गुरविंदर जरूरतमंद था, वह एक लड़की से प्रेम करता था और लड़की के घर वाले शादी के लिए तैयार नहीं थे. अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए उस ने घर से भाग कर कोर्टमैरिज करने की योजना बनाई थी और इस सब के लिए उसे पैसों की सख्त जरूरत थी.
बलविंदर ने जब गुरविंदर को मनदीप की हत्या के बदले 15 लाख रुपए देने का औफर दिया तो वह झट से तैयार हो गया. बलविंदर ने उस से कहा कि वह जिस दिन हत्या करेगा, उस दिन 5 लाख रुपए और बाकी के 10 लाख रुपए वह एक साल की किस्तों में देगा. इस पर गुरविंदर राजी हो गया था.
मनदीप की हत्या की सुपारी लेने के बाद गुरविंदर ने 4 महीने पहले मनदीप की रेकी करनी शुरू कर दी थी. गुरविंदर को पता था कि मनदीप कितने बजे घर से निकलता है और कहां कहां जाता और रुकता है.
गुरविंदर को इतना तक पता था कि मनदीप कौन सी जगह पर कितना समय गुजारता है. पेंच यहां फंसा कि वह हत्या करेगा कैसे? उस के पास हथियार तक नहीं था.
इस के लिए उस ने बलविंदर से 20 हजार रुपए हथियार खरीदने के लिए मांगे. पैसे ले कर वह कुछ समय पहले बलविंदर के साथ फिरोजपुर गया और .32 बोर के रिवौल्वर की 6 गोलियां खरीदीं. वहीं उस ने गोली चलाने की भी ट्रेनिंग ली और खरीदी हुई 6 गोलियों में से एक गोली भी चलाई. बाकी की बची 5 गोलियां उस ने मनदीप की हत्या करने के लिए रख ली थीं.
गोलियां खरीदने के बाद बलविंदर ने गुरविंदर से पूछा कि बिना रिवौल्वर के गोली कैसे चलाओगे? तब गुरविंदर टालमटोल करता रहा. लेकिन उस ने इस का इंतजाम पहले ही कर लिया था.
गुरविंदर की मां डाबा इलाके में रहने वाले एक प्रौपर्टी डीलर के घर खाना पकाने का काम करती थी और वहीं रहती थी. गुरविंदर भी अकसर वहीं रहता था. वह कभीकभार जसपाल बांगड़ स्थित अपने घर भी चला जाता था. उसे अपने मालिक के बारे में पूरी जानकारी थी कि वह सुबह 11 बजे से पहले घर से नहीं निकलते. उस के मालिक के पास भी .32 बोर की रिवौल्वर थी. वह पिछले डेढ़ महीने से मालिक बिल्ला की रिवौल्वर ले कर घर से निकल जाता था. वारदात वाले दिन भी आरोपी बिल्ला का रिवौल्वर ले कर चला गया था.
गुरविंदर ने बलविंदर को यह नहीं बताया था कि उस के पास रिवौल्वर है या नहीं, इसलिए बलविंदर को गुरविंदर पर शक होने लगा कि वह काम कर पाएगा या नहीं. इस के लिए उस ने अपने एक खास दोस्त अमनपाल से बात की और कहा वह गुरविंदर की रेकी करे. गुरविंदर जहां मनदीप की रेकी कर रहा था, वहीं बलविंदर के कहने पर अमनपाल गुरविंदर की रेकी करने लगा था.
वारदात वाले दिन सुबह अमनपाल और गुरविंदर एक स्कूल के पास मिले और वारदात को अंजाम देने के बाद फिर से वहीं मिलने की बात की. जिस समय गुरविंदर सिंह वारदात को अंजाम देने दुगरी फेज-1 पहुंचा और मनदीप के इंतजार में कार के पास खड़ा हो गया, जबकि अमनपाल दूसरी तरफ खड़ा उस पर नजर रखे हुए था.
जैसे ही गुरविंदर ने मनदीप को गोलियां मारीं तो अमनपाल ने तुरंत बलविंदर को फोन कर बता दिया कि काम हो गया है. वारदात को अंजाम देने के बाद गुरविंदर अमनपाल से मिला और उसे पूरा यकीन दिलाने के लिए रिवौल्वर से निकाले हुए 5 खाली खोखे दे दिए.
उस के बाद वह अपने घर गया और अपने मालिक की रिवौल्वर रख कर कपड़े बदले. फिर वह बलविंदर से पैसे लेने के लिए निकल पड़ा. पर इस घटना के बाद बलविंदर ने अपना फोन बंद कर दिया था.
गुरविंदर का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर अमनपाल को गिरफ्तार कर लिया और हत्या में प्रयोग रिवौल्वर भी दुगरी से बरामद कर ली.
13 अक्तूबर को पुलिस ने गुरविंदर और अमनपाल को अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए 2 दिन के रिमांड पर लिया. विस्तार से पूछताछ करने के बाद आरोपी गुरविंदर और अमनपाल को पुन: 15 अक्तूबर को अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत के आदेश पर उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.
दूसरी ओर मृतक मनदीप बंसल के घर वालों और व्यापार मंडल के सदस्यों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया था. वे मनदीप का पोस्टमार्टम नहीं होने दे रहे थे. उन की मांग थी कि जब तक सभी हत्यारे पकड़े नहीं जाएंगे, लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे. पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने अस्पताल पहुंच कर उन्हें समझाया और आश्वासन दिया, तब कहीं जा कर मृतक का पोस्टमार्टम किया गया.
सिविल अस्पताल के 3 डाक्टरों डा. रिपुदमन, डा. गुरिंदरदीप ग्रेवाल और डा. दविंदर के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मनदीप की पीठ पर 2 गोलियां दाईं तरफ और 2 बाईं तरफ लगीं, जो दिल और फेफड़े में जा घुसीं, जिस से उस की मौत हो गई थी. एक गोली उस की बाजू में लगी थी.
दूसरी तरफ वारदात में प्रयोग किए गए रिवौल्वर के असली मालिक का रहस्य पुलिस के लिए बरकरार था. पहले गुरविंदर की तरफ से बताया गया कि जिस घर में वह रहता है, उस ने उस के मालिक बिल्ला का रिवौल्वर चुरा कर मनदीप की हत्या की थी.
लेकिन जब पुलिस ने रिकौर्ड खंगाला तो सामने आया कि बिल्ला के पास रिवौल्वर है ही नहीं. पुलिस द्वारा बरामद किया गया रिवौल्वर उसी इलाके के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति का था. जब पुलिस ने उस तक पहुंचने की कोशिश की तो वह घर से फरार हो गया.
सूत्रों के अनुसार मामले में एक कांग्रेसी नेता मैदान में उतर आया था, जो एक स्वयंभू प्रधान को बचाना चाहता था. उस की भूमिका इस हत्याकांड में है या नहीं, पुलिस इस मामले की भी जांच करेगी. इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड बलविंदर सिंह कथा लिखने तक नहीं पकड़ा गया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
कुछ रिश्ते कुदरत तय करती है, जो मर्यादाओं और खून के धागों से बंधे होते हैं. कुछ रिश्ते समाज बनाता है, जो मजबूरी की सलाखों में जकड़े होते हैं. और कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जो दिल की धड़कनों पर सवार, चाहत की मझदार में तैरते हैं. मनदीप बंसल और शादीशुदा कर्मजीत कौर का इसी तरह का संबंध था. दोनों अच्छे दोस्त तो थे ही, इन के बीच अच्छाखासा रोमांटिक अफेयर भी था.
जब कोई इंसान अपनी जिंदगी के अहम फैसले को बिना सोचेसमझे या लापरवाही से लेता है, तो ऐसा कर के वो जुए की बाजी खेल रहा होता है. अगर जीत गए तो ठीक, लेकिन हार हुई तो उस की अपनी जिंदगी और कइयों की जिंदगियां इस कदर बरबाद होती हैं कि संभलने का दूसरा मौका तक हाथ नहीं आता है.
बलविंदर ने पत्नी को लाख समझाने का प्रयास किया, लेकिन पत्नी पर इस का फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि अब पानी उस के सिर के ऊपर से गुजर चुका था. करीब 2 साल पहले मंदीप और कर्मजीत कौर घर से भाग गए. इस से बलविंदर की बड़ी बदनामी हुई. शर्म के मारे वह समाज में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा.
उस ने अपने स्तर पर दोनों की तलाश शुरू की, पर 2 दिनों बाद वे दोनों अपनेअपने घर लौट आए. पत्नी के इस शर्मनाक कारनामे से बलविंदर किसी से आंख मिलाने लायक नहीं रहा. पत्नी के वापस आ जाने के बाद उस ने बिना किसी से कोई बात किए और बिना कुछ कहे रातोंरात अपना गुरु अंगतदेव नगर वाला मकान छोड़ दिया. वह अपने परिवार के साथ कोठी नंबर-9, खन्ना एन्क्लेव, धांधरा रोड पर आ कर रहने लगा था. इस बात को पूरे 2 साल बीत चुके थे और लगभग सभी लोग इस बात को भूल भी चुके थे.
अपनी तफ्तीश को आगे बढ़ाने से पहले पुलिस के सामने यह बात लगभग पूरी तरह से साफ हो गई थी कि अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए ही बलविंदर ने मनदीप की हत्या करवाई थी. अब पुलिस का टारगेट भाड़े के वे हत्यारे थे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया था. सो उन की तलाश में पुलिस ने पूरे क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में हत्यारे का चेहरा स्पष्ट दिखाई दे रहा था. वह बाइक पर आया था और वारदात को अंजाम दे कर निकल गया था.
हत्यारा कैमरे में कैद तो हो गया था पर पुलिस अभी पता नहीं लगा पाई थी कि वह कौन शख्स है. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि दुगडी मार्केट में एक बाइक लावारिस खड़ी है. पुलिस ने वह बाइक अपने कब्जे में ले ली. पुलिस ने जब आगे की जांच की तो पता चला कि 5 अक्तूबर को वह बाइक गुरुद्वारा आलमगीर साहब के बाहर से चोरी हुई थी. चोरी की रिपोर्ट उस ने थाना डेहलों में दर्ज करवाई थी.
पुलिस ने जांच की तो जानकारी मिली कि वह बाइक वही थी, जो सीसीटीवी कैमरे में दिखी थी. इस का मतलब यह हुआ कि हत्यारे ने चोरी की बाइक से वारदात को अंजाम दिया था.
कैमरे में कैद हत्यारा वैसे तो पुलिस के सामने था पर सफलता अभी बहुत दूर थी. सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को यह भी जानकारी मिल गई थी कि मौके पर हत्यारे ने आधे घंटे तक इंतजार किया था. इस का मतलब यह था कि मंजीत की हत्या की प्लानिंग बहुत पहले ही बना ली गई थी. हत्यारे ने वारदात को अंजाम देने के लिए पूरी रेकी की हुई थी.
मौका देख कर उस ने मनदीप को गोली मारी और फरार हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने भी यही बताया था कि हत्यारा 9 बजे के करीब उस निर्माणाधीन कोठी के सामने आ कर खड़ा हो गया था. उस ने फरार होने के लिए ही बाइक सीधी कर के लगा रखी थी. वह वहां काफी समय तक मनदीप का इंतजार करता रहा था.
बहरहाल पुलिस ने काफी भागदौड़ करने के बाद हत्यारे की पहचान कर ली थी. उस का नाम गुरविंदर सिंह था और वह शिमला पुरी का रहने वाला था. गुरविंदर के बारे में अधिक जानकारी जुटाई तो पुलिस को पता चला कि गुरविंदर कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर है. वह किसी कंप्यूटर हार्डवेयर की दुकान पर काम करता था.
गुरविंदर के बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस ने चारों ओर अपना जाल बिछा दिया. काफी मेहनत के बाद पुलिस ने वारदात के 15 घंटों बाद मनदीप हत्याकांड के सुपारी किलर शूटर गुरविंदर को दुगडी से धर दबोचा.
थाने में पुलिस के उच्चाधिकारियों के सामने जब उस से पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उसी ने बलविंदर के कहने पर मनदीप की हत्या का सौदा 15 लाख रुपए में तय किया था.
15 लाख रुपए उसे एक साल की अवधि में किस्तों के रूप में मिलने थे. पेशगी के तौर पर उसे 20 हजार रुपए अवैध रिवौल्वर खरीदने के लिए दे दिए गए थे और एक हजार रुपए उसे मनदीप की हत्या से कुछ समय पहले दिए गए थे.
बाकी 5 लाख रुपए मनदीप की हत्या करने के बाद देना तय हुआ था. यानी ये पैसे सुपारी किलर गुरविंदर की शादी से एक दिन पहले 13 अक्तूबर को देने थे. गुरविंदर पर इसी बात का दबाव था. इसी वजह से उस ने सही समय पर मनदीप की हत्या कर भी दी थी.
अब उसे कौंट्रैक्ट की पहली किस्त के 5 लाख रुपए मिलने थे. इस से पहले कि उसे सुपारी की यह 5 लाख रुपए की किस्त मिलती, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. गुरविंदर को अब भी उम्मीद थी कि बलविंदर उसे पैसे देगा क्योंकि कौंट्रैक्ट के अनुसार समय रहते उस ने मनदीप की हत्या कर दी थी.
14 अक्तूबर को मनजीत बंसल को अपनी नई कोठी में गृहप्रवेश करना था और 14 अक्तूबर को ही गुरविंदर की भी शादी होनी थी. शादी में खर्च किए जाने वाले रुपए उसे मनदीप की हत्या करने के बाद ही मिलने थे.
बलविंदर सिंह और हार्डवेयर की दुकान पर काम करने वाले आरोपी गुरविंदर की मुलाकात करीब 6 महीने पहले हुई थी. जल्द ही वह दोनों एकदूसरे के दोस्त बन गए थे. गुरविंदर सिंह ने बातोंबातों में बलविंदर सिंह को बताया था कि 14 अक्तूबर को उस की शादी है और उसे काफी पैसों की जरूरत है.
गुरविंदर की शादी वाली बात को ध्यान में रखते हुए बलविंदर ने मनदीप को मौत के घाट उतारने की पूरी प्लानिंग बनाई. 2 साल से उस के अंदर जो चिंगारी धीरेधीरे सुलग रही थी अब उसे बुझाने का समय आ गया था. वैसे भी बीते 2 सालों में वह खामोश नहीं बैठा था.
अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए उस ने अपनी कोशिशें जारी रखी थीं और सही समय का इंतजार कर रहा था. दूसरे उस के पास ऐसा कोई आदमी भी नहीं था, जो इस काम को अंजाम तक पहुंचा सकता. उसे गुरविंदर जैसे जरूरतमंद आदमी की तलाश थी.
करीब 2 साल के लौकडाउन में रिया एक बच्ची की मां भी बन गई. उस के बाद रिया का यौवन और उभर गया था. साथ ही उस में खुलापन बढ़ गया था.
दूसरी तरफ रिया की कई आदतें पति पुष्पेंद्र और उस के घर वालों को पसंद नहीं थी. रिया की आजाद खयाली और गैरमर्दों के साथ दोस्ती करना पसंद नहीं था. वह इस के लिए उसे हमेशा टोकता रहता था. कई बार इस बात पर दोनों के बीच नोकझोंक भी हो जाती थी.
एक दिन पुष्पेंद्र रिया की आदतों से ऊब गया और उस से तलाक ले लिया. रिया अपनी छोटी बेटी को ले कर मायके आ गई. उस की मां पर फिर से नई जिम्मेदारी आ गई. रिया का इस पर कोई असर नहीं हुआ. उस ने फिर से कंपनी जौइन कर ली.
औफिस आतेजाते एक बार रिया ऋषभ सिंह से टकरा गई. ऋषभ को रिया की खूबसूरती भा गई थी, जबकि रिया को ऋषभ के बात करने का सलीकेदार तरीका और स्टाइलिश लाइफस्टाइल पसंद आ गई थी. उन्होंने लिवइन में रहने का फैसला ले लिया. इस के बाद वह सुशांत गोल्फ सिटी के क्रिस्टल पैराडाइज अपार्टमेंट में 203 नंबर का फ्लैट किराए पर ले कर रहने लगा. रिया ने ऋषभ से अपने दिल की सारी बातें कीं, लेकिन तलाकशुदा बीवी होने की बात छिपा ली.
बहुत जल्द ही ऋषभ को रिया की वैसी आदतों की भी जानकारी हो गई, जो उसे अच्छी नहीं लगती थीं. इंस्टाग्राम के जरिए रिया की गैरमर्दों के साथ मौजमस्ती की एक तरह से पोल खुल गई, जो उस के साथ रहते हुए भी जारी थी.
उस की शर्मसार करने वाली फूहड़ और अश्लील वीडियो को देख कर ऋषभ ने विरोध जताया तो वह उल्टे उस की कमजोरियों का हवाला देने लगी और अपनी आदत को सही ठहराने लगी. जबकि ऋषभ रिया के साथ शादी करने का मन बना चुका था और उस के साथ अच्छी जिंदगी जीना चाहता था.
रिया की गलत आदतों से तंग आ कर ऋषभ ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन रिया अपनी जिद पर अड़ी रही. जब भी उन के बीच इसे ले कर नोकझोंक होती रिया एक ही राग अलापती, ”मुझ से शादी कब करोगे?’‘
बगैर बताए घर से घंटों गायब रहने के बारे में पूछने पर वह ऋषभ को ही भलाबुरा कहने लगती थी. इस कारण ऋषभ उस से नाराज रहने लगा था और उस के साथ शादी करने का जुनून भी उतर चुका था.
ऋषभ सिंह ने जब रिया की हकीकत का पता किया, तब यह जान कर उस के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई कि वह न केवल तलाकशुदा है, बल्कि एक बच्ची की मां भी है. इस सच ने ऋषभ की जिंदगी में भूचाल ला दिया था. उस के बाद उस का रिया के प्रति विचार और व्यवहार बदलने लगा था.
रिया का भी अपना एक प्रोफेशनल करिअर था. उस ने मेकअप डिजाइन में डिप्लोमा कर रखा था. इस फील्ड में अपना करिअर बनाने के लिए लुलु माल के एक भव्य मेकअप सैलून खोलना चाहती थी, किंतु पैसे नहीं थे. उस ने पैसे के लिए ऋषभ पर दबाव बनाना शुरू किया. जबकि ऋषभ की आर्थिक स्थिति इस लायक बिलकुल नहीं थी.
एक रोज ऋषभ ने रिया को रात में बीएमडब्लू कार में एक अधेड़ व्यक्ति के साथ जाते देखा. देर रात नशे की हालत में वापस लौटने पर उस के बारे में पूछने पर सफाई देते हुए उस ने ताना दिया, ”चाहे जैसे भी हो, मुझे सैलून के लिए पैसे जुटाने हैं. तुम तो पैसे देते नहीं तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. जो मैं तो करूंगी ही.’‘
इतना सुनते ही ऋषभ के तनबदन में आग लग गई. उस रोज तो ऋषभ ने जैसेतैसे कर खुद को संभाला, लेकिन 16 अगस्त की रात को तो हद ही हो गई.
रिया अपने एक दोस्त की पार्टी में गई हुई थी. साथ में ऋषभ भी था. पार्टी में रिया ने अपने दोस्तों के साथ छक कर शराब पी और जम कर डांस भी किया. यह देख कर ऋषभ बौखला गया. उस ने पार्टी में ही उसे समझाने की कोशिश की. दोस्तों के साथ अभद्रता और अश्लील हरकतों वाला डांस करने से मना किया. अपनी मर्यादा में रहते हुए पार्टी एंजौय करने की सलाह दी, जबकि रिया नशे में धुत थी.
वह ऋषभ को ही ताने देने लगी. उस से वहीं उलझ गई. यहां तक कह डाला कि वह उस की कोई गुलाम नहीं है, जो जब देखो तब उसे मानमर्यादा का पाठ पढ़ाता रहता है.
वह दोनों भारी मन से घर आ गए, लेकिन आते ही फिर उलझ गए. एकदूसरे पर तीखे आरोप लगाने लगे. गुस्से में ऋषभ भी बोला, ”मेरे साथ रहना है तो ढंग से रहो, वरना मुझे छोड़ कर चली जाओ.’‘
यह सुनते ही रिया का गुस्सा भी सातवें आसमान पर चढ़ गया था. वह बोली, ”चली जाऊं? क्यों चली जाऊं मैं…कई महीनों तक मेरे शरीर के साथ खेला और अब कहते हो चली जाओ, मेरा पीछा छोड़ दो. इस का खामियाजा तो तुम्हें भुगतना पड़ेगा. मैं कोर्ट जाऊंगी, तुम्हारे खिलाफ रेप का मुकदमा करूंगी. फिर सड़ते रहना जिंदगी भर जेल में.’‘
इस धमकी के साथ रिया ने तुरंत अपने एक परिचित वकील को भी फोन मिला दिया. रोती हुई बोलने लगी. ऋषभ की शिकायत करती हुई उस के खिलाफ तगड़ा केस बनाने को बोली.
यह सुन कर ऋषभ बुरी तरह से घबरा गया. उसे मालूम था कि एक बार शिकायत दर्ज हो गई तो उस की गिरफ्तारी तय है…और उस की जमानत भी नहीं होगी. उस रात वह सो भी नहीं पाया और सुबह होते ही सीधा अपने दोस्त अमनजीत के पास चला गया. उस से रिया के बारे में सारी बतों बता दीं.
अमनजीत ने ऋषभ सिंह को शांत रहने को कहा और रिया को समझाने के मकसद से उस के घर आ गया. लेकिन बात नहीं बनी, जबकि उस ने दोनों को काफी समझाने की कोशिश की. बात बिगड़ती देख अमनजीत वापस अपने घर आ गया.
उस के निकलते ही दोनों के बीच फिर तकरार शुरू हो गई. ऋषभ ने गुस्से में तमंचा निकाल लिया. वह काफी तैश में आ गया था. उस ने तड़ातड़ रिया पर गोलियां दाग दीं. उस के बाद फ्लैट में ताला लगा कर लुलु मौल चला गया.
ऋषभ से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया. वहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक विवेचना जारी थी.
आर्किटेक्ट मनदीप बंसल उर्फ मिंटी मशहूर बिल्डर था. वह ठेके पर बड़ीबड़ी बिल्डिंग बनाने के साथसाथ प्लौट खरीद कर उन पर कोठियां बना कर बेच देता था. इस काम में उसे अच्छाखासा मुनाफा हो जाता था. सिविल इंजीनियर मनदीप को भवन निर्माण का बड़ा तजुर्बा था. लुधियाना शहर में उस की गिनती बड़े बिल्डरों में होती थी. हालांकि उस के पिता सुरिंदर सिंह कपड़े के व्यापारी थे, पर मिंटी ने भवन निर्माण के क्षेत्र में काफी नाम कमाया था.
मनदीप 3 भाईबहन थे. सब से बड़े थे सुरजीत सिंह बंसल, जो कपड़े का व्यापार करते थे. दूसरे नंबर पर मनदीप था और सब से छोटी बहन थी रवनीत कौर. सुरजीत को छोड़ कर मनदीप और रवनीत अभी अविवाहित थे. लगभग 2 साल पहले बंसल परिवार गुरु अंगतदेव नगर में रहता था.
फिर अचानक उन्हें वह घर छोड़ कर खन्ना एन्क्लेव, धांदरा रोड पर किराए की एक कोठी में रहना पड़ा. बंसल परिवार के गुरु अंगतदेव नगर छोड़ने के पीछे की भी एक अहम कहानी है, जिस ने आगे चल कर एक बहुत बड़े अपराध को जन्म दिया था.
बहरहाल, खन्ना एन्क्लेव में रहते हुए बंसल बंधुओं ने लुधियाना के ही शहीद भगत सिंह नगर में एक प्लौट खरीद कर उस पर एक विशाल कोठी का निर्माण करवाया, जो लगभग पूरा हो चुका था. मुहूर्त के अनुसार उन्हें दिनांक 14 अक्तूबर, 2018 को नई कोठी में गृहप्रवेश करना था. इस के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. उन्होंने घर का सारा सामान भी बांध लिया था.
11 अक्तूबर की सुबह 9 बजे मनदीप बंसल अपनी एक निर्माण साइट दुगरी फेज-1 की कोठी नंबर-196 पर चल रहे काम को देखने गया था. यह कोठी सरदार सुखविंदर सिंह की थी, जिस का निर्माण मनदीप करवा रहा था. निर्माणाधीन कोठी पर मनदीप पूरे एक घंटे तक रुका. इस के बाद उसे दूसरी साइट पर जाना था.
ठीक 10 बज कर 2 मिनट पर मनदीप कोठी से बाहर निकल कर अपनी इंडिका कार के पास आया और कार में बैठने के लिए जैसे ही उस ने ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोलना चाहा, तभी कार के पीछे छिपा एक बाइक सवार अचानक वहां आया और उस ने मनदीप पर रिवौल्वर से अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी.
उस ने मनदीप पर 5 गोलियां दागीं. इस के बाद वह वहां से निकल गया. गोलियां लगते ही मनदीप कटे पेड़ की तरह लहरा कर जमीन पर गिर गया.
गोलियों की आवाज सुन कर लोग वहां जमा हो गए. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि हत्यारा कौन था और उस ने मनदीप पर गोलियां क्यों चलाईं. निर्माणाधीन कोठी का मालिक सुखदेव सिंह भी दौड़ता हुआ बाहर आ गया. उस ने मनदीप को सहारा दे कर कुरसी पर बिठा कर पानी पिलाने की कोशिश की, पर मनदीप की हालत गंभीर थी, उस ने अस्पताल चलने के लिए कहा.
सुखदेव ने इस घटना की सूचना मनदीप के घर वालों और पुलिस को दे दी और मनदीप को डीएमसी अस्पताल ले गया. पर अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. तब तक मनदीप का बड़ा भाई सुरजीत और पुलिस भी वहां पहुंच गई.
सूचना मिलते ही लुधियाना पुलिस कमिश्नर डा. सुखचैन सिंह गिल, एडीसीपी सुरिंदर लांबा, एसीपी (क्राइम) सुरिंदर मोहन, एसीपी रमनदीप सिंह भुल्लर, सीआइए स्टाफ-2 के इंचार्ज राजेश शर्मा और थाना दुगरी प्रभारी इंसपेक्टर राजेश ठाकुर घटनास्थल पर पहुंच गए.
सुरजीत बंसल की तरफ से अज्ञात के खिलाफ धारा 302, 120 बी और 25, 27, 54, 59 आर्म्स ऐक्ट के तहत दुगरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.
घटनास्थल का मुआयना करने पर पुलिस को वहां से खाली कारतूस का कोई खोखा नहीं मिला था, जो हैरानी वाली बात थी. आखिर गोलियों के खाली खोखे कहां गायब हो गए?
पुलिस इसे आंतकवादी हमले से भी जोड़ कर देख रही थी. एडीसीपी डा. सुखचैन सिंह ने मनदीप बंसल हत्याकांड को जल्द सुलझाने के लिए पुलिस की कई टीमें बनाईं. इस वारदात के बाद शहर में दहशत का माहौल था. पुलिस टीमें कई एंगल्स और थ्यौरियों पर काम कर रही थीं.
पुलिस सब से पहले यह पता करने में जुट गई कि क्या मृतक की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी. इस दिशा में एक ऐसा नाम उभर कर सामने आया था, जिस पर पुलिस को शक हुआ. वह नाम था मृतक के पूर्व पड़ोसी बलविंदर सिंह का.
जांच का दायरा जैसेजैसे आगे बढ़ा, वैसे वैसे यह बात भी स्पष्ट होती चली गई कि बलविंदर सिंह ही मनदीप का हत्यारा हो सकता है. इसी के साथ 2 साल पहले बंसल बंधुओं के गुरु अंगतदेव नगर वाली कोठी को छोड़ने की वजह भी स्पष्ट हो गई.
पुलिस ने बलविंदर के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो वारदात के समय उस के फोन की लोकेशन उस के घर न्यू अमर कालोनी की आ रही थी. इस का मतलब साफ था कि शातिर बलविंदर ने यह काम खुद न कर के किराए के किसी हत्यारे से करवाया होगा.
एक पुलिस टीम बलविंदर के घर भेजी गई पर वह अपने घर नहीं मिला, शायद वह फरार हो गया था. दरअसल पुलिस का ध्यान बलविंदर की ओर इस कारण गया था कि जब उन्होंने मृतक के भाई सुरजीत से बात की तो यह पता चला कि आज से 2 साल पहले मृतक और बलविंदर पड़ोसी हुआ करते थे और उन के बीच अच्छाखासा याराना था. दोनों हम प्याला हम निवाला दोस्त थे. इतना ही नहीं, दोनों का एकदूसरे के घर भी काफी आनाजाना था.
बलविंदर का स्पेयर पार्ट्स का बिजनैस था. बलविंदर की पत्नी कर्मजीत कौर बहुत खूबसूरत थी. लोग उस की एक झलक पाने के लिए तरसते थे. उस का झुकाव अविवाहित मनदीप बंसल की ओर हो गया था. बाद में मनदीप और कर्मजीत के बीच अवैध संबंध बन गए थे, जिस का बलविंदर को जल्द ही पता चल गया था.
तब उस ने अपनी पत्नी को समझाने के साथसाथ मनदीप को भी अपने घर आने से रोक दिया था. मोहल्ले दारी देखते हुए एक टाइम तो मनदीप ने अपने आप को रोक लिया था पर कर्मजीत कौर नहीं मानी. वह कोई न कोई बहाना कर मनदीप से मिलने उस के घर पहुंच जाती थी.
बलविंदर अपनी पत्नी कर्मजीत पर नजर रखे हुए था. उसे पत्नी की एकएक हरकत की जानकारी मिल जाती थी. इस बात को ले कर उस के घर हर समय क्लेश रहने लगा था. बलविंदर और कर्मजीत के बीच रिश्ते अब सामान्य नहीं रह गए थे. उन के रिश्तों और शादीशुदा जिंदगी में जहर घुल चुका था.
राहुल ने अप्रत्यक्ष तौर पर अपने घर वालों को बता भी दिया था कि अमर यादव नाम का एक लड़का स्नेहा को बदनाम करने के एवज में उसे परेशान करता रहता है. घर वालों ने इस बात को हल्के में लिया और समझा दिया कि शादी हो जाने के बाद सब ठीक हो जाएगा. नाहक परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस के बाद राहुल भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था.
शादी के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे थे, अमर को प्रेमिका स्नेहा से जुदाई के दिन साफ नजर आ रहे थे. यह सोच कर गुस्से से पागल हो जाता था कि उस के जीते जी कोई उस के प्यार को उड़ा ले जाए, ये कैसे हो सकता है. क्यों न रास्ते के कांटे को ही जड़ से ही उखाड़ दिया जाए. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.
जैसे ही उस के दिमाग में यह विचार आया, खुशी से उछल पड़ा. उस ने अपने दोस्तों को रायल गेस्टहाउस बुला लिया. यह गेस्टहाउस टिब्बा थाने के टिब्बा रोड पर स्थित था, गेस्टहाउस एक डीसीपी (पुलिस अधिकारी) का था, जो इन दिनों उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में तैनात है.
नौकर क्यों समझता था खुद को डीसीपी
अमर यादव मूलरूप से बिहार के दरभंगा जिले का रहने वाला था, लेकिन सालों से वह लुधियाना के शेषपुर मोहल्ले में किराए का मकान ले कर रहता था. उस के मांबाप घर रहते थे. उज्जवल भविष्य की कामना ले कर ही वह दरभंगा से लुधियाना चला था. पहले से वहां उस के कई परिचित रहते थे. उन्हीं के सहारे वह यहां रहने आया था.
देखने में तो वह एकदम दुबलापतला मरियल जैसा लगता था, लेकिन था वह अपराधी प्रवृत्ति वाला. बातबात पर हर किसी से झगड़ जाना उस की आदत थी और अपराधियों और नशे का कारोबार करने वालों से उस की खूब बनती थी.
जिस दिन से डीसीपी के गेस्टहाउस पर काम करना शुरू किया था, खुद को ही अमर डीसीपी समझ बैठा. दूसरों पर डीसीपी जैसा रौब झाड़ता था और इसी गेस्टहाउस के तले नशे का कारोबार भी करता था.
कुछ महीनों पहले भी यह गेस्टहाउस खासी चर्चा का विषय बना था. उस के दोस्तों में अभिषेक राय, अनिकेत ऊर्फ गोलू और मनोज खास थे. अमर जब भी कोई जुर्म करता था तो इन्हीं को अपना हमराज बनाता था. इन के मुंह बंद करने के लिए वह इन पर खर्च भी खूब करता था.
बहरहाल, राहुल को रास्ते से हटाने के लिए अमर ने अभिषेक राय, अनिकेत उर्फ गोलू और मनोज को 14 सितंबर, 2023 को रायल गेस्टहाउस बुलाया और चारों ने आपस में बैठ कर मीटिंग की कि राहुल की हत्या कैसे करनी है और फिर लाश को कैसे ठिकाने लगाना है.
सब कुछ तय हो जाने के बाद 15 सितंबर, 2023 को अमर ने बाजार से लोहे का दांत और रौड खरीद लाया और गेस्टहाउस के एक कमरे में छिपा दिए.
15 सितंबर, 2023 की शाम करीब 5 बजे अमर यादव ने राहुल को फोन किया और उसे मिलने के लिए रायल गेस्टहाउस बुलाया. इस पर राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया और उस का फोन काट दिया था. इस के बाद उस ने 3 बार और उसे फोन कर के गेस्टहाउस बुलाया, लेकिन राहुल नहीं गया.
किस वजह से राहुल अपने दुश्मन के पास जाने को मजबूर हुआ
16 सितंबर की शाम को अमर यादव ने फिर से राहुल को फोन किया और बताया कि उस के पास स्नेहा के साथ आपत्तिजनक स्थिति का एक वीडियो है, जो उसे देना चाहता है. आ कर ले जा सकता है.
इस पर राहुल ने कहा, ”ठीक है, वह आज मिलने जरूर आएगा.’’
और फिर ड्यूटी से राहुल जल्दी छुट्टी ले कर घर पहुंच आया. ड्यूटी से निकलते हुए राहुल ने गुलशन को भी फोन कर दिया कि अमर ने फोन कर के बताया है कि स्नेहा की कोई खास वीडियो उस के पास है, आ कर ले जाए. मेरे दोस्त, वो वीडियो किसी तरह से हासिल करनी है तो तुम्हें मेरे साथ उस से मिलने टिब्बा रोड रायल गेस्टहाउस चलना होगा.
साढ़े 8 बजे गुलशन गुप्ता जब घर से अपनी बाइक ले कर निकला तो मम्मी को बता दिया था कि वह राहुल से मिलने उस के घर जा रहा है, थोड़ी देर बाद वह लौट आएगा. कौन जानता था इस के बाद वह कभी नहीं आएगा.थोड़ी देर बाद वह राहुल के सामने खड़ा था. दोनों ने चाय की चुस्की ली और अमर से मिलने टिब्बा रोड पहुंच गए.
सनद रहे, गुलशन ने अपनी बाइक राहुल के घर खड़ी कर दी थी और राहुल अपनी एक्टिवा ले कर गया था. आधे घंटे बाद राहुल और गुलशन रायल गेस्टहाउस के बाहर खड़े थे. उस ने अपनी एक्टिवा गेस्टहाउस के बाहर खड़ी कर दी थी.
”अमर…अमर…’’ की आवाज लगाते हुए राहुल गेस्टहाउस के अंदर दाखिल हुआ तो गुलशन भी उसी के पीछे हो लिया था. 2 मिनट बाद एक लड़का बाहर निकला और राहुल के सामने खड़ा हो गया. उसे अपनी बातों में उलझा लिया. तब तक वहां अभिषेक राय और मनोज भी पहुंच गए और स्नेहा को ले कर राहुल से भिड़ गए.
अभी यह सब हो ही रहा था कि तभी अचानक अमर यादव लोहे का दांत लिए बाहर निकला और राहुल की गरदन पर जोरदार तरीके से वार किया. वहां कटे वृक्ष के समान हवा में लहराते हुए धड़ाम से फर्श पर जा गिरा. उस के बाद अभिषेक उसे लोहे की रौड से मारता गया.
राहुल को देख कर अमर गुस्से से इतना पागल हो गया था कि लोहे के दांत उस के बाईं आंख में घुसेड़ कर आंख बाहर निकाल दी थी. राहुल मर चुका था. उस के सिर से खून बह रहा था. यह देख गुलशन सन्न रह गया और वहां से भागने लगा लेकिन चारों ने उसे घेर लिया और उसे भी मार डाला. अमर यादव उसे नहीं मारना चाहता था. चूंकि पूरी घटना गुलशन की आंखों के सामने घटी थी और हत्या का वह एकमात्र चश्मदीद गवाह था, इसलिए अमर और उस के साथियों ने उसे भी उसी लोहे के दांत से मौत के घाट उतार दिया था.
इस के बाद चारों ने मिल कर राहुल और गुलशन की लाश कंबल में लपेट दीं. राहुल की ही एक्टिवा पर दोनों की लाश बारीबारी से सेंट्रल जेल के ताजपुर रोड स्थित कक्का धौला बुड्ढा नाले में फेंक आए.
फिर गेस्टहाउस में फर्श पर फैले खून को पानी से धो कर सारे सबूत मिटा दिए और राहुल की एक्टिवा टिब्बा रोड कूड़ा डंप के पास खड़ी कर दी. स्विच औफ कर के उस के मोबाइल फोन को भी गाड़ी के बगल में गिरा दिया.
अमर वहीं गेस्टहाउस में ही रुका रहा जबकि अभिषेक राय, मनोज और अनिकेत उर्फ गोलू अपने घर शेषपुर निकल गए. घर जाते हुए तीनों ने गुलशन के मोबाइल को वर्धमान कालोनी में स्विच औफ कर के फेंक दिया था.
इश्क की जंग में पागल प्रेमी अमर यादव इस कदर हैवान बन चुका था कि उसे स्नेहा के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था जबकि स्नेहा ने उस से अपना संबंध तोड़ लिया था. वह एक नई जिंदगी बसाने का हसीन ख्वाब देख रही थी, लेकिन सुहागन बनने से पहले ही विधवा बन गई.
खैर, कथा लिखे जाने तक पुलिस चारों आरोपियों अमर यादव, अभिषेक राय, अनिकेत उर्फ गोलू और मनोज को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी और हत्या में प्रयुक्त लोहे की दांत, रौड, 2 मोबाइल फोन बरामद कर लिए थे. पुलिस ने अपहरण की धारा को 302, 201, 120बी व 34 आईपीसी में तरमीम कर दिया.