सविता के दर्द का कारण जान कर आशीष हैरत में पड़ गया कि इतने सालों से सविता अपने पति के जुल्म को सहती आई, उस ने उफ्फ तक नहीं की. अब भी वह दर्द छिपाए अंदर ही अंदर घुट रही थी. वह तो खुद सविता को चाहने लगा था, प्यार करने लगा था.
ऐसे में उस का प्यार अपने आप को रोक नहीं सका और आशीष की जुबान से बाहर आ ही गया, “सविता, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहता हूं. मैं इस दुनिया की सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में डालना चाहता हूं. लेकिन यह तभी हो पाएगा, जब तुम मेरा साथ देने को तैयार होगी. मैं तो तैयार हूं साथ देने के लिए, अब तुम बोलो, तैयार हो…”
“आशीष, मैं भी तुम्हें बेइंतहा चाहती हूं, मुझे तुम्हारा साथ, तुम्हारा प्यार सब मंजूर है लेकिन हम एक नहीं हो पाएंगे, जहां तुम मुझ से बहुत छोटे हो, वहीं मैं वैवाहिक बंधन में बंधी हूं और 3 जवान बच्चों की मां हूं. ऐसे में हमारा प्यार ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा. ये समाज भी हम को ताने देगा और दुत्कारेगा. समाज हमारे प्यार और परिस्थितियों को नहीं समझेगा.”
“उम्र केवल एक बस संख्या भर है, प्यार तो किसी बंधन को नहीं मानता, न उम्र, न जातपात और न समाज के कायदेकानूनों को. हम अपनी मरजी से एक साथ जिंदगी गुजारना चाहते हैं, ये हमारा आपसी फैसला है, दुनिया और समाज का इस से कोई लेनादेना नहीं. तुम बस हां करो, तुम्हारे लिए मैं किसी से भी लड़ जाऊंगा. तुम्हारा साथ कभी न छोड़ूंगा.” आशीष ने भरोसा दिलाया.
सविता आशीष की बात सुन कर भावविभोर हो गई और उस के सीने से लग गई. सविता को ऐसा करते देख कर आशीष भी हौले से मुसकरा गया और उसे भी अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. कुछ देर दोनों और रेस्टोरेंट में रुके, फिर वहां से निकल आए.
प्रेमी से कराना चाहती थी बेटी की शादी
इस के बाद दोनों का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. आशीष अब सविता के घर भी आनेजाने लगा. चूंकि आशीष सविता के स्कूल में टीचर था, इसलिए मधुसूदन को उस के आनेजाने पर कोई ऐतराज नहीं था. मधुसूदन यह समझता था कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाने से संबंधित बातें करने के लिए आशीष सविता से मिलने घर आता है. आशीष की उम्र भी कम थी, इसलिए उन दोनों के रिश्ते पर मधुसूदन को शक नहीं हुआ.
ऐसे कब तक मिलतेजुलते दोनों? ज्यादा समय साथ बिताने के लिए सविता ने आशीष को रिश्ते में बांधने का फैसला किया. खुद तो आशीष के साथ सामाजिक तौर पर एक हो नहीं सकती थी, इसलिए उस ने अपनी 21 वर्षीय बेटी रवीना की शादी अपने प्रेमी आशीष के साथ करने की सोची. इस से दोनों आसानी से मिल सकते थे और सास दामाद का रिश्ता बनने के कारण कोई उन पर शक भी नहीं करता.
सविता अपने प्यार को पाने के लिए अपनी ही सगी बेटी को बलि का बकरा बनाने की सोच रही थी. आशीष भी उस की बेटी से शादी करने को तैयार था. तैयार होता भी क्यों नहीं, इस फैसले से उस के दोनों हाथों में लड्डू ही लड्डू होते. एक तरफ वह अपनी प्रेमिका से मजे लेता, वहीं दूसरी तरफ उस की बेटी के साथ भी मजे लेता. सविता ने बेटी की शादी की बात अपने पति और बेटी के सामने चलाई तो दोनों ने शादी करने से साफसाफ मना कर दिया.
प्लान ‘ए’फेल होने पर बनाया प्लान ‘बी’
इस से सविता और आशीष के सारे मंसूबे फेल हो गए. इस के बाद भी दोनों एकदूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा साथ रहने की तरकीबें तलाशते रहें लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इस पर सविता ने आशीष से कहा कि अब एक ही रास्ता है कि पति मधुसूदन को ही अपने रास्ते से हटा दिया जाए.
सविता तो हमेशा से यही चाहती थी. सविता ने कहा तो आशीष भी तैयार हो गया. घटना से 20 दिन पहले दोनों ने मधुसूदन की हत्या की योजना बनाई. इस के लिए आशीष ने बाजार से एक छाता और लोहे की छोटी वजनदार रौड खरीदी, साथ ही 400 रुपए का शेविंग करने वाला उस्तरा भी खरीदा.
26 जून, 2023 की दोपहर आशीष और सविता दोनों स्कूल में थे. एक से 2 बजे के बीच का समय ऐसा था, जब मधुसूदन घर पर अकेला होता था. एक बजे के बाद सविता प्रेमी आशीष के साथ स्कूल से घर जाने के लिए निकली. आशीष के हाथ में छाता था जो कि बंद था और दाएं हाथ में उस ने छाते को पकड़ रखा था. उसी बंद छाते में लोहे की रौड और उस्तरा रख रखा था.
घर पहुंचने पर आशीष ने मधुसूदन के पीछे खड़े हो कर छाते से लोहे की रौड निकाली और मधुसूदन के सिर पर कई ताबड़तोड़ तेज प्रहार कर दिए, जिस से मधुसूदन चीख भी न सका और जमीन पर गिर गया. मधुसूदन मरणासन्न हालत में था. तभी आशीष ने छाते से उस्तरा निकाला और उस से मधुसूदन का गला रेत दिया.
प्रेमी संग पति की हत्या करने के बाद सविता ने घर का सारा सामान बिखेर दिया और अलमारियां खोल दीं, जिस से मामला लूट के बाद हत्या का लगे. इस के बाद सविता और आशीष दोनों घर से निकल गए और वापस स्कूल पहुंच गए. लेकिन इस से पहले उन्होंने हत्या में प्रयुक्त रौड, उस्तरा और छाता कहीं ठिकाने लगा दिया था. लेकिन तमाम चालाकियों के बाद भी दोनों पकड़े गए.
पूछताछ के बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं, फिर दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक आला कत्ल बरामद करने का पुलिस प्रयास कर रही थी.
—कथा में रवीना परिवर्तित नाम है