
कहते हैं जिस्म बेचने वाली को कितना भी प्यार और इज्जत दो, लेकिन उस के भीतर की असलियत खत्म नहीं होती. श्रेया भी समझ गई थी कि रामेंदु उपाध्याय ने उसे अपनी रखैल बना कर रख लिया है. अगर वह उसे पत्नी का दरजा नहीं देगा तो उसे पत्नी की तरह उसे तमाम सुख देने होंगे. इसलिए वह उस से अपनी हर फरमाइश पूरी करवाने लगी. उसे पीने के लिए शराब की जरूरत होती, खाना बनाना श्रेया को आता नहीं था, इसलिए या तो वह होटल से खाना मंगाती या रामेंदु ही उस के लिए खाना बनाता. इस तरह रामेंदु का लगभग रोज फ्लैट में आनाजाना होता था.
श्रेया अब उस से लगातार दुर्व्यवहार भी करने लगी थी और इतना ही नहीं शराब पी कर वह रामेंदु को गालियां तक देती और कहती, “तुम ने मेरी लाइफ खराब कर दी है मुझे रखैल की तरह रखा हुआ है. या तो मुझ से शादी कर लो नहीं तो…”
लेकिन रामेंदु के घर में एक डेढ़ साल का बेटा और पत्नी थी. ऐसे में वह इस के लिए बिलकुल राजी नहीं था. इस तरह के झगड़े होना आम बात हो गई थी. लेकिन अपनी अय्याशी की लत के कारण अब वह लाचार हो गया था और अपने पाप को छिपाए रखने के लिए सब कुछ सहने पर मजबूर था. लेकिन 2-2 जिंदगी जीते हुए रामेंदु इस बात से अंजान था कि उस की पत्नी सविता को एक बार फिर उस के चालचलन पर शक हो गया था.
श्रेया की जिद ले गई उसे मौत के मुहाने
2 सितंबर, 2023 को सविता अपने पति का पीछा करते हुए उस की रखैल श्रेया के घर पहुंच ही गई. उस दिन रामेंदु की जिंदगी में कोहराम मच गया. पत्नी प्रेमिका दोनों में जम कर झगड़ा हुआ. श्रेया ने पत्नी से साफ कह दिया कि रामेंदु ने 3 साल से उसे रखैल बना कर रखा है या तो वह उस के साथ शादी करे नहीं तो वह उस का पीछा नहीं छोड़ेगी.
पत्नी सविता और श्रेया के बीच लड़ाई होने से रामेंदु को पहली बार बहुत बुरा लगा था. वह पहली बार असमंजस की स्थिति में आ गया कि वह क्या करे क्या न करे. वह बहुत परेशान हो गया था. एक तरफ उस की पत्नी को उस के अवैध संबंधों का पता चल गया था. वहीं गर्लफ्रेंड पत्नी की तरह हक मांगने लगी थी. घर जाने पर पत्नी के ताने और क्लेश ने उस की जिंदगी को नासूर बना दिया था.
पत्नी सविता और श्रेया के बीच झगड़े के अगले दिन रामेंदु श्रेया को जुडियो के एक आउटलेट में ले गया, जहां उसे वही शार्ट मिडी दिलाई, जो हत्या के वक्त श्रेया ने पहनी थी. रामेंदु ने तय कर लिया कि अगर उसे इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो उसे श्रेया की हत्या करनी पड़ेगी. उस ने सोचना शुरू कर दिया कि किस तरह श्रेया को रास्ते से हटाया जाए कि वह पुलिस की पकड़ में न आए.
सुनसान जगह पर कर दी श्रेया की हत्या
आखिरकार, बहुत सोचविचार कर उस ने एक फुलप्रूफ योजना तैयार कर ली. उसी योजना के तहत 9 सितंबर, 2023 को श्रेया को वह बीयर पिलाने के लिए राजपुर रोड स्थित एक क्लब ले गया. जहां पर रात को दोनों ने शराब पी. रामेंदु ने कम शराब पी, जबकि उस ने श्रेया को ज्यादा शराब पिलाई.
श्रेया जब शराब के नशे में धुत हो गई तो उस ने श्रेया से लौंग ड्राइव पर चलने के लिए कहा. उस ने अपनी किया कार में बीयर की कुछ बोतलें और शराब भी रख ली. इस के बाद समय बिताने के लिए रामेंदु गाड़ी घुमाते हुए पहले आईएसबीटी घंटाघर बल्लूपुर डोईवाला गया, फिर डोईवाला से वापस होते हुए महाराणा प्रताप चौक से थानो रोड की तरफ निकल गया.
श्रेया शराब के ज्यादा नशे में थी, लिहाजा वह रामेंदु से गाड़ी में ही सैक्स करने की जिद करने लगी और अपने कपड़े उतारने लगी. रामेंदु ने उसे किसी तरह समझाया और कहा कि इस के लिए गाड़ी को थोड़ा एकांत में ले कर जाना पड़ेगा. तब तक रात के डेढ़ बज चुके थे. उस ने अपनी गाड़ी थानो रोड पर सोड़ा सरोली से बाईं ओर जाने वाले एक रास्ते की तरफ मोड़ दी. वहां पर जंगल जाने वाला रास्ता था.
वहां उसे श्रेया को जान से मारने का उचित मौका लगा. उस ने जैसे ही गाड़ी रोकी तो शराब के नशे में धुत श्रेया गाड़ी से उतर गई. उस के गाड़ी से उतरते ही रामेंदु ने गाड़ी की पिछली सीट पर रखा हथौड़ा निकाल कर उस के सिर पर और चेहरे पर एक के बाद एक कई प्रहार किए. श्रेया को संभलने का मौका भी नहीं मिला. वह लहरा कर जमीन पर गिर पड़ी. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.
रामेंदु ने श्रेया के मृत शरीर को उठा कर गाड़ी में डाला. उस ने नब्ज देखी तो तब तक श्रेया के प्राण निकल चुके थे. रामेंदु ने उसी दिशा में गाड़ी को थोड़ा और आगे लिया, लेकिन आगे का रास्ता बंद था. लिहाजा उस ने वहां से वापस गाड़ी बैक की और उस के बाद वापस मेन रोड पर आया और एक जगह कच्ची नाली में उस की लाश को गाड़ी से उतार कर फेंकदी. उस के बाद रामेंदु ने गाड़ी में रखा टायलेट क्लीनर वाला तेजाब निकाला और उस के मुंह पर डाल दिया, जिस से लाश की शिनाख्त न हो सके.
लेकिन शायद रामेंदु की किस्मत उस दिन खराब थी. क्योंकि जिस वक्त उस ने श्रेया की हत्या की तो उस के कुछ देर बाद ही बारिश शुरू हो गई थी. इसलिए जब उस ने पहचान मिटाने के लिए टाइलेट क्लीनर श्रेया के चेहरे पर डाला तो कुछ ही देर में बारिश के कारण वह तेजाब धुल गया और उस का चेहरा पूरी तरह बिगड़ नहीं सका.
पुलिस ने बरामद किए ठोस सबूत
श्रेया के शव को ठिकाने लगा कर रामेंदु ने हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा थानो रोड पर सड़क किनारे फेंक दिया. उस के बाद वापस आ कर गाड़ी क्लेमनटाउन के एक स्टोर में छिपा दी. श्रेया के सामान व पहने कपड़े भी उस ने गाड़ी में छिपा कर रख दिया. इस के बाद वह अपने घर गया और अपनी पत्नी से जा कर बता दिया कि उस ने श्रेया को वापस भेज दिया है.
पूछताछ के बाद जब पुलिस ने रामेंदु उपाध्याय की निशानदेही पर उस की क्लेमनटाउन में खड़ी हुई घटना में प्रयुक्त किया कार यूके-07 डीएक्स 5881 बरामद कर ली. कार के अंदर छिपा कर रखी श्रेया की आईडी, उस के कपड़े, घटना के समय रामेंदु उपाध्याय के पहने हुए खून से सने कपड़े और कार में लगे खून के निशान सबूत के तौर पर एकत्र कर लिए.
थानो रोड के जंगल से घटना में प्रयुक्त रक्तरंजित हथौड़ा भी पुलिस ने बरामद कर लिया, जिस पर रामेंदु की अंगुलियों के निशान थे. पुलिस ने बाद में राजपुर रोड के ऐंजल क्लब से श्रेया के साथ रामेंदु की सीसीटीवी फुटेज भी बरामद कर ली, जहां वह उसे शराब पिलाने के लिए ले गया था.
आवश्यक पूछताछ व साक्ष्य एकत्र करने के बाद पुलिस ने आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल रामेंदु उपाध्याय को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है.
(कथा पुलिस की जांच और आरोपी के बयान पर आधारित)
उसी समय कमरे का दरवाजा खुला और ताहिरा अंदर आई. उस की नजर अजीम पर पड़ी तो वह वहीं ठिठक गई. कमरे में पल भर के लिए सन्नाटा पसर गया. अजीम ने खड़े हो कर कहा, ‘‘यासमीन, मैं नीचे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’
उस के जाने के बाद ताहिरा ने कहा, ‘‘मैं वेटिंग रूम में बैठती हूं. आप फ्री हो जाइए तो बात करती हूं.’’
‘‘मैं फ्री हूं. बताओ क्या बात है?’’ मैं ने फौरन कहा.
ताहिरा यासमीन की बगल वाली कुरसी पर बैठ गई. वह अपना चेहरा दोनों हाथों से ढांप कर रोने लगी तो मैं ने कहा, ‘‘अरे यह क्या बात है? इतने प्यारे चेहरे पर ये आंसू अच्छे नहीं लगते.’’
‘‘वकील साहब, यह कौन है?’’ यासमीन ने हमदर्दी से पूछा.
‘‘ताहिरा, अजीम बुखारी की पहली बीवी.’’
यासमीन हैरानी से उसे देखती रह गई. फिर एकदम से उठी और बिना कुछ कहे बाहर निकल गई. उस के जाने के बाद ताहिरा भी उठी और आंसू पोछते हुए बोली, ‘‘वकील साहब, फिर आऊंगी. अभी मेरी तबीयत ठीक नहीं है.’’
‘‘फिक्र करने की कोई बात नहीं है, सब ठीक ही होगा.’’ मैं ने उसे तसल्ली दी.
अगली पेशी पर अजीम बुखारी अदालत में आया तो काफी परेशान लग रहा था. मैं ने जिरह शुरू की, ‘‘बुखारी साहब, पर्सनल ला के हिसाब से कोई भी आदमी पहली बीवी की मौजूदगी में उस की इजाजत के बगैर दूसरी शादी नहीं कर सकता यानी दूसरी शादी के लिए पहली बीवी की रजामंदी जरूरी है. क्या आप ने दूसरी शादी अपनी पहली बीवी की रजामंदी से की है?’’
‘‘मुझे इस बारे में पता नहीं था.’’
मैं ने उस के निकाहनामे की नकल निकाल कर कहा, ‘‘मि. बुखारी, इस पर साफ लिखा है कि दूसरी शादी के लिए काउंसिल और पहली बीवी की तहरीरी इजाजत जरूरी है. क्या आप ने पहली बीवी से इजाजत ली थी?’’
‘‘मुझे उस से इजाजत की उम्मीद नहीं थी.’’
मैं ने जज से कहा, ‘‘सर, मुसलिम ला के अनुसार मेहर की रकम मौजूदा बीवी को देना जरूरी है. न देने पर 5 हजार रुपए जुरमाना और कैद की सजा भी दी जा सकती है. इसलिए मैं गुजारिश करूंगा कि मेरी मुवक्किल को जुरमाने के साथ मेहर की रकम दिलवाई जाए.’’
जज ने निकाहनामे की नकल देख कर कहा, ‘‘क्या इस निकाहनामे पर आप के ही दस्तखत हैं?’’
‘‘जी हां.’’ अजीम ने कहा.
जज ने गुस्से से अजीम को देखते हुए कहा, ‘‘आप एक हफ्ते के अंदर अपनी बीवी का मेहर अदा कर दें. और बेग साहब, आप मेहर की रकम की अदायगी तक जिरह रोके रखें.’’
इतना कह कर जज ने अगले हफ्ते की तारीख दे दी.
मैं बाहर निकला तो अजीम बुखारी ने मेरे पास आ कर कहा, ‘‘बेग साहब, अब तो आप को यकीन हो गया होगा कि ताहिरा मनहूस है. उस दिन आप की औफिस में देख कर ही मैं समझ गया था कि मेरे ऊपर कोई आफत आने वाली है. उस ने यासमीन को न जाने क्या सिखा दिया कि वह मेरी कोई बात ही मान नहीं रही है.’’
‘‘लेकिन उन दोनों की तो कोई बात ही नहीं हुई थी.’’
‘‘दोनों आप के औफिस के बाहर मिली थीं. यासमीन उसे अपने साथ ले कर कहीं गई थी. उस ने मेरी जिंदगी को नरक बना दिया है. कहती है कि जब तक मैं ताहिरा की एकएक पाई अदा नहीं कर दूंगा, वह मुझ से बात नहीं करेगी और न ही घर में दाखिल होने देगी.’’
‘‘मेरे खयाल से वह ठीक ही कह रही है.’’
‘‘इस औरत ने मेरे अमेरिका जाने की योजना को भी खतरे में डाल दिया है.’’ अजीम ने कहा, ‘‘आप मेरे साथ थोड़ी मेहरबानी करें. इस के गहने और मेहर की रकम मैं कल अदा किए देता हूं. मगर 1 लाख के लिए आप को कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा.’’
मैं ने सोचा, जो मिल रहा है, उसे क्यों छोड़ा जाए. इसलिए कहा, ‘‘ठीक है, तुम ये दोनों चीजें कल दे जाना. मै ताहिरा को बुलवा कर तुम्हें रसीद दिला दूंगा.’’
‘‘रसीद तो आप दे ही देंगे. मगर मुझे एक क्लीयरेंस सर्टिफिकेट की भी जरूरत पड़ेगी, जिस से मैं यासमीन को यकीन दिला सकूं कि मैं ने ताहिरा के सारे हक अदा कर दिए हैं.’’
मुझे लगा, यह मुझे धोखा देने की कोशिश कर रहा है. मैं ने कहा, ‘‘क्लीयरेंस सर्टिफिकेट तो पूरी अदायगी के बाद ही मिलेगा.’’
‘‘तब तक तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. मैं नौकरी से इस्तीफा दे चुका हूं. दुकान बेचने का भी इश्तिहार दे चुका हूं. अगर यासमीन को संतुष्ट नहीं किया तो वह अकेली ही अमेरिका चली जाएगी. मेरा बहुत घाटा हो जाएगा. जब मैं इतना देने को तैयार हूं तो बाकी भी दे दूंगा.’’
‘‘अजीम तुम जो भी दे रहे हो, वह यासमीन की ही वजह से दे रहे हो. खैर, तुम जो देने को कह रहे हो, कब ले आओ. अगर ताहिरा मान गई तो मैं सर्टिफिकेट दे दूंगा.’’
अगले दिन अजीम 32 हजार के बजाय 40 हजार रुपए और गहने ले कर आया. उस समय ताहिरा मेरे पास बैठी थी, इसलिए वह वेटिंग रूम में बैठ गया. उस ने कहा कि वह ताहिरा का सामना नहीं करना चाहता. ताहिरा ने सर्टिफिकेट देने की इजाजत दे दी. वह पैसे और गहने बैग में रख कर कागजात तैयार होने का इंतजार करने लगी.
थोड़ी देर खामोश रहने के बाद उस ने कहा, ‘‘बेग साहब, मैं ने इस मामले पर गौर किया तो इस नतीजे पर पहुंची कि जब मेरा घर आबाद नहीं हो सकता तो अजीम जो दे रहा है, उसी में सब्र कर के उसे क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दे देना चाहिए, क्योंकि मैं उस की जिंदगी में रोड़ा अटकाना नहीं चाहती. अब आप मुकदमे की काररवाई खत्म कर दें.’’
ताहिरा अपनी बात कह ही रही थी कि अचानक यासमीन औफिस में आई. आते ही उस ने कहा, ‘‘उम्मीद है, फैसला हो गया होगा?’’
‘‘जी हां,’’ ताहिरा ने नजरें झुकाए आहिस्ता से कहा, ‘‘अजीम ने सारे हक अदा कर दिए हैं.’’
‘‘बेग साहब, क्या मैं रसीद देख सकती हूं,’’ यासमीन ने कहा.
मैं ने रसीद उसे दी तो उसे देख कर उस ने कहा, ‘‘यह तो गहनों और 40 हजार की ही रसीद है. बाकी के ड्यूज?’’
‘‘मुझे और कुछ नहीं चाहिए. मैं क्लीयरेंस सर्टिफिकेट पर दस्तखत कर रही हूं.’’ ताहिरा ने कहा.
यासमीन ने बीच वाले दरवाजे में खड़ी हो कर कहा, ‘‘अजीम, तुम ने पूरी रकम देने की बात कही थी, फिर तुम ने ताहिरा को यह 40 हजार रुपए ही क्यों दिए?’’
‘‘बाकी रुपए मैं 2 दिनों में दे दूंगा.’’ अजीम ने झेंपते हुए कहा.
‘‘तुम ने 90 हजार में दुकान और 80 हजार में प्लौट बेचा है. तुम्हारे पास पैसे की कमी कैसे हो सकती है. तुम धोखेबाज हो, तुम ने कहा था कि प्लौट के पूरे पैसे ताहिरा को दोगे. आज तुम इस लड़की के साथ धोखा दे रहे हो, कल मेरे साथ भी ऐसा कर सकते हो. तुम्हें मुझ से भी ज्यादा मालदार, खूबसूरत और जवान औरत मिल जाएगी तो तुम मुझे छोड़ दोगे. मैं जा रही हूं. और हां, अब तुम मेरे पीछे मत आना.’’ कह कर यासमीन बाहर निकल गई.
ताहिरा रसीद पर दस्तखत कर के चली गई. अजीम उसे जाते देखता रहा. उस की आंखों में एक खालीपन झलक रहा था. वह उस से कुछ कहना चाहता था, पर कह नहीं सका. अगली पेशी पर अदालत के गेट पर ही अजीम बुखारी के वकील से भेंट हो गई. उस ने व्यंग्य से कहा, ‘‘बेग साहब, केस खारिज हो गया, फाइल बंद कर दें. दो दिनों पहले एक्सीडेंट में अजीम बुखारी मर गया. कुछ लोगों को उन का अंधविश्वास ही उन्हें ले डूबता है. उस का खयाल था कि उस की पहली बीवी मनहूस है. पर उस का एक्सीडेंट दूसरी शादी के बाद हुआ. अब किस पर इल्जाम लगाए. बहरहाल इल्जाम लगाने वाला ही नहीं रहा.’’
सच है, मजलूम की आह कभी खाली नहीं जाती. जुल्म करने वाला अपने किए की सजा जरूर पाता है. बाद में मुझे पता चला कि अजीम की मां को भी लकवा मार गया था. बिस्तर पर पड़ी वह भी अपने किए की सजा भोग रही थी. ताहिरा की जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी. एक पढ़ालिखा, समझदार शख्स उस का हमसफर बन गया. इस में कुछ मेरी कोशिश थी तो कुछ संयोग.
मनोहर शुक्ला के अचानक घर से गायब होते ही नैना घंटों तक बैड पर पड़ी अपनी किस्मत को रोती रही. वह बारबार उस का फोन मिलाती रही, लेकिन फोन नहीं मिला.
उस के बाद उसे पूरा विश्वास हो गया कि वह जो कह रहा था, सही था. कई दिन मनोहर का फोन लगा, उस ने नैना को बता दिया कि अब उस की शादी हो चुकी है. इसलिए वह उसे अब ज्यादा टाइम नहीं दे सकता. उसी गुस्से में एक दिन वह एक वकील से मिली. वकील से राय मशविरा कर उस ने विरार पुलिस थाने में मनोहर शुक्ला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.
केस वापस लेने का डाला दबाव
जब इस बात का मनोहर शुक्ला को पता चला तो उस ने उसे समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन नैना ने अपना मुकदमा वापस नहीं लिया. आखिरकार मनोहर शुक्ला को इस बलात्कार के केस के कारण जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.
हालांकि मनोहर शुक्ला नैना के कारण जेल की रोटी खा चुका था, लेकिन फिर भी वहां से जमानत पर आने के बाद वह उसे बारबार फोन करता रहता था. यही हाल नैना का भी था. उसे जेल भेजने का नैना को थोड़ा अफसोस भी हुआ. उस के जेल से आने के बाद नैना ने उस से एक बार मिलने को कहा.
नैना के कहने पर एक दिन मनोहर शुक्ला उस से मिलने उस के घर पर गया. फिर नैना उसे देख कर फूटफूट कर रोई. लेकिन कोई फायदा नहीं था. मनोहर शुक्ला को जो करना था, वह कर चुका था. इस के बाद भी नैना उसे छोडऩे को तैयार न थी.
उस दिन नैना का मन कुछ हलका हुआ और फिर वह सब कुछ भूल कर उस से पहले की तरह मिलने लगी थी. मनोहर शुक्ला के बारबार मिलने से वह अपना दर्द भूल गई, लेकिन फिर वह उसे अपना मान कर उसे पहले की तरह ही प्यार भी करती रही थी.
जमानत पर आने के बाद उस केस को आगे भी चलना था. उसे उम्मीद थी कि नैना एक दिन उस की बात मान कर अपना केस भी वापस ले लेगी, यही सोच कर उस ने कई बार नैना से संपर्क किया. उस ने उस से उस के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेने का अनुरोध भी किया.
एक बार वह अपने स्कूटर से नैना और अपनी पत्नी पूर्णिमा को ले कर वसई में ही तुंगारेश्वर भी गया. वहां पर पत्नी के जरिए उस ने नैना पर केस वापस लेने के लिए दबाव भी डलवाया. लेकिन नैना किसी भी तरह से झुकने को तैयार न थी. उस समय तक मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा एक बच्ची की मां बन चुकी थी.
जब मनोहर शुक्ला ने नैना पर ज्यादा दबाव बनाना शुरू किया तो नैना ने साफ शब्दों में कहा कि वह अपना मुकदमा वापस लेने को तैयार है, उस के लिए उसे 2 काम करने होंगे. पहला उसे अपनी पत्नी पूर्णिमा से तलाक लेना होगा, दूसरे उसे शहर में ही अलग से एक फ्लैट खरीद कर देना होगा.
उस की इन शर्तों से मनोहर शुक्ला का गुस्सा सातवें आसमान पहुंच गया. उसी गुस्से में मनोहर शुक्ला ने तुंगारेश्वर से नायगांव वापसी के दौरान चलते स्कूटर से नैना को नीचे धकेल दिया और वह अपनी बीवी को ले कर वहां से फरार हो गया.
उस दौरान नैना को थोड़ी चोट भी आई थी. लेकिन उस दिन के बाद वह मनोहर शुक्ला के प्रति आक्रामक हो उठी थी. फिर वह मनोहर शुक्ला को किसी और केस में फंसाने की धमकी भी देने लगी थी, जिस से मनोहर शुक्ला बुरी तरह डर गया था.
टब में डुबो कर की हत्या
9 अगस्त, 2023 को नैना ने मनोहर शुक्ला को फोन किया, “मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं. आप आज ही मुझ से आ कर मिलो. अगर तुम नहीं आए तो मैं आज ही सुसाइड कर लूंगी और सुसाइड नोट में तुम्हारा ही नाम होगा.”
मनोहर शुक्ला पहले ही केस से परेशान था. इतनी बात सुनते ही डर कर वह फौरन नैना के घर पहुंचा. मनोहर शुक्ला के घर पहुंचते ही नैना और उस के बीच काफी कहासुनी हुई. नैना ने मनोहर शुक्ला को साफ चेतावनी दी कि अगर तुम ने मुझे फ्लैट खरीद कर नहीं दिया तो मैं एसिड पी कर आत्महत्या कर लूंगी. उस के बाद तुम सारी जिंदगी मेरी हत्या के आरोप में जेल में सड़ोगे.
नैना की यह धमकी सुन कर मनोहर शुक्ला के तनबदन में आग लग गई. उसी गुस्से के आवेग में मनोहर शुक्ला ने पीछे से नैना के बाल पकड़ लिए और कहा, “ठीक है जब तुम्हें मरने का ही शौक है तो इस में मैं ही तुम्हारी मदद करता हूं.”
कह कर मनोहर शुक्ला उस को खींच कर बाथरूम में ले गया. वहां पर पहले से ही पानी का एक बड़ा टब भरा हुआ था. बाथरूम में ले जाते ही उस ने उस के मुंह को कई बार टब में भरे पानी में डुबोया और तब तक डुबोता रहा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.
नैना का मर्डर करने के बाद उस की लाश को उस ने बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उस का मोबाइल और घर की चाबी ले कर वह अपने काम पर चला गया था.
महाराष्ट्र में हत्या कर गुजरात में फेंकी लाश
अपना बाहर का काम निपटा कर वह फिर से नैना के घर पहुंचा. उस ने देखा तो वह पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी. उस के बाद वह सीधा अपने घर पहुंचा. घर जाते ही अपनी पत्नी पूर्णिमा को बता दिया कि उस ने नैना का मर्डर कर दिया है और उस की लाश उसी के घर में पड़ी हुई है. उस के तुरंत बाद ही वह अपनी पत्नी और बेटी को साथ ले कर नैना के घर पहुंचा.
नैना के घर पहुंचते ही मनोहर शुक्ला ने अपनी बेटी को मोबाइल में गेम चला कर दे दिया. फिर दोनों पतिपत्नी नैना के बेडरूम में गए, जहां उस की लाश पड़ी हुई थी. नैना के बेड के पास ही अलमारी में उस का एक बड़ा नीले रंग का सूटकेस रखा हुआ था.
मनोहर शुक्ला ने उस सूटकेस के कपड़े निकाले और अपनी पत्नी की सहायता से नैना की लाश को उस में बंद कर दिया. नैना की लाश को सूटकेस में बंद कर लिफ्ट में सवार हो कर दोनों नीचे आ गए. नीचे आते ही उन्होंने उस सूटकेस को स्कूटर पर रखा और अपनी 2 साल की बच्ची के साथ पतिपत्नी गुजरात की ओर निकल गए.
नायगांव मुंबई से 150 किलोमीटर दूर गुजरात के वलसाड जा पहुंचे. वहां पर सुनसान जगह पा कर नैना वाले सूटकेस को एक नाली में डाल दिया था. लाश ठिकाने लगाने के बाद मनोहर शुक्ला सीधे अपने घर आ गया था.
इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को गायब करना) व अन्य कई धाराएं लगा कर रिपोर्ट दर्ज की थी. उस के बाद पुलिस ने मनोहर शुक्ला को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर 16 सितंबर, 2023 तक का पुलिस रिमांड लिया. इस मामले में पुलिस को मनोहर शुक्ला के भाई पर भी अपराध में शामिल होने का शक था. जिस की पुलिस जांच कर रही थी.
हालांकि मनोहर शुक्ला ने इस गेम को बहुत ही होशियारी के साथ खेला था. लेकिन फिर भी वह मार खा गया. वह भूल गया कि जिस लिफ्ट से वह उस सूटकेस ले कर जा रहा है, वही उस की मुसीबत का कारण बनेगा. जिस लिफ्ट से वह सूटकेस को ले कर उतरा था, उस में एक नहीं बल्कि 2 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, जिन के माध्यम से पुलिस आरोपी मनोहर शुक्ला तक पहुंची थी.
पुलिस को मनोहर शुक्ला की पत्नी पूर्णिमा से नैना की हत्या के बारे में पूछताछ करनी थी, लेकिन कथा लिखने तक वह भी फरार थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
इस कहानी की शुरुआत हुई साल 2020 में जब 39 वर्षीय रामेंदु उपाध्याय बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में तैनात था. सेना के अफसरों के बारे में कहा जाता है कि परिवार और पत्नी सुख से दूर रहने के कारण वे अकसर जिस्मानी सुख तलाशने के लिए या तो रेड लाइट एरिया का सहारा लेते हैं या ऐसी औरतों से दोस्ती कर लेते हैं जो उन के शरीर की भूख मिटा सकें.
कुछ समय पहले ही रामेंदु की शादी हुई थी और कुछ दिन पत्नी के साथ रहने के बाद ही वह अपनी ड्यूटी पर सिलीगुड़ी आ गया. पत्नी सुख की ऐसी लत लग चुकी थी कि रामेंदु उपाध्याय भी सिलीगुड़ी आने के बाद वहां के बार और ऐसे क्लबों में जाने लगा, जहां खूबसूरत डांसर और जिस्म बेचने वाली हसीनाएं मिल जाती थीं.
जनवरी, 2020 में एक दिन रामेंदु उपाध्याय जब सिलीगुड़ी के सिटी सेंटर माल के जिज्जी डांस बार में गया तो उस की मुलाकात नेपाली मूल की एक युवती श्रेया शर्मा उर्फ सुमित्रा से हुई. श्रेया शर्मा 19 साल की एक ऐसी हसीन युवती थी, जिसे कोई एक बार देख ले तो चेहरे से नजर न हटे. सांचे में ढला गोरा बदन और अंगअंग से टपकती मादकता ऐसी कि पहली ही बार में रामेंदु को श्रेया इतनी पसंद आई कि वह उस का दीवाना हो गया. इस के बाद तो रामेंदु श्रेया को देखने के लिए लगभग रोज ही जिज्जी डांस बार जाने लगा.
रामेंदु डांस बार में जाता, 2-3 पैग पीता और लड़कियों खासकर श्रेया का डांस देखता और वापस आ जाता. लेकिन वह श्रेया से कभी यह नहीं कह पाता था कि वह उसे पसंद करता है और दोस्ती करना चाहता है. हां, उस ने उसे अपना नाम और पद के बारे में जरूर बता दिया था.
एक दिन रामेंदु को शराब का थोड़ा ज्यादा नशा चढ़ गया. उस दिन नशे में उस की हालत ऐसी हो गई थी कि उसे चला तक नहीं जा रहा था. उस की हालत को देखते हुए श्रेया उसे अपने साथ अपने फ्लैट पर ले आई. रात के किसी वक्त जब रामेंदु की आंखें खुलीं तो देखा कि वह एक आरामदेह बिस्तर पर था. उस समय उस के जिस्म पर कोई कपड़ा नहीं था और बगल में उस का वो खूबसूरत ख्वाब था, जिस की चाहत में वह हर रोज जिज्जी डांस बार जाता था.
“क्या कर्नल साहब, इतना पसंद करते हो हमें तो बता क्यों नहीं दिया.” बगल में लेटी 21 वर्षीय श्रेया ने रामेंदु के सीने के बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा.
“आप हैं ही इतनी खूबसूरत कि आप से मिलने की चाहत रोज आप के पास खींच लाती है.” रामेंदु ने भी मन की बात कह डाली.
“चाहत थी तो एक बार इजहार कर देते. हमें भी तो आप जैसे दोस्त की चाहत है.” कहते हुए श्रेया ने अपने अधर उस के होंठों पर रख दिए.
फिर क्या था, थोड़ी ही देर में दोनों जिस्म एक हो गए. उस रात रामेंदु को श्रेया ने वो चरमसुख दिया, जो रामेंदु को कभी अपनी नईनवेली पत्नी से नहीं मिला था. उस रात श्रेया और रामेंदु के बीच जो रिलेशन बने, उस के बाद तो दोनों के रिश्ते ऐसे परवान चढ़े कि पहले कुछ दिन वे एक प्रेमीप्रेमिका की तरह मिलते रहे और एकदूसरे को प्यार करते रहे, लेकिन कुछ ही महीनों में दोनों सिलीगुड़ी में एक निजी मकान ले कर पतिपत्नी की तरह रहने लगे.
श्रेया ने अब डांस बार में काम करना छोड़ दिया था. वक्त तेजी से गुजरने लगा. हालांकि 1-2 महीने में रामेंदु देहरादून में अपनी पत्नी से मिलने जरूर जाता था, लेकिन इस दौरान उसे श्रेया हर वक्त याद रहती. ऐसा लगने लगा था कि श्रेया उस की जिंदगी है. लेकिन अचानक अगस्त 2022 में लेफ्टिनेंट कर्नल रामेंदु उपाध्याय का देहरादून के क्लेमन टाउन में ट्रांसफर हो गया. 4 अगस्त, 2022 को उस ने वहां जौइन भी कर लिया. पंडितवाड़ी में उस का घर भी था और परिवार भी था. लेकिन न जाने क्यों उस की जिंदगी में श्रेया के बिना एक अधूरापन और उदासी सी छाई थी.
कुछ रोज में ही श्रेया के बिना जिंदगी बेजान सी हो कर रह गई. लिहाजा पत्नी से काम का बहाना कर के रामेंदु सिलीगुड़ी गया और वहां से श्रेया को अपने साथ देहरादून ले आया. अभी तक रामेंदु ने सोचा नहीं था कि श्रेया को कहां और कैसे रखना है. इसलिए रामेंदु ने उसे क्लेमनटाउन के ही एक होटल में रहने के लिए कमरा दिलवा दिया.
जिंदगी एक बार फिर रंगीन हो गई. दिन में सेना की नौकरी और रात में होटल जा कर श्रेया की बाहों में वक्त गुजारना, यही रामेंदु की दिनचर्या बन गई. परिवार के पास तो वह बस नाम के लिए ही जाता था.
कर्नल की पत्नी को हुआ शक
लिहाजा उस की पत्नी सविता को शक हो गया. सविता ने पति की निगरानी और पीछा शुरू किया तो जल्द ही उस के सामने यह राज खुल गया कि होटल में रह रही एक युवती से रामेंदु के संबंध हैं. इस बात पर पतिपत्नी में झगड़ा हुआ और दबाव में आ कर रामेंदु ने समय से घर आनाजाना शुरू कर दिया.
उधर मुलाकात नहीं होने के कारण श्रेया रामेंदु से नाराज हो गई और एक दिन बोली, “अगर मुझ से मुलाकात नहीं करनी थी तो मुझे यहां लाने की क्या जरूरत थी.”
परेशान रामेंदु ने कहा, “देखो श्रेया, अभी यहां मामला कुछ गड़बड़ हो गया है इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम कुछ दिनों के लिए सिलीगुड़ी ही चली जाओ.”
“सिलीगुड़ी में क्या मेरी फैक्ट्री चल रही है जो वहां चली जाऊं. न काम है न कोई धंधा, मैं वहां क्या करूंगी और खर्चा कैसे चलेगा.” कर्नल की बात सुन कर श्रेया ने भड़कते हुए कहा.
“अरे परेशान क्यों होती हो जानू, बस कुछ ही दिन की तो बात है. जब पत्नी को थोड़ा विश्वास हो जाएगा तो मैं तुम्हें फिर ले आऊंगा और अब की बार हमेशा के लिए आओगी तुम. जहां तक खर्च और पैसे की बात है तो चिंता मत करो, तुम्हारा सारा खर्च हमेशा की तरह मैं ही उठाऊंगा,” रामेंदु ने भरोसा दिलाते हुए कहा.
इस तरह रामेंदु ने श्रेया को कुछ पैसे दे कर और फिर वापस लाने का वायदा कर वापस सिलीगुड़ी भेज दिया. इस तरह करीब एक महीना बीत गया. रामेंदु की पत्नी सविता को भी यकीन हो गया कि उस के पति का अब किसी से कोई चक्कर नहीं है.
करीब डेढ़ महीने बाद जब उसे श्रेया की याद सताने लगी तो उस ने श्रेया को फोन कर फिर से देहरादून बुला लिया. लेकिन इस बार उस ने श्रेया को अपने घर व औफिस से दूर राजपुर रोड के एक होटल में ठहरा दिया.
श्रेया खुद को समझने लगी कर्नल की पत्नी
अपने प्यार को समीप पा कर जिंदगी एक बार फिर ढर्रे पर आ गई. लेकिन इस प्यार की खातिर अब उस की जेब ढीली होने लगी थी. क्योंकि महंगे होटल में रहने से ले कर खाने और शराब के खर्चों के साथ श्रेया की शौपिंग के खर्चों ने रामेंदु उपाध्याय की जेब का बजट बिगाड़ दिया था.
लिहाजा कुछ दिन होटल में रखने के बाद उस ने क्लेमनटाउन में एक फ्लैट किराए पर लिया और श्रेया को वहां रख दिया. धीरेधीरे दोनों ने वहां अपनी गृहस्थी बसा ली.
कुछ दिन तो सब कुछ सही तरीके से चला. साथ रहते रहते श्रेया अब पूरी तरह खुद को रामेंदु की पत्नी मानने लगी थी. बस एक ही कमी थी कि वह पूरे समय और स्थाई उस के साथ नहीं रहता था. इसलिए श्रेया अब अकसर रामेंदु पर साथ रहने और पत्नी का दरजा देने का दबाब बनाने लगी. शुरू में तो रामेंदु ने इसे केवल श्रेया की महत्त्वाकांक्षा समझा, लेकिन जब वह लगातार इस बात की जिद करते हुए उस के साथ झगड़ा और गालीगलौज करने लगी तो रामेंदु को उस की बातें अखरने लगीं.
वकील ने अजीम से पूछ कर तारीख ले ली. 3 तारीखें यूं ही निकल गईं. चौथी तारीख पर मैं ने उसे जिरह के लिए तलब कर लिया. उस की पूरी तैयारी नहीं थी. उस ने जवाब में लिखा था कि ताहिरा उस की बीवी जरूर थी, लेकिन वह शादी के कुछ दिनों बाद ही सारे गहने ले कर अपने किसी यार के साथ भाग गई थी. बदनामी के डर से उस ने रिपोर्ट नहीं लिखाई. वह खुद घर छोड़ कर गई थी. इसलिए उस ने मेंटीनेंस एलाउंस लेने से मना कर दिया था.
सच बोलने का हलफ लेने के बाद मैं ने पूछा, ‘‘बुखारी साहब, बेगम ताहिरा का दावा है कि वह आप की कानूनी और शरई बीवी है. इस पर आप क्या कहना है?’’
‘‘जो बीवी महीनों से घर से गायब हो, उस का होना भी न होने के बराबर है.’’ अजीम ने जवाब में कहा तो जज ने टोका, ‘‘जज्बाती बयानबाजी की जरूरत नहीं है. हां या ना में जवाब दो.’’
उस ने जल्दी से कहा, ‘‘जी हां, वह शरई और कानूनी लिहाज से मेरी बीवी है, लेकिन प्रैक्टिकली कुछ भी नहीं है.’’
‘‘आप ने जवाब में लिखा है कि शादी के कुछ दिनों बाद वह अपने किसी यार के साथ भाग गई थी. क्या आप उस ‘यार’ का नाम बताएंगे?’’ मैं ने पूछा.
‘‘मैं नाम कैसे बता सकता हूं. ऐसे काम कोई बता कर थोड़े ही करता है.’’ अजीम झुंझलाया.
‘‘यानी आप को ‘यार’ का नाम नहीं मालूम,’’ मैं ने कहा, ‘‘यह तो बता ही सकते हो कि वह रहने वाला कहां का था?’’
‘‘मुझे उस के बारे में कुछ नहीं पता.’’
‘‘आप को उस के बारे में कुछ नहीं पता?’’
इस बार जवाब उस के बजाय वकील ने दिया, ‘‘मेरे मुवक्किल ने अपने बयान में अंदेशा जाहिर किया है कि वह अपने किसी दोस्त के साथ भाग गई थी.’’
‘‘शुक्रिया वकील साहब,’’ मैं ने कहा, ‘‘इस का मतलब भागने का अंदेशा है यानी इस का कोई सुबूत आप के पास नहीं है.’’
मैं ने अगला सवाल किया, ‘‘आप का कहना है कि आप ने बदनामी की वजह से रिपोर्ट नहीं की. इस का मतलब आप ने सोच रखा था कि वह आएगी तो आप उसे रख लेंगे?’’
‘‘जी नहीं, यह तो कोई बेशरम आदमी ही सोच सकता है.’’
‘‘यानी आप उसे तलाक देना चाहते हैं?’’
‘‘जाहिर है, ऐसे में आदमी तलाक ही देगा.’’
‘‘बुखारी साहब, इस हादसे को 9 महीने हो चुके हैं, फिर आप ने अभी तक तलाक नहीं दिया?’’
‘‘मैं ने उस का खयाल ही दिल से निकाल दिया था.’’
‘‘ताहिरा की ओर से आप को एक नोटिस भेजी गई थी, जिस का आप ने जवाब भी दिया था?’’
‘‘जी हां.’’
मैं ने उस की नोटिस जज के सामने रखते हुए कहा, ‘‘बुखारी साहब, आप ने अपने जवाब में लिखा है कि ताहिरा घर बसाने लायक नहीं है, क्योंकि उस ने पहली शादी की बात छिपाई थी. वह मनहूस भी थी, जिस की वजह से आप का काफी नुकसान हुआ.’’
‘‘वकील साहब, मैं इस मामले को तूल नहीं देना चाहता, पर यह सच है कि वह मनहूस है.’’
‘‘बुखारी साहब, आप की दादीदादा और नाना कब मरे थे?’’
‘‘9-10 साल तो हो ही गए होंगे.’’
‘‘क्या आप अदालत को बताएंगे कि आप के दादादादी और नाना की मौत किस मनहूस की वजह से हुई थी?’’
‘‘वे तो अपनी मौत मरे थे.’’
‘‘फिर तो 82 साल की बूढ़ी आप की नानी भी अपनी मौत ही मरी होंगी? इस में ताहिरा को क्यों जोड़ दिया?’’
‘‘वकील साहब, ये बातें आप नहीं समझेंगे.’’
अब मैं जज से मुखातिब हुआ, ‘‘सर, इन की बातों से यह बात सामने आती है कि अजीम बुखारी अंधविश्वासी और कान का कच्चा आदमी है. इस ने इसी बात को ढाल बना कर अच्छी और समझदार बीवी को घर से निकाल दिया है.’’
जज से इतना कह कर मैं बुखारी की ओर मुड़ा, ‘‘बुखारी साहब, आप ने अभी कहा था कि ताहिरा मनहूस थी, इसलिए उसे घर से निकाल दिया है. जबकि जवाब में आप ने लिखा है कि वह अपने यार के साथ भाग गई थी. अब इस में कौन सी बात सही है?’’
‘‘वह घर से भाग गई थी.’’
‘‘यानी आप स्वीकार कर रहे हैं कि आप ने झूठ बोला था. जो आदमी एक बार झूठ बोल सकता है, वह बारबार झूठ बोल सकता है.’’
‘‘आप जो भी समझें. मुझे जो कहना था मैं ने कह दिया.’’
‘‘बुखारी साहब, आप नौकरी के साथसाथ कारोबार भी करते हैं. आप को तनख्वाह तो मिलती ही है, कारोबार से भी ठीकठाक कमा लेते हैं. शादी के बाद आप ने अपने कारोबार में 1 लाख रुपए लगाए थे, जो आप के पास आप की बीवी के अमानत थे.’’
‘‘यह इल्जाम है. मैं किसी 1 लाख के बारे में नहीं जानता.’’
मैं ने बैंक स्लिप की फोटो कौपी दिखाते हुए कहा, ‘‘यह रकम मेरी मुवक्किल ने आप को दी थी, जिसे शादी के चौथे दिन आप ने अपने खाते में जमा कराया था.’’
‘‘वह मेरी अपनी रकम थी.’’
‘‘इतनी बड़ी रकम आप के हाथ कहां से लगी थी?’’ मैं ने पूछा.
बुखारी के वकील ने आगे बढ़ कर कहा, ‘‘सर, यह मेरे मुवक्किल का निजी मामला है. उसे रकम के बारे में बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.’’
अदालत ने इस तरह के सवाल पूछने से मना कर दिया. इसी के साथ अदालत का वक्त खत्म हो गया. बुखारी का वकील काफी लंबी तारीख लेना चाहता था, लेकिन मैं ने कहा कि जिरह अभी मुकम्मल नहीं हुई है, इसलिए अगले दिन की तारीख दे दी जाए. अदालत ने अगले दिन की तारीख दे दी.
शाम को अजीम बुखारी अपनी नई बेगम यासमीन के साथ मेरे औफिस आया. यासमीन ने कहा, ‘‘वकील साहब, आप ने तो समझौता कराने का वादा किया था?’’
‘‘वादा तो किया था, लेकिन मेरी मुवक्किल समझौता के लिए राजी नहीं है.’’
‘‘आखिर वह चाहती क्या है?’’ अजीम बुखारी ने नफरत से पूछा.
‘‘उस की पहली ख्वाहिश है कि किसी तरह समझौता हो जाए. अगर समझौता नहीं होता तो वह अपना हक ले कर ही मामला खत्म करेगी. जिस के बारे में मैं आप को पहले ही बता चुका हूं.’’
‘‘वकील साहब, आप सीरियस हैं?’’ यासमीन ने कहा, ‘‘आप तो ऐसे कह रहे हैं, जैसे सभी चीजें अजीम के पास है.’’
‘‘जी हां, मैं सीरियस हूं. मैडम, आप अपने शौहर से पूछ सकती हैं. ताहिरा के गहने और रकम इन के पास है?’’
‘‘अजीम, तुम तो कह रहे थे कि यह सब झूठ है.’’
अजीम बुखारी नजरें चुराते हुए बोला, ‘‘मैं ने भी उस पर काफी पैसे खर्च किए हैं.’’
‘‘मि. बुखारी, जहां तक मुझे पता है, ताहिरा सिर्फ 21 दिन तुम्हारे घर में रही थी. इतने दिनों में तुम ने उस पर कौन सा कारू का खजाना लुटा दिया?’’
अजीम चुप रहा. यासमीन गुस्से से बोली, ‘‘बोलते क्यों नहीं, वकील साहब की बात का जवाब दो.’’
‘‘डियर, तुम भी किस बहस में उलझ गई. हम यहां लड़ने थोड़े ही आए हैं.’’ अजीम ने बात पलट दी.
क्या ताहिरा सच में मनहूस थी? जानने के लिए पढ़ें हिंदी इमोशनल कहानी का अंतिम भाग…
उस के बाद पुलिस हरकत में आई और नैना के घर से नीचे जाने वाली लिफ्ट से ही जांच की शुरुआत की. सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि 9 अगस्त, 2023 को एक अंजान व्यक्ति उस लिफ्ट में सवार हुआ था. पुलिस ने उस के बारे में नैना की बहन जया से पता किया तो उस ने बताया कि वह नैना का बौयफ्रेंड मनोहर शुक्ला है. उस के बाद पुलिस ने 9 से 14 अगस्त, 2023 की सीसीटीवी फुटेज निकाली तो उसी में अहम जानकारी मिल गई.
उसी फुटेज में मनोहर शुक्ला अपनी पत्नी व एक साल की बेटी के साथ नीला सूटकेस ले कर जाते हुए दिखाई दिया था. जबकि उस वक्त नैना उन दोनों के साथ नहीं थी. यह जानकारी मिलते ही डीजीपी रजनीश सेठ और पुलिस कमिश्नर मधुकर पांडे भी नैना के मकान पहुंचे.
लिफ्ट में मनोहर शुक्ला को एक सूटकेस के साथ जाते देख तुरंत ही नायगांव पुलिस ने वलसाड पुलिस से संपर्क किया. तब वलसाड पुलिस ने बताया कि 12 अगस्त, 2023 को एक नीले रंग के सूटकेस में युवती की लाश मिली थी, लेकिन काफी कोशिश के बाद भी जब मृतक की किसी ने भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी, जिस के कारण पुलिस ने काररवाई करते हुए उस की लाश का दाह संस्कार करा दिया था.
मनोहर के साथ लिवइन में रहती थी नैना
यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने 12 अगस्त को मिले शव वाले सूटकेस से उस का मिलान किया तो दोनों एक ही पाए गए. इस से साफ हो गया था कि नैना का बौयफ्रेंड फ्लैट से जो सूटकेस ले कर निकला था, उसी में नैना की लाश थी और उस का कातिल भी कोई और नहीं, उसी का दोस्त मनोहर शुक्ला ही था.
इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तुरंत ही मनोहर शुक्ला को पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में लिया. शुरू में तो मनोहर शुक्ला आनाकानी करता रहा, लेकिन पुलिस के मनोवैज्ञानिक सवालों के आगे वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका. उस ने अपना अपराध कुबूल कर लिया.
मनोहर शुक्ला ने नैना महतो की हत्या की हैरतअंगेज कहानी पुलिस के सामने बयां की.
कास्ट्यूम डिजाइनर मनोहर शुक्ला और नैना महतो काफी समय से रिलेशनशिप में थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. फिर ऐसा क्या हुआ कि मनोहर शुक्ला को अपनी प्रमिका को मौत के घाट उतारने के बाद सूटकेस में भर कर मुंबई से 150 किलोमीटर दूर स्कूटर पर रख कर फेंकना पड़ा. इस सब के दौरान आरोपी मनोहर शुक्ला की पत्नी और उस की एक मासूम बच्ची भी उन के साथ ही रही. इस केस के खुलने के बाद इस मामले में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.
नेपाल की मूल निवासी 28 वर्षीय नैना महतो साल 2016 में अपने भाई व बहन जया के साथ काम की तलाश में मुंबई आई थी. यहां पर आते ही तीनों ने पूर्वी मुंबई के वसई क्षेत्र में स्थित सनटेक सिटी टाउनशिप में एक छोटा सा मकान किराए पर ले लिया और साथसाथ रहने लगे.
तीनों भाईबहन पढ़े लिखे होने के साथसाथ देखने भालने में भी सुंदर थे. उसी सुंदरता के कारण तीनों को मुंबई में जल्दी ही काम भी मिल गया था. नैना और जया दोनों ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था, जिस की वजह से दोनों बहनों को मुंबई में ब्यूटीशियन के यहां पर काम मिल गया था.
मुंबई में काम करतेकरते दोनों बहनों ने काफी पैसा और शोहरत भी हासिल की. अलगअलग जगहों पर नौकरी करने की वजह से तीनों भाईबहन अलगअलग रह कर अपनाअपना काम संभालने लगे थे. उस समय तक दोनों बहनों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग ही पहचान भी बना ली थी. कुछ ही दिनों में जया ने अपनी नौकरी छोड़ कर अपना काम जमा लिया था. फिर नैना भी अपने घर पर रह कर ही संपर्क सूत्रों से अपना काम चलाने लगी थी.
धारावाहिक की शूटिंग पर हुई थी मनोहर से मुलाकात
वर्ष 2016 में नायगांव के एक टीवी धारावाहिक सेट पर नैना की मुलाकात मनोहर शुक्ला से हुई. महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थित है वसई विरार. यह मुंबई का उपनगर कहलाता है. 43 वर्षीय मनोहर शुक्ला यहीं का मूल निवासी था. मनोहर शुक्ला कौस्ट्यूम डिजाइनर था, जिस के कारण उस की फिल्मों, संगीत थिएटर और अन्य शो पेश करने वालों में अच्छी जानपहचान थी.
मनोहर शुक्ला से जानपहचान होते ही नैना महतो के जैसे पंख लग गए थे. फिर मनोहर शुक्ला के सहारे उस का काम भी ठीकठाक चल निकला था. उसी सब के चलते कुछ ही दिनों में मनोहर शुक्ला से नैना की पक्की दोस्ती हो गई. धीरेधीरे वही दोस्ती फिर प्यार में बदल गई. उस के प्यार में डूब कर मनोहर शुक्ला नैना के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा था.
समय के साथ सब कुछ बदला. नैना ने कुछ ही दिनों में अपना सब कुछ मनोहर शुक्ला को समर्पण कर दिया. दोनों के बीच प्यार की सीमा लांघ कर शारीरिक संबंध भी बन गए. नैना मनोहर शुक्ला को अपना पति मानने लगी थी. उस के बाद दोनों ही एक साथ घर से काम के लिए निकलते और साथसाथ ही घर लौटते थे.
उसी दौरान वर्ष 2019 में एक दिन मनोहर शुक्ला अपने स्कूटर से नैना को विरार में जीवनदानी मंदिर घुमाने ले गया. मंदिर में दर्शन करने के बाद मनोहर शुक्ला ने नैना को बताया कि बहुत ही जल्दी उस की किसी युवती के साथ शादी होने वाली है.
“अच्छा तो कब कर रहे हो शादी और वह कौन खुशनसीब है?” कहते ही नैना ने मनोहर शुक्ला की कमर में हाथ डालते हुए अपना सिर उस के कंधे पर टिका दिया था. मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना का रोमरोम खिल उठा था. तभी उस के मन में खयाल आया कि इसीलिए वह आज उसे मंदिर में घुमाने लाया है.
नैना को पूरी उम्मीद थी कि वह उसी के बारे में बात कर रहा है. तभी मनोहर शुक्ला ने कहा, “तुम्हें मेरी शादी की बात सुन कर तनिक भी दुख नहीं हुआ.”
“इस में दुख की क्या बात है. मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रही हूं और आप दुख की बात कर रहे हो.”
“नैना तुम्हें मेरी शादी से दुख हो या न हो लेकिन मुझे तो बहुत दुख हो रहा है.”
“मैं आप का मतलब नहीं समझी,” मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना चौंकी.
तब मनोहर शुक्ला ने बताया, “मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं, बल्कि किसी और लडक़ी के साथ होने वाली है. मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए एक लडक़ी ढूंढ ली है. मैं ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मेरी एक भी सुनने को तैयार नहीं. इतना ही नहीं, घर वालों ने उस लडक़ी के साथ मेरी सगाई भी कर दी.”
मनोहर शुक्ला ने नैना को सारी हकीकत बता दी थी. प्रेमी की यह बात सुनने के बाद भी नैना उस की बात पर विश्वास करने को तैयार न थी.
मनोहर शुक्ला की बात सुनते ही नैना को बहुत गहरा सदमा लगा. वह जैसेतैसे कर के मनोहर के साथ अपने घर पहुंची. घर पहुंचते ही दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया. उस दिन उसी मनमुटाव के चलते दोनों के बीच बात इतनी बढ़ी कि मनोहर शुक्ला उस पर हाथ छोडऩे को तैयार हो गया था.
उस रात नैना ने न तो खाना बनाया और न ही कुछ खाया था. उस के कारण मनोहर शुक्ला को भी खाली पेट ही सोने पर मजबूर होना पड़ा. अगली सुबह होते ही मनोहर शुक्ला नैना को बिना कुछ बताए ही वहां से चला गया. घर से निकलते ही उस ने अपना मोबाइल भी स्विच औफ कर लिया था.
इस बारे में जांच की तो पता चला कि पुष्पेंद्र की मौत के बाद उस के घर वालों ने तय कर लिया था कि सुशीला की शादी पुष्पेंद्र के छोटे भाई मनोज से करा देंगे, मनोज गांव में रह कर खेती संभालता था.
मनोज को लगा कि इस से भाई की मौत पर मिलने वाले पैसे भी उस को मिल जाएंगे. अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति भी सुशीला को मिल जाएगी, लेकिन इधर जब सुधा चौधरी को पुष्पेंद्र की मौत पर रुपयों की एक किस्त मिल भी गई थी तो मनोज को लगा कि इस तरह उस के सारे मंसूबों पर पानी फिर जाएगा.
ऐसे में मनोज ने डेढ़ महीने पहले से सुधा के मर्डर की प्लानिंग शुरू कर दी थी. उस ने सोचा कि सुधा की हत्या के बाद रुपए सुशीला को मिल जाएंगे और प्रौपर्टी में भी बंटवारा नहीं हो सकेगा.
5 लाख रुपए में दी सुधा की हत्या की सुपारी
ऐसे विचार मन में आए तो मनोज अपनी भाभी सुधा का मर्डर करवाने के लिए शूटर की तलाश करने लगा. मगर उसे कोई शूटर नहीं मिला. मनोज तब अपनी दूसरी भाभी सुशीला के भाई माधव व सुशीला के चचेरे भाई शिशुपाल निवासी बैरू का नगला, जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश से मिला.
मनोज ने सुशीला के दोनों भाइयों माधव और शिशुपाल से कहा, “सुधा का मर्डर करवा दो. हमारी संपत्ति को ले कर मामला चल रहा है. हम लोग बरबाद हो रहे हैं. सुधा की मौत के बाद सारी संपत्ति सुशीला और मेरी हो जाएगी.”
“मनोज, मर्डर तो हो जाएगा लेकिन पैसे खर्च करने पड़ेंगे. पैसों के लिए शूटर की लाइन लगा दूंगा.” माधव ने कहा.
“कितने रुपए लगेंगे सुधा के मर्डर के?” मनोज ने पूछा.
“5 लाख खर्च करने पड़ेंगे. मैं काम करवा दूंगा.” शिशुपाल बोला.
सुधा की मौत के लिए 5 लाख में सौदा तय हो गया. माधव जाट ने एक नाबालिग से संपर्क किया, जो उस की जानपहचान का था एवं भरतपुर का रहने वाला था. माधव ने उस से सुधा का मर्डर करवाने के लिए 5 लाख में सौदा तय कर लिया.
मनोज ने 4 हजार रुपए एडवांस में दे दिए. बाकी रकम काम हो जाने के बाद देने का वादा किया. सुधा के मर्डर से 2 दिन पहले माधव ने 22 जून, 2023 को नाबालिग को 2 कट्टे ला कर दे दिए. नाबालिग और माधव ने सुधा की पहचान कर ली. उन्हें पता था कि सुधा सुबह भरतपुर में स्थित अपने गैस प्लांट जाती है और शाम के समय में नदबई वापस लौटती है.
24 जून, 2023 को बाइक पर आगे माधव व पीछे नाबालिग नदबई बस स्टैंड पर निगाह जमाए दोपहर बाद से खड़े थे. शाम करीब 4 बजे जब सुधा बस से उतर कर बेटे अनुराग के साथ स्कूटी पर घर के लिए निकली तो ये दोनों उस का पीछा करने लगे. रास्ते में सुधा ने खरीदारी की.
इस के बाद जब स्कूटी पर मांबेटा रवाना हुए तो माधव ने बाइक स्कूटी के पीछे भगा दी. कासगंज रोड पर मौका मिलते ही माधव ने बाइक जब स्कूटी के बराबर की तो नाबालिग ने दोनों कट्टों को दोनों हाथों में लिया और सुधा पर गोलियां दाग दीं और फरार हो गए.
अनुराग ने माधव जाट को पहचान लिया था. हत्या वाले दिन 24 जून, 2023 को भी मनोज दोनों शूटरों के संपर्क में था. जब उसे खबर मिल गई कि सुधा की हत्या कर दी गई है तो मनोज भी जयपुर भाग गया था.
पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी
मनोज के द्वारा शूटर के बारे में दी जानकारी के बाद पुलिस टीमें उत्तर प्रदेश रवाना हो गईं. 26 जून, 2023 को नदबई थाने की पुलिस ने आरोपी मनोज को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. पुलिस ने आरोपी माधव, शिशुपाल व एक नाबालिग के फरार होने के बाद उन तीनों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया था.
एसएचओ श्रवण पाठक को 27 जून, 2023 को आरोपियों माधव जाट और शिशुपाल जाट की मोबाइल लोकेशन मथुरा की मिली थी. पुलिस टीम राजस्थान से उत्तर प्रदेश पहुंच कर तलाश कर रही थी.
पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि माधव और शिशुपाल एक नाबालिग के साथ धनवाड़ा पूंठ की खदानों में छिपे हुए हैं. वे तीनों रात को कहीं बाहर जाने की फिराक में हैं. फिर क्या था, पुलिस टीम अंधेरा घिरते ही धनवाड़ा पूंठ की खदानों में आरोपियों की तलाश में जुट गए.
पुलिस टीम जब सर्च करते हुए एक बंद पड़ी खदान में पहुंची तो तीनों आरोपी वहां से भागने लगे, पुलिस टीम ने पीछा किया. हड़बड़ाहट में तीनों आरोपी खदान में दौड़ते समय गिर कर घायल हो गए. पुलिस टीम ने उन तीनों को हिरासत में लिया और तीनों को कुम्हेर अस्पताल ले गए. जहां से तीनों आरोपियों का प्राथमिक उपचार करा कर भरतपुर के सरकारी अस्पताल आरबीएम ले आई.
माधव, शिशुपाल और नाबालिग से पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. सुधा चौधरी की हत्या का जुर्म कुबूल करने के बाद नाबालिग को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया गया. वहीं आरोपियों माधव जाट और शिशुपाल जाट का आरबीएम सरकारी अस्पताल, भरतपुर में 28 जून, 2023 को इलाज कराया. उन के पैरों में चोट लगी थी, इस कारण प्लास्टर किया गया था.
चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सुधा चौधरी हत्याकांड का पूरी तरह खुलासा हो चुका था. एसपी मृदुल कच्छावा ने 28 जून, 2023 को प्रैसवार्ता कर सुधा चौधरी हत्याकांड का खुलासा कर दिया.
पुलिस ने सुशीला एवं अन्य से पूछताछ की. मगर उन की संलिप्तता सुधा मर्डर में कहीं नजर नहीं आई. कथा संकलन तक आरोपियों माधव और शिशुपाल जाट का अस्पताल में इलाज चल रहा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सालों बाद जानीपहचानी गलियों से गुजरते हुए मुझे खुशी भी हो रही थी और अफरोज की याद भी आ रही थी. मैं सोच रहा था कि वह अपने अब्बू की एकलौती बेटी थी, इसलिए मलिक साहब का पुश्तैनी मकान उसी को मिला होगा. अगर उस ने और उस के पति ने मकान बेचा नहीं होगा तो संभवत: वह उसी मकान में रह रही होगी.
अगर ऐसा हुआ तो उस के दर्शन हो सकते थे. मैं उसे एक नजर देखना चाहता था, उस के पति को भी और शायद बच्चों को भी. लेकिन मेरे पास कोई बहाना नहीं था, उस मकान का दरवाजा खटखटाने का.
मैं सोच में डूबा आगे बढ़ रहा था. मोड़ से घूम कर जब मैं ने मकान नंबर 7 के सामने जा कर साइकिल की घंटी बजाई तो अंदर से अधेड़ उम्र की औरत ने चिक हटा कर बाहर झांका, तब तक मैं आगे बढ़ गया था. उस ने पीछे से आवाज दी, ‘‘ओ भैया डाकिए, कोई चिट्ठी है क्या मेरी?’’
मैं ने पीछे मुड़ कर देखा, खिचड़ी बालों और ढलती उम्र के बावजूद उसे पहचानने में मुझे जरा भी देर नहीं लगी. वह अफरोज ही थी, जो अपनी उम्र से 10-15 साल ज्यादा की लग रही थी. मैं लौट कर उस के पास आ गया. मेरे अंदर आंधियां सी चल रही थीं, दिल बैठा जा रहा था. मुझे जैसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था. मैं ने आह सी भरते हुए पूछा, ‘‘तुम अफरोज ही हो न?’’
‘‘हां, और तुम वही जो मेरे गुलाबी खत लाया करते थे?’’ उस ने आश्चर्य से पूछा, जैसे यकीन न हो रहा हो.
‘‘हां, वही हूं.’’ मैं ने डूबे से स्वर में कहा.
‘‘इतने दिन बाद मिले हो, चाय तो पीते जाओ. मुझे अच्छा लगेगा.’’ उस ने आग्रहपूर्वक कहा तो मैं साइकिल खड़ी कर के अंदर चला गया. मेरे मन में उस गुलाबी खत वाले को देखने की इच्छा थी, जो अफरोज का शौहर बना होगा और जिस की वजह से उस की यह हालत हुई होगी.
अंदर घर का हाल 19 साल पहले जैसा ही था. कहीं कोई बदलाव नहीं, अफरोज ने मुझे बैठने के लिए कुरसी दी. मैं ने इधरउधर देखा. घर में न कोई बच्चा था, न कोई और. वह चाय बनाने जाने लगी तो मैं ने पूछ लिया, ‘‘वह गुलाबी खत वाले साहब नजर नहीं आ रहे अफरोज?’’
अफरोज ने एक ठंडी सांस ली, फिर बोली, ‘‘वह खत तो मैं खुद ही लिखती थी, अपने खत अपने लिए.’’
‘‘लेकिन क्यों?’’
‘‘ताकि तुम खत पहुंचाने आओ और मैं एक नजर तुम्हें देख सकूं. मुझे प्यार हो गया था तुम से, मुझे पता नहीं था कि प्यार इतना खतरनाक होता है.’’
मुझे काटो तो खून नहीं, मैं बुत बना बैठा रहा. अपने शब्दों से मेरी चुप्पी का ताला उस ने ही खोला, ‘‘चाह कर भी कभी कह नहीं सकी, शायद अब्बा की वजह से. सोचती थी, किसी न किसी दिन कहूंगी जरूर. लेकिन तुम ने आना ही बंद कर दिया.’’
मुझ में कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी, पर उस की बात सुनने के बाद सदमे से निकलने के लिए कुछ कहना तो था ही, सो बोला, ‘‘तुम्हारे अब्बा तुम्हें ले कर चिंतित रहते थे. मुझ से तुम्हारी शादी के बारे में जिक्र भी किया था उन्होंने. मेरे मन में उम्मीद भी जगी थी और मैं उन से बात भी करना चाहता था, लेकिन यह सोच कर चुप रह गया था कि तुम तो गुलाबी खत वाले से प्यार करती हो, रोजाना खत लिखता है वह तुम्हें.’’
‘‘नहीं, कोई नहीं था मेरी जिंदगी में तुम्हारे अलावा.’’ उस ने नजरें झुका कर दुखी स्वर में कहा तो मैं ने पूछा, ‘‘तुम ने शादी की या नहीं?’’
‘‘नहीं, यह सोच कर बरसों तक तुम्हारा इंतजार करती रही कि शायद तुम फिर लौट कर आओगे, पर तुम नहीं आए. फिर अब्बा नहीं रहे तो अकेली रह गई. धीरेधीरे यह सोच कर इंतजार करना भी छोड़ दिया कि तुम ने अपनी गृहस्थी बसा ली होगी. गुजरबसर तो करनी ही थी, सो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी. अब तो अपने आप को ही भूल गई हूं.’’
मेरी आंखों से आंसुओं का झरना फूटने को तैयार था और वह दरिया की तरह शांत थी. अचानक उस ने पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है? देखा, प्यार तो कर लिया पर नाम कभी नहीं पूछा. मौका ही कहां मिला था.’’
‘‘अशरफ.’’
हिम्मत नहीं थी, जरूरत भी नहीं. फिर भी मैं ने सवाल किया, ‘‘अब भी प्यार करती हो मुझ से?’’
‘‘नहीं, न तुम से न अपने आप से. अब मैं सिर्फ उन बच्चों से प्यार करती हूं, जो मेरे पास पढ़ने आते हैं. किसी के प्यार की निशानी हैं.’’
मैं बुझे दिल से उठा और साइकिल उठा कर निकल आया मोहब्बत वाली उस गली से.