हवाई जहाज वाली चोरनी : पैसे की लत्त में बनी चोर

अप्रैल, 2019 महीने की बात है. मुंबई के लोअर परेल के एनएम जोशी मार्ग स्थित पुलिस स्टेशन में एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह परेल के ही फिनिक्स मौल के ‘जारा’ शोरूम में शादी के लिए खरीदारी करने गई थी.

खरीदारी करने के बाद उस ने बिल अदा करने लिए सामान वाला अपना बैग बेटे को थमा दिया. संयोग से उसी समय बेटे के मोबाइल फोन पर किसी का फोन आ गया तो बेटा वहीं रखी कुरसी पर बैग रख कर मोबाइल फोन पर बात करने लगा.

फोन पर बात करने में उस का बेटा इस तरह मशगूल हो गया कि उसे बैग का खयाल ही नहीं रहा. फोन कटा तो उसे बैग की याद आई.पता चला कि बैग अपनी जगह पर नहीं है. वह इधरउधर देखने लगा. बैग वहां होता तब तो मिलता. जिस समय वह फोन पर बातें करने में मशगूल था, उसी बीच कोई उस का बैग उठा ले गया था.

उस के बैग में 13 लाख के गहने, नकद रुपए और मोबाइल फोन मिला कर करीब 15 लाख रुपए से ज्यादा कीमत का सामान था.यह कोई छोटीमोटी चोरी नहीं थी. इसलिए एमएम जोशी मार्ग थाना पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी. मौल में जा कर गहन छानबीन के साथ वहां ड्यूटी पर तैनात सिक्योरिटी गार्डों के अलावा एकएक कर्मचारी से विस्तार से पूछताछ की गई.

सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गई, पर कोई ऐसा संदिग्ध पुलिस की नजर में नहीं आया, जिस पर उसे शक होता. पुलिस अपने हिसाब से चोरी की वारदात की जांच करती रही, पर उस चोर तक नहीं पहुंच सकी.मुंबई पुलिस का एक नियम यह है कि मुंबई में कोई भी बड़ी वारदात होती है तो थाना पुलिस के साथसाथ मुंबई पुलिस की अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) भी थाना पुलिस के समांतर जांच करती है.

चोरी की इस वारदात की जांच कुर्ला की अपराध शाखा की यूनिट-5 को भी सौंपी गई. क्राइम ब्रांच के डीसीपी ने इस मामले की जांच सीनियर इंसपेक्टर जगदीश सईल को सौंपी. सीनियर इंसपेक्टर जगदीश सईल ने इंसपेक्टर योगेश चव्हाण, असिस्टेंट इंसपेक्टर सुरेखा जवंजाल, महेंद्र पाटिल, अमोल माली आदि को मिला कर एक टीम बनाई और चोरी की इस घटना की जांच शुरू कर दी.

अपराध शाखा की इस टीम ने भी मौके पर जा कर सभी से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज ला कर अपने औफिस में ध्यान से देखनी शुरू की.सीसीटीवी फुटेज में अपराध शाखा की यह टीम उस समय की फुटेज को बड़े गौर से देख रही थी, जिस समय महिला का बैग चोरी हुआ था. काफी कोशिश के बाद उन्हें भी ऐसा कोई संदिग्ध नजर नहीं आया, जिस पर वे शक करते.

सीसीटीवी फुटेज और पूछताछ में क्राइम ब्रांच को कोई कामयाबी नहीं मिली तो यह टीम चोर तक पहुंचने के अन्य विकल्पों पर विचार करने लगी.तमाम विकल्पों पर विचार करने के बाद एक विकल्प यह भी सामने आया कि मुंबई में इस के पहले तो इस तरह की कोई वारदात नहीं हुई है. जब इस बारे में पता किया गया तो पता चला कि इस के पहले सन 2016 में दादर के शिवाजी पार्क स्थित लैक्मे शोरूम में भी इसी तरह की एक वारदात हुई थी.

उस चोरी में भी कोई गहनों और रुपयों से भरा बैग इसी तरह उठा ले गया था. इसी तरह की 3 चोरियों का और पता चला. वे तीनों चोरियां भी इसी तरह से की गई थीं. इस के बाद जगदीश सईल की टीम ने जिस दिन दादर के लैक्मे शोरूम में चोरी हुई थी, उस दिन की सीसीटीवी फुटेज हासिल की और उसे ध्यान से देखना शुरू किया. यह टीम फुटेज में उस समय पर विशेष ध्यान दे रही थी, जिस समय चोरी होने की बात कही गई थी.

पुलिस टीम शोरूम में आनेजाने वाले एकएक आदमी को गौर से देख रही थी. इसी तरह ध्यान से फिनिक्स मौल के जारा शोरूम की भी सीसीटीवी फुटेज देखी गई तो इस टीम को एक ऐसी औरत दिखाई दी, जो दोनों ही फुटेज में थी. जिस समय चोरी होने की बात कही गई थी, उसी समय दोनों फुटेज में उस महिला को देख कर पुलिस की आंखों में चमक आ गई.

इस से पुलिस को लगा कि चोरी की वारदातों में इसी महिला का हाथ हो सकता है. महिला की फोटो मिल गई, तो पुलिस उस का पताठिकाना तलाशने में लग गई. यह काम इतना आसान नहीं था. किसी अंजान महिला को मुंबई जैसे शहर में मात्र फोटो के सहारे ढूंढ निकालना भूसे के ढेर से सुई तलाशने जैसा था.

अखबारों में भी फोटो नहीं छपवाया जा सकता था. अपना फोटो देख कर वह महिला गायब हो सकती थी. चुनौती भरा काम करने में अलग ही मजा आता है. जगदीश सईल की टीम ने भी इस चुनौती को स्वीकार कर महिला की उसी तस्वीर के आधार पर तलाश शुरू कर दी.

पहले तो इस टीम ने जहांजहां चोरी हुई थी, उन शोरूमों के मालिकों और कर्मचारियों को महिला की वह फोटो दिखाई कि कहीं यह उन के शोरूम में खरीदारी करने तो नहीं आती थी या यह उन की ग्राहक तो नहीं है. इस मामले में पुलिस टीम को तब निराश होना पड़ा, जब सभी ने कहा कि इनकार कर दिया. एक फोटो के आधार पर किसी को खोज निकालना पुलिस के लिए आसान नहीं था. लेकिन इंसपेक्टर जगदीश सइल की टीम ने इस नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया.

मोबाइल नंबर हो तो पुलिस उसे सर्विलांस पर लगा कर अपराधी तक पहुंच जाती है, पर यहां तो महिला का नंबर ही नहीं था.अब पुलिस को उस के मोबाइल नंबर पता करना था, जो बहुत मुश्किल काम था. पर पुलिस ने इस मुश्किल काम को आखिर कर ही दिखाया.

जगदीश सइल की टीम ने इस के लिए चोरी के समय दोनों मौलों में जितने भी मोबाइल नंबर सक्रिय थे, सारे नंबर निकलवाए. इस के बाद पूरी टीम ने नंबर खंगालने शुरू किए.

काफी मशक्कत के बाद इन नंबरों में एक नंबर ऐसा मिला, जो दोनों मौलों में चोरी होने के समय सक्रिय था. बाकी कोई भी नंबर ऐसा नहीं था, जो दोनों मौलों में चोरी के समय सक्रिय रहा हो.

पुलिस को उस नंबर पर शक हुआ तो पुलिस ने उस नंबर के बारे पता लगाना शुरू किया. नंबर मिलने के बाद पता लगाना मुश्किल नहीं था. जिस कंपनी का नंबर था, उस कंपनी से नंबर के मालिक के बारे में तो जानकारी मिल ही गई, उस का पता ठिकाना भी मिल गया. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार वह नंबर बेंगलुरु की रहने वाली मुनमुन हुसैन का था.

मामला एक महिला से जुड़ा था, इसलिए पुलिस जल्दबाजी में कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती थी, जिस से बाद में बदनामी हो. इसलिए पुलिस पहले उस महिला के बारे में सारी जानकारी जुटा कर पूरी तरह संतुष्ट हो जाना चाहती थी कि वारदातें इसी महिला द्वारा की गई हैं या नहीं.

इस के लिए जगदीश सइल ने सीसीटीवी फुटेज में मिली फोटो, फोन नंबर और कंपनी द्वारा मिला पता बेंगलुरु पुलिस को भेज कर उस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की. पता चला कि महिला संदिग्ध लगती है. इस के बाद मुंबई पुलिस ने बेंगलुरु जा कर वहां की पुलिस की मदद से उस महिला को गिरफ्तार कर लिया.  मुंबई ला कर उस महिला से विस्तार से पूछताछ की गई तो पता चला कि सारी चोरियां उसी ने की थीं. इस के बाद उस ने अपनी जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी.

46 वर्षीय मुनमुन हुसैन उर्फ अर्चना बरुआ उर्फ निक्की मूलरूप से मध्य कोलकाता के तालतला की रहने वाली थी. उस का असली नाम अर्चना बरुआ है. वह पढ़नेलिखने में तो ठीकठाक थी ही, साथ ही सुंदर भी थी. उस की कदकाठी जैसे सांचे में ढली हुई थी. इसलिए उस ने सोचा कि क्यों न वह मौडलिंग में अपना कैरियर बनाए.

काफी कोशिश के बाद भी जब उसे मौडलिंग का कोई काम नहीं मिला तो उस ने एक ब्यटूपार्लर में काम सीखा और वहीं नौकरी करने लगी.वहां वेतन इतना नहीं मिलता था कि उस के खर्चे पूरे होते, इसलिए अपने खर्चे पूरे करने के लिए उस ने सब की नजरें बचा कर ब्यूटीपार्लर में आने वाली महिलाओं के पर्स से रुपए चोरी करने शुरू कर दिए.

इस में वह सफल रही तो उस ने बाहर चोरी करने का विचार किया. पर इस में वह पहली बार में ही पकड़ी गई. वह दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर स्थित एल्गिन शौपिंग मौल में मोबाइल फोन और सौंदर्य प्रसाधन का सामान चोरी कर रही थी कि किसी सेल्समैन की नजर उस पर पड़ गई और वह पकड़ी गई.

इस के बाद उस ने एक बार और प्रयास किया. इस बार भी वह पकड़ी गई तो अखबारों में उस की फोटो छप गई, जिस से वह काफी बदनाम हो गई थी. इस के अलावा पुलिस भी उस के पीछे पड़ गई थी, जिस से उसे कोलकाता छोड़ना पड़ा.

अर्चना कोलकाता छोड़ कर मुंबई आ गई. वह एक अच्छी मौडल बनना चाहती थी, इसलिए मुंबई आ कर एक बार फिर उस ने मौडलिंग के क्षेत्र में भाग्य आजमाने की कोशिश की. वह मौडल बन कर नाम और शोहरत कमाना चाहती थी.

अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए अर्चना मुंबई में जीजान से कोशिश करने लगी. पर मुंबई तो मायानगरी है. यह मोह तो सभी को लेती है, पर जरूरी नहीं कि यहां आने वाले हर किसी का भाग्य बदल जाए. जिस का भाग्य बदल देती है, वह तो आसमान में उड़ने लगता है, बाकी यहां तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो स्ट्रगल करते हुए अपनी जिंदगी बरबाद कर लेते हैं.

ऐसा ही कुछ अर्चना के साथ भी हुआ. चाहती तो थी वह मौडल बनना, पर समय ने उस का साथ नहीं दिया और काम की तलाश करतेकरते एक दिन ऐसा आ गया कि उस के भूखों मरने की नौबत आ गई. उस के लिए अच्छा यह था कि उस का गला सुरीला था और वह अच्छा गा लेती थी.

अर्चना को जब कहीं कोई काम नहीं मिला तो वह बीयर बार में गाने लगी. यहां उस ने अपना नाम निक्की रख लिया. निक्की के नाम से अर्चना पेट भरने के लिए बार में गाती तो थी, पर उसे यह काम पसंद नहीं आया.

फिर वह अपना भाग्य आजमाने बेंगलुरु चली गई. वह गाती तो अच्छा थी ही, इसलिए वह वहां एक आर्केस्टा के साथ जुड़ गई. उसे ब्यूटीपार्लर का भी काम आता था, इसलिए एक ब्यूटीपार्लर में भी काम करने लगी. यहां उस ने अपना नाम मुनमुन हुसैन रख लिया था.

ब्यूटीपार्लर में काम करते हुए और स्टेज पर अंग प्रदर्शन करते हुए उसे लगा कि आखिर इस तरह वह कब तक भटकती रहेगी. उसे एक जीवनसाथी की जरूरत महसूस होने लगी थी, जो उसे प्यार भी करे और जीवन में ठहराव के साथ सहारा भी दे. वह अकेली अपनी जिम्मेदारी उठातेउठाते थक गई थी.

अर्चना बरुआ उर्फ निक्की उर्फ मुनमुन हुसैन ने जीवनसाथी की तलाश शुरू की तो जल्दी ही उसे इस काम में सफलता मिल गई. वह सुंदर तो थी ही. आर्केस्ट्रा के किसी प्रोग्राम में उसे देख कर एक व्यवसाई का दिल उस पर आ गया.

मुनमुन को एक प्रेमी की तलाश थी ही, जो उस का जीवनसाथी बन सके. उस ने उस व्यवसाई को अपने प्रेमजाल फांस कर उस से शादी कर ली. जल्दी ही वह एक बेटी की मां भी बन गई. पर जल्दी ही बेटी और शादी, दोनोें ही मुनमुन को बोझ लगने लगी. क्योंकि इस से उस की आजादी और मौजमस्ती दोनों ही छिन गई थीं.

बेटी की देखभाल करना और उस के लिए दिन भर घर में कैद रहना उस के वश में नहीं था. वह बेटी की देखभाल उस तरह नहीं कर रही थी, जिस तरह एक मां अपने बच्चे की करती है. यह बात उस के व्यवसाई पति को अच्छी नहीं लगी तो वह मुनमुन पर अंकुश लगाने लगा.

मुनमुन हमेशा अपना जीवन आजादी के साथ जिया था. पति की रोकटोक उसे अच्छी नहीं लगी. एक तो बेटी के पैदा होने से वैसे ही उस की आजादी छिन गई थी, दूसरे अब पति भी उस पर रोकटोक लगाने लगा था.

उसे यह सब रास नहीं आया तो वह पति से अलग हो गई. पति से तलाक होने के बाद एक बार फिर मुनमुन रोजीरोटी के लिए ब्यूटीपार्लर में काम करने के साथ आर्केस्ट्रा में गाने लगी. मुनमुन के खर्चे भी बढ़ गए थे और आगे की जिंदगी यानी भविष्य के लिए भी वह कुछ करना चाहती थी.

इन दोनों कामों से वह जो कमाती थी, इस से किसी तरह उस का खर्च ही पूरा हो पाता था. भविष्य की चिंता में उस ने एक बार फिर चोरी करनी शुरू कर दी. क्योंकि चोरी करने का उसे पहले से ही अभ्यास था.जिस ब्यूटीपार्लर में वह काम करती थी, उस ने वहीं से चोरी करना शुरू किया. उस के बाद तो मुनमुन होटल, मौल और विवाहस्थलों तथा शादी वाले घरों में जा कर चोरी करने लगी. ब्यूटीपार्लर मे चोरी करने पर वह पकड़ी नहीं गई थी, इसलिए उस का हौसला बढ़ गया था.

जैसेजैसे वह चोरी करने में सफलता प्राप्त करती गई, वैसेवैसे उस की हिम्मत बढ़ती गई. बस फिर क्या था, आर्केस्ट्रा में काम करने के साथसाथ उस ने चोरी को भी अपना व्यवसाय बना लिया.

क्योंकि पहली चोरी में ही उस के हाथ 10 लाख रुपए से ज्यादा का माल लग गया गया था. कोलकाता में कई बार पकड़ी जाने की वजह से उसे कोलकता छोड़ना पड़ा था, इसलिए उस ने तय किया कि वह बेंगलुरु में चोरी नहीं करेगी.

वह बेंगलुरु में चोरी करने के बजाए अन्य महानगरों में जा कर चोरी करेगी. इसी के साथ मुनमुन ने यह भी योजना बनाई कि वह सुबह जाएगी और दिन में चोरी कर के शाम तक वह शहर छोड़ देगी.

पूरी योजना बना कर मुनमन हाईप्रोफाइल महिला बन कर हवाई जहाज से अन्य शहरों में जा कर चोरियां करने लगी. वह सुबह मुंबई या हैदराबाद हवाई जहाज से जाती और किसी शोरूम या किसी बड़े होटल में किसी को अपना शिकार बना कर रात तक बेंगलुरु के अपने घर वापस आ जाती.

अब तक पुलिस के सामने उस ने 9 चोरियों का खुलासा किया है. वह जब भी चोरी करती थी, कम से कम 10 लाख का माल तो होता ही था. वह 10 से 20 लाख के बीच ही चोरी करती थी. चोरी से ही उस ने करोड़ों की संपत्ति बना ली थी.

मुनमुन द्वारा चोरी किए गए गहने नए होते थे, इसलिए अगर वह उन्हें बेचने जाती तो दुकानदार को उस पर शक हो सकता था. वह उस से हजार सवाल करता. संभव था पुलिस को भी सूचना दे देता.

इसलिए उस ने इस से बचने का तरीका यह निकाला कि वह गहने बेचने के बजाय अपने घर में किसी को कोई बड़ी बीमारी होने का बहाना बना कर वह उन्हें गिरवी रख कर बदले में मोटी रकम ले लेती थी. इस के बाद वह उस के पास उन्हें कभी वापस लेने नहीं जाती थी.

अपराध शाखा पुलिस ने पूछताछ और साक्ष्य जुटा कर मुनमुन हुसैन उर्फ अर्चना बरुआ उर्फ निक्की को थाना एनएम जोशी मार्ग पुलिस को सौंप दिया.

थाना पुलिस ने अपनी काररवाई पूरी कर मुनमुन को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस को मुनमुन हुसैन के पास से 15 लाख रुपए के गहने भी बरामद हुए थे.

अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 4

यह कह कर ऋषिराज वहां से चला गया. उस के जाने के बाद उर्वशी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया था. उर्वशी को एमएनआईटी छोड़ने के बाद ऋषिराज अपने फ्लैट पर पहुंचा और सामान समेट कर कमरे को खाली कर के फरार हो गया.

शुरुआती पूछताछ में उर्वशी ऋषिराज के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार करती रही, लेकिन जब मोबाइल लोकेशन के आधार पर उसे पकड़ कर दोनों का आमनासामना कराया गया तो उर्वशी ने सारा सच उगल दिया.

पूछताछ में पता चला कि दोनों ब्लैकमेलिंग करने के लिए पहले युवकों को ढूंढते थे और फिर पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उन से रकम ऐंठते थे. इस मामले में उर्वशी ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय संदीप और ब्रजेश का नाम लिया था.

संदीप ने उर्वशी से उस की सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे. लेकिन संदीप से उर्वशी को कुछ नहीं मिला तो उस ने पुलिस के सामने संदीप का नाम ले लिया. संदीप खुद को बैंक मैनेजर का लड़का बताता था, इसलिए उर्वशी को उस से मोटी रकम मिलने की उम्मीद थी.

संदीप लांबा को जब इस षडयंत्र का पता चला तो उस ने जवाहर सर्किल थाने में खुद के साथ ब्लैकमेलिंग व आपराधिक षडयंत्र की लिखित रिपोर्ट दी. जांच में यह भी सामने आया कि उर्वशी ब्रजेश से भी पहले से ही अच्छी तरह परिचित थी. उन की फोन पर बातें होती रहती थीं. ऋषिराज ने ही ब्रजेश को उर्वशी से मिलवाया था. उर्वशी ब्रजेश को फोन कर के बुलाती थी, लेकिन वह उन के झांसे में नहीं आया.

पुलिस का कहना था कि ऋषिराज मीणा ने उर्वशी के साथ मिल कर लोगों को दुष्कर्म के केस में फंसाने की धमकी दे कर उन्हें ब्लैकमेल कर के मोटी रकम ऐंठने की योजना बनाई थी. ऋषिराज संदीप और ब्रजेश से करीब 5 लाख रुपए में सौदा करना चाहता था. इन पैसों से वह अपना कोई व्यापार करना चाहता था.

पुलिस ने षडयंत्र रच कर गैंगरेप की मनगढं़त कहानी बना कर झूठा मुकदमा दर्ज कराने, अवैध व फरजी आईडी से अलगअलग सिम व मोबाइल रखने और ब्लैकमेलिंग कर के धन ऐंठने के आरोप में उर्वशी और ऋषिराज मीणा को 13 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने इन के कब्जे से 6 मोबाइल फोन और 15 सिम बरामद किए. ऋषिराज मीणा सवाई माधोपुर जिले के वजीरपुर थाना इलाके के बढोद गांव के रहने वाले रामफल मीणा का बेटा था. उस के खिलाफ चोरी व गबन के 2 मामले पहले से दर्ज हैं.

पुलिस जांच में सामने आया है कि उर्वशी के जयपुर आने के बाद से ऋषिराज उस के साथ रिलेशनशिप में रह रहा था. उस ने लोगों को फंसाने के लिए घटना से 20 दिनों पहले ही प्रेमनगर में 8 हजार रुपए महीने पर किराए का फ्लैट लिया था. वह जल्दी ही उर्वशी से शादी करना चाहता था और उर्वशी के माध्यम से लोगों को दुष्कर्म के केसों में फंसा कर ब्लैकमेल करने के बाद मोटी रकम ऐंठ कर पैसे वाला बनना चाहता था.

इस के लिए उस ने उर्वशी का ब्रेनवाश भी कर दिया था. उर्वशी भी सहयोग करने के लिए तैयार हो गई थी. जांचपड़ताल में यह भी सामने आया है कि ऋषिराज और उर्वशी मिल कर आगरा और मैनपुरी में ब्लैकमेलिंग की 5 वारदात कर चुके थे. उर्वशी जब काशीपुर छोड़ कर आगरा आ गई थी तो ऋषिराज उस से मिलने आगरा जाया करता था.

पुलिस ने 14 जनवरी को ऋषिराज व उर्वशी को मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर के एक दिन के रिमांड पर लिया. पूछताछ में पता चला कि उर्वशी और उस के पिता के 4 बैंक खातों में करीब 5 लाख रुपए की रकम जमा है. पुलिस को शक है कि यह राशि ब्लैकमेलिंग की है.

उर्वशी ने इस रकम के बारे में पुलिस को बताया कि उस के पिता ने गांव में जमीन बेची थी, जबकि मैनपुरी से पुलिस को पता चला कि उर्वशी के पिता ने अभी तक कोई जमीन नहीं बेची है. उर्वशी के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि बैंक खातों में 5 लाख रुपए जमा कर सके. इसलिए पुलिस इस रकम के बारे में भी जांच कर रही है.

पुलिस ने रिमांड अवधि पूरी होने पर 15 जनवरी को दोनों आरोपियों को फिर मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया. मजिस्ट्रैट ने ऋषिराज व उर्वशी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है. पुलिस उर्वशी की ओर से सदर थाने में दर्ज कराए गए मामले और जवाहर सर्किल थाने में संदीप लांबा की ओर से दर्ज कराए गए मामले की जांचपड़ताल कर रही है.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, उर्वशी परिवर्तित नाम है.

मुंबई का असली सिंघम : समीर वानखेडे

आज बौलीवुड के फिल्म स्टार्स की लेट नाइट पार्टी को युवाओं की पार्टी कहा जाने लगा है. इस की वजह यह है कि आजकल जो पार्टियां हो रही हैं, वे हौट सैक्स, शराब और ड्रग के साथ होती हैं. इन में नई उम्र के फिल्म स्टार्स, प्रोड्यूसर्स, फाइनेंसर और मुंबई, दिल्ली, दुबई के संपन्न घरों के 20-22 साल के टीनएजर होते हैं. पार्टी में आने वाले ये टीनएजर लास वेगास, पेरिस और लंदन की सैक्स पार्टी की नईनई स्टाइल अपनाते हैं. इस में ‘गे’ और ‘लेस्बियन’ भी शामिल होते हैं.

पार्टी में आने वाली फिल्म कलाकारों की बेटियां तो नाममात्र के ही कपड़े पहने होती हैं. मजे की बात यह है कि पहले इन पार्टियों के बारे में सुना जाता था या कभीकभार किसी अखबार में पढ़ने को मिल जाता था.

पर अब तो इन पार्टियों के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते मिल जाते हैं, जिन में हाथों में टकीला, रम और दुनिया की प्रसिद्ध शराबों की प्यालियां थामे एकदूसरे से बेशरमी से चिपके खड़े युवकयुवतियों के मदहोश स्थिति में ग्रुप फोटो देते दिखाई देते हैं.

ऐसी पार्टियों में जिन्हें ड्रिंक्स, ड्रग्स और सैक्स में अधिक रुचि होती है, वे यह पहले से ही तय कर के आते हैं. कुछ लोग तो जब पार्टी में भाग ले कर घर चले जाते हैं, तब आधी रात को 2 बजे के बाद सैक्स और शराब की रेलमपेल के साथ असली पार्टी जमती है, जो सुबह तक चलती है.

बड़े स्टार, राजनेता, अधिकारी, कारपोरेट हस्तियां या कुख्यात डौन की संतानें इस तरह की पार्टियों में होते हैं. इसलिए अधिकतर इस तरह की पार्टियों पर पुलिस छापा नहीं मारती.

इस की वजह यह होती है कि छोटेमोटे पुलिस अधिकारियों की हिम्मत ही नहीं होती वहां जाने की. पर बौलीवुड में इधर कुछ सालों से हलचल मची है, इस का एकमात्र कारण हैं मुंबई नारकोटिक्स विभाग के जोनल डायरेक्टर ‘सिंघम’ के रूप में माने जाने वाले तेजतर्रार अधिकारी समीर वानखेडे.

फिल्मी डौन (शाहरुख खान) को पकड़ना भले ही 11 मुल्कों की पुलिस के लिए असंभव रहा हो, पर फिल्मी दुनिया के बादशाह, बाजीगर और किंग माने जाने वाले शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को पकड़ने का काम भले ही कोई पुलिस वाला नहीं कर सका, पर एनसीबी के मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ने उसे पकड़ कर दिखाया ही नहीं, बल्कि जेल तक पहुंचा दिया.

एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ही एक ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने न सिर्फ शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार कर जेल भेजा बल्कि दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर और सारा अली खान को ड्रग के सेवन और वे यह ड्रग वे कहां से लेती हैं, इस बारे में पूछताछ के लिए अपने औफिस में बुलाने की हिम्मत दिखाई थी.

उन की छवि एक सख्त अधिकारी की है. उन के सामने कितना भी बड़ा सेलिब्रिटी क्यों न हो, बिना किसी दबाव के वह अपना काम करते हैं. उन्हीं के नेतृत्व में एनसीबी ने बौलीवुड की सेलिब्रिटीज पर काररवाई की है.

सुशांत सिंह राजपूत केस और अब बौलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान केस में चर्चा में रहने वाले एनसीबी के जोनल डायरेक्टर इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के 2008 बैच के अधिकारी समीर वानखेडे का जन्म सन 1984 में मायानगरी मुंबई में हुआ था. उन के पिता भी एक पुलिस अधिकारी थे.

स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास की और आईआरएस अधिकारी बन गए. बौलीवुड के गोरखधंधों, घोटालों और दंभ पर उन्हें खासी नाराजगी है.

इस के पहले उन की पोस्टिंग मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर डिप्टी कस्टम कमिश्नर के रूप में हुई थी. यहां उन्होंने बेहतरीन काम किया और नियमों को सख्ती से लागू किया.

मुंबई का छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एक ऐसा एयरपोर्ट है, जहां लगातार सेलिब्रिटीज का आनाजाना लगा रहता है. लेकिन कभी उन पर यह फर्क नहीं पड़ा कि सामने कौन है.

उन्होंने विदेश से आनेजाने वाले बौलीवुड सेलिब्रिटीज के कस्टम चुकाए बिना कीमती सामानों, करेंसी, सोना, ज्वैलरी और गहनों को पकड़ कर दंड के साथ रकम वसूली थी.

तुनकमिजाज और पौवर का रौब दिखाते हुए ऊपर से कराए गए फोन पर वानखेडे ने कभी ध्यान नहीं दिया. पौप गायक मिका सिंह को विदेशी मुद्रा के साथ उन्होंने ही गिरफ्तार किया था.

नारकोटिक्स विभाग में पोस्टिंग होने के बाद पिछले साल नवंबर में जब वह अपने 5 अफसरों के साथ देर रात गोरेगांव में केरी मेंडिस नामक ड्रग पैडलर को पकड़ने जा रहे थे, तब उन पर लगभग 60 ड्रग पैडलरों ने जानलेवा हमला किया था.

यह भी माना जाता है कि फिल्मी दुनिया को ड्रग सप्लाई करने का मुख्य चेन यही गैंग है. मुंबई पुलिस को साथ ले कर बाद में उन्होंने केरी मेंडिस को गिरफ्तार किया था.

41 वर्षीय समीर वानखेडे फिल्म और क्रिकेट के बेहद शौकीन हैं. पर इस क्षेत्र में जो गंदगी घुसी है, उस के खतरनाक सूत्रधारों से उन्हें बेहद नफरत है.

एयरपोर्ट पर भी नहीं बख्शा किसी को

मुंबई एयरपोर्ट पर जब वह डिप्टी कमिश्नर बन कर आए तो उन्होंने अपने साथ काम करने वाले छोटे से छोटे कर्मचारी से कह दिया था कि एयरपोर्ट पर कोई भी सेलिब्रेटी आए तो उस का आटोग्राफ या उस के साथ सेल्फी कतई नहीं लेना है.

उस से प्रभावित हुए बिना सामान्य यात्री की अपेक्षा अधिक शक की नजरों से उन के सामान को, उन के पहने हुए गहनों को, एसेसरीज को चैक करना है.

बिल मांगने और शंका होने पर जरा भी दबाव में आए बगैर उन्हें अलग केबिन में ले जा कर पूछताछ करनी है. अगर कस्टम ड्यूटी भरने की बात आए तो दंड के साथ वसूल करनी है.

एयरपोर्ट पर नियम है कि हर यात्री को अपना सामान खुद ही ट्रौली में रख कर एयरपोर्ट से बाहर निकलना होता है. सेलिब्रिटी या रौबदार यात्री अपना सामान अपने साथ यात्रा करने वाले अपने व्यक्तिगत स्टाफ को सौंप कर बाहर निकलते हैं.

समीर वानखेडे ने सेलिब्रिटीज के लिए भी नियम बना दिया कि सेलिब्रिटी भी अपना सामान अपने साथ ले कर एयरपोर्ट के हर एग्जिट पौइंट से निकलेंगे.

कभीकभी यह होता था कि सेलिब्रिटी अपने असिस्टैंट के नाम पर शंकास्पद सामान,  यह कह कर खुद को निर्दोष साबित करने की चालाकी करते थे कि यह असिस्टैंट का बैग है. समीर वानखेडे ने इस पर रोक लगा दी थी.

एक बार एक बड़े क्रिकेटर और उस की पत्नी तथा एक फिल्म स्टार ने एयरपोर्ट पर पूछताछ के दौरान वानखेडे से अपमानजनक भाषा में बात करते हुए बहस करने के साथ धमकी दी थी कि उन के सीनियर को फोन कर के उन की नौकरी खतरे में डाल देंगे.

तब समीर वानखेडे ने उन से सख्त शब्दों में कहा था कि इस समय एयरपोर्ट पर सब से सीनियर अधिकारी वह खुद ही हैं. अगर आप ने सहयोग नहीं किया तो मैं तत्काल आप को गिरफ्तार कर सकता हूं. वानखेडे के इतना कहने के बाद सारे सेलिब्रिटी बकरी बन कर उन का सहयोग करने लगे थे.

एक बार ऐसा हुआ था कि साउथ अफ्रीका से एक क्रिकेटर भारत खेलने आया था. रात 3 बजे उस की फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट पर उतरी. सामान क्लीयरेंस काउंटर पर साउथ अफ्रीका के उस क्रिकेटर ने समीर वानखेडे को फोन देते हुए कहा था कि ‘भारत की टीम का बहुत ही सीनियर क्रिकेटर इस पर लाइन पर है और आप से बात करना चाहता है.’

फिल्म अभिनेत्री से की शादी

भारत के उस क्रिकेटर, जिस के देश में करोड़ों प्रशंसक हैं और समीर वानखेडे खुद भी उस के प्रशंसक हैं, उस ने फोन पर कहा था कि ‘साउथ अफ्रीका से आया क्रिकेटर मेरा दोस्त है. वह वाइन की 18 बोतलें ले कर आया है. इसे ड्यूटी के झंझट से मुक्त कर के एयरपोर्ट के बाहर जाने दीजिए.’

तब समीर वानखेडे ने कुछ कहे बगैर फोन रख दिया था. वाइन की 18 बोतलों में से नियम के अनुसार वाइन की 2 बोतलों की ड्यूटी छोड़ कर बाकी की 16 बोतलों पर ड्यूटी वसूल की थी. साउथ अफ्रीका के क्रिकेटर को झेंपते हुए वह ड्यूटी उसी समय भरनी पड़ी थी.

समीर वानखेडे के अनुसार अजय देवगन एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जो सचमुच प्रामाणिक आदमी हैं. कभी टैक्स न भरने की वजह नहीं बताते और न ही धौंस जमाते हैं. वह सचमुच सिंघम जैसे ही वास्तविक जीवन में भी हैं. उसी तरह मराठी अभिनेत्री क्रांति रेडकर की भी इमेज थी.

एयरपोर्ट पर आनेजाने के दौरान ही अभिनेत्री क्रांति रेडकर उन के दिल को भा गई थीं और ऐसी ही लड़की से उन्हें विवाह करने की इच्छा हुई थी. उन्होंने क्रांति से दोस्ती की और उस से विवाह की बात की तो क्रांति सहर्ष तैयार हो गई. सन 2017 में दोनों ने विवाह कर लिया.

क्रांति भी मुंबई में ही पैदा हुई हैं. इस बात की कम ही लोगों को जानकारी है कि समीर की पत्नी क्रांति रेडकर एक मशहूर अभिनेत्री हैं.

क्रांति ने अजय देवगन के साथ फिल्म ‘गंगाजल’ में काम किया था. इस के अलावा वह कई टीवी सीरियलों में भी काम कर चुकी हैं. क्रांति ने हिंदी फिल्मों की अपेक्षा मराठी फिल्मों और सीरियलों में ज्यादा काम किया है. इस के अलावा उन्होंने अंगरेजी फिल्मों में काम करने के साथसाथ निर्देशन की भी कोशिश की है.

मुंबई एयरपोर्ट के बाद समीर वानखेडे की पोस्टिंग महाराष्ट्र सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में हुई थी. उस समय महाराष्ट्र राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि कर चोरी में 200 सेलिब्रिटीज सहित 2500 बड़े लोगों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी.

एनआईए में भी किए थे अच्छे काम

2 सालों में उन्होंने सर्विस टैक्स की चोरी के 87 करोड़ रुपए अकेले मुंबई से वसूल किए थे. उन के कामों को ही देखते हुए ही पहले उन्हें आंध्र प्रदेश फिर दिल्ली भेजा गया था.

नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) में भी उन की पोस्टिंग हुई थी. आतंकवादी हमले की योजना का खुलासा करने वाली जानकारी उन्होंने एंटी टेरर विभाग को देनी थी. इस दौरान उन्होंने कई जानकारियां किस तरह दीं, यह गुप्त रखा गया है.

इस के बाद समीर वानखेडे को बौलीवुड में ड्रग रैकेट खत्म करने की जिम्मेदारी के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर के रूप में पोस्टिंग दी गई.

सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत में ड्रग एंगल उन्हें दिखाई दिया तो उन्होंने रिया चक्रवर्ती, दीपिका पादुकोण, सारा अली, रकुल प्रीत सिंह सहित कई अभिनेत्रियों को पूछताछ के लिए अपने औफिस में बुलाया.

इस के बाद बौलीवुड में तहलका मच गया. 100 से अधिक ड्रग पैडलरों को उन्होंने जेल में डाला है. 25 से अधिक हस्तियां जमानत पर हैं.

वह देश के करोड़ों लोगों को यह संदेश देने में कामयाब हुए हैं कि आप जिन्हें पूजते हैं, वे स्टार्स, सेलिब्रिटी कितने दंभी, देशद्रोही और आपराधिक चेहरे वाले हैं.

ड्रग का रैकेट चलाने वाले भारत के ही दुश्मन देशों या गैंगस्टरों से जुड़े हुए हैं और उन से तमाम स्टार्स जुड़े हैं.

समीर ने अपनी पत्नी या परिवार के हर सदस्य से कह रखा है कि उन के नाम से आने वाली कोई भी पार्सल उन की गैरमौजूदगी में न लिया जाए. क्योंकि उन्हें घूस लेने के आरोप में फंसाने का षडयंत्र उन के दुश्मन कभी भी रच सकते हैं.

समीर और उन की पत्नी क्रांति को जिया और ज्यादा नाम की 2 जुड़वां बेटियां हैं.

कौमेडी कलाकार भारती के घर से भी की थी ड्रग बरामद

ऐसा नहीं है कि समीर वानखेडे सनसनी फैलाने वाले मेगा स्टार्स को ही पकड़ कर हीरो बनना चाहते हैं. उन्होंने टीवी कौमेडी शो की कलाकार भारती सिंह के घर छापा मार कर ड्रग बरामद किया था. भारती सिंह और उस का पति इस समय जमानत पर हैं.

समीर का काम देर रात के बाद का ही है, इसलिए वह मात्र 2 घंटे ही सो पाते हैं. कभी भी उन पर जानलेवा हमला हो सकता है, फिर भी वह अपने फर्ज में पीछे नहीं हटते. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर के रूप में उन की पोस्टिंग को 2 साल से अधिक हो गए हैं. इस दौरान उन्होंने 17 हजार करोड़ का ड्रग पकड़ा है.

पिछले एक साल में उन्होंने 105 से अधिक मुकदमे दर्ज करा कर 300 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं. जिन में से गिनती के 4-5 मामले ही बौलीवुड के हैं. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह मात्र बौलीवुड को ही टारगेट करते हैं. पर मात्र बौलीवुड के मामले ही पब्लिसिटी पाते हैं.

आर्यन की गिरफ्तारी के 2 दिन पहले ही उन के विभाग ने 5 करोड़ की ड्रग के साथ कुछ लोगों को पकड़ा था, तब मीडिया का ध्यान उन की ओर नहीं गया. अब तक उन की टीम के द्वारा करीब एक दरजन गैंगों को पकड़ा गया है.

समीर वानखेडे तो अपना काम पूरी ईमानदारी, हिम्मत और प्राथमिकता से कर रहे हैं. कोर्ट में केस किस तरह कमजोर हो जाता है, इस की हताशा उन्होंने कभी अपने काम पर नहीं आने दी है. वह तो अपने लक्ष्य पर लगे रहते हैं.

दब गया ममता का सुर : किन बातों में उलझी रह गई थी वो

18 जनवरी, 2016 को थाना कलानौर पुलिस को हरियाणा पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि बनियानी गांव के पास एक खेत में महिला की लाश पड़ी है. खबर मिलते ही कलानौर के थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ बनियानी गांव पहुंच गए. जहां लाश पड़ी थी, वहां काफी लोग जमा थे. जिस खेत में लाश पड़ी थी, वह बनियानी गांव के ही लाला का था.

गांव वालों ने पुलिस को बताया कि मरने वाली महिला का नाम ममता शर्मा है और वह हरियाणवी भजन और लोकगीत गाती हैं. पुलिस ने लाश का मुआयना किया तो पता चला कि उस का गला कटा हुआ है. इस के अलावा उस के सीने पर भी कई घाव थे.

जिस बनियानी गांव में यह लाश मिली थी, वह गांव प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का था. इस के अलावा मरने वाली महिला एक जानीमानी लोकगायिका थी. मामला तूल न पकड़ ले, यह सोच कर थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी तुरंत अधिकारियों के अलावा फोरैंसिक टीम को दे दी. मृतका ममता शर्मा को सभी जानते थे. वह रोहतक के कलानौर कस्बे के डीएवी चौक की रहने वाली थीं. पुलिस ने ममता शर्मा के घर वालों को भी घटना की सूचना दे दी थी.

सूचना पा कर एसपी पंकज नैन, डीएसपी रोहताश सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. फोरैंसिक टीम ने भी पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया था. कुछ देर में मृतका का बेटा भारत शर्मा और पति कुछ लोगों के साथ वहां पहुंच गए थे. लाश देख कर वे फफकफफक कर रोने लगे थे. एसपी पंकज नैन ने मृतक के घर वालों को सांत्वना दे कर बातचीत शुरू की.

इस बातचीत में 20 वर्षीय मृतका के बेटे भारत शर्मा ने बताया कि उस की मां को गोहाना की गऊशाला में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जाना था. वह 14 जनवरी, रविवार को सुबह साढ़े 8 बजे के करीब मोहित के साथ घर से निकली थीं. मोहित रोहतक की कैलाश कालोनी में रहता है. वह उन का साथी कलाकार था. पिछले 2 सालों से वह उन के साथ काम कर रहा था.

मां के घर से निकलने के 2 घंटे बाद मोहित ने फोन कर के उसे बताया था कि उस की मां रास्ते में ब्रेजा गाड़ी में बैठ कर 2 लोगों के साथ चली गई हैं. उन्होंने जाते समय उस से कहा था कि वह सीधे गोहाना के प्रोग्राम में पहुंच जाएंगी.

पूछताछ में भारत ने पुलिस को बताया कि मोहित उस की मां का साथी कलाकार था, इसलिए उस ने उस की बातों पर विश्वास कर लिया. यह भी सोचा कि मां को कहीं और जाना होगा, इसलिए वह अपने किसी परिचित की ब्रेजा कार से चली गई होंगी.

मोहित गोहाना की उस गऊशाला पहुंच गया था, जहां ममता शर्मा के साथ उस का कार्यक्रम था. ममता को न देख कर उस ने कार्यक्रम के आयोजकों से पूछा. आयोजकों ने बताया कि वह अभी तक नहीं आई हैं. भारत शर्मा ने पुलिस को बताया कि जब मोहित ने उसे बताया कि ममता शर्मा गोहाना प्रोग्राम में नहीं पहुंची हैं तो वह परेशान हुआ. उस ने मां को फोन किया तो उन के फोन की घंटी तो बज रही थी, पर वह फोन नहीं उठा रही थीं.

घर वालों ने अपनी रिश्तेदारियों और अन्य संभावित जगहों पर फोन कर के उन के बारे में पूछा, पर कहीं भी उन का पता नहीं चला. तब थाना कलानौर में उन की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. भारत ने एसपी को बताया कि वह 4 दिनों से थाने के चक्कर लगा रहा था, लेकिन थाने वालों ने कुछ नहीं किया. उन्होंने उन्हें ढूंढने की बिलकुल कोशिश नहीं की.

अगले दिन भी मां के मोबाइल फोन की घंटी बजती रही. यह बात उस ने पुलिस को भी बताई, लेकिन पुलिस ने उन के फोन की भी जांच करने की जरूरत नहीं समझी. अगर पुलिस उन के फोन की जांच करते हुए काररवाई करती तो उस की मां की शायद यह हालत न होती.

एसपी के पास में थाना कलानौर के थानाप्रभारी भी खड़े थे. अपनी लापरवाही सामने आने पर वह सकपका गए. उन के चेहरे का रंग उड़ गया. चूंकि एसपी ने उस समय थानाप्रभारी से कुछ नहीं पूछा, इसलिए एसपी के सामने उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा. थानाप्रभारी को मामले का खुलासा करने से संबंधित जरूरी निर्देश दे कर एसपी साहब रोहतक लौट गए.

लाश की शिनाख्त हो चुकी थी, इसलिए थानाप्रभारी ने मौके की जरूरी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अखबारों ने ममता शर्मा की हत्या की खबर को महत्त्व दे कर छापा. इस की वजह यह थी कि एक तो मृतका जानीमानी हरियाणवी लोकगायिका थीं और दूसरे उन की लाश मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के गांव में मिली थी. बहरहाल, लोकगायिका ममता शर्मा की हत्या की खबर से लोगों में हड़कंप मच गया. लोग कानूनव्यवस्था पर अंगुली उठाने लगे.

कई कलाकारों की हो चुकी है हत्या

एक वजह यह भी थी कि करीब 3 महीने पहले हरियाणवी सिंगर हर्षिता दहिया की पानीपत में गोली मार कर हत्या हुई थी. भले ही उस की हत्या उस के जीजा ने की थी, पर किसी कलाकार की हत्या होना कानूनव्यवस्था पर तो प्रश्नचिह्न उठाता ही है.

हरियाणा में बढ़ती रेप की घटनाओं से वैसे भी वहां की महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. पिछले साल हरियाणवी डांसर आरती भौरिया को भी जान से मारने और रेप की धमकी दी गई थी. सोचने वाली बात यह है कि हरियाणा की जो सरकार बेटियों को बचाने की बात करती है, वहीं पर सब से ज्यादा दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं.

पुलिस के लिए यह मामला एक तरह से चुनौती था. पुलिस ने एक बार फिर मृतका के घर वालों से बात की. उन से पूछताछ के बाद मोहित कुमार से बात की. कार्यक्रम में जाने के लिए मोहित भी उन के साथ घर से निकला था. मोहित ने बताया कि गोहाना जाते हुए रास्ते में उन्हें लाहली गांव के पास ब्रेजा कार सवार 2 युवक मिले थे, जो शायद ममता की जानपहचान वाले थे. वह उन्हीं युवकों के साथ उन की कार में बैठ कर चली गई थीं. उन्होंने कहा था कि वह सीधे गोहाना के प्रोग्राम में पहुंच जाएंगी.

पुलिस ने मोहित से उस ब्रेजा कार का नंबर पूछा तो वह नंबर नहीं बता सका. इस का मतलब लाहली गांव तक ममता शर्मा को देखा गया था. उस के बाद वह कहां गईं, पता नहीं था. कोई क्लू न मिलने पर पुलिस ने मोहित को हिदायत दे कर घर भेज दिया.

पुलिस ने मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि 14 जनवरी को लापता होने के बाद उन का मोबाइल फोन 58 घंटे तक औन रहा. पुलिस को संदेह होने लगा कि क्या लापता होने के 3 दिनों बाद तक ममता शर्मा जीवित थीं या फिर उन का फोन 3 दिनों तक किसी के पास था, जिस पर फोन आते रहे.

रोहतक के कस्बा कलानौर की रहने वाली 40 वर्षीया ममता शर्मा के परिवार में 20 साल का बेटा भारत शर्मा और एक बेटी है. पति एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं. संगीत से एमए ममता शर्मा को हरियाणवी भजन और लोकगायकी का पहले से ही शौक था. लेकिन पहले वह व्यावसायिक रूप से नहीं गाती थीं. पर करीब 6 साल पहले उन्होंने स्टेज कार्यक्रम करने शुरू कर दिए. लोगों ने उन के भजन और फोक सौंग बहुत पसंद किए.

धीरेधीरे उन की आवाज और प्रस्तुति लोगों को भाने लगी तो उन्हें कार्यक्रमों में भी बुलाया जाने लगा. वह स्थानीय भाषा में जिस अंदाज में भजन और लोकगीत गातीं तो लोग झूमने लगते थे. धीरेधीरे प्रदेश में उन की पहचान बनती गई और उन के फैंस की संख्या बढ़ती गई.

ममता शर्मा के साथ पहले गोरड़ का एक युवक रहता था. उस ने उन के साथ करीब 4 सालों तक काम किया, पर उस की शादी हो गई तो दोनों में दूरियां बन गईं. इस के बाद ममता ने मोहित शर्मा के साथ काम करना शुरू किया. जब भी दोनों किसी कार्यक्रम में जाते, मोहित ही गाड़ी चलाता था.

ममता के पहले साथी से भी की गई पूछताछ

पुलिस ने गोरड़ के उस युवक से भी पूछताछ की, जो ममता के साथ 4 साल काम करने के बाद किनारा कर गया था. अलगअलग तरीके से की गई पूछताछ के बाद भी उस युवक से हत्या के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल सकी तो पुलिस ने उसे भी घर भेज दिया.

काफी कोशिशों के बावजूद भी पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ रही थी. न ही ऐसा कोई क्लू मिल रहा था, जिस से जांच कर के केस का खुलासा हो सके. आला अधिकारियों का थानाप्रभारी पर काफी दबाव था.

थानाप्रभारी एक बार फिर बनियानी के उस खेत पर उसी जगह पहुंचे, जहां ममता शर्मा की लाश मिली थी. जहां लाश मिली थी, वह रास्ता रोहतक भिवानी रोड से करीब 500 मीटर अंदर की तरफ पड़ता है. जहां लाश मिली थी, वह जगह एकदम सुनसान सी रहती है. पर भाली और बनियानी गांव जाने का यह मुख्य रास्ता है. पुलिस ने इन दोनों गांवों के कुछ संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा.

मोहित ने पुलिस को ब्रेजा कार में ममता शर्मा के जाने की बात बताई थी. उस का नंबर नहीं मिला था, इसलिए पुलिस ने सड़कों के किनारे लगे सीसीटीवी कैमरे तलाशने शुरू किए, ताकि उधर से गुजरने वाली ब्रेजा कारों को जांच के दायरे में लाया जा सके. काफी भागदौड़ के बाद भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल सकी.

अब तक की जांच से पुलिस इस नतीजे पर पहुंची थी कि ममता शर्मा की हत्या किसी नजदीकी ने ही की है. इसलिए थानाप्रभारी ने मृतका के पति और बेटे से एक बार फिर पूछताछ की. उन से यह भी पूछा कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है. घर वालों ने ऐसी बात होने से इनकार कर दिया.

इस के बाद पुलिस ने गोपनीय तरीके से ममता शर्मा के पति की जांच कराई कि कहीं उस का किसी महिला से कोई चक्कर तो नहीं है. क्योंकि ऐसे मामलों में भी लोग पत्नी की हत्या करा देते हैं या खुद कर देते हैं. जांच में पता चला कि ममता का पति बेहद सीधा और सरल स्वभाव का है. वह ममता को बेहद प्यार करता था.

पुलिस जिस भी हिसाब से जांच करती, वह फेल हो जाता. घुमाफिरा कर थानाप्रभारी की नजरों में मोहित कुमार ही आ रहा था. उन्होंने उसे एक बार फिर पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. मोहित ने इस बार भी पुलिस को वही कहानी सुना दी, जो पहले सुना चुका था. वह रटीरटाई कहानी सुनाने के अलावा आगे कुछ नहीं बता रहा था.

थानाप्रभारी को मोहित की इस कहानी पर कुछ शक हुआ तो उन्होंने एसपी पंकज नैन से बात की. उन के निर्देश पर थानाप्रभारी ने मोहित से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने ममता शर्मा की हत्या अपने दोस्त संदीप के साथ मिल कर की थी.

उस ने बताया कि बातचीत के दौरान उस की ममता शर्मा से कहासुनी हो गई. 14 जनवरी को वह ममता के साथ गोहाना के कार्यक्रम में जाने के लिए निकला था. रास्ते में उन से उस की कहासुनी हो गई. इसी कहासुनी के बीच कलानौर में स्कूल मोड़ के पास उस ने चाकू से वार कर के उन की हत्या कर दी थी. इस के बाद दोस्त संदीप की मदद से लाश को बनियानी गांव के पास खेत में फेंक आया था.

लाश ठिकाने लगाने के बाद उस ने ममता शर्मा के घर वालों और पुलिस को ब्रेजा कार वाली कहानी सुना दी. पुलिस ने मोहित की निशानदेही पर उस के दोस्त संदीप को भी गिरफ्तार कर लिया था.

दोनों अभियुक्तों को 20 जनवरी, 2018 को अदालत में पेश कर के 24 घंटे के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में पूछताछ में पुलिस को और भी कुछ तथ्य मिलने की उम्मीद है. कथा लिखने तक दोनों अभियुक्त पुलिस हिरासत में थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ऊधमसिंह नगर में धंधा पुराना लेकिन तरीके नए : भाग 3

इसी तरह से दूसरी 21 वर्षीया युवती ने अपना नाम पूजा यादव बताया. उस ने कहा कि उस का पति उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव सनसडा में रहता है. तीनों से गहन पूछताछ के बाद उन की तलाशी ली गई. तलाशी में उन के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. मोबाइलों में तमाम अश्लील फोटो, वीडियो के साथ ही अनेक अश्लील मैसेज भी भरे हुए थे.

उन्हीं मैसेज से मालूम हुआ कि ये दोनों महिलाएं एक रात के 1000 से 1500 रुपए लेकर ग्राहकों की रातें रंगीन करती थीं.

उन के साथ पकड़ा गया भगवान दास का काम ग्राहक तलाशना होता था. वह उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करता था. बदले में 500 रुपए वसूलता था. दास ने बताया कि वह ग्राहक की जानकारी होटलों में ठहरने वालों से जुटाता था.

इस के लिए अपने संपर्क में आई युवतियों को किसी एकांत जगह पर कार में बैठा कर रखता था और फिर वहीं से ग्राहकों के फोन का इंतजार करता था. जैसे ही किसी ग्राहक का फोन आता वह 10 से 15 मिनट में उस के बताए स्थान पर लड़की को पहुंचा देता था.

तीनों 21 जुलाई को ग्राहक का फोन आने का ही इंतजार कर रहे थे. उन की कोई सूचना नहीं मिल पाने के कारण वे आपस में ही हंसीमजाक करते हुए टाइमपास कर रहे थे. ऐसा करते हुए वे बीचबीच में अश्लील हरकतें भी करने लगे थे.

उस दिन भगवान दास ने दोनों को 1500-1500 रुपयों में तय किया था. लेकिन जब काफी समय गुजर जाने के बाद भी उसे कोई ग्राहक नहीं आया था. पुलिस मुखबिर की निगाह उन पर गई और उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

पूछताछ में भगवान दास ने कई मोबाइल नंबर दिए, जो देहव्यापार करने वाली महिलाओं के थे. वे अपनी बुकिंग एक दिन पहले करवा लेती थीं. बुकिंग के आधार पर ही उन्हें होटल या किसी निजी घर पर ले जाया जाता था. उन्हें ले जाने वाला ही उन का सौदा पक्का कर देता था. औनलाइन पेमेंट आने के बाद ही बताए जगह पर पहुंचती थीं.

इस मामले को थाना ट्रांजिट कैंप में दर्ज किया गया. पकड़े गए व्यक्तियों पर  सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें कर अनैतिक देह व्यापार करने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई.

उन पर आईपीसी की धारा 294/34 लगाई गईं. इसी के साथ उन्हें अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5/7/8 के तहत काररवाई की गई.

किसान आंदोलन का भी  पड़ा धंधे पर असर

3 साल पहले यानी 2018 तक काशीपुर की अनाज मंडी भी इस धंधे के लिए काफी बदनाम थी. आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है. हालांकि कोरोना काल की वजह से उस में थोड़े समय के लिए मंदी जरूर आई, फिर पहले जैसी स्थिति बन गई.

मंडी देह का फूलनेफलने की भी वजह है. फसल ले कर आने वाले किसानों के अनाज की साफसफाई के लिए आढ़तियों की दुकानों पर औरतें काम करती हैं. उन की संख्या वे 2 ढाई सौ के करीब है.

फसल के ढेर पर झाड़ू लगाने वाली अधिकतर औरतें बिजनौर जिले की रहने वाली हैं, लेकिन काशीपुर में ही किराए का कमरा ले कर रहती हैं.

वे औरतें सुबहसुबह सजसंवर कर मंडी पहुंच जाती हैं. अपनी खूबसूरती का जलवा दिखा कर किसानों और व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. वह मजदूरों को भी अपने जाल में आसानी से फांस लेती हैं. यह सब उन की आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया होता है.

जितने पैसे वे मंडी में अनाजों के ढेर पर झाड़ू लगा कर नहीं कमा पातीं, उस से कहीं ज्यादा पैसा उन्हें देह व्यापार के धंधे में मिल जाता है.

हालांकि वह सब उन को ठीक भी नहीं लगता. उन्हें न केवल परिवार और समाज की नजरों से छिप कर रहना पड़ता है, बल्कि पुलिसप्रशासन से बच कर भी रहना जरूरी होता है. ऊपर से बदनामी का भी डर लगा रहता है.

उन की कोशिश रहती कि वे किसी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नहीं पकड़ी जाएं. जबकि हमेशा उन के मन के अनुकूल स्थिति बनी रहना संभव नहीं होती. नतीजा पुलिस की छापेमारी में कुछ पकड़ी जाती हैं तो कुछ अड्डे से भागने में सफल हो जाती हैं.

देह व्यापार के धंधे में लगे रहने की उन की मजबूरी थी. एक अड्डा बंद होता है तो उन के द्वारा तुरंत नया ठिकाना बना लिया जाता है. वैसे अधिकतर औरतों के पति दिहाड़ी मजदूरी करने वाले या फिर रिक्शा चलाने वाले हैं. वह शाम तक जितना कमाते हैं, उस का बड़ा हिस्सा शराब में उड़ा देते हैं.

शाम को घर पहुंचने पर घर का खर्च बीवी से चलाने की उम्मीद करते हैं. घर चलाने के खर्च से ले कर कमरे का किराया, कपड़ेलत्ते, बच्चों की परवरिश आदि तक उन्हीं के कंधों पर रहती है.

उस के बावजूद शराबी पतियों की मारपीट भी झेलनी पड़ती है. यह उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इस तरह देह के धंधे को अपनाने की मजबूरी बन गई है.

किसान कानून में बदलाव आने का असर उन के धंधे पर भी हुआ. कारण इस कानून के लागू होने पर किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो गए. इस वजह से उन का काशीपुर की मंडी में आनाजाना बहुत कम हो गया. इस का असर उन औरतों के धंधे पर भी हुआ.

अनाज की मंडियों का काम ढीला होने से पहले के मुकाबले वहां औरतें कम आने लगी हैं. मजबूरी में उन्होंने नया तरीका निकाला और अपने घरों में ही धंधा करना शुरू कर दिया. जबकि वह जानती हैं कि यह धंधा किसी भी सूरत में महफूज नहीं है.

अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 3

उर्वशी अपने पिता व भाईबहनों के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रहती थी. उस की मां की कुछ समय पहले मौत हो गई थी. उस के पिता मानसिक रूप से कमजोर थे. परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. उर्वशी के 2 भाई और 2 बहनें हैं.

करीब 2 साल पहले घर में उर्वशी का अपने अविवाहित भाई से झगड़ा हो गया था. तब वह नाराज हो कर अपनी बुआ के पास काशीपुर चली गई थी. काशीपुर में रहते हुए वह प्राइवेट ग्रैजुएशन की तैयारी करने लगी, साथ ही वह सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी.

करीब 5-6 महीने पहले ऋषिराज मीणा किसी काम से काशीपुर गया था, जहां उस की मुलाकात उर्वशी से हुई. उर्वशी उसे स्वच्छंद लड़की लगी. 2-4 दिन वहां रहने के दौरान ऋषिराज की उर्वशी से घनिष्ठता हो गई. दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. बाद में ऋषिराज जयपुर आ गया. इस के बाद भी उर्वशी और ऋषिराज में लगातार बातें होती रहीं.

उर्वशी आगरा जा कर रहने लगी तो उस दौरान भी ऋषिराज की उस से लगातार बातें होती रहीं. कई बार बातोंबातों में उर्वशी ने ऋषिराज को अपनी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने और नौकरी करने की बात बताई. इस पर ऋषिराज ने उसे जल्दी ही रेलवे में नौकरी लगवाने का विश्वास दिलाया.

घटना से करीब ढाई-3 महीने पहले ऋषिराज ने उर्वशी को फोन कर के कहा कि वह जयपुर आ जाए. वह उसे किराए का मकान दिलवा देगा. जयपुर में रहेगी तो नौकरी तलाशने में आसानी रहेगी. ऋषिराज के कहने पर उर्वशी जयपुर आ गई. ऋषिराज ने जगतपुरा की सरस्वती कालोनी में उसे किराए का मकान दिलवा दिया. ऋषिराज तो उर्वशी का पहले से ही परिचित था. जयपुर में उस की कई अन्य युवकों से भी दोस्ती हो गई. युवकों से दोस्ती के चलते मकान मालिक ने उसे निकाल दिया.

उर्वशी ने ऋषिराज को समस्या बताई तो उस ने जगतपुरा में ही जगदीशपुरी कालोनी में उसे किराए का दूसरा मकान दिलवा दिया. कुछ समय बाद उर्वशी अपने पिता व छोटे भाई को भी जयपुर ले आई. जयपुर आ कर वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी. उस ने कुछ समय पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा के लिए फार्म भरा था.

उस का परीक्षा केंद्र अलवर में पड़ा था. 9 जनवरी को उस की परीक्षा थी. इस के लिए वह जयपुर से अलवर गई. परीक्षा समाप्त होने के बाद वह 9 जनवरी को अलवर से शाम को मुजफ्फरनगर-पोरबंदर एक्सप्रैस टे्रन में सवार हो कर शाम सवा 7 बजे जयपुर जंक्शन पर उतरी. ट्रेन से उतर कर उर्वशी ने करीब 7 बज कर 20 मिनट पर अपने छोटे भाई को फोन कर के कहा कि उसे घर पहुंचने में देर हो जाएगी. वे लोग खाना खा कर सो जाएं. वह जब घर आएगी तो दरवाजा खटखटा देगी.

उर्वशी जयपुर जंक्शन से औटो में बैठ कर जगतपुरा पहुंची. वहां उसे ऋषिराज मीणा मिला. ऋषिराज ने औटो का 180 रुपए किराया चुकाया और उसे अपनी पल्सर बाइक पर बैठा कर जगतपुरा में ही प्रेमनगर स्थित अपने फ्लैट नंबर 280 पर ले गया. तय योजना के अनुसार, उर्वशी ने रात करीब 10 बजे अपने परिचित युवक संदीप लांबा को अपने पास बुला लिया.

संदीप को उर्वशी ने 9 जनवरी को दिन में ही फोन कर के कहा था कि रात को उस के घर वाले घर पर नहीं रहेंगे, इसलिए वह रात को उस के घर आ जाए. जयपुर जंक्शन से औटो में जगतपुरा जाते समय भी उर्वशी ने संदीप को बता दिया था कि वह रात को 280 प्रेमनगर, जगतपुरा आ जाए.

उर्वशी के इस तरह बुलाने से संदीप लांबा खुश था. संदीप ने अपनी गर्लफ्रैंड उर्वशी के पास जाने के लिए अपने एक मित्र पोलू जाट से 5 सौ रुपए उधार लिए और सजधज कर अपने कमरे से निकला. संदीप नर्सिंग के द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह जयपुर में गुर्जर की थड़ी पर किराए के मकान में रहता था. उस की उर्वशी से दोस्ती इस घटना से करीब एक महीने पहले हुई थी.

दोनों एक महीने से फोन पर संपर्क में थे. संदीप ने घर से निकल कर उर्वशी के लिए चौकलेट खरीदी. इस के बाद वह लो फ्लोर बस से रात करीब 10 बजे जगतपुरा पहुंचा. रात का समय होने और उस फ्लैट की सही लोकेशन न मिलने पर संदीप ने उर्वशी को 3-4 बार फोन किया. इस पर उर्वशी उसे लेने के लिए पैदल ही जगतपुरा रेलवे लाइन तक अकेली आई.

रेलवे लाइन से वह संदीप को अपने साथ ऋषिराज के प्रेमनगर स्थित फ्लैट पर ले गई. संदीप के पहुंचने पर ऋषिराज फ्लैट में छिप गया. उर्वशी संदीप को एक कमरे में ले गई, जहां बिस्तर लगा था. कमरे की बिजली जल रही थी. कमरे की बिजली जली होने पर संदीप को कुछ शक हुआ, लेकिन उर्वशी ने उसे बातों में लगा लिया. इस के बाद उर्वशी और संदीप उस कमरे में एक साथ रहे. इस दौरान उन्होंने कई बार शारीरिक संबंध बनाए.

सुबह करीब 3 बजे जब दोनों थक गए तो शांत हुए. उर्वशी ने संदीप का मोबाइल ले कर यह कहते हुए उस का सारा रिकौर्ड डिलीट कर दिया कि किसी को पता लग जाएगा. बाद में उर्वशी ने संदीप के पर्स की तलाशी ली और उस के डेबिट व क्रेडिट कार्ड देखे. इस के बाद उर्वशी ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उस से मोटी रकम मांगी.

संदीप के इनकार करने पर उर्वशी ने उस का एटीएम कार्ड ले लिया और उस का पासवर्ड भी पूछ लिया. इस के बाद उसे घर से निकल जाने को कहा. वह वहां से निकला तो करीब आधे घंटे बाद उर्वशी ने उसे फोन कर के जल्दी से रकम का इंतजाम करने को कहा.

संदीप के जाने के बाद उसी फ्लैट में छिपा ऋषिराज मीणा कमरे में आ गया. सुबह करीब 5 बजे वह उर्वशी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर एमएनआईटी के समने ले गया. वहां उस ने उर्वशी के मुंह पर कीटनाशक एल्ड्रीन का घोल लगाया और उस के कपड़ों पर भी कीटनाशक छिड़क दिया. ऋषिराज ने उर्वशी से कहा कि वह पुलिस कंट्रोल रू म को फोन कर के अपने साथ गैंगरेप होने की सूचना दे.

हेलीकॉप्टर ब्रदर्स ने की 600 करोड़ की ठगी

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर तंजावुर जिला मुख्यालय है. इसी जिले का एक प्राचीन शहर कुंभकोणम है. यह शहर तंजावुर जिला मुख्यालय से कोई 40 किलोमीटर दूर है.

कुंभकोणम शहर के उत्तर में कावेरी और दक्षिण में अरसालर नदी बहती है. यह शहर टेंपल टाउन के नाम से भी विख्यात है. इस का कारण है कि यहां बड़ी संख्या में मंदिर हैं. कुंभकोणम शहर में हर साल होने वाले ‘महामहम’ फेस्टिवल में पूरे देश से लोग आते हैं.

मूलरूप से तिरवरूर जिले के गांव मरियूर के रहने वाले 2 भाई मरियूर रामदास गणेश और मरियूर रामदास स्वामीनाथन कोई 5-6 साल पहले कुंभकोणम शहर में आ कर बसे थे. इन के पिता रामदास बिजली विभाग में अधिकारी थे.

नौकरी के सिलसिले में रामदास पहले मदुलमपेट्टई और बाद में चेन्नई रहने लगे थे. बाद में वे सिंगापुर चले गए. सिंगापुर से कुंभकोणम में आ कर बसने पर उन्होंने विदेशी नस्ल की गायों से डेयरी कारोबार शुरू किया. दोनों भाई शहर के पौश इलाके श्रीनगर कालोनी में रहते थे.

देखते ही देखते ही उन का कारोबार तेजी से फलनेफूलने लगा. उन के व्यापार में खूब बरकत होने लगी. पैसा आने लगा तो वे अपना कारोबार धीरेधीरे बढ़ाने लगे. उन्होंने सिंगापुर सहित दूसरे देशों में भी अपना व्यापार फैला लिया. फार्मास्युटिकल का काम शुरू कर दिया.

इस बीच, उन्होंने कुंभकोणम में ही विक्ट्री फाइनेंस नामक एक वित्तीय कंपनी शुरू कर दी. यह कंपनी कर्ज देने और लोगों के पैसे जमा करने का काम करती थी. कुछ दिनों बाद उन्होंने अर्जुन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक विमानन कंपनी बना ली.

इस कंपनी को केंद्र सरकार से पंजीकृत भी करा लिया. इस कंपनी के नाम से उन्होंने एक हेलीकौप्टर भी खरीद लिया. उन्होंने हेलीकौप्टरों के लिए कोरुक्कई गांव में एक विशाल हेलीपैड भी बना लिया. उस समय प्रचारित किया गया कि एंबुलेंस सेवा और यात्रा के लिए हेलीकौप्टर उपलब्ध रहेंगे.

2 साल पहले की बात है. जून 2019 के पहले सप्ताह में एक दिन सुबह के समय कुंभकोणम शहर के आसमान में एक हेलीकौप्टर मंडरा रहा था. इस हेलीकौप्टर से काफी देर तक पूरे शहर पर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई. हेलीकौप्टर ने पुष्पवर्षा के लिए कई बार उड़ान भरी.

फूलों की वर्षा देख कर शहर के लोगों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि इस शहर में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. उन दिनों न तो कोई बड़ा त्यौहार था और न ही कोई नेता शहर में आ रहा था. इसलिए लोग इस बात पर चर्चा करने लगे.

पता चला कि उस दिन एम.आर. गणेश (मरियूर रामदास गणेश) के बेटे अर्जुन का जन्मदिन था. बेटे के जन्मदिन की खुशी में ही एम.आर. गणेश ने पूरे शहर पर हेलीकौप्टर से पुष्पवर्षा कराई थी. उस दिन गणेश ने अपने बेटे के जन्मदिन की खुशी में बड़े स्तर पर भोज का भी आयोजन किया था.

दोनों भाइयों को हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से जानते थे लोग

गणेश के बेटे के जन्मदिन पर हुए भव्य आयोजन ने दोनों भाइयों को पूरे शहर में चर्चित कर दिया. उस दिन से लोग उन्हें ‘हेलीकौप्टर ब्रदर्स’ के नाम से पुकारने लगे.

दोनों भाई गणेश और रामदास जल्दी ही आसपास के इलाके में ही नहीं, राजधानी चेन्नई सहित पूरे तमिलनाडु में हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से मशहूर हो गए. इस के बाद से इन भाइयों का हेलीकौप्टर कई बार शहर में मंडराता और इधरउधर उड़ान भरता नजर आता था.

कारोबार अच्छा चलने से वे पैसा तो पहले ही खूब कमा रहे थे. नए नाम से ख्याति मिलने से उन का रुतबा भी बढ़ गया था. आलीशान जिंदगी जीते हुए लग्जरी गाडि़यों के काफिले और सुरक्षाकर्मियों के साथ तो वे पहले से ही चलते थे. बाद में राजनीति में भी आ गए.

भारतीय जनता पार्टी ने गणेश को ट्रेडर्स विंग में जिला अध्यक्ष बना दिया. भाजपा में शामिल होने से पूरे प्रदेश में उन की राजनीतिक ताकत भी बढ़ गई. दिग्गज भाजपा नेता उन के घर आनेजाने लगे.

कोई 2 साल पहले उन्होंने अपनी कंपनी विक्ट्री फाइनेंस और दूसरी कंपनियों के जरिए एक साल में दोगुनी रकम करने का वादा कर लोगों से पैसा जमा करना शुरू कर दिया.

अच्छाखासा कारोबार करने और कई कंपनियां चलाने के कारण हेलीकौप्टर ब्रदर्स ने पहले से ही शहर की जनता पर अपना विश्वास बना लिया था. इसी विश्वास के भरोसे लोग उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे.

सैकड़ों लोगों ने अपनी जमापूंजी उन की कंपनी में जमा करा दी. योजना की अवधि पूरी होने पर इन भाइयों ने लोगों को वादे के मुताबिक समय पर दोगुनी रकम वापस दे दी. इस से लोगों का विश्वास जमता गया. इस से उन की जमापूंजी भी बढ़ने लगी. पिछले साल तक सब कुछ ठीकठाक चला. जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस मिल गया.

हालांकि न तो सरकारी स्तर पर और न ही चिटफंड कंपनियों तथा साहूकारी स्तर पर एक साल में पैसा दोगुना करने की पहले कोई योजना थी और न अब है. लेकिन लालच में लोग हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई जमा कराते रहे. जिन लोगों ने पहले पैसा जमा कराया था, उन्होंने दोगुनी रकम वापस मिलने पर वही रकम फिर से एक साल के लिए जमा करा दी.

लोगों के लालच का दोनों भाइयों ने फायदा उठाया. उन्होंने पैसा जमा कराने के लिए कमीशन पर अपने एजेंट नियुक्त कर दिए. एक साल में उन की कंपनी की साख बन गई थी.

लालच में फंस रहे थे लोग

इस का नतीजा यह हुआ कि रोजाना सैकड़ों लोग बिना आगेपीछे सोचे उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे. बहुत से लोगों ने बैंकों या साहूकारों के पास जमा अपनी रकम निकाल कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की फाइनेंस कंपनी में जमा करा दी.

नौकरीपेशा लोगों ने भी एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में अपनी जमापूंजी का निवेश उन की कंपनी में कर दिया. दोनों भाइयों के झांसे में आ कर कई व्यापारियों और अमीर लोगों ने भी उन की कंपनी में करोड़ों रुपए की राशि जमा करा दी.

इस साल जब अवधि पूरे होने पर जमाकर्ता अपने पैसे वापस मांगने लगे तो कंपनी की ओर से उन्हें कोरोना महामारी के कारण कामकाज ठप होने की बात कह कर कुछ दिन रुकने के लिए कहा गया.

अप्रैल के महीने में कोरोना का असर ज्यादा बढ़ने पर लोगों को पैसों की आवश्यकता हुई तो उन्हें फिर टाल दिया गया. जमाकर्ताओं को दोगुनी रकम तो दूर कुछ राशि या ब्याज का पैसा भी नहीं दिया गया.

छोटे जमाकर्ता रोजाना उन की कंपनियों के चक्कर लगा कर निराश लौट जाते थे. जिन लोगों के करोड़ों रुपए जमा थे, वे सब से ज्यादा परेशान थे. अवधि पूरी होने के बावजूद न तो उन का मूलधन वापस मिल रहा था और न ही कोई ब्याज दिया जा रहा था.

कुछ बड़े जमाकर्ताओं ने अपनी रकम वापस लेने के लिए हेलीकौप्टर ब्रदर्स गणेश और रामदास स्वामीनाथन से संपर्क किया तो उन्होंने कोरोना के कारण नुकसान होने की बात कह कर उन सभी को जल्द भुगतान करने का आश्वासन दिया.

ले भागे 600 करोड़ रुपए

भुगतान में लगातार देर हो रही थी. जमाकर्ताओं को किसी न किसी बहाने से टाला जा रहा था. ज्यादा बातें करने पर जमाकर्ताओं को धमकाया भी गया.

इस से लोगों को कंपनी के मालिकों की नीयत पर शक होने लगा. उन्हें अपनी जमापूंजी की चिंता होने लगी. कुछ ही दिनों में पूरे शहर में यह बात फैलने लगी कि दोनों भाइयों का अब जमाकर्ताओं को पैसा वापस देने का मन नहीं है.

लोगों को असलियत का पता चलने पर दोनों भाई शहर से लापता हो गए. इस पर कुछ लोगों ने इसी साल के जुलाई महीने में शहर में जगहजगह हेलीकौप्टर ब्रदर्स के पोस्टर लगवा दिए. इन में आरोप लगाया था कि दोनों भाई लोगों के 600 करोड़ रुपए ले कर उड़ गए हैं.

इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों ने दोनों भाइयों के खिलाफ काररवाई की मांग की. कहा जाता है कि ये पोस्टर दोनों भाइयों के एजेंटों ने लगवाए थे, क्योंकि इन भाइयों ने एजेंटों को भी उन का कमीशन नहीं दिया था.

पुलिस कोई काररवाई करने की सोच रही थी कि एक दंपति जफरुल्लाह और फैराज बानो ने तंजावुर जिले के एसपी देशमुख शेखर संजय के पास जुलाई के तीसरे सप्ताह में एक शिकायत दी.

इस शिकायत में दंपति ने कहा कि उन्होंने दोनों भाइयों की कंपनी में 15 करोड़ रुपए जमा कराए थे. योजना की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें पैसे वापस नहीं दिए गए. दोनों भाइयों ने उन्हें अपने निजी सुरक्षाकर्मियों से पिटवाने की धमकी भी दी.

पुलिस ने दंपति की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

इन के अलावा एक निवेशक गोविंदराज ने पुलिस को बताया कि उस ने दोस्तों और परिवार से कर्ज ले कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में 25 लाख रुपए जमा कराए थे, लेकिन ये रकम वापस नहीं दे रहे हैं.

एक और निवेशक ए.सी.एन. राजन ने 50 लाख रुपए जमा कराने की बात पुलिस को बताई. पुलिस के पास कई और शिकायतें भी दोनों भाइयों के खिलाफ आईं.

कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें कुछ राशि का चैक दिया गया, लेकिन वह बाउंस हो गया. कोरकाई के रहने वाले पझानिवेल ने 10 लाख रुपए जमा कराए थे. बदले में उसे 20 लाख रुपए मिलने थे, लेकिन बारबार चक्कर काटने पर भी उसे पैसे नहीं मिले.

भाजपा ने गणेश को पार्टी से निकाला

ज्यादा कहासुनी करने पर एक दिन 10 लाख रुपए का चैक दिया. वह चैक बाउंस हो गया. जब उस ने चैक बाउंस होने की बात इन भाइयों को बताई तो उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क होने की धमकी दी.

मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने दोनों भाइयों गणेश और रामदास स्वामीनाथन की तलाश शुरू की, लेकिन उन के मकान और दफ्तर बंद मिले.

इस बीच, भाजपा ने गणेश को पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया. इस संबंध में तंजावुर (उत्तर) के भाजपा नेता एन. सतीश कुमार ने 18 जुलाई को बयान जारी किया.

दोनों भाइयों के आवास, कार्यालय और दूसरे ठिकाने बंद मिलने पर पुलिस ने उन की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया. मोबाइल फोन की लोकेशन से उन का

पता लगाने का प्रयास किया. पता नहीं चलने पर पुलिस की टीमों को विभिन्न स्थानों पर भेजा गया. दोनों भाइयों के विभिन्न कारोबार के ब्यौरे जुटाए गए. साथ ही पुलिस ने इन भाइयों की कंपनियों में काम करने वाले लोगों का पता लगाना शुरू किया.

कुछ कर्मचारियों का पता चलने पर पुलिस ने उन से पूछताछ की, लेकिन दोनों भाइयों का सुराग नहीं मिला. कर्मचारी यह नहीं बता सके कि दोनों भाई कहां गए.

पूछताछ के बाद पुलिस ने 23 जुलाई को इन भाइयों की कंपनी के मैनेजर 56 साल के श्रीकांत को गिरफ्तार कर लिया.

जांचपड़ताल में पता चला कि दोनों भाइयों के विदेशों में भी कारोबारी संपर्क हैं. इस से उन के विदेश भाग जाने की आशंका हुई. इस आधार पर पुलिस ने उन के पासपोर्ट का पता लगा कर विदेश भागने से रोकने के लिए काररवाई शुरू कर दी.

पुलिस ने इन भाइयों के ठिकानों का पता लगाया. इन्होंने कई जगह अपने कार्यालय और ठहरने के ठिकाने बना रखे थे. एक बड़ा मकान तो केवल कारें रखने के लिए ही था. इन के पास दरजनों लग्जरी कारें थीं.

जांच के दौरान पुलिस ने इन के ठिकानों से 2 बीएमडब्ल्यू सहित 12 लग्जरी कारें जब्त कीं. एक कार्यालय से कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और दस्तावेज जब्त किए.

दोनों भाइयों की तलाश के दौरान पुलिस ने एक दिन उन की कंपनी में अकाउंटेंट का काम करने वाले भाईबहन मीरा और श्रीराम को कुंभकोणम के बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वे शहर छोड़ कर भाग रहे थे. इन के अलावा दोनों भाइयों की कंपनी के एक और मैनेजर वेंकटेशन को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इन से पूछताछ के आधार पर फरार एम.आर. गणेश की पत्नी अखिला को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े हेलीकौप्टर ब्रदर

लगातार कई दिनों की भागदौड़ के बाद तंजावुर जिले की क्राइम ब्रांच पुलिस ने 5 अगस्त, 2021 को दोनों भाइयों एम.आर. गणेश और एम.आर. स्वामीनाथन को पुडुककोट्टई जिले में वेंथनपट्टी गांव के एक फार्महाउस से गिरफ्तार कर लिया. यह फार्महाउस उन के दोस्त का था. इसे उन्होंने छिपने के लिए किराए पर लिया था.

कथा लिखे जाने तक दोनों भाइयों के अलावा गणेश की पत्नी और इन की कंपनी के 2 मैनेजर व 2 अकाउंटेंट गिरफ्तार किए जा चुके थे.

पुलिस इन से पूछताछ कर जमा की गई रकम का पूरा ब्यौरा हासिल करने के प्रयास में जुटी थी. इस के साथ ही इन के बैंक खाते भी सीज करने की काररवाई चल रही थी.

बहरहाल, अभी यह तो किसी को नहीं पता कि हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में निवेश करने वाले लोगों को उन का पैसा वापस मिल सकेगा या नहीं.

लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि लोगों ने एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में बिना कोई जांचपड़ताल किए एक निजी फाइनेंस कंपनी में अपनी जमापूंजी निवेश कर दी. यह लालच ही अब उन निवेशकों की रात की नींद और दिन का चैन छीने हुए है.

यह अकेले तमिलनाडु की बात नहीं है. पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है. चालाक लोग लोगों की लालच की मानसिकता का फायदा उठा कर ठगी कर रहे हैं.

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में एक साल में कोई भी सरकारी या निजी कंपनी पैसा दोगुना नहीं करती. ऐसा करने का दावा करने वाले केवल ठगी करते हैं. लोगों को ऐसे ठगों की यह मानसिकता पहचाननी चाहिए.

पत्रकार दानिश सिद्दीकी : सच बोलती तस्वीरों का नायक

भारत के पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान का कंधार शहर इस वक्त तालिबान के हमले से जूझ रहा है. यही कारण है कि तालिबान भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. तालिबान चाहता है कि अफगानिस्तान में 2001 से पहले जैसे उस ने शासन किया, उसी प्रकार उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता और पहचान मिले.

अफगानिस्तान के लगभग 85 फीसदी हिस्से पर वो अपना कब्जा जमा चुका है और वह अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार और उस के सैनिकों को खत्म करने पर आमादा है. तालिबान को इस बात का पूरा यकीन हो चला है कि अब उस के रास्ते में कोई आने वाला नहीं है.

तालिबान पाकिस्तान सीमा से लगे ज्यादातर प्रमुख इलाकों पर कब्जा कर चुका है. जबकि अफगान के बाकी क्षेत्र को दोबारा हासिल करने की कोशिश में अफगान बलों और तालिबान के लड़ाकों के बीच काबुल के स्पिन बोल्डक शहर में लगातार झड़प चल रही है.

भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी इसी इलाके में युद्ध हालात को कवर कर रहे थे. वह अपने कैमरे की नजर से तालिबानी हमले से हो रही हिंसा से दुनिया को रूबरू करा  रहे थे.

हर दिन अफगान सेना और तालिबान लड़ाकों के बीच गोलाबारूद से होने वाली खूनी झड़पों में सैकड़ों मौतें हो रही हैं, उन्हीं  में 15 जुलाई, 2021 को हुई एक भारतीय फोटो पत्रकार की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है.

दानिश सिद्दीकी 15 जुलाई  को कंधार में तब अपनी जान गंवा बैठे, जब वह तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच चल रही लड़ाई को कवर कर रहे थे.

दानिश सिद्दीकी दुनिया की सब से बड़ी समाचार एजेंसी रायटर्स के लिए बतौर फोटो जर्नलिस्ट काम करते थे और युद्धग्रस्त अफगान क्षेत्र में अफगान सुरक्षा बलों के साथ एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर थे.

दानिश सिद्दीकी 13 जुलाई को भी उस समय बालबाल बचे थे, जब अफगान सेना पर तालिबानी हमला हुआ था. उस दिन वह अफगानिस्तान में मौत से पहली बार रूबरू हुए थे.

दरअसल, उस दिन वह अफगान सेना के उस वाहन में मौजूद थे, जो हिंसाग्रस्त इलाकों से लोगों को बचाने जा रहा था. उस वक्त सेना की गाड़ी पर भी गोलीबारी की गई थी, जिस में दानिश बालबाल बचे थे.

दानिश ने इस घटना के वीडियो व फोटो ट्विटर पर पोस्ट किए थे, जिस में गाड़ी पर आरपीजी की 3 राउंड फायरिंग होती नजर आई. उस दौरान दानिश ने लिखा था कि भाग्यशाली हूं कि सुरक्षित हूं.

उसी दिन उन्होंने ट्विटर पर एक तसवीर भी साझा की थी, जिस में उन्होंने लिखा था कि 15 घंटे के औपरेशन के बाद उन्हें महज 15 मिनट का ब्रेक मिला.

भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने कंधार में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की कवरेज के दौरान हत्या किए जाने की सूचना सार्वजनिक की.

अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने 17 जुलाई को सुबह ट्वीट किया, ‘कल रात कंधार में एक दोस्त दानिश सिद्दीकी की हत्या की दुखद खबर से बहुत परेशान हूं. भारतीय पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता अफगान सुरक्षा बलों के साथ कवरेज कर रहे थे. मैं उन से 2 हफ्ते पहले उन के काबुल जाने से पहले मिला था. उन के परिवार और रायटर के प्रति संवेदना.’

पत्नी व बच्चे थे जर्मनी में

एजेंसी रायटर्स से जुड़े फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी पुलित्जर पुरस्कार विजेता थे. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने सिद्दीकी की मौत पर दुख जाहिर करते हुए कहा, ‘‘हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि किस की गोलीबारी में पत्रकार दानिश की मौत हुई. हम नहीं जानते उन की मौत कैसे हुई. लेकिन युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे किसी भी पत्रकार को हमें सूचित करना चाहिए. हम उस व्यक्ति का खास ध्यान रखेंगे.’’

दानिश का यूं असमय चले जाना उन के पूरे परिवार को तोड़ गया है. दानिश सिद्दीकी का जन्म साल 1980 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. दानिश सिद्दीकी के पिता  प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी जामिया मिलिया इस्लामिया से रिटायर्ड हैं. इस के अलावा अख्तर सिद्दीकी राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निदेशक भी रह चुके हैं.

दानिश सिद्दीकी के परिवार में उन की पत्नी और 2 बच्चे हैं. दानिश सिद्दीकी की पत्नी जर्मनी की रहने वाली हैं. उन का 6 साल का एक बेटा और 3 साल की एक बेटी है.

घटना के समय उन की पत्नी व बच्चे जर्मनी में ही थे. दानिश की मौत की खबर मिलने के बाद वे भारत के लिए रवाना हो गए.

दानिश सिद्दीकी ने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया से पढ़ाई की थी. यहीं से उन्होंने इकोनौमिक्स में स्नातक किया था. जामिया से 2005-07 बैच में उन्होंने मास कम्युनिकेशन की मास्टर डिग्री हासिल की. पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद दानिश ने ‘आजतक’ टीवी चैनल में बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू किया था.

इस के बाद उन का रुझान फोटो जर्नलिज्म की तरफ बढ़ता चला गया और सन 2010 में वह अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रायटर्स के साथ बतौर इंटर्न जुड़ गए. दानिश सिद्दीकी ने जब कैमरे से फोटो लेनी शुरू कीं तो उन की तसवीरें पसंद की जाने लगीं.

रिपोर्टर से की करियर की शुरुआत

क्योंकि उन की तसवीरें बोलती थीं. उन के पीछे एक सच छिपा होता था, जो पूरी व्यवस्था और घटनाक्रम को बयां करती थीं. उन की एकएक तसवीर लाखों शब्दों के बराबर होती थी, जो पूरी कहानी बयान कर देती थी.

दानिश के करियर के शुरुआती सहयोगियों में से एक वरिष्ठ पत्रकार राना अयूब बताती हैं कि उस वक्त उन लोगों की उम्र 23-24 साल थी. हम लोग मुंबई में ‘न्यूज एक्स’ में काम कर रहे थे और दानिश जामिया से नयानया निकल कर आया स्टूडेंट था.

वह था तो रिपोर्टर, लेकिन उसे कैमरे से इतना ज्यादा लगाव था कि मौका मिलते ही वह फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों से उन का कैमरा ले कर खुद शूट करने लग जाता था.

हम लोग उस से कहते भी थे कि जब तुम इतनी अच्छी फोटोग्राफी करते हो, तो फोटाग्राफर क्यों नहीं बन जाते हो और बाद में वही हुआ. दानिश ने करियर में अपने हार्ड वर्क और लगन से एक ऐसी जंप लगाई कि सब को पीछे छोड़ दिया.

दानिश के फोटोग्राफर बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. उन के मित्र कमर सिब्ते ने बताया कि दानिश ने पहले न्यूज एक्स और उस के बाद हेडलाइंस टुडे में बतौर पत्रकार काम किया था.

चूंकि उसे फोटोग्राफी का बहुत शौक था. उसी दौरान एक बार वह अपने काम से छुट्टी ले कर मोहर्रम की कवरेज के लिए उत्तर प्रदेश के शहर अमरोहा चला गया, जहां उस की मुलाकात रायटर्स के चीफ फोटोग्राफर से हुई.

रायटर्स के फोटोग्राफर ने जब दानिश के फोटोज देखे, तो वह उस से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने कुछ ही समय बाद उसे अपनी एजेंसी में जौब का औफर दिया और उस के बाद दानिश की लाइफ ही बदल गई.

मुंबई में टाइम्स औफ इंडिया के स्पैशल फोटो जर्नलिस्ट एस.एल. शांता कुमार बताते हैं कि दानिश हर फोटो को स्टोरी के नजरिए से शूट करता था. हम लोग जब भी मिलते थे, उस से हमें कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता था.

जब उसे पुलित्जर पुरस्कार मिला तो मैं ने सुबहसुबह उठ कर उसे फोन पर बधाई दी और बाद में उस से मिल कर उस के साथ सेल्फी भी ली थी.

दिल्ली दंगों की भी की थी कवरेज

दानिश ने दिल्ली दंगों के दौरान भी फोटोग्राफी की थी. इस दंगे के दौरान जब दानिश एक शख्स पर हमला कर रही भीड़ का फोटो शूट कर रहे थे तो उस वक्त मारने वाले लोगों का ध्यान उन पर नहीं था.

लेकिन जैसे ही उन्होंने नोटिस किया कि कोई उन की फोटो खींच रहा है तो वो लोग दानिश को पकड़ने के लिए उन के पीछे भी भागे, लेकिन दानिश किसी तरह वहां से भाग कर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे.

यूं कहें तो गलत न होगा कि इस वक्त भारत में दानिश से अच्छा और कोई फोटो जर्नलिस्ट नहीं था. पिछले एकडेढ़ साल के दौरान देश में जितनी भी बड़ी घटनाएं हुई थीं, उन के सब से बेहतरीन फोटो दानिश ने ही लिए थे.

चाहे वो नौर्थईस्ट दिल्ली के दंगों के दौरान खून से लथपथ एक शख्स पर हमला कर रही भीड़ की तसवीर हो या कोविड वार्ड में एक ही बैड पर औक्सीजन लगा कर लेटे 2 मरीजों की फोटो हो या फिर श्मशान घाट में जलती चिताओं की तसवीर हो, उन का काम अलग ही बोलता था और उस की खातिर वह किसी भी खतरे का सामना करने और कहीं भी जाने के लिए हर वक्त तैयार रहते थे.

2018 में दानिश को मिला पुलित्जर अवार्ड

भारतीय फोटो पत्रकार दानिश अंतिम सांस तक तसवीरों के जरिए दुनिया को अफगानिस्तान के हालातों से रूबरू कराते रहे. अब दानिश हमारे बीच नहीं हैं, मगर उन के काम हमारे बीच हमेशा जिंदा रहेंगे.

उन की तसवीरें बोलती थीं, यही वजह है कि दानिश सिद्दीकी को उन के बेहतरीन काम के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर अवार्ड भी मिला था.

दानिश सिद्दीकी ने रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को अपनी तसवीरों से दिखाया था और ये तसवीर उन तसवीरों में शामिल हैं, जिस की वजह से उन्हें 2018 में पुलित्जर अवार्ड मिला था.

दानिश सिद्दीकी अपनी तसवीरों के जरिए आम आदमी की भावनाओं को सामने लाते थे. वह इन दिनों भारत में रायटर्स की फोटो टीम के हैड थे.

कोरोना काल की वह तसवीर किसे याद नहीं होगी, जब लोग लौकडाउन में अपने घरों की ओर भागने लगे थे. तब हाथ में कपड़ों की पोटली और कंधों पर बच्चे को लादे लोगों की तसवीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं. ऐसी तमाम दर्दनाक तसवीरें दानिश ने ही अपने कैमरे में कैद की थीं और प्रवासी मजदूरों की व्यथा को देशदुनिया के सामने लाए थे.

दानिश की उस वायरल तसवीर को भी कोई नहीं भूला होगा, जब  12 सितंबर, 2018 को उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में एक चिडि़याघर का दौरा करते हुए महिला सैनिक आइसक्रीम खाते हुए कैमरे में कैद हुई थी.

दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर के दौरान साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप, साल 2016-17 में मोसुल की लड़ाई, रोहिंग्या नरसंहार से पैदा हुए शरणार्थी संकट और हांगकांग को कवर किया.

इस के अलावा साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान भी दानिश सिद्दीकी की तसवीरें खासी चर्चा में रहीं. दिल्ली दंगों के दौरान जामिया के पास गोपाल शर्मा नाम के शख्स की फायरिंग करते हुए तसवीर दानिश सिद्दीकी ने ही ली थी. यह तसवीर उस समय दिल्ली दंगों की सब से चर्चित तसवीरों में से एक थी.

जामिया नगर की गफ्फार मंजिल के रहने वाले दानिश सिद्दीकी के गमजदा परिवार में 17 जुलाई की सुबह से ही मिलनेजुलने वालों और परिचितों के दुख जताने का सिलसिला जारी हो गया. पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उन का बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा.

वे बताते हैं कि 2 दिन पहले ही दानिश से उन की फोन पर बातचीत हुई थी. उन्होंने दानिश से अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए कहा तो दानिश ने कहा था कि वे फिक्र न करें अफगानी आर्म्ड फोर्स उन्हें पूरी सुरक्षा दे रही है. अविश्वसनीय भाव से बेटे की तसवीर को निहारते प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी की आंखों से आंसू टपक रहे थे.

अफगानी फोर्स की थी सुरक्षा

दूसरी तरफ दानिश की तालिबानी हमले में मौत के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने यूएनएससी की बैठक में कहा कि भारत अफगानिस्तान में पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा करता है.

साथ ही सशस्त्र संघर्ष के हालात में मानवीय कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त भी की है. भारत में अधिकांश राजनेताओं ने दानिश की मौत पर दुख व्यक्त किया.

रायटर्स के अध्यक्ष माइकल फ्रिडेनबर्ग और एडिटर इन चीफ एलेसेंड्रा गैलोनी ने भी दानिश सिद्दीकी की हत्या पर शोक जाहिर किया है.

18 जुलाई, 2021 को जब एयर इंडिया के विमान से उन का पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो एयरपोर्ट पर उन के पिता ने शव रिसीव किया.

पार्थिव शरीर आने से पहले ही सरकार ने जरूरी इंतजाम किए हुए थे, जिस की वजह से क्लीयरेंस व अन्य किसी चीज में दिक्कत नहीं आई. शव ले कर एंबुलेंस जब जामिया नगर पहुंची तो सड़क के दोनों ओर गमगीन लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

दिल्ली के जामिया नगर के गफ्फार मंजिल इलाके में स्थित उन के घर पर लोगों का तांता लग गया. सभी ने उन की मौत पर शोक व्यक्त किया. रविवार यानी 18 जुलाई की देर रात को उन्हें जामिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.

अब फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी भले ही हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन इन की तसवीरें हमेशा उन के साहसिक कार्य की कहानी बयां करती रहेंगी.

 

प्यार में किया बॉर्डर पार : एक अनोखी प्रेम कहानी

कहते हैं प्यार को सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता. तभी तो पश्चिम बंगाल के रहने वाले जयकांतोचंद्र राय को फेसबुक के जरिए बांग्लादेश की परिमिता से प्यार हो गया. जयकांतो ने बांग्लादेश जा कर उस से विधिविधान से शादी भी कर ली, लेकिन…

पश्चिम बंगाल के जिला नदिया के थाना शांतिपुर के गांव बल्लवपुर के रहने वाले नोलिनीकांत राय के 20 साल के बेटे जयकांतोचंद्र राय ने कालेज में दाखिला ले लिया था. कालेज की पढ़ाई के साथसाथ वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ भी बंटा देता था.

नोलिनीकांत के पास खेती की जमीन के अलावा कई तालाब थे, जिन में वह मछली पालन करते थे. मछली पालन से उन्हें अच्छीखासी आमदनी हो रही थी, इसलिए उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी. साधनसंपन्न होने की वजह से गांव में भी रह कर वह सुख की जिंदगी जी रहे थे.

जयकांतो उन का इकलौता बेटा था, इसलिए उन के पास इतना कुछ था कि उन के बेटे को कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं थी. जब वह घर में रहता तो स्मार्टफोन में लगा रहता. यह फोन उस के पिता ने कालेज में दाखिला लेने के बाद दिया था.

फोन हाथ में आते ही जयकांतो सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हो गया था.

जयकांतो ज्यादातर उन्हीं लड़कियों को फेसबुक पर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली होती थीं. इस के अलावा वह बांग्लादेश की भी उन लड़कियों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो उस की किसी फ्रैंड की कौमन फ्रैंड होतीं. रिक्वेस्ट कंफर्म होने बाद वह उन से मैसेंजर द्वारा चैटिंग (मैसेज द्वारा बातचीत) करने की कोशिश करता.

20-21 साल का लड़का किसी हमउम्र लड़की से घरपरिवार की बात तो करेगा नहीं, वह जो बातें करता था, वह ज्यादातर लड़कियों को पसंद नहीं आती थीं. तब वे उसे ब्लौक कर देतीं.

जयकांतो को ऐसी लड़कियों से बड़ी चिढ़ और कोफ्त भी होती थी कि ये कैसी लड़कियां हैं, जो उस के दिल की बात नहीं समझतीं.

फेसबुक पर अब तक के अनुभव के बाद जयकांतो अब मैसेंजर पर अपने मन की बात नहीं, बल्कि जो बात लड़कियों को अच्छी लगती थीं, उस तरह की बातें करने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि लड़कियां जवाब भले न देतीं, पर उसे ब्लौक नहीं करती थीं.

जयकांतो की इस तरह की तमाम लड़कियों और महिलाओं से बातचीत भी होती थी, जो मैसेंजर पर अश्लील बातचीत करने के साथसाथ अश्लील फोटो और वीडियो भेजती थीं. लेकिन इस में दिक्कत यह होती है कि इस तरह के लड़कियों और महिलाओं की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती. 2-4 दिन बातचीत कर के वे दोस्ती खत्म कर देती थीं.

जयकांतो अब इस तरह के दोस्तों से ऊब गया था. वह कोई ऐसी दोस्त चाहता था, जो उस से सिर्फ प्यार की बातें करे. पर काफी प्रयास के बाद भी इस तरह की कोई दोस्त नहीं मिल रही थी.

बौर्डर के उस पार मिला दिल

जयकांतो की गांव या कालेज में भी कोई इस तरह की दोस्त नहीं थी, जो अपने दिल की बात उस से कहती और उस के दिल की बात सुनती.

उस ने बहुत लड़कियों से अपने दिल की बात कहने की कोशिश की थी, पर किसी ने भी उस के दिल की बात नहीं सुनी थी. जिस से भी उस ने दिल की बात कहने की कोशिश की, उस ने हंसी में उड़ा दिया था. फिर भी जयकांतो निराश नहीं हुआ. वह कोशिश करता रहा.

आखिर उस की कोशिश रंग लाई और उस की दोस्ती एक ऐसी लड़की से हो गई, जो उस के दिल की बात सुनने को तैयार हो गई. वह लड़की परिमिता बांग्लादेश के थाना नेरेल की रहने वाली थी. उस समय उस की उम्र मात्र 15 साल थी और जयकांतो की 20 साल.

उस मासूम को जयकांतो की बातें पसंद आने लगी थीं. जयकांतो उस से जो भी पूछता, वह खुशीखुशी उस की बातों का जवाब देती थी. ऐसे में ही एक दिन जयकांतो ने मैसेज कर के उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा कोई बौयफ्रैंड भी है?’’

‘‘अभी तो नहीं है, पर अब बनाने की सोच रही हूं.’’ परिमिता ने मैसेज कर के जवाब दिया.

‘‘कौन है वह भाग्यशाली, जिसे तुम्हारा बौयफ्रैंड बनने का मौका मिल रहा है?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘कोई भी हो सकता है. तुम भी हो सकते हो. क्यों तुम मेरे बौयफ्रैंड बनने लायक नहीं क्या?’’ परिमिता ने पूछा.

‘‘मैं इतना भाग्यशाली कहां, जो तुम जैसी लड़की मुझे अपना बौयफ्रैंड बनाए. अगर ऐसा हो जाए तो मैं खुद को बड़ा ही खुशनसीब समझूंगा.’’ आह सी भरते हुए जयकांतो ने जवाब भेजा.

‘‘अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें ही अपना बौयफ्रैंड बनाना चाहती हूं तो..’’

‘‘यह तो मेरा बड़ा सौभाग्य होगा,’’ जयकांतो ने जवाब दिया, ‘‘तुम्हारे इस मैसेज से मैं मारे खुशी के फूला नहीं समा रहा हूं.’’

‘‘एक बात बताऊं?’’ परिमिता ने मैसेज किया.

‘‘बताओ,’’ जयकांतो ने मैसेज द्वारा पूछा.

‘‘जितना तुम खुश हो, उस से कहीं ज्यादा मैं खुश हूं तुम्हें बौयफ्रैंड बना कर.’’

‘‘सच?’’

‘‘अब कसम खाऊं तब विश्वास करोगे क्या?’’ परिमिता ने यह मैसेज भेज कर अपनी दोस्ती का विश्वास दिला दिया.

इस के बाद दोनों में पक्की दोस्ती हो गई. अब दोनों एकदूसरे से अपनेअपने दिल की बात कहनेसुनने लगे. धीरेधीरे उन का बात करने का समय बढ़ता गया तो उन के दिलों में  एकदूसरे के लिए जगह बनने लगी.

दोनों ही एकदूसरे से बात करने के लिए बेचैन रहने लगे. बेचैनी ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन जयकांतो ने परिमिता को मैसेज किया, ‘‘परिमिता, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं. पर डरता हूं कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ?’’

‘‘मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते हो. लड़के इस तरह की बात तभी करते हैं, जब उन्हें अपने प्यार का इजहार करना होता है. तुम यही कहना चाहते होगे. परिमिता ने मैसेज किया.

प्यार का हुआ इजहार

‘‘बात तो तुम्हारी सच है परिमिता. मैं कहना तो यही चाहता था. पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं प्यार का इजहार करने वाला हूं?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘और कोई ऐसी बात हो ही नहीं सकती, जिसे सुन कर नाराज होने वाली होती. रही प्यार की बात तो उस में भी क्यों नाराज होना. मरजी की बात है. मन हो तो हां कर दो, वरना मना कर दो. फिर तुम तो वैसे भी मेरे बौयफ्रैंड हो, फ्रैंड की बात पर तो कोई नाराज नहीं होता.’’ परिमिता ने जवाब में मैसेज भेजा.

‘‘तो फिर मैं हां समझूं?’’ एक बार फिर जयकांतो ने पूछा.

‘‘अब किस तरह कहूं. कसम खानी होगी क्या?’’

‘‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि तुम ने हां कर दिया है.’’ जयकांतो ने कहा.

‘‘विश्वास करो जयकांतो, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं. मैं तो कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारे इस इजहार का. अगर तुम से प्यार न कर रही होती तो तुम्हारे पीछे अपना इतना समय क्यों बरबाद करती.’’

परिमिता के इस जवाब से जयकांतो बहुत खुश हुआ. इसी बात के लिए तो वह कब से राह देख था. न जाने कितनी लड़कियों की गालियां सुनी थीं, उपेक्षा और तिरस्कार सहा था.

आज कितने दिनों बाद उस का सपना पूरा हुआ था. यही शब्द सुनने के लिए उस ने अपना कितना समय बरबाद किया था.

परिमिता द्वारा प्यार स्वीकार कर लेने पर अब जयकांतो फूला नहीं समा रहा था. भले ही परिमिता सीमा पार की रहने वाली थी, पर जयकांतो को इस बात की खुशी थी कि कोई तो है इस संसार में जो उसे प्यार करती है. इस की वजह यह थी कि सोशल मीडिया पर न तो कोई दोस्त होता है और न कोई प्यार करने वाला.

प्यार हो भी कैसे सकता है. जिसे कभी देखा नहीं, जिस के बारे में कुछ जानते नहीं, उस ने फेसबुक पर जो अपने बारे में जानकारी दी है, वह गलत है या सही, ऐसे आदमी से दोस्ती या प्यार कैसे हो सकता है.

फेसबुक के दोस्त सिर्फ कहने के दोस्त हो सकते हैं. इन में न कोई भावनात्मक लगाव होता है और न किसी तरह की संवेदना होती है.

ऐसे में अगर जयकांतो को कोई प्यार करने वाली मिल गई थी तो वह सचमुच भाग्यशाली था. भले ही वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

जब जयकांतो और परिमिता एकदूसरे को प्यार करने लगे तो दोनों ही एकदूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने लगे. जो परिमिता कभी अपना नंबर जयकांतो को देने को तैयार नहीं थी, प्यार होने के बाद उस ने तुरंत अपना नंबर जयकांतो को दे दिया था. फिर तो दोनों में लंबीलंबी बातें भी होने लगीं.

अब तक जयकांतो और परिमिता को फेसबुक द्वारा संपर्क में आए करीब 2 साल बीत चुके थे. प्यार की बात कहने में उन्हें 2 साल लग गए थे. लेकिन मनमाफिक परिणाम मिलने से उन्हें इस बात का जरा भी गम नहीं था कि उन का इतना समय बरबाद हो गया.

दोनों के घर वाले हुए राजी

बेटे को हर समय फोन पर लगे देख कर नोलिनीकांत सोचने लगे कि आखिर बेटा फोन में इतना क्यों लगा रहता है. ऐसा कोई रिश्तेदार भी नहीं है, जिस से वह इतनी लंबीलंबी बातें करे. जितनी लंबीलंबी बातें जयकांतो करता था, कोई भी बाप सोचने को मजबूर हो जाता.

कई बार उन्होंने उसे रात में भी किसी से बातें करते सुना था. उन से नहीं रहा गया तो एक दिन उन्होंने टोक दिया. बाप के पूछने पर जयकांतो ने भी कुछ छिपाया नहीं और अपने तथा परिमिता के प्यार की पूरी कहानी बता कर कह दिया कि वह उस से शादी करना चाहता है.

नोलिनीकांत को बेटे की शादी परिमिता से करने में कोई ऐतराज नहीं था. वह इस के लिए तैयार भी थे, पर परेशानी की बात यह थी कि वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

उस से शादी करने के लिए उन्हें बहुत झमेला करना पड़ता. पासपोर्ट बनवाना पड़ता, वीजा लगवाना पड़ता, इसलिए उन्होंने बेटे को समझाया कि जब यहीं तमाम लड़कियां हैं तो बांग्लादेश की लड़की के झमेले में वह क्यों पड़ रहा है.

पर जयकांतो ने तो परिमिता से सच्चा प्यार किया था, इसलिए उस ने बाप से साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो परिमिता से ही करेगा, वरना शादी नहीं करेगा. इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े.

नोलिनीकांत मजबूर हो गए. ऐसा ही कुछ हाल परिमिता का भी था. वह भी जयकांतो के अलावा किसी और से विवाह करने को राजी नहीं थी. बात जब दोनों के घर वालों की जानकारी में आई तो उन्होंने आपस में भी बात की. इस मामले को कैसे हल किया जाए, अब वे इस बात पर विचार करने लगे.

परिमिता के घर वालों का कहना था कि जयकांतो अकेला ही बांग्लादेश आ जाए, वे बेटी की शादी उस के साथ कर देंगे. उस के बाद जयकांतो दुलहन ले कर लौट जाएगा. नोलिनीकांत ने जब इस बात की चर्चा अपने कुछ दोस्तों से की तो सब ने यही सलाह दी कि दस्तावेज तैयार कराने के झमेले में वह न पड़े.

रोजाना न जाने कितने लोग अवैध रूप से सीमा पार से इस पार आते हैं तो न जाने कितने लोग उस पार जाते हैं. उसी तरह किसी दलाल से बात कर के जयकांतो को सीमा पार करा दिया जाए. वह वहां शादी कर के उसी तरह दलाल के माध्यम से पत्नी के साथ सीमा पार कर के आ जाएगा.

बांग्लादेश में हो गई शादी

नोलिनीकांत को यह रास्ता ठीक लगा. वह अप्पू नामक एक दलाल से मिला तो सीमा पार कराने के लिए उस ने 10 हजार रुपए मांगे. जयकांतो को परिमिता से मिलने के लिए इतनी रकम ज्यादा नहीं लगी. 10 हजार रुपए अप्पू को दे कर जयकांतो 8 मार्च, 2021 को सीमा पार परिमिता के घर पहुंच गया.

परिमिता के घर वाले शादी के लिए तैयार थे ही. उन्होंने शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी. 10 मार्च को उन्होंने परिमिता का ब्याह जयकांतो से करा दिया.

ब्याह के बाद जयकांतो कुछ दिन ससुराल में रुका रहा. लेकिन कितने दिन वह ससुराल में पड़ा रहता. उसे घर तो आना ही था. वह जिस तरह चोरीछिपे से सीमा पार कर के बांग्लादेश गया था, अब उसी तरह चोरी से ही उसे बांग्लादेश से भारत आना था.

इस के लिए उस ने वहां दलाल की तलाश की तो उस की मुलाकात राजू मंडल से हुई. उस ने सीमा पार कराने के लिए 10 हजार बांग्लादेशी टका मांगे. जयकांतो राजू मंडल को यह रकम दे कर 26 जून, 2021 को भारत की सीमा में घुस रहा था कि बीएसएफ (बौर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल) ने दोनों को पकड़ लिया.

दरअसल, बीएसएफ की खुफिया शाखा ने मधुपुरा सीमा पर तैनात जवानों को सूचना दी कि कुछ लोग बांग्लादेश की ओर से भारत की सीमा में घुस रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर बीएसएफ के जवानों ने शाम करीब 4 बजे जयकांतो और परिमिता को भारतबांग्लादेश की सीमा पर गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में जयकांतो और परिमिता ने फेसबुक द्वारा होने वाले अपने प्यार से ले कर विवाह तक की पूरी कहानी सुना दी.

जयकांतो ने अपनी पहचान बताने के साथ अपने भारतीय होने के सारे साक्ष्य भी उपलब्ध करा दिए. लेकिन उस की पत्नी परिमिता तो बांग्लादेश की रहने वाली थी.

विस्तृत पूछताछ के लिए दोनों को मधुपुरा चौकी लाया गया, जहां बीएसएफ की इंटेलिजेंस शाखा के कमांडिंग औफिसर संजय प्रसाद सिंह ने दोनों से विस्तार से पूछताछ की.

दरअसल, अकसर लोग प्यार या विवाह के नाम पर बांग्लादेश की मासूम लड़कियों को फंसा कर देहव्यापार के दलदल में धकेल देते हैं.

इस तरह की मानव तस्करी को रोकने के लिए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने बौर्डर पर एंटी ट्रैफिकिंग रैकेट तैनात किया है. बीएसएफ ऐसे मामलों में हर तरह से जांच करती है, जिस से किसी गरीब मासूम का शोषण न हो सके.

पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जयकांतो और परिमिता को कानूनी कररवाई के लिए थाना भीमपुर पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने भी दोनों से विस्तारपूर्वक पूछताछ की. उस के बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया.

अदालत से जयकांतो को तो जमानत मिल गई, पर परिमिता को नारी निकेतन भेज दिया गया. अब दोनों को एक होने के लिए एक बार फिर संघर्ष करना पड़ेगा. लेकिन जहां प्यार है, वहां कुछ भी संभव है. परिमिता भारत आ गई है तो जयकांतो की हो कर रहेगी.