प्रेमिका को गोली मार की खुदकुशी – भाग 3

प्रेमी से दूर होने लगी नित्या

इधर कुछ दिनों से विशाल को यह लग रहा था कि उस की प्रेमिका नित्या उस से काफी दूरी रखने लगी है, मिलनाजुलना भी एकदम बंद सा कर दिया था. विशाल जब कभी उसे फोन करता तो पहले तो वह फोन उठाती ही नहीं थी. 8-10 बार काल करने के बाद फोन उठाती भी थी तो” ;बहुत बिजी हूं, बाद में बात करूंगी”, कह कर तुरंत फोन काट देती थी.

तभी विशाल को यह मालूम हुआ कि नित्या की शादी किसी इंजीनियर से तय हो गई है और इसी साल मई माह में शादी होगी. यह बात पता चलने पर विशाल को बहुत दुख हुआ और उस का गुस्सा सातवें आसमान चढ़ गया था  इसीलिए विशाल ने अब नित्या से अंतिम फैसला करने का निर्णय ले लिया था, इसीलिए 10 मार्च, 2023 को जैसे ही नित्या अपना पीरियड छोड़ कर आई तो विशाल उसे मिल मिल गया.

“नित्या, तुम से एक बात करनी है,” विशाल ने कहा.

“देखो, अभी मेरा पीरियड भी है और मुझे जल्दी घर भी जाना है.” नित्या ने उसे टालने के इरादे से कहा.

“नित्या, तुम से मेरी दोस्ती और प्यार एक लंबे समय से रहा है, आज मैं तुम से कुछ बात करना चाहता हूं. शायद यह मैं तुम से आखिरी बार कह रहा हूं, उस के बाद हमारे रास्ते अलग होने ही वाले हैं. इतनी सी बात है. चलो कहीं बैठ कर कुछ बातें करते हैं.” विशाल ने कहा.

नित्या ने सोचा कि आखिरी बार मिलने को कह रहा है तो मिल कर बात कर इस से हमेशा के लिए पल्ला भी छुड़ा लूंगी. इस को सच्चाई भी समझा दूंगी, यह सोचते हुए वह विशाल की बाइक पर बैठ गई थी.

विशाल अपनी प्रेमिका नित्या को ले कर जमसर गांव के पास स्थित रायल स्टार ढाबा एवं फैमिली रेस्टोरेंट पहुंचा, जहां पर वे दोनों पहले भी अकसर आया करते थे. विशाल ने चाय और साथ में खाने के लिए स्नैक्स का आर्डर दे दिया और नित्या के साथ रेस्टोरेंट के अंदर स्थित एक केबिन में बैठ गया.

“हां विशाल, बताओ मुझे मिलने के लिए क्यों बुलाया?”नित्या ने पूछा.

“आजकल तुम ने मिलना तो दूर, अब बात करनी तक छोड़ ही है. मुझ से कोई गलती हुई है क्या?” विशाल ने कहा.

‘नहीं, ऐसी बात नहीं है” नित्या ने कहा.

“साफसाफ क्यों नहीं कहती कि मई में तुम्हारी शादी एक इंजीनियर से होने जा रही है” विशाल ने कहा.

“तो क्या हुआ, ये सच बात तो है. इस में नई कौन सी बात है?” नित्या ने कहा.

“तो मेरे साथ अब तक पिछले डेढ़ साल से तुम ये सब कुछ कर रही थी, वह क्या था?” विशाल ने जोर से कहा.

“देखो विशाल, यही तो जिंदगी है. जिंदगी में परिवर्तन होना निश्चित है. मेरी शादी कहीं हो रही है, तुम्हारी भी शादी किसी लड़की से हो जाएगी, लेकिन हमारी दोस्ती बरकरार रहेगी, प्रेम संबंध अब खत्म, यही रीति भी है.” नित्या ने कहा.

नित्या, मैं ने तुम से अपने दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम ने भी जिंदगी भर मेरा साथ निभाने का वादा किया था. तुम्हें आज अंतिम फैसला लेना होगा, नहीं तो हम दोनों के लिए अच्छा नहीं रहेगा.” यह कहते हुए विशाल अपनी कुरसी से खड़ा हो गया और उस ने अपनी कमर से तमंचा निकाल कर नित्या की ओर तान दिया.

विशाल ने नित्या पर चलाई गोली

अब नित्या सीधे आ कर विशाल को पकड़ कर उस से तमंचा छीनने का प्रयास करने लगी. दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. तभी विशाल ने नित्या के सिर को निशाना बनाते हुए तमंचे से फायर झोंक दिया. वहां पर फायर की आवाज सुनते ही कर्मचारी आ गए.

विशाल ने सोचा कि नित्या शायद मर गई है, इसलिए वह वहां से सीधे दौड़ता हुआ बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा भीतर से बंद कर उस ने अपनी कनपटी पर गोली मार कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.

रेस्टोरेंट के कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने विशाल को पकड़ने का भरसक प्रयास भी किया था, लेकिन वे जब तक विशाल को पकड़ पाते, वह भाग कर बाथरूम में घुस गया था और दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कर्मचारियों ने यह भी बताया कि खुद के विरोध करने पर ही नित्या की जान बच पाई विशाल ने जब नित्या को मारने के लिए तमंचा निकाला था तो वह उस के बाद अपने प्रेमी विशाल से भिड़ गई थी. हाथापाई के दौरान विशाल ने उस के सिर का निशाना बनाते हुए फायर झोंक दिया था, जिस पर गोली उस के सिर को छूते हुए निकल गई और उस की जान बच गई.

आज अपने स्वार्थ में लोग इतने अधिक अंधे हो गए कि उन्हें अपने ऊपर चिंतनमनन करने के लिए तनिक भी समय नहीं है. आज के युवा स्त्री की गरिमा और पुरुष की महिमा को देहसुख के लिए मलीन कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में नित्या परिवर्तित नाम है.

कैसे हुईं 9 दिन में 3 बहनें गायब – भाग 3

स्टेशन पर भारत और राहुल कुछ बात करने लगेे. उस के बाद भारत ने राहुल को पैसे दिए, पैसे काफी अधिक दिख रहे थे. उस के बाद उन्होंने दोनों बहनों को मिठाई खाने के लिए दी. मिठाई खाने के बाद मनतारा की आंखें खुलीं तो वह पंजाब में थी. उस के साथ उस की बहन नहीं थी. वह एक कमरे में लेटी हुई थी. उस के सामने भारत बैठा हुआ था.

मनतारा ने उस से दीदी के बारे में पूछा तो वो बोला, “तुम्हारी दीदी दिल्ली में हैं. अभी हम लोग भी वहां चलेंगे.” उस के बाद भारत उसे भी दिल्ली ले कर चला गया. वहां उसे किसी के घर में रखा.

मनतारा हो चुकी थी गर्भवती

मनतारा ने बताया कि जहां रह रहे थे, उन्हें भारत ने बताया कि वो मुझे जौब दिलाने के लिए ले कर आया है. वहां भी उस की बहन नहीं थी. वह जब भी दीदी के बारे में पूछती तो भारत बोलता, “जल्द ही तुम अपनी दीदी से मिलोगी.”

फिर एक दिन भारत ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. भारत को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना. उस ने उसे भरोसा दिया कि वह उस से शादी करेगा और जौब भी दिला देगा. इसी तरह के आश्वासन दे कर उस ने कई बार उस के साथ संबंध बनाए. वह कभी दिल्ली तो कभी पंजाब उसे ले जाता.

मनतारा को डर बना रहता था कि कहीं विरोध करने पर वह उसे मार न डाले. फिर एक दिन उस घर में एक महिला आई, वह उसे ले कर पंजाब चली गई. वहां उस के साथ गलत काम होता. कभी होश में तो कभी बेहोशी में, उसे याद भी नहीं रहता था. मनतारा समझ गई थी कि उस के साथ बहुत गलत हुआ है. वे लोग उसे हमेशा घर में कैद रखते थे.

मनतारा किसी को देख नहीं सकती थी, न किसी से बात कर सकती थी. वह हमेशा रोती रहती थी. एक कमरे में ही उसे खाना और पानी दिया जाता था. मनतारा यह समझ गई थी कि बड़ी बहन ने ही उस के साथ छल किया है. वह बहुत परेशान रहती थी. वह समझ गई थी कि ये लोग उस से जिस्मफरोशी का धंधा कराना चाहते हैं.

निशा व राहुल को किया गिरफ्तार

अपहरण करने वाला आरोपी राहुल निवासी टिमरख तथा शमशाद की बड़ी बेटी निशा को इस बात का पता चल गया कि छोटी बहन मनतारा व भारत को पुलिस ने पकड़ लिया है. इस पर दोनों 19 मार्च, 2023 को मैनपुरी जायजा लेने के लिए आए.

उन की लोकेशन मिलने व मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दबिश दे कर राहुल को मैनपुरी के तखरऊ पुल से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाने ला कर पूछताछ की गई. राहुल की गिरफ्तारी की जानकारी होने पर निशा एसपी औफिस पहुंच गई. इस पर उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया.

दोनों को थाने लाया गया, जहां उन से गहराई से पूछताछ की गई. पूछताछ में बहुत ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ. निशा और राहुल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम का परदाफाश कर दिया.

पता चला कि बड़ी बहन निशा ने ही षडयंत्र रच कर इस घटना को अंजाम दिया था. उस ने अपनी दोनों नाबालिग बहनों को अपने प्रेमी राहुल की मदद से गायब कराया और अपने प्रेमी के दोस्त भारत सिंह को सौंपा था. पुलिस ने राहुल व निशा को जेल भेज दिया.

इस पूरी घटना के बाद घर वाले अब बीच वाली बेटी खुशबू के लिए परेशान थे. पिता का कहना था कि हम लोग एक बार बड़ी बेटी से मिलना चाहते हैं, उस से पूछना चाहते हैं उस ने ऐसा क्यों किया? निशा घर की बड़ी बेटी थी. उसे समझदार समझते थे, लेकिन वो तो अपनी ही बहनों की दुश्मन निकली. अपने इस कृत्य से उस ने पूरे परिवार की बदनामी करा दी है. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं.

बहन के धोखे का शिकार हुई मनतारा गर्भवती होने के बाद अब न्याय के लिए कानून के दरवाजे खटखटा रही है. राज्य बाल आयोग की सदस्य की ओर से पीडि़ता के न्यायालय में दोबारा बयान दर्ज कराने की बात कही है. उधर मामले में पीडि़ता किशोरी के गर्भपात को ले कर अभी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं. जबकि थाना पुलिस ने तीसरी बहन की तलाश और तेजी के साथ शुरू कर दी.

2 बहनों के मिलने के बाद पुलिस ने हार नहीं मानी. तीसरी किशोरी की बरामदगी के लिए अपने स्तर से प्रयास जारी रखे. राहुल और निशा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उन के विभिन्न ठिकानों की जानकारी हो गई थी. इसी बीच पुलिस को तीसरी बेटी खुशबू के बारे में जानकारी मिली.

तब एक पुलिस टीम को राजस्थान के गंगानगर के लिए रवाना किया गया, जहां दबिश दे कर एक स्थान से 6 अप्रैल, 2023 को बीच वाली बेटी खुशबू को भी बरामद करने के साथ ही भारत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. मैनपुरी ला कर पुलिस ने खुशबू का मैडिकल कराने के बाद न्यायालय में पेश किया. न्यायालय ने पिता शमशाद की सुपुर्दगी में उस की बीच वाली बेटी खुशबू को सौंप दिया.

एएसपी राजेश कुमार ने बताया कि इस पूरी साजिश में निशा और उस का प्रेमी राहुल शामिल थे. जौब के बहाने निशा अपने प्रेमी राहुल के साथ पहले भी दिल्ली और पंजाब जा चुकी है. इन दोनों ने ही षडयंत्र रच कर खुशबू और मनतारा को दिल्ली लाने को तैयार किया था.

इन लड़कियों को राहुल अपने दोस्तों के साथ रखने वाला था. उन की साजिश यह थी कि इन लड़कियों को यहां ला कर इन से जिस्मफरोशी का धंधा करा के पैसे कमाएंगे. दिसंबर महीने से ही दोनों बहनों को लाने की साजिश शुरू कर दी गई थी. निशा ने सब से पहले अपनी सब से छोटी बहन मनतारा को तैयार किया.

21 दिसंबर को निशा ने गुपचुप तरीके से रात के समय मनतारा को घर से निकाल दिया. इस की घर वालों को कानोंकान खबर तक नहीं हुई. सुबह होने पर मनतारा के गायब होने की जानकारी हुई. उस के 9 दिन बाद 30 दिसंबर, 2022 को जब पिता छोटी बेटी मनतारा की तलाश में पंजाब गए हुए थे, उस ने बीच वाली बहन खुशबू को बरगलाया और उसे अपने साथ ले कर घर से निकल गई.

 

कोर्ट से गर्भपात कराने की मांगी अनुमति

गर्भवती मनतारा की ओर से न्यायालय में प्रार्थनापत्र दे कर गर्भपात करवाने की अनुमति मांगी गई. इस पर न्यायालय ने चिकित्सक की रिपोर्ट पर मनतारा का गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान कर दी. परिजनों द्वारा अनुमति मिलने के बाद मनतारा का अस्पताल ले जा कर गर्भपात करा दिया गया.

निशा, उस का प्रेमी राहुल व उस का दोस्त भारत इस समय जेल में हैं. भारत को अपहरण, रेप व पोक्सो एक्ट की धाराओं में जेल भेजा गया है.

ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता है कि सगी बड़ी बहन अपने स्वार्थ की खातिर अपनी नाबालिग छोटी बहनों की लाइफ से खिलवाड़ कर सकती है. अपने प्रेमी व उस के दोस्तों के साथ षडयंत्र रच कर अपनी बहनों व परिवार की बदनामी करा कर निशा को क्या हासिल हुआ? उसे मिली जेल की सलाखें जिस की वह हकदार थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मनतारा व खुशबू परिवर्तित नाम हैं

षडयंत्र : पैसों की चाह में – भाग 3

अभियुक्त स्वर्ण सिंह और उस का साला कुलविंदर सिंह शुरू से जमीनजायदाद के फर्जी काम करते आ रहे थे. पर ज्यादा पढ़ेलिखे न होने की वजह से वे छोटीमोटी ठगी तक ही सीमित थे. लेकिन रोहित कुमार यानी अमित कुमार से मिलने के बाद उन के पर निकल आए थे. उसी के कहने पर वे किसी बड़े काम की तलाश में लग गए थे. इसी तलाश में अमरजीत सिंह पर उन की नजर जम गई थी.

इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड अमित कुमार उर्फ विजय कुमार उर्फ रोहित कुमार था, जिस का असली नाम रोहित चोपड़ा था. वह लुधियाना के घुमार मंडी के सिविल लाइन के रहने वाले दर्शन चोपड़ा के तीन बेटों में सब से छोटा था. लगभग 7 साल पहले उस की शादी इंदू से हुई थी, जिस से उसे 5 साल की एक बेटी थी.

रोहित बचपन से ही अति महत्त्वाकांक्षी, शातिर दिमाग था. एलएलबी करने के बाद तो उस का दिमाग शैतानी करामातों का घर बन गया था. वह रातदिन अपराध करने और उस से बचने के उपाय सोचता रहता था. स्वर्ण सिंह से मिलने के बाद जब उसे अमरजीत सिंह की दौलत, जमीनजायदाद और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में पता चला तो वह स्वर्ण सिंह के साथ मिल कर उन की प्रौपर्टी और रुपए हथियाने के मंसूबे बनाने लगा.

एक तरह से स्वर्ण सिंह रोहित चोपड़ा के लिए मुखबिर का काम करता था. रोहित को जब स्वर्ण से पता चला कि अमरजीत सिंह बेटों से ज्यादा वास्ता नहीं रखता तो उसे अपना काम आसान होता नजर आया. स्वर्ण सिंह ने उसे बताया था कि एक बेटा भारतीय सेना में है तो दूसरा जमीनों की देखभाल करता है.

इस के बाद रोहित कुमार ने अमरजीत सिंह का माल हथियाने की जो योजना बनाई, उस के अनुसार सब से पहले उन की ओर से डिप्टी कलेक्टर को एक पत्र लिखवाया गया. जिस में उस ने लिखवाया था कि ‘मेरे दोनों बेटे गुरदीप सिंह और गुरचरण सिंह मेरे कहने में नहीं हैं. वे मेरी जमीनजायदाद हड़पने के चक्कर में मेरी हत्या करना चाहते हैं.’

अमरजीत सिंह शराब पीने के आदी थे और अभियुक्तों पर पूरा विश्वास करते थे. यही वजह थी कि शराब पीने के बाद वह उन के कहने पर किसी भी कागज पर हस्ताक्षर कर देते थे. डिप्टी कलेक्टर के नाम पत्र लिखवाने के बाद उन्होंने अमरजीत सिंह की हत्या की योजना बना डाली थी. लेकिन समस्या यह थी कि अमरजीत सिंह के पास अपना लाइसेंसी हथियार था. जरा भी संदेह या चूक होने पर उन लोगों की जान जा सकती थी. इसलिए वे मौके की तलाश में रहने लगे.

मई के अंतिम सप्ताह में उन्हें मौका मिला. अमरजीत सिंह अपने किसी मिलने वाले की जमीन के झगड़े का फैसला कराने सिंधवा वेट, जगराओं गए हुए थे. घर में भी उन्होंने यही बताया था. रोहित कुमार ने सोचा कि अगर बाहर से ही अमरजीत सिंह को कहीं ले जा कर हत्या कर दी जाए तो किसी को उस पर संदेह नहीं होगा. उस ने स्वर्ण सिंह से सलाह कर के अमरजीत सिंह को फोन किया, ‘‘जमीन का एक बढि़या टुकड़ा बिक रहा है. अगर आप देखना चाहें तो मैं आप के पास आऊं.’’

लेकिन अमरजीत सिंह ने जाने से मना कर दिया. इस तरह रोहित कुमार और स्वर्ण सिंह की यह योजना फेल हो गई. वे एक बार फिर मौका ढूंढने लगे. इसी बीच उन्होंने अमरजीत को ढाई करोड़ रुपए में एक जमीन खरीदवा दी. इस की फर्जी रजिस्ट्री भी उन्होंने करा दी. इस में भी गवाह स्वर्ण सिंह था. पार्टी को पैसे देने के नाम पर उन्होंने उन से 50-50 लाख कर के 1 करोड़ रुपए भी ले लिए.

किसी भी जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बाद उस का दाखिल खारिज कराना जरूरी होता है. उसी के बाद खरीदार निश्चिंत हो जाता है कि उस जमीन पर किसी तरह का विवाद नहीं है. अमरजीत सिंह द्वारा खरीदी गई जमीन के दाखिल खारिज का समय आया तो स्वर्ण सिंह और रोहित कुमार को चिंता हुई, क्योंकि उस जमीन के सारे कागजात फर्जी थे. जब जमीन ही नहीं थी तो कैसी रजिस्ट्री और कैसा दाखिल खारिज.

पोल खुलने के डर से रोहित कुमार और स्वर्ण सिंह परेशान थे. ऐसे में अमरजीत सिंह की हत्या करना और जरूरी हो गया था. क्योंकि सच्चाई का पता चलने पर अमरजीत सिंह उन्हें छोड़ने वाला नहीं था.

दाखिल खारिज के लिए 10-12 दिन बाकी रह गए तो वे अमरजीत सिंह को सस्ते में जमीन दिलाने की बात कह कर खरीदने के लिए उकसाने लगे. स्वर्ण सिंह और उस की पत्नी सुखमीत कौर ने अमरजीत सिंह को बताया कि उस के भाई कुलविंदर सिंह की पृथ्वीपुर में काफी जमीन है, जिसे वह बेचना चाहता है. उसे पैसों की सख्त जरूरत है, इसलिए वह कुछ सस्ते में दे देगा.

उसी जमीन के बारे में बातचीत करने के लिए 24 अगस्त की रात स्वर्ण सिंह अमरजीत सिंह के औफिस में ही रुक गया. देर रात तक वे शराब पीते रहे. स्वर्ण सिंह अमरजीत सिंह को अधिक शराब पिला कर पृथ्वीपुर चल कर जमीन देखने के लिए राजी करता रहा. जब अमरजीत सिंह चलने के लिए तैयार हो गए तो सुबह के लगभग साढ़े 5 बजे अपने घर थरीके जा कर वह अपनी सफेद रंग की इंडिका कार ले आया, जिस का नंबर पीबी 19 ई-2277 था. उस के साथ उस की पत्नी सुखमीत कौर भी थी.

स्वर्ण सिंह ने कार ब्रह्मकुमारी शांति सदन के मोड़ पर खड़ी कर दी और अमरजीत सिंह के औफिस जा कर बोला, ‘‘भाईजी चलो, गाड़ी आ गई है.’’

नशे में धुत अमरजीत सिंह सोचनेसमझने की स्थिति में नहीं थे. वह उठे और जा कर कार में बैठ गए. उसी समय गांव के कृपाल सिंह ने उन्हें इंडिका कार में स्वर्ण सिंह के जाते देख लिया था. अंबाला दिल्ली होते हुए वे पृथ्वीपुर पहुंचे. वहां स्वर्ण सिंह के भाई गुरचरण सिंह और साले कुलविंदर सिंह ने अमरजीत सिंह का स्वागत बोतल खोल कर किया.

शराब पीतेपीते ही शाम हो गई. अब तक अमरजीत सिंह खूब नशे में हो चुके थे. उन से उठा तक नहीं जा रहा था. उसी स्थिति में उन्हें वहीं कमरे में गिरा दिया और सब मिल कर पीटने लगे. लकड़ी का एक मोटा डंडा पड़ा था. स्वर्ण सिंह उसे उठा कर अमरजीत सिंह की गरदन और सिर पर वार करने लगा. उसी की मार से अमरजीत की गरदन टूट कर एक ओर लुढ़क गई और उस के प्राणपखेरू उड़ गए.

जब उन लोगों ने देखा कि अमरजीत का खेल खत्म हो गया है तो उन्होंने लाश को कार में डाला और उसे ठिकाने लगाने के लिए चल पड़े. रामगंगा नदी के पुल पर जा कर उन्होंने अमरजीत सिंह की लाश को नदी में फेंक दिया. इस के बाद गुरचरण और कुलविंदर पृथ्वीपुर लौट गए तो स्वर्ण सिंह पत्नी सुखमीत कौर के साथ लुधियाना आ गया.

पुलिस ने स्वर्ण सिंह, सुखमीत कौर, गुरचरण सिंह और कुलविंदर सिंह को तो जेल भेज दिया, लेकिन अमित कुमार उर्फ रोहित कुमार पुलिस के हाथ नहीं लगा था. 15 दिसंबर, 2013 को इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी. कथा लिखे जाने तक अमरजीत सिंह की लाश बरामद नहीं हो सकी थी.

प्यार का जूनून

दगा दे गई सोशल मीडिया की गर्लफ्रैंड – भाग 2

आरोपी विवेक सिंह से तृप्ति सोनी हत्या के संबंध में पूछताछ की तो जो कहानी सामने आई वह चौंकाने वाली निकली-

अजमेर आरावली पर्वत श्रृंखला की सुंदर पहाङियों से घिरा राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है, जो पर्यटन स्थल होने के साथ ही एक धार्मिक नगरी भी है. भौगोलिक नजरिए से राजस्थान राज्य के मध्य में स्थित होने के चलते इस नगर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है. साल के हर दिन यहां श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रयों के साथ ही दुनियाभर के घुमक्कड़ सैलानियों का आनाजाना लगा रहता है.

मई का महीना चल रहा था जिस में प्रचंड गरमी थी, लेकिन आकाश में काले बादल मंडरा रहे थे और जल्द ही बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे. लिहाजा हर कोई शाम होने से पहले घर पहुंचने की जल्दी में दिखाई दे रहा था इसीलिए टैंपो सवारियों से ठसाठस भरे नजर आ रहे थे. तृप्ति ने च्वगम चबाते हुए इधरउधर नजरें घुमाईं पर किसी भी टैंपो में खाली जगह न देख कर वह बड़बड़ाई. “आज कोई घर में नहीं रहेगा. ऐसा लगता है कि जैसे पूरा शहर ही दूसरी तरफ शिफ्ट हो रहा है.

अब तो अगले चौक तक पैदल ही जाना पड़ेगा. आगे तो मिल ही जाएगा कोई न कोई टैंपो. बड़बड़ाते हुए उस ने कदम आगे बढ़ाया ही था कि तभी एक कार उस के पास आ कर रुकी. उस ने किनारे हट कर आगे बढ़ जाना चाहा. पर तभी कार चालक की आवाज सुन कर चौंक गई. कार चालक ने उस नाम ले कर आवाज दी थी, “हेलो तृप्ति कहां जा रही हो?”

पलट कर तृप्ति ने देखा तो सामने विवेक उर्फ विवान था, उस का नया दोस्त. जिस से कुछ दिन पहले ही उस की सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी. पर अभी तक दोनों की रूबरू मुलाकात नहीं हुई थी. बिगडते मौसम के दौरान टैंपो नहीं मिलने से फिक्रमंद हो रही तृप्ति अंदर ही अंदर खुश होते हुए बोली, “अरे वाह विवान, तुम इधर ही रहते हो क्या?”

“अरे नहीं यार, मैं तो तुम्हें देख कर रुका था. सोचा कि तुम इधर ही रहती होगी. आज शाम की चाय यहीं पी लेंगे.”

सुन कर हंसते हुए तृप्ति बोली, “नहीं जी, मैं तो मेयो कालेज के पास धौलाभाटा कालोनी में रहती हूं. यहां तो मैं टीचर हूं एक प्राइवेट स्कूल मेें.”

तब तक बरसात शुरू हो गई तो विवान ने कार का गेट खोलते हुए कहा, “जल्दी बैठो मुझे भी रामगंज जाना है. उधर ही रहता हूं. तृप्ति कार में बैठ गई. दोनों रास्ते में बातचीत करते हुए आना सागर चौपाटी गए. वहां पर पर पहुंच कर दोनों ने गर्मागर्म समोसे के साथ कुल्हड़ वाली चाय पी फिर घर की तरफ रवाना हो गए.

मौसम ठंडा हो गया था इसलिए तृप्ति को उस के घर ड्राप कर के विवेक सिंह अपने घर राम गंज चला गया. जातेजाते तृप्ति से अगले दिन स्कूल टाइम पर रेलवे स्टेशन के पास मार्टिडल ब्रिज पर मिलने को कहा जो दोनों के घर के रास्ते में ही आता था.

फेसबुक फ्रेंड बन गया प्रेमी

अगले दिन तृप्ति जब स्कूल के लिए निकली तो देखा मार्टिडल ब्रिज पर विवेक की कार खड़ी है तो वह टैंपो से उतर कर कार में बैठ गई और कार पुष्कर रोड की तरफ रवाना हो गई. बड़े शहरों में तो वैसे भी किसी को किसी की खबर नहीं रहती है कि कौन कहां जा रहा है और फिर बिंदास नेचर की तृप्ति तो वैसे भी अकेली ही रहती थी. लिहाजा स्कूल के बहाने दोनों का रोजाना मिलने और आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया.

उन की मुलाकातें जल्दी ही पक्की दोस्ती में बदल हो गईं. धीरेधीरे दोनों एक दूसरे के बारे में सब कुछ जान गए. 30 वर्षीय विवेक ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था किसी सेठ की कार चलाता था, आगेपीछे कोई था नहीं, कुंवारा था. इसलिए बनसंवर कर रहता था. वह ठीकठाक कमा भी लेता था. वह पहली नजर में ही तृप्ति की खूबसूरती पर मर मिटा था. यह बात जानने के बाद कि तृप्ति शादीशुदा है और उस की एक 7 साल की बेटी भी है. वह पति से अलग हो कर रह रही है.

विवेक उस के साथ घर बसाने के सपने देखने लगा. आधुनिक विचारों वाली युवती तृप्ति ने भी उस से कुछ नहीं छिपाया और दोस्त समझ कर. बातों ही बातों में बता दिया था कि उस का परिवार तो बीकानेर का रहने वाला है, परंतु अजमेर निवासी सूरज चौहान के साथ साल 2012 में उस ने प्रेम विवाह किया था. तब से ही अजमेर में रह रही है और उन की एक बेटी भी है.

उस ने बताया कि प्रेम विवाह से ले कर बेटी के जन्म तक पतिपत्नी के बीच सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच पैसों की तंगी को ले कर गृह कलह होने लगी और पैसे कमाने के चक्कर में उस के पति सूरज की संगत खराब हो गई और वह चेक बाउंस के एक मामले में फंस गया और पारिवारिक तनाव बढऩे पर तृप्तिऔर सूरज के बीच रोजाना झगड़ा होने लगा.

एक दिन मामला फैमली कोर्ट यानी पारिवारिक न्यायालय तक पहुंच गया. उस के बाद अदालत में प्रकरण विचाराधीन होने के दौरान ही दोनों एक दूसरे से अलगअलग रहने लग. कुछ दिन बाद ही चैक बाउंसिंग के मामले में सूरज को 2 साल की सजा हो गई और उसे अजमेर सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

तृप्ति ने बताया कि इस अनजान शहर में वह बेटी के साथ अकेली रह गई थी. वह पढ़ीलिखी स्मार्ट युवती थी इसलिए उस ने दौङ़धूप कर पुष्कर रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली और एक परिचित सहेली की मदद से धोलाभाटा कालोनी में किराए का घर ले कर रहने लगी.

विवेक ने तृप्ति के प्यार में पड़ कर उस की ख्वाहिशें पूरी करनी शुरू कर दीं. साथ ही जरूरत पङऩे पर रुपएपैसे से भी उस की मदद करने लगा और तृप्ति भी विवेक को दोस्त मान कर उस से तोहफे लेने लगी पर वह शायद यह बात भूल गयी ,आज की इस मतलब परस्त दुनिया में एक मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते हैं.

लिहाजा तृप्ति की दोस्ती को प्यार समझ कर एक तरफा प्यार में पागल विवेक ने उस के नाम का टैटू भी अपने हाथ पर गोदवा लिया था. वह जल्दी ही तृप्ति के सामने शादी का प्रस्ताव रख कर उसे अपनी पत्नी बनाने की योजना बना चुका था, लेकिन पारिवारिक न्यायालय में तृप्ति का मामला विचाराधीन होने के कारण् वह फैमली कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था.

कातिल प्रेम पुजारी – भाग 3

प्रीति के घरवालों ने मनोज को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन उस की शंका का समाधान नहीं हुआ. धीरेधीरे मनोज ने प्रीति या उस के घर वालों से कोई संपर्क नहीं किया. वह उन का फोन तक नहीं उठाता था. जवान बेटी अपने बच्चे को ले कर मायके में रह रही थी, इस से प्रीति के पिता की समाज में बदनामी हो रही थी.

प्रीति के पिता ने परेशान हो कर कटनी पुलिस थाने में मनोज के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ की शिकायत कर दी और रिपोर्ट दर्ज हो गई. मनोज को रिश्तेदारों ने समझाया, “किसी तरह प्रीति से राजीनामा कर लो मनोज, नहीं तो दहेज अधिनियम के तहत तुम्हें जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी.”

जेल जाने के डर से मनोज प्रीति को साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया. दोनों फिर से भोपाल में साथ रहने लगे थे. मनोज के खिलाफ प्रीति ने जो दहेज उत्पीडऩ का केस लगाया था, प्रीति ने उस में राजीनामा नहीं किया था. मनोज कई बार कह चुका था कि हम साथ रह रहे हैं, सब ठीक है फिर तुम केस वापस क्यों नहीं ले लेती.

इस बीच प्रीति अपने परिवार में रम चुकी थी. उस का तीसरा बच्चा भी हो चुका था. प्रीति अपने प्रेम संबंधों को भुला नहीं पाई थी, उस के घर रामनिवास का आनाजाना फिर से शुरू हो चुका था. इधर रामनिवास की पत्नी शालिनी को भी पति के प्रीति से नाजायज संबंधों की जानकारी हो गई थी. रामनिवास की पत्नी शालिनी के मन में भी शंका पैदा हो गई कि उस के पति और प्रीति के बीच कुछ चल रहा है. इसे ले कर शालिनी का अपने पति से आए दिन झगड़ा होता था.

दोनों परिवार आपस में रिश्तेदार थे, इस के बावजूद दोनों परिवारों में मनमुटाव इतना बढ़ गया था कि वे आपस में दुश्मन बन चुके थे और किसी भी हद तक जाने तैयार थे. फिर से मामला बिगड़ते देख प्रीति ने रामनिवास से बातचीत बंद कर दी थी. वह उस का फोन भी नहीं उठाती थी.

रामनिवास को लगता था कि प्रीति का अब किसी और से अफेयर चल रहा है. इस कारण वह उस से दूरियां बना रही है. प्रीति की वजह से शालिनी के परिवार में कलह होने लगी थी और शालिनी प्रीति से नफरत करने लगी थी. रामनिवास ने प्रीति को सबक सिखाने का प्लान बना लिया था.

प्रेमिका से पीछा छुड़ाने में पत्नी ने दिया साथ

पुलिस पूछताछ में पता चला कि प्रीति की हत्या की वजह रामनिवास के प्रीति के साथ प्रेम संबंध थे. रामनिवास ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि उस का और प्रीति का अफेयर चल रहा था. पिछले कुछ दिनों से उस ने मुझ से बात करनी बंद कर दी थी. मुझे शक था कि शायद उस का किसी और से अफेयर चलने लगा है. इसी बात को ले कर हमारे बीच झगड़ा हुआ और मैं ने उसे सबक सिखाने के लिए उस की हत्या करने का फैसला ले लिया.

5 अगस्त, 2023 की दोपहर को रामनिवास ने पत्नी शालिनी से कहा, “चलो, आज मनोज के घर चलते हैं और प्रीति से मिल कर मामले को सुलझा लेते हैं. तुम्हारे मन में जो भी शंका है, वह दूर हो जाएगी.”

शालिनी झटपट चलने को तैयार हो गई, लेकिन मनोज के मन में कुछ और चल रहा था. उस ने पहले से ही एक चाकू खरीद कर अपने पास रख लिया था. उस दिन बारिश हो रही थी तो रेनकोट पहन कर और मुंह पर नकाब बांध कर दोनों प्रीति के घर जाने के लिए तैयार हुए. रेनकोट में दोनों को पहचानना मुश्किल था. शालिनी ने जब उस से पूछा, “ये नकाब की क्या जरूरत है?”

तो मनोज ने कहा, “वैसे ही हमारा क्लेश चल रहा है, लोग हमारे बारे में तरहतरह की बातें करते हैं तो हमें छिप कर ही जाना चाहिए.”

इस के बाद रामनिवास ने अपनी पहचान के चंदन नाम के आटो वाले को फोन लगा कर कहा, “चंदन, तुम जल्दी से आटो ले कर आ जाओ, हमें छोला मंदिर तक जाना है.”

दोपहर का वक्त था, चंदन खाना खा कर घर से निकलने ही वाला था जैसे ही रामनिवास का फोन आया वह बोला, “हां पंडितजी, 5 मिनट में आटो ले कर पहुंच जाऊंगा.”

आटो में बैठ कर दोनों भानपुर इलाके के लीलाधर कालोनी में पहुंच गए. रामनिवास ने चंदन को प्रीति के घर से दूर वाली गली में खड़ा किया और उसे वहीं रुकने को कहा. दोनों आटो से उतरे और सीधे प्रीति के घर पहुंच गए. करीब आधे घंटे बाद शालिनी और रामनिवास उसी आटो में बैठ कर घर वापस आ गए.

रामनिवास की पत्नी शालिनी मिश्रा ने पुलिस को बताया, “सुबह मेरे पति ने मुझे अपने साथ प्रीति के घर चलने के लिए कहा था. उन्होंने मुझे सलवार सूट के साथ ग्लव्स, काला चश्मा और नीले जूते दिए, फिर कहा कि हम प्रीति के पास चल रहे हैं. उस से बातचीत कर के सब प्रौब्लम सौल्व कर लेंगे. ऐसे चलेंगे तो लोग पहचान लेंगे, इसलिए कवर हो कर चलना पड़ेगा.”

शालिनी ने आगे बताया, “मुझे मेरे पति और प्रीति के अफेयर की जानकारी थी और इसे ले कर घर में हर दिन झगड़ा होता रहता था. मैं प्रीति से पति का पीछा छुड़ाना चाहती थी, इसलिए उन के साथ चली गई. मुझे पता नहीं था कि मेरे पति उस की हत्या करने के मकसद से जा रहे हैं. जब हम वहां पहुंचे और मेरे पति ने उस पर वार करना शुरू कर दिए, ऐसे में मुझे उन का साथ देना पड़ा. वहीं पर प्रीति का एक डेढ़ साल का बच्चा भी था, मैं ने बस उसे ही संभाला था. इस के अलावा मैं ने और कुछ नहीं किया.”

पुलिस ने प्रीति की हत्या के आरोप में 35 वर्षीय रामनिवास मिश्रा, और उस की पत्नी 30 वर्षीया शालिनी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें भोपाल जेल भेज दिया गया. नाजायज संबंधों की खातिर प्रीति अपनी जान से हाथ धो बैठी और उस के बच्चे बिन मां के रह गए. जबकि प्रेम में पागल पुजारी रामनिवास मिश्रा को अपनी पत्नी के साथ जेल की चारदीवारी में कैद होना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

शादी के नाम पर ऐसे होती है ठगी – भाग 4

अजय परेशान था कि ऐसा क्या काम करे कि उसे मोटी कमाई हो. तभी उस के दिमाग में उच्च परिवार की तलाकशुदा ऐसी महिलाओं को ठगने का आइडिया आया जो फिर से शादी करना चाहती हों. इस के लिए उस ने जीवनसाथी डौटकौम वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करा कर अपनी आकर्षक प्रोफाइल बनाई.

प्रोफाइल में उस ने अपना नाम बदल कर राजीव यादव लिखा और अपनी जगह किसी दूसरे का फोटो लगा दिया. नोएडा के छलेरा गांव के रहने वाले युवक अमित चौहान को उस ने मोटी तनख्वाह पर नौकरी पर रख लिया था.

प्रभाव जमाने के लिए अजय ने खुद को आईपीएस अफसर और मिजोरम में डीआईजी के पद पर तैनात बताया. इस आकर्षक प्रोफाइल को देख कर ही अनुष्का उस के जाल में फंसी थी. जिस से उस ने साढ़े 24 लाख रुपए ठग लिए थे

पुलिस ने जालसाज अजय यादव उर्फ राजीव यादव और अमित चौहान को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल तो भेज दिया. लेकिन इस के बाद भी अनुष्का की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. अब अदालत की काररवाई में उसे कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

अनुष्का की ही तरह शालिनी भी शादी के विज्ञापन की वेबसाइट के जरिए एक ऐसे व्यक्ति के चंगुल में फंसी कि उस युवक ने उस के 6 लाख रुपए बड़ी आसानी से ठग लिए.

दिल्ली के कृष्णानगर इलाके के रहने वाला वरुण बीए सेकेंड ईयर किए हुए है. उस ने दरजनों संस्थानों में जौब की, लेकिन कहीं भी टिक नहीं पाया. इसी दौरान उस ने टीवी पर एक क्राइम शो देखा. शो में दिखाया गया था कि एक शख्स मैट्रीमोनियल साइट्स पर एकाउंट बना कर किस तरह महिलाओं को ठगता था. उसी टीवी शो से प्रेरित हो कर वरुण पाल ने भी मैट्रीमोनियल साइट्स के जरिए ठगी करने की योजना बनाई.

योजना के तहत उस ने मैट्रीमोनियल की 3 बड़ी वेबसाइट्स पर अपने कई एकाउंट बनाए और फेसबुक में हैंडसम दिखने वाले लड़कों की तसवीरें लगा दीं. अपनी प्रोफाइल में उस ने खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी का आईटी मैनेजर बताया. अपना प्रभाव जमाने के लिए वरुण ने अपनी फेसबुक में कुछ अच्छे बंगलों की तसवीरें भी अपलोड कर दीं. उन बंगलों को वह अपने बताता था. खुद को रसूख वाला प्रोजैक्ट करने के बाद कई महिलाएं उस के जाल में फंसीं.

महिलाओं को अपने जाल में फांसने के बाद वह उन से मुलाकात करता और किसी तरह उन के न्यूड फोटोग्राफ हासिल कर लेता था. इस के बाद वरुण का ठगी का खेल शुरू हो जाता था. वह बिजनैस में मोटा घाटा होने की बात कह कर उन से मोटी रकम ऐंठता. जब कोई महिला पैसे देने में आनाकानी करती तो वह न्यूड तसवीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करता.

शालिनी भी मैट्रीमोनियल साइट के जरिए वरुण पाल के जाल में फंस गई. वरुण ने शालिनी को शादी के जाल में फांस कर 6 लाख रुपए ठग लिए थे. शालिनी से जब वरुण ने और पैसों की डिमांड की तो शालिनी को अहसास हो गया कि उसे ठगा जा रहा है. उस ने और पैसे देने से मना कर दिया तो वरुण ने उसे धमकी दी कि यदि पैसे नहीं दिए तो वह उस के न्यूड फोटो इंटरनेट पर डाल देगा.

शालिनी अब समझ चुकी थी कि जिसे वह अपना जीवनसाथी चुनने जा रही थी, वह बहुत शातिर ठग है. उस ने उसे सबक सिखाने के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में लिखित शिकायत कर दी.

आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी एस.डी. मिश्रा ने इस मामले में त्वरित काररवाई करते हुए एक पुलिस टीम बनाई. पुलिस टीम ने 8 अगस्त, 2014 को आरोपी वरुण पाल को गिरफ्तार कर लिया.

मैट्रीमोनियल साइटों पर आज भी तमाम फरजी एकाउंट एक्टिव हैं. जिन लोगों ने ऐसे एकाउंट बना रखे हैं, उन का मकसद भोलीभाली लड़कियों, महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर उन का आर्थिक और शारीरिक शोषण करना होता है.

ऐसे विज्ञापनों के जरिए शादी के बंधन में बंधने वालों को पहले अच्छी तरह से छानबीन कर लेनी चाहिए कि उस ने अपने प्रोफाइल में जो कुछ दे रखा है, वह सही है या नहीं. यदि बिना जांच किए शादी का प्रपोजल स्वीकार कर लिया तो अनुष्का और शालिनी की तरह पछताना पड़ सकता है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. अनुष्का और शालिनी नाम परिवर्तित हैं.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 2

तान्या रचित और टीटू को बहुत पहले से जानती थी. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. पुलिस पूछताछ में तान्या व उसके दोस्तों से जो जानकारी प्राप्त हुई वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के धार जिले के बागटांडा के बरोड़ निवासी तान्या कुछ समय पहले पढ़ाई करने के लिए इंदौर आई थी. इंदौर आते ही उस ने एक ब्रोकर के माध्यम से पलासिया इलाके के गायत्री अपार्टमेंट में एक किराए का फ्लैट लिया, और वहीं रह कर उस ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी.

तान्या खातेपीते परिवार से थी. उस के पास रुपयोंपैसों की कमी नही थी. उस के मम्मीपापा उस का भविष्य सुधारने के लिए काफी रुपए खर्च कर रहे थे. खूबसूरत तान्या के कालेज में एडमिशन लेते ही उस के कई दीवाने हो गए थे. वह शुरू से ही बनठन कर रहती थी. मम्मीपापा खर्च के लिए पैसा भेजते तो वह खुले हाथ से पैसा खर्च भी करती थी.

इंदौर आते ही उस के जैसे पंख निकल आए थे. वह खुली हवा में घूमने लगी. उस की कुछ फ्रेंड गलत संगत में पड़ी हुई थीं. तान्या उन के संपर्क में आई तो उस पर भी उन का रंग चढ़ने लगा. वह भी अपनी दोस्तों के साथ शराब और सिगरेट का नशा करने लगी थी. उसी नशे के कारण उस की दोस्ती आवारा लड़कों से हो गई. जवानी के जोश में उस के कदम बहके तो वह पढ़ाई करना भूल गई.

उसी दौरान उस की मुलाकात रचित उर्फ टीटू से हुई. टीटू ने उसे एक बार प्यार से देखा तो देखता ही रह गया. दोनों के बीच परिचय हुआ और फिर जल्दी ही दोनों ने दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिए थे. दोस्ती के सहारे ही उन के बीच प्यार बढ़ा और कुछ ही दिनों में वह एकदूसरे को दिलो जान से चाहने लगे.

तान्या से दोस्ती हो जाने के बाद रचित का उस के फ्लैट पर भी आनाजाना शुरू हो गया था. रचित घंटों उस के पास पड़ा रहता था. जिस के कारण उस के आसपास रहने वाले लोग परेशान रहने लगे थे. चूंकि तान्या ने वह फ्लैट किराए पर लिया था. इसी कारण उस के पड़ोसी उसे वहां से जाने के लिए भी नहीं कह सकते थे.

पहले तो उस के फ्लैट पर रचित ही आता था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अन्य कई युवक भी आने लगे. थे. तान्या के फ्लैट में लडकों का आनाजान शुरू हुआ तो पड़ोसियों को परेशानी हुई. .उस की हरकतों से तंग आ कर पड़ोसियों ने उस फ्लैट के मालिक से उस की शिकायत कर उस से फ्लैट खाली कराने के लिए दबाव बनाया.

पड़ोसियों के दबाव में आ कर फ्लैट मालिक ने तान्या से तुरंत ही फ्लैट खाली करने को कहा. मालिक के कहने पर तान्या ने फ्लैट खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. तान्या ने यह बात अपने दोस्त रचित को बताई. साथ ही उसने उस से उस के लिए एक मकान ढूंढने को कहा, लेकिन इस मामले में रचित ने उस की कोई भी सहायता करने से साफ मना कर दिया था.

रचित ने तान्या को समझाने का किया प्रयास

रचित के अलाबा तान्या का एक ओर दोस्त था छोटू. उस का भी उस के पास बहुत आना जाना लगा रहता था. यह बात उस ने छोटू के सामने रखी तो उस ने उस के लिए फ्लैट ढूंढना शुरू कर दिया. छोटू परदेशीपुरा इलाके में रहता था. छोटू एक दबंग किस्म का युवक था. छोटेमोटे अपराध और मारपीट कर उस ने अपने इलाके में दहशत फैला रखी थी. उस पर 3 मुकदमे दर्ज थे.

कुछ सयम पहले ही तान्या की उस से मुलाकात हुई थी. छोटू को लड़कियों को परखने की महारत हासिल थी. उस ने तान्या के लिए कुछ ही दिनों में एक किराए के फ्लैट की व्यवस्था कर दी. उस के बाद वह उसी के इलाके में आ कर रहने लगी थी. तान्या की छोटू से दोस्ती पक्की हो गई थी. छोटू के साथ दोस्ती हो जाने के बाद तान्या को नशे की लत भी लग गई थी. जिस के बाद उसमें अच्छा बुरा सोचने की क्षमता भी खत्म हो गई. थी.

यह बात रचित को पता चली तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, ”तान्या तुम पढ़ीलिखी हो, तुम्हें ऐसे आवारा किस्म के साथ दोस्ती नही करनी चाहिए. छोटू के साथ दोस्ती करने के बाद तुम पछताओगी.”

लेकिन तान्या ने उस की एक न सुनी. फिर रचित ने भी उस से बात करनी ही बंद कर दी. फिर भी तान्या रचित को छोड़ने को तैयार न थी. वह बारबार रचित को फोन लगाती, लेकिन वह उस का फोन रिसीव नहीं कर रहा था. जिस के कारण वह उस से मिल भी नहीं पा रही थी.

उस के बाद तान्या ने छोटू सेे कहा कि वह किसी भी तरह से एक बार उसे रचित से मिलवा दे. छोटू ने रचित से मिलकर तान्या का मैसेज देते हुए. मिलने को कहा, लेकिन उस के बाद भी रचित उस से नहीं मिला.

जब रचित ने तान्या से रिश्ता तोड़ लिया तो तान्या ने उसे सबक सिखाने की योजना बनाई. छोटू पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था. हर वक्त उस के साथ कई आवारा किस्म के लड़के घूमते थे. एक दिन तान्या ने छोटू से कहा कि वह रचित को धमकाना चाहती है, जिस से घबरा कर वह उसके संपर्क में आ जाए.

तान्या पर मौडल बनने का भूत था सवार

छोटू अय्याश किस्म का था. उस से ज्यादा वह हवाबाज होने के बाद शेखी बघारने में भी कम नही था. यही कारण था कि सामने वाला जल्दी ही उस की बातों में आ जाता था. तान्या उस के सम्पर्क में आई तो उसे भी लगा कि छोटू जो कहता है, उसे कर भी देता है.

तान्या इंदौर आ कर हवा में उड़ने लगी और शीघ्र उच्च स्तर की मौडल बनने का सपना देखने लगी थी. छोटू से दोस्ती करते ही उसे लगने लगा था कि वह उस के सपनों को जल्दी ही पूरा कर सकता है. तान्या उस के संपर्क में आने के बाद कई बार उस से बोल चुकी थी कि उस की मुलाकात एक दो मौडल लड़कों से करवा देना.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल

मासूम की लाश पर लिखी सपनों की इबारत – भाग 2

रात बीत गई, लेकिन कोई भी फोन नहीं आया. न तो अपहरणकर्ता ने ही दोबारा फोन किया और न ही फोन पर रुद्राक्ष के मिलने की कोई खबर मिली.

पूरी रात आंसुओं में बीतने के बाद दूसरे दिन शुक्रवार का सूरज निकल आया. पुनीत और श्रद्धा को उम्मीद थी कि आज रुद्राक्ष का पता लग जाएगा. वे दुआ मांग रहे थे कि किसी भी तरह रुद्राक्ष सुरक्षित लौट आए.

रुद्राक्ष का पता लग भी गया, लेकिन पुनीत और श्रद्धा का सब कुछ लुट चुका था. उस दिन सुबहसुबह कोटा के पास तालेड़ा इलाके में एक नहर में बच्चे का शव पड़ा होने की सूचना मिली. पुलिस मौके पर पहुंची. पुनीत और श्रद्धा को भी बुला लिया गया. शव रुद्राक्ष का ही था. बेटे का शव देख कर श्रद्धा पछाड़ खा कर गिर पड़ीं. परिवार वालों ने उन्हें संभाला और घर ले गए. अपहर्ताओं ने मासूम रुद्राक्ष को मार कर नहर में फेंक दिया था.

रुद्राक्ष का शव नहर में मिलने की बात पूरे शहर में तेजी से फैली तो लोगों में आक्रोश फैल गया. मासूम रुद्राक्ष की मौत से पूरा शहर रो पड़ा. पुलिस ने जरूरी काररवाई के बाद शव घर वालों को सौंप दिया. दोपहर में गमगीन माहौल में रुद्राक्ष का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

अब यह मामला संगीन हो चुका था. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देश पर जयपुर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, कोटा के प्रभारी मंत्री यूनुस खान तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) अजीत सिंह कोटा पहुंच गए. उन्होंने पीडि़त परिवार से मिल कर सांत्वना दी और रुद्राक्ष के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का भरोसा दिलाया.

मासूम रुद्राक्ष की हत्या ने कोटा के नागरिकों को इतना आहत किया कि 11 अक्टूबर को पूरा शहर बंद रहा. चाय की गुमटी व पानसिगरेट तक की दुकानें नहीं खुलीं. वकीलों ने कामकाज बंद रखा. लोगों ने कैंडल मार्च निकाल कर रुद्राक्ष को श्रद्धांजलि दी.

रुद्राक्ष का शव मिलने के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह के निर्देशन में पुलिस दल ने नए सिरे से जांचपड़ताल शुरू कर दी. पुलिस की 10 से ज्यादा टीमें रुद्राक्ष के अपहरणकर्ताओं की जानकारी जुटाने लगी. सबूत मिलने लगे तो अपराध की अलगअलग कडि़यां जुड़ने लगीं. इस बीच रुद्राक्ष की हत्या को ले कर पूरे कोटा संभाग में जनाक्रोश बढ़ता जा रहा था. जगहजगह आंदोलन हो रहे थे. आसपास के शहर भी अलगअलग दिन बंद रहे. पुलिस के लिए रुद्राक्ष के अपहरण और हत्या का मामला चुनौती बन गया था.

5 दिनों तक दिनरात चली जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने विभिन्न तरीकों से इस मामले में सभी जरूरी ठोस सबूत जुटा लिए. 14 अक्टूबर की रात पुलिस अधिकारियों ने कोटा में प्रेस कौन्फ्रैंस कर के दावा किया कि रुद्राक्ष के कातिल की पहचान कर ली गई है. रुद्राक्ष का अपहरण कर के उस की हत्या करने वाला शख्स अंकुर पाडि़या है.

अधिकारियों ने दावा किया कि जांचपड़ताल में पुलिस को अंकुर पाडि़या के बारे में कई सनसनीखेज एवं तथ्यात्मक जानकारियां मिली हैं. पुलिस का कहना था कि अंकुर पाडि़या का पर्दाफाश क्लोरोफार्म की आनलाइन शौपिंग के लिए किए गए ई-मेल से हुआ है.

प्रेस कौन्फ्रैंस में अधिकारियों ने बताया कि पुलिस की जांचपड़ताल में पता चला है कि अंकुर का रहनसहन और जीवनशैली हाईप्रोफाइल है. हाई सोसायटी में उठनाबैठना, महंगी गाडि़यों में घूमना, लड़कियों से अय्याशी करना, क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाना उस का शौक था. अय्याशी का जीवन जीने वाला अंकुर कई बार विदेश जा चुका है. अलगअलग जगहों पर उस के कई फ्लैट हैं.

बारां रोड पर एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में उस का एक फ्लैट पूरी तरह साउंडपू्रफ है. इस फ्लैट में वह केवल पार्टियां करता था. वहां ऐशोआराम की तमाम सुविधाएं हैं. ओम एन्क्लेव के एक फ्लैट से पुलिस को अंकुर की कई कीमती चीजें मिली हैं. विदेशों में भी उस के कई दोस्त हैं. जांचपड़ताल में पुलिस को अंकुर के भाई अनूप की भी जानकारी मिली. अनूप भगोड़ा था. वह 5 साल पहले पुलिस हिरासत से भाग गया था. उस पर लोगों से करोड़ों रुपए ठगने का आरोप था.

पुलिस ने अपनी छानबीन के आधार पर बताया कि अंकुर पाडि़या कोटा के ओम एन्क्लेव के सी ब्लाक में चौथी मंजिल पर अपनी पत्नी व मातापिता के साथ रहता था. उस के फ्लैट के ठीक सामने कोटा में तैनात यातायात पुलिस की डीएसपी तृप्ति विजयवर्गीय का फ्लैट है. जांच में यह बात भी सामने आई कि वारदात के बाद अंकुर अपने इस फ्लैट में आताजाता रहा, लेकिन न तो पड़ोसी डीएसपी को उस पर शक हुआ और न ही किसी और को.

जांच दलों को अंकुर के पुलिस अधिकारियों से भी अच्छे संपर्क होने की जानकारी मिली. जांच में यह भी पता चला कि रुद्राक्ष के अपहरण की रात पुलिस जब उस की निशान माइक्रा कार का सत्यापन करने के लिए उस के घर पहुंची तो उस ने जांच के लिए आए पुलिस दल को एक उच्चाधिकारी से फोन करवा कर कहलवाया कि वह गाड़ी के कागज एक दिन बाद दिखा देगा.

पुलिस ने रुद्राक्ष के अपहरण की सूचना और निशान माइक्रा कार की फुटेज मिलने के बाद उसी रात कार कंपनी के शोरूम से कोटा में चल रही निशान माइक्रा कारों और उन के मालिकों की सूची हासिल कर ली थी. इसी सूची के आधार पर घटना के कुछ घंटे बाद ही आधी रात को पुलिस अंकुर के घर उस की कार का सत्यापन करने के लिए पहुंची थी. पुलिस अधिकारियों ने माना कि अगर उस रात अंकुर की कार का सत्यापन हो जाता तो शायद रुद्राक्ष जीवित मिल जाता.

पुलिस अधिकारियों ने यह भी बताया कि जांच में यह बात सामने आई कि अंकुर पाडि़या क्रिकेट का सट्टा लगाता था. सट्टे में वह करोड़ों रुपए की रकम गंवा चुका था. इसी की भरपाई के लिए उस ने रुद्राक्ष के अपहरण की साजिश रची थी. इस के लिए उस ने कई दिनों तक पार्क की रैकी करने के बाद रुद्राक्ष को चुना था. रुद्राक्ष के पिता पुनीत हांडा बैंक मैनेजर थे और मां श्रद्धा टीचर. इस से अंकुर को उम्मीद थी कि रुद्राक्ष का अपहरण कर के उसे मोटी रकम मिल जाएगी, जिस से वह अपना कर्ज उतार देगा.

राजस्थान पुलिस ने 14 अक्टूबर की रात रुद्राक्ष के अपहरण और उस की हत्या के मामले का पर्दाफाश जरूर कर दिया, लेकिन अंकुर पाडि़या पुलिस की पकड़ से दूर था. अलबत्ता पुलिस ने दावा किया कि अंकुर के ठिकानों की जानकारी मिल चुकी है और वह जल्द से जल्द पकड़ में आ जाएगा.

पुलिस ने अंकुर पाडि़या की जन्म कुंडली और उस के भगोड़े भाई अनूप की अपराध कुंडली हासिल कर के एक मोर्चे पर सफलता हासिल कर ली थी. उसे उम्मीद थी कि अपराधी अब ज्यादा दिन भाग नहीं सकेंगे. पुलिस ने जिस तरह के दावे किए थे, उस से कोटा की जनता और रुद्राक्ष के मातापिता को भी यह उम्मीद बंधी थी कि अपराधी जल्दी ही गिरफ्तार हो जाएंगे.

लेकिन यह इतना आसान साबित नहीं हुआ. पुलिस अंकुर की गिरफ्तारी को जितना आसान मान रही थी, वह उतना ही मुश्किल साबित हो रहा था. अंकुर पुलिस से भी ज्यादा शातिर और चालाक साबित हुआ. पुलिस जब तक उस के ठिकाने पर पहुंचती, वह वहां से निकल चुका होता था. उधर कातिल का पर्दाफाश हो जाने के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होने से कोटा में जनाक्रोश बढ़ता जा रहा था. पुलिस परेशान थी. कई टीमें अंकुर की तलाश में देश भर में उस के संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थीं, लेकिन सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहे थे.