लाश को मिला नाम

पंचकूला के थाना मनसादेवी के पास सेक्टर-5 के निकट मजदूरों और कामगारों ने अपने रहने के लिए कच्चे  झोपड़ीनुमा मकान बना रखे हैं. 27 अप्रैल, 2019 की सुबह 6 बजे इन्हीं झुग्गियों की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने झाडि़यों के बीच एक लाश से धुआं उठते देखा.

यह देखते ही महिलाएं उलटे पांव भागती हुई बस्ती में लौट आईं. उन्होंने शोर मचा कर यह बात सब को बताई. लाश के जलने की बात सुन कर बस्ती के लोग महिलाओं द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए. उन्होंने भी वहां एक लाश से धुआं उठते देखा. लाश बुरी तरह झुलस चुकी थी.

इसी दौरान किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन किया. चंडीगढ़ पुलिस कंट्रोलरूम ने घटना की सूचना संबंधित थाना मनीमाजरा को भेज दी. थोड़ी देर बाद थाना मनीमाजरा पुलिस मौके पर पहुंची तो उस ने बताया कि जिस जगह लाश पड़ी है, वह क्षेत्र के पंचकूला इलाके में आता है.

मनीमाजरा पुलिस ने यह खबर पंचकूला के थाना मनसादेवी को भेज दी. सूचना मिलने पर थाना मनसादेवी के एसएचओ विजय कुमार अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंच गए. साथ ही उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों और क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी दी.

कुछ ही देर में डीसीपी कमलदीप गोयल, एसीपी (क्राइम) नुपूर बिश्नोई, पंचकूला क्राइम इनवैस्टीगेशन एजेंसी के प्रभारी अमन कुमार फोरैंसिक टीम सहित मौके पर पहुंच गए. जिस लाश के बारे में सूचना दी गई थी, वह मनसादेवी कौंप्लेक्स, विश्वकर्मा मंदिर की बैक साइड पर थाना मनसादेवी से मात्र 500 मीटर की दूरी पर झाडि़यों में पड़ी थी.

पुलिस जब वहां पहुंची, तब भी शव से धुआं उठ रहा था. इस से पुलिस को लगा कि कुछ देर पहले ही शव में आग लगाई गई थी. वह लाश किसी युवती की थी. पुलिस ने मौके पर देखा कि उस के गले में फंदा लगा हुआ था. युवती की जीभ भी बाहर निकली हुई थी और टांगें पूरी तरह फैली हुई थीं. यह सब देख कर दुष्कर्म की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता था.

मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी वहां से कुछ सबूत जुटाए. झाडि़यों पर पड़ी बोरी भी कब्जे में ले ली गई. पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि युवती की किसी अन्य जगह पर गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को यहां ठिकाने लगाने की कोशिश की गई थी.

शिनाख्त जरूरी थी

झाडि़यों के पास कच्चे रास्ते पर किसी दोपहिया वाहन के टायरों के निशान भी मिले. ऐसा लगता था, युवती का शव किसी वाहन से वहां तक लाया गया होगा. पुलिस को लगा, जब हत्यारे शव लाए होंगे तो कहीं न कहीं किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद जरूर हुए होंगे. युवती के शरीर पर घाव के कई निशान भी मिले.

बहरहाल, मनसादेवी थाना पुलिस ने घटनास्थल पर सब से पहले पहुंचे पीसीआर में तैनात हैडकांस्टेबल सतीश की सूचना पर हत्या और लाश को ठिकाने लगाने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. शव को सेक्टर-6 जनरल अस्पताल की मोर्चरी में 72 घंटों के लिए सुरक्षित रखवा दिया गया.

लाश इतनी बुरी तरीके से जल चुकी थी कि उस की शिनाख्त करनी बहुत मुश्किल थी. पुलिस के सामने पहला अहम काम था शव की शिनाख्त कराना. उस के बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकता था.

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. चंडीगढ़ पुलिस से भी घटनास्थल के रास्ते की तरफ आने वाले क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों को चैक करने की सहायता मांगी गई. इस काम में सीआईए, सेक्टर-19, क्राइम ब्रांच और कई थानों की टीमें लगी थीं.

मृतका के फोटो भी सभी थानों में भिजवा दिए गए थे और पिछले माह लापता हुई 20 से 30 साल की युवतियों के रिकौर्ड भी खंगाले गए. इस के अलावा अधजले शव की पहचान के लिए डीसीपी कमलदीप गोयल के आदेश पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की पुलिस को भी सूचना भेज दी गई.

सीआईए इंसपेक्टर अमन कुमार ने सीसीटीवी कैमरे में दिखने वाली एक कार के चालक को हिरासत में ले लिया था, लेकिन लंबी पूछताछ के बाद जब उस से हत्या के संबंध में कोई क्लू नहीं मिला तो उसे छोड़ दिया गया. वहीं मनसादेवी थाना पुलिस ने भी इस मामले में कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की, पर कोई नतीजा नहीं निकला. पुलिस इस मामले की हर पहलू से जांच कर रही थी.

कार चालक को सीआईए ने भले ही छोड़ दिया था, लेकिन उसे क्लीन चिट नहीं दी थी क्योंकि उस की काले रंग की अल्टो कार की लोकेशन आईटी पार्क से मनसादेवी कौंप्लेक्स के बीच रात एक से 3 बजे के बीच ट्रेस की गई थी.

पुलिस ने मृतका की शिनाख्त के लिए गली गली में उस के पोस्टर लगवा दिए थे, इस के अलावा विभिन्न अखबारों, लोकल टीवी चैनलों पर भी उस की फोटो दिखाई गई थी. इस का नतीजा यह निकला कि लाश मिलने के 2 दिन बाद अखबार से खबर पढ़ कर इंदिरा कालोनी निवासी लल्लन प्रसाद थाना मनसादेवी पहुंच गया.

उस ने एसएचओ से कहा, ‘‘साहब, अखबार में जो अधजली लाश बरामद होने की खबर छपी है, वह लाश मेरी बेटी गुरप्रीत की है.’’

लल्लन की बात सुन कर एसएचओ ने उस से पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है?’’

‘‘हां साहब, मुझे शक नहीं विश्वास है कि यह काम मेरी बेटी के प्रेमी ने किया होगा.’’ लल्लन ने फूटफूट कर रोते हुए यह बात पुलिस को बताई.

लल्लन ने बताया कि उस की बेटी गुरप्रीत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. उस का प्रेम प्रसंग इंदिरा कालोनी के ही रहने वाले एक लड़के से चल रहा था. वह लड़का दूसरी बिरादरी का था, इसलिए हम ने अपनी बेटी को समझाया और जब वह नहीं मानी तो हम ने 2 महीने पहले उस की मंगनी अपनी रिश्तेदारी के एक लड़के के साथ तय कर दी थी.

वह 23 मार्च, 2019 को सुबह 8 बजे स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी. लेकिन शाम तक नहीं लौटी. हम ने भी इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया, क्योंकि गुरप्रीत इस से पहले भी अपने प्रेमी के साथ घर से चोरीछिपे कई बार जा चुकी थी. लेकिन 1-2 दिन बाद वह अपने आप ही घर लौट आती थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भी वह 1-2 दिन में लौट आएगी. पर इस बार ऐसा नहीं हुआ.

जब 2 दिन तक वह घर नहीं लौटी तो हम ने पहले तो रिश्तेदारी में बेटी की तलाश की, लेकिन जब उस का कहीं कुछ पता नहीं चला तो चंडीगढ़ के मनीमाजरा थाने में उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दी. वह तो नहीं मिली लेकिन इस बार उस की मौत की खबर जरूर मिल गई.

हालांकि पहले तो पुलिस ने उस की बातों पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब युवती की फोटो सीआईए प्रभारी के पास पहुंची तो वह भी दंग रह गए.

पहचान ली गई लाश

उन्होंने तुरंत वह फोटो मनसादेवी थानाप्रभारी को भेजी और दावा करने वाले व्यक्ति को एसएचओ विजय कुमार के पास भेज दिया. विजय कुमार ने उसे मोर्चरी में रखी झुलसी हुई लाश को पहचानने के लिए अस्पताल चलने को कहा. इस पर लल्लन अपनी पत्नी प्रभा के साथ अस्पताल पहुंच गया.

दोनों को मोर्चरी में रखी लाश दिखाई दी तो लल्लन प्रसाद और उस की पत्नी प्रभा ने लाश को पहचान कर उस की शिनाख्त अपनी बेटी गुरप्रीत के रूप में की. अखबारों से मिली जानकारी के बाद उसी दिन अधजले शव की पहचान के लिए अस्पताल में 60 से अधिक लोग पहुंचे थे, जिस में ट्राइसिटी के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर आदि जगहों के लोग भी शामिल थे, जिन की बेटियां, पत्नियां पिछले कुछ महीनों से लापता थीं. लेकिन शव की शिनाख्त उन में से किसी ने भी नहीं की थी.

30 अप्रैल, 2019 को डाक्टरों के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मृतका की हत्या गला घोंट कर की गई थी और उस के पेट में चाकू से 3 वार भी किए गए थे. महिला 5 माह की गर्भवती थी. अंत में कागजी काररवाई करने के बाद उस की लाश लल्लन के हवाले कर दी गई थी. उसी दिन उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस को अब लल्लन की बेटी के हत्यारों और हत्या के कारण का पता लगाना था. इस के पहले कि इस मामले में पुलिस आगे कुछ कर पाती, अगले दिन दिनांक 30 अप्रैल को कहानी में एक नया मोड़ आ गया.

कहानी में आया नया मोड़

इस ट्विस्ट से पंचकूला पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. लल्लन अपनी जिस बेटी गुरप्रीत का अंतिम संस्कार कर चुका था, वही गुरप्रीत अपने गायब होने के करीब 38 दिनों बाद 30 अप्रैल को रात करीब 9 बजे आईटी थाने में अचानक पहुंच गई.

उस ने पुलिस को बताया कि मैं जिंदा हूं, मेरे प्रेमी को बेवजह मेरी हत्या के आरोप में फंसाया जा रहा है. इस में मेरे पिता की कोई चाल हो सकती है. गुरप्रीत ने बताया कि वह जहां भी गई थी, अपनी मरजी से गई थी. जब उस ने समाचारपत्रों में अपनी हत्या की खबर पढ़ी तो वह हैरान रह गई. इसलिए सच्चाई बताने के लिए वह सीधे थाने चली आई.

आईटी थानाप्रभारी लखबीर सिंह ने इस बात की सूचना एसएचओ मनसादेवी को देने के बाद देर रात तक गुरप्रीत से पूछताछ की. अगले दिन यानी पहली मई को उस का मैडिकल करवाने के बाद उसे सिटी मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर उस का इकबालिया बयान दर्ज करवाया.

एसएचओ मनसादेवी विजय कुमार ने जब लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को थाने बुला कर इस बारे में पूछा तो वह गिड़गिड़ा कर कहने लगा, ‘‘साहब, आप ने लाश और उस के जो फोटो हमें दिखाए थे, उस के नाक और कान मेरी बेटी से बिलकुल मिलते थे. इसीलिए हम ने उसे अपनी बेटी की लाश समझा.’’

लल्लन तो इतनी बात कह कर बच निकला पर पंचकूला पुलिस को इस मामले से बचना इतना आसान नहीं था. उस की खिल्ली उड़ रही थी. बहरहाल, गुरप्रीत के लौट आने से लल्लन और चंडीगढ़ पुलिस ने तो चैन की सांस ली पर पंचकूला पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई थीं.

लल्लन के गलत शिनाख्त करने के बाद पुलिस ने मृतका को गुरप्रीत मान कर उस का अंतिम संस्कार करवा दिया था और आस लगाए बैठी थी कि लाश की शिनाख्त हो गई है तो उस के हत्यारे भी जल्द पकड़े जाएंगे, पर नए हालात में पुलिस के हाथ खाली थे.

पुलिस एक ऐसी अंधेरी खाई में घुस चुकी थी, जहां से जल्दी निकलना संभव नहीं था. न तो पुलिस के पास मृतका के बारे में कोई जानकारी थी और न हत्यारों का कोई सुराग. कुल मिला कर पुलिस को इस ब्लाइंड केस को सुलझाने के लिए नए सिरे से तहकीकात करनी थी. क्योंकि मृतका गर्भवती थी, इसलिए पुलिस अब इसे औनर किलिंग के एंगल से भी देख रही थी.

दूसरी ओर लल्लन की बेटी के वापस आने से उस के तथाकथित प्रेमी की मां ताज ने अपने रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों के साथ थाने जा कर हंगामा खड़ा कर दिया और थाने में बैठे लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘मैं कहती थी न कि मेरा बेटा ऐसा कभी नहीं कर सकता, वह गुरप्रीत से सच्ची मोहब्बत करता है, उस की हत्या नहीं कर सकता. लल्लन और उस के परिवार ने पुरानी रंजिश निकालने के  लिए मेरे बेटे को फंसाने की कोशिश की है.’’

आखिर लाश की हो गई शिनाख्त

अब थाना मनसादेवी पुलिस इस की जांच करने में जुट गई कि आखिर वह युवती कौन थी, जिस का अंतिम संस्कार लल्लन ने अपनी बेटी गुरप्रीत जान कर किया. थोड़ी कोशिश के बाद मनसादेवी पुलिस को मृतका के बारे में एक छोटी सी जानकारी मिली.

पता चला कि वह लाश सूरजपुर की रहने वाली किसी युवती की थी. पुलिस जब सूरजपुर पहुंची तो वहां मृतका का पिता ऋषिपाल मिला. मनसादेवी पुलिस ने ऋषिपाल से बात की तो उस ने बताया कि उस की बेटी आरती 26 अप्रैल की रात से लापता है. उस ने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी है.

इस बार पुलिस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. पुलिस ने युवती की झुलसी हुई लाश के जो सैंपल सुरक्षित रखे हुए थे, उन से ऋषिपाल का डीएनए मैच करवा कर देखा तो वह मिल गया. इस से यह बात भी साबित हो गई कि मृतका ऋषिपाल की ही बेटी थी. अब इस बात की पुष्टि हो गई कि वह अधजला शव ऋषिपाल की 28 वर्षीय बेटी सुनीता उर्फ आरती का था.

सुनीता शादीशुदा महिला थी. उस की 11 साल की एक बेटी भी है. सुनीता की शादी लगभग 12 साल पहले हुई थी. पिछले 3-4 सालों से उस की अपने पति से अनबन चल रही थी, जिस कारण वह अपने मातापिता और भाई भाभी के साथ सूरजपुर में ही रह रही थी.

पुलिस ने मृतका के परिजनों से उस का मोबाइल नंबर ले कर उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की. उस में एक ऐसा नंबर हाथ लगा, जिस से मृतका की घंटों तक बातें हुआ करती थीं. वह नंबर चेक टाउन के रहने वाले 26 वर्षीय आनंद नाम के युवक का था.

पुलिस ने आनंद के नंबर की जांच की तो 27 अप्रैल, 2019 को उस के फोन की लोकेशन भी उसी जगह की मिली, जहां सुनीता उर्फ आरती की झुलसी हुई लाश मिली थी. सारे सबूत मिल जाने के बाद 3 मई, 2019 को सीआईए इंचार्ज इंसपेक्टर अमन कुमार ने अपनी टीम के साथ मनीमाजरा, पीपली से आनंद और उस के छोटे भाई आजाद को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ के दौरान आनंद ने बिना कोई नौटंकी किए अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने ही सुनीता उर्फ आरती की हत्या की थी, क्योंकि वह उसे शादी करने के लिए ब्लैकमेल कर रही थी.

हालांकि बाद में ब्लैकमेल वाली बात झूठी साबित हुई थी. बहरहाल, उसी दिन डीएसपी कमल गोयल ने प्रैसवार्ता कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया था. अगले दिन आनंद और आजाद को अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान की गई विस्तृत पूछताछ में इस हत्याकांड की कहानी कुछ इस प्रकार सामने आई.

जिस प्रकार मृतका सुनीता उर्फ आरती का अपने पति से विवाद चल रहा था और वह अपनी बेटी के साथ अपने भाई के घर अकेली रह रही थी, ठीक उसी तरह से आनंद भी अपनी पत्नी के साथ विवाद के चलते अकेला अपने मांबाप के साथ रह रहा था.

आज से लगभग 9 महीने पहले सुनीता अपनी भाभी के साथ किसी शादी में जाने के लिए लहंगा खरीदने सेक्टर-19 की मार्केट स्थित एक शोरूम में गई थी. आनंद भी उसी शोरूम पर काम करता था. यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई थी और पहली नजर में ही दोनों एकदूसरे को अपना दिल दे बैठे थे. दोनों ने अपने अपने फोन नंबर एकदूसरे को दे दिए थे और अकसर रात को फोन पर घंटों बातें किया करते थे.

अकेले रहने के कारण दोनों देहसुख पाने के लिए तड़प रहे थे. सो इस के बाद दोनों के बीच संबंध बन गए थे. पहले तो दोनों बाहर कहीं होटल आदि में मिल कर अपनी प्यास बुझा लिया करते थे, लेकिन बाद में मृतका आनंद के घर पीपली टाउन जाने लगी थी.

वैसे इन दोनों के संबंधों का दोनों के घर वालों को पता था. उन दोनों के बीच सब ठीकठाक ही चल रहा था. दोनों खुश भी थे और आपस में शादी कर लेना चाहते थे.

एक दिन अचानक सुनीता को पता चला कि वह गर्भवती हो गई है तो उस ने यह बात आनंद को बताते हुए कहा कि वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है और अब हमें शादी कर लेनी चाहिए. आनंद को यह बात अच्छी नहीं लगी. उस ने बात टालते हुए कहा, ‘‘इस बारे में बाद में बात करेंगे.’’

सुनीता को उस का यह रूखा व्यवहार अच्छा नहीं लगा. कहां तो उस ने सोचा था कि बच्चे वाली बात सुन कर आनंद खुश हो जाएगा, लेकिन यहां तो बात उलटी ही निकली. बच्चे की बात को ले कर दोनों के बीच तनाव पैदा हो गया था. आरती जब भी आनंद से शादी की बात करती तो वह टाल देता था. इसी तरह तनाव भरे माहौल में समय बीतता गया और आरती के पेट में पल रहा बच्चा 5 माह का हो गया था.

अब तो आरती के शरीर में भी परिवर्तन आ गया था. दूसरी ओर आनंद शादी से साफ इनकार करने लगा था. दरअसल आनंद शुरू से ही शादी वादी के लिए तैयार नहीं था. वह बस मुफ्त में मजे लेने के पक्ष में था. उस का कहना था कि हम दोनों केवल अपने अपने शरीर की जरूरतें पूरी करते हैं. जबकि सुनीता इस मामले में गंभीर थी.

छली गई थी सुनीता

आनंद हर समय सुनीता पर इस बात का दबाव डालता था कि वह अबार्शन करवा कर इस मुसीबत से छुटकारा पा ले. एक दिन तो शादी को ले कर हो रही बहस के दौरान उस ने आरती से यहां तक कह दिया, ‘‘मैं कैसे मान लूं कि यह बच्चा मेरा ही है. क्या पता मेरे अलावा तुम्हारे संबंध न जाने किनकिन लोगों के साथ होंगे.’’

यह बात आरती को बहुत बुरी लगी. इस बात को ले कर दोनों में काफी नोकझोंक हुई. आनंद सुनीता से अपना पीछा छुड़ाने की पहले से ही योजना बना चुका था. अब उसे अपनी योजना को अमली जामा पहनाना था. 26 अप्रैल को दोनों की फोन पर शादी वाली बात को ले कर काफी बहस हुई. अंत में आनंद ने उसे रात 8 बजे घर पर मिलने के लिए बुलाया.

जब सुनीता वहां पहुंची तो आनंद के साथ उस का छोटा भाई आजाद भी था. आनंद ने फिर से उसे गर्भपात कराने के लिए कहा, जबकि सुनीता किसी भी कीमत पर गर्भपात कराने के लिए तैयार नहीं थी. वह अपनी बात पर अड़ी थी. इसे ले कर आनंद और सुनीता के बीच झगड़ा हो गया.

आनंद ने सुनीता पर अबार्शन का दबाव बनाने के लिए गुस्से में आ कर कई थप्पड़ मारे. इस पर सुनीता ने गुस्से में आ कर अपना गला अपनी चुन्नी से दबा लिया, जिस से वह बेहोश हो कर जमीन पर पड़ी थी. तभी दोनों भाइयों ने वह चुन्नी और खींच दी, जिस से उस का गला घुटने से मौत हो गई और उस की जीभ भी बाहर निकल आई. इस के बाद आनंद ने चाकू से पेट और आसपास के हिस्से में 3 वार किए.

हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने सुनीता के शव को जूट की बोरी में डाला और लाश को सुनीता की ही एक्टिवा पर अगले हिस्से में रख लिया. मनीमाजरा से चल कर दोनों भाई मनसादेवी थाने के क्षेत्र में पहुंचे, जहां उन्होंने सुनीता का शव झाडि़यों में डाल दिया. वहां घुप्प अंधेरा था और जगह भी एकदम सुनसान थी.

लाश को ठिकाने लगाने के लिए उन्हें यह जगह ठीक लगी. इस के बाद दोनों भाई मनीमाजरा स्थित पैट्रोल पंप पर पहुंचे, जहां उन्होंने एक्टिवा की टंकी फुल करवाई और वापस लाश के पास पहुंच गए.

एक्टिवा की टंकी से पैट्रोल निकाल कर उन्होंने लाश पर छिड़का और आग लगा कर वहां से अपने घर चले आए. यह बात 26-27 अप्रैल की रात की है. हालांकि आरोपियों ने अपनी तरफ से हत्या का कोई सबूत नहीं छोड़ा था, फिर भी पुलिस मोबाइल डिटेल्स के सहारे दोनों हत्यारोपियों तक पहुंच ही गई.

दोनों भाइयों से पूछताछ करने के बाद उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि के दौरान सीआईए पुलिस ने मृतका की एक्टिवा और हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. मामले की तफ्तीश चल रही है. पुलिस महिला की हत्या के आरोपी आनंद और आजाद को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

पुलिस को संदेह है कि इस हत्याकांड में कोई और भी शामिल हो सकता है. पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. इस के अलावा पुलिस यह भी जांच कर रही है कि 38 दिनों तक गुरप्रीत आखिर कहां और किस के साथ रही थी.

पति की दूरी ने बढ़ाया प्रेमी से प्यार

घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र की है. 17 मार्च,  2019 की दोपहर 2 बजे का समय था. इस समय अधिकांशत:  घरेलू महिलाएं आराम करती हैं. ग्वालियर के पुराने हाईकोर्ट इलाके में स्थित शांतिमोहन विला की तीसरी मंजिल पर रहने वाली मीनाक्षी माहेश्वरी काम निपटाने के बाद आराम करने जा रही थीं कि तभी किसी ने उन के फ्लैट की कालबेल बजाई. घंटी की आवाज सुन कर वह सोचने लगीं कि पता नहीं इस समय कौन आ गया है.

बैड से उठ कर जब उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने घबराई हालत में खड़ी अपनी सहेली प्रीति को देख कर वह चौंक गईं. उन्होंने प्रीति से पूछा, ‘‘क्या हुआ, इतनी घबराई क्यों है?’’

‘‘उन का एक्सीडेंट हो गया है. काफी चोटें आई हैं.’’ प्रीति घबराते हुए बोली.

‘‘यह तू क्या कह रही है? एक्सीडेंट कैसे हुआ और भाईसाहब कहां हैं?’’ मीनाक्षी ने पूछा.

‘‘वह नीचे फ्लैट में हैं. तू जल्दी चल.’’ कह कर प्रीति मीनाक्षी को अपने साथ ले गई.

मीनाक्षी अपने साथ पड़ोस में रहने वाले डा. अनिल राजपूत को भी साथ लेती गईं. प्रीति जैन अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट नंबर 208 में अपने पति हेमंत जैन और 2 बच्चों के साथ रहती थी.

हेमंत जैन का शीतला माता साड़ी सैंटर के नाम से साडि़यों का थोक का कारोबार था. इस शाही अपार्टमेंट में वे लोग करीब साढ़े 3 महीने पहले ही रहने आए थे. इस से पहले वह केथ वाली गली में रहते थे. हेमंत जैन अकसर साडि़यां खरीदने के लिए गुजरात के सूरत शहर आते जाते रहते थे. अभी भी वह 2 दिन पहले ही 15 मार्च को सूरत से वापस लौटे थे.

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मीनाक्षी माहेश्वरी डा. अनिल राजपूत को ले कर प्रीति के फ्लैट में पहुंची तो हेमंत की गंभीर हालत देख कर वह घबरा गईं. पलंग पर पड़े हेमंत के सिर से काफी खून बह रहा था. वे लोग हेमंत को तुरंत जेएएच ट्रामा सेंटर ले गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने हेमंत को मृत घोषित कर दिया.

पुलिस केस होने की वजह से अस्पताल प्रशासन द्वारा इस की सूचना इंदरगंज के टीआई को दे दी. इस दौरान प्रीति ने मीनाक्षी को बताया कि उसे एक्सीडेंट के बारे में कुछ नहीं पता कि कहां और कैसे हुआ.

प्रीति ने बताया कि वह अपने फ्लैट में ही थी. कुछ देर पहले हेमंत ने कालबेज बजाई. मैं ने दरवाजा खोला तो वह मेरे ऊपर ही गिर गए. उन्होंने बताया कि उन का एक्सीडेंट हो गया. कहां और कैसे हुआ, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया और अचेत हो गए. हेमंत को देख कर मैं घबरा गई. फिर दौड़ कर मैं आप को बुला लाई.

अस्पताल से सूचना मिलते ही थाना इंदरगंज के टीआई मनीष डाबर मौके पर पहुंचे तो प्रीति जैन ने वही कहानी टीआई मनीष डाबर को सुनाई, जो उस ने मीनाक्षी को सुनाई थी.

एक्सीडेंट की कहानी पर संदेह

टीआई मनीष डाबर को लगा कि हेमंत की कहानी एक्सीडेंट की तो नहीं हो सकती. इस के बाद उन्होंने इस मामले से एसपी नवनीत भसीन को भी अवगत करा दिया. एसपी के निर्देश पर टीआई अस्पताल से सीधे हेमंत के फ्लैट पर जा पहुंचे.

उन्होंने हेमंत के फ्लैट की सूक्ष्मता से जांच की. जांच में उन्हें वहां की स्थिति काफी संदिग्ध नजर आई. प्रीति ने पुलिस को बताया था कि एक्सीडेंट से घायल हेमंत ने बाहर से आ कर फ्लैट की घंटी बजाई थी, लेकिन न तो अपार्टमेंट की सीढि़यों पर और न ही फ्लैट के दरवाजे पर धब्बे तो दूर खून का छींटा तक नहीं मिला. कमरे में जो भी खून था, वह उसी पलंग के आसपास था, जिस पर घायल अवस्था में हेमंत लेटे थे.

बकौल प्रीति हेमंत घायलावस्था में थे और दरवाजा खुलते ही उस के ऊपर गिर पड़े थे, लेकिन पुलिस को इस बात का आश्चर्य हुआ कि प्रीति के कपड़ों पर खून का एक दाग भी नहीं था.

टीआई मनीष डाबर ने इस जांच से एसपी नवनीत भसीन को अवगत कराया. इस के बाद एडीशनल एसपी सत्येंद्र तोमर तथा सीएसपी के.एम. गोस्वामी भी हेमंत के फ्लैट पर पहुंच गए. सभी पुलिस अधिकारियों को प्रीति द्वारा सुनाई गई कहानी बनावटी लग रही थी.

प्रीति के बयान की पुष्टि करने के लिए टीआई ने फ्लैट के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अपने कब्जे में लिए. फुटेज की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. पता चला कि घटना से करीब आधा घंटा पहले हेमंत के फ्लैट में 2 युवक आए थे. दोनों कुछ देर फ्लैट में रहने के बाद एकएक कर बाहर निकल गए थे.

उन युवकों के चले जाने के बाद प्रीति भी एक बार बाहर आ कर वापस अंदर गई और कपड़े बदल कर मीनाक्षी को बुलाने तीसरी मंजिल पर जाती दिखी.

मामला साफ था. सीसीटीवी फुटेज में घायल हेमंत घर के अंदर या बाहर आते नजर नहीं आए थे. अलबत्ता 2 युवक फ्लैट में आते जाते जरूर दिखे थे. प्रीति ने इन युवकों के फ्लैट में आने के बारे में कुछ नहीं बताया था. जिस की वजह से प्रीति खुद शक के घेरे में आ गई.

जो 2 युवक हेमंत के फ्लैट से निकलते सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए थे, पुलिस ने उन की जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि उन में से एक दानाखोली निवासी मृदुल गुप्ता और दूसरा सुमावली निवासी उस का दोस्त आदेश जैन था.

दोनों युवकों की पहचान हो जाने के बाद मृतक हेमंत की बहन ने भी पुलिस को बताया कि प्रीति के मृदुल गुप्ता के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को ले कर प्रीति और हेमंत के बीच विवाद भी होता रहता था.

यह जानकारी मिलने के बाद टीआई मनीष डाबर ने मृदुल और आदेश जैन के ठिकानों पर दबिश दी लेकिन दोनों ही घर से लापता मिले. इतना ही नहीं, दोनों के मोबाइल फोन भी बंद थे. इस से दोनों पर पुलिस का शक गहराने लगा.

लेकिन रात लगभग डेढ़ बजे आदेश जैन अपने बडे़ भाई के साथ खुद ही इंदरगंज थाने आ गया. उस ने बताया कि मृदुल ने उस से कहा था कि हेमंत के घर पैसे लेने चलना है. वह वहां पहुंचा तो मृदुल और प्रीति सोफे के पास घुटने के बल बैठे थे जबकि हेमंत सोफे पर लेटा था.

इस से दाल में कुछ काला नजर आया, जिस से वह वहां से तुरंत वापस आ गया था. उस ने बताया कि वह हेमंत के घर में केवल डेढ़ मिनट रुका था. आदेश के द्वारा दी गई इस जानकारी से हेमंत की मौत का संदिग्ध मामला काफी कुछ साफ हो गया.

दूसरे दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई. रिपोर्ट में बताया गया कि हेमंत के माथे पर धारदार हथियार के 5 और चेहरे पर 3 घाव पाए गए. उन के सिर पर पीछे की तरफ किसी भारी चीज से चोट पहुंचाई गई थी, जिस से उन की मृत्यु हुई थी.

इसी बीच पुलिस को पता चला कि मृतक की पत्नी प्रीति जैन रात के समय घर में आत्महत्या करने का नाटक करती रही थी. सुबह अंतिम संस्कार के बाद भी उस ने आग लगा कर जान देने की कोशिश की. पुलिस उसे हिरासत में थाने ले आई.

दूसरी तरफ दबाव बढ़ने पर मृदुल गुप्ता भी शाम को अपने वकील के साथ थाने में पेश हो गया. पुलिस ने प्रीति और मृदुल से पूछताछ की तो बड़ी आसानी से दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने स्वीकार कर लिया कि हेमंत की हत्या उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से की थी.

पूछताछ के बाद हेमंत की हत्या की कहानी इस तरह सामने आई—

हेमंत के बड़े भाई भागचंद जैन करीब 20 साल पहले ग्वालियर के खिड़की मोहल्लागंज में रहते थे. हेमंत का अपने बड़े भाई के घर काफी आनाजाना था. बड़े भाई के मकान के सामने एक शुक्ला परिवार रहता था. प्रीति उसी शुक्ला परिवार की बेटी थी. वह हेमंत की हमउम्र थी.

बड़े भाई और शुक्ला परिवार में काफी नजदीकियां थीं, जिस के चलते हेमंत का भी प्रीति के घर आनाजाना हो जाने से दोनों में प्यार हो गया. यह बात करीब 18 साल पहले की है. हेमंत और प्रीति के बीच बात यहां तक बढ़ी कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. तब दोनों ने घर वालों की मरजी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लिया था.

इस से शुक्ला परिवार ने बड़ी बेइज्जती महसूस की और वह अपना मोहल्लागंज का मकान बेच कर कहीं और रहने चले गए जबकि प्रीति पति के साथ कैथवाली गली में और फिर बाद में दानाओली के उसी मकान में आ कर रहने लगी, जिस की पहली मंजिल पर मृदुल गुप्ता अकेला रहता था. यहीं पर मृदुल की प्रीति के पति हेमंत से मुलाकात और दोस्ती हुई थी.

हेमंत ने साड़ी का थोक कारोबार शुरू कर दिया था, जिस में कुछ दिन तक प्रीति का भाई भी सहयोगी रहा. बाद में वह कानपुर चला गया. इधर हेमंत का काम देखते ही देखते काफी बढ़ गया और वह ग्वालियर के पहले 5 थोक साड़ी व्यापारियों में गिना जाने लगा. हेमंत को अकसर माल की खरीदारी के लिए गुजरात के सूरत शहर जाना पड़ता था.

हेमंत का काम काफी बढ़ चुका था, जिस के चलते एक समय ऐसा भी आया जब महीने में उस के 20 दिन शहर से बाहर गुजरने लगे. इस दौरान प्रीति और दोनों बच्चे ग्वालियर में अकेले रह जाते थे. इसलिए उन की देखरेख की जिम्मेदारी हेमंत अपने सब से खास और भरोसेमंद दोस्त मृदुल को सौंप जाता था.

हेमंत मृदुल पर इतना भरोसा करता था कि कभी उसे बाहर से बड़ी रकम ग्वालियर भेजनी होती तो वह मृदुल के बैंक खाते में ही ट्रांसफर कर देता था. इस से हेमंत की गैरमौजूदगी में भी मृदुल का प्रीति के घर में लगातार आनाजाना बना रहने लगा था.

प्रीति की उम्र 35 पार कर चुकी थी. वह 2 बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन आर्थिक बेफिक्री और पति के अति भरोसे ने उसे बिंदास बना दिया था. इस से वह न केवल उम्र में काफी छोटी दिखती थी बल्कि उस का रहनसहन भी अविवाहित युवतियों जैसा था.

कहते हैं कि लगातार पास बने रहने वाले शख्स से अपनापन हो जाना स्वाभाविक होता है. यही प्रीति और मृदुल के बीच हुआ. दोनों एकदूसरे से काफी घुलेमिले तो थे ही, अब एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए थे. उन के बीच दोस्तों जैसी बातें होने लगी थीं, जिस के चलते एकदूसरे के प्रति उन का नजरिया भी बदल गया था. इस का नतीजा यह हुआ कि लगभग डेढ़ साल पहले उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

दोस्त बन गया दगाबाज

प्रीति का पति ज्यादातर बाहर रहता था और मृदुल अभी अविवाहित था. इसलिए दैहिक सुख की दोनों को जरूरत थी. उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं था. क्योंकि खुद हेमंत ने ही मृदुल को प्रीति और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इसलिए हेमंत के ग्वालियर में न रहने पर मृदुल की रातें प्रीति के साथ उस के घर में एक ही बिस्तर पर कटने लगीं.

दूसरी तरफ प्रीति के नजदीक बने रहने के लिए मृदुल जहां हेमंत के प्रति ज्यादा वफादारी दिखाने लगा, वहीं जवान प्रेमी को अपने पास बनाए रखने के लिए प्रीति न केवल उसे हर तरह से सुख देने की कोशिश करने लगी, बल्कि मृदुल पर पैसा भी लुटाने लगी थी.

इसी बीच करीब 6 महीने पहले एक रोज जब हेमंत ग्वालियर में ही बच्चों के साथ था, तब बच्चों ने बातों बातों में बता दिया कि मम्मी तो मृदुल अंकल के साथ सोती हैं और वे दोनों दूसरे कमरे में अकेले सोते हैं.

बच्चे भला ऐसा झूठ क्यों बोलेंगे, इसलिए पलक झपकते ही हेमंत सब समझ गया कि उस के पीछे घर में क्या होता है. हेमंत ने मृदुल को अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया और उस के अपने यहां आनेजाने पर भी रोक लगा दी.

इस बात को ले कर उस का प्रीति के साथ विवाद भी हुआ. प्रीति ने सफाई देने की कोशिश भी की लेकिन हेमंत ने मृदुल को फिर घर में अंदर नहीं आने दिया. इस से प्रीति परेशान हो गई.

दोनों अकेलेपन का लाभ न उठा सकें, इसलिए हेमंत अपना घर छोड़ कर परिवार को ले कर अपनी बहन के साथ आ कर रहने लगा. ननद के घर में रहते हुए प्रीति और मृदुल की प्रेम कहानी पर ब्रेक लग गया. लेकिन हेमंत कब तक अपना परिवार ले कर  बहन के घर रहता, सो उस ने 3 महीने पहले पुराना मकान बेच कर इंदरगंज में नया फ्लैट ले लिया. यहां आने के बाद प्रीति और मृदुल की कामलीला फिर शुरू हो गई.

प्रीति अपने युवा प्रेमी की ऐसी दीवानी थी कि उस ने मृदुल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उसे अपने साथ रख ले. इस पर जनवरी में मृदुल ने प्रीति से कहीं दूर भाग चलने को कहा लेकिन प्रीति बोली, ‘‘यह स्थाई हल नहीं है. पक्का हल तो यह है कि हम हेमंत को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दें.’’

मृदुल को भी अपनी इस अनुभवी प्रेमिका की लत लग चुकी थी, इसलिए वह इस बात पर राजी हो गया. जिस के बाद दोनों ने घर में ही हेमंत की हत्या करने की योजना बना कर 17 मार्च, 2019 को उस पर अमल भी कर दिया.

योजना के अनुसार उस रोज प्रीति ने पति की चाय में नींद की ज्यादा गोलियां डाल दीं, जिस से वह जल्द ही गहरी नींद में चला गया. फिर मृदुल के आने पर प्रीति ने गहरी नींद में सोए पति के पैर दबोचे और मृदुल ने हेमंत की गला दबा दिया.

इस दौरान हेमंत ने विरोध किया तो दोनों ने उसे उठा कर कई बार उस का सिर दीवार से टकराया, जिस से उस के सिर से खून बहने लगा और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

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टीआई मनीष डाबर ने प्रीति और मृदुल से विस्तार से पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से प्रीति को जेल भेज दिया और मृदुल को 2 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया ताकि उस से वह कपड़े बरामद हो सकें जो उस ने हत्या के समय पहन रखे थे.

कथा लिखने तक पुलिस मृदुल से पूछताछ कर रही थी. हेमंत की हत्या में आदेश जैन शामिल था या नहीं, इस की पुलिस जांच कर रही थी.

बेलघाट अरुण मर्डर केस : ऐसी बहन किसी की ना हो

उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर में एक गांव है बनकट, जो थाना बेलघाट के क्षेत्र में आता है. पश्चिम बंगाल में कोयले की खदान में काम करने वाला रामसिधारे अपने परिवार के साथ बनकट गांव में रहता था.

रामसिधारे के परिवार में पिता वंशराज के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा था. उस की पत्नी विमला की करीब 5 साल पहले मृत्यु हो गई थी. उस ने अपनी बड़ी बेटी माधुरी की शादी पत्नी की मौत के कुछ दिनों बाद पड़ोस के गांव बरपरवा बाबू के रहने वाले जितेंद्र के साथ कर दी थी. रामसिधारे के कंधों पर 3 बच्चों की जिम्मेदारी बची थी.

चूंकि रामसिधारे पश्चिम बंगाल में रहता था, इसलिए बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उस के पिता वंशराज के ऊपर थी. वह ही उन की परवरिश कर रहे थे. रामसिधारे के घर पर न रहने के बावजूद तीनों बच्चे ठीक पढ़ रहे थे. बेटा अरुण और बेटी साधना हाईस्कूल में थे और मंझली बेटी पूजा स्नातक पास कर चुकी थी. घर में रह कर वह कंपीटिशन की तैयारी कर रही थी.

बीच बीच में रामसिधारे बच्चों की कुशलक्षेम लेने घर आता रहता था, ताकि बच्चों को मां की कमी न खले. कुछ दिन बच्चों के बीच बिता कर वह फिर नौकरी पर लौट जाता था. पिता के प्यार और दुलार से बच्चों को कभी मां की कमी नहीं खली थी.

31 जनवरी, 2019 की बात है. रात 10 बजे घर के सभी लोगों ने साथ बैठ कर खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए. बच्चों के दादा वंशराज दालान में सो रहे थे, जबकि पूजा, साधना और अरुण अलगअलग कमरों में सो रहे थे.

अगली सुबह पूजा और साधना रोजाना की तरह सुबह 6 बजे उठीं. घर का मुख्यद्वार खोल कर उन्होंने बाहर जाना चाहा तो दरवाजा नहीं खुला. किसी ने शायद बाहर से दरवाजे पर कुंडी लगा दी थी.

काफी प्रयास के बाद जब दरवाजा नहीं खुला तो दोनों बहनें यह सोच कर भाई अरुण के कमरे में गईं कि उस से कह कर दरवाजा खुलवाने का प्रयास करेंगी. लेकिन अरुण अपने कमरे में नहीं मिला. यह देख दोनों बहनें हैरान रह गईं कि बिना किसी को कुछ बताए इतनी सुबह वह कहां चला गया. उन्होंने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन अरुण कहीं नहीं मिला.

तब दोनों बहनें दालान में सो रहे दादा वंशराज के पास पहुंचीं, उन्हें जगा कर दोनों ने अरुण के बारे में पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही उसे बाहर जाते हुए देखा. बुजुर्ग वंशराज भी पोते के अचानक गायब होने से स्तब्ध थे.

अरुण के रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने से घर वाले परेशान हो गए. ऊपर से मकान का मेनगेट भी बाहर से बंद था. अंतत: साधना ने पड़ोस में रहने वाले चचेरे बाबा नंदू को फोन किया और बाहर से लगी मेनगेट की कुंडी खोलने को कहा. उस ने नंदू बाबा को यह भी बताता कि किसी ने शरारतवश कुंडी लगा दी होगी. कुछ देर में वह दरवाजे की कुंडी खोल कर अंदर आए.

उन्हें अरुण के गायब होने की बात पता चली तो वह भी परेशान हो गए. घर के सभी लोग अरुण को गांव में ढूंढने लगे. कुछ ही देर में पूरे गांव में अरुण के गायब होने की बात फैल गई. यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी कि घर में सोया अरुण आखिर गायब कैसे हो गया?

अरुण की तलाश में दादा वंशराज, नंदू, पूजा और साधना अलगअलग दिशाओं में निकल गए. इस से पहले पूजा और साधना ने अपने रिश्तेदारों और शुभचिंतकों को फोन कर के अरुण का पता लगा लिया था.

बहरहाल, अरुण की तलाश करते करते 3 घंटे बीत गए. उस के न मिलने से सभी परेशान थे. उसे ले कर उन के मन में बुरे खयाल आ रहे थे. पता नहीं नंदू के मन में क्या आया कि वह अपने आलू के खेत की तरफ मुड़ गए. आलू का वह खेत वंशराज के घर से मात्र 50 मीटर दूर था.

नंदू आलू के खेत में पहुंचे तो उन्हें खेत के बीचोबीच कोई औंधे मुंह पड़ा दिखा. जब वह उस के नजदीक पहुंचे और ध्यान से देखा तो चौंके. क्योंकि वह अरुण का शव था. किसी ने गला रेत कर उस की हत्या कर दी थी. नंदू दौड़ेदौड़े गांव पहुंचे और यह जानकारी बड़े भाई वंशराज को दी.

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              अरुण

अरुण की हत्या की बात सुन कर घर में रोनापीटना शुरू हो गया. वंशराज और उन की दोनों पौत्रियां पूजा और साधना रोते बिलखते आलू के खेत में पहुंचीं, जहां अरुण की रक्तरंजित लाश पड़ी थी. अरुण की हत्या की सूचना मिलते ही गांव वाले भी मौके पर पहुंच गए. इसी बीच किसी ने इस घटना की सूचना बेलघाट थाने को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुरेशचंद्र राम पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने सीओ (गोला) सतीशचंद्र शुक्ला और एसपी (दक्षिण) विपुल कुमार श्रीवास्तव को भी सूचना दे दी. सूचना मिलने पर दोनों पुलिस अधिकारी मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

पुलिस ने घटनास्थल की जांच की तो पता चला हत्यारों ने अरुण की हत्या किसी तेज धारदार हथियार से गला रेत कर की थी. उस का कसरती बदन देख कर लगता था कि हत्यारों की संख्या 2 से 3 रही होगी क्योंकि वह अकेले आदमी के वश में नहीं आ सकता था. खेत में संघर्ष का कोई निशान भी नहीं मिला था. इस बात ने मामले को और भी पेचीदा बना दिया था.

पुलिस ने मौके की और गहराई से जांच की. जिस जगह पर अरुण की लाश पड़ी थी, वहां खून सूख कर काला पड़ चुका था. इस से यही अनुमान लगाया जा रहा था कि घटना को 8-10 घंटे पहले अंजाम दिया गया होगा. लाश के अलावा पुलिस को मौके पर कुछ और नहीं मिला था.

पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज, गुलरिहा भिजवा दी. मृतक अरुण की बड़ी बहन पूजा उर्फ सोनाली ने गांव के ही 5 व्यक्तियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए थानाप्रभारी सुरेशचंद्र राम को नामजद तहरीर दी.

पूजा की तहरीर के आधार पर पुलिस ने अशोक मौर्या, चंद्रशेखर मौर्या, इंद्रजीत मौर्या, विनोद मौर्या और दशरथ मौर्या के खिलाफ भादंवि की धाराओं 147, 148, 149, 302, 506, 120बी और 3(1) एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

चूंकि यह मामला एससीएसटी एक्ट से जुड़ा था, इसलिए जांच की जिम्मेदारी सीओ सतीशचंद्र शुक्ला को सौंप दी गई. सीओ साहब ने सब से पहले वादी पूजा उर्फ सोनाली से अरुण की हत्या के संबंध में जानकारी ली. पूजा ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले अरुण को दशरथ मौर्या ने जेल भिजवाया था. वह उस की बेटी कंचन से प्यार करता था. कंचन भी उस से प्रेम करती थी. एक दिन दोनों ही घर छोड़ कर भाग गए थे.

दशरथ मौर्या ने नाबालिग बेटी कंचन को बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट बेलघाट थाने में दर्ज करा दी थी. पुलिस ने कोशिश कर के अरुण और कंचन को ढूंढ निकाला और अरुण को जेल भेज दिया था. जुलाई, 2018 में वह जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आया था.

भाई के जेल से आने के बाद से ही ये लोग उस की जान के पीछे पड़े थे. पूजा ने उन्हें बताया कि दशरथ मौर्या ने अपने चारों बेटों अशोक, चंद्रशेखर, इंद्रजीत और विनोद के साथ मिल कर अरुण की हत्या कर दी है.

सीओ सतीशचंद्र शुक्ला ने पूजा के बयान की पड़ताल की तो उस की बात सच निकली. इस के बाद सतीशचंद्र पुलिस टीम के साथ दशरथ मौर्या के घर पहुंच गए. मौके से अशोक, चंद्रशेखर और इंद्रजीत दबोच लिए गए. विनोद और उस का पिता दशरथ पुलिस के पहुंचने से पहले फरार हो गए थे. तीनों को हिरासत में ले कर वह थाने आ गए.

सीओ शुक्ला ने हिरासत में लिए गए अशोक मौर्या से दशरथ और विनोद के ठिकाने के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘सर, अरुण की हत्या हम ने नहीं की और न ही मेरे पिता फरार हैं. वह तो छोटे भाई विनोद के साथ घटना से 2 दिन पहले कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज चले गए थे.’’

अशोक मौर्या ने आगे बताया, ‘‘साहब, अरुण पिछले साल मेरी बहन कंचन को बहलाफुसला कर घर से भगा ले गया था. उस के खिलाफ बेलघाट थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जुलाई में अरुण जमानत पर जेल से आ गया. उस के बाद से हम खुद ही कंचन की निगरानी करते रहे. फिर दोबारा वह कंचन से कभी नहीं मिला और हम ने भी यह बात भुला दी. फिर हम उस की हत्या भला क्यों करेंगे?’’

अशोक के बयान ने सीओ शुक्ला को सोचने पर विवश कर दिया था. इधर 2 फरवरी को अरुण की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उस की हत्या पहले गला दबा कर की गई. फिर किसी तेज धार हथियार से उस का गला रेता गया था.

उधर जांच में यह बात भी सामने आ गई कि दशरथ मौर्या और उस का बेटा विनोद मौर्या वाकई घटना से 2 दिन पहले यानी 29 जनवरी को कुंभ स्नान करने प्रयागराज गए थे.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ने और घटना की पड़ताल करने के बाद सीओ सतीशचंद्र शुक्ला के गले से यह बात नीचे नहीं उतरी कि जब आरोपी दशरथ मौर्या और उस का बेटा विनोद 2 दिन पहले ही घटनास्थल से 200 किलोमीटर दूर प्रयागराज चले गए थे तो वह भला हत्या कैसे कर सकते थे? इस में जरूर कोई बड़ा पेंच था.

इस के बाद सीओ सतीशचंद्र शुक्ला ने एक बार फिर से पूजा को थाने बुला कर पूछताछ की और जांचपड़ताल के लिए उस का मोबाइल फोन मांगा. सीओ शुक्ला के फोन मांगने पर पूजा सकपका गई और फोन देने में आनाकानी करने लगी.

पूजा की यह हरकत सतीश शुक्ला को थोड़ी अजीब लगी. उन्होंने पूछताछ कर के उसे घर भेज दिया. इस के बाद उन्होंने पूजा के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेलस की जांच में पता चला कि उस के फोन पर घटना वाली रात में 11 बज कर 58 मिनट तक बातचीत हुई थी. फिर उसी नंबर पर सुबह करीब सवा 7 बजे भी बात हुई थी.

पूजा की जिस फोन नंबर पर बात हुई थी, पुलिस ने उस फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई. वह नंबर बेलघाट थाने के बरपरवा बाबू निवासी धर्मेंद्र कुमार का निकला.

धर्मेंद्र मृतक अरुण के सगे बहनोई का छोटा भाई था. पुलिस ने धर्मेंद्र को हिरासत में ले लिया. थाने में उस से सख्ती से पूछताछ की गई. धर्मेंद्र कोई पेशेवर अपराधी नहीं था, इसलिए उस ने बड़ी आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया.

उस ने पुलिस को बताया कि अरुण की हत्या उस ने अपने प्रेमिका पूजा उर्फ सोनाली के साथ मिल कर की थी. धर्मेंद्र के बयान के बाद पुलिस उसे जीप में बैठा कर पूजा को गिरफ्तार करने बनकट गांव पहुंची.

दरवाजे पर पुलिस को आया देख पूजा के दादा वंशराज ने पुलिस से अरुण के हत्यारों के बारे में पूछताछ की तो पुलिस ने उन्हें भरोसा दिया कि पुलिस अपना काम कर रही है. हत्यारे जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे. फिर उन्होंने उन से पूजा के बारे में पूछताछ की. पूजा उस समय घर में ही थी.

पुलिस के वहां आने की जानकारी होते ही पूजा भी कमरे से बाहर निकल आई. तभी महिला कांस्टेबल ने पूजा को जीप में बैठा लिया. यह देख कर वंशराज हैरान रह गए. वह भी नहीं समझ पाए कि पुलिस पूजा को अपने साथ क्यों और कहां ले जा रही है.

लेकिन जैसे ही पूजा की नजरें जीप में बैठे युवक पर पड़ीं तो वह चौंक गई. क्योंकि वह उस का ही प्रेमी था. अब पूजा को यह समझते देर नहीं लगी कि उस की रची हुई कहानी से परदा उठ चुका है. पुलिस अरुण के कातिलों तक पहुंच चुकी थी.

पुलिस ने थाने में पूजा और धर्मेंद्र को आमनेसामने बैठा कर अरुण की हत्या के बारे में पूछताछ की तो पूजा ने खुद पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि उस ने प्रेमी धर्मेंद्र के साथ मिल कर अपने एकलौते भाई को मार डाला. पूजा के बयान से उस के भाई अरुण की रूह कंपाने वाली जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

21 वर्षीय पूजा थी तो इकहरे बदन और साधारण शक्लसूरत की, लेकिन उस के नैननक्श तीखे थे. पूजा के पिता पश्चिम बंगाल में नौकरी करते थे. दादा वंशराज ही बच्चों की देखभाल करते थे. पूजा की बड़ी बहन माधुरी की शादी बनकट से थोड़ी दूर बरपरवा बाबू के जितेंद्र के साथ 5 साल पहले हुई थी.

जितेंद्र सीआरपीएफ में नौकरी करता था. जितेंद्र से छोटे 4 भाई और थे. इन में तीसरे नंबर का भाई धर्मेंद्र था. ग्रैजुएशन करने के बाद धर्मेंद्र ने पुलिस में भरती होने की तैयारी शुरू कर दी थी. पिता पंजाब में काम करते हैं.

बड़े भाई की ससुराल आतेजाते 4 साल पहले धर्मेंद्र और पूजा के बीच नजदीकी बढ़ गई थी. धर्मेंद्र पूजा की खूबसूरती पर मर मिटा था. चूंकि दोनों के बीच रिश्ता भी मजाक का था, इसलिए मजाक मजाक में वह खूबसूरत साली पूजा को छेड़ता रहता था. इसी छेड़छाड़ के दौरान दोनों में कब प्यार के अंकुर फूटे, न पूजा ही जान सकी और न ही धर्मेंद्र.

                    हत्यारी बहन पूजा

पूजा से प्यार होने के बाद धर्मेंद्र का भाई की ससुराल में आना जाना कुछ ज्यादा ही हो गया था. पूजा के गांव के बगल वाले गांव में धर्मेंद्र की ननिहाल थी. वह जब भी अपनी ननिहाल आता तो पूजा से मिलने जरूर आता था. धर्मेंद्र को देखते ही पूजा का चेहरा खुशी से खिल उठता था. उसे देख कर वह भी खुशी से झूम उठता था.

पूजा और धर्मेंद्र यह जान कर बेहद खुश रहते थे कि पिछले 4 सालों से उन के प्यार पर किसी की नजर नहीं गई थी. पर शायद यह दोनों की बहुत बड़ी भूल थी. पूजा के छोटे भाई अरुण को बहन और जीजा के भाई धर्मेंद्र के रिश्तों पर शक हो गया था.

वह समझ गया था कि दोनों के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है. लेकिन वह यह सोच कर चुप हो जाता था कि दोनों के बीच मजाक का रिश्ता है, ऐसा थोड़ाबहुत तो चलता ही है जबकि उन के बीच तो कोई दूसरी ही खिचड़ी पक रही थी.

जब से अरुण को धर्मेंद्र पर शक हुआ था, तब से वह उसे देखते ही अंदर ही अंदर जलभुन जाता था. वह नहीं चाहता था कि धर्मेंद्र वहां आए. अरुण पूजा को भी उस से दूर रहने के लिए समझाता था. उस के हावभाव से पूजा समझ गई थी कि अरुण को उस पर शक हो गया है. ये बात उस ने प्रेमी धर्मेंद्र को बता कर सतर्क कर दिया था.

उस दिन के बाद से धर्मेंद्र जब भी पूजा से मिलने भाई की ससुराल आता तो अरुण को देख कर सतर्क हो जाता और पूजा से कम ही बातचीत करता, जिस से अरुण को लगे कि उन के बीच कोई ऐसीवैसी बात नहीं है.

धर्मेंद्र और पूजा को अब अरुण प्यार के बीच का कांटा लगने लगा था. इतना ही नहीं, प्यार में अंधी पूजा धर्मेंद्र के साथ मिल कर एकलौते भाई को रास्ते से हटाने का ताना बाना बुनने लगी थी. ऐसी खतरनाक योजना बनाते हुए उसे एक बार भी यह खयाल नहीं आया कि जिस भाई की कलाई पर वह राखी बांधती रही, उसी भाई की जान लेने पर क्यों तुली हुई है.

बहरहाल, बात 31 जनवरी, 2019 की है. रात 10 बजे के करीब घर के सभी लोग खाना खा कर अपनेअपने कमरे में सो रहे थे. उस रोज भाई की ससुराल में धर्मेंद्र भी रुका था. वह अपनी ननिहाल आया था. वहां से वह रात में पैदल ही ससुराल पहुंच गया.

धर्मेंद्र अपने साले अरुण के साथ उसी के बिस्तर पर सो रहा था. रात 2 बजे के करीब अरुण की अचानक आंखें खुल गईं. उसे किसी के खुसरफुसर की आवाजें आ रही थीं. उस ने जब अपने बिस्तर पर देखा तो चौंका क्योंकि उस के साथ सो रहा धर्मेंद्र वहां नहीं था.

दबे पांव अरुण पूजा के कमरे में पहुंच गया. कमरे के अंदर का नजारा देख का उस का खून खौल उठा. धर्मेंद्र पूजा को अपनी बांहों में भरे आलिंगनबद्ध था. यह देख कर अरुण जोर से धर्मेंद्र को भद्दीभद्दी गालियां देने लगा.

अरुण को वहां देख कर दोनों घबरा गए और डर भी गए कि कहीं घर वाले जाग गए तो उन की पोल खुल जाएगी और बदनामी होगी. तभी धर्मेंद्र ने अरुण के मुंह पर कस कर हाथ रख लिया. यह देख घबराती हुई पूजा बोली, ‘‘तुम चिल्लाओ मत, हम दोनों जल्द ही एकदूसरे से शादी करने वाले हैं.’’

यह सुन कर अरुण उस पर भड़कते हुए बोला, ‘‘मैं अपने जीते जी ऐसा नहीं होने दूंगा.’’

पूजा ने भाई को बातों में उलझा कर उस के गले में अपना दुपट्टा डाल दिया. फिर धर्मेंद्र और पूजा फुरती से उस दुपट्टे को पकड़ कर खींचने लगे, जिस से गला घुट कर अरुण की मौत हो गई.

अरुण मर चुका है. यह सोच कर दोनों के हाथपांव फूल गए. पूजा और धर्मेंद्र लाश को ठिकाने लगाने को ले कर परेशान थे. दोनों सोच रहे थे कि सुबह होते ही भाई की अचानक मौत हो जाने से घर वाले परेशान हो जाएंगे. बात पुलिस तक पहुंच गई तो पकड़े भी जा सकते हैं.

तभी पूजा को अरुण और दशरथ मौर्या की बेटी कंचन की प्रेम कहानी याद आ गई. खुद को बचाने के लिए पूजा ने यह कहानी बना डाली. इस कहानी से वह 2 निशाने साध रही थी. पहला अरुण की हत्या का दोष दशरथ और उस के परिवार पर लग जाता. क्योंकि कंचन और अरुण को ले कर दोनों परिवारों के बीच विवाद चल रहा था. दूसरा उन दोनों पर किसी को शक भी नहीं होता.

खैर, पूजा की मदद से अरुण की लाश को ठिकाने लगाने के लिए धर्मेंद्र ने उसे अपनी पीठ पर उठा लिया और घर से 50 मीटर दूर नंदू के आलू के खेत में फेंक आया. कहीं भाई जीवित तो नहीं रह गया, यह जानने के लिए पूजा ने अरुण की नब्ज टटोली, उसे शक हुआ कि उस की सांस चल रही है.

फिर क्या था, वह दौड़ी दौड़ी कमरे में आई और डिब्बे में रखा ब्लेड निकाल कर खेत पर पहुंच गई. अपने ही हाथों से उस ने भाई का गला रेत दिया. फिर दोनों घर आ गए. खून से सने हाथपैर धो कर दोनों निश्चिंत हो गए. सुबह होते ही धर्मेंद्र घर लौट गया. घर जाते समय वह पूजा के घर के मेनगेट की कुंडी बाहर से बंद कर गया था ताकि लोगों को यही लगे कि दशरथ और उस के घर वालों ने उसे धोखे से बुला कर हत्या कर लाश आलू के खेत में फेंक दी.

केस का खुलासा हो जाने के बाद पुलिस ने दशरथ मौर्या और उस के बेटों के नाम रोजनामचे से हटा कर पूजा और धर्मेंद्र को आरोपी बनाते हुए उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कंचन नाम परिवर्तित है.

अपना कातिल ढूंढने वाली औरत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का डा. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय देश भर में प्रसिद्ध है. थाना कृष्णानगर क्षेत्र में आने वाले इस विश्वविद्यालय की पार्किंग बाउंड्री वाल के बाहर है. 23 मार्च, 2019 को जब मौर्निंग वाक पर निकले कुछ लोग उधर से गुजरे तो उन की निगाह फुटपाथ पर पड़े एक बड़े से बैग पर चली गई.

सामान्य रूप से लोगों ने समझा कि या तो कोई अपना बैग वहां रख कर भूल गया है या मौर्निंग वाक पर आए किसी व्यक्ति ने उसे वहां रख दिया है, जो वापस लौटते वक्त ले लेगा. हालांकि बैग का बड़ा साइज इन संभावनाओं को नकार रहा था.

लेकिन लोगों की यह सोच तब बदल गई, जब लौटते समय भी उन्होंने बैग को वहीं पड़े देखा. बैग में विस्फोटक रखे होने की आशंका के चलते किसी ने भी उसे हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की. इस से बेहतर यही था कि पुलिस को बुला लिया जाए. ऐसा ही किया भी गया.

सूचना मिलते ही थाना कृष्णानगर के थानाप्रभारी दिनेश मिश्रा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने बैग खोला तो उस के होश उड़ गए. बैग में 30-40 साल की किसी महिला का सिर, दोनों पैर और दोनों हाथ थे. बैग में 521 प्रीमियम राइस की 25 किलो की बोरी और बेबी क्लब का बैग निकले. चावल की बोरी में महिला के पैर और सिर था, जबकि बेबी क्लब के बैग में दोनों हाथ रखे हुए थे. मृतका ने सोने की अंगूठी पहन रखी थी और एक हाथ पर टैटू गुदा हुआ था.

हाल फिलहाल पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि उस महिला के धड़ को कहां और कैसे खोजा जाए. पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमों ने धड़ को खोजने की कोशिश की. इस के लिए डौग स्क्वायड की भी मदद ली गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

एसएसपी कलानिधि नैथानी और सीओ लालप्रताप सिंह भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने भी लाश के टुकड़ों और उस जगह को अपने नजरिए से देखा समझा. प्रथम संभावना में उस महिला को घरेलू हिंसा की शिकार माना गया.

अंतत: यह तय हुआ कि बरामद अंगों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाए और जितनी भी संभावनाएं हों, सभी की सिलसिलेवार जांच की जाए. पुलिस ने केस दर्ज कर के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली. साथ ही जो भी तरीके हो सकते थे, पुलिस ने उन तरीकों से भी महिला की पहचान कराने की कोशिश की. साथ ही धड़ की खोजबीन भी जारी रखी.

जिस जगह पर बैग रखा मिला था, उस के आसपास की छानबीन में पुलिस को लाल स्याही से हाथ से लिखे एक पत्र के दरजनों टुकड़े मिले, जिन्हें समेट कर सावधानी से रख लिया गया. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि अलसुबह 4 बजे जब वह मौर्निंग वाक पर जा रहा था तो उस ने एक व्यक्ति को पीठ पर बोरा लाद कर ले जाते देखा था. इतना ही नहीं, उस ने फुटपाथ पर बोरा भी उस के सामने ही रखा था.

पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गईं तो उन में से एक फुटेज में एक व्यक्ति को पीठ पर बैग लाद कर ले जाते हुए देखा गया. लेकिन बैग ले जा रहे व्यक्ति का चेहरा साफ नहीं था, इसलिए उसे पहचानना संभव नहीं था.

महिला की पहचान के लिए कोई रास्ता न निकलता देख पुलिस ने महिला के हाथ में पहनी अंगूठी, हाथ पर बने टैटू, लाश वाला बैग, उस के अंदर मिली चावल की बोरी और बेबी क्लब का बैग वगैरह चीजों का कोलाज बना कर जारी किया. साथ ही घोषणा की कि उस महिला की पहचान करने या उस के बारे में सूचना देने वाले को 25 हजार रुपए का नकद ईनाम दिया जाएगा.

25 मार्च रविवार की सुबह बीबीखेड़ा निवासी महिला कीर्ति सिंह जब दूध ले कर लौट रही थी तो उस ने न्यू कांशीराम कालोनी के पास स्थित हैमिल्टन स्कूल के पीछे से गुजरते समय तेज बदबू महसूस की. उस ने देखा तो पौलीथिन में कुछ लिपटा नजर आया. कीर्ति ने घर जा कर यह बात अपने पति अमरेंद्र सिंह को बताई. अमरेंद्र ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के सूचना दे दी.

पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना थाना पारा को दी. पुलिस ने वहां पहुंच कर देखा तो पौलीथिन में लिपटा उसी महिला का धड़ मिला, जिस का सिर और हाथपांव डा. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के बाहर पार्किंग में पड़े थैले में रखे मिले थे. हत्यारे ने महिला के धड़ को लाल काले रंग की दरी में लपेट कर प्लास्टिक की बोरी में डाला था ताकि खून न बहे.

एसपी (पूर्व) सुरेशचंद रावत सहित क्राइम ब्रांच, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी मौके पर पहुंचे. थाना पारा और थाना कृष्णानगर की पुलिस तो वहां थी ही. कृष्णानगर थानाक्षेत्र जहां महिला का सिर और पैर मिले थे, वहां से थाना पारा का वह इलाका जहां धड़ मिला था, के बीच 6 किलोमीटर की दूरी थी.

पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने कृष्णानगर या पारा के आसपास किसी घर में महिला की हत्या की होगी और लाश के टुकड़ों को 2 जगहों पर इसलिए फेंका होगा कि पुलिस असमंजस में पड़ जाए कि हत्या कृष्णानगर क्षेत्र में हुई या पारा क्षेत्र में. यह सब उस ने पुलिस से बचने के लिए किया होगा. पुलिस का यह भी अनुमान था कि हत्यारा कोई एक ही व्यक्ति रहा होगा.

प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने धड़ को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. धड़ और अन्य अंग एक ही महिला के हैं, इस का पता लगाने के लिए डीएनए कराने को लिखा गया. घटना का खुलासा जल्दी हो, इस के लिए एसएसपी कलानिधि नैथानी ने एसपी (पूर्वी) सुरेशचंद्र रावत के नेतृत्व में सीओ क्राइम, सीओ कृष्णानगर और डीसीआरबी प्रभारी को खुलासे की जिम्मेदारी सौंपते हुए 3 पुलिस टीमें बनाईं.

इन टीमों ने उसी दिन यानी 24 मार्च की शाम तक 20 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखीं. इस के साथ ही पुलिस अधिकारियों ने लखनऊ जोन के सभी जिलों के थानों में दर्ज महिलाओं की गुमशुदगी व अपहरण के मुकदमों की जानकारी मांगी. गहन छानबीन के मद्देनजर बीट के 100 सिपाहियों को घूमघूम कर महिला की पहचान कराने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया. महिला से संबंधित जानकारी पुलिस को देने के लिए जगहजगह पोस्टर भी लगवाए गए.

पारा क्षेत्र में रहने वाले बाबूलाल कनौजिया ने 25 मार्च को थाना पारा में गुमशुदगी दर्ज कराई कि उस का भाई सुनील कनौजिया 2 हफ्ते से लापता है. बाबूलाल ने यह भी बताया कि सुनील पिछले 4-5 महीने से अपनी पत्नी भारती पांडेय के साथ हंसखेड़ा, न्यू कांशीराम कालोनी में किराए के मकान में रह रहा था.

सुनील की कोई जानकारी न मिलने पर उस के भाई बाबूलाल ने थाना चौकी के चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे. इस मामले की जांच कर रहे सबइंसपेक्टर ने सुनील के फोटो लगा पोस्टर छपवा कर विभिन्न जगहों पर लगवाने को कहा.

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         हत्यारा पति सुनील कनौजिया

लेकिन बाबूलाल के पास सुनील का कोई फोटो नहीं था. अंतत: सुनील के गुम होने के 11वें दिन यानी 4 अप्रैल को फोटो की तलाश में जांच अधिकारी बाबूलाल के साथ सुनील के कमरे पर पहुंचे. ताला तोड़ने के अलावा उन के पास कोई विकल्प नहीं था.

ताला तोड़ कर कमरे के अंदर छानबीन की गई तो यह रहस्य सामने आया कि सुनील की पत्नी भारती पांडेय भी लापता थी. पुलिस ने कमरे से मिले सुनील और भारती पांडेय के सामूहिक फोटो और कृष्णानगर क्षेत्र में मिली लाश के अंगों के फोटो आसपड़ोस के लोगों को दिखाए तो कई लोगों ने सोने की अंगूठी, टैटू और चेहरा पहचान लिया. ये चीजें भारती पांडेय की ही थीं.

पुलिस ने कमरे को खंगाला तो टंकी के पाइप में रखे युवक के गीले कपड़ों पर खून के धब्बे नजर आए. इस के साथ ही यह बात भी साफ हो गई कि जिस महिला का धड़, सिर और अन्य अंग मिले थे, उस की हत्या इसी कमरे में की गई थी यानी वह भारती पांडेय ही थी.

छानबीन में भारती के बारे में कई जानकारियां मिलीं

पुलिस ने मकान मालिक दिलीप कुमार को बुला कर इस मामले में पूछताछ की. उस ने बताया कि भारती पांडेय नाम की महिला ने 5 महीने पहले 18 सौ रुपए महीने पर उन के मकान का कमरा किराए पर लिया था. उस ने आईडी की प्रति देते हुए बताया था कि वह नाका क्षेत्र की एक कंपनी में काम करती है. आईडी में भारती के पति का नाम रामगोपाल पांडेय और नाका के होलीग्राम स्कूल आर्यनगर का पता दर्ज था.

इसपर पुलिस ने नाका क्षेत्र में रामगोपाल की तलाश शुरू की. जांच के दौरान खुलासा हुआ कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता की मूल निवासी भारती पांडेय 12 साल पहले अपने बेटे राजकुमार के साथ लखनऊ आई थी. उस ने रामगोपाल पांडेय से दूसरी शादी की थी. बाद में उस ने रामगोपाल को छोड़ कर सुनील से शादी कर ली थी. सुनील से भारती को कोई बच्चा नहीं था.

भारती ने पहली शादी कोलकाता में और दूसरी गोंडा के कर्नलगंज निवासी रामगोपाल पांडेय जो होलीग्राम स्कूल का रिक्शाचालक था, से की थी. रामगोपाल पांडेय ने भारती के बेटे राजकुमार को अपना लिया था. तीनों लोग नेवाजखेड़ा में रहने लगे थे. भारती इलाके की एक चाऊमीन फैक्ट्री में काम कर के घर के खर्च में हाथ बंटाने लगी थी. इस बीच उस ने 2 बेटियों चांदनी व लक्ष्मी को जन्म दिया था.

शव की शिनाख्त के लिए पुलिस की एक टीम भारती पांडेय के दूसरे पति रामगोपाल पांडेय की तलाश में गोंडा भेजी गई. पुलिस रामगोपाल व उस की एक बेटी को लखनऊ ले आई. रामगोपाल ने बैग में मिले शरीर के टुकड़ों की पहचान अपनी पूर्वपत्नी भारती पांडेय के रूप में कर दी.

रामगोपाल ने पुलिस को जानकारी दी कि भारती के पहले पति का बेटा राजकुमार पश्चिम बंगाल में अपनी ननिहाल में रहता है. कोलकाता से आई भारती 8 साल रामगोपाल की पत्नी बन कर उस के साथ रही. इस के बाद उस के संबंध सुनील कनौजिया से हो गए. भारती का हाथ थामने से पहले सुनील ने अपनी पहली पत्नी से नाता तोड़ लिया था.

बाबूलाल व अन्य लोगों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि सुनील की पहली पत्नी इंदिरानगर इलाके में रहती है. भारती पांडेय की हत्या के बाद सुनील के पहली पत्नी के पास लौटने की संभावना को देखते हुए पुलिस ने जांच की, लेकिन सुनील वहां नहीं मिला.

छानबीन में पता चला कि चाऊमीन फैक्ट्री में काम करने के दौरान दिलफेंक भारती की आंखें फ्रेमिंग का काम करने वाले सुनील कनौजिया से लड़ गई थीं. सुनील एल्युमीनियम के फ्रेम तैयार करने वाली जिस दुकान में काम करता था, वह चाऊमीन फैक्ट्री के सामने थी. जब भी भारती फैक्ट्री से निकलती, उस की नजर दुकान पर काम करते सुनील पर ही टिकी होतीं. जब कभी नजरें मिल जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे. यह सिलसिला काफी दिनों तक चला. इस बीच दोनों की बातचीत होने लगी और फिर दोस्ती हो गई.

कोलकाता से साथ लाए बेटे और रामगोपाल से पैदा अपनी दोनों बेटियों को छोड़ कर भारती ने साढ़े 3 साल पहले सुनील का हाथ थाम लिया था.

रामगोपाल ने दोनों बच्चियों की देखरेख के लिए भारती को काफी समझाया. लेकिन उस के सिर पर चढ़े इश्क के भूत के आगे उसे हार माननी पड़ी. भारती को समझाने का कोई नतीजा न निकलने पर वह तीनों बच्चों को ले कर गोंडा स्थित अपने घर चला गया.

भारती करीब ढाई साल सुनील के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही. पिछले साल दोनों ने राजाजीपुरम की महिला शक्ति कल्याण समिति द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शादी कर ली थी.

पुलिस ने भारती व सुनील की शादी कराने वाली संस्था की अध्यक्ष रजनी यादव व कालोनी में रहने वाले भारती के पड़ोसियों से पूछताछ की. पता चला कि भारती का फिर किसी से अफेयर हो गया था और वह अकसर फोन पर बातचीत करती रहती थी, जिसे ले कर उस का पति सुनील उस पर शक करता था. वह उसे फोन पर बात करने से मना करता था, लेकिन भारती पर इस का कोई असर नहीं होता था.

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    मृतका भारती पांडेय

भारती के आचरण पर शक

इसी बात को ले कर दोनों में आए दिन झगड़ा होने लगा था. इस पर भारती ने पति को छोड़ कर दिलीप कुमार के मकान में किराए का अलग कमरा ले लिया था. कई दिन तक भारती के न मिलने पर सुनील उस की तलाश करता रहा और आखिरकार किसी तरह उस के कमरे तक पहुंच ही गया.

सुनील ने उस से पूछा कि वह उसे अकेला छोड़ कर बिना बताए क्यों चली आई? इस बात को ले कर उस ने भारती को डांटाफटकारा, जिस ले कर दोनों में झगड़ा हो गया. हालांकि बाद में वह भारती के पास ही रहने लगा था. हालांकि कमरा लेते वक्त भारती ने मकान मालिक को बताया था कि उस का पति बाहर काम करता है और वह यहां अकेली रहेगी.

पुलिस ने भारती पांडेय के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने के बाद सुनील के भाई बाबूलाल से गहराई से पूछताछ की. सुनील अपने भाई बाबूलाल की दुकान पर ही काम करता था. पुलिस ने उसी दुकान के शीशा कटिंग व फ्रेमिंग के कारीगर प्रेमप्रकाश व नरेंद्र को हिरासत में ले कर पूछताछ की, ये दोनों भारती से परिचित थे.

पड़ताल में जुटे पुलिस अफसरों का मानना था कि तीसरा पति सुनील कनौजिया भारती की अन्य लोगों से नजदीकी से नाराज था, इसीलिए उस ने उस की हत्या की थी. हत्या में अन्य लोगों के शामिल होने की भी पुलिस गहनता से जांच में लग गई. पुलिस ने आशंका व्यक्त की कि फ्रेमिंग के लिए एल्युमीनियम काटने वाली आरी से भारती के शव के टुकड़े किए गए थे.

पुलिस का मानना था कि फोन पर बातचीत को ले कर हुए विवाद के बाद 23 मार्च की रात में सुनील ने भारती की गला दबा कर हत्या की होगी और उस के बाद आरी से उस के टुकड़े किए होंगे. बाद में वह उन टुकड़ों को 2 अलगअलग जगहों पर फेंक कर फरार हो गया होगा. जांच के दौरान यह भी पता चला कि भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हो गया था.

सुनील के बड़े भाई बाबूलाल ने पुलिस को बताया कि सुनील 24 मार्च की रात में उस के घर आया था. इस दौरान उस ने खाना भी खाया था. भतीजी ने जब सुनील से पूछा, ‘‘चाचा, चाची को साथ क्यों नहीं लाए?’’ तो सुनील ने कहा, ‘‘तुम्हारी चाची भारती अपने मायके गई हुई है.’’

सुनील ने 25 मार्च को अपना फोन स्विच्ड औफ कर लिया था. जिस के बाद से उस का कोई सुराग नहीं लग पा रहा था.

कमरे में टंकी के पाइप पर सुनील की पीली जींस व काली शर्ट पर खून के हलके धब्बों के अलावा कोई साक्ष्य नहीं मिला. इस पर एसएसपी कलानिधि नैथानी ने फोरैंसिक टीम भेज कर जांच कराई.

बेंजिडाइन टेस्ट में कमरे में रखे वाइपर, प्लास्टिक के टब, स्टील के मग और फर्श पर खून के धब्बे नजर आने लगे. फोरैंसिक जांच में सुनील की जींस और टीशर्ट पर मिले खून के धब्बों में भारती के ब्लड सेल्स मिलने की पुष्टि हुई. हालांकि सुनील ने पूरा कमरा साफ कर दिया था, लेकिन बेंजिडाइन टेस्ट की वजह से खून के धब्बे मिल ही गए.

पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने इस बीच विधि विश्वविद्यालय की तरफ जाने वाले विभिन्न मार्गों के सीसीटीवी कैमरों के 22 मार्च की शाम से 23 मार्च की सुबह तक के फुटेज खंगाले, लेकिन सुनील या अन्य कोई संदिग्ध नजर नहीं आया.

एक फुटेज में बैग लादे एक युवक दिखा भी, लेकिन उस का चेहरा साफ नहीं दिखाई दे रहा था. अपर पुलिस अधीक्षक नगर (पूर्वी) का कहना है कि मार्ग से गुजरे एक आटो को संदेह के घेरे में लिया गया है. आशंका है कि सुनील 22 मार्च की रात आटो या किसी अन्य वाहन से भारती पांडेय के हाथ, पैर व सिर से भरा बैग ले कर राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के सामने उतरा होगा और वहां बैग को छोड़ कर चला गया होगा.

भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हुआ. इस के अगले दिन कृष्णानगर इलाके में बैग में महिला के शरीर के टुकड़े और 24 मार्च को पारा इलाके में बोरी में धड़ बरामद होने की खबर विभिन्न अखबारों में छपी, टीवी चैनलों के साथ सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई, लेकिन भारती के किसी भी दोस्त ने उस की सुध नहीं ली.

पुलिसकर्मियों ने उस के हाथ व चेहरे के फोटो ले कर कांशीराम कालोनी के लोगों से संपर्क किया, पोस्टर लगवाए, लेकिन उसे किसी ने नहीं पहचाना. न भारती के लापता होने की जानकारी पुलिस को दी. भारती का जेठ बाबूलाल भी चुप्पी साधे रहा. सुनील कनौजिया के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने पर पुलिस को पता चला कि उस ने 25 मार्च को अपने भाई बाबूलाल कनौजिया से बात करने के बाद फोन बंद कर लिया था.

इस पर पुलिस ने बाबूलाल से कड़ाई से पूछताछ की, तब खुलासा हुआ कि भारती की अन्य युवकों से दोस्ती के चलते सुनील बेहद नाराज था. जब सुनील 24 मार्च को भाई के घर खाना खाने आया तब उस ने पत्नी की हत्या की कोई जानकारी नहीं दी थी.

सुनील ने 25 मार्च को बाबूलाल को फोन किया था. उस ने बताया, ‘‘भाई, मैं ने अपनी भारती की हत्या कर दी है. उस के शव को भी ठिकाने लगा दिया है.’’

सुनील ने आगे कहा, ‘‘अब वह आत्महत्या करने जा रहा है.’’

बाबूलाल ने बताया कि वह सुनील से कुछ कहता, इस से पहले ही सुनील ने फोन काट दिया था. फिर उस ने अपना फोन बंद कर दिया था. इस के बाद ही बाबूलाल ने पारा थाने में सुनील की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हुआ. इस के अगले ही दिन कृष्णानगर में बैग में उस की लाश मिली.

भारती की हत्या कर शव के टुकड़े करने के मामले में पुलिस आरोपित पति सुनील की लोकेशन का पता नहीं लगा पाई. हालांकि 25 मार्च के बाद से आरोपित का मोबाइल बंद है. इस मामले में पुलिस ने कई जगहों पर दबिश दी, लेकिन लापता कथित हत्यारे पति सुनील का कोई सुराग नहीं मिला.

इंसपेक्टर कृष्णानगर दिनेश मिश्रा के मुताबिक मामले की छानबीन की जा रही है. महिला के जेठ बाबूलाल से कई चरणों में पूछताछ की गई.

कपड़ों की तरह प्रेमियों को बदलने वाली स्वार्थी भारती ने अपने बच्चों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया. उन्हें छोड़ कर उस ने अपने तीसरे प्रेमी के साथ शादी रचा ली. लेकिन जब वह चौथे प्रेमी से इश्क लड़ाने लगी तो उसे अपनी जान गंवानी पड़ी. उस के तीसरे पति ने उस की हत्या कर उस की लाश को टुकड़ों में बांट दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फेसबुक का प्यार कौन है हकदार

खतरनाक मंसूबे की चपेट में नीलम

4 अप्रैल, 2019 गुरुवार का दिन था. सुबह के लगभग साढ़े 4 बजे थे. सिपाही नीलम शर्मा की सुबह 5 बजे से दोपहर एक  बजे तक मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ड्यूटी थी. नीलम ने तैयार हो कर अपना लंच बौक्स पिट्ठू बैग में रखा और दामोदरपुरा के मुख्यद्वार पर प्याऊ के पास पहुंच गई. यहीं पर रोजाना उसे लेने के लिए पुलिस की बस आती थी. प्याऊ के पास खड़ी हो कर वह स्टाफ की बस का इंतजार करने लगी.

बस आने के लगभग 5 मिनट पहले एक कार नीलम शर्मा से लगभग 200 मीटर की दूरी पर आ कर रुकी. उस समय नीलम का ध्यान अपनी बस के आने की तरफ था. अचानक आगे बढ़ी कार नीलम के पास आई. झटके से रुकी कार से उतर कर एक युवक तेजी से नीलम की ओर बढ़ा. जबकि कार में बैठे अन्य युवकों ने कार स्टार्ट रखी.

कार से उतरे युवक ने नीलम से कुछ बात की, इस के बाद उस ने नीलम के ऊपर तेजाब फेंक दिया. नीलम ने अपना बैग उस के मुंह पर मारा तो वह फुरती से कार में जा कर बैठ गया. कार वहां से कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई.

अचानक हुए एसिड अटैक से झुलसी 26 वर्षीय नीलम घबरा गई. वह तेजाब की जलन से तड़पने लगी. उस ने शोर मचाया. मदद के लिए वह इधरउधर भागने लगी. जो भी उसे मिला, उस ने उसी से मदद की गुहार लगाई.

इस बीच अखबार के एक हौकर ने महिला सिपाही को बचाने का प्रयास किया. तभी हमलावरों ने उन दोनों पर कार चढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हौकर महिला सिपाही को ले कर एक तरफ हट गया, जिस से दोनों बच गए. हौकर ने उस कार पर पत्थर भी फेंके पर कार रुकी नहीं, तेज गति से चली गई.

रोते बिलखते वह सिपाही एक दुकान के आगे गिर गई और दर्द की वजह से चीखने लगी. तेजाब से नीलम के कपड़े भी जल गए थे. यह देख दुकानदार ने मौर्निंग वाक पर निकली महिलाओं को बुलाया और उन की चुन्नी से नीलम को ढंका. उसी समय किसी ने इस घटना की जानकारी फोन द्वारा पुलिस को दे दी.

नीलम ने किसी तरह अपनी सहकर्मी सिपाही नीतू को फोन कर दिया था. थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई और नीलम को जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

जानकारी मिलते ही एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह, एसपी (क्राइम) अशोक कुमार मीणा, एसपी (सुरक्षा) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी अस्पताल पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. यह घटना विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा में घटी थी.

नीलम पिछले एक साल से थाना सदर बाजार क्षेत्र के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां अपनी सहकर्मी नीतू के साथ रह रही थी. नीलम के मकान मालिक सुरेंद्र सिंह भी नीतू के साथ अस्पताल पहुंच गए.

महिला सिपाही नीलम पर एसिड अटैक की घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पूछताछ में नीलम ने पुलिस को बताया कि इस वारदात को संजय नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ अंजाम दिया था.

वह संजय को पहले से जानती थी. नीलम ने सदर बाजार थाने में संजय सिंह उर्फ बिट्टू निवासी नेमताबाद, खुर्जा (बुलंदशहर) व सोनू सहित 4 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. भादंवि की धारा 326(ए), 332 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस हमलावरों की तलाश में जुट गई.

नीलम की हालत थी नाजुक

जिला अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि नीलम तेजाब से लगभग 45 फीसदी झुलस गई है. एसिड से उस का चेहरा, एक आंख, हाथ व शरीर के अन्य हिस्से जल गए थे. नीलम की नाजुक हालत को देखते हुए उसी दिन शाम को उसे आगरा के सिकंदरा क्षेत्र स्थित सिनर्जी अस्पताल रेफर कर दिया गया. एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह खुद उसे ले कर सिनर्जी अस्पताल में भरती कराने पहुंचे.

सिनर्जी अस्पताल के डाक्टर नीलम के इलाज में जुट गए. उन्होंने बताया कि नीलम की हालत स्थिर बनी हुई है. जब नीलम के घर वालों को बेटी के साथ घटी दिल दहलाने वाली घटना की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. वे भी सीधे सिनर्जी अस्पताल पहुंच गए.

आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम इस हादसे से बेहद डरी हुई थी. कहने को अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा लगाई गई थी लेकिन पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से और कड़ी सुरक्षा की मांग की. उन्हें डर था कि फरार संजय उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस पर एसएसपी ने पीडि़ता व उस के घर वालों को हरसंभव सुरक्षा देने का वायदा किया. घर वालों के अलावा अन्य किसी को भी अस्पताल में पीडि़ता से मिलने पर रोक लगा दी गई.

महिला सिपाही पर एसिड अटैक की यह दुस्साहसिक घटना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी. हर कोई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में यह खबर सुर्खियां बन गई थीं. इस से पुलिस की किरकिरी हो रही थी.

अभियुक्तों के फरार होने को ले कर उस दिन सोशल मीडिया पर भी सवाल खड़े होते रहे. लोगों का कहना था कि जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो भला आम आदमी का क्या होगा.

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओ.पी. सिंह ने मथुरा के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज से महिला कांस्टेबल नीलम शर्मा पर हुए एसिड अटैक की पूरी जानकारी ली. उन्होंने निर्देश दिए कि हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इस एसिड अटैक के लिए जिम्मेदार कहीं भी हों, उन्हें ढूंढ निकाला जाए.

मथुरा में पुलिसकर्मी नीलम पर हुए एसिड अटैक के बाद महिला संगठनों के साथसाथ छात्राओं ने भी आक्रोश व्यक्त किया. वात्सल्य पब्लिक स्कूल, राधाकुंड, चरकुला ग्लोबल पब्लिक स्कूल और गौड़ शिक्षा निकेतन में शिक्षिकाओं एवं छात्रछात्राओं ने पीडि़ता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

उन्होंने एसिड फेंकने वाले दोषी लोगों को फांसी देने की मांग की. वहीं आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम को देखने के लिए महिला शांति सेना की सदस्याएं पहुंची. संरक्षिका कुंदनिका शर्मा ने आरोपियों को शीघ्र पकड़ने व कड़ी सजा दिलाने की मांग की.

पकड़ा गया मुख्य आरोपी

एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलगअलग थानों के तेजतर्रार पुलिस अफसरों की 5 पुलिस टीमें बनाईं. ये टीमें मथुरा के अलावा खुर्जा और बुलंदशहर जा कर आरोपियों को तलाशने लगीं. इस बीच पुलिस को हमलावरों की कार नंबर डीएल 2पीए8381 घटनास्थल से कुछ दूर लावारिस हालत में खड़ी मिली. कार पुलिस ने जब्त कर ली.

पुलिस टीम ने अगले दिन 5 अप्रैल को शाम 5 बजे मुखबिर की सूचना पर एक आरोपी सोनू को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने बताया कि नीलम शर्मा के ऊपर तेजाब संजय सिंह ने डाला था. सोनू की निशानदेही पर रात करीब 11 बजे घटना के मुख्य आरोपी संजय सिंह को मुठभेड़ के बाद यमुनापार इलाके के राया रोड स्थित राधे कोल्डस्टोरेज के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

मुठभेड़ के दौरान संजय के बाएं पैर में गोली लग गई थी. पुलिस ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती करा दिया था. संजय के कब्जे से पुलिस ने एक तमंचा और एक बाइक बरामद की. पुलिस ने संजय सिंह से जब सख्ती से पूछताछ की तो सिपाही नीलम शर्मा पर एसिड अटैक करने की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की चाशनी में डूबी हुई निकली—

नीलम शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर की कोतवाली शिकारपुर के गांव आंचरू कलां की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम सुंदरलाल शर्मा था. जबकि मुख्य आरोपी संजय सिंह खुर्जा में एक कंप्यूटर सेंटर चलाता था. जब नीलम पढ़ाई कर रही थी, तब उस का संजय सिंह की दुकान पर आनाजाना लगा रहता था.

संजय और नीलम की मुलाकात कंप्यूटर सेंटर में हुई जो बाद में दोस्ती में बदल गई थी. दोस्त बन जाने के बाद दोनों फोन पर भी बातें करने लगे. दोस्ती बढ़ी तो संजय नीलम को एकतरफा प्यार करने लगा, जबकि नीलम उसे केवल अपना दोस्त ही समझती थी.

एक दिन संजय ने अपने मन की बात नीलम के सामने जाहिर कर दी तो नीलम ने उसे झिड़क दिया और उस से दूरी बना ली. इस पर संजय ने इस बारे में नीलम के घर वालों से बात की. चूंकि संजय उन की बिरादरी का नहीं था, इसलिए नीलम के पिता सुंदरलाल शर्मा ने नीलम की शादी संजय से करने को मना कर दिया.

इस के बाद नीलम की सन 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी संजय ने उसे परेशान करना बंद नहीं किया. और कोई रास्ता न देख नीलम ने अपना फोन नंबर बदल दिया. लेकिन इस के बावजूद संजय ने उसे ढूंढ निकाला और परेशान करने लगा.

संजय लगातार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. इस से परेशान हो कर नीलम के घर वालों ने उस की शादी कहीं दूसरी जगह तय कर दी.यह बात संजय को बुरी लगी. उसे लगने लगा कि उस की प्रेमिका अब किसी और की हो जाएगी.

सन 2017 में नीलम की पोस्टिंग मथुरा में हो गई. कुछ दिनों वह पुलिस लाइन में रही, इस के बाद सन 2018 में उस की तैनाती श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा में हो गई. इस पर नीलम मथुरा के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां किराए पर रहने लगी. उस ने अपनी बैचमेट और सहेली नीतू को भी उस कमरे में अपने साथ रख लिया था.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में संजय सिंह ने बताया कि वह नीलम से प्यार करता था. उस से उस की पिछले 10 सालों से जानपहचान थी. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन उस ने बात तक करनी बंद कर दी थी. जब उसे पता चला कि नीलम की शादी कहीं और तय हो गई है, तब उस ने तय कर लिया था कि वह अपनी प्रेमिका को किसी और की हरगिज नहीं होने देगा.

खतरनाक इरादे

उस की शादी रोकने के लिए उस ने नीलम के ऊपर तेजाब डालने का फैसला कर लिया. इस काम के लिए उस ने अपने दोस्तों हिमांशु ठाकुर, बौबी, किशन शर्मा और सोनू को भी तैयार कर लिया. ये सब उस की प्रेम कहानी को जानते थे.

सब से पहले इन लोगों ने नीलम के आनेजाने के मार्ग की रेकी की. इस से पता लग गया कि उस की ड्यूटी श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा पर लगी है और वह सुबह पैदल ही दामोदरपुरा के प्याऊ पर पहुंचती है. वहां से वह पुलिस की बस में बैठ कर जाती है.

उन्होंने प्याऊ के पास ही योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. यह भी तय कर लिया था कि यदि नीलम बच गई तो उसे गोली मार देंगे. और अगर उस के साथ उस की सहेली नीतू हुई तो उसे भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे.

सभी ने बौबी की कार से घटना को अंजाम देने की बात तय कर ली. योजना बनाने के बाद संजय ने खुर्जा में पाहसू रोड स्थित दुकानदार पुनीत शर्मा के यहां से तेजाब खरीद लिया. फिर 4 अप्रैल, 2019 की सुबह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया.

संजय की निशानदेही पर पुलिस ने तेजाब विक्रेता पुनीत शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने संजय सिंह, सोनू और पुनीत शर्मा को कोर्ट में पेश कर संजय का रिमांड मांगा.

गोली लगने की वजह से संजय अस्पताल में भरती था. अदालत ने पुलिस की मांग मंजूर कर सोनू और पुनीत शर्मा को जेल भेज दिया और गोली से घायल संजय को पुलिस कस्टडी में सौंप दिया.

पुलिस को अभी कई आरोपी गिरफ्तार करने थे. संजय की निशानदेही पर 6 अप्रैल को पुलिस ने बौबी और किशन शर्मा को गोकुल बैराज मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. शाम 6 बजे के करीब वे दोनों मथुरा आए हुए थे. पुलिस के अनुसार, उन का अपराध इसलिए भी गंभीर हो गया क्योंकि उन्होंने संजय को रोकने के बजाए उकसाया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रविवार को जेल भेज दिया. एसिड अटैक के अब तक 5 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे. अभी एक आरोपी हिमांशु ठाकुर पुलिस की गिरफ्त से दूर था.

पुलिस को 9 अप्रैल, 2019 को पता चला कि फरार आरोपी हिमांशु मथुरा आ रहा है. इस के बाद स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, थाना सदर बाजार प्रभारी लोकेश भाटी और छाता कोतवाली प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा ने घेराबंदी कर के गोकुल बैराज पर उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फायर कर के बाइक से भागने लगा. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने भी गोली चलाई.

गोली उस की दाहिनी टांग में लगी थी. घायल आरोपी वहीं गिर गया. इस के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

अपराध में हिमांशु भी था बराबर का हिस्सेदार

हिमांशु की सीधे हाथ की अंगुलियां तेजाब से जल गई थीं. पुलिस ने उस के पास से बाइक व तमंचा भी बरामद कर लिया. पूछताछ में उस से काम की कई बातें पता चलीं. हिमांशु को भी अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उधर मुख्य आरोपी संजय सिंह जिस की बाईं टांग में गोली लगी थी, उस का औपरेशन किया गया. उसे 2 यूनिट खून भी चढ़ाया गया.

प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी ने बताया कि आरोपी संजय ने जबरन शादी के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. महिला पुलिसकर्मी पर एसिड अटैक की दिल दहला देने वाली घटना में शामिल सभी 6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

इन में से 4 को जेल भेज दिया गया, जबकि 2 घायल आरोपी अस्पताल में भरती हैं, जहां उन का उपचार चल रहा है. सभी पर एनएसए भी लगाया जाएगा. एसिड अटैक से घायल महिला पुलिसकर्मी नीलम की हरसंभव सहायता की जाएगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 3

तहेरा भाई योगेश ही था संदिग्ध

शाम को शहर में एक दुकान पर वैसा ही लाइटर मिला. इस के पीछे एसएसपी का मकसद था कि जिस दुकान पर लाइटर मिला है, वहां आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाएं. शायद कोई सुराग मिल जाए.

संजलि के तहेरे भाई योगेश पर पुलिस को पहले से ही शक था. उस के खुदकुशी कर लिए जाने से पुलिस का काम कुछ आसान हो गया. पुलिस को उस पर शक इसलिए हुआ था क्योंकि पहले दिन आगरा अस्पताल में जहां संजलि भरती थी, उस ने आईसीयू में घुसने का प्रयास किया था. उस की मौत के बाद फोरैंसिक टीम को योगेश के मकान की छत के ऊपर बने कमरे से कीटनाशक मिला.

पुलिस ने जब उस के परिजनों से खुदकुशी की वजह पूछी तो वह कुछ नहीं बता पाए. पुलिस द्वारा योगेश के जब्त किए गए मोबाइल की जांच के दौरान फोन में कुछ नहीं मिला. तब पुलिस ने मोबाइल को डेटा रिकवरी के लिए लेबोरेटरी भेज दिया. इस के साथ ही योगेश के घर की गहन तलाशी भी ली गई.

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योगेश

गांव में यह भी चर्चा थी कि योगेश संजलि के परिवार के ज्यादा करीब था. योगेश ने संजलि को मौडल बनाने का सपना दिखाया था. इस के लिए उस ने संजलि के कई वीडियो भी शूट कराए, फोटो भी खिंचवाए.

कुछ दोस्तों को बुलाया, बताया कि नोएडा से आए हैं जो संजलि का वीडियो बनाएंगे. घर पर ही वीडियो शूट कराया गया, लेकिन वह संजलि को मौडल नहीं बनवा सका. इस के बाद दोनों के बीच बातचीत कम ही होती थी.

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लैबोरेटरी में जांच के दौरान योगेश के मोबाइल का सारा डेटा रिकवर हो गया. वाट्सऐप चैट में चैटिंग देख कर पुलिस अधिकारी चौंके. संजलि द्वारा एक मैसेज योगेश को भेजा गया था. मैसेज में 23 नवंबर को पिता पर हुए हमले के संबंध में संजलि ने कहा था, ‘‘क्या तुम ने ही पापा पर हमला किया था?’’

इस से पुलिस को जांच की दिशा मिल गई. योगेश के कमरे की तलाशी ली गई. तलाशी के दौरान पुलिस को उस के कमरे से एक कौपी मिली, जिस के कुछ पन्ने फाड़े गए थे. इन पन्नों का प्रयोग पत्र लिखने के लिए किया गया था, वह पत्र भी मिल गए. इस के साथ ही एक साइकिल की रसीद और संजलि के नाम का एक प्रमाणपत्र भी मिला.

पुलिस ने कर दिया खुलासा

दिल दहला देने वाले संजलि हत्याकांड का पुलिस ने कड़ी मेहनत के बाद 8वें दिन 25 दिसंबर को परदाफाश कर दिया. यह खुलासा चौंकाने वाला था.

संजलि की मौत के कुछ घंटे बाद ही खुदकुशी कर लेने वाला उस का तहेरा भाई ही मास्टरमाइंड योगेश था. इस जघन्य वारदात की वजह यह रही थी कि संजलि ने उसे वाट्सऐप चैट में ‘लूजर’ कह दिया था. इसी से आहत हो कर योगेश ने यह साजिश रची थी.

उस के मन में प्रतिशोध की भावना घर कर गई थी. इस साजिश के लिए उस ने 15-15 हजार रुपए का लालच दे कर अपने 2 रिश्तेदार युवकों को शामिल कर लिया. 25 दिसंबर को पुलिस ने इन दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. इन में विजय निवासी कलवारी, जगदीशपुरा, आगरा जो योगेश के मामा का बेटा है तथा आकाश निवासी मनिया, मलपुरा हाल निवासी लखनपुर, शास्त्रीपुरम, आगरा जो विजय की बहन का देवर है, शामिल थे.

संजलि को अपने जाल में फंसाने के लिए ही योगेश ने उसे साइकिल खरीद कर दी थी. उस ने घर पर बताया था कि संजलि ने यह साइकिल प्रतियोगिता में जीती है. इस प्रतियोगिता का सर्टीफिकेट भी योगेश ने अपने कंप्यूटर से तैयार किया था. भाई योगेश की हरकतों और गलत इरादों का पता चलने पर संजलि ने उस से दूरी बनाने के साथ ही अपने घर आने से भी मना कर दिया था. योगेश ने उसे मौडल बनाने का सपना भी दिखाया.

कुछ दिनों तक संजलि भाई के गलत इरादे नहीं भांप सकी. जब योगेश की नीयत का अहसास हुआ तो वह विरोध करने लगी. योगेश को यह नागवार गुजरा, इसीलिए उसे सबक सिखाने का निर्णय लिया.

23 नवंबर को योगेश ने ही संजलि के पिता पर हमला कराया था. उस के बाद उस ने संजलि को जलाने की योजना बनाई. अपनी इस योजना में उस ने अपने दोनों रिश्तेदारों को पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया.

18 दिसंबर को उस ने ममेरे भाई विजय को रेकी के लिए लगाया. छुट्टी के बाद संजलि जब स्कूल से निकली, वह उस के पीछे लग गया. पैशन प्रो बाइक पर विजय हैलमेट लगाए अलग चल रहा था. जबकि सफेद रंग की अपाचे बाइक जिसे आकाश चला रहा था, के पीछे योगेश बैठा था. दोनों हेलमेट पहने हुए थे. रास्ते में संजलि पर योगेश ने ही पैट्रोल डाला और लाइटर से आग लगा दी.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त दोनों बाइक, वारदात के दौरान प्रयोग किए हैलमेट, मौकाएवारदात पर संजलि का फोटो, योगेश का बैग, जिस में वह कपड़े ले कर गया था, साइकिल की रसीद जो संजलि के पास थी, योगेश के घर पर मिला सर्टिफिकेट जैसा एक सर्टिफिकेट संजलि के घर पर भी मिला. संजलि को लिखे लवलेटर जो वह संजलि को नहीं दे सका था, आदि पुलिस ने बरामद कर लिए.

एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि योगेश संजलि से एकतरफा प्यार कर उसे हासिल करना चाहता था. इस के लिए उस ने मौडल बनवाने का सपना दिखा कर उसे अपने जाल में फंसाने का प्रयास किया. यहां तक कि अपनी ओर से उसे एक साइकिल भी खरीद कर दी. प्रतियोगिता का फरजी प्रमाणपत्र उस ने अपने कंप्यूटर पर तैयार किया था.

योगेश ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर संजलि की हत्या की ऐसी साजिश रची थी कि कई बार पुलिस भी गच्चा खा गई. वह एकतरफा मोहब्बत में संजलि को हासिल करना चाहता था. लेकिन जब वह सफल नहीं हुआ तो उस ने घटना को अंजाम दे कर भाईबहन के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया.

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संजलि की बड़ी बहन अंजलि को भी उस ने नौकरी लगाने का झांसा दिया था. बाद में मना कर दिया कि तुम्हारी नौकरी नहीं लग सकती. इस पर अंजलि नाराज हुई तो नौकरी के लिए दिए गए उस के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की फोटोकौपी उस ने जला दीं.

यूट्यूब पर मोटिवेशनल चैनल चलाने वाले योगेश की युवाओं में मोटिवेशन गुरू के रूप में पहचान थी. सभी उस की गंभीरता की मिसाल देते थे. मगर उस गंभीर चेहरे के पीछे शातिर क्राइम मास्टर दिमाग छिपा था.

योगेश चलाता था यूट्यूब चैनल

आरोपी आकाश ने बताया कि योगेश पैट्रोल पंप से बोतल में पैट्रोल नहीं लाया था, बल्कि उस ने बाइक में ही अलग से 60 रुपए का पैट्रोल भरवाया था. इस से पहले उस ने 150 रुपए का तेल भरवाया था. योगेश अपने घर से ही प्लास्टिक की बोतल लाया था. पैट्रोल पंप से कुछ दूर जा कर उस ने बोतल में पैट्रोल निकाल लिया.

आग जलाते समय कहीं हाथ न जल जाएं, इसलिए वह खास तरह के दस्ताने ले कर गया था. संजलि के आग में जलने के दौरान योगेश के कपड़ों में भी आग लग गई थी, तब उस ने दस्ताने पहने हाथ से आग बुझाई.

इसी दौरान उस के हाथ से लाइटर मौके पर ही गिर गया, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. आरोपी विजय ने बताया कि योगेश घटना के बाद सारे सबूत जलाता चला गया.

योगेश ने जो कपड़े वारदात के समय पहने थे, जला दिए, उस के साथ ही विजय और आकाश के पहने कपड़े भी जलवा दिए. बाइक वह अपने एक दोस्त से मांग कर लाया था, वह उस ने लौटा दी. यह सब उस ने पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए किया था.

योगेश की साजिश में यह बात शामिल थी कि संजलि को जलाए जाते वक्त सब खामोश रहेंगे. ऐसा ही किया गया, इस के पीछे योजना थी कि यदि संजलि बच जाए तो उसे पता न चले कि किस ने जलाया है. विजय को अकेला बाइक पर रेकी के लिए लगाया गया था.

विजय को घटना के बाद कुछ देर रुक कर पूरे हालात की जानकारी ले कर योगेश को देनी थी. बाद में जब वे लोग मिले, तो विजय ने घटना के बारे में बताया कि संजलि मरी नहीं है.

आकाश और विजय ने बताया कि वारदात के बाद उन्हें 15-15 हजार रुपए मिलने थे, वह भी उस ने नहीं दिए थे. दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

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फेसबुक का प्यार कौन है हकदार – भाग 3

प्रेमिका से अरमान को मिला आईफोन बना जान का दुश्मन

अरमान की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस की प्रेमिका जैनब ने उस के जन्मदिन पर एक मोबाइल फोन गिफ्ट दिया था. वह फोन ले कर अपने दोस्त फैसल और उस्मान के पास आया. ये दोनों ही गली नंबर 13 भागीरथी विहार में रहते थे.

अरमान ने उन्हें फोन दिखाया तो दोनों अरमान की पीठ थपथपा कर बोले, ”आखिर तुम ने जैनब को पटा ही लिया.’’

”क्यों नहीं पटती यारो, तुम्हारा यार दिखने में कोई फटीचर थोड़ी है, हीरो हूं मैं भागीरथी विहार का.’’ अरमान छाती फुला कर बोला.

”वो तो तुम हो ही. यह बताओ, इस में सिम डाल ली अपनी?’’ फैसल ने पूछा.

”हां, सिम डाल ली है. सुनोगे, अपनी भाभी की आवाज?’’

”हां यार, हमारी बात करवाओ भाभी जैनब से.’’ उस्मान ने उतावलेपन से कहा.

इधर माहिर को किसी तरह पता चल गया कि उस की प्रेमिका उर्वशी ने उस का आईफोन अपनी सहेली को नहीं बल्कि बौयफ्रैंड अरमान को दिया है. यह बात उसे बहुत बुरी लगी थी. उसे अरमान का फोन नंबर भी मिल गया था.

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एक साथ 2 युवकों से चल रहा था इश्क

अरमान अभी जैनब का नंबर मिलाने ही जा रहा था कि उस के फोन पर किसी की काल आ गई. नंबर नया था. अरमान ने काल उठा ली, ”हैलो, आप को किस से बात करनी है?’’ उस ने पूछा.

”तुम्हारा नाम अरमान है क्या?’’ दूसरी ओर से पूछा गया.

”हां, मेरा नाम अरमान है, तुम कौन हो?’’ हैरानी से अरमान ने पूछा.

”मेरा नाम माहिर है.’’ दूसरी ओर से कड़वा स्वर उभरा, ”सुन अरमान, तुझे जो मोबाइल उर्वशी ने गिफ्ट किया है, वह मेरा है. उसे तुम वापिस कर दो. दूसरी बात उर्वशी मेरी है, उस की जिंदगी में दखल देने की कोशिश मत करना.’’

अरमान चौंका, ”मैं उर्वशी को नहीं जानता. मुझे तो फोन जैनब ने दिया है.’’

”जैनब और उर्वशी एक ही लड़की है. मैं उर्वशी उर्फ जैनब से मोहब्बत करता हूं. तुम्हारे पास जो आईफोन है, उर्वशी को मैं ने खरीद कर दिया है. मुझे मोबाइल वापिस दे दो.’’

”यदि न दूं तो?’’ अरमान गुर्रा कर बोला, ”तुम मेरा क्या बिगाड़ लोगे?’’

”मैं भागीरथी विहार आऊंगा, फिर बताऊंगा तेरा क्या बिगाड़ सकता हूं मैं. बता तुम्हारा एड्रैस क्या है?’’

”मुझ से मिलना है तो बृजपुरी की पुलिया पर आ जा. मैं देखता हूं तू कितना बड़ा दादा है.’’ अरमान दांत पीसते हुए बोला.

”आ रहा हूं मैं एक घंटे में तुम्हारी बृजपुरी की पुलिया पर.’’ दूसरी ओर से माहिर ने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

”कौन था, जो तुझे धमकी दे रहा था?’’ फैसल ने हैरानी से पूछा.

”कोई माहिर नाम का लड़का है, कहता है जैनब को वह प्यार करता है. उस के रास्ते से हट जा और यह मोबाइल भी वह अपना बता रहा है, इसे वापस मांग रहा है वह. एक घंटे में वह बृजपुरी पुलिया पर आने वाला है.’’

”आने दो. हरामी यहां से जिंदा नहीं जाएगा.’’ फैसल दांत भींच कर बोला.

”अभी देखते हैं, यह कितनी बड़ी तोप है. चलो बृजपुरी पुलिया पर, वो वहीं आएगा.’’

तीनों बृजपुरी पुलिया पर आ गए. एक घंटे बाद माहिर अपने एक दोस्त दिलशाद के साथ मोटरसाइकिल पर वहां आ गया. अरमान, फैसल और उस्मान मोबाइल काल आने पर उन्हें पहचान कर उन के पास आ गए. माहिर ने तीनों को देख कर पूछा, ”अरमान कौन है?’’

”मैं हूं..’’ अरमान सामने आ गया.

”मुझे मोबाइल दे दो अरमान. वह मेरा है.’’ माहिर आराम से बोला.

”नहीं दूंगा.’’ अरमान गुर्रा कर बोला.

इसी बात पर उन की गरमागरमी होने लगी. अरमान, फैसल और उस्मान के तेवर खतरनाक होते देख कर दिलशाद ने बीचबचाव करते हुए कहा, ”देखो, एक लड़की के चक्कर में लडऩा अच्छी बात नहीं है. अरमान, तुम सब आराम से बात कर लो. माहिर को फोन वापस दे दो.’’

”लेकिन मैं ने इस से मोबाइल नहीं लिया है. मोबाइल मैं जैनब को दे दूंगा. उस से ले लेना.’’

”ठीक है, तुम जैनब को मोबाइल दे देना. चलो माहिर, हम जैनब उर्फ उर्वशी से बात कर लेंगे. वह मोबाइल अरमान से ले कर तुम्हें दे देगी.’’ दिलशाद ने माहिर को समझाया और मोटरसाइकिल वापस मोड़ ली.

उस दिन वे वापस लौट गए. लेकिन जैनब से दूर होने तथा अपना मोबाइल वापस करने के पीछे माहिर और अरमान में तूतूमैंमैं और गालीगलौज होती रही.

अरमान ने क्यों की माहिर की हत्या

आखिर अरमान ने फैसल और उस्मान के साथ मिल कर माहिर को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया. अरमान ने घटना को अंजाम देने के लिए पुरानी भागीरथी विहार से 2 चाकू खरीद लिए. पूरी तैयारी करने के बाद अरमान ने माहिर को मोबाइल वापस करने के बहाने से भागीरथी विहार आने को कहा तो माहिर भागीरथी विहार आ गया.

उस समय रात के 8 बजे थे. अरमान, फैसल और उस्मान तीनों को अपने साथ भागीरथी विहार की एक संकरी गली में ले आए. यह 11 नंबर गली थी और इस में एक मकान का काम चल रहा था. गली में सन्नाटा रहता था. वहां कुछ लड़के आग जला कर बैठे थे.

अरमान ने माहिर के दोस्तों को वहां बिठा लिया. उस्मान द्वारा एक दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट मंगा कर पिलाई, फिर अरमान माहिर को मोबाइल देने के बहाने अंधेरे में लाया.

माहिर कुछ समझ पाता, उस से पहले ही अरमान और फैसल ने ताबड़तोड़ उस पर चाकुओं से हमला कर दिया. माहिर भागने लगा तो नाबालिग उस्मान ने ईंट से उस के सिर पर वार किए. वह बेदम हुआ तो उसे चौड़ी गली में उन्होंने चाकुओं से गोद डाला.

चीखपुकार सुन कर वहां आसपास के लोग घरों से बाहर आ गए थे. फैसल ने चाकू हवा में लहरा कर हिलाते हुए चेतावनी दी कि कोई बीच में आएगा तो उसे जान से मार देंगे.

कोई डर की वजह से सामने नहीं आया तो वे माहिर को बुरी तरह घायल कर के भाग गए. अरमान ने अपना चाकू नाले के पास फेंक दिया. जबकि फैसल का चाकू माहिर की गरदन में फंस कर मुड़ गया था. फैसल ने वह चाकू नहीं निकाला.

यह 28 दिसंबर, 2023 की घटना थी. एक दिन तक तीनों इधरउधर रहे. 29 तारीख को तीनों अशोक नगर पहुंचे. एक पहचान वाला वहां रहता था. उस ने उन की बदहवास हालत देखी तो वह डर गया. उस ने उन्हें पनाह नहीं दी. तीनों दिल्ली से बाहर भागने की फिराक में खड़े थे कि गली के मोड़ से पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए.

उन तीनों ने माहिर की हत्या की बात कुबूल ली. तब उन पर भादंवि की धारा 302/201/120बी/34 के तहत केस दर्ज कर के उन्हें 30 दिसंबर, 23 को अदालत में पेश कर के 2 दिन की रिमांड पर ले लिया गया. जबकि नाबालिग उस्मान को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया.

रिमांड अवधि में अरमान ने मोबाइल जो जैनब ने उसे गिफ्ट दिया था, उस का डिब्बा और बिल घर से ले कर पुलिस को दे दिया. उस ने नाले के पास कीचड़ में दबा अपना चाकू भी बरामद करवा दिया.

पुलिस को एक सिलवर कलर का मुड़ा हुआ चाकू माहिर की गरदन में धंसा मिल गया था. वह ईंट जिस से उस्मान ने माहिर पर वार किए थे और वह खून में सनी हुई थी तथा खून आलूदा घटनास्थल की मिट्टी सीलमोहर कर ली. दोनों को रिमांड अवधि समाप्त होने पर कोर्ट द्वारा जेल भेज दिया गया.

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            आरोपी फैजल                                                      आरोपी समीर

भागीरथी विहार में गली नंबर 11 तथा बृजपुरी पुलिया पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में माहिर अपने दोस्त दिलशाद के साथ अरमान और फैसल के साथ सड़क पर जाता दिखाई दे रहा था. वह फुटेज हासिल कर ली. जिस दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट खरीदी गई, उस दुकान का पता तथा जहां से चाकू खरीदे गए थे, उस दुकानदार का बयान भी साक्ष्य के तौर पर एकत्र किए गए. यह साक्ष्य 25 जनवरी, 2024 को एकत्र हुए.

इस घटना की सूचना सब से पहले इब्राहिम ने दी थी. वह तौफीक का बेटा था. उस की उम्र 40 साल थी. वह वी-83 गली नंबर 23, मौजपुर में रहता था, उस का बयान भी पुलिस ने सबूत के तौर पर ले लिया.

माहिर का दोस्त दिलशाद, उम्र-26 साल, मकान नंबर ए-445/जी-10 श्रीराम कालोनी, खजूरी में रहता था. उस के भी बयान लिए गए. जैनब उर्फ उर्वशी जो अरमान और माहिर से फेसबुक द्वारा दोस्त बनी थी. वह फोन नंबर 78********द्वारा माहिर और अरमान से बातें करती थी. वह फोन उस की मां रजनी प्रयोग करती थी. उस के भी बयान करवाए लिए गए.

जैनब उर्फ उर्वशी को जब बताया गया कि अरमान ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर माहिर की निर्मम हत्या कर दी है. वह हैरान रह गई. फेसबुक का यह प्रेम त्रिकोण खूनी खेल खिलाएगा, अगर जैनब समझ जाती तो ऐसा बचकाना प्रेम नहीं करती और आज माहिर की जान भी नहीं जाती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में जैनब, उर्वशी और उस्मान नाम परिवर्तित हैं.

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रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 2

लोगों ने श्रद्धांजलि के साथ साथ मांगें भी बढ़ा दीं

गांव में एकत्र लोगों ने मांगों को ले कर हंगामा कर दाह संस्कार रोक दिया. परिवार व संगठनों की मांग थी कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी व एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए. पुलिस भीड़ के सामने खुद को असहाय महसूस कर रही थी.

यह देख एसएसपी ने वहां भारी संख्या में पुलिस फोर्स भेज दी. भीड़ ने हंगामा किया तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हलका बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने के बाद रात साढ़े 9 बजे संजलि का अंतिम संस्कार हो सका.

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संजलि की मौत के बाद स्कूलों कालेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने हत्यारों को गिरफ्तार कर संजलि को इंसाफ दिलाने की मांग को ले कर कैंडिल मार्च निकाले. संजलि के शोक में लालऊ का बाजार भी बंद रहा.

इस घटना में नया मोड़ तब आया, जब संजलि की मौत से दुखी हो कर उस के ताऊ के 24 साल के बेटे योगेश ने एक दिन बाद ही 20 दिसंबर की सुबह जहर खा लिया. उसे परिवार वाले अस्पताल ले गए, जहां उपचार के दौरान उस की मौत हो गई.

योगेश द्वारा अचानक आत्महत्या कर लिए जाने से सभी दुखी व स्तब्ध थे. पुलिस की संदिग्धों की सूची में योगेश पहले से ही शक के घेरे में था. पुलिस उस का मोबाइल जब्त कर के छानबीन करने लगी.

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संजलि के परिवार के नजदीकी लोगों का कहना था कि संजलि डेली डायरी लिखती थी. उसे जो भी अच्छा लगे, बुरा लगे, उसे डायरी में लिखती थी. 15 दिन पहले उस के साथ छेड़छाड़ की जो घटना हुई थी, उस के बारे में उस ने अपने घर वालों को नहीं बताया था.

लेकिन उस ने अपनी डायरी में जरूर लिखा होगा. पुलिस ने उस के घर पर डायरी खोजी लेकिन डायरी घर में नहीं मिली. उस की सहेलियों ने बताया कि वह डायरी को अपने बस्ते में रखती थी, जो घटना में जल कर राख हो चुका था.

मौत से पहले संजलि ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डबडबाई आंखों और थरथराते होंठों से मां से कहा था, ‘‘मां, यदि मैं ठीक हो गई तो हमलावरों को छोड़ूंगी नहीं, उन्हें सबक जरूर सिखाऊंगी. और अगर मैं मर गई तो हमलावरों को छोड़ना मत, उन्हें सजा जरूर दिलाना. मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है, ऐसा किसी के साथ न हो.’’

नेताओं ने लगाए संजलि के घर के चक्कर

संजलि को पैट्रोल डाल कर जिंदा जलाने की घटना की गूंज प्रदेश की विधानसभा तक पहुंच गई. 21 दिसंबर को लालऊ में हरेंद्र सिंह के घर दिन भर नेताओं के आने का तांता लगा रहा.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने पीडि़त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें जहां सांत्वना दी, वहीं न्याय का भी पूरा भरोसा दिलाया. संजलि के पिता हरेंद्र सिंह की मांग थी कि बड़ी बेटी अंजलि को सरकारी नौकरी और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए.

उपमुख्यमंत्री ने 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता सरकार की ओर से देने की घोषणा की. घटना के 3 दिन बाद भी संजलि के हत्यारों के न पकड़े जाने से गांव में गमगीन माहौल था. ग्रामीणों व विभिन्न संगठनों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था. प्रदेश ही नहीं, देश में सनसनी फैला चुके इस जघन्य हत्याकांड के गुनहगार पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

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संजलि की जघन्य हत्या पर केवल आगरा में ही नहीं, बल्कि मैनपुरी, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, मथुरा, एटा, बुलंदशहर, लखनऊ, देश की राजधानी दिल्ली में भी आक्रोश था.

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राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर संजलि के घर वालों से मिलने गांव पहुंचे. उन्होंने सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए पीडि़त परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने की बात कही.

संजलि को जिंदा जला कर मार देने की खबर इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से छाने लगी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. लेकिन पुलिस अपने काम में जुटी रही. पुलिस की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस को मिली जांच की दिशा

संजलि को जिन 2 बाइक सवारों ने जलाया था, पुलिस उन में योगेश को पुलिस मुख्य संदिग्ध मान रही थी, पर उस ने आत्महत्या कर ली थी. उस का दूसरा साथी कौन था, यह जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही थी. गुत्थी उलझने से पुलिस असमंजस में थी.

पुलिस के आला अधिकारी इस हत्याकांड को सुलझाने में जुटे थे. इस के लिए एक दरजन से अधिक टीमें बनाई गईं. इन टीमों को अलगअलग काम सौंपे गए. हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने शहरी क्षेत्रों में सूत्र तलाशने के साथ ही संजलि के स्कूल के आसपास के पैट्रोल पंपों व रास्ते के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.

संजलि के गांव में भी सादा कपड़ों में महिला पुलिस लगा दी गई. इस के साथ ही योगेश के दोस्तों की सूची बना कर उन पर निगाह रखी जाने लगी.

पुलिस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में लालऊ व आसपास के गांवों से 20 युवकों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. लेकिन घटना के कई दिन बाद भी आरोपियों के संबंध में कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका. पुलिस गोपनीय तरीके से जांच में जुटी रही.

इस बीच 22 दिसंबर को एसएसपी अमित पाठक ने विधिविज्ञान प्रयोगशाला, आगरा की टीम को घटनास्थल पर बुलाया. फोरैंसिक वैज्ञानिक अरविंद कुमार के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने शनिवार को क्राइम सीन रीक्रिएट किया. साथ ही खाई से सड़क तक की दूरी नापी.

यह जानने के लिए पैट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए कि वहां से किस ने बोतल में पैट्रोल लिया. लेकिन पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस से इस केस के आरोपी पकड़े जा सकें.

फोरैंसिक विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि संजलि को अचानक रोक कर उस पर पैट्रोल नहीं डाला गया बल्कि कुछ दूरी से उस पर पैट्रोल फेंका गया था. पैट्रोल में मोबिल औयल मिला हुआ था, यह सड़क पर जहां जहां गिरा, वहां निशान अभी तक बने हुए थे.

घटना के पांचवें दिन आगरा निवासी एक युवक जो आरओ का काम करता है, ने एसएसपी अमित पाठक को बताया कि 18 दिसंबर को वह अपनी बाइक से जगनेर जा रहा था. नामील के पास उस के मोबाइल की घंटी बजी. जब वह फोन पर बात कर रहा था, तभी बाइक सवार 2 युवकों ने एक लड़की के ऊपर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी.

दोनों युवक पैशन प्रो बाइक पर थे. इसी बीच छात्रा चीखी और उस के शरीर से आग की लपटें उठने लगीं. उन में से एक युवक काले रंग की जैकेट पहने था. डर की वजह से वह भी घटनास्थल से चुपचाप आगे बढ़ गया. पुलिस ने संजलि के स्कूल के पास एक शोरूम के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज भी देखी.

फुटेज में संजलि साइकिल से जाती हुई दिखाई दे रही थी. एक बाइक पर 2 युवक व दूसरी बाइक पर एक युवक हैलमेट लगाए उस का पीछा करते दिखाई दिए. पुलिस को अब तक की गई जांच में यह पता चल गया था कि इस हत्याकांड को पूरी प्लानिंग से अंजाम दिया गया था.

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घटनास्थल से जो लाइटर मिला, वह गन शेप में था. एसएसपी अमित पाठक ने उस लाइटर को विभिन्न वाट्सऐप ग्रुप में शेयर किया और यह भी पूछा कि लालऊ आगरा शहर में किन किन दुकानों पर ऐसा लाइटर मिलता है. पुलिस भी इस जांच में जुट गई.

पुलिस सदर, नामनेर, चर्चरोड, किनारी बाजार आदि जगहों की उन दुकानों पर पहुंची, जहां गैस चूल्हे और लाइटर मिलते हैं. सभी जगह से लाइटर के फोटोग्राफ लिए गए.