कातिल प्रेम पुजारी – भाग 3

प्रीति के घरवालों ने मनोज को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन उस की शंका का समाधान नहीं हुआ. धीरेधीरे मनोज ने प्रीति या उस के घर वालों से कोई संपर्क नहीं किया. वह उन का फोन तक नहीं उठाता था. जवान बेटी अपने बच्चे को ले कर मायके में रह रही थी, इस से प्रीति के पिता की समाज में बदनामी हो रही थी.

प्रीति के पिता ने परेशान हो कर कटनी पुलिस थाने में मनोज के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ की शिकायत कर दी और रिपोर्ट दर्ज हो गई. मनोज को रिश्तेदारों ने समझाया, “किसी तरह प्रीति से राजीनामा कर लो मनोज, नहीं तो दहेज अधिनियम के तहत तुम्हें जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी.”

जेल जाने के डर से मनोज प्रीति को साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया. दोनों फिर से भोपाल में साथ रहने लगे थे. मनोज के खिलाफ प्रीति ने जो दहेज उत्पीडऩ का केस लगाया था, प्रीति ने उस में राजीनामा नहीं किया था. मनोज कई बार कह चुका था कि हम साथ रह रहे हैं, सब ठीक है फिर तुम केस वापस क्यों नहीं ले लेती.

इस बीच प्रीति अपने परिवार में रम चुकी थी. उस का तीसरा बच्चा भी हो चुका था. प्रीति अपने प्रेम संबंधों को भुला नहीं पाई थी, उस के घर रामनिवास का आनाजाना फिर से शुरू हो चुका था. इधर रामनिवास की पत्नी शालिनी को भी पति के प्रीति से नाजायज संबंधों की जानकारी हो गई थी. रामनिवास की पत्नी शालिनी के मन में भी शंका पैदा हो गई कि उस के पति और प्रीति के बीच कुछ चल रहा है. इसे ले कर शालिनी का अपने पति से आए दिन झगड़ा होता था.

दोनों परिवार आपस में रिश्तेदार थे, इस के बावजूद दोनों परिवारों में मनमुटाव इतना बढ़ गया था कि वे आपस में दुश्मन बन चुके थे और किसी भी हद तक जाने तैयार थे. फिर से मामला बिगड़ते देख प्रीति ने रामनिवास से बातचीत बंद कर दी थी. वह उस का फोन भी नहीं उठाती थी.

रामनिवास को लगता था कि प्रीति का अब किसी और से अफेयर चल रहा है. इस कारण वह उस से दूरियां बना रही है. प्रीति की वजह से शालिनी के परिवार में कलह होने लगी थी और शालिनी प्रीति से नफरत करने लगी थी. रामनिवास ने प्रीति को सबक सिखाने का प्लान बना लिया था.

प्रेमिका से पीछा छुड़ाने में पत्नी ने दिया साथ

पुलिस पूछताछ में पता चला कि प्रीति की हत्या की वजह रामनिवास के प्रीति के साथ प्रेम संबंध थे. रामनिवास ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि उस का और प्रीति का अफेयर चल रहा था. पिछले कुछ दिनों से उस ने मुझ से बात करनी बंद कर दी थी. मुझे शक था कि शायद उस का किसी और से अफेयर चलने लगा है. इसी बात को ले कर हमारे बीच झगड़ा हुआ और मैं ने उसे सबक सिखाने के लिए उस की हत्या करने का फैसला ले लिया.

5 अगस्त, 2023 की दोपहर को रामनिवास ने पत्नी शालिनी से कहा, “चलो, आज मनोज के घर चलते हैं और प्रीति से मिल कर मामले को सुलझा लेते हैं. तुम्हारे मन में जो भी शंका है, वह दूर हो जाएगी.”

शालिनी झटपट चलने को तैयार हो गई, लेकिन मनोज के मन में कुछ और चल रहा था. उस ने पहले से ही एक चाकू खरीद कर अपने पास रख लिया था. उस दिन बारिश हो रही थी तो रेनकोट पहन कर और मुंह पर नकाब बांध कर दोनों प्रीति के घर जाने के लिए तैयार हुए. रेनकोट में दोनों को पहचानना मुश्किल था. शालिनी ने जब उस से पूछा, “ये नकाब की क्या जरूरत है?”

तो मनोज ने कहा, “वैसे ही हमारा क्लेश चल रहा है, लोग हमारे बारे में तरहतरह की बातें करते हैं तो हमें छिप कर ही जाना चाहिए.”

इस के बाद रामनिवास ने अपनी पहचान के चंदन नाम के आटो वाले को फोन लगा कर कहा, “चंदन, तुम जल्दी से आटो ले कर आ जाओ, हमें छोला मंदिर तक जाना है.”

दोपहर का वक्त था, चंदन खाना खा कर घर से निकलने ही वाला था जैसे ही रामनिवास का फोन आया वह बोला, “हां पंडितजी, 5 मिनट में आटो ले कर पहुंच जाऊंगा.”

आटो में बैठ कर दोनों भानपुर इलाके के लीलाधर कालोनी में पहुंच गए. रामनिवास ने चंदन को प्रीति के घर से दूर वाली गली में खड़ा किया और उसे वहीं रुकने को कहा. दोनों आटो से उतरे और सीधे प्रीति के घर पहुंच गए. करीब आधे घंटे बाद शालिनी और रामनिवास उसी आटो में बैठ कर घर वापस आ गए.

रामनिवास की पत्नी शालिनी मिश्रा ने पुलिस को बताया, “सुबह मेरे पति ने मुझे अपने साथ प्रीति के घर चलने के लिए कहा था. उन्होंने मुझे सलवार सूट के साथ ग्लव्स, काला चश्मा और नीले जूते दिए, फिर कहा कि हम प्रीति के पास चल रहे हैं. उस से बातचीत कर के सब प्रौब्लम सौल्व कर लेंगे. ऐसे चलेंगे तो लोग पहचान लेंगे, इसलिए कवर हो कर चलना पड़ेगा.”

शालिनी ने आगे बताया, “मुझे मेरे पति और प्रीति के अफेयर की जानकारी थी और इसे ले कर घर में हर दिन झगड़ा होता रहता था. मैं प्रीति से पति का पीछा छुड़ाना चाहती थी, इसलिए उन के साथ चली गई. मुझे पता नहीं था कि मेरे पति उस की हत्या करने के मकसद से जा रहे हैं. जब हम वहां पहुंचे और मेरे पति ने उस पर वार करना शुरू कर दिए, ऐसे में मुझे उन का साथ देना पड़ा. वहीं पर प्रीति का एक डेढ़ साल का बच्चा भी था, मैं ने बस उसे ही संभाला था. इस के अलावा मैं ने और कुछ नहीं किया.”

पुलिस ने प्रीति की हत्या के आरोप में 35 वर्षीय रामनिवास मिश्रा, और उस की पत्नी 30 वर्षीया शालिनी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें भोपाल जेल भेज दिया गया. नाजायज संबंधों की खातिर प्रीति अपनी जान से हाथ धो बैठी और उस के बच्चे बिन मां के रह गए. जबकि प्रेम में पागल पुजारी रामनिवास मिश्रा को अपनी पत्नी के साथ जेल की चारदीवारी में कैद होना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 2

तान्या रचित और टीटू को बहुत पहले से जानती थी. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. पुलिस पूछताछ में तान्या व उसके दोस्तों से जो जानकारी प्राप्त हुई वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के धार जिले के बागटांडा के बरोड़ निवासी तान्या कुछ समय पहले पढ़ाई करने के लिए इंदौर आई थी. इंदौर आते ही उस ने एक ब्रोकर के माध्यम से पलासिया इलाके के गायत्री अपार्टमेंट में एक किराए का फ्लैट लिया, और वहीं रह कर उस ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी.

तान्या खातेपीते परिवार से थी. उस के पास रुपयोंपैसों की कमी नही थी. उस के मम्मीपापा उस का भविष्य सुधारने के लिए काफी रुपए खर्च कर रहे थे. खूबसूरत तान्या के कालेज में एडमिशन लेते ही उस के कई दीवाने हो गए थे. वह शुरू से ही बनठन कर रहती थी. मम्मीपापा खर्च के लिए पैसा भेजते तो वह खुले हाथ से पैसा खर्च भी करती थी.

इंदौर आते ही उस के जैसे पंख निकल आए थे. वह खुली हवा में घूमने लगी. उस की कुछ फ्रेंड गलत संगत में पड़ी हुई थीं. तान्या उन के संपर्क में आई तो उस पर भी उन का रंग चढ़ने लगा. वह भी अपनी दोस्तों के साथ शराब और सिगरेट का नशा करने लगी थी. उसी नशे के कारण उस की दोस्ती आवारा लड़कों से हो गई. जवानी के जोश में उस के कदम बहके तो वह पढ़ाई करना भूल गई.

उसी दौरान उस की मुलाकात रचित उर्फ टीटू से हुई. टीटू ने उसे एक बार प्यार से देखा तो देखता ही रह गया. दोनों के बीच परिचय हुआ और फिर जल्दी ही दोनों ने दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिए थे. दोस्ती के सहारे ही उन के बीच प्यार बढ़ा और कुछ ही दिनों में वह एकदूसरे को दिलो जान से चाहने लगे.

तान्या से दोस्ती हो जाने के बाद रचित का उस के फ्लैट पर भी आनाजाना शुरू हो गया था. रचित घंटों उस के पास पड़ा रहता था. जिस के कारण उस के आसपास रहने वाले लोग परेशान रहने लगे थे. चूंकि तान्या ने वह फ्लैट किराए पर लिया था. इसी कारण उस के पड़ोसी उसे वहां से जाने के लिए भी नहीं कह सकते थे.

पहले तो उस के फ्लैट पर रचित ही आता था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अन्य कई युवक भी आने लगे. थे. तान्या के फ्लैट में लडकों का आनाजान शुरू हुआ तो पड़ोसियों को परेशानी हुई. .उस की हरकतों से तंग आ कर पड़ोसियों ने उस फ्लैट के मालिक से उस की शिकायत कर उस से फ्लैट खाली कराने के लिए दबाव बनाया.

पड़ोसियों के दबाव में आ कर फ्लैट मालिक ने तान्या से तुरंत ही फ्लैट खाली करने को कहा. मालिक के कहने पर तान्या ने फ्लैट खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. तान्या ने यह बात अपने दोस्त रचित को बताई. साथ ही उसने उस से उस के लिए एक मकान ढूंढने को कहा, लेकिन इस मामले में रचित ने उस की कोई भी सहायता करने से साफ मना कर दिया था.

रचित ने तान्या को समझाने का किया प्रयास

रचित के अलाबा तान्या का एक ओर दोस्त था छोटू. उस का भी उस के पास बहुत आना जाना लगा रहता था. यह बात उस ने छोटू के सामने रखी तो उस ने उस के लिए फ्लैट ढूंढना शुरू कर दिया. छोटू परदेशीपुरा इलाके में रहता था. छोटू एक दबंग किस्म का युवक था. छोटेमोटे अपराध और मारपीट कर उस ने अपने इलाके में दहशत फैला रखी थी. उस पर 3 मुकदमे दर्ज थे.

कुछ सयम पहले ही तान्या की उस से मुलाकात हुई थी. छोटू को लड़कियों को परखने की महारत हासिल थी. उस ने तान्या के लिए कुछ ही दिनों में एक किराए के फ्लैट की व्यवस्था कर दी. उस के बाद वह उसी के इलाके में आ कर रहने लगी थी. तान्या की छोटू से दोस्ती पक्की हो गई थी. छोटू के साथ दोस्ती हो जाने के बाद तान्या को नशे की लत भी लग गई थी. जिस के बाद उसमें अच्छा बुरा सोचने की क्षमता भी खत्म हो गई. थी.

यह बात रचित को पता चली तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, ”तान्या तुम पढ़ीलिखी हो, तुम्हें ऐसे आवारा किस्म के साथ दोस्ती नही करनी चाहिए. छोटू के साथ दोस्ती करने के बाद तुम पछताओगी.”

लेकिन तान्या ने उस की एक न सुनी. फिर रचित ने भी उस से बात करनी ही बंद कर दी. फिर भी तान्या रचित को छोड़ने को तैयार न थी. वह बारबार रचित को फोन लगाती, लेकिन वह उस का फोन रिसीव नहीं कर रहा था. जिस के कारण वह उस से मिल भी नहीं पा रही थी.

उस के बाद तान्या ने छोटू सेे कहा कि वह किसी भी तरह से एक बार उसे रचित से मिलवा दे. छोटू ने रचित से मिलकर तान्या का मैसेज देते हुए. मिलने को कहा, लेकिन उस के बाद भी रचित उस से नहीं मिला.

जब रचित ने तान्या से रिश्ता तोड़ लिया तो तान्या ने उसे सबक सिखाने की योजना बनाई. छोटू पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था. हर वक्त उस के साथ कई आवारा किस्म के लड़के घूमते थे. एक दिन तान्या ने छोटू से कहा कि वह रचित को धमकाना चाहती है, जिस से घबरा कर वह उसके संपर्क में आ जाए.

तान्या पर मौडल बनने का भूत था सवार

छोटू अय्याश किस्म का था. उस से ज्यादा वह हवाबाज होने के बाद शेखी बघारने में भी कम नही था. यही कारण था कि सामने वाला जल्दी ही उस की बातों में आ जाता था. तान्या उस के सम्पर्क में आई तो उसे भी लगा कि छोटू जो कहता है, उसे कर भी देता है.

तान्या इंदौर आ कर हवा में उड़ने लगी और शीघ्र उच्च स्तर की मौडल बनने का सपना देखने लगी थी. छोटू से दोस्ती करते ही उसे लगने लगा था कि वह उस के सपनों को जल्दी ही पूरा कर सकता है. तान्या उस के संपर्क में आने के बाद कई बार उस से बोल चुकी थी कि उस की मुलाकात एक दो मौडल लड़कों से करवा देना.

फरेब के जाल में फंसी नीतू – भाग 2

यह एक अजीब सी बात इस लिहाज से थी कि हत्या के मामले में किसी भी पिता की कोशिश बेटे को बचाने की रहती है. लेकिन बाबूलाल इस का अपवाद था. हालांकि संभावना इस बात की भी थी कि वह वाकई सच बोल रहा हो क्योंकि रामजी घोषित तौर पर मंदबुद्धि वाला था और गुस्सा आ जाने पर ऐसा कर भी सकता था. लेकिन इस थ्यौरी में आड़े यही बात आ रही थी कि कोई मंदबुद्धि इतनी प्लानिंग से हत्या नहीं कर सकता.

अभयराज सिंह ने नीतू के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने के लिए एक लेडी कांस्टेबल को काम पर लगा दिया था. अलबत्ता अभी तक की जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी जिस से यह लगे कि नीतू के चालचलन में कोई खोट थी. ये सब बातें अभयराज ने जब आला अफसरों से साझा कीं तो उन्होंने बाबूलाल को टारगेट करने की सलाह दी.

महिला कांस्टेबल की दी जानकारियों ने मामला सुलझाने में बड़ी मदद की. पता यह चला कि नीतू दूसरी महिलाओं के साथ मजदूरी करने ब्यौहारी जाती थी और शाम तक लौट आती थी. 25 मार्च को यानी हादसे के दिन भी वह मजदूरी करने गई थी. लेकिन लौटते वक्त वह गांव के बाहर से ही अपने ससुर बाबूलाल से मिलने खेत की तरफ चली गई थी.

बाबूलाल शक के दायरे में तो पहले से ही था पर इस खुलासे से उस पर शक और गहरा गया था. चूंकि उसे धर दबोचने के लिए कोई पुख्ता सबूत या गवाह नहीं था. इसलिए पुलिस ने बारबार पूछताछ करने का अपना परंपरागत तरीका आजमाया.

इस पूछताछ में उस के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई और न ही कोई यातना दी गई. पुलिस ने तरहतरह से उसे धर्मग्रंथों का हवाला दिया कि जो जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल भुगतना पड़ता है. फिर चाहे वह नीचे धरती पर मिले या ऊपर कहीं मिले.

धर्मगुरुओं  की तरह प्रवचन दे कर जुर्म कबूलवाने का शायद यह पहला मामला था. कर्म फल और पाप पुण्य की पौराणिक कहानियों का बाबूलाल पर वाजिब असर पड़ा और उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

यह डर था या ग्लानि थी यह तो शायद बाबूलाल भी न बता पाए, लेकिन नीतू की हत्या की जो वजह उस ने बताई वह वाकई अनूठी थी. कहानी सुनने से पहले पुलिस ने उस की निशानदेही पर खेत में छिपाई गई चप्पलें व साड़ी बरामद करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई.

बहू नीतू की हत्या की वजह बताते हुए बाबूलाल का चेहरा सपाट था. बाबूलाल तब किशोरावस्था में था जब उस के पिता संतोषी राठौर की मौत हो गई थी. शादी के बाद पत्नी भी ज्यादा साथ नहीं निभा पाई, लेकिन इन तकलीफों से बड़ी उस की तकलीफ मंदबुद्धि बेटा रामजी था.

जवान होते रामजी को देख बाबूलाल का कलेजा मुंह को आता था कि उस के बाद यह लड़का किस के भरोसे रहेगा. कम अक्ल रामजी को पालतेपोसते बाबूलाल ने कई जगह उस की शादी की बात चलाई लेकिन जिस ने भी रामजी की मंदबुद्धि के चर्चे सुने उस ने बाबूलाल के सामने हाथ जोड़ लिए. खेतीकिसानी बहुत ज्यादा भी नहीं थी, इसलिए बाबूलाल ज्यादा पैसों के लिए खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता था, जिस के चलते 54 साल की उम्र भी उस पर हावी नहीं हो पाई थी.

फिर एक दिन पागल कहे जाने वाले रामजी की तब मानो लाटरी लग गई, जब बात चलाने पर नीतू के घर वाले रामजी से उस की शादी करने तैयार हो गए. नीतू गठीले बदन की चंचल लड़की थी, जिसे पत्नी बनाने का सपना आसपास के गांवों के कई युवक देख रहे थे.

गोरीचिट्टी नीतू की खूबसूरती के चर्चे हर कहीं थे पर लोग यह जानकर हैरान रह गए कि उस की शादी रामजी से हो रही है, जिसे गांव की भाषा में पागल, सभ्य लोगों की भाषा में मंदबुद्धि और आजकल सरकारी जुबां में मानसिक रूप से दिव्यांग कहा जाता है.

जब नीतू के घर वालों ने रिश्ते के बाबत हां भर दी तो बाबूलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. घर में बहू के पांव पड़ेंगे, अरसे बाद छमछम पायल बजेगी और जल्द ही पोता उस की गोद में होगा जैसी बातें सोच कर वह अपनी गुजरी और मौजूदा जिंदगी के दुख भूलता जा रहा था.

उधर रामजी पर इस का कोई असर नहीं पड़ा था, वह तो अपनी दुनिया में मस्त था, जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो. शादी के नए कपड़े, धूमधड़ाका, बैंडबाजा बारात वगैरह उस के लिए बच्चों के खेल जैसी बातें थीं. पर बाबूलाल का मन कह रह था कि बहू के आते ही वह सुधर भी सकता है.

खुशी से फूले नहीं समा रहे बाबूलाल को आने वाली परेशानियों और दुश्वारियों का अहसास तक नहीं था. नीतू बहू बन कर आई तो वाकई घर में रौनक आ गई. पर यह रौनक चार दिन की चांदनी सरीखी साबित हुई.

सुहागरात के वक्त नीतू शर्माती लजाती कमरे में बैठी पति का इंतजार कर रही थी कि वह आएगा, रोमांटिक और प्यार भरी बातें करेगा, फिर मन की बातों के बाद धीरे से तन की बात करेगा और फिर… फिल्मों और टीवी सीरियलों में देखे सुहागरात के दृश्य नीतू की जवानी और सपनों को पर लगा रहे थे जिन्हें सोच कर ही वह रोमांचित हुई जा रही थी.

रामजी कमरे में आया और बगैर कुछ कहे सुने बिस्तर पर गया तो नीतू एकदम से कुछ समझ नहीं पाई. उस रात रामजी ने कुछ नहीं किया तो यह सोच कर नीतू ने खुद के मन को तसल्ली दी कि होगी कोई वजह और आजकल के मर्द भी शर्माने में औरतों से कम नहीं हैं.

यह सिलसिला लगातार चला तो शर्म छोड़ते खुद नीतू ने पहल की लेकिन यह जानसमझ कर वह सन्न रह गई कि रामजी मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक तौर पर भी अक्षम है. एक झटके में आसमान से जमीन पर गिरी नीतू की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई थी.

घर के कामकाज करती नीतू को लगने लगा था कि उस की हैसियत एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं है और बाबूलाल व रामजी ने उसे धोखा दिया है. यह सोच कर वह चोट खाई नागिन की तरह फुंफकारने लगी. इस पर रामजी ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया तो वह मायके चली गई और दहेज की रिपोर्ट भी लिखा दी. बेटेबहू के बीच अनबन की असल वजह जब बाबूलाल को पता चली तो वह अवाक रह गया.

अब उसे समझ आया कि क्यों बातबात पर नीतू गुस्सा होती रहती है. इधर दहेज की रिपोर्ट तलवार बन कर उस के सिर पर लटक रही थी. रामजी को तो कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन पुलिस काररवाई से उस का नप जाना तय था.

कातिल प्रेम पुजारी – भाग 2

प्रीति को मंहगा पड़ा पुजारी से प्रेम

भोपाल की छोला मंदिर पुलिस की पूछताछ में प्रीति की सनसनीखेज हत्या करने के पीछे की जो कहानी सामने आई ,वह एक शादीशुदा युवक के दूसरी शादीशुदा महिला से प्रेम संबंधों की कहानी थी.

भोपाल के भानपुर इलाके में छोला मंदिर की लीलाधर कालोनी निवासी 38 साल के मनोज शर्मा की शादी प्रीति से सन 2014 में हुई थी. 28 साल की प्रीति कटनी जिले की रहने वाली थी. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था. दरअसल, प्रीति की कमर की हड्डी बाहर निकली (उभरी) हुई थी, इस वजह से उस का रिश्ता नहीं हो पा रहा था.

जब भी कोई रिश्ते की बात चलती तो प्रीति के परिवार से जलने वाले लोग उस के खिलाफ लडक़े वालों को भडक़ा देते. लोग अकसर यही कहते कि उस की कमर की हड्डी निकली हुई है, वह कभी मां नहीं बन पाएगी. कभी कहते कि वह पति को सुख नहीं दे पाएगी.

इस बीच प्रीति के लिए भोपाल के मनोज का रिश्ता आया. प्रीति में शारीरिक रुप से कमजोरी थी और मनोज की पहली पत्नी उसे छोड़ चुकी थी. दोनों ने अपनी कमियों के चलते इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया और 2014 में उन की शादी हो गई.

मनोज भोपाल में अपने बड़े भाई फूलचंद्र के साथ ही रहता था. जब शादी हुई तो प्रीति भी इस परिवार का हिस्सा बन गई. सब कुछ ठीक चल रहा था. इस बीच मनोज और प्रीति के 2 बच्चे भी हो गए. मनोज के घर उस की बुआ के बेटे के साले रामनिवास मिश्र का आनाजाना शुरू हुआ. रामनिवास दुर्गा मंदिर में पुजारी था. दोनों लगभग हमउम्र थे तो दोनों की ठीकठाक पटती थी.

देवरभाभी का रिश्ता होने की वजह से उन के बीच हंसीमजाक चलती रहती थी. मनोज ने कभी इस नजदीकी को प्रेम प्रसंग की दृष्टि से नहीं देखा, अलबत्ता यही सोचा कि रिश्तेदारी में हंसीठिठोली चलती रहती है. इसी बात का फायदा रामनिवास ने उठाया. मनोज की माली हालत भी इतनी अच्छी नहीं थी कि वह प्रीति को खुश रख पाता. प्रीति का मन भी अपने से उम्र में 10 साल बड़े मनोज से हट चुका था.

शादीशुदा रामनिवास मंदिर में पुजारी था, उस के मंदिर में रोज अच्छी खासी रकम चढ़ावे के रूप में आती थी, जिसे वह प्रीति पर लुटाने लगा था.

एक दिन दोपहर के वक्त मंदिर के पूजापाठ से लौट कर रामनिवास ने प्रीति के दरवाजे पर दस्तक दी तो प्रीति उस समय बाथरूम से नहा कर निकली थी. उस ने अंदर से आवाज देते हुए कहा, “कौन है? आ रही हूं.”

बाहर से कोई आवाज न मिली तो प्रीति समझ गई कि रामनिवास होगा. प्रीति ने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने प्रीति के रूप सैंदर्य को देख कर रामनिवास अपना आपा खो बैठा. प्रीति झीने गाउन में थी, जिस में से उस के उभार दिखाई दे रहे थे. उस के खुले हुए बाल और पहनावे ने प्रीति की खूबसूरती में चारचांद लगा दिए थे.

मनोज उस समय अपने काम पर निकल गया था और प्रीति के बच्चे स्कूल गए हुए थे. मौके की नजाकत देखते ही रामनिवास दिल की बात जुबां पर लाते हुए प्रीति से बोला, “भाभी, तुम तो गजब ढा रही हो, तुम्हें देख कर तो अच्छेअच्छों का ईमान डोल जाए.”

अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनते हुए प्रीति बोली, “इतनी खूबसूरत होती तो तुम्हारे भैया पलकों पर बिठाते मुझ को.”

“क्या कह रही हो भाभी, मुझे तो यकीन ही नहीं होता है कि मनोज भैया तुम्हारी खूबसूरती पर नहीं मरते. मेरा बस चले तो मैं इस जवानी पर अपना सब कुछ लुटा दूं.” रामनिवास प्रीति का हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला.

“बस एक तुम्हीं तो हो जो मेरी भावनाओं को समझते हो,” प्रीति प्यार से बोली.

रामनिवास ने प्रीति का रुख भांपते ही उसे बाहों में भर लिया और प्रीति के होठों पर अपने होंठ धर दिए. प्रीति के शरीर की तपिश से रामनिवास अपने आप पर काबू नहीं कर सका. उस ने प्रीति को गोद में उठाया और कमरे में पड़े पलंग पर लिटा दिया. वह एकएक कर के प्रीति के जिस्म के कपड़ों को हटाता गया. दोनों वासना के तूफान में गहरे तक बह गए. शारीरिक भूख जब शांत हुई तो अपनेअपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर निकले. इस के बाद जो दोनों के प्रेमालाप का यह सिलसिला शुरू हुआ तो वह लगातार चलता रहा.

पति ने नाता तोड़ा

मगर कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. दोनों के प्रेम संबंधों की भनक आखिरकार मनोज के कानों तक पहुंच ही गई. मनोज को आसपास रहने वाले किराएदारों और कुछ हितैषी पड़ोसियों ने बताया कि तुम्हारे घर से निकलते ही रामनिवास यहां अकसर आता रहता है. मनोज के एक मित्र ने मनोज को आगाह करते हुए कहा, “दोस्त, भाभी और रामनिवास को ले कर कालोनी में तरहतरह की चर्चाएं हो रही हैं, तुम्हें बहुत सावधान रहने की जरूरत है.”

अपनी पत्नी के प्रेम संबंधों की जानकारी लगते ही मनोज के मन में शंका पैदा हो गई. मनोज ने प्रीति को प्यार से समझाते हुए कहा, “प्रीति, तुम्हें पता है कि कालोनी में तुम्हारे और रामनिवास के बारे में किस तरह की बातें की जा रही हैं? रामनिवास का रोजरोज घर पर आना ठीक नहीं है.”

इतना सुनते ही प्रीति आवेश में आ गई और पति को उलाहना देते हुए बोली, “तुम मुझ पर बेवजह शक कर रहे हो. रामनिवास तुम्हारी बुआ का लडक़ा है, आखिर उसे घर आने से तुम क्यों नहीं रोकते.”

मनोज ने रामनिवास को भी समझाने की कोशिश की तो उस ने मनोज को यही भरोसा दिलाया कि पड़ोसियों ने प्रीति को नीचा दिखाने के लिए झूठ में ही यह कहानी गढ़ ली, उन के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है.

रामनिवास और प्रीति के अंतरंग संबंधों ने अब मनोज और उस की पत्नी के बीच के विश्वास की डोर को तोड़ दिया था. इस बात को ले कर अकसर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. जब प्रीति दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई तो प्रीति ने चहकते हुए मनोज को बताया, “मैं फिर से मां बनने वाली हूं.”

मगर मनोज के चेहरे पर कोई खुशी नहीं झलकी. मनोज ने प्रीति पर लांछन लगाते हुए कहा, “तुम्हारे पेट में जो बच्चा पल रहा है, वह मेरा खून नहीं है. यह बच्चा रामनिवास के पाप की निशानी है.”

प्रीति ने भी मनोज को खरीखोटी सुनाते हुए साफ कह दिया, “तुम्हें यकीन न हो तो डीएनए टेस्ट करवा लो, अगर ये बच्चा तुम्हारा नहीं हुआ तो मुझे जो चाहे सजा देना.”

पतिपत्नी के बीच के संबंध इस कदर दरक चुके थे कि जब प्रीति का सातवां महीना चल रहा था, तभी एक दिन मनोज और प्रीति के बीच झगड़ा हो गया और मनोज ने प्रीति को घर से निकाल दिया. प्रीति मायके पहुंच गई. प्रीति के घरवालों ने मनोज को समझाने का बहुत प्रयास किया, मगर मनोज प्रीति को अपनाने को कतई तैयार नहीं हुआ.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 1

26 जुलाई, 2023 को कोई 3 बजे का वक्त रहा होगा. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नाईट कल्चर लागू होने से हर रोज की भांति अधिकांश दुकानें खुली हुई थीं. रात का अंतिम पहर होने के बावजूद भी सड़क पर युवकयुवतियां एकदूसरे के हाथ थामे सड़क पर चहल कदमी कर रहे थे. वहीं सड़क पर दोपहिया व चार पहिया वाहन भी इधरउधर आजा रहे थे.

उसी दौरान इंदौर के लोटस चौराहे से एक कार नंबर एमपी09 सीएस 7613 तेजी से गुजरी. उसी चौराहे के पास ही वहां पर पहले से ही एक स्कूटी खड़ी हुई थी. उस स्कूटी पर एकदो नहीं नही बल्कि पूरे 4 लोग बैठे हुए थे. जिन में 3 युवक और एक युवती थी. युवती सब से पीछे बैठी हुई थी. उस समय उस के हाथ में सिगरेट थी. जिस को वह बारबार होंठो पर लगा कर उस से धुएं का छल्ला बना रही थी.

उस युवैती को इस हालत में देख कर अचानक कार उस एक्टिवा के पास रुकी. फिर कार में बैठे युवक ने युवती को कुछ कहा और फिर पल भर में ही उस कार ने आगे की ओर स्पीड पकड़ ली थी. उस कार को वहां से गुजरते ही युवती ने अगली सीट पर बैठे युवक को स्कूटी चलाने का इशार किया. फिर वह स्कूटी उस कार के पीछे लग गई.

देखते ही देखते स्कूटी ने तेज रफ्तार पकड़ ली. काफी देर पीछा करने के बाद मैरियट होटल के पास पहुंचने से पहले ही स्कूटी चालक ने इशारा कर कार को रुकवा लिया था. कार रुकते ही जैसे उस कार का शीश डाउन हुआ, तभी स्कूटी पर सवार युवती उतरी और कार की ओर बढ़ गई. तभी कार में बैठे एक युवक ने युवती की तरफ हाथ बढ़ाया. युवती ने भी बड़ी ही गर्म जोशी से उस युवक से हाथ मिलाया.

तभी युवती के साथ आया एक युवक बहुत ही फुरती से कार के पास आया. कार के पास आते ही उसने कार चालक रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस के हमले से कार ड्राइवर रचित तो जैसेतैसे बच गया, लेकिन पिछली सीट पर बैठा मोनू इस से पहले कुछ समझ पाता युवक का चाकू उस के सीने में जा धंसा.

चाकू का वार होते ही मोनू की जोरदार चीख निकली. उस की चीख सुनते ही चारों लोग स्कूटी से फरार हो गए. इस घटना के घटते ही वहां पर मौजूद लोग नजर बचा कर इधरउधर हो गए थे. चाकू मोनू के दिल के पास जा कर लगा था. उस की हालत को देखते हुए. उसके साथियों ने उसे फौरन ही अस्पताल में भरती कराया. जहां पर इलाज के दौरान ही उस की मौत हो गई.

मोनू मर्डर केस की जानकारी पुलिस को दी गई. इस तरह से खुलेआम सड़क पर हत्या होने की बात सुनते ही पुलिस प्रशासन में तहलका मच गया. घटना की सूचना पाते ही विजय नगर थाने के टीआई रविंद्र सिंह गुर्जर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मौके का जायजा लिया. उसके बाद टीआई रविंद्र सिंह ने इस की सूचना इंदौर डीसीपी अभिषेक आनन्द व इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देवास्कर को दी. पुलिस ने इस घटना के चश्मदीद गबाह टीटू,रचित और हर्ष से पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में मृतक मोनू के दोस्त विशाल ने पुलिस को जानकारी दी कि मंगलवार की रात में मोनू, रचित उर्फ टीटू और हर्ष रचित की कार से उज्जैन के लिए निकले थे. लोटस चैराहे पर पहुंचते ही एक स्कूटी ने उन का पीछा करना आरंभ किया. साया जी होटल के पास पहुंचतेपहुंचते उस स्कूटी सवार ने उन की कार के आगे स्कूटी लगा कर कार रोकने पर मजबूर कर दिया.

कार रुकते ही जैसे ही कार के शीशे डाउन हुए, स्कूटी पर उसे तान्या बैठी दिखाई दी. मैं तान्या को पहले से ही जानता था. उस के बाद तान्या ने उस से हाथ भी मिलाया. तभी तान्या के साथ आए अन्य लोगों ने कार में बैठे रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस हमले में रचित तो बच गया ,लेकिन वह चाकू मोनू के सीने में जा कर लगा.

उस के बाद सभी आरोपी स्कूटी द्वारा वहां से फरार हो गए. पुलिस पूछताछ में विशाल ने बताया कि इस केस की मुख्य आरोपी तान्या है. तान्या ही अपने साथ अपने दोस्तों शोभित ठाकुर, छोटू उर्फ तन्मय तथा ऋतिक के साथ घटना को अंजाम देने के लिए पहुंची थी.

जेल से रिमांड पर लिया तान्या को

यह सब जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मृतक मोनू की लाश का पंचनामा भरने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजवा दी. इस केस के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 2 टीमें गठित कीं. पुलिस टीमों ने आरोपियों की धड़पकड़ का अभियान शुरू किया. चारों आरोपी बिना नंबर की स्कूटी पर सवार हो कर घटना को अंजाम देने के लिए आए थे.

पुलिस ने सब से पहले घटना स्थल के आसपास लगे. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, उन से चारों आरोपियों की पहचान हो गई थी. उसी पहचान के आधार पर पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़  शुरू की. पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों को सर्विलौंस पर लगा कर उन की लोकेशन के आधार पर उन के पास पहुंचने की कोशिश की.

इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी तान्या जिला धार के बागटांडा के गांव बरोड़ की रहने वाली थी. पुलिस ने कई बार उसके मोबाइल पर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन हर बार ही उसका मोबाइल बंद मिला. उस के बाद एक पुलिस टीम उस की गिरफ्तारी के लिए बरोड़ के लिए निकल गई. पुलिस टीम उसके घर पहुंच भी नहीं पाई थी कि तभी जानकारी मिली कि तान्या ने कोर्ट के माध्यम से खुद को सरेंडर कर दिया था.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम आधे रास्ते से ही वापिस आ गई. कोर्ट में सरेंडर करने के बाद तान्या ने अपने अन्य साथियों को भी फोन कर सरेंडर करने को कहा था. इस के बावजूद भी तीनों आरोपी फरार हो गए.

तान्या के सरेंडर करने की सूचना पाते ही पुलिस टीम कोर्ट पहुंची. पुलिस ने वहां से उसे रिमांड पर लिया और फिर उसे साथ ले कर थाने लौट आई. पुलिस ने उस से इस हत्याकांड के मामले में विस्तार से जानकारी ली.

तान्या ने पुलिस को बताया कि वह रचित को बहुत पहले से जानती है. उस के साथ काफी समय तक लव भी चला, लेकिन रचित बीच में उसे धोखा दे कर उस से अलग हो गया. जिस के कारण वह उस से नफरत करने लगी थी. वह अपने साथियों के साथ मिल कर उसे सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन गलती से चाकू  मोनू को लग गया. जिस के कारण ही उस की मौत हो गई.

फरेब के जाल में फंसी नीतू – भाग 1

लाश की हालत देख कर पुलिस वाले तो दूर की बात कोई भी आम आदमी बता देता कि हत्यारा या हत्यारे मृतका से किस हद तक नफरत करते होंगे. साफ लग रहा था कि हत्या प्रतिशोध के चलते पूरी नृशंसता से की गई थी और युवती के साथ बेरहमी से बलात्कार भी किया गया था.

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ते जिला शहडोल के ब्यौहारी थाने के इंचार्ज इंसपेक्टर सुदीप सोनी को भांपते देर नहीं लगी कि मामला उम्मीद से ज्यादा गंभीर है. 25 मार्च की सुबहसुबह ही उन्हें नजदीक के गांव खामडांड में एक युवती की लाश पड़ी होने की खबर मिली थी. वक्त न गंवा कर सुदीप सोनी ने तुरंत इस वारदात की खबर शहडोल से एसपी सुशांत सक्सेना को दी और पुलिस टीम ले कर खामडांड घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

गांव वाले जैसे उन के आने का ही इंतजार कर रहे थे. पुलिस टीम के आते ही मारे उत्तेजना और रोमांच के उन्होंने सुदीप को बताया कि लाश गांव से थोड़ी दूर आम के बगीचे में पड़ी है. पुलिस टीम जब आम के बाग में पहुंची तो लाश देखते ही दहल उठी. ऐसा बहुत कम होता है कि लाश देख कर पुलिस वाले ही अचकचा जाएं.

लाश लगभग 24 वर्षीय युवती की थी, जिस की गरदन कटी पड़ी थी. अर्धनग्न सी युवती के शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट थे. ब्लाउज इतना ज्यादा फटा हुआ था कि उस के होने न होने के कोई माने नहीं थे. दोनों स्तनों पर नाखूनों की खरोंच के निशान साफसाफ दिखाई दे रहे थे.

पेटीकोट देख कर भी लगता था कि हत्यारे चूंकि उसे साथ नहीं ले जा सकते थे इसलिए मृतका की कमर पर फेंक गए थे. युवती के गुप्तांग पर जलाए जाने के निशान भी साफसाफ नजर आ रहे थे. गाल पर दांतों से काटे जाने के निशान देख कर शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी कि मामला बलात्कार और हत्या का था.

खामडांड छोटा सा गांव है जिस में अधिकतर पिछडे़ और आदिवासी रहते हैं इसलिए पुलिस को लाश की शिनाख्त में दिक्कत पेश नहीं आई. लाश के मुआयने के बाद जैसे ही सुदीप सोनी गांव वालों से मुखातिब हुए तो पता चला कि मृतका का नाम नीतू राठौर है और वह इसी गांव के किसान बाबूलाल राठौर की बहू और रामजी राठौर की पत्नी है.

सुदीप ने तुरंत उपलब्ध तमाम जानकारियां सुशांत सक्सेना को दीं और उन के निर्देशानुसार जांच की जिम्मेदारी एसआई अभयराज सिंह को सौंप दी. चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी इसलिए पुलिस के पास करने को एक ही काम रह गया था कि जल्द से जल्द कातिल का पता लगाए.

कागजी काररवाई पूरी कर  के नीतू की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. नीतू की हत्या की खबर उस के मायके वालों को भी दे दी गई थी जो मऊ गांव में रहते थे. मौके पर अभयराज सिंह को कोई सुराग नहीं लग रहा था. अलबत्ता यह बात जरूर उन की समझ में आ गई थी कि कातिल उन की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं है. छोटे से गांव में मामूली पूछताछ में यह उजागर हुआ कि नीतू के घर में उस के ससुर बाबूलाल और पति रामजी के अलावा और कोई नहीं है.

नीतू और रामजी की शादी अब से कोई 4 साल पहले हुई थी. बाबूलाल का अधिकांश वक्त खेत में ही बीतता था और इन दिनों तो फसल पकने को थी इसलिए दूसरे किसानों की तरह वह खाना खाने ही घर आता था. फसल की रखवाली के लिए वह रात में सोता भी खेत पर ही था.

इसी पूछताछ में जो अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगीं उन में से पहली यह थी कि रामजी एक कम बुद्धि वाला आदमी है और आए दिन नीतू से उस की खटपट होती रहती थी. दूसरी जानकारी भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं थी कि 2 साल पहले 2016 में इन पतिपत्नी के बीच जम कर झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद नीतू मायके चली गई थी और उस ने ससुर व पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था, पर बाद में सुलह हो जाने पर नीतू वापस ससुराल आ गई थी.

ब्यौहारी थाने में पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और नीतू का शव उस के ससुराल वालों को सौंप दिया. दूसरे दिन ही उस का अंतिम संस्कार भी हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उस की हत्या धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.

ये जानकारियां अहम तो थीं लेकिन हत्यारों तक पहुंचने में कोई मदद नहीं कर पा रही थीं. गांव वाले भी कोई ऐसी जानकारी नहीं दे पा रहे थे जिस से कातिल तक पहुंचने में कोई मदद मिलती.

नीतू के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने उस के मायके वालों से पूछताछ की तो उन्होंने सीधेसीधे हत्या का आरोप बाबूलाल और रामजीलाल पर लगाया. उन का कहना था कि शादी के बाद से ही बापबेटे दोनों नीतू को दहेज के लिए मारतेपीटते रहते थे. लेकिन नीतू की हत्या जिस तरह हुई थी उस से साफ उजागर हो रहा था कि हत्या बलात्कार के बाद इसलिए की गई थी कि हत्यारा अपनी पहचान छिपा सके. वैसे भी आमतौर पर दहेज के लिए हत्याएं इस तरह नहीं की जातीं.

रामजी राठौर के बयानों से पुलिस वालों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ, क्योंकि बातचीत करने पर ही समझ आ गया था कि यह मंदबुद्धि आदमी कुछ भी बोल रहा है. पत्नी की मौत का उस पर कोई खास असर नहीं हुआ था. अभयराज सिंह को वह कहीं से झूठ बोलता नहीं लगा. मंदबुद्धि लोगों को गुस्सा आ जाए तो वे हिंसक भी हो उठते हैं पर इतने योजनाबद्ध तरीके से हत्या करने की बुद्धि उन में होती तो वे मंदबुद्धि क्यों कहलाते.

बाबूलाल से पूछताछ की गई तो उस ने अपने खेत पर व्यस्त होने की बात कही. लेकिन हत्या का शक बेटे रामजी पर ही जताया. इशारों में उस ने पुलिस को बताया कि रामजी चूंकि पागल है इसलिए गुस्से में आ कर पत्नी की हत्या कर सकता है.

बाबूलाल ने अपनी बात में दम लाते हुए यह भी कहा कि मुमकिन है कि नीतू रामजी के साथ सोने से इनकार कर रही हो, इसलिए रामजी को उसे मारने की हद तक गुस्सा आ गया हो और इसी पागलपन में उस ने नीतू की हत्या कर डाली हो.

कातिल प्रेम पुजारी – भाग 1

5 अगस्त, 2023 के दोपहर के करीब साढ़े 12 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के छोला मंदिर इलाके की लीलाधर कालोनी में रहने वाले लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे, तभी किसी महिला की चीखपुकार की आवाज सुनते ही आसपास रहने वाले लोगों का ध्यान उस तरफ गया. अफरातफरी के बीच में कुछ लोग एक मकान की तरफ बढ़े.

इसी बीच महिला की चीखों की आवाज सुन कर आसपास के दूसरे मकानों में रहने वाले किराएदार भी आ गए. महिला के चीखनेचिल्लाने की आवाज एक मकान की ऊपरी मंजिल से आ  रही थी. लिहाजा लोग बाहर की सीढिय़ों के सहारे छत पर पहुंच गए और उस घर के दरवाजे को बाहर से पीटने लगे.

कुछ ही देर बाद जैसे ही दरवाजा खुला तो 2 नकाबपोश महिलाओं ने चाकू दिखाते हुए रौबदार आवाज में कहा, “खबरदार कोई आगे आया तो जान से मार देंगे.”

एक महिला के हाथ में खून से सना चाकू देखते ही वहां मौजूद लोग दहशत में आ गए और उन्हें रास्ता देते हुए दरवाजे से हट गए. मौका देखते ही दोनों नकाबपोश महिलाएं चाकू लहरा कर फरार हो गईं. कुछ लोग उन दोनों महिलाओं के पीछेपीछे दौड़े, मगर तब तक वे नजरों से ओझल हो गईं. कुछ लोगों ने घर के अंदर जा कर देखा तो उन की आंखें फटी की फटी रह गईं.

घर के अंदर करीब 28-30 साल की महिला लहूलुहान पड़ी हुई थी, उस का नाम प्रीति शर्मा था. उस के पास ही एक साल का बच्चा जोरजोर से रो रहा था. कमरे में पहुंची एक बुजुर्ग महिला बच्चे को अपनी गोद में ले कर चुप कराने का प्रयास करने लगी.

प्रीति शर्मा के पूरे शरीर पर जगहजगह गहरे घाव के निशान थे. पूरा कमरा खून से लाल हो गया था. घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई. आसपास रहने वाले लोगों ने मनोज और उस के बड़े भाई फूलचंद को घटना की सूचना दी तो दोनों ही घर पहुंच गए. घर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए.

मनोज के बड़े भाई फूलचंद ने छोला मंदिर थाने में फोन कर के सूचना दी तो थाना इंचार्ज उदयभान सिंह भदौरिया तत्काल ही दलबल के साथ लीलाधर कालोनी के उस मकान में पहुंच गए, जहां महिला की बेरहमी से हत्या की गई थी.

प्रीति गंभीर अवस्था में बिस्तर पर पड़ी हुई थी. उस के पूरे शरीर पर चाकू से गोदने के निशान थे. खून के छींटों से पूरे कमरे की दीवारें रंगी थीं. गद्ïदा खून से पूरा भीग चुका था. जमीन पर एक टूटा चाकू पड़ा हुआ था. प्रीति को तत्काल पीपुल्स अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

छोला मंदिर थाना पुलिस ने आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि प्रीति अपने पति मनोज शर्मा और अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. प्रीति का पति मनोज चौक बाजार में एक ज्वैलर्स की दुकान पर काम करता है.

2 बच्चे सुबह स्कूल चले गए थे और पति चौक बाजार अपनी दुकान पर काम के लिए चला गया था. प्रीति दोपहर में अपने घर के काम निपटा रही थी, उसी समय सलवारसूट पहन कर आई 2 महिलाओं ने घर के अंदर घुस कर दरवाजा बंद कर लिया और प्रीति कुछ समझ पाती कि दोनों ने प्रीति पर चाकुओं से हमला कर दिया.

घटनास्थल पर प्रीति के मकान में किराए पर रहने वाले लोगों ने बताया कि 2 महिलाएं सलवारसूट पहने मकान में आती दिखाई दी थीं. उन्होंने काला चश्मा, नकाब, हाथों में ग्लव्स और नीले जूते पहने थे. जब वो गेट के पास आईं तो लोगों को लगा कि कोई परिचित होंगी, लेकिन पलभर में वो बाउंड्री के अंदर आ गईं और सीढिय़ों पर चढ़ते हुए ऊपर छत पर पहुंच गईं. अंदर घुसते ही उन्होंने गेट अंदर से बंद कर लिया, तभी अचानक ऊपर से जोरजोर से चीखने की आवाज आने लगी.

घटना के करीब एक साल पहले तक मनोज शिवनगर में अपने बड़े भाई के मकान के एक हिस्से में रहता था. बाद में भाई की मदद से लीलाधर कालोनी में उस का मकान बन गया, जिस में नीचे 6 किराएदार रहते थे और ऊपर की मंजिल पर मनोज अपनी पत्नी प्रीति और तीनों बच्चों के साथ रहता था. मनोज के 8 साल और 3 साल के 2 बेटे घटना के समय स्कूल गए हुए थे.

हत्यारे की दाढ़ी और सिर पर लंबी चोटी से हुई पहचान

प्रीति पर चाकू से हमला करने के बाद जब रेनकोट पहने हुए दोनों महिलाएं भाग रही थीं, तभी एक किराएदार दीपेश ने सलवार सूट पहने हमलावार के पीछे भागने की कोशिश की, तभी उस ने देखा था कि उन में से एक हमलावर का हलका सा नकाब हटा तो देखा कि वो महिला नहीं पुरुष है और उस के चेहरे पर घनी दाढ़ी, सिर के पीछे लंबी सी चोटी है. दीपेश इतना देख ही पाया था कि चाकू दिखाते हुए भाग गया. पुलिस की पड़ताल ने यहीं से नया मोड़ ले लिया.

पुलिस की पूछताछ में लोगों ने हत्यारे की जो पहचान बताई, वो सुनने के बाद प्रीति के पति मनोज शर्मा का माथा ठनका और उस ने टीआई भदौरिया से कहा, “सर, हत्यारा रामनिवास मिश्रा हो सकता है.”

“यह रामनिवास कौन है?” टीआई उदयभान सिंह भदौरिया ने मनोज से पूछा.

“सर, रामनिवास हमारा रिश्तेदार है, वो मेरी बुआ के लडक़े का साला है. यहीं शीतला माता मंदिर के पास रहता है और दुर्गा माता मंदिर का पुजारी है. वही दाढ़ीमूंछ रखता है और उस के सिर पर लंबी चोटी भी है और उस के बाल भी बड़े हैं.”

“लेकिन वो क्यों प्रीति की हत्या करेगा, साफसाफ बताओ. उस के साथ प्रीति का कोई चक्कर तो नहीं था,” टीआई बोले.

“सर, जब मैं घर पर नहीं होता था, तभी अकसर वह मेरे घर आया करता था. ऐसा मुझे मेरे किराएदार बताया करते थे. मैं तो सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ कर काम पर चला जाता था. हमारे जाने के बाद घर में केवल एक साल का बेटा और प्रीति ही रहते थे.” मनोज ने खुलासा करते हुए कहा.

आटो वाले से मिला सुराग

पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो घटना के समय एक आटो में 2 नकाबपोश रेनकोट पहने नजर आए. सीसीटीवी में आटो घर के बगल वाली गली में आता हुआ दिखाई दिया. इस के बाद नकाब पहने ये दोनों हमलावर प्रीति के घर की तरफ जाते और फिर भाग कर आते दिखाई दिए. पुलिस ने आटो का नंबर ट्रेस किया और उसे खोज निकाला. पता चला कि आटोवाला चंदन नाम का युवक था.

चंदन ने पूछताछ में पुलिस को बताया, “सर, मैं एक स्टूडेंट हूं, खर्च चलाने के लिए आटो भी चलाता हूं. पुजारी रामनिवास से मेरी पहचान मंदिर में हुई थी. उन को कहीं भी जाना होता था तो मुझे ही बुलाते थे. 5 अगस्त की सुबह करीब 10-11 बजे रामनिवास ने मुझे फोन कर कहा कि लीलाधर कालोनी तक चलना है. आटो ले कर आ जाओ.

“जब मैं आटोरिक्शा ले कर उन के घर गया तो दोनों पतिपत्नी बाहर निकले. दोनों ने रेनकोट पहन रखा था. मैं ने ध्यान नहीं दिया. मैं दोनों को लीलाधर कालोनी ले कर आया. उन्होंने लीलाधर कालोनी के एक घर से थोड़ी दूरी पर पीछे की साइड आटो रुकवा दिया और कहा कि हम 5 मिनट में आते हैं. इस के बाद करीब 10-15 मिनट बाद वो आए तो मैं ने देखा कि उन के हाथों और कपड़ों पर खून लगा था. मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ लड़ाई झगड़ा हो गया है. इस के बाद मैं ने उन्हें उन के घर छोड़ दिया था.”

चंदन के इतना बताते ही पुलिस समझ गई कि ये हत्या रामनिवास और उस की पत्नी ने ही की है. इस आधार पर पुलिस ने रामनिवास मिश्रा की तलाश शुरू कर दी. 7 अगस्त को रामनिवास का फोन नंबर निकाल कर उस की लोकेशन ट्रेस की तो रामनिवास न्यू मार्केट के आसपास था. कई घंटे उस की तलाश की. इस दौरान रामनिवास ने दाढ़ी और मूंछ मुंडा ली थी. यही कारण था कि पुलिस और उस के मुखबिर भी उसे पहचान नहीं पा रहे थे.

आखिरकार शाम होतेहोते पुलिस ने उसे पकड़ लिया. उस के चेहरे पर नाखून के निशान थे. पुलिस ने उस से पूछा तो उस ने अपना नामपता गलत बताया. पुलिस उसे ले कर आई और पूछताछ करने लगी तो काफी देर तक वो पुलिस को छकाता रहा.

इस के बाद पुलिस ने रामनिवास का मोबाइल खंगाला तो पता चला कि किसी चंदन नाम के शख्स के उस के पास हत्या की वारदात से पहले और बाद में फोन आए थे. वो हत्या करने से साफ मना करता रहा. जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने पत्नी के साथ मिल कर प्रीति शर्मा की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने रामनिवास की पत्नी शालिनी को भी गिरफ्तार कर लिया.

प्रेमी के लिए सिंदूर मिटाया

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर सुखी सेवनिया थाने के टीआई वी.बी.एस. सेंगर थाना परिसर में ही मौजूद विश्राम कक्ष में आराम के लिए गए थे. वे नींद की आगोश में जाते उस से पहले थाने में एक बदहवास हालत में महिला आई. उस ने अपना नाम अनीता कुशवाह बताया. वह थाना क्षेत्र की एकता नगर कालोनी में रहती थी.

उस ने बताया कि वह महाशिवरात्रि पर्व मनाने के लिए रायसेन में स्थित अपने मायके गई थी. वहां से लौट कर आई तो घर पर पति बबलू कुशवाह नहीं मिला.

यह सुनकर टीआई भी विचलित हुए. क्योंकि वे बबलू कुशवाह को जानते थे. वह ग्राम सचिव था और अकसर कालोनी की समस्याओं या परेशानियों को ले कर थाने आताजाता था. उन्हें भी खटका और अनहोनी की आशंका को सोचते हुए बिना देरी उस की पत्नी अनीता कुशवाह की शिकायत पर 21 फरवरी, 2023 की दोपहर लगभग डेढ़ बजे गुमशुदगी दर्ज कर ली.

इस के अलावा लापता व्यक्ति के संबंध में तहरीर को ले कर की जाने वाली काररवाई शुरू कर दी गई. टीआई ने तुरंत ही इलाका भ्रमण में निकले एसआई टिंकू जाटव को फोन कर के एकता नगर में जा कर पड़ताल करने के आदेश दिए. वह अपने हमराह हवलदार रामेश्वर और मनोहर राय के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां वे मामले की तफ्तीश करते तब तक पीछे से अनीता कुशवाह भी रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद घर आ चुकी थी.

सुराग ऐसा मिला कि पुलिस को परेशान करने वाली कडिय़ां जुड़ती चली गईं

अनीता कुशवाह से एसआई टिंकू यादव ने उस के पति बबलू कुशवाह के बारे में कुछ जानकारी लेनी चाही, जैसे उस के करीबी दोस्त, दुश्मन, उठनेबैठने वाले लोगों के नाम आदि. पत्नी ने बताया कि बबलू कुशवाह भोपाल शहर के कबाडख़ाने में रेलवे बर्थ के फरनीचर को बनाने का काम करता था. कई अन्य सवालों पर अनीता कुशवाह ने कोई ठोस मदद पुलिस को नहीं की.

इस के बाद पुलिस ने एकता नगर कालोनी की गलियों में ही पड़ताल का दायरा बढ़ाया. यह कालोनी भोपाल शहर से विस्थापित कर के बसाए गए परिवारों की थी. इस में एक घर उस के 2 छोटे भाइयों सोनू कुशवाह और मोनू कुशवाह का भी था. इस के अलावा एक अन्य गली में उस की मां कमला बाई का भी मकान था. सभी मकानों में एक विशेष बात यह थी कि केवल बबलू कुशवाह का मकान पूरी तरह से बना था, बाकी मकान अर्ध निर्मित थे.

पता चला कि नजदीक ही सेना का सामरिक महत्त्व वाला संस्थान है, जिस कारण एकता नगर में किसी भी मकान को पक्का बनाने की अनुमति नहीं दी जाती थी. बबलू कुशवाह पहले आ गया था, इस कारण ही उस का मकान ठीक तरह से बना था.

इन्हीं छोटीछोटी बातों के बीच पुलिस को पता चला कि बबलू कुशवाह की एकता नगर में रहने वाले असलम खान से नहीं बनती थी. पुलिस संदेह के आधार पर असलम खान को तलाशते हुए उस के पास पहुंची. वह मिल गया और पुलिस उसे पूछताछ के लिए तुरंत थाने ले आई.

लाश तक पहुंचने में पुलिस को आया पसीना

सुखी सेवनिया भोपाल देहात क्षेत्र में आने वाला थाना है. इस के बाद दूसरा जिला लग जाता है. कई गांव और बस्तियां दूरदूर बनी हैं. शुरुआती जांच और असलम खान को थाने में ले कर आतेआते रात हो चली थी. असलम खान पहले तो पुलिस के सामने नहीं टूटा. इसी बीच हवलदार मनोज राय ने मामले की जांच कर रहे एसआई टिंकू जाटव के कान में आ कर एक चौंका देने वाली जानकारी दी.

उस ने बताया कि असलम खान के लापता हुए बबलू कुशवाह की पत्नी अनीता के साथ अवैध संबंध हैं. इन्हीं कारणों से एक साल पहले दोनों के बीच जम कर विवाद भी हुआ था. यह बात हवलदार मनोज राय को बबलू कुशवाह के आसपास रहने वाले लोगों से पता चली थी. यह पता चलते ही टिंकू जाटव सख्त हुए और मनोवैज्ञानिक तरीके से असलम खान से पूछताछ की तो उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

उस ने स्वीकार कर लिया कि बबलू कुशवाह की उस ने हत्या कर दी है. उस की लाश पुलपातरा नाले के पास छिपा दी है. हत्या की बात सुनते ही पूरे थाने में हडक़ंप मच गया. टीआई ने यह जानकारी एसडीओपी मंजु चौहान और एसपी (देहात) किरणलता केरकेट्टा को भी दी. मामला संवेदनशील भी था, क्योंकि मारने वाला दूसरे धर्म का असलम खान था. मामला सांप्रदायिक रंग न ले, उस से पहले ही पुलिस असलम खान को ले कर उस जगह पर पहुंची, जहां उस ने लाश को ठिकाने लगाया था.

लाश पुलपातरा नाले के पास सफेद पौलीथिन में लिपटी हुई थी. उस पर हरी घास कुछ इस तरह से बिछा दी थी ताकि शक न हो. घटनास्थल के नजदीक से काफी बदबू भी आ रही थी.

लाश बरामद होने के बाद पुलिस ने मौके पर बबलू कुशवाह के छोटे भाई सोनू कुशवाह को भी बुला लिया था. उस ने उस लाश की शिनाख्त अपने भाई बबलू कुशवाह के रूप में की. उस समय रात काफी हो चली थी इसलिए सुबह होते ही पुलिस ने फोरैंसिक टीम बुला ली थी.

पत्नी ने मिटाए थे घर में फैले सबूत

बबलू कुशवाह की लाश मिलने की खबर स्थानीय लोगों के अलावा मीडिया वालों को मिल चुकी थी. डा. सुनील गुप्ता की अगुवाई में फोरैंसिक टीम सबूत जुटाने में लगी थी. मृतक के सिर पर चोट, गले में धारदार हथियार के जख्म पाए गए. इस बारे में टीआई ने असलम खान से पूछा कि उस ने हत्या कहां की थी तो असलम ने कहा कि उस के ही घर पर.

इस के बाद एफएसएल की टीम सबूत जुटाने के लिए बबलू कुशवाह के घर पर गई. यहां फोरैंसिक टीम ने सबूत जुटाने का प्रयास किया तो वह हैरान हो गई. एफएसएल अधिकारियों को भी अहसास हो गया था कि यह सामान्य हत्याकांड नहीं है. क्योंकि जहां केमिकल डाल कर सबूत जुटाने का प्रयास किया जाता वहां भारी मात्रा में फिनायल से पोछा लगा मिलना पाया जाता. यह पोछा भी कुछ दिन पहले कई बार लगाया गया था.

हालांकि घर में ही रखी सिलाई मशीन पर खून के छींटे मिले. इस के अलावा दीवार पर खून के नमूने मिले. अब पुलिस का यहां से एक बार फिर माथा ठनका और यकीन हो गया कि असलम खान ने अब तक पूरी कहानी नहीं बताई है. उसे थाने ले जा कर पुलिस ने सख्ती बरती. वह बोला तो पुलिस के पैरों तले से जमीन खिसकती चली गई.

उस ने बताया कि कत्ल में एकदो नहीं बल्कि कई लोग शामिल थे. असलम खान ने रहस्य उजागर करते हुए बताया कि हत्याकांड को बबलू कुशवाह की पत्नी अनीता कुशवाह के इशारों पर अंजाम दिया गया. दिन, तारीख और समय का चुनाव भी उस ने ही तय कर के दिया था.

नाबालिग चाकू नहीं मार सका तो छीन कर असलम ने गले में घोंपा

असलम खान ने बताया कि अनीता कुशवाह के साथ उस का प्रेम प्रसंग पिछले 2 साल से था. यह बात बबलू कुशवाह को पता चल गई थी. लेकिन एकता नगर में उस की राजनीतिक पहुंच थी. उस ने एक साल पहले ही पत्नी को उस से मोबाइल पर बातचीत करते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया था. जिस के बाद उस ने कहा था कि वह उस की 3 बेटियों को छोड़ कर असलम खान के साथ रहने चली जाए.

पति को यह बात पता चलने के बाद घर में अकसर छोटीछोटी बातों में कलह हुआ करती थी. जिस की जानकारी अनीता कुशवाह असलम को भी देती थी क्योंकि वह उस से बेहद प्यार करती थी और पति की रोज की कलह से निजात चाहती थी.

फिर उस ने पति की हत्या की योजना बनाई कि वह महाशिवरात्रि वाले दिन मायके रायसेन में पूजा का बहाना बना कर चली जाएगी. वह अपने साथ तीनों बेटियों को भी ले जाएगी. लेकिन जाने से पहले वह घर के पिछले दरवाजे का गेट खोल देगी. अनीता कुशवाह ने ही पति के घर आने का समय भी बता दिया था.

जिस के बाद असलम खान अपने साथ 14 साल के एक नाबालिग को ले कर गया. वह नाबालिग भी बबलू कुशवाह से रंजिश रखता था. दरअसल, एक बार उस का बबलू के बच्चों के साथ विवाद हो गया था. उस वक्त बबलू कुशवाह ने उस को चांटा मार दिया था. इसलिए वह भी उस को चाकू का एक वार अंधेरे में मारना चाहता था.

असलम खान ने पूछताछ में बताया कि बबलू कुशवाह जैसे ही घर में घुसा तो उस ने लोहे की रौड से जोरदार प्रहार किया. अचानक हुए हमले से वह शोर मचाने या विरोध करने की सोच ही नहीं सका. तभी उस को पेट पर कुछ चुभने जैसा अहसास हुआ. सामने वह नाबालिग था, जिस को उस ने तमाचा मारा था.

असलम खान ने देखा कि बबलू नाबालिग को देख चुका है. इस के बाद उस ने यह बोल कर उस से चाकू छीन लिया कि ऐसे नहीं मारते. फिर उस ने उस से चाकू ले कर चाकू का जोरदार प्रहार बबलू कुशवाह की गरदन पर कर दिया. इस के बाद एकएक कर के कई वार उस पर किए. खून के फव्वारे फूटते ही बबलू कुशवाह मौके पर ढेर हो गया.

नईम खान ने निभाई असलम से दोस्ती

बबलू कुशवाह की हत्या करने के बाद असलम खान ने इस की जानकारी रायसेन जिले में बैठी अनीता कुशवाह को फोन पर दी. प्रेमी द्वारा पति की हत्या कराने पर अनीता बहुत खुश हुई. इस के बाद असलम एकता नगर में ही रहने वाले दोस्त नईम खान के पास पहुंचा. दोनों अकसर साथ बैठ कर शराब पीते थे. वह भी अनीता कुशवाह के संबंधों की जानकारी रखता था.

असलम खान ने बताया कि उस ने बबलू कुशवाह को मार दिया है. लाश को ठिकाने लगाना है, जिस के लिए वह मदद चाहता है. नईम खान कबाड़े का काम करता था. जिस कारण वह घर पर कबाड़ा एक जगह रखने के लिए भक्कू जो प्लास्टिक का बड़ा बोरा होता है उस को दिया.

इस के बाद नईम खान की बाइक से असलम खान दोबारा पिछले दरवाजे के रास्ते बबलू के घर में घुसा. लाश को प्लास्टिक के बोरे में भरने के बाद पुलपातरा नाले पर ले गया. यहां वह अकसर मछलियां पकडऩे आता था. इस जगह पर कोई आताजाता नहीं है, यह उसे पता था.

नाले में लाश फेंकने के बाद असलम खान ने उस को हरी घास से ढंक दिया. ताकि किसी व्यक्ति को वहां कुछ पड़े होने का अहसास न हो. फिर दोनों घर आ कर चैन की नींद यह सोच कर सो गए कि अब उस की प्रेमिका और उस के बीच दीवार बनने वाला पति नहीं आएगा.

सबूत मिटाने के बाद गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंची पत्नी

जिस दिन बबलू कुशवाह की हत्या हुई उस दिन महाशिवरात्रि थी. इस कारण जगहजगह शिव बारात निकल रही थी. जिस में प्रसाद के रूप में कई जगह भांग का वितरण किया जाता है. इसी कारण लोगों को ज्यादा हलचल होने पर भी आभास नहीं होगा, यह सोच कर अनीता कुशवाह ने योजना बनाई थी.

अनीता की शादी नाबालिग अवस्था में हुई थी. वह कभी भी मायके नहीं जाती थी. लेकिन योजना के तहत उस दिन उसे मायके जाना पड़ा था. लाश को ठिकाने लगाने के बाद अनीता कुशवाह को फिर फोन पहुंचा था. इस बार असलम खान ने उस को योजना बताई. उस ने कहा कि घर जा कर वह सबूत मिटाए और एक दिन बाद थाने पहुंच कर पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराए.

अनीता कुशवाह ने पूरे घर को अच्छी तरह से फिनायल से साफ किया. हालांकि वह सारे सबूत नहीं मिटा सकी और सीखचों के पीछे जा पहुंची. पुलिस ने बबलू कुशवाह मर्डर केस के आरोपियों असलम खान, नईम खान और अनीता कुशवाह को गिरफ्तार कर लिया. असलम खान और नाबालिग के खिलाफ हत्या, नईम खान के खिलाफ सबूत मिटाने में सहयोग और अनीता कुशवाह के खिलाफ साजिश रचने का मामला 22 फरवरी, 2023 को दर्ज कर लिया.

पूरी परतें खंगालने के बाद 23 फरवरी को आरोपियों को अदालत में पेश किया गया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया, जबकि नाबालिग को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेजा गया.

बबलू कुशवाह की 3 बेटियां थीं, जिस में बड़ी बेटी 14 तो दूसरी 12 और तीसरी 9 साल की थी. उन्हें बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया. क्योंकि पिता की हत्या के आरोप में मां जेल चली गई थी. अब उन की परवरिश कौन करेगा, यह बाल कल्याण समिति तय करेगी.

सुमित और दिव्या के प्यार में पिसी अक्षया

10 जुलाई, 2023 को रात के लगभग 8 बजे का वक्त रहा होगा, दिव्या रोज की तरह अपनी सहेली अक्षया यादव की स्कूटी पर बैठ कर कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उन दोनों सहेलियों में से किसी को जरा भी अनुमान नहीं था कि मौत दबे पांव उन की ओर बढ़ी आ रही है.

उसी समय अक्षया की स्कूटी के नजदीक से एक बाइक गुजरी. उस पर 4 नवयुवक सवार थे. बाइक पर सवार उन युवकों में से 2 के हाथ में देशी पिस्टल थी. उन चारों में से 2 को पहचानने में अक्षया और उस की सहेली दिव्या ने भूल नहीं की. वे दोनों आर्मी की बजरिया में रहने वाले सुमित रावत और उपदेश रावत थे.

एक नजर चारों तरफ देखने के बाद सुमित नाम के युवक ने रुकने का इशारा कर के अक्षया को बेटी बचाओ चौराहा (मैस्काट चिकित्सालय) के पास रोक लिया.

सडक़ पर ही सुमित और दिव्या में होने लगी नोंकझोंक

अक्षया के स्कूटी रोकते ही सुमित दिव्या से बात करने लगा. कुछ ही पल की बातचीत में दिव्या और सुमित में नोंकझोंक शुरू हो गई. दोनों के बीच सडक़ पर नोंकझोंक होती देख उधर से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने महज शिष्टाचार निभाते हुए रुक कर सुमित को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सुमित ने लोगों से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी हम दोनों के बीच में आया तो उसे सीधे यमलोक पहुंचा दूंगा.

इतना ही नहीं, सुमित और उस के साथ बाइक पर सवार हो कर आए अपराधी किस्म के साथी तमंचा दिखा कर राहगीरों को बिना किसी हिचकिचाहट के धमकाने लगे. सुमित को समझाने की कोशिश में लगे राहगीर उन युवकों के हाथों में तमंचा देख डर कर दूर हट गए.

राहगीरों के दूर हटते ही सुमित दिव्या को धमकाने लगा, “सोनाक्षी, मैं तुम्हें हमेशा के लिए भूल जाऊं, ये कभी नहीं हो सकता. और मेरे रहते किसी भी सूरत में तुम्हें अपने से मुंह नहीं फेरने दूंगा. अब अपनी जान की खैरियत चाहती हो तो चुपचाप जैसा में कहूं वैसा करो, वरना तुम्हारी लाश ही यहां से जाएगी.

अपनी आगे की जिंदगी का निर्णय खुद तुम्हें लेना है, मेरे साथ दोस्ती रखना चाहती हो याा नहीं? तुम और तुम्हारी मां ने मुकदमा दर्ज करा कर मुझे जेल भिजवा कर मेरी जिंदगी को तबाह कर के रख दिया है. अब बचा ही क्या है मेरी जिंदगी में.”

“सुमित, तुम कान खोल कर सुन लो, सिर्फ मेरी मां ही नहीं मैं भी तुम से नफरत करती हूं. मैं अपने जीते जी तुम जैसे घटिया इंसान से कभी भी दोस्ती नहीं रखूंगी, ये मेरा आखिरी निर्णय है.” दिव्या ने भी उसे साफ बता दिया.

दिव्या का यह फैसला सुन कर सुमित की त्यौरियां चढ़ गईं. उस ने दिव्या को भद्दी सी गाली देते हुए कहा, “साली, तू और तेरी मां अपने आप को समझती क्या है?”

दिव्या की जान खतरे में देख कर सडक़ चल रहे किसी राहगीर ने समूचे घटनाक्रम की सूचना माधोगंज थाने को दे दी.

दिव्या पर चली गोली से अक्षया की गई जान

इस से पहले कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच पाती, सुमित ने बिना एक पल गंवाए देशी कट्टे का रुख दिव्या की ओर कर गोली दाग दी, लेकिन दुर्भाग्यवश गोली दिव्या को न लग कर उस की सहेली अक्षया के सीने में जा धंसी. उस के शरीर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. इस के बाद वे सभी युवक वहां से फरार हो गए. मदद के लिए आगे आए राहगीर अक्षया को बगैर वक्त गंवाए आटोरिक्शा में डाल कर जेएएच अस्पताल ले गए.

यह खबर समूचे शहर में आग की तरह फैल गई. देखते ही देखते घटनास्थल पर लोगों का जमघट लग गया. मृतका स्व. मेजर गोपाल सिंह व पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव की नातिन थी और घटनास्थल के करीब ही सिकंदर कंपू में रहती थी.

इसी दौरान किसी परिचित ने फोन से इस घटना की खबर अक्षया के पापा शैलेंद्र सिंह को दे दी. शैलेंद्र सिंह को जैसे ही अपनी एकलौती बेटी के गोली लगने की खबर लगी, वह और उन की पत्नी विक्रांती देवी हैरत में पड़ गए. क्योंकि वह काफी विनम्र स्वभाव की थी तो किसी ने उसे गोली क्यों मार दी? अक्षया को गोली मारे जाने की खबर से समूचे सिकंदर कंपू इलाके में सनसनी फैल गई.

सरेराह बेटी को गोली मारे जाने की सूचना मिलने के बाद शैलेंद्र सिंह कार से पत्नी विक्रांती देवी को साथ ले कर अस्पताल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में उन की कार सडक़ खुदी होने से फंस कर रह गई. इस के बाद वे अपने दोस्त की गाड़ी से अस्पताल पहुंचे, लेकिन बेटी का इलाज शुरू होने से पहले ही उस ने दम तोड़ दिया.

हत्यारे अपना काम करके हथियार लहराते हुए मौकाएवारदात से चले गए. तब माधोगंज थाने के एसएचओ महेश शर्मा पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने आसपास के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. घटनास्थल पर 2 पुलिसकर्मियों को छोड़ कर वह जेएएच अस्पताल की ओर चल पड़े. वारदात की सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी.

खबर पा कर एसपी राजेश सिंह चंदेल, एसपी (सिटी पूर्व, अपराध) राजेश दंडोतिया, एसपी (सिटी पश्चिम) गजेंद्र सिंह वर्धमान, सीएसपी विजय सिंह भदौरिया सहित क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अमर सिंह सिकरवार भी अस्पताल पहुंच गए. वहां मौजूद मृतका के मम्मीपापा को ढांढस दिलाते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि हत्यारों पर ईनाम घोषित कर दिया गया है. सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

उधर डाक्टरों के द्वारा अक्षया को मृत घोषित करते ही एसएचओ महेश शर्मा ने जरुरी काररवाई निपटाने के बाद अक्षया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मृतका की 16 वर्षीया सहेली दिव्या शर्मा निवासी बारह बीघा सिकंदर कंपू की तहरीर पर सुमित रावत, उस के बड़े भाई उपदेश रावत सहित 2 अज्ञात युवकों के खिलाफ भादंवि की धारा 307,34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों को पकडऩे के लिए तत्काल संभावित स्थानों पर दबिश देनी शुरू कर दी थी, लेकिन हत्यारे हाथ नहीं लगे. क्योंकि आरोपी घर छोड़ कर फरार हो चुके थे. अनेक स्थानों पर असफलता मिलने के बावजूद पुलिस टीम हताश नहीं हुई.

पुलिस आरोपियों की तलाश बड़ी ही सरगर्मी से कई टीमों में बंट कर कर रही थी, लेकिन शहर के बहुचर्चित अक्षया हत्याकांड के हत्यारे पता नहीं किस बिल में जा कर छिप गए थे. अक्षया की हत्या हुए तकरीबन 24 घंटे होने को थे, लेकिन उस के हत्यारों को पकडऩे की बात तो दूर, पुलिस को उन का कोई सुराग तक नहीं मिला था.

12 जुलाई, 2023 की सुबह का समय था, तभी एक मुखबिर ने पुलिस को बताया कि अक्षया के जिन हत्यारों को वह तलाश रही है, उन में से एक आरोपी उपदेश रावत कोट की सराय डबरा हाईवे पर अपनी ससुराल में छिपा हुआ है. यह खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच व थाना माधोगंज की टीम ने मुखबिर के द्वारा बताई जगह पर छापा मार कर मुख्य आरोपी सुमित रावत के बड़े भाई उपदेश रावत को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अलगअलग राज्यों से किए 7 आरोपी गिरफ्तार

10 हजार रुपए के ईनामी उपदेश को पुलिस टीम ने थाने ला कर उस से अक्षया यादव की हत्या के संदर्भ में पूछताछ शुरू की. पहले तो उपदेश अपने आप को निर्दोष बता कर पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो वह टूट गया.

उस ने पूछताछ में खुलासा किया कि इस हत्याकांड में 7 लोग शामिल थे. उक्त वारदात को अंजाम देने से पहले हत्या का षडयंत्रकारी सुमित रावत 6 जुलाई को अपने दोस्तों के साथ कंपू स्थित होटल में रुका था. होटल में 7 जुलाई को विवाद होने पर वह अपने दोस्तों के साथ लाज में ठहरने चला गया था. इस वारदात से पहले तक लाज में ही ठहरा था.

यहीं पर हिस्ट्रीशीटर बाला सुबे के साथ बैठ कर दिव्या और उस की मां करुणा की हत्या की उस ने योजना बनाई थी. इन दोनों की हत्या के लिए हथियारों का इंतजाम भी बाला सुबे ने ही कराया था.

पूछताछ में यह भी पता चला कि हत्या वाले दिन से ठीक एक दिन पहले इस हत्याकांड में उस का नाम न आए, इसलिए शातिरदिमाग बाला सुबे एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के धुले में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया था. धुले में सुमित रावत व उस के सहयोगी विशाल शाक्य की फरारी की व्यवस्था बाला सुबे ने ही कर रखी थी.

योजनानुसार उपदेश और उस के छोटे भाई सुमित अपने 2 साथियों विशाल शाक्य व मनोज तोमर एक बाइक पर तथा दूसरी बाइक पर राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर ने सवार हो कर मृतका व उस की सहेली की रेकी की थी.

आरोपियों के नामों का खुलासा होने पर पुलिस ने बिना देरी किए सातों आरोपियों की कुंडली खंगाली और सभी आरोपियों सुमित रावत, उपदेश रावत,विशाल शाक्य, मनोज तोमर, राकेश सिकरवार, अशोक गुर्जर सहित बाला सुबे को अलगअलग राज्यों से हिरासत में ले लिया. मुख्य आरोपी सुमित रावत से की पूछताछ के बाद अक्षया हत्याकांड की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

16 वर्षीय दिव्या ग्वालियर शहर के बारह बीघा सिकंदर कंपू के रहने वाले विवेक शर्मा की बेटी थी. दिव्या एक होनहार छात्रा थी. इन दिनों वह ग्यारहवीं की तैयारी कर रही थी. उस ने सुमित के बारे में अपनी मां से कुछ भी नहीं छिपाया था.

सुमित उस का 3 साल पुराना फेसबुक फ्रैंड अवश्य था, लेकिन अपराधी प्रवृत्ति का था. जैसे ही उसे सुमित की हकीकत पता चली तो उस ने उसे ब्लौक कर दिया. ब्लौक किए जाने के बाद सुमित दिव्या को फोन ही नहीं करने लगा, बल्कि उस ने प्यार का इजहार भी कर दिया.

सिरफिरा आशिक निकला सुमित रावत

दिव्या के लिए तो यह परेशानी वाली बात थी. वह उस से इसलिए नाराज थी कि पहले तो उस ने शरीफ युवक बन कर उस से दोस्ती की और जैसे ही सारी हकीकत सामने आई तो फोन पर प्यार का इजहार करने लगा. सुमित के इस दुस्साहस से नाराज दिव्या ने उसे जम कर लताड़ा और आइंदा कभी फोन न करने की हिदायत दी.

लेकिन सुमित नहीं माना. दिव्या द्वारा उस की काल रिसीव न करने पर वह उसे मैसेज करने लगा. इस से दिव्या और उस की मां करुणा को लगा कि सुमित अव्वल दरजे का बेशर्म और सिरफिरा लडक़ा है, यह मानने वाला नहीं है, इसलिए उन दोनों ने उस पर गौर करना बंद कर दिया और दिव्या अपनी पढ़ाई में मन लगाने लगी.

जब दिव्या सुमित की फोन काल और मैसेज की अनदेखी करने लगी तो सुमित उस की मम्मी करुणा शर्मा को फोन कर दिव्या से बात कराने की हठ करने लगा. करुणा शर्मा ने सख्ती दिखाते हुए बात कराने से उसे मना कर दिया तो कभी वह करुणा शर्मा के गुढ़ा स्थित सेंट जोसेफ स्कूल पहुंच कर हडक़ाने लगता था.

करुणा शर्मा पेशे से शिक्षक हैं, पति का निधन हो जाने के बाद से वह प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर अपने बेटेबेटी का पालनपोषण कर रही हैं. उन के दिव्या के अलावा एक 12 वर्षीय बेटा है.

दिव्या काफी होशियार और समझदार लडक़ी थी. उस का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर रहता था. अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उस ने अपनी सहेली के साथ लक्ष्मीबाई कालोनी में कोचिंग जौइन कर रखी थी और बारह बीघा सिकंदर कंपू क्षेत्र में सुकून के साथ अपनी मां और छोटे भाई के साथ रह रही थी.

दिव्या के साथ उस की मम्मी को भी धमकाना शुरू कर दिया सुमित ने

बेहद हंसमुख और खूबसूरत दिव्या का अधिकांश समय पढ़ाईलिखाई में बीतता था. दिन में फुरसत के वक्त वह सोशल मीडिया फेसबुक पर बिता देती थी. फेसबुक का उपयोग करते वक्त क्याक्या ऐहतियात बरतनी चाहिए, उस के बारे में भी उसे जानकारी थी. इसलिए अंजान लोगों और खासकर लडक़ों से वह दोस्ती नहीं करती थी. लेकिन सुमित के मामले में वह भूल कर बैठी, जिसे वक्त रहते उस ने सुधार लिया था.

हालांकि सुमित से चैटिंग के दौरान दिव्या ने अंतरंग बातें कर ली थीं, जो स्वाभाविक भी थी, क्योंकि वह तो उसे बेहद शरीफ समझ रही थी. उसे इस बात का कतई अहसास नहीं था कि इस मासूम से चेहरे के पीछे हैवानियत और वहशीपन छिपा है, लेकिन जैसे ही दिव्या ने सुमित से दूरी बनानी शुरू की तो उस ने उस की मम्मी के साथ बदसलूकी और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया. तब दिव्या को अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

सुमित दिव्या शर्मा के पीछे इस कदर हाथ धो कर पड़ा था कि उस की कारगुजारियों का खुल कर विरोध करने वाली करुणा शर्मा को भी उस ने नहीं छोड़ा था. सुमित ने उन के साथ भी सरेराह उसी रास्ते पर कट्टा अड़ा कर छेड़छाड़ की थी, जहां दिव्या की सहेली अक्षया यादव की हत्या को अंजाम दिया था.

तब अंत में दिव्या ने कंपू थाने में सुमित रावत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उस की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बात 18 नवंबर, 2022 की है. रोज की तरह सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका करुणा शर्मा अपने नाबालिग बेटे के साथ सुबह के समय स्कूल जा रही थीं. वह जैसे ही कंपू थाना क्षेत्र स्थित हनुमान सिनेमा तिराहे के निकट पहुंची ही थी कि तभी अचानक सुमित रावत आ धमका. उस ने उन का रास्ता रोक कर सरेराह बिना किसी संकोच के उन के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी.

मां के साथ सुमित रावत द्वारा की जा रही छेड़छाड़ को देख कर बेटा बुरी तरह से खौफजदा हो गया था. करुणा ने सुमित की इस हरकत का खुल कर विरोध किया तो वह बौखला गया. उस ने कट्टा निकाल कर करुणा के सीने से लगा दिया. सुमित खुलेआम कट्टे की नोंक पर राहगीरों के सामने करुणा के साथ छेड़छाड़ करता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.

सुमित जान से मारने की धमकी दे कर कट्टा लहराते हुए भाग गया. इस घटना के बाद करुणा ने थाने पहुंच कर सुमित के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 354, 345, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस ने सुमित को दबोच कर जेल भेज दिया था. करुणा शर्मा अभी तक उस घटना को नहीं भूल सकी हैं.

उधर अक्षया यादव हत्याकांड में संलिप्त सातों आरोपियों को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त 2 देशी कट्टे और बाइक बरामद करने के बाद मुख्य अभियुक्त सुमित रावत , उपदेश रावत, विशाल शाक्य सहित बाला सुबे को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया, जबकि अन्य तीन आरोपियों के नाबालिग होने की वजह से बाल न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन तीनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

गौरतलब बात है कि सुमित रावत पर पुलिस के मुताबिक 2 हत्या सहित आधा दरजन प्रकरण दर्ज हैं. इसी क्रम में बाला सुबे पर 27 आपराधिक मामले, उपदेश रावत पर मारपीट और गोली चलाने के 7 मामले, विशाल शाक्य पर गोली चलाने का एक प्रकरण दर्ज है.

72 घंटे में पुलिस की आधा दरजन टीमों के द्वारा महाराष्ट्र, दिल्ली और धौलपुर से अक्षया यादव हत्याकांड में शामिल सातों आरोपियों को दबोचे जाने के बाद एडिशनल डीजीपी डी. श्रीनिवास वर्मा, एसपी राजेश सिंह चंदेल व एडिशनल एसपी राजेश डंडोतिया ने संयुक्त रूप से प्रैस कौन्फ्रैंस कर पत्रकारो को अपराधियों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी सुमित रावत को जब पुलिस की टीम ग्वालियर ले कर आ रही थी, तभी उस ने घाटीगांव पनिहार के बीच लघुशंका के बहाने पुलिस का वाहन रुकवाया और वाहन से उतरते ही भागने का प्रयास किया. इस प्रयास में गिर जाने से उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, अत: उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 17 जुलाई को अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज कर दिया तो न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

हकीकत यह थी कि सुमित दिव्या से एकतरफा प्यार करने लगा था और उस के इंकार करने से बुरी तरह बौखला गया था. फेसबुक की दोस्ती में ऐसे अपराध वर्तमान दौर में आम हो चले हैं, जिन का शिकार दिव्या जैसी भोलीभाली लड़कियां हो रही है. ऐसे में उन्हें और ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है.

दिव्या उस का पहला प्यार था और उस के ठुकरा देने से वह उस से नफरत करने लगा था. उस की इसी नफरत की आग ने बेकुसूर छात्रा अक्षया यादव की जान ले ली. हालांकि अक्षया की हत्या के बाद उस के मातापिता की शेष जिंदगी तो अब दर्द में ही निकलेगी.

ताउम्र ये सवाल चुभेगा कि हमारी लाडली बिटिया ही क्यों? लेकिन पुलिस के लिए यह सिर्फ एक केस नंबर रहेगा. कुछ समय बाद ये नंबर भी शायद ही किसी को याद रहे. बेटी के बदमाशों के हाथों मारे जाने के गम का बोझ तो मातापिता को ही उठाना होगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मनोज तोमर, राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर परिवर्तित नाम हैं.

दरिंदे दोस्त : दोस्ती पर कलंक

मध्य प्रदेश के जिला खरगोन का एक कस्बा है बोरावां. यह कस्बा यहां के फार्मेसी कालेज के लिए मशहूर है. हौस्टल युक्त फार्मेसी कालेज के  मालिक हैं मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव. इंदौर निवासी अंकित राठौर, जिला धार का अक्षय जोशी और जिला खंडवा के पंधाना का रहने वाला विशाल चौधरी इसी फार्मेसी कालेज में साथसाथ पढ़ते थे. बीफार्मा के ये तीनों छात्र अच्छे दोस्त थे और कालेज के ही हौस्टल में रहते थे.

बोरावां से 7 किलोमीटर दूर स्थित ओझरा गांव की काजल भी इसी कालेज की बीफार्मा की छात्रा थी. वह अपने घर से कालेज आतीजाती थी. एक ही कालेज में साथ पढ़ने की वजह से अंकित से उस की अच्छी दोस्ती थी. अक्षय और विशाल भी अंकित के सहपाठी थे, इसलिए उन से काजल के भी अच्छे संबंध थे. लेकिन अंकित उस के कुछ ज्यादा ही निकट था. कह सकते हैं कि दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी.

इन सभी छात्रों का यह आखिरी साल था, जिस की परीक्षा 20 मई से 31 मई, 2014 के बीच होनी थी. चूंकि इस फार्मेसी कालेज में बीफार्मा तक ही पढ़ाई संभव थी, इसलिए परीक्षा के बाद सभी छात्रछात्राओं को अपनेअपने घर चले जाना था. काजल एमफार्मा करना चाहती थी. इस के लिए उस ने पुणे जाने का मन बना रखा था. इस बारे में उस ने अपने पिता से बात भी कर ली थी.

काजल और अंकित की निकटता की बात किसी से छिपी नहीं थी. अन्य छात्रों के साथ दोनों कई बार बाहर घूमने भी गए थे. दोनों की रोजाना कालेज में तो मुलाकात होती ही थी, कभीकभी छुट्टी के दिन अंकित काजल के ओझरा स्थित घर भी आ जाता था. काजल बालिग थी और समझदार भी. दोनों चूंकि सहपाठी थे, इसलिए घर वाले भी अंकित के आने पर आपत्ति नहीं करते थे.

10 मई को शनिवार था. उस दिन काजल और उस के मातापिता को एक मांगलिक समारोह में शामिल होने के लिए इंदौर जाना था. 11 बजे जब जाने की तैयारी हो गई तो काजल ने पिता से कहा, ‘‘पापा, आप दोनों चले जाइए, एग्जाम सिर पर हैं, मुझे पढ़ाई करनी है.’’

काजल के पिता को बेटी की बात ठीक लगी. वह काजल को घर पर छोड़ कर पत्नी के साथ इंदौर के लिए निकल गए. उन के जाने के बाद काजल पढ़ाई में लग गई.

लगभग साढ़े 12 बजे अंकित राठौर काजल के घर आया. उस के साथ अक्षय जोशी और विशाल चौधरी भी थे. आरोप के अनुसार, काजल इन लोगों के इरादे से अनजान थी. बातों के दौरान अंकित ने अचानक काजल को दबोच लिया. उस का इरादा भांप कर काजल ने विरोध करते हुए धमकी दी, ‘‘मुझे छोड़ो, वरना मैं शोर मचा दूंगी.’’

‘‘तुम शोर तो तब मचाओगी, जब शोर मचाने लायक रहोगी.’’ कह कर अंकित ने आगे बढ़ कर उस का मुंह दबा दिया. इस के बाद तीनों ने उसे गिरा दिया और मुंह दबाए दबाए ही उस के साथ बड़ी दरिंदगी से दुष्कर्म किया.

चूंकि काजल तीनों को पहचानती थी, इसलिए उस का जिंदा रहना उन के लिए खतरनाक साबित हो सकता था. इसलिए अंकित और उस के साथियों ने तय किया कि इसे मार दिया जाए. अंकित काजल के यहां पहले भी आताजाता रहा था, इसलिए वह उस के घर के कोनेकोने से परिचित था.

अंकित दौड़ कर कोने में पड़ा पलंग का पाया उठा लाया और उसे काजल के सिर पर दे मारा. उसी एक वार में वह बेहोश हो गई तो अंकित किचन में गया और वहां रखा मिट्टी के तेल का डिब्बा उठा लाया. उस ने उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाला तो संयोग से काजल को होश आ गया. वह जान बख्श देने की मिन्नतें करने लगी, लेकिन अब अंकित और उस के साथियों को काजल की नहीं, अपनी चिंता थी.

उन्होंने उस की मिन्नतों पर ध्यान न दे कर माचिस की तीली जला कर उस के ऊपर फेंक दी. मिट्टी का तेल पड़ा होने की वजह से काजल जलने लगी.  आग की जलन से वह चिल्लाई तो पड़ोस में रहने वाले सतीश यादव के कानों में उस की चीखने की आवाज पड़ी. उस समय वह खाना खा रहे थे. वह खाना छोड़ कर बाहर आए और दौड़ कर काजल के चाचा को बुला लाए. उन्हें साथ ले कर वह छत पर चढ़े तो वह उन्हें एक लड़का खड़ा दिखाई दिया.

वहां से उन्होंने जो मंजर देखा था, वह बड़ा ही भयावह था. उस समय उन के पास इतना समय नहीं था कि वे उस युवक से कुछ पूछते. सतीश यादव काजल के चाचा के साथ सीढि़यों से तेजी से नीचे की ओर भागे. उन के साथसाथ वह युवक भी नीचे आ गया. दोनों आग बुझाने की कोशिश करने लगे तो युवक भी उन की मदद करने लगा.

काजल की चीखपुकार सुन कर अब तक आसपड़ोस के काफी लोग एकत्र हो गए थे. काजल की हालत देख कर सभी के रोंगटे खड़े हो गए. वह बुरी तरह जली हुई थी. उस के शरीर का कोई भी अंग जलने से नहीं बचा था. उस के तन पर एक धागा तक नहीं बचा था. यह सब कैसे हुआ, लोग इधरउधर ताकझांक कर रहे थे कि तभी कुछ लोगों ने देखा कि 2 युवक भागने की कोशिश में हैं.

एक तो वे लड़के गांव के नहीं थे, दूसरे उन की हरकतें संदिग्ध लगीं, इसलिए गांव वालों ने उन्हें पकड़ लिया. पूछताछ में दोनों लड़के गांव वालों के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे सके तो गांव वालों ने उन की पिटाई शुरू कर दी.

घटना की सूचना थाना ओझरा पुलिस को देने के साथसाथ काजल के मातापिता को भी दी गई थी. उस समय तक वे कसराबाद से 20 किलोमीटर आगे पहुंच गए थे. वे वहीं से लौट पड़े. सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही थाना ओझरा के थानाप्रभारी गिरीश जेजुलकर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए थे. उन्होंने तुरंत वाहन की व्यवस्था कराई और बुरी तरह जली काजल को इलाज के लिए खरगोन भिजवाया.

काजल को ले जाने जाने वाली गाड़ी में ही अंकित भी बैठा था. तब तक लोगों को पता नहीं था कि पकड़े गए दोनों लड़कों के साथ यह भी था. लेकिन जब कसराबाद पहुंचे तो पता चला कि यह भी उन्हीं के साथ था तो उसे भी पुलिस के हवाले कर दिया गया.

काजल 96 प्रतिशत जली थी, इसलिए खरगोन अस्पताल ने प्राथमिक चिकित्सा के बाद उसे इंदौर के चोइथराम अस्पताल ले जाने को कहा. काजल को चोइथराम अस्पताल पहुंचाया गया. चूंकि यह बर्न केस था और काजल 96 प्रतिशत जली थी. उस के बचने की संभावना न के बराबर थी, इसलिए उस का जल्दी से जल्दी बयान लेना जरूरी था. अस्पताल प्रशासन ने इस बात की सूचना तुरंत स्थानीय थाना राजेंद्रनगर पुलिस को दे दी.  स्थिति गंभीर थी, इसलिए थाना पुलिस तुरंत तहसीलदार को ले कर काजल का बयान लेने अस्पताल पहुंच गई.

तहसीलदार को दिए अपने बयान में काजल ने बताया था कि मातापिता और भाई के चले जाने के बाद वह घर में अकेली रह गई थी. परीक्षा नजदीक होने की वजह से वह अपनी पढ़ाई में लगी थी. दोपहर को पीछे का दरवाजा खटखटाया गया तो उस ने जा कर दरवाजा खोला. बाहर अंकित राठौर अक्षय जोशी और विशाल चौधरी के साथ खड़ा था.

चूंकि तीनों लड़के काजल के साथ पढ़ते थे और उन में अंकित उस का घनिष्ठ दोस्त होने की वजह से उस के घर भी आताजाता रहा था, इसलिए अकेली होने के बावजूद उस ने उन तीनों को अंदर आने दिया. उसे लगा, परीक्षा नजदीक होने की वजह से वे उस से कुछ पूछने समझने आए होंगे.

लेकिन अंकित और उस के साथियों का इरादा कुछ और ही था. अंदर आते ही उन्होंने उसे दबोच लिया तो उसे उन के इरादे का पता चला. उन के इस इरादे से वह घबरा गई. उस ने विरोध करते हुए शोर मचाने की धमकी दी तो उन्होंने उस का मुंह दबा दिया.

दबोचने के बाद तीनों ने बारीबारी से उस के साथ दुष्कर्म किया. चूंकि वह उन्हें पहचानती थी, इसलिए उसे खत्म करने के इरादे से पहले तो उन्होंने उस के सिर पर पलंग के पाये से वार किया. इस वार से वह गिर कर बेहोश हो गई. लेकिन जब उन लोगों ने उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाला तो उसे होश आ गया.

वह जान बख्श देने के लिए गिड़गिड़ाई, लेकिन वे उसे जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे. इसलिए उन पर ध्यान कर के अंकित ने आग लगा दी. आग की जलन से वह चीखी चिल्लाई तो अलगबगल के लोग आ गए और आग बुझा कर उसे अस्पताल पहुंचाया.

काजल के साथ दुष्कर्म कर के जलाने वाले तीनों आरोपी पकड़े जा चुके थे. चोइथराम अस्पताल के डाक्टरों ने काजल को बचाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन उन की यह कोशिश सफल नहीं हुई और अगले दिन यानी 11 मई की सुबह 8 बजे उस ने दम तोड़ दिया.

उस के मरते ही मातापिता की हालत खराब हो गई. मां तो बेहोश हो कर गिर पड़ी. काजल जब से अस्पताल में भरती हुई थी, तब से पिता को याद करते हुए मिलने आने वाले रिश्तेदारों से वह कह रही थी कि पापा को बुला दो, मगर पिता बेटी से मिलने की हिम्मत नहीं कर सके. बेटी की मौत पर वह बिलखबिलख कर रो रहे थे कि अगर एक बार बेटी से मिल लेते तो शायद उसे संतोष हो जाता.

पुलिस ने अपनी काररवाई निपटा कर काजल के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. उसी दिन उस की लाश का पोस्टमार्टम हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार वह बुरी तरह जली थी. यहां तक कि उस के अंदर तक के अंग जल गए थे. वह सेकेंड और थर्ड डिग्री के बीच यानी 96 प्रतिशत जली थी. जलने की कुल 6 डिग्रियां होती हैं. छठी डिग्री में शरीर राख हो जाता है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार काजल और हत्यारों के बीच संघर्ष के भी निशान पाए गए थे. हत्यारों ने पलंग के पाये से जो वार किया था, उस से करपटी, सिर के सामने और अंदरूनी हिस्से की ज्यादातर हड्डियां टूट गई थीं. उस के साथ बड़ी ही दरिंदगी से दुष्कर्म किया गया था, जिस से गुप्तांग ही नहीं, गर्भाशय भी जख्मी हो गया था.

पोस्टमार्टम के बाद काजल का शव घर वालों को सौंप दिया गया. घर वालों ने ओझरा ले जा कर उसी दिन देर शाम नर्मदा नदी के किनारे गांव नावड़ातोड़ी के पास अंतिम संस्कार कर दिया. इंदौर के थाना राजेंद्रनगर पुलिस ने जो काररवाई की थी, उस की फाइल थाना ओझरा पुलिस को भेज दी थी, क्योंकि पूरे प्रकरण की रिपोर्ट वहीं दर्ज थी.

काजल के साथ दुष्कर्म और उसे जला कर मारने के आरोप में पकड़े गए आरोपियों से जब थाना ओझरा पुलिस ने पूछताछ की तो पहले अक्षय और विशाल ने अंकित को पहचानने से ही इनकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो दोनों ने कहा कि जब ये सब हुआ वे दोनों घर के बाहर खड़े थे. अंकित भी कुछ इसी तरह की बातें करता रहा. तीनों ही बारबार बयान बदलते रहे.

अंत में पुलिस की सख्ती पर अंकित और उस के दोस्तों ने स्वीकार कर लिया कि इस पूरी वारदात को उन्होंने ही अंजाम दिया था. वारदात को अंजाम देने के लिए वे काजल के घर लगभग आधा घंटा रुके थे.

पूछताछ में अंकित राठौर, विशाल चौधरी और अक्षय जोशी ने पुलिस को जो बताया था, उस के अनुसार अंकित इंदौर के ही कुशवाहनगर के रहने वाले सुनील राठौर का बेटा था. सुनील राठौर की पिछले साल जून में मौत हो चुकी थी. पिता की मौत के बाद उस के साथ घर में मां संध्या और बहन नंदिनी रह गई थी. नंदिनी किसी कंपनी में नौकरी करती थी. उसी की कमाई से घर का खर्च चल रहा था. मांबेटी को उम्मीद थी कि अंकित पढ़लिख कर दोनों का सहारा बनेगा, लेकिन इस घटना से दोनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

अंकित की बीफार्मा की पढ़ाई का यह अंतिम साल था. 31 मई को उस का अंतिम पेपर था. वैसे तो वह सीधासादा छात्र था. इस के पहले उस ने कभी कोई वारदात भी नहीं की थी. वह पढ़ने में तो ठीकठाक था ही, कालेज में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक व खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता रहता था. अच्छे प्रदर्शन के लिए उसे स्पोर्ट्समैन औफ द ईयर का अवार्ड भी मिला था. इस के पहले उसी की ही नहीं, उस के साथियों अक्षय और विशाल की भी कालेज से कोई शिकायत नहीं हुई थी.

अंकित का साथी अक्षय जोशी बांकानेर के रहने वाले राजेंद्र जोशी का बेटा था. राजेंद्र जोशी गांव में ही दुर्गा मंदिर के पुजारी थे तो मां घर संभालने के साथसाथ घर चलाने में पति की मदद के लिए टिफिन सेंटर चलाती थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद पतिपत्नी बेटे को पढ़ा कर उस का भविष्य सुधारना चाहते थे. लेकिन बेटा अब दुष्कर्म और हत्या के आरोप में जेल की हवा खा रहा है.

विशाल चौधरी जिला खंडवा के पंधाना के रहने वाले अनिल चौधरी का बेटा था. उन की किराना की दुकान थी. पत्नी लता चौधरी सुभाषचंद्र बोस वार्ड-5 से कांग्रेस के समर्थन से पार्षद हैं. वह ठीकठाक घर से है. इसलिए शहर के नामचीन रामचंद्र नामड़ा स्कूल से उस ने 12वीं तक पढ़ाई की थी.

विशाल का बीफार्मा का यह अंतिम साल था. कुछ दिनों पहले वह घर भी आया था, लेकिन परीक्षा की वजह से वह जल्दी वापस आ गया था. वापस आ कर उस ने जो किया, उस की वजह से परीक्षा शुरू होने से पहले ही जेल चला गया.

अंकित ने पुलिस को जो बताया था, उस के अनुसार काजल अंकित की घनिष्ठ मित्र थी. इस के बावजूद वह उस से दूरी बना कर रहती थी. जबकि वह काजल से हर तरह के संबंध बनाना चाहता था. लेकिन वह काजल से जैसे संबंध बनाना चाहता उस के लिए उस ने उसे कभी मौका ही नहीं दिया.

काजल और अंकित का कालेज का यह अंतिम साल था. 31 मई को अंतिम पेपर दे कर अंकित हौस्टल छोड़ कर इंदौर चला जाता. जबकि वह इंदौर वापस जाने से पहले एक बार काजल को पा लेना चाहता था. उस ने किसी से सुना था कि अगर किसी लड़की को दिल से निकालना हो तो उस से शारीरिक संबंध बना लो.

ओझरा से इंदौर 130 किलोमीटर दूर था. एक बार इंदौर जाने के बाद सिर्फ काजल से मिलने आना अंकित के लिए संभव नहीं था. अगर वह आ भी जाता तो कोई जरूरी नहीं कि काजल से उस की मुलाकात हो ही जाती या फिर उसे अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिल ही जाता. यही सब सोच कर उस ने अपनी इच्छा पूरी करने का निश्चय कर लिया था. उसे पता था कि वह काजल के साथ अकेला जबरदस्ती नहीं कर सकता, इसलिए उस ने अपने दोस्तों अक्षय और विशाल से बात की.

मौजमजा के चक्कर में वे भी तैयार हो गए. इस के बाद तीनों योजना बना कर मौके की तलाश में काजल के घर का चक्कर लगाने लगे. 10 मई की दोपहर काजल के मातापिता बेटे के साथ मांगलिक समारोह में भाग लेने के लिए घर से निकले तो काजल को अकेली पा कर उन्हें मनमर्जी करने का मौका मिल गया.   चूंकि काजल उन तीनों को पहचानती थी, इसलिए उन्होंने उसे खत्म करने के लिए पहले उस पर पलंग के पाये से वार किया. और जब वह बेहोश हो गई तो उसे जलाने के लिए मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दी.

पूछताछ पूरी कर के पुलिस ने सुबूत के लिए तीनों के कपड़े उतरवा लिए थे. इस के बाद मैडिकल जांच करा कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की जांच ओझरा पुलिस कर रही थी.

यह मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज के सामने पहुंचा तो उन्होंने कहा कि वह खुद इस मामले की जांच पर नजर रखेंगे. दूसरी ओर घर वालों का कहना है कि उन के बच्चों को गलत फंसाया गया है. अंकित के घर वालों ने 14 फरवरी वैलेंटाइन डे पर गोवा में खिंचाए गए कुछ फोटो भी अदालत में पेश किए हैं, जिन में काजल अपने इन दोस्तों के साथ है. उन का कहना है कि काजल अंकित से प्रेम करती थी और उस के साथ शादी करना चाहती थी. उन का यह भी कहना है कि चोइथराम अस्पताल में काजल ने खुद स्वीकार किया है कि उस ने आग लगा कर आत्महत्या की है.

अगर मान लिया जाए कि काजल ने आत्महत्या की है तो क्या उस के साथ दरिंदगी से जो दुष्कर्म हुआ है, उसे भी उस ने खुद कराया है. बहरहाल, सभी आरोपी अभी जेल में हैं. घर वालों के आग्रह पर कोर्ट ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है, जिस से अगर वे निर्दोष साबित होते हैं तो उन का भविष्य बरबाद न हो.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. काजल परिवर्तित नाम है.