हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी

हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी – भाग 3

कोई डेढ़ दो साल पहले एक युवक के माध्यम से सुहैल को पता चला कि कोठारी के रईस किसान का खूबसूरत जवान बेटा जिम खेलने के लिए सीहोर के चक्कर लगा रहा है. नरेश देखने में था भी हैंडसम, इसलिए मोटी मुर्गी देख कर सुहैल किसी तरह नरेश से जानपहचान करने के बाद एक रोज उसे अपने घर ले गया.

वास्तव में सुहैल शिकार को फांसने के लिए हर किस्म के हथियार का इस्तेमाल करता था. इसलिए नरेश को फांसने के लिए सुहैल की पत्नी और बेटी रुकैया खुल कर अपना जादू दिखाने लगीं. नरेश भी रुकैया की खूबसूरती पर फिदा हो गया, जिस से वह अकसर सुहैल से मिलने के बहाने उस के घर आनेजाने लगा.

आखिर रुकैया उसे फांसने में सफल हो ही गई. फिर सुहैल ने धीरेधीरे नरेश को मुफ्त में कोकीन और ब्राउन शुगर का नशा करवाना शुरू कर दिया. जब वह नशे का आदी हो गया तो सुहैल ने नशे की कीमत वसूलनी शुरू कर दी.

नरेश के पास पैसों की कमी नहीं थी, इसलिए वह रुकैया के चक्कर में पैसा लुटाने लगा. योजना के अनुसार नरेश के नशे की गिरफ्त में आ जाने के बाद रुकैया को पीछे हट जाना था, लेकिन नरेश के मामले में रुकैया खुद शिकार हो चुकी थी. इसलिए वह नरेश से नजदीकी बनाए रही, जिस के चलते सुहैल को नरेश से परेशानी होने लगी. लेकिन वह खूब पैसे लुटा रहा था, इसलिए सुहैल अपनी आंखें बंद किए रहा.

नरेश खतरे को समझ नहीं पाया

धीरेधीरे नरेश के हाथ की वह रकम खत्म होने लगी, जो उस ने जिम खोलने के लिए घर से ली थी. पैसा खत्म हो गया तो सुहैल उसे उधारी में नशे की पुडि़या देने लगा. इस में सुहैल को कोई परेशानी नहीं थी. उसे डर केवल इस बात का था कि रुकैया और नरेश को ले कर समाज में कोई बवाल खड़ा न हो जाए. इसलिए वह नहीं चाहता था कि अब नरेश उस के घर आए.

लेकिन नरेश के ऊपर प्यार और कोकीन का ऐसा नशा सवार था कि गांव से निकल कर सीधे सुहैल के घर पहुंच जाता. बाद में धीरे धीरे नरेश को अपनी गलती का अहसास होने लगा था. उस का स्वास्थ्य भी गिरने लगा था इसलिए उस ने सुहैल के घर जाना कुछ कम कर दिया. सुहैल को अब अपने पैसों की चिंता होने लगी, जो नरेश के ऊपर उधार थे.

11 नवंबर को नरेश ने जिम के उपकरण खरीदने के लिए घर से 4 लाख रुपए लिए, लेकिन पैसा जेब में आया तो उसे नशे की सुध आ गई. वह सीधे सुहैल के घर जा पहुंचा, जहां सुहैल ने नशे की पुडि़या देने से पहले अपने उधार के 2 लाख रुपए मांगे. इस पर नरेश ने कहा कि पैसा तो उस के पास इस समय भी है, लेकिन वह इस से जिम का सामान खरीदने जा रहा है. बाद में जिम से पैसे कमा कर उस का सारा हिसाब चुकता कर देगा.

उस दौरान नरेश की नजरें घर में रुकैया की तलाश कर रही थीं. यह देख कर सुहैल का दिमाग खराब हो गया. उसे लगा कि अगर आज नरेश का फाइनल हिसाब कर दिया जाए तो उस का पैसा वसूल हो जाएगा. यह सोच कर उस ने कमरे में पड़ा चाकू उठा कर सीधे नरेश के सीने पर वार कर दिया.

नरेश काफी ताकतवर था. चाकू से घायल होने के बावजूद भी वह सुहैल से भिड़ गया. इधर कमरे में हल्ला सुन कर सुहैल की पत्नी इशरत और बेटा अमन अंदर पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर चौंक गए. चूंकि नरेश सुहैल पर भारी पड़ रहा था, इसलिए सुहैल ने पत्नी और बेटे से मदद करने को कहा.

इशरत और अमन नरेश पर पिल पड़े, जिस के चलते सुहैल ने जल्द ही उस पर चाकू से कई वार कर खेल खत्म कर दिया. अब जरूरत नरेश की लाश को ठिकाने लगाने की थी. इतनी भारी लाश एक बार में चोरीछिपे नहीं ले जाई जा सकती थी. इसलिए तीनों ने मिल कर बांके की मदद से रात में ही नरेश की लाश के 8 टुकड़े कर दिए.

इस के बाद एक प्लास्टिक के बोरे में धड़ और दूसरे में सिर तथा तीसरे में हाथ व चौथे बोरे में उस के पैर एवं कपड़े और जूते भर दिए. फिर रात में 4 बजे के करीब सुहैल अपनी स्कूटी पर एकएक बोरा ले जा कर कर्बला के पास सीवन नदी में फेंक आया.

इस दौरान रात में ही नरेश के घर वाले बेटे के बारे में सुहैल से पूछताछ कर चुके थे, इसलिए वह समझ गया कि अगर वह घर पर रहा तो फंस जाएगा. योजनानुसार सुबह होते ही वह बीमारी के नाम पर भोपाल के एलबीएस अस्पताल में भरती हो गया. लेकिन एडीशनल एसपी समीर यादव के सामने उस की एक नहीं चली, जिस के चलते खुद सुहैल के हिस्से में मौत आई, जबकि आरोपी मांबेटे को मिलीं सलाखें.

इशरत और अमन से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा में रुकैया परिवर्तित नाम है

हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी – भाग 2

इस बीच पुलिस ने नरेश के मोबाइल फोन की काल डिटेल निकलवा ली थी, जिस में पता चला कि नरेश की दिन में कईकई बार सुहैल से बात होती थी. इतना ही नहीं, सुहेल की पत्नी के अलावा सुहैल की जवान बेटी रुकैया से भी नरेश की अकसर बात होने के सबूत मिले.

घटना वाले दिन भी नरेश और सुहैल के बीच कई बार बात हुई थी. जिस समय नरेश का मोबाइल बंद हुआ था, तब वह उसी टावर के क्षेत्र में था, जिस में सुहैल का घर है. अब तक पुलिस के सामने यह साफ हो चुका था कि जिस रोज नरेश गायब हुआ था, वह सुहैल के घर आया था यानी उस के साथ अच्छाबुरा जो भी हुआ इसी इलाके में हुआ था.

इस इलाके में सुहैल का मकान ही एक ऐसा ठिकाना था, जहां नरेश का लगभग रोज आनाजाना था. लेकिन पुलिस पूछताछ से पहले ही उस की मौत हो चुकी थी, इसलिए यह मामला पुलिस के सामने बड़ी चुनौती बन कर खड़ा हो गया था. पुलिस अभी और सबूत हासिल करना चाहती थी ताकि सुहैल की बीवी से पूछताछ की जा सके.

एएसआई आर.एस. शर्मा ने सुहैल के घर के आसपास के रास्तों पर लगे सीसीटीवी की फुटेज चैक की. जल्द ही इस के अच्छे परिणाम सामने आए. पता चला कि 12 नवंबर की सुबह कोई 4 बजे सुहैल 4 बार अपनी एक्टिवा से निकला और एक निश्चित  दिशा में जा कर वापस आता हुआ दिखा. जाते समय हर बार उस की एक्टिवा पर प्लास्टिक का एक बोरा रखा था, जो सफेद रंग का था.

इतनी रात में किसी काम से आदमी का एक ही दिशा में 4-4 बार जाना संदेह पैदा कर रहा था. पता नहीं उन बोरों में वह क्या ले कर गया था.

पत्नी और बेटा आए संदेह के घेरे में

इस बारे में पुलिस ने सुहैल की पत्नी इशरत और बेटे अमन से पूछताछ की. इस पर उन का कहना था कि नशा कर के वह आधी रात में कहां आतेजाते थे, इस बारे में उन्हें कुछ नहीं पता. पूछने पर वह झगड़ा करने लगते थे, इसलिए उन से कोई बात नहीं करता था.

मुख्य संदिग्ध सुहैल की मृत्यु हो चुकी थी, इसलिए ये दोनों मांबेटे सारी बात उस के ऊपर टाल कर बच निकलना चाहते थे. लेकिन पुलिस उन की मंशा जान चुकी थी. उन के साथ वह सख्ती भी नहीं करना चाहती थी. लिहाजा पुलिस टीम ने उन रास्तों की जांच की जो सुहैल के घर से निकल कर आगे जाते थे. उन रास्तों से पुलिस कर्बला तक पहुंच गई. वहीं पर पुलिस को सीवन नदी में सफेद रंग के बोरे तैरते दिखे.

प्लास्टिक के उन बोरों के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही थीं. अब शक करने की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी. क्योंकि सुहैल भी हर बार अपनी एक्टिवा पर घर से सफेद रंग की प्लास्टिक के बोरे ले कर निकला था. पुलिस ने उन बोरों को बाहर निकाल कर खोला तो उन में से एक युवक का 8 टुकड़ों में कटा सड़ागला शव मिला. पुलिस को 3 बोरे मिल चुके थे. चौथा बोरा वहां नहीं था. यानी मृतक के पैर अभी नहीं मिले थे. पुलिस चौथे बोरे को भी तलाशती रही.

दूसरे दिन सुबह कुछ दूरी पर चौथी बोरा भी मिल गई, जिस में शव के पैर व खून सने कपड़े और जूते थे. इन अंगों को जब नरेश के भाई को दिखाया तो उस ने शव की पहचान अपने भाई नरेश के रूप में कर दी.

मामला अब सीहोर कोतवाली के हाथ आ चुका था, इसलिए एडीशनल एसपी समीर यादव के निर्देश पर टीआई संध्या मिश्रा की टीम ने सुहैल के घर की तलाश ली तो टीम को एक कमरे की दीवारों पर लगे खून के दाग मिल गए, जिन के नमूने जांच के लिए सुरक्षित रख लिए गए.

घर की दीवारों पर खून के धब्बे मिलने के अलावा नरेश वर्मा की लाश भी बरामद हो चुकी थी, इसलिए अब सुहैल की पत्नी और बेटे के सामने बच निकलने का कोई रास्ता नहीं था. पुलिस ने इशरत और उस के बेटे से पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि 11 नवंबर को किसी बात पर नरेश से विवाद हो जाने पर सुहैल ने नरेश की हत्या कर दी थी.

मांबेटे द्वारा अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने उन के घर से हत्या में प्रयुक्त चाकू और बांका के अलावा खून सने कपड़े भी बरामद कर लिए. दोनों से पूछताछ के बाद नरेश वर्मा की हत्या की कहानी कुछ इस प्रकार सामने आई—

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के कोठारी गांव के रहने वाले नरेश को बचपन से ही खेलों में रुचि थी. उम्र बढ़ने के साथ उस की खेलों में रुचि और भी बढ़ती गई. नतीजतन उस ने कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर लिया.

इस के अलावा वह पावर लिफ्टिंग जैसे खेल में भी बढ़चढ़ कर भाग लेने लगा. पावर लिफ्टिंग की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले कर मैडल भी हासिल किए. खेलों से उसे बेहद लगाव था, इसलिए वह इसी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहता था.

नरेश फंसा नशे और ग्लैमर के चक्कर में

जब उसे मनमुताबिक नौकरी नहीं मिली तो उस ने सीहोर में अपना खुद का जिम खोलने की कवायद शुरू कर दी. वैसे भी उस के पिता कोठारी गांव के संपन्न किसान थे, उस के पास पैसों की कमी नहीं थी. सीहोर में ही दूल्हा बादशाह रोड पर सुहैल अपने परिवार के साथ रहता था.

सुहैल कोकीन और ब्राउन शुगर बेचता था. वह कई सालों से नए युवकों को अपने जाल में फांस कर नशे का लती बना देता था. कोकीन और ब्राउन शुगर की तस्करी के आरोप में वह कई बार गिरफ्तार हो चुका था. लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद फिर अपने इसी धंधे से जुड़ जाता था. केवल सुहैल ही नहीं, इस काम में उस का पूरा परिवार संलिप्त था.

सुहैल पैसे वाले युवकों से दोस्ती कर उन्हें अपने घर बुलाता, जहां उस की पत्नी इशरत और खूबसूरत बेटी रुकैया पिता के इशारे पर उस युवक पर ऐसा जादू चलातीं कि वह बारबार उस के घर के चक्कर लगाने लगता था. जब सुहैल देखता कि शिकार उस के फैलाए जाल में फंस चुका है तो पहले वह उसे कोकीन या ब्राउन शुगर का फ्री में नशा करवाता था, फिर बाद में धीरेधीरे नशे की पुडि़या के बदले पैसे वसूलने लगता.

जब युवक को नशे की लत लग जाती तो उस की पत्नी और बेटी शिकार से दूरी बना लेती थीं. लेकिन तब तक उस युवक की चाह दूसरे सुख से अधिक नशे के सुख की बन जाती थी. इसलिए वह सुहैल का गुलाम बन कर रहने के लिए भी तैयार हो जाता था, जिस के बाद सुहेल उस से तो पैसा लूटता ही, साथ ही उस की मदद से दूसरे युवकों को भी अपने नशे का आदी बना देता था.

हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी – भाग 1

घटना मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा थाने की है. 12 नवंबर, 2018 को आष्टा के टीआई कुलदीप खत्री थाने में बैठे थे. तभी क्षेत्र के कोठरी गांव का हेमराज अपने गांव के कन्हैयालाल को साथ ले कर टीआई के पास पहुंचा. उस ने उन्हें अपने 29 वर्षीय बेटे नरेश वर्मा के लापता होने की खबर दी.

हेमराज ने बताया कि नरेश कराटे में ब्लैक बेल्ट होने के अलावा पावर लिफ्टिंग का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी रह चुका है. वह सीहोर में अपना जिम खोलना चाहता था. जिम का सामान खरीदने के लिए वह सुबह 10 बजे के आसपास घर से 4 लाख रुपए ले कर निकला था.

उस ने रात 8-9 बजे तक घर लौटने को कहा था. लेकिन जब वह रात 12 बजे तक भी नहीं आया तो हम ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, पर उस का मोबाइल फोन बंद मिला. उस के दोस्तों से पता किया तो उन से भी नरेश के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

नरेश के पास 4 लाख रुपए होने की बात सुन कर टीआई कुलवंत खत्री को मामला गंभीर लगा, इसलिए उन्होंने नरेश की गुमशुदगी दर्ज कर मामले की जानकारी एसपी राजेश चंदेल और एडीशनल एसपी समीर यादव को दे दी.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर टीआई खत्री ने जब हेमराज सिंह से किसी पर शक के बाबत पूछा तो उस ने बादशाही रोड पर रहने वाले सुहैल खान का नाम लिया. उस ने बताया कि सुहैल व उस के बेटे नरेश का वैसे तो कोई मेल नहीं था, इस के बावजूद काफी लंबे समय से नरेश का सुहैल के घर आनाजाना काफी बढ़ गया था.

सुहैल और नरेश की दोस्ती किस तरह बनी और बढ़ी थी, इस बात की जानकारी हेमराज को भी नहीं थी. परंतु लोगों में इस तरह की चर्चा थी कि सुहैल की खूबसूरत बेटी इस का कारण थी और घटना वाले दिन भी नरेश के मोबाइल पर सुहैल का कई बार फोन आया था.

हेमराज ने आगे बताया कि जब देर रात तक नरेश घर नहीं लौटा था तो हम ने सुहैल से ही संपर्क किया. उस ने बताया कि नरेश के बारे में उसे कुछ पता नहीं है. इतना ही नहीं नरेश का अच्छा दोस्त होने के बावजूद सुहैल ने उसे ढूंढने में भी रुचि नहीं दिखाई.

यह जानकारी मिलने के बाद एडीशनल एसपी समीर यादव ने सीहोर कोतवाली की टीआई संध्या मिश्रा को सुहैल की कुंडली खंगालने के निर्देश दिए. टीआई संध्या मिश्रा ने जब सुहैल के बारे में जांच की तो पता चला कि सुहैल कई बार नशीले पदार्थ बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है.

इस के बाद अगले ही दिन पुलिस ने सुहैल के घर दबिश डाली, लेकिन सुहैल घर पर नहीं मिला. घर में केवल उस की बीवी इशरत और बेटा अमन मिले. सुहैल के बारे में पत्नी ने बताया कि उन की तबीयत खराब हो गई थी और वह भोपाल के एलबीएस अस्पताल में भरती हैं.

‘‘उन की तबीयत को क्या हुआ?’’ पूछने पर परिवार वालों ने बताया, ‘‘कभीकभी अधिक नशा करने पर उन की ऐसी ही हालत हो जाती है. इस बार हालत ज्यादा खराब हो गई, जिस से वह कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे.’’

यह बात एडीशनल एसपी समीर यादव के दिमाग में बैठ गई. क्योंकि सुहैल की तबीयत उसी रोज खराब हुई, जिस रोज नरेश गायब हुआ था. दूसरे अब तक तो वह तबीयत खराब होने पर बातचीत करता था, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि वह बोल भी नहीं पा रहा था.

यादव समझ गए कि वह न बोल पाने का नाटक पुलिस पूछताछ से बचने के लिए कर रहा है, इसलिए उन्होंने आष्टा थाने के टीआई को जरूरी निर्देश दे कर सुहैल से पूछताछ के लिए भोपाल के एलबीएस अस्पताल भेज दिया.

सुहैल से पूछताछ के लिए टीआई कुलदीप खत्री एलबीएस अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने वार्ड में भरती सुहैल से पूछताछ की तो उस ने पुलिस की किसी बात का जवाब नहीं दिया.  तब टीआई अस्पताल से लौट आए, लेकिन उन्होंने उस पर नजर रखने के लिए सादे कपड़ों में एक कांस्टेबल को वहां छोड़ दिया.

पुलिस के जाने के कुछ देर बाद सुहैल जेब से मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने लगा. यह देख कर कांस्टेबल चौंका और समझ गया कि सुहैल वास्तव में न बोलने का ढोंग कर रहा है. यह बात उस ने टीआई कुलदीप खत्री को बता दी.

अब टीआई समझ गए कि जरूर नरेश के लापता होने का राज सुहैल के पेट में छिपा है. लेकिन सुहैल इलाज के लिए अस्पताल में भरती था. डाक्टर की सहमति के बिना उस से अस्पताल में पूछताछ नहीं हो सकती थी. तब पुलिस ने सुहैल के बेटे और पत्नी को पूछताछ के लिए उठा लिया.

सांप की पूंछ पर पैर रखो तो वह पलट कर काटता है, लेकिन पैर अगर उस के फन पर रखा जाए तो वह बचने के लिए छटपटाता है. यही इस मामले में हुआ.

जैसे ही सुहैल को पता चला कि पुलिस उस के बीवी बच्चों को थाने ले गई है तो वह खुदबखुद स्वस्थ हो गया. इतना ही नहीं, अगले दिन ही वह अस्पताल से छुट्टी करवा कर पहले घर पहुंचा और वहां से सीधे आष्टा थाने जाने के लिए रवाना हुआ. सुहैल भी कम शातिर नहीं था. वह किसी तरह पुलिस पर दबाव बनाना चाहता था. इसलिए आष्टा बसस्टैंड से थाने की तरफ जाने से पहले उस ने सल्फास की कुछ गोलियां मुंह में डाल लीं.

पुलिस को धोखा देने के चक्कर में मौत

सल्फास जितना तेज जहर होता है, उतनी ही तेज उस की दुर्गंध भी होती है. सुहैल का इरादा कुछ देर मुंह में सल्फास की गोली रखने के बाद बाहर थूक देने का था, ताकि जहर अंदर न जाए और उस की दुर्गंध मुंह से आती रहे, जिस से डर कर पुलिस उस से ज्यादा पूछताछ किए बिना ही छोड़ दे. हुआ इस का उलटा. मुंह में रखी एक गोली हलक में अटकने के बाद सीधे पेट में चली गई. इस से वह घबरा गया. उस ने तुरंत थाने पहुंचने की सोची, लेकिन थाने से बाहर कुछ दूरी पर गिर कर तड़पने लगा.

पुलिस को इस बात की खबर लगी तो उसे पहले आष्टा, फिर सीहोर अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उपचार के दौरान सुहैल की मौत हो गई. सुहैल की मौत हो जाने से पुलिस को सुहैल की बीवी और बेटे को छोड़ना पड़ा. अब तक पुलिस पूरी कहानी समझ चुकी थी. नरेश के साथ जो कुछ भी हुआ है, उस में सुहैल और उस के परिवार का ही हाथ है.

हकीकत यह जानते हुए भी एडीशनल एसपी समीर यादव को कुछ दिनों के लिए जांच का काम रोक देना पड़ा. कुछ दिन बाद फिर जांच आगे बढ़ी तो सुहैल की बीवी और बेटे से पूछताछ की गई. लेकिन वे कुछ भी जानने से इनकार करते रहे.