.

‘‘तो फिर बताओ, क्या जरूरी काम है?’’ श्री खान ने पूछा.

‘‘सर, हमारे घर में चोरी हो गई है. चोर एक पेन ड्राइव और एक हार्ड डिस्क ले गए हैं. हार्ड डिस्क के कवर में 20 हजार रुपए भी थे. वह भी चोर ले गए हैं.’’ रामबिहारी ने जानकारी दी.

‘‘तुम्हारे घर किस ने चोरी की. क्या किसी पर कोई शक वगैरह है?’’ इंसपेक्टर खान ने पूछा.

‘‘हां सर, शक नहीं बल्कि मैं उन्हें अच्छी तरह जानतापहचानता हूं. वैसे भी चोरी करते समय उन की सारी करतूत कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है. आप चल कर फुटेज में देख लीजिए.’’

‘‘कानूनगो साहब, जब आप चोरी करने वालों को अच्छी तरह से जानतेपहचानते हैं और सबूत के तौर पर आप के पास फुटेज भी है, तो आप उन का नामपता बताइए. हम उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लेंगे और चोरी गया सामान भी बरामद कर लेंगे.’’

‘‘सर, उन का नाम राजकुमार प्रजापति तथा बालकिशन प्रजापति है. दोनों युवक कोंच शहर के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रहते हैं. दोनों को कुछ दबंगों का संरक्षण प्राप्त है.’’ रामबिहारी ने बताया.

चूंकि रामबिहारी राठौर  कानूनगो तथा वर्तमान में कोंच नगर का भाजपा उपाध्यक्ष था, अत: इंसपेक्टर इमरान खान ने रामबिहारी से तहरीर ले कर तुरंत काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने देर रात राजकुमार व बालकिशन के घरों पर दबिश दी और दोनों को हिरासत में ले लिया. उन के घर से पुलिस ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क भी बरामद कर ली. रामबिहारी के अनुरोध पर पुलिस ने उस की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क वापस कर दी.

पुलिस ने दोनों युवकों के पास से पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क तो बरामद कर ली, लेकिन 20 हजार रुपया बरामद नहीं हुए थे. इंसपेक्टर खान ने राजकुमार व बालकिशन से रुपयों के संबंध में कड़ाई से पूछा तो उन्होंने बताया कि रुपया नहीं था. कानूनगो रुपयों की बाबत झूठ बोल रहा है. वह बड़ा ही धूर्त इंसान है.

इंसपेक्टर इमरान खान ने जब चोरी के बाबत पूछताछ शुरू की तो दोनों युवक फफक पड़े. उन्होंने सिसकते हुए अपना दर्द बयां किया तो थानाप्रभारी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. दोनों ने बताया कि रामबिहारी इंसान नहीं बल्कि हैवान है. वह मासूमों को अपने जाल में फंसाता है और फिर उन के साथ कुकर्म करता है.

एक बार जो उस के जाल में फंस जाता है, फिर निकल नहीं पाता. वह उन के साथ कुकर्म का वीडियो बना लेता फिर ब्लैकमेल कर बारबार आने को मजबूर करता. 8 से 14 साल के बीच की उम्र के बच्चों को वह अपना शिकार बनाता है. गरीब परिवार की महिलाओं, किशोरियों और युवतियों को भी वह अपना शिकार बनाता है.

राजकुमार व बालकिशन प्रजापति ने बताया कि रामबिहारी राठौर पिछले 5 सालों से उन दोनों के साथ भी घिनौना खेल खेल रहा है. उन दोनों ने बताया कि जब उन की उम्र 13 साल थी, तब वे जीवनयापन करने के लिए ठेले पर रख कर खाद्य सामग्री बेचते थे.

एक दिन जब वे दोनों सामान बेच कर घर आ रहे थे, तब पूर्व कानूनगो रामबिहारी राठौर ने उन दोनों को रोक कर अपनी मीठीमीठी बातों में फंसाया. फिर वह उन्हें अपने घर में ले गया और दरवाजा बंद कर लिया. फिर बहाने से कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिला कर पिला दिया. उस के बाद उस ने उन दोनों के साथ कुकर्म किया. बाद में उन्होंने विरोध करने पर फरजी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी.

कुछ दिन बाद जब वे दोनों ठेला ले कर जा रहे थे तो नेता ने उन्हें पुन: बुलाया और कमरे में लैपटाप पर वीडियो दिखाई, जिस में वह उन के साथ कुकर्म कर रहा था. इस के बाद उन्होंने कहा कि मेरे कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और मैं ने तुम दोनों का वीडियो सुरक्षित रखा है. यदि तुम लोग मेरे बुलाने पर नहीं आए तो यह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दूंगा.

इस के बाद नेताजी ने कुछ और वीडियो दिखाए और कहा कि तुम सब के वीडियो हैं. यदि मेरे खिलाफ किसी भी प्रकार की शिकायत किसी से की, मैं उलटा मुकदमा कायम करा दूंगा. युवकों ने बताया कि डर के कारण उन्होंने मुंह बंद रखा. लेकिन नेताजी का शोषण जारी रहा. हम जैसे दरजनों बच्चे हैं, जिन के साथ वह घिनौना खेल खेलता है.

उन दोनों ने पुलिस को यह भी बताया कि 7 जनवरी, 2021 को नेता ने उन्हें घर बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए. अगले दिन फिर बुलाया. जब वे दोनों घर पहुंचे तो नेता ने जबरदस्ती करने की कोशिश की. विरोध जताया तो उन्होंने जेल भिजवाने की धमकी दी.

इस पर उन्होंने मोहल्ले के दबंग लोगों से संपर्क किया, फिर नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने लाने के लिए दबंगों के इशारे पर रामबिहारी की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क उस के कमरे से उठा ली. यह दबंग, रामबिहारी को ब्लैकमेल कर उस से लाखों रुपया वसूलना चाहते थे.

पूर्व कानूनगो व भाजपा नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने आया तो इंसपेक्टर इमरान खान के मन में कई आशंकाएं उमड़ने लगीं. वह सोचने लगे, कहीं रामबिहारी बांदा के इंजीनियर रामभवन की तरह पोर्न फिल्मों का व्यापारी तो नहीं है. कहीं रामबिहारी के संबंध देशविदेश के पोर्न निर्माताओं से तो नहीं.

इस सच को जानने के लिए रामबिहारी को गिरफ्तार करना आवश्यक था. लेकिन रामबिहारी को गिरफ्तार करना आसान नहीं था. क्योंकि वह सत्ता पक्ष का नेता था और सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं से उस के ताल्लुकात थे. उस की गिरफ्तारी से बवाल भी हो सकता था. अत: इंसपेक्टर खान ने इस प्रकरण की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी.

सूचना पाते ही एसपी डा. यशवीर सिंह, एएसपी डा. अवधेश कुमार, डीएसपी (कोंच) राहुल पांडेय तथा क्राइम ब्रांच प्रभारी उदयभान गौतम कोतवाली कोंच आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने दोनों युवकों राजकुमार तथा बालकिशन से घंटों पूछताछ की फिर सफेदपोश नेता को गिरफ्तार करने के लिए डा. यशवीर सिंह ने डीएसपी राहुल पांडेय की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन कर दिया तथा कोंच कस्बे में पुलिस बल तैनात कर दिया.

12 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे पुलिस टीम रामबिहारी के भगत सिंह नगर मोहल्ला स्थित घर पर पहुंची. लेकिन वह घर से फरार था. इस बीच पुलिस टीम को पता चला कि रामबिहारी पंचानन चौराहे पर मौजूद है. इस जानकारी पर पुलिस टीम वहां पहुंची और रामबिहारी को नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया.

उसे कोतवाली कोंच लाया गया. इस के बाद पुलिस टीम रात में ही रामबिहारी के घर पहुंची और पूरे घर की सघन तलाशी ली. तलाशी में उस के घर से लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन, डीवीआर, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क तथा नशीला पाउडर व गोलियां बरामद कीं. थाने में रामबिहारी से कई घंटे पूछताछ की गई.

रामबिहारी राठौर के घर से बरामद लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल, डीवीआर तथा हार्ड डिस्क की जांच साइबर एक्सपर्ट टीम तथा झांसी की फोरैंसिक टीम को सौंपी गई. टीम ने झांसी रेंज के आईजी सुभाष सिंह बघेल की निगरानी में जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. फोरैंसिक टीम के प्रभारी शिवशंकर ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क से 50 से अधिक पोर्न वीडियो निकाले. उन का अनुमान है कि हार्ड डिस्क में 25 जीबी अश्लील डाटा है.

इधर पुलिस टीम ने लगभग 50 बच्चों को खोज निकाला, जिन के साथ रामबिहारी ने दरिंदगी की और उन के बचपन के साथ खिलवाड़ किया. इन में 36 बच्चे तो सामने आए, लेकिन बाकी बच्चे शर्म की वजह से सामने नहीं आए. 36 बच्चों में से 18 बच्चों ने ही बयान दर्ज कराए. जबकि 3 बच्चों ने बाकायदा रामबिहारी के विरुद्ध लिखित शिकायत दी.

इन बच्चों की तहरीर पर थानाप्रभारी इमरान खान ने भादंवि की धारा 328/377/506 तथा पोक्सो एक्ट की धारा (3), (4) एवं आईटी एक्ट की धारा 67ख के तहत रामबिहारी राठौर के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

भाजपा नेता रामबिहारी के घिनौने सच का परदाफाश हुआ तो कोंच कस्बे में सनसनी फैल गई. लोग तरहतरह की चर्चाएं करने लगे. किरकिरी से बचने के लिए नगर अध्यक्ष सुनील लोहिया ने बयान जारी कर दिया कि भाजपा का रामबिहारी से कोई लेनादेना नहीं है. रामबिहारी ने पिछले महीने ही अपने पद व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया था.

इधर सेवानिवृत्त कानूनगो एवं उस की घिनौनी करतूतों की खबर अखबारों में छपी तो कोंच कस्बे में लोगों का गुस्सा फट पड़ा. महिलाओं और पुरुषों ने रामबिहारी का घर घेर लिया और इस हैवान को फांसी दो के नारे लगाने लगे. भीड़ रामबिहारी का घर तोड़ने व फूंकने पर आमादा हो गई. कुछ लोग उस के घर की छत पर भी चढ़ गए. लेकिन पुलिस ने किसी तरह घेरा बना कर भीड़ को रोका और समझाबुझा कर शांत किया.

कुछ महिलाएं व पुरुष कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने रामबिहारी को उन के हवाले करने की मांग की. दरअसल, वे महिलाएं हाथ में स्याही लिए थीं, वे रामबिहारी का मुंह काला करना चाहती थीं. लेकिन एसपी डा. यशवीर सिंह ने उन्हें समझाया कि अपराधी अब पुलिस कस्टडी में है. अत: कानून का उल्लंघन न करें. कानून खुद उसे सजा देगा. महिलाओं ने एसपी की बात मान ली और वे थाने से चली गईं.

रामबिहारी राठौर कौन था? वह रसूखदार सफेदपोश नेता कैसे बना? फिर इंसान से हैवान क्यों बन गया? यह सब जानने के लिए हमें उस के अतीत की ओर झांकना होगा.

जालौन जिले का एक कस्बा है-कोंच. तहसील होने के कारण कोंच कस्बे में हर रोज चहलपहल रहती है. इसी कस्बे के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रामबिहारी राठौर अपनी पत्नी उषा के साथ रहता था. रामबिहारी का अपना पुश्तैनी मकान था, जिस के एक भाग में वह स्वयं रहता था, जबकि दूसरे भाग में उस का छोटा भाई श्यामबिहारी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहता था.

रामबिहारी पढ़ालिखा व्यक्ति था. वर्ष 1982 में उस का चयन लेखपाल के पद पर हुआ था. कोंच तहसील में ही वह कार्यरत था. रामबिहारी महत्त्वाकांक्षी था. धन कमाना ही उस का मकसद था. चूंकि वह लेखपाल था, सो उस की कमाई अच्छी थी. लेकिन संतानहीन था. उस ने पत्नी उषा का इलाज तो कराया लेकिन वह बाप न बन सका.

उषा संतानहीन थी, सो रामबिहारी का मन उस से उचट गया और वह पराई औरतों में दिलचस्पी लेने लगा. उस के पास गरीब परिवारों की महिलाएं राशन कार्ड बनवाने व अन्य आर्थिक मदद हेतु आती थीं. ऐसी महिलाओं का वह मदद के नाम पर शारीरिक शोषण करता था. वर्ष 2005 में एक महिला ने सब से पहले उस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. लेकिन रामबिहारी ने उस के घरवालों पर दबाव बना कर मामला रफादफा कर लिया.

कोंच तहसील के गांव कुंवरपुरा की कुछ महिलाओं ने भी उस के खिलाफ यौनशोषण की शिकायत तहसील अफसरों से की थी. तब रामबिहारी ने अफसरों से हाथ जोड़ कर तथा माफी मांग कर लीपापोती कर ली. सन 2017 में रामबिहारी को रिटायर होना था. लेकिन रिटायर होने के पूर्व उस की तरक्की हो गई. वह लेखपाल से कानूनगो बना दिया गया. फिर कानूनगो पद से ही वह रिटायर हुआ. रिटायर होने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गया. उस ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली.

कुछ समय बाद ही उसे कोंच का भाजपा नगर उपाध्यक्ष बना दिया गया. रामबिहारी तेजतर्रार था. उस ने जल्द ही शासनप्रशासन में पकड़ बना ली. उस ने घर पर कार्यालय बना लिया और उपाध्यक्ष का बोर्ड लगा लिया. नेतागिरी की आड़ में वह जायजनाजायज काम करने लगा. वह कोंच का रसूखदार सफेदपोश नेता बन गया.

रामबिहारी का घर में एक स्पैशल रूम था. इस रूम में उस ने 5 सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. घर के बाहर भी कैमरा लगा था. कमरे में लैपटाप, डीवीआर व हार्ड डिस्क भी थी. आनेजाने वालों की हर तसवीर कैद होती थी. हनक बनाए रखने के लिए उस ने कार खरीद ली थी और लाइसैंसी पिस्टल भी ले ली थी. रामबिहारी अवैध कमाई के लिए अपने घर पर जुआ की फड़ भी चलाता था. उस के घर पर छोटामोटा नहीं, लाखों का जुआ होता था. खेलने वाले कोंच से ही नहीं, उरई, कालपी और बांदा तक से आते थे. जुए के खेल में वह अपनी ही मनमानी चलाता था.

जुआ खेलने वाला व्यक्ति अगर जीत गया तो वह उसे तब तक नहीं जाने देता था, जब तक वह हार न जाए. इसी तिकड़म में उस ने सैकड़ों को फंसाया और लाखों रुपए कमाए. इस में से कुछ रकम वह नेता, पुलिस, गुंडा गठजोड़ पर खर्च करता ताकि धंधा चलता रहे.

रामबिहारी राठौर जाल बुनने में महारथी था. वह अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सामान्य लोगों के सामने अपने रसूख का प्रदर्शन कर के उन्हें दबाव में लेने की कोशिश करता था. बातों का ऐसा जाल बुनता था कि लोग फंस जाते थे. हर दल के नेताओं के बीच उस की घुसपैठ थी. उस के रसूख के आगे पुलिस तंत्र भी नतमस्तक था. किसी पर भी मुकदमा दर्ज करा देना, उस के लिए बेहद आसान था.

रामबिहारी राठौर बेहद अय्याश था. वह गरीब परिवार की महिलाओं, युवतियों, किशोरियों को तो अपनी हवस का शिकार बनाता ही था, मासूम बच्चों के साथ भी दुष्कर्म करता था. वह 8 से 14 साल की उम्र के बच्चों को अपने जाल में फंसाता था.

बच्चे को रुपयों का लालच दे कर घर बुलाता फिर कोेल्ड ड्रिंक में नशीला पाउडर मिला कर पीने को देता. बच्चा जब बेहोश हो जाता तो उस के साथ दुष्कर्म करता. दुष्कर्म के दौरान वह उस का वीडियो बना लेता.

कोई बच्चा एक बार उस के जाल में फंस जाता, तो वह उसे बारबार बुलाता. इनकार करने पर अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देता, जिस से वह डर जाता और बुलाने पर आने को मजबूर हो जाता. वह जिस बच्चे को जाल में फंसा लेता, उसे वह दूसरे बच्चे को लाने के लिए कहता. इस तरह उस ने कई दरजन बच्चे अपने जाल में फंसा रखे थे, जिन के साथ वह दरिंदगी का खेल खेलता था. अय्याश रामबिहारी सैक्सवर्धक दवाओं का सेवन करता था. वह किसी बाहरी व्यक्ति को अपने कमरे में नहीं आने देता था.

रामबिहारी राठौर के घर सुबह से देर शाम तक कम उम्र के बच्चों का आनाजाना लगा रहता था. उस के कुकृत्यों का आभास आसपड़ोस के लोगों को भी था. लेकिन लोग उस के बारे में कुछ कहने से सहमते थे. कभी किसी ने अंगुली उठाई तो उस ने अपने रसूख से उन लोगों के मुंह बंद करा दिए. किसी के खिलाफ थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी तो किसी को दबंगों से धमकवा दिया. बाद में उस की मदद का ड्रामा कर के उस का दिल जीत लिया.

लेकिन कहते हैं, गलत काम का घड़ा तो एक न एक दिन फूटता ही है. वही रामबिहारी के साथ भी हुआ. दरअसल रामबिहारी ने मोहल्ला भगत सिंह नगर के 2 लड़कों राजकुमार व बालकिशन को अपने जाल में फंसा रखा था और पिछले कई साल से वह उन के साथ दरिंदगी का खेल खेल रहा था.

इधर रामबिहारी की नजर उन दोनों की नाबालिग बहनों पर पड़ी तो वह उन्हें लाने को मजबूर करने लगा. यह बात उन दोनों को नागवार लगी और उन्होंने साफ मना कर दिया. इस पर रामबिहारी ने उन दोनों के अश्लील वीडियो वायरल करने तथा उन्हें जेल भिजवाने की धमकी दी.

रामबिहारी की धमकी से डर कर राजकुमार व बालकिशन प्रजापति मोहल्ले के 2 दबंगों के पास पहुंच गए और रामबिहारी के कुकृत्यों का चिट्ठा खोल दिया. उन दबंगों ने उन दोनों बच्चों को मदद का आश्वासन दिया और रामबिहारी को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई.

योजना के तहत दबंगों ने राजकुमार व बालकिशन की मार्फत रामबिहारी के घर में चोरी करा दी. उस के बाद दबंगों ने रामबिहारी से 15 लाख रुपयों की मांग की. भेद खुलने के भय से रामबिहारी उन्हें 5 लाख रुपए देने को राजी भी हो गया. लेकिन पैसों के बंटवारे को ले कर दबंगों व पीडि़तों के बीच झगड़ा हो गया.

इस का फायदा उठा कर रामबिहारी थाने पहुंच गया और चोरी करने वाले दोनों लड़कों के खिलाफ तहरीर दे दी. तहरीर मिलते ही कोंच पुलिस ने चोरी गए सामान सहित उन दोनों लड़कों को पकड़ लिया. पुलिस ने जब पकड़े गए राजकुमार व बालकिशन से पूछताछ की तो रामबिहारी राठौर के घिनौने सच का परदाफाश हो गया.

पुलिस जांच में लगभग 300 अश्लील वीडियोे सामने आए हैं और लगभग 50 बच्चों के साथ उस ने दुष्कर्म किया था. जांच से यह भी पता चला कि रामबिहारी पोर्न फिल्मों का व्यापारी नहीं है. न ही उस के किसी पोर्न फिल्म निर्माता से संबंध हैं. रामबिहारी का कनेक्शन बांदा के जेई रामभवन से भी नहीं था. 13 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त रामबिहारी राठौर को जालौन की उरई स्थित कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

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अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 1

राजस्थान में कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी. कई जगह पारा माइनस तक पहुंच गया था. ऐसी ठंड में 10 जनवरी को  सुबह करीब 5 बजे जयपुर में पुलिस कंट्रोल रूम के फोन की घंटी बजी. सुबहसुबह कंट्रोल रूम में हीटर पर हाथ सेंक रहे ड्यूटी अफसर ने फोन उठाया. दूसरी ओर से किसी लड़की ने रोते हुए धीमी सी आवाज में कहा, ‘‘हैलो.’’

‘‘हां बोलिए, मैं पुलिस कंट्रोल रूम से ड्यूटी अफसर बोल रहा हूं.’’

‘‘सर, मेरे साथ 4 लड़कों ने गैंगरेप किया है. रेप के बाद वे लड़के मुझे एमएनआईटी के पास फेंक गए हैं. मेरे कपड़े भी फटे हुए हैं.’’ लड़की ने सुबकते हुए कहा, ‘‘सर, उन बदमाशों ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.’’

गैंगरेप की बात सुन कर ड्यूटी अफसर ने लड़की से उस का नामपता पूछ कर उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘तुम वहीं रुको, हम पुलिस की गाड़ी भेज रहे हैं.’’

सुबहसुबह गैंगरेप की सूचना मिलने पर कंट्रोल रूम में मौजूद पुलिसकर्मी परेशान हो उठे थे. ड्यूटी अफसर ने तुरंत वायरलैस संदेश दे कर पैट्रोलिंग पुलिस टीम को मौके पर जाने को कहा. इस के बाद पुलिस अधिकारियों को वारदात की सूचना दी गई. एमएनआईटी यानी मालवीय नैशनल इंस्टीट्यूट औफ टेक्नोलौजी राजस्थान का जानामाना इंस्टीट्यूट है, जो जयपुर के बीच मालवीय नगर, झालाना डूंगरी में स्थित है.

कड़ाके की ठंड में सुबह 5 बजे लोगों का घर में रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं होता. लेकिन ठंड हो या गरमी, पुलिस को तो अपनी ड्यूटी करनी ही होती है. सूचना पा कर जयपुर (पूर्व) के पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए.

एमएनआईटी के सामने पुलिस अधिकारियों को वह लड़की मिल गई. उस के कपड़े फटे हुए थे और वह ठंड से कांप रही थी. उस के बदन पर काफी कम कपड़े थे. वह केवल एक कार्डिगन पहने थी, जिस से सर्दी से बचाव संभव नहीं था. उस ने बताया कि उस के साथ 4 लड़कों ने सामूहिक दुष्कर्म किया है. लड़की की हालत देख कर पुलिस अधिकारियों को उन दरिंदों पर बहुत गुस्सा आया.

पुलिस अधिकारियों ने लड़की को सांत्वना दे कर पुलिस की गाड़ी में बिठाया और सदर थाने ले गए. थाने पहुंच कर सब से पहले अर्दली से उस लड़की के लिए गरमागरम चाय मंगवाई गई, साथ ही एक महिला कांस्टेबल से उस की गरम जैकेट ले कर लड़की को पहनने को दी गई, ताकि ठंड से उस का बचाव हो सके. कमरे में हीटर भी जला दिया गया, ताकि कुछ गरमाहट आ सके.

चाय पी कर और जैकेट पहन कर लड़की के शरीर में कुछ गरमाहट आई. लड़की कुछ सामान्य हुई तो पुलिस अधिकारियों ने उस से वारदात के बारे में पूछा. लड़की ने बताया कि उस का नाम उर्वशी है और वह जयपुर के जगतपुरा में अपने पिता व भाई के साथ रहती है. वे लोग कुछ महीने पहले ही जयपुर आए हैं. जबकि मूलरूप से उस का परिवार उत्तर प्रदेश के मैनपुरी का रहने वाला है. उर्वशी ने आगे बताया कि वह 9 जनवरी को अलवर में स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) की प्रतियोगी परीक्षा दे कर ट्रेन से जयपुर वापस आई थी.

ट्रेन से जयपुर जंक्शन पर उतर कर वह शाम करीब सवा 7 बजे स्टेशन से बाहर निकली. उसे जगतपुरा स्थित अपने घर जाना था. इस के लिए वह किसी सवारी का इंतजार कर रही थी, तभी एक औटो वाला जगतपुरा की आवाज लगाता हुआ सुनाई दिया. उस ने औटो वाले से पूछा कि जगतपुरा फाटक चलोगे तो उस ने कहा, ‘‘20 रुपए लगेंगे.’’

वह उस औटो में बैठ गई. औटो में पहले से ही 3 लड़के बैठे थे. औटो वाला सिंधी कैंप, नारायणसिंह सर्किल से होते हुए 2-3 घंटे तक घुमाता रहा. बाद में वह उसे एक ग्राउंड में ले गया, जहां उन लोगों ने उस के कपड़े फाड़ दिए. इस के बाद औटो में बैठे तीनों लड़कों और औटो वाले ने उस के साथ दुष्कर्म किया. दुष्कर्म करने वाले 2 लड़के आपस में एकदूसरे का नाम संदीप और ब्रजेश ले रहे थे. उन दरिंदों ने उसे जान से मारने की नीयत से एक बोतल में भरा सफेद रंग का पेय भी पिलाया. वह पेय पीने के बाद उस ने उल्टी कर दी. लड़कों की उम्र 20-25 साल थी. बाद में वे चारों उसे औटो में बैठा कर अनजान जगह पर छोड़ गए.

जाने से पहले उन लड़कों ने उसे धमकी दी थी कि उन्होंने उस की वीडियो क्लिप बना ली है, किसी को बताया तो वे नेट पर डाल देंगे. उन सब के जाने के बाद उस ने वहां एक राहगीर से पूछा तो उस ने बताया कि यह जगह एमएनआईटी के पास है. इस के बाद वह एक बुजुर्ग की मदद से बस शेल्टर पर पहुंची और पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन किया.

इतनी सर्द सुबह उर्वशी के साथ हुई दरिंदगी की दास्तां सुन कर पुलिस अधिकारियों की आंखों में खून उतर आया. अधिकारियों ने उर्वशी से पूछ कर उस के घर वालों को सूचना दे कर उन्हें थाने बुलवा लिया. बेटी के साथ हुई दरिंदगी की बात जान कर उर्वशी के पिता फफकफफक कर रो पड़े. वह कुछ बोल नहीं पाए. पता चला कि वह मानसिक रूप से कमजोर थे. उर्वशी का छोटा भाई भी पिता के साथ थाने आया था.

पुलिस ने उर्वशी से उस के साथ दरिंदगी की लिखित रिपोर्ट ले कर सदर थाने में भादंवि की धारा 328, 367, 376डी व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. सदर थाने में रिपोर्ट इसलिए दर्ज की गई, क्योंकि लड़की का अपहरण रेलवे स्टेशन इलाके से हुआ था. हालांकि उर्वशी जहां मिली थी, वह इलाका जवाहरनगर सर्किल थाने के तहत आता था.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस उर्वशी को बनीपार्क स्थित सेटेलाइट अस्पताल ले गई. अस्पताल में उस की बोर्ड से मैडिकल जांच कराई गई. जांच में उस के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई.

नए साल के पहले पखवाड़े में राजधानी जयपुर में शाम को युवती का अपहरण करने के बाद रात भर उस से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने पुलिस अधिकारियों को हिला दिया था. जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने इस घटना को गंभीरता से लिया. उन्होंने अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर जयपुर (प्रथम) प्रफुल्ल कुमार के निर्देशन में जयपुर कमिश्नरेट, जयपुर पश्चिम एवं जयपुर पूर्व के अधिकारियों की टीमें गठित कर दीं. प्रफुल्ल कुमार ने पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अशोक कुमार गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस उपायुक्त (पूर्व) कुंवर राष्ट्रदीप, पुलिस उपायुक्त (अपराध) विकास पाठक, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) रतन सिंह, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) हनुमान सहाय मीणा, सहायक पुलिस आयुक्त (सदर) नीरज पाठक, प्रशिक्षु आईपीएस सुश्री तेजस्विनी गौतम, सहायक पुलिस आयुक्त (झोटवाड़ा) आस मोहम्मद, सहायक पुलिस आयुक्त राजपाल गोदारा, थानाप्रभारी (चौमूं) जितेंद्र सिंह सोलंकी, थानाप्रभारी (हरमाड़ा) लखन सिंह खटाना, थानाप्रभारी (सदर) रड़मल सिंह, थानाप्रभारी (करघनी) अनिल जसोरिया, थानाप्रभारी (बनीपार्क) धर्मेंद्र शर्मा सहित एक दरजन थानाप्रभारियों के नेतृत्व में अलगअलग टीमें बना कर जांच शुरू कर दी.

किन्नर का आखिरी वार : कैसे पड़ा परिवार पर भारी

8 अक्तूबर 2020 की सुबह 8 बजे बबेरू कस्बे के कुछ लोगों ने एक ऐसा खौफनाक मंजर देखा, जिस से उन की रूह कांप उठी. एक आदमी सड़क पर बेखौफ पैदल आगे बढ़ता जा रहा था. उस के एक हाथ में फरसा तथा दूसरे हाथ में कटा हुआ सिर था. सिर किसी महिला का था, जिसे वह सिर के बालों से पकड़े था.

कटे सिर से खून भी टपक रहा था, जिस से आभास हो रहा था कि कुछ देर पहले ही उस ने सिर को धड़ से अलग किया होगा. देखने वाले अनुमान लगा रहे थे कि कटा सिर या तो उस आदमी की प्रेमिका का है, या फिर पत्नी का. क्योंकि ऐसा जघन्य काम आदमी तभी करता है, जब या तो प्रेमिका धोखा दे या फिर पत्नी बेवफाई करे.

दिल कंपा देने वाला मंजर बिखेरता हुआ, वह आदमी बाजार चौराहा पार कर के थाना बबेरू के गेट पर जा कर रुका. पहरे पर तैनात सिपाही की नजर जब उस पर पड़ी तो वह घबरा गया, फिर हिम्मत जुटा कर अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पूछा, ‘‘कौन हो तुम. और तुम्हारे हाथ में ये कटा सिर किस का है?’’ ‘‘यह सब बातें हम बड़े दरोगा साहब को बताएंगे. उन्हें बुलाओ.’’ उस रौद्र रूपधारी आदमी ने जवाब दिया.‘‘ठीक है, तुम इस कुर्सी पर बैठो. मैं दरोगा साहब को बुला कर लाता हूं.’’

उस आदमी ने कटा सिर जमीन पर रखा फिर कंधा से फरसा टिका कर इत्मीनान से कुर्सी पर बैठ गया. पहरे वाला सिपाही बदहवास हालत में थाना इंचार्ज जयश्याम शुक्ला के कक्ष में पहुंचा, ‘‘सर एक आदमी आया है. उस के हाथ में फरसा और महिला का कटा सिर है.’’‘‘क्या?’’ शुक्लाजी चौंके. फिर वह रामसिंह व कुछ अन्य सिपाहियों के साथ थाना परिसर आए, जहां वह आदमी कुरसी पर बैठा था. उसे देख वह भी कांप उठे. कहीं वह पागल तो नहीं, उस स्थिति में वह पुलिस पर भी हमला कर सकता था. उन्होंने उस आदमी से कहा, ‘‘देखो, पहले अपना फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दो. फिर मैं तुम्हारी बात सुनूंगा.’’

जय श्याम शुक्ला की बात मान कर उस आदमी ने फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दिया. जिसे एक सिपाही ने संभाल लिया. इस के बाद शुक्ला ने उस आदमी को हिरासत में ले कर पूछा, ‘‘अब बताओ, तुम कौन हो, कहां रहते हो और कटा सिर किस का है?’’

‘‘दरोगा बाबू, मेरा नाम किन्नर यादव है. मैं अतर्रा रोड, नेता नगर में रहता हूं. कटा सिर मेरी पत्नी विमला का है. मैं ने ही फरसे से उस का सिर काटा है. मैं हत्या का जुर्म कबूल करता हूं. आप मुझे गिरफ्तार कर लो.’’

‘‘तुम ने अपनी पत्नी विमला की हत्या क्यों की?’’ जय श्याम शुक्ला ने पूछा.

‘‘साहब, वह बदचलन औरत थी. पड़ोसी रवि उर्फ बंका के साथ रंगरेलियां मनाती थी. कई बार मना किया, बच्चों की कसम खिलाई, इज्जत की दुहाई दी, लेकिन वह नहीं मानी. आज मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ. मैं ने बंका पर फरसा से हमला किया तो वह उसे बचाने आ गई. इस पर मैं ने उस की गर्दन काट दी और ले कर थाने आ गया.’’

‘‘बंका कहां है?’’ शुक्लाजी ने पूछा.

‘‘बंका घर में तड़प रहा होगा. उस की किस्मत अच्छी थी, बच गया.’’

मंजर देख पुलिस भी हैरान थी

पूछताछ के बाद प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने कातिल किन्नर यादव को हवालात में बंद कराया, फिर इस दिल कंपा देने वाली घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. इस के बाद कटा सिर साथ में ले कर पुलिस बल के साथ नेता नगर स्थिति किन्नर यादव के मकान पर पहुंच गए.

उस समय वहां भारी भीड़ जुटी थी. मृतका विमला की सिरविहीन लाश सड़क पर पड़ी थी. उस की गर्दन बड़ी बेरहमी से काटी गई थी. पैर पर भी वार किया गया था, जिस से पैर पर जख्म लगा था. मृतका की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. रंग साफ और शरीर स्वस्थ था. उस के शव के पास बच्चे तथा महिलाएं बिलख रही थी.

पड़ोस में सूरजभान सविता का मकान था. उस का बेटा रवि उर्फ बंका घायल पड़ा तड़प रहा था. किन्नर यादव ने उस पर भी फरसे से हमला किया था, जिस से उस का एक कान तथा गर्दन कट गई थी. जय श्याम शुक्ला ने उसे इलाज के लिए स्वास्थ केंद्र भिजवा दिया.

जय श्याम शुक्ला अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीणा, अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह चौहान तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय भी वहां आ गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पासपड़ोस के लोगों तथा मृतका के पिता रामशरण यादव से घटना के बारे में जानकारी हासिल की.

पड़ोस में रहने वाली ननकी ने बताया कि विमला जान बचाने के लिए उस के घर में घुस आई थी. लेकिन पीछा करते हुए उस का पति किन्नर यादव घर में आ गया था. वह विमला  के बाल पकड़ कर घसीटते हुए घर के बाहर सड़क पर ले गया. फिर उस ने फरसे से विमला की गर्दन धड़ से अलग कर दी. वह चाह कर भी उस की कोई मदद नहीं कर पाई थी.

रामदत्त की बेटी अंतिमा ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह घर के बाहर साफसफाई कर रही थी तभी किन्नर चाचा फरसा ले कर आए और बंका पर हमला कर दिया. उस का कान तथा गर्दन कट गई. विमला चाची बंका को बचाने आई तो चाचा ने बंका को छोड़ कर विमला चाची पर हमला कर दिया. वह जान बचा कर ननकी काकी के घर घुस गई. लेकिन उन की जान नहीं बच सकी.

थाने लौट कर पुलिस अधिकारियों ने हवालात में बंद किन्नर यादव को बाहर निकलवा कर बंद कमरे में पूछताछ की. पूछताछ में उस ने सहजता से पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने स्वास्थ केंद्र पहुंच कर घायल रवि उर्फ बंका से जानकारी हासिल की. बंका ने विमला से अवैध रिश्तों की बात स्वीकार की.

इधर पुलिस अधिकारियों के आदेश पर प्रभारी निरीक्षक जयश्याम शुक्ला ने मृतका विमला के सिर और धड़ को एक साथ पोस्टमार्टम के लिए बांदा के जिला अस्पताल भेज दिया. पोस्टमार्टम करा कर पुलिस ने उसी दिन मुक्तिधाम में उस का दाह संस्कार करा दिया.

चूंकि कातिल किन्नर यादव ने स्वयं थाने जा कर आत्मसमर्पण किया था और आलाकत्ल फरसा भी पुलिस को सौंप दिया था. इसलिए प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने मृतका के पिता रामशरण यादव को वादी बना कर धारा 302/324 आईपीसी के तहत किन्नर यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में अवैध रिश्तों की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

किन्नर यादव बांदा जनपद के कस्बा बबेरू नेता नगर में रहता था. 12 साल पहले उस का विवाह मरका क्षेत्र के सिरिया ताला गांव निवासी रामशरण सिंह यादव की बेटी विमला के साथ हुआ था. विमला सरल स्वभाव की महिला थी. किन्नर यादव उसे बहुत प्यार करता था. कालांतर में विमला 2 बेटों संदीप व कुलदीप की मां बनी.

परिवार के लिए हाड़तोड़ मेहनत

किन्नर यादव पटाखा, आतिशबाजी बनाने का बेहतरीन कारीगर था. वह बबेरू के एक लाइसेंस होल्डर के यहां काम करता था. उसे पगार तो मिलती ही थी, साथ में वह अवैध रूप से भी पटाखे बना लेता था. इस से भी उसे ठीकठाक कमाई हो जाती थी. उस के परिवार के भरणपोषण के लिए इतना काफी था. यह काम करने वाले और भी थे.

लेकिन अवैध काम तो अवैध ही होता है. बबेरू पुलिस को भनक पड़ी तो उस ने धरपकड़ शुरू की, लेकिन किन्नर यादव किसी तरह बच गया. इस के बाद पत्नी विमला के समझाने पर उस ने अवैध काम को बंद कर दिया और कस्बे की एक आढ़त पर पल्लेदारी का काम करने लगा.

रवि उर्फ बंका किन्नर यादव के पड़ोस में रहता था. उस के पिता सूरजभान सविता गांव मरका में रहते थे. अविवाहित बंका अपनी मां गोमती के साथ रहता था. वह बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी था. वेतन के अलावा उस की ऊपरी कमाई भी थी, सो वह ठाटबाट से रहता था.

बंका और किन्नर यादव हमउम्र थे. दोनो के बीच दोस्ती थी. लेकिन एकदूसरे के घर ज्यादा आना जाना नहीं था. एक बार बंका किसी काम से किन्नर यादव के घर आया. उस ने किन्नर की पत्नी विमला को देखा, तो उस की नियत खराब हो गई.

अब वह विमला को पाने के जतन करने लगा.

किन्नर के 2 बेटे थे संदीप व कुलदीप. दोनों स्कूल जाते थे. बच्चों की परवरिश और पढ़ाईलिखाई से खर्चे बढ़ गए थे, जबकि आमदनी उतनी ही थी. जरूरत होती तो किन्नर बंका से ब्याज पर पैसे ले लेता था. इसी सिलसिले मे एक रोज बंका, किन्नर यादव के घर आया था. दोनों घर से निकलने लगे, तो विमला ने पति को टोका, ‘‘सुनिए, बच्चों की फीस देनी है, 500 रुपए दे जाओ.’’

‘‘अभी पैसे नहीं है. शाम को बात करते है.’’ किन्नर ने लापरवाही से कहा, तो बंका ने जेब से पर्स निकाला और पांचपांच सौ के 2 नोट निकाल कर विमला की हथेली पर रख दिए, ‘‘ये लो भाभी, बच्चों की फीस दे देना.’’ फिर वह किन्नर की ओर मुखातिब हुआ, ‘‘यार बच्चों की जरूरतों के मामले में भाभी को परेशान मत किया करो. तुम्हारा यह दोस्त है तो..’’ कहने के साथ ही उस ने मुसकरा कर विमला की ओर देखा, ‘‘भाभी, आप संकोच मत करना. जब भी जरूरत हो, कह देना.’’

बंका के पर्स में नोटों की झलक देख विमला हसरत से उस के पर्स को देखती रह गई. बंका समझ गया कि विमला की दुखती रग पैसे की जरूरत है. उस रोज के बाद वह गाहेबगाहे विमला की आर्थिक मदद करने लगा. अब दोनों एकदूसरे को देख मुसकराने लगे थे.

बंका की नजरें विमला के सीने पर पड़ती, तो वह जानबूझ कर आंचल गिरा देती, जिस से बंका अपनी आंखें सेंक सके. दरअसल बंका विमला को पाने के लिए लालायित था, तो विमला भी कुंवारे बंका को अपने रूप जाल में फंसाने को उतावली थी.

घर के बढ़ते खर्चों के कारण किन्नर यादव की व्यस्तता बढ़ गई थी. वह ज्यादा से ज्यादा समय आढ़त पर बिताता था ताकि पल्लेदारी कर ज्यादा पैसा कमा सके. वह सुबह घर से निकलता तो देर रात थकामांदा लौटता था. उस का पूरा दिन और आधी रात आढ़त पर ही बीत जाती थी. घर आता तो खाना खा कर सो जाता था. कभी मन हुआ तो बेमन से विमला को बांहों में लेता फिर अपनी थकान उतार कर एक ओर लुढ़क जाता. इस से विमला का मन भटकने लगा. वह रवि बंका के हसीन जाल में फंसने को उतावली हो उठी.

पहले तो बंका किन्नर यादव की उपस्थिति में ही आता था, बाद में वह उस की गैरमौजूदगी में भी आने लगा. विमला से उस का हंसीमजाक व नैनमटक्का पहले ही दिन से शुरू हो गया था. गुजरते दिनों के साथ दोनों नजदीक भी आते गए. उस के बाद एक दोपहर को वह सब हो गया, जिस की चाहत दोनों के मन में थी.

चाहत में पतिता बन गई विमला

विमला और बंका के सामने एक बार पतन का रास्ता खुला, तो वे उस पर लगातार फिसलते चले गए. दिन में विमला घर में अकेली रहती थी. किन्नर यादव आढ़त चला जाता था और दोनों बच्चे स्कूल. विमला फोन कर के बंका को बुला लेती. बच्चों के स्कूल लौटने से पहले ही बंका अपने अरमान पूरे कर चला जाता था.

दोनों के बीच प्रीत बढ़ी, तो विमला को दिन का उजाला उलझन देने लगा. हर समय किसी के आने का डर भी बना रहता था. इसलिए हसरतों का पूरा खेल उन्हें जल्दीजल्दी निपटाना पड़ता था. दोनों ही इस हड़बड़ी और जल्दबाजी से संतुष्ट नहीं थे.

वे दोनों देह का पूरा खेल सुकून व इत्मीनान से खेलना चाहते थे. जिस दिन किन्नर आढ़त से घर नहीं आ पाता, उस दिन बच्चों के सो जाने के बाद विमला चुपके से उसे घर में बुला लेती.

बंका का किन्नर यादव की गैरमौजूदगी में चुपके से आना और उस के आने से पहले ही चले जाना पड़ोसियों की नजरों से छुपा नहीं रह सका. लिहाजा उन दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगीं. फैलतेफैलते ये बातें किन्नर यादव के कानों तक पहुंची तो उस ने विमला से जवाब तलब किया.

रंगे हाथ पकड़े बगैर औरतें हो या पुरुष, अपनी बदचलनी स्वीकार नहीं करते. विमला ने भी मोहल्ले वालों को झूठा और जलने वाला कह कर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन किन्नर को इस से संतुष्टि नहीं हुई. उस ने दोनों की निगरानी शुरू कर दी और एक दिन उन्हें आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया.

किन्नर ने विमला को पीटा और बंका को अपमानित कर के घर से निकाल दिया. इस के बावजूद भी दोनों नहीं सुधरे. विमला, बंका को बुलाती रही और वह उस की देह को सुख देने आता रहा.

कुछ समय बाद एक रोज किन्नर ने दोनों को फिर रंगे हाथ पकड़ लिया. उस दिन उस की बंका से मारपीट भी हुई. यह तमाशा पूरे मोहल्ले ने देखा. किन्नर यादव ने बंका को धमकी भी दी, ‘‘तुझ से तो मैं अपने तरीके से निपटूंगा. ऐसा सबक सिखाऊंगा कि पराई औरत के पास जाने से डरेगा.’’

इस घटना के बाद बंका और विमला का मिलन बंद हो गया. किन्नर ने विमला को समझाया, बच्चों की दुहाई दी, इज्जत की भीख मांगी. लेकिन बंका के इश्क में अंधी विमला नहीं मानी. पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय तक बंका से दूर रही, उस के बाद फिर से उसे बुलाने लगी.

अक्तूबर के पहले हफ्ते में विमला के दोनों बच्चे संदीप व कुलदीप अपनी नानी के घर सिरिया ताला गांव चले गए. बच्चे नानी के घर गए तो विमला और भी निश्चिंत हो गई.

वह प्रेमी बंका को मिलन के लिए दिन में बुलाने लगी. 8 अक्तूबर, 2020 की सुबह 6 बजे किन्नर किसी काम से घर से निकल गया. उस के जाने के बाद बंका उस के घर आ गया. वह विमला को बाहों में भर कर प्रणय निवेदन करने लगा. विमला ने किसी तरह अपने को मुक्त किया और कहा कि किन्नर किसी भी समय घर आ सकता है. वह वापस चला जाए. खतरा भांप कर बंका ने बात मान ली.

बंका घर से बाहर निकल ही रहा था कि किन्नर यादव आ गया. उस ने बंका को घर से बाहर निकलते देख लिया था, उसे शक हुआ कि बंका विमला के शरीर से खेल कर निकला है. शक पैदा होते ही किन्नर को बहुत गुस्सा आया. उस ने घर में रखा फरसा उठाया और पड़ोसी बंका के घर पहुंच गया.

बंका कुछ समझ पाता उस के पहले ही उस ने उस पर फरसे से प्रहार कर दिया. बंका का कान कट गया और खून बहने लगा. वह बचाओ… बचाओ… की गुहार लगाने लगा, तभी उस ने उस पर दूसरा प्रहार कर दिया, जिस से उस की गर्दन कट गई और वह जमीन पर गिर गया.

इधर बंका की चीख सुन कर विमला उसे बचाने पहुंच गई. विमला को देख किन्नर का गुस्सा और भड़क गया. उस ने बंका को छोड़ विमला पर फरसे से हमला कर दिया. फरसा विमला के पैर में लगा और वह जान बचा कर भागी.

सामने ननकी का घर था, वह उसी घर में घुस गई. पीछा करता हुआ किन्नर भी आ गया. वह विमला के बाल पकड़ कर घर के बाहर लाया और सड़क पर फरसे से उस की गर्दन धड़ से अलग कर दी. ननकी तथा कई अन्य लोगों ने देखा, पर उसे बचाने कोई नहीं आया.

पत्नी की गर्दन काटने के बावजूद किन्नर का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ. उस ने एक हाथ में विमला का कटा सिर पकड़ा और दूसरे हाथ में फरसा ले कर थाने की ओर चल दिया. लगभग डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल तय कर के किन्नर थाना बबेरू पहुंचा और पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया.

9 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त किन्नर यादव को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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