
रीता की तहरीर पर पुलिस ने दीपक कपूर व नीरू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने नीरू को थाने बुला कर उस से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अपनी सास की हत्या उसी ने की थी. दीपक का इस में कोई हाथ नहीं था, लेकिन पुलिस के सख्ती करने पर नीरू ने कुबूल किया कि हत्या में दीपक कपूर भी साथ था. फिर नीरू ने मीरा की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी:
प्रेमी गौरव कपूर की हत्या के बाद नीरू दुखी रहने लगी थी. इस के लिए वह सास को ही कुसूरवार मान रही थी. क्योंकि वही जेल में बंद पति से मिल कर उस के कान भरती थी. इसीलिए उस के पति ने गौरव को मरवा दिया था.
नीरू ने फैसला कर लिया था कि जिस तरह गौरव को तड़पा तड़पा कर मारा गया था, उसी तरह वह सास को भी तड़पा तड़पा कर मारेगी. सास की हत्या कैसे की जाए, इस बारे में उस ने दीपक के साथ सलाहमशविरा किया. फिर दोनों ने एक योजना बना ली. योजना के अनुसार 12 फरवरी, 2014 की शाम को उस ने दीपक को अपने घर बुला लिया. उस समय उस का बेटा कशिश भी घर पर था. बेटे को उस ने फोन रिचार्ज कराने के लिए घर से बाहर भेज दिया.
सास मीरा यादव उस समय कमरे में सोफे पर बैठी थी. नीरू ने सास के सिर पर जमीन में गड्ढा खोदने वाले सब्बल का भरपूर वार किया. एक ही बार में मीरा का सिर फट गया और वह सोफे पर लुढ़क गई. इस के बाद उस ने कई और वार उस के ऊपर किए. थोड़ी देर तड़पने के बाद मीरा यादव की मौत हो गई. सास की हत्या कर के नीरू को बड़ा सुकून मिला.
सास की हत्या करने के बाद सब्बल को उस ने छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रख दिया और दीपक के चले जाने के बाद पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के सास की हत्या की सूचना दे दी. जिस सब्बल से मीरा यादव की हत्या की गई थी, उसे बरामद करना भी जरूरी था.
नीरू ने बताया था कि वह सब्बल उस ने अपने घर में ही छिपा दिया है. थानाप्रभारी ने वह सब्बल बरामद करने के लिए एसआई हरिशंकर मिश्रा, राजेश यादव, महिला सिपाही श्यामा देवी और प्रीती शाक्य को नीरू यादव के साथ उस के फ्लैट पर भेजा. नीरू ने चौथी मंजिल पर स्थित फ्लैट में पहुंच कर छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रखा सब्बल निकाल कर पुलिस को दे दिया.
पुलिस फर्द बरामदगी की काररवाई करने लगी, तभी मौका देख कर नीरू अपने बेटे कशिश को ले कर कमरे में जाने लगी, तो महिला सिपाहियों ने उसे रोकने की कोशिश की. उसी दौरान उस ने अपने पालतू कुत्ते को उन पर छोड़ दिया. दोनों सिपाही डर के मारे पीछे हट गईं. मौका देख नीरू ने झट से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.
पुलिस ने आवाज लगा कर नीरू से दरवाजा खोलने को कहा, लेकिन उस ने दरवाजा नहीं खोला. इसी दौरान एसआई राजेश कुमार के पास थानाप्रभारी का फोन आया तो राजेश ने उन्हें नीरू वाली बात बताते हुए तुरंत फोर्स भेजने को कहा.
गौरव कपूर की हत्या की तफ्तीश पूरी होने से पहले पुलिस के सामने मीरा यादव की हत्या का मामला सामने आ गया था. इन बातों को देख कर थाना प्रभारी को यह अंदेशा हो रहा था कि कहीं कमरे में बंद हो कर नीरू कोई उल्टासीधा काम न कर बैठे, जिस से नई समस्या पैदा हो जाए. इसलिए वह आवश्यक पुलिस बल के साथ खुद भी उस के घर पहुंच गए. लेकिन वहां उस का कुत्ता खुला हुआ देख कर वह भी घबरा गए.
देखने में वह कुत्ता खतरनाक लग रहा था. हिम्मत कर के थानाप्रभारी आगे बढ़े तो कुत्ते ने उन पर हमला कर के उन्हें घायल कर दिया. किसी तरह कुत्ते को काबू में किया गया. उसी समय फ्लैट में जलने की बू आने लगी और धुआं निकलता हुआ दिखा. यह देख कर पुलिस के हाथपांव फूल गए, क्योंकि फ्लैट के अंदर नीरू अपने बेटे के साथ मौजूद थी. पुलिस ने दरवाजा तोड़ना शुरू कर दिया.
किसी तरह 2 दरवाजे तोड़ने के बाद पुलिस अंदर पहुंची तो वहां आग लगी थी, धुआं फैला था. आसपास के फ्लैटों में रहने वाले लोगों ने अपने यहां से पानी ला कर आग बुझाई. धुआं छटा तो नीरू और उस के 13 वर्षीय बेटे की तलाश शुरू की गई. दोनों कहीं नहीं दिखे तो बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया. मांबेटे वहीं मिले, लेकिन बाथरूम में काफी मात्रा में खून फैला हुआ था, वह खून उन की कलाई से बह रहा था. नीरू ने अपनी और बेटे की जान लेने की गरज से नस काट ली थी.
पुलिस ने तुरंत दोनों को एक निजी अस्पताल पहुंचाया. फलस्वरूप उन की जान बच गई. चूंकि नीरू सास की हत्या की अभियुक्त थी, इसलिए पुलिस उसे थाने ले आई. कत्ल के अलावा पुलिस ने उस पर पुलिस के काम में बाधा डालने, आत्महत्या का प्रयास करने तथा बेटे की नस काट कर हत्या का प्रयास करने की धाराएं 309, 353, 352, 307 भी जोड़ दीं.
पूछताछ करने के बाद पुलिस ने नीरू को अदालत पर पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अगले दिन दीपक को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने भी हत्या की बात कुबूल कर ली. उसे भी न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. दूसरी ओर दीपक के परिजनों का कहना है कि दीपक बेकुसूर है. उस का मीरा और नीरू से कोई लेनादेना नहीं था. उसे जबरदस्ती फंसा कर जेल भेजा गया है.
—कथा पुलिस सूत्रों, मीडिया रिपोर्टों पर आधारित
25 मई, 2023 को डीसीपी सी.एच. रूपेश ने पुलिस लाइंस में प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित की और 8 दिनों से रहस्य बनी सिर कटी लाश का परदाफाश करते हुए आरोपी चंद्रमोहन को पेश किया. आरोपी बी. चंद्रमोहन ने पत्रकारों के सामने भी अपना जुर्म कुबूल किया. उस के बाद पुलिस ने उसे अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया. जेल जाते समय बी. चंद्रमोहन को अपने किए पर जरा भी पछतावा नहीं था.
पुलिस पूछताछ में अनुराधा रेड्डी हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
55 वर्षीय यारम अनुराधा रेड्डी मूलरूप से तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के दिलखुश नगर की रहने वाली थी. 4 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी, उस से छोटे 2 भाई और एक बहन थी, पिता किसान थे तो मां एक कुशल गृहिणी थीं. पिता ने अपनी सामथ्र्य के अनुसार चारों बच्चों को पढ़ाया और समयानुसार उन की शादियां कर के अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए थे. बेटियां अपनी ससुराल चली गईं तो बहू के पायल की मधुर छमछम से घरआंगन गूंज उठा था.
यारम अनुराधा रेड्डी बचपन से ही बड़ी जिद्दी थी. जिस काम को करने की ठान लेती थी तो उसे पूरा कर के ही दम भरती थी. इस के पीछे चाहे उस का बड़े से बड़ा नुकसान क्यों न हो जाए, परवाह नहीं करती थी. बस, उसे हासिल करना है तो करना है. यही उस का उद्देश्य होता था.
रमन रेड्डी के साथ पिता ने बेटी अनुराधा रेड्डी की गृहस्थी बसाई थी. हंसीखुशी दोनों की गृहस्थी चल रही थी. एक साल बाद अनुराधा ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के घर में आ जाने से पतिपत्नी दोनों का जीवन खुशियों से खिल उठा था. फिर न जाने उन की खुशियों को किस की बुरी नजर लगी कि अनुराधा रेड्डी का हंसताखेलता परिवार तिनका तिनका बिखर गया.
बेटी जब एक साल की थी तभी रमन रेड्डी की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई थी. पति का साथ छूट जाने के बाद अनुराधा एकदम अकेली पड़ गई थी, ऊपर से दुधमुंही बच्ची की परवरिश की जिम्मेदारी थी, सो अलग.
ऐसा नहीं था कि अनुराधा रेड्डी के सासससुर या मांबाप नहीं थे, बल्कि उस का पूरा घर भरा था नातेरिश्तेदारों से. लेकिन खुद्दार किस्म की वह किसी और से मदद लेना नहीं चाहती थी. वह अपने पैरों पर खड़ी हो कर बच्ची की परवरिश करना चाहती थी.
पति के दोस्त ने की थी काफी मदद
वह पढ़ीलिखी तो थी ही, काफी समझदार और खूबसूरत भी थी. उस ने एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में नर्स की नौकरी कर ली. वह अपने काम से इतना कमा लेती थी कि खुद की और बेटी की जरूरतों को पूरा कर के अच्छी रकम बचा लेती थी. लेकिन यहीं से उस की जिंदगी की कांटों भरी राह शुरू हो चुकी थी. संघर्ष की दीवानी अनुराधा ने कभी हार नहीं मानी. बल्कि संघर्ष की आग में तप कर कुंदन बनती रही.
अनुराधा रेड्डी के पति रमन रेड्डी के बचपन का दोस्त बी. चंद्रमोहन था, जो चैतन्यपुर मोहल्ले में अपनी मां के साथ अकेला ही रहता था. वह अपने मांबाप की इकलौती संतान था. इकलौता होने के नाते वह मांबाप का लाडला भी था.
रमन और चंद्रमोहन के बीच में गहरी दोस्ती थी. गहरी दोस्ती ऐसी जैसे धडक़न बिना दिल नहीं, सांस बिना जिस्म नहीं और चकई बिना चकवा नहीं. इतना गहरा याराना था दोनों के बीच में. रमन की मौत पर वह सब से ज्यादा दुखी हुआ. दोस्ती की डोर जब टूटी थी तब चंद्रमोहन बहुत रोया था, कई दिनों तक उस के हलक से निवाला नीचे नहीं उतरा था. उस की हालत देख कर खुद अनुराधा भी हैरान थी.
उस वक्त चंद्रमोहन ने अनुराधा की कदम कदम पर मदद की थी. सिर्फ चंद्रमोहन की ही उस ने मदद ली थी उस समय, बाकी किसी की भी मदद लेने से उस ने इनकार कर दिया था. चंद्रमोहन के एहसानों तले अनुराधा दबी हुई थी. धीरेधीरे इन एहसानों ने दोनों के बीच में दोस्ती का रूप ले लिया था. दोनों एकदूसरे पर अटूट विश्वास और भरोसा करने लगे थे. अनुराधा विधवा थी तो क्या हुआ, वह जवान और सुंदर थी. चंद्रमोहन भी कुंवारा था.
चंद्रमोहन के दिल के एक कोने में अनुराधा के लिए एक सौफ्ट कौर्नर तैयार था. वह उस के और बेटी के लिए हर घड़ी फिक्रमंद रहने लगा था और समय आने पर अपने दिल की बात उस के सामने कहना चाहता था. जबकि अनुराधा सिर्फ और सिर्फ उस से दोस्ती का ही रिश्ता बनाए रखी थी. उसे यह कतई आभास नहीं था कि चंद्रमोहन उस की दोस्ती को प्यार समझ बैठा है.
अनुराधा ने बेटी को पढऩे भेजा आस्ट्रेलिया
धीरेधीरे वक्त समय के रथ पर सवार हो कर बढ़ता रहा. अनुराधा की बेटी भी करीब 20-25 साल की हो चुकी थी और अनुराधा नर्स की नौकरी छोड़ कर एलआईसी में बीमा एजेंट बन गई थी. इस से उस ने अपने मेहनत की बदौलत अच्छी कमाई की और बेटी को पढऩे आस्ट्रेलिया भेज दिया.
बेटी के विदेश चले जाने के बाद वह अपना मकान बेच कर चंद्रमोहन के घर लिवइन रिलेशन में रहने लगी थी. यह घटना से करीब 15 साल पहले की बात है. चैतन्यपुर में बी. चंद्रमोहन का अपना डबल स्टोरी मकान था. अपनी बूढ़ी मां के साथ वह ग्राउंड फ्लोर पर रहता था जबकि उस ने अनुराधा को रहने के लिए फस्र्ट फ्लोर दे दिया था.
यहां आने के बाद उन की दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे थे. चंद्रमोदन की बूढ़ी मां को उन के रिश्ते से या उन के साथ रहने से कोई ऐतराज नहीं था. वह तो चाहती थी कि जब दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं तो कोर्टमैरिज कर लें, लेकिन वह दोनों अभी कोर्टमैरिज नहीं करना चाहते थे. वे जैसे अपनी जिंदगी जी रहे थे, वैसे ही जीना चाहते थे.
जब से अनुराधा रेड्डी नर्स की नौकरी छोड़ कर एलआईसी एजेंट बनी थी, उस की किस्मत के सितारे बुलंदियों पर थे. एलआईसी से अकूत पैसा कमाया. यहीं से अनुराधा के जीवन की कुंडली में यमराज कुंडली मार कर बैठ गए थे. पैसा ही उस के जीवन के लिए काल बन गया था.
हुआ कुछ यूं था कि अनुराधा रेड्डी के पास जब खूब पैसे जमा हुए तो वह सूद पर पैसे बांटने लगी. उस ने बाजार में लाखों रुपए सूद पर बांट रखे थे. यह बात चंद्रमोहन भी जानता था. चूंकि चंद्रमोहन एक कौन्ट्रैक्टर था, ठेका लेना उस का पेशा था. एक बार बिजनैस में उस को बड़ा घाटा हुआ और लाखों रुपए डूब चुके थे.
बिजनैस को खड़ा करने के लिए उसे लाखों रुपए फिर से चाहिए थे. उस ने इस बारे में अपनी प्रेमिका अनुराधा से बात की कि उसे बिजनैस संभालने के लिए 7 लाख रुपए चाहिए. बिजनैस जैसे ही फिर से स्टैंड हो जाएगा तो वो सारे रुपए उसे लौटा देगा. ये बात साल 2018 की थी.
प्रेमी चंद्रमोहन का अनुराधा रेड्डी पर काफी एहसान था, उस के एहसान का बदला चुकाने का वक्त आ चुका था. फिर क्या था उस ने चंद्रमोहन को 7 लाख रुपए दे दिए.
शादी से पहले ही मोहित प्रियंका पर तरहतरह की बंदिशें लगाने लगा था. उस की तानाशाही प्रियंका को भी अच्छी नहीं लगती थी. वह सोचने लगी कि जब विवाह से पहले मोहित का यह व्यवहार है तो बाद में क्या होगा. प्रियंका ने मोहित के इस व्यवहार के बारे में जब बड़ी बहन सुमन को बताया तो मोहित की यह आदत उसे भी अच्छी नहीं लगी.
जब बात ज्यादा ही बढ़ने लगी तो प्रियंका के पिता को लगा कि मोहित कहीं सनकी टाइप का तो नहीं है. इस बारे में उन्होंने छानबीन शुरू की तो पता चला कि मोहित तो नौकरी पर जाने के बजाय अकसर अपने गांव में ही रहता है. इस से प्रियंका के घर वालों को इस बात पर शक होने लगा कि जब वह नेवी में नौकरी करता है तो अपनी ड्यूटी पर न जा कर घर पर ही क्यों रहता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें मोहित के बारे में गलत जानकारी दी गई हो. यदि ऐसा हुआ तो उन की बेटी की जिंदगी ही तबाह हो जाएगी.
यह पता चलने प्रियंका ने मोहित के साथ घूमनाफिरना कम कर दिया था. उस ने फोन पर भी लंबी बातें करनी बंद कर दीं. कभीकभी मोहित को जब प्रियंका का फोन बिजी मिलता तो उसे उस पर शक होने लगता और जब किसी तरह उस से बात हो जाती तो वह मिलने के लिए उसे नियत जगह पर बुलाता. लेकिन प्रियंका ड्यूटी पर बिजी होने की बात कह देती थी. इस से मोहित को भी लगने लगा था कि प्रियंका अब उस से मिलने में आनाकानी करने लगी है.
उधर प्रियंका के घरवालों द्वारा छानबीन करने की जानकारी भी मोहित को हो गई थी. अब उसे इस बात का अंदेशा होने लगा था कि कहीं उस का प्रियंका से रिश्ता न टूट जाए.
प्रियंका की बेरुखी से वह परेशान रहने लगा. वह प्रियंका से हरगिज दूर नहीं होना चाहता था. उस ने अपने दिल की बात प्रियंका से बताई तो उस ने मोहित की बात को गंभीरता से नहीं लिया. जो प्रियंका पहले मोहित पर जान न्यौछावर करने को तैयार रहती थी, वही अब वह कहने लगी थी कि अपने घर वालों की मरजी के बिना कहीं नहीं जाएगी.
प्रियंका के घरवालों का आरोप है कि प्रियंका को मोहित का व्यवहार और हिटलरशाही पसंद नहीं थी इसलिए उस ने मोहित के साथ शादी करने से मना कर दिया. इस पर मोहित ने प्रियंका पर शादी के लिए दबाव बनाया और उसे धमकी भी दी थी कि अगर वह उस की नहीं होगी तो उसे किसी और की भी नहीं होने देगा.
16 मार्च, 2014 को पूरे देश में होली का त्यौहार मनाया जा रहा था. इसी दिन मोहित ने प्रियंका को सबक सिखाने की ठान ली. वह अपने गांव से दिल्ली के सागरपुर इलाके में पहुंच गया. वहां पहुंच कर उस ने शाम के समय प्रियंका को फोन कर के किसी बहाने से एक नियत जगह पर बुला लिया.
प्रियंका जब उस के पास आई तो वह उसे सागरपुर इलाके के मोहन नगर स्थित नील गगन गेस्ट हाउस ले गया. रात 8 बजे वह प्रियंका के साथ गेस्ट हाउस पहुंचा तो गेस्ट हाउस के रजिस्टर में उस ने अपना नाम मोहित लिखा और प्रियंका को अपनी पत्नी बताया. गेस्ट हाउस के मैनेजर सुनील कुमार ने उन दोनों को कमरा नंबर-105 ठहरने के लिए दे दिया.
कमरे में पहुंचने के बाद मोहित प्रियंका के लिए कोल्डड्रिंक लाया. जो कोल्डड्रिंक उस ने प्रियंका को पीने के लिए दी थी, उस में उस ने पहले ही नींद की दवा मिला दी थी. कोल्डड्रिंक पीने के कुछ देर बाद ही प्रियंका की आंखें मुंदने लगीं. जब वह गहरी नींद में सो गई तो मोहित ने अपने साथ लाए तमंचे से उस पर गोली चलानी चाही लेकिन गोली मिस हो गई.
ऐसा उस ने 2 बार किया, लेकिन दोनों बार गोली नहीं चली. तब मोहित ने गुस्से में सारे कारतूस वहीं डाल दिए और प्रियंका के मुंह पर तकिया रख कर कुछ देर तक दबाए रखा. सांस घुटने पर प्रियंका ने छटपटाहट महसूस की तो मोहित ने उसे दबोच लिया. कुछ ही देर में वह शांत हो गई. कहीं वह जिंदा न रह जाए, इसलिए मोहित ने दोनों हाथों से उस का गला और दबा दिया.
प्रियंका को ठिकाने लगाने के बाद रात करीब पौने 11 बजे उस ने उस कमरे को बाहर से बंद कर दिया और किसी तरह गेस्ट से निकलने में कामयाब हो गया. इस के बाद वह दिल्ली में ही किसी परिचित के यहां चला गया.
उधर जब गेस्ट हाउस के एक कर्मचारी ने रूम नंबर 105 का दरवाजा बाहर से बंद देखा तो उस ने यह बात मैनेजर सुनील कुमार को बता दी. सुनील कुमार ने जब रोशनदान से कमरे में झांक कर देखा तो वह सन्न रह गया. फिर उस ने यह सूचना पुलिस को दे दी थी.
मोहित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर वह तमंचा भी बरामद कर लिया जिस से उस ने प्रियंका पर गोली चलाने की कोशिश की थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने मोहित को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. मामले की तफ्तीश थानाप्रभारी रिछपाल सिंह कर रहे थे.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
पिता और भाई के पकड़े जाने पर मोहर सिंह इंसपेक्टर उदयराज सिंह से मिला. उस ने उन्हें बताया कि जब वह अपने भांजे पूरन के साथ रचना को विदा करा कर ले आ रहा था तो रचना एक बैग लिए थी, उस में उस ने सफेद कपड़े लपेट कर कोई चीज रख रखी थी. उस बैग को उस ने किसी को छूने नहीं दिया था. उस बैग को ला कर उस ने घर की उस अलमारी में रख दिया था, जिस में 3 हजार रुपए और चांदी के कुछ गहने रखे थे. रचना के साथसाथ रुपए और गहने भी गायब हैं.
मोहर सिंह की बात सुन कर इंसपेक्टर उदयराज सिंह को यह सारा मामला रहस्यमय लगा. इसलिए रहस्य को उजागर करने की जिम्मेदारी उन्होंने एसएसआई शंभू सिंह को सौंप दी.
शंभू सिंह मामले की जांच शुरू करते उस के पहले ही बिहारी को पता चल गया कि जिस दिन से रचना गायब है, उसी दिन से उस का भांजा रामेश्वर भी गायब है. बिहारी को रचना और रामेश्वर के संबंधों का पता था ही, इसलिए उसे लगा कि रचना रामेश्वर के साथ ही भाग गई है.
उस ने यह बात घर वालों को बताई तो घर वाले कुछ लोगों को ले कर रामेश्वर के घर पहुंचे. तब रामेश्वर के घर वालों ने साफ कह दिया कि अब वे लोग रचना को भूल जाएं. इस से साफ हो गया कि रचना रामेश्वर के साथ भागी थी. तब उन्होंने पूरी बात जांच अधिकारी शंभू सिंह को बताई तो उन्होंने अपनी जांच का केंद्र रामेश्वर को बना लिया.
शंभू सिंह ने रामेश्वर का मोबाइल फोन सर्विलांस पर लगवा दिया. पता चला कि रामेश्वर घर वालों से लगातार बातें कर रहा है. इस से साफ हो गया कि रामेश्वर ने जो भी किया है, वह घर वालों को पता है. सर्विलांस से पुलिस ने पता कर लिया कि रामेश्वर भोपाल में है.
शंभू सिंह ने रामेश्वर के 2 भाइयों को तो हिरासत में ले ही लिया था, इंसपेक्टर उदयराज सिंह ने एसआई चंद्रभान के नेतृत्व में 2 सिपाही तथा एक महिला सिपाही पवित्रा शर्मा की टीम को भी भोपाल रवाना कर दिया. भोपाल में रामेश्वर और रचना कहां रह रहे हैं, यह पता लगाने में उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.
दरअसल, रामेश्वर रचना के साथ जिस मकान में रह रहा था, वह एक सिपाही ब्रजेश कुमार का था. रचना की हरकतों से ब्रजेश कुमार को संदेह हो गया था कि यह ये दोनों घर से भागे हुए हैं. कमरा किराए पर देते समय उस ने रामेश्वर से उस के बारे में पूरी जानकारी ले ली थी, इसलिए उस ने मथुरा पुलिस को उन के वहां होने की जानकारी दे दी थी.
मथुरा से गई पुलिस टीम ने भोपाल पुलिस की मदद से सिपाही ब्रजेश कुमार के घर छापा मारा. रामेश्वर तो भागने में सफल हो गया, लेकिन रचना को पुलिस ने पकड़ लिया. शायद रामेश्वर को संदेह हो गया था.
21 अक्तूबर, 2014 को पुलिस रचना को थाना गोवर्धन ले आई. जब रचना के आने की जानकारी लोगों को हुई तो उस की एक झलक पाने के लिए वहां भीड़ इकट्ठा हो गई. थाने में की गई पूछताछ में रचना ने रामेश्वर के साथ भागने की जो कहती सुनाई, वह इस प्रकार थी.
रचना रामेश्वर से प्यार करती थी और उसी से शादी भी करना चाहती थी. लेकिन जब उस की शादी बिहारी से हो गई तो उस ने सोचा कि शायद उस के नसीब में बिहारी ही था. संयोग से बिहारी रामेश्वर का मामा था. शादी के बाद रचना ने सोचा था कि अब वह रामेश्वर से बात नहीं करेगी. लेकिन लगातार मिलते रहने की वजह से रामेश्वर ने उस के दिल में फिर वही जगह बना ली, जो पहले थी.
रामेश्वर और रचना को एकदूसरे से चिपके देख कर बिहारी पत्नी के साथ मारपीट करने लगा. परेशान हो कर उस ने रामेश्वर के साथ भाग जाने का फैसला कर लिया. पकड़े जाने के डर से उस ने लोगों को भ्रमित करने के लिए नागिन बनने का ड्रामा रचा था.
पूरी योजना बना कर रामेश्वर ने एक संपेरे से नागिन खरीदी. उसे छोड़ कर वे भाग गए. बाद में पता चला कि वह नागिन नहीं, नाग है. उसी की वजह से बात पुलिस तक पहुंची.
पूछताछ के बाद पुलिस ने रचना को अदालत में पेश किया, जहां मजिस्ट्रेट के सामने उस के बयान हुए. चूंकि उस ने ऐसा कोई अपराध नहीं किया था कि उसे जेल भेजा जाता, इसलिए मजिस्ट्रेट के आदेश पर उसे मांबाप के हवाले कर दिया गया. पुलिस को अब रामेश्वर की तलाश है. अब देखना यह है कि रचना की आगे की जिंदगी पति के साथ बीतती है या प्रेमी के साथ.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
चूंकि नीरू का पति फिर से जेल चला गया था, इसलिए उस ने गौरव से फिर मिलना शुरू का दिया. यह खबर राजा को जेल में मिली तो वह सुन कर तिलमिला उठा. 6 फरवरी, 2014 की रात 10 बजे गौरव अपने घर पर ही था. उसी समय उस के पास किसी का फोन आया कि केबिल खराब है, आ कर देख लो. फोन आने के फौरन बाद गौरव बाइक ले कर निकल पड़ा. वह अभी सेंटर पार्क फजलगंज के पास पहुंचा था कि उसे कुछ लड़कों ने घेर लिया.
इस से पहले कि गौरव कुछ समझ पाता, उन लड़कों ने उस पर लातघूंसों और चाकू से हमला कर दिया. उन के पास तमंचे भी थे. कुछ लोगों ने यह नजारा देखा, लेकिन उन लोगों के हथियारों को देख कर किसी ने पास जाने की हिम्मत नहीं की. उसी दौरान किसी व्यक्ति ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी कि सेंटर पार्क में एक युवक को कुछ लोग बुरी तरह मार रहे हैं.
सूचना पा कर फजलगंज पुलिस मौके पर पहुंची तो हमलावर फरार हो गए. वहां एक युवक की लहूलुहान लाश पड़ी थी. पुलिस उसे हैलट अस्पताल ले गई. लेकिन तब तक वह मर चुका था. पुलिस ने जब तलाशी ली तो जेब में एक आइडेंटी कार्ड मिला. जिस में गौरव कपूर नाम लिखा था. आईडी कार्ड पर लगी फोटो मरने वाले युवक के चेहरे से मेल खा रही थी, इसलिए पुलिस को लगा कि मरने वाले का नाम गौरव कपूर ही है.
पुलिस ने आइडेंटिटी कार्ड में लिखे फोन नंबर पर काल किया तो पता चला कि वह फोन नंबर गौरव के घर का है. पुलिस ने उस के घर वालों को इस हादसे की सूचना दे दी. घर के लोग तत्काल अस्पताल आ गए. उस के घर वालों को सांत्वना देने के बाद थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मृतक के पिता राजेश कपूर से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन के बेटे की रंजिश राजा यादव से थी.
पिछले साल भी राजा ने गौरव पर जानलेवा हमला किया था. राजा को शक है कि उस की पत्नी नीरू के अवैध संबंध उस के बेटे से थे. राजा ने खुद या फिर अपने गुर्गों से उन के बेटे की हत्या कराई है. अभी पिछले महीने भी खोया मंडी में उस के गुर्गों ने गौरव पर हमला किया था, जिस की सूचना थाने में दर्ज कराई गई थी.
9 फरवरी, 2014 को गौरव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उस की लाश उस के घर वालों को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि गौरव की बाईं कनपटी पर गोली मारी गई थी. वह गोली दाईं आंख के नीचे से निकल गई थी. उस की नाक की हड्डियां भी टूटी मिलीं थीं. उस के शरीर पर धार और नोंकदार हथियार के कुल 10 घाव मिले.
एक गहरा वार दिल तक गया था, जबकि दूसरे वार से किडनी को क्षति पहुंची थी. इस के अलावा उस के चेहरे, हिप और छाती पर भी धारदार हथियारों के कई घाव मिले. डाक्टर ने उस की मौत का कारण अधिक खून बह जाना माना था. राजेश कपूर की तहरीर पर पुलिस ने राजा यादव के अलावा रानी गंज निवासी अभिलाष द्विवेदी और 4 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.
रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला कि राजा यादव पहले से ही जेल में है. थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मुखबिर व सर्विलांस के जरिए अभिलाष और अमित को दबोच लिया. पूछताछ में दोनों ने बताया कि राजा यादव को शक था कि गौरव कपूर के उस की पत्नी नीरू यादव से नाजायज संबंध हैं. इसी वजह से उस ने गौरव को मारने की सुपारी उन्हें दी थी.
फजलगंज पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही थी कि किसी ने 12 फरवरी, 2014 को नजीराबाद थाना क्षेत्र में शिवधाम अपार्टमेंट में रह रही राजा यादव की बूढ़ी मां मीरा यादव की दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी. पुलिस को यह खबर मृतका की बहू नीरू यादव ने दी.
खबर पा कर नजीराबाद थानाप्रभारी सैय्यद मोहम्मद अब्बास अपने साथ सबइंसपेक्टर राजबहादुर सिंह, हरीशंकर मिश्रा, राजेश कुमार, कांस्टेबल नागेश कुमार, धर्मेश कुमार, श्यामा देवी व प्रीति शाक्य को ले कर घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने देखा कि सोफे पर एक बूढ़ी औरत खून से लथपथ पड़ी थी. मृतका 60 वर्षीया मीरा यादव थी. उस की सांस चल रही थी. आननफानन में फोन कर के एंबुलेंस बुला कर उसे हैलट अस्पताल पहुंचाया गया. डाक्टरों ने उस का तुरंत इलाज शुरू कर दिया. लेकिन वह बोलने की स्थिति में नहीं थीं. देर रात को उस ने दम तोड़ दिया.
पुलिस ने नीरू यादव से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की ननद रीता नर्सिंगहोम में अपनी ड्यूटी पर गई थी. जबकि वह बाजार गई हुई थी. देर शाम जब वह बाजार से लौटी तो सास को बुरी तरह घायल पाया. सास को उस हालत में देख कर वह घबरा गई और उस ने यह सूचना पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी सैयद मोहम्मद अब्बास ने जब उस से पूछा कि उस समय तुम्हारा बेटा कहां था तो नीरू ने बताया कि वह मोबाइल रिचार्ज कराने गया था.
थानाप्रभारी को इस बात पर हैरानी हुई कि घर में खतरनाक कुत्ता होते हुए भी कोई अनजान व्यक्ति वहां कैसे आ गया. जबकि कुत्ता खुला हुआ था. इस से पुलिस को लगा कि हत्या में जरूर किसी परिचित का हाथ है. क्षेत्राधिकारी नजीराबाद ममता कुरील भी मौके पर पहुंच गईं. उन्होंने नीरू से बात की तो उन्हें भी लगा कि वारदात में जरूर किसी जानने वाले का हाथ है.
पुलिस दोनों हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में लगी थी कि 12 फरवरी की देर रात मीरा की बेटी रीता यादव ने पुलिस को लिखित तहरीर दी, जिस में लिखा था कि उस की मां की हत्या उस की भाभी नीरू ने गौरव कपूर के चचेरे भाई दीपक कपूर के साथ मिल कर की है. रीता ने पुलिस को बताया कि रात में जब वह ड्यूटी से घर लौटी तब नीरू और दीपक घर की सीढि़यों से उतर रहे थे. वह दीपक को अपने घर में देख कर चौंकी भी. बाद में जब वह घर के अंदर पहुंची तो मां खून से लथपथ पड़ी थी.
सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग
पुलिस इस बात पर खास तवज्जो दे रही थी कि कोई व्यक्ति उस स्थान पर हाथ में काले रंग की पौलीथिन ले कर पहुंचा तो नहीं है? अगर पहुंचा है तो कैसे पहुंचा है, पैदल अथवा किसी वाहन से? अगर वाहन से पहुंचा तो उस वाहन का नंबर, रंग, मौडल और ब्रांड क्या है?
पुलिस बारीकी से और पूरी एकाग्रता से जांच में जुटी थी, लगभग सभी कैमरों की फुटेज की जांच के बाद 90 से ज्यादा गाडिय़ों और 100 से ज्यादा लोगों को शार्टलिस्ट किया गया और जांच चलती रही, लेकिन कहीं से कोई सुराग हाथ नहीं लगा. अंत में कैमरे में कैद एक शख्स पर शक हुआ, उस ने मुंह पर मास्क और सिर पर टोपी लगा रखी थी.
आमतौर पर जब कोई अपराध करता है या मौका ए वारदात पर जाता है तो उस की कोशिश होती है कि उसे कहीं भी अपना चेहरा न दिखाना पड़े. उस ने भी ऐसा ही किया था. उस शख्स की ये हरकत पुलिस को अजीब लगी, लेकिन उस का चेहरा सीसीटीवी फुटेज में कहीं साफ दिख नहीं रहा था. वह सीसीटीवी कैमरे से बारबार अपना मुंह छिपा रहा था.
उस के दाहिने हाथ में एक काले रंग की पौलीथिन थी, जब वह टैंपो से नीचे उतरा. यह वही काली पौलीथिन थी, जो मौके से बरामद की गई थी. वह रहस्यमय शख्स वहां से रेस्टोरेंट की ओर बढ़ा. वहां से (रेस्टोरेंट) उस ने पानी की एक बोतल खरीदी और दुकानदार को नकद पैसे देने के बजाय उस ने यूपीआई से पेमेंट किया और फिर कूड़ाघर की ओर वापस आया. वहां खड़े हो कर इधरउधर देखा, फिर पौलीथिन झटके से फेंक कर भीड़ में कहीं गुम हो गया.
ये क्लू पुलिस के लिए खाद जैसा काम कर गया. 23 मई की सुबह करीब 10 बजे पुलिस की टीम उस रेस्टोरेंट पर पहुंच गई थी, जहां उस संदिग्ध व्यक्ति ने 15 मई की दोपहर साढ़े 12 बजे पानी की बोतल खरीदी थी और यूपीआई से पेमेंट किया था. रेस्टोरेंट वाले से पूछताछ करने के बाद आखिरकार उस संदिग्ध शख्स तक पहुंच ही गई. उस का नाम बी. चंद्रमोहन था और पता चला कि वह दिलसुख नगर थानाक्षेत्र के चैतन्यपुर में रहता है.
संदिग्ध व्यक्ति के घर पहुंची पुलिस
24 मई, 2023 की सुबह मलकापेट पुलिस बी. चंद्रमोहन के घर चैतन्यपुर मोहल्ले में पहुंच गई और दरवाजे पर दस्तक दी. भीतर से एक शख्स ने दरवाजा खोला और सामने पुलिस को देख कर सहज भाव में पूछा, “आप किस से मिलना चाहते हैं?”
“चंद्रमोहन आप हो?” एसआई एल. भास्कर रेड्डी ने शख्स से सवाल किया.
“हां, मैं ही हूं चंद्रमोहन, क्या बात है? आप मुझ से क्यों मिलना चाहते हैं?” चंद्रमोहन से पूछा.
“बताता हूं, बताता हूं. सारे सवाल यहीं दरवाजे पर खड़ेखड़े पूछ लोगे, अंदर आने के लिए नहीं कहोगे?” इस बार इंसपेक्टर के. श्रीनिवास ने कहा.
“नहीं नहीं जी. मैं तो भूल ही गया था. आइए…आइए, अंदर आइए. फिर उस ने इंसपेक्टर के. श्रीनिवास और एसआई रेड्डी को अंदर बुलाया और ड्राइंगरूम में उन्हें बैठा दिया, बाकी पुलिस टीम घर के बाहर मुस्तैदी से तैनात रही.
“क्या लेंगे सर, चाय या पानी?” चंद्रमोहन ने सम्मानजनक तरीके से और बड़े अदब से पूछा.
“हम यहां चायपानी पीने नहीं आए हैं, बल्कि तुम से कुछ पूछताछ करने आए हैं,” इस बार इंसपेक्टर श्रीनिवास का चेहरा सख्त हो गया था.
“थीगालगुडा रोड पर डंपिंग ग्राउंड स्थित मुसी नदी के किनारे एक सीसीटीवी कैमरे में नकाबपोश के रूप में तुम्हें देखा गया है. क्या कहना चाहते हो?”
“सर, मैं स्टौक ब्रोकर हूं. शहर में बहुतेरा काम होता है. लोगों से मिलनाजुलना होता है. हो सकता है उस राह से गुजरते हुए सीसीटीवी में फोटो आ गई हो? कोई ताज्जुब की बात नहीं इस में,” चंद्रमोहन ने बड़े आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवाल का जवाब दिया था.
“तो तुम कहते हो, सीसीटीवी फुटेज में जो तसवीरें दिख रही हैं, वे तुम्हारी नहीं हैं किसी और की हैं.”
“मैं कब इस बात से इंकार करता हूं कि सीसीटीवी फुटेज में दिखने वाली फोटो मेरी नहीं हैं, लेकिन मैं ये भी एक्सेप्ट नहीं करता कि…”
“महिला के कटे सिर वाली लाश वाली काली पौलीथिन तुम ने नहीं किसी और ने फेंकी थी?” बीच में बात काटते हुए इंसपेक्टर के. श्रीनिवास बोले.
“हां, सच यही है, मैं ने कोई कटा हुआ सिर नहीं फेंका था.”
हाथ की चोट ने खोला हत्या का राज
बी. चंद्रमोहन के आत्मविश्वास भरे जवाब सुन कर पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि वो किसी गलत घर में पूछताछ करने आ गई, जबकि उस लाश से इस का कोई लेनादेना नहीं है. वहां से पुलिस बाहर निकलने के लिए जैसे ही उठी, तभी अचानक इंसपेक्टर श्रीनिवास की नजर चंद्रमोहन की बाईं कलाई पर पड़ी तो वह ठिठक गए और चोट के बारे में उस से पूछ बैठे, “बाई द वे, तुम्हारे हाथ में ये चोट कैसे लगी?”
“ज…ज… जी… सब्जी काटने वाले चाकू से. मैं सब्जी बनाने के लिए आलू काट रहा था, तभी छिटक कर चाकू कलाई पर लग गया और हाथ कट गया. ये जख्म उसी चाकू से बने हैं.”
“बरखुरदार, तुम्हारी जुबान तुम्हारा साथ नहीं दे रही है. और तुम सच भी नहीं बोल रहे हो?” इस बार उन्होंने अंधेरे में तीर चलाया था.
“नहीं तो, सच कह रहा हूं मैं. सब्जी काटते वक्त कलाई कट गई थी.”
“तो तुम सच ऐसे नहीं कबूलोगे, तुम्हें पुलिस की खातिरदारी की जरूरत है.” कहते हुए इंसपेक्टर श्रीनिवास ने उस के गाल पर झन्नाटेदार एक थप्पड़ जड़ा. उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और कानों में सीटियां बजने लगीं. कुछ पल के लिएवह जैसे बहरा हो गया था, उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
फ्रिज के अंदर मिले डैडबौडी के पाट्र्स
जब वह थोड़ा सामान्य स्थिति में हुआ तो घुटने दोहरा करते हुए नीचे फर्श पर बैठ गया. और कहा, “हां सर, मैं ने ही कल्ल किया था और उस का सिर काट कर नदी में फेंकना चाहा था, पर बदकिस्मती ने दगा दे दी और मैं आखिरकार पकड़ लिया गया.” चंद्रमोहन के चेहरे पर कोई पश्चाताप नहीं था.
“कौन थी वो? और तुम ने उस की हत्या क्यों की?” श्रीनिवास ने सवाल दागा.
“अनुराधा, यारम अनुराधा रेड्डी नाम था उस का.” बुत बना चंद्रमोहन आगे कहता गया, “क्या करता. उस ने हालात ही ऐसे बना दिए थे कि उसे मारने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. और मैं ने उस की हत्या कर दी.”
“बाकी शरीर के अंग को कहां फेंका है तुम ने?”
“कहीं नहीं, घर में हैं.” चंद्रमोहन समझ चुका था कि उस के गुनाहों का घड़ा फूट चुका है और वह बेनकाब हो चुका है. अब सच बता देने में ही भलाई है और फिर वहां से उठा फिर पुलिस को साथ ले कर किचन में पहुंचा, जहां फ्रिज रखा था. उस ने फ्रिज खोल कर पुलिस को दिखा दिया. फ्रिज के अंदर का नजारा देख कर दोनों पुलिस अधिकारी भौचक रह गए थे.
फ्रिज के अंदर कटे हुए दोनों हाथ और पैर रखे हुए थे. यह दृश्य देख कर दोनों की जैसे रूह कांप उठी.
यही नहीं, ट्रंक के भीतर उस ने धड़ (साबूत) रखा था, जिस में से सड़ांध उठ रही थी. बदबू छिपाने के लिए, उस ने कमरे में परफ्यूम स्प्रे किया था, अगरबत्तियां भी जला रखी थीं ताकि बदबू बाहर न जा सके और उस का गुनाह पिटारे के अंदर बंद रहे.
कुल मिलाजुला कर चंद्रमोहन ने दिल्ली के श्रद्धा मर्डर कांड का रिमेक किया था और उसी की तर्ज पर मृतका के एकएक अंग को शहर के विभिन्न इलाकों में फेंक कर हमेशाहमेशा के लिए राज दफन कर एक नई जिंदगी बिताना चाहता था, लेकिन शातिर चंद्रमोहन की चालाकी चल न सकी और कानून के लंबे हाथों से धर दबोचा गया.
8 दिनों से रहस्य बनी सिर कटी लाश का परदाफाश हो चुका था और मृतका की पहचान यारम अनुराधा रेड्डी के रूप में की जा चुकी थी. मृतका कोई और नहीं, बल्कि आरोपी चंद्रमोहन की प्रेमिका थी. आखिरकार उस ने अपनी प्रेमिका की हत्या बड़ी बेरहमी से क्यों की? पुलिस पूछताछ में उस ने सारा राज उगल दिया था.
रूबी के बहनोई के पास रूबी का फोटो मौजूद था. फोटो के सहारे पुलिस होटलों और गेस्टहाउसों का कोनाकोना छान रही थी. कुछ देर की सर्चिंग के बाद पुलिस को एक गेस्टहाउस में रूबी मिल गई. उस के साथ एक युवक भी था. पुलिस के साथ अपने जीजा को देख कर रूबी थोड़ा चौंकी जरूर, लेकिन उसे देख कर ऐसा नहीं लग रहा था, जैसे उस का अपहरण हुआ हो. यानी उस के चेहरे पर कोई डर नहीं था.
कर्नाटक पुलिस ने रूबी को अपनी हिफाजत में लेने के बाद जब उस के किडनैप होने की बाबत पूछा तो उस ने साफ कहा कि उस का किसी ने अपहरण नहीं किया, बल्कि वह अपने घर से खुद अपने प्रेमी के पास आई है. रूबी के पिता के पास काल तो अपहरण की गई थी, लेकिन यहां बात दूसरी सामने आ रही थी.
पुलिस ने रूबी के साथ जिस युवक को हिरासत में लिया था, पूछताछ करने पर पता चला कि उस का नाम सुजाय डे है. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के गांव गोबरडंग का रहने वाला है और वह रूबी से प्यार करता था. रूबी ने भी उसी समय सुजाय की बात की पुष्टि कर दी.
पुलिस ने रूबी के साथ जिस युवक को हिरासत में लिया था, पूछताछ करने पर पता चला कि उस का नाम सुजाय डे है. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के गांव गोबरडंग का रहने वाला है और वह रूबी से प्यार करता था. रूबी ने भी उसी समय सुजाय की बात की पुष्टि कर दी.
पुलिस ने जब उस की तलाशी ली तो उस के पास वह मोबाइल सिम कार्ड मिल गया, जिस से रूबी के पिता को 10 लाख रुपए की फिरौती की काल की गई थी.
इस से कर्नाटक पुलिस को विश्वास हो गया कि सुजाय ने ही फिरौती की काल की होगी. जबकि रूबी प्रेमी का पक्ष लेते हुए कहती रही कि सुजाय ऐसा नहीं कर सकता. उस ने अपने जीजा से कह दिया कि वह बालिग है, सुजाय के साथ ही शादी करेगी और अब अपने घर नहीं लौटेगी.
पुलिस ने उसी के सामने जब सुजाय डे से पूछताछ की तो उस के पास सच उगलने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं था. क्योंकि पुलिस उस का सिमकार्ड बरामद कर चुकी थी. इस बात को वह झुठला नहीं सकता था. इसलिए उस ने रूबी के पिता को फिरौती के लिए फोन करने की बात स्वीकार कर ली.
फिर रूबी को प्यार के जाल फांसने से ले कर उस के पिता से फिरौती मांगने तक की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.
27 साल का सुजाय डे कोई बड़ा बिजनैसमैन नहीं था, बल्कि उस के यहां टीशर्ट और अंडरगारमेंट्स सिलने का छोटामोटा काम होता था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद वह भी पिता के साथ इस काम में थोड़ाबहुत सहयोग कर देता था. वह हमेशा कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के सपने देखा करता था.
6-7 महीने पहले गलती से उस ने किसी नंबर पर मिस काल की. इत्तफाक से वह काल रूबी के मोबाइल पर लग गई. रूबी ने उस नंबर पर कालबैक की. बातों ही बातों में सुजाय ने उस पर प्यार के डोरे डालने शुरू कर दिए. उसी बातचीत में उसे रूबी के घरपरिवार, हैसियत आदि की जानकारी हो गई. प्यार के जाल में फांस कर वह उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठना चाहता था. तभी तो उस के कहने पर रूबी अपने मांबाप के यहां से 10 तोला सोने की ज्वैलरी और साढ़े 3 लाख रुपए नकद ले कर बंगलुरु एयरपोर्ट पहुंच गई थी.
सुजाय ने पहले ही बंगलुरु से दिल्ली जाने वाली जेट एयरवेज की 2 टिकटें बुक करा ली थीं. दिल्ली के महिपालपुर स्थित एक गेस्टहाउस में उस ने एक कमरा बुक करा लिया था.
उसे जब वहां पता चला कि रूबी अपने साथ साढ़े 3 लाख रुपए नकद और 10 तोला सोने की ज्वैलरी ले कर आई है तो वह काफी खुश हुआ. उस ने उसे शादी का झांसा दे ही रखा था, इसलिए रूबी ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाते समय कोई आनाकानी नहीं की. सुजाय को अब यह पता लग चुका था कि रूबी के पिता बहुत पैसे वाले हैं, रूबी के घर वालों के फोन नंबर उस के पास थे, इसलिए गेस्टहाउस के बाहर आ कर उस ने उस के पिता को 10 लाख रुपए की फिरौती का फोन कर दिया.
उन्होंने रूबी के गायब होने की सूचना पहले ही पुलिस को दे रखी थी. फिरौती की काल मिलने पर इलकल थाने की पुलिस हरकत में आ गई और दिल्ली पुलिस के सहयोग से रूबी को बरामद कर सुजाय को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने रूबी के पास से साढ़े 3 लाख रुपए नकद और सोने की वह ज्वैलरी भी बरामद कर ली थी, जो वह अपने घर से ले कर आई थी.
रूबी और सुजाय डे को कर्नाटक पुलिस 23 फरवरी को ही दिल्ली से कर्नाटक ले गई. पुलिस ने सुजाय डे को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया तथा रूबी को उस के पिता के सुपुर्द कर दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित और रूबी परिवर्तित नाम है.