पता चला कि घटनास्थल से अपूर्वा के गले की सोने की चेन और 2 मोबाइल गायब थे. कमरे में काफी सामान बिखरा हुआ था, जिस से आभास होता था कि मामला लूटपाट में हुई हत्या का हो सकता है. लेकिन टेबल पर रखा पानी का गिलास और चाय का प्याला इस थ्यौरी को झुठला रहे थे. इस का मतलब कोई ऐसा व्यक्ति आया था, जिसे अपूर्वा जानती थी. वह कौन रहा होगा, यह तफ्तीश का विषय था.
घटनास्थल की पूरी छानबीन के बाद इंसपेक्टर अशोक माली और क्राइम ब्रांच की टीम अपनेअपने औफिस लौट आए. इंसपेक्टर माली अपूर्वा के पिता अनंत राव को साथ ले आए थे. उन की ओर से पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध हत्या और लूटपाट का केस दर्ज कर लिया. केस दर्ज होने के बाद स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच ने अपनेअपने ढंग से जांच शुरू कर दी.
मामला चूंकि लातूर के पौश एरिया में हुई हत्या और संभ्रांत समाज से जुड़ा था, इसलिए अधिकारी चाहते थे कि हत्यारा जल्दी से जल्द गिरफ्त में आ जाए. क्योंकि ऐसा न होने पर धरने और विरोध प्रदर्शनों की आशंका थी. इस मामले पर एसपी राजेंद्र माने स्वयं नजर रखे हुए थे. उन्होंने इस केस की तफ्तीश के लिए स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच की 2 टीमें बना कर उन्हें अलगअलग काम सौंपे.
इंसपेक्टर अशोक माली ने अपूर्वा के पिता अनंतराव के संदेह जताने पर अपूर्वा, उस के फ्रैंड मौली घोपल और सार्थक के पिता बालासाहेब को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू की.
दूसरी ओर क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सुनील नागर गोजे अपने सहायक इंसपेक्टर सुनील रेजीतवाड़, नामदेव पाटिल और बालाजी जाघव के साथ अपूर्वा के नए पुराने दोस्तों और उन के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर छानबीन कर रहे थे. इस कवायद में उन्हें सफलता भी मिली.
अमर शिंदे आया राडार पर
काल डिटेल्स से अपूर्वा का पुराना दोस्त अमर शिंदे पुलिस के राडार पर आ गया, उस से हत्या के एक घंटा पहले अपूर्वा से फोन पर बात की थी. इंसपेक्टर अशोक माली ने अमर शिंदे को गिरफ्तार कर लिया. इस के साथ ही मौली घोपल और सार्थक के पिता बाला साहेब को क्लीन चिट दे दी गई.
अमर शिंदे से जब क्राइम ब्रांच ने पूछताछ शुरू की तो अपूर्वा मर्डर केस परत दर परत खुलता गया. अमर ने अपूर्वा की हत्या की बात स्वीकार कर ली और यह भी बता दिया कि उसे अपूर्वा की मौत का कोई अफसोस नहीं है. अमर ने बताया कि उस ने अपूर्वा को अपने दोस्त सार्थक की आत्मा को शांति पहुंचाने के लिए मौत के घाट उतारा था.
अमर श्ंिदे को अपूर्वा के लातूर आने का पता था. वह चूंकि पड़ोस में रहता था और अपूर्वा और उस के घर पर नजर रखे हुए था, इसलिए उसे पता था कि उस के पिता अनंतराव यादव जामखंडी स्थित उस के मैडिकल कालेज गए हैं. वह यह भी जानता था कि अपूर्वा की मां नियत समय पर रोज मंदिर जाती हैं. इसलिए उस ने वही समय चुना.
इस के लिए उस ने एक घंटे पहले अपूर्वा को फोन कर के कहा कि वह उस से मिलना चाहता है. अपूर्वा ने यह सोच कर अमर शिंदे को 12 बजे घर बुलाया कि तब तक मां आ जाएगी. लेकिन अमर शिंदे का इरादा कुछ और ही था, इसलिए वह 11 बजे ही आ गया. वह घर के आसपास खड़ा हो कर अपूर्वा की मां के जाने का इंतजार करने लगा.
साढ़े 11 बजे जब मोहिनी पूजा की थाली ले कर घर से बाहर चली गईं तो अमर ने अपूर्वा के घर की घंटी बजा दी. अमर को वक्त से पहले आया देख अपूर्वा की हालत कुछ ऐसी हो गई कि वह इनकार करने की स्थिति में नहीं रही. वैसे भी अमर उस का बचपन का साथी और पुराना दोस्त था. इसलिए उस ने अंदर बुला लिया.
अपूर्वा नहीं समझ पाई अमर के इरादे को
अपूर्वा ने अमर को सोफे पर बैठाया और पानी का गिलास ले कर आई. थोड़ी देर अपूर्वा और अमर सार्थक की आत्महत्या के मामले पर बात करते रहे. अपूर्वा ने उस की मौत पर अफसोस जताया.
इस बातचीत के बाद अपूर्वा चाय बनाने किचन में चली गई. इसी बीच अमर ने टेबल पर रखा टीवी का रिमोट उठा लिया और टीवी चालू कर दिया. तभी उस ने अपना बैग खोल कर उस में से चाकू निकाला और वहीं अपने पास रख लिया.
जब अपूर्वा चाय ले कर आई तब अमर चैनल बदलबदल कर देख रहा था. अपूर्वा ने टेबल पर चाय रखी तो अमर ने टीवी की आवाज तेज कर दी. साथ ही अपूर्वा के कुछ समझने से पहले ही उसे पकड़ कर चाकू से उस का गला रेत दिया.
अपूर्वा चीख कर फर्श पर गिर गई तो उस ने टीवी की आवाज और तेज कर दी और अपूर्वा के शरीर पर दनादन चाकू के कई वार किए. अपूर्वा चीखी चिल्लाई लेकिन उस की आवाज कमरे में चल रहे टीवी की तेज आवाज में दब कर रह गई.
अपूर्वा की हत्या के बाद अमर ने टीवी की आवाज कम की और उस के गले की चेन और उस के 2 स्मार्ट फोन अपने बैग में डाल लिए. अलमारी का सामान उस ने बाहर निकाल कर डाल दिया ताकि मामला लूटपाट का लगे.
अपना काम कर के अमर शिंदे बाहर वाले दरवाजे की कुंडी लगा कर वहां से निकल गया. जाते वक्त उस ने नफरत से कहा, ‘‘तू सिर्फ सार्थक की हो सकती थी. तू तो नहीं मानी, पर मैं ने तुझे उस के पास भेज दिया. हिम्मत हो तो ऊपर जा कर मिलाना उस से नजरें.’’
अमर शिंदे से विस्तृत पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच ने उसे एमआईडीसी थाने की पुलिस को सौंप दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने इस केस में भादंवि की धारा 201 और 34 और जोड़ दी. उसे अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया गया. यह मामला अपने आप में अनूठा इसलिए था, क्योंकि दोस्त ने दोस्त द्वारा प्रेमिका के लिए आत्महत्या करने से कुपित हो कर उस की एकतरफा प्रेम वाली प्रेमिका को मौत के घाट उतारा था.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित


